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िश्न –अभ्मास
१. सॊचाय ककसे कहते हैं ?
सच
ू नाओॊ, प्रिचायों औय बािनाओॊ का शरखित, भौखिक मा दृश्म-श्रव्म
भाध्मभों के जरयमे सफ़रता ऩि
ू क
व आदान-िदान कयना मा एक जगह से
दस
ू यी जगह ऩहॉ चाना सॊचाय है ।
२. “सॊचाय अनबिों की साझेदायी है ”- ककसने कहा है ?
िशसद्ध सॊचाय िास्री प्रिल्फय श्रेभ ने |
३. सॊचाय भाध्मभ से आऩ क्मा सभझते हैं ?
सॊचाय-िकिमा को सॊऩन्न कयने भें सहमोगी तयीके तथा उऩकयण सॊचाय के
भाध्मभ कहराते हैं।
४. सॊचाय के भर
ू तत्त्ि शरखिए |
सॊचायक मा स्रोत
एन्कोडडॊग (कूटीकयण )
सॊदेि ( जजसे सॊचायक िाप्तकताव तक ऩहॉ चाना चाहता है )
भाध्मभ (सॊदेि को िाप्तकताव तक ऩहॉ चाने िारा भाध्मभ होता है
जैसे- ध्िनन-तयॊ गें, िाम-तयॊ गें, टे रीपोन, सभाचायऩर, ये डडमो, टी िी
आहद)
िाप्तकत्ताव (डीकोडडॊग कय सॊदेि को िाप्त कयने िारा)
पीडफैक (सॊचाय िकिमा भें िाप्तकत्ताव की िनतकिमा)
िोय (सॊचाय िकिमा भें आने िारी फाधा)
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५. सॊचाय के िभि िकायों का उल्रेि कीजजए ?
साॊकेनतक सॊचाय
भौखिक सॊचाय
अभौखिक सॊचाय
अॊत:िैमजक्तकसॊचाय
अॊतयिैमजक्तक सॊचाय
सभह
ू सॊचाय
जनसॊचाय
६. जनसॊचाय से आऩ क्मा सभझते हैं ?
ित्मऺ सॊिाद के फजाम ककसी तकनीकी मा माॊत्ररक भाध्मभ के द्िाया
सभाज के एकप्रििार िगव से सॊिाद कामभ कयना जनसॊचाय कहराता है ।
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इसभें ढेय साये द्िायऩार काभ कयते हैं।
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१७. आजादी से ऩि
ू व कौन-कौन िभि ऩरकाय हए?
भहात्भा गाॊधी , रोकभान्म नतरक, भदन भोहन भारिीम, गणेि िॊकय
प्रिद्माथी , भािनरार चतिेदी, भहािीय िसाद द्प्रििेदी , िताऩ नायामण
शभश्र, फार भकॊ द गप्त आहद हए |
१८. आजादी से ऩि
ू व के िभि सभाचाय-ऩरों औय ऩत्ररकाओॊ के नाभ शरखिए |
केसयी, हहन्दस्तान, सयस्िती, हॊ स, कभविीय, आज, िताऩ, िदीऩ, प्रििार
बायत आहद |
१९. आजादी के फाद की िभि ऩर-ऩत्ररकाओॊ तथा ऩरकायों के नाभ शरखिए |
िभि ऩर ---- नि बायत टाइम्स, जनसत्ता, नई दननमा, हहन्दस्तान,
अभय उजारा, दै ननक बास्कय, दै ननक जागयण आहद |
िभि ऩत्ररकाएॉ – धभवमग, साप्ताहहक हहन्दस्तान, हदनभान , यप्रििाय ,
इॊडडमा टडे, आउट रक आहद |
िभि ऩरकाय- अऻेम, यघिीय सहाम, धभविीय बायती, भनोहयश्माभ
जोिी, याजेन्द्र भाथय, िबाष जोिी आहद ।
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४. सभाचाय ककसे कहते हैं ?
सभाचाय ककसी बी ऐसी ताजा घटना, प्रिचाय मा सभस्मा की रयऩोटव
है ,जजसभें अधधक से अधधक रोगों की रुधच हो औय जजसका अधधक से
अधधक रोगों ऩय िबाि ऩड़ता हो ।
५. सभाचायके तत्त्िों को शरखिए |
ऩत्रकारयता की दृष्टि से ककसी बी घिना, सभस्मा व ववचाय को सभाचाय
का रूऩ धायण कयने के लरए उसभें ननम्न तत्तत्तवों भें से अधधकाॊश मा
सबी का होना आवश्मक होता है -
निीनता, ननकटता, िबाि, जनरुधच, सॊघषव, भहत्त्िऩण
ू व रोग, उऩमोगी
जानकारयमाॉ, अनोिाऩन आदद ।
६. डेडराइन से आऩ क्मा सभझते हैं ?
सभाचाय भाध्मभों के शरए सभाचायों को किय कयने के शरए ननधावरयत
सभम-सीभा को डेडराइन कहते हैं।
७. सॊऩादन से क्मा अशबिाम है ?
िकािन के शरए िाप्त सभाचाय-साभग्री से उसकी अिप्रद्धमों को दयू कयके
ऩठनीम तथा िकािन मोग्म फनाना सॊऩादन कहराता है ।
८. सॊऩादकीम क्मा है ?
सॊऩादक द्िाया ककसी िभि घटना मा सभस्मा ऩय शरिे गए प्रिचायात्भक
रेि को, जजसे सॊफॊधधत सभाचायऩर की याम बी कहा जाता है, सॊऩादकीम
कहते हैं।सॊऩादकीम ककसी एक व्मजक्त का प्रिचाय मा याम न होकय सभग्र
ऩर-सभह
ू की याम होता है, इसशरए सॊऩादकीम भें सॊऩादक अथिा रेिक
का नाभ नहीॊ शरिा जाता ।
९. ऩरकारयता के िभि िकाय शरखिए |
िोजी ऩरकारयता
प्रििेषीकृत ऩरकारयता
िॉचडॉग ऩरकारयता
एडिोकेसी ऩरकारयता-
ऩीतऩरकारयता
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ऩेज थ्री ऩरकारयता
१०. िोजी ऩरकारयता क्माहै ?
जजसभें आभ तौय ऩय सािवजननक भहत्त्ि के भाभरों,जैस-े भ्रष्टाचाय,
अननमशभतताओॊ औय गड़फडड़मों की गहयाई से छानफीन कय साभने
राने की कोशिि की जाती है । जस्टॊ ग ऑऩये िन िोजी ऩरकारयता
का ही एक नमा रूऩ है ।
११. िॉचडॉग ऩरकारयता से आऩ क्मा सभझते हैं ?
रोकतॊर भें ऩरकारयता औय सभाचाय भीडडमा का भख्म
उत्तयदानमत्ि सयकाय के काभकाज ऩय ननगाह यिना है औय कोई
गड़फड़ी होने ऩय उसका ऩयदाफ़ाि कयना होता है, ऩयॊ ऩयागत रूऩ से
इसे िॉचडॉग ऩरकारयता कहते हैं।
१२. एडिोकेसी ऩरकारयता ककसे कहते हैं ?
इसे ऩऺधय ऩरकारयता बी कहते हैं। ककसी िास भद्दे मा प्रिचायधाया
के ऩऺ भें जनभत फनाने केशरए रगाताय अशबमान चराने िारी
ऩरकारयता को एडिोकेसी ऩरकारयता कहते हैं।
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१७. िैकजल्ऩक ऩरकारयता ककसे कहते हैं ?
भख्म धाया के भीडडमा के प्रिऩयीत जो भीडडमा स्थाप्रऩत व्मिस्था के
प्रिकल्ऩ को साभने राकय उसके अनकूर सोच को अशबव्मक्त
कयता है उसे िैकजल्ऩक ऩरकारयता कहा जाता है ।आभ तौय ऩय
इस तयह के भीडडमा को सयकाय औय फड़ीऩॉज
ू ी का सभथवन िाप्त
नहीॊ होता औय न ही उसे फड़ी कॊऩननमों के प्रिऻाऩन शभरते हैं ।
१८. ववशेषीकृत ऩत्रकारयता के प्रभख
ु ऺेत्रों का उल्रेख कीष्जए |
सॊसदीम ऩरकारयता
न्मामारम ऩरकारयता
आधथवक ऩरकारयता
िेर ऩरकारयता
प्रिऻान औय प्रिकास ऩरकारयता
अऩयाध ऩरकारयता
पैिन औय कपल्भ ऩरकारयता
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प्रिॊट भाध्मभ (भहद्रत भाध्मभ)-
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६. भहद्रत भाध्मभ की प्रििेषताएॉ शरखिए |
छऩे हए िब्दों भें स्थानमत्ि होता है , इन्हें सप्रिधानसाय ककसी बी
िकाय से ऩढा ा़ जा सकता है ।
मह भाध्मभ शरखित बाषा का प्रिस्ताय है ।
मह धचॊतन, प्रिचाय- प्रिश्रेषण का भाध्मभ है ।
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ये डडमो (आकाििाणी)
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टाइप्ड कॉऩी हो।
कॉऩी को हरऩर स्ऩेस भें टाइऩ ककमा जाना चाहहए।
ऩमावप्त हाशिमा छोडा ा़ जाना चाहहए।
अॊकों को शरिने भें सािधानी यिनी चाहहए।
सॊक्षऺप्ताऺयों के िमोग से फचा जाना चाहहए।
टे रीप्रिजन(दयू दिवन) :
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(३) फ़ोन इन (एॊकय रयऩोटव य से फ़ोन ऩय फात कय दिवकों तक सच
ू नाएॉ
ऩहॉ चाता है )
(४) एॊकय-प्रिजअर(सभाचाय के साथ-साथ सॊफॊधधत दृश्मों को हदिामा
जाना)
(५) एॊकय-फाइट(एॊकय का ित्मऺदिी मा सॊफॊधधत व्मजक्त के कथन मा
फातचीत द्िाया िाभाखणक िफय िस्तत कयना)
(६) राइि(घटनास्थर से िफय का सीधा िसायण)
(७) एॊकय-ऩैकेज (इसभें एॊकय द्िाया िस्तत सच
ू नाएॉ; सॊफॊधधत घटना के
दृश्म, फाइट, ग्राकफ़क्स आहद द्िाया व्मिजस्थत ढॊ ग से हदिाई जाती हैं)
इॊटयनेट
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आदान-िदान इॊटयनेट ऩरकारयता कहराता है । इॊटयनेट ऩरकारयता
दो रूऩों भें होती है । िथभ- सभाचाय सॊिेषण के शरए नेट का िमोग
कयना । दस
ू या- रयऩोटव य अऩने सभाचाय को ई-भेर द्िाया अन्मर
बेजने ि सभाचाय को सॊकशरत कयने तथा उसकी
सत्मता,प्रिश्िसनीमता शसद्ध कयने के शरए कयता है ।
३. इॊटयनेट ऩरकारयता को औय ककन-ककन नाभों से जाना जाता है ?
ऑनराइन ऩरकारयता, साइफय ऩरकारयता,िेफ ऩरकारयता आहद नाभों से ।
४. प्रिश्ि-स्तय ऩय इॊटयनेट ऩरकारयता का प्रिकास ककन-ककन चयणों भें हआ ?
प्रिश्ि-स्तय ऩय इॊटयनेट ऩरकारयता का प्रिकास ननम्नशरखित चयणों भें
हआ-
िथभ चयण------- 1972 से 1992
द्प्रितीम चयण------- 1993 से 2001
तत
ृ ीम चयण------- 2002 से अफ तक
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१०. बायत की ऩहरी साइट कौन-सी है , जो इॊटयनेट ऩय ऩरकारयता कय
यही है ?
यीडडफ़
११. शसफ़व नेट ऩय उऩरब्ध अिफाय का नाभ शरखिए।
”िबा साऺी’ नाभ का अिफाय प्रिॊट रूऩ भें न होकय शसफ़व नेट ऩय
उऩरब्ध है ।
१२. ऩरकारयता के शरहाज से हहॊदी की सिवश्रेष्ठ साइट कौन-सी है ?
ऩरकारयता के शरहाज से हहन्दी की सिवश्रेष्ठ साइट फीफीसी की है, जो
इॊटयनेट के भानदॊ डों के अनसाय चर यही है ।
१३. हहॊदी िेफ जगत भें कौन-कौनसी साहहजत्मक ऩत्ररकाएॉ चर यही हैं ?
हहॊदी िेफ जगत भें ’अनबनू त’, अशबव्मजक्त, हहॊदी नेस्ट, सयाम आहद
साहहजत्मक ऩत्ररकाएॉ चर यही हैं।
१४. हहॊदी िेफ जगत की सफसे फड़ी सभस्मा क्मा है ?
हहन्दी िेफ जगत की सफसे फडी ा़ सभस्मा भानक की-फोडव तथा फ़ोंट की है
। डामनशभक फ़ोंट के अबाि के कायण हहन्दी की ज्मादातय साइटें
िरती ही नहीॊ हैं ।
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ऩरकायीम रेिन के प्रिशबन्न रूऩ औय रेिन िकिमा
१. ऩरकायीम रेिन क्मा है ?
सभाचाय भाध्मभों भे काभ कयने िारे ऩरकाय अऩने ऩाठकों तथा
श्रोताओॊ तक सच
ू नाएॉ ऩहॉ चाने के शरए रेिन के प्रिशबन्न रूऩों का
इस्तेभार कयते हैं, इसे ही ऩरकायीम रेिन कहते हैं। ऩरकायीम रेिन का
सॊफॊध सभसाभनमक प्रिषमों, प्रिचायों ि घटनाओॊ से है । ऩरकाय को शरिते
सभम मह ध्मान यिना चाहहए िह साभान्म जनता के शरए शरि यहा है,
इसशरए उसकी बाषा सयर ि योचक होनी चाहहए। िाक्म छोटे ि सहज
हों। कहठन बाषा का िमोग नहीॊ ककमा जाना चाहहए। बाषा को िबािी
फनाने के शरए अनािश्मक प्रििेषणों,जागवन्स(अिचशरत िब्दािरी) औय
क्रीिे (प्रऩष्टोजक्त, दोहयाि) का िमोग नहीॊ होना चहहए।
२. ऩरकायीम रेिन के अॊतगवत क्मा-क्मा आता है ?
ऩरकरयता मा ऩरकायीम रेिन के अन्तगवत सम्ऩादकीम, सभाचाय,
आरेि, रयऩोटव , फ़ीचय, स्तम्ब तथा काटूवन आहद आते हैं
३. ऩरकायीम रेिन का भख्म उद्देश्म क्मा होता है ?
ऩरकायीम रेिन का िभि उद्देश्म है - सच
ू ना दे ना, शिक्षऺत कयना तथा
भनोयॊ जन आ कयना आहद होता है |
४. ऩरकायीम रेिन के िकाय शरिए |
ऩरकायीम रेिन के कईिकाय हैं मथा- िोजऩयक ऩरकारयता’, िॉचडॉग
ऩरकारयता औय एड्िोकैसी ऩरकारयता आहद।
५. ऩरकाय ककतने िकाय के होते हैं ?
ऩरकाय तीन िकाय के होते हैं-
ऩण
ू व काशरक
अॊिकाशरक (जस्रॊ गय)
िीराॊसय मा स्ितॊर ऩरकाय
६. सभाचाय ककस िैरी भें शरिे जाते हैं ?
सभाचाय उरटा प्रऩयाशभड िैरी भें शरिे जाते हैं, मह सभाचाय रेिन की
सफसे उऩमोगी औय रोकप्रिम िैरी है । इस िैरी का प्रिकास अभेरयका भें
गह
ृ मद्ध के दौयान हआ। इसभें भहत्त्िऩण
ू व घटना का िणवन ऩहरे
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िस्तत ककमा जाता है, उसके फाद भहत्त्ि की दृजष्ट से घटते िभ भें
घटनाओॊ को िस्तत कय सभाचाय का अॊत ककमा जाता है । सभाचाय भें
इॊरो, फॉडी औय सभाऩन के िभ भें घटनाएॉ िस्तत की जाती हैं।
७. सभाचाय के छह ककाय कौन-कौन से हैं ?
सभाचाय शरिते सभम भख्म रूऩ से छह िश्नों- क्मा, कौन, कहाॉ, कफ,
क्मों औय कैसे का उत्तय दे ने की कोशिि की जाती है । इन्हें सभाचाय के
छह ककाय कहा जाता है । िथभ चाय िश्नों के उत्तय इॊरो भें तथा अन्म
दो के उत्तय सभाऩन से ऩि
ू व फॉडी िारे बाग भें हदए जाते हैं ।
८. फ़ीचय क्मा है ?
फ़ीचय एक िकाय का सव्मिजस्थत, सज
ृ नात्भक औय आत्भननष्ठ रेिन
है ।
९. फ़ीचय रेिन का क्मा उद्देश्म होता है ?
फ़ीचय का उद्देश्म भख्म रूऩ से ऩाठकों को सच
ू ना दे ना, शिक्षऺत कयना तथा
उनका भनोयॊ जन कयना होता है ।
१०. फ़ीचय औय सभचाय भें क्मा अॊतय है ?
सभाचाय भें रयऩोटव य को अऩने प्रिचायों को डारने की स्ितॊरता नहीॊ होती,
जफकक फ़ीचय भें रेिक को अऩनी याम , दृजष्टकोण औय बािनाओॊ को
जाहहय कयने का अिसय होता है । सभाचाय उल्टा प्रऩयाशभड िैरी भें
शरिे जाते हैं, जफकक फ़ीचय रेिन की कोई सननजश्चत िैरी नहीॊ होती ।
फ़ीचय भें सभाचायों की तयह िब्दों की सीभा नहीॊ होती। आभतौय ऩय
फ़ीचय, सभाचाय रयऩोटव से फड़े होते हैं । ऩर-ऩत्ररकाओॊ भें िाम: २५० से
२००० िब्दों तक के फ़ीचय छऩते हैं ।
११. प्रििेष रयऩोटव से आऩ क्मा सभझते हैं ?
साभान्म सभाचायों से अरग िे प्रििेष सभाचाय जो गहयी छान-फीन,
प्रिश्रेषण औय व्माख्मा के आधाय ऩय िकाशित ककए जाते हैं, प्रििेष
रयऩोटव कहराते हैं ।
१२. प्रििेष रयऩोटव के प्रिशबन्न िकायों को स्ऩष्ट कीजजए ।
िोजी रयऩोटव : इसभें अनऩ
ु ल््ध तथ्मों को गहयी छान-फीन कय
साववजननक ककमा जाता है ।
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(२)इन्डेप्थ रयऩोटव : साववजाननक रूऩ से प्राप्त तथ्मों की गहयी छान-फीन
कय उसके भहत्तत्तवऩण
ू व ऩऺों को ऩाठकों के साभने रामा जाता है ।
(३) प्रिश्रेषणात्भक रयऩोटव : इसभें ककसी घिना मा सभस्मा का वववयण
सक्ष्
ू भता के साथ ववस्ताय से ददमा जाता है । रयऩोिव अधधक ववस्तत
ृ होने
ऩय कई ददनों तक ककस्तों भें प्रकालशत की जाती है ।
(४)प्रिियणात्भक रयऩोटव : इसभें ककसी घिना मा सभस्मा को ववस्ताय एवॊ
फायीकी के साथ प्रस्तुत ककमा जाता है ।
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सॊऩादक के नाभ आए ऩर िकाशित ककए जाते हैं । मह ित्मेक
सभाचायऩर का ननमशभत स्तॊब होता है । इसके भाध्मभ से सभाचाय-ऩर
अऩने ऩाठकों को जनसभस्माओॊ तथा भद्दों ऩय अऩने प्रिचाय एिभयाम
व्मक्त कयने का अिसय िदान कयता है ।
१७. साऺात्काय/इॊटयव्मू से क्मा अशबिाम है ?
ककसी ऩरकाय के द्िाया अऩने सभाचायऩर भें िकाशित कयने के शरए,
ककसी व्मजक्त प्रििेष से उसके प्रिषम भें अथिा ककसी प्रिषम मा भद्दे ऩय
ककमा गमा िश्नोत्तयात्भक सॊिाद साऺात्काय कहराता है ।
प्रििेष रेिन: स्िरूऩ औय िकाय
१. प्रििेष रेिन ककसे कहते हैं ?
प्रििेष रेिनककसी िास प्रिषम ऩय साभान्म रेिन से हट कय ककमा
गमा रेिन है ; जजसभें याजनीनतक, आधथवक, अऩयाध, िेर, कफ़ल्भ,कृप्रष,
कानन
ू , प्रिऻान औय अन्म ककसी बी भहत्त्िऩण
ू व प्रिषम से सॊफॊधधत
प्रिस्तत
ृ सच
ू नाएॉ िदान की जाती हैं ।
२. डेस्क क्मा है ?
सभाचायऩर, ऩत्ररकाओॊ, टीिी औय ये डडमो चैनरों भें अरग-अरग प्रिषमों
ऩय प्रििेष रेिन के शरए ननधावरयत स्थर को डेस्क कहते हैं औय उस
प्रििेष डेस्क ऩय काभ कयने िारे ऩरकायों का बी अरग सभह
ू होता है ।
मथा-व्माऩाय तथा कायोफाय के शरए अरग तथा िेर की िफयों के शरए
अरग डेस्क ननधावरयत होता है ।
३. फीटसे क्मा तात्ऩमव है ?
प्रिशबन्न प्रिषमों से जड़े सभाचायों के शरए सॊिाददाताओॊ के फीच काभ का
प्रिबाजन आभ तौय ऩय उनकी हदरचस्ऩी औय ऻान को ध्मान भें यि कय
ककमा जाता है । भीडडमा की बाषा भें इसे फीट कहते हैं ।
४. फीट रयऩोहटं ग तथा प्रििेषीकृत रयऩोहटं ग भें क्मा अन्तय है ?
फीट रयऩोहटं ग के शरए सॊिाददाता भें उस ऺेर के फाये भें जानकायी ि
हदरचस्ऩी का होना ऩमावप्त है, साथ ही उसे आभ तौय ऩय अऩनी फीट से
जड़ीसाभान्म िफयें ही शरिनी होती हैं । ककन्त प्रििेषीकृत रयऩोहटं ग भें
साभान्म सभाचायों से आगे फढ़कय सॊफॊधधत प्रििेष ऺेर मा प्रिषम से जड़ी
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घटनाओॊ, सभस्माओॊ औय भद्दों का फायीकी से प्रिश्रेषण कय िस्ततीकयण
ककमा जाता है । फीट किय कयने िारे रयऩोटव य को सॊिाददाता तथा
प्रििेषीकृत रयऩोहटं ग कयने िारे रयऩोटव य को प्रििेष सॊिाददाता कहा जाता
है ।
५. प्रििेष रेिन की बाषा-िैरी ऩय िकाि डाशरए |
प्रििेष रेिन की बाषा-िैरी साभान्म रेिन से अरग होती है । इसभें
सॊिाददाता को सॊफॊधधत प्रिषम की तकनीकी िब्दािरी का ऻान होना
आिश्मक होता है, साथ ही मह बी आिश्मक होता है कक िह ऩाठकों को
उस िब्दािरी से ऩरयधचत कयाए जजससे ऩाठक रयऩोटव को सभझ सकें।
प्रििेष रेिन की कोई ननजश्चत िैरी नहीॊ होती ।
६. प्रििेष रेिन के ऺेर कौन-कौन से हो सकते हैं ?
प्रििेष रेिन के अनेक ऺेर होते हैं, मथा- अथव-व्माऩाय, िेर, प्रिऻान-
िौद्मोधगकी, कृप्रष, प्रिदे ि, यऺा, ऩमावियण शिऺा, स्िास्थ्म, कफ़ल्भ-
भनोयॊ जन, अऩयाध, कानन
ू ि साभाजजक भद्दे आहद ।
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नाभ लरखखए |
७. ये डिमो की अऩेऺा िीवी सभाचायों की रोकवप्रमता के दो कायण लरखखए |
८. ऩत्रकायीम रेखन तथा सादहष्त्तमक सज
ृ नात्तभक रेखन का अॊतय फताइए |
९. ऩत्रकारयता का भर
ू तत्तव क्मा है ?
१०. स्तॊबरेखन से क्मा तात्तऩमव है ?
११. ऩीत ऩत्रकारयता ककसे कहते हैं ?
१२. खोजी ऩत्रकारयता का आशम स्ऩटि कीष्जए |
१३. सभाचाय श्द को ऩरयबावषत कीष्जए |
१४. उल्िा वऩयालभि शैरी क्मा है ?
१५. सभाचाय रेखन भें छह ककायों का क्मा भहत्तत्तव है ?
१६. भदु ित भाध्मभों की ककनहीॊ दो ववशेषताओॊ का उल्रेख कीष्जए |
१७. िेि राइन क्मा है ?
१८. ये डिमो नािक से आऩ क्मा सभझते हैं ?
१९. ये डिमो सभाचाय की बाषा की दो ववशेषताएॉ लरखखए
२०. एॊकय फाईि ककसे कहते हैं ?
२१. िे रीववजन सभाचायों भें एॊकय फाईि क्मों जरूयी है ?
२२. भदु ित भाध्मभ को स्थामी भाध्मभ क्मों कहा जाता है ?
२३. ककनहीॊ दो सभाचाय चैनरों के नाभ लरखखए |
२४. इॊियनेि ऩत्रकारयता के रोकवप्रम होने के क्मा कायण हैं ?
२५. बायत के ककनहीॊ चाय सभाचाय-ऩत्रों के नाभ लरखखए जो इॊियनेि
ऩय उऩर्ध हैं ?
२६. ऩत्रकारयता की बाषा भें फीि ककसे कहते हैं ?
२७. ववशेष रयऩोिव के दो प्रकायों का उल्रेख कीष्जए |
२८. ववशेष रेखन के ककनहीॊ दो प्रकायों का नाभोल्रेख कीष्जए |
२९. ववशेष रयऩोिव के रेखन भें ककन फातों ऩय अधधक फर ददमा जाता
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है ?
३०. फीि रयऩोिव य ककसे कहते हैं ?
३१. रयऩोिव रेखन की बाषा की दो ववशेषताएॉ लरखखए |
३२. सॊऩादकीम के साथ सॊऩादन-रेखक का नाभ क्मों नहीॊ ददमा जाता ?
३३. सॊऩादकीम रेखन क्मा होता है ?
अथवा
सॊऩादकीम से क्मा तात्तऩमव है ?
३४. सॊऩादक के दो प्रभख
ु उत्ततयदानमत्तवों का उल्रेख कीष्जए |
३५. ऑऩ-एि ऩटृ ठ ककसे कहते हैं?
३६. नमज
ू ऩेग क्मा है ?
३७. आडिएॊस से आऩ क्मा सभझते हैं?
३८. इरेक्रोननक भीडिमा क्मा है?
३९. कािूवन कोना क्मा है?
४०. बायत भें ननमलभत अऩिेि साइिों के नाभ फताइए।
४१. कम्प्मि
ू य के रोकवप्रम होने का प्रभख
ु कायण फताइए।
४२. ववऻाऩन ककसे कहते हैं ?
४३. पीिफैक से क्मा अलबप्राम है ?
४४. जनसॊचाय से आऩ क्मा सभझते हैं ?
४५. सभाचाय औय पीचय भें क्मा अॊतय है ?
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