You are on page 1of 4

शशिव साधना/ भैरव साधना

माला-रूद्राक्ष ,यंत -आवशयकता नहीं हीै

शशिवजी की फिोटोो,शशिवललंग यददि हीो तो ,

साधना अवधध -1 ददिन ,या 21 ददिन 51 ददिन या साधक के जप सं्या अनु सास,

जय शशिव शिंकस जय महीादिे व, भगवान शशिव की साधना एक उच् कोदटो की साधना हीै इन साधना को
कसने वाले साधक यददि मनु ुय जीवन मे शसफिर एक बास भी यददि यही साधना कस ले तो उसे अक्षय प ु पय
की पारापपत हीोती हीै वही सो् भी नहीं सकता उसे जीवन के बादि ककन उच् लोको मे उथान धमल सकता
हीै, भगवान शशिव की साधना मे सबसे महीतवप पूर शशिवललंग का उथान हीोता हीै इसशलए आप के घस मे
कोई भी शशिवललंग उप लबध हीो उसका उप योग साधना मे कस सकते हीै इस साधना मे यादिा कवधध
कवधान नहीं हीै कययोकक यही महीाशिश् प समकप ता प समातमा की साधना हीै संसास की सासी शिश्ययो के
शसध्दिीयो के ज्मम दिाता हीै शशिव इनको शस् नहीं ककया जा सकता इसशलए संकपप लेते समय शसफिर
शशिवजी की कृप ा पापत कसने की पाथरना कसना ्ाकहीए.

ककसी भी शिु कल प क्ष के सोमवास के साती 11 बजे से सु बही 4 बजे के मध्य इनकी साधना कसना हीै
उत्तस ददिशिा की ओर स ्हीसा कसके.

सामगी शशिवललंग का अभभेेक कसने के शलए दध दिहीी घी शिहीदि कबपवप त धतपसा फिल शेताकर फिपल,
रूद्राक्ष माला, भैसव यंत ,दिीप क, बाकी जो भी आप शशिवजी को ्ढा़ना ्ाहीे….

आसन प ीला, या जो भी उप लबध हीो घस मे,जाप सं्या सवा लाख से प ाँ् लाख के बी् जजतनी
साधक कसना ्ाहीे उतने का संकपप ले, साधना मे गूेशि जी, प ावरती जी, भैसव जी गु र के प पजन के
बादि शशिवललंग प पजन कसने के बादि रूद्रा्क का प ाष कसके जाप कस सकते हीै

अब अप नी शिु धध्दि के शलए आ्मन कसे

हीाथ मे जल शलए हए आप इन मंतयो के साथ ध्यान कसे ॐ केशिवाय नम: ॐ नासाूाय नम: ॐ माधवाय नम:
ॐ हेीकेशिाय नम: औस जल को तीन बास मे तीन बपंदि प ीये इस पकास आ्मन कसने से आप शिु ध्दि हीो
जाऐंगे,सामगी अप ने प ास सख लें बाये हीाथ मे जल लेकस, उसे दिाकहीने हीाथ से ढक लें मंतोच्ासू के साथ
जल को शसस, शिसीस औस प पजन सामगी प स धछिक ले या प ु ुप से अप ने ऊप स जल को धछिकें

इस म्मत को बोलते हए सभी सामकगययो प स जल धछिके ऐसा कसने से सामगी के सभी अशिु धध्दिया दस हीो जाती
हीै इस मंत का उप योग सभी प पजन औस साधनाओर मे सामकगययो को शिु ध्दि कसने मे कस सकते हीै - ॐहं कतप ु दटो
कतप ु दटो कष कष आभभ्ाकसक-दिोें कीटोप तंगाददिउप ृ्दिोें ककयाददिदकेतं हीन हीन नाशिय नाशिय शिोेय शिोेय हं
फिटो् उवाहीा.

ॐ अप कवतत प कवतो वा सवारवउथां गतोऽपपकप वां

यत उमसेत् प ु पिसीकाक्षं स बाहायाय्मतसत शिु ध्तच


(कनमनशलधखत मंत बोलते हए शशिखा को गांष लगाये / उप शिर कसे)

ॐ ध्द्रपकप भू महीामाये! ददिव्यतेजतसमराप्मवतें कतठ दिे कव!

शशिखामध्ये तेजोवृद्ं कु रुव मेच

(अप ने माथे प स कु ंकु म या ््मदिन का कतलक कसे)

ॐ ््मदिनउय महीतप ु पयं, प कवतं प ाप नाशिनम्ं

आप दिां हीसते कनतयं, लक्ष्मीसउतठकत सवरदिाच

(अप ने सीधे हीाथ से आसन का कोना छु ए औस कहीे)

ॐ प ृथवी! तवया धृता लोका दिे कव! तवं कवुूु ना धृतां तवं ् धासय मां दिे कव! प कवतं कु र ्ासनम्च

संकपप :- दिाकहीने हीाथ मे जल लें मै ……..अमु क……… गोत मे ज्ममा,……… ………. यहीाँ आप के कप ता का
नाम………. ……… का प ु त……………………….. कनवासी…………………..आप का प ता……………………….
आज सभी दिे वी-दिे वताओ को साक्षी मानते हए शशिवजी की प ु जा, गूप ती औस गु र जी की प ु जा शशिवजी की
कृप ा पारापपत के शलए कस सहीा हँ जल औस सामगी को छोि दिे ं

गूप कत का प पजन कसें

सवर मंगल मांगपये शशिवे सवारथरसाधधकें शिसपये तयंबके गौरीसी नासायभू नमोअउतु ते ॐ श्री गायतयै नमतं ॐ
शसज् बु ज्सकहीताय श्रीम्ममहीागूाधध प तये नमतं ॐ लक्ष्मीनासायूायायां नमतं ॐ उमामहीेशसायायां नमतं ॐ
वाूीकहीसपयगभारयायां नमतं ॐ शि्ीप ु स्मदिसायायां नमतं ॐ सवर्यायो दिे वेयायो नमतं ॐ सवर्यायो ारूेयायो नमतं

भैसव जी के यंत को शशिवललंग के प ास साधक के दिाकहीने हीाथ प स उथाकप त कसके उसप स लसंदस ्ढा़कस व फिपल
्ढाकस यही मंत बोले 2 से 5 बास बस- ॐ भ्रं भैसवाय नमत

कफिसं गु र प ु जन कस ले

ॐ गु र ररा गु रुवंुूु त गु रदिर् वो महीेशसतं गु रत साक्षात प स र तउमै श्रीगु सवे नमत च ॐ श्री गु र
्सूकमलेयायो नमतं ॐ श्री गु सवे नमतं आवाहीयाधम, उथाप याधम, ध्यायाधमं

ध्यान

ध्यायेधन्नितय् महीेशिं सजतकगकसकनभं ्ारू्ंद्रावतंसं ,


सतनाकपप ो व्लाङ्ग प सशिु मग ृ वसाभीकत हीउतं पसन्निम् !
प द्मासीनं सम्मतात् उतु तममसगूैव्याघकृलत्तं वसानं,
कवशवाध्यम कवशवध्यम कनधखल भयहीसं प ्वकतं कतनेतं !
ॐ श्री उमामहीेशसायायां नमत आवाहीयाधम, उथाप याधम प पजयाधम !!
श्रीरुद्राष्टकम् च

नमामीशिमीशिान कनवारूरूप ं कवभु ं व्याप कं रवेदिउवरूप म् ं

• कनजं कनगु रूं कनुवंकपप ं कनसीहीं ध्दिाकाशिमाकाशिवासं भजेऽपपहीम् च ाच

कनसाकासमयोकासमपलं तु सीयं कगसा ्ान गोतीतमीशिं कगसीशिम् ं

• कसालं महीाकाल कालं कृप ालं गु ूागास संसासप ासं नतोऽपपहीम् च २च

तु ेासादद्र संकाशि गौरीसं गभीसं मनोभपत कोदटोपभा श्री शिसीसम् ं

• उफिु स्ममौरीशल कपलोशलनी ्ार गङ्गा लसदालबाले्म् कपषे भु जङ्गा च ॥च

्लतकु पिलं भ्रप सु नेतं कवशिालं पसन्निाननं नीलकपषं दियालम् ं

• मृगाधीशि्मारमबसं मु पिमालं कपयं शिंकसं सवरनाथं भजाधम च •च

प्पिं पकृ्ं पगपभं प सेशिं अखपिं अजं भानु कोदटोपकाशिम् ं

• तयत शिपल कनमपरलनं शिपलप ािूं भजेऽपपहीं भवानीप नतं भावगमयम् च तिंूच

कलातीत कपयाू कपप ा्मतकासी सदिा स जनान्मदिदिाता प ु सासी ं

• ध्दिान्मदि संदिोही मोहीाप हीासी पसीदि पसीदि पभो म्ममथासी च च

न यावत् उमानाथ प ादिासकव्मदिं भज्मतीही लोके प से वा नसाूाम् ं

• न तावत् सु खं शिाराप्मत स्मताप नाशिं पसीदि पभो सवरभपताधधवासम् च च

न जानाधम योगं जप ं नैव प पजां नतोऽपपहीं सदिा सवरदिा शिमभु तु यायम् ं

• जसा ज्मम ्तखौरीघ तातपयमानं पभो प ाकही आप न्निमामीशि शिमभो च ८च

रद्रा्कधमदिं पो्ं कवपेू हीसतोेये ं

ये प षराप्मत नसा भकतया तेेां शिमभु त पसीदिकत च

इकत श्रीगोउवाधमतु लसीदिासकृतं श्रीरद्रा्कं समप पूरम् च

अब ऊँ नमःशशिवाय मंत का जाप कसे, जाप का दिशिांशि हीवन पकतददिन कसे या कम से कम 108 आहकत ऊँ
नमत शशिवाय की कसे ,व तप रू ,माजरन कसे

जो साधक भैसव साधना कस सहीे हीै वही ऊँ भं भैरवाय नमः, यही मंत आप को ककसी भी शिु भ मु हतर मे उतकीलन
कसके जाप शिु रू कस सकते हीै वैसे तो इसे शसफिर एक साकत भैसव यंत के सामने जप ने से भी शसध्दि हीो जाता हीै
कफिस भी आप कभी भी इसे जप सकते हीै
ककसी भी शिु कल प क्ष के सकववास को साती मे गूेशि औस गु र प पजन कसे कफिस भैसव यंत के सामने इस मंत का
जाप कसे 51 माला औस सु बही हीोने से प हीले भैसव यंत को लाल कप िे मे लप ेटोकस घस के मु ्य ास प स बांध
दिे ना ,इसके बादि समझना की उवयं भैसव जी आप के घस की सक्षा कसेगे औस जैसे जैसे हीवा इस कप िे से टोकसा
कस घस के अंदिस आऐगी घस से नकासातमक पभाव खतम हीोता जाऐगा ओर स धन सु ख बढता जाऐगा ,ककसी भी
पकास का तानतंक पयोग आप के प कसवास के ककसी भी सदिउय प स नहीं हीोगा ,ना नजस लगेगी,हीस साल नया
कप िा बांध दिे औस एक साकत की साधना उसी यंत से हीस साल मे एक बास कसते सहीे , यंत पाूपकतठा अ्मय यंतयो
के जेसे हीी हीोगी माला आप रद्राक्ष की उप योग कस सकते हीै 51 माला जाप कसने प स लगभग 5 माला हीवन 1
माला तप रू,11 बास माजरन औस 1 ारू या क्मया को भोजन कसाये या सीधे मंददिस मे दिान कसे .जय श्री कृुू

इसके बादि दिौरीबासा रूद्रा्क का प ाष कसके उथान से उषा जा सकता हीै,यददि साधना मे ्ढाई सामकगययो को
पकतददिन एककतत कस सखे व आधखस ददिन एक साथ कवसजरन कस आये……

You might also like