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PROFESSIONAL ETHICS HINDI ONE LINER :

UNIT : 1
1.अ धव ा अ ध नयम 1961 का उ े य व ध वसायी के एक वग का गठन करना है जसे अ धव ा कहा जाता है.
2.अ धव ा अ ध नयम 1961 के तहत और कसी भी रा य क भू मका म वेश कया और एक वक ल है.
3.उ यायालय और भारत के सव यायालय ारा व र अ धव ा का दजा दया जाता है.
4.बार काउं सल ऑफ इं डया एक कानूनी है.
5.बार काउं सल ऑफ इं डया के गठन पर अ धव ा अ ध नयम म चचा क गई है
6.बार काउं सल ऑफ इं डया एक वाय नकाय है.
7.बार काउं सल ऑफ इं डया कानूनी श ा णाली के लए नयम और कानून बनाने के लए ज मेदार है.
8.बार काउं सल ऑफ इं डया एक न त कत और काय को ले जाने के भारी है.
9.बार काउं सल ऑफ इं डया के पास चल और अचल संप हा सल करने का अ धकार है.
10.बार काउं सल ऑफ इं डया कसी संगठन का सद य हो सकता है.
11.भारत के हर रा य म एक बार काउं सल हो सकती है.
12.सद य को रा य बार काउं सल से अयो य ठहराया जा सकता है.
13. यायालय म व र ता से संबं धत ववाद उ प होता है.
14.अनुशासना मक कारवाई के आधार पर एक वक ल को रा य शासन से हटाया जा सकता है।.
15.एक अ धव ा के नाम के आधार पर य द उसे दोषी पाया जाएगा तो उसे रा य रोल से हटाया जा सकता है.
16.एक वक ल को एक समय के लए नलं बत कया जा सकता है अगर वह अनुशासना मक स म त ारा कसी भी
कदाचार से बाहर पाया जाएगा.
17.स शन के समय और अ धव ा कोट म ै टस नह कर सकते.
18.एक वक ल का नलंबन अनुशासना मक स म त के सामने उसके खलाफ सा बत कए गए आरोप के आधार पर भ
होता है.
19.य द कोई अ धव ा मर गया है तो उसका नाम रा य रोल से हटा दया जाएगा.
20.एक वक ल के प म नामां कत होने के लए बु नयाद मानदं ड म कानून नातक क ड ी है.
21. कसी कॉलेज या व व ालय से ड ी होना अ नवाय है जसे बार काउं सल ऑफ इं डया ारा अनुमो दत कया जाता
है।
22.अदालत म एक वक ल के प म अ यास करने के लए नामांकन रा य बार काउं सल म अ नवाय है.
23.एक अ धव ा को अ धव ा अ ध नयम 1961 के अनुसार अदालत के अंदर ेस कोड का पालन करना पड़ता है।
24.के वल एक नामां कत अ धव ा अदालत म एक मामले क पैरवी कर सकता है.
25.एक वक ल को उसके पेशे म कदाचार के लए दं डत कया जा सकता है.
26.अगर वह राचार का दोषी पाया जाता है तो रा य बार काउं सल अयो य अ धव ा को सजा दे सकती है.
27.एक अ धव ा, अ धव ा अ ध नयम 1961 म उ ल खत काले और सफे द ेस कोड का पालन करने के लए बा य है.
28.कानूनी पेशे के वकास का इ तहास टश काल म शु हो गया था.
29. स वल कोट के प म अनुशासना मक स म त के पास अ धकार ह.
30.हर कोई अदालत म ै टस नह कर सकता, के वल एक वक ल अदालत के अंदर अ यास कर सकता है और एक जज के
सामने अपना मामला पेश कर सकता है.
31.अनुशासना मक स म त के पास एक वक ल को दं डत करने क सभी श याँ ह य द वह अपने पेशे के दौरान कसी
कदाचार का दोषी पाया जाता है.
32.एक वक ल का नामांकन और वेश रा य बार काउं सल के तहत पूरा होता है.
33.एक अ धव ा का अपने पेशे के त कत है क वह ज रतमंद और गरीब लोग को मु त कानूनी सहायता दान करे.
34.अ धव ा अ ध नयम 1961 क धारा 4(1) के अनुसार यह ावधान है क भारत म एक भारतीय व ध प रषद (बार
काउं सल)होगी.
35.बार काउं सल ऑफ इं डया का एक अ य और उपा य होगा.धारा 4(2).
36.धारा 5 म कहा गया है क बार काउं सल ऑफ इं डया एक नकाय कॉप रेट होगा.
37.बार काउं सल ऑफ इं डया के काय का उ लेख अ ध नयम क धारा 7 के तहत कया गया है.
38.नामांकन का माण प वह द तावेज है जो रा य बार काउं सल म नामां कत होने के बाद एक वक ल को दान कया
जाता है.
UNIT : II
39.वकालत म पेशव
े र नै तकता रखना इस पेशे का सबसे बु नयाद स ांत है.
40.पेशेवर नै तकता नै तक स ांत पर नधा रत कोड ह जो को पेशे म आचरण करते ह.
41.एक वक ल को अपने ाहक के साथ उ चत वहार करने वाले पेशवे र कोड का पालन करना चा हए.
42.भारत सरकार ने अ धव ा अ ध नयम 1961 के तहत भारत के बार काउं सल के प म जानी जाने वाली एक तमा
सं ा का गठन कया है.
43.बार काउं सल ऑफ इं डया ने पेशवे र आचरण के उ चत मानक के तहत नयम को तैयार कया है.
44.भाग vi अ याय II एक वक ल के आचरण के मानक से संबं धत है.
45.अ धव ा के 39 नयम और कत का उ लेख अ ध नयम के तहत कया गया है.
46.वकालत के पेशे म एक वक ल के लए पेशेवर नै तकता ब त मह वपूण है.
47.एक वक ल और उसके मुव कल के बीच का संबध
ं एक ववादा द संबध
ं होना चा हए.
48.वकालत और अ धव ा के पेशे म कई कत होते ह जनका उ ह अपने काम के दौरान पालन करना होता है.
49.अपने कानूनी पेशे के त अपने ाहक के त उवरता और वफादारी बनाए रखने के लए अ धव ा का कत है.
50.वकालत के पेशे म एक वक ल क अ नै तकता समाज म अपना स मान बनाने के लए नेतृ व करती है.
51.वकालत केपेशे म एक वक ल के कु छ दा य व और सीमाएँ ह जो उसके पेशे के त अ धकार और कत ह जसे वह
अव ा नह कर सकता है।
52.एक अ धव ा के लए चार अ नवाय कत होते ह, जसका उसे अपने अ यास के दौरान पालन करना होता है ,और चार
कत ; कत यायालय के त ,कत वरोधी के त , त ं के त कत और सहयो गय के त कत .
53.वकालत के
पेशे म यायालय और यायाधीश के त स मानजनक वहार बनाए रखने के लए एक वक ल क
आव यकता होती है.
54.यह एक वक ल के लए अदालत के कसी भी फै सले को भा वत करने के लए उपयु नह है य क वह मामले म
अपनी गत च रखता है।.
55.यह एक वक ल क ज मेदारी है क वह कसी भी तरह के अनु चत वहार म शा मल न हो.
56.यह एक वक ल क ज़ मेदारी है क वह अपने मुव कल के त स मानजनक हो और एक बार उसके ारा वीकार कए
जाने के बाद उसे बना कसी कारण के मामले से पीछे नह हटना चा हए।
57.एक वक ल केपास अपने सहयो गय के त ज मेदारी है क वह कसी भी नणय पर काबू न रखे या कसी भी मामले
के लए कसी भी सबूत या साम ी को बा धत न करे.
58.एक वक ल को पेशव
े र सेवा के लए व ापन म अपने नाम का उपयोग करने क अनुम त नह द जाएगी.
59.एक वक ल को कसी भी मामले म नवेदन नह करना चा हए जसम वह गत प से च रखता है य क यह
मामले के त पूवा ह पैदा कर सकता है.
60.एक वक ल दो अलग-अलग प के लए एक ही मामले पर उप त नह हो सकता है.
61.एक वक ल का अपने त ं के त नै तक कत होता है और वह अपने वरोधी प से संबं धत कसी भी मामले पर
बातचीत नह कर सकता है.
62.एक वक ल को मामले को अपने प म ढालने के लए कोई नकली सबूत या झूठे रकॉड नह बनाने चा हए.
63. ावसा यक सेवा के लए और सहायता के लए, वकालत करने वाले नाम को चार के प म उपयोग नह कया
जायेगा.
64.य द वह पेशेवर राचार का दोषी पाया जाता है, तो एक वक ल का नाम रा य से हटा दया जा सकता है.
65.वकालत का पेशा याय पाने के लए ज़ रतमंद क मदद करके समाज को लाभ प ँचाना है.
66.भारतीय सं वधान का अनु
े द 39A, समाज के गरीब और कमजोर वग को मु त कानूनी सहायता दान करता है और
सभी के लए याय सु न त करता है। येक रा य म, एक रा य व धक सेवा ा धकरण और येक उ यायालय म, एक
उ यायालय व धक सेवा स म त का गठन कया गया है।
67.बार काउं
सल ऑफ इं डया के अ याय II के से न 6 के नयम 46 से यह होता है क वहार म येक अ धव ा
ज रतमंद को याय दलाने म मदद करेगा.
68.मु त कानूनी सहायता समाज के त एक वक ल का सव दा य व है.
69.धारा 7(2)(b) के अनुसार मु त कानूनी सहायता दे ने के उ े य से रा य बार काउं सल एक या अ धक धन का गठन कर
सकती है.
70.बार काउं
सल ऑफ इं डया के बारे म अ धव ा अ ध नयम क धारा 9 ए म एक या एक से अ धक कानूनी सहायता
स म त का गठन कया जा सकता है, जसम से येक स म त म 9 से अ धक सद य नह ह गे और 5 से कम सद य नह
ह गे।
71.कु छ मामल
म व धक सहायता सेवा कसी भी को दान नह क जाएगी और वे मानहा न के भावनापूण
अ भयोजन प ह.
72.एक वक ल जोनशु क कानूनी सेवा के लए काम कर रहा है, उसे नकद या उस तरह क सेवा म कोई शु क या
पा र मक नह मल सकता है जो वह दान कर रहा है.
73.एक वक ल जो नशु क कानूनी सेवा के लए काम कर रहा है, उसे स म त ारा दे य मानदे य का भुगतान कया जाएगा.

UNIT : III
74. जस ान पर यायाधीश अपनी सीट लेते ह, वह बच के प म ए े ड है.
75. जस ान पर अ धव ा बैठते ह वह बार के प म संबो धत कया कया जाता ह.
76.सभी मामल के लए याय क ा त और बड़े पैमाने पर समाज हमारी या यक णाली का मु य उ े य है.
77.बार और बच हमारी या यक णाली क पू त के लए सबसे आव यक साझेदार ह.
78.जज और एडवोके ट के बीच के र ते को अ सर बार और बच रलेशन शप कहा जाता है.
79.मामल के सुचा संचालन के लए यायाधीश और अ धव ा के बीच एक अ ा संबध
ं ब त मह वपूण है.
80.नाग रक को याय दान करना यायाधीश और अ धव ा क संयु ज मेदारी है.
81. यायाधीश के पास जो श यां होती ह, वे कसी भी अ य काय से अ धक होती ह.
82.दे श के सभी नाग रक को कसी भी मामले के लए यायाधीश के फै सले का पालन करना होगा.
83.य द यायाधीश हो जाते ह तो नाग रक के जीवन के साथ कोई सुर ा नह रह जाएगी और याय ा त करने के लए.
84.रा य को ज रत है और यायपा लका जो श शाली और न प हो.
85. यायाधीश को हर मामले के लए धीरज/ धैय से मामले क सुनवाई का कत करना चा हए.
86. कसी भी मामले क सुनवाई म यायाधीश को मामले के त प पाती नह होना चा हए या मामले पर कसी भी तरह क
राय नह बनानी चा हए.
87. यायाधीश को के वल याय के हत म काय करना चा हए.
88.एक मामले को पेश करते समय यायाधीश को अपने मामले को अदालत म पेश करने के लए अ धव ा को समान
अवसर दे ना चा हए.
89. याय के शासन क या के दौरान यायालय ारा व धय क ा या क जानी है.
90.यह बार और बच दोन क ज मेदारी है क वे ; हष ट प णय का उपयोग करने से बचने,अनु चत कायवाही से बचने,सभी
मामल को शी नपटान दे ने का यास कर.

UNIT IV :
91.धारा 2a, के अनुसार यायालय क अवमानना का अथ है नाग रक अवमानना और आपरा धक अवमानना.
92.धारा 2b, स वल अवमानना क धारा का अथ है कसी भी नणय ड आदे श रट या अदालत क कसी भी अ य
या के त अव ा.
93.धारा 2c, आपरा धक अवमानना का अथ है काशन, चाहे वह श द ारा या ल खत या व ान ारा या य
त न ध व ारा.
94.धारा 2d, उ यायालय का मतलब रा य या क शा सत दे श के लए कोड होता है और इसम कसी भी क शा सत
दे श म या यक आयु का यायालय शा मल होता है.
95. नद ष काशन और मामले के वतरण म अदालत क अवमानना नह होगी.
96. कसी को इस आधार पर अदालत क अवमानना का दोषी नह माना जाएगा क उसने कोई भी मामला का शत
कया है, जो याय क अदालत म ह त पे करता है.
97. कसी भी स वल या आपरा धक कायवाही के संबंध म, जो काशन के समय लं बत नह है, यायालय क अवमानना
करने के लए डी ड नह होगी.
98. या यक कायवाही क न प और सट क रपोट अदालत क अवमानना नह है.
99. यायालय कअवमानना अ ध नयम क धारा 7 के अनुसार कसी को या यक कायवाही क न प और सट क
रपोट का शत करने के लए अदालत क अवमानना का दोषी नह माना जाएगा।
100.अधीन अदालत के पीठासीन अ धकारी के खलाफ शकायत करने पर अदालत क अवमानना नह होगी.
101.चबस या कै मरे म कायवाही से संबं धत जानकारी का काशन यायालय क अवमानना नह है.
102.उ यायालय के पास अधीन यायालय को अवमानना के लए दं डत करने क श है.
103.उ यायालय के पास अ धकार है क वह अपराध या अपरा धय को े ा धकार से बाहर अ धकार े के बाहरक
को शश कर सके .
104. यायालय क अवमानना के आव यक त व तवाद वसीयत क अव ा ारा आदे श के एक वैध यायालय के आदे श
का ान कर रहे ह.
105. यायालय क अवमानना के लए अदालत क अवमानना क अव ध है, इस पर अदालत क कारवाई अ ध नयम 1971
क धारा 20 के तहत चचा क गई है.
106.उस समय से एक वष के लए समय अव ध है जस दन साम ी का आरोप लगाया गया है.
107.अ ध नयम क धारा 13 के अनुसार कसी को अवमानना के लए दं डत नह कया जा सकता है जब तक क
याय के उ चत पा म के साथ ह त पे नह करता है.
108.P N duda बनाम VP शव शंकर और अ य 1988 के मामले म अदालत ने कहा क अदालत क आलोचना जो याय
के शासन म बाधा नह है उसे अवमानना के प म दं डत नह कया जा सकता है.
109.अ ध नयम क धारा 12 के अनुसार अवमानना क सजा का उ लेख कया गया है ;
110.धारा 12 के अनुसार, एक को अवमानना करने का दोषी माना जाता है जसे या तो छह महीने क वतमान अव ध
म या तो दो हजार 2000 तक जुमाना हो सकता है।
111.अवमानना क सजा छह महीने से अ धक और 2,000 तक जुमाना नह हो सकता।
अदालत अ धकतम सजा दे सकती है.
112.अ ध नयम क धारा 10 के अनुसार उ यायालय को यायालय क अवमानना के लए दं ड दे ने का अ धकार े और
अ धकार है.

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