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1.लोक शासन PUBLIC ADMINISTRAYION
OPTIONAL
2. राजनीित िव ान POLITICAL SCIENCE
वैक क िवषय
3.समाजशा SOCIOLOGY
1. POLITY
2. INTERNATIONAL RELATIONS
GS
3. INDIAN SOCIETY Referral Code
सामा अ न
4. INTERNAL SECURITY LYLIVE
Referral Code
5. DISASTER MANAGEMENT
LYLIVE
10
6. ETHICS
Telegram Channel name –
Unacademy Lalit Yadav Ki Pathshala
Link – https://t.me/unacademylalityadavkipathshala
Chapter-27
ाियक समी ा / Judicial Review
• भारत म दू सरी ओर, सं िवधान यं ायपािलका को ाियक समी ा की श दे ता है (सव ायालय एवं उ
ायालयों को)।
• साथ ही सव ायालय ने घोिषत कर रखा है िक ाियक समी ा की ायपािलका की श सं िवधान की
मू लभूत िवशेषता है , तथािप सं िवधान म मू लभूत ढां चे का एक त है । इसिलए ाियक समी ा की श म
सं िवधान संशोधन के ारा भी न तो कटौती की जा सकती है न ही इसे हटाया जा सकता है ।
• “भारत म संिवधान ही सव है और िकसी वैचा रक कानून की वैधता के िलए उसका संिवधान के ावधानों एवं
अपे ाओं के अनु प होना अिनवाय है और ायपािलका ही तय कर सकती है िक कोई अिधिनयम संवैधािनक है
अथवा नहीं।
• "हमारे संिवधान म िकसी िवधायन की ाियक समी ा के ऐसे 'ए ेस ावधान' (express provision) ह िक वह
सं िवधान के अनु प है अथवा नहीं इस त का पता लगाया जा सके। यही बात मू ल अिधकारों के िलए भी स है
िजनके िलए ायपािलका को संिवधान ने जाग क हरी की भूिमका सौंपी है ।'‘
1. अनु े द 13 घोषणा करता है िक सभी कानून जो मू ल अिधकारों की संगित म रहे ह या उनका अपकष करते ह,
िनर माने जाएं गे।
2. अनु े द 32 मौिलक अिधकारों को लागू करने के िलए सव ायालय जाने के नाग रकों के अिधकार की गारं टी
करता है , साथ ही सव ायालय को श दे ता है िक वह इसके िलए िनदे श अथवा आदे श अथवा ायादे श
जारी करे ।
3. अनु े द 131 के -रा तथा अ र-रा िववादों के िलए सव ायालय का मूल े ािधकार िनि त करता है ।
4. अनु े द 132 सं वैधािनक मामलों म सव ायालय का अपीलीय े ािधकार सुिनि त करता है ।
7. अनु े द 134-ए उ ायालयों से सव ायालय को अपील के िलए माणप (Certificate for appeal)
से स त है ।‘
8. अनु े द 135 सव ायालय को िकसी संिवधान पूव के कानू न के अंतगत संघीय ायालय (Federal Court)
के े ािधकार एवं श का योग करने की श दान करता है ।
10. अनु े द 143 रा पित को कानू न स ी िकसी के त पर अथवा िकसी संिवधान-पूव के वैिधक (कानूनी)
मामलों म सव ायालय की राय मां गने के िलए अिधकृत करता है ।
11. अनु े द 226 उ ायालयों को मौिलक अिधकारों को लागू करने या िकसी अ योजन से िनदे श, आदे श या
रट जारी करने की श दान करता है ।
12. अनु े द 227 सव ायालयों को अपने-अपने े ीय अिधकार े म सभी ायालयों एवं ायािधकरणों (सै
अदालतों एवं ायािधकारों को छोड़कर) के अधी ण की श दान करता है । \
13. अनु े द 245 सं सद एवं रा िवधाियकाओं ारा िनिमत कानूनों की े ीय सीमा तय करने से संबंिधत है ।
15. अनु े द 251 एवं 254 के ीय कानू न एवं रा कानू नों के बीच टकराव की थित म यह ावधान करता है िक
भारत म दोनों अथात् अमे रकी ाियक सव ता िस ांत और ि िटश सं सदीय िस ांत की सव ता का स ण है ।
• अनु े द 31बी नवीं अनु सूची म शािमल अिधिनयमों एवं िविनयमों की िकसी भी मौिलक अिधकार के उ ंघन के
आधार पर चुनौती दे ने एवं अवै ध ठहराने से र ा करता है ।
• अनु े द 31बी तथा नवीं अनु सूची को पहले संिवधान सं शोधन अिधिनयम, 1951 के ारा जोड़ा गया था।
• मू ल प म (1951 म) नवीं अनु सूची म केवल 13 अिधिनयम एवं िविनयम थे ले िकन वतमान म (2016 म) इनकी
सं ा 282 है ।" इनम से रा िवधाियका के अिधिनयम एवं िविनयम भूिम सुधार और जमींदारी उ ूलन से संबंिधत
है , जबिक संसदीय कानून अ मामलों से।
• ायालय का कहना था िक ाियक समी ा संिवधान की मू लभूत िवशेषता है और इसे नवीं अनुसूची म शािमल
िकसी कानून के िलए वापस नहीं िलया जा सकता।
• ायालय की व था के अनुसार 24 अ ैल, 1973 के बाद नवीं अनु सूची म रखे गए कानू नों को चुनौती दी जा
सकती है , अगर उनसे अनु े द 14, 15, 19 और 21 के अं तगत द मौिलक अिधकारों अथवा 'सं िवधान की
मू लभूत िवशेषता' का हनन होता है ।
• 24 अ ैल, 1973 को ही सव ायालय ने पहली बार संिवधान की मूलभूत िवशेषता का िस ांत ितपािदत िकया
था, केशवानंद भारती मामले म अपने ऐितहािसक फैसले म।‘
• ाियक सि यता का आशय नाग रकों के अिधकारों के संर ण के िलए तथा समाज म ाय को बढ़ावा दे ने के
िलए ायपािलका ारा आगे बढ़कर भूिमका लेने से है ।
• दू सरे श ों म इसका अथ है ायपािलका ारा सरकार के अ दो अंगों (िवधाियका एवं कायपािलका) को अपने
सं वैधािनक दािय ों के पालन के िलए बा करना।
•
• ाियक सि यता को ' ाियक गितशीलता' भी कहते ह।
• यह ' ाियक संयम' के िब ु ल िवपरीत है िजसका मतलब है ायपािलका ारा आ -िनयं ण बनाए रखना। .
5. ' ाियक सि यता नये िस ां तों, अवधारणाओं, सू ों एवं सहा ों को िवकिसत करने की एक ि या है िजसका
उपयोग ाय करने अथवा िववदों को थित:प को िव ा रत करते ए ायालय का दरवाजा ज रतमंदों के
िलए खोलना, अथवा ऐसे िववादों को सु नना िजनसे पू रा समाज अथवा उसका एक वष (वग) भािवत हो रहा हो।
• ाियक सि यता की अवधारणा जनिहत यािचका की अवधारणा से िनकटता से जु ड़ी है । यह सव ायालय की
ाियक सि यता है िजसके कारण जनिहत यािचकाओं की सं ा बढ़ी है ।
(i) उ रदायी सरकार उस समय लगभग हो जाती है जब सरकार की शाखाएं िवधाियका एवं कायपािलका
अपने -अपने काय का िन ादन नहीं कर पाती।ं प रणामतः तो सं िवधान तथा लोकतं म नाग रकों का भरोसा
टू टता है ।
(ii) नाग रक अपने अिधकारों एवं आजादी के िलए ायपािलका की ओर दे खते ह। प रणामतः ायपािलका पर
पीिड़त जनता को आगे बढ़कर मदद प ं चाने का भारी दबाव बनता है ।
(iii) ाियक उ ाह अथात् ायाधीश भी बदलते समय के समाज सुधार म भागीदार बनना चाहते ह। इससे जनिहत
यािचकाओं को ह ेप के अिधकार (Locus Standi) के तहत ो ाहन िमलता है ।
या यक स यता का औ च य
(iv) िवधायी िनवात, अथात ऐसे कई े हो सकते ह जहाँ िवधानों का अभाव है । इसीिलए ायालय पर ही िज ेदारी
आ जाती है िक वह प रवितत सामािजक ज रतों के िहसाब से ायालयीय िवधायन का काय करे ।
(v) भारत के संिवधान म यं ऐसे कुछ ावधान ह िजनम ायपािलका को िवधायन यानी कानून बनाने की
गुं जाइश है , या एक सि य भूिमका अपनाने का मौका िमलता है ।
(ii) एक 'हं ग' (hung) िवधाियका, िजसम िकसी दल को ब मत न िमला हो, की थित म जब सरकार कमजोर व असुरि त हो
और ऐसे िनणय लेने म अ म हो िजससे कोई जाित या समुदाय या अ समूह अ स हो सकता है ।
(iii) स ासीन दल स ा खोने के भय से ईमानदार और कड़ा िनणय लेने से डर सकता है और इसी कारण से समय लगने और
िनणय लेने म दे री करने अथवा ायालयों पर कठोर िनणय लेने संबंधी दु भावना डालने के िलए जन मु ों को संदिभत कर
िदया जाता है ।
(v) जहां िक िविध के ायालय का मजबू त, सवस ावादी संसदीय दलवाली सरकार ारा गलत नीयत या उ े ों से दु पयोग
हो रहा हो जै सा िक आपातकाल के दौरान आ था।
(vi) कभी-कभी ायालय जाने -अनजाने यं मानवीय वृि यों, लोकलुभावनवाद, चार, मीिडया की सु खयां बटोरने आिद का
िशकार हो जाता है ।
2. मीमां सा क भयः ( ा वे अथशा म मनमोहन िसंह, वै ािनक मामलों म परमाणु ऊजा ित ान के जारों, तथा
वै ािनक एवं औ ोिगक अनु संधान प रषद् के क ानों के र का ान रखते ह?)
4. वैधता संबंधी यः ( ा वे अपने तीका क ािधकार की ही ित नहीं कर रहे जनिहत यािचकाओं म आदे श
पा रत करके, िजनकी िक कायपािलका अनदे खी भी कर सकती है ? ा इससे ायपािलका म लोगों का भरोसा
कम नहीं होगा?)
5. लोकतं संबंधी भयः (जनिहत यािचका वा व म लोकतं का पोषण कर रही है या भिव की इसकी संभावनाओं
को समा कर रही है ?)
6. आ वृ संबंधी भयः (से वािनवृ ि के प ात रा ीय मामलों म मेरा ा थान होगा, अगर म इस कार के
वाद आव कता से अिधक क ं ?)
या यक संयम का अथ
1. पीठ यानी बच ने कहा, "बार-बार हमारे सामने ऐसे मामले आ रहे ह िजनम जजों ने िवधायी अथवा कायपािलकीय
काय अपने हाथ म ले िलए, िजसका कोई औिच नहीं है । यह साफ-साफ असं वैधािनक है । ाियक सि यता के
नाम पर जज अपनी सीमा का उ ंघन नहीं कर सकते और सरकार के अ अं गों के काय खुद नहीं कर सकते।"
2. पीठ ने कहा, "जजों को अपनी सीमा जान ले नी चािहए और सरकार चलाने की कोिशश िब ु ल नहीं करनी चािहए।
उनम सदाशयता तथा िवन ता होनी चािहए और स ाटों की तरह वहार नहीं करना चािहए।
5. ायालय शासिनक पदािधका रयों को असु िवधा म न डाल और इस बात को ीकार करे िक शासिनक
अिधका रयों की शासन के े म िवशे ष ता है , ायालयों की नहीं।‘
6. पीठ (बच) ने कहा, "कायपािलका एवं िवधाियका के काय े म ाियक अित मण का औिच यह बताया जाता
है िक ये दोनों अं ग ढं ग से अपना काम नहीं कर रहे । यह मान भी िलया जाए तो यही आरोप ायपािलका पर
भी लगाया जा सकता है ोंिक ायालयों म आधी सदी से मामले लं िबत ह”
7. यिद िवधाियका और कायपािलका ढं ग से काय नहीं कर रही है , तो उ ठीक करने की िज ेदारी लोगों पर है जो
अगले चुनाव म अपने मतािधकार का सही प से योग कर और ऐसे उ ीदवारों को मत द जोिक उनकी
अपे ाओं को पू रा कर सके या िफर अ कानू नी तरीके अपनाकर व था को दु कर, जैसे - शां ितपूवक
दशन।
• अमे रका म इसे ितिनिध िवहीन समूहों एवं िहतों को कानूनी या वैिधक ितिनिध दान करने के िलए पाियत
िकया गया था।
• इसे इस त के आलोक म शु िकया गया िक कानूनी सेवाएं दान करने वाले बाजार आबादी के मह पू ण
भागों एवं मह पूण िहतों को अपनी सेवाएं दे ने म िवफल रहते ह। इनम शािमल ह-गरीब, पयावरणवादी, उपभो ा,
जातीय एवं नृजातीय अ सं क तथा अ ।
• ायमू ित वी.आर. कृ अ र तथा ायमू ित पी.एन. भगवती पीआईएल की अवधारणा के वतक रहे ह।
• पीआईएल को सामािजक ि या यािचका [Social Action Litigation (SAL)], सामािजक िहत यािचका [Social
Interest Litigation (SIL)], तथा वग य ि या यािचका [Class Action Litigation (CAL)], के प म भी जाना
जाता है ।
• भारत म पीआईएल की शु आत पार रक अिधका रता के शासन एवं िनयमों म रयायत से शु ई। इस कानू न
के अनुसार केवल वही संवैधािनक उपचार के िलए ायालय म जा सकता है िजनके अिधकारों का हनन
आ है ।
• वहीं पीआईएल इस पार रक िनयम-कानून के अपवाद प है । पीआइएल यानी जनिहत यािचका के अं तगत
कोई भी जनभावना वाला या सामािजक सं गठन िकसी भी या यों के समूहों के अिधकार िदलाने
के िलए ायालय जा सकता है , अगर ये /समूह िनधनता, अ ान, अथवा अपनी सामािजक-आिथक प से
ितकूल दशाओं के कारण ायालय उपचार के िलए नहीं जा सकते ।
1. पीआईएल कानूनी सहायता आं दोलन का रणनीितक अं ग है और इसका आशय है गरीब जनता तक ाय को सुलभ
बनाना जो िक मानवता के कम िह े का ितिनिध करती है ।
2. पीआईएल एक िभ कार का वाद है सामा पार रक वाद के मु काबले िजसम दो यािचकाकता प ों के बीच
िकसी बात पर िववाद होता है और एक प दू सरे प के खलाफ सहायता का दावा करता है और दू सरा प ऐसी
िकसी सहायता का िवरोध करता है ।
6. पीआईएल म जन आघात का िनवारण करने , सावजिनक कत का वतन करने , सामािजक, सामूिहक, िवस रत
अिधकारों एवं िहतों अथवा सावजिनक या जनिहत के र ण के िलए वाद दा खल िकया जाता है ।
8. हालां िक पीआईएल म ायालय पार रक िनजी िविध वादों के अनजान लचीलेपन का योग करता है , ायालय
ारा चाहे जो भी ि या अपनाई जाए यह वह ि या होनी चािहए जो िक ाियक मत एवं ाियक कायवाही के
िलए जाना जाता हो।
9. पीआईएल म पार रक िववाद समाधान ि या से अलग, वैय क अिधकारों का ायिनणय नहीं होता।
1. बं धुआ िमक
2. उपेि त ब े
3. िमकों को ूनतम मजदू री नहीं िमलना, आक क िमकों का शोषण तथा म कानू नों के उ ंघन (अपवाद
वैय क मामले) संबंधी मामले
4. जे लों से दा खल उ ीड़न की िशकायत, समय से पहले मु तथा 14 वष पूरा करने के प ात मु के िलए
आवे दन, जेल म मृ ु , थानां तरण, गत मुचलके पर मु या रहाई, मू ल अिधकार के प म रत मु कदमा
5. पु िलस ारा मामला दा खल नहीं िकए जाने सं बधी यािचका, पु िलस उ ीड़न तथा पु िलस िहरासत म मृ ु
6. मिहलाओं पर अ ाचार के खलाफ यािचका, िवशेषकर वधु-उ ीड़न, दहे ज-दहन, बला ार, ह ा,
अपहरण इ ािद।
7. ामीणों के सह- ामीणों ारा उ ीड़न, अनुसूिचत जाित तथा जनजाित एवं आिथक प से कमजोर वग के पुिलस
ारा उ ीड़न की िशकायत सं बंधी यािचकाएं
8. पयावरणीय दू षण सं बंधी यािचकाएं , पा र थितक संतुलन म बाधा, औषिध, खा पदाथ म िमलावट, िवरासत एवं
सं ृ ित, ाचीन कलाकृित, वन एवं व जीवों का संर ण तथा सावजिनक मह के अ मामलों से सं बिधत
यािचकाएं
9. दं गा पीिड़तों की यािचकाएं
10. पा रवा रक पशन
• िन िल खत कोिटयों के अं तगत आने वाले मामले पीआईएल के पम व त नही ं होंगेः
1. सव ायालय संिवधान के अनु े द 32 एवं 226 के अंतगत द श यों का उपभोग करते ए ऐसे लोगों के
क ाण म िच ले ने वाले िकसी की यािचका को ीकार कर सकता है जो समाज के कमजोर वग से
ह और इस थित म नहीं है िक यं अदालत का दरवाजा खटखटा सक। ायालय ऐसे लोगों के मूल अिधकारों के
सं र ण के िलए संवैधािनक प से बा है , इसिलए वह रा को अपनी संवैधािनक िज ेदा रयों को पूरा करने के
िलए िनदे िशत करता है ।
4. अिधका रता संबंधी सामा िनयम को िशिथल करके ायालय गरीबों, िनर रों तथा िन:श ों की ओर से दायर
िशकायतों की सुनवाई करता है ोंिक ये लोग अपने सं वैधािनक या वै िधक अिधकारों के उ ंघन के िलए वैिधक
गलती अथवा वैिधक आघात के िनवारण म यं स म नहीं होते।
7. िनजी कानून के तहत आने वाले दो समू हों के बीच सं घष संबंधी िववाद पीआईएल के प म अनुमा नहीं होगा।
8. तथािप, एक उपयु मामले म, भले ही यािचकाकता िकसी िहत म अपने गत प रवाद के समाधान के िलए -
ायालय की शरण म जा चु का हो, ंय ाय के िहत म। ायालय जनिहत के संवधन म इस मामले की जाँच
कर सकता है ।
9. ायालय िवशेष प र थितयों म आयोग या अ िनकायों की िनयु आरोपों की जां च तथा त ों को उजागर करने
के उ े से कर सकता है । यह ऐसे आयोग ारा अिध हण की गई िकसी सावजिनक सं था के बं धन को भी
िनदे िशत कर सकता है ।
10. ायालय साधारणतया नीित बनाने की सीमा तक अित मण नहीं करे गा। ायालय ारा यह भी सावधानी बरती
जाएगी िक लोगों के अिधकारों की र ा म अपने े ािधकार का उ ं घन न हो।
11. ायालय ाियक समी ा के ात दायरे के बाहर सामा तया कदम नहीं रखे गा। उ ायालय य िप संबंिधत
प ों को पूण ाय दे ने सं बंधी िनणय दे सकता है , इसे भारत के संिवधान के अनु े द 142 म द श यां ा
नहीं होंगी।
12. साधारणतया उ ायालय को ऐसी यािचका को पीआईएल के पम ीकार नहीं करना चािहए िजसम िकसी
िविध या वैिधक भूिमका पर उठाए गए हों।
• सव ायालय ने इस सं दभ म िट णी की-
• "जनिहत यािचका कोई गोली नहीं है , न ही हरे क मज की दवा। इसका अिनवाय आशय कमजोरों एवं साधनहीनों के
मू ल मानवीय अिधकारों की र ा से था िजसका नव- वतन एक जनप ी की इन लोगों की ओर से दायर की
गई यािचका से आ जो यं गरीबी, लाचारी अथवा सामािजक-आिथक िनः श ताओं के कारण ायालय राहत
पाने नहीं जा सकते। हाल के िदनों म पीआईएल के दु पयोग के ां तों म वृ होती गई है । इसिलए उस ाचिलक
(पै रामीटर) पर पुनः जोर दे ने की ज रत है िजसकी सीमा म िकसी यािचकाकता ारा पीआईएल का उपयोग िकया
जा सके तथा उसे ायालय ारा सुनवाई यो माना जा सके।
8. ायालय को यह भी सुिनि त करना चािहए िक वसाय िनकायों ारा गलत इरादों से दायर की गई यािचकाओं
भारी जुमाना लगाकर अथवा सारहीन यािचकाओं तथा ऐसी यािचकाएं जो असंगत कारणों से दायर की गई हो, को
भी ऐसे ही तरीके अपनाकर हतो ािहत करना चािहए।
• दस
ू रे श द म कह तो रा यपाल अपनी शि त , काय को म यमं ी के नेत ृ व वाले मं प रषद क सलाह पर
ह कर सकता है ; सफ उन मामल को छोड़कर िजनम वह अपने ववेक का इ तेमाल कर सकता है (मं य क
सलाह के बगैर)
• रा यपाल क संवैधा नक शि तय का अंदाजा लगाते हुए हम इ ह अनु छे द 154, 163 एवं 164 के उपबंध से
समझ सकते ह:
(अ) रा य क कायकार शि तयां रा यपाल म न हत ह गी। ये सं वधान स मत काय सीधे उसके वारा या
उसके अधीन थ अ धका रय वारा संप न ह गे (अनु छे द 154)।
(ब) अपने ववेका धकार वाले काय के अलावा (अनु छे द 163) अपने अ य काय को करने के लए रा यपाल को
मु यमं ी के नेत ृ व वाल मं प रषद से सलाह लेनी होगी।
6. िस म-रा की जनता के िविभ वग के बीच सामािजक और आिथक िवकास के साथ शां ित सुिनि त करना।
• इस तरह संिवधान म रा पाल कायालय के मामले म भारतीय सं घीय ढां चे के तहत दोहरी भूिमका तय की गई है ।
• वह रा का संवैधािनक मु खया होने के साथ-साथ क (अथात् रा पित) का ितिनिध भी होता है ।
रा यपाल से संबं धत अनु छे दः एक नजर म
अनु छे द वषय-व तु
153 रा य के रा यपाल
154 रा य क कायपालक शि त
266 रा यपाल क नयुि त
156 रा यपाल का कायकाल
157 रा यपाल के नयु त होने के लए अहता
158 रा यपाल कायालय के लए दशाएं
26 : रा यपाल वारा शपथ हण
160 क तपय आकि मक प रि थ तय म रा यपाल के काय
161 रा यपाल को मादान आ द क शि त
162 रा य क कायपालक शि त क सीमा
274 मं ीप रषद का रा यपाल को सहयोग तथा सलाह दे ना
164 मं य से संबं धत अ य ावधान , जैसे- नयुि त , कायकाल तथा वेतन इ या द
276 रा य का महा धव ता
277 रा य क सरकार वारा संचा लत कायवाह
167 रा यपाल को सच
ू ना दे ने इ या द का मु यमं ी का दा य व
174 रा य वधा यका का स , स ावसान तथा उसका भंग होना
175 रा यपाल का रा य वधा यका के कसी अथवा दोन सदन को संबो धत करने अथवा संदेश दे ने का अ धकार
● Governer
226. Consider the following statement 226. रा यपाल के पद के संबंध म, न न ल खत
regarding the office of Governor: कथन पर वचार क िजए:
Which of the statements given above is/are उपयु त कथन म से कौन-सा/से सह है /ह?
correct?
(a) केवल 2 (b) केवल 3
(a) 1 only (b) 2 only
(c) 1 और 3 दोन (d) न तो 2, न ह 3
(c) Both 1 and 2 (d) Neither I nor 2
226. Consider the following statement 226. रा यपाल के पद के संबंध म, न न ल खत
regarding the office of Governor: कथन पर वचार क िजए:
Which of the statements given above is/are उपयु त कथन म से कौन-सा/से सह है /ह?
correct?
(a) केवल 2 (b) केवल 3
(a) 1 only (b) 2 only
(c) 1 और 3 दोन (d) न तो 2, न ह 3
(c) Both 1 and 2 (d) Neither I nor 2
Ans. 226.A
o Statement 1 is correct: Article 156 specifies the term for the office of Governors
five years subject to the other provisions of the Article.
• कथन 2 सह है: रा यपाल के कायकाल को अनु छे द 267 के तहत पांच वष नधा रत कया गया है ,
जो इस अनु छे द के अ य ावधान के अधीन है ।
Constitution of Indian only specifies the term but does not fix the term of five years
for the office of Governor.
This provision is in lines of Article 153 which specifies that there shall be a
Governor for each state.
• कथन 4 सह है: भारतीय सं वधान का अनु छे द 264-278 रा य क कायपा लका से संबं धत है।
The Governor is the chief executive head of the state as well as the agent of the
Central government in the state, thereby exercising dual role in Indian political
system.
रा यपाल रा य का मु य कायकार मख
ु (संवैधा नक मख
ु ) होने के साथ-साथ रा य म क
सरकार का त न ध भी होता है, इस कार रा यपाल का पद भारतीय राजनी तक णाल म दोहर
भू मका का नवहन करता है ।
In the original constitution, there was a provision for the Governor for each state
but 7th Constitutional Amendment Act, 1956 provided for die appointment of one
person as the Governor of two or more states.
■ Money bill in the state legislature can be introduced only with his prior
permission. Hence statement 1 is correct.
■ He can make advances out of the Contingency Fund of the State and not
consolidated fund of the state which requires an appropriation. Hence statement 2
is not correct.
• Articles 153 to 167 in Part VI of the Constitution deal with the state executive which
consists of:
• सं वधान के भाग VI म उपबं धत अनु छे द 264 से 278 रा य क कायपा लका से संबं धत ह, िजसम
न न ल खत सि म लत ह:
Governor
० रा यपाल
Chief minister
० मु यमं ी
Council of ministers
० मं प रषद
० रा य का महा धव ता।
• There is no office of vice-governor (in the state) like that of Vice-President at the
Centre.
•क म उप-रा प त क भाँ त उप-रा यपाल (रा य म) के पद का कोई ावधान नह ं कया गया है।
• Usually, there is a governor for each state, but the 7th Constitutional Amendment
Act of 1956 facilitated the appointment of the same person as a governor for two or
more states. Hence option (a) is not correct
• The Constitution does not lay down any grounds upon which a governor may be
removed by the President. Hence option (c) is correct.
• Additionally, two conventions have also developed in this regard over the years.
० उसे बाहर यि त होना चा हए, अथात ् उसे उस रा य का थायी नवासी नह ं होना चा हए िजस
रा य म उसे नयु त कया गया है ता क वह थानीय राजनी त से तट थ बना रहे । ले कन यह
ावधान सं वधान म नह ं है । इस लए वक प (b) सह नह ं है।
While appointing the governor, the president is required to consult the chief
minister of the state concerned, so that the smooth functioning of the
constitutional machinery in the state is ensured.
• Council of Ministers is headed by the Chief Minister. Moreover, the Chief Minister
is the one who recommends to the governor for the appointment of other
ministers. Hence option (d) is not correct.
सही कथन/ कथनों का चु नाव कीिजए (Choose the correct statement (s))
(a) 1 (b) 2 (c) 1&2 (d) ना तो 1, ना ही 2 (Neither)
सही कथन/ कथनों का चु नाव कीिजए (Choose the correct statement (s))
(a) 1 (b) 2 (c) 1&2 (d) ना तो 1, ना ही 2 (Neither)
• उ र एवं ा ा (Answer and Explanation) : (a)
• कथन 2 गलत ह, ोंिक सं िवधान म यह नही ं िलखा गया है िक रा पाल को िनयु करते समय रा पित को रा के
मु मं ी से परामश करना चािहए।
• Statement 2 is incorrect, because it is not written in the constitution that the President should consult the
Chief Minister of the State while appointing the Governor.
316.रा म रा पाल के कायालय के संदभ म, िन िल खत
कथनों पर िवचार कर (With reference to the office of Governor
in the state, consider the following statements):
1. रा पाल की अ ादे श ापन की श एक िववे काधीन श है। (The power of ordinance promulgation of
the Governor is a discretionary power.)
2. रा पाल मौत की सजा को थिगत या कम नही ं कर सकता। (The governor cannot postpone or reduce capital
punishment.)
सही कथन/ कथनों का चु नाव कीिजए (Choose the correct statement (s))
(a) 1 (b) 2 (c) 1&2 (d) ना तो 1, ना ही 2 (Neither)
सही कथन/ कथनों का चु नाव कीिजए (Choose the correct statement (s))
(a) 1 (b) 2 (c) 1&2 (d) ना तो 1, ना ही 2 (Neither)
• उ र एवं ा ा (Answer and Explanation) : (d)
• कथन 1 गलत है, ोंिक रा पाल की अ ादे श
ापन की श , उसकी िववे काधीन श नही ं है ।
• Statement 1 is incorrect, because the Governor's power
of ordinance promulgation is not his discretionary power.
• रा पाल मंि प रषद् की सलाह पर अ ादे श ापन करता है ।
• The Governor promulgates the ordinance on the advice of the Council of Ministers.
• कथन 2 गलत है, ोंिक रा पाल मौत की सजा को थिगत या बदल सकता है । हालां िक, वह पू री तरह से मौत की सजा को
माफ़ नही ं कर सकता।
• Statement 2 is incorrect, because the governor can postpone or change the death penalty. However, he
cannot completely pardon the death penalty.
317.िन म से कौन-सा कथन गलत है ? Which of the following is incorrect?
(a) सरकार के कैिबने ट प म, रा पाल रा की तरफ से कायकारी काय
का अ ास करता है । (In the cabinet form of government, the governor
exercises executive functions on behalf of the state.)
(b) रा िवधान सभा को संबोिधत करते हए रा पाल को अपने भाषण के िकसी भी िह े के िलए पूरी तरह
जवाबदे ह नही ं ठहराया जा सकता। (The Governor cannot be held entirely accountable for any part of
his speech while addressing the State Legislative Assembly.)
(c) जब रा पाल कायालय म है तो रा पाल के खलाफ आपरािधक कायवाही शु नही ं की जा सकती। (Criminal
proceedings cannot be initiated against the Governor while the Governor is in office.)
(d) रा पाल मंि प रषद् की सहायता और सलाह पर अपनी सभी श यों और काय का पालन करने के िलए बा
है । (The Governor is bound to perform all his powers and functions on the advice and assistance
of the Council of Ministers.)
सही कथन/ कथनों का चु नाव कीिजए (Choose the correct statement (s))
(a) 3 (b) 1&3 (c) 1&2 (d) 1, 2 & 3
सही कथन/ कथनों का चु नाव कीिजए (Choose the correct statement (s))
(a) 3 (b) 1&3 (c) 1&2 (d) 1, 2 & 3
• उ र एवं ा ा (Answer and Explanation) : (b)
• कथन 2 गलत है। Statement 2 is incorrect.
• रा पाल के पद के िलए ू नतम आयु 35 वष है ।
• The minimum age for the post of Governor is 35 years.
Chapter-31
मु मं ी / Chief Minister
• सं िवधान म ऐसी कोई अपे ा नहीं है िक मु मं ी िनयु होने से पूव कोई ब मत िस करे ।
• रा पाल पहले उसे बतौर मु मं ी िनयु कर सकता है िफर एक उिचत समय के भीतर ब मत िस करने को
कह सकता है । ऐसा ब त से मामलों म हो चु का है ।
4. म भय या प पात, अनु राग या े ष के िबना, सभी कार के लोगों के ित संिवधान और िविध के अनुसार ाय
क ं गा।
3. मतभेद होने पर वह िकसी भी मं ी से ाग-प दे ने के िलए कह सकता है या रा पाल को उसे बखा करने
का परामश दे सकता है ।
(ब) वह मह पूण अिधका रयों, जैसे-महािधव ा, रा लोक सेवा आयोग के अ एवं सद ों और रा िनवाचन
आयु आिद की िनयु के सं बंध म रा पाल को परामश दे ता है ।
रा िवधानमंडल के सं बंध म
(अ) वह रा पाल को िवधानसभा का स बु लाने एवं उसे थिगत करने के संबंध म सलाह दे ता है ।
(ब) वह संबंिधत े ीय प रषद के मवार उपा के प म काय करता है । एक समय म इसका कायकाल एक वष
का होता है ।
(स) वह अ ररा ीय प रषद और नीित आयोग की गविनग काउं िसल का सद होता है । इन दोनों प रषदों की
अ ता धानमं ी ारा की जाती है ।
(फ) रा का ने ता होने के नाते वह जनता के िविभ वग से िमलता है और उनसे उनकी सम ाओं आिद के संबंध
म ापन ा करता है ,
1. अनु े द 163: िजन बातों म इस संिवधान ारा या इसके अधीन रा पाल से यह अपेि त है िक वह अपने कृ ों
या उनम से िकसी को अपने िववे कानुसार करे उन बातों को छोड़कर रा पाल को अपने कृ ों का योग करने म
सहायता और सलाह दे ने के िलए एक मं ि प रषद होगी, िजसका धान, मु मं ी होगा।
2. अनु े द 164:
(अ) मु मं ी की िनयु रा पाल करे गा और अ मं ि यों की िनयु रा पाल मु मं ी की सलाह पर ही
करे गा।
(ब) मं ी रा पाल के सादपयत अपना पद धारण करगे , और
(स) मं ि प रषद की सामूिहक िज ेदारी रा िवधानसभा के ित होगी।
रा पाल के साथ सं बंध
● Chief Minister
405. Which of the following statements 406. उप-मु यमं ी (CM) के संदभ म,
is/are correct regarding Deputy Chief न न ल खत कथन म से कौन-सा/से सह है /ह?
Minister (CM)?
2. उपमु यमं ी का पद न तो संवैधा नक होता है और
1. The office of the Deputy Chief Minister is न ह सां व धक।
neither constitutional nor statutory.
3. उसे रा य के मु यमं ी वारा नयु त कया
2. He is appointed by the Chief Minister of जाता है ।
the state.
• भारत का सं वधान, संघ के ह समान रा य म भी सरकार क संसद य णाल का ावधान करता है।
• The council of ministers headed by the chief minister is the real executive
authority in the state.
• इस संबंध म दो अनु छे द ह:
Article 164
अनु छे द 275:
Deals with the appointment, tenure, responsibility, qualifications, oath and salaries
and allowances of the ministers.
The Chief Minister shall be appointed by the Governor and the other Ministers shall
be appointed by the Governor on the advice of the Chief Minister.
• उप-मु यमं ी
At times, the council of ministers may also include a deputy chief minister.
However, the post of Deputy Chief Minister does not find mention in the
Constitution. It is based upon the discretion of the Chief Minister and not backed
by any statute or act. Hence statement 1 is correct.
उप-मु यमं य क नयिु त मु यतः थानीय राजनी तक कारण से क जाती है । इसक नयिु त
रा यपाल वारा क जाती है । इस लए कथन 3 सह नह ं है ।
• रा य मु य सूचना आयु त
The Commission consists of a State Chief Information Commissioner and not more
than ten State Information Commissioners.
इस आयोग म एक रा य मु य सच
ू ना आयु त और दस से अन धक रा य सच
ू ना आयु त होते ह।
अ य के प म मु यमं ी
वधानसभा म वप का नेता
अ य के प म मु यमं ी
वधानसभा अ य
रा का गृह
Leader of the opposition in the Legislative Assembly.
• उ च यायालय के यायाधीश
The chief justice is appointed by the President after consultation with the chief
justice of India and the governor of the state concerned.
• सं िवधान म संसदीय व था की सरकार के िस ांतों को िव ार से नहीं बताया गया है लेिकन दो अनु े दों (163
और 164) म कुछ सामा उपबंधों की चचा की गई है ।
• अनु े द 163 म रा मंि प रषद की थित के बारे म बताया गया है जबिक अनु े द 164 म मं ि यों के वेतन एवं
भ ों, शपथ, यो ता, उ रदािय , कायकाल एवं िनयु के बारे म बताया गया है ।
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सं वैधािनक ावधान
अनु े द 163-रा पाल को सहायता एवं सलाह दे ने के िलए मं ि प रषद
1. िजन बातों म इस संिवधान ारा या इसके अधीन रा पाल से यह अपे ि त है िक वह अपने कृ ों या उनम से िकसी
को अपने िववेकानु सार करे , उन बातों को छोड़कर रा पाल को अपने कृ ों का योग करने म सहायता और
सलाह दे ने के िलए एक मं ि प रषद होगी, िजसका धान मु मं ी होगा।
2. यिद कोई उठता है िक कोई िवषय ऐसा है या नहीं, िजसके संबंध म इस सं िवधान ारा या इसके अधीन
रा पाल से यह अपेि त है िक वह अपने िववे कानुसार काय करे तो रा पाल का अपने िववेकानुसार िकया गया
िविन य अंितम होगा और रा पाल ारा की गई िकसी बात की िविधमा ता इस आधार पर गत नहीं की
जाएगी िक उसे अपने िववेकानु सार काय करना चािहए था या नहीं।
3. रा िवधानमंडल के िकसी भी सदन का सद यिद दलबदल के आधार पर सद ता के िनरह करार िदया जाता
है तो ऐसा सद मं ी होने पर मं ी पद के भी िनरह होगा।
• इस उपबं ध को 91व सं िवधान संशोधन िवधेयक, 2003 ारा जोड़ा गया है ।
2. रा पाल के नाम से तैयार एवं काया त आदे शों एवं अ द ावेजों का इस कार भावीकरण िकया जाएगा
जै सा िक रा पाल ारा बनाए जाने वाले िनयमों म िनिद हो।
• पु नः िकसी आदे श अथवा द ावे ज की वै धता, िजसको उ कार से मािणत िकया गया हो, पर इस आधार पर
नहीं िकया जाएगा िक वह आदे श या द ावेज रा पाल ारा िनिमत अथवा काया त नहीं है ।
3. रा पाल ारा रा सरकार की कायवािहयों म सु गमता लाने तथा मंि यों के बीच उनके आवंटन के िलए िनयम
बनाए जाएं गे।
1. वह मंि प रषद ारा रा के शासन से संबंिधत मामलों म िलए गए सभी िनणयों तथा िवधायन के ावों के बारे
म रा पाल को सूिचत करे ;
2. रा पाल ारा रा के शासन से संबंिधत मामलों अथवा िवधायन ावों के बारे म मां गे जाने पर सूचना दान
करना, तथा;
3. यिद रा पाल चाहे तो मंि प रषद के सम िकसी ऐसे मामले को िवचाराथ रखे िजस पर िनणय तो िकसी मं ी ारा
िलया जाना है लेिकन िजस पर मं ि प रषद ने िवचार नहीं िकया है ।
• अनु े द 163 के अनु सार, िजन बातों म इस संिवधान ारा या इसके अधीन रा पाल से यह अपेि त है िक वह
अपने कृ ों या उनम से िकसी को अपने िववे कानु सार करे उन बातों को छोड़कर राय को अपने कृ ों का योग
करने म सहायता और सलाह दे ने और एक मंि प रषद होगी, िजसका धान मु मं ी होगा।
• यिद उठता है िक कोई िवषय ऐसा है या नहीं िजसके सं बंध संिवधान ारा या इसके अधीन रा पाल से यह
अपेि त है िक अपने िववे कानु सार काय करे तो रा पाल का अपने िववे काना िकया गया िविन य अं ितम होगा और
रा पाल ारा की गई िकर बात की िविधमा ता इस आधार पर गत नहीं की जाएगी उसे अपने िववेकानुसार
काय करना चािहए था या नहीं।
• इस िकसी ायालय म जां च नहीं की जाएगी िक ा मं ि यों ने रा को कोई सलाह दी, और दी तो ा दी।
• 1971 म उ तम ायालय ने यह व था दी िक रा पाल को परामश दे ने के िलए मंि प रषद् हमे शा रहे गी, यिद
रा िवधानम ल िवघिटत हो गया हो या मं ि प रषद् ने ागप दे िदया हो।
• अतः वतमान मं ालय नए अनुवत मं ालय के आने तक कायरत रहता है ।
• 1974 म दोबारा ायालय ने िकया िक रा पाल के िनणय या काय े या अनु दान एवं सलाह आिद
मं ि प रषद के काय एवं श यों के आधार पर होगा।
• वह िबना मंि प रषद की सलाह के गत प से कुछ नहीं करे गा या मंि प रषद की सलाह या अनु दान के
िव नहीं जाएगा।
• यानी संिवधान ने इस बात की मं शा जािहर की है िक रा पाल की संतुि उसकी गत नहीं, वरन मंि प रषद
की संतुि होनी चािहए।
• सामा तः उसी को बतौर मं ी िनयु िकया जाता है जो िवधानसभा या िवधानप रषद म से िकसी एक का
सद हो।
• कोई यिद िवधानमंडल का सद नहीं भी है तो उसे मं ी िनयु िकया जा सकता लेिकन छह महीने के
अं दर उसका सद बनना अिनवाय है (िनवाचन या मनोनयन ारा) अ था उसका मं ी पद समा हो जाएगा।
• एक मं ी जो िवधानमंडल के िकसी एक सदन का सद है , को दू सरे सदन की कायवाही म भाग लेने एवं बोलने
का अिधकार है लेिकन वह मतदान उसी सदन म कर सकता है िजसका वह सद है ।
• रा पाल कायभार हण करने से पहले मं ी को पद एवं गोपनीयता की शपथ िदलाते ह। मं ी शपथ लेता है िक:
• इसका एक िवक यह भी है िक मंि प रषद रा पाल को िवधानसभा िवघिटत करने और नए चुनाव कराने की
घोषणा करने की सलाह दे सकती है । रा पाल उस मं ि प रषद के प म कुछ नहीं कर सकता िजसने िव ास खो
िदया है ।
• अनु े द 164 म गत उ रदािय के िस ांत को भी दशाया गया है । इसम बताया गया है िक मं ी रा पाल
के सादपयत पद धारण करते ह।
• अथात् रा पाल िकसी मं ी को तब भी िकसी समय हटा सकता है जब िवधानसभा िव ास म हो। लेिकन मु मं ी
की सलाह पर ही।
• मतभेद होने पर या मं ी के कायकलापों से सं तु न होने के मामले म मु मं ी उस मं ी से ागप मां ग सकता है ,
या रा पाल को उसे बखा करने की सलाह दे सकता है ।
• भारतीय संिवधान म िविधक िज ेदारी रा ों के मं ि यों के िलए भी क ीय मं ि यों की भां ित िविधक नहीं है ।
• रा पाल ारा लोक अिधिनयम के िकसी आदे श पर मं ी के ित ह ा र की आव कता नहीं है ।
• इसके अित र ायालय, मं ि यों ारा रा पाल को दी गई सलाह की समी ा नहीं कर सकता है ।
• सं िवधान म रा मंि प रषद के आकार एवं मं ी के पद को अलग से िववेिचत नहीं िकया गया है ।
• मु मं ी समय और प र थित के िहसाब से इसका िनधारण करता है ।
• कैिबनेट मंि यों के िलए रा सरकार के मह पूण िवभाग जै से गृह, िश ा, िव , कृिष होते ह।
• वे सभी कैिबनेट के सद होते ह और इसकी बै ठक म भाग ले कर नीित-िनधारण म मह पूण भूिमका अदा करते
ह।
• इस कार उनकी िज ेदारी रा सरकार के सं पूण मामलों म होती है ।
मं ि प रषद का गठन
• रा मंि यों को या तो तं भार िदया जा सकता है या उ कैिबनेट के साथ संब िकया जा सकता है ।
• य िप वे कैिबने ट के सद नहीं होते और न ही कैिबने ट की बैठक म भाग लेते ह जब तक िक उ िवशेष तौर पर
उनके िवभाग से संबंिधत िकसी मामले म कैिबनेट ारा बुलाया न जाए।
•
• पद के िहसाब से उपमं ी इसके बाद होते ह।
• उ तं भार नहीं िदया जाता।
• उ कैिबनेट मंि यों के साथ उनके शासिनक, राजनीितक और संसदीय कत ों म सहयोग के िलए सं ब िकया
जाता है ।
• वे कैिबनेट के सद नहीं होते और कैिबनेट की बै ठक म भाग नहीं लेते।
•
• कई बार मंि प रषद म उप-मु मं ी को भी शािमल िकया जा सकता है ।
• उप-मु मंि यों की िनयु सामा तया थानीय राजनीितक कारणों से की जाती है ।
कैिबने ट
• मं ि प रषद का एक छोटा-सा मु भाग कैिबनेट या मंि मं डल कहलाता है ।
• इसम केवल कैिबनेट मं ी शािमल होते ह।
• रा सरकार म यही वा िवक कायका रणी का क होता है ।
• कैिबनेट िविभ कार की सिमितयों के ज रए काय करती है , िज कैिबने ट सिमितयां कहा जाता है ।
• ये दो तरह की होती ह- थायी अ कािलक।
• पहली की थित थायी जै सी होती है , जबिक दो की कृित अ थायी।
• प र थितयों और आव कतानुसार इ मु मं ी गिठत करता है ।
• अतः इनकी सं ा, संरचना आिद समय-समय पर अलग-अलग होती है ।
• ये केवल मु ों का समाधान ही नहीं करती, वरन कैिबनेट के सामने सु झाव भी रखती ह और िनणय भी लेती ह।
हालां िक कैिबनेट उनके फैसलों की समी ा कर सकती है ।
अनु छे द वषय-व तु
1. A minister who is not a member of the state 2. कोई मं ी , जो नरं तर 7 माह क कसी अव ध तक
legislature for any period of six consecutive रा य के वधानमंडल का सद य नह ं है , उस अव ध
months shall cease to be a minister.
क समाि त पर मं ी नह ं रहे गा।
2. The salaries and allowances of ministers
3. मं य के वेतन और भ ते केवल रा य
shall only be determined by the state
वधानमंडल वारा नधा रत कए जाएंगे।
legislature.
1. A minister who is not a member of the state 2. कोई मं ी , जो नरं तर 7 माह क कसी अव ध तक
legislature for any period of six consecutive रा य के वधानमंडल का सद य नह ं है , उस अव ध
months shall cease to be a minister.
क समाि त पर मं ी नह ं रहे गा।
2. The salaries and allowances of ministers
3. मं य के वेतन और भ ते केवल रा य
shall only be determined by the state
वधानमंडल वारा नधा रत कए जाएंगे।
legislature.
■ A Minister who for any period of six consecutive months is not a member of the
Legislature of the State shall at the expiration of that period cease to be a Minister.
Hence statement 1 is correct.
■ In the State of Bihar, Madhya Pradesh and Orissa, there shall be a Minister in
charge of tribal welfare who may in addition be in charge of the welfare of the
Scheduled Castes and backward classes or any other work.
■ Before a Minister enters upon his office, the Governor shall administer so him
the oaths of office and of secrecy according to the forms set out for the purpose in
the Third Schedule.
This provision was also added by the 91st Amendment Act of 2003.
• रा य मं प रषद
Article 164 deals with the appointment, tenure, responsibility, qualifications, oath and
salaries and allowances of the ministers.
The Constitution does not specify the size of the state council of ministers or the
ranking of ministers. Hence option 2 is not correct.
They are determined by the chief minister according to the exigencies of the time
and requirements of the situation.
• मं प रषद क अ धकतम सं या
० इसे वष 3114 के :2व सं वधान संशोधन अ ध नयम के वारा प रभा षत कया गया है।
The total number of ministers, including the chief minister, in the council of
ministers in a state, shall not exceed 15 percent of the total strength of the
legislative assembly of that state. Hence option 1 is correct.
सही कथन/ कथनों का चु नाव कीिजए (Choose the correct statement (s))
(a) 1 (b) 2 (c) 1&2 (d) ना तो 1, ना ही 2 (Neither)
सही कथन/ कथनों का चु नाव कीिजए (Choose the correct statement (s))
(a) 1 (b) 2 (c) 1&2 (d) ना तो 1, ना ही 2 (Neither)
• उ र एवं ा ा : - (c)
दोनों कथन सही ह।
6. ETHICS
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