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कक्षा 10वीं Revision Test - I ह दिं ी कोर्स ‘ब’(कोड-085)

DATE: / /2021 अहिकतम अिंक 80 हििासरित र्मय 3 घिंटे

This question paper consists of 13 papers and 25 printed sides.

सामान्य निर्दे श: निम्िलिखित निर्दे शों को बहुत सावधािी से पढ़िए और उिका


पािि कीजिए।

● इस प्रश्ि-पत्र में र्दो िडं हैं- िडं 'अ' और 'ब'

● िडं 'अ' में कुि 9 वस्तुपरक प्रश्ि पछ


ू े हैं| सभी प्रश्िों में उप प्रश्ि ढर्दये गये
हैं । ढर्दए गए निर्दे शों का पािि करते हुए प्रश्िों के सही उत्तर र्दीजिए|

● िडं 'ब' में कुि 8 वर्णिात्मक प्रश्ि पूछे गए हैं| प्रश्िों में आंतररक ववकल्प
ढर्दए गए हैं। ढर्दए गए निर्दे शों का पािि करते हुए प्रश्िों के उत्तर र्दीजिए।

िंड ‘अ' वस्तुपिक प्रश्ि

अपढित गदयांश

प्रश्ि 1. िीचे र्दो गदयांश ढर्दए गए हैं। ककसी एक गदयांश को ध्यािपूवणक पढ़िए

और उस पर आधाररत प्रश्िों के उत्तर र्दीजिए। 5x1=5

गद्ािंश-I

यढर्द आप इस गदयांश का चयि करते हैं। तो कृपया उत्तर पजु स्तका मैं लििे की
आप प्रश्ि संख्या 1 में ढर्दए गए गदयांश-I पर आधाररत प्रश्िों के उत्तर लिि
रहे हैं।

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भारतीय मिीषा िे किा, धमण, र्दशणि और साढहत्य के क्षेत्र में िािा भाव से
महत्वपूर्ण फि पाए हैं और भववष्य में भी महत्वपूर्ण फि पािे की योग्यता का
पररचय वह र्दे चुकी है । परं तु लभन्ि कारर्ों से समूची ििता एक ही धराति
पर िहीं है और सबकी चचंति-दृजष्ि भी एक िहीं है । िल्र्दी ही कोई फि पा
िेिे की आशा में अिकिपच्चू लसदधांत कायम कर िेिा और उसके आधार पर
कायणक्रम बिािा अभीष्ि लसदध में सब समय सहायक िहीं होगा।

ववकास की अिग-अिग सीढ़ियों पर िडी ििता के लिए िािा प्रकार के


कायणक्रम आवश्यक होंगे। उदर्दे श्य की एकता ही ववववध कायणक्रमों में एकता िा
सकती है , परं तु इतिा निजश्चत है कक िब तक हमारे सामिे उदर्दे श्य स्पष्ि िहीं
हो िाता, तब कोई भी कायण, ककतिी ही व्यापक शुभेच्छा के साथ क्यों ि आरं भ
ककया िाए, वह फिर्दायक िहीं होगा।

बहुत-से ढहंर्द-ू एकता को या ढहंर्द-ू संगिि को ही िक्ष्य मािकर उपाय सोचिे


िगते हैं। वस्तुत: ढहंर्द-ू मुजस्िम एकता साधि है , साध्य िहीं। साध्य है , मिुष्य
को पशु समाि स्वाथी धराति से ऊपर उिाकर ‘मिुष्यता’ के आसि पर ।

ढहंर्द ू और मुजस्िम अगर लमिकर संसार में िि


ू -िसोि मचािे के लिए साम्राज्य
स्थावपत करिे निकि पडे, तो ढहंर्द-ू मुजस्िम लमिि से मिुष्यता कााँप उिे गी।
परं तु ढहंर्द-ू मुजस्िम लमिि का उदर्दे श्य है -मिुष्य को र्दासता, िडता, , कुसंस्कार
और परमि
ु ापेक्षक्षता से बचािा; मिष्ु य को क्षुद्र स्वाथण और अहलमका की र्दनु िया
से ऊपर उिाकर सत्य, और र्दनु िया में िे िािा; मिष्ु य दवारा मिष्ु य के शोषर्
को हिाकर परस्पर सहयोचगता के पववत्र धि में बााँधिा। मिुष्य का सामढू हक
कल्यार् ही हमारा िक्ष्य हो सकता है । वही मिुष्य का सवोत्तम प्राप्य है ।

आयण, िाग, आभीर आढर्द िानतयों के सैकडों वषों के संघषण के बार्द ढहंर्द ू
दृजष्िकोर् बिा है । िए लसरे से भारतीय दृजष्िकोर् बिािे के लिए इतिे ही िंबे
अरसे की िरूरत िहीं है । आि हम इनतहास को अचधक यथाथण ढं ग से समझ
सकते हैं और तर्दिक
ु ू ि अपिे ववकास की योििा बिा सकते हैं। धैयण हमें कभी

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िहीं छोडिा चाढहए। इनतहास-ववधाता समझकर ही हम अपिी योििा बिाएाँ, तो
सफिता की आशा कर सकते हैं।

1. उपयणक्
ु त गदयांश का उपयक्
ु त शीषणक र्दीजिए।
क) हमारा िक्ष्य-मािव-कल्यार्।
ि) ववववधता में एकता
ग) ढहंर्द ू मुजस्िम एकता
घ) उपयुणक्त सभी
2. मिुष्य का सवोत्तम प्राप्य क्या होिा चाढहए?

क) ढहंर्द ू मुजस्िम की एकता


ि) मिुष्य का सामूढहक कल्यार्
ग) समच
ू ी ििता को एक धराति पर िािा
घ) इिमें से कोई िहीं

3.ककसी भी कायण को फिर्दाई करिे के लिए क्या करिा चाढहए


क) ढहंर्द ू मुजस्िम की एकता
ि) िोगों का कल्यार् करिा
ग) िए लसदधांत तैयार करिा
घ) उदर्दे श्य को स्पष्ि करिा
4. ढहंर्द ू मजु स्िम एक के मािवता के लिए कब घातक हो सकता है ?
क) िब वह एक र्दस
ू रे से िडेंगे
ि) र्दोिों लमिकर र्दे श के लिए काम करें गे
ग) र्दोिों लमिकर ककसी को िूििे के लिए एकत्र होंगे
घ) उपयुणक्त सभी।
5. हमें भववष्य कािीि योििा बिािे के लिए ककस का सहारा िेिा चाढहए
क) ढहंर्द ू मुजस्िम एकता का
ि) मािव कल्यार् का
ग) उपयणक्
ु त र्दोिों
घ) इनतहास का

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गदयांश -II

यढर्द आप इस गदयांश का चयि करते हैं तो कृपया उत्तर पजु स्तका मैं लििे की
आप प्रश्ि संख्या 1 में ढर्दए गए गदयांश-II पर आधाररत प्रश्िों के उत्तर लिि
रहे हैं।

ववधाता-रचचत इस सजृ ष्ि का लसरमौर है -मिुष्य, उसकी कारीगरी का सवोत्तम


िमूिा। मािव को ब्रहमांड का िघु रूप मािकर भारतीय र्दाशणनिकों िे ‘यत ् वपंडे
तत ् ब्रहमडे’ की कल्पिा की थी। उिकी यह कल्पिा मात्र कल्पिा िहीं थी,
प्रत्युत यथाथण में िो ववचारिा के रूप में घढित होता है , उसी का कृनत रूप ही
तो सजृ ष्ि है । मि तो मि, मािव का शरीर भी अप्रनतम है । र्दे ििे में इससे
भव्य, आकषणक एवं िावण्यमय रूप सजृ ष्ि में अन्यत्र कहााँ है ? अदभत
ु एवं
अदवतीय है -मािव-सौंर्दयण। साढहत्यकारों िे इसके रूप-सौंर्दयण के वर्णि के लिए
ककतिे ही अप्रस्तुतों का ववधाि ककया है करिे के लिए अिेक काव्य-सजृ ष्ियााँ
रच डािी हैं।

साढहत्यशाजस्त्रयों िे भी इसी हुए अिेक रसों का निरूपर् ककया है । परं तु


वैज्ञानिक दृजष्ि से ववचार ककया िाए, तो मािव-शरीर को एक िढिि यंत्र से
उपलमत ककया िा सकता है । जिस प्रकार यंत्र के एक पुिे में बबगाड आिािे से
यंत्र गडबडा िाता है , बेकार हो िाता है , उसी प्रकार मािव-शरीर के ववलभन्ि
अवयवों में से बबगड िाता है , तो उसका प्रभाव सारे शरीर पर पडता है । इतिा
ही िहीं, गर्द
ु े िैसे कोमि एवं िािक
ु ढहस्से के िराब हो िािे से यह गनतशीि
वपुयणत्र एकाएक अवरुदध हो सकता है , व्यजक्त की मत्ृ यु हो सकती है ।

एक अंग के ववकृत होिे पर सारा शरीर र्दं डडत हो, वह कािकवलित हो िाए-यह
ववचारर्ीय है । यढर्द ककसी यंत्र के पि
ु े को बर्दिकर उसके स्थाि पर िया पुिाण
िगाकर यंत्र को पव
ू णवत सुचारु एवं व्यवजस्थत रूप से कक्रयाशीि बिाया िा
सकता है तो शरीर के ववकृत अंग के स्थाि पर िव्य निरामय अंग िगाकर
शरीर को स्वस्थ एवं सामान्य क्यों िहीं बिाया िा सकता?

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शल्य-चचककत्सकों िे इस र्दानयत्वपूर्ण चुिौती को स्वीकार ककया तथा निरं तर
अध्यवसायपूर्ण साधिा के अिंतर अंग-प्रत्यारोपर् के क्षेत्र में सफिता प्राप्त की।
अंग-प्रत्यारोपर् का उदर्दे श्य यह है कक मिुष्य र्दीघाणयु प्राप्त कर सके। यहााँ यह
ध्यातव्य है कक मािव-शरीर हर अंग को उसी प्रकार स्वीकार िहीं करता, जिस
प्रकार हर ककसी का रक्त उसे स्वीकायण िहीं होता।

रोगी को रक्त र्दे िे से पूवण रक्त-वगण का परीक्षर् अत्यावश्यक है तो अंग-


प्रत्यारोपर् से पव
ू ण ऊतक-परीक्षर् अनिवायण है । आि का शल्य-चचककत्सक गुर्दे,
यकृत, आाँत, फेफडे और हृर्दय का प्रत्यारोपर् सफितापूवक
ण कर रहा है । साधि-
संपन्ि चचककत्साियों में मजस्तष्क के अनतररक्त शरीर के प्राय: सभी अंगों का
प्रत्यारोपर् संभव हो गया है ।

उपर्युक्त अपठित गदर्यांश के आधयर पर निम्िलिखित प्रश्िों के उत्तर


दीजिए –

1. यत ् वपंडे तत ् ब्रहमडे’ से क्या तात्पयण है ?


क) िो मािव में है वही ब्रहमांड में है
ि) िैसे मािव कहता है वैसे ब्रहमांड चिता है
ग) उपयुणक्त र्दोिो
घ) संपूर्ण ब्रहमांड मािव दवारा निलमणत है

2. मािव शरीर के प्रनत िेिकों और कववयों का क्या दृजष्िकोर् रहा है ?


क) भव्य, आकषणक एवं िावण्यमय
ि) अदभुत एवं अदवतीय
ग) उपयणक्
ु त र्दोिो
घ) ककसी यंत्र के पि
ु े के समाि

3.शल्य चचककत्सकों िे िो चुिौती स्वीकार की है उसका ध्येय क्या है ?


क) मिुष्य के अंगों का प्रत्यारोपर्
ि) मिुष्य को र्दीघाणयु र्दे िा

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ग) मिुष्य की अच्छी चचककत्सा करिा
घ) उपयुणक्त सभी

4. मािव शरीर को ‘मशीि’ की संज्ञा क्यों र्दी गई है ?


क) यंत्र के िैसे मिष्ु य का शरीर चिता है
ि) चचककत्सक उसे यंत्र मािते हैं
ग) यंत्र के समाि मािव शरीर भी अिेक पि
ु ों से बिा है
घ) उपयुणक्त सभी

5. रक्त और अंग में ककस दृजष्ि से समािता है

क) र्दोिों ही मिष्ु य के शरीर के ढहस्से हैं


ि)रिता र्दे िे से पहिे और पि
ु े बर्दििे से पहिे परीक्षर् ककया िाता है
ग) चचककत्सक र्दोिों को ही समाि मािते हैं
घ) उपयुणक्त सभी
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प्रश्ि 2. िीचे र्दो गदयांश ढर्दए गए हैं। ककसी एक गदयांश को ध्यािपव


ू णक पढ़िए
और उस पर आधाररत प्रश्िों के उत्तर र्दीजिए। 5x1=5
गदयांश -I
यढर्द आप इस गदयांश का चयि करते हैं तो कृपया उत्तर पजु स्तका मैं लििे की
आप प्रश्ि संख्या 2 में ढर्दए गए गदयांश-I पर आधाररत प्रश्िों के उत्तर लिि
रहे हैं।

अिश
ु ासि’ का अथण है -अपिे को कुछ नियमों से बााँध िेिा और उन्हीं के
अिुसार कायण करिा। कुछ व्यजक्त अिुशासि की व्याख्या ‘शासि का अिुगमि’
करिे के अथण में करते हैं, परं तु यह अिुशासि का संकुचचत अथण है । व्यापक रूप
में अिुशासि सुव्यवजस्थत ढं ग से उि आधारभूत नियमों का पािि ही है ,

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जििके दवारा ककसी अन्य व्यजक्त के मागण में बाधक बिे बबिा व्यजक्त अपिा
पूर्ण ववकास कर सके।

अिश
ु ासि में रहिे का भी एक आिंर्द है , िेककि आि व्यजक्तयों में
अिश
ु ासिहीिता की भाविा ब़ि रही है । समाचार-पत्रों में हमेशा यही प़ििे को
लमिता है कक आि अमुक िगर में र्दस र्दक
ु ािें िूिी गई, बसों में आग िगा र्दी
गई, र्दो चगरोहों में िाढियााँ चि गई आढर्द। ये बातें आए ढर्दि प़ििे को लमिती
हैं। यढर्द ककसी भी कमणचारी को कोई गित काम करिे से रोका िाए, तो वह
अपिे साचथयों से लमिकर काम बंर्द करा र्दे गा। बहुत ढर्दिों तक हडतािें चिती
रहें गी। कारिािों और कायाणियों में काम बंर्द हो िाएगा।

अिुशासि के अभाव में समाि में अरािकता और अशांनत का साम्राज्य होता


है । वन्य पशओ
ु ं में अिश
ु ासि का कोई महत्व िहीं है , इसी कारर् उिका िीवि
असरु क्षक्षत, आतंककत एवं अव्यवजस्थत रहता है । सभ्यता और संस्कृनत के
ववकास के साथ-साथ िीवि में अिुशासि का महत्व भी ब़िता गया। आि के
वैज्ञानिक युग में तो अिुशासि के बबिा मिष्ु य का कायण ही िहीं हो सकता।
कुछ व्यजक्त सोचते हैं कक अब मािव सभ्य और लशक्षक्षत हो गया है , उस पर
ककसी भी प्रकार के नियमों का बंधि िहीं होिा चाढहए।

वह स्वतंत्र रूप से िो भी करे , उसे करिे र्दे िा चाढहए। िेककि यढर्द व्यजक्त को
यह अचधकार ढर्दया िाए तो चारों तरफ वन्य िीवि िैसी अव्यवस्था आ
िाएगी। मािव, मािव ही है , र्दे वता िहीं। उसमें सप्र
ु ववृ त्तयााँ और कुप्रववृ त्तयााँ र्दोिों
ही होती हैं। मािव सभ्य तभी तक रहता है , िब तक वह अपिी सप्र
ु ववृ त्तयों की
आज्ञा के अिुसार कायण करे । इसलिए मािव के पूर्ण ववकास के लिए कुछ बंधिों
और नियमों का होिा आवश्यक है ।

अिुशासिबदधता मािव-िीवि के मागण में बाधक िहीं, अवपतु उसको पूर्ण


उन्िनत तक पहुाँचािे के लिए अिुकूि अवसर प्रर्दाि करती है । अिुशासि के
बबिा तो मािव-िीवि की कल्पिा भी िहीं की िा सकती।

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ववदयाथी िीवि में तो अिुशासि का बहुत महत्व है । आि अिुशासिहीिता के
कारर् साि में छह महीिे ववश्वववदयाियों में हडतािें हो िाती हैं। तोड-फोड
करिा तो ववदयाथी का कतणव्य बि गया है । छोिी-छोिी बातों में मारपीि हो
िाती है ।अत: हर मिष्ु य का कतणव्य है कक अिश
ु ासि का उल्िंघि ि करे । यह
ववचचत्र होते हुए भी ककतिा सत्य है कक अिश ु ासि एक प्रकार का बंधि है ,
परं तु मिुष्य को स्वच्छर्द रूप से अपिे अचधकारों का पूरा सर्दप
ु ूयोग करिे का
अवसर भी प्रर्दाि करता है । वह एक ओर बंधि है , तो र्दस
ू री ओर मुजक्त भी।

उपर्युक्त अपठित गदर्यांश के आधयर पर निम्िलिखित प्रश्िों के उत्तर दीजिए –

1.अिश
ु ासि का सही अथण क्या है ?
क) अन्य व्यजक्त के मागण में बाधक ि बििे के आधारभत
ू नियमों का पािि
करिा
ि) अपिे को कुछ नियमों से बााँध िेिा
ग) सरकार के नियमों का पािि करिा
घ) उपयुणक्त सभी
2. प्रकृनत के प्रनत वैज्ञानिकों का क्या दृजष्िकोर् है ?
क) वैज्ञानिक के साथ तार्दात्म्य में स्थावपत करते हैं
ि) वह उसका भाइयों रूप र्दे िकर सत्य की िोि करते हैं
ग) मिष्ु य के मि को उसके साथ िोडिे का प्रयास करते हैं
घ) उपयुणक्त सभी

3. वन्य िीवो पर अिुशासिहीिता के क्या पररर्ाम हुए हैं?


क) वे एक साथ लमिकर रहिे िगे हैं
वे असुरक्षक्षत आतंककत और अव्यवजस्थत हो गए हैं
ग) उि पर कोई बंधि िहीं रह गया है
घ) उपयणक्
ु त सभी

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4. मािव के सारे बंधि समाप्त करिे के क्या पररर्ाम होंगे?
क) वह मुक्त रूप से संचार करिे िगेगा
ि) स्वतंत्र सोच निमाणर् होगी
ग) पशओ
ु ं में और उसमें कोई अंतर िहीं रहेगा
घ) इि में कोई िहीं

5. मािव र्दे वता िहीं हो सकता इसका क्या कारर् है ?


क) मिष्ु य में र्दे वता िैसा कोई गर्
ु िहीं
ि) उसमें सभी सप्र
ू वनृ तयां है
ग) उसमें सभी कुप्रवनृ तयां हैं
घ) उसमें सुप्रववृ त्तयां और कुप्रवनृ तयां है

गदयांश -II

यढर्द आप इस गदयांश का चयि करते हैं तो कृपया उत्तर पजु स्तका मैं लििे की
आप प्रश्ि संख्या 2 में ढर्दए गए गदयांश-II पर आधाररत प्रश्िों के उत्तर लिि
रहे हैं।
हम कमिोर वगों का उत्थाि करिा चाहते हैं। इसके लिए हम कुछ ववशेष
योििाएाँ बिाएाँ। उि योििाओं के कायाणन्वयि से उिकी हाित सुधर िाएगी।’
राष्रवपता महात्मा गांधी के ‘करो पढहिे, कहो पीछे ’ वािे आहवाि को ताक पर
रिकर ढर्दए िािे वािे ऐसे आश्वासि वपछिे सात र्दशकों से हम हर सत्ताधारी
पािी के कर्णधारों के मुाँह से सुिते आ रहे हैं।

हर पािी िे अपिे शासिकाि में कई प्रकार के बहुसत्र


ू ीय कायणक्रम भी बिाए,
जििके तहत करोडों रुपये का प्रावधाि ककया गया। सरकार स्वयं िािती है कक
ऐसी रकम का बहुत थोडा अंश कमिोर वगों तक पहुाँच पाता है । शेष रकम बीच

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में मध्यस्थ राििेताओं, िे केर्दारों और हाककमों की िेब में चिी िाती है । िैसे
िीर्ण पाइप िाइि से बहता पािी बीच-बीच में छे र्दों से होकर चू िाता है ।

पव
ू ण प्रधािमंबत्रयों और अन्य कर्णधारों के िामों पर चिाई गई इि महत्वाकांक्षी
योििाओं के कायाणन्वयि के बार्द भी हमारे समाि के कमिोर वगों के सर्दस्यों
की निरं तर वद
ृ ध ही होती आ रही है , कमी िहीं। वे गरीबी की रे िा से िीचे धंसे
िा रहे हैं, उभरते िहीं।

‘कमिोर’ शब्र्द र्दो शब्र्दों के मेि से बिा है , कम िोर। यािी जिस वगण के
सर्दस्यों में िोर कम है , वह वगण कमिोर पररवार और समूह िए ढं ग से
ववदयोपािणि से ववमि
ु रहे हैं या ववदया से वंचचत रह गए हैं, वे िीचे चगरते गए
हैं, भिे ही उन्होंिे ककसी सीधे या कुजत्सत मागण से थोडा-बहुत धि अजिणत ककया
हो। ववदयाववहीि के हाथ आया धि वैसे ही निरुपयोगी है , िैसे बंर्दर के हाथ
आया पष्ु पहार।

इसलिए िो भी राििीनतक र्दि भारतीय समाि के कमिोर वगण में उत्थाि की


शजक्त भर र्दे िा चाहते हैं, उन्हें चाढहए कक िहााँ आवश्यक व संभव हो, उर्दारमिा
उदयोगपनतयों और औदयोचगक उपक्रमों का यथोचचत सहयोग िेते हुए ऐसा
वातावरर् बिाएाँ, जिससे कमिोर वगण का हर बािक-बालिका, हर ककशोर अपिी
बौदधक क्षमता के अिुरूप, अपिी िन्मिात रुचच के अिुरूप कोई-ि-कोई
िीविोपयोगी ववदया अजिणत कर सके। ‘ववर्दयाधिं सवणधिात ् प्रधािम ्’ िीवि भर
सीिते रहिे की अलभिाषा पा सके।

ववदयोपािणि के लिए अक्षर ज्ञाि अनिवायण है या िहीं? इस पर लशक्षाववर्दों में


मतभेर्द है । कुछ ववदवािों का माििा है कक बबिा अक्षरज्ञाि पाए भी ज्ञाि-ग्रहर्
ककया िा सकता है । वे कबीर िैसे ज्ञानियों का उर्दाहरर् र्दे ते हैं, जिन्होंिे किम-
र्दवात हाथ से छुए बबिा उच्च कोढि का ज्ञाि पाया। पर ये तो कुछ अपवार्द
मात्र हैं। साधारर् नियम िहीं। अक्षर को ज्ञाि-भंडार की कंु िी मािते हैं तो
कमिोर वगों का उत्थाि करिे की इच्छा रििे वािे राििैनतक ऐसी योििाएाँ
बिाएाँ, िो कमिोर वगण को निरक्षरता से और अलशक्षा से मक्
ु त कर सकें।

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निम्िलिखित में से निर्दे शािस
ु ार सवाणचधक उपयक्
ु त ववकल्प का चयि कीजिए।

1. ‘ववदयाधि सवणधिात ् प्रधािम ्’ का अथण बताइए


क) ववदयाधि सवण धिो में प्रधाि है
ि) ववदया ही सवोपरर है
ग) ववदया से ब़िकर धि होता है
घ) इिमें से कोई िहीं

2 ववदया ढहिा के हाथों में आया धि क्यों निरोपयोगी हो सकता है ?


क) वह धि का सही उपयोग िहीं िािता है
ि) बंर्दर के हाथ में पुष्पा हार र्दे र्दे ता है
ग) उपयणक्
ु त र्दोिो
घ) आि के िेता के समाि बि िाता है

3. राििेताओं को ककस प्रकार की योििा बिािी चाढहए?


क) गांधी िी िे िो बताई है
ि) कमिोर हो कक निरक्षरता और अलशक्षा ित्म करिे वािी
ग) उदयोगपनतयों का सहयोग िेिे वािी
घ) उपयुणक्त सभी

4. आि के िेता गि गांधीिी के कौि से आहवाि को ताक पर रि रहे हैं?


क) गरीबों का उत्थाि करिे के
ि) निरक्षरता को र्दरू करिे के
ग) उपयुणक्त र्दोिों
घ) पहिे काम करो और कफर बताओ

5. ववदयािणि और अक्षर ज्ञाि में क्या अंतर है ?

क) र्दोिों एक ही है

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ि) दोिों का अर्स ज्ञाि की प्राहि कििा ै
ग) ववदयािणि का अथण है ववदया की प्राजप्त और अक्षर ज्ञाि का अथण है अक्षर
का ज्ञाि
घ) ववदयािणि का अथण है िीवि उपयोगी किा का ज्ञाि और अक्षर ज्ञाि का
अथण है साक्षर होिा

व्यव ारिक व्याकिण


प्रश्न 3. हिम्िहिहित पािंच भागों में र्े हकन् ीं चाि भागों के उत्ति दीहिए। 4

1 वह बहुत िोर से बोिता है ।रे िांककत पर्दबंध है ----


क.कक्रया ववशेषर् पर्दबंध
ि.कक्रया पर्दबंध
ग.सवणिाम पर्दबंध
घ. संज्ञा पर्दबंध
2. निम्िलिखित में से कौि सा वाक्य संज्ञा पर्दबंध का उर्दाहरर् है ।
क. मैं लिि सकता हूं
ि. पास के मकाि में रहिे वािा आर्दमी मेरा पररचचत है
ग. मोढहिी धीरे -धीरे गा रही है
घ. कवपि बहुत अच्छा खििाडी है
3. शेर की तरह र्दहाड िे वािे तम
ु कााँप क्यों रहे हो ।पर्दबंध का भेर्द लिखिए।
क. कक्रया पर्दबंध
ि. संज्ञा पर्दबंध
ग. ववशेषर् पर्दबंध
घ. सवणिाम पर्दबंध
4. इस गिी में सबसे बडा मकाि शमाण िी का है । रे िाअंकक पर्दबंध का
प्रकार है ।
क. संज्ञा पर्दबंध
ि. सवणिाम पर्दबंध
ग. ववशेषर् पर्दबंध

VC/X/HINDI/FP-1 12
घ.अव्यय पर्दबंध
5. हम सब प़ि कर सो िाया करते हैं। रे िांककत पर्दबंध का प्रकार लिखिए।
क.सवणिाम पर्दबंध
ि. अव्यय पर्दबंध
ग. ववशेषर् पर्दबंध
घ.कक्रया पर्दबंध

प्रश्ि 4. निम्िलिखित पांच भागों में से ककन्हीं चार भागों के उत्तर र्दीजिए। 4

1. चोर र्दक
ु ाि का तािा तोड रहा था कक पलु िस िे उसे रं गे हाथों पकड लिया।
इस वाक्य का भेर्द है —
क.संयक्
ु त वाक्य
ि. लमश्र वाक्य
ग.सरि वाक्य
घ.इिमें से कोई िहीं
2. मेरा वह लमत्र, जिसका िाम मोहि िाि है , उर्दार और सरि व्यजक्त है ।
वाक्य का भेर्द लिखिए।
क. संयुक्त वाक्य
ि. लमश्र वाक्य
ग.सरि वाक्य
घ.इिमें से कोई िहीं
3. मैं अकेिा था इसलिए गुंडों िे मुझे बहुत पीिा। वाक्य का भेर्द
लिखिए
क. संयुक्त वाक्य
ि. लमश्र वाक्य
ग.सरि वाक्य
घ. आचश्रत वाक्य
4. सरि वाक्य चनु िए।
क. िब शीिा बािार गई तो पस्
ु तक िरीर्द िाई

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ि. वह र्दो ढर्दि गांव में रहा और सबका वप्रय हो गया
ग. धिी व्यजक्त हर चीि िरीर्द सकता है
घ. िब समुद्र को गुस्सा आया तब उसिे अपिा रौद्र रूप ढर्दिाया
5. िब िौकरािी घर में िहीं थी, तब चोरी हो गई। इस वाक्य में प्रधाि वाक्य
पहचाि कर लिखिए
क) तब चोरी हो गई
ि) िब िौकरािी घर में िहीं थी तब चोरी हो गई
ग) उपयुणक्त र्दोिों
घ) िब िौकरािी घर में िहीं थी

प्रश्ि 5. निम्िलिखित पांच भागों में से ककन्हीं चार भागों के उत्तर र्दीजिए। 4

1. ‘ हाथोंहाथ में कौि सा समास है ?


क. अव्ययीभाव समास
ि. अचधकरर् तत्पुरुष समास
ग. संबंध तत्पुरुष समास
घ. संप्रर्दाि तत्पुरुष समास
2. ‘र्दयाद्रण ’ समास का उर्दाहरर् है --
क. अव्ययीभाव समास
ि. तत्पुरुष समास
ग. दवंदव समास
घ. बहुव्रीढह समास
3. ‘ मधुमक्िी’ का समास ववग्रह होगा—
क. मधु और मक्िी
ि. मधु- मक्िी
ग. मधुर है िो मक्िी
घ. मधु का संचयि करिे वािी मक्िी

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4. िाभ और अिाभ का समास होगा--
क. िाभ और अिाभ
ि. िाभ- अिाभ
ग. िाभािाभ
घ. िाभ- िाभ
5. कमििोचि श्री राम सब पर कृपा करते हैं। इस वाक्य में प्रयुक्त समास का
भेर्द लिखिए
क. अव्ययीभाव समास
ि. तत्पुरुष समास
ग. दवंदव समास
घ. बहुव्रीढह समास

प्रश्ि 6. निम्िलिखित चार भागों के उत्तर र्दीजिए। 4


1. स्वयं को ऊंचा समझिे वािे िोग......... से बाि िहीं आते।
क. हे कडी ितािे
ि. हाथ िगिे
ग. र्दांतों पसीिा आिे
घ. चक्कर िािे
2. ‘ आंिों में तैरिा ’ इस मह
ु ावरे का अथण है ----
क. उपाय ि लमििा
ि. मि में प्रकि होिा
ग. धोिा र्दे िा
घ. आंिें धूि फेंकिा

3. आतंकवाढर्दयों के मि में दवेष की भाविा....... रहती है । ररक्त स्थाि


की पनू तण कीजिए।
क. निगरािी

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ि. ििर रििा
ग. पहारा रििा
घ. कूि-कूि कर भरी
4. यह िाफ्िर चैिि पर आिे वािे फूहड हंसोडे मझ
ु …
े …..।ररक्त स्थाि की
पनू तण कीजिए।
क. धमाचौकडी मचाते हैं
ि. आंि बचाते हैं
ग. फूिी आंि िहीं सुहाते
घ. मिा ििाते
प्रश्ि 7. निम्िलिखित पदयांश को प़िकर प्रश्िों के सवाणचधक उपयुक्त ववकल्पों
का चयि कीजिए। 4

ववचार िो कक मत्यण हो ि मत्ृ यु से डरो कभी¸


मरो परन्तु यों मरो कक यार्द िो करे सभी।
हुई ि यों सु–मत्ृ यु तो वथ
ृ ा मरे ¸ वथ
ृ ा जिये¸
मरा िहीं वहीं कक िो जिया ि आपके लिए।
यही पशु–प्रववृ त्त है कक आप आप ही चरे ¸
वही मिुष्य है कक िो मिुष्य के लिए मरे ।।

उसी उर्दार की कथा सरस्वती बिािती¸


उसी उर्दार से धरा कृताथण भाव मािती।
उसी उर्दार की सर्दा सिीव कीनतण कूिती;
तथा उसी उर्दार को समस्त सजृ ष्ि पि
ू ती।
अिण्ड आत्मभाव िो असीम ववश्व में भरे ¸
वही मिुष्य है कक िो मिुष्य के लिये मरे ।।

क्षुधाथण रं नतर्दे व िे ढर्दया करस्थ थाि भी,


तथा र्दधीचच िे ढर्दया पराथण अजस्थिाि भी।
उशीिर क्षक्षतीश िे स्वमांस र्दाि भी ककया,

VC/X/HINDI/FP-1 16
सहषण वीर कर्ण िे शरीर-चमण भी ढर्दया।
अनित्य र्दे ह के लिए अिाढर्द िीव क्या डरे ?
वही मिुष्य है कक िो मिुष्य के लिए मरे ।।

सहािभ
ु नू त चाढहए¸ महाववभनू त है वही;
वशीकृता सर्दैव है बिी हुई स्वयं मही।
ववरूदधवार्द बुदध का र्दया–प्रवाह में बहा¸
वविीत िोक वगण क्या ि सामिे झुका रहा?
अहा! वही उर्दार है परोपकार िो करे ¸
वहीं मिुष्य है कक िो मिुष्य के लिए मरे ।।

रहो ि भूि के कभी मर्दांध तुच्छ ववत्त में,


सिाथ िाि आपको करो ि गवण चचत्त में|
अिाथ कौि हैं यहााँ? बत्रिोकिाथ साथ हैं,
र्दयािु र्दीिबन्धु के बडे ववशाि हाथ हैं|
अतीव भाग्यहीि है अधीर भाव िो करे ,
वही मिुष्य है कक िो मिुष्य के लिए मरे ।।

अिंत अंतररक्ष में अिंत र्दे व हैं िडे¸


समक्ष ही स्वबाहु िो ब़िा रहे बडे–बडे।
परस्पराविम्ब से उिो तथा ब़िो सभी¸
अभी अमत्यण-अंक में अपंक हो च़िो सभी।
रहो ि यों कक एक से ि काम और का सरे ¸
वही मिुष्य है कक िो मिुष्य के लिए मरे ।।

"मिुष्य मात्र बन्धु है " यही बडा वववेक है¸


पुरार्परू
ु ष स्वयंभू वपता प्रलसदध एक है ।
फिािुसार कमण के अवश्य बाहय भेर्द है ¸
परं तु अंतरै क्य में प्रमार्भत
ू वेर्द हैं।

VC/X/HINDI/FP-1 17
अिथण है कक बंधु ही ि बंधु की व्यथा हरे ¸
वही मिुष्य है कक िो मिुष्य के लिए मरे ।।

चिो अभीष्ि मागण में सहषण िेिते हुए¸


ववपवत्त ववघ्ि िो पडें उन्हें ढकेिते हुए।
घिे ि हे ि मेि हााँ¸ ब़िे ि लभन्िता कभी¸
अतकण एक पंथ के सतकण पंथ हों सभी।
तभी समथण भाव है कक तारता हुआ तरे ¸
वही मिुष्य है कक िो मिुष्य के लिए मरे ।।

1. कवव के अिुसार मिुष्य कब अहं कारी हो िाता है


क. िब उसके पास धि संपवत्त आती है
ि. िब वह र्दस
ू रों के लिए िीता है
ग. िब वह परोपकारी बिता है
घ. िब वह परस्पराविंब का उपयोग करता है
2. सहािुभूनत से क्या तात्पयण है ?
क. सहयोगीयों की अिुभूनत
ि. करुर्ा की भाविा
ग. सहयोग की भाविा
घ. पशु के समाि प्रववृ त्त
3. गौतम बद
ु ध िे ववरोचधयों को अपिा अिय
ु ाई कैसे बिाया?
क. परोपकार से
ि. र्दयािुता से
ग. ववरोध से
घ. उपरोक्त सभी

4. मैचथिीशरर् गुप्त की काव्य भाषा कौि सी है ?


क. अवचध
ि. ववशद
ु ध िडी बोिी

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ग. संस्कृत
घ. ब्रि

प्रश्ि 8. निम्िलिखित गदयांश को प़िकर प्रश्िों के सवाणचधक उपयुक्त ववकल्पों


का चयि कीजिए। 5
मेरे और भाई साहब के बीच में अब केवि एक र्दरिे का अंतर और रह
गया। मेरे मि में एक कुढिि भाविा उर्दय हुई कक कहीं भाई साहब एक साि
और फेि हो िायाँ, तो मैं उिके बराबर हो िाऊाँ, कफर वह ककस आधार पर मेरी
फिीहत कर सकेंगे, िेककि मैंिे इस कमीिे ववचार को ढर्दि से बिपव
ू णक
निकाि डािा। आखिर वह मुझे मेरे ढहत के ववचार से ही तो डााँिते हैं। मुझे उस
वक्त अवप्रय िगता है अवश्य, मगर यह शायर्द उिके उपर्दे शों का ही असर हो
कक मैं र्दिार्दि पास होता िाता हूाँ और इतिे अच्छे िंबरों से।
अब भाई साहब बहुत कुछ िमण पड गये थे। कई बार मझ ु े डााँििे का अवसर
पाकर भी उन्होंिे धीरि से काम लिया। शायर्द अब वह िुर्द समझिे िगे थे कक
मुझे डााँििे का अचधकार उन्हें िहीं रहा; या रहा तो बहुत कम। मेरी स्वच्छं र्दता
भी ब़िी। मैं उिकक सढहष्र्त
ु ा का अिचु चत िाभ उिािे िगा। मझ
ु े कुछ ऐसी
धारर्ा हुई कक मैं तो पास ही हो िाऊाँगा, प़िाँू या ि प़िाँू मेरी तकर्दीर बिवाि
है , इसलिए भाई साहब के डर से िो थोडा-बहुत प़ि लिया करता था, वह भी
बंर्द हुआ। मझ
ु े किकौए उडािे का िया शौक पैर्दा हो गया था और अब सारा
समय पतंगबािी की ही भेंि होता था, कफर भी मैं भाई साहब का अर्दब करता
था, और उिकी ििर बचाकर किकौए उडाता था। मााँझा र्दे िा, कन्िे बााँधिा,
पतंग िूिाणमेंि की तैयाररयााँ आढर्द समस्याएाँ अब गप्ु त रूप से हि की िाती थीं।
भाई साहब को यह संर्देह ि करिे र्दे िा चाहता था कक उिका सम्माि और
लिहाि मेरी ििरो से कम हो गया है ।

एक ढर्दि संध्या समय होस्िि से र्दरू मैं एक किकौआ िि


ू िे बेतहाशा र्दौडा िा
रहा था। आाँिें आसमाि की ओर थीं और मि उस आकाशगामी पचथक की
ओर, िो मंर्द गनत से झूमता पति की ओर चिा िा रहा था, मािो कोई

VC/X/HINDI/FP-1 19
आत्मा स्वगण से निकिकर ववरक्त मि से िये संस्कार ग्रहर् करिे िा रही हो।
बािकों की एक परू ी सेिा िग गयी; और झाडर्दार बााँस लिये उिका स्वागत
करिे को र्दौडी आ रही थी। ककसी को अपिे आगे-पीछे की िबर ि थी। सभी
मािो उस पतंग के साथ ही आकाश में उड रहे थे, िहााँ सब कुछ समति है , ि
मोिरकारें हैं, ि राम, ि गाडडयााँ।

1. प्रेमचंर्द के अंग्रेिों दवारा िप्त ककए हुए कहािी संग्रह का क्या िाम था?
क. सोजेवति
ि. मािसरोवर
ग. उपयुणक्त र्दोिों
घ. इिमें से कोई िहीं
2. भाई साहब के अंर्दर डांििे का िेिक पर क्या पररर्ाम हुआ?
क. उिके मि में बडे भाई के प्रनत को भाविा िागत ृ हो गई
ि. वे अचधक स्वच्छं र्द हो गए
ग. उन्हें ऐसा िगा कक भाई साहब को मझ
ु े डांििे का अचधकार िहीं
घ. उपयुणक्त सभी

3. िेिक के अच्छे िंबरों पास होिे का क्या कारर् था?

क) उन्होंिे प़िाई के लिए एक िाइम िे बि बिाया था


ि) वह िेि के साथ साथ प़िाई भी करते थे
ग) उपयुणक्त र्दोिों
घ) बडे भाई साहब का उपर्दे श

4. कथा िायक का क्या िाम है ?

क) बडे भाई साहब


ि) छोिा भाई

VC/X/HINDI/FP-1 20
ग) प्रेमचंर्द
घ) उपयुणक्त सभी

5. छोिा भाई इस सभी कायण गुप्त रूप से क्यों करता था?

क) बडे भाई के डर के कारर्


ि) उिका मि प़िाई में िहीं िगता था इस कारर्
ग) उपयुणक्त र्दोिों
घ) बडे भाई के प्रनत सम्माि कम हुआ है यह पता ि चिे इस कारर्

प्रश्ि 9. निम्िलिखित गदयांश को प़िकर प्रश्िों के सवाणचधक उपयक्


ु त ववकल्पों

का चयि कीजिए। 5

शाम को वह मुझे एक िी-सेरेमिी में िे गए ।चाय पीिे की यह एक ववचध है ।


िापािी में उसे चा-िो-यू कहते हैं।

वह ए छ: मंजििी इमारत थी जिसकी छत पर र्दफ्ती की र्दीवारों वािी और


तातामी (चिाई) की िमीि वािी एक सुंर्दर पर्णकुिी थी। बाहर बेढब- सा एक
लमट्िी का बतणि था। उसमें पािी भरा हुआ था ।हमिे अपिे हाथ पांव इस पािी
से धोएं। तौलिए से पोंछ और अंर्दर गए। अंर्दर ‘चािीि’ बैिा था ।हमें र्दे िकर
वह िडा हुआ। कमर झकु ाकर उसिे हमें प्रर्ाम ककया। र्दो.... झो....( आइए
तशरीफ़ िाइए) कह कर स्वागत ककया। बैििे की िगह हमें ढर्दिाई। अंचगिी
सुिगाई। उस पर चाय र्दािी रिी। बगि के कमरे में िाकर कुछ बतणि िे
आया। तोलिए से बतणि साफ ककए। सभी कक्रयाएं इतिी गररमा पूर्ण ढं ग से की
कक उसकी हर भंचगमा से िगता था मािो ियियवंती के सुर गूंि रहे हो। वहां
का वातावरर् इतिा शांत था कक चाय र्दािी के पािी का िर्दबर्दािा भी सुिाई र्दे
रहा था।

चाय तैयार हुई। उसिे वह प्यािों में भरी। कफर वे प्यािे हमारे सामिे रि ढर्दए
गए। वहां हम तीि लमत्र थे । इस ववचध में इस ववचध में शांनत मुख्य बात होती

VC/X/HINDI/FP-1 21
है । इसलिए वहां तीि से अचधक आर्दलमयों को प्रवेश िहीं ढर्दया िाता। प्यािे में
र्दो घूि से अचधक चाय िहीं थी। हम ओंिों से प्यािा िगाकर एक एक बूंर्द
चाय पीते रहे । करीब डे़ि घंिे तक चुजस्कयां का यह लसिलसिा चिता रहा।

पहिे र्दस-पंद्रह लमिि तो मैं उिझि में पडा। कफर र्दे िा, ढर्दमाग की रफ्तार
धीरे -धीरे धीमी पडती िा रही है ।थोडी र्दे र में बबल्कुि बंर्द भी हो गई। मुझे
िगा मािो अिंत काि में मैं िी रहा हूं। यहां तक कक सन्िािा भी सुिाई र्दे िे
िगा। अकसर हम या तो गुिरे हुए ढर्दिों की िट्िी-मीिी यार्दों में उिझे रहते
हैं या भववष्य के रं गीि सपिे र्दे िते रहते हैं। हम या तो भूतकाि में रहते हैं या
भववष्य काि में। असि में र्दोिों काि लमथ्या है । एक चिा गया है , र्दस
ू रा
आया िहीं है । हमारे सामिे िो वतणमाि क्षर् है , वही सत्य है । उसी में वही
सत्य है । उसी में िीिा चाढहए । चाय पीते- पीते उस ढर्दि मेरे ढर्दमाग से भत

और भववष्य र्दोिों काि उड गए थे। केवि वतणमाि क्षर् सामिे था। और वह
अिंत काि जितिा ववस्तत
ृ था।

िीिा ककसे कहते हैं, उस ढर्दि मािूम हुआ ।

झेि परं परा की यह बडी र्दे ि लमिी है िापानियों को।

1. चा-ि-यू से िेिक का क्या अलभप्राय है ?

क. चाय पीिे की ववशेष ववचध


ि. चाय वपिािे वािा
ग. वतणमाि में िीिे की ववचध
घ. उपयुणक्त सभी
2. वतणमाि काि में िीिे का अिभ
ु व कैसा था?
क. परम शांनत का अिभ
ु व करिे वािा
ि. अिंत काि में िीिे की अिभ
ु ूनत र्दे िे वािा
ग. उपयुणक्त र्दोिों
घ. शांनत की आवाि सुिाई र्दे िे वािा

VC/X/HINDI/FP-1 22
3. पर्णकुिी की क्या ववशेषता है ?
क. उसकी छत र्दफ्ती की र्दीवारों वािी है
ि. र्दीवार पर िमीि पर िािा में बबछी हुई है
ग. वहां शांनत बहुत महत्वपर्
ू ण है
घ. उपयणक्
ु त सभी

4. िेिक को ऐसा क्यों िग रहा था िैसे ियाियवंती के सुर गूंि रहे हो?
क वहां की शांनत महसूस कर
ि. वतणमाि में िीिे के अिुभव के कारर्
ग. चाजििंग की गररमा पूर्ण कायणपदधती
घ. सन्िािा सुिाई र्दे िे के कारर्
5. झेि की र्दे ि यह पदधनत कौि सी भारतीय पदधनत से लमिती-िुिती है ?
क. काम करिे की पदधनत
ि. अमेररकि िोंगों से स्पधाण करिे की प्रववृ त्त
ग. उपयुणक्त र्दोिो
घ. बौदध र्दशणि में वखर्णत ध्याि की पदधनत

िंड ‘ब’ वर्णिात्मक प्रश्ि


पाठ्य पुस्तक एवं पूरक पुस्तक
---------------------------------------------------------------------------------------------
प्रश्ि 10. निम्िलिखित प्रश्िों में से ककन्हीं र्दो प्रश्िों के उत्तर 25 से 30 शब्र्दों
में लिखिए। 2×2=4

क. र्दे श के लिए रावर् की भलू मका कौि निभाता है ? कर चिे हम कफर्दा


कववता के आधार पर स्पष्ि कीजिए।

ि. ततााँरा वामीरो की मुिाकात का भेर्द कब िि


ु ा?

ग. ‘अब कहां र्दस


ू रे के र्दि
ु से र्दि
ु ी होिे वािे’ पाि में निढहत उदर्दे श्य को

VC/X/HINDI/FP-1 23
स्पष्ि कीजिए।

प्रश्ि 11. निम्िलिखित प्रश्ि का उत्तर िगभग 60 से 70 शब्र्दों में लिखिए। 4

‘बडे भाई साहब’ तथा ‘कबीर की सािी’ पाि में ककताबी ज्ञाि को महत्व ि र्दे िे
की बात की गई है । पाि के माध्यम से स्पष्ि कीजिए।

प्रश्ि 12. निम्िलिखित में से ककन्हीं र्दो प्रश्िों के उत्तर 40- 50 शब्र्दों में लिखिए।
3×3=6

i) आप हररहर काका की र्दयिीय हाित के लिए जिम्मेर्दार ककसे मािते


हैं और क्यों?

ii) ‘सपिों के से ढर्दि’ पाि के आधार पर उर्दाहरर् र्दे कर लिखिए कक कोई


भी भाषा आपसी व्यवहार में बाधा िहीं बिती है ।

iii) िोपी िे मुन्िी बाबू के बारे में कौि सा रहस्य छुपा कर रिा था और
क्यों? ववस्तार से समझाइए।

प्रश्ि 13. निम्िलिखित में से ककसी एक ववषय पर 80 - 100 शब्र्दों में


अिुच्छे र्द िेिि कीजिए। 6

अांतररक्ष में िीवि की कल्पिय

VC/X/HINDI/FP-1 24
संकेत बबंर्द ु -
● मिुष्य का िीवि पहे िी की तरह

● मिुष्य की िोिी प्रववृ त्त

● अंतररक्ष में िीवि की संभाविा की तिाश

● अंतररक्ष में िीवि कैसा होगा

रयष्ट्रभयषय ठ द
ां ी

संकेत बबंर्द ु -
● भाषा का िीवि में स्थाि

● ढहंर्दी का संववधाि में स्थाि

● ढहंर्दी िाििे के िाभ

● ढहंर्दी के प्रसार हे तु सझ
ु ाव

ि यां चय व यां रय

संकेत बबंर्द ु -
● इच्छा शजक्त का महत्व

● इच्छाएं और िीवि मूल्य

● चाह से राह का निमाणर्

● प्रेरर्ार्दाई उर्दाहरर्

प्रश्ि 14. अपिी कक्षा को आर्दशण रूप र्दे िे के लिए अपिे सुझाव र्दे ते हुए
प्रधािाचायण को एक प्राथणिा पत्र लिखिए 5
अथवय

आपिे कुछ समय पूवण कुछ सामाि का आडणर ढर्दया था परं तु उसका
भुगताि करिे में अनतररक्त समय की मांग हे तु एक पत्र लिखिए

VC/X/HINDI/FP-1 25
प्रश्ि 15. आप सवोर्दय कन्या ववदयािय ढर्दल्िी के प्रधािाचायण डॉक्िर उमेश
पाढिि है । ववदयािय में वि महोत्सव का आयोिि करिे से संबंचधत
सच
ू िा ववदयािय के सभी लशक्षकों और छात्राओं को र्दीजिए। 5
अथवय

ढर्दल्िी मेरो के कुछ स्िे शिों पर असवु वधा हे तु सूचिा िेिि कीजिए।

प्रश्ि 16. कश्मीर की पश्मीिा शािों की बबक्री हे तु एक 25 से 50 शब्र्दों मे


ववज्ञापि तैयार कीजिए। 5
अथवय

बबििी के उपकरर् तैयार करिे वािी कंपिी के लिए िगभग 25 से


50 शब्र्दों में एक ववज्ञापि तैयार कीजिए ।

प्रश्ि 17. ‘ मैं पुस्तक बोिता हूं ’ इस ववषय पर 100 से 120 शब्र्दों में
एक िघु कथा िेिि कीजिए। अथवय 5

‘ अििािे पर भरोसा िहीं करिा चाढहए ‘इस ववषय पर 100 से 120


शब्र्दों में िघु कथा िेिि कीजिए।

VC/X/HINDI/FP-1 26

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