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AVADH LAW COLLEGE

UMA SHANKAR
LL.B.3Year1Sem& LL.B.5Year1Sem
(UNIT-1)

अंतर्राष्ट्रीय विधि

अंतर्राष्ट्रीय विधि की प्रकृतत

अंतर्राष्ट्रीय विधि की प्रकृतत से तरत्पया है कक क्यर अंतर्राष्ट्रीय


विधि को िरस्ति में विधि कहर जर सकतर है , अर्रात क्यर अंतर्राष्ट्रीय विधि उसी
प्रकरर् से विधि है , जजस अर्ा में र्रष्ट्रीय विधि है ? यह प्रश्न बहुत ही वििरदरस्पद
है । इस विषय पर् प्ररर्ं भ से ही विधि शरजस्ियों के विचरर्ों में करफी भभन्नतर र्ही है ।
यद्यवप र्रज्यों के संबंिों को वितनयभमत कर्ने िरले तनयमों को वपछले लगभग
200 िषों से अंतर्राष्ट्रीय विधि कहर जरतर र्हर है , कफर् भी कई विधि शरस्िी इसके
बरिजूद, कक िे अंतर्राष्ट्रीय विधि शब्द कर प्रयोग कर्ते र्हे हैं, इस इस प्रश्न पर्
संदेह कर्ते हैं कक क्यर अंतर्राष्ट्रीय विधि िरस्ति में विधि है ? इस संबंि में एक
मत यह है कक अंतर्राष्ट्रीय विधि िरस्ति में विधि नहीं है । यह केिल नैततक बल
के आचर्ण की संहहतर है । दस
ू र्र मत है कक अंतर्राष्ट्रीय विधि िरस्तविक विधि है
तर्र इसे उसी प्रकरर् विधि के रूप में मरनर जरतर है , जैसे र्रज्यों की विधि को, जो
मुख्य रूप से व्यजक्तयों पर् बरध्यकरर्ी होती है । क्यर अंतर्राष्ट्रीय विधि िरस्ति में
विधि है ? इस प्रश्न कर उत्तर् इस पर् तनभार् कर्तर है कक विधि शब्द की परर्भरषर
क्यर है ? इसी से यह तनजश्चत ककयर जर सकतर है कक अंतर्राष्ट्रीय विधि िरस्ति में
विधि है यर नहीं।

ऑजस्िन कर मत ऑजस्िन के अनुसरर् विधि शब्द कर प्रयोग ऐसे तनयमों के भलए


कर्नर चरहहए, जो प्रभत्ु ि संपन्न शजक्त द्िरर्र तनभमात की गई हो तर्र जजस कर
उल्लंघन होने पर् इसी शजक्त द्िरर्र दं ड हदए जरने की व्यिस्र्र हो। दस
ू र्े शब्दों में
विधि को प्रभुत्ि संपन्न शजक्त द्िरर्र अधितनयभमत होनर चरहहए। इस परर्भरषर के
दो महत्िपण
ू ा तत्ि हैं। प्रर्म, विधि प्रभत्ु ि संपन्न शजक्त द्िरर्र तनभमात की गई हो
अर्रात जो विधि प्रभुत्ि संपन्न शजक्त द्िरर्र तनभमात नहीं की जरती है , उसे विधि
नहीं मरनर जर सकतर, और् दस
ू र्े , इसे प्रभुत्ि संपन्न शजक्त द्िरर्र लरगू ककयर जरनर
चरहहए अर्रात यहद विधि कर उल्लंघन ककयर जरतर है , तो इसके पीछे दं ड दे ने की
समुधचत व्यिस्र्र होनी चरहहए। ककसी तनयम को समुधचत विधि कहे जरने के भलए
इन दोनों तत्िों की विद्यमरनतर आिश्यक है

ओपन हरइम कर मत--- ओपन हरइम के अनस


ु रर् विधि एक समद
ु रय के अंतगात
मरनिीय व्यिहरर् के उन तनयमों कर समूह है , जजसे समुदरय की सरमरन्य सम्मतत
से बरह्य शजक्त द्िरर्र लरगू ककयर जरतर है । इसी परर्भरषर के अनुसरर् विधि में
तीन तत्ि होने चरहहए। प्रर्म, एक समद
ु रय होनर चरहहए, दस
ू र्े , उस समद
ु रय के
अंतगात मरनिीय व्यिहरर्ों के भलए तनयमों कर समूह होनर चरहहए, तरकक समुदरय
को सुव्यिजस्र्त ढं ग से शरभसत ककयर जर सके। सभी समुदरय, विधि के शरसन को
स्िीकरर् कर्ते हैं क्योंकक िे मनष्ट्ु य तर्र र्रष्ट्रों की गरर्मर को सम्यक सम्मरन तर्र
संर्क्षण प्रदरन कर्ने की इच्छर र्खते हैं, तर्र तीसर्े , उस समुदरय की सरमरन्य
सभमतत होनी चरहहए कक यह तनयम बरय शजक्तयों द्िरर्र लरगू ककए जरएंगे। ओपन
हरइम के अनस
ु रर् विधि की परर्भरषर के तीनों ही तत्ि अंतर्राष्ट्रीय विधि में परए
जरते हैं।

तनष्ट्कषा रूप से यह कहर जर सकतर है कक ितामरन समय में विश्ि को िरस्ति में
अंतर्र्रष्ट्रीय समद
ु रय मरनर जरतर है । र्रज्यों के भलए, जो विश्ि समद
ु रय के सदस्य
हैं, रूह़ियों तर्र संधियों के द्िरर्र तनयमों को बनरयर गयर है । र्रज्य इन तनयमों को
मरन्यतर दे ते हैं तर्र इनकर परलन कर्ते हैं, और् इस बरत पर् विश्िरस कर्ते हैं कक
उनके आचर्ण को वितनयभमत कर्ने के भलए तनयमों कर समह
ू अजस्तत्ि में है यह
तनयम र्रज्यों द्िरर्र विदे शी करयरालयों, र्रष्ट्रीय न्यरयरलय तर्र अन्य सर्करर्ी अंगों
के मरध्यम से प्रयोग में लरए जरते हैं। र्रज्य इस बरत को मरनते हैं िह अंतर्राष्ट्रीय
विधि के तनयमों से विधिक रुप से बरध्य हैं।

अंतर्राष्ट्रीय विधि िरस्ति में विधि है , ऑजस्िन की परर्भरषर स्िीकरर् कर् लेने
पर् भी स्पष्ट्ि हो जरतर है । ऑजस्िन ने 19िीं शतरब्दी में अंतर्राष्ट्रीय विधि को “
सरर्ाक नैततकतर” के रूप में मरनर र्र। िरस्ति में उनकर कहनर उधचत र्र क्योंकक
उस समय अंतर्र्रष्ट्रीय समुदरय में वििरन, न्यरयरलय, अनुशरजस्तयरं और् प्रितान तंि
की कमी तनजश्चत रूप से र्ी। इन सब को ध्यरन में र्खकर् यहद उन्होंने यह
तनष्ट्कषा तनकरलर र्र कक अंतर्राष्ट्रीय विधि सही अर्ा में विधि नहीं है , तो शरयद िे
गलत नहीं र्े। ककं तु जजस समय परर्भरषर दी गई र्ी, तब से अंतर्राष्ट्रीय विधि में
मूलभूत विकरस हुआ है । ितामरन समय में बहुर्रष्ट्रीय संधियों तर्र अभभसमयों के
परर्णरम स्िरुप अंतर्र्रष्ट्रीय वििरयन अजस्तत्ि में आ गयर है । र्रज्यों के अभ्यरस
से यह स्पष्ट्ि होतर है कक िह स्ियं को ऐसी संधियों द्िरर्र बरध्य समझते हैं।
यहद तनयमों कर उल्लंघन ककसी एक र्रज्य द्िरर्र ककयर जरतर है , तो उसके विरुद्ि
न केिल व्यजक्तगत र्रज्य द्िरर्र बजल्क संयक्
ु त र्रष्ट्र संघ द्िरर्र भी सरमहू हक
अनुशरजस्तयराँ की जरती है । ितामरन समय में, अंतर्र्रष्ट्रीय समुदरय के परस
अंतर्र्रष्ट्रीय न्यरयरलय है , जजसकर तनणाय मरमले के पक्षकरर्ों पर् बरध्यकरर्ी होतर
है । यहद न्यरयरलय द्िरर्र प्रदत्त तनणाय के अिीन एक पक्षकरर् अपने भलए
बरध्यतरओं कर परलन नहीं कर्तर है , तो संयुक्त र्रष्ट्र संघ की सुर्क्षर परर्षद
न्यरयरलय के तनणाय को लरगू कर्ने के भलए सशक्त है । अंतर्राष्ट्रीय वििरन,
न्यरयरलय, शरजस्त, प्ररधिकरर्ी तर्र प्रितान तंि कर होनर ितामरन शतरब्दी कर महत्ि
पूणा विकरस है । इन विकरर्ों को लक्ष में र्खकर् अंतर्राष्ट्रीय विधि को विधि कहने
में शरयद कोई भी नहीं हहचककचरएगर।
अंतर्राष्ट्रीय विधि दर्
ु ाल विधि है

अंतर्राष्ट्रीय विधि िरस्तविक अर्ा में विधि है । र्रज्यों के अभ्यरस तर्र


अंतर्र्रष्ट्रीय न्यरतयक संस्र्रनों के अभ्यरस अंतर्राष्ट्रीय विधि के विधिक चरर्ि को
दशराते हैं। ककं तु यह मरननर होगर कक यह र्रष्ट्रीय विधि की अपेक्षर एक दब
ु ाल विधि
है । इसके तनयम उतने प्रभरि करर्ी नहीं हैं, जजतने र्रष्ट्रीय विधि के तनयम होते हैं।
इसके तनम्न करर्ण हैं-

• अंतर्राष्ट्रीय विधि में प्रभरिशरली वििरई शजक्त की कमी है । अंतर्राष्ट्रीय


विधि के तनयम, जो मख्
ु य रूप से अंतर्र्रष्ट्रीय संधियों तर्र रूह़ियों के
परर्णरम स्िरूप बने हैं, र्रज्य के तनयमों से क्षमतर में तुलनीय नहीं है ।
कभी-कभी संधियों के उपबंिो कर पक्षकरर् अपनी इच्छर अनुसरर् तनिाचन
कर्ते हैं।
• यद्यवप अंतर्र्रष्ट्रीय समुदरय में अंतर्र्रष्ट्रीय न्यरयरलय है , जजसे िल्डा कोिा
के नरम से जरनर जरतर है , कफर् भी इसको सभी र्रज्यों के वििरदों कर
तनपिरर्र कर्ने की अधिकररर्तर प्ररप्त नहीं है । इस न्यरयरलय में र्रज्यों की
सहमतत से ही िरद दरखखल ककयर जर सकतर है । ककं तु बहुत से र्रज्यों ने
न्यरयरलय को अपने वििरदों को तनणीत कर्रने कर क्षेिरधिकरर् अतनिरया रूप
से नहीं हदयर है ।
• अंतर्र्रष्ट्रीय समुदरय में प्ररप्त प्रितान तंि प्रभरिशरली नहीं है र्रष्ट्रीय विधि
के अंतगात यहद कोई व्यजक्त अपर्रि कर्तर है तो उसको र्रज्य में विधि के
अनस
ु रर् दं ड भमलतर है ककं तु अंतर्राष्ट्रीय विधि में हमेशर ऐसर नहीं है । कई
ऐसे मरमलों में र्रज्यों के विरुद्ि कोई भी प्रितान करयािरही नहीं की गई
यद्यवप उन र्रज्यों के द्िरर्र अिैि कृत्य ककए गए र्े। उदरहर्ण के भलए
संयक्
ु त र्रज्य अमेरर्कर के विरुद्ि कोई भी करयािरही उस समय नहीं की गई
जब उसने ग्रेनेडर और् इर्रक में आक्रमण ककयर र्र।
• अंतर्राष्ट्रीय विधि के तनयमों कर र्रज्यों द्िरर्र बरर्-बरर् उल्लंघन ककयर जरतर
है तर्र अधिकरर्ों के दरिेदरर् विधि को अपने हरर्ों में ले लेते हैं। यद्यवप
संयुक्त र्रष्ट्र चरिा र् ने आत्म सहरयतर के क्षेि को कम कर् हदयर है , कफर् भी
अंतर्राष्ट्रीय विधि को पूणा रुप से लरगू नहीं ककयर जर सकतर है ।
• र्रष्ट्रीय विधि के प्रभरि करर्ी होने कर एक बहुत बडर करर्ण है कक उनकी
इकरइयरं अत्यधिक दब
ु ाल हैं। इस करर्ण इनके तनयमों कर उल्लंघन कर्ने
िरले के ऊपर् प्रभरिी ढं ग से तनयंिण ककयर जर सकतर है । अंतर्र्रष्ट्रीय
समद
ु रय एक ऐसर समद
ु रय है , जहरं कुछ इकरइयरं छोिी और् तनबाल है , िही
कुछ इकरइयरं करफी शजक्तशरली है । इन शजक्तशरली इकरइयों को अंतर्राष्ट्रीय
विधि की परर्धि में लरनर अत्यधिक कहिन हो जरतर है । जब तक
अंतर्र्रष्ट्रीय समद
ु रय इन शजक्तशरली इकरइयों से अधिक शजक्तमरन नहीं हो
जरतर, तब तक उसके द्िरर्र तनभमात तनयम ऐसी इकरइयों की स्िेच्छर पर् ही
लरगू होते र्हें गे।

इन सभी करर्णों से यह तनष्ट्कषा तनकरलर जर सकतर है कक


अंतर्राष्ट्रीय विधि र्रष्ट्रीय विधि की अपेक्षर एक दब
ु ाल विधि है ।

अंतर्राष्ट्रीय विधि विधि शरस्त्र कर लुप्त प्ररय बर्ंद ु है ----

हरलैंड ने अंतर्राष्ट्रीय विधि को विधिशरस्ि कर लप्ु त प्ररय बबंद ु कहर है । उनके


अनुसरर् अंतर्राष्ट्रीय विधि को विधिशरस्ि कर अंग नहीं मरनर जर सकतर है क्योंकक
अंतर्राष्ट्रीय विधि और् विधिशरस्ि पर्स्पर् समरनरंतर् हैं और् इसी करर्ण दोनों ही
एक दस
ू र्े से विभशष्ट्ि एिं पर्
ृ क हैं। यद्यवप ऐसर प्रतीत होतर है कक दोनों ही लप्ु त
प्ररय बबंद ु पर् एक ही है ककं तु िरस्ति में दोनों पर्
ृ क हैं। उनके कर्र अनुसरर्
अंतर्राष्ट्रीय विधि को विधि ककस श्रेणी में नहीं र्खर जर सकतर क्योंकक नर तो यह
ककसी प्रभत
ु र संपन्न अधिकरर्ी द्िरर्र तनभमात ककए जरते हैं और् नर ही इसके
तनयमों के उल्लंघन कर्ने पर् कोई अनुशरजस्त है । उनके अनुसरर् अंतर्राष्ट्रीय
विधि को केिल सौजन्यतरिश (courtesy)ही विधि की श्रेणी में ही र्खर जर सकतर
है । इन तनयमों को विधि की श्रेणी में नहीं र्खर जर सकतर। हरलैंड के कर्न को
ितामरन समय में, जबकक अंतर्राष्ट्रीय विधि में बहुत अधिक परर्ितान हो चुके हैं,
उधचत नहीं कहर जर सकतर। अंतर्राष्ट्रीय वििरन, न्यरयरलय, अनश
ु रजस्त, प्ररधिकरर्ी
तर्र प्रितान तंि कर होनर ितामरन शतरब्दी के महत्िपण
ू ा विकरस हैं। इन सभी
पहलुओं को दे खने से प्रतीत होतर है कक अंतर्राष्ट्रीय विधि और् विधिशरस्ि एक
दस
ू र्े से पर्
ृ क नहीं है । अंतर्राष्ट्रीय विधि विधि शरस्ि की ही एक शरखर है । ितामरन
समय में र्रज्यों के अभ्यरस से यह प्रमरखणत हो गयर है कक अंतर्राष्ट्रीय विधि सच्चे
मरयने में विधि है ।

अंतर्राष्ट्रीय विधि की परर्भरषर

अंतर्राष्ट्रीय विधि को आर्ं भ में र्रष्ट्रों की विधि कहर जरतर र्र, ककं तु र्रष्ट्रों
के आपसी संबंिों को वितनयभमत कर्ने िरले तनयमों को र्रष्ट्रों की विधि कहनर
भ्ररमक लगतर र्र क्योंकक इस शब्द से ऐसर आभरस होतर र्र कक इसमें कई र्रष्ट्रों
की विधि कर अध्ययन ककयर जरतर है । इसी करर्ण सिाप्रर्म बेंर्म ने सन 1789
में इस पद के स्र्रन पर् अंतर्राष्ट्रीय विधि शब्द कर प्रयोग ककयर और् तभी से यह
प्रचभलत है । अधिकरंश पर्ं पर्रगत न्यरयरिीशों ने अंतर्राष्ट्रीय विधि को एक ऐसी
विधि के रूप में मरनर है , जो र्रष्ट्रों के परर्स्परर्क संबंिों को भी वितनयभमत कर्ती
है और् इसी अर्ा में इस को परर्भरवषत ककयर गयर है

ओपन हरइम के अनुसरर्, अंतर्राष्ट्रीय विधि तनयमों कर िह समूह है जो र्रज्यों के


परर्स्परर्क संबंिों में उन तनयमों पर् आबद्िकर् कर् है । यह तनयम प्ररर्भमक रूप
से िे तनयम है जो र्रज्यों के संबंि को शरभसत कर्ते हैं, ककं तु अकेले र्रज्य ही
अंतर्राष्ट्रीय विधि के विषय नहीं हैं। अंतर्र्रष्ट्रीय संगिन तर्र कुछ हद तक व्यजक्त
भी अंतर्राष्ट्रीय विधि द्िरर्र प्रदत्त अधिकरर्ों तर्र अधिर्ोवपत कताव्यों के विषय हो
सकते हैं।
स्त्टरका के अनुसरर्, अंतर्राष्ट्रीय विधि, विधि कर िह समूह है , जजनकर अधिकरंश
भरग आचर्ण के उन भसद्िरंतों तर्र तनयमों से बनर है , जजन कर अनप
ु रलन कर्ने
के भलए र्रज्य अपने को बरध्य कर्ते हैं। अतः िह अपने परर्स्परर्क संबंिों में
इसकर सरमरन्यतर अनप
ु रलन कर्ते हैं तर्र इसमें यह भी सजम्मभलत है—

1- अंतर्राष्ट्रीय संस्र्रनों यर संगिनों की करयाप्रणरली एिं उनके परर्स्परर्क संबंि


तर्र र्रज्यों एिं व्यजक्तयों के संबंिों के िैिरतनक तनयम तर्र,
2- कुछ िैिरतनक तनयम जो व्यजक्तयों तर्र गैर् र्रज्य इकरइयों के अधिकरर्ों
तर्र कताव्यों के संबंि में अंतर्र्रष्ट्रीय समद
ु रय से संबंधित हैं
विनोग्रेडरफ के अनुसरर्, अंतर्राष्ट्रीय विधि, र्रष्ट्रों के बीच सरमरन्यतर प्रचभलत
मत एिं मनोभरिों से बनती है ।
स्त्िरर्ानर्र्ार् के अनस
ु रर्, अंतर्राष्ट्रीय विधि उन विधिक तनयमों कर समह

है , जो प्रभुत्ि संपन्न र्रज्यों तर्र ऐसी अन्य इकरइयों पर् लरगू होती है जजन्हें
अंतर्र्रष्ट्रीय व्यजक्तत्ि प्ररप्त है ।
अंतर्राष्ट्रीय विधि कर आिरर् (Basis of International law)
ितामरन समय में अंतर्राष्ट्रीय विधि को सच्चे अर्ों में विधि मरनर
गयर है । र्रज्य अपने अभ्यरस में इसके तनयमों कर परलन कर्ते हैं। उितर है
कक अंतर्राष्ट्रीय विधि कर आिरर् क्यर है । अर्रात इस विधि के तनयम ककन
बरतों पर् आिररर्त हैं। अंतर्राष्ट्रीय विधि के आिरर् के संबंि में दो प्रमुख
भसद्िरंत प्रचभलत हैं---
1-- प्रकृतत िरदी(Naturalist ) भसद्िरंत
2-सरर्ाकतर िरदी(Positivists) भसद्िरंत
1- प्रकृतत िरदी ससदिरंत- 16 िी तर्र 17िीं शतरब्दी के अधिकतर् विधि शरस्िी
इस्मत के र्े कक अंतर्राष्ट्रीय विधि प्रकृतत विधि के तनयमों पर् आिररर्त है ।
िरस्ति में अंतर्राष्ट्रीय विधि प्रकृतत विधि कर एक भरग है । उनके अनस
ु रर्
विधि की एक ऐसी प्रणरली विद्यमरन है , जो ईश्िर् यर तका यर नैततकतर से
उत्पन्न होती है । उनके अनुसरर् अंतर्राष्ट्रीय विधि इसी प्रणरली पर् आिररर्त
है । इस मत के प्रमख
ु समर्ाक ग्रोसशयस, पफ
ु े न्डरफा, िरट्टे ल है । इन विधि
शरस्िीयों कर लेखन िमा पर्क विद्िरनों, जैसे सैंि अगस्िरइन, वििोरर्यर
तर्र सुआर्े ज के करयों द्िरर्र अत्यधिक प्रभरवित र्र। यह विधि बेत्तर तका
दे ते हैं कक सभी विधियरं ईश्िर् से प्ररप्त होती है तर्र ईश्िर् की सिोच्च
विधि को दै िीय विधि मरनते हैं। इसभलए प्ररकृततक विधि के अपेक्षर दै िीय
विधि कर लरगू होनर उधचत है । प्ररकृततक विधि के तनयम मूलभूत तर्र
अपरर्ितानीय होते हैं, जो मरनि समरज में शरसकों तर्र शरभसतों की इच्छर
तर्र सम्मतत को आगे ब़िरते हैं। इसभलए उनके अनुसरर् अंतर्राष्ट्रीय विधि
तर्र सभी अन्य विधियरं प्ररकृततक विधि पर् आिररर्त हैं।
2- सरर्ाकतर िरदी ससदिरंत--- अंतर्राष्ट्रीय विधि के आिरर् के संबंि में दस
ू र्र
मत सरर्ाकतर िरदी भसद्िरंत के विधिशरजस्ियों द्िरर्र हदयर गयर है । उनके
अनुसरर् अंतर्राष्ट्रीय विधि र्रज्यों की परर्स्परर्क सम्मती पर् आिररर्त है ।
जजन तनयमों में र्रज्य की सहमतत प्ररप्त नहीं होती है , िह तनयम उस र्रज्य
पर् बरध्यकरर्ी नहीं होते हैं। विधि शरस्िी बरईंकर्श्योक कर मत है कक
अंतर्राष्ट्रीय विधि कर आिरर् र्रज्यों की सहमतत है । र्रज्यों की सम्मतत ककसी
भी तनयम कर परलन कर्ने के भलए दो प्रकरर् से प्ररप्त की जर सकती हैं ,
पहलर, र्रज्यों की अभभव्यक्त सम्मतत द्िरर्र तर्र दस
ू र्र, वििक्षक्षत सम्मतत
द्िरर्र। अभभव्यक्त सम्मतत संधि कर्के यर सर्करर्ों के ज्ञरवपत समरगम
द्िरर्र दी जरती है , जबकक वििक्षक्षत सम्मतत स्र्रवपत प्रर्र, अर्रात रूह़ि कर
परलन कर् दी जर सकती है । इस प्रकरर् रूडी तर्र संधि, जजसके द्िरर्र र्रज्य
की सहमतत प्ररप्त की जरती है , अंतर्राष्ट्रीय विधि के आिरर् हैं। जब तक कोई
र्रज्य विशेष अंतर्राष्ट्रीय विधि के ककसी विभशष्ट्ि तनयम को अपनी सम्मतत
नहीं दे तर, तब तक उस र्रज्य पर् िह तनयम बरध्यकरर्ी नहीं मरनर जर
सकतर। मरिें स तर्र अंजजलोिी भी इस मत के समर्ाक हैं
अंतर्राष्ट्रीय विधि के आिरर् के संबंि में उपयुाक्त दोनों मतों में
से कौन सर मत उधचत है ? इस प्रश्न के संबि
ं में यह कहर जर सकतर है कक
कोई भी मत अकेले अंतर्राष्ट्रीय विधि कर आिरर् नहीं है । अंतर्राष्ट्रीय विधि
दोनों ही भसद्िरंतों से प्रभरवित है । इसी करर्ण िरभमाक शरखर के
विधिशरजस्ियों ने सरर्ाकतर िरदी तर्र प्रकृतत िरदी शरखर के बीच के मरगा को
अपनरयर है । िमा िरदी जैसे िरिे ल विधि के दो िगों के अजस्तत्ि को स्िीकरर्
कर्ते हैं-- एक प्रकृतत िरदी स्तर् पर् तर्र दस
ू र्र सरर्ाकतर िरदी स्तर् पर्।
इस प्रकरर्, उनके अनस
ु रर् अंतर्राष्ट्रीय विधि प्ररकृततक विधि तर्र सम्मती से
बनरई गई विधि, दोनों पर् ही आिररर्त है । यह मत प्रकृतत िरदी तर्र
सरर्ाकतर िरदी विचरर्िरर्र के विधिशरजस्ियों द्िरर्र अपनरए गए दृजष्ट्िकोण
की अपेक्षर उधचत प्रतीत होतर है । इसभलए यह तनष्ट्कषा तनकरलर जर सकतर है
कक अंतर्राष्ट्रीय विधि पूणातयर नर तो प्ररकृततक विधि पर् और् नर ही र्रज्यों
की सहमतत पर् आिररर्त है । अंतर्राष्ट्रीय विधि के तनयमों में अधिकतर्
तनयम र्रज्यों की सहमतत के आिरर् पर् आिररर्त हैं, जबकक उनमें से कुछ
िरस्ति में प्ररकृततक विधि से बने हैं।
अंतर्राष्ट्रीय विधि के स्रोत (Sources of International law)
अंतर्राष्ट्रीय विधि के विषयों पर् अंतर्राष्ट्रीय विधि के तनयम बरध्यकरर्ी होते
हैं। प्रश्न उितर है कक अंतर्राष्ट्रीय विधि में ऐसे तनयम कहरं से बने?
अंतर्राष्ट्रीय विधि के स्रोत से अभभप्ररय उन पद्िततयों एिं तत्िों से है , जजनसे
अंतर्राष्ट्रीय विधि के तनयमों कर तनमराण हुआ है । ककं तु कौन से िे तर्ीके हैं,
जजनसे इन तनयमों कर तनमराण हुआ है अर्रात अंतर्राष्ट्रीय विधि के स्िोत
क्यर है ? यह पूणातयर स्पष्ट्ि नहीं है , क्योंकक इस विषय में कोई संहहतरबद्ि
तनयम नहीं है अंतर्राष्ट्रीय विधि गततशील है तर्र समय के क्रम के सरर् इस
में तीव्रतर से परर्ितान हो र्हर है । इन्हीं परर्ितानों के करर्ण अंतर्र्रष्ट्रीय
समुदरय में विधि तनमराण की कई पद्िततयों कर समरिेश भी आिश्यक हो
जरतर है । इस संबंि में यह कहर जर सकतर है कक जब भी विधि तनमराण की
नई पद्िततयरं विकभसत होंगी िे संधियों और् रूह़ियों के अिीन ही होंगी।
अतः जब भी कोई नयर स्रोत सरमने आएगर िह अप्रत्यक्ष रूप से उन्हीं स्रोतों
में समरिेश हो जरएगर जो अंतर्र्रष्ट्रीय न्यरयरलय के स्िे ट्यूस के अनुच्छे द
38(1) मैं िखणात है । अंतर्राष्ट्रीय विधि के तनम्नभलखखत स्रोत हैं:-----
(1) रूढ़ि(Custom )-- रूह़ि अंतर्राष्ट्रीय विधि कर मूल और् सबसे प्ररचीन स्रोत
है ककसी समय यह स्रोतों में सबसे अधिक महत्िपूणा र्र, क्योंकक
अंतर्राष्ट्रीय विधि के अधिकतर् तनयम रूह़िजन्य तनयमों से ही तनभमात
होतर र्र। र्ोमन विधि से उद्भुत होने िरली प्रर्र शब्द कर प्रयोग बहुिर
अभ्यरस के भलए ककयर जरतर है । प्रर्र कर तरत्पया से अभ्यरस से हैं, जजसे
एकरूपतर तर्र सरमरन्यतयर परलन कर्ने के करर्ण र्रज्यों द्िरर्र कताव्य
के रूप में परलन ककयर जरतर है । यद्यवप यह कताव्य विधिक प्रकृतत कर
नहीं है लेककन यह नैततक भशष्ट्ितर की प्रकृतत कर है । कभी-कभी प्रर्र को
भी समरन परर्जस्र्ततयों में तनजश्चत प्रकरर् से आचर्ण के स्िभरि के रूप
में मरनर जरतर है इसभलए प्रर्र रूह़ि तब हो जरती है , जब उसे िैिरतनक
मरन्यतर प्ररप्त हो जरती है । कोई भी प्रर्र अंतर्र्रष्ट्रीय रूह़ि उस समय
बन जरती है , जब िह इसको न्यरयोधचत िहर्रने के भलए पयराप्त रूप से
परर्पक्ि हो जरती है कक इसे विधि के रूप में अन्य संबद्ि र्रज्यों द्िरर्र
स्िीकरर् कर् भलयर गयर है । रूह़ि उसी समय तनभमात हुई मरनी जरएगी,
और् रूह़िगत तनयम बन जरने से उसको बरध्यकरर्ी प्रभरि होने लगतर है ।
असरयलम िरद में अंतर्राष्ट्रीय न्यरयरलय ने अंतर्राष्ट्रीय विधि में रूह़ियों
की विशेषतरओं को तनयम बद्ि ककयर है । इसके अनुसरर् जो पक्षकरर्,
रूह़ियों पर् विश्िरस कर्तर है , उसको भसद्ि कर्नर चरहहए कक एक रूह़ि
ऐसे ढं ग में स्र्रवपत हो गई है कक िह दस
ू र्े पक्ष करर् पर् बरध्यकरर्ी है ।
अंतर्राष्ट्रीय रूह़ि के अजस्तत्ि को स्र्रवपत कर्ने के क्रम में प्रमुखतयर
तीन तत्िों की उपजस्र्तत की अपेक्षर की जरती है , जो तनम्नभलखखत हैं—
• अिधि - जब कोई विभशष्ट्ि आचर्ण र्रज्यों द्िरर्र लंबी अिधि से
अभ्यरस में लरयर जरतर है , तब ककस की प्रिवृ त्त रूह़ि बनने की हो
जरती है ककसी प्रर्र को रूह़ि रूप में परर्िततात होने में ककतनर
समय लगतर है , यह एक ऐसर प्रश्न है , जजसकर उत्तर् दे नर कहिन है ।
यंग र्ैकर् और् र्ोहरनर बरद में लॉडा स्त्टोिेल ने कहर है कक 100
िषा की बीती हुई अिधि ककसी रूबी को बनरने के भलए पयराप्त है ।
• तनर्ं तर्तर और् समरनतर-- ककसी भी प्रर्र कर र्रज्यों द्िरर्र तनर्ं तर्
अनुसर्ण ककयर जरनर आिश्यक है । स्र्रई अंतर्राष्ट्रीय न्यरयरलय ने
लोिस बरद में यह कहर र्र कक अभ्यरस तनर्ंतर् और् समरन होनर
चरहहए। कोई भी आचर्ण बरर्-बरर् और् तनयभमत रूप से अभ्यरस
में लरए जरने से र्ोिी में परर्िततात हो जरतर है । यह आिश्यक नहीं
है कक आचर्ण के प्रयोग में एकरूपतर हो, कफर् भी इसकर प्रयोग
अधिकतर् मरमलों में होनर चरहहए।
• सरमरन्यतयर- एक आचर्ण को रूह़ि में परर्िततात होने के भलए यह
आिश्यक है कक उसको अधिकरंश र्रज्यों द्िरर्र प्रयोग में लरयर जर
र्हर हो। यद्यवप यह आिश्यक नहीं है कक आचर्ण सभी र्रज्यों
द्िरर्र स्िीकरर् ककयर गयर हो, कफर् भी स्िीकरर् कर्ने िरले र्रज्यों
की संख्यर पयराप्त हो।
(2) संधियरं(Treaties)- ितामरन समय में संधियरं अंतर्राष्ट्रीय विधि की सबसे
महत्िपूणा स्रोत है । अंतर्र्रष्ट्रीय न्यरयरलय के स्िे ट्यूि के अनुच्छे द
39(1)(क) के अनस
ु रर् अंतर्राष्ट्रीय अभभसमय, चरहे िे सरिरर्ण हो यर
विभशष्ट्ि न्यरयरलय द्िरर्र लरगू ककए जरएंगे ऐसर इसभलए है कक संधियों
में र्रजू की सम्मतत अभभव्यक्त रूप से होती है और् इसमें र्रज्य िखणात
तनयमों कर परलन कर्ने की स्िीकृतत प्रदरन कर्ते हैं। संधियरं दो यर दो
से अधिक र्रज्यों के मध्य अंतर्राष्ट्रीय विधि के अन्य विषयों के मध्य
कर्रर् हैं, जजनके द्िरर्र िे अपने संबंिों को स्र्रवपत कर्ते हैं
अंतर्र्रष्ट्रीय न्यरयरलय के स्िे ट्यूि के अनुच्छे द 38 (1) (क)
के अनस
ु रर् सरमरन्य तर्र विसशष्ट्ट दोनों ही संधियों को लरगू कर्े गर,
सरमरन्य संधियरं िे होती हैं, जजसमें विश्ि समद
ु रय के अधिकतर् र्रज्य
उनके पक्षकरर् होते हैं। समयरनुसरर् िे सरिाभौभमक अंतर्र्रष्ट्रीय विधि के
तनयमों को तनजश्चत रूप दे ते हैं, जो विश्ि समद
ु रय के सभी सदस्य र्रज्यों
पर् बरध्यकरर्ी होते हैं
विसशष्ट्ट संधियों को द्विपक्षीय संधियों यर अनेक पक्षीय संधियों
के नरम से जरनर जरतर है यह संधि दो यर दो से अधिक प्रभत्ु ि संपन्न
र्रज्यों की सर्करर्ों के मध्य कर्रर् है । पक्षकरर्ों की संख्यर दो यर दो से
अधिक होती है । इन्हें संविदर त्मक प्रकरर् की संधियरं यर संधि संविदर भी
कहर जरतर है । ऐसी संधियरं दो यर अधिक र्रज्यों के भलए विधि कर सज
ृ न
कर्ती हैं तर्र इसके भलए यह विधि तनमराण करर्ी संधियों से भभन्न है , जो
अधिकतर् र्रज्यों के भलए विधि कर सज
ृ न कर्ती हैं। यह उल्लेखनीय है
कक इन दोनों में कोई स्पष्ट्ि अंतर् नहीं है कफर् भी तनसंदेह, विभशष्ट्ि
संधियरं सरमरन्य विधि के तनयमों को प्रततपरहदत नहीं कर्ती, कफर् भी
उनकर अत्यधिक महत्ि है ।
(3) सभ्य र्रष्ट्रों दिरर्र मरन्यतर प्ररप्त विधि के सरमरन्य ससदिरंत- सभ्य
र्रष्ट्रों द्िरर्र मरन्यतर प्ररप्त विधि के सरमरन्य भसद्िरंतों से अभभप्ररय उन
भसद्िरंतों से हैं, जो विश्ि समुदरय के अधिकतर् यर सभी सभी र्रज्यों
द्िरर्र अपने र्रष्ट्रीय विधि के वितनयमन में प्रयोग में लरए जरते हैं तर्र
यह अपने विकभसत होने के करर्ण अंतर्राष्ट्रीय विधि में भी प्रयोग में
लरए जर सकते है । मरन्यतर प्ररप्त विधि के सरमरन्य भसद्िरंत से तरत्पया
यह है कक वितनयम जो र्रज्यों के र्रष्ट्रीय विधि में लरगू होते हैं तर्र
विश्ि समद
ु रय के अधिकतर् र्रज्य उस तनयम कर अनम
ु ोदन कर्ते हो जब
विधि के ककसी भसद्िरंत में उक्त तत्ि विद्यमरन हो जरते हैं, सब
अंतर्राष्ट्रीय न्यरयरलय इसे अंतर्र्रष्ट्रीय वििरदों में लरगू कर् सकतर है ।
(4) न्यरतयक वितनश्चय - न्यरतयक वितनश्चय अंतर्राष्ट्रीय विधि के गौण यर
सहरयक स्रोत मरने जर सकते हैं। ऐसर इसभलए है क्योंकक न्यरयरलय के
तनणाय ककसी पि
ू ा तनणाय कर सज
ृ न नहीं कर्ते, न्यरतयक वितनश्चय कर
ककसी भी वििरद के पक्षकरर्ों के अततरर्क्त इनकी कोई बरध्यतर नहीं
होती। कफर् भी, सहरयक स्रोत कर तरत्पया द्वितीयक स्रोत से नहीं हो
सकतर क्योंकक अंतर्राष्ट्रीय विधि के कई स्रोतों में विधि को तनिरारर्त
कर्ने में न्यरतयक वितनश्चय महत्िपण
ू ा भभू मकर अदर कर्ते हैं। न्यरतयक
वितनश्चय शीषाक के अंतगात तनम्नभलखखत न्यरयरलयों के विषयों पर्
पर्
ृ क रूप से विचरर् ककयर जर सकतर है -

अंतर्राष्ट्रीय न्यरयरलय - ितामरन समय में अंतर्र्रष्ट्रीय न्यरयरलय


प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय न्यरतयक अभभकर्ण है । तर्रवप, इसके तनणाय केिल
मरमले के पक्षकरर्ों पर् ही बरध्यकरर्ी होते हैं। यह अंतर्राष्ट्रीय विधि
के बरध्यकरर्ी तनयम को सजृ जत नहीं कर्ते। न्यरयरलय के स्िे ट्यि
ू के
अनुच्छे द 59 में यह स्पष्ट्ि ककयर गयर है कक न्यरयरलय के वितनश्चय,
वििरद के पिकरर्ों के अततरर्क्त ककसी अन्य पर् बरध्य कर् नहीं होंगे।

• अंतर्राष्ट्रीय अधिकर्णों पंचरट - अंतर्राष्ट्रीय अधिकर्णों, जैसे


स्र्रई मध्यस्र्म न्यरयरलय तर्र अन्य अधिकर्णों तर्र बिहिश
अमेरर्की भमधश्रत दरिर अधिकर्ण एिं अन्य अधिकर्णों के पंचरिो
अंतर्राष्ट्रीय विधि के विकरस में करफी योगदरन हदयर है ।
• र्रष्ट्रीय न्यरयरलयों के वितनश्चय - र्रष्ट्रीय न्यरयरलयों के तनणाय
अंतर्राष्ट्रीय विधि में विशेष महत्ि नहीं र्खते और् इसीभलए
ओपनहरइम ने र्रष्ट्रीय न्यरयरलयों के तनणाय को अंतर्राष्ट्रीय विधि
के स्रोत के रूप में नहीं मरनर है । ककं तु कई र्रज्यों के न्यरयरलयों
द्िरर्र हदए गए तनणाय यहद एक समरन होते हैं तो िे अंतर्राष्ट्रीय
विधि के रूह़िगत तनयम बनने की प्रिवृ त्त र्खते हैं।
• क्षेरीय न्यरयरलयों के वितनश्चय - विभशष्ट्ि क्षेि में वििरदों को हल
कर्ने के भलए क्षेिीय अंतर्र्रष्ट्रीय न्यरयरलय की स्र्रपनर
अंतर्राष्ट्रीय विधि कर तरत्करभलक विकरस है । ऐसे न्यरयरलयों के
उदरहर्ण यूर्ोपीय समुदरय के न्यरय कर न्यरयरलय, यूर्ोपीय
मरनिरधिकरर् न्यरयरलय तर्र अंतर् अमेरर्की मरनिरधिकरर्
न्यरयरलय है । इनकर विभशष्ट्ि क्षेिों में अंतर्राष्ट्रीय विधि के विकरस
में करफी योगदरन र्हर है ।
(5) विधििेत्तरओं के लेख - अंतर्र्रष्ट्रीय न्यरयरलय स्िे ट्यि
ू के अनस
ु रर्
विभभन्न र्रष्ट्रों के सुयोग्य एिं प्रख्यरत विधििेत्तरओं के ग्रंर्, लेख ि
भशक्षरएं अंतर्राष्ट्रीय विधि के तनयमों को तनिरारर्त कर्ने में सहरयक होते
हैं। स्िे ट्यि
ू के अनच्
ु छे द 38(1) (घ) के अंतगात विधि बेतरओं के लेखों
को विधि के तनयमों कर तनिरार्ण कर्ने के भलए गौण सरिन मरनर गयर
है । अतः इन्हें अंतर्राष्ट्रीय विधि के मरन्य स्रोतों की श्रेणी में नहीं र्खर
गयर है । कफर् भी सय
ु ोग्य एिं प्रख्यरत विधििेत्तरओं के ग्रंर् िह लेख के
आिरर् पर् अंतर्राष्ट्रीय विधि के तनयमों के तनमराण में सहरयतर भमलती
है । उपर्ोक्त से यह स्पष्ट्ि होतर है कक सुयोग्य एिं प्रख्यरत विधििेत्तरओं
के ग्रंर् पर् स्ितंि रूप से एक स्रोत की तर्ह विचरर्ण नहीं ककयर
जरएगर। विधिक लेखों की उपयोधगतर विशेषकर् अंतर्राष्ट्रीय विधि के उन
क्षेिों में अधिक होती है , जहरं संधि यर रूह़ि गत तनयम अजस्तत्ि में नहीं
होते। सुयोग्य न्यरयविदों के प्रलेखों को अंतर्राष्ट्रीय विधि के तनयमों के
तनमराण के भलए महत्ि की दृजष्ट्ि से अंतर्र्रष्ट्रीय न्यरयरलय के स्िे ट्यि

के अनुच्छे द 38(1) (घ) के अिीन न्यरतयक वितनश्चय के बरद स्र्रन
भमलर है । इस प्रकरर्, स्िोत कर इस्तेमरल अंततम आश्रय के रूप में भलयर
जर सकतर है , अर्रात न्यरयरलय इसकर प्रयोग उसी समय कर्तर है , जब
अन्य सभी स्रोत वििरद को तनपिरने में असफल हो जरते हो।
(6) सरम्यर - अंतर्राष्ट्रीय विधि के स्रोत के रूप में सरम्यर शब्द कर प्रयोग
विधि के स्र्रवपत तनयमों की तनष्ट्पक्षतर, यजु क्त यक्
ु ततर तर्र अनीतत को
ध्यरन में र्खकर् ककयर जरतर है । सरम्यर कर उल्लेख अंतर्र्रष्ट्रीय
न्यरयरलय के स्िे ट्यूि में विधि तनरूपणकरर्ी अभभकर्ण के रूप में भी
नहीं ककयर गयर है क्योंकक इसको शरभमल ककए जरने से न्यरयरलय को
असीभमत अधिकरर् प्ररप्त हो जरते। िरस्ति में सरम्यर को न्यरयरलय
द्िरर्र प्रयोग में नहीं लरयर जरतर। स्िे ट्यूि के अनुच्छे द 38(2) के
अधितनयम प्ररििरन है कक यहद ककसी मरमले में र्रज्य पक्षकरर् अपनी
सहमतत दे दे ते हैं तो न्यरयरलय एक्स एको इट र्ोनो के आिरर् पर्
तनणाय दे सकतर है । अन्य शब्दों में न्यरयरलय ककसी वििरद कर तनपिरर्र
अंतर्राष्ट्रीय विधि के तनयम के अनस
ु रर् नहीं बजल्क न्यरय और्
युजक्तयुक्ततर के आिरर् पर् कर् सकतर है ।
(7) महरसभर के संकल्प - संयुक्त र्रष्ट्र की महरसभर के संकल्प विधिक
प्रकृतत के नहीं होते अतः यह र्रज्यों पर् बंिनकरर्ी नहीं होते। यह अपने
सदस्यों पर् ककसी भी विधिक बरध्यतर को सजृ जत नहीं कर्ते चरहे िे एक
मत से यर बहुमत से स्िीकरर् ककए गए हो यह इनके विषय में सभी
र्रज्यों के समरन हहत के विषय हो। महरसभर द्िरर्र स्िीकरर् ककए गए
संकल्पों के मरध्यम से जजन भसद्िरंतों ने अंतर्राष्ट्रीय विधि के रूह़िगत
तनयमों की प्ररजस्र्तत अजजात की है , उनमें से कुछ के उदरहर्ण हैं-
अंतर्र्रष्ट्रीय संर्ंिों में र्ल के प्रयोग यर िमकी को प्रतत ससदि कर्नर,
आत्मर्क्षर कर अधिकरर् तर्र आत्म तनणाय कर अधिकरर्। महत्िपण
ू ा विधि
तनमराण संकल्पों के उदरहर्ण हैं : मरनिरधिकरर्ों की सरिाभौसमक घोषणर,
1948, युदि के प्रयोर्नों के सलए पर्मरणु शस्त्रों के प्रयोग कर तनषेि,
1961, उपतनिेशी दे शों तर्र लोगों को स्त्ितंरतर प्रदरन कर्ने की घोषणर,
1960, प्ररकृततक स्रोतों पर् स्त्र्रई प्रभत्ु ि संपन्नतर की घोषणर, 1962, र्रह्य
अंतरर्क्ष की खोर् एिं प्रयोगों में र्रज्यों के क्रियरकलरपों को सरबर्त कर्ने
िरले विधिक ससदिरंतों की घोषणर, 1963, मैरीपण
ू ा संर्ंि घोषणर, 1970,
आिमण को परर्भरवषत कर्ने िरलर संकल्प, 1974, इत्यरहद।

अंतर्राष्ट्रीय विधि तर्र र्रष्ट्रीय विधि कर संर्ि


ं (Relationship of
International Law and Municipal Law)
अंतर्राष्ट्रीय विधि र्रज्यों के संबंिों में तर्र
अंतर्राष्ट्रीय विधि के अन्य विषयों पर् लरगू होती है , जबकक र्रष्ट्रीय यर
र्रज्य विधि, जजसे नगर्परभलकर विधि कहर जरतर है , र्रज्य के अंतगात
व्यजक्तयों तर्र नीततगत इकरइयों पर् लरगू होती है , जजन को उसके
अंतगात अधिकरर् तर्र कताव्य प्ररप्त होते हैं। ऐसर लगतर है कक इन दोनों
प्रणरभलयों में शरयद ही कोई संबंि हो, क्योंकक यह दो भभन्न विधिक
प्रणरभलयों कर गिन कर्ती हैं, जजनमें से प्रत्येक अपने क्षेि में प्रभरिी हैं
तर्र यह विभभन्न न्यरयरलयों द्िरर्र अपने विषयों पर् स्पष्ट्ि रुप से लरगू
की जरती हैं, ककं तु ऐसर नहीं है । अंतर्राष्ट्रीय विधि तर्र र्रष्ट्रीय विधि के
तनयमों के बीच संबंि कर प्रश्न विधिक भसद्िरंत के अत्यधिक
वििरदरस्पद प्रश्नों में से एक है । मूलत:, दोनों विधियों के बीच संबंि कर
प्रश्न सैद्िरंततक महत्ि कर र्र, अर्रात क्यर अंतर्राष्ट्रीय विधि तर्र र्रष्ट्रीय
विधि सरिाभौभमक विधि व्यिस्र्र के अंग हैं यर यह विधि की दो विभभन्न
प्रणरभलयरं हैं। ककं तु, ितामरन समय में, इस प्रश्न कर व्यरिहररर्क महत्ि हो
गयर है । जब अंतर्राष्ट्रीय विधि तर्र र्रष्ट्रीय विधि के तनयमों के बीच
विर्ोि होतर है , तब न्यरयरलय को ककसी तनष्ट्कषा पर् पहुंचने में कहिनरई
होती है । अंतर्राष्ट्रीय अभभकर्ण के सम्मुख प्रमुख प्रश्न यह उितर है कक-
क्यर अंतर्राष्ट्रीय विधि र्रष्ट्रीय विधि पर् प्रमख
ु तर प्ररप्त कर्ती है , जर
र्रष्ट्रीय विधि को अंतर्राष्ट्रीय विधि पर् प्रमख
ु तर प्ररप्त है । यहद यह वििरद
र्रष्ट्रीय न्यरयरलय के सरमने उत्पन्न होतर है , तो उत्तर् इस पर् तनभार्
कर्तर है कक ककस सीमर तक र्रज्य की संवििरतनक विधि न्यरयरलयों को
अंतर्राष्ट्रीय विधि को लरगू कर्ने के भलए तनदे श दे ती है । प्ररयः, उन सभी
मरमलों में र्रष्ट्रीय न्यरयरलय के वितनश्चय कर्ने में कहिनरई उत्पन्न
होती है , जजनमें अंतर्राष्ट्रीय विधि के तनयमों को लरगू कर्ने से संबंधित
प्रश्न आतर है । उदरहर्ण के भलए अंतर्राष्ट्रीय विधि द्िरर्र प्रदरन की गई
र्रजनतयक उन्मुजक्तयराँ उस समय तक अर्ाहीन बनी र्हे गी जब तक उन्हें
र्रष्ट्रीय विधि द्िरर्र मरन्यतर नहीं दी जरती है। प्रत्यपाण के रूह़िगत
तनयम र्रष्ट्रीय न्यरयरलय द्िरर्र ही लरगू ककए जरते हैं। िरस्ति में,
अंतर्राष्ट्रीय विधि र्रष्ट्रीय विधिक प्रणरली के सहयोग तर्र समर्ान के
बबनर करया कर् ही नहीं सकती। दोनों प्रणरभलयों के संबंि कर प्रश्न
आिुतनक अंतर्राष्ट्रीय विधि में और् भी महत्िपूणा हो गयर है , क्योंकक
व्यजक्तयों के मरमले जो र्रष्ट्रीय न्यरयरलयों के सम्मुख आते हैं िह भी
अंतर्राष्ट्रीय विधि के विषय हो गए हैं तर्र इनकर िह
ृ त्तर् भरग प्रत्यक्षतः
व्यजक्तयों के कक्रयरकलरपों से भी संबंधित हो गयर है ।
उक्त वििेचन से यह स्पष्ट्ि होतर है कक विधि की दोनों प्रणरभलयों
के संबंि तर्र उनके बीच प्रमख
ु तर को सतु नजश्चत कर्नर अब आिश्यक हो
गयर है । अंतर्राष्ट्रीय विधि तर्र र्रष्ट्रीय विधि के संबंि के प्रश्न पर्
विधिशरजस्ियों के मतों में भभन्नतर होने के करर्ण कई भसद्िरंत विकभसत
हुए हैं। इनमें से प्रमख
ु तनम्न प्रकरर् हैं –

दिैतिरदी ससदिरंत (Dualistic Theory)- इस भसद्िरंत के अनुसरर्,


अन्तर्राष्ट्रीय विधि तर्र विभभन्न र्रज्यों की र्रष्ट्रीय विधि दो भभन्न, पर्
ृ क
तर्र स्ि-अन्तर्विस्ि विधिक प्रणरभलयराँ हैं। पर्
ृ क प्रणरली होने के करर्ण
अन्तर्राष्ट्रीय विधि उस समय तक र्रज्य के आंतरर्क विधि कर भरग नहीं
होती जब तक विभशष्ट्ि मरमलों में अन्तर्राष्ट्रीय विधि के तनयम र्रज्य के
अंतगात लरगू नहीं होते। ऐसर र्रज्य की आंतरर्क विधि द्िरर्र उनके
अंगीकर्ण के करर्ण होतर है तर्र िे आंतरर्क विधि के रूप में लरगू होते
हैं, न कक अन्तर्राष्ट्रीय विधि के रूप में ।

• द्िैतिरदी मत को 1899 में प्रभसद्ि विद्िरन ढरपेल द्िरर्र


प्रततपरहदत ककयर गयर र्र बरद में इस भसद्िरंत कर अनुसर्ण
अन्तर्राष्ट्रीय विधि तर्र र्रष्ट्रीय विधि दोनों को पूणातः दो भभन्न
विधिक प्रणरभलयों की तर्ह समझतर है , क्योंकक अन्तर्राष्ट्रीय विधि
की प्रकृतत मूल रूप से र्रष्ट्रीय विधि की प्रकृतत से भभन्न है ।

स्िरका के अनुसरर्, 1980 के बरद मैं अंतर्राष्ट्रीय विधि कर विभभन्न क्षेिों


में करफी विस्तरर् हुआ है , जबकक र्रष्ट्रीय विधि की विषय िस्तु कर क्षेि
सीभमत र्हर है ।

एंजीलोिी के अनुसरर्, यह दोनों प्रणरभलयरं इस प्रकरर् से सभु भन्न है कक


इन दोनों के मध्य कोई विर्ोि संभि नहीं है , लेककन इससे यह आशय
नहीं है कक अंतर्राष्ट्रीय विधि के तनयम र्रष्ट्रीय न्यरयरलयों द्िरर्र कभी
लरगू नहीं ककए जर सकते।

र्रष्ट्रीय न्यरयरलय अंतर्राष्ट्रीय विधि के तनयमों को तब लरगू कर्ें गे, जब


उन्हें र्रष्ट्रीय विधि के रूप में मरन भलयर जरएगर। यह तभी हो सकतर है
जब अंतर्राष्ट्रीय विधि अर्रात रू़िीजन्य तर्र संधिबद्ि तनयम ‘वितनढदा ष्ट्ट
अंगीकर्ण’ की प्रकक्रयर के मरध्यम से र्रष्ट्रीय विधि के तनयम हो जरते हैं।

अंतर्राष्ट्रीय विधि तर्र र्रष्ट्रीय विधि के मध्य विर्ोि की जस्र्तत में


“ग्रेसो र्ल्गररर्यन कम्यतु नटीर् केस” मैं, स्र्रई अंतर्र्रष्ट्रीय न्यरयरलय
द्िरर्र हदयर गयर तनणाय महत्िपण
ू ा है । इस महत्िपूणा केस कर तनणाय र्र
कक अंतर्राष्ट्रीय विधि कर सरमरन्यत: स्िीकृत भसद्िरंत यह है कक जो दे श,
संधि के संविदर करर्ी प्रकरर् हैं, उनके मध्य संबंि में र्रष्ट्रीय विधि के
प्ररििरन संधि के प्ररििरनों पर् अभभभरिी नहीं हो सकते।

एकरत्मक ससदिरंत(Monistic Theory) – 18 िीं शतरब्दी में दो जमान विद्िरनों


मौसर् और् मरटें स ने प्रततपरहदत ककयर र्र। एकरत्मक भसद्िरंत के अनस
ु रर्, केिल
एक ही विधि प्रणरली अजस्तत्ि में होते हैं अर्रात घर्े लू विधिक व्यिस्त्र्र। इस
भसद्िरंत के अनुसरर् अंतर्राष्ट्रीय विधि को र्रष्ट्रीय विधि में शरभमल कर्ने की
आिश्यकतर नहीं है , क्योंकक इसे स्ियं द्िरर्र बनरयर गयर है । बीसिीं शतरब्दी के
प्ररर्ं भ में एकरत्मक भसद्िरंत कर विकरस ऑजस्रयर ि विधि शरस्िी केलसन द्िरर्र
ककयर गयर। एकरत्मक भसद्िरंत के अनस
ु रर् सभी विधियों कर तनमराण केिल
व्यजक्तयों के भलए ही ककयर जरतर है । र्रष्ट्रीय विधि उन पर् प्रत्यक्ष रूप से
आबद्िकर् होती है , जबकक अंतर्र्रष्ट्रीय उन पर् र्रज्यों के मरध्यम से आबद्िकर्
होती है ।

समन्ियकरर्ी ससदिरंत (Theory of Hormonistion) - इस भसद्िरंत के प्रिताक ओ


कोनेल है । इस भसद्िरंत के अनुसरर्, व्यजक्त अनन्य रूप से नर तो र्रज्य की विधिक
व्यिस्र्र में और् नर ही अंतर्राष्ट्रीय विधिक व्यिस्र्र में अपने जीिन को व्यतीत
कर्तर है । यह दोनों की ही अधिकररर्तर के अंतगात आते हैं, क्योंकक िह अपनर
जीिन दोनों में व्यतीत कर्ते हैं। इस प्रकरर् दोनों ही विधिक व्यिस्र्रयें व्यजक्तयों
की समस्यरओं को हल कर्ने के भलए बनी है । यद्यवप, अंतर्राष्ट्रीय विधि तर्र
र्रष्ट्रीय विधि इस अर्ा में स्िरयत्त हैं कक यह मरनि आचर्ण के भभन्न-भभन्न
पहलुओं से संबंि र्खती हैं, कफर् भी दोनों कर ही लक्ष्य मूल रूप से मरनि कल्यरण
है । इसभलए दोनों प्रणरभलयों को समन्िय करर्ी होनर चरहहए। समन्ियकरर्ी भसद्िरंत
कर परलन कई मरमलों में ककयर गयर है , यह मरमले हैं - िरफ्ट सलसमटे ड र्नरम
pan-american एयर्िेर्, आर्0 र्नरम चीफ इसमग्रेशन ऑक्रफसर् हीथ्रो एयर्पोटा ,
फोंदर्धगल र्नरम मोनरका एयर्लरइंस सलसमटे ड आहद।

वितनढदा ष्ट्ट ग्रहणीकर्ण मत (Specific Adoption Theory )- इस मत के अनस


ु रर्,
अंतर्राष्ट्रीय विधि को प्रत्यक्ष रूप से र्रज्य विधि के क्षेि में लरगू नहीं ककयर जर
सकतर। इसको लरगू कर्ने के भलए यह आिश्यक है कक इसको विभशष्ट्ि रूप से
र्रज्य विधि के क्षेि में ग्रहण यर स्िीकरर् ककयर जरए। र्ौली र्ॉर्ा र्नरम र्ैंक ऑफ़
कोचीन के मरमले में भरर्तीय उच्चतम न्यरयरलय ने मरनिीय अधिकरर्ों की
अंतर्राष्ट्रीय प्रसंविदर के बरर्े में कहर कक र्रज्य पक्षकरर्ों के सकरर्रत्मक प्रततबद्ितर
से गह
ृ में वििरतयनी करयािरही प्रेरर्त होती है , पर्ं तु इससे प्रसंविदर स्ित: ही
भरर्तीय विधि कर प्रयोज्य भरग नहीं बन परती। भरर्तीय संसद द्िरर्र टोक्यो
असभसमय 1975, र्रर्नतयक संर्ंिों पर् वियनर असभसमय 1972, हे ग असभसमय
1970 तर्र मॉन्ट्न्रयल असभसमय के प्ररििरनों को लरगू कर्ने के भलए नरगरर्क
उड्डयन की सुर्क्षर के विरुद्ि अिैि करयों के दमन अधितनयम 1982 पररर्त
कर्नर इस बरत की पजु ष्ट्ि कर्तर है ।

रूपरंतर्णिरद ससदिरंत(Transformation Theory) - इस भसद्िरंत के अनस


ु रर्
अंतर्राष्ट्रीय विधि और् विशेषकर् अंतर्र्रष्ट्रीय संधियों के तनयमों को र्रज्य विधि के
क्षेि में लरगू कर्ने के भलए पहले इनकर रूपरंतर्ण आिश्यक है । र्रज्यों के अभ्यरस
इंधगत कर्ते हैं कक र्रज्य उस भसद्िरंत कर अनस
ु र्ण कर्ते हैं, जजसे िे स्ियं अपनी
र्रजनीततक, सरमरजजक तर्र आधर्ाक प्रणरली के अनुसरर् अधिक समधु चत समझते
हैं। अंतर्राष्ट्रीय विधि रूह़िगत तर्र संधिबद्ि को र्रज्यों द्िरर्र ककस सीमर तक
लरगू ककयर जरतर है , इस संबंि में र्रज्य अभ्यरस भभन्न-भभन्न हैं-

ग्रेट बिटे न कर अभ्यरस- ग्रेि बििे न में, रूह़िगत अंतर्राष्ट्रीय विधि तर्र संधियों को
भभन्न भभन्न रूप में लरगू ककयर जरतर है

(1) रूढ़िगत अंतर्राष्ट्रीय विधि- उस रूह़िगत अंतर्र्रष्ट्रीय ककसी को बििे न की विधि


के रूप में मरनर जरतर है , जजसे सरिाभौभमक रूप से मरन्यतर प्ररप्त है यर जजसे
ग्रेि बििे न की सहमतत प्ररप्त हो जरती है , लेककन िे तनयम उसी समय लरगू
ककए जरते हैं, जब िे बिहिश अधितनयमों यर अंततम प्ररधिकरर्ी के पि
ू ा
वितनश्चयों से असंगत नर हो।

अंतर्राष्ट्रीय विधि के तनयमों के बरर्े में बििे न के इस अभ्यरस को


समरिेशन के ससदिरंत के नरम से जरनर जरतर है । समरिेशन के भसद्िरंत को बििे न
में कई मरमलों में लरगू ककयर गयर, िे मरमले हैं- िरर्विट मरमलर, रीलेट र्नरम
र्रर् मरमलर, ढहर् फील्ड र्नरम धचल्टन, डोल्डर् र्नरम लॉडा अढटंग फील्ड आढद।

(2) संधियराँ - संध्यर को लरगू कर्ने के संबंि में बिहिश अभ्यरस प्रमख
ु रूप से
संिैिरतनक प्ररििरनों पर् आिररर्त है । कुछ संधियराँ न्यरयरलयों पर् केिल तब
आबद्िकर् होती हैं, जब संसद द्िरर्र उच्च संधि से संबंधित अधितनयम पररर्त
कर् हदए जरते हैं। इन संधियों में व्यजक्तगत अधिकरर्ों यर दरतयत्िों को
प्रभरवित कर्ने िरली, वित्तीय बरध्यतरओं को अधिर्ोवपत कर्ने िरली, यर जो
न्यरयरलयों में उनके प्रितान के भलए समन विधि यर स्िे ट्यूि बनरने के
संशोिन की अपेक्षर र्खती है ।
बिहिश अभ्यरस से यह तनष्ट्कषा तनकरलर जर सकतर है कक बिहिश
विधि तर्र अंतर्राष्ट्रीय विधि के मध्य विर्ोि उत्पन्न होने की जस्र्तत में है
बिहिश विधि की बिहिश न्यरयरलयों पर् बरध्य कर् होगी।
भरर्तीय अभ्यरस- भरर्तीय संवििरन के अनच्
ु छे द 51 के अिीन विश्ि के प्रतत
भरर्त की सरमरन्य बरध्यतर के भलए प्ररििरन है । इस अनच्
ु छे द के अनस
ु रर्-
(1) अंतर्राष्ट्रीय शरंतत तर्र सुर्क्षर की अभभिद्
ृ धि हो।
(2) र्रष्ट्रों के बीच न्यरयसंगत और् सम्मरनपूणा संबंि बने र्हे ।
(3) अंतर्राष्ट्रीय विधि और् संधि बरध्यतरओं को र्रज्यों के पर्स्पर् व्यिहरर् में
आदर् भमले।
(4) अंतर्राष्ट्रीय वििरदों कर मरध्यस्र्म द्िरर्र तनपिरने के भलए प्रोत्सरहन भमले।
यद्यवप अनच्
ु छे द 51 रूह़िगत अंतर्राष्ट्रीय विधि तर्र संधिबद्ि
विधि को एक समरन मरनतर है कफर् भी रूह़िगत अंतर्राष्ट्रीय विधि तर्र
संधियों के लरगू होने की वििेचनर पर्
ृ क रूप से की जर सकती है ।
(1) रूढ़िगत अंतर्राष्ट्रीय विधि- रूह़िगत अंतर्र्रष्ट्रीय विधि के संबंि में
भरर्तीय न्यरयरलय ग्रेि बििे न द्िरर्र अंगीकृत ककए गए समरिेशन के
भसद्िरंत कर अनुसर्ण कर्ते हैं। इस प्रकरर् भरर्तीय न्यरयरलय
अंतर्राष्ट्रीय विधि के रूह़िगत तनयमों को लरगू कर्ें गे, यहद उन पर्
र्रष्ट्रीय विधि के स्पष्ट्ि तनयम अभभभरिी नहीं होते हैं।
एडीएम र्र्लपुर् र्नरम शुक्लर के मरमले में न्यरयमूतता एच आर्
खन्नर ने अपने विसम्मतकरर्ी मत में तनणाय हदयर कक यहद र्रष्ट्रीय विधि
तर्र अंतर्राष्ट्रीय विधि के बीच विर्ोि है तो न्यरयरलय र्रष्ट्रीय विधि को
परर्िततात कर्ें गे।
ग्ररमोफोन कंपनी ऑफ़ इंडडयर सलसमटे ड र्नरम िीर्ें द्र र्हरदर्ु परंडे के
मरमले में मरननीय उच्चतम न्यरयरलय कर संप्रेक्षण अंतर्राष्ट्रीय विधि के
रूह़िगत तनयमों के आबद्िकर् बल से संबंधित र्र। इस िरद में समरिेशन
कर भसद्िरंत लरगू ककयर गयर।
(2) संधियराँ - भरर्तीय विधि में संधियों की जस्र्तत के संबंि में दो
विचरर्िरर्रएं प्रचलन में हैं-
प्रर्म विचरर्िरर्र के अनस
ु रर् संधियराँ जब तक वििरन द्िरर्र
कक्रयरजन्ित नहीं हो जरती, िह न्यरयरलयों पर् आप बंद कर् नहीं होंगी।
भरर्तीय न्यरयरलय द्िरर्र कई मरमलों में तनणाय हदयर गयर कक संधि
को अभभव्यक्त रूप से परर्िततात कर्ने की अपेक्षर की जरएगी। यह
मरमले हैं- तनर्मर र्नरम र्रर्स्त्र्रन, सशिकुमरर् शमरा र्नरम भरर्त संघ,
मोतीलरल र्नरम उत्तर् प्रदे श सर्करर्, मगन भरई र्नरम भरर्त संघ,
र्ोली र्ॉर्ा िगीर् र्नरम र्ैंक ऑफ़ कोचीन आढद.
दस
ू र्ी विचरर्िरर्र के अनुसरर् भरर्त में सभी संधियरं वििरन द्िरर्र
करयरान्ियन की अपेक्षर नहीं कर्ती। केिल जो संधियराँ व्यजक्तगत
अधिकरर्ों को प्रभरवित कर्ती हैं, उनके ही प्रितानीय होने के भलए
वििरन द्िरर्र करयरान्ियन की अपेक्षर की जरती है ।
मगन भरई ईश्िर् भरई एिं अन्य र्नरम भरर्त संघ के मरमले में
दस
ू र्ी विचरर्िरर्र को अपनरयर गयर है । तनष्ट्कषा रूप से कहर जर
सकतर है कक दस
ू र्ी विचरर्िरर्र अधिक सुतनजश्चत प्रतीत होती है ।

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