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Katha Ke Bhed and Chhal
Katha Ke Bhed and Chhal
कथा के भेद
वाद अनुमान, शा ाद माण से यु त तथा तकपूण होना चा हए। साथ ह अपने स धांत के व ध वाद म
कोई कथन नह ं करना चा हये।
ज प म परप का दष
ू ण कर दे ने पर वप को अनम
ु ान तथा तकपण
ू प से प चावयव वा य या
से स ध कया जाता है ।
वत डा - तप थापनाह नो वत डा।
अथात ् जहाँ एक प दस
ू रे क बात के मा ख डन म लगा रहता है और अपने प क थापना नह ं करता वह
वाद वत डा कहलाता है ।
व वनाथ के अनुसार:
ये वाक् छल होगा।
सामा यतः कसी श द को अलग-अलग अथ म योग कया जाता है कभी संकु चत अथ म तो कभी व तत
ृ अथ
म।
जहाँ वाद वारा वशेष अथ म यु त कसी श द का सामा य अथ लेकर वाद के प को खि डत कया जाए वह
सामा यछल है ।
उदाहरण: वाद : अमख
ु ः द ल व व व यालय य सय
ु ो यः छा ः।
वाद वारा ल णा म कये गए कथन को अ भधा म लेकर ख डन करना अथवा अ भधा म कह गई बात का
ल याथ हण करके उसका ख डन करना उपचार छल कहलाता है ।
अथात ् वाद ने कसी बलशाल पु ष को दे खकर लाि णक प म कहा क यह तो संह है क तु तवाद ने उसका
अ भधा मक अथ कया तथा वाद से कहा क ये तु ह खा जाएगा। यानी तवाद को वाद के इस कथन को उसी
अथ म हण करना चा हये था जो वाद का था पर वह छलपूवक कथन को कसी अ य अथ म ह ले रहा है अतः
ये उपचार छल होगा।
न कषतः यह कहा जा सकता है क जहाँ एक तरफ वाद को तवाद से सावधान रहना चा हए क कह ं वह वाद
के कथन क छलपूवक या या न करे वह ं दस
ू र तरफ वाद को ऐसे कथन के योग से भी बचना चा हये जो
एका धकाथक ह अथवा िजनसे तवाद को छल करने का अवसर ा त हो सके।