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सॊकटों के फीच वे गयते सदय।

है असम्बव कुछ नही उनके लरए


सयर सॊबव कय ढ़दियते वे सदय।
मह असॊबव कयमयों कय शव्द है
कहय थय नेऩोलरमन ने एक ढ़दन।
सच फतयऊॉ क्जॊदगी ही व्मथि हैं,
दऩि बफन उत्सयह बफन औय शक्क्त बफनय।
1.कभिवीयों को ककसकी ऩयवयह नहीॊ होती ?
2. कभिवीय सॊकट को दे िकय क्मय कयते है ?
3. असॊबव शब्द कय प्रमोग कौन कयतय है ?
4. असॊबव कयमयों कय शब्द है – ककसने कहय थय ?
5. कपवतय भें कौन सय सभयस यस प्रवयढ़हत है ?
वमाकयण
यर्ना के आधाय ऩय वाक्म-बेद
भनुष्म के पवचययों को ऩूणत
ि य से प्रकट कयने वयरय ऩद सभूह, जो व्मवक्स्थत हो वाक्म कहरयतय है । वयक्म सयथिक
शब्दों कय व्मवक्स्थत रूऩ है ।
वयक्म भें आकयॊऺय, मोग्मतय औय आसक्क्त कय होनय आवश्मक है ।
आकाॊऺा – वयक्म के एक ऩद को सन
ु कय दस
ू ये ऩद को सन
ु ने मय जयनने की जो स्वयबयपवक उत्कॊठ जयगती है , उसे
आकयॊऺय कहते हैं। जैसे – ढ़दन भें कयभ कयते हैं।
इस वयक्म को सुनकय हभ प्रश्न कयते हैं- कौन रोग कयभ कयते हैं ? मढ़द हभ कहें कक „ ढ़दन भें सबी कयभ कयते हैं, तो
„सबी‟ कह दे ने के प्रश्न कय उत्तय लभर जयतय है औय वयक्म ठीक हो जयतय हैं। अत् इस वयक्म भें „सबी‟ शब्द की
आकयॊऺय थी क्जसकी ऩूनति से वयक्म ऩूयय हो गमय।
मोग्मता – मोग्मतय से तयत्ऩमि है - ऩदों के अथि फोधन की सयभर्थमि। जैसे- ककसयन रयठी से िेत जोततय है ।
उस वयक्म भें „रयठी‟ के स्थयन ऩय „हर‟ कय प्रमोग होनय चयढ़हए क्मोंकक „हर िेत जोतने के प्रसॊग भें अथिफोधक की
ऺभतय सयभर्थमि यितय हैं।
सॊधध – वयक्म के शब्दों को फोरने मय लरिने भें ननकटतय होनय आवश्मक हैं।
रुक – रुककय फोरे गए शब्द मय लरिते सभम ठहययव ढ़दिने के लरए पवययभ धचन्हों कय प्रमोग न कयने से अथि भें
फयधय ऩड़ती है । इस प्रकयय अथि तबी ननकरतय है , जफ अॊश सभधु चत सभम-सीभय भें ही फोरे जयएॉ।
इस शति को सननधध कहते हैं।
वाक्म के घटक
वयक्म के भूर औय अननवयमि घटक हैं – 1. कतयि 2. कक्रमय
इनके अनतरयक्त वयक्म के अन्म घटक बी होते हैं- पवशेषण, कक्रमय- पवशेषण, कययक आढ़द इन्हें ऐक्च्ऺक कहय जयतय
है ।
1. उददे श्म 2.पवधेम
1. उददे श्म - क्जसके पवषम भें कुछ कहय जयए। (1. कतयि 2. कतयि कय पवस्तयय)

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2.पवधेम – उददे श्म के पवषम भें जो कुछ कहय जयम। (1. कक्रमय, 2. कक्रमय कय ऩूयक , 3. कभि/ऩूयक, 4. कभि/ऩूयक कय
पवस्तयय , 5. अन्म कययकीम ऩद औय उनकय पवस्तयय)
उदे श्म औय पवधेम को इस प्रकयय सभझय जय सकतय है ।
यर्ना की दृष्टट से वाक्म – बेद
यचनय की दृक्ष्ट से वयक्म के तीन प्रकयय हैं –
1. सयर मय सयधययण वयक्म
2. सॊमुक्त वयक्म
3. लभश्र मय जढ़टर वयक्म
1. सयर मा साधायण वाक्म – इसभें एक मय एक से अधधक उददे श्म औय एक पवधेम होते हैं अथवय क्जस वयक्म भें एक
ही भुख्म कक्रमय हो, उसे सयर मय सयधययण वयक्म कहते हैं। जैसे –
1. वह ज़ोय-ज़ोय से योमय।
2.भैं औय भेयय बयई ढ़दल्री जयएॉगे।
3. वे हय ढ़दन दध
ू ऩीते हैं।
4. भोहन घय जय यहय होगय।
5. वह अत्मयचयय ककए जय यहय थय
6.ऩयककस्तयन वषों से आतॊकवयद पैरयए जय यहय हैं।
उक्त वयक्मों भें ये ियॊककत कक्रमयएॉ भुख्म कक्रमयएॉ हैं।
ध्मयन दें – स्वतॊत्र रूऩ से प्रमुक्त होने वयरय उऩवयक्म बी सयर वयक्म होतय है ।
2. सॊमुक्त वाक्म – दो मय दो से अधधक सयभयन स्तयीम (सभयनयधधकयण) उऩवयक्म ककसी सभयनयधधकय
सभच्
ु चमफोधक अव्मम से जड़
ु े होते हैं – वे सॊमुक्त वयक्म कहरयते है । जैसे –
1. हभ रोग ऩण
ू े घूभने गए औय वहयॉ चयय ढ़दन यहे ।
2. महयॉ आऩ यह सकते हैं मय आऩकय बयई यह सकतय है ।
3. वे फीभयय हैं, अत् आने भें असभथि है ।
ध्मान दें -1 सभयनयधधकयण उऩवयक्म आधश्रत न होकय एक- दस
ू ये के ऩयू क होते हैं।
1. इन उऩवयक्मों कय स्वतॊत्र रूऩ से बी प्रमोग हो सकतय है ।
नोट – क्जन सभुच्चम फोधक शब्दों के दवययय दो सभयन वयक्मयॊशों ऩदों औय वयक्मों को ऩयस्ऩय
जोड़य जयतय है । उन्हें सभयनयधधकययण सभुच्चमफोधक कहते हैं।
जैसे – सुनॊदय िड़ी थी औय अरकय फैठी थी।
इस वयक्म भें „औय‟ सभुच्चमफोधक शब्द दवययय दो सभयन वयक्म ऩयस्ऩय जुड़े हैं।
सभानाधधकयण सभुच्र्मफोधक के बेद - सभयनयधधकयण सभुच्चमफोधक चयय प्रकयय के होते हैं
(क) सॊमोजक- जो शब्दों, वयक्मयॊशों औय उऩवयक्मों को ऩयस्ऩय जोड़ने वयरे शब्द सॊमोजक कहरयते हैं। जैसे –
औय, तथय , एवॊ व आढ़द सॊमोजक शब्द हैं।
(ि) पवबयजक- शब्दों, वयक्मयॊशों औय उऩवयक्मों भें ऩयस्ऩय पवबयजन औय पवकल्ऩ प्रकट कयने वयरे शब्द
पवबयजन मय पवकल्ऩक कहरयते हैं। जैसे- मय, चयहे अथवय, अन्मथय आढ़द।
(ग) पवयोध– दो ऩयस्ऩय पवयोधी कथनों औय उऩवयक्मों को जोड़ने वयरे शब्द पवयोधसूचक कहरयते हैं। जैसे –
ऩयन्तु, ऩय, ककन्तु, भगय, फक्ल्क, रेककन आढ़द।

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(घ) ऩरयणयभसूचक – दो उऩवयक्मों को ऩयस्ऩय जोड़कय ऩरयणयभ को दशयिने वयरे शब्द ऩरयणयभसूचक कहरयते हैं।
जैसे – परत् , ऩरयणयभस्वरूऩ,इसलरए अत् अतएव परस्वरूऩ, अन्मथय आढ़द।
2. लभश्र वाक्म – लभश्र वयक्म भें एक उऩवयक्म स्वतॊत्र (प्रधयन) होतय है । औय एक मय एक से अधधक आधश्रत
उऩवयक्म होते हैं। लभश्र वयक्म के उऩवयक्म व्मधधकयण सभुच्चमफोधक अव्मम से जुड़े होते हैं। जैसे-भैंने
दे ियॉकक फयज़यय भें चहर- ऩहर है ।
इस वयक्म भें दो उऩवयक्म हैं – भैंने दे िय, फयज़यय भें चहर-ऩहर थी। मे दोनों उऩवयक्म „कक‟ व्मधधकयण
सभुच्चमफोधक अव्मम से जुड़े हैं। इनभें –
भख्
ु म उऩवयक्म हैं – भैंने दे िय।
आधश्रत उऩवयक्म है –फयज़यय भें चहर-ऩहर है ।
( लभश्र वयक्म के उऩवयक्म प्रयम् कक, जो, जफ, जहयॉ, क्जसने, ज्मोंही , क्जधय-उधय, जैसे-वैसे , क्जतनय-उतनय,
क्मोंकक, मढ़द तो, तयकक, मदमपऩ –तथयपऩ, अथयित ् भयनो आढ़द व्मधधकयण सभच्
ु चमफोधक अव्मम से जड़
ु े होते हैं।
नोट – ककसी वयक्म के प्रधयन औय आधश्रत उऩवयक्मों को ऩयस्ऩय जोड़ने वयरे शब्द व्मधधकयण सभच्
ु चमफोधक
कहरयते हैं।
वमधधकयण सभुच्र्म फोधक के बेद –व्मधधकयण सभुच्चमफोधक के चयय बेद होते हैं –
(क) कायण सूर्क –दो उऩवयक्मों को ऩयस्ऩय जोड़कय होने वयरे कयमि कय कययण स्ऩष्ट कयने वयरे शब्दों को कायण
सूचक कहते हैं। जैसे- कक, क्मोंकक, इसलरए, चॉकू क , तयकक आढ़द।
(ि)सॊकेत सूर्क –जो मोजक शब्द दो उऩवयक्मों को जोड़ने कय कयमि कयते हैं; उन्हें सॊकेतसूचक कहते हैं। जैसे –
मढ़द तो , जय तो , मदमपऩ –तथयपऩ, मदमपऩ; ऩयन्तु आढ़द।
(ग) उददे श्म सूर्क –दो उऩवयक्मों को ऩयस्ऩय जोड़कय उनकय उददे श्म स्ऩष्ट कयने वयरे शब्द उददे श्म सूचक
कहरयते हैं। जैसे- इसलरए कक , तयकक, क्जससे की आढ़द।
(घ) स्वरूऩ सूर्क –भुख्म उऩवयक्म अथि स्ऩष्ट कयने वयरे शब्द स्वरूऩ सूचक कहरयते हैं। जैसे-मयनन, कक
अथयित, भयनो आढ़द।
प्रधयन व आधश्रत उऩवयक्म की ऩहचयन –
1. प्रधयन उऩवयक्म वह होतय है , क्जसकी कक्रमय भुख्म होती है ।
2. लभश्र वयक्म की भुख्म कक्रमय जयनने के लरए लभश्र वयक्म को एक सयर वयक्म भें रूऩयॊतरयत कयते हैं। जो
कक्रमय रूऩयॊतरयत होने वयरी कक्रमय होगी वही कक्रमय होगी। भुख्म कक्रमय वयरय मह उऩवयक्म प्रधयन
उऩवयक्म होगय।
रूऩयॊतरयत होने वयरी कक्रमय वयरय उऩवयक्म आधश्रत होगय। जैसे „ तुभ ऩरयश्रभ कयते तो अवश्म सपर होते‟।
सयर वयक्म भें रूऩयॊतयण-तुभ ऩरयश्रभ कयने ऩय अवश्म सपर होते। स्ऩष्ट है – महयॉ „ऩरयश्रभ कयते „कक्रमय औय
वयक्मयॊश भें ही है , अत् प्रधयन उऩवयक्म है । „अवश्म सपर होते।‟
लभश्र उऩवयक्म भें आनेवयरे आधश्रत उऩवयक्म के बेद – मे आधश्रत उऩवयक्म तीन प्रकयय के होते है –
(क) सॊऻय उऩवयक्म
(ि) पवशेषण उऩवयक्म
(ग) कक्रमय पवशेषण उऩवयक्म
(क) सॊऻय उऩवयक्म – प्रधयन उऩवयक्म की ककसी सॊऻय ऩदफॊध के स्थयन ऩय आनेवयरय उऩवयक्म सॊऻय उऩवयक्म
कहरयतय है ।
जैसे – गुरूजी ने कहय कक आज ऩस्
ु तक ऩियएॉगे।

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ऩहचयन- महयॉ „आज ऩुस्तक ऩियएॉगे।‟ उऩवयक्म „गुरूजी ने कहय „ उऩवयक्म के कभि के रूऩ भें प्रमुक्त हुआ है ।
सयभयन्मत् भुख्म उऩवयक्म ऩय क्मय प्रश्न कयने से जो उत्तय आतय है वही सॊऻय उऩवयक्म होतय है । उक्त वयक्म भें –
गुरूजी ने क्मय कहय है ? उत्तय लभरेगय- „आज ऩुस्तक ऩियएॉगे „मही सॊऻय उऩवयक्म हैं। मे प्रयम् कक से आयॊ ब कयते हैं।

सॊऻा उऩवाक्म के अन्म उदहायण :


1. सधचन फोरय कक भै भुॊफई जय यहय है । („फोरय„ कक्रमय कय कयमि )
2. जयन ऩड़तय है कक पऩतयजी कुछ फीभयय है । („जयन ऩड़तय है ‟ – कक्रमय कय उददे श्म)
3. इनसे ऩूनछए कक मे कौन हैं ? („मह‟ कय ऩूयक)
4. भुझे पवश्वयस है कक आज अवश्म आएॉगे। (पवश्वयस कय सभयनयधधकययण)
महयॉ ये ियॊककत उऩवयक्म सॊऻय (आधश्रत)उऩवयक्म है , शेष प्रधयन उऩवयक्म है ।

(ि) र्वशेषण उऩवाक्म – भख्


ु म (प्रधयन) उऩवयक्म के ककसी सॊऻय मय सविनयभ शब्द की पवशेषतय फतयने वयरय
उऩवयक्म पवशेषण उऩवयक्म कहरयतय है ।
जैसे –
1. जो दस
ू ये की ननॊदय कयते हैं, वे रोग अच्छे नहीॊ होते।
2. वह ककतयफ कहयॉ है , जो आऩ कर रयए थे।
3. मह वही फयरक है , क्जसे भैंने कर शहय भें दे ियॉथय।
ऩहचयन – भख्
ु म उऩवयक्म ऩय „कौन „ „ककसे „ ककन्हें „ प्रश्न कयने ऩय जो उत्तय आतय है , वही पवशेषण उऩवयक्म होतय
है । अथवय वयक्म के प्रययॊ ब, भध्म मय अॊत कही बी आ सकतय है ।

(ग) क्रिमा – र्वशेषण उऩवाक्म –भुख्म (प्रधयन) उऩवयक्म की कक्रमय के सॊफॊध भें ककसी प्रकयय की सूचनय दे ने वयरय
उऩवयक्म कक्रमय – पवशेषण उऩवयक्म कहरयतय है । जैसे -
1. तुभ वहयॉ चरे जयओ, फस िड़ी है ।
2.जहयॉ-जहयॉ हभ गए, हभययय स्वयगत हुआ।
कक्रमय पवशेषण उऩवयक्म ऩयॉच प्रकयय के होते हैं –
(क) कयरवयचक उऩवयक्म
1. ज्मोंनत भैं स्टे शन ऩहुॉचय, गयड़ी ने लसटी फजय दी।
2. जफ भैं घय ऩहुॉचय तो वषयि हो यही थी।
(ि)स्थयनवयचक उऩवयक्म
1. जहयॉ तुभ ऩिते थे, भेयय बयई बी वहीीँ ऩितय हैं।
2. तुभ क्जधय जय यहे हो, उधय आगे ययस्तय फॊद है ।
3. वहयॊ इस वषि अकयर ऩड़ सकतय है , जहयॉ वषयि नहीॊ हुई।
(ग) यीनतवयचक उऩवयक्म
1. आऩको वैसय ही कयतय है , जैसय भैं कहतय हूॉ।
2. वह उसी तयह िेरेगय, जैसय उसने लसियॉहै।
(घ) ऩरयभयणवयचक उऩवयक्म
1. क्जतनय तुभ ऩिोगे, उतनय सभझ आएगय।
2. वह उतनय ही अधधक थकेगय, क्जतनय अधधक दौड़ेगय।
3. जैसे-जैसे आभदनी फिती जयती है , वैसे-वैसे आवश्मकतयएॊ फिती जयती हैं।

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(ड़) ऩरयणयभ (कयमि-कययण) वयची उऩवयक्म :
1. वह आएगय जरुय क्मोंकक उसको नौकयी की जरूत है ।
2. मही वह आएगय तो कभ फन गयएगय।
3. मदमपऩ तू ऩहरवयन है , तथयपऩ (कपय बी) भुझसे नहीॊ जीत सकतय।
वाक्म रूऩाॊतयण :
1. सयर वयक्म-भोहन ढ़हन्दी ऩिने के लरए शयस्त्री जी के महयॉ गमय है ।
सॊमुक्त वयक्म- भोहन को ढ़हन्दी ऩिनय है इसलरए वह शयस्त्री के महयॉ गमय है ।
लभश्र वयक्म-भोहन शयस्त्री जी के महयॉ गमय है , क्मोंकक उसे ढ़हन्दी ऩिनय है ।
2. सयर वयक्म – भोहन फहुत कभ खिरयड़ी होने ऩय बी कबी अनुतीणि नहीॊ होतय।
सॊमुक्त वयक्म – भोहन फहुत कभ खिरयड़ी है , ककन्तु कबी अनुतीणि नहीॊ होतय।
लभश्र वयक्म –मदमपऩ भोहन फहुत खिरयड़ी है कपय बी कबी अनुतीणि नहीॊ होतय।
3. सयर वयक्म- गड्ढय िोदकय भजदयू चरे गए।
सॊमुक्त वयक्म- जफ भजदयू ों ने गड्ढय िोद लरमय, तफ चरे गए।
लभश्र वयक्म-भजदयू ों ने गड्ढय िोदय औय चरे गए।
प्रश्न :
1. सीभय महयॉ आई औय ये िय फयहय गई। यचनय के आधयय ऩय सही वयक्म बेद क्मय है ?
उत्तय- सॊमुक्त वयक्म
2. उददे श्म भें क्मय सक्म्भलरत होतय है ?
उत्तय- कतयि औय कतयि कय पवस्तयय ।
3.पवधेम के अॊतगित क्मय आतय है ?
उत्तय उददे श्म के पवषम भें जो कुछ कहय जयम। (1. कक्रमय, 2. कक्रमय कय ऩूयक,3. कभि/ऩूयक, 4. कभि/ऩूयक कय पवस्तयय ,
4.यचनय की दृक्ष्ट से वयक्म बेद है ?
उत्तय-यचनय की दृक्ष्ट से वयक्म तीन बेद है ।
5. एक प्रधयन उऩवयक्म औय एक मय एक से अधधक आधश्रत उऩवयक्म होते है :
उत्तय-लभश्र वयक्म कहरयते हैं।
6. स्वतॊत्र रूऩ से प्रमुक्त होने वयरय उऩवयक्म होतय है :
उत्तय- सयर वयक्म
7. ये िय ज्मों ही घय ऩहुॉची वषयि शुरू हो गई।
उत्तय-कक्रमय पवशेषण उऩवयक्म
8. भैंने ियनय नहीॊ ियमय, इसलरए पर नहीॊ ियमय। मह यचनय की दृक्ष्ट से वयक्म कय प्रकयय है
उत्तय-जढ़टर वयक्म ।
9. कर भुझे ढ़दल्री जयनय है औय कपय करकत्तय। यचनय की दृक्ष्ट से वयक्म है :
उत्तय-सॊमुक्त वयक्म
10. वे वहयॊ जयकय बयषण दें गे इसकय सॊमुक्त वयक्म भें रूऩयॊतयण कीक्जमे -
उत्तय- वे वहयॉ जयएॉगे औय बयषण दें गे।
11.यचनय के आधयय ऩय ननम्नलरखित वयक्मों के बेद लरखिए-
1. जो पवधयन होतय है , उसे सबी आदय कयते हैं।
2. भैं चयहतय हूॊ कक तुभ ऩरयश्रभ कयो।

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3. वह आदभी ऩयगर हो गमय है ।
4. जफ ययजय नगय भें आमय, तफ उत्सव भनयमय गमय।
5. अऩनय कयभ दे िों मय शयॊत फैठे यहो।
6. जो ऩत्र लभरय है , उसे शीरय ने लरियॉहोगय।
7. ऑक्स्रलरमय से आए हुए खिरयड़ड़मों को प्रथभ तर ऩय ठहययमय गमय है ।
8. भैं उसके ऩयस जय यहय हूॊ तयकक कुछ मोजनय फन सके।
9. आऩको वह कुसी कहयॉ है , जो आऩ करकत्तय से रयए थे।
10. हभयये लभत्र कर महयॉ से जयएॉगे ओय आगयय ऩहुॉच कय तयजभहर दे िेंगे।

उत्तय -11. (1) लभश्र वयक्म (2) लभश्र वयक्म (3) सयर वयक्म (4) लभश्र वयक्म (5) सॊमुक्त वयक्म (6) लभश्र वयक्म (7)
सयधययण (8) लभश्र वयक्म (9) लभश्र वयक्म (10) सॊमुक्त वयक्म
अभ्मास प्रश्न:
1. यचनय के आधयय ऩय वयक्म कय सही प्रकयय लरखिए:
1. वह ऩुस्तक ियीदने के लरए दक
ु यन ऩय गमय।
2. वह फयजयय गमय औय पर ियीदकय रयमय।
3. उस फयरक को फुरयओ, क्जसने धगरयस तोड़य है ।
4. गीतय नत्ृ म कय यही है ।
5. गुरूजी ने कहय कक कर छुट्टी यहे गी।
6.डॉक्टय आमय औय भयीज ठीक हो गमय।
2. ननदे शानुसाय उत्तय दीष्िए :
1. भयतय जी ने आॉटय गुॊथकय योटी फनयई। (सॊमुक्त वयक्म)
2. अचयनक ऩुलरस आ गमी औय गरी भें सन्नयटय छय गमय। ( सयर वयक्म भें फदलरए )
3. सूयज ने कऩड़े ऩहने, ऩय वह सॊतुष्ट नहीॊ है । (लभश्र वयक्म भें फदलरए)
4.डॉक्टय आमय औय भयीज ठीक हो गमय । (लभश्र वयक्म भें फदलरए)
5. स्कूर की घॊटी फजी। प्रयथिनय शुरू हो गई ।( सयर वयक्म फनयए )
6.धगरयस तोड़ने वयरय फयरक िड़य हो जयए (लभश्र वयक्म भे फदलरए)
7.फयि आते ही िेत जरभग्न हो गए। (सॊमुक्त वयक्म भें फदरें )
वाच्म – ऩरयवतिन
वयक्म – वयक्म उस रूऩ यचनय को कहते हैं , क्जससे मय ऩतय चरतय हैं कक कक्रमय के भूर रूऩ से चरने वयरय कतयि कभि
हैं अथवय बयव।
ढ़हन्दी भें तीन भुख्म वयक्म हैं –
(क) कति त वाच्म – क्जन वयक्मों भें कतयि की प्रधयनतय होती हैं, उन्हें कति ृ वयच्म कहते हैं। इन वयक्मों भें अकभिक तथय
सकभिक दोनों कक्रमयएॉ हो सकती हैं। इनभे कतयि प्रभुि होतय हैं औय कभि गौण होतय हैं।
ऩहचयन – कतयि प्रभुि , कक्रमय कतयि के अनुरूऩ , कतयि प्रथभ पवबक्क्त भें ।
उदयहयण – रक्ष्म धचत्र फनय यहय हैं। (सकभिक)
गीतय ने लभठयई ियीदी। (सकभिक)
ययभ ऩस्
ु तक ऩि यहय हैं। (सकभिक)
पऩतयजी आ यहे हैं। (अकभकि )
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