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िवषयसच
सामा य अ ययन–II
1. वीर सावरकर
सामा य अ ययन-II
सामा य अ ययन-III
1. “वायुमड
ं ल और जलवायु अनुसंधान-मॉडिलंग प्रे ण प्रणाली एवं सेवाओं (ACROSS)” योजना
3. िगरनार पवत
सामा य अ ययन–I
िवषय: 18वीं सदी के लगभग म य से लेकर वतमान समय तक का आधुिनक भारतीय इितहास- मह वपूण
घटनाएँ, यि त व, िवषय।
वीर सावरकर
संदभ:
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हाल ही म, िहंद ु व की राजनीितक िवचारधारा के प्रणेता माने जाने वाले ‘िवनायक दामोदर सावरकर’ के यि त व को
‘‘भारत र न’’ से ऊपर बताते हुए ‘कद्रीय सूचना आयु त’ (CIC) उदय माहूरकर ने कहा, िक यिद सावरकर को
सवो च नागिरक स मान नहीं भी िमलता है, तो भी उनका कद अप्रभािवत रहेगा योंिक देश म ‘सावरकर युग’ का
आगमन पहले ही हो चुका है।
संबंिधत प्रकरण:
सावरकर का बताया जाने वाला एक ‘उ रण’ प्रायः अकादिमक गोि ठयों म चचा का िवषय रहता है, इसके अनुसार,
सावरकर ने िज ना के ‘दो रा ट् र िस ांत’ का समथन िकया था।
हालांिक कु छ िवशेष ों का मानना है, िक जहां िज ना देश का िवभाजन चाहते थे, वही सावरकर भारत की
ेतर् ीय अखंडता के प धर थे।
िज ना, अ पसं यकों का शासन- यव था म प्रितिनिध व चाहते थे, जबिक सावरकर बहुसं यकों का शासन
चाहते थे।
िज ना, रा य की ‘अविश ट शि तयां’ प्रांतों को िदए जाने के प म थे, िकंतु सावरकर इन शि तयों के िलए
‘कद्र’ को सौंपना चाहते थे।
िज ना, िसिवल/लोक सेवा भत म आर ण िदए जाने की बात करते थे, जबिक सावरकर चाहते थे िक लोक
सेवाओं म भत के िलए यो यता ही एकमात्र मानदंड हो।
सावरकर के बारे म:
िवनायक दामोदर सावरकर का ज म 28 मई, 1883 को महारा ट् र के नािसक िजले म भाग ुर शहर म हुआ था।
िवनायक सावरकर और गणेश सावरकर ने 1899 म नािसक म एक क् रांितकारी युवा संगठन- िमत्र मेल ा की
शु आत की थी। इस संगठन को रा ट् रीय और क् रांितकारी िवचारों के प्रसार के िलए थािपत िकया गया
था।
वह िवदेशी व तुओ ं का िवरोध और ‘ वदेशी’ के िवचार का समथन करते थे। 1905 म, उ होंने दशहरे के
अवसर पर सभी िवदेशी सामानों को अलाव म जला िदया।
वह नाि तकता और तािककता का समथन करते थे और उ होंने िढ़वादी िहंद ू िवचारों का खंडन िकया।
व तुतः, उ होंने गाय की पूजा को भी अंधिव वास कह कर खािरज कर िदया था।
िवनायक सावरकर, वष 1937 से 1943 के दौरान िहंद ू महासभा के अ य रहे।
22 अ टूबर 1939 को कांगर् ेस मंतर् ालयों ारा यागपत्र िदए जाने के बाद, इनके नेत ृ व म िहंद ू महासभा ने
मुि लम लीग के साथ िमलकर िसंध, बंगाल और पि चमो र सीमांत प्रांत (NWFP) प्रांतों म सरकार बनाने
के िलए सहयोग िकया।
सावरकर ने, पुणे म, “अिभनव भारत समाज” नामक संगठन की थापना की।
इ होने, लोकमा य ितलक की वराज पाट की सद यता भी ग्रहण की।
इ होंने ‘फ्री इंिडया सोसाइटी’ की थापना की। इस सोसायटी के ारा योहारों, वतंतर् ता आंदोलन संबंधी
प्रमुख घटनाओं सिहत भारतीय कैलडर की मह वपूण ितिथयों को मनाया जाता था और यह भारतीय वतंतर् ता
के संदभ म िवमश को आगे बढ़ाने के िलए समिपत थी।
इनका मानना था, िक भारत को अंगर् ेजों से मु त करने के िलए हिथयारों के इ तेमाल की ज रत है, और
इ होने इं लड म हिथयारों से लैस भारतीयों का एक नेटवक बनाया।
मह वपूण रचनाएं:
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2. मॉल-िमंटो सुधार के िखलाफ एक सश त्र िवद्रोह (An armed revolt against the Morley-Minto
reform)
3. ‘िहंद ु व’ नामक अपनी पु तक म दो रा ट् र िस ांत की थापना
प्रीिल स िलंक:
1. िमत्रा मेल ा, अिभनव भारत सोसाइटी और फ्री इंिडया सोसाइटी की थापना िकसने की थी? इनके उ े य या
थे?
2. सावरकर ारा िलिखत पु तक?
3. सावरकर की पु तक, जो मैडम भीकाजी कामा ारा प्रकािशत की गई थी?
4. मॉल-िमंटो सुधार: प्रमुख प्रावधान
5. भारत को आज़ाद करने के िलए हिथयारों के इ तेमाल पर सावरकर के िवचार
6. िहंद ू महासभा- प्रमुख उपलि धयां
मस िलंक:
देश म होने वाले सामािजक सुधारों म वीर सावरकर के योगदान पर चचा कीिजए।
स्रोत: द िहंद।
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सामा य अ ययन–II
िवषय: सरकारी नीितयों और िविभ न ेतर् ों म िवकास के िलये ह त ेप और उनके अिभक पन तथा
काया वयन के कारण उ प न िवषय।
संदभ:
उ च यायालय ारा ‘रोशनी अिधिनयम’ (Roshni Act) को र िकए जाने के एक साल बाद, ज म ू और क मीर
सरकार ने अब लाभािथयों को इस अिधिनयम के तहत दी गई भिू म को पुनः प्रा त करने की कवायद शु कर दी है।
पृ ठभिू म:
‘ज म-ू क मीर रा य भिू म (क जाधारकों के िलए वािम व अिधकार) अिधिनयम’ (Jammu and Kashmir States
Land (vesting of ownership to the occupants) Act), को ‘रोशनी अिधनयम’ के नाम से भी जाना जाता
है। प्रायः, इस अिधिनयम के काया वयन म अिनयिमतताओं से संबंिधत आरोप लगाए जाते रहे है। यह अिधिनयम अब
अमा य घोिषत िकया जा चुका है।
1 नवंबर, 2020 को, कद्र शािसत प्रदेश प्रशासन ारा ‘रोशनी अिधिनयम, 2001’ के तहत, सरकारी भिू म पर
क ज़ा करने वालों के वािम व अिधकारों को र कर िदया गया था।
इस अिधिनयम को वष 2001 म लाग ू िकया गया था, इसका उ े य अनिधकृत भिू म को िनयिमत करना था।
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इस अिधिनयम म, सरकार ारा िनधािरत की गयी कीमत चुकाए जाने के प चात, रा य की भिू म पर त कालीन
क जाधारकों के िलए वािम व अिधकारों को ह तांतिरत करने का प्रावधान िकया गया था।
सरकार ारा, इस प्रकार प्रा त होने वाले राज व को पनिबजली पिरयोजनाएं शु करने पर, यय करने का
िवचार िकया गया था, इसीिलये इस अिधिनयम का नाम ‘रोशनी’ रख िदया गया।
इसके अलावा, संशोधनों के मा यम से, सरकार ारा िकसानों को अिधकृत कृिष भिू म पर मु त म वािम व
अिधकार प्रदान िकये गए, इसके िलए मात्र 100 पये प्रित कनाल, प्रलेखन शु क िलया गया।
वष 2009 म, रा य सतकता संगठन ारा कई सरकारी अिधकािरयों के िखलाफ प्राथिमकी दज की गयी थी,
इन अिधकािरयों पर, रोशनी अिधिनयम के तहत मानदंडो को पूरा नहीं करने वाले क जाधारकों को गैरकानन
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तरीके से भिू म के वािम व अिधकार प्रदान करने की आपरािधक सािजश करने के आरोप लगाए गए थे।
वष 2014 म, िनयंतर् क और महालेखा परी क (CAG) की एक िरपोट के अनुसार, वष 2007 से वष 2013
के बीच, अितक् रिमत भिू म के ह तांतरण से 25,000 करोड़ पये के राज व प्राि त का ल य रखा गया था,
िकंतु मात्र 76 करोड़ पये की प्राि त हुई थी। इस प्रकार इस क़ानन ू का उ े य ही िन फल हो गया।
िरपोट म, राजनेताओं और प्रभावशाली लोगों को लाभ पहुंचाने के िलए, ‘ थायी सिमित’ ारा तय की गई
कीमतों म मनमानी ढं ग से कमी िकये जाने संबंधी अिनयिमतताओं को दोषी ठहराया गया था।
प्रीिल स िलंक:
मस िलंक:
ज म-ू क मीर का ‘रोशनी अिधिनयम’ या है? हाल ही म इसे यों समा त कर िदया गया? चचा कीिजए।
स्रोत: द िहंद।
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िवषय: सूचना प्रौ ोिगकी, अंतिर , कं यट ू र, रोबोिट स, नैनो-टै नोलॉजी, बायो-टै नोलॉजी और बौि क
संपदा अिधकारों से संबंिधत िवषयों के संबंध म जाग कता।
संदभ:
भारतीय िरजव बक ारा ‘कद्रीय बक िडिजटल मुदर् ा’ (Central Bank Digital Currency – CBDC) को
चरणब तरीके से शु करने संबंधी काया वयन रणनीित पर काय िकया जा रहा है। इस िडिजटल मुदर् ा को इस साल
के अंत तक प्रायोिगक तौर पर लॉ च िकया जा सकता है।
िव ीय सलाहकार सेवा फम ारा भारतीय संदभ म सीबीडीसी (CBDC) के चार प्रमुख उपयोगों को सूचीब िकया
है। इनमे शािमल है:
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1. िकसी देश म सामािजक लाभ और अ य लि त भुगतानों के िलए उपयोग हेत ु ‘उ े य के िलए उपयु त’ धन (‘Fit-
for-Purpose’ Money)। ऐसे मामलों म, कद्रीय बक ारा आशियत लाभाथ यों के िलए पूव-क् रमादेिशत
(Pre-Programmed) सट् रल बक िडिजटल करसी (CBDC) का भुगतान िकया जा सकता है, जो केवल
एक िविश ट उ े य के िलए मा य होगी।
2. िवदेशों से देश म शीघ्रता से रकम भेजने के िलए (Remittance Payments), CBDC का उपयोग िकया
जा सकता है। भारत सिहत दुिनया की प्रमुख अथ यव थाओं के म य अंतरा ट् रीय सहयोग से ‘सीबीडीसी’ के
ह तांतरण और पिरवतन हेत ु आव यक बुिनयादी ढाँचा और तंतर् का िनमाण िकया जा सकता है।
3. ‘सीबीडीसी’ के मा यम से िकए जाने वाले भुगतान के लेनदेन हेत ु ‘भुगतान उपकरण’ उपल ध कराए जा सकते
ह। इसके अलावा, सीबीडीसी तक सावभौिमक प से पहुँच बनाने के िलए, इसकी काय-प्रणाली म
‘ऑफ़लाइन भुगतान’ को भी शािमल िकया जा सकता है।
4. सीबीडीसी की मदद से भारत म ‘सू म, लघु और म यम उ मों’ (MSMEs) को त काल ऋण देना भी संभव हो
सकता है।
सीबीडीसी की आव यकता:
1. एक आिधकािरक िडिजटल मुदर् ा, िबना िकसी इंटर-बक सेटलमट के ‘िरयल-टाइम भुगतान’ को स म करते हुए
मुदर् ा प्रबंधन की लागत को कम करेगी।
2. भारत का काफी उ च मुदर् ा-जीडीपी अनुपात, सट् रल बक िडिजटल मुदर् ा (CBDC) का एक और लाभ है-
इसके मा यम से, काफी हद तक नकदी के उपयोग को CBDC ारा प्रित थािपत िकया जा सकता है तथा
कागज़ी मुदर् ा की छपाई, पिरवहन और भंडारण की लागत को काफी हद तक कम िकया जा सकता है।
3. चूंिक, इस यव था के तहत, यि त से दूसरे यि त को मुदर् ा-अंतरण कद्रीय बक की िज मेदारी होगी, अतः
‘अंतर-बक िनपटान’ / ‘इंटर-बक सेटलमट’ की ज रत समा त हो जाएगी।
सट् रल बक िडिजटल करसी (CBDC), या रा ट् रीय िडिजटल करसी, िकसी देश की साख मुदर् ा का िडिजटल प
होती है। इसके िलए, कागजी मुदर् ा या िस कों की ढलाई करने के बजाय, कद्रीय बक इले ट् रॉिनक टोकन जारी
करता है। इस सांकेितक टोकन को, सरकार का पूण िव वास और साख का समथन हािसल होता है।
1. िकसी भी प म िक् र टोकरसी का खनन, वािम व, लेन-देन या सौदा करने को प्रितबंिधत िकया जाए।
2. सिमित के ारा, िडिजटल मुदर् ा म िविनमय या यापार करने पर एक से 10 साल तक के कारावास का दंड की
िसफािरश की गयी थी।
3. सिमित ने, सरकारी खजाने को हुए नुकसान या िक् र टोकरसी उपयोगकता ारा अिजत िकए गए लाभ, जो भी
अिधक हो, के तीन ग ुना तक मौिद्रक दंड का प्र ताव िकया गया था।
4. हालांिक, सिमित ने सरकार से ‘भारतीय िरजव बक ारा िक् र टोकरसी जारी करने की संभवना’ पर अपना
िदमाग खुला रखने की सलाह भी दी गयी थी।
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इं टा िज ासु:
प्रीिल स िलंक:
1. लॉकचेन या है?
2. िक् र टोकरसी या ह?
3. िकन देशों ारा िक् र टोकरसी जारी की गई है?
4. िबटकॉइन या है?
मस िलंक:
स्रोत: लाइविमंट।
सामा य अ ययन–III
“वायुमड
ं ल और जलवायु अनुसंधान-मॉडिलंग प्रे ण प्रणाली एवं सेवाओं (ACROSS)” योजना
संदभ:
1. यह योजना मौसम, जलवायु एवं समुदर् के बारे म बेहतर तरीके से पूवानुमान एवं सेवाएं और अ य जोिखम संबंधी
ू ानी लहरों, हीट वे व और तिड़त झंझा से संबंिधत चेतावनी शािमल
सेवाएं प्रदान करेगी। इसम चक् रवात, तफ
होगी।
2. पूवानुमान से जुड़ी सूचनाओं को तैयार करने से लेकर इनके िवतरण तक की पूरी प्रिक् रया म हर तर पर
काफी सं या म श्रमशि त की ज रत होती है, िजससे कई लोगों के िलए रोजगार के अवसर पै दा होंगे।
3. यह योजना, बड़ी सं या म उपल ध वै ािनक और तकनीकी प्रितभाओं के उपयोग िकए जाने तथा इसे बनाए
रखने के िलए मह वपूण प्रशासिनक सहायता प्रदान करेगी।
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इनम से प्र येक पहल ू को “एक् रॉस” की समग्र योजना के तहत आठ उप-योजनाओं के प म शािमल िकया
गया है और इनका काया वयन उपरो त चार सं थानों के मा यम से एकीकृत तरीके से िकया जाता है।
एक् रॉस योजना के तहत आने वाली आठ उप-योजनाएं अपनी प्रकृित म बहुआयामी ह, और िन निलिखत आठ
योजनाओं के मा यम से उपरो त काय को पूरा करने म प्र येक सं थान की एक िनिद ट भिू मका है:
योजना के लाभ:
1. यह योजना बेहतर तरीके से मौसम, जलवायु एवं समुदर् के बारे म पूवानुमान एवं सेवाएं और अ य जोिखम संबंधी
सेवाएं प्रदान करेगी, तािक अंितम उपयोगकता को सावजिनक मौसम सेवा, कृिष-मौसम िव ान सेवाओं,
िवमानन सेवाओं, पयावरण िनगरानी सेवाओं, जल-मौसम िव ान सेवाओं, जलवायु सेवाओं, आिद से संबंिधत
लाभ पया त प से सुिनि चत हो।
2. इसके तहत, अपेि त प्रशासिनक सहायता सिहत बड़ी सं या म वै ािनक और तकनीकी कमचािरयों के िलए
रोजगार िमलेगा।
3. अंितम उपयोगकता को मौसम आधािरत सेवाओं की कनेि टिवटी सुिनि चत करने के िलए, ICAR के कृिष
िव ान कद्रों, िव विव ालयों और थानीय नगर पािलकाओं, जैसी बड़ी सं या म एजिसयों को योजना के
अंतगत शािमल िकया गया है। इस प्रकार कई लोगों के िलए रोजगार के अवसर पै दा होंगे।
काया वयन:
यह योजना पृ वी िव ान मंतर् ालय (MoES) ारा भारत मौसम िव ान िवभाग (IMD), रा ट् रीय म यम अविध मौसम
पूवानुमान कद्र (NCMRWF), भारतीय उ णदेशीय मौसम िव ान सं थान (IITM) और भारतीय रा ट् रीय महासागर
सूचना सेवा कद्र (INCOIS) जैसी इकाइयों के मा यम से कायाि वत की जा रही है।
स्रोत: पीआईबी।
संदभ:
भारत म ‘रा ट् रीय हाइड् रोजन ऊजा िमशन’ के तहत “हाइड् रोजन-सम ृ संपीिडत प्राकृितक गैस” (Hydrogen-
enriched compressed natural gas: H–CNG)” को अपनाने पर जोर िदया जा रहा है। िजसके तहत,
उवरक, इ पात और पेट्रोकेिमकल उ ोगों म ‘हिरत / ग्रीन हाइड् रोजन’ के उपयोग को अिनवाय भी िकया जा सकता
है।
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पृ ठभिू म:
HCNG या है?
हाइड् रोजन को ‘संपीिडत प्राकृितक गैस’ (CNG) के साथ िमिश्रत िकए जाने पर प्रा त गैस को ‘हाइड् रोजन-
िमिश्रत सीएनजी’ (HCNG) कहा जाता है।
इसका उपयोग गैसोलीन, डीजल ईध ं न और प्रोपेन (C3H8) / LPG के थान पर िकया जा सकता है और इसके
दहन से अवांछनीय गैसों के उ सजन म कमी आती है।
HCNG के लाभ:
‘हाइड् रोजन-िमिश्रत सीएनजी’ (HCNG), काबन मोनो साइड (CO) के उ सजन को 70% तक कम करता
है।
ईधं न म 5% तक की बचत करने म स म है।
भिव य की ‘हाइड् रोजन अथ यव था’ की ओर पहला कदम है।
कम मात्रा म नाइिट् रक ऑ साइड (NO) उ सजन के िलए इंजनों को अंशशोिधत िकया जा सकता है।
इंजनों को HCNG चािलत बनाने के िलए यूनतम संशोधन की आव यकता होती है।
उ च भार वाले काय और भारवाही वाहनों के िलए आदश ईध ं न है।
हाइड् रोजन की उ च ऑ टे न रेिटंग के कारण बेहतर प्रदशन देता है।
सवािधक अनुकूिलत H2/NG (प्राकृितक गैस) अनुपात का िनधारण करना किठन होता है।
HCNG तैयार करने के िलए नए बुिनयादी ढांचे की आव यकता होती है।
बड़े पै माने पर इसका यावसायीकरण करने के िलए कई कदम उठाए जाने की ज रत है।
हाइड् रोजन गैस की वतमान लागत, ‘प्राकृितक गैस’ की लागत से अिधक है। अतः HCNG की लागत भी
सीएनजी से अिधक हो जाती है।
स्रोत: पीआईबी।
इसे 26/11 म हुए मुबं ई आतंकवादी हमलों के बाद थािपत िकया गया था।
वष 2012 म र ा अिधग्रहण पिरषद ारा अनुमोिदत िकया गया।
वष 2014 से काय करना आरंभ िकया और यह ग ु ग्राम म ि थत है।
यह नेशनल कमांड कंट् रोल क युिनकेशन एंड इंटेिलजस िस टम (NC3I) का नोडल कद्र है।
इसे नौसेना के पिरचालन कद्रों और नौसेना तथा देश के समुदर् तट पर फैले को ट गाड के िनचले
अिधकािरयों म संपक थािपत करने हेत ु गिठत िकया गया था।
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मिहला वै ािनकों के िलए POWER योजना
“पावर” (मिहलाओं के िलए अनुसंधान म अवसरों को प्रो साहन) अथात (POWER- Promoting Opportunities
for Women in Exploratory Research)।
यह भारतीय शै िणक सं थानों और अनुसंधान एवं िवकास प्रयोगशालाओं म िविभ न िव ान और प्रौ ोिगकी
कायक् रमों म िव ान और इंजीिनयिरंग अनुसंधान के िव पोषण म लिगक असमानता को कम करने की एक
योजना है।
इस योजना को ‘िव ान और प्रौ ोिगकी िवभाग’ (DST) के एक सांिविधक िनकाय, ‘िव ान और इंजीिनयिरंग
अनुसंधान बोड’ (SERB) ारा शु िकया गया है।
पावर योजना के दो घटक ह: (1) एसईआरबी-पावर फैलोिशप (छात्रवृि ); (2) एईआरबी- पावर िरसच ग्रांट
(शोध अनुदान)।
िगरनार पवत
ू ागढ़ के पास अवि थत है।
यह पवत ग ुजरात म जन
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