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एिडटो�रयल (02 Jan, 2023) https://www.drishtiias.com/hindi/current-affairs-news-analysis-editorial...

एिडटो�रयल (02 Jan, 2023)

समान नाग�रक संिहता: परं परा और आधुिनकता म� संतुलन


यह एिडटो�रयल 27/12/2022 को ‘िहं दु�ान टाइ�’ म� �कािशत “Uniform Civil Code: Reframe the debate”
लेख पर आधा�रत है । इसम� भारत म� समान नाग�रक संिहता और िलंग-तट�थ नाग�रक संिहता की आव�कता के
बारे म� चचा� की गई है ।
संदभ�
समान नाग�रक संिहता (Uniform Civil Code- UCC) की अवधारणा पर भारत म� दशकों से बहस चल रही है
और लंबे समय से कुछ राजनीितक एवं सामािजक सुधार आं दोलनों �ारा इसकी मां ग की जाती रही है । UCC को
भारतीय संिवधान म� एक िनद� शक िस�ां त के �प म� शािमल रखा गया है , िजसका अथ� यह है िक यह िविधक �प से
�वत�नीय तो नहीं है लेिकन सरकार एक माग�दश�क िस�ां त के �प म� इसका अनुपालन कर सकती है ।

▪ UCC भारत म� एक िवभाजनकारी मु�ा है , िजसके समथ�कों का तक� है िक यह समानता एवं पंथिनरपे�ता को
बढ़ावा दे गा, जबिक इसके िवरोिधयों का तक� है िक यह धािम�क �तं�ता एवं सां �ृितक अ�ासों म� ह��ेप
करे गा।
▪ कुल िमलाकर, भारत म� UCC पर जारी बहस दे श म� िविध, धम� और सं�ृित के बीच के जिटल एवं संवेदनशील
संबंधों को उजागर करती है , िजसकी एक अलग �ि�कोण से संवी�ा की जानी चािहये तथा इसे चरणब� एवं सम�
तरीके से संबोिधत िकया जाना चािहये।

समान नाग�रक संिहता �ा है ?

▪ समान नाग�रक संिहता (UCC) भारत के िलये ��ािवत एक िविधक ढाँ चा है जो दे श के सभी नाग�रकों के िलये—
चाहे वे िकसी भी धम� से संबंिधत हों, िववाह, तलाक, गोद लेने एवं उ�रािधकार जैसे ���गत िवषयों से संबंिधत
साव�भौिमक या एक समान कानूनों को संिहताब� और लागू करे गा।
▪ इस संिहता की आकां �ा संिवधान के अनु�ेद 44 म� �� �ई है जहाँ कहा गया है िक रा�, भारत के सम�
रा��े� म� नाग�रकों के िलये एक समान िसिवल संिहता �ा� कराने का �यास करे गा।

भारत म� ���गत कानून या ‘पस�नल लॉ’ की वत�मान ��थित

▪ िववाह, तलाक, उ�रािधकार जैसे ���गत कानून के िवषय समवत� सूची के अंतग�त शािमल ह� ।
▪ भारतीय संसद �ारा वष� 1956 म� िहं दू ���गत कानूनों (जो िसखों, जैिनयों और बौ�ों पर भी लागू होते ह� ) को
संिहताब� िकया गया था।
◦ इस संिहता िवधेयक को चार भागों म� िवभािजत िकया गया है :
• िहं दू िववाह अिधिनयम, 1955
• िहं दू उ�रािधकार अिधिनयम, 1956
• िहं दू अ�ा�वयता और संर�कता अिधिनयम, 1956

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• िहं दू द�क तथा भरण-पोषण अिधिनयम, 1956

▪ दू सरी ओर, वष� 1937 का शरीयत कानून भारत म� मुसलमानों के सभी ���गत मामलों को िनयंि�त करता है ।
◦ इसम� �� �प से कहा गया है िक रा� ���गत िववादों के मामलों म� ह��ेप नहीं करे गा और एक धािम�क
�ािधकरण क़ुरआन और हदीस की अपनी �ा�ा के आधार पर एक घोषणा करे गा।

भारत म� समान नाग�रक संिहता के प� म� तक�

▪ ल��िगक समानता की ओर कदम: भारत म� ���गत कानून �ायः मिहलाओं के साथ भेदभाव करते ह� , िवशेष
�प से िववाह, तलाक, उ�रािधकार और संर�ण से संबंिधत मामलों म�।

◦ समान नाग�रक संिहता इस तरह के भेदभाव को समा� करने और ल��िगक समानता को बढ़ावा दे ने म� मदद
करे गी।

▪ कानूनों की सरलता और ��ता: समान नाग�रक संिहता ���गत कानूनों के मौजूदा ढु लमुल तं� को िनयमों
के एक समूह से �ित�थािपत कर िविधक �णाली को सरल बनाएगी जो सभी ���यों पर समान �प से लागू होगी

◦ इससे सभी नाग�रकों के िलये कानून अिधक सुलभ हो जाएँ गे और वे इसे आसानी से समझ पाएँ गे।

▪ एक�पता और िनरं तरता: समान नाग�रक संिहता कानून के अनु�योग म� िनरं तरता सुिनि�त करे गी, �ों�िक यह
सभी के िलये समान �प से लागू होगी। यह कानून के अनु�योग म� भेदभाव या असंगित के जो�खम को कम करे गी

◦ यह धम� या ���गत कानूनों के आधार पर भेदभाव को समा� करे गी तथा यह सुिनि�त करे गी िक कानून के
तहत सभी को समान अिधकार एवं सुर�ा �ा� हो।

▪ आधुिनकीकरण और सुधार: समान नाग�रक संिहता भारतीय िविध �णाली के आधुिनकीकरण और इसम� सुधार
की अनुमित दे गी, �ों�िक यह समकालीन मू�ों एवं िस�ां तों के साथ कानूनों को अ�तन करने और सामंज�
बनाने का अवसर �दान करे गी।
▪ युवाओं की आकां�ाओं की पूित�: जबिक िव� िडिजटल युग म� आगे बढ़ रहा है , युवाओं की सामािजक �वृि� एवं
आकां �ाएँ समानता, मानवता और आधुिनकता के साव�भौिमक एवं वैि�क िस�ां तों से �भािवत हो रही ह� ।

◦ समान नाग�रक संिहता के अिधिनयमन से रा�� िनमा� ण म� उनकी �मता को अिधकतम कर सकने म� मदद
िमलेगी।

▪ सामािजक समरसता: समान नाग�रक संिहता सभी ���यों �ारा अनुपालन िकये जाने हे तु िनयमों का एक
सामा� समूह �दान कर िविभ� धािम�क या सामुदाियक समूहों के बीच तनाव एवं संघष� को कम करने म� मदद
कर सकती है ।

भारत म� समान नाग�रक संिहता के िव�� तक�

▪ धािम�क एवं सां�ृितक िविवधता: भारत धम�, सं�ृितयों और परं पराओं की समृ� िवरासत वाला एक

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िविवधतापूण� दे श है ।

◦ समान नाग�रक संिहता को इस िविवधता के िलये एक खतरे के �प म� दे खा जा सकता है , �ों�िक यह धािम�क


या सां �ृितक समुदाय िवशेस के िलये िविश� ���गत कानूनों को समा� कर दे गा।

▪ धम� की �तं�ता के अिधकार के िव��: भारतीय संिवधान म� अनु�ेद 25-28 के अंतग�त धम� की �तं�ता का
अिधकार �दान िकया गया है ।

◦ कुछ लोगों का तक� है िक समान नाग�रक संिहता इस अिधकार का उ�ंघन करे गी, �ों�िक ���यों को ऐसे
कानूनों का पालन करने की आव�कता होगी जो उनके धािम�क िव�ासों एवं �थाओं के अनु�प नहीं भी हो
सकते ह� ।

▪ आम सहमित का अभाव: समान नाग�रक संिहता के मु�े पर भारत म� िविभ� धािम�क और सां �ृितक समुदायों
के बीच आम सहमित का अभाव है ।

◦ इस प�र�� म�, इस तरह के संिहता को लागू करना किठन है , �ों�िक इसके िलये सभी समुदायों की सहमित
एवं समथ�न की आव�कता होगी।

▪ �ावहा�रक चुनौितयाँ: भारत म� समान नाग�रक संिहता को लागू करने के माग� म� कुछ �ावहा�रक चुनौितयाँ भी
मौजूद ह� , जैसे िविधयों एवं �थाओं की एक िव�ृत �ंखला के सामंज� की आव�कता और संिवधान के अ�
�ावधानों के साथ संघष� की संभावना।
▪ राजनीितक संवेदनशीलता: समान नाग�रक संिहता भारत म� एक अ�िधक संवेदनशील एवं राजनीितकृत मु�ा
भी है और इसका उपयोग �ायः िविभ� दलों �ारा राजनीितक लाभ के िलये िकया जाता रहा है ।

◦ इससे इस मु�े को रचना�क एवं गैर-िवभाजनकारी तरीके से संबोिधत करना किठन हो गया है ।

भारत म� UCC की िदशा म� �ा �यास िकये गए ह� ?

▪ िवशेष िववाह अिधिनयम, 1954: िवशेष िववाह अिधिनयम, 1954 के तहत िकसी भी नाग�रक को, चाहे वह
िकसी भी धम� का हो, नाग�रक िववाह की अनुमित है । यह िकसी भी भारतीय ��� को धािम�क रीित-�रवाजों से
बाहर िववाह करने की अनुमित दे ता है ।
▪ शाह बानो केस (1985): इस मामले म� शाह बानो �ारा भरण-पोषण के दावे को ���गत कानून के तहत
ख़ा�रज कर िदया गया था। सव�� �ायालय ने आपरािधक �ि�या संिहता (CrPC) की धारा 125—जो पि�यों,
ब�ों और माता-िपता के भरण-पोषण के संबंध म� सभी ���यों पर लागू होता है , के तहत शाह बानो के प� म�
िनण�य िदया था।

◦ सव�� �ायालय ने आगे यह अनुशंसा भी की थी िक लंबे समय से लंिबत समान नाग�रक संिहता को अंततः
अिधिनयिमत िकया जाना चािहये।

▪ सव�� �ायालय ने सरला मु�ल िनण�य (वष� 1995) और पाउलो कॉिट�ो बनाम मा�रया लुइज़ा वेल�टीना परे रा केस
(वष� 2019) म� भी सरकार से UCC लागू करने का आ�ान िकया।

आगे की राह

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▪ ‘ि�क बाय ि�क ए�ोच’: भारत म� UCC लागू करने के िलये चरणब� �ि�या या ‘ि�क बाय ि�क ए�ोच’ अपनाई
जानी चािहये, न िक सव��ापी या ब��योजी �ि�कोण। महज समान संिहता लागू िकये जाने से अिधक मह�पूण� है
एक उपयु� एवं �ायपूण� संिहता लागू करना।
▪ सामािजक अनुकूलनशीलता पर िवचार: समान नाग�रक संिहता का खाका तैयार करते समय UCC की
सामािजक अनुकूलनशीलता पर िवचार करने की आव�कता है ।

◦ ���गत कानून के उन �े�ों से आरं भ करना उपयु� होगा जो सबसे �ापक �प से �ीकृत और िनिव�वाद ह� ,
जैसे िक िववाह एवं तलाक संबंधी कानून।
◦ यह UCC के िलये सव�स�ित और समथ�न के िनमा� ण म� मदद कर सकता है , साथ ही नाग�रकों के सम�
िव�मान कुछ सवा� िधक दबावकारी मु�ों को भी संबोिधत कर सकता है ।

▪ िहतधारकों के साथ चचा� एवं िवचार-िवमश�: इसके साथ ही, UCC को िवकिसत करने और लागू करने की
�ि�या म� धािम�क नेताओं, कानूनी िवशेष�ों एवं समुदाय के �ितिनिधयों सिहत िहतधारकों की एक िव�ृत �ंखला
को संल� िकया जाना उपयु� होगा।

◦ इससे यह सुिनि�त करने म� मदद िमल सकती है िक समान नाग�रक संिहता िविभ� समूहों के िविवध �ि�कोणों
और आव�कताओं को �ान म� रखेगी तथा इसे सभी नाग�रकों �ारा उिचत एवं वैध �प म� दे खा जाएगा।

अ�ास ��: भारत म� समान नाग�रक संिहता के प� एवं िवप� के तक� की िववेचना कीिजये और दे श के
सामािजक एवं राजनीितक प�र�� पर इस तरह की संिहता के संभािवत �भाव का मू�ां कन कीिजये।

Explained: Uniform Civil Code (UCC) - IN NEWS I Drishti IAS

यूपीएससी िसिवल सेवा परी�ा, िवगत वष� के �� (PYQ)


�ारं िभक परी�ा:
Q1. भारत के संिवधान म� िनिहत रा� के नीित िनद� शक िस�ांतों के तहत िन�िल�खत �ावधानों पर िवचार
कीिजये: (वष� 2012)

1. भारत के नाग�रकों के िलये समान नाग�रक संिहता सुिनि�त करना

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2. �ाम पंचायतों का आयोजन


3. �ामीण �े�ों म� कुटीर उ�ोगों को बढ़ावा दे ना
4. सभी कम�चा�रयों के िलये उिचत अवकाश और सां �ृितक अवसर सुरि�त करना

उपयु�� म� से कौन से गांधीवादी िस�ांत ह� जो रा� के नीित िनद� शक िस�ांतों म� प�रलि�त होते ह� ?

(a) केवल 1, 2 और 4
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1, 3 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4

उ�र: (B)

Q2. एक ऐसी िविध जो काय�कारी या �शासिनक �ािधकरण को कानून लागू करने के मामले म� एक
अिनद� �िशत और अिनयंि�त िववेकाधीन श�� �दान करता है , भारत के संिवधान के िन�िल�खत म� से िकस
अनु�ेद का उ�ंघन करता है ?

(a) अनु�ेद 14
(b) अनु�ेद 28
(c) अनु�ेद 32
(d) अनु�ेद 44

उ�र: (A)

मु� परी�ा
�. उन संभािवत कारकों पर चचा� कर� जो भारत को अपने नाग�रकों के िलये रा� के नीित िनदे शक िस�ांतों
के अनुसार एक समान नाग�रक संिहता लागू करने से रोकते ह� । (वष� 2015)

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