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Vaidhya Pragnesh Patel (Ayurved surgeon)

Sahaj Ayurveda Hospital, Adalaj

21 स्वर्णिभ सत्र

1) आम:ु काभमभानेन धभािर्स


ि ख
ु साधनभ ् ।
आमव
ु ेदोऩदे शष
े ु ववधेम: ऩयभादय् ।। (A.H)

“ऩयभ आदय” = ultimate respect towards ‘Principles of Ayurveda’.

ु ेद प्रेक्टिस के लऱए सबसे ज्यादा जरूरी चीज अगर कोई एक है – तो र्वो आयुर्वेद के प्रतत Ultimate
आयर्व
respect है |

2) आमव
ु ेद सीखना औय प्रक्टिस भें रेना - उसके लरए हभाया Mind आमव
ु ेद के
ऋवष भनु नमों जैसा हो वो अनि आवष्मक है |

ब्रह्भऻानस्म ननधनो मभस्म ननमभस्म च | (Ch.S)

“ब्रह्भऻानस्म”- आत्मज्ञानी से आत्मज्ञान प्राप्त करना|

“मभ”- 5 प्रकार के यम - अहहिंसा, सत्य, अस्तेय( चोरी न करना), ब्रह्मचयय, अऩररग्रह तनयम का ऩाऱन करना|

“ननमभ “ - 5 प्रकार के तनयम का ऩाऱन करना; यम का ऩाऱन करना है , र्वह ‘तनश्चय ‘करता है र्वह अऩने
आऩ "तनयम " मे आ जाता है |

ब्रह्मज्ञान, यम, तनयम के माध्यम से यह ही आयर्व


ु ेद की सिंहहता रृदय और किंठ में धारण होती है |

How to present yourself in Consulting Practice


3) Be professional and आत्भीम with patients.
Always sounds knowledgeable.

कुचैर ककिश् स्िब्ध: कुग्राभी स्वमभागि:।


ऩॊचवैद्मा न ऩश्ु मन्िे धन्वन्िरय सभा मदद |(शाङ्गॊधय सॊदहिा)

अथायत जो र्वैध……
“कुचैर”:- खराब दृक्टि से दे खने र्वाऱा

“ककिश:”- क्जसकी र्वाणी मयायदारहहत – Use rough words and who has become
Aggressive

“स्िब्ध:”-जो र्वैध Patient के साथ बबऱकुऱ बात न करता हो, उसकी क्स्थतत और चचककत्सा के बारे में
Properly Guide न करता हो|

“कुग्राभी” - अथायत ् जो र्वैध आयर्व


ु ेद प्रेक्टिस के लऱए क्टऱतनक/ अस्ऩताऱ की जगह ऐसी Select करे जो Area
बबऱकुऱ Poor / Backward हो , तो एसी जगह ऩर आयर्व
ु ेद प्रक्टिस चऱती नहीिं है ।

“स्वमभागि्”- अथायत ् जो र्वैध सामने से patients या ककसी की बबना मािंगे चचककत्सा के लऱए प्रर्वत
ृ होने कक
बात करे - ऐसे ऩािंच प्रकार के र्वैध Knowledge मे अगर भगर्वान धन्धन्तरर समान तो भी आयर्व
ु ेद चचककत्सा में
Name & Fame (प्रलसद्चध) ऩाते नही है।

र्वैध को चाहहए की र्वह Professional भी हो और साथ में Patient से आत्मीय भी हो । Patient के साथ उसका
बतायर्व Family जैसा होना बहुत जरूरी है ।।

4) र्वैध हमेशा श्र्वेत एर्विं कषाय र्वस्र धारण करे अथायत ् र्वैध का
Well Dressed & Dyanamic Personality का होना सर्वय काऱ में जरुरी है | |
ઘરની બહાર બને તયાાં સુધી નીકળવુ ાં અને બહાટ નીકળીએ તો ૧૦ માણસ આ઩ણને જુ એ નનહ તો નીકળે લુાં કામનુ
શ ાં ૂ ? (વૈધ્ય પ્રભાશાંકર ગઢડાવાળા ની Book માથી)

5) Invest money behind your Self-development.

6) Make Ayurveda as your Lifestyle.

7) Keep faith in Load Dhanvanti & Ashwinikumar.


Always get blessinge from दे वसत्ता (Dev Satta). They will fulfil all
your desires timely.

8) अटिािंग रृदयम ्-
आयर्व
ु ेद के आठ अिंग का रृदय (means सार) इतना ही है कक हे भगर्वन , हमे जो भी लमऱे
उसका आध्याक्त्मक, आचधभौततक, आचधदै वर्वक कल्याण हो ।
क्जस ककसी र्वैध के रृदय मे यह जगत कल्याण की भार्वना - कामना चऱने ऱगी,
मानो आयर्व
ु दे उसके हदय में प्रगिना शरू
ु हो जायेगा ।

9) साघनॊ न िु असाध्मानाॊ व्माधधनाॊ उऩददश्मिे ॥ (चयक सॊदहिा)


महवषय चरक में clearly बताया है कक उन्होंने असाध्य व्याचध कक चचककत्सा का उऩदे श
कभी नहीिं ककया है । तो ककसी patient का असाध्य व्याचध (incurable disease) - research based
medicine के नाम ऩे या ऩैसा एठने के भार्व से कभी भी धोखे से चचककत्सा करनी नही चाहहए |

10) Do not trust the Patent medicines blindly on the base of Research
or Evidence based medicines.

11) Learn the Ayurvedic Diagnosis Pattern –

हे िु लरॊग औषध ऻानभ ् । (त्रत्रसत्र


ू आमव
ु ेद)

दशिन स्ऩशिन प्रश्नै: ऩयीऺेि ् च योगीणाभ ् । (अष्िाॊग रृदमभ)्


दशिन / स्ऩशिन - Inspection / Palpation
(Includes in physical examination/ clinical examination/ on table examination)
प्रश्नै: - Comes under History taking (Patients’ History)

योगभादौ ऩयीऺीि ििोअन्नियभ ् औषधभ ् ।


िि् कभि लबषक ऩश्चाि ् ऻानऩूवि सभाचये ि ् ॥ (चयक सॊदहिा)
12) Learn the Ayurvedic Treatment Pattern
(13) आमव
ु ेद के फाये भें रौककक व्मवहाय भें पैरी हुई गरि भान्मिाएॊ (myths) को भन
से ननकार फाहाय कयना चादहए अगय हभ आमव
ु ेद की सही ियह से प्रक्टिस कयना चाहिे
है ।
जैसे की-
* आमव
ु ेद से दे यी से लभििा है ।
* आमव
ु ेद से ऩयु ाने योग (chronic diseases)की धचककत्सा ही सॊबव है ।
* आमव
ु ेद की दवाई गयभ प्रकृनि की होिी है ।
* त्रफना यसौषधध के आमव
ु ेद की काष्िौषधध द्वाया जल्द इराज कयना सॊबव नहीॊ है ।

14) Make yourself confident and competent in all Panchkarma and


surgical- para surgical procedures.

15) आमव
ु ेद की औषधधमाॉ "चेिन" है ।
"सेक्न्िमॊ चेिनॊ िव्मॊ ।।" - (चयक सॊदहिा)

चेिन िव्म always deserve respect.


आमव
ु ेद की औषधधमों को वैद्म respect के सार् आदे श (Order) दे िा है । िबी
औषधधमाॉ ननक्श्चि कामि प्रनिऩाददि कयिी है ।।

16) आमव
ु ेद की औषधधमाॉ वैद्म द्वाया उधचि सभम ऩय अलबभॊत्रत्रि कय collect कयनी
चादहए | वह pharmacy की औषधधमाॉ खयीद कय धचककत्सा भें प्रमट
ु ि कयने से कई
गुना फेहिय ऩरयणाभ वैद्म द्वाया खुद ननभािण की गई औषध से लभरिा है ।

17) सिि अध्ममनॊ वाद् ऩयिन्त्रावरोकनभ। (सश्र


ु ि ु सॊदहिा)
वैद्म को सिि अध्ममन (continuous Reading), वाद: (Discussion) औय ऩयिन्त्र
अवरोकन (Medical की दस
ू यी related ककिाफें मा सॊदहिाओॊ का अध्ममन) कयिे यहना
चादहए। क्जससे वह Medical knowledge भे updated यहिा है औय फेहिय धचककत्सा
कामि प्रनिऩाददि कय सकिा है ।

18) कृत्सनो दह रोको फद्


ु धधभिाॊ आचामि: शत्रश्ु व अफद्
ु धधभिाॊ। (चयक सॊदहिा)
The entire world is the teacher to the intelligent and foe to the unintelligent.
जैसे ऩाकशास्त्र भें भहायर् हालसर कयना हो मा अन्म कोई बी ववद्मा भे कामिदऺ होना
हो िो उस ववद्मा के ऻािा के ऩास यहके, फाय फाय दे खकय, उसे कयना चारू कयना चादहए
ऐसे ही कुशर वैद्म फनने के लरए कुशर वैद्म (प्रणालबसय वैद्म) को ही अऩना गरू

फनाकय उसके ऩास आमव
ु ेद की ववद्मा ग्रहण कयनी चादहए उसके फाद प्रक्टिस की
शरुआि कयनी चादहए।

19) Ayurvedic Surgery & Updates -

लसयाव्मध, अक्ननकभि,ऺायकभि, छे दन-बेदन - रेखन-वेधन - एषण- आहयण- ववस्रवण-


सीवन आदद आमव
ु ेद की सद्म ऩरयणाभकायी शल्मववद्मा को कुशर शल्म धचककत्सक
से सीखना औय सीखकय उसभे भहायर् हालसर कयनी चादहए । क्जससे आमव
ु ेद ज्मादा
रोक उऩबोनम फन ऩाएगा औय वैद्म को फहुि जल्द ख्मानि प्राप्ि होगी।

20) भहवषि सश्र


ु ि ु ने सायी शल्म किमाए अबी प्रमट
ु ि होने वारी Antibiotics के
त्रफना ही प्रनिऩाददि की र्ी। औय भैं बी shalya chikitsa भें Antibiotics का प्रमोग
नहीॊ कयिा हूॉ। भात्र सत्र
ू स्र्ान भे व्रणीिोऩासन अध्माम एवॊ सश्र
ु ि ु सॊदहना भे फिामी
औषधधमों- व्रणकभि के प्रमोग से ही कोई बी प्रकाय के infection भेयी surgical practice
भे होिे भेने नहीॊ दे खे है ।

21) धचककत्सा चिुष्ऩाद भें वैद्म ही सवोऩरय है ।


स चैव लबषजाॊ श्रेष्ठो योगेभ्म: स: प्रभोचमेि ् ॥ (चयक सॊदहिा)
िो वैद्म को अऩनी clinical skills and clinical sense को हयदभ फढाने के लरए मत्न
कयिे यहना चादहए क्जससे की वह योगी की जल्द से जल्द योग भट
ु ि कय ऩामे।

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