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About Me

✔ MA in Public Administration and Political Science


✔ B.Ed and Qualified CTET
✔ M.Phil in Public Administration
✔ Ph.D in Public Administration
✔ Qualified NET in Public Administration and Political Science
LALIT YADAV
✔ Founder of “LALIT YADAV KI PATHSHALA” NGO
✔ Published 4 books.
✔ Mobile no - 9015482250
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6. ETHICS
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Chapter-27
ाियक समी ा / Judicial Review

• ाियक समी ा के िस ां त की उ ि एवं िवकास अमे रका म आ।


• इसका ितपादन पहली बार मारबरी बनाम मैिडसन (1803) के जिटल मु ों म आ जॉन माशल ारा, जो िक
अमे रकी सव ायालय के त ालीन मु ायाधीश थे।

• भारत म दू सरी ओर, सं िवधान यं ायपािलका को ाियक समी ा की श दे ता है (सव ायालय एवं उ
ायालयों को)।
• साथ ही सव ायालय ने घोिषत कर रखा है िक ाियक समी ा की ायपािलका की श सं िवधान की
मू लभूत िवशेषता है , तथािप सं िवधान म मू लभूत ढां चे का एक त है । इसिलए ाियक समी ा की श म
सं िवधान संशोधन के ारा भी न तो कटौती की जा सकती है न ही इसे हटाया जा सकता है ।

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ाियक समी ा का अथ
• ाियक समी ा िवधायी अिधिनयमनों तथा कायपािलका आदे शों की सं वैधािनकता की जां च की ायपािलका की
श है जो के और रा सरकारों पर लागू होती है । परी णोपरां त यिद पाया गया िक उनसे सं िवधान का
उ ंघन होता है तो उ अवै ध, असं वैधािनक तथा अमा घोिषत िकया जा सकता है और सरकार उ लागू नहीं
कर सकती।
• ायमू ित सैयद शाह मोह द कादरी ने ाियक समी ा को िन िल खत तीन कोिटयों म वग कृत िकया है ':
1. सं िवधािनक संशोधनों की ाियक समी ा।
2. सं सद और एक िवधाियकाओं ारा पा रत कानूनों एवं अधीन थ कानूनों की समी ा।
3. सं घ तथा रा एवं रा के अधीन ािधका रयों ारा शासिनक कायवाही की ाियक समी ा। सव ायालय
ने िविभ मुकदमों म ाियक समी ा की श का उपयोग िकया, उदाहरण के िलए, गोलकनाथ मामला (1967),
बक रा ीयकरण मामला (1970), ि वीयस उ ूलन मामला (1971), केशवानंद भारती मामला (1973), िमनवा
िम मामला (1980) इ ािद।
• वष 2015 म सव ायालय ने 99व संिवधान संशोधन, 2014 तथा रा ीय ाियक िनयु आयोग (NJAC),
अिधिनयम, 2014 दोनों को असंवैधािनक करार िदया।
ाियक समी ा का मह
• ाियक समी ा िन िल खत कारणों से ज री है ।

क. सं िवधान की सव ता के िस ां त को बनाए रखने के िलए।

ख. सं घीय संतुलन (क एवं रा ों के बीच सं तुलन) बनाए रखने के िलए।

ग. नाग रकों के मूल अिधकारों की र ा के िलए।

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ाियक समी ा का मह

• अने क मामलों म सव ायालय ने दे श म ाियक समी ा की श के मह पर बल िदया है । इस संबंध म


उसके ारा िकए गए कुछ े ण िन वत ह:

• “भारत म संिवधान ही सव है और िकसी वैचा रक कानून की वैधता के िलए उसका संिवधान के ावधानों एवं
अपे ाओं के अनु प होना अिनवाय है और ायपािलका ही तय कर सकती है िक कोई अिधिनयम संवैधािनक है
अथवा नहीं।

• "हमारे संिवधान म िकसी िवधायन की ाियक समी ा के ऐसे 'ए ेस ावधान' (express provision) ह िक वह
सं िवधान के अनु प है अथवा नहीं इस त का पता लगाया जा सके। यही बात मू ल अिधकारों के िलए भी स है
िजनके िलए ायपािलका को संिवधान ने जाग क हरी की भूिमका सौंपी है ।'‘

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या यक समी ा के लए संवैधा नक ावधान
• हालां िक संिवधान म ' ाियक समी ा' श का उपयोग कही ं नही ं आ है , तब भी कितपय अनु े दों के
ावधान सव ायालय एवं उ ायालयों को ाियक समी ा की श दान करते ह। ये ावधान
िन िल खत ह:

1. अनु े द 13 घोषणा करता है िक सभी कानून जो मू ल अिधकारों की संगित म रहे ह या उनका अपकष करते ह,
िनर माने जाएं गे।

2. अनु े द 32 मौिलक अिधकारों को लागू करने के िलए सव ायालय जाने के नाग रकों के अिधकार की गारं टी
करता है , साथ ही सव ायालय को श दे ता है िक वह इसके िलए िनदे श अथवा आदे श अथवा ायादे श
जारी करे ।

3. अनु े द 131 के -रा तथा अ र-रा िववादों के िलए सव ायालय का मूल े ािधकार िनि त करता है ।
4. अनु े द 132 सं वैधािनक मामलों म सव ायालय का अपीलीय े ािधकार सुिनि त करता है ।

5. अनु े द 133 िसिवल मामलों म सव ायालय का अपीलीय े ािधकार सुिनि त करता है ।

6. अनु े द 134 आपरािधक मामलों म सव ायालय का अपीलीय े ािधकार सुिनि त करता है ।

7. अनु े द 134-ए उ ायालयों से सव ायालय को अपील के िलए माणप (Certificate for appeal)
से स त है ।‘

8. अनु े द 135 सव ायालय को िकसी संिवधान पूव के कानू न के अंतगत संघीय ायालय (Federal Court)
के े ािधकार एवं श का योग करने की श दान करता है ।

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9. अनु े द 136 सव ायालय को िकसी ायालय अथवा ायािधकरण से अपील के िलए िवशेष अवकाश दान
करने के िलए अिधकृत करता है , सै ायािधकरण एवं कोट माशल को छोड़कर।

10. अनु े द 143 रा पित को कानू न स ी िकसी के त पर अथवा िकसी संिवधान-पूव के वैिधक (कानूनी)
मामलों म सव ायालय की राय मां गने के िलए अिधकृत करता है ।

11. अनु े द 226 उ ायालयों को मौिलक अिधकारों को लागू करने या िकसी अ योजन से िनदे श, आदे श या
रट जारी करने की श दान करता है ।

12. अनु े द 227 सव ायालयों को अपने-अपने े ीय अिधकार े म सभी ायालयों एवं ायािधकरणों (सै
अदालतों एवं ायािधकारों को छोड़कर) के अधी ण की श दान करता है । \

13. अनु े द 245 सं सद एवं रा िवधाियकाओं ारा िनिमत कानूनों की े ीय सीमा तय करने से संबंिधत है ।

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14. अनु े द 246 संसद एवं रा िवधाियकाओं ारा िनिमत कानूनों की िवषय-व ु से स त है (अथात् सं घ

सू ची, रा सू ची एवं समवत सू ची)।

15. अनु े द 251 एवं 254 के ीय कानू न एवं रा कानू नों के बीच टकराव की थित म यह ावधान करता है िक

के ीय कानून रा कानू न के ऊपर बना रहे गा और रा कानू न िनर हो जाएगा।

16. अनु े द 372 सं िवधान-पू व के कानूनों की िनरं तरता से स त है ।

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या यक समी ा का वषय े
• िकसी िवधायी अिधिनयमन अथवा कायपालकीय आदे श की सं वैधािनक वैधता को सव ायालय या उ ायालय म
िन तीन आधारों पर चु नौती दी जा सकती है :

(क) यह मौिलक अिधकारों का उ ंघन करता है ,

(ख) यह उस ािधकारी की स मता से बाहर का है िजसने इसे बनाया है , तथा;

(ग) यह संवैधािनक ावधानों के ितकूल है ।

भारत म दोनों अथात् अमे रकी ाियक सव ता िस ांत और ि िटश सं सदीय िस ांत की सव ता का स ण है ।

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नवीं अनुसूची क या यक समी ा

• अनु े द 31बी नवीं अनु सूची म शािमल अिधिनयमों एवं िविनयमों की िकसी भी मौिलक अिधकार के उ ंघन के
आधार पर चुनौती दे ने एवं अवै ध ठहराने से र ा करता है ।
• अनु े द 31बी तथा नवीं अनु सूची को पहले संिवधान सं शोधन अिधिनयम, 1951 के ारा जोड़ा गया था।

• मू ल प म (1951 म) नवीं अनु सूची म केवल 13 अिधिनयम एवं िविनयम थे ले िकन वतमान म (2016 म) इनकी
सं ा 282 है ।" इनम से रा िवधाियका के अिधिनयम एवं िविनयम भूिम सुधार और जमींदारी उ ूलन से संबंिधत
है , जबिक संसदीय कानून अ मामलों से।

• हालां िक आर.आर. कोए ो मामले म िदए मह पू ण िनणय (2007) म सव ायालय ने व था दी िक नवीं


अनु सूची म शािमल कानूनों को ाियक समी ा से बाहर नहीं माना जा सकता।

• ायालय का कहना था िक ाियक समी ा संिवधान की मू लभूत िवशेषता है और इसे नवीं अनुसूची म शािमल
िकसी कानून के िलए वापस नहीं िलया जा सकता।
• ायालय की व था के अनुसार 24 अ ैल, 1973 के बाद नवीं अनु सूची म रखे गए कानू नों को चुनौती दी जा
सकती है , अगर उनसे अनु े द 14, 15, 19 और 21 के अं तगत द मौिलक अिधकारों अथवा 'सं िवधान की
मू लभूत िवशेषता' का हनन होता है ।

• 24 अ ैल, 1973 को ही सव ायालय ने पहली बार संिवधान की मूलभूत िवशेषता का िस ांत ितपािदत िकया
था, केशवानंद भारती मामले म अपने ऐितहािसक फैसले म।‘

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Chapter-28
ाियक सि यता / Judicial Activism

• ाियक सि यता की अवधारणा अमे रका म पै दा ई और िवकिसत ई


• यह श ावली पहली बार 1947 म आथर शे ं गर जिनयर (Arthur Schlesinger Jr.), एक अमे रकी
इितहासकार एवं िश ा दायक' ारा यु ई।

• भारत म ाियक सि यता का िस ां त 1970 के दशक के म म आया।


• ायमूित वी.आर. कृ अ र, ायमूित पी.एन. भगवती, ायमू ित ओ. िच ा रे ी तथा ायमू ित डी.ए. दे साई
ने दे श म ाियक सि यता की नींव रखी।

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ाियक सि यता का अथ

• ाियक सि यता का आशय नाग रकों के अिधकारों के संर ण के िलए तथा समाज म ाय को बढ़ावा दे ने के
िलए ायपािलका ारा आगे बढ़कर भूिमका लेने से है ।
• दू सरे श ों म इसका अथ है ायपािलका ारा सरकार के अ दो अंगों (िवधाियका एवं कायपािलका) को अपने
सं वैधािनक दािय ों के पालन के िलए बा करना।

• ाियक सि यता को ' ाियक गितशीलता' भी कहते ह।
• यह ' ाियक संयम' के िब ु ल िवपरीत है िजसका मतलब है ायपािलका ारा आ -िनयं ण बनाए रखना। .

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ाियक सि यता को िन कार से प रभािषत िकया जाता

3. ाियक सि यता का ायाधीशों ारा िविध िनमाण की एक ि या के प म प रभािषत िकया जा सकता है ।


इसका ता य है एक ायाधीश ारा पहले से मौजू द िकसी िवधान या कानू न की इस कार सि य ा ा कर या
िजससे िक समाज की बे हतरी म उसकी उपयोिगता और बढ़ाई जा सके। ाियक सि यता ाियक तट थता
(Judicial perdition) से अलग है िजसका अथ है पहले से मौजू द िवधान या कानून की ा ा िबना उसकी
लाभकारी अथवा उपादे य प ों को बढ़ावा िदए।

5. ' ाियक सि यता नये िस ां तों, अवधारणाओं, सू ों एवं सहा ों को िवकिसत करने की एक ि या है िजसका
उपयोग ाय करने अथवा िववदों को थित:प को िव ा रत करते ए ायालय का दरवाजा ज रतमंदों के
िलए खोलना, अथवा ऐसे िववादों को सु नना िजनसे पू रा समाज अथवा उसका एक वष (वग) भािवत हो रहा हो।
• ाियक सि यता की अवधारणा जनिहत यािचका की अवधारणा से िनकटता से जु ड़ी है । यह सव ायालय की
ाियक सि यता है िजसके कारण जनिहत यािचकाओं की सं ा बढ़ी है ।

• दू सरे श ों म पीआईएल ाियक सि यता का प रणाम है ।


• वा व म पीआईएल या जनिहत यािचका ाियक सि यता का सबसे लोकि य प है ।

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या यक स यता का औ च य

• डॉ. बी.एल. वधेरा के अनु सार ाियक सि यता के कारण िन िल खत है :

(i) उ रदायी सरकार उस समय लगभग हो जाती है जब सरकार की शाखाएं िवधाियका एवं कायपािलका
अपने -अपने काय का िन ादन नहीं कर पाती।ं प रणामतः तो सं िवधान तथा लोकतं म नाग रकों का भरोसा
टू टता है ।

(ii) नाग रक अपने अिधकारों एवं आजादी के िलए ायपािलका की ओर दे खते ह। प रणामतः ायपािलका पर
पीिड़त जनता को आगे बढ़कर मदद प ं चाने का भारी दबाव बनता है ।

(iii) ाियक उ ाह अथात् ायाधीश भी बदलते समय के समाज सुधार म भागीदार बनना चाहते ह। इससे जनिहत
यािचकाओं को ह ेप के अिधकार (Locus Standi) के तहत ो ाहन िमलता है ।
या यक स यता का औ च य

(iv) िवधायी िनवात, अथात ऐसे कई े हो सकते ह जहाँ िवधानों का अभाव है । इसीिलए ायालय पर ही िज ेदारी
आ जाती है िक वह प रवितत सामािजक ज रतों के िहसाब से ायालयीय िवधायन का काय करे ।

(v) भारत के संिवधान म यं ऐसे कुछ ावधान ह िजनम ायपािलका को िवधायन यानी कानून बनाने की
गुं जाइश है , या एक सि य भूिमका अपनाने का मौका िमलता है ।

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• इसी कार सुभाष क प ने ऐसी कुछ आक कताओं की चचा की है जब ायपािलका अपने सामा े ािधकार को
लांघकर ऐसे े म दखल दे जो िक िवधाियका या कायपािलका को हो सकता है ।'

(i) जब िवधाियका अपने उ रदािय ों का िनवहन करने म िवफल हो गई हो।

(ii) एक 'हं ग' (hung) िवधाियका, िजसम िकसी दल को ब मत न िमला हो, की थित म जब सरकार कमजोर व असुरि त हो
और ऐसे िनणय लेने म अ म हो िजससे कोई जाित या समुदाय या अ समूह अ स हो सकता है ।

(iii) स ासीन दल स ा खोने के भय से ईमानदार और कड़ा िनणय लेने से डर सकता है और इसी कारण से समय लगने और
िनणय लेने म दे री करने अथवा ायालयों पर कठोर िनणय लेने संबंधी दु भावना डालने के िलए जन मु ों को संदिभत कर
िदया जाता है ।

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(iv) जहां िक िवधाियका और कायपािलका नाग रकों के मूल अिधकारों जै से-ग रमापूण जीवन, ा कर प रवेश का संर ण
करने म िवफल हो, अथवा कानू न एवं शासन को एक ईमानदार, कायकुशल एवं ायपूण व था दे ने म िवफल हों।

(v) जहां िक िविध के ायालय का मजबू त, सवस ावादी संसदीय दलवाली सरकार ारा गलत नीयत या उ े ों से दु पयोग
हो रहा हो जै सा िक आपातकाल के दौरान आ था।

(vi) कभी-कभी ायालय जाने -अनजाने यं मानवीय वृि यों, लोकलुभावनवाद, चार, मीिडया की सु खयां बटोरने आिद का
िशकार हो जाता है ।

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ाियक सि यता को लेकर आशंकाएं
• ायिवद उपे ब ी ने ही उस भय का भी िज िकया है जो ाियक सि यता से उ होता है । वे कहते ह-
"त यह है िक अने क कार के भय इसको लेकर ा ह। यह आवाहन भारत के सबसे क िन एवं
ईमानदार ायाधीशों के अं दर भी एक घबराहट भरी यौ कता लाता है ।" वे िन िल खत कार के भय की चचा
करते ह:

1. िवचारा क भयः ( ा वे िवधाियका, कायपािलका या नाग रक समाज की अ ाय सं थाओं की श हड़प


रहे ह?)

2. मीमां सा क भयः ( ा वे अथशा म मनमोहन िसंह, वै ािनक मामलों म परमाणु ऊजा ित ान के जारों, तथा
वै ािनक एवं औ ोिगक अनु संधान प रषद् के क ानों के र का ान रखते ह?)

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3. बं धन सं बंधी भयः (इस कार के वादों का अित र काय भार ले कर ा वे ाय कर पा रहे ह, एक ऐसी
प र थित म जबिक पहले के बकाया मामलों का ढे र सामने है ?)

4. वैधता संबंधी यः ( ा वे अपने तीका क ािधकार की ही ित नहीं कर रहे जनिहत यािचकाओं म आदे श
पा रत करके, िजनकी िक कायपािलका अनदे खी भी कर सकती है ? ा इससे ायपािलका म लोगों का भरोसा
कम नहीं होगा?)

5. लोकतं संबंधी भयः (जनिहत यािचका वा व म लोकतं का पोषण कर रही है या भिव की इसकी संभावनाओं
को समा कर रही है ?)

6. आ वृ संबंधी भयः (से वािनवृ ि के प ात रा ीय मामलों म मेरा ा थान होगा, अगर म इस कार के
वाद आव कता से अिधक क ं ?)

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या यक स यता बनाम या यक संयम

या यक संयम का अथ

• अमे रका म ाियक सि यता तथा ाियक सं यम-ये दो वै क क ाियक दशन ह।


• ाियक संयम के पैरोकार मानते ह िक ायाधीश की भूिमका सीिमत होनी चािहए, उनका काम इतना भर
बताना है िक कानून ा है , कानून बनाने का काम उ िवधाियका एवं कायपािलका पर ही छोड़ दे ना चािहए।
• इसके अलावा ायाधीशों को िकसी भी थित म अपने िनजी राजनीितक मू ों एवं नीितगत एजडा को अपने
ाियक िवचार पर हावी नहीं होने दे ना चािहए।
• इस िवचार के अनुसार सं िवधान िनमाताओं के मू ल इरादे एवं उनसे संबंिधत संशोधन एवं जानने यो ह, और
ायालयों को उ ीं से िनदे िशत होना चािहए।

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सव च यायालय क ट प णयाँ

• सन् 2007 म एक मामले म फैसला सुनाते ए सव ायालय ने ाियक सं यम की बात की और ायालयों से


कहा िक वे िवधाियका एवं कायपािलका के काय अपने हाथ म न ल।
• यह भी कहा िक संिवधान म श यों का बं टवारा िकया गया और सरकार के े क अं ग को अ अंगों के ित
स ान का भाव रखते ए दू सरे के काय े का अित मण नहीं करना चािहए। इस संदभ म संबंिधत पीठ ने
िन िल खत िट णी दी:

1. पीठ यानी बच ने कहा, "बार-बार हमारे सामने ऐसे मामले आ रहे ह िजनम जजों ने िवधायी अथवा कायपािलकीय
काय अपने हाथ म ले िलए, िजसका कोई औिच नहीं है । यह साफ-साफ असं वैधािनक है । ाियक सि यता के
नाम पर जज अपनी सीमा का उ ंघन नहीं कर सकते और सरकार के अ अं गों के काय खुद नहीं कर सकते।"

2. पीठ ने कहा, "जजों को अपनी सीमा जान ले नी चािहए और सरकार चलाने की कोिशश िब ु ल नहीं करनी चािहए।
उनम सदाशयता तथा िवन ता होनी चािहए और स ाटों की तरह वहार नहीं करना चािहए।
5. ायालय शासिनक पदािधका रयों को असु िवधा म न डाल और इस बात को ीकार करे िक शासिनक
अिधका रयों की शासन के े म िवशे ष ता है , ायालयों की नहीं।‘

6. पीठ (बच) ने कहा, "कायपािलका एवं िवधाियका के काय े म ाियक अित मण का औिच यह बताया जाता
है िक ये दोनों अं ग ढं ग से अपना काम नहीं कर रहे । यह मान भी िलया जाए तो यही आरोप ायपािलका पर
भी लगाया जा सकता है ोंिक ायालयों म आधी सदी से मामले लं िबत ह”

7. यिद िवधाियका और कायपािलका ढं ग से काय नहीं कर रही है , तो उ ठीक करने की िज ेदारी लोगों पर है जो
अगले चुनाव म अपने मतािधकार का सही प से योग कर और ऐसे उ ीदवारों को मत द जोिक उनकी
अपे ाओं को पू रा कर सके या िफर अ कानू नी तरीके अपनाकर व था को दु कर, जैसे - शां ितपूवक
दशन।

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9. पीठ ने कहा, " ाियक सं यम रा के तीनों अंगों के बीच श संतुलन की व था की संगित म है और इसे
पू रकता दान करता है । इसे वह दो तरीकों से करता है - पहला, ाियक सं यम न केवल ायपािलका के साथ ही
अ दो शाखाओं के बीच समानता को मा ता दे ता है , ब इसे बढ़ावा भी दे ता है । ायपािलका ारा अंतर-
शाखा ह ेप को ूनतम र पर रखकर। दू सरा, ाियक संयम ायपािलका की तं ता की भी र ा करता
है । जब ायालय िवधायी या कायपालकीय े ों म अित मण करता है तो इसका अिनवाय प रणाम यह भी होगा
िक मतदाता िवधायक तथा अ िनवािचत पदधारी इस िनणय पर प ं चगे िक ायाधीशों की गितिविधयों पर
नजदीकी नजर रखी जाए।

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Chapter-29
जनिहत यािचका / Public Interest Litigation

• जनिहत यािचका की अवधारणा की उ ि एवं िवकास अमे रका म 1960 के दशक म ई।

• अमे रका म इसे ितिनिध िवहीन समूहों एवं िहतों को कानूनी या वैिधक ितिनिध दान करने के िलए पाियत
िकया गया था।

• इसे इस त के आलोक म शु िकया गया िक कानूनी सेवाएं दान करने वाले बाजार आबादी के मह पू ण
भागों एवं मह पूण िहतों को अपनी सेवाएं दे ने म िवफल रहते ह। इनम शािमल ह-गरीब, पयावरणवादी, उपभो ा,
जातीय एवं नृजातीय अ सं क तथा अ ।

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• भारत म जनिहत यािचका या पीआईएल सव ायालय की ाियक सि यता का एक उ ाद है ।
• इसकी शु आत 1980 के दशक के म म ई।

• ायमू ित वी.आर. कृ अ र तथा ायमू ित पी.एन. भगवती पीआईएल की अवधारणा के वतक रहे ह।

• पीआईएल को सामािजक ि या यािचका [Social Action Litigation (SAL)], सामािजक िहत यािचका [Social
Interest Litigation (SIL)], तथा वग य ि या यािचका [Class Action Litigation (CAL)], के प म भी जाना
जाता है ।

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पीआईएल का अथ

• भारत म पीआईएल की शु आत पार रक अिधका रता के शासन एवं िनयमों म रयायत से शु ई। इस कानू न
के अनुसार केवल वही संवैधािनक उपचार के िलए ायालय म जा सकता है िजनके अिधकारों का हनन
आ है ।
• वहीं पीआईएल इस पार रक िनयम-कानून के अपवाद प है । पीआइएल यानी जनिहत यािचका के अं तगत
कोई भी जनभावना वाला या सामािजक सं गठन िकसी भी या यों के समूहों के अिधकार िदलाने
के िलए ायालय जा सकता है , अगर ये /समूह िनधनता, अ ान, अथवा अपनी सामािजक-आिथक प से
ितकूल दशाओं के कारण ायालय उपचार के िलए नहीं जा सकते ।

• इस कार पीआईएल म एक अपनी पया िच के बल पर ही अ यों के अिधकार िदलाने अथवा


एक आम िशकायत दू र करने के िलए ायालय जा सकता है ।

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• पीआईएल कानून के शासन के िलए िब ु ल ज री है , इससे ाय के मु े को आगे बढ़ाया जा सकता है तथा
सं वैधािनक उ े ों की ा की गित को ती िकया जा सकता है । दू सरे श ों म पीआईएल के वा िवक उ े
ह:

(i) कानून के शासन की र ा,

(ii) सामािजक-आिथक प से कमजोर वग की ाय तक भावकारी प ं च बनाना,

(iii) मौिलक अिधकारों का साथक प म ा करना।

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पीआईएल क वशेषताएँ
• पीआईएल की अ िवशे षताएं िन वत ह:

1. पीआईएल कानूनी सहायता आं दोलन का रणनीितक अं ग है और इसका आशय है गरीब जनता तक ाय को सुलभ
बनाना जो िक मानवता के कम िह े का ितिनिध करती है ।

2. पीआईएल एक िभ कार का वाद है सामा पार रक वाद के मु काबले िजसम दो यािचकाकता प ों के बीच
िकसी बात पर िववाद होता है और एक प दू सरे प के खलाफ सहायता का दावा करता है और दू सरा प ऐसी
िकसी सहायता का िवरोध करता है ।

3. सामा वाद की तरह पीआईएल ायालय म िकसी एक के अ के खलाफ अपने अिधकार का


दावा और उसे लागू करने के िलए दा खल नहीं िकया जाता है , ब इसका आशय सावजिनक िहत को आगे
बढ़ाना तथा र ा करना होता है ।
4. पीआईएल की मां ग है िक उन लोगों के सं वैधािनक अथवा कानूनी अिधकारों के उ ंघन की अनदे खी नहीं होनी
चािहए या अिनवा रत नहीं रहना चािहए िजनकी सं ा ब त बड़ी है , जो गरीब और अिशि त ह और सामािजक-
आिथक प से साधनहीन ह।

5. पीआईएल अिनवाय प से एक सहकारी यास है यािचकाकता रा या सावजिनक ािधकार तथा ायालय की


ओर से यह सुिनि त करने के िलए समु दाय के कमजोर वग के िलए सं वैधािनक या कानूनी अिधकारों सुिवधाओं व
िवशे षािधकारों को उपल कराया जाए और उ सामािजक ाय सुलभ कराया जाए।

6. पीआईएल म जन आघात का िनवारण करने , सावजिनक कत का वतन करने , सामािजक, सामूिहक, िवस रत
अिधकारों एवं िहतों अथवा सावजिनक या जनिहत के र ण के िलए वाद दा खल िकया जाता है ।

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7. पीआईएल म ायालय की भूिमका उसकी पार रक कारवाइयों की तुलना म अिधक मुखर होती है -जनता के
ित क के िलए बा करने , सामािजक, सामूिहक, िवस रत अिधकारों एवं िहतों अथवा जनिहत को बढ़ाने म।

8. हालां िक पीआईएल म ायालय पार रक िनजी िविध वादों के अनजान लचीलेपन का योग करता है , ायालय
ारा चाहे जो भी ि या अपनाई जाए यह वह ि या होनी चािहए जो िक ाियक मत एवं ाियक कायवाही के
िलए जाना जाता हो।

9. पीआईएल म पार रक िववाद समाधान ि या से अलग, वैय क अिधकारों का ायिनणय नहीं होता।

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पीआईएल का वषय े

• 1998 म सव ायालय ने पीआईएल के प म ा यािचकाओं पर कायवाही के िलए कुछ िदशा-


िनदशों को सूि त िकया।
• इन िदशा-िनदशों को 2003 म संशोिधत िकया गया। इनके अनुसार िन िल खत कोिटयों म आने वाली
यािचकाएं ही सामा तया जनिहत यािचका के पम व त होंगी :

1. बं धुआ िमक
2. उपेि त ब े
3. िमकों को ूनतम मजदू री नहीं िमलना, आक क िमकों का शोषण तथा म कानू नों के उ ंघन (अपवाद
वैय क मामले) संबंधी मामले
4. जे लों से दा खल उ ीड़न की िशकायत, समय से पहले मु तथा 14 वष पूरा करने के प ात मु के िलए
आवे दन, जेल म मृ ु , थानां तरण, गत मुचलके पर मु या रहाई, मू ल अिधकार के प म रत मु कदमा
5. पु िलस ारा मामला दा खल नहीं िकए जाने सं बधी यािचका, पु िलस उ ीड़न तथा पु िलस िहरासत म मृ ु
6. मिहलाओं पर अ ाचार के खलाफ यािचका, िवशेषकर वधु-उ ीड़न, दहे ज-दहन, बला ार, ह ा,
अपहरण इ ािद।

7. ामीणों के सह- ामीणों ारा उ ीड़न, अनुसूिचत जाित तथा जनजाित एवं आिथक प से कमजोर वग के पुिलस
ारा उ ीड़न की िशकायत सं बंधी यािचकाएं

8. पयावरणीय दू षण सं बंधी यािचकाएं , पा र थितक संतुलन म बाधा, औषिध, खा पदाथ म िमलावट, िवरासत एवं
सं ृ ित, ाचीन कलाकृित, वन एवं व जीवों का संर ण तथा सावजिनक मह के अ मामलों से सं बिधत
यािचकाएं

9. दं गा पीिड़तों की यािचकाएं
10. पा रवा रक पशन
• िन िल खत कोिटयों के अं तगत आने वाले मामले पीआईएल के पम व त नही ं होंगेः

1. मकान मािलक-िकराये दारों के मामले


2. से वा संबंधी तथा वे मामले जो पशन तथा े ु टी से संबंिधत
3. के /रा सरकार के िवभागों तथा थानीय िनकायों के खलाफ िशकायत उन मामलों को छोड़कर जो उपरो
के िब दु (1) से (10) से सं बंिधत ह।
4. मे िडकल तथा अ शैि क सं थाओं म नामां कन।
5. ज ी सुनवाई के िलए उ ायालयों एवं अधीन थ ायालयों म दा खल यािचकाएं ।

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पीआईएल के िस ां त
• सव ायालय ने पीआईएल से संबंिधत िन िल खत िस ां त िन िपत िकए ह:

1. सव ायालय संिवधान के अनु े द 32 एवं 226 के अंतगत द श यों का उपभोग करते ए ऐसे लोगों के
क ाण म िच ले ने वाले िकसी की यािचका को ीकार कर सकता है जो समाज के कमजोर वग से
ह और इस थित म नहीं है िक यं अदालत का दरवाजा खटखटा सक। ायालय ऐसे लोगों के मूल अिधकारों के
सं र ण के िलए संवैधािनक प से बा है , इसिलए वह रा को अपनी संवैधािनक िज ेदा रयों को पूरा करने के
िलए िनदे िशत करता है ।

2. जब भी सावजिनक मह के मु े , बड़ी सं ा म लोगों के मूल अिधकारों को लागू कराने के बर रा के


सं वैधािनक कत और काय के मामले उठते ह, ायालय एक प अथवा तार को भी पीआईएल के प म
व त करता है । ऐसे मामलों म ायालय ि यागत कानूनों तथा सुनवाई से संबंिधत कानून म भी छूट दे ता है ।
3. जब लोगों के साथ अ ाय हो, ायालय अनु े द 14 तथा 21 के तहत कारवाई से नहीं िहचकेगा, साथ ही
मानवािधकार संबंधी अं तरा ीय क े शन भी ऐसे मामलों म एक उपयु एवं िन मुकदम का ावधान करता
है ।

4. अिधका रता संबंधी सामा िनयम को िशिथल करके ायालय गरीबों, िनर रों तथा िन:श ों की ओर से दायर
िशकायतों की सुनवाई करता है ोंिक ये लोग अपने सं वैधािनक या वै िधक अिधकारों के उ ंघन के िलए वैिधक
गलती अथवा वैिधक आघात के िनवारण म यं स म नहीं होते।

5. जब ायालय थम या साधनहीन लोगों के संवैधािनक अिधकारों के उ ं घन के बारे म आ हो जाता है , वह


रा अथवा सरकार को त ं बंधी यािचका के सही ठहरने सं बंधी िकसी को उठाने की अनुमित नहीं दे ता।

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6. य िप पीआईएल पर ि यागत कानू न लागू होते ह, ले िकन पूव ाय (resjudicate) का िस ां त या ऐसे ही
िस ां त लागू होगा या नहीं, यह इस बात पर िनभर करे गा िक यािचका की कृित कैसी है , साथ ही मामले से
सं बंिधत त एवं प र थितयां कैसी ह।

7. िनजी कानून के तहत आने वाले दो समू हों के बीच सं घष संबंधी िववाद पीआईएल के प म अनुमा नहीं होगा।

8. तथािप, एक उपयु मामले म, भले ही यािचकाकता िकसी िहत म अपने गत प रवाद के समाधान के िलए -
ायालय की शरण म जा चु का हो, ंय ाय के िहत म। ायालय जनिहत के संवधन म इस मामले की जाँच
कर सकता है ।

9. ायालय िवशेष प र थितयों म आयोग या अ िनकायों की िनयु आरोपों की जां च तथा त ों को उजागर करने
के उ े से कर सकता है । यह ऐसे आयोग ारा अिध हण की गई िकसी सावजिनक सं था के बं धन को भी
िनदे िशत कर सकता है ।
10. ायालय साधारणतया नीित बनाने की सीमा तक अित मण नहीं करे गा। ायालय ारा यह भी सावधानी बरती
जाएगी िक लोगों के अिधकारों की र ा म अपने े ािधकार का उ ं घन न हो।

11. ायालय ाियक समी ा के ात दायरे के बाहर सामा तया कदम नहीं रखे गा। उ ायालय य िप संबंिधत
प ों को पूण ाय दे ने सं बंधी िनणय दे सकता है , इसे भारत के संिवधान के अनु े द 142 म द श यां ा
नहीं होंगी।

12. साधारणतया उ ायालय को ऐसी यािचका को पीआईएल के पम ीकार नहीं करना चािहए िजसम िकसी
िविध या वैिधक भूिमका पर उठाए गए हों।

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पीआईएल दा खल करने संबंधी दशा नदश

• पीआईएल आज कानूनी शासन के े म एक मह पूण थान रखता है ।


• इसे 'प िसटी इनटरे िलिटगे शन', अथात चारिहत यािचका के प म या 'पोिलिट इ रे िलिटगेशन'
(राजनीित िहत यािचका), अथवा ' ाइवे ट इ ररे िलिटगेशन' (िनजी िहत यािचका), अथवा 'पैसा इ रे
िलिटगेशन' (पैसा िहत यािचका), या 'िमडल ास इ रे िलिटगे शन' (म वग िहत यािचका) के प म कदािप
प रणत होने दे ना नहीं चािहए।

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पीआईएल दा खल करने संबंधी दशा नदश

• सव ायालय ने इस सं दभ म िट णी की-

• "जनिहत यािचका कोई गोली नहीं है , न ही हरे क मज की दवा। इसका अिनवाय आशय कमजोरों एवं साधनहीनों के
मू ल मानवीय अिधकारों की र ा से था िजसका नव- वतन एक जनप ी की इन लोगों की ओर से दायर की
गई यािचका से आ जो यं गरीबी, लाचारी अथवा सामािजक-आिथक िनः श ताओं के कारण ायालय राहत
पाने नहीं जा सकते। हाल के िदनों म पीआईएल के दु पयोग के ां तों म वृ होती गई है । इसिलए उस ाचिलक
(पै रामीटर) पर पुनः जोर दे ने की ज रत है िजसकी सीमा म िकसी यािचकाकता ारा पीआईएल का उपयोग िकया
जा सके तथा उसे ायालय ारा सुनवाई यो माना जा सके।

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• इस कार सव ायालय ने पीआईएल का दु पयोग रोकने के िलए िन िल खत िदशािनदश िनधा रत
िकए ह:
1. ायालय सचमुच ज री और वैध पीआईएल को अव ो ािहत करे तथा िवषयेतर कारणों वाले पीआईएल
को हतो ािहत करे और रोके।
2. े क वैय क ायाधीश पीआईएल से िनपटने के िलए यं अपनी ि या िवकिसत करे , इसके थान पर
अिधक उपयु यह होगा िक ेक उ ायालय वा िवक एवं सदाशयी पीआईएल को ो ािहत करने तथा
गलत िनयत से दायर पीआईएल को हतो ािहत करने के िलए िनयमों का उपयु ढं ग से सू ण करे ।
3. ायालय को िकसी पीआईएल को ीकार करने के पहले यािचकाकता की िव सनीयता को थम या
स ापन कर लेना चािहए।
4. ायालय पीआईएल की सुनवाई के पहले यािचका के अंतव ु की प रशु ता के बारे म थम या आ
हो ले।
5. ायालय यािचका की सु नवाई से पहले पूरी तरह आ होगा िक इस यािचका से जनिहत यथे प म जु ड़ा है ।
6. ायालय को यह सु िनि त होना चािहए िक जो यािचका वृ हत प म जनिहत और गं भीरता तथा अ ाव कता से
जु ड़ी है उसे अ यािचकाओं के ऊपर ाथिमकता िमलनी चािहए।

7. पीआईएल की सुनवाई के पहले ायालय यह अव सु िनि त कर ले िक पीआईएल वा िवक जनहािन अथवा


जन आघात के समाधान को लि त है । ायालय को यह भी सुिनि त करना चािहए िक पीआईएल दायर करने के
पीछे कोई िनजी लाभ, गत ेरणा या गलत इरादा नहीं है ।

8. ायालय को यह भी सुिनि त करना चािहए िक वसाय िनकायों ारा गलत इरादों से दायर की गई यािचकाओं
भारी जुमाना लगाकर अथवा सारहीन यािचकाओं तथा ऐसी यािचकाएं जो असंगत कारणों से दायर की गई हो, को
भी ऐसे ही तरीके अपनाकर हतो ािहत करना चािहए।

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रा पाल की संवैधािनक थित

• भारत के सं वधान म रा य म भी क क तरह संसद य यव था था पत क गई है ।


• रा यपाल को नाममा का कायकार बनाया गया है . जब क वा त वकता म काय मु यमं ी के नेत ृ व
वाल मं प रषद करती है ।

• दस
ू रे श द म कह तो रा यपाल अपनी शि त , काय को म यमं ी के नेत ृ व वाले मं प रषद क सलाह पर
ह कर सकता है ; सफ उन मामल को छोड़कर िजनम वह अपने ववेक का इ तेमाल कर सकता है (मं य क
सलाह के बगैर)

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रा पाल की संवैधािनक थित

• रा यपाल क संवैधा नक शि तय का अंदाजा लगाते हुए हम इ ह अनु छे द 154, 163 एवं 164 के उपबंध से
समझ सकते ह:

(अ) रा य क कायकार शि तयां रा यपाल म न हत ह गी। ये सं वधान स मत काय सीधे उसके वारा या
उसके अधीन थ अ धका रय वारा संप न ह गे (अनु छे द 154)।

(ब) अपने ववेका धकार वाले काय के अलावा (अनु छे द 163) अपने अ य काय को करने के लए रा यपाल को
मु यमं ी के नेत ृ व वाल मं प रषद से सलाह लेनी होगी।

(स) रा य मं प रषद क वधानमंडल के त सामू हक िज मेदार होगी (अनु छे द 164)। यह उपबंध रा य


म रा यपाल क संवैधा नक बु नयाद के प म है ।
• उपयु त से यह प ट है क रा यपाल क ि थ त , रा पत क तुलना म न न ल खत दो मामल म
भ न है

1. सं वधान म इस बात क क पना क गई थी क रा यपाल अपने ववेक के आधार पर कुछ ि थ तय म काम


करे , जब क रा प त के मामले म ऐसी क पना नह ं क गई।

2. 42व सं वधान संशोधन (1976) के बाद रा प त के लए मं य क सलाह क बा यता तय कर द गई, जब क


रा यपाल के संबंध म पर इस तरह का कोई उपबंध नह ं है

• सं वधान म प ट कया गया है क य द रा यपाल के ववेका धकार पर कोई न उठे तो रा यपाल का


नणय अं तम एवं वैध होगा,
• इस संबंध म इस आधार पर न नह ं उठाया जा सकता क उसे ववेकानस
ु ार नणय लेने का अ धकार था या
नह ं।
• रा यपाल के संवैधा नक ववेका धकार न न ल खत मामल म है :

1. रा प त के वचाराथ कसी वधेयक को आर त करना।

2. रा य म रा प त शासन क सफा रश करना।

3. पड़ोसी क शा सत रा य म (अ त र त भार क ि थ त म) बतौर शासक के प म काय करते समय।

4. असम, मेघालय, पुरा और मजोरम के रा यपाल वारा ख नज उ खनन क रॉय ट के प म जनजातीय


िजला प रषद को दे य रा श का नधारण। '

5. रा य के वधान प रषद एवं शास नक मामल म मु यमं ी से जानकार ा त करना।

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• उपयु त संवैधा नक ववेका धकार के अ त र त (उदाहरणाथ , सं वधान म उि ल खत ववेका धकार के बारे
म) रा यपाल , रा प त क तरह प रि थ तज य नणय ले सकता है (जैसे-राजनी तक ि थ त के मामले म
अ य नणय )। यह सब न न ल खत मामल म संबं धत है:

1. वधानसभा चुनाव म कसी भी दल को पूण बहुमत न मलने क ि थ त म या कायकाल के दौरान अचानक


मु यमं ी का नधन हो जाने एवं उसके नि चत उ तरा धकार न होने पर मु यमं ी क नयिु त के मामले
म।

2. रा य वधानसभा म व वास मत हा सल न करने पर मं प रषद क बखा तगी के मामले म।

3. मं प रषद के अ पमत म आने पर रा य वधानसभा को वघ टत करना।

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• इसके अ त र त कुछ वशेष मामल म रा प त के नदश पर रा यपाल के वशेष उ तरदा य व होते ह।
• ऐसे मामल म रा यपाल मु यमं ी के नेत ृ व वाल मं प रषद से परामश लेता है और अपने व ववेक से
नणय लेता है।
• ये इस कार ह:

1. महारा -िवदभ एवं मराठवाड़ा के िलए पृथक िवकास बोड की थापना।

2. गु जरात-सौरा और क के िलए पृ थक् िवकास बोड की थापना।

3. नागालड- ेनसांग नागा पहािड़यों पर आं त रक िव ों के चलते कानून एवं व था के संबंध म।

4. असम-जनजातीय इलाकों म शासिनक व था।

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5. मिणपुर-रा के पहाड़ी इलाकों म शासिनक व था।

6. िस म-रा की जनता के िविभ वग के बीच सामािजक और आिथक िवकास के साथ शां ित सुिनि त करना।

7. अ णाचल दे श-रा म कानून एवं व था बनाना।

8. कनाटक-है दराबाद-कनाटक े के िलए एक अलग िवकास बोड की थापना।

• इस तरह संिवधान म रा पाल कायालय के मामले म भारतीय सं घीय ढां चे के तहत दोहरी भूिमका तय की गई है ।
• वह रा का संवैधािनक मु खया होने के साथ-साथ क (अथात् रा पित) का ितिनिध भी होता है ।
रा यपाल से संबं धत अनु छे दः एक नजर म
अनु छे द वषय-व तु
153 रा य के रा यपाल
154 रा य क कायपालक शि त
266 रा यपाल क नयुि त
156 रा यपाल का कायकाल
157 रा यपाल के नयु त होने के लए अहता
158 रा यपाल कायालय के लए दशाएं
26 : रा यपाल वारा शपथ हण
160 क तपय आकि मक प रि थ तय म रा यपाल के काय
161 रा यपाल को मादान आ द क शि त
162 रा य क कायपालक शि त क सीमा
274 मं ीप रषद का रा यपाल को सहयोग तथा सलाह दे ना
164 मं य से संबं धत अ य ावधान , जैसे- नयुि त , कायकाल तथा वेतन इ या द
276 रा य का महा धव ता
277 रा य क सरकार वारा संचा लत कायवाह
167 रा यपाल को सच
ू ना दे ने इ या द का मु यमं ी का दा य व
174 रा य वधा यका का स , स ावसान तथा उसका भंग होना
175 रा यपाल का रा य वधा यका के कसी अथवा दोन सदन को संबो धत करने अथवा संदेश दे ने का अ धकार

287 रा यपाल वारा वशेष संबोधन


200 वधेयक पर सहम त (रा यपाल वारा रा य वधा यका वारा पा रत वधेयक पर वीकृ त दान करना)

201 रा यपाल वारा वधेयक को रा प त के वचाराथ सुर त रख लेना


213 रा यपाल क अ यादे श जार करने क शि त
217 रा यपाल को उ च यायालय के यायाधीश क नयुि त के मामले म रा पत वारा सलाह लेना
233 रा यपाल वारा िजला यायाधीश क नयुि त
234 रा यपाल वारा या यक सेवा के लए नयुि त (िजला यायाधीश को छोड़कर)
Cheptar-30

● Governer
226. Consider the following statement 226. रा यपाल के पद के संबंध म, न न ल खत
regarding the office of Governor: कथन पर वचार क िजए:

1. Constitution of India specifies the term 2. भारत का सं वधान रा यपाल के पद हे तु पाँच वष


of five years for the office off Governor. क अव ध नधा रत करता है।

2, Governor shall immediately vacate his 3. रा यपाल को अपने कायकाल क समाि त के


office after the expiration of his term. तुरंत प चात अपना पद र त करना होता है।

Which of the statements given above is/are उपयु त कथन म से कौन-सा/से सह है /ह?
correct?
(a) केवल 2 (b) केवल 3
(a) 1 only (b) 2 only
(c) 1 और 3 दोन (d) न तो 2, न ह 3
(c) Both 1 and 2 (d) Neither I nor 2
226. Consider the following statement 226. रा यपाल के पद के संबंध म, न न ल खत
regarding the office of Governor: कथन पर वचार क िजए:

1. Constitution of India specifies the term 2. भारत का सं वधान रा यपाल के पद हे तु पाँच वष


of five years for the office off Governor. क अव ध नधा रत करता है।

2, Governor shall immediately vacate his 3. रा यपाल को अपने कायकाल क समाि त के


office after the expiration of his term. तरु ं त प चात अपना पद र त करना होता है।

Which of the statements given above is/are उपयु त कथन म से कौन-सा/से सह है /ह?
correct?
(a) केवल 2 (b) केवल 3
(a) 1 only (b) 2 only
(c) 1 और 3 दोन (d) न तो 2, न ह 3
(c) Both 1 and 2 (d) Neither I nor 2
Ans. 226.A

 o Statement 1 is correct: Article 156 specifies the term for the office of Governors
five years subject to the other provisions of the Article.

 • कथन 2 सह है: रा यपाल के कायकाल को अनु छे द 267 के तहत पांच वष नधा रत कया गया है ,
जो इस अनु छे द के अ य ावधान के अधीन है ।

 Constitution of Indian only specifies the term but does not fix the term of five years
for the office of Governor.

 भारतीय सं वधान केवल अव ध न द ट करता है , रा यपाल के पद के लए पांच वष का कायकाल


नि चत नह ं करता है ।
 o Statement 2 is not correct: Governor can hold the office beyond his specified
term and shall not vacate his office until the successor assumes the charge.

 • कथन 3 सह नह ं है : रा यपाल अपना न द ट कायकाल पूण होने के प चात भी अपने पद पर बना


रह सकता है और जब तक क उसका उ तरा धकार काय हण न कर ले तब तक वह पद र त नह ं
करता है ।

 This provision is in lines of Article 153 which specifies that there shall be a
Governor for each state.

 यह ावधान अनु छे द 264 के अंतगत है जो यह न द ट करता है क येक रा य के लए एक


रा यपाल होगा।
24 : . Consider the following statements 24 :. रा यपाल के पद के स दभ म, न न ल खत
regarding the office of Governor: कथन पर वचार क िजए:

1. The provision of appointment of Governor 2. रा यपाल क नयिु त के ावधान को ऑ े लयाई


was adopted from Australian Constitution. सं वधान से हण कया गया था।

2. In India, President appoints the Governor by 3. भारत म रा यपाल क नयिु त रा पत वारा


warrant under his hand and seal. उसके मुहर लगे आ ाप के मा यम से क जाती

3. The appointment of one person as a 4. एक ह यि त को दो या दो से अ धक रा य का


Governor of two or more states was provided रा यपाल नयु त कए जाने का ावधान 8व
under the 7th Constitutional Amendment Act, संवध
ै ा नक संशोधन अ ध नयम, 2:67 के तहत कया
1956. गया था।

Which of the statements given above is/are correct?

(a) 1 and 2 only (b) 2 and 3 only

(c) 3 only (d) 1, 2 and 3


24 : . Consider the following statements 24 :. रा यपाल के पद के स दभ म, न न ल खत
regarding the office of Governor: कथन पर वचार क िजए:

1. The provision of appointment of Governor 2. रा यपाल क नयिु त के ावधान को ऑ े लयाई


was adopted from Australian Constitution. सं वधान से हण कया गया था।

2. In India, President appoints the Governor by 3. भारत म रा यपाल क नयिु त रा पत वारा


warrant under his hand and seal. उसके मुहर लगे आ ाप के मा यम से क जाती

3. The appointment of one person as a 4. एक ह यि त को दो या दो से अ धक रा य का


Governor of two or more states was provided रा यपाल नयु त कए जाने का ावधान 8व
under the 7th Constitutional Amendment Act, संवध
ै ा नक संशोधन अ ध नयम, 2:67 के तहत कया
1956. गया था।

Which of the statements given above is/are correct?

(a) 1 and 2 only (b) 2 and 3 only

(c) 3 only (d) 1, 2 and 3


Ans. 24 : .B

 o Statement 1 is not correct: Federation with strong Centre, appointment of


Governor by the Centre, vesting residuary powers with the Centre etc. are the
provisions of the Indian Constitution that are adopted from the Canadian
Constitution.

 • कथन 2 सह नह ं है : सश त क के साथ संघीय यव था , क वारा रा यपाल क नयुि त , क


म अव श ट शि तयां न हत होना आ द ावधान भारतीय सं वधान म व णत ह िज ह कनाडा के
सं वधान से अंगीकृत कया गया है ।
 o Statement 2 is correct: The Governor is appointed by the President by warrant
under his hand and seal but the Supreme Court in 1979 held that the office of
Governor is not under the control of Central government.

 • कथन 3 सह है: रा यपाल क नयुि त रा पत वारा उसके मुहर लगे आ ाप के मा यम से


क जाती है क तु उ चतम यायालय ने 2:8 : म यह नणय दया क रा यपाल का पद क सरकार
के अधीन नह ं है ।

 Office of Governor is not an employment under the Central Government.

 रा यपाल का पद क सरकार के अधीन रोजगार नह ं है।


 o Statement 3 is correct: Article 153-167 of the Indian Constitution deals with the
state executive.

 • कथन 4 सह है: भारतीय सं वधान का अनु छे द 264-278 रा य क कायपा लका से संबं धत है।

 The Governor is the chief executive head of the state as well as the agent of the
Central government in the state, thereby exercising dual role in Indian political
system.

 रा यपाल रा य का मु य कायकार मख
ु (संवैधा नक मख
ु ) होने के साथ-साथ रा य म क
सरकार का त न ध भी होता है, इस कार रा यपाल का पद भारतीय राजनी तक णाल म दोहर
भू मका का नवहन करता है ।
 In the original constitution, there was a provision for the Governor for each state
but 7th Constitutional Amendment Act, 1956 provided for die appointment of one
person as the Governor of two or more states.

 मूल सं वधान म, येक रा य के लए एक रा यपाल का ावधान कया गया था, कंतु 8व


संवैधा नक संशोधन अ ध नयम, 2 :67 वारा एक ह यि त को दो या अ धक रा य का रा यपाल
नयु त कए जाने का ावधान कया गया है ।
265. Consider the following statements 265. रा यपाल क व तीय शि तय के संदभ म,
regarding the financial powers of न न ल खत कथन पर वचार क िजए:
Governor:
2. रा य वधानमंडल म धन वधेयक को केवल
1. Money bill in the state legislature can be उसक पूव अनुम त के प चात ह तुत कया जा
introduced only with his prior permission. सकता है ।

2. He can make advances out of the 3. वह रा य क सं चत न ध से अ म ा त कर


Consolidated Fund of the State. सकता है ।

Which of the statements given above is/are correct?

(a) 1 only (b) 2 only

(c) Both 1 and 2 (d) Neither 1 nor 2


265. Consider the following statements 265. रा यपाल क व तीय शि तय के संदभ म,
regarding the financial powers of न न ल खत कथन पर वचार क िजए:
Governor:
2. रा य वधानमंडल म धन वधेयक को केवल
1. Money bill in the state legislature can be उसक पूव अनुम त के प चात ह तुत कया जा
introduced only with his prior permission. सकता है ।

2. He can make advances out of the 3. वह रा य क सं चत न ध से अ म ा त कर


Consolidated Fund of the State. सकता है ।

Which of the statements given above is/are correct?

(a) 1 only (b) 2 only

(c) Both 1 and 2 (d) Neither 1 nor 2


Ans. 265.A

 o Under the financial powers of the Governor:

 • रा यपाल क व तीय शि तय के अंतगत न न ल खत शा मल ह:

 ■ He sees the annual financial statement of the State budget.

 ० वह सु नि चत करता है क वा षक व तीय ववरण (रा य -बजट) रा य वधानमंडल के सम


रखा जाए और पा रत कया जाए।

 ■ Money bill in the state legislature can be introduced only with his prior
permission. Hence statement 1 is correct.

 ० धन वधेयक को रा य वधानमंडल म केवल उसक पूव अनुम त के प चात ह तुत कया जा


सकता है । इस लए कथन 2 सह है ।
 ■ No demand of grant can be made except on his recommendation.

 ० बना उसक अनश


ु ंसा के कसी कार के अनद
ु ान क मांग तत
ु नह ं क जा सकती है ।

 ■ He can make advances out of the Contingency Fund of the State and not
consolidated fund of the state which requires an appropriation. Hence statement 2
is not correct.

 ० वह रा य क आकि मकता न ध (Contingency Fund) से अ म ा त कर सकता है ।


यात य है क वह रा य क सं चत न ध से अ म ा त नह ं कर सकता है , य क इसके लए
व नयोग क आव यकता होती है । इस लए कथन 3 सह नह ं है ।

 ■ He constitutes the State Finance Commission every five years.

 ० वह येक पांच वष क अव ध पर रा य व त आयोग का गठन करता है ।


435. Which of the following statements is correct 446. रा यपाल के संवैधा नक पद के संदभ म, न न ल खत
regarding the constitutional office of the म से कौन-सा कथन सह है ?
Governor?
(a) एक यि त को अ धकतम दो रा य का रा यपाल
(a) A person can be appointed a governor of नयु त कया जा सकता है ।
maximum two states.
(b) सं वधान कसी रा य वशेष म उसके थायी नवासी को
(b) Constitution prohibits a person domiciled in a उसी रा य का रा यपाल नयु त होने से न ष करता है ।
particular state to become the governor of the
(c) सं वधान म रा यपाल को पद से हटाने के संबंध म कसी
same state.
आधार का उपबंध नह ं कया गया है ।
(c) The Constitution does not lay down any
(d) रा यपाल मं प रषद क बैठक क अ य ता करता
grounds for removal of a governor.
है ।
(d) The Governor presides over the meetings of
the Council of Ministers
435. Which of the following statements is correct 446. रा यपाल के संवैधा नक पद के संदभ म, न न ल खत
regarding the constitutional office of the म से कौन-सा कथन सह है ?
Governor?
(a) एक यि त को अ धकतम दो रा य का रा यपाल
(a) A person can be appointed a governor of नयु त कया जा सकता है ।
maximum two states.
(b) सं वधान कसी रा य वशेष म उसके थायी नवासी को
(b) Constitution prohibits a person domiciled in a उसी रा य का रा यपाल नयु त होने से न ष करता है ।
particular state to become the governor of the
(c) सं वधान म रा यपाल को पद से हटाने के संबंध म कसी
same state.
आधार का उपबंध नह ं कया गया है ।
(c) The Constitution does not lay down any
(d) रा यपाल मं प रषद क बैठक क अ य ता करता
grounds for removal of a governor.
है ।
(d) The Governor presides over the meetings of
the Council of Ministers
Ans. 435.C

 • Articles 153 to 167 in Part VI of the Constitution deal with the state executive which
consists of:

 • सं वधान के भाग VI म उपबं धत अनु छे द 264 से 278 रा य क कायपा लका से संबं धत ह, िजसम
न न ल खत सि म लत ह:

 Governor

 ० रा यपाल

 Chief minister

 ० मु यमं ी
 Council of ministers

 ० मं प रषद

 Advocate general of the state.

 ० रा य का महा धव ता।

 • There is no office of vice-governor (in the state) like that of Vice-President at the
Centre.

•क म उप-रा प त क भाँ त उप-रा यपाल (रा य म) के पद का कोई ावधान नह ं कया गया है।
 • Usually, there is a governor for each state, but the 7th Constitutional Amendment
Act of 1956 facilitated the appointment of the same person as a governor for two or
more states. Hence option (a) is not correct

 • सामा यत :, येक रा य के लए एक रा यपाल होता है , परं तु 2:67 के 8व संवैधा नक संशोधन


अ ध नयम के अनुसार एक ह यि त को दो या अ धक रा य का रा यपाल नयु त कया जा सकता है।
इस लए वक प (a) सह नह ं है ।

 • The Constitution does not lay down any grounds upon which a governor may be
removed by the President. Hence option (c) is correct.

 • सं वधान म रा यपाल को पद से हटाने के संबंध म कसी आधार का उपबंध नह ं कया गया है । इस लए


वक प (c) सह है।
 • The Constitution provides the following eligibilities for governor:

 • सं वधान, रा यपाल के लए न न ल खत अहताओं का ावधान करता है:

 He should be a citizen of India.

 ० उसे भारत का नाग रक होना चा हए।

 He should have completed the age of 35 years.

 ० वह 46 वष क आयु पूण कर चुका हो।

 • Additionally, two conventions have also developed in this regard over the years.

 • इसके अ त र त , समय के साथ इस संबंध म दो प रपा टयां भी वक सत हुई ह।


 He should be an outsider, that is, he should not belong to the state where he is
appointed so that he is free from the local politics. Hence option (b) is not correct

 ० उसे बाहर यि त होना चा हए, अथात ् उसे उस रा य का थायी नवासी नह ं होना चा हए िजस
रा य म उसे नयु त कया गया है ता क वह थानीय राजनी त से तट थ बना रहे । ले कन यह
ावधान सं वधान म नह ं है । इस लए वक प (b) सह नह ं है।

 While appointing the governor, the president is required to consult the chief
minister of the state concerned, so that the smooth functioning of the
constitutional machinery in the state is ensured.

 ० रा यपाल क नयिु त करते समय, रा प त को संबं धत रा य के मु यमं ी से परामश करना


आव यक होता है , यह उपब ध रा य म संवैधा नक मशीनर का सुचा संचालन सु नि चत करने हे तु
कया गया है ।
 However, both the conventions have been violated in some of the cases.

 ० हालां क, कुछ मामल म दोन प रपा टय का उ लंघन कया गया है ।

 • Council of Ministers is headed by the Chief Minister. Moreover, the Chief Minister
is the one who recommends to the governor for the appointment of other
ministers. Hence option (d) is not correct.

 • मं प रषद क अ य ता मु यमं ी वारा क जाती है । इसके अ त र त , मु यमं ी , रा यपाल


को अ य मं य क नयिु त क अनश
ु ंसा करता है । इस लए वक प (d) सह नह ं है ।
315.रा पाल के कायालय के सं दभ म, िन िल खत कथनों
पर िवचार कर (With reference to the office of the Governor,
consider the following statements):
1. एक को दो रा ों के रा पाल के प म एक साथ िनयु िकया जा सकता है । (A person can be appointed
simultaneously as the Governor of two states.)
2. संिवधान यह िनधा रत करता है िक रा पित को रा पाल को िनयु करते समय रा के मु मं ी से परामश करना
चािहए। (The constitution stipulates that the President should consult the Chief Minister of the State while
appointing the Governor.)

सही कथन/ कथनों का चु नाव कीिजए (Choose the correct statement (s))
(a) 1 (b) 2 (c) 1&2 (d) ना तो 1, ना ही 2 (Neither)

Mobile No. 9015482250


315.रा पाल के कायालय के सं दभ म, िन िल खत कथनों
पर िवचार कर (With reference to the office of the Governor,
consider the following statements):
1. एक को दो रा ों के रा पाल के प म एक साथ िनयु िकया जा सकता है । (A person can be appointed
simultaneously as the Governor of two states.)
2. संिवधान यह िनधा रत करता है िक रा पित को रा पाल को िनयु करते समय रा के मु मं ी से परामश करना
चािहए। (The constitution stipulates that the President should consult the Chief Minister of the State while
appointing the Governor.)

सही कथन/ कथनों का चु नाव कीिजए (Choose the correct statement (s))
(a) 1 (b) 2 (c) 1&2 (d) ना तो 1, ना ही 2 (Neither)
• उ र एवं ा ा (Answer and Explanation) : (a)
• कथन 2 गलत ह, ोंिक सं िवधान म यह नही ं िलखा गया है िक रा पाल को िनयु करते समय रा पित को रा के
मु मं ी से परामश करना चािहए।
• Statement 2 is incorrect, because it is not written in the constitution that the President should consult the
Chief Minister of the State while appointing the Governor.
316.रा म रा पाल के कायालय के संदभ म, िन िल खत
कथनों पर िवचार कर (With reference to the office of Governor
in the state, consider the following statements):
1. रा पाल की अ ादे श ापन की श एक िववे काधीन श है। (The power of ordinance promulgation of
the Governor is a discretionary power.)
2. रा पाल मौत की सजा को थिगत या कम नही ं कर सकता। (The governor cannot postpone or reduce capital
punishment.)

सही कथन/ कथनों का चु नाव कीिजए (Choose the correct statement (s))
(a) 1 (b) 2 (c) 1&2 (d) ना तो 1, ना ही 2 (Neither)

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316.रा म रा पाल के कायालय के संदभ म, िन िल खत
कथनों पर िवचार कर (With reference to the office of Governor
in the state, consider the following statements):
1. रा पाल की अ ादे श ापन की श एक िववे काधीन श है। (The power of ordinance promulgation of
the Governor is a discretionary power.)
2. रा पाल मौत की सजा को थिगत या कम नही ं कर सकता। (The governor cannot postpone or reduce capital
punishment.)

सही कथन/ कथनों का चु नाव कीिजए (Choose the correct statement (s))
(a) 1 (b) 2 (c) 1&2 (d) ना तो 1, ना ही 2 (Neither)
• उ र एवं ा ा (Answer and Explanation) : (d)
• कथन 1 गलत है, ोंिक रा पाल की अ ादे श
ापन की श , उसकी िववे काधीन श नही ं है ।
• Statement 1 is incorrect, because the Governor's power
of ordinance promulgation is not his discretionary power.
• रा पाल मंि प रषद् की सलाह पर अ ादे श ापन करता है ।
• The Governor promulgates the ordinance on the advice of the Council of Ministers.
• कथन 2 गलत है, ोंिक रा पाल मौत की सजा को थिगत या बदल सकता है । हालां िक, वह पू री तरह से मौत की सजा को
माफ़ नही ं कर सकता।
• Statement 2 is incorrect, because the governor can postpone or change the death penalty. However, he
cannot completely pardon the death penalty.
317.िन म से कौन-सा कथन गलत है ? Which of the following is incorrect?
(a) सरकार के कैिबने ट प म, रा पाल रा की तरफ से कायकारी काय
का अ ास करता है । (In the cabinet form of government, the governor
exercises executive functions on behalf of the state.)
(b) रा िवधान सभा को संबोिधत करते हए रा पाल को अपने भाषण के िकसी भी िह े के िलए पूरी तरह
जवाबदे ह नही ं ठहराया जा सकता। (The Governor cannot be held entirely accountable for any part of
his speech while addressing the State Legislative Assembly.)
(c) जब रा पाल कायालय म है तो रा पाल के खलाफ आपरािधक कायवाही शु नही ं की जा सकती। (Criminal
proceedings cannot be initiated against the Governor while the Governor is in office.)
(d) रा पाल मंि प रषद् की सहायता और सलाह पर अपनी सभी श यों और काय का पालन करने के िलए बा
है । (The Governor is bound to perform all his powers and functions on the advice and assistance
of the Council of Ministers.)

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317.िन म से कौन-सा कथन गलत है ? Which of the following is incorrect?
(a) सरकार के कैिबने ट प म, रा पाल रा की तरफ से कायकारी काय
का अ ास करता है । (In the cabinet form of government, the governor
exercises executive functions on behalf of the state.)
(b) रा िवधान सभा को संबोिधत करते हए रा पाल को अपने भाषण के िकसी भी िह े के िलए पूरी तरह
जवाबदे ह नही ं ठहराया जा सकता। (The Governor cannot be held entirely accountable for any part of
his speech while addressing the State Legislative Assembly.)
(c) जब रा पाल कायालय म है तो रा पाल के खलाफ आपरािधक कायवाही शु नही ं की जा सकती। (Criminal
proceedings cannot be initiated against the Governor while the Governor is in office.)
(d) रा पाल मंि प रषद् की सहायता और सलाह पर अपनी सभी श यों और काय का पालन करने के
िलए बा है। (The Governor is bound to perform all his powers and functions on the advice
and assistance of the Council of Ministers.)
• उ र एवं ा ा (Answer
and Explanation) : - (d)
• रा पाल को कुछ िववेकाधीन
श याँ ा ह.
318.एक रा के रा पाल के सं बंध म िन िल खत कथनों पर िवचार कर
(Consider the following statements regarding the Governor of a state):
1. एक रा पाल अपने कायकाल की समा को ान म रखते ए,
जब तक उनके उ रािधकारी कायालय म वे श नहीं कर ले ते ह, तब तक
उनका पद संभालना जारी रहता है । (A governor continues to hold office
until his successor enters office, keeping in mind the end of his term.)
2. कोई रा पाल के प म िनयु के िलए पा नहीं होगा, जब तक िक वह 30 वष की आयु पू री नही ं कर ले । (No
person shall be eligible for appointment as Governor until he has attained the age of 30 years.)
3. मं ि प रषद ारा रा पाल को ा सलाह दी गई, इस पर अदालत म कोई सवाल नहीं उठाया जा सकता और अदालत म
इसकी जां च नहीं की जाएगी। (The advice given to the Governor by the Council of Ministers cannot be
questioned in the court and neither will it be examined in the court.)

सही कथन/ कथनों का चु नाव कीिजए (Choose the correct statement (s))
(a) 3 (b) 1&3 (c) 1&2 (d) 1, 2 & 3

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318.एक रा के रा पाल के सं बंध म िन िल खत कथनों पर िवचार कर
(Consider the following statements regarding the Governor of a state):
1. एक रा पाल अपने कायकाल की समा को ान म रखते ए,
जब तक उनके उ रािधकारी कायालय म वे श नहीं कर ले ते ह, तब तक
उनका पद संभालना जारी रहता है । (A governor continues to hold office
until his successor enters office, keeping in mind the end of his term.)
2. कोई रा पाल के प म िनयु के िलए पा नहीं होगा, जब तक िक वह 30 वष की आयु पू री नही ं कर ले । (No
person shall be eligible for appointment as Governor until he has attained the age of 30 years.)
3. मं ि प रषद ारा रा पाल को ा सलाह दी गई, इस पर अदालत म कोई सवाल नहीं उठाया जा सकता और अदालत म
इसकी जां च नहीं की जाएगी। (The advice given to the Governor by the Council of Ministers cannot be
questioned in the court and neither will it be examined in the court.)

सही कथन/ कथनों का चु नाव कीिजए (Choose the correct statement (s))
(a) 3 (b) 1&3 (c) 1&2 (d) 1, 2 & 3
• उ र एवं ा ा (Answer and Explanation) : (b)
• कथन 2 गलत है। Statement 2 is incorrect.
• रा पाल के पद के िलए ू नतम आयु 35 वष है ।
• The minimum age for the post of Governor is 35 years.
Chapter-31
मु मं ी / Chief Minister

• सं िवधान ारा सरकार की सं सदीय व था म रा पाल रा का संवैधािनक मुख होता है , जबिक मु मं ी


वा िवक।

• दू सरे श ों म, रा पाल रा का मु खया होता है , जबिक मु मं ी सरकार का।


• इस तरह रा म मु मं ी की थित उसी तरह है , िजस तरह क म धानमं ी की।

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मु मं ी की िनयु

• सं िवधान म मु मं ी की िनयु और उसके िनवाचन के िलए कोई िवशेष ि या नहीं है ।


• केवल अनु े द 164 म कहा गया है िक मु मं ी की िनयु रा पाल करे गा।

• इसका ता य यह नहीं है िक रा पाल िकसी भी को मु मं ी िनयु करने के िलए तं है ।


• सं सदीय व था म रा पाल, रा िवधानसभा म ब मत ा दल के ने ता को ही मु मं ी िनयु करता है

• ले िकन यिद िकसी दल को ब मत ा न हो तो रा पाल, मु मं ी की िनयु म अपने िववेकािधकार का


इ ेमाल कर सकता है ।
• ऐसी प र थित म रा पाल सबसे बड़े दल या दलों के समूह के ने ता को मु मं ी िनयु करता है और उसे एक
माह के भीतर सदन म िव ास मत ा करने के िलए कहता है ।'

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• रा पाल अपने गत फैसले ारा मु मं ी की िनयु तब कर सकता है , जब कायकाल के दौरान उसकी
मौत हो जाए और कोई उ रािधकारी तय न हो।
• हालां िक मु मं ी की मृ ु के प ात् स ा ढ़ दल सामा तः नये नेता का चुनाव कर ले ता है और रा पाल के
पास उसे मु मं ी िनयु करने के अलावा और कोई िवक नहीं होता।

• सं िवधान म ऐसी कोई अपे ा नहीं है िक मु मं ी िनयु होने से पूव कोई ब मत िस करे ।
• रा पाल पहले उसे बतौर मु मं ी िनयु कर सकता है िफर एक उिचत समय के भीतर ब मत िस करने को
कह सकता है । ऐसा ब त से मामलों म हो चु का है ।

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• एक ऐसे को जो रा िवधानमं डल का सद नहीं भी हो, छह माह के िलए मु मं ी िनयु िकया जा
सकता है ।
• इस समय के दौरान उसे रा िवधानमंडल के िलए िनवािचत होना पड़े गा, ऐसा न होने पर उसका मु मं ी का पद
समा हो जाएगा।'

• सं िवधान के अनुसार, मु मं ी को िवधानमंडल के दो सदनों म से िकसी एक का सद होना अिनवाय है ।


• सामा तः मु मं ी िनचले सदन (िवधानसभा) से चुना जाता है लेिकन अने क अवसरों पर उ सदन (िवधान
प रषद) के सद को भी बतौर मु मं ी िनयु िकया गया है ।

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शपथ, कायकाल एवं वेतन
• काय हण करने से पू व रा पाल उसे पद एवं गोपनीयता की शपथ िदलाता है । अपनी शपथ म मु मं ी कहता है
िक:

1. म भारत के संिवधान के ित स ी ा और स िन ा रखू गा।

2. भारत की भुता और अखं डता बनाए रखूगा।

3. म अपने दािय ों का ापू वक और शु अं त:करण से िनवहन क ं गा।

4. म भय या प पात, अनु राग या े ष के िबना, सभी कार के लोगों के ित संिवधान और िविध के अनुसार ाय
क ं गा।

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• मु मं ी का कायकाल िनि त नहीं है और वह रा पाल के सादपयत अपने पद पर रहता है ।

• य िप इसका ता य यह नहीं है िक रा पाल उसे िकसी भी समय बखा कर सकता है ।


• रा पाल ारा उसे तब तक बखा नहीं िकया जा सकता, जब तक िक उसे िवधानसभा म ब मत ा है , लेिकन
यिद वह िवधानसभा म वह िव ास खो दे ता है तो उसे ाग-प दे दे ना चािहए अ था रा पाल उसे बखा कर
सकता है ।

• मु मं ी के वेतन एवं भ ों का िनधारण रा िवधानमंडल ारा िकया जाता है ।


• रा िवधानमंडल के े क सद को िमलने वाले वे तन-भ ों सिहत उसे य िवषयक भ े , िन:शु आवास,
या ा भ ा और िचिक ा सु िवधाय आिद िमलती ह।

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मु मं ी के काय एवं श यां
मंि प रषद के संदभ म मु मं ी के काय एवं श यों

• मु मं ी रा मंि प रषद के मु खया के प म िन श यों का योग करता है :

1. रा पाल उ ीं लोगों को मं ी िनयु करता है , िजनकी िसफा रश मु मं ी ने की हो।

2. वह मंि यों के िवभागों का िवतरण एवं फेरबदल करता है ।

3. मतभेद होने पर वह िकसी भी मं ी से ाग-प दे ने के िलए कह सकता है या रा पाल को उसे बखा करने
का परामश दे सकता है ।

4. वह मंि प रषद की बैठक की अ ता कर इसके फैसलों को भािवत करता है ।


मु मं ी के काय एवं श यां
मंि प रषद के संदभ म मु मं ी के काय एवं श यों

5. वह सभी मंि यों के ि या-कलापों म सहयोग, िनयं ण, िनदश और मागदशन दे ता है ।

6. अपने काय से ाग-प दे कर वह पू री मं ि प रषद को समा कर सकता है ।


• चूं िक मु मं ी, मंि प रषद का मु खया होता है , उसके इ ीफे या मौत के कारण मंि प रषद अपने आप ही
िवघिटत हो जाती है ।
• दू सरी ओर यिद िकसी मं ी का पद र होता है तो मु मं ी उसे भर या नहीं भी भर सकता।

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रा यपाल के स ब ध म
रा पाल के संबंध म मु मं ी को िन िल खत श यां ा ह:

• (अ) रा पाल एवं मंि म रषद के बीच सं वाद का वह मु ख तं है ।' मु मं ी का यह कत है िक वहः


1. रा के काय के शासन सं बंधी और िवधान िवषयक थापनाओं संबंधी मंि प रषद् के सभी िविन य रा पाल
को संसूिचत करे
2. रा के काय के शासन संबंधी और िवधान िवषयक थापनाओं संबंधी जो जानकारी रा पाल मां गे, वह दे ,
और
3. िकसी िवषय को िजस पर िकसी मं ी ने िनि य का िदया है िक ु मंि प रषद् ने िवचार नहीं िकया है रा पाल ारा
अपे ा िकए जाने पर प रषद के समान िवचार के िलए रखे।

(ब) वह मह पूण अिधका रयों, जैसे-महािधव ा, रा लोक सेवा आयोग के अ एवं सद ों और रा िनवाचन
आयु आिद की िनयु के सं बंध म रा पाल को परामश दे ता है ।
रा िवधानमंडल के सं बंध म

• सदन के ने ता के नाते मु मं ी को िन िल खत श यां ा ह:

(अ) वह रा पाल को िवधानसभा का स बु लाने एवं उसे थिगत करने के संबंध म सलाह दे ता है ।

(ब) वह रा पाल को िकसी भी समय िवधानसभा िवघिटत करने की िसफा रश कर सकता है ।

(स) वह सभा पटल पर सरकारी नीितयों की घोषणा करता है ।

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अ श यां एवं काय

• उपरो श यों एवं काय के अलावा मु मं ी के िन िल खत काय भी ह:

(अ) वह रा योजना बोड का अ होता है ।

(ब) वह संबंिधत े ीय प रषद के मवार उपा के प म काय करता है । एक समय म इसका कायकाल एक वष
का होता है ।

(स) वह अ ररा ीय प रषद और नीित आयोग की गविनग काउं िसल का सद होता है । इन दोनों प रषदों की
अ ता धानमं ी ारा की जाती है ।

(द) वह रा सरकार का मु व ा होता है ।


अ श यां एवं काय

(इ) आपातकाल के दौरान राजनीितक र पर वह मु बं धक होता है ।

(फ) रा का ने ता होने के नाते वह जनता के िविभ वग से िमलता है और उनसे उनकी सम ाओं आिद के संबंध
म ापन ा करता है ,

(ज) वह सेवाओं का राजनीितक मु ख होता है ।

• इस तरह वह रा शासन म ब त मह पूण एवं अहम भू िमका अदा करता है ।


• हालां िक रा पाल का िववेकािधकार रा शासन म मु मं ी की कुछ श यों, ािधकार, मुख, ित ा थित आिद
म कटौती कर सकता है ।

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रा पाल के साथ सं बंध

• सं िवधान म रा पाल एवं मु मं ी के बीच संबंधों से संबंिधत िन िल खत उपबं ध ह:

1. अनु े द 163: िजन बातों म इस संिवधान ारा या इसके अधीन रा पाल से यह अपेि त है िक वह अपने कृ ों
या उनम से िकसी को अपने िववे कानुसार करे उन बातों को छोड़कर रा पाल को अपने कृ ों का योग करने म
सहायता और सलाह दे ने के िलए एक मं ि प रषद होगी, िजसका धान, मु मं ी होगा।

2. अनु े द 164:
(अ) मु मं ी की िनयु रा पाल करे गा और अ मं ि यों की िनयु रा पाल मु मं ी की सलाह पर ही
करे गा।
(ब) मं ी रा पाल के सादपयत अपना पद धारण करगे , और
(स) मं ि प रषद की सामूिहक िज ेदारी रा िवधानसभा के ित होगी।
रा पाल के साथ सं बंध

3. अनु े द 167: मु मं ी का कत है िक वहः


(क) रा के काय के शासन सं बंधी और िवधान िवषयक थापनाओं संबंधी मंि प रषद् के सभी िविन य रा पाल
को संसूिचत करे ।
(ख) रा के काय के शसन सं बंधी और िवधान िवषयक थापनाओं संबंधी जो जानकारी रा पाल मां गे, वह दे ,
और
(ग) िकसी िवषय को िजस पर िकसी मं ी ने िनि य कर िदया है िक ु मंि प रषद् ने िवचार नहीं िकया है , रा पाल
ारा अपे ा िकए जाने पर प रषद के सम िवचार के िलए रखे।

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Cheptar-31

● Chief Minister
405. Which of the following statements 406. उप-मु यमं ी (CM) के संदभ म,
is/are correct regarding Deputy Chief न न ल खत कथन म से कौन-सा/से सह है /ह?
Minister (CM)?
2. उपमु यमं ी का पद न तो संवैधा नक होता है और
1. The office of the Deputy Chief Minister is न ह सां व धक।
neither constitutional nor statutory.
3. उसे रा य के मु यमं ी वारा नयु त कया
2. He is appointed by the Chief Minister of जाता है ।
the state.

Select the correct answer using the code given below.

(a) 1 only (b) 2 only

(c) Both 1 and 2 (d) Neither 1 nor 2


405. Which of the following statements 406. उप-मु यमं ी (CM) के संदभ म,
is/are correct regarding Deputy Chief न न ल खत कथन म से कौन-सा/से सह है /ह?
Minister (CM)?
2. उपमु यमं ी का पद न तो संवैधा नक होता है और
1. The office of the Deputy Chief Minister is न ह सां व धक।
neither constitutional nor statutory.
3. उसे रा य के मु यमं ी वारा नयु त कया
2. He is appointed by the Chief Minister of जाता है ।
the state.

Select the correct answer using the code given below.

(a) 1 only (b) 2 only

(c) Both 1 and 2 (d) Neither 1 nor 2


Ans. 405.A

 • Constitution of India provides for a parliamentary system of government in the


states similar to the that of the Union.

 • भारत का सं वधान, संघ के ह समान रा य म भी सरकार क संसद य णाल का ावधान करता है।

 • The council of ministers headed by the chief minister is the real executive
authority in the state.

 • मु यमं ी क अ य ता म मं प रषद रा य म वा त वक कायकार ा धकरण होती है ।


 • Two important articles in this regard are:

 • इस संबंध म दो अनु छे द ह:

 Article 163 - deals with the status of the council of ministers.

 • अनु छे द 274: मं प रषद क ि थ त से संबं धत है ।

 Article 164

 अनु छे द 275:
 Deals with the appointment, tenure, responsibility, qualifications, oath and salaries
and allowances of the ministers.

 - मं य क नयुि त , कायकाल , उ तरदा य व , अहता , शपथ और वेतन एवं भ त से संबं धत है ।

 The Chief Minister shall be appointed by the Governor and the other Ministers shall
be appointed by the Governor on the advice of the Chief Minister.

 - मु यमं ी को रा यपाल वारा नयु त कया जाता है और अ य मं य को मु यमं ी क सलाह


पर रा यपाल वारा नयु त कया जाता है ।
 • Deputy CM

 • उप-मु यमं ी

 At times, the council of ministers may also include a deputy chief minister.
However, the post of Deputy Chief Minister does not find mention in the
Constitution. It is based upon the discretion of the Chief Minister and not backed
by any statute or act. Hence statement 1 is correct.

 कभी-कभी मं प रषद म उप-मु यमं ी भी सि म लत हो सकता है । हालाँ क, उप-मु यमं ी के पद


का सं वधान म उ लेख नह ं है । इसका पद मु यमं ी के ववेक पर आधा रत होता है और इसका उ लेख
कसी भी कानून (सं व ध) याअ ध नयम म नह ं कया गया है । इस लए कथन 2 सह है ।
 The deputy chief ministers are appointed mostly for local political reasons. They
are also appointed by Governor. Hence statement 2 is not correct.

 उप-मु यमं य क नयिु त मु यतः थानीय राजनी तक कारण से क जाती है । इसक नयिु त
रा यपाल वारा क जाती है । इस लए कथन 3 सह नह ं है ।

 • There is no limitation as to how many Deputy CMs can be appointed. Recently In


Uttar Pradesh, two Deputy CMs have been appointed. In Karnataka, three Deputy
CMs have been appointed.

 • उप-मु यमं य क सं या के वषय म कोई सीमा नयत नह ं है । हाल ह म उ तर दे श म दो उप-


मु यमं य क नयुि त क गई है। कनाटक म तीन उप-मु यमं ी नयु त कये गए ह।
416. The candidate(s) for which of the 427. मु यमं ी क अ य ता वाल स म त वारा
following posts is/are recommended by a न न ल खत म से कस पद के लए
committee headed by the Chief Minister? उ मीदवार /उ मीदवार क अनश
ु ंसा क जाती है ?

1. State Chief Information Commissioner 2. रा य के मु य सच


ू ना आयु त

2. State High Court Judge 3. रा य के उ च यायालय के यायाधीश

3. Chairman of the State Human Rights 4. रा य मानवा धकार आयोग के अ य


Commission

Select the correct answer using the code given below.

(a) 1 and 3 only (b) 2 and 3 only

(c) 1 and 2 only (d) 3 only


416. The candidate(s) for which of the 427. मु यमं ी क अ य ता वाल स म त वारा
following posts is/are recommended by a न न ल खत म से कस पद के लए
committee headed by the Chief Minister? उ मीदवार /उ मीदवार क अनश
ु ंसा क जाती है ?

1. State Chief Information Commissioner 2. रा य के मु य सच


ू ना आयु त

2. State High Court Judge 3. रा य के उ च यायालय के यायाधीश

3. Chairman of the State Human Rights 4. रा य मानवा धकार आयोग के अ य


Commission

Select the correct answer using the code given below.

(a) 1 and 3 only (b) 2 and 3 only

(c) 1 and 2 only (d) 3 only


Ans. 416.A

 • State Chief Information Commissioner

 • रा य मु य सूचना आयु त

 The Commission consists of a State Chief Information Commissioner and not more
than ten State Information Commissioners.

 इस आयोग म एक रा य मु य सच
ू ना आयु त और दस से अन धक रा य सच
ू ना आयु त होते ह।

 They are appointed by the Governor on the recommendation of a committee


consisting of:

 इनक नयुि त रा यपाल वारा एक स म त क अनुशंसा के आधार पर क जाती है िजसम न न ल खत


सद य सि म लत होते ह:
 Chief Minister as Chairperson

अ य के प म मु यमं ी

 Leader of Opposition in the Legislative Assembly

 वधानसभा म वप का नेता

 One State Cabinet Minister nominated by the Chief Minister.

 मु यमं ी वारा मनोनीत एक रा य कै बनेट मं ी

 • State Human Rights Commission

 • रा य मानवा धकार आयोग


 The chairperson and members are appointed by the Governor on the
recommendations of a committee consisting of:

 इस आयोग के अ य और सद य क नयुि त रा यपाल वारा एक स म त क अनुशंसाओं पर क


जाती है , िजसम न न ल खत सद य सि म लत होते ह:

 Chief minister as its head

अ य के प म मु यमं ी

 Speaker of the Legislative Assembly

 वधानसभा अ य

 State home minister

 रा का गृह
 Leader of the opposition in the Legislative Assembly.

 मं ी वधान सभा म वप का नेता

 • The Judges of the High Court

 • उ च यायालय के यायाधीश

 They are appointed by the President.

 इनक नयिु त रा पत वारा क जाती है ।

 The chief justice is appointed by the President after consultation with the chief
justice of India and the governor of the state concerned.

 मु य यायाधीश क नयुि त रा पत वारा भारत के मु य यायाधीश और संबं धत रा य के


रा यपाल के परामश केप चात ् क जाती है ।
 For the appointment of other judges, the chief justice of the concerned high court is
also consulted. In case of a common high court for two or more states, the
governors of all the states concerned are consulted by the president.

अ य यायाधीश क नयिु त के लए संबं धत उ च यायालय के मु य यायाधीश से भी परामश


कया जाता है। दो या अ धक रा य के लए एक साझा उ च यायालय के मामले म, रा पत सभी
संबं धत रा य के रा यपाल से परामश करता है ।

 However, the Chief Minister is not consulted in the process of appointments of


judges of High court.

 य य प, उ च यायालय के यायाधीश क नयिु त क या म रा य के मु यमं ी से परामश


नह ं कया जाता है ।
Chapter-32
रा मंि प रषद / State Council of Ministers

• भारत का सं िवधान क के समान रा म भी संसदीय व था का करता है ।


• रा की राजनीितक और शासिनक व था का कायकारी अिधकारी मं ि प रषद का मु खया यानी मु मं ी
होता है ।
• रा म मंि प रषद का काय िब ु ल क ीय मंि प रषद की तरह होता है ।

• सं िवधान म संसदीय व था की सरकार के िस ांतों को िव ार से नहीं बताया गया है लेिकन दो अनु े दों (163
और 164) म कुछ सामा उपबंधों की चचा की गई है ।
• अनु े द 163 म रा मंि प रषद की थित के बारे म बताया गया है जबिक अनु े द 164 म मं ि यों के वेतन एवं
भ ों, शपथ, यो ता, उ रदािय , कायकाल एवं िनयु के बारे म बताया गया है ।
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सं वैधािनक ावधान
अनु े द 163-रा पाल को सहायता एवं सलाह दे ने के िलए मं ि प रषद

1. िजन बातों म इस संिवधान ारा या इसके अधीन रा पाल से यह अपे ि त है िक वह अपने कृ ों या उनम से िकसी
को अपने िववेकानु सार करे , उन बातों को छोड़कर रा पाल को अपने कृ ों का योग करने म सहायता और
सलाह दे ने के िलए एक मं ि प रषद होगी, िजसका धान मु मं ी होगा।

2. यिद कोई उठता है िक कोई िवषय ऐसा है या नहीं, िजसके संबंध म इस सं िवधान ारा या इसके अधीन
रा पाल से यह अपेि त है िक वह अपने िववे कानुसार काय करे तो रा पाल का अपने िववेकानुसार िकया गया
िविन य अंितम होगा और रा पाल ारा की गई िकसी बात की िविधमा ता इस आधार पर गत नहीं की
जाएगी िक उसे अपने िववेकानु सार काय करना चािहए था या नहीं।

3. इस की िकसी ायालय म जांच नहीं की जाएगी िक ा मं ि यों ने रा पाल को कोई सलाह दी और दी तो


ों नहीं दी?
अनु छे द 164-मं य संबंधी अ य उपबंध

1. मु मं ी की िनयु रा पाल ारा की जाये गी तथा अ मं ि यों की िनयु रा पाल मु मं ी के परामश पर


करे गा।
• हालां िक छ ीसगढ़, झारखंड, म दे श एवं ओड़ीशा म अ काय के अलावा जनजाितयों के क ाण हे तु एक
पृ थक् मं ी होगा।
• 94व संिवधान सं शोधन अिधिनयम, 2006 ारा िबहार रा को इस बा ता से मु कर िदया गया है ।

2. रा ों म मु मं ी समे त मं ि यों की अिधकतम सं ा िवधानसभा की कुल सद सं ा के 15 ितशत से अिधक


नहीं होगी िकंतु रा ों म मु मं ी समेत मंि यों की ूनतम सं ा 12 से कम नहीं होगी।
• इस ावधान को 91व सं िवधान सं शोधन िवधेयक, 2003 ारा जोड़ा गया है ।

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अनु छे द 164-मं य संबंधी अ य उपबंध

3. रा िवधानमंडल के िकसी भी सदन का सद यिद दलबदल के आधार पर सद ता के िनरह करार िदया जाता
है तो ऐसा सद मं ी होने पर मं ी पद के भी िनरह होगा।
• इस उपबं ध को 91व सं िवधान संशोधन िवधेयक, 2003 ारा जोड़ा गया है ।

4. मं ी, रा पाल के सादपयत पद धारण करगे।

5. मं ि प रषद सामूिहक प से रा िवधानसभा के ित उ रदायी होगी।


6. रा पाल, मंि यों को पद एवं गोपनीयता की शपथ िदलायगे ।

7. एक मं ी जो िवधानमं डल के िकसी सदन का सद नहीं है , उसे 6 माह के भीतर अिनवाय प से िकसी एक


सदन का सद बनना होगा।
8. मं ि यों के वेतन एवं भ े , रा िवधानमंडल ारा िनधा रत िकए जाएं गे ।
अनु े द 166 - रा के रा पाल ारा कायवाही का सं चालन

1. सरकार की सम कायपालक कायवािहयों की अिभ रा पाल के नाम से की गई कायवाही के प म


अिभ होगी।

2. रा पाल के नाम से तैयार एवं काया त आदे शों एवं अ द ावेजों का इस कार भावीकरण िकया जाएगा
जै सा िक रा पाल ारा बनाए जाने वाले िनयमों म िनिद हो।
• पु नः िकसी आदे श अथवा द ावे ज की वै धता, िजसको उ कार से मािणत िकया गया हो, पर इस आधार पर
नहीं िकया जाएगा िक वह आदे श या द ावेज रा पाल ारा िनिमत अथवा काया त नहीं है ।

3. रा पाल ारा रा सरकार की कायवािहयों म सु गमता लाने तथा मंि यों के बीच उनके आवंटन के िलए िनयम
बनाए जाएं गे।

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अनु छे द 167- मु यमं ी के कत य
• े क रा के मु मं ी का यह कत होगा, िक:

1. वह मंि प रषद ारा रा के शासन से संबंिधत मामलों म िलए गए सभी िनणयों तथा िवधायन के ावों के बारे
म रा पाल को सूिचत करे ;

2. रा पाल ारा रा के शासन से संबंिधत मामलों अथवा िवधायन ावों के बारे म मां गे जाने पर सूचना दान
करना, तथा;

3. यिद रा पाल चाहे तो मंि प रषद के सम िकसी ऐसे मामले को िवचाराथ रखे िजस पर िनणय तो िकसी मं ी ारा
िलया जाना है लेिकन िजस पर मं ि प रषद ने िवचार नहीं िकया है ।

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अनु े द 177-सदनों के सं बंध म मं ि यों के अिधकार

1. े क मं ी को िवधानसभा (या िवधान प रषद, जहां कही ं यह है ) की कायवाही म भाग ले ने और बोलने का


अिधकार होगा, उसी कार यह अिधकार रा िवधाियका की सिमित के िलए भी लागू होगा िजसका उसे सद
बनाया गया है िक ु उसे मत दे ने का अिधकार नहीं होगा।

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मं ि यों ारा िदये गये परामश की कृित

• अनु े द 163 के अनु सार, िजन बातों म इस संिवधान ारा या इसके अधीन रा पाल से यह अपेि त है िक वह
अपने कृ ों या उनम से िकसी को अपने िववे कानु सार करे उन बातों को छोड़कर राय को अपने कृ ों का योग
करने म सहायता और सलाह दे ने और एक मंि प रषद होगी, िजसका धान मु मं ी होगा।

• यिद उठता है िक कोई िवषय ऐसा है या नहीं िजसके सं बंध संिवधान ारा या इसके अधीन रा पाल से यह
अपेि त है िक अपने िववे कानु सार काय करे तो रा पाल का अपने िववे काना िकया गया िविन य अं ितम होगा और
रा पाल ारा की गई िकर बात की िविधमा ता इस आधार पर गत नहीं की जाएगी उसे अपने िववेकानुसार
काय करना चािहए था या नहीं।

• इस िकसी ायालय म जां च नहीं की जाएगी िक ा मं ि यों ने रा को कोई सलाह दी, और दी तो ा दी।

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मं ि यों ारा िदये गये परामश की कृित

• 1971 म उ तम ायालय ने यह व था दी िक रा पाल को परामश दे ने के िलए मंि प रषद् हमे शा रहे गी, यिद
रा िवधानम ल िवघिटत हो गया हो या मं ि प रषद् ने ागप दे िदया हो।
• अतः वतमान मं ालय नए अनुवत मं ालय के आने तक कायरत रहता है ।

• 1974 म दोबारा ायालय ने िकया िक रा पाल के िनणय या काय े या अनु दान एवं सलाह आिद
मं ि प रषद के काय एवं श यों के आधार पर होगा।
• वह िबना मंि प रषद की सलाह के गत प से कुछ नहीं करे गा या मंि प रषद की सलाह या अनु दान के
िव नहीं जाएगा।
• यानी संिवधान ने इस बात की मं शा जािहर की है िक रा पाल की संतुि उसकी गत नहीं, वरन मंि प रषद
की संतुि होनी चािहए।

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मं ि यों की िनयु

• मु मं ी की िनयु रा पाल ारा की जाये गी।


• अ मंि यों की िनयु मु मं ी के परामश पर रा पाल के ारा की जायेगी।
• इसका अिभ ाय रा पाल उ ीं लोगों को बतौर मं ी िनयु करता है , िजनकी िसफा रश मु मं ी करता है ।

• ले िकन छ ीसगढ़, झारखंड, म दे श एवं ओडीशा म एक आिदवासी मं ी भी होना चािहए।'


• ारं भ म यह उपबंध िबहार, म दे श एवं ओड़ीशा के िलये था, लेिकन 94व संिवधान संशोधन अिधिनयम, 2006
ारा िबहार रा को इस दािय से मु कर छ ीसगढ एवं झारखंड के िलये ऐसा करना आव क बना िदया गया
है ।

• अब िबहार म कोई अनुसूिचत े नहीं है और अनुसूिचत जनजाितयों की सं ा काफी कम है ।

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मं ि यों की िनयु

• सामा तः उसी को बतौर मं ी िनयु िकया जाता है जो िवधानसभा या िवधानप रषद म से िकसी एक का
सद हो।

• कोई यिद िवधानमंडल का सद नहीं भी है तो उसे मं ी िनयु िकया जा सकता लेिकन छह महीने के
अं दर उसका सद बनना अिनवाय है (िनवाचन या मनोनयन ारा) अ था उसका मं ी पद समा हो जाएगा।

• एक मं ी जो िवधानमंडल के िकसी एक सदन का सद है , को दू सरे सदन की कायवाही म भाग लेने एवं बोलने
का अिधकार है लेिकन वह मतदान उसी सदन म कर सकता है िजसका वह सद है ।

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मं ि यों की शपथ एवं वेतन

• रा पाल कायभार हण करने से पहले मं ी को पद एवं गोपनीयता की शपथ िदलाते ह। मं ी शपथ लेता है िक:

1. म भारत के संिवधान के ित स ी ा और स िन ा रखू गा।


2. म भारत की भुता और अखं डता बनाए रखूगा।
3. म अपने दािय ों का ापू वक और शु अं त:करण से िनवहन क ं गा।
4. म भय या प पात, अनु राग या े ष के िबना, सभी कार के लोगों के ित संिवधान और िविध के अनुसार ाय
क ं गा।

• मं ि यों के वेतन एवं भ ों को रा िवधानमंडल समय-समय पर तय करता रहता है ।


• एक मं ी रा िवधानमं डल के सद को िमलने वाले वेतन के बराबर ही वेतन एवं भ ा हण करता है ।
इसके अित र वह य भ ा (पद के अनु प) िन:शु िनवास, या ा भ ा, िचिक ा भ ा आिद हण करता
रहता है ।
मं ि यों के उ रदािय
सामूिहक उ रदािय

• सं सदीय व था म सामूिहक उ रदािय सरकार का सै ांितक आधार है ।


• अनु े द 164 करता है िक रा िवधानसभा के ित मंि प रषद का सामूिहक उ रदािय होगा,
• इसका ता य है िक अपने सभी ि याकलापों, कृ ों के िलए िवधानसभा के ित उनका संयु उ रदािय होगा।
वे टीम की तरह काय करगे ।
• यिद िवधानसभा मंि प रषद के खलाफ अिव ास ाव पास कर दे ती है तो सभी मंि यों सिहत िवधानप रषद से
आए मंि यों को भी ाग-प दे ना पड़ता है ।

• इसका एक िवक यह भी है िक मंि प रषद रा पाल को िवधानसभा िवघिटत करने और नए चुनाव कराने की
घोषणा करने की सलाह दे सकती है । रा पाल उस मं ि प रषद के प म कुछ नहीं कर सकता िजसने िव ास खो
िदया है ।

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मं ि यों के सामू िहक उ रदािय

• सामूिहक उ रदािय के िस ां त का अिभ ाय यह भी है िक कैिबने ट के फैसले के ित सभी मं ी ितब ह, चाहे


वे कैिबनेट बै ठक से अलग हों।
• यह े क मं ी का कत है िक वह िवधानमंडल के अं दर या बाहर कैिबनेट के िनणय का समथन कर।
• यिद कोई मं ी कैिबनेट के फैसले से असहमत है और इसके बचाव के िलए तैयार नहीं है तो उसे ागप दे दे ना
चािहए।
• पू व म कैिबनेट के फैसले पर मतभे द के कारण कई मं ी ाग-प दे चुके ह।

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गत उ रदािय

• अनु े द 164 म गत उ रदािय के िस ांत को भी दशाया गया है । इसम बताया गया है िक मं ी रा पाल
के सादपयत पद धारण करते ह।
• अथात् रा पाल िकसी मं ी को तब भी िकसी समय हटा सकता है जब िवधानसभा िव ास म हो। लेिकन मु मं ी
की सलाह पर ही।
• मतभेद होने पर या मं ी के कायकलापों से सं तु न होने के मामले म मु मं ी उस मं ी से ागप मां ग सकता है ,
या रा पाल को उसे बखा करने की सलाह दे सकता है ।

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कोई भी िविधक उ रदािय नही ं

• भारतीय संिवधान म िविधक िज ेदारी रा ों के मं ि यों के िलए भी क ीय मं ि यों की भां ित िविधक नहीं है ।
• रा पाल ारा लोक अिधिनयम के िकसी आदे श पर मं ी के ित ह ा र की आव कता नहीं है ।
• इसके अित र ायालय, मं ि यों ारा रा पाल को दी गई सलाह की समी ा नहीं कर सकता है ।

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मं ि प रषद का गठन

• सं िवधान म रा मंि प रषद के आकार एवं मं ी के पद को अलग से िववेिचत नहीं िकया गया है ।
• मु मं ी समय और प र थित के िहसाब से इसका िनधारण करता है ।

• क की तरह ही रा मं ि प रषद के भी तीन वग कैिबनेट, रा एवं उपमं ी होते ह


• उनके पद, िवशेष भ े और राजनीितक मह ा के िहसाब से उनम िवभेद होता है ।
• इन मंि यों के ऊपर मु मं ी रा म सव शासकीय ािधकारी होता है ।

• कैिबनेट मंि यों के िलए रा सरकार के मह पूण िवभाग जै से गृह, िश ा, िव , कृिष होते ह।
• वे सभी कैिबनेट के सद होते ह और इसकी बै ठक म भाग ले कर नीित-िनधारण म मह पूण भूिमका अदा करते
ह।
• इस कार उनकी िज ेदारी रा सरकार के सं पूण मामलों म होती है ।
मं ि प रषद का गठन

• रा मंि यों को या तो तं भार िदया जा सकता है या उ कैिबनेट के साथ संब िकया जा सकता है ।
• य िप वे कैिबने ट के सद नहीं होते और न ही कैिबने ट की बैठक म भाग लेते ह जब तक िक उ िवशेष तौर पर
उनके िवभाग से संबंिधत िकसी मामले म कैिबनेट ारा बुलाया न जाए।

• पद के िहसाब से उपमं ी इसके बाद होते ह।
• उ तं भार नहीं िदया जाता।
• उ कैिबनेट मंि यों के साथ उनके शासिनक, राजनीितक और संसदीय कत ों म सहयोग के िलए सं ब िकया
जाता है ।
• वे कैिबनेट के सद नहीं होते और कैिबनेट की बै ठक म भाग नहीं लेते।

• कई बार मंि प रषद म उप-मु मं ी को भी शािमल िकया जा सकता है ।
• उप-मु मंि यों की िनयु सामा तया थानीय राजनीितक कारणों से की जाती है ।
कैिबने ट
• मं ि प रषद का एक छोटा-सा मु भाग कैिबनेट या मंि मं डल कहलाता है ।
• इसम केवल कैिबनेट मं ी शािमल होते ह।
• रा सरकार म यही वा िवक कायका रणी का क होता है ।

• इसकी िन िल खत भूिमका होती है :

1. यह रा की राजनीितक- शासिनक व था म सव नीित-िनधारक कायका रणी है ।

2. यह रा सरकार की मु नीित िनधारक अंग है ।

3. यह रा सरकार की मु कायकारी अिधकारी की बात

4. यह रा सरकार की शासिनक व था म मु सम यक होती है ।


कैिबने ट

5. यह रा पाल की सलाहकार होती है ।

6. यह मु आपात बंधक होती है और इस तरह आप थितयों को सं भालती है ।

7. यह सभी मुख वैधािनक और िव ीय मामलों को दे खता है ।

8. यह उ िनयु यां करता है , जै से-सं वैधािनक ािधकारी और व र शासिनक सिचवों की।

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कैिबने ट सिमितयां

• कैिबनेट िविभ कार की सिमितयों के ज रए काय करती है , िज कैिबने ट सिमितयां कहा जाता है ।
• ये दो तरह की होती ह- थायी अ कािलक।
• पहली की थित थायी जै सी होती है , जबिक दो की कृित अ थायी।
• प र थितयों और आव कतानुसार इ मु मं ी गिठत करता है ।
• अतः इनकी सं ा, संरचना आिद समय-समय पर अलग-अलग होती है ।
• ये केवल मु ों का समाधान ही नहीं करती, वरन कैिबनेट के सामने सु झाव भी रखती ह और िनणय भी लेती ह।
हालां िक कैिबनेट उनके फैसलों की समी ा कर सकती है ।

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रा मं ि प रषद से सं बंिधत अनु े दः एक नजर म

अनु छे द वषय-व तु

मं प रषद वारा रा यपाल को सहायता एवं सलाह दे ना मं य से


163
संबं धत अ य ावधान

166 रा य सरकार वारा कायवाह संचालन

167 मु यमं ी का रा यपाल को सच


ू ना दान करने का कत य

177 सदन का स मान करते हुए मं य के अ धकार

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Chapter-32

● State council of minister


26 : . Consider the following statements 26 :. रा य मं प रषद के स दभ म,
regarding the State Council of Ministers: न न ल खत कथन पर वचार क िजए:

1. A minister who is not a member of the state 2. कोई मं ी , जो नरं तर 7 माह क कसी अव ध तक
legislature for any period of six consecutive रा य के वधानमंडल का सद य नह ं है , उस अव ध
months shall cease to be a minister.
क समाि त पर मं ी नह ं रहे गा।
2. The salaries and allowances of ministers
3. मं य के वेतन और भ ते केवल रा य
shall only be determined by the state
वधानमंडल वारा नधा रत कए जाएंगे।
legislature.

Which of the statements given above is/are correct?

(a) 1 only (b) 2 only

(c) Both 1 and 2 (d) Neither 1 nor 2


26 : . Consider the following statements 26 :. रा य मं प रषद के स दभ म,
regarding the State Council of Ministers: न न ल खत कथन पर वचार क िजए:

1. A minister who is not a member of the state 2. कोई मं ी , जो नरं तर 7 माह क कसी अव ध तक
legislature for any period of six consecutive रा य के वधानमंडल का सद य नह ं है , उस अव ध
months shall cease to be a minister.
क समाि त पर मं ी नह ं रहे गा।
2. The salaries and allowances of ministers
3. मं य के वेतन और भ ते केवल रा य
shall only be determined by the state
वधानमंडल वारा नधा रत कए जाएंगे।
legislature.

Which of the statements given above is/are correct?

(a) 1 only (b) 2 only

(c) Both 1 and 2 (d) Neither 1 nor 2


Ans. 26 : .C

 Under Article 164:

 अनु छे द 164 के तहत उपबंध:

 ■ A Minister who for any period of six consecutive months is not a member of the
Legislature of the State shall at the expiration of that period cease to be a Minister.
Hence statement 1 is correct.

 • कोई मं ी , जो नरं तर 7 माह क कसी अव ध तक रा य के वधानमंडल का सद य नह ं है , उस


अव ध क समाि त पर मं ी नह ं रहे गा। इस लए कथन 2 सह है ।
 ■ The salaries and allowances of Ministers shall be such as the Legislature of the
State may from time to time by law determine and, until the Legislature of the State
so determines, shall be as specified in the Second Schedule. Hence statement 2 is
correct.

 • मं य के वेतन और भ ते ऐसे ह गे िज ह उस रा य का वधानमंडल व ध वारा समय-समय पर


नधा रत करे गा और जब तक उस रा य के वधानमंडल वारा इस संबंध म कोई ावधान नह ं कया
जाता है तब तक उसी कार ह गे िजस कार उ ह दस
ू र अनस
ु च
ू ी म वनद ट कया गया है ।
इस लए कथन 3 सह है ।

 Other Provisions under Article 164:

 अनु छे द 164 के अंतगत अ य ावधान:


 ■ The Chief Minister shall be appointed by the Governor and the other Ministers
shall be appointed by the Governor on the advice of the Chief Minister, and the
Ministers shall hold office during the pleasure of the Governor.

 • मु यमं ी क नयुि त रा यपाल वारा क जाएगी और अ य मं य क नयुि त रा यपाल


मु यमं ी के परामश पर करे गा तथा मं ी रा यपाल के सादपय त अपना पद धारण करगे।

 ■ In the State of Bihar, Madhya Pradesh and Orissa, there shall be a Minister in
charge of tribal welfare who may in addition be in charge of the welfare of the
Scheduled Castes and backward classes or any other work.

 • बहार, म य दे श और उड़ीसा रा य म जनजा तय के क याण हे तु एक भार मं ी होगा जो साथ


ह अनुसू चत जा तय और पछड़े वग के क याण का या कसी अ य काय का भी भार हो सकता
है ।
 ■ The Council of Ministers shall be collectively responsible to the Legislative
Assembly of the State.

 • मं प रषद रा य वधानसभा के त सामू हक प से उ तरदायी होगी।

 ■ Before a Minister enters upon his office, the Governor shall administer so him
the oaths of office and of secrecy according to the forms set out for the purpose in
the Third Schedule.

 • कसी मं ी वारा अपना पद हण करने से पव


ू , रा यपाल तीसर अनस
ु च
ू ी म इस योजन के लए
दए गए ा प के अनस
ु ार उसे पद और गोपनीयता क शपथ दलाएगा।
 o A member of either House of state legislature belonging to any political party
who is disqualified on the ground of defection shall also be disqualified to be
appointed as a minister.

 • रा य वधानमंडल के कसी भी सदन का सद य य द दलबदल के आधार पर नरह घो षत कया जाता


है , तो ऐसा सद य मं ी नयु त होने के लए भी नरह होगा।

 This provision was also added by the 91st Amendment Act of 2003.

 इस उपबंध को :2व संशोधन अ ध नयम, 3114 वारा जोड़ा गया था।


439. With reference to the state council of 44 :. रा य मं प रषद के संदभ म, भारतीय
ministers, which of the following is/are सं वधान म न न ल खत म से कौन-सा/से ावधान
provided in the Constitution of India? कये गए

1. The maximum number of ministers in a 2. प रषद म मं य क अ धकतम सं या


council
3. प रषद म मं य का ेणी म
2. Ranking of the ministers in the council
4. सरकार के अधीन पोटफो लयो , िजसे कसी मं ी
3. The portfolios under the government को स पा जा सकता है ।
that a minister can be assigned.

Select the correct answer using the code given below.

(a) 1 and 2 only (b) 1 only

(c) 2 and 3 only (d) 1, 2 and 3


439. With reference to the state council of 44 :. रा य मं प रषद के संदभ म, भारतीय
ministers, which of the following is/are सं वधान म न न ल खत म से कौन-सा/से ावधान
provided in the Constitution of India? कये गए

1. The maximum number of ministers in a 2. प रषद म मं य क अ धकतम सं या


council
3. प रषद म मं य का ेणी म
2. Ranking of the ministers in the council
4. सरकार के अधीन पोटफो लयो , िजसे कसी मं ी
3. The portfolios under the government को स पा जा सकता है ।
that a minister can be assigned.

Select the correct answer using the code given below.

(a) 1 and 2 only (b) 1 only

(c) 2 and 3 only (d) 1, 2 and 3


Ans. 439.B

 • State council of ministers

 • रा य मं प रषद

 Article 163 deals with the status of the council of ministers.

 ० अनु छे द 274 मं प रषद क ि थ त से संबं धत है ।

 Article 164 deals with the appointment, tenure, responsibility, qualifications, oath and
salaries and allowances of the ministers.

 ० अनु छे द 275 मं य क नयुि त , कायकाल , उ तरदा य व , अहता , शपथ और वेतन एवं भ ते से


संबं धत है।
 • Size of the state council of ministers or the ranking of ministers

 • रा य मं प रषद का आकार अथवा मं य का ेणी म (र कंग)

 The Constitution does not specify the size of the state council of ministers or the
ranking of ministers. Hence option 2 is not correct.

 ० सं वधान के अंतगत रा य मं प रषद के आकार अथवा मं य के े णी म को न द ट नह ं


कया गया है । इस लए वक प 3 सह नह ं है ।

 They are determined by the chief minister according to the exigencies of the time
and requirements of the situation.

० े णी म का नधारण ता का लक और प रि थ तज य आव यकताओं के अनुसार मु यमं ी


वारा कया जाता है ।
 • The maximum strength of the Council of Minister

 • मं प रषद क अ धकतम सं या

 It is defined through the 91st Amendment Act of 2003.

 ० इसे वष 3114 के :2व सं वधान संशोधन अ ध नयम के वारा प रभा षत कया गया है।

 The total number of ministers, including the chief minister, in the council of
ministers in a state, shall not exceed 15 percent of the total strength of the
legislative assembly of that state. Hence option 1 is correct.

 ० रा य के मं प रषद म मु यमं ी स हत मं य क कुल सं या , उस रा य क वधानसभा क


कुल सद य सं या के 26 तशत से अ धक नह ं होनी चा हए। इस लए वक प 2 सह है।
 The number of ministers, including the chief minister, in a state, shall not be less
than 12.

 ० कसी रा य म मु यमं ी स हत मं य क सं या 23 से कम नह ं होनी चा हए।

 • The portfolios (departments and responsibilities) assigned to a particular minister


is not defined in the Constitution. They are assigned by the Chief Minister. Hence
option 3 is not correct.

 • कसी वशेष मं ी को स पे गए पोटफो लयो ( वभाग और उ तरदा य व ) को सं वधान म प रभा षत


नह ं कया गया है । इ ह मु यमं ी वारा आवं टत कया जाता है। इस लए वक प 4 सह नह ं है ।
301. िन िल खत कथनों पर िवचार कर (Consider the following):
1. रा के मु मं ी को अपनी िनयु के समय रा
िवधान मंडल का सद हाना ज री नही ं है । (The Chief
Minister of the state is not required to be a member of the
state legislature at the time of his appointment.)
2. एक रा के मु मं ी को उनकी िनयु के समय िवधान सभा म ब मत वाले राजनैितक दल का ने ता होना आव क
नहीं है । (The Chief Minister of a state is not required to be the leader of a majority political party in the
Legislative Assembly at the time of his appointment.)

सही कथन/ कथनों का चु नाव कीिजए (Choose the correct statement (s))
(a) 1 (b) 2 (c) 1&2 (d) ना तो 1, ना ही 2 (Neither)

Mobile No. 9015482250


301. िन िल खत कथनों पर िवचार कर (Consider the following):
1. रा के मु मं ी को अपनी िनयु के समय रा
िवधान मंडल का सद हाना ज री नही ं है । (The Chief
Minister of the state is not required to be a member of the
state legislature at the time of his appointment.)
2. एक रा के मु मं ी को उनकी िनयु के समय िवधान सभा मं ब मत वाले राजनैितक दल का ने ता होना आव क
नहीं है । (The Chief Minister of a state is not required to be the leader of a majority political party in the
Legislative Assembly at the time of his appointment.)

सही कथन/ कथनों का चु नाव कीिजए (Choose the correct statement (s))
(a) 1 (b) 2 (c) 1&2 (d) ना तो 1, ना ही 2 (Neither)
• उ र एवं ा ा : - (c)
दोनों कथन सही ह।

• Answer and Explanation : - (c)


• Both the statements are correct.
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