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भैरव

िब्रिटश संग्रहालय म रखी भैरव क प्र￸तमा

भैरव (शा ब्दक अथर् - भयानक) िहन्दओ


ु ं के एक देवता ह जो ￱शव
के प ह। इनक पूजा भारत और नेपाल म होती है। िहन्द ू और
जैन दोन भैरव क पूजा करते ह। भैरव क संख्या ६४ है। ये ६४
भैरव भी ८ भाग म िवभक्त ह। १४व शताब्दी म िन मत राजा आिदत्यवमर् न क मू त जो भैरव प म है।
(इण्डोने￱शया राष्ट्रीय संग्रहालय)

1 भैरव अपने को आत्मसात करना होता है।


िहन्दस्ु तानी शा ीय संगीत म एक राग का नाम इन्ह के नाम पर
कोलतार से भी गहरा काला रंग, िवशाल प्रलंब, स्थूल शरीर, अं- भैरव रखा गया है।
गारकाय ित्रनेत्र, काले डरावने चोगेनुमा व , द्राक्ष क कण्ठमाला,
हाथ म लोहे का भयानक दण्ड और काले कुत्ते क सवारी - यह है
महाभैरव, अथार्त् मृत्यु-भय के भारतीय देवता का बाहरी स्व प।
2 कालभैरव क पूजा
उपासना क िष्ट से भैरव तमस देवता ह। उनको ब ल दी जाती है
और जहाँ कह यह प्रथा समाप्त हो गयी है वहाँ भी एक साथ बड़ी
संख्या म ना रयल फोड़ कर इस कृत्य को एक प्रतीक के प म कालभैरव क पूजाप्राय: पूरे देश म होती है और अलग-अलग
सम्पन्न िकया जाता है। यह एक ऐ￸तहा■सक सत्य है िक भैरव उग्र अंचल म अलग-अलग नाम से वह जाने-पहचाने जाते ह। महाराष्ट्र
कापा लक सम्प्रदाय के देवता ह और तंत्रशा म उनक आराधना म खण्डोबा उन्ह का एक प है और खण्डोबा क पूजा-अचर् ना
को ही प्राधान्य प्राप्त है। तंत्र साधक का मुख्य ल य भैरव भाव से वहाँ ग्राम-ग्राम म क जाती है। द￸क्षण भारत म भैरव का नाम शास्ता

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2 4 भैरव उपासना क शाखाएं

है। वैसे हर जगह एक भयदायी और उग्र देवता के प म ही उनको तथा संहार-भैरव।


मान्यता िमली हुई है और उनक अनेक प्रकार क मनौ￸तयां भी का लका पुराण म भैरव को नंदी, भृग ं ी, महाकाल, वेताल क तरह
स्थान-स्थान पर प्रच लत ह। भूत, प्रेत, िपशाच, पूतना, कोटरा भैरव को ￱शवजी का एक गण बताया गया है ■जसका वाहन कुत्ता
और रेवती आिद क गणना भगवान ￱शव के अन्यतम गण म
है। ब्रह्मवैवतर् पुराण म भी १ . महाभैरव, २ . संहार भैरव, ३ .
क जाती है। दस ू रे शब्द म कह तो िविवध रोग और आप त्तय
अ■सतांग भैरव, ४ . द्र भैरव, ५ . कालभैरव, ६ . क्रोध भैरव,
िवप त्तय के वह अ￸धदेवता ह। ￱शव प्रलय के देवता भी ह, अत: ७ . ताम्रचूड़ भैरव तथा ८ . चंद्रचूड़ भैरव नामक आठ पूज्य
िवप त्त, रोग एवं मृत्यु के समस्त दतू और देवता उनके अपने
भैरव का िनदश है। इनक पूजा करके मध्य म नवशिक्तय क
सैिनक ह। इन सब गण के अ￸धप￸त या सेनानायक ह महाभैरव।
पूजा करने का िवधान बताया गया है। ￱शवमहापुराण म भैरव को
सीधी भाषा म कह तो भय वह सेनाप￸त है जो बीमारी, िवप त्त और
परमात्मा शंकर का ही पूणर् प बताते हुए लखा गया है -
िवनाश के पाश्वर् म उनके संचालक के प म सवर् त्र ही उप स्थत
िदखायी देता है।
भैरव: पूणर् पोिह शंकरस्य परात्मन:।
मू ास्तेवै न जान न्त मोिहता:￱शवमायया
3 प्राचीन ग्रंथ म भैरव

‘￱शवपुराण’ के अनुसार मागर् शीषर् मास के कृष्णपक्ष क अष्टमी को 41 भैरव साधना व ध्यान
मध्यान्ह म भगवान शंकर के अंश से भैरव क उत्प त्त हुई थी,
ध्यान के िबना साधक मूक स श है, भैरव साधना म भी ध्यान
अतः इस ￸त￱थ को काल-भैरवाष्टमी के नाम से भी जाना जाता
है। पौरा￱णक आख्यान के अनुसार अंधकासुर नामक दैत्य अपने क अपनी िव￱शष्ट महत्ता है। िकसी भी देवता के ध्यान म केवल
िन वकल्प-भाव क उपासना को ही ध्यान नह कहा जा सकता।
कृत्य से अनी￸त व अत्याचार क सीमाएं पार कर रहा था, यहाँ
ध्यान का अथर् है - उस देवी-देवता का संपूणर् आकार एक क्षण म
तक िक एक बार घमंड म चूर होकर वह भगवान ￱शव तक के ऊपर
मानस-पटल पर प्र￸तिब म्बत होना। श्री बटु क भैरव जी के ध्यान
आक्रमण करने का दस्ु साहस कर बैठा. तब उसके संहार के लए
हेतु इनके सा त्वक, राजस व तामस प का वणर् न अनेक शा
￱शव के ￸धर से भैरव क उत्प त्त हुई।
म िमलता है।
कुछ पुराण के अनुसार ￱शव के अपमान-स्व प भैरव क उत्प त्त जहां सा त्वक ध्यान - अपमृत्यु का िनवारक, आयु-आरोग्य व मो-
हुई थी। यह सृिष्ट के प्रारंभकाल क बात है। सृिष्टकतार् ब्रह्मा ने क्षफल क प्रािप्त कराता है, वह धमर् , अथर् व काम क ■स￸द्ध के
भगवान शंकर क वेशभूषा और उनके गण क पसज्जा देख कर लए राजस ध्यान क उपादेयता है, इसी प्रकार कृत्या, भूत, ग्रहािद
￱शव को ￸तरस्कारयुक्त वचन कहे। अपने इस अपमान पर स्वयं ￱शव के द्वारा शत्रु का शमन करने वाला तामस ध्यान कहा गया है। ग्रंथ
ने तो कोई ध्यान नह िदया, िकन्तु उनके शरीर से उसी समय क्रोध म लखा है िक गृहस्थ को सदा भैरवजी के सा त्वक ध्यान को ही
से कम्पायमान और िवशाल दण्डधारी एक प्रचण्डकाय काया प्रकट प्राथिमकता देनी चािहए।
हुई और वह ब्रह्मा का संहार करने के लये आगे बढ़ आयी। स्रष्टा
तो यह देख कर भय से चीख पड़े। शंकर द्वारा मध्यस्थता करने पर
ही वह काया शांत हो सक । द्र के शरीर से उत्पन्न उसी काया 4 2 भारत म भैरव के प्र■सद्ध मंिदर
को महाभैरव का नाम िमला। बाद म ￱शव ने उसे अपनी पुरी, काशी
का नगरपाल िनयुक्त कर िदया। ऐसा कहा गया है िक भगवान शंकर भारत म भैरव के प्र■सद्ध मंिदर ह ■जनम काशी का काल भैरव
ने इसी अष्टमी को ब्रह्मा के अहंकार को नष्ट िकया था, इस लए यह मंिदर सवर् प्रमुख माना जाता है। काशी िवश्वनाथ मंिदर से भैरव
िदन भैरव अष्टमी व्रत के प म मनाया जाने लगा। भैरव अष्टमी मंिदर कोई डेढ़-दो िकलोमीटर क दरू ी पर स्थत है। दस ू रा नई
'काल' का स्मरण कराती है, इस लए मृत्यु के भय के िनवारण हेतु िदल्ली के िवनय मागर् पर नेह पाकर् म बटु क भैरव का पांडवकालीन
बहुत से लोग कालभैरव क उपासना करते ह। मंिदर अत्यंत प्र■सद्ध है। तीसरा उज्जैन के काल भैरव क प्र■स￸द्ध
का कारण भी ऐ￸तहा■सक और तांित्रक है। नैनीताल के समीप
घोड़ाखाल का बटु कभैरव मंिदर भी अत्यंत प्र■सद्ध है। यहाँ गोलू
4 भैरव उपासना क शाखाएं देवता के नाम से भैरव क प्र■स￸द्ध है। इसके अलावा शिक्तपीठ
और उपपीठ के पास स्थत भैरव मंिदर का महत्व माना गया है।
जयगढ़ के प्र■सद्ध िकले म काल-भैरव का बड़ा प्राचीन मंिदर है
कालान्तर म भैरव-उपासना क दो शाखाएं - बटु क भैरव तथा काल ■जसम भूतपूवर् महाराजा जयपुर के ट्रस्ट क और से दैिनक पूजा-
भैरव के प म प्र■सद्ध हुई।ं जहां बटु क भैरव अपने भक्त को अभय अचर् ना के लए पारंप रक-पुजारी िनयुक्त ह। मध्य प्रदेश के ■सवनी
देने वाले सौम्य स्व प म िवख्यात ह वह काल भैरव आपरा￸धक ■जले के ग्राम अदेगाव म भी श्री काल भैरव का मंिदर है जो िकले
प्रवृ त्तय पर िनयंत्रण करने वाले प्रचण्ड दंडनायक के प म प्र■सद्ध के अंदर है ■जसे गढ़ी ऊपर के नाम से जाना जाता है।
हुए।
कहते ह औरंगजेब के शासन काल म जब काशी के भारत-िवख्यात
िवश्वनाथ मंिदर का ध्वंस िकया गया, तब भी कालभैरव का मंिदर
4 1 पुराण म भैरव का उल्लेख पूरी तरह अछूता बना रहा था। जनश्रु￸तय के अनुसार कालभैरव
का मंिदर तोड़ने के लये जब औरंगज़ेब के सैिनक वहाँ पहुँचे तो
तंत्रशा म अष्ट-भैरव का उल्लेख है – अ■सतांग-भैरव, द्र-भैरव, अचानक पागल कुत्त का एक पूरा समूह कह से िनकल पड़ा था।
चंद्र-भैरव, क्रोध-भैरव, उन्मत्त-भैरव, कपाली-भैरव, भीषण-भैरव उन कुत्त ने ■जन सैिनक को काटा वे तुरत ं पागल हो गये और
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िफर स्वयं अपने ही सा￱थय को उन्ह ने काटना शु कर िदया।


बादशाह को भी अपनी जान बचा कर भागने के लये िववश हो
जाना पड़ा। उसने अपने अंगरक्षक द्वारा अपने ही सैिनक ■सफर्
इस लये मरवा िदये क पागल होते सैिनक का ■सल■सला कह
खु़द उसके पास तक न पहुँच जाए।
भारतीय संस्कृ￸त प्रारंभ से ही प्रतीकवादी रही है और यहाँ क
परम्परा म प्रत्येक पदाथर् तथा भाव के प्रतीक उपलब्ध ह। यह
प्रतीक उभयात्मक ह - अथार्त स्थूल भी ह और सू म भी। सू म
भावनात्मक प्रतीक को ही कहा जाता है -देवता। चूँिक भय भी एक
भाव है, अत: उसका भी प्रतीक है - उसका भी एक देवता है और
उसी भय का हमारा देवता ह- महाभैरव।

इन्ह भी देख

• कालभैरव

बाहरी किड़याँ
• िवज्ञान भैरव (गूगल पुस्तक ; लेखक - ब्रज बल्लभ िद्ववेदी)

• कालभैरव जयन्ती

• Virtually travel the Bhairab Temple of Kathmandu.


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degree rotation)
• श्री भैरव जी क आरती

• Bhairav Worship Chant - Chalisa


• Obtaining a Yidam (Bhairava or Dakini) as a guide
and protector (from wisdom-tree.com)

• Bhairav
4 पाठ और ￸चत्र के स्रोत, योगदानकतार् और लाइसस

पाठ और ￸चत्र के स्रोत, योगदानकतार् और लाइसस

1 पाठ
• भैरव स्रोत: https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AD%E0%A5%88%E0%A4%B0%E0%A4%B5?oldid=3424116 योगदानकतार्:
CommonsDelinker, VolkovBot, अनुनाद ↓सह, Dr.jagdish, Luckas-bot, Hemant Shesh, Xqbot, Siddhartha Ghai, RedBot, FoxBot, Mayur,
HRoestBot, Mayurbots, VibhijainBot, Heeradevda, Addbot, Lokesh gla, Sanjeev bot, Mindcycle और अनािमत: 2

2 ￸चत्र
• ￸चत्र:Adityawarman.jpg स्रोत: https://upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/5/54/Adityawarman.jpg लाइसस: Public domain योगदा-
नकतार्: http://www.thomas-lehmkuhl.de/bilder/stuck_05_01_gross.jpg मूल कलाकार: Thomas Lehmkuhl
• ￸चत्र:SFEC_BritMus_Asia_035.JPG स्रोत: https://upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/6/61/SFEC_BritMus_Asia_035.JPG लाइ-
सस: CC BY-SA 3.0 योगदानकतार्: अपना काम (Self Photograph) मूल कलाकार: Steve F-E-Cameron (Merlin-UK)

3 सामग्री लाइसस
• Creative Commons Attribution-Share Alike 3.0

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