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ऄथथशास्त्र

वििेकानंद इंस्टिट्मूि
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1. ऄथथव्यवस्था के प्रकार और क्षेत्रक


मुख्यतः ऄथथशास्त्र के दो प्रकार होते है:

1. व्यष्टि ऄथथशास्त्र: इसमे व्यष्टि और ईसके अष्टथथक व्यवहार का ऄध्ययन ष्टकया जाता है। जैसे: व्यक्ति
की आय, उसकी आवश्यकताए, उसकी इच्छाएँ, उसके खर्च करने का तरीका आक्तद का अध्ययन।
2. सष्टमष्टि ऄथथशास्त्र: इसमे देश की सम्पूणथ ऄथथव्यवस्था के अष्टथथक व्यवहार का ऄध्ययन क्तकया जाता
है। जैसे: देश की प्रक्तत व्यक्ति आय, सकल घरे लू उत्पाद, सकल राष्ट्रीय उत्पाद, देश की मागां एवां पक्तू तच का
अध्ययन, वृक्ति दर, बेरोजगारी दर आक्तद का अध्ययन।

ऄथथव्यवस्था के प्रकार
क्तनजी क्षेत्र और बाजार के सापेक्ष राज्य व सरकार की भक्तू मका के आधार पर अथचव्यवस्था की तीन श्रेक्तणयाां हैं-

1. समाजवादी ऄथथव्यवस्थाः–

 ये अथचव्यवस्था समाजवादी, समाज की स्थापना की ईद्देश्य से प्रेररत होती है।


 ऐसी अथचव्यवस्था में संसाधनों पर सावथजष्टनक स्वाष्टमत्व की ऄवधारणा लागू होती है।
 ऐसी अथचव्यवस्था में राज्य व सरकार का हस्तक्षेप ज्यादा होता है।
 मााँग और पूष्टतथ (ष्टनजी क्षेत्र के साथ बाजार कारक) की भूष्टमका नगण्य होती है।
 अपनी ष्टनयंत्रणकारी प्रकृष्टत के कारण समाजवादी ऄथथव्यवस्था ष्टनयंष्टत्रत ऄथथव्यवस्था कहलाती है।
 ईदाहरण – चीन, क्यूबा, ईत्तर कोररया,

2. पूंजीवादी ऄथथव्यवस्था:-

 पज ूं ीवादी ऄथथव्यवस्था में मााँग व पूष्टतथ (ष्टनजी क्षेत्र व बाजार) कारकों की भूष्टमका प्रभावकारी होती
है।
 ऐसी अथचव्यवस्था में राज्य व सरकार की भूष्टमका सीष्टमत
 ऐसी अथचव्यवस्था ऄहस्तक्षेप के ष्टसद्धान्त पर अधाररत
 पूंजीवादी ऄथथव्यवस्था में जहां लाभ पर जोर होता है वहीं समाजवादी ऄथथव्यवस्था कल्याणकारी
राज्य की सक ं ल्पना से प्रेररत होती है।

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3. ष्टमष्टित ऄथथव्यवस्था:-

 ऐसी अथचव्यवस्था में समाजवादी एवं पूंजीवादी दोनों के लक्षण पाये जाते हैं।
 भारत की ऄथथव्यवस्था ष्टमष्टित ऄथथव्यवस्था का ईदाहरण है।

ष्टवकास की रणनीष्टत के अधार पर ऄथथव्यवस्था की दो िेष्टणयां हैं-

1. योजनाबद्ध िेणी:- एक व्यवक्तस्थत रणनीक्तत के साथ क्तवकास की सांकल्पना को स्वीकार करने वाले
अथचव्यवस्था योजनाबि अथचव्यवस्था की श्रेणी में आती है।
2. गैर योजनाबद्ध िेणी:- ऐसी अथचव्यवस्था जो आयोजन की सक ां ल्पना को स्वीकार नहीं करती, गैर
योजनाबि अथचव्यवस्था कहलाती है।
 वतथमान वैष्टिक पररदृश्य में सभी ऄथथव्यवस्थायें योजनाबद्ध ऄथथव्यवस्था की िेणी में अती हैं।

ष्टवकास के ष्टवष्टभन्न ऄवस्थाओ ं के अधार पर ऄथथव्यवस्था की तीन िेष्टणयां हैं-

1. ष्टवकष्टसत ऄथथव्यवस्था:-

 जहाँ औद्योगीकरण की प्रष्टिया औद्योष्टगक िाष्टन्त के पहले व दूसरे चरण में शुरू हुई थी और आज
ष्टवकास की ईच्च ऄवस्था तक पहुर्ँ र्क ु ी हैं।
 ऐसी अथचव्यवस्था ष्टवकष्टसत ऄथथव्यवस्था की िेणी में आती हैं। ऄमेररका व ऄष्टधकांश यूरोपीय
देशों की अथचव्यवस्थायें क्तवकक्तसत अथचव्यवस्था की श्रेणी में रखी जाती हैं।
 क्तवकक्तसत अथचव्यवस्थाओ ां की जी0डी0पी0 में सेवा क्षेत्र का महत्व ऄष्टधक होता है और ये आक्तथचक
क्तवकास के तीसरे र्रण में प्रवेश कर र्क
ु ी हैं।

2. ष्टवकासशील ऄथथव्यवस्था:-

 ऐसी अथचव्यवस्थायें अपने सांसाधनों का समक्तु र्त दोहन नही कर पायी। यहाँ पर औद्योगीकरण की प्रक्तिया देर
से शरू
ु हुई।
 1940-50 के दशक में औपष्टनवेष्टशक स्वतंत्रता प्राप्त करने वाली ऄष्टधकांश देशों की ऄथथव्यवस्थायें
इसी श्रेणी की हैं।

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 ऐसी अथचव्यवस्था के जी0डी0पी0 में कृष्टष क्षेत्र का भाग कम हो रहा होता है और औद्योष्टगक एवं सेवा
क्षेत्र का भाग बढ़ रहा होता है।
 ये अथचव्यवस्थायें अष्टथथक ष्टवकास के दूसरे चरण में हैं।

3. ऄल्प ष्टवकष्टसत ऄथथव्यवस्था:-

 ऐसी अथचव्यवस्थायें जो अपने सांसाधनों का दोहन अभी तक नहीं कर पायी हैं तथा अभी वे ष्टवकास के
अरष्टम्भक चरण में हैं, ऄल्प ष्टवकष्टसत ऄथथव्यवस्था कहलाती हैं।
 ऐसी अथचव्यवस्थायें अपनी आवश्यकताओ ां की पक्तू तच के क्तलए अन्य देशों व अन्तराचष्ट्रीय सगां ठनों के अनदु ान
पर क्तनभचर होती हैं।
 ऐसी अथचव्यवस्था वाले देशों के जी0डी0पी0 में प्राथष्टमक क्षेत्र की भूष्टमका ऄभी भी महत्वपूणथ बनी
हुइ है।

शेष ष्टवि के साथ ऄन्तर सम्बन्धों के अधार पर ऄथथव्यवस्था की दो िेष्टणयां हैं-

1. बन्द ऄथथव्यवस्था:- ऐसी अथचव्यवस्था जो अत्मष्टनभथरता पर बल देती हैं और शेष ष्टवि के साथ
अष्टथथक ष्टियाओ ं के प्रष्टत ईदासीन रहती हैं। बन्द अथचव्यवस्था कहलाती हैं। 1991 के पवू च भारतीय
अथचव्यवस्था बहुत हद तक इसी श्रेणी में थी।
2. खुली ऄथथव्यवस्था:- ऐसी अथचव्यवस्था प्रष्टतस्पधाथत्मक व्यवस्था को प्रोत्साहन एवं संरक्षणवाद को
हतोत्साष्टहत करती है। खलु ी अथचव्यवस्था वाले देश शेष क्तवश्व के साथ आक्तथचक क्तियाओ ां को प्रोत्साक्तहत करते हैं।
इनका स्वरूप बहुत हद तक ष्टनयंत्रण मुि होता है। 1991 के बाद भारतीय अथचव्यवस्था खल ु ी अथचव्यवस्था के
रूप में अग्रसर हुई।

ऄथथव्यवस्था के क्षेत्रक (SECTOR OF ECONOMY)

 सामान्यतः सांपणू च अथचव्यवस्था की आक्तथचक गक्ततक्तवक्तधयों को लेखाांक्तकत करने के क्तलए तीन क्षेत्रकों में
ष्टवभाष्टजत क्तकया गया है-
प्राथष्टमक क्षेत्रक (PRIMARY SECTOR)

 इसके अतां गचत ऄथथव्यवस्था के प्राकृष्टतक क्षेत्रों का लेखांकन क्तकया जाता है इसके ऄंतगथत ष्टनम्न क्षेत्रों
को सष्टम्मष्टलत क्तकया जाता है

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 जैसे – कृष्टष, वाष्टनकी, मत्स्यन (मछली पकड़ना ), खनन (उध्वाथधर खदु ाइ) एवं ईत्खनन (क्षैष्टतक
खुदाइ)

ष्टितीयक क्षेत्रक (SECONDARY SECTOR)

 इस क्षेत्रक के अतां गचत मुख्यतः ऄथथव्यवस्था की ष्टवष्टनष्टमथत वस्तुओ ं के ईत्पादन का लेखांकन क्तकया
जाता है –
1. ष्टनमाथण, जहाां क्तकसी स्थाई पररसांपक्ति का क्तनमाचण क्तकया जाए: जैसे -भवन- |
2. ष्टवष्टनमाथण जहाां क्तकसी वस्तु का उत्पादन हो: जैसे -कपड़ा ब्रेड आक्तद-
3. ष्टवद्यतु गैस एवं जल अपष्टू तथ आत्याष्टद से सबां क्तां धत कायच |

तत्त
ृ ीय या सेवा क्षेत्रक (THIRD OR SERVICE SECTOR)

 यह क्षेत्र ऄथथव्यवस्था के प्राथष्टमक और ष्टितीयक क्षेत्र को ऄपनी ईपयोगी सेवा प्रदान करता है
 इसके अतां गचत पररवहन एवं संचार, बैंष्टकंग, बीमा, भंडारण, व्यापार, सामुदाष्टयक सेवा आक्तद

संगष्टित क्षेत्रक (ORGANIZED SECTOR)

 इसके अतां गचत वे सभी इकाइयाां आ जाती है, जो ऄपने अष्टथथक कायथकलापों का ष्टनयष्टमत लेखांकन
करती है,
 भारतीय अथचव्यवस्था में लगभग 9 प्रष्टतशत आस क्षेत्र से है |

ऄसंगष्टित क्षेत्रक (UNORGANIZED SECTOR)

 इसके अतां गचत सभी इकाइयाां आ जाती है जो ऄपने अष्टथथक कायथकलापों का कोइ लेखा जोखा नहीं
रखती है;
 जैसे – रेहड़ी, खोमचे , सब्जी की खुदरा दुकानें, दैष्टनक मजदूर
 भारतीय अथचव्यवस्था में आसका योगदान लगभग 91 प्रष्टतशत है |

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अष्टथथक संवृष्टद्ध एवं ष्टवकास (ECONOMIC GROWTH AND DEVELOPMENT)

 क्तनक्तित समयावक्तध में ष्टकसी ऄथथव्यवस्था में होने वाली वास्तष्टवक अय की वृष्टद्ध, अष्टथथक समृष्टद्ध है।
 यह एक भौक्ततक अवधारणा है।
 यक्तद, राष्ट्रीय उत्पाद, सकल घरे लू उत्पाद तथा प्रक्तत व्यक्ति आय में वृक्ति हो रही है, तो माना जाता है क्तक
अष्टथथक सवं ष्टृ द्ध हो रही है।
 अष्टथथक ष्टवकास की धारणा आक्तथचक सवां क्तृ ि की धारणा से अक्तधक व्यापक है।
 अष्टथथक सवं ृष्टद्ध ईत्पादन की वृष्टद्ध से सबां क्तां धत है, जबक्तक अष्टथथक ष्टवकास ईत्पादन की वृष्टद्ध के साथ-
साथ, सामाष्टजक, सांस्कृष्टतक, अष्टथथक गुणात्मक एवं पररणात्मक सभी पररवतथनों से सम्बष्टन्धत है।
 आक्तथचक सांवक्तृ ि वस्तक्तु नष्ट है जबक्तक आक्तथचक क्तवकास व्यक्तिक्तनष्ठ।
 अष्टथथक ष्टवकास के माप में प्रष्टत व्यष्टि अय के जीवन की गण ु वत्ता को सही माप नही माना जाता
है।
 इसकी माप में ऄनेक चारों को सष्टम्मष्टलत ष्टकया जाता है जैसे-आक्तथचक, राजनैक्ततक तथा सामाक्तजक
सस्ां थाओ ां के स्वरूप में पररवतचन, क्तशक्षा तथा साक्षरता दर, जीवन प्रत्याशा, पोषण का स्तर, स्वास््य सेवायें
प्रक्तत व्यक्ति क्तिकाऊ उपभोग वस्तु आक्तद।
 अष्टथथक सवं ष्टृ द्ध = के वल पररमाणात्मक पररवतथन
 अष्टथथक ष्टवकास = पररणात्मक तथा गण ु ात्मक पररवतथन

अष्टथथक ष्टवकास की माप

ष्टवष्टभन्न देशों के अष्टथथक ष्टवकास की तुलनात्मक ष्टस्थष्टत ज्ञात करने के ष्टलए पााँच दृष्टिकोण हैं-;

(A) अधारभूत अवश्यक प्रत्यागम – (BASIC NEEDS APPROACHES) आस दृष्टिकोण का


प्रष्टतवादन-1970 में ष्टवि बैंक ने ष्टकया।
(B) जीवन की भौष्टतक गुणवत्ता ष्टनदेशांक (PHYSICAL QUALITY OF LIFE INDEXT -
PQLI) –
 इस INDEX के जान ष्टिनवजथन एवं माररश डी0 माॅररश ने प्रस्तुत ष्टकया। च्फस्प् के अन्तगचत अष्टथथक
ष्टवकास के मापन के ष्टलए तीन सूचकांक का प्रयोग क्तकया जाता है।
1. जीवन प्रत्याशा(LIFE EXPECTANCY)
2. बाल मृत्युदर (INFANT MORTALITY)
3. साक्षरता (LITERARY)

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(C) ष्टनवल अष्टथथक कल्याण (NET ECONOMIC WELFARE) मापक -क्तवक्तलयम नोरधस तथा जेम्स
िोक्तबन ने जीवन की गणु विा में सधु ार जो आक्तथचक क्तवकास की मापक है, की माप के क्तलए मजां र आफ इकनाक्तमक
वेलफे यर (MEW) की धारणा क्तवकक्तसत की क्तजसे बाद में सेमएु लसन और सांशोक्तधत क्तकया तथा इसे (NEW)
मापक रहा।
NEW =G.N.P (सकल राष्ट्रीय ईत्पाद)-(ईत्पादन प्रत्यक्ष लागत तथा अधुष्टनक नागररक की हाष्टनयां
तथा गृहष्टणयों की सीमायें।)
(D) िय शष्टि समता ष्टवष्टध (PURCHASING POWER PARITY METHOD):-
 आस ष्टवष्टध का प्रष्टतपादन जी0अर0 कै सेल ने क्तकया।

 इसके अन्तगचत क्तकसी देश की सकल राष्ट्रीय आय के क्तकसी पव ू च क्तनक्तित अन्तराचष्ट्रीय क्तवदेशाीी क्तवक्तनमय दर
पर व्यि न करे , उस देश के भीतर मद्रु ा की ियशक्ति के आधार पर व्यि क्तकया जाता है।
 वतचमान के क्तवश्व बैंक इसी क्तवक्तध का प्रयोग क्तवक्तभन्न देशों के रहन-सहन की तल ु ना के क्तलए कर रहा है।
 मानव ष्टवकास के स्तर का पता ष्टनम्न चार सूचकांकों के सदभ ं थ में लगाया जाता है।
1. मानव ष्टवकास सूचकांक (HDI)
2. आनआक्वष्टलिी एडजस्िे ड मानव ष्टवकास सच ू कांक(EAHDI)
3. लैष्टगंक ष्टवषमता सूचकांक (GII)
4. मल्िी डायमेंसनल पविी आडं ेक्स (MPI)

मानव ष्टवकास सूचकांक (HDI)

 मानव क्तवकास सर्ू काांक की ऄवधारणा का ष्टवकास पाष्टकस्तानी ऄथथशास्त्री महबूब ईल हक िारा
क्तकया गया।
 पहला मानव ष्टवकास सूचकांक वषथ 1990 में जारी क्तकया गया।
 इसको प्रष्टतवषथ संयुि राष्ट्र ष्टवकास कायथिम िारा जारी क्तकया जाता है।
 सूचकांक की गणना 3 प्रमुख संकेतकों-
1. जीवन प्रत्याशा,
2. स्कूली ष्टशक्षा के ऄपेष्टक्षत वषथ, (ष्टशक्षा के औसत वषथ) और
3. प्रष्टत व्यष्टि सकल राष्ट्रीय अय के ऄंतगथत की जाती है।

लैंष्टगक ष्टवषमता सूचकांक (GII):-

 वैष्टिक लैंष्टगक ऄंतराल सूचकांक ष्टवि अष्टथथक मंच िारा जारी की जाती है।
 लैंक्तगक अतां राल/असमानता का तात्पयच ‚लैंक्तगक आधार पर मक्तहलाओ ां के साथ भेद-भाव से है।

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 परांपरागत रूप से समाज में मक्तहलाओ ां को कमज़ोर वगच के रूप में देखा जाता रहा है क्तजससे वे समाज में
शोषण, अपमान और भेद-भाव से पीक्तड़त होती हैं।
 ‛वैक्तश्वक लैंक्तगक अतां राल सर्ू काांक ष्टनम्नष्टलष्टखत चार क्षेत्रों में लैंष्टगक ऄंतराल का परीक्षण करता है:
1. अष्टथथक भागीदारी और ऄवसर (ECONOMIC PARTICIPATION AND
OPPORTUNITY)
2. शैष्टक्षक ऄवसर (EDUCATIONAL ATTAINMENT)
3. स्वास््य एवं ईत्तरजीष्टवता (HEALTH AND SURVIVAL)
4. राजनीष्टतक सशिीकरण और भागीदारी (POLITICAL EMPOWERMENT)
 यह सर्ू काक
ां 0 से 1 के मध्य क्तवस्ताररत है।
 इसमें 0 का अथच पणू च क्तलगां असमानता तथा 1 का अथच पणू च लैंक्तगक समानता है।
 पहली बार लैंक्तगक अतां राल सर्ू काकां वषच 2006 में जारी क्तकया गया था।

बहुअयमी ष्टनधथनता सूचकांक (M.P.I):-

 इस सूचकांक को संयुि राष्ट्र ष्टवकास कायथिम (United Nations Development


Programme- UNDP) और ऑक्सफोडथ गरीबी एवं मानव ष्टवकास पहल ( Oxford Poverty
and Human Development Initiative- OPHI) िारा ष्टवकष्टसत क्तकया गया है।
 बहुआयामी गरीबी’ के ष्टनधाथरण में अय ही एक मात्र संकेतक नहीं होता बक्तल्क अन्य सर्ू कों जैसे -
खराब स्वास््य, काम की खराब गणु विा और क्तहसां ा के ख़तरों पर भी ध्यान क्तदया जाता है।
MPI में दस सक ं े तक शाष्टमल हैं:
1. ष्टशक्षा: स्कूली ष्टशक्षा के वषथ और बच्चों का नामांकन

2. स्वास््य: बाल मृत्यु दर और पोषण

3. जीवन स्तर: ष्टबजली, घर, पेय जल, शौचालय, खाना पकाने का इधन ं और सपं ष्टत्त
 प्रत्येक क्तशक्षा और स्वास््य सांकेतक में 1/6 भार होता है
 प्रत्येक मानक जीवन स्तर सक ां े तक में 1/18 भार होता है।
 मानव ष्टवकास का ऄष्टधकतम मान 1 और न्यूनतम मान 0 होता है।
 अथाचत 1 अक्तधकतम मानव क्तवकास की क्तस्थक्तत को दशाचता है और शन्ू य न्यनू तम मानव क्तवकास की क्तस्थक्तत
को।

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वैष्टिक खुशहाली ररपोिथ

 यह ररपोिच प्रत्येक वषच सतत् क्तवकास समाधान नेिवकच (Sustainable Development Solution
Network- SDSN) द्वारा प्रकाक्तशत की जाती है।
 वैष्टिक खुशहाली ररपोिथ का प्रकाशन वषथ 2012 से शुरू हुआ था।
 खश ु हाली को अाँकने के ष्टलये सच ू कांक में
1. प्रष्टत व्यष्टि सकल घरे लू ईत्पाद,

2. कष्टिन समय में व्यष्टि को सामाष्टजक सुरक्षा,

3. स्वस्थ जीवन की प्रत्याशा,

4. सामाष्टजक सरोकार,

5. व्यष्टिगत स्वतंत्रता तथा

6. भ्रिाचार और ईदारता की ऄवधारणा को अधार बनाया जाता है।

(SUSTAINABLE DEVELOPMENT SOLUTION NETWORK- SDSN)

 सयां ि
ु राष्ट्र के तत्त्वाधान में सयां ि
ु राष्ट्र सतत् क्तवकास समाधान नेिवकच 2012 से काम कर रहा है।
 SDSN सतत् क्तवकास हेतु व्यावहाररक समाधान को बढ़ावा देने के क्तलये वैक्तश्वक वैज्ञाक्तनक और तकनीकी
क्तवशेषज्ञता जिु ाता है, क्तजसमें सतत् क्तवकास लक्ष्यों (एसडीजी) और पेररस जलवायु समझौते का कायाचन्वयन
भी शाक्तमल है।
 SDSN सांयिु राष्ट्र एजेंक्तसयों, बहुपक्षीय क्तविपोषण सांस्थानों, क्तनजी क्षेत्र और नागररक समाज के साथ
क्तमलकर काम करता है।

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2. राष्ट्रीय अय (National Income)


 राष्ट्रीय अय से तात्पयथ क्तकसी देश की अथचव्यवस्था द्वारा पूरे वषथ के दौरान उत्पाक्तदत ऄष्टन्तम वस्तुओ ं व
सेवाओ ं के शुद्ध मूल्य के योग से होता है, इसमें ष्टवदेशों से ऄष्टजथत शुद्ध अय भी शाष्टमल होती है।
राष्ट्रीय अय के ऄध्ययन के कारण:- क्तकसी भी देश में राष्ट्रीय आय का क्तवश्लेषण अथवा राष्ट्रीय आय का
लेखाांकन कई कारणों से महत्वपणू च होता है-
1. देश की आक्तथचक क्तवकास की गक्तत की माप के क्तलए राष्ट्रीय आय और प्रक्तत व्यक्ति आय में होने वाली वृक्ति
का क्तवश्लेषण क्तकया जाता है।
2. दो या दो से अक्तधक देशों के बीर् आक्तथचक क्तवकास की गक्तत की तल
ु ना करने के क्तलए राष्ट्रीय आय का
क्तवश्लेषण अक्तनवायच होता है।
3. राष्ट्रीय आय क्तवश्लेषण के माध्यम से क्षेत्रीय क्तवकास की समीक्षा की जा सकती है और यह पता लगाया जा
सकता है क्तक कौन सा क्षेत्र अक्तधक क्तवकक्तसत है और कौन सा कम क्तवकक्तसत है।
4. . राष्ट्रीय आय के क्तवश्लेषण द्वारा क्तकसी अथचव्यवस्था में प्राथक्तमक क्षेत्र, क्तद्वतीयक क्षेत्र और तृतीयक क्षेत्र के
योगदान का क्तवश्लेषण क्तकया जा सकता है।
5. क्तकसी देश की समक्तष्टभावी आक्तथचक नीक्तत का क्तनधाचरण राष्ट्रीय आय क्तवश्लेषण के आधार पर ही क्तकया जा
है।
राष्ट्रीय अय गणना की ष्टवष्टधयााँ :— राष्ट्रीय आय आक
ां लन के क्तलये मुख्य रूप से तीन ष्टवष्टधयों का प्रयोग
क्तकया जाता है-
1. ईत्पाद ष्टवष्टध

2. अय ष्टवष्टध

3. व्यय ष्टवष्टध

 भारत में राष्ट्रीय अय की गणना के ष्टलये व्यय ष्टवष्टध का प्रयोग नहीं ष्टकया जाता है।
 के वल उत्पाद एवां आय क्तवक्तध का प्रयोग क्तकया जाता है।
A. ईत्पाद ष्टवष्टध
 उत्पाद क्तवक्तध द्वारा राष्ट्रीय आय की गणना करते समय 1 वषच के भीतर ष्टवष्टभन्न क्षेत्रों जैसे प्राथष्टमक,
ष्टितीयक तथा तृतीयक क्षेत्र में ईत्पाष्टदत समस्त वस्तुओ ं के बाजार मूल्य की गणना करते हैं
 प्राथष्टमक क्षेत्र में कृ क्तष वाक्तनकी, मत्स्य पालन, खनन को शाक्तमल क्तकया जाता है।
 ष्टितीयक क्षेत्र में क्तनमाचण एवां क्तवक्तनमाचण में क्तबजली गैस एवां जलापक्तू तच को शाक्तमल क्तकया जाता है।
 तृतीयक क्षेत्र के अन्तगचत पररवहन सांर्ार सेवा क्षेत्र इत्याक्तद को शाक्तमल क्तकया जाता है।

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B. अय ष्टवष्टध
 आय क्तवक्तध के अन्तगचत राष्ट्रीय आय की गणना करते समय क्तकसी क्तदये गये वषच में मजदूरी एवं वेतन, लगान
एवं ष्टकराया, ब्याज, लाभ, लाभांश एवं रायल्िी के समग्र योग को ज्ञात कर ष्टलया जाता है। क्तजसमें
समग्र योग आय को सकल राष्ट्रीय आय (GNI) कहते हैं।

भारत में राष्ट्रीय अय:-


 भारत में राष्ट्रीय अय का ऄनमु ान सवथप्रथम वषथ 1868 इ0 में दादाभाइ नौरोजी ने लगाया था और
 इनके अनसु ार तत्कालीन भारत में प्रष्टत व्यष्टि अय 20 रू वाष्टषथक थी।
 भारत में राष्ट्रीय अय का सवथप्रथम वैज्ञाष्टनक ऄनमु ान प्रो0 बी0के 0अर0वी0 राव िारा 1925 ई0 एवां
1931 में क्तकया था।
 स्वतंत्रता के बाद 1950 इ0 में पी0सी0 महालोष्टबस की ऄध्यक्षता में राष्ट्रीय प्रष्टतदसथ सवेक्षण
(NSSO) की स्थापना की गयी। क्तजसे अब एनएसओ के नाम से जाना जाता है।
 वषच 1949 इ0 में एक राष्ट्रीय अय सष्टमष्टत का भी गिन क्तकया गया था क्तजसके ऄध्यक्ष पी0सी0
महालोष्टबस थे।
 जबक्तक बी0के 0 अर0बी0 राव और गाडष्टगल आसके सदस्य थे।
 इस सष्टमष्टत ने 1951 से 1954 तक भारत में राष्ट्रीय अय का ऄनुमान लगाया था।
 इसके बाद के न्रीय सांष्टख्यकी संगिन (सीएसओ) भारत मे राष्ट्रीय अय का ऄनुमान लगाता है और
 वतचमान समय में भी यही सस्ां था राष्ट्रीय आय सम्बन्धी आक
ां ड़े प्रस्ततु करती हैं।
 के न्रीय साष्टख्यकी संगिन साष्टख्यकी एवं कायथिम ष्टियान्वयन मंत्रालय का एक भाग है।
 साआमन कुजनेि्स को राष्ट्रीय अय लेखांकन का जन्मदाता माना जाता है।

साधन लागत (FACTOR COST)

 यह मल ू तः क्तनवेश की गई लागत होती है क्तजसे उत्पादक उत्पादन प्रक्तिया के दौरान लगाता है।
 जैसे पांजू ी की लागत, ऋणों पर ब्याज, श्रम, क्तकराया, क्तबजली कच्र्ा माल,
 साधन लागत में सरकार को भुगतान ष्टकए गए कर को शाष्टमल नहीं ष्टकया जाता है जबष्टक कोइ
ऄनदु ान प्राप्त हो तो ईसे शाष्टमल ष्टकया जाता है।

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बाजार लागत (MARKET COST)

 बाजार लागत वह मल्ू य है क्तजसे एक उपभोिा द्वारा क्तकसी वस्तु एवां सेवा को खरीदते समय क्तकसी क्तविे ता
को अदा करता है।
 बाजार लागत वस्तु एवं सेवा की साधन लागत पर ऄप्रत्यक्ष कर जोड़ने के बाद ष्टनकाली जाती
है।
 सरकार िारा दी गइ ऄनुदान को साधन लागत में से घिाकर बाजार लागत की गणना की जाती
है।
 ष्टस्थर कीमतों पर राष्ट्रीय अय को वास्तष्टवक राष्ट्रीय अय कहा जाता है।
 ष्टकसी देश के अष्टथथक ष्टवकास का सही सूचक ष्टस्थर कीमत पर राष्ट्रीय अय है।
 क्तकसी भी देश की राष्ट्रीय अय में ष्टनम्न को शाष्टमल नहीं ष्टकया जाता है
A. मध्यवती वस्तुओ ं के मूल्य को
B. पुरानी वस्तुओ ं के मूल्य को
C. घरेलू सेवाओ ं ऄथवा कायथ को ष्टवत्तीय पररसंपष्टत्तयों जैसे ऄंशपत्र ऊण पत्र अष्टद के िय
ष्टविय को
D. हस्तांतरण पेंशन वजीफा भुगतान को
E. ष्टवदेशों से प्राप्त ईपहार।
 राष्ट्रीय आय की गणना के क्तलए उत्पाद पिक्तत और आय पिक्तत दोनों का सहारा क्तलया जाता है।

राष्ट्रीय अय की ऄवधारणा (CONCEPTS OF NATIONAL INCOME)

 राष्ट्रीय आय की माप-करने के क्तलए अनेक धारणाओ ां का प्रयोग क्तकया जाता हैं क्तजसमें से महत्वपूणथ
ऄवधारणाएं क्तनम्नक्तलक्तखत हैं-
सकल राष्ट्रीय ईत्पादन (G.N.P) :-

 क्तकसी देश में एक वषच के भीतर उस देश के नागररकों िारा ईत्पाष्टदत समस्त ऄष्टन्तम वस्तुओ ं एवं
सेवाओ ं में मौष्टरक मूल्य ष्टजसमें ष्टवदेशों से ष्टमलने वाली शद्ध
ु अय भी शाष्टमल हो, सकल राष्ट्रीय
उत्पादन कहलाती हैं।
 GNP = C+I +G+ (X-M)
यहााँ C= ईपभोिा वस्तुओ ं एवं सेवाओ ं को
I= घरेलू ष्टनवेश

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G= सरकारी व्यय
(X-M) = शुद्ध ष्टवदेशी अय के ष्टनयाथतों एवं अयातों के ऄन्तर को
शुद्ध राष्ट्रीय ईत्पाद (NET NATIONAL PRODUCT) (NNP)

 इसकी गणना के क्तलए सकल राष्ट्रीय ईत्पाद में से मूल्य ह्रास (ष्टघसावि व्यय) को घिा देते हैं।
 NNP = GNP- मूल्य ह्रास
 GNP = NNP + मूल्य ह्रास

सकल घरे लू ईत्पादन (GROSS DOMESTIC PRODUCT -GDP)

 इसके अन्तगचत क्तकसी देश की सीमा के भीतर एक वषच के दौरान उत्पाक्तदत समस्त वस्तओ
ु ां एवां
सेवाओ ां के बाजार या मौक्तद्रक मल्ू य को शाक्तमल क्तकया जाता है।
 GDP = GNP – ष्टवदेशो से प्राप्त शद्ध ु अय
 GNP = GDP + ष्टवदेशों से प्राप्त शद्ध ु अय
 GDP के अन्तगचत मजदरू ी और वेतन लगान एवां क्तकराया व्याज लाभ एवां लाभाांस अक्तवतररत कम्पनी काम,
क्तमक्तश्रत आय इत्याक्तद को शाक्तमल क्तकया जाता है।

शुद्ध घरे लू ईत्पादन (NET DOMESTIC PRODUCT – NDP)

 सकल घरे लू उत्पादन में से मल्ू य ह्नास (क्तघसावि व्यय) को घिा देते हैं।
 NDP = GDP- मूल्य ह्नास
 GDP = NDP मूल्य ह्नास

प्रष्टत व्यष्टि अय (PER CAPITA INCOME -P.C.I.) :-.

 प्रक्तत व्यक्ति आय क्तकसी वषच देश की औसत आय होती है। इसकी गणना के क्तलये देश की राष्ट्रीय आय में उस
वषच की जनसख्ां या से भाग दे देते हैंI
 प्रष्टत व्यष्टि अय ष्टकसी ष्टनष्टित वषथ से सम्बष्टन्धत होती है।

साधन लागत और बाजार कीमत पर GDP की गणना:-


 GDPMP = GDPFC + करारोपण – ऄनदु ान
 GDP FC = GDPMP – करारोपण

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 वैयष्टिक अय (P.I.) यह देशवाक्तसयों को वास्तव में प्राप्त होने वाली आय हैं क्तजसे क्तनम्न सत्रू से प्राप्त करते
हैं
 वैयष्टिक अय = राष्ट्रीय अय - ष्टनगमों को ष्टवतररत लाभांश - ष्टनगम कर - सामाष्टजक सुरक्षा
योजना के ष्टलए ष्टकए गए भुगतान + सरकारी हस्तांतरण भुगतान + व्यापाररक हस्तांतरण भुगतान

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3. अष्टथथक अयोजन
 भारत में अष्टथथक अयोजन संबंधी प्रस्ताव सवथप्रथम सन 1934 में ष्टविेिरैया की पुस्तक ‗पलांड
आकोनामी फॉर आष्टं डया‘ में आई थी।
 1938 में भारतीय राष्ट्रीय काांग्रेस ने जवाहरलाल नेहरू की ऄध्यक्षता में राष्ट्रीय ष्टनयोजन सष्टमष्टत का
गिन क्तकया।
 1944 ई. में बम्बइ के 8 ईद्योगपष्टतयों िारा बम्बे पलान प्रस्ततु क्तकया गया।
 बम्बे प्लान 15 वषीय पत्रु वध योजना थे बम्बे पलान के सूत्रधार सर अदेष्टशर दलाल थे।
 1944 ई. में भारत सरकार ने ष्टनयोजन एवं ष्टवकास ष्टवभाग नामक नया ष्टवभाग खोला।
 इसी वषच िीमन्नारायण ने गांधीवादी योजना बनाई।
 1945 में श्री एमएन राय ने जन योजना बनाई।
 1950 ई. में जयप्रकाश नारायण ने सवोदय योजना प्रकाष्टशत की।
 प्रथम योजना अयोग के ऄध्यक्ष प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू एवं ईपाध्यक्ष गुलजारीलाल नंदा
थे
 15 ऄगस्त 2014 इ. को योजना अयोग को समाप्त कर ष्टदया गया।
 भारत में अब तक 12 पांर्वषीय योजनाएां लागू की जा र्क ु ी है।
प्रथम पंचवषीय योजना (1951-56):

 यह योजना हैरोड-डोमर मॉडल पर अधाररत थी।


 इसने कृ क्तष, प्रोडक्शसां , क्तसांर्ाई, मल्ू य क्तस्थरता, क्तबजली और पररवहन के सधु ार पर जोर क्तदया।
 यह योजना सफल साक्तबत हुई क्योंक्तक इस योजना के कारण कृ क्तष उत्पादन में 3.6% की दर से बढ़ोिरी हुई थी।
 भाखड़ा-नंगल, हीराकुंड और मेट्टूर बांध की प्रमुख बांध पररयोजनाएां इस योजना अवक्तध के दौरान शरू ु
की गई थीं।
 इस योजना अवक्तध के अतां तक, 1956 में, पांच भारतीय प्रौद्योष्टगकी संस्थान (अइअइिी) भी शुरू
ष्टकए गए थे।
 सामुदाष्टयक ष्टवकास पररयोजना शरू ु की गई थी।
ष्टितीय पंचवषीय योजना (1956-61):

 यह योजना ―महालनोष्टबस मॉडल‖ पर अधाररत थी।


 इस योजना ने औद्योष्टगक ईत्पादों और तेजी से औद्योष्टगकीरण के घरेलू ईत्पादन पर जोर क्तदया।
 ष्टभलाइ, दुगाथपुर और राईरके ला में आस्पात संयंत्र की शुरूअत इस योजना के तहत ही की गयी थी।

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 इस योजना की लक्तक्षत क्तवकास दर 4.5% और वास्तक्तवक क्तवकास दर 4.27% थी।


 क्तद्वतीय पर्
ां वषीय योजना का ईद्देश्य समाजवादी समाज की स्थापना करना था।
तीसरी पंचवषीय योजना (1961-66):

 तीसरी पांर्वषीय योजना ने कृष्टष और ईद्योग की वृष्टद्ध पर जोर क्तदया गया।


 इसे ―गाडष्टगल योजना‖ के रूप से भी जाना जाता है।
 इस योजना का ईद्देश्य राष्ट्रीय अय व कृष्टष ईत्पादन में 30% तक की वृष्टद्ध करना था।
 लेक्तकन 1962 में चीन व 1965 में पाष्टकस्तान के साथ युद्ध तथा खराब मौसम के कारण भारत ऄपना
यह लक्ष्य हाष्टसल नहीं कर पाया था।
 इस योजना की लक्तक्षत क्तवकास दर 5.6% थी लेक्तकन वास्तक्तवक वृक्ति दर 2.4% थी।
पलान हॉष्टलडे (1966-69):

 तीसरी योजना की क्तवफलता व भारत पाक्तकस्तान के बीर् हुए बड़े यि


ु के कारण सरकार ―पलान हॉष्टलडे‖
घोक्तषत करने के क्तलए मजबरू थी।
 इस अवक्तध के दौरान तीन वाष्टषथक योजनाएं तैयार की गई।
 कृ क्तष, इसकी सांबि गक्ततक्तवक्तधयों और औद्योक्तगक क्षेत्र को समान प्राथक्तमकता दी गई थी।

चौथी पच
ं वषीय योजना (1969-74):

 इस योजना ने कृष्टष ष्टवकास और भारत में हररतिांष्टत पर जोर क्तदया।


 14 भारतीय बैंकों का राष्ट्रीयकरण ष्टकया गया।
 इस योजना की लक्ष्य वृक्ति दर 5.6%थी लेक्तकन वास्तक्तवक वृक्ति दर 3.3 % थी।.
पांचवीं पंचवषीय योजना (1974-78):

 इस योजना के तहत के रोजगार को बढ़ावा, मद्रु ास्फीक्तत की जाांर्, गरीबी ईन्मूलन (गरीबी हिाओ) और
न्याय पर ज़ोर क्तदया।
 योजना का मसौदा प्रमुख राजनष्टयक ―डी.पी.धर‖ िारा तैयार क्तकया गया था।
 यह कृ क्तष उत्पादन और रक्षा में अत्मष्टनभथरता पर कें ष्टरत था।
 भारतीय राष्ट्रीय राजमागथ प्रणाली की शुरूअत की गयी।

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 ―न्यूनतम अवश्यकता कायथिम‖ लॉन्च क्तकया गया।


 जनता पािी के सरकार में आते ही इस योजना को र्ौथे वषच में ही समाप्त कर क्तदया गया याक्तन क्तक 1978 में।
 इसकी लक्तक्षत वृक्ति दर 4.4% थी और वास्तक्तवक वृक्ति 4.4% थी।
रोष्टलंग पलान (1978-80):

 जनता पािी सरकार ने पांचवीं पंचवषीय योजना को खाररज कर क्तदया और नई छठी पांर्वषीय योजना(1978-
1983) पेश की।
 इसके बाद राष्ट्रीय काांग्रेस सरकार ने 1980 में सिा में आने के बाद इस योजना को क्तफर से खाररज कर क्तदया और
एक नई छठी योजना बनाई।
 पहली वाली योजना रोक्तलांग योजना के नाम से जानी जाती थी।
 रोष्टलंग पलान की ऄवधारणा ―गुन्नार ष्टमडथल‖ द्वारा बनाई गयी थी।
छिी पच
ं वषीय योजना (1980-85):

 इस पर्ां वषीय योजना से अष्टथथक ईदारीकरण की शुरूअत हुई।


 यह योजना बक्तु नयादी ढाांर्े में बदलाव व कृ क्तष पर समान रूप से कें क्तद्रत थी।
 छठी पांर्वषीय भारतीय अथचव्यवस्था के क्तलए एक बड़ी सफलता थी।
 इसकी लक्तक्षत वृक्ति दर 5.2% थी और वास्तक्ततक वृक्ति दर 5.4% थी।
सातवीं पंचवषीय योजना (1985-90):

 इस पांर्वषीय योजना का मुख्य ईद्देश्य अष्टथथक व ऄनाज की ईत्पादकता में वृष्टद्ध के साथ-साथ
रोजगार के ऄवसर पैदा करना था।
 इस योजना के तहत 1989 में जवाहर रोजगार योजना लॉन्च की गयी।
 यह योजना सफल रही तथा इसका लक्तक्षत वृक्ति दर 5.0% और वास्तक्तवक वृक्ति दर 6.01% थी।
वाष्टषथक योजनाएं (1989-91और 1991-92):

 राजनीक्ततक अक्तस्थरता के कारण इस अवक्तध के दौरान कोई पाांर् वषीय योजना लागू नहीं की गयी थी।
 1990 और 1992 के बीर् अवक्तध के ष्टलए ष्टसफथ वाष्टषथक योजनाएं ही लागू की गयी थी।
 1991 में भारत को ष्टवदेशी मुरा भंडार के संकि का सामना करना पड़ा, उस वि के वल 1 अरब
अमेररकी डॉलर के भडां ार देश के पास बर्े थे।

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 उस समय डॉ.मनोमहन ष्टसंह ने मुि बाजार सुधार को लॉन्च ष्टकया, क्तजसने लगभग राष्ट्र को क्तदवाक्तलया
होने के कगार से वापस ले आया।
 यहीं से भारत में ष्टनजीकरण और ईदारीकरण की शरू
ु अत हुई।
अिवीं पंचवषीय योजना (1992-97):

 इस योजना ने उद्योगों के आधक्तु नकीरण की क्तदशा में काम क्तकया।


 इस योजना का मुख्य ईद्देश्य जनसंख्या वृष्टद्ध पर ष्टनयंत्रण, गरीबी में कमी, रोजगार के ऄवसर पैदा
करना व बष्टु नयादी ढांचे को मजबतू करना था।
 इस योजना की लक्तक्षत वृक्ति दर 5.6% थी और वास्तक्तवक वृक्ति दर 6.8% थी।
नौवीं पंचवषीय योजना (1997-2002):

 इस पांर्वषीय योजना ने पयाथप्त रोजगार के ऄवसर पैदा करने, गरीबी कम करने, कृष्टष ईत्पादकता में
बढ़ोत्तरी के साथ-साथ ग्रामीण ष्टवकास को प्राथष्टमकता दी।
 इसके अलावा न्याय व समानता के साथ क्तवकास पर भी जोर क्तदया गया।
 क्तस्थर कीमतों के माध्यम से अथचव्यवस्था की क्तवकास दर में तेजी लाई गयी।
 सभी लोगों को भोजन व पोषण सरु क्षा सक्तु नक्तित करना। जनसख्ां या पर क्तनयत्रां ण करना।
 इस योजना की लक्तक्षत वृक्ति दर 6.5% व वास्तक्तवक वृक्ति दर 5.40% थी।
दसवी पच
ं वषीय योजना (2002-07):

 दसवीं पांर्वषीय योजना (2002- 07) में जीडीपी वृक्ति दर 7.7 प्रक्ततशत रही.
 इस योजना का ईद्देश्य ―देश में गरीबी और बेरोजगारी समाप्त करना‖ तथा ―ऄगले दस वषों में प्रष्टत
व्यष्टि अय दोगुनी करना‖ था.
 योजना के दौरान प्रक्ततवषच 7-5 अरब डालर के प्रत्यक्ष क्तवदेशी क्तनवेश का लक्ष्य रखा गया.
 योजना अवक्तध में पाांर् करोड़ रोजगार अवसर सृजन सक्तहत साक्षरता, क्तशशु मृत्य-दर, वन क्तवकास के बड़े लक्तक्ष्य
रखे गए.
 दसवीं पर्
ां वषीय योजना को इस क्तलहाज से भी उल्लेक्तीखनीय माना जा सकता है क्तक भारत उच्र्क
(सात प्रक्ततशत
से अक्तधक) वृक्ति दर यानी ग्रोथ रे ि की पिरी पर आ गया.
 इस योजना में 7.7 प्रष्टतशत की औसत सालाना वृष्टद्ध दर ऄब तक ष्टकसी योजना में ―सवोच्च वृष्टद्ध
दर‖ थी.

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 लक्तक्षत वृक्ति दर 8.1% थी और वास्तक्तवक वृक्ति दर 7.3% थी।


ग्यारहवीं पच
ं वषीय योजना (2007-12):

 इस योजना का मख्ु य लक्ष्य सकल घरे लू उत्पाद वृक्ति दर को 8% से बढ़ाकर 10% तक करना था तथा 12 वीं
योजना में इसे 10% बनाए रखना था ताक्तक 2016 तक प्रक्तत व्यक्ति आय दोगनु ी हो सके ।
 राजीव GANDHI स्वास््य योजना शरू
ु की गई।
 70 लाख नए रोजगार के नए अवसर पैदा क्तकए गए।
 क्तशक्तक्षत बेरोजगारी को 5% से कम करना था।

 5% से कम क्तशक्तक्षत बेरोजगारी को कम करना।


 5% से ऄष्टधक वनावरण में वृष्टद्ध।

 0 से 6 वषच की आयु तक के बच्र्ों के क्तलांगानपु ात की दर को 2011 तक 935 करना और इसे 2016-17 तक


इजाफा करते हुए 950 तक पहुर्ँ ाना।
बारहवीं पच
ं वषीय योजना (2012-17):

 इस पंचवषीय योजना का ईद्देश्य तेजी से, अक्तधक समावेशी और सतत क्तवकास के उद्देश्य के साथ 8.2%
की वृक्ति हाक्तसल करना था।
 इसका ईद्देश्य कृष्टष में 4 प्रष्टतशत की वृष्टद्ध हाष्टसल करना और गरीबी को 10 प्रक्ततशत तक कम करना
करना था।
 स्वास््य, क्तशक्षा और कौशल क्तवकास, पयाचवरण और प्राकृ क्ततक सांसाधन और आधारभतू सांरर्ना क्तवकास इस
योजना का मख्ु य कें द्र थे।

नए भारत के ष्टलए योजना अयोग की जगह नीष्टत अयोग का गिन-

 कें द्र सरकार ने योजना अयोग के प्रष्टतस्थापन के रुप में 1 जनवरी 2015 को नीष्टत अयोग(नेशनल
आस्ं िीि्यूि फॉर रांसफारष्टमंग आष्टं डया) की स्थापना की।

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 नीक्तत आयोग, योजना आयोग के क्तवपरीत एक ष्टथंक िैंक या फोरम की तरह कायथ करे गा, ष्टजसने पांच
साल की योजनाओ ं को लागू ष्टकया है और अष्टथथक लक्ष्य ष्टनधाथररत करने के ष्टलए संसाधनों को
अवंष्टित करेगा।
 नीष्टत अयोग के पररषद में भारत के 29 राज्यों और सात कें र शाष्टसत प्रदेशों के मुख्य कायथकारी
ऄष्टधकारी- एक ष्टडपिी चेयरमैन, ष्टवशेषज्ञों की िीम होगी
 जो सीधे प्रधान मंत्री से संपकथ करे गी। जो नीष्टत अयोग के ऄध्यक्ष हैं।
 योजना अयोग,नीष्टत अयोग के ष्टवपरीत, राष्ट्रीय ष्टवकास पररषद को ररपोिच करता था।
 नीक्तत आयोग व योजना आयोग में सबसे बड़ा अतां र यह है क्तक योजना आयोग प्रत्येक राज्य के बीर् सामान्य
दृक्तष्टकोण था व सभी शक्तियाां कें द्रीकृ त थी, नीक्तत आयोग ने जमीनी स्तर पर कायच करने का क्तनणचय क्तलया व
वहीं राज्यों की भागीदरी भी बढ़ाई।

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4. ग़रीबी
गरीबी को एक ऐसे हालात के रूप में देखा जाता है ष्टजसमें व्यष्टि के पास जीवन ष्टनवाथह के ष्टलये
बष्टु नयादी ज़रूरतें मसलन रोिी, कपड़ा और मकान भी नहीं होती हैं। आस हालत को चरम गरीबी भी कहा
जाता है।
 एमडीजी (mellinium development goal) के मुताष्टबक़, जो लोग एक ष्टदन में $1.25 से कम

कमाते हैं, वे ग़रीब की श्रेणी में आते हैं।


भारत में गरीबी के स्तर का अकलन
 भारत में ईपभोग और अय दोनों के अधार पर गरीबी के स्तर का अकलन क्तकया जाता है।
 उपभोग की गणना उस धन के आधार पर की जाती है जो एक पररवार द्वारा आवश्यक वस्तओ ु ां पर खर्च
क्तकया जाता है।
 आय की गणना उस पररवार द्वारा अक्तजतच आय के अनसु ार की जाती है।
ग़रीबी रे खा

 गरीबी रे खा भारत में गरीबी के अकलन के ष्टलये एक बेंचमाकथ की तरह काम करती है। गरीबी रे खा
आय के उस न्यनू तम स्तर को कहते हैं क्तजससे कम आमदनी होने पे इसां ान अपनी बक्तु नयादी ज़रूरतों को परू ा
करने में असमथच होता है। भारत में समय-समय पर इस ग़रीबी रे खा को तय क्तकया जाता है।
 साल 2014 में, ग्रामीण आलाकों में 32 रुपए प्रष्टतष्टदन और कस्बों/शहरों में 47 रुपए प्रष्टतष्टदन के क्तहसाब
से गरीबी रे खा तय की गई थी।
 ग़रीबी रे खा को लेकर अलग-अलग सक्तमक्ततयों की अलग अलग राय है।
 तेंदुलकर फॉम्यथुले में 22 फीसदी अबादी को गरीब बताया गया था जबष्टक सी. रंगराजन फॉम्यथुले ने
29.5 फीसदी अबादी को गरीबी रेखा से नीचे माना था।
 ग़रीब कौन हैं और क्तकतने हैं - यहीं स्पष्ट नहीं है।

ग़रीबी रे खा ष्टनधाथरण से जडु ी सष्टमष्टतयां

 लॉरें ज वि और क्तगनी गणु ाांक का सांबांध सापेक्ष गरीबी मापन से है।


 साल 1970 के मध्य में पहली बार आस तरह की गरीबी रेखा का ष्टनधाथरण योजना अयोग िारा क्तकया
गया था।
 इसमें ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में िमश: एक वयस्क के ष्टलए 2,400 और 2,100 कै लोरी की न्यूनतम
दैष्टनक ज़रुरत को अधार बनाया गया था।

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 नीष्टत अयोग भारत सरकार की आक्तधकाररक एजेंसी है, जो राज्यों में और परू े देश के ष्टलए समग्र रूप से
गरीबी रेखा से नीचे के लोगों का अकलन करने का काम करती है।
1. ऄलघ सष्टमष्टत (1979)

2. लकड़ावाला सष्टमष्टत (1993)

3. तें दुलकर सष्टमष्टत (2009)

4. रंगराजन सष्टमष्टत (2012)

ग़रीबी के ऄहम् कारण

सामान्य तौर पर बताए जाने वाले कारण

जनसंख्या ष्टवस्फोि

 सीष्टमत संसाधन

 सम्बष्टं धत सस्
ं थाओ ं की ऄक्षमता
 भ्रिाचार

 ऄष्टशक्षा

 ग़ल ु ामी का ऄसर
ऄसल कारण
 लोग ग़रीब इसक्तलए हैं क्योंक्तक उन्हें क्तवकल्प र्नु ने की परू ी आक्तथचक आज़ादी नहीं है।
 हमारे यहाँ ग़रीबी की असल प्रकृ क्तत क्या है, इसी की समझ नहीं है।
 ग़रीबी राजनीक्तत का मद्दु ा बनकर रह गई है। कोई भी राजनीक्ततक पािी इस 'मद्दु े' को परू ी तरह ख़त्म नहीं
करना र्ाहती।
 उदासीन राजनीक्ततक और सामाक्तजक ढाँर्े मसलन जाक्तत और धमच के बांधन।
 सांसाधनों का परू ी तरह से दोहन न हो पाना।
 कृ क्तष में कम उत्पादकता।
कुछ योजनाओ ं पर एक नज़र –

 प्रधानमंत्री जन धन योजना: इस योजना के तहत आक्तथचक रूप से वक्तां र्त लोगों को तमाम क्तविीय
सेवाएँ महु य्ै या कराई जाती हैं। इसमें बर्त खाता, बीमा, ज़रुरत के मतु ाक्तबक़ क़ज़च और पेंशन जैसी
सेवाएँ शाक्तमल हैं।
 ष्टकसान ष्टवकास पत्र योजना: एक तरह का प्रमाण पत्र होता है, क्तजसे कोई भी व्यक्ति खरीद सकता
है। इसे बॉन्ड की तरह प्रमाण पत्र के रूप में जारी क्तकया जाता है। इस पर एक तय शुदा ब्याज

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क्तमलती है। इसके ज़ररए क्तकसान 1000, 5000 तथा 10,000 रुपए मल्ू यवगच में क्तनवेश कर सकते हैं।
इससे जमाकत्ताथओ ं का धन क़रीब 100 महीनों में दोगुना हो सकता है।
 दीन दयाल ईपाध्याय ग्राम ज्योष्टत योजना: ये योजना ग्रामीण क्षेत्रों को क्तबजली की क्तनरांतर
आपक्तू तच देने के क्तलए शरू
ु क्तकया गया है।
 महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंिी ऄष्टधष्टनयम 2005: इस योजना के तहत देश भर
के गाँवों में लोगों को 100 क्तदनों के काम की गारांिी दी गई है। ग्रामीण इलाक़ों में ग़रीबी कम करने में
ये योजना काफी मददगार साक्तबत हुई है।
 नरे गा की शरुु आत 2 फरवरी 2006 को आध्रां प्रदेश के बादां ावली क्तजले के अनतां परु गावां से हुआ।
 2 अक्िूबर 2009 को इसका नाम पररवक्ततचत करके मनरे गा महात्मा गाांधी रोजगार गारांिी योजना कर
क्तदया गया।
 इसके नीक्तत क्तनमाचता ज्याां द्रेज बेक्तल्जयम के अथचशास्त्री है।
 इस योजना के तहत कें द्र तथा राज्य सरकारों के मध्य 90:10 के अनपु ात में क्तविीय सहयोग दी जाती
है
 मनरे गा ग्रामीण गरीबों को सरां क्तक्षत करने की क्तदशा में प्रायोक्तजत क्तत्रक्तवधा मनरे गा खाद्य सरु क्षा तथा
ग्रामीण स्वास््य क्तमशन में से एक है।
 प्रधानमंत्री अवास योजना: इस योजना का उद्देश्य 2022 तक सभी को घर उपलब्ध करना है। इस
के क्तलए सरकार 20 लाख घरो का क्तनमाचण करवाएगी, क्तजसमें 65% ग्रामीण क्षेत्रों में हैं।
 राष्ट्रीय मातृत्व लाभ योजना: इस योजना के तहत गरीबी रे खा से नीर्े की क्तजदां गी बसर करने
वाले पररवार की गभचवती मक्तहलाओ ां को लाभ के रूप में एकमश्ु त राक्तश प्रदान की जाती है।
 स्वच्छ भारत ऄष्टभयान: इस अक्तभयान के तहत 2019 तक यानी महात्मा गाांधी की 150वीं जयांती
तक भारत को स्वच्छ बनाने का लक्ष्य क्तकया गया है।
 प्रधानमंत्री मुरा योजना: इस योजना का मख्ु य उद्देश्य था पढ़े-क्तलखे नौजवानों को रोजगार प्रदान
करना।
 अयुष्ट्मान भारत: इस योजना के ज़ररए 10 करोड़ से ज्यादा पररवारों के लगभग 50 करोड़ लोगों
को मफ्ु त इलाज क्तमल सके गा।
 प्रधानमंत्री ष्टकसान सम्मान ष्टनष्टध: पीएम क्तकसान योजना के तहत क्तकसानों को 3 क्तकश्त में 6 हजार
रुपए की रकम दी जाती है।
 ऄन्नपूणाथ योजना इस योजना का प्रारांभ 2 अक्िूबर 2000 को उिर प्रदेश के गाष्टजयाबाद ष्टजले
के ष्टसखोड़ा ग्राम से हुआ
 राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा ऄष्टधष्टनयम 2013 यह अक्तधक्तनयम 12 क्तसतांबर 2013 से प्रभावी हुआ।
 इसका मख्ु य उद्देश्य लोगों को पयाचप्त मात्रा में गणु विापणू च खाद की उक्तर्त मल्ू य पर आपक्तू तच करना है।

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 इसके अतां गचत लाभ प्राप्त कताच को 5 क्तकलो र्ावल, गेहां या मोिे अनाज िमश 3,2 तथा 1 रुपए प्रक्तत
क्तकलोग्राम प्राप्त करने का काननू ी अक्तधकार प्राप्त है।

गरीबी दूर करने के ष्टलए नीष्टत अयोग ने क्या सुझाया?

साल 2017 में नीक्तत आयोग ने गरीबी दरू करने को लेकर एक 'क्तवज़न डॉक्यमू िें ' पेश क्तकया था। इसमें
2032 तक गरीबी दरू करने की योजना तय की गई थी। आयोग के मतु ाक्तबक़ -
 देश में गरीबों की सही तादाद का पता लगाया जाए। और लागू की जाने वाली योजनाओ ां की मॉनीिररांग या
क्तनरीक्षण व्यवस्था को बेहतर बनाया जाए।
 आयोग द्वारा गक्तठत एक सक्तमक्तत ने अपनी ररपोिच में कहा क्तक सामाक्तजक-आक्तथचक जाक्ततगत जनगणना को
आधार बनाकर देश में गरीबों के तादाद का आकलन क्तकया जाना र्ाक्तहए।
 आयोग ने गरीबी दरू करने के क्तलये दो क्षेत्रों पर ध्यान देने का सझु ाव क्तदया-पहला योजनाएँ और दसू रा
MSME और कृ क्तष।
 देश के कुल वकच फोसच का 65 प्रक्ततशत क्तहस्सा महज़ MSME और कृ क्तष क्षेत्र में काम करता है। वकच फोसच का
यह क्तहस्सा काफी गरीब है और गरीबी में जीवन यापन कर रहा है। यक्तद इन्हें सांसाधन महु यै ा कराए जाएँ,
इनकी आय दोगनु ी हो जाए और मागां आधाररत क्तवकास पर ध्यान क्तदया जाए तो शायद देश से गरीबी ख़त्म
हो सकती है।

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5. बेरोजगारी
 यक्तद क्तकसी सक्षम व्यष्टि को मांगने पर रोजगार नहीं ष्टमलता है तो आस ष्टस्थष्टत को बेरोजगारी कहा
जाता है. इसका यह अथच हुआ क्तक ऄनैष्टच्छक बेरोजगारी, बेरोजगारी है
 यक्तद कोई व्यष्टि रोजगार की तलाश में नहीं है तो उसे बेरोजगारों की िेणी में सष्टम्मष्टलत नहीं क्तकया
जाएगा
 सक्षमता के सांदभच में न्यनू तम रूप से लोगों की आयु को देखा जाता है उनकी अयु कायथशील ईम्र से
संबंष्टधत होना र्ाक्तहए, भारत में NSSO और ऄंतरराष्ट्रीय स्तर पर UNDP 15 से 59 वषथ को
कायथशील ईम्र मानता है
 यक्तद क्तकसी राष्ट्र की जनसांख्या में कायचशील उम्र से सांबांक्तधत लोगों की प्रधानता होती है तो इस ष्टस्थष्टत को
डेमोग्राष्टफक ष्टडष्टवडेंड कहा जाता है.
 भारत में यही क्तस्थक्तत है लेक्तकन कुशलता क्तवकास पर ध्यान नहीं देना रोजगार में कमी आक्तद के कारण इसका
ठीक से लाभ नहीं क्तमल पा रहा है.

ष्टवकासशील देशों में बेरोजगारी के प्रकार

1. मौसमी बेरोजगारी (SEASONAL UNEMPLOYMENT):


 इस प्रकार की बेरोजगारी कृ क्तष क्षेत्र में पाई जाती है. कृ क्तष में लगे लोगों को कृ क्तष की जतु ाई, बोवाई,
किाई आक्तद कायों के समय तो रोजगार क्तमलता है लेक्तकन जैसे ही कृ क्तष कायच ख़त्म हो जाता है तो कृ क्तष
में लगे लोग बेरोजगार हो जाते हैं.
2. प्रच्छन्न बेरोजगारी (DISGUISED UNEMPLOYMENT):
 प्रच्छन्न बेरोजगारी उस बेरोजगारी को कहते हैं क्तजसमे कुछ लोगों की ईत्पादकता शून्य होती है
अथाचत यष्टद आन लोगों को ईस काम में से हिा भी ष्टलया जाये तो भी ईत्पादन में कोइ ऄंतर नही
अएगा
 जैसे यक्तद क्तकसी फै क्री में 100 जतू ों का क्तनमाचण 10 लोग कर रहे हैं और यक्तद इसमें से 3 लोग बाहर
क्तनकाल क्तदए जाएँ तो भी 100 जतू ों का क्तनमाचण हो जाये तो इन हिाये गए 3 लोगों को प्रच्छन्न रूप से
बेरोजगार कहा जायेगा
 भारत की कृ क्तष में इस प्रकार की बेरोजगारी बहुत बड़ी समस्या है.
3. सांरर्नात्मक बेरोजगारी (STRUCTURAL UNEMPLOYMENT):
 सरां र्नात्मक बेरोजगारी तब प्रकि होती है जब बाजार में दीघचकाक्तलक क्तस्थक्ततयों में बदलाव आता है.

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 ईदाहरण के ष्टलए: भारत में स्कूिर का उत्पादन बदां हो गया है और कार का उत्पादन बढ़ रहा है. इस
नए क्तवकास के कारण स्कूिर के उत्पादन में लगे क्तमस्त्री बेरोजगार हो गए और कार बनाने वालों की माांग
बढ़ गयी है.
 इस प्रकार की बेरोजगारी देश की आक्तथचक सरां र्ना में पररवतचन के कारण पैदा होती है.

ष्टवकष्टसत देशों में आन दो प्रकार की बेरोजगारी पाइ जाती है


चिीय बेरोजगारी (CYCLICAL UNEMPLOYMENT):

 इस प्रकार की बेरोजगारी अथचव्यवस्था में र्िीय उतार-र्ढ़ाव के कारण पैदा होती है.
 जब अथचव्यवस्था में समृक्ति का दौर होता है तो उत्पादन बढ़ता है रोजगार के नए अवसर पैदा होते हैं
और जब अथचव्यवस्था में मदां ी का दौर आता है तो उत्पादन कम होता है और कम लोगों की जरुरत
होती है क्तजसके कारण बेरोजगारी बढती है.
प्रष्टतरोधात्मक या घषथण जष्टनत बेरोजगारी (FRICTIONAL UNEMPLOYMENT):

 ऐसा व्यक्ति जो एक रोजगार को छोड़कर क्तकसी दसू रे रोजगार में जाता है, तो दोनों रोजगारों के बीर् की
ऄवष्टध में वह बेरोजगार हो सकता है, या
 ऐसा हो सकता है क्तक नयी िेक्नोलॉजी के प्रयोग के कारण एक व्यक्ति एक रोजगार से क्तनकलकर या
क्तनकाल क्तदए जाने के कारण रोजगार की तलाश कर रहा हो , तो
 परु ानी नौकरी छोड़ने और नया रोजगार पाने की अवक्तध की बेरोजगारी को घषचणजक्तनत बेरोजगारी कहते
हैं.
बेरोजगारी के ऄन्य प्रकार आस प्रकार हैं

1. ऐष्टच्छक बेरोजगारी (VOLUNTARY UNEMPLOYMENT):


 ऐसा व्यक्ति जो बाजार में प्रचष्टलत मजदूरी दर पर काम करने को तैयार नही है अथाचत वह ज्यादा मजदरू ी
की मागां कर रहा है जो क्तक उसको क्तमल नही रही है इस कारण वह बेरोजगार है.

2. खुली या ऄनैष्टच्छक बेरोजगारी ( OPEN OR INVOLUNTARY UNEMPLOYMENT):


 ऐसा व्यक्ति जो बाजार में प्रचष्टलत मजदूरी दर पर काम करने को तैयार है लेक्तकन क्तफर भी उसे काम नही
क्तमल रहा है तो उसे अनैक्तच्छक बेरोजगार कहा जायेगा.

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 इसके अलावा कुछ ऐसे बेरोजगार भी होते हैं क्तजनको मजदरू ी भी ठीक क्तमल सकती है लेक्तकन क्तफर भी ये लोग
काम नही करना चाहते हैं जैसे: ष्टभखारी, साधू और ऄमीर बाप के बेिे आत्याष्टद.

रोजगार सृजन कायथिम

 प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कायथिम: क्तवक्तनमाचण क्षेत्र के क्तलये 25 लाख रुपए एवां सेवा क्षेत्र के क्तलये
10 लाख रुपए की िे क्तडि या ऋण सीमा प्रदान की गई है।
 कौशल ष्टवकास कायथिम: इसके तहत 2022 तक 500 क्तमक्तलयन कुशल काक्तमक च तैयार करने का
लक्ष्य है।
 महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंिी कानून 2005 (मनरेगा): यह क्तकसी क्तविीय वषच में
प्रत्येक ग्रामीण पररवार के सभी वयस्क सदस्य, जो अकुशल श्रम के क्तलये तैयार हो, के क्तलये 100 क्तदनों
के रोजगार की गारांिी प्रदान करता है। लाभाक्तथचयों में कम-से-कम 33 प्रक्ततशत मक्तहलाएँ होनी र्ाक्तहये।
 मेक आन आष्टं डया: औद्योक्तगक इकाइयों के क्तवकास हेतु इसे लाया गया, क्तजसका बल व्यापार सगु मता,
सरल लाइसेंक्तसांग, तकनीकों का बेहतर प्रयोग आक्तद पर है।
 दीनदयाल ईपाध्याय ―िमेव जयते‖ कायथिम: यह श्रम सक्तु वधा पोिचल, आकक्तस्मक क्तनरीक्षण,
यक्तू नवसचल खाता सांख्या, प्रक्तशक्षु प्रोत्साहन योजना, पनु गचक्तठत राष्ट्रीय स्वास््य बीमा योजना सांबांधी
क्तवषयों पर कें क्तद्रत है।
 प्रधानमंत्री युवा योजना: 2016 से 2021 तक की अवक्तध में 7 लाख से अक्तधक प्रक्तशक्षओ ु ां को
उद्यमशीलता प्रक्तशक्षण और क्तशक्षा उपलब्ध कराना।
 के न्द्र सरकार ने उद्योगों की माँग के अनरू ु प श्रम बल को क्तवकक्तसत करने के क्तलए साल 2015 में
ष्टस्कल आष्टं डया प्रोग्राम की शरू ु आत की।
 देश में अक्तधक से अक्तधक रोजगार के अवसर क्तवकक्तसत करने के क्तलए ―स्िैण्डऄप तथा स्िािथ ऄप
आष्टं डया प्रोग्राम‖की शरू ु आत की गयी है।
 के न्द्र सरकार ने औद्योक्तगक इकाइयों के क्तवकास के क्तलए ―मेक आन आष्टं डया‖कायथिम शुरू क्तकया है
क्तजसके द्वारा व्यापार सगु मता, सरल लाइसेंक्तसांग, तकनीकों का बेहतर प्रयोग आक्तद पर बल क्तदया जा रहा
है।
 स्वयां का व्यवसाय शरू ु करने हेतु सरकार मुरा योजना के तहत सूक्ष्म ऊण ईपलब्ध करा रही है।
 देश के लॉक्तजक्तस्िक क्षेत्र, श्रम सधु ार, क्तसांगल क्तवडां ो क्तसस्िम, ऊजाच उपलब्धता इत्याक्तद में सधु ार करके
सरकार ने सन् 2016 से लगातार क्तवश्व बैंक के ईज ऑफ डूईगां क्तबजनेस इडां ेक्स में अपनी रैं क को बेहतर
बनाया है।
 सरकार द्वारा श्रम बल में मक्तहलाओ ां की भागीदारी बढ़ाने के क्तलए स्वयां सहायता समहू ों का क्तवकास
क्तकया जा रहा है और उन्हें सस्ती दरों पर क़ज़च उपलब्ध कराया जा रहा है।

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 इसी तरह सरकार राष्ट्रीय ग्रामीण अजीष्टवका ष्टमशन िारा ग्रामीण पररवार की कम से कम एक
मष्टहला सदस्य को स्वयं सहायता नेिवकथ समूह में लाया जा रहा है।
 ग़ौरतलब है क्तक जम्मू कश्मीर के युवाओ ं के ष्टलये ―ष्टहमायत‖तथा वामपथ ं ी ईग्रवाद से प्रभाष्टवत
युवाओ ं के ष्टलये ―रोशनी‖योजना शरूु की गई है। क्तजससे क्तक वहाँ के यवु ाओ ां को रोजगार क्तमल सके ।

गरीबी तथा बेरोजगारी ईन्मूलन से संबंष्टधत योजनाएं तथा ईनके प्रारंभ वषथ

योजनाएं प्रारंभ वषथ


मरुभूष्टम ष्टवकास कायथिम 1977 – 78
काम के बदले ऄनाज कायथिम 1977 – 78
ऄंत्योदय योजना कायथिम 1977 – 78
रायसेम (TRYSEM) 1979
एकीकृत ग्रामीण ष्टवकास कायथिम 1980
जवाहर रोजगार कायथिम 1989
नेहरू रोजगार कायथिम 1989
आष्टं दरा अवास योजना 1985 – 86
प्रधानमंत्री रोजगार योजना 1993
स्वणथ जयंती शहरी रोजगार योजना 1997
स्वणथ जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना 1999
जवाहर ग्राम समृष्टद्ध योजना 1999
प्रधानमंत्री ग्रामोदय योजना 2000 – 2001
ऄन्नपूणाथ योजना 2000
जनिी बीमा योजना 2000
ऄंत्योदय ऄन्न योजना 2000
जेपी रोजगार गारंिी योजना 2002
भारत ष्टनमाथण कायथिम 2005
राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंिी कायथिम 2006

मोदी सरकार िारा घोष्टषत कुछ योजनाएं


योजना घोषणा की ष्टतष्टथ
ष्टडष्टजिल आष्टं डया 21 ऄगस्त 2014
प्रधानमंत्री जन धन योजना 28 ऄगस्त 2014

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दीनदयाल ईपाध्याय ऄंत्योदय योजना 25 ष्टसतंबर 2014


स्वच्छ भारत ष्टमशन 2 ऄक्िूबर 2014
सांसद अदशथ ग्राम योजना 11 ऄक्िूबर 2014
िमेव जयते 16 ऄक्िूबर 2014
ष्टमशन आरं धनुष (िीकाकरण) 25 ष्टदसंबर 2014
नीष्टत अयोग 1 जनवरी 2015
रृदय (समृद्ध सांस्कृष्टतक सरं क्षण व कायाकल्प) 21 जनवरी 2015
बेिी बचाओ बेिी पढ़ाओ 22 जनवरी 2015
सुकन्या समृष्टद्ध योजना 22 जनवरी 2015
मृदा स्वास््य काडथ 19 फरवरी 2015
प्रधानमंत्री कौशल ष्टवकास 20 फरवरी 2015
जननी सरु क्षा योजना 12 ऄप्रैल 2015
प्रधानमंत्री जीवन ज्योष्टत बीमा योजना 9 मइ 2015
प्रधानमंत्री सरु क्षा बीमा योजना 9 मइ 2015
ऄिल पेंशन योजना 9 मइ 2015
ईस्ताद (ऄल्पसंख्यक कारीगर) 14 मइ 2015
कायाकल्प (जन स्वास््य) 15 मइ 2015
हाईष्टसंग फॉर ऑल 25 जून 2015
ऄिल ष्टमशन फॉर ररजूवनेशन एडं ऄबथन रांसफॉरमेशन (ऄमूतथ) 25 जून 2015
स्मािथ ष्टसिी ष्टमशन 25 जून 2015

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6. नइ अष्टथथक नीष्टत
 नई आक्तथचक नीक्तत का उद्देश्य उत्पाक्तदता में सधु ार नई तकनीक को आत्मसात करना तथा समग्र रूप से
क्षमता के पणू तच ः प्रयोग से है।
 नई आक्तथचक सधु ार की रूपरेखा सवथप्रथम राजीव गांधी के प्रधानमंत्री काल में सन 1985 में शुरू
की गई ।
 नई आक्तथचक सधु ार की दूसरी लहर पीवी नरष्टसम्हा राव की सरकार के काल में 1991 में आई।
 नई आक्तथचक सधु ार नीक्तत को शुरू करने का प्रमुख कारण खाड़ी युद्ध तथा भारत के भुगतान संतुलन
की समस्या थी।
 नइ अष्टथथक नीष्टत के तीन प्रमुख अयाम थे
ष्टनजीकरण, ईदारीकरण और ष्टविव्यापीकरण।

 नइ सुधार नीष्टत 1991 के मुख्य क्षेत्र थे


1. राजकोषीय नीष्टत
2. मौष्टरक नीष्टत
3. मूल्य ष्टनधाथरण नीष्टत
4. ष्टवदेश नीष्टत
5. औद्योष्टगक नीष्टत
6. ष्टवदेशी ष्टवष्टनयोग नीष्टत
7. व्यापार नीष्टत
8. सावथजष्टनक क्षेत्र नीष्टत

 राजकोषीय नीष्टत 1991 के तहत मुख्यतः चार कदम ईिाए गए

सावथजष्टनक व्यय को सख्ती से ष्टनयंष्टत्रत करना


1.

2. कर एवं कर ष्टभन्न राजस्व को बढ़ाना

3. कें र तथा राज्य सरकारों पर राजकोषीय ऄनुशासन लागू करना

4. ऄनुदान राष्टश में किौती करना।

 मौक्तद्रक नीक्तत 1991 के तहत क्तस्फक्ततकारी दबाव के क्तलए प्रक्ततबांधात्मक उपाय क्तकए गए।

 औद्योष्टगक सुधार नीष्टत 1991 के ऄधीन ष्टजन ईपायों को लागू ष्टकया गया वह हैं
1. 18 ईद्योगो की सूची को छोड़ ऄन्य सभी ईद्योगों के ष्टलए लाआसेंस हिा ष्टदए गए।

2. सावथजष्टनक क्षेत्र के ष्टलए अरष्टक्षत ष्टियाओ ं का दायरा सीष्टमत कर ष्टदया गया तथा ष्टनजी क्षेत्र

को ऄनुमष्टत दी गइ।

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3. व्यापार नीष्टत 1991 के तहत ऄथथव्यवस्था के ऄंतर राष्ट्रीय एकीकरण को पूणथ करने हेतु ईद्योगों
को प्राप्त ऄत्यष्टधक व ष्टववेकपूणथ संरक्षण धीरे-धीरे समाप्त करने की ष्टदशा में कदम ईिाए गए।
 आरक्तक्षत उद्योगों की सांख्या घिाकर आठ कर दी गई (वतचमान में के वल 2 उद्योग)।
 जीणच उद्योगों के पनु रुत्थान का कायच औद्योक्तगक एवां क्तविीय पनु क्तनचमाचण बोडच को सौंप क्तदया गया
 सावचजक्तनक उद्यमों के क्तनष्ट्पादन में उन्नक्तत के क्तलए उद्यमों की बोध ज्ञापन के माध्यम से मजबतू क्तकया गया।
 क्तवदेशी पांजू ी के क्तनवेश को बढ़ाया गया।
 नवरत्न वैसी कांपक्तनयाां हैं जो क्तवश्वस्तरीय कांपक्तनयों के रूप में उभर रहे हैं तथा क्तजसे सरकार ने प्रोत्साक्तहत
करने के उद्देश्य से पणू च स्वायिता प्रदान की है।
 ऐसी कुल 23 कांपक्तनयाां है क्तजसमें आठ कांपक्तनयों को महारत्न का दजाच क्तदया गया है।
िे ष्टडि रेष्टिंग एजेंसी क्या होती है?

 िे क्तडि रे क्तिांग के ज़ररये क्तकसी भी सस्ां था की कजच लेने या उसे र्क ु ाने की क्षमता का मल्ू याकां न क्तकया जाता
है।
 िे क्तडि रे क्तिांग एजेंक्तसयाां परोक्ष रूप से यह बतातीं है क्तक कोई भी सांस्था आक्तथचक रूप से क्तकतना मजबतू है
और उसको कजच देना क्तकतना जोक्तखम भरा होगा।
 रे क्तिांग करते वक़्त ये एजेंक्तसयाां कांपक्तनयों के क्तविीय उत्पादों मसलन बाडां , सावक्तध जमा खाता और कुछ
अन्य छोिी अवक्तध के ऋण दस्तावेजों का आकलन करती हैं।
 मौजदू ा वक़्त में भारत में 4 प्रमुख िे ष्टडि रेष्टिंग एजेंष्टसयां काम कर रही हैं। इनमें
1. ष्टिष्टसल (CRISIL),

2. आिा (ICRA),

3. के ऄर (CARE) और

4. डीसीअर आष्टं डया (DCR India) शाक्तमल है।

 इसी तरह अतां रराष्ट्रीय स्तर पर भी कई िे क्तडि रे क्तिांग एजेंक्तसयाां काम कर रही हैं।
 इस समय रे क्तिांग की दुष्टनया में तीन बड़े नाम हैं –
1. स्िै ण्डडथ एड ं पूऄर,
2. मूडीज़ और

3. ष्टफ़च।

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ष्टवत्तीय ष्टस्थरता और ष्टवकास पररषद (FSDC)


 इसका गठन क्तदसांबर 2010 में क्तकया गया था।
 आसकी ऄध्यक्षता कें रीय ष्टवत्त मंत्री द्वारा की जाती है।
 आसके सदस्यों में शाष्टमल होते हैं:
1. भारतीय ररज़वथ बैंक के गवनथर,

2. ष्टवत्त सष्टचव,

3. अष्टथथक मामलों के ष्टवभाग के सष्टचव,

4. ष्टवत्तीय सेवा ष्टवभाग के सष्टचव,

5. मुख्य अष्टथथक सलाहकार,

6. ष्टवत्त मंत्रालय,

7. सेबी के ऄध्यक्ष,

8. आरडा के ऄध्यक्ष,

9. पी.एफ.अर.डी.ए. के ऄध्यक्ष

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7.भारतीय ष्टवत्त व्यवस्था


 भारतीय ष्टवत्त व्यवस्था से तात्पयथ ऐसी व्यवस्था से है इसमें व्यक्तियों, क्तविीय सांस्थाओ,ां बैंक में
औद्योक्तगक कांपक्तनयों तथा सरकार द्वारा क्तवि की माांग होती है तथा इसकी पक्तू तच की जाती है।
 भारतीय ष्टवत्त व्यवस्था के दो पक्ष में पहला माांग पक्ष दसू रा पक्तू तच पक्ष।
 भारतीय ष्टवत्त व्यवस्था को दो भागों में बांिा गया है
भारतीय मुरा बाजार
1.

2. भारतीय पज ूं ी बाजार।
 भारतीय मुरा बाजार को तीन भागों में बांिा गया है

1. ऄसंगष्टित क्षेत्र
2. संगष्टित क्षेत्र में बैंष्टकंग क्षेत्र तथा

3. मुरा बाजार

 ऄसग ं ष्टित क्षेत्र के अतां गचत देसी बैंक, साहूकार और महाजन अष्टद परंपरागत स्रोत आते हैं।ग्रामीण
तथा कृ क्तष साख में अब भी इसकी महत्वपणू च भक्तू मका होती है।
 संगष्टित क्षेत्र में भारतीय ररजवथ बैंक शीषथ संस्था है तथा आसके ऄष्टतररि सावथजष्टनक क्षेत्र के बैंक ,

ष्टनजी क्षेत्र के बैंक, ष्टवदेशी बैंक तथा ऄन्य ष्टवत्तीय सस्ं थाएं अती है।
 आरबीआई देश के मौक्तद्रक गक्ततक्तवक्तधयों के क्तनयमन का क्तनयांत्रण करता है।

 भारतीय ररजवथ बैंक के दो प्रकार के कायथ हैं


1. सामान्य कें रीय बैंष्टकंग कायथ

2. ष्टवकास संबंधी और प्रवतथ न कायथ ।

 सामान्य कें रीय बैंष्टकंग कायथ के ऄधीन भारतीय ररजवच बैंक के द्वारा क्तनम्नक्तलक्तखत कायच क्तकए जाते हैं
1. करेंसी का ष्टनगथमन
2. सरकारी बैंक का काम
3. बैंकों के बैंक का काम
4. ष्टवदेशी ष्टवष्टनयम को ष्टनयंष्टत्रत करना
5. साख ष्टनयंत्रण
6. अक ं ड़ों का सग्रं हण और प्रकाशन।

 ष्टवकास संबंधी एवं प्रवतथन कायथ के ऄधीन भारतीय ररजवच बैंक के कायच क्तनम्नक्तलक्तखत हैं
1. मुरा बाजार पर प्रष्टतबंधात्मक ष्टनयंत्रण
2. बचतों को बैंकों व ऄन्य ष्टवत्तीय संस्थाओ ं के माध्यम से ईत्पादन के ष्टलए ईपलब्ध कराना

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3. लोगों में बैंष्टकंग की अदत बढ़ाने के ष्टलए प्रयास करना


 बैंक्तकांग की आदत बढ़ाने के उद्देश्य से ही सन 1964 में भारतीय यूष्टनि रस्ि की स्थापना की गई।
 सांस्थागत कृ क्तष साख की सक्तु वधाओ ां की व्यवस्था और क्तवस्तार ररजवच बैंक के एक अन्य महत्वपणू च
क्तजम्मेदारी है और इसी उद्देश्य के तहत 1963 इ. में कृष्टष पुनष्टवथत्त एवं ष्टवकास ष्टनगम की स्थापना की
गई।
 बैंकों के ग्राहकों की क्तशकायतों का क्तनदान कराने के क्तलए बैंक्तकांग लोकपाल योजना भारत में ररजवथ बैंक में
14 जून 1995 इ. से लागू ष्टकया था।

 भारतीय ररजवथ बैंक िारा साख पर ष्टनयंत्रण ष्टनम्नष्टलष्टखत तरीकों से क्तकया जाता है
1. बैंक दर नीष्टत िारा
2. खुले बाजार की ष्टियाओ ं िारा ―
3. बैंकों की नकद सबं ध ं ी अवश्यकताओ ं में पररवतथन करके
4. तरलता संबंधी वैधाष्टनक अवश्यकताओ ं को पूरा करके
5. ष्टवभेदक ब्याज दरों की प्रणाली ऄपनाकर
6. चयनात्मक साख ष्टनयंत्रण नीष्टत से
7. नैष्टतक प्रभाव की नीष्टत िारा
बैंष्टकंग क्षेत्र की प्रमुख ब्याज दरें और प्रचष्टलत शब्दावली

1. रेपो रेि – ऄल्पकालीन अवश्यकताओ ं की पूष्टतथ हेतु क्तजस ब्याज दर पर कमष्टशथयल बैंक ररजवथ बैंक
से नकदी ऊण प्राप्त करते हैं क्तडपॉक्तजि कहलाती है।
2. ररवसथ रेपो रेि – ऄल्पकाष्टलक ऄवष्टध के ष्टलए ररजवथ बैंक िारा कमष्टशथयल बैंकों से क्तजस ब्याज दर पर
नकदी प्राप्त की जाती है ररवसच रे पो रे ि कहलाती है।
 सामान्यतः बाजार में मुरा की अपूष्टतथ बढ़ जाने पर उस में कमी लाने के उद्देश्य से ररजवथ बैंक िारा बढ़ी
हुइ ब्याज दरों पर कमष्टशथयल बैंकों को ऄल्पावष्टध के ष्टलए नकदी ररजवथ बैंक में जमा करने हेतु
प्रोत्साक्तहत क्तकया जाता है।
3. बैंक रेि – क्तजस सामान्य ब्याज दर पर ररजवथ बैंक िारा वाष्टणष्टज्यक बैंकों को पैसा ईधार ष्टदया जाता है
बैंक दर कहलाती है
 इसके माध्यम से ररजवच बैंक द्वारा साख क्तनयांत्रण या िे क्तडि कांरोल क्तकया जाता है।
4. बचत बैंक दर – बैंक ग्राहकों की छोिी-छोिी बातों पर बैंक द्वारा दी जाने वाली ब्याज दर को बर्त बैंक दर
कहा जाता है।
5. नकद अरक्षी ऄनपु ात (CRR) – क्तकसी वाष्टणष्टज्यक बैंक में कुल जमा राष्टश का वह (प्रक्ततशत) भाग
ष्टजसे ररजवथ बैंक के पास ऄष्टनवायथ रूप से जमा करना पड़ता है नकद आरक्षी अनपु ात कहा जाता है।

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 इसकी दर क्तजतनी ऊांर्ी होती है बैंकों की साख सृजन क्षमता उतनी ही कम होती है।
6. वैधाष्टनक तरलता ऄनुपात (SLR) – क्तकसी भी वाक्तणक्तज्यक बैंक में कुल जमा राष्टश का वह (प्रक्ततशत)
भाग जो नकद स्वणथ या ष्टवदेशी मुरा के रूप में ईसे ऄपने पास ऄष्टनवायथ रूप से रखना पड़ता है
वैधाक्तनक तरलता अनपु ात कहलाता है।
 बैंकों को क्तविीय सक ां ि का सामना करने हेतु ररजवच बैंक द्वारा ऐसी व्यवस्था की गई है।
7. प्राआम लेंष्टडगं रेि – क्तकसी भी बैंक के क्तलए प्राइम लेंक्तडांग रे ि वह ब्याज दर है ष्टजस पर बैंक ईस ग्राहक हो
ष्टजस के सबं ध ं में जोष्टखम शन्ू य है को देने को तैयार है।
8. अधार दर प्रणाली – आरबीआई ने PLR आधाररत उधार देय प्रणाली के स्थान पर जल ु ाई 2010 से
आधार दर प्रणाली लागू क्तकया कोई भी बैंक इससे नीर्ी ब्याज दर पर क्तकसी को उधार नहीं देगा।

भारत में पत्र मुरा

 1935 में पत्र मद्रु ा का क्तनगचमन का दाक्तयत्व आरबीआई को क्तदया गया।


 1987 में सबसे पहले महात्मा गांधी के ष्टचत्र वाले ₹500 के नोि अए।
 1996 में सभी नोिों पर ऄशोक के स्तंभ के ष्टचत्रों के स्थान पर महात्मा गांधी के ष्टचत्र वाले नोि

अए।
 ररजवच बैंक ऑफ इक्तां डया के गवनचर वाईवी रे ड्डी के कायचकाल के दौरान 2005 ष्टनगथष्टमत होने वाले नोिों

पर नोिों के ष्टनगथमन वषथ छपना शुरू हुआ।


 ₹ 1 का नोि ष्टवत्त मंत्रालय िारा जारी क्तकया जाता है क्तजस पर ष्टवत्त सष्टचव के हस्ताक्षर होते हैं जबक्तक
₹1 से अक्तधक के नोिों का क्तनगचमन ररजवच बैंक के द्वारा होता है तथा इन नोिों पर हस्ताक्षर ररजवच बैंक के
गवनचर के होते हैं।
 भारतीय रुपया 1957 तक 16 आनो में क्तवभाक्तजत था और 1957 में मुरा की दशमलव प्रणाली अपनाई

गई और एक रुपए को 100 सामान पैसों में बाांिा गया।


 ररजवथ बैंक िारा ष्टनगथष्टमत सभी नोिों पर ष्टहद ं ी तथा ऄंग्रेजी को ष्टमलाकर कुल 17 भाषाओ ं में
क्तलखा हुआ है।
 कॉल मनी माके ि यह अत्यतां ही ऄल्प ऄवष्टध वाले फंड का बाजार होता है क्तजसमें क्तबना क्तकसी
प्रत्याभक्तू त के फांड का उधार लेना तथा देना होता है सामान्यतः आसकी ऄवष्टध 1 से 14 ष्टदन की होती
है।
 जब ईधारी 1 ष्टदन की होती है तो उसे कॉल मनी कहते हैं पर जब ईधारी 1 ष्टदन से ऄष्टधक होती है तो
उसे कॉल नोष्टिस करते हैं।
3. रेजरी क्तबल्स यह ऄल्पावष्टध की प्रष्टतभूष्टतयां होती है क्तजसके माध्यम से सरकार ईधार लेती है इसका
ष्टनगथमन सरकार के ष्टलए ररजवथ बैंक द्वारा क्तकया जाता है।

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 वतचमान में अरबीअइ 91 एवं 364 ष्टदन की रेजरी ष्टबल्स ष्टनगथष्टमत करता है इसकी न्यनू तम राक्तश
₹25000 तथा इसी गणु क में होती है।
 भारत में रेजरी ष्टबल्स पहली बार 1917 में ष्टनगथत की गई।
 एडहॉक रेजरी ष्टबल्स यह सरकार की अत्यतां ही अस्थाई फांड सबां धां ी आवश्यकता की पक्तू तच के क्तलए
क्तनगचक्तमत की जाती है।
 यह ररजवथ बैंक के नाम से ष्टनगथष्टमत होती है भारत में इसकी शरुु अत 1955 में की गई थी लेक्तकन 1997
– 98 के बजि से इसे बांद कर क्तदया गया।
 तरलता की दृष्टि से प्रष्टतभूष्टतयों एवं ऊणों का ऄनुिम
नकद > एडहॉक रेजरी ष्टबल्स > रेजरी ष्टबल्स > कॉल मनी।

पूंजी बाजार

 पांजू ी बाजार मद्रु ा बाजार से इस बात में क्तभन्न है की मद्रु ा बाजार ऄल्पावष्टध की ष्टवत्तीय व्यवस्था का
बाजार है जबक्तक पूंजी बाजार में मध्यम तथा दीघथकाल के कोषों का आदान प्रदान क्तकया जाता है।
 भारतीय पूंजी बाजार को मोिे तौर पर दो भागों में बािां ा जाता
1. ष्टगल्ि एज्ड बाजार

2. औद्योष्टगक प्रष्टतभूष्टत बाजार।

 क्तगल्ि एज्ड बाजार में सरकारी और ऄधथ सरकारी प्रष्टतभूष्टतयों का मूल्य ष्टस्थर जाता है और इस क्षेत्र
की अन्य प्रक्ततभक्तू तयों के समान इन में अक्तस्थरता नहीं होती है।
 औद्योष्टगक प्रष्टतभूष्टत बाजार में नए स्थाक्तपत होने वाले या पहले से स्थाक्तपत औद्योक्तगक उपिमों के शेयरों
और ष्टडवेंचरों का िय ष्टविय क्तकया जाता है।
 पूंजी बाजार दो प्रकार के होते हैं
1. प्राथष्टमक पूंजी बाजार और

2. ष्टितीयक पूंजी बाजार।

 भारतीय यूष्टनि रस्ि भारत की सबसे बड़ी म्युचुऄल फंड संस्था है।
 स्िॉक एक्सर्ेंज एक ऐसी व्यवस्था का बाजार है क्तजसमें छोिे ष्टनवेशक असानी से ष्टनवेश कर सकते हैं
तथा मौजूद प्रष्टतभूष्टतयों का असानी से िय ष्टविय कर सकते हैं।
 भारतीय प्रक्ततभक्तू त एवां क्तवक्तनमय बोडच (सेबी) की स्थापना 12 ऄप्रैल 1988 को की गई।
 यह पज ूं ी बाजार के ष्टनयंत्रक का कायथ करता है।
 30 जनवरी 1992 को सेबी को म्युचुऄल फंड एवं स्िॉक माके ि के ष्टनयंत्रण का अक्तधकार क्तदया गया।
 सेबी का मख्ु यालय मबांु ई में बनाया गया जबक्तक इसके क्षेत्रीय कायाचलय कोलकाता, क्तदल्ली तथा र्ेन्नई में
भी स्थाक्तपत क्तकए गए।
 राष्ट्रीय शेयर बाजार की स्थापना फे रवानी सष्टमष्टत की संस्तुष्टत के अधार पर 1992 में की गई।

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 मुंबइ स्िॉक एक्सचेंज की स्थापना 1875 में की गई।

भारतीय ष्टवत्त व्यवस्था से जड़ु े कुछ महत्वपण


ू थ त्य

 ररजवथ बैंक की स्थापना 1 ऄप्रैल 1935 को की गइ थी तथा 1 जनवरी 1949 को आस का


राष्ट्रीयकरण क्तकया गया।
 ररजवच बैंक भारत का कें द्रीय बैंक है क्तजसका मख्ु यालय मबांु ई में है।
 भारत में मौष्टरक एवं साख नीष्टत ररजवथ बैंक िारा ही बनाइ जाती है और लागू की जाती है।
 ररजवच बैंक ऑफ इक्तां डया के प्रथम गवनथर सर ॲस्बोनथ ष्टस्मथ थे।
 प्रथम भारतीय एवं स्वतंत्र भारत के प्रथम अरबीअइ गवनथर सीडी देशमुख थे।
 बैंकों के राष्ट्रीयकरण के समय एलके झा आरबीआई के गवनचर थे।
 ष्टहल्िन यंग अयोग पहला अयोग था क्तजसने कें द्रीय बैंक के रूप में ररजवच बैंक ऑफ इक्तां डया की
सस्ां तक्तु त की थी।
 1 जुलाइ 2011 से देश में 25 पैसे वहीं से कम मल्ू य के सभी क्तसक्के प्रर्लन में औपर्ाररक रूप से
अमान्य हो गए।
 भारत में पहला व्यापाररक बैंक जनरल बैंक ऑफ आष्टं डया था क्तजसे 1786 में खोला गया था ।
 इसके बाद 1790 में बैंक ऑफ ष्टहदं ु स्तान खोला गया यह सभी बैंक यरू ोक्तपयन थे।
 भारतीयों द्वारा प्रबांक्तधत सीक्तमत दाक्तयत्व का प्रथम भारतीय ऄवध कमष्टशथयल बैंक था क्तजसे 1881
में स्थाष्टपत क्तकया गया था इसके बाद 1894 में पंजाब नेशनल बैंक स्थाक्तपत क्तकया गया जो पणू च रूप
से भारतीयों द्वारा प्रबक्तां धत था।
 1921 में तीन प्रमुख प्रेष्टसडेंसी बैंक को क्तमलाकर भारतीय आपं ीररयल बैंक की स्थापना की गई ।
 1959 इ में 8 क्षष्टत्रय बैंकों को राष्ट्रीयकृत करें स्िेि बैंक के सहायक का दजाथ क्तदया गया।
 19 जुलाइ 1969 इ. को 14 बड़े व्यवसाष्टयक बैंक तथा 15 ऄप्रैल 1980 इ. को छह ऄन्य
ऄनुसूष्टचत बैंकों का राष्ट्रीयकरण कर क्तदया गया।
 जीवन बीमा क्षेत्र में प्रवेश करने वाला देश का पहला वाक्तणक्तज्यक बैंक भारतीय स्िेि बैंक है।
 ष्टवदेशों में भारतीय स्िेि बैंक के सवाथष्टधक कायाथलय है।
 स्िेि बैंक ऑफ इक्तां डया द्वारा देश का पहला तैरता एिीएम कोष्टच्च में 2004 में लांच क्तकया गया।
 ग्रामीण बैंकों की स्थापना 2 ऄक्िूबर 1975 को हुई।
 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक में कें र सरकार राज्य सरकार तथा प्रवतथक बैंक 50: 15 :35 के ऄनुपात में
पूंजी लगाते हैं।
 बैंक्तकांग प्रणाली की पनु ः सांरर्ना के सांबांध में सझु ाव देने हेतु 1991 में नरष्टसहं म सष्टमष्टत का गिन
क्तकया गया।

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 राष्ट्रीय कृ क्तष तथा ग्रामीण क्तवकास बैंक नाबाडच देश में कृ क्तष एवां ग्रामीण क्तवकास हेतु क्तवि उपलब्ध
कराने वाली शीषच सस्ां था है।
 नाबाडथ की स्थापना ष्टशव रमन कमेिी की सस्ं तुष्टत पर की गई इसका मख्ु यालय मबांु ई में है।
 ष्टकसान िे ष्टडि काडथ योजना की शरुु आत ऄगस्त 1998 में तत्कालीन ष्टवत्त मंत्री यशवंत ष्टसन्हा
िारा की गई थी।
 राष्ट्रीय कृ क्तष सहकारी क्तवपणन भारतीय सांघ नेशनल एग्रीकल्र्र कोऑपरे क्तिव माके क्तिांग फे डरे शन ऑफ
इक्तां डया (NAFED) की स्थापना 2 ऄक्िूबर 1958 को हुई।
 यह राष्ट्रीय स्तर पर एक शीषच सहकारी सांगठन है।
 इसका प्रमख ु कायच र्नु ी हुई कृ क्तष वस्तओ
ु ां को प्राप्त करना क्तवतरण क्तनयाचत तथा आयात करना है।
 भारतीय जनजाष्टत सहकारी ष्टवपणन ष्टवकास पररषद (TRYFED) की स्थापना 1987 में हुई थी।
 भूष्टम ष्टवकास बैंक मूलतः दीघथकालीन शाख ईपलब्ध कराती है।
 भक्तू म क्तवकास बैंक का आरांभ भक्तू म बधां क बैंक के रूप में 1919 ई. में हुई थी।
 भारतीय औद्योष्टगक ष्टवकास बैंक की स्थापना 1 फरवरी 1964 को की गई।
 भारतीय औद्योक्तगक पनु क्तनचमाचण बैंक की स्थापना अस्वस्थ औद्योक्तगक इकाइयों के पनु क्तनचमाचण के उद्देश्य
से 20 मार्च 1985 में की गई।
 भारतीय जीवन बीमा क्तनगम का मख्ु यालय मबांु ई में है इस समय इसके सात जोनल कायाचलय और 100
क्षेत्रीय कायाचलय हैं
 भारतीय जीवन बीमा क्तनगम की स्थापना 1956 में की गई थी।
 भारतीय साधारण बीमा क्तनगम की स्थापना सन 1972 ईस्वी में की गई थी।
 भारतीय बीमा ष्टवष्टनयामक और ष्टवकास प्राष्टधकरण आरडा का मुख्यालय हैदराबाद में है।

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प्रमुख ष्टवत्तीय संस्थाएं

प्रमुख ष्टवत्तीय संस्थाएं स्थापना वषथ प्रमुख ष्टवत्तीय संस्थाएं स्थापना वषथ
आपं ीररयल बैंक ऑफ आष्टं डया 1921 कृष्टष एवं ग्रामीण ष्टवकास हेतु राष्ट्रीय बैंक 12 जुलाइ 1982
भारतीय ररजवथ बैंक 1 ऄप्रैल 1935 भारतीय औद्योष्टगक पनु ष्टनथमाथण बैंक 20 माचथ 1985
भारतीय औद्योष्टगक ष्टनगम 1948 भारतीय लघु ईद्योग ष्टवकास बैंक (ष्टसडबी) ऄप्रैल 1990
(लखनउ)
भारतीय स्िेि बैंक 1 जुलाइ 1955 भारतीय ष्टनयाथत अयात बैंक 1 जनवरी 1983
भारतीय यूष्टनि रस्ि 1 फरवरी 1964 राष्ट्रीय अवास बैंक जुलाइ 1988
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक 2 ऄक्िूबर 1975 भारतीय जीवन बीमा ष्टनगम ष्टसतंबर 1956
भारतीय साधारण बीमा ष्टनगम 1 नवंबर 1972 राष्ट्रीय कृष्टष तथा ग्रामीण ष्टवकास बैंक 12 जुलाइ 1982

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8. बजि
 भारत में बजि प्रणाली की शुरुअत का िेय वायसराय कै ष्टनंग को जाता है।
 भारत में बजि प्रणाली का सस्ं थापक जेम्स ष्टवल्सन को माना जाता है।
 सांक्तवधान के ऄनुच्छे द 112 के अतां गचत प्रत्येक क्तविीय वषच के क्तलए कें द्र सरकार की अनमु ाक्तनत प्राक्तप्तयाां
तथा व्यय का एक क्तववरण ससां द के सामने रखना आवश्यक होता है इस वाक्तषक च क्तविीय क्तववरण को कें द्र
सरकार का बजि कहा जाता है।
 राष्ट्रपष्टत िारा ष्टनदेष्टशत ष्टतष्टथ पर लोकसभा में बजि पेश की जाती है।
 प्रारांभ में रे ल बजि और आम बजि एक साथ ही प्रस्ततु क्तकया जाता था लेक्तकन 1921 में ष्टनयुि एक्वथथ
कमेिी की ष्टसफाररशों के आधार पर 1924 में यह ष्टनणथय ष्टलया गया क्तक रे ल बजि को आम बजि से
अलग प्रस्ततु क्तकया जाए।
 स्वतत्रां भारत का पहला बजि 26 नवंबर 1947 को पहले ष्टवत्त मंत्री अर के षणमुखम् शेठ्ठी द्वारा
पेश क्तकया गया था।
 जॉन मथाइ को वषच 1950 में गणतांत्र भारत का पहला कें रीय बजि पेश करने का गौरव प्राप्त हुआ।
 भारत में अभी तक सबसे ऄष्टधक बार बजि पेश करने वाले ष्टवत्त मंत्री मोरारजी देसाइ थे उन्होंने
कुल 10 बजि पेश ष्टकए जबष्टक पी ष्टचदबं रम ने 8:00 बजि पेश की है।
 क्तवि मत्रां ी के रूप में वषच 1991 में डॉ मनमोहन क्तसांह ने देश में अष्टथथक ईदारीकरण की नीष्टत लागू करने
की घोषणा की।
 भारत में बजि सामान्यतः ष्टनम्नष्टलष्टखत ऄनुमानों को व्यि करता है ष्टवगत वषथ की वास्तष्टवक
प्राष्टप्तयां तथा व्यय चालू ष्टवत्त वषथ के बजि ऄनमु ान और सश ं ोष्टधत ऄनमु ान अगामी वषथ के
प्रस्ताष्टवत बजि ऄनुमान
 इस प्रकार भारत में बजि प्रस्तुतीकरण का संबंध 3 वषों के अक ं ड़ों से होता है।

प्रत्यक्ष कर
 प्रत्यक्ष कर (आयकर, सांपक्ति कर, क्तनगम िैक्स आक्तद) के मामले में, बोझ सीधे करदाता पर पड़ता है।
 ये वह कर है क्तजनको करदाताओ ां द्वारा दसू रों पर स्थानाांतररत नहीं क्तकया जा सकता है।
अयकर
 आयकर अक्तधक्तनयम 1961, के अनसु ार वह हर व्यक्ति, जो एक कर दाता है और क्तजनकी कुल आय
अक्तधकतम छूिसीमा से अक्तधक है।
 क्तवि अक्तधक्तनयम में क्तनधाचररत दर से आयकर के दायरे में आता है।
 इस तरह आयकर क्तपछले वषच की कुल आय पर भगु तान क्तकया जाता है।

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ष्टनगम कर
 यह कर कांपनी की शि ु आय पर लगाया जाता है।
 क्तववरण:- वे कांपक्तनयाां (क्तनजी और सावचजक्तनक) दोनों जो भारत में कांपनी अक्तधक्तनयम 1956 के तहत पजां ीकृ त
है वे सभी कर का भगु तान करने के क्तलए उिरदायी हैं।
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसिी)
 एक ऐक्ततहाक्तसक कर बदलाव के रूप में वस्तु एवां सेवा कर 1 जल ु ाई, 2017 से लागू हुआ है।
 कें द्र व राज्य दोनों स्तरीय अक्तधभारों को समेिते हुए GST सहकारी सघां वाद को सरकारों द्वारा क्तनयक्तां त्रत क्तकया
जाता है।
 101वें सांक्तवधान सांशोधन अक्तधक्तनयम, 2016 के द्वारा अनच्ु छे द 366 में एक नया खडां (12A) जोड़ा गया,
क्तजसके अनसु ार, ‘वस्तु एवां सेवा कर’ का अथच है- मानव उपभोग के क्तलये मादक पेय पदाथों की आपक्तू तच पर
लगने वाले कर को छोड़कर वस्तओ ु ां या सेवाओ ां या दोनों की आपक्तू तच पर लगने वाला कर ।

बायत भें कयाधान प्रणारी

प्रत्मक्ष कय अप्रत्मक्ष कय

1. आमकय – विदोस््डंग िै क्स, व्मस्क्तगत आमकय ननगभ कय एक्साइज ड्मि


1. ू ी
2. कॉयऩोये ि सेक्िय िै क्स – मभननभभ अ्ियनेटिि िै क्स, फ्रं ज 2. कटिभ ड्मूिी
फेननफ्पि िै क्स, डडविडेंड डडसिीब्मश
ू न िै क्स, 3. सवििस िै क्स
3. मसक्मोरयिीज ट्ांजैक्शन िै क्स, 4. सेंट्र से्स ड्मूिी
4. िे्थ िै क्स, 5. िै्मू ऐडेड िै क्स।
5. कैवऩिर गेन िै क्स

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गंतव्य अधाररत खपत करः

 जीएसिी एक गतां व्य आधाररत कर होगा।


 इसका अथच है क्तक सभी एसजीएसिी को आमतौर पर राज्य में वहाां से एकत्र क्तकया जाएगा जहाां
उपभोिाओ ां को वस्तएु ां या सेवाएां बेर्ी जा रही हैं।

के न्रीय करों शाष्टमल हैं:


1. सेंरल एक्साआज ड्यूिी
2. ऄष्टतररि ईत्पाद शुल्क
3. औषधीय और प्रसाधन ऄष्टधष्टनयम के तहत अबकारी शल्ु क लगाया जाता है।
4. सेवा कर
5. ऄष्टतररि सीमा शुल्क,
6. सामान्यतः प्रष्टतकारी शुल्क (सीवीडी) के रूप में जाना जाता है
7. सीमा शल्ु क पर 4% का ऄष्टतररि ष्टवशेष शल्ु क (एसएडी)माल और
8. सेवाओ ं की अपूष्टतथ के संबंध में ईपकर और

ऄष्टधभारराज्य करों में शाष्टमल हैं:


1. वैि / ष्टबिी कर
2. के न्रीय ष्टबिी कर (कें र की ओर से लगाया जाता है और राज्य िारा एकत्र ष्टकया जाता है)
3. मनोरंजन कर
4. चुंगी और एरं ी िैक्स (सभी रूपों में)
5. खरीद कर
6. लक्जरी िैक्स
7. लॉिरी, शतथ और जुए पर कर
8. माल और सेवाओ ं की अपूष्टतथ के संबंध में राज्यों का ईपकर और ऄष्टधभार।
 मानव ईपभोग के ष्टलए शराब को छोड़कर, सभी वस्तुओ ं और सेवाओ ं को जीएसिी के दायरे में
लाया जाएगा।

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भारतीय ष्टवत्तीय प्रणाली के घिक

भारतीय क्तविीय प्रणाली के अहम् घिक है:


बैंक: बैंक भारत में सस्ां थागत क़ज़च का सबसे अहम् ज़ररया हैं और इनमें अनसु क्तू र्त वाक्तणक्तज्यक बैंक, क्षेत्रीय
ग्रामीण बैंक, सहकारी बैंक, क्तवदेशी बैकों सक्तहत क्तनजी क्षेत्र के बैंक शाक्तमल हैं।

ष्टवत्तीय सस्ं थाए:ं राष्ट्रीय और राज्य दोनों स्तरों पर कई क्तविीय सस्ां थाएां बनाई गई हैं। ये सस्ां थाएां उद्योग
जगत की कई क्तविीय ज़रुरतों को परू ा करती हैं। इनमें अक्तखल भारतीय क्तवकास बैंक, क्तवक्तशष्ट क्तविीय
सस्ां थाए,ां क्तनवेश सस्ां थाए,ां राज्य क्तवि क्तनगम तथा राज्य औद्योक्तगक क्तवकास क्तनगम शाक्तमल हैं।

गैर-बैंष्टकंग ष्टवत्तीय कंपष्टनयां (NBFCs): गैर-बैंक्तकांग क्तवि कांपक्तनयाां ऐसी सस्ां थाएां होती हैं जो कांपनी
अक्तधक्तनयम 1956 के तहत रक्तजस्िडच होती हैं और क्तजनका मख्ु य काम उधार देना और क्तवक्तभन्न प्रकार के
शेयरों, प्रक्ततभक्तू तयों, बीमा कारोबार और क्तर्िफांड से जड़ु े कामों में क्तनवेश करना है।

जोष्टखम पूंजी कंपष्टनयां और ईद्यम पूंजी कंपष्टनयां: जोक्तखम पांजू ी कांपक्तनयाां नये उद्यक्तमयों को
दीघचकालीन प्रारांक्तभक पजांू ी उपलब्ध कराती हैं। वही ँ उद्यम पजांू ी, लघु और मध्यम उद्यमों के गठन के क्तलए
और उनके क्तवकास के प्रारक्तम्भक र्रणों में फांक्तडांग का अहम् ज़ररया है।

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9. औद्योष्टगक नीष्टत और मुरास्फीष्टत


 आजादी के बाद देश की प्रथम औद्योक्तगक नीक्तत की घोषणा 6 अप्रैल 1948 ई. को तत्कालीन कें द्रीय
उद्योग मत्रां ी श्यामा प्रसाद मख
ु जी द्वारा की गई थी।
 नइ औद्योष्टगक नीष्टत की घोषणा 24 जुलाइ 1991 इ.को की गई क्तजसमें व्यापक स्तर पर उदारवादी
कदमों की घोषणा की गई।
 इस नइ औद्योष्टगक नीष्टत में 18 प्रमुख ईद्योगों को छोड़कर ऄन्य सभी ईद्योगों को लाआसेंस से मुि
कर क्तदया गया।
 बाद में 13 और ईद्योगों को लाआसेंस की अवश्यकता से मुि कर ष्टदया गया।

लाआसेंष्टसंग की अवश्यकता से युि ईद्योग

1. ऄल्कोहल युि पेयों का अह्वान व आनसे शराब बनाना


2. तंबाकू के ष्टसगार एवं ष्टसगरेि तथा ष्टवष्टनष्टमथत तंबाकू के ऄन्य ईत्पाद
3. आलेक्रॉष्टनक्स, एयरोस्पेस तथा रक्षा ईपकरण
4. डेिोनेष्टिंग, फ्यूज, सेफ्िी फ्यूज, गन पाईडर, नाआरोसैलूलोज तथा माष्टचस सष्टहत औद्योष्टगक
ष्टवस्फोिक सामग्री
5. खतरनाक रसायन
 नवरत्न का दजाथ कें रीय लोक ईद्यम ष्टवभाग िारा ष्टदया जाता है 1997 में यह दजाथ मूलतः नौ

कंपष्टनयों के ष्टलए सृष्टजत की गइ थी।

भारत की महारत्न कंपष्टनयां

1. राष्ट्रीय ताप ष्टवद्यतु ष्टनगम (NTPC)


2. तेल एवं प्राकृष्टतक गैस ष्टनगम (ONGC)
3. भारतीय आस्पात प्राष्टधकरण ष्टलष्टमिेड (SAIL)
4. भारतीय तेल ष्टनगम (IOC)
5. कोल आष्टं डया ष्टलष्टमिेड
6. भारत हेवी आलेष्टक्रकल्स ष्टलष्टमिेड (BHEL)
7. गैस ऄथॉररिी ऑफ़ आष्टं डया ष्टलष्टमिेड (GAIL)
8. भारत पैरोष्टलयम कॉरपोरेशन ष्टलष्टमिेड (BPCL)

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व्यापाररक संगिन

 ऄंतरराष्ट्रीय मुरा कोष की स्थापना 27 ष्टदसबं र 1945 इ. में ब्रेिनवडु सम्मेलन के ष्टनणथय के अधार
पर क्तकया गया।
 अइएमएफ का कायथ सदस्य राष्ट्रों के मध्य ष्टवत्तीय और औद्योष्टगक सहयोग को बढ़ावा देना तथा
ष्टवि व्यापार का सतं ुष्टलत ष्टवस्तार करना है।
 IBRD ऄथाथत पुनष्टनथमाथण एवं ष्टवकास के ष्टलए ऄंतराथष्ट्रीय बैंक की स्थापना सन 1945 में हुई।
 IBRD को ही ऄन्य संस्थाओ ं के साथ ष्टमलाकर ष्टवि बैंक के नाम से पुकारा जाता है
 इन सांस्थाओ ां में ऄंतरराष्ट्रीय ष्टवत्त ष्टनगम, ऄंतरराष्ट्रीय ष्टवकास सघं तथा बहुपक्षीय ष्टवष्टनयोग गारंिी
ऄष्टभकरण है।
 इसका उद्देश्य क्तवश्व यि
ु से जजचर हुई अथचव्यवस्था का प्रारांक्तभक पनु क्तनचमाचण तथा अल्प क्तवकक्तसत देशों के
क्तवकास में योगदान देना है।
 इस समय यह सदस्य देशों में पांजू ी क्तनवेश में सहायता तथा अतां रराष्ट्रीय व्यापार के दीघचकालीन सांतक्तु लत
क्तवकास को प्रोत्साक्तहत करने में लगा है।
 GATT प्रशुल्क और व्यापार पर सामान्य समझौता 30 ऄक्िूबर 1947 को हुअ तथा 1 जनवरी
1948 से लागू हुआ।
 12 ष्टदसंबर 1995 को GATT का ऄष्टस्तत्व समाप्त कर ष्टदया गया तथा 1 जनवरी 1995 इ. को
आसका स्थान WTO ऄथाथत ष्टवि व्यापार संगिन ने ले ष्टलया।
 डब्ल्यूिीओ का मुख्यालय ष्टजनेवा में है।

ऄथथशास्त्र प्रमुख पुस्तक

पस्ु तक लेखक
वेल्थ ऑफ नेशन्स एडम ष्टस्मथ
फाईंडेशन ऑफ आकोनाष्टमक एनाष्टलष्टसस सैमुऄल्सन
ष्टप्रंष्टसपल्स ऑफ़ आकोनॉष्टमक्स माशथल
दास कै ष्टपिल कालथ माक्सथ
द ्योरी ऑफ एपं लॉयमेंि आिं रेस्ि एडं मनी कीन्स
हाई िू पे फॉर वार कीन्स

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प्रमुख ष्टसद्धांत और प्रष्टतपादक

प्रमुख ष्टसद्धांत प्रष्टतपादक


ष्टवकास का ष्टसद्धांत दादा भाइ नौरोजी
गरीबी का दुष्ट्चि दृष्टिकोण प्रच्छन्न बेरोजगारी ष्टसद्धांत रेगनर नक्सथ
पलाष्टनंग एडं द पुऄर वीएस ष्टमन्हास
एन आक्ं वायरी आन िू द क्वाष्टलिी ऑफ नेशस ं गनु ार ष्टमडथल
ऄसंतुष्टलत ष्टवकास ष्टसद्धांत हशथमैन
सोशल वेलफे यर एडं कलेष्टक्िव चॉआस ए के सेन
भुगतान साम्यथ दृष्टिकोण एडम ष्टस्मथ
आितम करारोपण का ष्टसद्धांत अथथर लाफर
िोष्टबन कर जेम्स िोष्टबन
मूल्य वष्टधथत कर प्रथम प्रष्टतपादक F वान सीमेंस
न्यूनतम त्याग का ष्टसद्धांत जे एस ष्टमल
जीरो बेस्ड बजष्टिंग पीिर पायर
क्षष्टतपूरक राजकोषीय ष्टसद्धांत जॉन मेनाडथ कीन्स

मुरा के मूल्य में पररवतथन

 मद्रु ा मल्ू य में होने वाले पररवतथनों के मुख्य चार रूप होते हैं
1. मुरा स्फीष्टत - ------- (आन्फ्लेशन)

2. ऄवस्फीष्टत तथा मुरा संकुचन -------- (ष्टडफ्लेशन)

3. मुरासस् ं फीष्टत --------- (ररफ्लेशन)


4. मुरा ऄपस्फीष्टत--------- (ष्टडसआन्फ्लेशन)

मुरास्फीष्टत –

 मद्रु ास्फीक्तत वही क्तस्थक्तत है क्तजसमें कीमत स्तर में वृक्ति होती है तथा मद्रु ा का मल्ू य क्तगरता है।
 वस्तओ ु ां एवां सेवाओ ां की तेजी से बढ़ती मागां और फल स्वरुप तेजी से बढ़ती मद्रु ा की सक्तियता के कारण
बढ़ने वाली कीमतें माांग प्रेररत क्तस्थक्तत उत्पन्न करती है।

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 वस्तओ ु ां की उत्पादन लागत बढ़ जाने के कारण जब वस्तओ


ु ां की कीमतों को बढ़ाया जाता है तब इसे
लागत प्रेररत स्फीक्तत कहा जाता है।
मुरास्फीष्टत का प्रभाव
1. ईत्पादक वगथ (कृषक, ईद्योगपष्टत, व्यापारी) को लाभ होता है ऊणी को लाभ तथा ऊणदाता को
हाष्टन होती है।
2. ष्टनष्टित अय वाले वगथ को हाष्टन होती है जबष्टक पररवष्टतथत अय वाले वगथ को लाभ होता है।

3. समाज में अष्टथथक ष्टवषमताएाँ बढ़ जाती हैं धनी वगथ और धनी तथा ष्टनधथन वगथ और ष्टनधथन होता

चला जाता है।


मुरा प्रसार के ष्टलए ईत्तरदाइ सरकार की नीष्टतयां
A. हीनाथथ प्रबंधन,
B. ऄष्टतररि मुरा ष्टनगथमन,

C. ईदार ऊण एवं साख नीष्टत,

D. युद्ध जष्टनत ऄनुत्पादक व्यय,

E. प्रष्टतगामी कराधान नीष्टत,

F. प्रशुल्क एवं व्यापार नीष्टत,

G. किोर ईद्योग नीष्टत

मुरा नीष्टत को ष्टनयंष्टत्रत करने के ईपाय


1. राजकोषीय ईपाय
a) सतं ुष्टलत बजि बनाना
b) सावथजष्टनक व्यय पर ष्टनयंत्रण
c) प्रगष्टतशील करारोपण
d) सावथजष्टनक ऊण में वष्टृ द्ध करना
e) बचत को प्रोत्साष्टहत करना
f) ईत्पादन में वृष्टद्ध करना
2. मौक्तद्रक उपाय
1. मुरा ष्टनगथमन के ष्टनयमों को किोर बनाना
2. मुरा की मात्रा को सक ं ु ष्टचत करना
3. किोर साख नीष्टत ऄपनाना

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मुरा संकुचन ऄथवा मुरा ऄवस्फीष्टत

 यह मुरास्फीष्टत की ष्टवपरीत ऄवस्था है आसमें मुरा का मूल्य बढ़ता है और वस्तुओ ं एवं सेवाओ ं
का मूल्य घिता है।
 मुरा संकुचन ष्टनम्न पररष्टस्थष्टतयों में दृष्टिगोचर होता है
1. मौष्टरक अय यथावत ऄथवा ष्टगरती रहे पर वस्तुओ ं का ईत्पादन बढ़े
2. मौष्टरक अय तथा ईत्पादन दोनों घिे परंतु मौष्टरक अय में कमी ऄष्टधक हो

3. मौष्टरक अय तथा ईत्पादन दोनों बढ़े परंतु ईत्पादन में वृष्टद्ध ऄपेक्षाकृत ऄष्टधक हो

4. ईत्पादन यथावत रहे परंतु मौष्टरक अय घिे जब वस्तु की पूष्टतथ मांग से ऄष्टधक हो।

मुरा संकुचन रोकने के ईपाय


1. मौष्टरक ईपाय
A. मुरा का ऄष्टधक ष्टनगथमन,
B. साख मुरा का ष्टवस्तार
2. राजकोषीय उपाय
1. सावथजष्टनक व्यय में वृष्टद्ध
2. करारोपण में कमी
3. ऊणों का भुगतान
4. अष्टथथक सहायता एवं ऄनुदान में वृष्टद्ध
 ष्टनयाथत में वष्टृ द्ध तथा अयात में कमी
 पूष्टतथ पर ष्टनयंत्रण।

स्िै गफ्लेशन ऄथवा ष्टनस्पंद ष्टस्थष्टत

 यह उस क्तस्थक्तत का द्योतक है जब अथचव्यवस्था में तो एक और कीमतें बढ़ती है तथा दसू री ओर आक्तथचक


क्तवकास अवरुि होकर अथचव्यवस्था में क्तनक्तष्ट्ियता और जड़ता की क्तस्थक्तत उत्पन्न हो जाती है।
 इसमें मद्रु ास्फीक्तत महगां ाई बेरोजगारी तथा उत्पादन में जड़ता साथ-साथ क्तवद्यमान होती है।

ष्टनस्पदं ष्टस्थष्टत ईत्पन्न होने के कारण

1. मुरा की मात्रा में तेजी से वृष्टद्ध


2. मजदूरी दरों में तीव्र वृष्टद्ध
3. प्राकृष्टतक प्रकोप

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4. ष्टवदेशी व्यापार में घािा


5. ईत्पादन लागत में वृष्टद्ध
6. लबं े समय तक मुरास्फीष्टत की ष्टस्थष्टत का बने रहना।

प्रमुख वि

1. लॉरेंज वि – अय के ष्टवतरण में व्याप्त ष्टवषमताओ ं को प्रदक्तशतच करने वाला वि यह आक्तथचक क्तवषमता
की माप करता है।
2. ष्टगनी गुणांक – अय या संपष्टत्त के ष्टवतरण में व्याप्त ऄसमानता की साक्तां ख्यकी माप क्तगनी गणु ाक ां
कहलाता है।
 क्तगनी गणु ाांक का मान क्तजतना अक्तधक होगा समाज में क्तवषमता भी उतनी अक्तधक होगी।
3. कुजनेि्स वि – simon-कुजनेि्स के अनसु ार प्रष्टत व्यष्टि अय की वृष्टद्ध के साथ प्रारंभ में अय की
ष्टवषमता बढ़ती है तथा बाद में अय की वृष्टद्ध के साथ अए ष्टवतरण की ष्टवषमानता कम होने लगती
है
 यक्तद हम इन दोनों के सांबांधों को वि द्वारा प्रदक्तशतच करें तो यह उल्िी U आकार की प्राप्त
होती है इस वि को ही कुजनेि्स वि कहते हैं।
4. ष्टफष्टलपस वि – क्तकसी भी ऄथथव्यवस्था में ष्टफष्टलपस वि िारा बेरोजगारी की दर एवं मुरास्फीष्टत के
व्युत्िम सांबांधों को दशाचया जाता है।
 यक्तद क्तकसी भी देश में बेरोजगारी की दर कम है तो मजदरू ी दर अक्तधक होगी एवां यक्तद
बेरोजगारी की दर अक्तधक है तो मजदरू ी दर कम होगी।
5. लाफर वि – यक्तद करारोपण की दरों को कम कर ष्टदया जाए तो सरकार को प्राप्त होने वाले राजस्व
में वृष्टद्ध होगी लेष्टकन यह वृष्टद्ध एक सीमा से ऄष्टधक कमी कर ष्टदए जाने पर करागत राजस्व में कमी
अएगी।
6. ष्टफशर प्रभाव – यह अवधारणा मुरास्फीष्टत तथा ब्याज दर के बीच संबंध को दशाचता है।

महत्वपण
ू थ सष्टमष्टतयां

स्वामीनाथन सष्टमष्टत जनसंख्या नीष्टत


जानकी रमन सष्टमष्टत प्रष्टतभूष्टत घोिाला
दांत वाला सष्टमष्टत बेरोजगारी के ऄनुमान
रेखी सष्टमष्टत ऄप्रत्यक्ष कर
सरकाररया सष्टमष्टत कें र राज्य सबं धं
गोस्वामी सष्टमष्टत औद्योष्टगक रुग्णता

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महालनोष्टबस सष्टमष्टत राष्ट्रीय अय


रंगराजन सष्टमष्टत भुगतान संतुलन
राजा चेलैया सष्टमष्टत कर सुधार
मल्होत्रा सष्टमष्टत बीमा क्षेत्र में सुधार
खुसरो सष्टमष्टत कृष्टष साख
भूरेलाल सष्टमष्टत मोिर वाहन करों में वृष्टद्ध
नरष्टसम्हन सष्टमष्टत ष्टवत्तीय बैंष्टकंग सधु ार
भंडारी सष्टमष्टत क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की पुनर संरचना
सच्चर सष्टमष्टत मुसलमानों की सामाष्टजक अष्टथथक और शैक्षष्टणक ष्टस्थष्टत
का ऄध्ययन
सुरेश तेंदुलकर सष्टमष्टत गरीबी
एस तारापोर सष्टमष्टत रुपए की पज ूं ी खाते पर पररवतथष्टनयत्ता
अष्टबद हुसैन सष्टमष्टत लघु ईद्योग
डॉ कीष्टतथ एस पाररख पेरोष्टलयम ईत्पादों के मूल्य प्रणाली पर सुझाव
बीएस व्यास सष्टमष्टत कृष्टष एवं ग्रामीण साख ष्टवस्तार
महाजन सष्टमष्टत चीनी ईद्योग
सत्यम सष्टमष्टत वस्त्र नीष्टत
मीरा सेि सष्टमष्टत हथकरघा के ष्टवकास

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10. भुगतान शेष (BLANCE OF PAYMENT)

 भगु तान शेष क्तकसी देश का अन्य देशों के साथ होने वाले समस्त आक्तथचक लेन देन का लेखा होता है। क्तजसमें
दोहरी प्रक्तवक्तष्ट की जाती है।
भगु तान संतुलन के ऄवयव
(COMPONENTS OF BLANCE OF PAYMENT)
 भगु तान शेष में र्ालू खाता एवां पजांू ी खाता होतें हैं।
 र्ालू खाते में वस्तुगत व्यापार एवं ऄदृश्य व्यापार अथवा वस्तुगत खाता एवं ऄदृश्य खाता पाया जाता
है।
 वस्तुगत खातें में वस्तुओ ं के व्यापार को शाक्तमल क्तकया जाता है जबक्तक ऄदृश्य खाते में सवायें अय
तथा ऄन्तरण को शाक्तमल क्तकया जाता है।
 पजूं ी खाते में सभी प्रकार के ष्टवत्तीय लेन-देन का शाक्तमल क्तकया जाता है।
 यक्तद जमा पक्ष एवां माांग पक्ष बराबर है तो भगु तान शेष सांतल
ु न में रहता है।
 यक्तद जमा पक्ष उधार पक्ष से अक्तधक है तो भगु तान शेष अनक ु ू ल होता है।
 यक्तद उधार पक्ष अक्तधक है तो भगु तान शेष प्रक्ततकूल हो जाता है। और प्रक्ततकूल भगु तान सांतल
ु न देश के क्तवकास
में बाधक होता है।

 भारत की प्रमख्ु य आक्तथचक समस्या में एक महत्वपणू च समस्या र्ालू खाते का घािा है।
 भुगतान शेष में ऄसंतुलन के ष्टलए कइ कारण क्तजम्मेदार होते हैं।
1. जब क्तकसी देश की क्तवकास की प्रक्तिया र्ल रही हा तो क्तवकासात्मक व्यय अक्तधक होता है। आयातों पर
क्तनभचरता बढ़ जाती है। और भगु तान शेष प्रक्ततकूल हो जाता है।
2. भगु तान शेष के प्रक्ततकूल होने का दसू रा कारण अथचव्यवस्था की स्थायी एवां दीघचकालीन प्रवृक्तियाी होती हैं।
लागते अक्तधक होने के कारण क्तनयाचतों में वृक्ति नहीं हो पाती है।
3. व्यापार र्िों में होने वाला पररवतचन भी भगु तान शेष की क्तस्थक्तत को प्रभाक्तवत करता है।
4. क्तकसी देश की अथचव्यवस्था में होने वाले सांरर्नात्मक पररवतचन के कारण उत्पन्न होने वाले असांतल ु न से भी
भगु तान शेष असतां क्तु लत हो जाता है।

 प्रक्ततकूल भगु तान सांतल


ु न को सधु ारने के क्तलए मौक्तद्रक, राजकोषीय एवां व्यापाररक उपाय क्तकये जाते हैं।

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 मौष्टरक ईपायों में मौक्तद्रक सक ां ु र्न एवां क्तवस्तार, अवमल्ू यन, क्तवक्तनमय क्तनयत्रां ण क्तवदेशी क्तवक्तनमय दर में
पररवतचन इत्याक्तद का प्रयोग क्तकया जाता है।
 घरे लू मद्रु ा की कीमत को अन्य क्तवदेशी मद्रु ाओ ां की तल ु ना में जान बझू कर कम करना अवमल्ू यन कहलाता है।
 अवमल्ू यन से क्तनयाचतों में वृक्ति एवां आयातों में कमी पायी जाती है। क्तजससे भगु तान शेष की प्रक्ततकूलता में कमी
पायी जाती है।
सुधारने के ईपाय

मौष्टरक ईपाय-

i. मौष्टरक सक ं ु चन ष्टवस्तार
ii. ऄवमूल्यन ष्टवष्टनमय ष्टनयंत्रण
iii. ष्टवदेशी ष्टवष्टनमय दर मे पररवतथन

राजकोषीय ईपाय-
1. सावथजष्टनक अय
2. सावथजष्टनक व्यय
3. व्यापाररक ईपाय-
a) अयात प्रष्टतस्थापन एवं ष्टनयाथत संवधथन
b) प्रशल्ु क
c) कोिा

ऄन्य ईपाय-
A. ष्टवदेशी ऊण सहायता
B. पयथिन सेवाओ ं का ष्टवस्तार
C. ष्टवदेशी ष्टनवेश को बढ़ावा।

 भारत में ऄब तक तीन बार ऄवमूल्यन ष्टकया जा र्क


ु ा है
1. पहली बार1949 इ0 में
2. दूसरी बार 1966 इ0 में
3. तीसरी बार जुलाइ 1991 इ0 में।

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 क्तवदेशी क्तवक्तनमय दर में सरकारी स्तर क्षेत्र ष्टवनमय ष्टनयंत्रण कहलाता है और ऐसे में देश का के न्रीय बैंक
समस्त ष्टवदेशी मुरा भंडार को ऄपने पास रख लेता है और ष्टवदेशी मुरा की पूष्टतथ स्वयं ष्टनधाथररत
करता है।
 जब सरकार ष्टवदेशी ष्टवष्टनमय दर को क्तनधाचररत करें तो खुले बाजार में ष्टनधाथ ररत दरों का प्रयोग बांद कर
क्तदया जाय तो इसे ष्टवदेशी ष्टवष्टनमय दर में पररवतथन कहते है।
 भग ु तान शेष की प्रक्ततकूलता को सधु ारने के क्तलए सरकार मौष्टरक संकुचन का भी सहारा लेती है।
 इसके अन्तगचत साख क्तनयांत्रण की प्रक्तिया को अपना कर साख मद्र ु ा कीपक्तू तच में कमी लाकर आयातों को
प्रभाक्तवत क्तकया जाता है।
 भगु तान शेष की प्रक्ततकूलता को दर करने के क्तलए राजकोषीय ईपाय के रूप में सरकार सावथजष्टनक अय
के राजस्व को बढ़ाने का प्रयास करती हैं
 जबक्तक दसू री तरफ सावथजष्टनक व्यय में कमी लाने का प्रयास करती है।
 भगु तान से इसकी प्रक्ततकूलता को दरू करने के क्तलए व्यापाररक ईपाय भी प्रयोग में लाये जाते हैं और

 इसके अन्तगचत सरकार अयात प्रष्टतस्थापन और ष्टनयाथत सवं द्धथन की नीष्टत ऄपनानी है अथाचत क्तजन
वस्तओु ां को पहले अयात ष्टकया जा रहा था ईन्हें घरेलू ईत्पादों से प्रष्टतस्थाष्टपत करने का प्रयास
ष्टकया जाता है जबक्तक ष्टनयाथतों को प्रोत्साष्टहत करके ऄथवा ईन्हें सहयोग देकर ष्टनयाथतों के संवधथन का
प्रयास क्तकया जाता है।
 इस प्रकार आयातों में कमी लाकर एवां क्तनयाचतों को बढ़ाकर भगु तान शेष की प्रक्ततकूलता को दरू करना आयात
प्रक्ततथापन क्तनयाचत सांवधचन क्तवक्तध कहलाता है।

 अयातों पर लगने वाले कर को प्रशुल्क या ति कर कहा जाता है। इसके लगने से अयातों की कीमतें
बढ़ जाती है। और उनकी मात्रा में कमी अ जाती है। क्तजससे भगु तान शेष सांतक्तु लत होता है।
 प्रशल्ु क लगाने से जहाां एक तरफ आयाक्ततत वस्तओ
ु ां की कीमतें बढ़ती हैं वहीं दसू री तरफ आयातों की मात्रा
में कमी पायी जाती है। तथा घरेलू ईत्पादन बढ़ जाता है।

1. िै ररफ

 यह राष्ट्रों के मध्य होने वाले व्यापाररक अयात या ष्टनयाथत पर लगने वाला सीमा शल्ु क है।
 यह व्यापार के क्षेत्र में बढ़ती वैष्टिक प्रष्टतस्पद्धाथ से घरेलू ईद्योग को सरु ष्टक्षत रखने हेतु ष्टवदेशी
ईत्पादों पर लगाया जाने वाला कर है।

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2. गैर-िै ररफ बाधाएाँ


 वे सभी शल्ु क जो क्तक अयात या ष्टनयाथत शुल्क नहीं है, गैर-िैररफ की श्रेणी में आते हैं।
 ईदाहरण के तौर पर अयात कोिा, सष्टब्सडी, तकनीकी बाधाएाँ या अयात लाआसेंष्टसंग, सीमा
शल्ु क पर माल के मूल्यांकन के ष्टलये ष्टनयम, पवू थ ष्टशपमेंि ष्टनरीक्षण आत्याष्टद।

3. काईंिर वेष्टलगं ड्यूिी (CVD)


 यह अयाष्टतत वस्तुओ ं पर लगाया जाने वाला एक कर है
 इसका प्रयोग अयाष्टतत वस्तुओ ं पर दी जाने वाली सष्टब्सडी के प्रभाव को न्यून करने के ष्टलये
होता है।
 इस कर का ईद्देश्य अयाष्टतत वस्तु के संदभथ में क्तकसी समान प्रकृ क्तत के घरेलू ईत्पाद को मूल्य
प्रष्टतस्पद्धाथ में ष्टपछड़ने से बचाना है।
 यह एक प्रकार का एिं ी-डष्टं पगं िैक्स होता है।
 डष्टं पंग अथाचत् जब कोई वस्तु/ईत्पाद ष्टकसी देश िारा दूसरे देश को ईसके सामान्य मूल्य से कम
कीमत पर ष्टनयाथत क्तकया जाता है।
 यह एक ऄनुष्टचत व्यापार ऄभ्यास है जो ऄंतराथष्ट्रीय व्यापार पर एक ष्टवकृत प्रभाव डाल सकता
है।

डष्टं पगं और एिं ी-डष्टं पगं शुल्क का ऄथथ

प्रायः डांक्तपांग शब्द का प्रयोग सवाचक्तधक अतां राचष्ट्रीय व्यापार काननू के सांदभच में ही क्तकया जाता है, जहाँ डांक्तपांग
का अक्तभप्राय क्तकसी देश के एक क्तनमाचता द्वारा क्तकसी उत्पाद को या तो इसकी घरे लू कीमत से नीर्े या
इसकी उत्पादन लागत से कम कीमत पर क्तकसी दसू रे देश में क्तनयाचत करने करने से होता है।
 डष्टं पंग, अयात करने वाले देश में ईस वस्तु की कीमत को प्रभाष्टवत करने के साथ-साथ
वहााँ के घरेलू ईद्योग के लाभ को कम करती हैं।
 वैष्टिक व्यापार मानदडं ों के ऄनुसार, एक देश को ऄपने घरेलू ष्टनमाथताओ ं की रक्षा करने
और ईन्हें एक समान ऄवसर प्रदान करने के ष्टलये आस प्रकार की डष्टं पंग पर शुल्क लगाने
की ऄनुमष्टत है।
 हालाँक्तक यह शुल्क ष्टकसी ऄद्धथ-न्याष्टयक ष्टनकाय जैसे- भारत में व्यापार ईपचार
महाष्टनदेशालय (DGTR) िारा गहन जााँच के बाद ही ऄष्टधरोष्टपत ष्टकया जा सकता है।

वििेकानंद इंस्टिट्मूि
Mob – 9993259075, 8815894728
203, Pearl Business Park
For Civil Services Vishnupuri, Indore
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क्तवश्व व्यापार सांगठन (WTO-World Trade Organisation) की स्वीकृ क्तत से, जनरल एग्रीमेंि ऑन
िैररफ एडां रेड General Agreement on Tariff & Trade-GATT) का अनच्ु छे द VI देशों को डांक्तपगां
के क्तखलाफ कारच वाई करने का क्तवकल्प र्नु ने की अनमु क्तत देता है।
इस प्रकार हम कह सकते हैं क्तक जब कोई देश अपने घरे लू उद्योगों की रक्षा करने और उनके नक ु सान को
कम करने के क्तलये क्तनयाचतक देश में उत्पाद की लागत और अपने यहाँ उत्पाद के मल्ू य के अतां र के बराबर
शल्ु क लगा दे तो इसे ही डांक्तपगां रोधी शल्ु क यानी एिां ी-डांक्तपगां शल्ु क कहा जाता है।

वििेकानंद इंस्टिट्मूि
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