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यौवन गर्विता अप्सरा साधना

यौवन गर्विता अप्सरा – यह अप्सरा साधना आपको हमारे चैनल साधना ज्ञान के माध्यम से दी जा
रही हैं। अगर कोई भी इस साधना को बिना हमारी अनुमबि के करे गा या इस साधना की बिबध को यहााँ िहााँ
िेचेगा या देगा। अगर बकसी व्यबि को बकसी भी प्रकार की हाबन होिी है िो उसका बजम्मेदार िो व्यबि स्ियं
होगा। इसमें हमारा चैनल ि हमारे चैनल से जुडा कोई ा़ भी व्यबि बकसी िरह से बजम्मेदार नहीं होगा। इस बिबध
में कुछ बिबधयााँ गुप्त हैं। जो हमारे द्वारा ही सम्पन्न करके ही बिबध दी जािी हैं।

सावधानी एवं ननयम

• हमेशा सुरक्षा चक्र बनाकर ही साधना करें ।


• साधना काल में लोगों से साधना के विषय में बात ना करें ।
• बह्मचयय का पालन करें ।
• रात में अप्सरा के ललए कुछ लमठाई कमरे के बाहर कहीीं भी रखें और सुबह
दे खें लमठाई का रीं ग बदला है या लमठाई गायब है ।
• साधना से पहले हाथ पैर के नाखून कटा दें साफ शरीर कर लें ,दाठी रख
सकते है कोई परे शानी नहीीं है
• शाम को साधना के पहले अिश्य स्नान करें .
• साधना के ददनों में ककसी के घर व्यक्ततगत तौर पर खाना ना खायें और
यदद खाना पडे तो इस बात का विशेष ध्यान रखें की। उस घर में माींसाहार
ना खाते हो।
• दस
ू रे व्यक्तत के कपडें ना पहने ,ककसी को छूऐ नहीीं बेिह ,कम बोले शाींत
रहे ।
• साधना करते समय नयी धोती या टािल लपेटकर साधना करें ,गींदे या पुराने
कपडे ना पहने ,तयोंकक हर रोज नये कपडें नहीीं खरीद सकते इसललए टािल
या लूींगी लपेटकर कर साधना करें ददन में टािल धो ले रात को कफर लपेट
लें टािल मोटा नहीीं पतला पीला या सफेद खरीद लाये।
• साधना काल मे ककसी दस
ू री स्री के ख्याल मे डूबने की गलती ना करें ,रात्रर
में जाप से पहले या बाद में ककसी स्री से फोन पर बात ना करें अप्सरा
आपके पास ही होती है िरना िह आपको दस
ू री स्री के तरफ मन लगा दे गी
ओर साधना भींग हो जाऐगी।
सामग्री

• गणेश जी का बचत्र,गुरु जी या बशि जी का बचत्र,अप्सरा का बचत्र


• सफे द कपडा गणेश ि गरुु िाली चौकी के बलए
• लाल कपडा अप्सरा की चौकी के बलए
• 2 चौकी अप्सरा ि गुरु, गणेश जी के बलए
• हल्दी, चन्दन, कुमकुम चािल बिलक के बलए
• फूल – सुगंबधि गुलाि या कोई भी सुगंबधि फूल रोज चढाने के बलए
• कलािा- िस्त्र के रुप में चढाने के बलए
• चािल – रोज लगाने के बलए
• इत्र - चढाने के बलए
• सफे द मािे की बमठाई – रोज 2 पीस
• घी का दीपक , धूपित्ती – रोज जलाने के बलए
• िािें का लोटा ि चम्मच – रोज जल अबपिि करने के बलए
• सफे द िस्त्र ि आसन – बिछाने ि पहनने के बलए
• लाइटर – जलाने के बलए
• दिू ाि घास – गणेश जी को अबपिि करने के बलए
• नयी स्फबटक माला स्िि: जाग्रि – रोज मंत्र जाप के बलए
• गौमख
ु ी – माला ढकने के बलए मत्रं जाप के समय
साधना का समय व र्िन व र्िशा
• साधना का समय – राबत्र 10 िजे रोज
• साधना का बदन – शक्र
ु िार
• बदशा – उत्तर बदशा

र्वधध व र्वधान

1- आप आसन को प्रणाम करें गे और बैठ कर मींर पढें ।

मींर

मन मार मैदान करीं ।

करीं मैं चकनाचरू ।

पाींच महे श पर आज्ञा करें ।

तो बैठे आसन पुर ।।

2- अब सुरक्षा मींर 11 बार पढ कर 3 बार जोर से ताली बजायें।

मींर

ऊाँ काली काली महाकाली ।

इन्र की िेटी, ब्रह्मा की साली ।


उड िैठी पीपल की डाली ।
दोनों हाथ िजाने िाली ।
जहां जाये िज्र की िाली ।
िहााँ न आिे दश्ु मन हाली ।
दहु ाई कामरू कामाक्षा नैना योबगनी की ।
ईश्वर महादेि गौरा पािििी की ।
दहु ाई िीर मसान की ।।

3- अब उल्टे हाथ में जल लेकर सीधे हाथ के पाींचो उीं गललयों को दबाए और
मींर पढें ।

मींर

ॐ अपविर: पविरो िा सिायिस्थाीं गतोSवप िा।

यः स्मरे त पुण्डरीकाक्षीं स बाह्याभ्यन्तर: शुचच: ॥

ॐ पन
ु ात पींड
ु री ।

ॐ पुनात पुींडरी काक्षाय ।

ॐ पुनात पू ।।

4- अब उस जल को सामग्री और लसर छछडके।


5- अब 3 बार मींर बोलकर 3 बार जल वपयें।
मींर
ॐ केशिाय नम:
ॐ माधिाय नम:
ॐ नारायणाय नम:
6- अब सीधे हाथ के अींगठ
ू े से 2 बार होठ पोछकर।
7- अब हाथ धोयें जल से और साथ में मींर पढे ।
मींर

ऊँ हररकेशाय नम:

8- लशखा िींदन – मींर बोलते हुए लशखा( चोटी) को छुए।

मींर
ऊँ चचद्रवू पणण महामाये!

ददव्यतेज:समक्न्िते।

छतष्ठ दे वि लशखामध्ये तेजोिद


ृ चधीं कुरुष्ि मे ॥

9- चींदन छतलक – अब स्िींम को छतलक करें ि चािल लगािे

मींर

ऊँ चन्दनस्य महत्पुण्यीं,

पविरीं पापनाशनम।

आपकदाीं हरते छनत्यीं,

लक्ष्मीक्स्तष्ठछत सियदा॥

10- भूलम पूजन -अपने सीधे हाथ में जल लेकर मींर पढे उसके बाद उस
जल को जमीन पर चगरायें । लेककन एसे कक थोडा जल आसन पर भी चगरें ।

मींर –

ऊँ पथ्
ृ िी! त्िया धत
ृ ा लोका दे वि!

त्िीं विष्णुना धत
ृ ा।

त्िीं च धारय माीं दे वि!

पविरीं कुरु चासनम॥

11- अब दीपक जलायें। दीपक को बिलक करें चािल लगायें। ि फूल ि बमठाई चढाये।
12- गणपछत का पज
ू न करें ।
मींर
िक्रतुण्ड महाकाय सूयक
य ोदट समप्रभ।छनवियघ्नीं कुरु मे दे ि सियकायेषु सियदा॥

सिय मींगल माींगल्ये लशिे सिायथयसाचधके शरण्ये रयींबके गौरी नारायणण


नमोअस्तुते।।

ॐ श्री गायरयै नम:।

ॐ लसदचध श्रीमन्महागणाचध पतये नमः ।

ॐ लक्ष्मीनारायणाभ्याीं नम:।

ॐ उमामहे श्ि॒ राभ्याीं नम:।

ॐ िाणीदहरण्यगभायभ्याीं नम:।

ॐ शचीपुरन्दराभ्याीं नमः।

ॐ सिेभ्यो दे िेभ्यो नम: ।

ॐ सिेभ्यो ब्राह्मणेभ्यो नमः।

ॐ स्थान दे िताय: नम: |

ॐ स्थान दे िीय नम: |

ॐ क्षेर दे िताय: नम: |

ॐ क्षेर दे िीय नम: |

ॐ कुल दे िताय: नम: |

ॐ कुल दे िीय नम: |

13. अब इस मींर का 11 िार जप करें


मींर
ॐ भ्रीं भैरिाय नमः ।।
14. अि गणेश जी का पूजन करें ।
• हल्का सा पैरो पर जल चढाये बोलें - स्नानीं समपययालम।
• छतलक करें हल्दी सें
• चािल चढाये, और बोले – आक्षतान समपययालम।
• पुष्प चढाये बोलें- पुष्पाणण समपययालम।
• धूप ददखायें बोले – धूपम आधायपयालम।
• दीपक ददखायें बोले - दीपक दशययालम।
• लमठाई ि दि
ू ाय घास दोनों थोडी- थोडी चढाये बोलें – नैिेदयीं छनिेदयालम।
• अब जल चढाये – जलीं समपययालम ।
15. गुुरु पुजन करें । गुरु का बचत्र न हो िो भगिान बशि का बचत्र रखें।
मींर
ॐ गुरु ब्रह्मा गुरुवियष्णुः: गुरुदे िो महे श्िर:।
गुरु: साक्षात पर ब्रह्म तस्मै श्रीगुरुिे नम: ॥
ॐ श्री गुरु चरणकमलेभ्यो नमः।
ऊँ श्री गरु
ु िे नमः।
आिाहयालम ।
स्थापयालम ।
ध्यायालम।
• हल्का सा पैरो पर जल चढाये बोलें - स्नानीं समपययालम।
• छतलक करें चन्दन सें
• चािल चढाये, और बोले – आक्षतान समपययालम।
• पुष्प चढाये बोलें- पुष्पाणण समपययालम।
• धूप ददखायें बोले – धूपम आधायपयालम।
• दीपक ददखायें बोले - दीपक दशययालम।
• लमठाई थोडी चढाये बोलें – नैिेदयीं छनिेदयालम।
• अब मींर बोलकर जल चढाये – जलीं समपययालम।
16. अब अपने सींकल्प को पण
ू य करने की प्राथयना करें ।

अब गणेश जी, गरु


ु दे ि, लशि जी, माँ पाियती, अपने ईष्ट, अपने वपर, इन्द्र दे ि,
कुबेर दे ि सभी का ध्यान करें और प्राथयना करें । कक िो आपकी साधना को सफल
बनाये और आपकी मनोकामनाएीं पूणय करें ।

17. अब सींकल्प लें


• सीधे हाथ में जल ि चािल लेकर उल्टा हाथ सीधे हाथ के नीचे रखें और
बोले। बाद में िो जल और चािल कलश में जो अनाज हैं उसी में डाल दें ।
• सींकल्प लसफय पज
ू ा के प्रथम ददन ही लेना हैं।
• मैं ___________(अपना नाम) _____गोर मे जन्मा ______ आपके
वपता का नाम________का पुर/ पुरी__________छनिासी _________.
• आज भगिान शींकर और माता पाियती,दशों ददशाओीं को, अक्नन दे ि जल दे ि
ि सभी दे िी-दे िताओीं को साक्षी मानते हुए अपने गुरुदे ि (अपने गुरु का
नाम अगर गुरु नहीीं है तो लशि जी का नाम ) की आज्ञा से प्राप्त मींर का जाप
21 ददन 1 माला करुगाीं। और 5 माला “ ऊँ नमः लशिाय ” की करुगाीं। अप्सरा
की प्रत्यक्ष लसदचध ि अप्सरा की इच्छा अनुसार क्जस रप में रहना चाहे ।क्जससे मझ
ु े
ि मेरे पररिार को कभी कोई हाछन न हो ऐसी इच्छा के ललए प्रथम गणपती पूजन
कफर गुरु पूजन कफर अप्सरा पूजन के साथ अप्सरा के मींरी का जाप कर रहा हूँ।
महादे ि माँ पाियती ि सभी दे िी दे िता मेरी यह विनती को स्िीकार करें । मेरी साधना
को सफल बनायें।
18. अब जल और चािल जमीन पर छोड दीक्जये। यह संकल्प बसफि प्रथम बदन ही लेना हैं।
19. अब अप्सरा का ध्यान करें और सोचे की िो आपके सामने है और बोले।
• हे दे िी मैं तो अज्ञानी हूँ। मझ
ु े न मींर का ज्ञान हैं न ही तींर का ज्ञान हैं न
ही कोई विचध विधान का पता हैं दे िी आप तो सब जानती हैं। आप समस्त
सींसार को मोहने िाली हैं। आप के िास्तविक शरीर की में तो कामना भी
नहीीं कर सकता। आपकी सन्
ु दरता की पराकाष्ठा हैं ।है दे िी आपके जो िस्र
धारण करती हैं उसमें से अदभुत प्रकाश छनकला है । क्जस प्रकार से मेरा मन
ि सम्पूणय कक्ष प्रकाश मान हो जाता हैं।आपके आते ही समस्त कक्ष में
सग
ु धींता की लहर दौड उठती हैं। ऐसी दे िी को आपका साधक प्रणाम करता
हैं। ये आग्रह करता हैं। कक हे दे िी आप अपने इस चचर में आकर
विराजमान होईये। क्जसे आपका ये साधक परू ी भक्तत भाि से आपका पूजन
ि साधना कर सकें। और आपकी करुणा पा कर आपनी साधना में सफल हो
सके। हे दे िी अपने साधक का आिाहन स्िीकार करे दे िी।
20. अब अप्सरा का पूजन करे ।
• अब जल चढाये – स्नानीं समपययालम ।
• अब कलािा चढाये – िस्रमू समपययालम।
• गुलाब का इर चढाये : गन्धम समपययालम
• कफर चािल (त्रबना टुटे ) : अक्षतान समपययालम
• पुष्प : पष्ु पाणण समपययालम
• धूप : धूपम आध्रापयालम
• दीपक (दे शी घी का) : दीपकीं दशययालम
• लमठाई से पुजा करें नैिेदय॑ छनिेदयालम
• कफर पुजा सामप्त होने पर सभी लमठाई को स्ियँ ही ग्रहण कर लें।
21. अब (“ ऊँ नमः लशिाय ”) की 5 माला करें ।
22. अब अप्सरा मींर की 1 माला करें ।
मींर

“ ओम नमो आदे श गुरु आदे श गुरु जी के मह


ु ीं में ब्रह्मा उनके मध्य में
त्रबष्णु और नीचे भगिान महे श्िर स्थावपत हैं। उनके सारे शरीर में सियदेि
छनिास करते हैं, उनको नमस्कार । गगनमींडल में घुघरओीं की झींकार और
पाताल में सींगीत की लहर । लहर में रीं भा अप्सरा के चरण । चरण में
चथरकन, चथरकन में सपय, सपय में कामिासना, कामिासना में कामदे ि,
कामदे ि मे भगिान लशि । भगिान लशि ने यौिन गबिििा अप्सरा को जमीन पर
उतारा, शमशान में धूनी जमाई । यौिन गवियता अप्सरा ने नत्ृ य ककया ।
सात दीप निखण्ड में फूल णखले, डाली झम
ू ी । परू ि , पक्श्चम , उत्तर,
दक्षक्षण आकाश पाताल में सब मस्त भये । मस्ती में एक ताल दो ताल तीन
ताल । मन में दहलोर उठी , दहलोर में उमींग, उमींग मे ओज, ओज में
सन्
ु दरता, सन्
ु दरता में चन्द्रमख
ु ी , चन्द्रमख
ु ी में शीतलता,शीतलता में सग
ु न्ध
और सुगन्ध मे मस्ती । यह मस्ती यौिन गवियता अप्सरा की मेरे मन भाई
। यह मस्ती मेरे सारे शरीर में अींग अींग में लहराई यौिन गवियता अप्सरा
इन्द्र की सभा छोड मेरे पास आिे । मेरी वप्रया बने, हरदम मेरे साथ रहे ,
जो कहूीं सो पूरी करे , सोचू तो हाजर रहे , यदद ऐसो न करें तो दस अितार
की दह
ु ाई । बारह सूयय को बज्र, तैतीस कोदट दे िी दे िताओीं की आण ।
मेरी मन चढे अप्सरा का मेरो जीिन श्रींग
ृ ार को । मेरी आत्मा उसके रुप को
। और में उसको, िह मेरे साथ रहे । धन यौिन सम्पवत्त सुख दे । कदहयो
करें हुतम माने, रप यौिन भार से लदी मेरे सामने रहे । जो ऐसा न करे तो
भगिान लशि को त्ररशल
ू और इन्द्र का बज्र उस पर पडे ।।”
13. अब जप अप्सरा को समवपयत करें ।
• हे देिी ये जप में आपके चरणों में समबपिि करिा हाँ। मेरा जप स्िीकार करें देिी ।।
14. अब 30 लमनट तक ध्यान करें ।
ध्यान
• ध्यान मैं यह सोचें आपके बदल के अन्दर कमल बखल रहें। उस कमल से आपकी अप्सरा बनकल रही हैं जैसी
अप्सरा आपके बचत्र में िैसी ही छबि िनायें। और उनसे मन ही िाि करें और जहााँ आपकी अप्सरा है कमल के
पास िहााँ का िािािरण िहुि सुन्दर िनाये अपने बहसाि से जैसे – फूलो से सोने से बजससे भी मन हो। इस िरह से
कम से कम 30 बमनट िक ध्यान करें । ज्यादा बकिना भी कर सकिे हैं।

15. जप के बाद गलछतयाँ हो गयी हों , उनके ललए हाथ जोडकर क्षमा प्राथयना
करें

मींर

ऊँ आिाहनीं न जानालम न जानालम विसजयनम |

पज
ू ाीं चैि न जानालम क्षमस्ि परमेश्िरी ||

मींरहीनीं कक्रयाहीनीं भक्ततहीनीं सुरेश्िरी |

यत्पूक्जतीं माया दे िीं पररपूणय तदस्तु में ||

क्षमा याचचना समपययालम ।

36. अब आसान के नीचे थोडा सा जल डालकर माथे से लगायें। ि आसन को


प्रणाम करें । मींर बोलकर आसन से उठें । और साथ में आसन उठायें ।
मत्रं
हरर ऊँ तत्सत।।
शीघ्र सफलता पाने के उपाय

• ब्रह्मचयि का पालन साधना शुरू करने से 15 बदन पहले ही शुरू कर दें।


• साधना शरू ु करने से 15 बदन पहले ही त्रात्रक करना शुरू कर दें अप्सरा बचत्र पर।
• साधना शुरू करने से 15 बदन पहले ही अप्सरा बचत्र को ध्यान में िनाने लगें।
• जि भी फ्री हो ( नम: बशिाय ) का मानबसक जाप करिे रहें बजिना ज्यादा हो सकें ।
• सोिे समय पलक िन्द करके अप्सरा की छबि िनाने का प्रयास करें ।
• अपनी साधना को गुप्त रखें बकसी को न ििायें बक आप क्या कर रहें हैं ।
• अपने अनभु ि बसफि गरुु या बजसने बिबध दी उसके अलािा बकसी को भी न ििायें ।
• साधना शुरू करने से 15 बदन पहले और साधना खत्म होने के 15 बदन िाद िक लहसुन प्याज मांस मबदरा ि
सम्भोग और कामुकिा भरी चीजों से दरू रहें।
• माला को हमेशा ढक कर जाप करें ।
• साधना के समय में जमीन पर बिस्िर बिछाने कर सोयें।
• नयी स्फबटक माला स्िि: जाग्रि करें ।
• थोडी सी भोग िाली बमठाई खुले में रखे साधना से उठने के िाद और सुिह देखे बमठाई गायि या उसका रंग
पररिबििि िो नहीं हुआ। अगर ऐसा 2 या 3 बदन लगािार हो िो बजसने बिबध दी है उसे ििायें।
• साधना हमेशा बनबिि समय पर शुरू करनी चाबहए।
• साधना शक्ु ल पक्ष के प्रथम शुक्रिार या बिशेष मुखि पर शुरू करनी चाबहए।
• बदशा उत्तर होनी चाबहए।

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