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मो हत कुमार पा डे

कथा के भेद

कथायाः त ः भेदः वाद ज प वत डा।

कथा के तीन बेध होते ह:

वाद - यह कथा का शु धतम व प है य क इसका योजन स भाषा तथा स य को जानने क इ छा है । इसम


एक प य द दस
ू रे को स य समझे तो वह अपने मत को छोड़ भी सकता है या दोन ह सद य कसी अ य
न कष पर पहुँच सकते ह।

वाद म तीन न ह स धांत ( यन


ू , अ धक तथा अप स धांत) का योग होता है ।

त वभुभु सोः कथावादः। (तकभाषा)

अथात ् पदाथ को उनके वा त वक व प म जानने के इ छुक का कथन वाद है।

माण तक साधनोपालंभः स धा ता वरोधः प चावयवोपप नः प तप प र हो वादः। - (गौतमव ृ )

वा यायन भा य के अनुसार साधन का अथ थापना और उपालंभ का अथ है तशेध। ये तक एवं माण से।


होना चा हये।

वाद अनुमान, शा ाद माण से यु त तथा तकपूण होना चा हए। साथ ह अपने स धांत के व ध वाद म
कोई कथन नह ं करना चा हये।
ज प म परप का दष
ू ण कर दे ने पर वप को अनम
ु ान तथा तकपण
ू प से प चावयव वा य या
से स ध कया जाता है ।

परप े द ू षते वप थापन योगावसानम ् भव त।

इसम सभी न ह थान का योग कया जाता है।

वत डा - तप थापनाह नो वत डा।

अथात ् जहाँ एक प दस
ू रे क बात के मा ख डन म लगा रहता है और अपने प क थापना नह ं करता वह
वाद वत डा कहलाता है ।

न कष प म यह कहा जा सकता है क जहाँ वाद कथा का शु धतम प है वह ं वत डा न नतम है ।


छल

व वनाथ के अनुसार:

वचन वघातो अथ वक पोपप यः छलम ्।

अथात ् अथ के वक प क उपप वारा तप के वचन का ख डन ह छल है ।

अ भ ाया तरे ण यु त य श द य अथा तरं क य दष


ू णम ्।

छलम ् वधम ् वा छलम ् सामा यछलम ् तथा उपचारछलम ्।

वा छल - अ वशेषा व हते अथ व तुर भ ायात ् अथातरक पना वा छलम ्।अथात ्

व ता के कथन का ऐसा अथ ले लेना जो व ता को वयम ् अ भ ेत न हो, वाक् छल कहलाता है।

जैसे य द भोजन ब धक कहता है क म ठा न सभी छा को एक-एक ह मलेगा।

छा - या आप ये कहना चाहते ह क हम भरपेट भोजन न कर।

ये वाक् छल होगा।

सामा यछल - सामा य न म म ् छलम ् सामा यछलम ्।

सामा यतः कसी श द को अलग-अलग अथ म योग कया जाता है कभी संकु चत अथ म तो कभी व तत
ृ अथ
म।

जहाँ वाद वारा वशेष अथ म यु त कसी श द का सामा य अथ लेकर वाद के प को खि डत कया जाए वह
सामा यछल है ।
उदाहरण: वाद : अमख
ु ः द ल व व व यालय य सय
ु ो यः छा ः।

तवाद : न सव द ल व व व यालय य छा ाः सुयो याः।

उपचार छल - शि तल णयोः एकतरव ृ या यु ते श दे तदपरव ृ या यः तशेधः स उपचारछलम ्।

वाद वारा ल णा म कये गए कथन को अ भधा म लेकर ख डन करना अथवा अ भधा म कह गई बात का
ल याथ हण करके उसका ख डन करना उपचार छल कहलाता है ।

वाद : संहोयम ् पु षः।

तवाद : अअपसपखा द य त वाम ्।

अथात ् वाद ने कसी बलशाल पु ष को दे खकर लाि णक प म कहा क यह तो संह है क तु तवाद ने उसका
अ भधा मक अथ कया तथा वाद से कहा क ये तु ह खा जाएगा। यानी तवाद को वाद के इस कथन को उसी
अथ म हण करना चा हये था जो वाद का था पर वह छलपूवक कथन को कसी अ य अथ म ह ले रहा है अतः
ये उपचार छल होगा।

न कषतः यह कहा जा सकता है क जहाँ एक तरफ वाद को तवाद से सावधान रहना चा हए क कह ं वह वाद
के कथन क छलपूवक या या न करे वह ं दस
ू र तरफ वाद को ऐसे कथन के योग से भी बचना चा हये जो
एका धकाथक ह अथवा िजनसे तवाद को छल करने का अवसर ा त हो सके।

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