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● िडं 'ब' में कुि 8 वर्णिात्मक प्रश्ि पूछे गए हैं| प्रश्िों में आंतररक ववकल्प
ढर्दए गए हैं। ढर्दए गए निर्दे शों का पािि करते हुए प्रश्िों के उत्तर र्दीजिए।
अपढित गदयांश
प्रश्ि 1. िीचे र्दो गदयांश ढर्दए गए हैं। ककसी एक गदयांश को ध्यािपूवणक पढ़िए
गद्ािंश-I
यढर्द आप इस गदयांश का चयि करते हैं। तो कृपया उत्तर पजु स्तका मैं लििे की
आप प्रश्ि संख्या 1 में ढर्दए गए गदयांश-I पर आधाररत प्रश्िों के उत्तर लिि
रहे हैं।
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भारतीय मिीषा िे किा, धमण, र्दशणि और साढहत्य के क्षेत्र में िािा भाव से
महत्वपूर्ण फि पाए हैं और भववष्य में भी महत्वपूर्ण फि पािे की योग्यता का
पररचय वह र्दे चुकी है । परं तु लभन्ि कारर्ों से समूची ििता एक ही धराति
पर िहीं है और सबकी चचंति-दृजष्ि भी एक िहीं है । िल्र्दी ही कोई फि पा
िेिे की आशा में अिकिपच्चू लसदधांत कायम कर िेिा और उसके आधार पर
कायणक्रम बिािा अभीष्ि लसदध में सब समय सहायक िहीं होगा।
आयण, िाग, आभीर आढर्द िानतयों के सैकडों वषों के संघषण के बार्द ढहंर्द ू
दृजष्िकोर् बिा है । िए लसरे से भारतीय दृजष्िकोर् बिािे के लिए इतिे ही िंबे
अरसे की िरूरत िहीं है । आि हम इनतहास को अचधक यथाथण ढं ग से समझ
सकते हैं और तर्दिक
ु ू ि अपिे ववकास की योििा बिा सकते हैं। धैयण हमें कभी
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िहीं छोडिा चाढहए। इनतहास-ववधाता समझकर ही हम अपिी योििा बिाएाँ, तो
सफिता की आशा कर सकते हैं।
1. उपयणक्
ु त गदयांश का उपयक्
ु त शीषणक र्दीजिए।
क) हमारा िक्ष्य-मािव-कल्यार्।
ि) ववववधता में एकता
ग) ढहंर्द ू मुजस्िम एकता
घ) उपयुणक्त सभी
2. मिुष्य का सवोत्तम प्राप्य क्या होिा चाढहए?
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गदयांश -II
यढर्द आप इस गदयांश का चयि करते हैं तो कृपया उत्तर पजु स्तका मैं लििे की
आप प्रश्ि संख्या 1 में ढर्दए गए गदयांश-II पर आधाररत प्रश्िों के उत्तर लिि
रहे हैं।
एक अंग के ववकृत होिे पर सारा शरीर र्दं डडत हो, वह कािकवलित हो िाए-यह
ववचारर्ीय है । यढर्द ककसी यंत्र के पि
ु े को बर्दिकर उसके स्थाि पर िया पुिाण
िगाकर यंत्र को पव
ू णवत सुचारु एवं व्यवजस्थत रूप से कक्रयाशीि बिाया िा
सकता है तो शरीर के ववकृत अंग के स्थाि पर िव्य निरामय अंग िगाकर
शरीर को स्वस्थ एवं सामान्य क्यों िहीं बिाया िा सकता?
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शल्य-चचककत्सकों िे इस र्दानयत्वपूर्ण चुिौती को स्वीकार ककया तथा निरं तर
अध्यवसायपूर्ण साधिा के अिंतर अंग-प्रत्यारोपर् के क्षेत्र में सफिता प्राप्त की।
अंग-प्रत्यारोपर् का उदर्दे श्य यह है कक मिुष्य र्दीघाणयु प्राप्त कर सके। यहााँ यह
ध्यातव्य है कक मािव-शरीर हर अंग को उसी प्रकार स्वीकार िहीं करता, जिस
प्रकार हर ककसी का रक्त उसे स्वीकायण िहीं होता।
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ग) मिुष्य की अच्छी चचककत्सा करिा
घ) उपयुणक्त सभी
अिश
ु ासि’ का अथण है -अपिे को कुछ नियमों से बााँध िेिा और उन्हीं के
अिुसार कायण करिा। कुछ व्यजक्त अिुशासि की व्याख्या ‘शासि का अिुगमि’
करिे के अथण में करते हैं, परं तु यह अिुशासि का संकुचचत अथण है । व्यापक रूप
में अिुशासि सुव्यवजस्थत ढं ग से उि आधारभूत नियमों का पािि ही है ,
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जििके दवारा ककसी अन्य व्यजक्त के मागण में बाधक बिे बबिा व्यजक्त अपिा
पूर्ण ववकास कर सके।
अिश
ु ासि में रहिे का भी एक आिंर्द है , िेककि आि व्यजक्तयों में
अिश
ु ासिहीिता की भाविा ब़ि रही है । समाचार-पत्रों में हमेशा यही प़ििे को
लमिता है कक आि अमुक िगर में र्दस र्दक
ु ािें िूिी गई, बसों में आग िगा र्दी
गई, र्दो चगरोहों में िाढियााँ चि गई आढर्द। ये बातें आए ढर्दि प़ििे को लमिती
हैं। यढर्द ककसी भी कमणचारी को कोई गित काम करिे से रोका िाए, तो वह
अपिे साचथयों से लमिकर काम बंर्द करा र्दे गा। बहुत ढर्दिों तक हडतािें चिती
रहें गी। कारिािों और कायाणियों में काम बंर्द हो िाएगा।
वह स्वतंत्र रूप से िो भी करे , उसे करिे र्दे िा चाढहए। िेककि यढर्द व्यजक्त को
यह अचधकार ढर्दया िाए तो चारों तरफ वन्य िीवि िैसी अव्यवस्था आ
िाएगी। मािव, मािव ही है , र्दे वता िहीं। उसमें सप्र
ु ववृ त्तयााँ और कुप्रववृ त्तयााँ र्दोिों
ही होती हैं। मािव सभ्य तभी तक रहता है , िब तक वह अपिी सप्र
ु ववृ त्तयों की
आज्ञा के अिुसार कायण करे । इसलिए मािव के पूर्ण ववकास के लिए कुछ बंधिों
और नियमों का होिा आवश्यक है ।
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ववदयाथी िीवि में तो अिुशासि का बहुत महत्व है । आि अिुशासिहीिता के
कारर् साि में छह महीिे ववश्वववदयाियों में हडतािें हो िाती हैं। तोड-फोड
करिा तो ववदयाथी का कतणव्य बि गया है । छोिी-छोिी बातों में मारपीि हो
िाती है ।अत: हर मिष्ु य का कतणव्य है कक अिश
ु ासि का उल्िंघि ि करे । यह
ववचचत्र होते हुए भी ककतिा सत्य है कक अिश ु ासि एक प्रकार का बंधि है ,
परं तु मिुष्य को स्वच्छर्द रूप से अपिे अचधकारों का पूरा सर्दप
ु ूयोग करिे का
अवसर भी प्रर्दाि करता है । वह एक ओर बंधि है , तो र्दस
ू री ओर मुजक्त भी।
1.अिश
ु ासि का सही अथण क्या है ?
क) अन्य व्यजक्त के मागण में बाधक ि बििे के आधारभत
ू नियमों का पािि
करिा
ि) अपिे को कुछ नियमों से बााँध िेिा
ग) सरकार के नियमों का पािि करिा
घ) उपयुणक्त सभी
2. प्रकृनत के प्रनत वैज्ञानिकों का क्या दृजष्िकोर् है ?
क) वैज्ञानिक के साथ तार्दात्म्य में स्थावपत करते हैं
ि) वह उसका भाइयों रूप र्दे िकर सत्य की िोि करते हैं
ग) मिष्ु य के मि को उसके साथ िोडिे का प्रयास करते हैं
घ) उपयुणक्त सभी
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4. मािव के सारे बंधि समाप्त करिे के क्या पररर्ाम होंगे?
क) वह मुक्त रूप से संचार करिे िगेगा
ि) स्वतंत्र सोच निमाणर् होगी
ग) पशओ
ु ं में और उसमें कोई अंतर िहीं रहेगा
घ) इि में कोई िहीं
गदयांश -II
यढर्द आप इस गदयांश का चयि करते हैं तो कृपया उत्तर पजु स्तका मैं लििे की
आप प्रश्ि संख्या 2 में ढर्दए गए गदयांश-II पर आधाररत प्रश्िों के उत्तर लिि
रहे हैं।
हम कमिोर वगों का उत्थाि करिा चाहते हैं। इसके लिए हम कुछ ववशेष
योििाएाँ बिाएाँ। उि योििाओं के कायाणन्वयि से उिकी हाित सुधर िाएगी।’
राष्रवपता महात्मा गांधी के ‘करो पढहिे, कहो पीछे ’ वािे आहवाि को ताक पर
रिकर ढर्दए िािे वािे ऐसे आश्वासि वपछिे सात र्दशकों से हम हर सत्ताधारी
पािी के कर्णधारों के मुाँह से सुिते आ रहे हैं।
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में मध्यस्थ राििेताओं, िे केर्दारों और हाककमों की िेब में चिी िाती है । िैसे
िीर्ण पाइप िाइि से बहता पािी बीच-बीच में छे र्दों से होकर चू िाता है ।
पव
ू ण प्रधािमंबत्रयों और अन्य कर्णधारों के िामों पर चिाई गई इि महत्वाकांक्षी
योििाओं के कायाणन्वयि के बार्द भी हमारे समाि के कमिोर वगों के सर्दस्यों
की निरं तर वद
ृ ध ही होती आ रही है , कमी िहीं। वे गरीबी की रे िा से िीचे धंसे
िा रहे हैं, उभरते िहीं।
‘कमिोर’ शब्र्द र्दो शब्र्दों के मेि से बिा है , कम िोर। यािी जिस वगण के
सर्दस्यों में िोर कम है , वह वगण कमिोर पररवार और समूह िए ढं ग से
ववदयोपािणि से ववमि
ु रहे हैं या ववदया से वंचचत रह गए हैं, वे िीचे चगरते गए
हैं, भिे ही उन्होंिे ककसी सीधे या कुजत्सत मागण से थोडा-बहुत धि अजिणत ककया
हो। ववदयाववहीि के हाथ आया धि वैसे ही निरुपयोगी है , िैसे बंर्दर के हाथ
आया पष्ु पहार।
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निम्िलिखित में से निर्दे शािस
ु ार सवाणचधक उपयक्
ु त ववकल्प का चयि कीजिए।
क) र्दोिों एक ही है
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ि) दोिों का अर्स ज्ञाि की प्राहि कििा ै
ग) ववदयािणि का अथण है ववदया की प्राजप्त और अक्षर ज्ञाि का अथण है अक्षर
का ज्ञाि
घ) ववदयािणि का अथण है िीवि उपयोगी किा का ज्ञाि और अक्षर ज्ञाि का
अथण है साक्षर होिा
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घ.अव्यय पर्दबंध
5. हम सब प़ि कर सो िाया करते हैं। रे िांककत पर्दबंध का प्रकार लिखिए।
क.सवणिाम पर्दबंध
ि. अव्यय पर्दबंध
ग. ववशेषर् पर्दबंध
घ.कक्रया पर्दबंध
प्रश्ि 4. निम्िलिखित पांच भागों में से ककन्हीं चार भागों के उत्तर र्दीजिए। 4
1. चोर र्दक
ु ाि का तािा तोड रहा था कक पलु िस िे उसे रं गे हाथों पकड लिया।
इस वाक्य का भेर्द है —
क.संयक्
ु त वाक्य
ि. लमश्र वाक्य
ग.सरि वाक्य
घ.इिमें से कोई िहीं
2. मेरा वह लमत्र, जिसका िाम मोहि िाि है , उर्दार और सरि व्यजक्त है ।
वाक्य का भेर्द लिखिए।
क. संयुक्त वाक्य
ि. लमश्र वाक्य
ग.सरि वाक्य
घ.इिमें से कोई िहीं
3. मैं अकेिा था इसलिए गुंडों िे मुझे बहुत पीिा। वाक्य का भेर्द
लिखिए
क. संयुक्त वाक्य
ि. लमश्र वाक्य
ग.सरि वाक्य
घ. आचश्रत वाक्य
4. सरि वाक्य चनु िए।
क. िब शीिा बािार गई तो पस्
ु तक िरीर्द िाई
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ि. वह र्दो ढर्दि गांव में रहा और सबका वप्रय हो गया
ग. धिी व्यजक्त हर चीि िरीर्द सकता है
घ. िब समुद्र को गुस्सा आया तब उसिे अपिा रौद्र रूप ढर्दिाया
5. िब िौकरािी घर में िहीं थी, तब चोरी हो गई। इस वाक्य में प्रधाि वाक्य
पहचाि कर लिखिए
क) तब चोरी हो गई
ि) िब िौकरािी घर में िहीं थी तब चोरी हो गई
ग) उपयुणक्त र्दोिों
घ) िब िौकरािी घर में िहीं थी
प्रश्ि 5. निम्िलिखित पांच भागों में से ककन्हीं चार भागों के उत्तर र्दीजिए। 4
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4. िाभ और अिाभ का समास होगा--
क. िाभ और अिाभ
ि. िाभ- अिाभ
ग. िाभािाभ
घ. िाभ- िाभ
5. कमििोचि श्री राम सब पर कृपा करते हैं। इस वाक्य में प्रयुक्त समास का
भेर्द लिखिए
क. अव्ययीभाव समास
ि. तत्पुरुष समास
ग. दवंदव समास
घ. बहुव्रीढह समास
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ि. ििर रििा
ग. पहारा रििा
घ. कूि-कूि कर भरी
4. यह िाफ्िर चैिि पर आिे वािे फूहड हंसोडे मझ
ु …
े …..।ररक्त स्थाि की
पनू तण कीजिए।
क. धमाचौकडी मचाते हैं
ि. आंि बचाते हैं
ग. फूिी आंि िहीं सुहाते
घ. मिा ििाते
प्रश्ि 7. निम्िलिखित पदयांश को प़िकर प्रश्िों के सवाणचधक उपयुक्त ववकल्पों
का चयि कीजिए। 4
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सहषण वीर कर्ण िे शरीर-चमण भी ढर्दया।
अनित्य र्दे ह के लिए अिाढर्द िीव क्या डरे ?
वही मिुष्य है कक िो मिुष्य के लिए मरे ।।
सहािभ
ु नू त चाढहए¸ महाववभनू त है वही;
वशीकृता सर्दैव है बिी हुई स्वयं मही।
ववरूदधवार्द बुदध का र्दया–प्रवाह में बहा¸
वविीत िोक वगण क्या ि सामिे झुका रहा?
अहा! वही उर्दार है परोपकार िो करे ¸
वहीं मिुष्य है कक िो मिुष्य के लिए मरे ।।
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अिथण है कक बंधु ही ि बंधु की व्यथा हरे ¸
वही मिुष्य है कक िो मिुष्य के लिए मरे ।।
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ग. संस्कृत
घ. ब्रि
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आत्मा स्वगण से निकिकर ववरक्त मि से िये संस्कार ग्रहर् करिे िा रही हो।
बािकों की एक परू ी सेिा िग गयी; और झाडर्दार बााँस लिये उिका स्वागत
करिे को र्दौडी आ रही थी। ककसी को अपिे आगे-पीछे की िबर ि थी। सभी
मािो उस पतंग के साथ ही आकाश में उड रहे थे, िहााँ सब कुछ समति है , ि
मोिरकारें हैं, ि राम, ि गाडडयााँ।
1. प्रेमचंर्द के अंग्रेिों दवारा िप्त ककए हुए कहािी संग्रह का क्या िाम था?
क. सोजेवति
ि. मािसरोवर
ग. उपयुणक्त र्दोिों
घ. इिमें से कोई िहीं
2. भाई साहब के अंर्दर डांििे का िेिक पर क्या पररर्ाम हुआ?
क. उिके मि में बडे भाई के प्रनत को भाविा िागत ृ हो गई
ि. वे अचधक स्वच्छं र्द हो गए
ग. उन्हें ऐसा िगा कक भाई साहब को मझ
ु े डांििे का अचधकार िहीं
घ. उपयुणक्त सभी
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ग) प्रेमचंर्द
घ) उपयुणक्त सभी
का चयि कीजिए। 5
चाय तैयार हुई। उसिे वह प्यािों में भरी। कफर वे प्यािे हमारे सामिे रि ढर्दए
गए। वहां हम तीि लमत्र थे । इस ववचध में इस ववचध में शांनत मुख्य बात होती
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है । इसलिए वहां तीि से अचधक आर्दलमयों को प्रवेश िहीं ढर्दया िाता। प्यािे में
र्दो घूि से अचधक चाय िहीं थी। हम ओंिों से प्यािा िगाकर एक एक बूंर्द
चाय पीते रहे । करीब डे़ि घंिे तक चुजस्कयां का यह लसिलसिा चिता रहा।
पहिे र्दस-पंद्रह लमिि तो मैं उिझि में पडा। कफर र्दे िा, ढर्दमाग की रफ्तार
धीरे -धीरे धीमी पडती िा रही है ।थोडी र्दे र में बबल्कुि बंर्द भी हो गई। मुझे
िगा मािो अिंत काि में मैं िी रहा हूं। यहां तक कक सन्िािा भी सुिाई र्दे िे
िगा। अकसर हम या तो गुिरे हुए ढर्दिों की िट्िी-मीिी यार्दों में उिझे रहते
हैं या भववष्य के रं गीि सपिे र्दे िते रहते हैं। हम या तो भूतकाि में रहते हैं या
भववष्य काि में। असि में र्दोिों काि लमथ्या है । एक चिा गया है , र्दस
ू रा
आया िहीं है । हमारे सामिे िो वतणमाि क्षर् है , वही सत्य है । उसी में वही
सत्य है । उसी में िीिा चाढहए । चाय पीते- पीते उस ढर्दि मेरे ढर्दमाग से भत
ू
और भववष्य र्दोिों काि उड गए थे। केवि वतणमाि क्षर् सामिे था। और वह
अिंत काि जितिा ववस्तत
ृ था।
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3. पर्णकुिी की क्या ववशेषता है ?
क. उसकी छत र्दफ्ती की र्दीवारों वािी है
ि. र्दीवार पर िमीि पर िािा में बबछी हुई है
ग. वहां शांनत बहुत महत्वपर्
ू ण है
घ. उपयणक्
ु त सभी
4. िेिक को ऐसा क्यों िग रहा था िैसे ियाियवंती के सुर गूंि रहे हो?
क वहां की शांनत महसूस कर
ि. वतणमाि में िीिे के अिुभव के कारर्
ग. चाजििंग की गररमा पूर्ण कायणपदधती
घ. सन्िािा सुिाई र्दे िे के कारर्
5. झेि की र्दे ि यह पदधनत कौि सी भारतीय पदधनत से लमिती-िुिती है ?
क. काम करिे की पदधनत
ि. अमेररकि िोंगों से स्पधाण करिे की प्रववृ त्त
ग. उपयुणक्त र्दोिो
घ. बौदध र्दशणि में वखर्णत ध्याि की पदधनत
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स्पष्ि कीजिए।
‘बडे भाई साहब’ तथा ‘कबीर की सािी’ पाि में ककताबी ज्ञाि को महत्व ि र्दे िे
की बात की गई है । पाि के माध्यम से स्पष्ि कीजिए।
प्रश्ि 12. निम्िलिखित में से ककन्हीं र्दो प्रश्िों के उत्तर 40- 50 शब्र्दों में लिखिए।
3×3=6
iii) िोपी िे मुन्िी बाबू के बारे में कौि सा रहस्य छुपा कर रिा था और
क्यों? ववस्तार से समझाइए।
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संकेत बबंर्द ु -
● मिुष्य का िीवि पहे िी की तरह
रयष्ट्रभयषय ठ द
ां ी
संकेत बबंर्द ु -
● भाषा का िीवि में स्थाि
● ढहंर्दी के प्रसार हे तु सझ
ु ाव
ि यां चय व यां रय
संकेत बबंर्द ु -
● इच्छा शजक्त का महत्व
● प्रेरर्ार्दाई उर्दाहरर्
प्रश्ि 14. अपिी कक्षा को आर्दशण रूप र्दे िे के लिए अपिे सुझाव र्दे ते हुए
प्रधािाचायण को एक प्राथणिा पत्र लिखिए 5
अथवय
आपिे कुछ समय पूवण कुछ सामाि का आडणर ढर्दया था परं तु उसका
भुगताि करिे में अनतररक्त समय की मांग हे तु एक पत्र लिखिए
VC/X/HINDI/FP-1 25
प्रश्ि 15. आप सवोर्दय कन्या ववदयािय ढर्दल्िी के प्रधािाचायण डॉक्िर उमेश
पाढिि है । ववदयािय में वि महोत्सव का आयोिि करिे से संबंचधत
सच
ू िा ववदयािय के सभी लशक्षकों और छात्राओं को र्दीजिए। 5
अथवय
ढर्दल्िी मेरो के कुछ स्िे शिों पर असवु वधा हे तु सूचिा िेिि कीजिए।
प्रश्ि 17. ‘ मैं पुस्तक बोिता हूं ’ इस ववषय पर 100 से 120 शब्र्दों में
एक िघु कथा िेिि कीजिए। अथवय 5
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