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यौवन गर्विता अप्सरा – यह अप्सरा साधना आपको हमारे चैनल साधना ज्ञान के माध्यम से दी जा
रही हैं। अगर कोई भी इस साधना को बिना हमारी अनुमबि के करे गा या इस साधना की बिबध को यहााँ िहााँ
िेचेगा या देगा। अगर बकसी व्यबि को बकसी भी प्रकार की हाबन होिी है िो उसका बजम्मेदार िो व्यबि स्ियं
होगा। इसमें हमारा चैनल ि हमारे चैनल से जुडा कोई ा़ भी व्यबि बकसी िरह से बजम्मेदार नहीं होगा। इस बिबध
में कुछ बिबधयााँ गुप्त हैं। जो हमारे द्वारा ही सम्पन्न करके ही बिबध दी जािी हैं।
र्वधध व र्वधान
मींर
मींर
3- अब उल्टे हाथ में जल लेकर सीधे हाथ के पाींचो उीं गललयों को दबाए और
मींर पढें ।
मींर
ॐ पन
ु ात पींड
ु री ।
ॐ पुनात पू ।।
ऊँ हररकेशाय नम:
मींर
ऊँ चचद्रवू पणण महामाये!
ददव्यतेज:समक्न्िते।
मींर
ऊँ चन्दनस्य महत्पुण्यीं,
पविरीं पापनाशनम।
लक्ष्मीक्स्तष्ठछत सियदा॥
10- भूलम पूजन -अपने सीधे हाथ में जल लेकर मींर पढे उसके बाद उस
जल को जमीन पर चगरायें । लेककन एसे कक थोडा जल आसन पर भी चगरें ।
मींर –
ऊँ पथ्
ृ िी! त्िया धत
ृ ा लोका दे वि!
त्िीं विष्णुना धत
ृ ा।
11- अब दीपक जलायें। दीपक को बिलक करें चािल लगायें। ि फूल ि बमठाई चढाये।
12- गणपछत का पज
ू न करें ।
मींर
िक्रतुण्ड महाकाय सूयक
य ोदट समप्रभ।छनवियघ्नीं कुरु मे दे ि सियकायेषु सियदा॥
ॐ लक्ष्मीनारायणाभ्याीं नम:।
ॐ िाणीदहरण्यगभायभ्याीं नम:।
ॐ शचीपुरन्दराभ्याीं नमः।
15. जप के बाद गलछतयाँ हो गयी हों , उनके ललए हाथ जोडकर क्षमा प्राथयना
करें
मींर
पज
ू ाीं चैि न जानालम क्षमस्ि परमेश्िरी ||