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त्राटक :-

त्राटक ककसी बी एक भाध्मभ को एक टक दे खना है . जफ तक आॉखे इसे सहन कय सके.

त्राटक का उद्देश्म :-

त्राटक का उद्देश्म भन के बटकाव को योकना है. भन की चॊचरता को एक हद तक कभ कय


दे ना ताकक हभाया ध्मान एक ही जगह ऩय टटका यहे . जजतना गहन अभ्मास ववचायो की भात्रा
भें उतनी ही न्मूनता.

त्राटक कयने का तयीका :-

त्राटक कयने का सफसे अच्छा तयीका होता है की इसे कभ सभम से रेकय ज्मादा सभम तक
अभ्मास फढ़ामा जामे. शरु
ु आत भें जफ त्राटक कयते है तफ आॉखे ज्मादा दे य तक खर
ु ी नहीॊ
यख सकते क्मों की आॉखे हयदभ नभी की ऩयत भें यहती है दस
ू या हभ अचानक से ककसी चीज
को ज्मादा दे य तक बफना ऩरक झऩकामे नहीॊ यह सकते है . इसलरए शुरुआत भें हभें आॉखों भें
जरन औय सूखाऩन भहसूस होता है . इस लरए जफ हभ ज्मादा दे य तक जफयदस्ती आॉखे
खर
ु ी यखते है तफ आॉखे सख
ू ी औय कपय ऩानी आने की सभस्मा आती है . इससे फचने के लरए

अभ्मास के दौयान शुरुआत भें आॉखे ज्मादा दे य तक खर


ु ी न यखे त्राटक का भतरफ ज्मादा से
ज्मादा सभम तक आॉखे खर
ु ी यखना नहीॊ होता है .फजकक जजतनी दे य आॉखे खर
ु ी यह कय
भाध्मभ को दे खती है उस सभम भें भाध्मभ के अॊदय ववचायो को ववरीन कयना होता
है .इसलरए ज्मादा दे य तक जफयदस्ती आॉखे खर
ु ी यखने से हभाया ध्मान लसपफ आॉखों ऩय ही
यहता है हभाये ववचाय उस भाध्मभ से नहीॊ जुड़ते. इस कायन कुछ दे य फाद ही अभ्मास से भन
बी उचट जाता है औय हभ अभ्मास भें ऩर्
ू तफ ा नहीॊ रा ऩाते है.
अभ्मास :-

शाॊत औय सौम्म वातावयर् भें एक कभये का चन


ु ाव कये जहा ऩय हवा औय यौशनी का ऩूर्फ
प्रफॊध हो.

एक आसन रे औय साभने की दीवाय ऩय चन


ु े हुए भाध्मभ को टाॊक दे .

अऩने भन औय साॉस को सॊमलभत कये

अफ आॉखे साभने त्राटक भाध्मभ ऩय एक टक दे खे ( कुछ ही सभम ऩश्चात आॉखे फॊद होने
रगेगी)

आॉखे फॊद कये औय भन की शाॊतत फनामे यखे औय आॉखों को साभान्म कये ( कुछ सभम ऩश्चात
आॉखे साभान्म हो जाती है क्मों की आॉखे फॊद होने से उसकी नभी रौट आती है .)

दफ
ु ाया इसी प्रकिमा को दोहयामे ध्मान यहे की आॉखे जफयदस्ती न खर
ु ी यहे .

ऩहरे टदन अभ्मास १० लभनट का बी कापी होता है .

दस
ू ये टदन बी मही प्रककमाफ दोहयामे रेककन आज आॉखे ज्मादा सभम तक बफना ऩये शानी के
खर
ु ी यह ऩाती है .औय आॉखों की जरन कुछ सभम फाद न्मून होते होते फॊद हो जाती है .

त्राटक का पर :

त्राटक भें ज्मादा से ज्मादा आॉखे खर


ु ी यखने का भहत्व नहीॊ है भहत्व है उस वक़्त भें अऩने
भन भें उतयना अऩने ववचायो को न्मन
ू ता दे ना. इसलरए त्राटक के वक़्त आॉखों को अभ्मस्त
फनाना चाटहए.इससे एक चयर् ऐसा आता है जहा ऩय हभायी लसपफ आॉखे खर
ु ी यहती है शयीय
शुन्म हो जाता है औय हभाया भन गहयाइमो भें उतय कय मात्रा कयना शुरू कय दे ता है .उस वक़्त
न शयीय का होश यहता है न ही चेतना उस वक़्त फस अवचेतन भन ही होता है जो हभें अनब
ु व
कयाता है .उस वक़्त अनुबव भें हभ वह दे खते है मा अनुबव कयते है जो हभाये भन भें कबी न
कबी ख्मार आता है .

त्राटक का प्रबाव :-

 भन भें शाॊतत का अहसास


 स्भयर्शजक्त का ववकास
 आकषफक व्मजक्तत्व
 ककऩनाशजक्त का ववकास
 तनाव औय अन्म कई तयह के भानलसक ऩये शानी का हर है त्राटक.
 त्राटक का अन्म ऩरयर्ाभ है भानलसक शजक्त का ववकास औय उस ऩय तनमॊत्रर्:

त्राटक से भानलसक शजक्त का ववकास औय उस ऩय तनमॊत्रर् होता है .त्राटक के साथ कुछ

अभ्मास औय ककमे जाते है जजससे की भानलसक शजक्त के ववकास भें तेजी आती है औय उस
का तनमॊत्रर् आसान हो जाता है .

 ववचायशून्मता अभ्मास
 सॊककऩ शजक्त अभ्मास
मे अभ्मास हभाये शयीय भें कई तयह से ऩरयवतफन राते है .

जैसे की शवासन से हभाया शयीय ऩहरे लशथथर होता है कपय हभायी साॉस औय इसके साथ ही

प्रार् ऊजाफ का सयॊ ऺर् होता है इसके साथ ही हभाये काभ बाव भें न्मूनता आनी
शुरू हो जाती है . क्मों की प्रार् का प्रवाह तनचे से ऊऩय होने रगता है .

इसके फाद ववचायशून्मता का अभ्मास जो शयीय भें लशथथरता के साथ ववचायो भें न्मूनता
राने के साथ ऩयू ा ध्मान लसपफ एक ववचाय ऩय ही भोड़ दे ता है .

सॊककऩ शजक्त का अभ्मास हभायी इच्छाओ का तनमॊत्रर् कयता है . औय जो हभायी


इच्छा होती है उसे ऩयू ा कयता है .

इन अभ्मास से हभायी भानलसक शजक्त ववकलसत होती है .

शजक्त का अहभ हावी न हो इस कायर् इन अबमस की अतनवामफता आवश्मक भानी

गई है .इसके आबाव भें कोई शजक्त ज्मादा सभम तक स्थाई नहीॊ यह ऩाती है .

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