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P.G.

S NATIONAL COLLEGE OF LAW,MATHURA

Paper 4th, Paper Name- Hindu Law , Unit -5th

fgUnw fof/k
2011 – 10

प्र०-1 हहन्द ू उत्तराधधकार (संशोधन) अधधनयम,2005 द्वारा हहन्द ू उत्तराधधकार


ववधध में कोन-कोन से ऩररवततन ककये गए हैं !

हहन्द ू उत्तयाधधकाय अधधननमभ, 1956 की धाया 6 के स्थान ऩय हहन्द ू


उत्तयाधधकाय ( सॊशोधन) अधधननमभ, 2005 द्वाया एक नई धाया जोड़ी गई है
जजसके द्वाया सहदानमकी सम्ऩजत्त भें ऩत्र
ु ़ी को ऩत्र
ु के सभान ही हहत प्रदान
ककमा गमा है । उक्त धाया का सस
ु ॊगत बाग ननम्नलरखित है :

"6(1). हहन्द ू उत्तयाधधकाय ( सॊशोधन) अधधननमभ, 2005 के प्रायॊ ब से ही


लभताऺया ववधध द्वाया शालसत ककस़ी सॊमुक्त हहन्द ू कुटुम्फ भें ककस़ी सहदानमक
की ऩुत्ऱी –

(क) जन्भ से ही अऩने स्वमॊ के अधधकाय से उस़ी यीनत से सहदानमक फन


जामेग़ी जैसे ऩुत्र होता है ;

(ि) सहदानमकी सॊऩजत्त भें उसे वही अधधकाय प्राप्त होंगे जो उसे तफ प्राप्त
हुमे होते जफ वह ऩुत्र होत़ी;

(ग) उक्त सहदानमकी सॊऩजत्त के सम्फन्ध भें ऩुत्र के सभान ही दानमत्वों के


अध़ीन होग़ी, औय हहन्द ू लभताऺया सहदानमक के प्रनत ककस़ी ननदे श से मह
सभझा जामेगा कक उसभें सहदानमकी ऩत्र
ु ़ी के प्रनत कोई ननदे श सजम्भलरत है :

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Paper 4th, Paper Name- Hindu Law , Unit -5th

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ऩयन्तु इस उऩधाया की कोई फात ककस़ी व्ममन मा अन्मसॊक्राभण को, जजसके
अन्तगगत सॊऩजत्त का ऐसा कोई ववबाजन मा वस़ीमत़ी व्मम ब़ी है , जो 20
हदसम्फय, 2004 से ऩव
ू ग ककमा गमा था, प्रबाववत मा अववधधभान्म नहीॊ कये ग़ी।

(2) कोई सॊऩजत्त, जजसके लरमे कोई हहन्द ू नायी उऩधाया (1) के आधाय ऩय
हकदाय फन जात़ी है , उसके द्वाया सहदानमकी स्वालभत्व की प्रसॊगनतमों सहहत
धारयत की जामेग़ी औय इस अधधननमभ मा तत्सभम प्रवत्ृ त ककस़ी अन्म ववधध
भें अन्तववगष्ट ककस़ी फात के होते हुमे ब़ी वस़ीमत़ी व्ममन द्वाया उसके द्वाया
व्ममन ककमे जाने मोग्म सॊऩजत्त के रूऩ भें सभझ़ी जामेग़ी।

(3) जहाॊ ककस़ी हहन्द ू की हहन्द ू उत्तयाधधकाय ( सॊशोधन) अधधननमभ, 2005


प्रायॊ ब के ऩश्चात ् भत्ृ मु हो जात़ी है , वहाॉ लभताऺया ववधध द्वाया शालसत ककस़ी
सॊमुक्त हहन्द ू कुटुम्फ की सॊऩजत्त भें उसका हहत, मथाजस्थनत, इस अधधननमभ के
अध़ीन वस़ीमत़ी मा ननवगस़ीमत़ी उत्तयाधधकाय द्वाया न्मागत हो जामेगा ऩयन्तु
उत्तयज़ीववता के आधाय ऩय नहीॊ औय सहदानमकी सॊऩजत्त इस प्रकाय ववबाजजत
की गई सभझ़ी जामेग़ी भानो ववबाजन हो चक
ु ा था, औय

(क) ऩुत्ऱी को वही अॊश आफॊहटत होगा जो ऩुत्र को आफॊहटत ककमा गमा है ;

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(ि) ऩूवग भत
ृ ऩुत्र मा ककस़ी ऩूवग भत
ृ ऩुत्ऱी का अॊश, जो उन्हें तफ प्राप्त हुआ
होता महद वे ववबाजन के सभम ज़ीववत होते, ऐसे ऩूवग भत ृ ऩुत्र मा ऐस़ी ऩूवग
भत
ृ ऩत्र
ु ़ी की उत्तयज़ीव़ी सॊतान को आवॊहटत ककमा जामेगा औय

(ग) ककस़ी ऩूवग भत


ृ ऩुत्र मा ककस़ी ऩूवग भत
ृ ऩुत्ऱी की ऩूवग भत
ृ सॊतान का अॊश,
जो उस सॊतान ने उस रूऩ भें प्राप्त ककमा होता महद वह ववबाजन के सभम
ज़ीववत होत़ी, मथाजस्थनत, ऩूवग भत
ृ ऩुत्र मा ककस़ी ऩूवग भत
ृ ऩुत्ऱी की ऩूवग भत

सॊतान की सॊतान को आफॊहटत ककमा जामेगा ।

स्ऩष्टीकरण-इस धाया के प्रमोजनों के लरमे हहन्द ू लभताऺया सहदानमक का हहत


सॊऩजत्त भें का वह अॊश सभझा जामेगा जो उसे आफॊहटत ककमा गमा होता महद
उसकी अऩऩी भत्ृ मु से अव्मवहहत ऩव
ू ग सॊऩजत्त का ववबाजन ककमा गमा होता,
इस फात का ववचाय ककमे बफना कक मह ववबाजन का दावा कयने का हकदाय
था मा नहीॊ।

सहदानमकी भें कोई सहदानमक औय उसके त़ीन ऩ़ीढी तक के वॊशज ( ऩुत्र, ऩौत्र,
प्रऩौत्र) सजम्भलरत होते थे। कोई नायी सहदानमक नहीॊ हो सकत़ी थ़ी। अफ हहन्द ू
उत्तयाधधकाय ( सॊशोधन) अधधननमभ, 2005 द्वाया ऩत्र
ु ़ी को ब़ी सहदानमक फना
हदमा है औय उसका ब़ी ऩुत्र की बाॉनत वऩता की सम्ऩजत्त भें जन्भ से अधधकाय
होगा।

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लभताऺया के सभान ही दक्षऺण बायत भें भात-ृ प्रधान कुटुम्फों भें सम्ऩजत्त
का न्मागभन उत्तयज़ीववता से होता था न कक उत्तयाधधकाय द्वाया। उनके
सम्फन्ध भें ब़ी मह स्ऩष्ट कयना आवश्मक था कक वहाॉ उत्तयज़ीववता का ननमभ
चार यहे गा अथवा सम्ऩजत्त उत्तयाधधकाय अधधननमभ के अध़ीन न्मागत होग़ी।
धाया 7 भें मह स्ऩष्ट कय हदमा गमा है कक वहाॊ सम्ऩजत्त का न्मागभन
उत्तयाधधकाय अधधननमभ के अध़ीन होगा।

स्थानम ् सम्ऩत्त्त ऩय ब़ी उत्तयाधधकाय अधधननमभ रागू होता है । 'स्थानभ ्' का


तात्ऩमग ऊॉचे ऩद अथवा है लसमत से होता है ।'स्थानभ ्' औय स्थानम्द का इस
प्रकाय आववबागव हुआ। ऩजश्चभ़ी तट के कुछ अलबजात हहन्द ू कुटुम्फों ने अऩने
कुटुम्फों के साथ स्थानभ ् कहा जाने वारा ऩद जोड लरमा था जजसका शाजददक
अथग है , है लसमत' ऩॊजक्त मा गरयभा 59 स्थानभ के धायक को स्थाऩी मा
स्थानम्दाय कहा जाता था। शासकों ने अऩने सेनानामकों औय भहत्वऩण
ू ग रोक-
अधधकारयमों को 'स्थानभ' प्रदान ककमे थे औय अधधकायी की गरयभा को फनामे
यिने के लरए उन स्थानभों के साथ प्राम् बूलभ का अनुदान ककमा जाता था।
याजकुभायों औय सेनानामकों के कुटुम्फों के अनतरयक्त कुछ अन्म कुटुम्फ ब़ी थे
जजनके ऩास 'स्थानभ ्' थे ककन्तु उनके साथ कोई ववलशष्ट गरयभा जुड़ी हुई नहीॊ
थ़ी। इस सॊस्थान की प्रसॊगनतमाॉ मे थ़ी कक कुटुम्फ का वरयष्ठतभ सदस्म
स्थानम्दाय फन जाता था जो प्राम् ऩुरुष-सदस्म होता था। ककन्तु कुछ ऐसे ब़ी
उदाहयण हॉ जहाॊ वरयष्ठतभ नायी-सदस्म ही स्थानम्दाय फऩी थ़ी। हय स्थानभ ्

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की ऩथ
ृ क् ऩथ
ृ क् सम्ऩजत्तमाॉ होत़ी थ़ीॊ औय मे तत्सभम ऩद के धायक भें ननहहत
होत़ी थ़ीॊ औय वह उत्तयवती को उत्तयाधधकाय भें लभरत़ी थ़ीॊ

उत्तयाधधकाय अधधननमभ स्थानम्दाय की भत्ृ मु के ऩश्चात ् स्थानभ ् को बॊग


कय दे ने का उऩफन्ध कयता है । इसके अनुसाय उत्तयाधधकाय अधधननमभ के
प्रायम्ब होने के ऩश्चात ् जफ कोई स्थानम्दाय भयता है तफ उसके द्वाया धारयत
स्थानभ ् सम्ऩजत्त उस कुटुम्फ के सदस्मों को जजसका कक वह स्थानम्दाय है ,
औय स्थानम्दाय के दामादों को न्मागत होग़ी। इस सम्फन्ध भें ऐसा भाना
जाएगा कक स्थानभ ् सम्ऩजत्त स्थानम्दाय औय उस सभम कुटुम्फ के ज़ीववत
सब़ी सदस्मों के फ़ीच स्थानम्दाय की भत्ृ मु के तुयन्त ऩूवग व्मजक्तवाय ववबाजजत
कय दी गई थ़ी I

सॊऺेऩ भें , धाया 7 के द्वाया भरुभक्कत्तामभ, नम्फूदयी तथा अलरमसन्तान


ववधधमों के उत्तयाधधकाय सम्फन्ध़ी ननमभों का ननयसन कय हदमा गमा है ।
उत्तयाधधकाय अधधननमभ के रागू होने के उऩयान्त उक्त ववधधमों द्वाया शालसत
होने वारे व्मजक्तमों के हहतों का न्मागभन उत्तयाधधकाय अधधननमभ के
उऩफन्धों के अनुसाय होगा, उन ववधधमों के अनुसाय नहीॊ इस़ी प्रकाय स्थानभ ्
सम्ऩजत्त का न्मागभन ब़ी उत्तयाधधकाय अधधननमभ के उऩफन्धों के अनुसाय ही
होगा।

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2012 -10

प्र०-2 हहन्द ू उत्तराधधकार 1956 की मुख्य ववशेषताओ का वणतन करो!

Discuss the main changes brought about by the Hindu Succession Act, 1956
in the Law of inheritage.

Or

Discuss the main features of Hindu Succession Act, 1956. उत्तय-हहन्द ू


उत्तयाधधकाय अधधननमभ 1956 ने उत्तयाधधकायी के सम्फन्ध भें एक
क्राजन्तकायी ववचायधाया को जन्भ हदमा है । मद्मवऩ इससे ऩूवग न्मामारम के
ननणगमों के भाध्मभ से ऩूवग हहन्द ू ववधध भें ऩरयवतगन होते यहे हैं कपय ब़ी हहन्द ू
उत्तयाधधकाय की वतगभान ववधध को सॊहहताफद्ध कयने की आवश्मकता फऩी ही
यही । सन ् 1937 भें हहन्द ू नायी की सम्ऩजत्त सम्फन्ध़ी अधधकाय अधधननमभ
ऩारयत हो जाने ऩय सयकाय ने हहन्द ू उत्तयाधधकाय ववधध भें सॊशोधन कयने के
लरए याव कभेटी ननमक्
ु त की । याव कभेटी द्वाया स्व़ीकृनत ऩीनत के आधाय ऩय
अनेक अधधननमभ ऩारयत ककमे गमे जजनभें से हहन्द ू उत्तयाधधकाय अधधननमभ,
1956 सफसे भहत्वऩूणग है । वास्तव भें इस अधधननमभ द्वाया हहन्दओ
ु ॊ के
उत्तयाधधकाय सम्फन्ध़ी ववधध भें भहत्वऩूणग ऩरयवतगन रामे गमे। मे भहत्वऩूणग
ऩरयवतगन ननम्नलरखित है

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(1) लभताऺया औय दामबाग शािाएॉ दाम सम्फन्ध़ी ननमभों की दृजष्ट से सभाप्त
हो गई हैं। अफ सभस्त दे श के हहन्दओ
ु ॊ के लरए दाम की एक रूऩ ववधध है ।

(2) वणग के आधाय ऩय, अथागत ् द्ववज औय शूद्र के आधाय ऩय ववधध के कनतऩम
उऩफन्धों भें जो कहठनाई थ़ी, वह सभाप्त हो गई है ।

(3) दक्षऺण बायत भें प्रचलरत भातप्र


ृ धान प्रणारी भें दाम के ननमभों के फाये भें
ववलबन्न अधधननमभ के उऩफन्ध सभाप्त हो गमे हैं। (4) मह अधधननमभ सब़ी
हहन्द,ू फौद्ध, जैन व लसक्िों के लरए रागू होता है । (5) मह अधधननमभ ऐसे
व्मजक्तमों की सम्ऩजत्त के लरए रागू नहीॊ होता है जजस ऩय वववाह के लरए
ववशेष वववाह अधधननमभ 1954 के उऩफन्ध रागू होते हैं।

(6) मह अधधननमभ लभताऺया सह-बाग़ीदाय सम्ऩजत्त के लरए ब़ी रागू नहीॊ


होता माद सह-बाग़ीदायी अनुसूच़ी (1) भें उजलरखित ककस़ी स्त्ऱी सम्फन्ध़ी अथवा
ऐस़ी स्त्ऱी सम्फन्ध़ी के भाध्मभ द्वाया दावे कयने वारे ऩरु
ु ष सम्फन्ध़ी को
छोडकय नहीॊ कत्ता है ।

(6) हहन्द-ू नायी की स़ीलभत सम्ऩदा अफ सभाप्त हो गई है हहन्द ू नायी अफ जो


सम्ऩजत्त दाम मा अन्म रूऩ भें प्राप्त कयत़ी है । उसकी ऩूणग स्वालभऩी है । (8)
ववलबन्न प्रकाय के स्त्ऱीधन औय ऩरयणाभस्वरूऩ उसके सम्फन्ध भें उत्तयाधधकायी
सम्फन्ध़ी ननमभ सभाप्त हो गमे हैं। ( ৩) हहन्द ू ऩरु
ु ष की सम्ऩजत्त के
उत्तयाधधकाय के लरए एकरूऩ क्रभ का उऩफन्ध ककमा गमा है ।

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(10) हहन्द-ू नायी की सम्ऩजत्त के उत्तयाधधकाय के लरए एकरूऩ का उऩफन्ध
ककमा गमा है । (11) अधधननमभ द्वाया हदमा गमा उत्तयाधधकाय का क्रभ
वऩण्डदान लसद्धान्त अथवा यक्त-सम्फन्ध ऩय आधारयत न होकय स्नेह तथा
सहानुबूनत ऩय आधारयत ककमा गमा है , अथागत ् सम्ऩजत्त उन सम्फजन्धमों को
प्राप्त होग़ी जजनके प्रनत साभान्म भत
ृ क का स्नेह औय सहानुबूनत यही है औय
मह ज़ीवन कार भें स्वमॊ ब़ी उसको अऩऩी सम्ऩजत्त के प्राप्त होने की काभना
यिे होगा (12) मह अधधननमभ की उत्तयाधधकायी तथा ऩरु
ु ष उत्तयाधधकायी भें
कोई बेदबाव नहीॊ यिता।

(13) अधधननमभ भें दाम बाग तथा लभताऺया शािाओॊ के द्वाया ववहहत
उत्तयाधधकाय के क्रभ को सभाप्त कय हदमा है । (14) मह अधधननमभ योग, दोष
तथा अॊगहीनता के कायण दाम प्राप्त कयने से अऩवजजगत नहीॊ कयता है । (15)
धभग ऩरयवतगन के ककए हुए हहन्द ू का वॊशज अऩने सम्फजन्धमों से उत्तयाधधकाय
प्राप्त कयने के अमोग्म होता है ।

(16) अधधननमभ के अन्तगगत ववधवा, अवववाहहत स्त्ऱी तथा ऩनत द्वाया त्माग़ी
ऩथ
ृ क् हुई स्त्ऱी को अऩने वऩता के घय भें यहने का अधधकाय है । हुई अथवा

(17) ककस़ी की हत्मा कयने वारे को उत्तयाधधकाय से वजजगत नहीॊ ककमा गमा
है । (18) हहन्द ू लभताऺया ऩद्धनत का सदस्म इस अधधननमभ के अन्तगगत, अऩना
बाग (Share) वस़ीमत कय सकता है ।

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(19) इस अधधननमभ के अन्तगगत गबग भें जस्थत सन्तान को ब़ी उत्तयाधधकाय
का अधधकाय प्रदान ककमा गमा है ।

(20) इस अधधननमभ के अन्तगगत जहाॉ दो मा दो से अधधक व्मजक्त ककस़ी


ननवगस़ीमत सम्ऩजत्त के उत्तयाधधकाय प्राप्त कय रेते हैं, अऩने अॊश को
व्मजक्तऩयक न कक वऩतऩ
ृ यक यीनत से सहआबोग़ी के रूऩ भें प्राप्त कयें गे।

(21) ककस़ी सॊववदा अथवा कयाय के आधाय ऩय ( जो ककस़ी दे श़ी याजा औय


सयकाय के फ़ीच हुआ हो) अथवा ककस़ी अधधननमभ के अनस ु ाय अकेरे एक
दामक के प्राप्त होने वारी सम्ऩजत्त को छोडकय अन्म प्रकाय की अववबाज्म
सम्ऩजत्त सभाप्त हो गई है । दस
ू ये शददों भें रूहढगत अववबाज्म सम्ऩदा सभाप्त
हो गई है ।

(22) इस अधधननमभ के अनुसाय कोई ब़ी सहदानमक की सम्ऩजत्त को अऩने


हक को वस़ीमत द्वाया हस्ताॊतरयत कय सकता है । (23) अधधननमभ की धाया
31 के अनुसाय हहन्द ू दाम ववधध अधधननमभ 1929 तथा हहन्द ू स्त्ऱी सम्ऩजत्त
अधधननमभ, 1937 को ननयस्त कय हदमा गमा है । अधधननमभ का ऺेत्र तथा
ववस्ताय - बायत के सब़ी हहन्दओ
ु ॊ के लरए मह अधधननमभ रागू ककमा गमा है ।

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2013-10

प्र०-3 हहन्द ू उत्तराधधकार अधधननयम 1956 के अधीन एक हहन्द ू स्री द्वारा


धाररत संऩत्त्त की क्या प्रकृनत है ! ननवतसीयत मरने वाऱी हहन्द ू स्री की
संऩत्त्त के उत्तराधधकार के सामान्य ननयमों का वणतन कीत्िये !

नायी-सम्ऩदा को 'ववधवा-सम्ऩदा', (Woman's Estate) अथवा 'स़ीलभत


सम्ऩदा'(Limited Estate) के नाभ से ब़ी जाना जाता है । मह वह सम्ऩजत्त है
जजसे नायी ककस़ी ऩरु
ु ष अथवा नायी2 से दाम भें ऩात़ी है अथवा उसे फॊटवाये भें
प्राप्त होत़ी है । मह सम्ऩजत्त उसे केवर अऩने ज़ीवनकार भें उऩबोग के लरमे
प्राप्त होत़ी है । वह इसका अन्म-सॊक्राभण कनतऩम ववननहदग ष्ट ऩरयजस्थनतमों भें
ही कय सकत़ी है । उसके भयने के ऩश्चात ् मह सम्ऩदा उसके अऩने दामादों को
न प्राप्त होकय गत ऩूणग स्वाभ़ी (चाहे वह ऩुरुष हो, अथवा नायी) के दामादों को
प्राप्त होत़ी है । फम्फई भें मह ननमभ थोडे ऩरयवतगन के साथ रागू होता है । वहाॉ
महद कोई नायी ऩरयवाय भें वववाह के द्वाया आई है तो वह उस ऩरयवाय भें
प्राप्त दाम को नायी सम्ऩदा के रूऩ भें रेत़ी है । अन्म गोत्र की नारयमाॉ, अथवा
जो वववाह होने ऩय अन्म गोत्र की हो जामेंग़ी, जफ दाम ग्रहण कयत़ी हैं तो वह
नायी-सम्ऩदा न होकय उसकी अननफगजन्धत सम्ऩजत्त हो जात़ी है । दस
ू ये शददों
भें , नायी द्वाया वऩता के ऩरयवाय भें दाम भें प्राप्त सम्ऩजत्त नायी-सम्ऩदा न
होकय उसकी अननफगजन्धत सम्ऩदा होत़ी है । वहाॉ ककस़ी नायी से दाम भें प्राप्त
सम्ऩजत्त सवगदा स्त्ऱीधन होत़ी है न कक नायी-सम्ऩदा हहन्द ू ववधध भें इस प्रकाय

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की सम्ऩदा के अऩने वैलशष््म हैं। आॊग्र ववधध भें इस़ी ढॊ ग की सम्ऩदा के
लरमे प्रमुक्त होने वारे शददों अथवा ऩदों से इसकी धायणा को ठीक-ठीक
अलबव्मक्त नहीॊ ककमा जा सकता है । हहन्द ू ववधध भें ज़ीवन-कार के लरमे
सम्ऩदा ( estate for life) ऩरयलभत सम्ऩदा ( estate in fee) अथवा ऩूणग सम्ऩदा
(estate in tail) की धायणामें नहीॊ हैं

नारी-सम्ऩदा होने वाऱी सम्ऩत्त्त

(What Property is Woman's Estate)

फनायस, लभधथरा, भद्रास औय फॊगार शािाओॊ के अनस


ु ाय नायी द्वाया ऩरु
ु ष मा
नायी से प्राप्त दाम भें सम्ऩजत्त नायी-सम्ऩदा होत़ी है ।

फम्फई शािा के अनस


ु ाय नायी द्वाया, उस ऩरयवाय भें जजसभें वह वववाह द्वाया
आई है , ऩुरुष से प्राप्त की गई सम्ऩजत्त नायी-सम्ऩदा होत़ी है । अऩने वऩता से
ऩरयवाय भें दाम भें प्राप्त की गई सम्ऩजत्त औय ककस़ी नायी से दाम भें प्राप्त
की गई सम्ऩजत्त स्त्ऱीधन होत़ी है न कक नायी-सम्ऩदा।

महद नायी को कोई सम्ऩजत्त उत्तयदान मा अनुदान भें दी गई है औय उसभें से


अननफगजन्धत अधधकाय नहीॊ हदमा गमा है , तो वह नायी सम्ऩदा होग़ी। फॊटवाये भें
नायी को प्राप्त सम्ऩजत्त ब़ी नायी-सम्ऩदा ही होत़ी है ।

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अववबक्त ऩरयवाय की ककस़ी ववधवा को बयण-ऩोषण के लरमे दी गई सम्ऩदा
उसकी भत्ृ मु के उऩयान्त अववबक्त ऩरयवाय की सम्ऩजत्त भें जुड जात़ी है ।
ककन्तु महद सम्ऩजत्त बयण-ऩोषण के फदरे भें दी गई है तो वह नायी की
अननफगजन्धत सम्ऩदा हो जात़ी है

जफ ऩनत द्वाया धायण की गई ( held) व्मजक्तगत इनाभ की बलू भ ववधवा के


लरमे छोड़ी जात़ी है , तो इनाभ के अधधकायऩत्र का ववधवा के नाभ से होना
इनाभ को ववधवा की अननफगजन्धत सम्ऩजत्त नहीॊ फनामेगा, फजलक वह उसकी
नायी-सम्ऩदा ही होग़ी।

उत्तरभोगी

(Reversioners)

ऩनत अथवा गत-स्वाभ़ी ( last owner) के अगरे दामाद ( next heir) को, जजसे
नायी-सम्ऩदा नायी की भत्ृ मु के ऩश्चात ् प्राप्त होऩी है , उत्तयबोग़ी कहा जाता है ।
उत्तबोग़ी कोई ऩुरुष, अथवा नायी हो सकत़ी है । मे दो प्रकाय के होते हैं-
वास्तववक ( real) तथा उऩधारयत ( presumed)। वास्तववक उत्तबोग़ी वह है जो
नायी की भत्ृ मु के सभम अजस्तत्व भें यहता है औय वह सम्ऩजत्त को प्राप्त
कयता है । उऩधारयत उत्तयबोग़ी वह है जो नायी के ज़ीवन-कार भें ककस़ी
सभम सम्ऩजत्त को ऩाने की प्रत्माशा कयता है । इस प्रकाय वास्तववक उत्तबोग़ी
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उऩधारयत उत्तयबोग़ी से लबन्न हो सकता है । वास्तववक उत्तयबोग़ी का
अवधायण नायी की भत्ृ मु के सभम की वस्तुजस्थनत के आधाय ऩय होने से, नायी
के ज़ीवनकार भें मह नहीॊ कहा जा सकता कक वास्तववक उत्तयबोग़ी कौन
होगा। उऩधारयत उत्तयबोग़ी वह है जो ववधवा के ज़ीवनकार भें उसकी भत्ृ मु के
ऩश्चात ् दाम ऩाने की आशा यिता है । मह वह व्मजक्त होता है जो गत स्वाभ़ी
का दामाद होगा, महद ववधवा उस़ी ऺण भत्ृ मु को प्राप्त हो तो। वप्रव़ी कौंलसर ने
एक वाद70 भें कहा है कक " नायी-सम्ऩदा चाहे जैस़ी ब़ी हो, मह स्ऩष्ट है कक
जफ वह सभाप्त नहीॊ होत़ी मह कहना असम्बव है कक उसके ऩनत के दामाद के
रूऩ भें कौन इसे प्राप्त कये गा। नायी सम्ऩदा के सभाप्त होने तक उत्तयाधधकाय
ऩनत के दामादों के लरमे उऩरदध नहीॊ होता। सम्ऩदा की सभाजप्त ऩय सम्ऩजत्त
उन रोगों को प्राप्त होत़ी है जो, महद ऩनत आज तक ज़ीववत यहा होता औय
ववधवा की भत्ृ मु के साथ ही उसकी भत्ृ मु हुई होत़ी तो उसके दामाद हुए होते।"

उत्तरभोगी के हहत का स्वरूऩ

(Nature of the interest of the reversioner)

उत्तयबोग़ी का हहत नायी की भत्ृ मु के ऩश्चात ् दाम प्राप्त कयने की प्रत्माशा का


हहत है । मह कोई ननहहत (vested) हहत नहीॊ है । मह उत्तयाधधकय ऩाने की भात्र-
सॊबावना है । इसलरमे न तो इसे फेचा जा सकता है , न फन्धक यिा जा सकता
है , न तो इसे ककस़ी को अभ्मवऩगत ककमा जा सकता है , जैसा कक आॊग्र-ववधध भें
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हो सकता है । इस प्रकाय के हहत का ककमा गमा कोई अन्म-सॊक्राभण शून्म
होता है ।1 ककस़ी नायी-सम्ऩदा को प्राप्त कयने के अनेक उत्तयबोग़ी होने की
जस्थनत भें , कोई ब़ी उत्तयबोग़ी दस
ू ये उत्तयबोग़ी के भाध्मभ से अऩना हक
यिता हुआ नहीॊ भाना जामेगा, फजलक उनभें से प्रत्मेक अऩना हक स़ीधे गत
स्वाभ़ी के भाध्मभ से प्राप्त कयता है ।

उत्तरभोगी का अधधकार (Rights of Reversioner)

मद्मवऩ उत्तयबोग़ी का सम्ऩजत्त भें कोई हहत नायी के ज़ीवनकार भें नहीॊ
होता है , ककन्तु नायी द्वाया सम्ऩजत्त के सम्फन्ध भें कनतऩम ववधधववरुद्ध कामग
कयने ऩय वह उसके ववरुद्ध कामगवाही कयने का अधधकाय यिता है । वह उसभें
सजम्भलरत होने का ब़ी अधधकाय यिता है । कोई उत्तयबोग़ी ववधवा के ज़ीवन-
कार भें न्मामारम भें अऩने अगरे उत्तयबोग़ी होने की घोषणा का वाद नहीॊ
रा सकता।73 महद नायी सम्ऩजत्त को ह्रास भें रे जात़ी है , अथवा इसे ऺनत
ऩहुॉचात़ी है तो वह उसे ऐसा कयने से योकने के लरमे वाद प्रस्तुत कय सकता
है ,74 औय इस सम्फन्ध भें चयभ जस्थनत होने ऩय सम्ऩजत्त का आदाता
(receiver) ननमुक्त ककमा जा सकता है । इस़ी आधाय ऩय वह नायी द्वाया ककमे
गमे अन्म-सॊक्राभण को उत्तबोग़ी ऩय आफद्धकय (binding) न होने का वाद ब़ी
रा सकता है ।5 ऊऩय मह कहा जा चक
ु ा है कक ववननहदग ष्ट प्रमोजनों को छोडकय
नायी द्वाया ककमा गमा अन्म-सॊक्राभण उत्तयबोग़ी ऩय आफद्धकय नहीॊ होता है ।
उत्तयबोग़ी इस घोषणा के वाद को नायी के ज़ीवन कार भें प्रस्तुत कयने को

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फाध्म नहीॊ है । वह ववधवा की भत्ृ मु होने औय सम्ऩजत्त के अऩने भें ननहहत
होने ऩय अन्मसॊक्रान्त़ी से सम्ऩजत्त का कदजा रेने का वाद प्रस्तुत कय सकता
है । ववधवा द्वाया अन्म-सॊक्राभण भें अऩऩी सहभनत हदमे यहने ऩय वह ऐसा
कयने के बफफद्ध होता है । नायी द्वाया सम्ऩजत्त के हयास के ववरुद्ध वाद प्रस्तुत
कयने भें उत्तयबोग़ी वाद को सभस्त सम्बव उत्तयबोधगमों की ओय से, अथागत ्
प्रनतननधध रूऩ भें प्रस्तत
ु कयता है ।76 मद्मवऩ मह प्रस्तत
ु कयने का अधधकाय
ननकटतभ उत्तयबोग़ी को ही होता है , ककन्तु ककस़ी कायण से उसके ऐसा न
कयने ऩय दयू का उत्तयबोग़ी ब़ी वाद कयता है ।

ववधवा की भत्ृ मु ऩय सम्ऩदा उत्तयबोग़ी भें ननहहत हो जात़ी है । मह


सम्ऩजत्त भें भूतग ( tangible) अधधकाय होता है ककन्तु वैमजक्तक ( personal )
अधधकाय नहीॊ होता है तथा वह ववयासत भें प्राप्त ककमे जाने मोग्म तथा
अन्तयण़ीम होता है । उत्तयबोग़ी मा उसके वारयसों को अजन्तभ ऩरु
ु ष धायक की
सम्ऩदा रेने से केवर तब़ी प्रवारयत ककमा जामेगा महद उसने अन्म-सॊक्राभण
को ऩुष्ट ( confirm) मा अनुसभधथगत ( ratify) कय हदमा है मा अऩने ही ककस़ी
कामग द्वाया उस ऩय आऺेऩ कयने से अऩने को अन्मथा ववबफजन्धत मा प्रवारयत
कय हदमा हो। महद ववधवा की भत्ृ मु होने के 12 वषों के ब़ीतय उस सॊव्मवहाय
को ननयाकृत ककमे बफना ही उत्तयबोग़ी की भत्ृ मु हो जात़ी है तो उसके वारयसों
को मह अधधकाय होगा कक वे सम्ऩजत्त को वाऩस रे सकें ककस़ी ववधवा की
भत्ृ मु के ऩश्चात ् उसके अन्म-सॊक्राजन्तमों का कदजा ववधधववरुद्ध होता है तथा वे
अन्त:कारीन राबों को चुकाने के दाम़ी होते हैं ।
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हहन्द ू उत्तयाधधकय अधधननमभ, 1956 की धाया 14 द्वाया नायी-सम्ऩदा सभाप्त
कय दी गई है । नायी सम्ऩदा के सभाप्त होने से उत्तयबोग़ी ब़ी सभाप्त हो गमे
हैं। ककन्तु अधधननमभ के रागू होने के ऩव
ू ग के नायी द्वाया ववधधववरुद्ध अन्म-
सॊक्राभण के सम्फन्ध भें उत्तयबोग़ी का अजस्तत्व अफ ब़ी फना हुआ है I

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