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राष्ट्रीय एवं प्रादेशिक सवं ैधाशनक /

सांशवशधक सस्ं थाएं

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1. शनवााचन अयोग (ELECTION COMMISSION)


संवैधाशनक प्रावधान –

 भारतीय संशवधान के भाग 15 के ऄनुच्छे द 324 से 329 तक शनवााचन अयोग तथा शनवााचन से
सबं शं धत प्रावधान है।
 शनवााचन अयोग एक ऄशखल भारतीय शनकाय है जो कें द्र और राज्य सरकारों के शलए चुनाव
संबंधी शदिाशनदेि का काया करती है।

अयोग की संरचना
 शनवााचन अयोग में एक मुख्य चुनाव अयुक्त और दो ऄन्य अयुक्त होते हैं।
 मुख्य चुनाव अयुक्त और ऄन्य शनवााचन अयुक्तों की शनयुशक्त राष्ट्रपशत द्वारा की जाती है।
 राष्ट्रपशत शनवााचन अयोग की सलाह पर प्रादेशिक अयुक्तों की शनयुशक्त करता है शजसे वह
शनवााचन अयोग की सहायता के शलए अवश्यक समझे।
 शनवााचन अयुक्तों और क्षेत्रीय अयुक्तों की सेवा ितों और कायाकाल का शनधाारण राष्ट्रपशत
करता है।

पद से हटाने की शवशध
 मुख्य शनवााचन अयुक्त का कायाकाल शनशित है। ईसे ईसके पद से ईसी रीती से हटाया जा सकता
है जैसे सवोच्च न्यायालय के न्यायाधीि को हटाया जाता है (ऄथाात कदाचार और दुर्वयावहार का
दोषी पाए जाने पर)।
 भारत में शनवााचन अयुक्त राष्ट्रपशत के प्रसादपयंत पद धारण नहीं करता है।
 ऄन्य शनवााचन अयुक्त या प्रादेशिक अयुक्त को मुख्य शनवााचन अयुक्त की शसफाररि पर ही
हटाया जा सकता है ऄन्यथा नहीं।

शनवााचन अयुक्त का कायाकाल


 मुख्य शनवााचन अयुक्त और ऄन्य शनवााचन अयुक्त का कायाकाल राष्ट्रपशत द्वारा (6 वषा या 65
वषा की ईम्र तक जो भी पहले हो) शनधााररत शकया गया है।

मुख्य काया
1. शनवााचक नामावली तैयार करना योग्य मतदाताओ ं को पंजीकृत करना।

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2. शनवााचन क्षेत्रों का पररसीमन या सीमांकन चुनाव शतशथयों का शनधाारण करना और नामांकन


पक्षों की जांच करना।
3. राजनीशतक दलों को मान्यता व चुनाव शचन्ह अवशं टत करने तथा शववाद शनपटारे हेतु न्यायालय
का काया करना।
4. राजनीशतक दलों हेतु अचार संशहता तैयार करना।
5. चुनाव प्रशिया में सुधार व प्रादेशिक चुनाव अयुक्तों की शनयुशक्त हेतु राष्ट्रपशत को सलाह देना।

2. राज्य शनवााचन अयोग (STATE ELECTION COMMISSION)

 संशवधान के ऄनुच्छे द 243 त में राज्य शनवााचन अयोग का प्रावधान शकया गया है।
 प्रत्येक राज्य के शलए राज्य शनवााचन अयोग होगा शजसमें एक राज्य शनवााचन अयुक्त होगा।
 राज्य शनवााचन अयुक्त की शनयुशक्त राज्यपाल द्वारा होती है।
 राज्यपाल को ऄशधकार होगा शक वह राज्य शनवााचन अयुक्त की सेवा ितें तथा पदावशध का
शनधाारण करें।
 राज्य शनवााचन अयुक्त को ईसी रीशत और ईन्हीं अधारों पर हटाया जा सके गा जैसे शक ईच्च
न्यायालय के शकसी न्यायाधीि को हटाया जाता है।
 राज्य शनवााचन अयोग पंचायतों पंचायतों की सभी चुनाव के शलए मतदाता सूची तैयार करने
तथा पच ं ायतों के सभी चुनाव के सच ं ालन के शलए ईत्तरदाइ होता है।

संघ लोक सेवा अयोग (UNION PUBLIC SERVICE


COMMISSION)

सवं ैधाशनक प्रावधान


 भारतीय संशवधान के भाग 14 में ऄनुच्छे द 315 के तहत एक स्वायत्त व संवैधाशनक संस्था के रूप
में संघ लोक सेवा अयोग का प्रावधान शकया गया है।
 ऄनुच्छे द 315 से 323 तक अयोग के संगठन सदस्यों की शनयुशक्त एवं पद मुशक्त स्वतंत्रता िशक्त व
कायों का वणान शकया गया है।

संरचना/ गठन/ कायाकाल

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 संघ लोक सेवा अयोग एक ऄध्यक्ष और कुछ ऄन्य सदस्यों द्वारा शमलकर गशठत होती है सदस्य
संख्या शनधााररत नहीं।
 सदस्य सख्ं या को शनधााररत करने का ऄशधकार राष्ट्रपशत को है।
 अयोग के अधे सदस्यों के शलए भारत सरकार ऄथवा राज्य सरकार के ऄधीन काया का कम से
कम 10 वषा का ऄनुभव होना अवश्यक है।
 ऄध्यक्ष व ऄन्य सदस्यों की सेवा ितें राष्ट्रपशत द्वारा शनधााररत की जाती हैं।
 अयोग के ऄध्यक्ष व सदस्य पद ग्रहण की तारीख से 6 वषा की ऄवशध या 65 वषा की अयु
आनमें जो भी पहले हो तक पद धारण करते हैं।

बखाास्त एवं शनलबं न


1. स्वेच्छा से शकसी भी समय राष्ट्रपशत को संबोशधत कर पद त्याग सकते हैं।
2. कायाकाल से पूवा राष्ट्रपशत द्वारा सदस्य को शनम्न प्रशिया द्वारा हटाया जा सकता है
 यशद ईसे शदवाशलया घोशषत शकया जाता है
 यशद वह पद ऄवशध के दौरान शकसी ऄन्य वैतशनक शनयोजन में लगा हो।
 राष्ट्रपशत की दृशि में मानशसक एवं िारीररक ऄक्षमता के कारण काया शनवाहन न कर सके ।
 ऄध्यक्ष व सदस्यों को दुर्वयावहार और कदाचार के अधार पर भेजें पद से हटाया जा सकता है
ऐसे मामलों की जांच के ईपरांत ईच्चतम न्यायालय हटाने का प्रमाण दे सकती है जो राष्ट्रपशत
के शलए बाध्यकारी है।

काया एवं िशक्तयां


 यह ऄशखल भारतीय सेवाओ ं कें द्रीय सेवाओ ं और कें द्र िाशसत क्षेत्रों की लोक सेवाओ ं में
शनयुशक्त के शलए परीक्षाओ ं का अयोजन करता है।
 अयोग परीक्षा के पाठ्यिम एवं परीक्षा प्रशिया का शनधाारण करता है।
 सरकारी सेवकों की भती के तरीकों के संबंध में मामलों पर पदोन्नशत व ऄनुिासनात्मक
मामलों पर तथा काननू ी खचा की प्रशतपशू ता पर व िासकीय सेवाओ ं के दौरान घायल होने पर
पेंिन के मामलों पर परामिा देता है।

ऄन्य तथ्य
 संघ लोक सेवा अयोग भारत में कें द्रीय भती ऄशधकरण है।
 संसद के द्वारा आसकी काया क्षेत्र में वृशि की जा सकती है।
 ऄध्यक्ष को या सदस्य को पनु ः शनयुक्त ऄथवा दूसरे कायाकाल के शलए चुना जा सकता है।

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 संघ लोक सेवा अयोग के ऄध्यक्ष एवं सदस्यों के वेतन एवं भत्ते भारत की संशचत शनशध पर
भाररत होती है।

4. राज्य लोक सेवा अयोग (STATE PUBLIC SERVICE


COMMISSION )

संवैधाशनक प्रावधान
 संशवधान के भाग 14 में ऄनुच्छे द 315 से 323 तक राज्य लोक सेवा अयोग की स्वतंत्रता िशक्त
गठन व सदस्यों की शनयुशक्त तथा बखाास्तगी के बारे में ईल्लेख है।

संरचना गठन कायाकाल वेतन भत्ते


 राज्य के राज्यपाल द्वारा एक ऄध्यक्ष व ऄन्य सदस्यों की शनयुशक्त की जाती है।
 अयोग के अधे सदस्यों को कें द्र ऄथवा राज्य सरकार के ऄधीन न्यूनतम 10 वषा काया करने का
ऄनुभव होना अवश्यक है।
 ऄध्यक्ष व ऄन्य सदस्य पद ग्रहण की तारीख से 6 वषा या 62 वषा की अयु तक पद धारण कर
सकते हैं।
 ऄध्यक्ष की ऄनुपशस्थशत में राज्यपाल द्वारा शनयुक्त कायावाहक ऄध्यक्ष द्वारा काया संपन्न होता है।
 राज्य लोक सेवा अयोग के ऄध्यक्ष व सदस्यों के वेतन एवं भत्ते राज्यों की संशचत शनशध भाररत
होते हैं।

सदस्यों को हटाने की प्रशिया


 ऄध्यक्ष व सदस्य कभी भी राज्यपाल को त्यागपत्र सौंप सकते हैं।
 अयोग के ऄध्यक्ष व सदस्यों की शनयुशक्त राज्यपाल करता है लेशकन पद से के वल राष्ट्रपशत ही
हटा सकता है।
 राष्ट्रपशत ईसी रीशत से ऄध्यक्ष व सदस्यों को पद से हटाता है शजस रीशत से सघं लोक सेवा
अयोग के ऄध्यक्ष व सदस्यों को।
 कदाचार के अधार पर पद से हटाने संबंधी मामले में राष्ट्रपशत ईच्चतम न्यायालय से सलाह
लेता है यह सलाह बाध्यकारी है।

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5. भारत का शनयंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (COMPTROLLER AND


AUDITOR GENERAL OF INDIA)

संवैधाशनक प्रावधान
 भारतीय संशवधान का ऄनुच्छे द 148 – 151 भारत के शनयंत्रक एवं महालेखा परीक्षक से संबंशधत
है।
 यह लोक शवत्त का संरक्षक एवं लेखा परीक्षण व लेखा शवभाग का मुशखया होता है।
 साथ ही आसका शनयंत्रण कें द्र व राज्य दोनों स्तरों पर पाया जाता है।
 डॉ. ऄंबेडकर ने शनयंत्रक एवं महालेखा परीक्षक को भारतीय संशवधान के ऄंतगात सवााशधक
महत्वपूणा पदाशधकारी की संज्ञा दी है।

शनयुशक्त/ योग्यता/ पद शवमुशक्त/ वेतन – भत्ते


 शनयुशक्त राष्ट्रपशत द्वारा व कायाकाल 6 वषा या 65 वषा तक
 त्यागपत्र राष्ट्रपशत को
 सशं वधान में योग्यता का ईल्लेख नहीं सस ं द द्वारा कानून बनाकर योग्यता का शनधाारण शकया
गया है।
 पद शवमुशक्त सवोच्च न्यायालय के न्यायाधीि को पद से हटाने की शवशध के समान।ऄतः संसद
के दोनों सदनों द्वारा शविेष बहुमत के साथ ईसके दुर्वयावहार या ऄयोग्यता पर प्रस्ताव पास कर
ईसे हटाया जा सकता है।
 सवोच्च न्यायालय के न्यायाधीि के बराबर वेतन।
 आसका वेतन भत्ता और पेंिन भारत की संशचत शनशध भाररत होता है।

काया एवं िशक्तयां


 ऄनच्ु छे द 149 के तहत शनयंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के काया एवं िशक्तयों के बारे में प्रावधान
शकया गया है शक
 आसके द्वारा भारत की संशचत शनशध, लोक लेखा शनशध के साथ साथ अकशस्मकता शनशध के सभी
प्रकार के र्वयय का लेखा परीक्षण शकया जाता है।
 खचा होने वाले धन का लेखा परीक्षण करने के दो अधार हैं
1. ईद्देश्य शजस ईद्देश्य से सरकारी धन शनगात हुअ है ईसी के शलए खचा शकया गया है ऄथवा

नहीं

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2. ऄशत र्वययता सरकारी धन खचा करने में धन के ऄत्यशधक दुरुपयोग पर कै ग जांच के बाद
ररपोटा तैयार करता है।
कै ग की ररपोटा ---- राष्ट्रपशत या राज्यपाल ---- सस
ं द/ शवधान मंडल के प्रत्येक सदन ----- लोक लेखा
सशमशत ----- शनष्ट्कषा

ऄन्य तथ्य
 र्वयवहार में कै ग की ररपोटा भ्रिाचार रोकने का प्रमुख साधन है आस ररपोटा के अधार पर
न्यायालय में कायावाही की जा सकती है।
 भारत में शनयंत्रक एवं महालेखा परीक्षक को लोक लेखा सशमशत के शमत्र, दािाशनक एवं पथ
प्रदिाक की संज्ञा दी जाती है।

6. नीशत अयोग (NATIONAL INSTITUTE


FOR TRANSFORMING INDIA)

 नीशत अयोग का गठन कें द्र सरकार द्वारा 1 जनवरी 2015 को योजना अयोग के स्थान पर
शकया गया
 यह सरकार के शथंक टैंक के रूप में सेवाएं देगा और कें द्र व राज्य सरकारों की नीशत शनधाारण के
सबं ध
ं में प्रासशं गक, महत्वपण
ू ा एवं तकनीक परामिा ईपलब्ध कराएगा।

संरचना
 भारत के प्रधानमंत्री ऄध्यक्ष, गवशनंग काईंशसल में सभी राज्यों के मुख्यमंत्री और सघं राज्य
क्षेत्रों के ईपराज्यपाल
 शजन कें द्र िाशसत प्रदेिों में शवधानसभा है वहां के मुख्यमंत्री
 शवशिि मुद्दों और ऐसे अकशस्मक मामले की शजनका सबं ध ं एक से ऄशधक राज्य या क्षेत्र से हो
को देखने के शलए क्षेत्रीय पररषदें
 शविेष अमंशत्रत सदस्य शवशभन्न क्षेत्रों के शविेषज्ञ प्रधानमंत्री द्वारा नाशमत
 पूणाकाशलक संगठनात्मक ढांचे में प्रधानमंत्री के ऄध्यक्ष होने के ऄलावा शनम्न होंगे
 ईपाध्यक्ष प्रधानमंत्री द्वारा शनयुक्त

 सदस्य पूणाकाशलक

 ऄंिकाशलक सदस्य ऄग्रणी शवश्वशवद्यालय, िोध संस्थानों और ऄन्य सुसंगत संस्थाओ ं

से ऄशधकतम दो पदेन सदस्य

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 ऄंिकाशलक सदस्य बारी के अधार पर होंगे


 पदेन सदस्य कें द्रीय मंत्री पररषद से ऄशधकतम 4 सदस्य प्रधानमंत्री द्वारा नाशमत

 मुख्य काया कारी ऄशधकारी भारत सरकार के सशचव स्तर का ऄशधकारी शनशित

कायाकाल हेतु प्रधानमंत्री द्वारा शनयुक्त


 सशचवालय का गठन अवश्यकता के ऄनुसार शकया जाएगा।

ईद्देश्य / काया
 शवकास प्रशिया में शनदेि और रणनीशतक परामिा देना
 सहयोगात्मक सघं वाद का शवकास करना।
 ग्राम स्तर पर र्वयावहाररक योजना बनाने में सहयोग एवं योजनाओ ं के ईत्तरोत्तर शवकास में मदद
करना।
 कायािमों और नीशतयों के कायाान्वयन हेतु प्रौद्योशगकी व क्षमता शनमााण का शवकास करना।
 दीघाकालीन योजना कायािम शनमााण और समयानस ु ार अवश्यक पररवतान अशद करना।

7. राष्ट्रीय मानवाशधकार अयोग (NATIONAL


HUMAN RIGHTS COMMISSION)

सामान्य पररचय
 राष्ट्रीय मानवाशधकार अयोग का गठन मानव ऄशधकार संरक्षण ऄशधशनयम 1993 के तहत शकया
गया।
 यह एक सांशवशधक स्वायत्त शनकाय है।
 आसका गठन संसदीय ऄशधशनयम के माध्यम से शकया गया है।
 ईद्देश्य मानवाशधकार संरक्षण के प्रयासों को सिक्त एवं शनष्ट्पक्ष बनाना, व एक स्वतंत्र संस्था के
रूप में मानवाशधकारों के ईल्लघं न से जुडे मुद्दों पर सरकार का ध्यान अकृि करना।
 आसका प्रधान कायाालय शदल्ली में शस्थत है।
 यह अयोग ईन मामलों की जांच कर सकता है शजन्हें घशटत हुए 1 वषा से कम समय हुअ हो।
 प्रशतवषा 10 शदसंबर को ऄंतरराष्ट्रीय मानवाशधकार शदवस के रुप में मनाया जाता है।

अयोग की संरचना तथा अयोग के ऄध्यक्ष व ऄन्य सदस्यों की शनयुशक्त


 अयोग एक बहु सदस्यीय सस्ं था है शजनमें शनम्नशलशखत सदस्य िाशमल शकए जाते
 एक ऄध्यक्ष जो ईच्चतम न्यायालय (SC) का मुख्य न्यायमूशता रहा हो

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 एक सदस्य जो ईच्चतम न्यायालय का न्यायाधीि है या रहा है


 एक सदस्य जो शकसी ईच्च न्यायालय (HC) का मुख्य न्यायमूशता है या रहा है

 2 सदस्य जो ऐसे र्वयशक्तयों में से शनयुक्त शकए जाएग ं े शजन्हें मानवाशधकारों से सबं शं धत शवषयों
का ज्ञान या र्वयावहाररक ऄनुभव है।
 आन स्थाइ सदस्यों के ऄशतररक्त राष्ट्रीय मानवाशधकार अयोग के चार पदेन सदस्य भी होते हैं जो आस

प्रकार हैं
1. राष्ट्रीय ऄल्पसख् ं यक अयोग का ऄध्यक्ष
2. राष्ट्रीय मशहला अयोग के ऄध्यक्ष

3. राष्ट्रीय ऄनुसूशचत जाशत अयोग का ऄध्यक्ष


4. राष्ट्रीय ऄनसु शू चत जनजाशत अयोग का ऄध्यक्ष।
 अयोग के सदस्यों और ऄध्यक्ष की शनयुशक्त राष्ट्रपशत द्वारा प्रधानमंत्री के नेतृत्व में गशठत 6 सदस्य

सशमशत की शसफाररि पर की जाती है


 आस चयन सशमशत में

1. प्रधानमंत्री,

2. लोकसभा ऄध्यक्ष,

3. राज्यसभा ईपसभापशत,

4. दोनों सदनों में शवपक्षी नेता और कें द्रीय गृह मंत्री होते हैं।

अयोग के काया
मानवाशधकार के ईल्लंघन से संबंशधत मामलों की जांच करना।
 शजलों एवं बंदी गृहों में जाकर वहां की शस्थशत देखना व सुधार हेतु ऄनुिंसा करना।
 मानव ऄशधकार से संबंशधत ऄंतरराष्ट्रीय संशध समझौतों का प्रभावी शियान्वयन ।
 मानवाशधकार संरक्षण हेतु शवशधक ईपायों के प्रशत जन जागरूकता पैदा करना।

 न्यायालयों में लंशबत मानवाशधकारों जै से शहस ं ा संबंधी मामलों में हस्तक्षेप करना।
 मानवाशधकारों के क्षेत्र में कायारत गैर सरकारी संगठनों के प्रयासों की सराहना करना।
 जांच के सबं ध
ं में काया
1. गवाहों को ऄपने पास बुला कर परीक्षण करना

2. शकसी भी दस्तावेज को ऄपने समक्ष मंगवाना

3. न्यायालय के ऄशभलेख ररकॉडा मंगा सकता है

4. िपथपत्र पर गवाही ले सकता है।

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वेतन/ कायाकाल/ पद मुशक्त


 ऄध्यक्ष व सदस्यों का कायाकाल 5 वषा या 70 वषा की ईम्र तक होता है।
 काया काल समाशि के बाद कें द्रीय या राज्य सरकार के ऄधीन शकसी पद के योग्य नहीं।

 वेतन भत्ते कें द्र सरकार द्वारा शनधाा ररत एवं

 ऄध्यक्ष या सदस्य की शनयुशक्त के पिात वेतन भत्तों एवं सेवा ितों अशद में कोइ ऄलाभकारी
पररवतान नहीं।
 ऄध्यक्ष या सदस्य को कदाचार या क्षमता के अधार पर राष्ट्रपशत हटा सकता है लेशकन ऐसा करने

से पहले वह ईच्चतम न्यायालय में जांच हेतु मामलों को सौंपेगा। जांच की पशु ि होने पर पद मुक्त
शकया जा सकता है।

8. राष्ट्रीय मशहला अयोग (NATIONAL


WOMEN COMMISSION)

सामान्य पररचय
 राष्ट्रीय मशहला अयोग एक सांशवशधक शनकाय हैं। आसका गठन जनवरी 1992 में मशहला
सिशक्तकरण को प्रभावी बनाने हेतु राष्ट्रीय मशहला अयोग ऄशधशनयम 1990 के तहत शकया
गया।
 अयोग की पहली ऄध्यक्ष श्रीमती जयंती पटनायक थी।
 भारत सरकार का मशहला एवं बाल शवकास मंत्रालय आस अयोग का नोडल मंत्रालय है।
 अयोग का मुख्य ईद्देश्य मशहलाओ ं के शलए संवैधाशनक और कानूनी सुरक्षा ईपायों की समीक्षा
करना व ईपचारात्मक शवधायी, ईपायों की शसफाररि तथा शिकायतों के शनवारण में वृशि करना
है।

संरचना
 यह अयोग बहु सदस्यीय है आसमें एक ऄध्यक्ष 5 सदस्य तथा एक सदस्य सशचव होता है।
 ऄध्यक्ष सदस्य और सशचव का नामांकन मशहला एवं बाल शवकास मंत्रालय द्वारा शकया जाता
है।
 वेतन भत्ते पेंिन तथा सेवा ितों का शनधाारण कें द्र सरकार द्वारा शकया जाता है।

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कायाकाल
 ऄध्यक्ष और सदस्यों का कायाकाल 3 वषा का होता है शकंतु स्वेच्छा से भी कें द्र सरकार को ऄपना
त्यागपत्र दे सकते हैं।
 पदच्युशत
 कें द्र सरकार ऄध्यक्ष या ईसके शकसी सदस्य को ईसके पद से हटा सकती है यशद वह

र्वयशक्त
 शदवाशलया घोशषत शकया गया हो ।

 सक्षम ऄदालत द्वारा मानशसक रूप से ऄस्वस्थ घोशषत शकया गया हो।

 काया करने में ऄक्षम हो।

 शकसी ऄपराध हेतु दोष शसि हो गया हो ऄथवा कें द्र सरकार की नजर में ऄनैशतक हो।

 अयोग की लगातार तीन बैठकों में ऄनुपशस्थत रहा हो।

काया एवं िशक्तयां


 मशहलाओ ं के शलए ईपलब्ध कराए गए सवं ैधाशनक ऄशधकारों हेतु सुरक्षा ईपाय करना वह ईसके
संबंध में सरकार को सलाह देना।
 मशहलाओ ं संबंधी वतामान कानूनों की समीक्षा करना तथा अवश्यक संिोधन हेतु सुझाव देना।
 कायास्थल पर यौन ईत्पीडन या िोषण जैसी र्वयशक्तगत शिकायतों की जांच के संदभा में ईपयुक्त
ऄशधकारी को सशू चत करना।
 बहुसंख्यक मशहलाओ ं को प्रभाशवत करने वाले प्रश्नों से संबंशधत मुकदमों के शलए धन ईपलब्ध
कराना।
 यह अयोग शसशवल न्यायालय की िशक्तयां धारण करता है यह शकसी भी र्वयशक्त या ऄशधकारी
को सम्मन जारी कर सकता है।

9. राष्ट्रीय बाल ऄशधकार सरं क्षण अयोग (NATIONAL


CHILD RIGHT PROTECTION COMMISSION)

 बाल ऄशधकार संरक्षण ऄशधशनयम 2005 के तहत माचा 2007 में राष्ट्रीय बाल ऄशधकार संरक्षण
अयोग की स्थापना की गइ।
 ऄशधशनयम के ऄंतगात संयुक्त राष्ट्र संघ समझौता (20 नवंबर 1989) द्वारा बच्चों के ऄशधकारों को
िाशमल शकया गया है।

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 अयोग के ऄध्यक्ष का पद ईस र्वयशक्त के शलए अरशक्षत होता है शजसने बालकल्याण संवधान के


शलए ईत्कृि काया शकया हो।
 ऄध्यक्ष का चुनाव करने वाली सशमशत में
1. प्रधानमंत्री,

2. दोनों सदनों के शवपक्ष के नेता,

3. गृह मंत्री एवं

4. मानव सस ं ाधन शवकास मंत्री होते हैं।


 ऄध्यक्ष के ऄलावा 6 सदस्य, शजनमें कम से कम 2 मशहलाओ ं का होना अवश्यक
 शजसकी शनयुशक्त कें द्र सरकार द्वारा प्रशतशित, सक्षम, आमानदार, ख्याशत प्राि तथा ऄनुभव रखने
वाले र्वयशक्तयों में से की जाती है
1. शिक्षा

2. बाल स्वास्थ्य देखभाल कल्याण और बाल शवकास

3. शकिोर न्याय या ईपेशक्षत या वशं चत बच्चों की देखभाल या शनिक्त बच्चे

4. बाल श्रम या बच्चों में तनाव का ईन्मूलन


5. बाल मनोशवज्ञान या सामाशजक शवज्ञान और
6. बच्चों से सबं शं धत कानून।

कायाकाल एवं पदच्युशत


 ऄध्यक्ष व सदस्यों का कायाकाल 3 वषा है एवं दो से ऄशधक कायाकाल हेतु शनयुशक्त नहीं।
 ऄध्यक्ष 65 वषा व सदस्य 60 वषा तक पद पर बने रहते हैं।
 ऄध्यक्ष या सदस्य कें द्र सरकार को सुरक्षा से ऄपना त्यागपत्र दे सकते हैं।
 कदाचार एवं ऄक्षमता के अधार पर सरकार पद से हटा सकती है।

10. राष्ट्रीय ऄल्पसंख्यक अयोग NATIONAL


MINORITY COMMISSION

ऄशधशनयम एवं सरं चना


 राष्ट्रीय ऄल्पसंख्यक अयोग ऄशधशनयम 1992 के द्वारा राष्ट्रीय ऄल्पसंख्यक अयोग का गठन
वषा 1993 में शकया गया।

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 यह ऄशधशनयम ऄल्पसंख्यक िब्द को पररभाशषत नहीं करता शकंतु कें द्र सरकार को िशक्त प्रदान
करता है शक वह ऄल्पसंख्यकों को ऄशधसूशचत करें।
 अयोग में एक ऄध्यक्ष एक ईपाध्यक्ष व पांच ऄन्य सदस्य सशम्मशलत होते हैं।
 1993 में 5 धाशमाक समुदाय मुशस्लम, इसाइ, शसख, बौि व पारसी तथा जनवरी 2014 में जैन
समुदाय को भी ऄल्पसंख्यक वगा में िाशमल शकया गया।

कायाकाल एवं पदच्युशत


1. ऄध्यक्ष व सदस्यों का कायाकाल 3 वषा तक का होता है।
2. ऄध्यक्ष या सदस्य कें द्र सरकार को सबं ोशधत करते अग पत्र दे सकते हैं।
3. कायाकाल से पूवा शदवाशलया मानशसक रूप से ऄस्वस्थ काया करने में ऄक्षम ऄपराध शसि
अशद की शस्थशत में पाए जाने पर हटाया जा सकता है।
4. अयोग की लगातार तीन बैठकों में ऄनुपशस्थत होने पर।

अयोग की िशक्तया एवं काया


 सघं एवं राज्यों के ऄल्पसख् ं यकों के शवकास की प्रगशत का मूल्यांकन करना।
 संशवधान द्वारा प्रदत्त ईपायों और संसद द्वारा पाररत कानूनों एवं राज्य शवधान मंडल द्वारा ईपलब्ध
कराए गए सुरक्षा ईपायों के काम की शनगरानी करना।
 ऄल्पसंख्यकों के ऄशधकारों एवं संरक्षा से ईनको वंशचत करने के मामले पर शवचार करना व
सबं शं धत प्राशधकारी के समक्ष रखना।
 ऄल्पसंख्यकों के प्रशत भेदभाव से जुडी समस्याओ ं का ऄध्ययन करना तथा समाधान हेतु ईपाय
सुझाना।
 सबं शं धत मामलों की जांच हेतु शसशवल ऄदालत की िशक्तयां प्राि होती है शजसमें शकसी र्वयशक्त को
हाशजर करना िपथ पत्र पर साक्ष्य प्राि करना ऄदालत से सावाजशनक ररकॉडा की मांग करना
अशद िाशमल है।

11. राष्ट्रीय शपछडा वगा अयोग (NATIONAL


COMMISSION FOR BACKWARD CLASSES)

ऄशधशनयम एवं संरचना


 ऄशधशनयम के तहत गशठत

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 ईच्चतम न्यायालय के शनदेि पर भारत सरकार द्वारा 1993 में राष्ट्रीय शपछडा वगा अयोग
ऄशधशनयम के तहत राष्ट्रीय शपछडा वगा अयोग का गठन शकया गया।
 एक ऄध्यक्ष जो सवोच्च न्यायालय या ईच्च न्यायालय का न्यायाधीि होता है।
 एक समाज शवज्ञानी, शपछडे वगों के बारे में शविेष जानकारी रखने वाले 2 सदस्य तथा 1 सदस्य
सशचव जो भारत सरकार के सशचव स्तर का कें द्र सरकार का ऄशधकारी होता है।

ऄध्यक्ष और सदस्यों की पदावशध और सेवा की ितें


 प्रत्येक सदस्य ऄपने पद ग्रहण की तारीख से 3 वषा की ऄवशध तक पर धारण करता है।
 सदस्य शकसी भी समय कें द्र सरकार को सबं ोशधत ऄपने हस्ताक्षर सशहत लेख द्वारा यथाशस्थशत
ऄध्यक्ष या सदस्य का पद त्याग सके गा।
 कें द्र सरकार शकसी र्वयशक्त को सदस्य के पद से हटा देगी यशद वह र्वयशक्त
 शदवाशलया हो जाता है
 शकसी न्यायालय के द्वारा ईसे दशं डत शकया जाता है ऄथवा शकसी सक्षम न्यायालय के द्वारा ईसे
मानशसक ऄस्वस्थ गोशषत कर शदया जाता है।
 यशद ऄनुमशत के शबना अयोग की बैठकों में भाग न ले रहा हो ऄथवा ईसका पद पर बने रहना
शपछडे वगों के शहतों के प्रशतकूल हो।

काया एवं िशक्तयां


 शपछडे वगा के शलए सवं ैधाशनक सरं क्षण भली-भांशत रूप से लागू हो रहा है या नहीं आसकी जांच
करना आनके भली-भांशत शियान्वयन के शलए सरकार को शसफाररि करना।
 कौन सी जाशत शपछडे वगा में सशम्मशलत होगी और कौन सी नहीं आस मामले में सरकार को परामिा
देना।
 शपछडे वगों के कल्याण के शलए चलाए जा रहे कायािमों की जांच करना तथा ईनके भली-भांशत
संचालन के शलए सरकार को परामिा देना।
 िीमी लेयर की धन सीमा के बारे में सरकार को परामिा देना।
 शपछडे वगों में ऄशधकारों के प्रशत जागरूकता ईत्पन्न करना।
 ऄनुच्छे द 340 (2) के ऄनुसार कायों का वाशषाक प्रशतवेदन अयोग राष्ट्रपशत को देगा और
राष्ट्रपशत आस प्रशतवेदन को संसद के समक्ष रखेगा।

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12. राष्ट्रीय ऄनुसशू चत जाशत अयोग (NATIONAL


COMMISSION FOR SCHEDULED CASTE)

संवैधाशनक प्रावधान
 भारतीय संशवधान का ऄनुच्छे द 338 ऄनुसूशचत जाशतयों के शलए एक शविेष ऄशधकारी की
शनयुशक्त का ईपबंध करता हैजो ऄनुसूशचत जाशतयों एवं जनजाशतयों के संवैधाशनक संरक्षण से
संबंशधत सभी मामलों का शनरीक्षण करें तथा ईससे संबंशधत प्रशतवेदन राष्ट्रपशत के समक्ष प्रस्तुत
करें।
 वषा 1978 में कै शबनेट प्रस्ताव द्वारा ऄनुसूशचत जाशत एवं ऄनुसूशचत जनजाशत अयोग की स्थापना
की गइ शफर 1987 में सरकार ने अयोग के कायों में संिोधन शकया तथा अयोग का नाम
बदलकर राष्ट्रीय ऄनस ु शू चत जाशत एवं ऄनसु शू चत जनजाशत अयोग कर शदया।
 बाद में 65 वें संशवधान संिोधन ऄशधशनयम 1990 द्वारा ऄनुसूशचत जाशतयों एवं जनजाशतयों के
शलए एक शविेष ऄशधकारी के स्थान पर एक ईच्च स्तरीय बहु सदस्यीय राष्ट्रीय ऄनुसूशचत जाशत
एवं ऄनुसूशचत जनजाशत अयोग की स्थापना की गइ।
 89 वें संशवधान संिोधन ऄशधशनयम 2003 के द्वारा आसे पुन: दो भागों में बांट शदया गया और
पृथक पृथक दो अयोग िमिः
1. राष्ट्रीय ऄनुसूशचत जाशत ऄनुच्छे द 338 और

2. राष्ट्रीय ऄनस ु शू चत जनजाशत अयोग ऄनच्ु छे द 338 (क) ऄशस्तत्व में अए।
3. ऄशधशनयम वषा 2004 से प्रभावी हुअ।

सदस्यों का कायाकाल
 आस अयोग में एक ऄध्यक्ष एक ईपाध्यक्ष व तीन ऄन्य सदस्य होते हैं शजनकी शनयुशक्त राष्ट्रपशत
द्वारा होती है।
 आनकी सेवा ितें एवं कायाकाल राष्ट्रपशत द्वारा शनधााररत शकए जाते हैं।
 शनयमानुसार आनका कायाकाल 3 वषा का होता है।

अयोग के काया
 संशवधान में ऄनुसूशचत जाशतयों से संबंशधत प्रावधानों के साथ समय-समय पर ईनके शलए बनाए
गए कानूनों का शियान्वयन करना व आनका शनरीक्षण ऄधीक्षण व समीक्षा भी करना।

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 ऄनस ु ूशचत जाशतयों के संरक्षण एवं ईनके ऄशधकारों के ईल्लंघन से संबंशधत शकन्हीं शविेष
शिकायतों की जांच करना।
 सरं क्षण हेतु शकए गए कायों की वाशषाक ररपोटा राष्ट्रपशत को सौंपना।
 संरक्षण कल्याण एवं सामाशजक अशथाक शवकास हेतु ऄन्य ईपायों की शसफाररि करना।
 ऄत्याचार एवं ईत्पीडन के मामलों में स्वत: संज्ञान के माध्यम से कायावाही िुरू करना।

अयोग की िशक्तयां
 अयोग को शसशवल कोटा की िशक्तयां प्राि है। आससे संबंशधत शनम्नशलशखत ऄशधकार प्राि है
1. भारत के शकसी भी भाग में शकसी र्वयशक्त को सम्मन जारी करना।

2. शकसी साक्षी की खोज करवाना एवं ईसे पेि करवाना।

3. िपथ पत्रों पर साक्ष्य ग्रहण करना।

4. शकसी न्यायालय या कायाा लय से शकसी लोक ऄशभलेख या ईसकी प्रशत को प्राि करना।

5. गवाहों एवं दस्तावेजों के परीक्षण के शलए सम्मन जारी करना।

 राष्ट्रपशत द्वारा शवशध के माध्यम से शनधाा ररत कोइ ऄन्य मामला।

1. अयोग की ररपोटा ----- राष्ट्रपशत----- संसद के प्रत्ये क सदन------ स्वीकृशत/ऄस्वीकृत कानूनों

को स्पि करने वाले ज्ञापन सशहत।


राज्य सरकार संबंधी ररपोटा ------ संबंशधत राज्य के राज्यपाल------- राज्य शवधानमंडल के समक्ष -------
-- स्वीकृशत/ऄस्वीकृत करने का कारण सशहत ज्ञापन।

13. राष्ट्रीय ऄनुसशू चत जनजाशत अयोग (NATIONAL


COMMISSION FOR SCHEDULED TRIBE)

सवं ैधाशनक प्रावधान


 65 वें संशवधान संिोधन ऄशधशनयम 1990 द्वारा ऄनुसूशचत जाशत एवं ऄनुसूशचत जनजाशतयों के
शलए एक पृथक अयोग की स्थापना की गइ।
 89 वें संशवधान संिोधन 2003 द्वारा ऄनुच्छे द 338 में संिोधन कर ऄनुच्छे द 338 क लाया गया।

अयोग की संरचना एवं सदस्यों का कायाकाल


 आस अयोग का गठन एक ऄध्यक्ष व ईपाध्यक्ष व तीन ऄन्य सदस्यों से शमलकर होता है।
 अयोग के सभी सदस्य राष्ट्रपशत के अदेि एवं मुहर लगे अदेि द्वारा शनयुक्त शकए जाते हैं।

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 सेवा ितों का कायाकाल का शनधाारण भी राष्ट्रपशत द्वारा शकया जाता है।


 वतामान में आसमें सशम्मशलत सदस्य शनम्नशलशखत हैं
1. ऄध्यक्ष श्री नदं कुमार साइ ं
2. ईपाध्यक्ष श्रीमती ऄनुसुआया ईआके

अयोग के काया
 जनजाशतयों को प्राि संवैधाशनक संरक्षण की समीक्षा करना।
 जनजाशतयों को संशवधान में शदए गए ऄशधकार शकस प्रकार से प्राि हो ईसके बारे में सरकार को
परामिा देना।
 जनजाशतयों के ऄशधकारों के हनन की शस्थशत की जांच करना।
 राष्ट्रपशत को जनजाशतयों के ऄशधकारों व शवकास के बारे में प्रशतवषा ररपोटा देना।

ऄन्य काया
 वन क्षेत्र की शनवासी जनजाशतयों को लघु वनोपज पर स्वाशमत्व का ऄशधकार देना।
 कानून द्वारा जनजातीय समुदायों के खशनज तथा जल सस ं ाधनों अशद पर ऄशधकार को सुरशक्षत
रखने के ईपाय करना।
 जनजाशतयों के शवकास तथा वन्य अजीशवका हेतु रणनीशतयों का शनधाारण करना।
 ऐसे समुदाय में वन सुरक्षा व सामाशजक वाशनकी में ऄशधक सहयोग के ईपाय करना।
 पेिा ऄशधशनयम 1996 का परू ी कायाान्वयन सशु नशित करना।
 जनजातीय समूहों के पुनवाास संबंधी कायों को प्रभावी बनाना।

अयोग की िशक्तयां
 आस अयोग की िशक्तयां भी शसशवल कोटा के ही समान है।
 आस अयोग की िशक्तयां राष्ट्रीय ऄनुसूशचत जाशत अयोग से ही समान है।

अयोग की ररपोटा -------- राष्ट्रपशत-------- सस


ं द के प्रत्येक सदन--------- स्वीकृत या ऄस्वीकृत
कानूनों को स्पि करने वाले ज्ञापन सशहत
राज्य सरकार संबंधी ररपोटा -------- संबंशधत राज्य के राज्यपाल---------- राज्य शवधानमंडल के समक्ष---
------- स्वीकृत या ऄस्वीकृत करने वाले कारणों का स्पि ज्ञापन।

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14. कें द्रीय सतका ता अयोग (CENTRAL VIGILANCE


COMMISSION)

सांशवशधक प्रावधान
 भ्रिाचार रोकने के शलए कें द्र सरकार द्वारा बनाइ गइ संथानम सशमशत की शसफाररि पर 1964 में
कें द्र सरकार द्वारा संबंशधत प्रस्ताव पाररत कर अयोग की स्थापना की गइ।
 ईच्चतम न्यायालय के शनणाय ऄनुसार अयोग को कें द्रीय सतका ता अयोग ऄध्यादेि 1998 के
द्वारा सांशवशधक दजाा शदया गया है।
 आससे संबंशधत शवधेयक 2003 में संसद के दोनों सदनों द्वारा पाररत शकया गया व राष्ट्रपशत की
मंजूरी शमलने के पिात या अयोग ऄशधशनयम प्रभाव में अया।
 भारत सरकार द्वारा 2004 में आस अयोग को नाशमत एजेंसी के रूप में ऄशधकृत शकया गया है।

संरचना
 यह एक बहु सदस्यीय सस्ं था है आसमें ऄध्यक्ष के रूप में एक कें द्रीय सतका ता अयुक्त व दो या दो
से कम सतका ता अयुक्त होते हैं।
 ऄध्यक्ष व सदस्यों की शनयुशक्त राष्ट्रपशत द्वारा एक सशमशत की शसफाररि के अधार पर की जाती

है।
 चयन सशमशत में शनम्नशलशखत सदस्य होते हैं

1. प्रधानमंत्री

2. कें द्रीय गृह मंत्री तथा

3. लोकसभा में शवपक्ष का नेता।

कायाकाल एवं वेतन भत्ते


 ऄध्यक्ष तथा सदस्यों का कायाकाल 4 वषा या 65 वषा तक का होता है।
 कायाकाल की समाशि के पिात ऄध्यक्ष व सदस्य पुन: शनयुशक्त के पात्र नहीं होते हैं।
 ऄध्यक्ष व सदस्य का ऄशखल भारतीय सेवा में या सघं की शकसी शसशवल सेवा में शसशवल पद
पर रह चुके होने का अवश्यक ऄनुभव ऄशनवाया है।
 कें द्रीय सतका ता अयुक्त तथा सतका ता अयुक्त के वेतन, भत्ते एवं ऄन्य सेवा ितें संघ लोक सेवा
अयोग के ऄध्यक्ष व सदस्यों के समान होती है।

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 शनयुशक्त के पिात वेतन भत्तों में ऄलाभकारी पररवतान नहीं शकया जा सकता है।

पदच्युशत के अधार
 राष्ट्रपशत कें द्रीय सतका ता अयुक्त या ऄन्य शकसी भी सतका ता अयुक्त को ईसके पद से शकसी भी
समय शनम्नशलशखत पररशस्थशतयों में हटा सकते हैं
 यशद वह शदवाशलया घोशषत हो या
 नैशतक चररत्र हीनता के अधार पर शकसी ऄपराध में दोषी पाया गया हो या
 ऄपनी पद ऄवशध के दौरान ऄपने पद के कतार्वयों से बाहर शकसी वेतन पाने वाले शनयोजन में
लगा हुअ हो या
 ईसने ऐसे शवत्तीय या ऄन्य शहत ऄशजात शकए हो शजससे ईसके कें द्रीय सतका ता अयुक्त के रूप में
कृत्यों पर प्रशतकूल प्रभाव पडने की संभावना हो।

काया एवं िशक्तयां


 यह अयोग ऐसे सभी शिकायतों के संबंध में जांच करता है शजसमें शकसी िासकीय ऄशधकारी पर
ऄनुशचत ईद्देश्य या भ्रि अचरण का अरोप लगाया गया हो।
 जनशहत प्रकटीकरण तथा मुखशबर संरक्षण के ऄंतगात प्राि शिकायतों की जांच करना तथा ईशचत
कायावाही हेतु शसफाररि करना।
 भ्रिाचार शनवारण ऄशधशनयम 1988 के ऄधीन शकए गए ऄपराधों के संबंध में शदल्ली शविेष
पशु लस स्थापना (CBI) द्वारा शकए गए कायों की प्रगशत व समीक्षा करना।
 राजपशत्रत ऄशधकाररयों तथा ईसके समानांतर कशमायों के भ्रिाचार से संबंशधत मामलों की जांच
करना।
 कें द्र सरकार के मंत्रालयों व प्राशधकरण के सतका ता प्रिासन पर नजर रखना।

ररपोटा
 कें द्रीय सतका ता अयोग ऄपनी वाशषाक कायाकलापों की ररपोटा राष्ट्रपशत को सकता है और
राष्ट्रपशत आस ररपोटा को संसद के प्रत्येक सदन में प्रस्तुत करता है।
 अयोग द्वारा भ्रिाचार शनवारण हेतु शवज अइ (VIGEYE) नामक पोटाल का प्रारंभ शकया गया
है यह एक शिकायत दजा कराने वाला पोटाल है।

शवसलब्लोऄर प्रोटक्िन एक्ट 2011


 लोकशहत में गोपनीय सच ू नाओ ं को प्रकट करने वाले र्वयशक्तयों को सरं क्षण प्रदान करने के
ईद्देश्य से यह एक्ट लाया गया।

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 मइ 2014 में राष्ट्रपशत की मंजूरी शमलने के पिात संपूणा भारत में ऄशधशनयम लागू शकया गया
जम्मू कश्मीर को छोडकर।
 आस ऄशधशनयम द्वारा जनशहत के शलए सरकारी कमाचाररयों द्वारा शकए गए शकसी प्रकार के
भ्रिाचार का खुलासा करने वाले र्वयशक्तयों को संरक्षण प्रदान शकया गया है।

15. कें द्रीय सच


ू ना अयोग (CENTRAL INFORMATION
COMMISSION)

सांशवशधक प्रावधान एवं संरचना


 सूचना का ऄशधकार ऄशधशनयम 2005 द्वारा कें द्रीय सूचना अयोग की स्थापना की गइ।
 12 ऄक्टूबर 2005 को सच ू ना का ऄशधकार ऄशधशनयम काननू ी रूप में अया।
 प्रत्ये क लोक पदाशधकारी के काया करण में पारदशिाता और ईत्तरदाशयत्व की भावना के शवकास

हेतु या ऄशधशनयम लाया गया।


 यह अयोग एक मुख्य सूचना अयुक्त और 10 से ऄनशधक सूचना अयुक्तों से शमलकर बनता है।

 मुख्य सूचना अयुक्त व ऄन्य अयुक्तों की शनयुशक्त राष्ट्रपशत एक सशमशत की शसफाररि पर करता
है शजसमें शनम्न सदस्य होते हैं
1. प्रधानमंत्री

2. लोकसभा से शवपक्ष के नेता

3. प्रधानमंत्री द्वारा नाशमत संघ / मंशत्रमंडल का एक मंत्री

पदावशध एवं सेवा ितें


 मुख्य सूचना अयुक्त तथा ऄन्य अयुक्त पद ग्रहण से 5 वषा या 65 वषा की ईम्र तक पर धारण
करते हैं।
 ऄध्यक्ष व सदस्य पनु शनायुशक्त के पात्र नहीं होते हैं।
 अयोग का ऄध्यक्ष या सदस्य बनने हेतु सावाजशनक जीवन का पयााि ऄनुभव होना चाशहए
तथा ईन्हें शवशध शवज्ञान एवं तकनीक सामाशजक सेवा प्रबंधन पत्रकाररता जनसंचार या प्रिासन
अशद का शविेष ऄनभ ु व होना चाशहए।
 ऄध्यक्ष व सदस्य राजनीशतक दल से संबंशधत कोइ लाभ के पद या लाभ के र्वयापार में भी
संलग्न ना हो।

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पद मुशक्त या त्यागपत्र तथा वेतन – भत्ते


 मुख्य सच ू ना अयुक्त के वेतन भत्ते एवं ऄन्य सेवा ितें मुख्य शनवााचन अयुक्त के समान व ऄन्य
सूचना अयुक्त के वेतन भत्ते एवं सेवा ितें शनवााचन अयुक्त के समान होते हैं।
 सेवाकाल के दौरान वेतन भत्तों में कोइ ऄलाभकारी पररवता न नहीं शकया जा सकता है।

 राष्ट्रपशत को सब ं ोशधत कर त्याग पत्र दे सकते हैं।


 राष्ट्रपशत मुख्य सूचना अयुक्त एवं ऄन्य अयुक्तों को शनम्न प्रकार से ईनके पद से हटा सकता है

 यशद वह शदवाशलया घोशषत हो या

 कें द्र सरकार की नजर में नैशतक चररत्र हीनता के अधार पर शकसी ऄपराध में दोषी पाया गया हो

या
 राष्ट्रपशत की राय में मानशसक व िारीररक िैशथल्य के कारण पद पर बने रहने की ऄयोग्य हो या

 शकसी ऐसे लाभ को प्राि करते हुए पाया जाता है शजससे ईसका काया या शनष्ट्पक्षता प्रभाशवत

होती है।
 साशबत कदाचार एवं ऄसमथा ता के अधार पर भी राष्ट्रपशत ईन्हें पद से हटा सकता है बिते

पहले ईच्चतम न्यायालय में राष्ट्रपशत द्वारा शदए गए शनदेि के ऄनुरूप जांच के बाद ऐसी ररपोटा
दी गइ हो।

काया एवं िशक्तयां


 अयोग का कतार्वय है शक वह शकसी ऐसे र्वयशक्त की शिकायत प्राि करें और ईसकी जांच करे जो
 लोक सूचना ऄशधकारी की शनयुशक्त न हो पाने के कारण शकसी सूचना को पाने के शलए अवेदन
करने में ऄसमथा रहा हो।
 शजसे आस ऄशधशनयम के ऄधीन शकसी जानकारी को देने से आनकार शकया गया हो।
 समय सीमा के ऄंतगात प्रत्युत्तर न पाने वाले र्वयशक्त।
 यशद र्वयशक्त को प्रदान की गइ सूचना ऄपूणा भ्रामक एवं शमथ्या हो।
 ऐसी फीस की रकम ऄदा करने की ऄपेक्षा की गइ हो जो वह ऄनशु चत समझता हो।
 कें द्रीय सूचना अयोग को शसशवल कोटा के समान िशक्तयां प्राि है । यह शकसी र्वयशक्त को सम्मन
जारी कर सकती है।

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16. राष्ट्रीय हररत ऄशधकरण (NATIONAL GREEN


TRIBUNAL)

प्रावधान एवं सरं चना


 राष्ट्रीय हररत ऄशधकरण 2010 के तहत 18 ऄक्टूबर 2010 को राष्ट्रीय हररत ऄशधकरण का गठन
शकया गया
 यह एक सांशवशधक और ऄधा न्याशयक शनकाय है शजसका ईद्देश्य पयाावरण सरं क्षण व प्राकृशतक
संसाधनों से जुडे मामलों का प्रभावी व तीव्र शनस्तारण करना है।
 आसका मुख्यालय नइ शदल्ली में है तथा आसकी चार सहयोगात्मक पीठें भोपाल, पुणे, कोलकाता
और चेन्नइ में है।
 आसमें ऄशधकतम 20 पण ू ाकाशलक सदस्य शनयुशक्त कें द्र सरकार द्वारा होते हैं शजसमें 10 सदस्य न्याय
क्षेत्र से और 10 सदस्य पयाावरण के शवशभन्न क्षेत्रों के शविेषज्ञ होते हैं।
 ऄध्यक्ष शकसी शवशिि ज्ञान वाले र्वयशक्त को ऄशधकरण में अमंशत्रत कर सकता है।

ऄध्यक्ष व सदस्यों की योग्यता व पदच्युशत का अधार


 ऄध्यक्ष पद हेतु कोइ र्वयशक्त जो सवोच्च न्यायालय का न्यायाधीि या ईच्च न्यायालय का मुख्य
न्यायाधीि रहा हो चुना जा सकता है।
 ऄन्य न्याशयक सदस्य ईच्च न्यायालयों के सेवाशनवृत्त न्यायाधीि होते हैं।
 ऄशधकरण के शविेषज्ञ सदस्यों हेतु पयाावरण या वन संरक्षण एवं संबंशधत शवषयों से स्नातकोत्तर
या आन क्षेत्रों में 5 वषा के र्वयावहाररक सशहत 15 वषा का ऄनभ
ु व अवश्यक है।
 ऄध्यक्ष व सदस्य पद ग्रहण तारीख से 5 वषा तक पद पर बने रह सकते हैं एवं पुनशनायुशक्त के पात्र
नहीं होते हैं।
 ऄध्यक्ष व सदस्य को तब तक नहीं हटाया जाएगा जब तक सप्रु ीम कोटा में एक न्यायधीि की
जांच के बाद कें द्र सरकार पद से हटाने का अदेि ना दे दे।
 जांच के दौरान ईशचत सुनवाइ का ऄशधकार होगा।

ऄशधकरण की िशक्तयां
 शसशवल प्रशिया संशहता 1908 के तहत ऄशधकरण को शसशवल कोटा का दजाा शदया गया है
 आसके तहत ऄशधकरण की िशक्तयां हैं
1. शकसी र्वयशक्त के शखलाफ समन जारी करना

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2. ईसकी ईपशस्थशत बाध्यतामुलक बनाना और


3. िपथ पर ईसका परीक्षण करना।

4. दस्तावेजों की खोज करना

5. हलफनामे पर साक्ष्य प्राि करना।

6. ऄपने शनणा यों की समीक्षा करना।

7. गवाहों एवं दस्तावेजों का परीक्षण करना

 यह ऄशधकरण शसशवल प्रशिया संशहता 1908 से बंधा नहीं होगा बशल्क यह प्राकृशतक न्याय के
शसिांतों द्वारा शनदेशित होगा।

वििेकानंद इंस्टिट्यूि Mob – 9993259075, 8815894728


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