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ककय: ग्यारिें
विष्: हरंदद
अनुक्रमकय
1. अपहठत कयव्यंं
2. अपहठत गदद्यंं
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केंद् विद्या् संगठन चंडेगढ संभयग
अपहठत पद्यंं
वह पद्यां, जिसकय अध््य ववद्यार््ि ये पहले कभी य कक्य हो, उसे अपठित
पद्यां कहते हैं अपठित पद्यां दे कर उस पर भयव-बोध और भयषय बोध साबाधी प्य पूछे
ियते है तयकक ववद्यार््ि की भयवगहर-क्तय एवा भयषय जयय कय ्ूल्याकय हो सकें
1. अपठित पद्यां कय बयर-बयर ््य वयचय करके उसे स्झये कय प्यस करे ं
6. ्ठद कोई प्य ंीष्क दे ये के साबाध ्े हो तो ध्यय रखे कक ंीष्क ्ूल कथ् से
साबााधत होयय चयठहए ं
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8. अनत ्े अपये उतरि को पुय: पढकर उयकी षठु ष्ि को अव्् दरू करे ं
क्य काोग् अब ?
स्् कय
जब प्या नरदं ारय
सियसरय पथ
ृ िे कय
न ियमे सयर रै
न पयने सयर रै
एक अचोा रैाय रै
म्ाते नरदं रै
िय्ु पयमपद
आद्कद आद्े
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सब जग स् गय्ब रै
क) ातनगभयय
ख) आ्यामंाय
ग) सियसरय
घ) ्यँ
ख) ऊाचे कद कय आद्ी
ग) समपूर् ्युप्
घ) सय्यन् आद्ी
क) पयरि को पर
ू ् करये वयलय
ख) पयर पदयय करये वयलय
ग) पयरि को परय् करये वयलय
घ) पयरि को छीय लेये वयलय
अपहठत कयव्यंं -2
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सो सब ह्े कयि पूवि
् ि से जयत करयय चयठहए |पदाचहय उयके प्धयपूवक
् खोि लेये चयठहएकयिपूव् ग्रव दीप
को बुझये य दे यय चयठहए |
आओ ल्ले सब दे ं-बयाधव हयर बयकर दे ं के
सयधक बये सब पे् से सख
ु -ंयाकत्् उददे ्् के |
क्य सयापदयक्क भेद से है ऐक् ल्ष सकतय, अहो ,
बयती यहीा क्य एक ्यलय ववववध फूलि की, कहो |
पयचीय हि कक यवीय, छोडो रठढ्या िो हि बुरी,
बयकर वववेकी तु् ठदखयओ हा सी की सी चयतुरी |
पयचीय बयते ही भली है - ्ह ववचयर अलीक है,
िैसी अव्रय हो िहया, वैसी व्व्रय िीक है | |
्ख
ु से यय होकर ाचत से दे ंययुरयगी हो सदय,
है सब ्वदे ंी बाध,ु उयके दख
ु भयगी हि सदय |
दे कर उनहे सहय्तय भरसक सब ववपवत व्रय हरो,
कयि दःु ख से ही दस
ू रि के दख
ु कय अयुभव करो |
“्ख
ु से यय होकर ाचत से दे ंययरु यगी हो सदय |”
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क) सख
ु -ंयाकत्् उददे ्् की
ख) सयापदयक्क भेद करये की
ग) पुरययी रठढ्ि को ्ययये की
घ) दे ंययुरयगी यय बयये की
5. इस पद्यां के दवयरय कवव क्य कहयय चयहतय है ?
क) सभी भयरतवयसी ल्लकर एक अखाड ंजकत सापनय भयरत की रचयय कर सकते है |
ख) ववलभनयतयओा के होते हुए भी सभी भयरतवयसी एक है |
ग) दोयि ववकलप सही है |
घ) दोयि ववकलप गलत है |
अपठित कयव्यां -3
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क) खूय पसीयय एक कर दे यय |
ख) लोगि को य्य िीवय ठदलय दे यय |
ग) पारश् से ल्टषी ्े भी सोये के फूल िखलय दे यय |
घ) ्य ्े दढ कय्च् कर लेयय
3. प्तत
ु कयव्यां ्े ककस ्ह
ु यवरे कय प्ोग कक्य ग्य है ?
क) भयरती् येतयओा को
ख) भयरत के करोडि दीय-हीय लोगि को
ग) भयरत की सा्काकत को
घ) भयरत के सयठहध् को
अपठित कयव्यां - 4
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हे ्यतभ
ा लू ्! तू सध् ही, सगर
ु ्कू त् सव्ं की,
जिसकी रि ्े लोष लोषकर बडे हुए है,
घुषयि के बल सरक सरक कर खडे हुए है.
ंुाच-सध
ु य सीाचतय रयत ्े तुझ पर चादपकयं है
हे ्यतभ
ा लू ्! ठदय ्े तरिर करतय त् कय ययं है
जिस पथ
ा वी ्े ल्ले ह्यरे पूवि
् ष्यरे ,
उससे हे भगवयय कभी ह् रहे य न्यरे ,
लोष-लोष कर वहीा हद् को ंयात करे गे
उस्े ल्लते स्् ्धा ्ु से यहीा डरे ग,े
उस ्यतभ
ा लू ् की धल
ू ्े , िब परू े सय ियएँगे
होकर भव बाधय ्क
ु त ह्, आध्रप बय ियएँगें
1. पसतुत कयव्यंं ्े ररात पट ककस् करय ग्य रै ।
क) बंजा ्ाते को
ख) ं्् ््य्लय धरती को
ग) ्र भलू ् को
घ) कोई यहीा
क) जा अ्त
ृ क् स्यन ंेता , यन्या रै
ख) िय्ु ंेता औा सग
ु धं ्त रै |
ग) दोनं विकलप सरद रै |
घ) दोनं विकलप गात रै |
4. ्यतभ
ृ मू ् को ईशिा कय सयकया रप ककस आ्या पा बतय्य ग्य रै ?
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5. पसतुत कवितय कय ्ा
ू भयि क्य रै ?
क) र्याद ्यतभ
ृ मू ् ईशिा की सयकयत पयत्यू तय रै |
ख) ्रयँ जेिन जेनय व्रय रै |
ग) ्रयँ कपट औा चयायकी अध्क रै |
घ) ्रयँ की पयकृयतक चटय पदवू षत रो चक
ु ी रै |
अपहठत कयव्यंं - 5
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ग ) बयरा भोजन आसयने स् म्ा जयतय रै |
घ) क्िा “क” औा “ख” विकलप सरद रै |
4) बयरा सख
ु ं कय अभयि औा पयमं कय संकट रोन् पा भे धचडड़्य ्कु कत रद क्ं चयरते रै ?
क) बयरा सयाद सवु ि्यएं रै |
ख) बयरा आजयदद भाय जेिन रै |
ग) बयरा कोई भे संकट नरदं रै |
घ) तेनं विकलप सरद रै |
(5 ) कवितय कय संद्ं सपषट कीकजए।
क) वपंजा् क् ्रति को स्झय्य ग्य रै |
ख) सख
ु ं क् अभयि को स्झय्य ग्य रै |
ग) सिय्ेनतय क् ्रति को स्झय्य ग्य रै |
घ) भोजन की स्स्य को हदखय्य ग्य रै |
अपहठत कयव्यंं – 6
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2. हयर से कयरयं य होयय
3. सहयंीलतय
4. सभी ववकलप सही है
(ड ) आं् ्पपष कीजिए- जियके चररि पर सयगर के होते अयागयत जवयर सयर ल्
1. ्व
ु य ंजकत िय सय्यन् ्े उधसयह कय साचयर कर दे ती है
2. सयगर की लहरे बहुत तेि है
3. सयगर ्े जवयर भयटषय आ्य हुआ है
अपठित कयव्यां – 7
हॅ स लो दो कर खुंी ल्ली गर
वरयय िीवय-भर यदय है ं
ककसकय िीवय हँ सी-खं
ु ी ्े
इस दकु य्य ्े रहकर बीतय?
सदय-सव्दय साघष् को
इस दकु य्य ्े ककसये िीतय?
िखलतय फूल मलयय हो ियतय
हँ सतय-रोतय च्य-च्य है ं
ककतये रोि च्कते तयरे
दरू तलक धरती की गयरय
््य ्ख
ु र कहतय कर-कर है ं
्ठद तु्को सय्थ्् ल्लय तो
्स
ु कयओा सबके साग ियकरं
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्ठद तु्को ्स
ु कयय ल्ली तो
रय्ो सबको हयर बढयकरं
झयँको अपये ्य-दप्र ्े
पकततबातबत सबकय आयय है ं
1. सरू ि कय
2. धरती कय
3. चाद्य कय
4. आकयं कय
1. अयुपयस
2. ््क
3. उप्य
4. पुयरजकतपकयं
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अपठित कयव्यां – 8
क्य रोकेगे पल् ्ेघ ्े , क्य ववद्ुत-घय के यत्य,
्झ
ु े य सयरी रोक सकेगे, सयगर के गि्य-ति्यं
्झ
ु े डरय पयए कब अाधड, जवयलय्िु ख्ि के कापय,
्झ
ु े पारक कब रोक सके है अजगयलंखयओा के यत्यं
्ै बढतय अववरय् कयरा तर तय-्य ्े उन्यद ललए,
कफर ्झ
ु को क्य डरय सकेगे, ्े बयदल-ववद्ुत यत्यं
क) उप्क
ु् त कयव्यां के आधयर पर कवव के ्वभयव की प्ख
ु ववंेषतयओा कय उललेख कीजिएं 1
1. गकतंीलतय
2. साघष्ंीलतय
3. सयहस
4. सभी ववकलप सही है
ख) ंल
ू ि के बदले फूलि कय कक्य य ्ैये कभी च्य’-पाजकत कय भयव ्पपष कीजिएं 1
ग ) ‘्ग
ु की पयचीर’ से क्य तयधप्् है ?
1. स्् की बयधयएँं
2. स्् कय सदप
ु ्ोग
3. स्् कय ्हतव
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4. सभी ववकलप सही है
घ) ककय पाजकत्ि कय आं् है -तय-्य ्े दढकय्च् कय यंय हो तो िीवय ्यग् ्े बढते रहये से कोई
यहीा. रोक सकतय?
ड) ववद्ुत कय प्य््वयची है
1. धरती
2. तबिली
3. आकयं
4. इय्े से कोई यहीा ं
अपठित कयव्यां – 9
ंयाकत यहीा तब तक, िब तक
सख
ु -भयग य सबकय स् हों
यहीा ककसी को बहुत अाधक हो
यहीा ककसी को क् हों
्वधव ्यँगये से य ल्ले,
साघयत पयप हो ियएँं
बोलो ध््रयि, ंोवषत वे
जिएँ ्य कक ल्ष ियएँ?
न्य्ोाचत अाधकयर ्यँगये
से य ल्ले, तो लड के
तेि्वी छीयते स्् को,
िीत, ्य कक खुद ्र कें
ककसये कहय पयप है ? अयाु चत
्वधव-पयजषत-ठहत लडयय?
उिय न्य् कय खडग स्र ्े
अभ् ्यरयय-्रयय?
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3. सभी सासयधय गरीबि के पयस हि ं
4. इय्े से कोई यहीा ं
1. कापर ्ुाधजपिर को ्ुदध के ललए इसललए पेारत कर रहे है तयकक वे अपये हक को पय सके, अपये
पकत अन्य् को खध् कर सकें
2. कापर ्ुाधजपिर को ्ुदध के ललए इसललए पेारत कर रहे है तयकक वे बदलय ले सके ं
3. दोयि ववकलप सही है ं
4. सभी ववकलप गलत है ं
1. तीर कय
2. तलवयर कय
3. धयुष कय
4. बादक
ू कय
अपठित कयव्यां – 10
ठदवसयवसयय कय स््,
्ेघ्् आस्यय से उतर रही है ं
वह साध्य-सद
ुा री परी-सी
धीरे -धीरे -धीरे ं
कतल्रयाचल ्े चाचलतय कय यहीा कहीा आभयस,
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्धुर-्धुर है दोयि उसके अधर
ककनतु िरय गमभीर,यहीा है उय्े हयस-ववलयसं
हँ सतय है तो केवल तयरय एक
गर
ुा य हुआ उय धुाघरयले कयले-कयले बयलि से
हद्रयज् की रययी को वह करतय है अलभषेकं
आलसतय की-सी लतय
ककनतु को्लतय की वह कलीं
सखी यीरवतय के काधे पर डयले बयँह,
छयँह-सी अमबर-पर से चलीं
यहीा बिती उसके हयरि ्े कोई वीरय,
यहीा होतय कोई अयुरयग-रयग आलयप
यूपुरि ्े भी रयझय
ु -रयझय
ु यहीा
लसफ् एक अव्कत ं्द सय “चुप, चुप, चुप”
है गि
ूा रहय सब कहीा ं
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1. अयुपयस
2. ््क
3. पुयरजकतपकयं अलाकयर
4. इय्े से कोई यहीा
ड) आस्यय कैसय है ?
1. ्वचछ
2. च्कदयर
3. बयदलि से कघरय हुआ
4. सभी ववकलप सही है
वह गद्यां, जिसकय अध््य ववद्यार््ि ये पहले कभी य कक्य हो, उसे अपठित गद्यां कहते हैं
अपठित गद्यां दे कर उस पर भयव-बोध और भयषय बोध साबाधी प्य पछ
ू े ियते है तयकक ववद्यार््ि की
भयवगहर-क्तय एवा भयषय जयय कय ्ूल्याकय हो सकें
अपठित कय ंयज्दक अर् है - िो कभी पढय यहीा ग्यं िो पयठ्य् से िुडय यहीा है और िो अचययक ही ह्े
पढये के ललए ठद्य ग्य हों अपठित गद्यां ्े गद्यां से साबााधत ववलभनय प्यि के उतर दे ये के ललए कहय
ियतय है ं इस पकयर इस ववष् ्े ्ह अपेकय की ियती है कक पयिक ठदए गए गद्यां को ध्ययपूवक
् पढकर
उससे साबदध प्यि के उतर उसी अयच
ु छे द के आधयर पर साककषत रप ्े प्तत
ु करे ं
अपठित गद्यां के दवयरय पयिक की व्जकतगत ्ोग्तय तरय अलभव्जकत क्तय कय पतय लगय्य ियतय है ं
अपठित कय कोई ववंेष केष यहीा होतयं कलय, ववजयय, रयियीकत, सयठहध् ्य अर्ंय्ष ककसी भी ववष् पर
गद्यां हो सकतय है ं ऐसे ववष्ि के कयरा तर अभ्यस और प्यि के उतर दे ये से ह्यरय ्ययलसक ्तर उनयत
होतय है और ह्यरी अलभव्जकत क्तय ्े प्ढतय आती है ं
1. अपठित गद्यां कय बयर-बयर ््य वयचय करके उसे स्झये कय प्यस करे ं
3. जिय प्यि के उतर ्पपष य हि, उयके उतर िययये हे तु गद्यां को पुय: ध्यय से पढे ं
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5. उतर साककषत एवा भयषय सरल और पभयवंयली होयी चयठहए ं
6. ्ठद कोई प्य ंीष्क दे ये के साबाध ्े हो तो ध्यय रखे कक ंीष्क ्ूल कथ् से साबााधत होयय
चयठहए ं
10. भयषय ततवि से साबााधत प्यि ्रय – सााध,स्यस ,उपसग् ,पध्् आठद से साबााधत प्यि के उतर
कय््ययुसयर ही दे ं
11. अपठित गद्यां से साबााधत प्य आातारक ववकलप सठहत होगय ं प्य को हल करये से पव
ू ्
दोयि गद्यां को पढकर दे खे और उय ्े से िो आसयय और अाकदय्ी लगे उसी के प्यि को हल करे ं
यनमनमारखत गद्यंंं को पढ़का हदए गए बरुविकलपे् पशनं क् माए उधचत विकलप कय च्न कीकजए –
अपहठत गद्यंं -1
दबयव ्े कय् करयय व्जकत के ललए अचछय है ्य यहीा इस बयत पर पय्ः बहस होती है | कहय ियतय है कक
व्जकत अध्ाधक दबयव ्े यकयरयध्क भयवि को अपये ऊपर हयवी कर लेतय है , जिससे उसे अकसर कय्् ्े
असफलतय पयषत होती है | वह अपयय ्ययलसक और ंयरीारक ्वय्थ् भी खो बैितय है | दबयव को ्ठद तयकत
बयय लल्य ियए तो य लसफ् सफलतय पयषत होती है , बजलक व्जकत कय््यबी के यए ्यपदा ड रचतय है | ऐसे
बहुत सयरे उदयहरर है िब लोगि ये अपये कय् के दबयव को अवरोध यहीा, बजलक तयकत बयय लल्य| सुख-दख
ु ,
सफलतय-असफलतय, ंयाकत-योध और कय्य-क्् ह्यरे दजपषकोर पर ही कयभ्र करतय है | िोस लसलवय इस बयत
से सह्त होते हुए अपयी पु्तक ‘्ू द हीलर’ ्े ललखते है कक ्य ्ज्तपक को चलयतय है और ्ज्तपक
ंरीर को| इस तरह ंरीर ्य के आदे ं कय पयलय करतय हुआ कय् करतय है |
दबयव ्े व्जकत ्ठद सकयरयध्क होकर कय् करे तो वह अपयय सव्शेपि पदं्य करये ्े कय््यब होतय है
|दबयव के स्् ््िूद स्््य पर ध्यय केठदत करये और बोझ ्हसूस करये की बिय् ्ठद ्ह सोचय ियए
कक ह् अध्ात स्भयग्ंयली है िो एक कठिय चय
ु ्ती को परू य करये के ललए तधपर है तो ह्यरी बेहतरीय
क्तयएँ ्व्ा ियगत
ा हो उिती है | ह्यरय ठद्यग जिस चीज पर भी अपयय ध्यय केठदत करये लगतय है वह ह्े
बढती पतीत होती है | ्ठद ह् अपयी स्््यओा के बयरे ्े सोचे गे तो वह भी बडी ्हसूस होगी |इस बयत को
ह्ेंय ध्यय ्े रखयय चयठहए कक िीतयय एक आदत है , पर अफसोस ! हयरयय भी आदत ही है |
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2) दबयव ्े यकयरयध्क रप से कय् करतय है
3) घबरय ियतय है
4) उपरोकत सभी
1) ्युप् के व्जकतधव पर
2 ) ्यपु ् के दजपषकोर पर
3) ्युप् की कय््ंल
ै ी पर
4) उप्ुक
् त ्े से कोई यहीा
1) एक व्जकत
2) एक प्
ु तक 3) एक भवय 4) एक सा्रयय
1) व्जकत 2) ्य 3) तय 4) दजपषकोर
1) सकयरयध्क हो कर
4) तययव ्े आकयर
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1) पूािी की 2) अलभव्जकत की 3) सोच की 4) ्यग्दं्य की
1) साजय 2) सव्यय्
3 ववंेषर 4) कय्य
अपहठत गद्यंं -2
पारश् को सफलतय की काु िी ्ययय ग्य है ं िीवय ्े सफलतय पुरषयर् से ही पयषत होती है ं कहय भी ग्य
है - उद्ोगी को सब कुछ ल्लतय है और भयग्वयदी को कुछ भी यहीा ल्लतय, अवसर उयके हयर से कयकल
ियतय है ं कठिय पारश् कय ही दस
ू रय यय् भयग् है ं पकाकत को ही दे िखए; सयरे िड चेतय अपये कय् ्े लगे
रहते है, चीाषी को पलभर चैय यहीा, ्ध्
ु कखी ियये ककतयी लाबी ्यषय कर बँद
ू - बँद
ू ्धु िष
ु यती है ं ्ग
ु ् को
सुबह बयाग लगययी होती है ,कफर ्युप् को बुदाध और वववेक ल्लय है वह लसफ् सफलतय की कय्यय करतय
क्ि बैिय रहे ? वव्व ्े िो दे ं आगे बढे है उयकी सफलतय कय रह्् कठिय पारश् ही है ं ियपयय को दस
ू रे
वव्व्ुदध ्े ल्टषी ्े ल्लय ठद्य ग्य रय ं उसकी अर्व्व्रय कछनय-लभनय हो गई री लेककय ठदय-रयत
पारश् करके आि वह वव्व कय प्ुख औद्ोागक और ववकलसत दे ं बय ग्य है ं चीय भी अपये पारश्
के बल पर आगे बढय है ं ि््यी ये भी ्द
ु ध की ववभीवषकय झेली पर पारश् के बल पर ही साभल ग्यं
पारश् कय ्हधव वे िययते है िो ्व्ा अपये बल पर आगे बढे है ं सासयर के इकतहयस ्े अयेक च्कते
लसतयरे केवल पारश् के ही प्यर है ं ह्यरे पूव् रयप्पकत शी अ्दल
ु कलय् पारश् और ्योबल से ही दे ं
के सव्चच पद पर आसीय हुए उयकय कहयय रय- “भयग् के भरोसे बैिये वयले को उतयय ही ल्लतय है जितयय
्ेहयत करये वयले छोड दे ते है”ं ह्यरे बडे-बडे धयकुबेर व्यपयरी षयषय ,तबरलय, अाबययी ्ह सब पारश् के ही
उदयहरर है कयरा तर पारश् और दढ साकलप ह्यरे लक् को ह्यरे करीब लयतय है ं गरीब पारश् करके अ्ीर
हो ियतय है और अ्ीर लंारल बयकर असफल हो ियतय है ं भयरती् काषक के पारश् कय ही फल है कक दे ं
्े हारत ययाकत हुईं अ्ेारकय के सडे गेहूँ से पेष भरये वयलय भयरत आि ्िबूर यहीा, बजलक ्िबूती से खडय
है , तो इसके पीछे किोर पारश् और धै्् ही है ं ह्यरे कयरखयये ठदय रयत उधपयदय कर रहे है, ववकयसंील
दे ंि ्े वपछडे ्यये ियये वयले ह् भयरतवयसी आि ववकलसत दे ंि से पकत्पधय् कर रहे है ं अगर ह् कहीा
वपछडे है तो उसकय कयरर पारश् कय अभयव ही होगय ं ्ठद ववद्यरर िीवय से ही पारश् की आदत पड
ियएगी तो ह् िीवय ्े कभी असफल यहीा हो सकते ं ववद्यरर िीवय तो पारश् की पहली पयिंयलय है ,
इससे य लसफ् ह्यरी लंकय बजलक ह्यरय भववप् भी सुरककत और ्िबूत हो ियतय है ं
(I) उप्ुक
् त गद्यां कय उाचत ंीष्क होगय –
(क) भयग् बलवयय होतय है (ख) आलसी िीवय (ग) पारश् कय ्हधव(घ) इय्े से कोई यहीा
(III) ियपयय, ि््यी ,चीय िैसे दे ं ववपरीत पारज्रकत्ि से बयहर कैसे कयकले ?
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(IV) ह्यरे लक् को ह्यरे करीब क्य लयतय है ?
(क) पारश् और दढसाकलप (ख) पैसय और लंकय (ग) लसफ् पैसय (घ) रयियीकत
(क) हारत ययाकत (ख) ्वेत ययाकत (ग) लयल ययाकत (घ) सभी सही है
(क) कर्गकत षयरे ययहीा षरे (ख) पुरष बली यहीा होतय है स्् होत बलवयय
(ग) सबके दयतय रय् (घ) सकल पदयरर है िग ्यहीा, क््हीय यर पयवत ययहीा
(क) दपु पभयव (ख) षयसदी (ग) हयकय (घ) कोई यहीा
अपहठत गद्यंं -3
षे लीवविय ्योरा िय कय एक संकत ्यध्् है ं ठदय पकतठदय वव्व ्े घषये वयली घषययओा कय दप्र है ं
जयय वध्य कय संकत ्यध्् है ं ववद्यार््ि को साचष लंकय दे ये वयलय शेपि लंकक है ं ववजयपय दवयरय
पचयारत व्तु की तबयी वद
ा ाध कय पभयवकयरी ढा ग है ं
वव्व ्े कहीा भी कुछ हुआ, उसकी खबर तो आप अखबयरि ्े पढ लेते है, ककातु उसकी हू-बहू घठषत
घषयय को दे खकर आपकय ्य भयव-ववभोर हो ियतय है ं वलड् ्े ड षयवर पर ह्लय हुआ अ्ेारकय ्े , उसकय पूरय
कय पूरय ज्ि कय ध्ि ाचष आप दे ख रहे है, अपये षे लीवविय परं ओलावपक खेल हुए ्य्को ्े , उसकय िीवात
ाचष दे ख रहे है, भयरत ्े ं इसी पकयर कयकेष ्ैच हॉकी ्ैच, 26 ियवरी की परे ड, 15 अग्त को लयल ककले
की पयचीर से पधयय्ाषी कय सादें आठद सब कुछ आप आाखि से सयकयत त दे ख रहे हैं षे लीवविय जययवध्य कय
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ु यी् सयधय है ं पढये सुयये ्े िो जयय पयषत होतय है , वह भूलय भी िय सकतय है ककातु िो द्् दे खय
अतल
ियतय है , वह ंीघ भूल पययय सहि यहीा होतयं
I .प्तत
ु गद्यां................. उप्ोागतय को उदघयठषत करतय है -
V.सया्काकतक ्े पध्् है ं
(क) ई् (ख) इक
VII.लसये्यघरि ्े ियये के ललए ्युप् को क्यसी कठिययई कय सय्यय करयय पडतय रय?
(क) सय
ु ये के कयरर (ख) पढये के कयरर
(क) ्युप् सो ियतय है (ख) अजयत ्फूकत् और उललयस कय अयुभव करतय है (ग) दख
ु ी हो
ियतय है (घ) उप्ुक
् त ्े से कोई यहीा
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X.गद्यां के ललए उप्ुकत ंीष्क दीजिएं
अपहठत गद्यंं -4
“यमतय ही ्वताषतय की िययी है ” ्ह करय उाचत है ं लोग भ्वं अहा कयर को ्वताषतय की िययी ्यय लेते
है, ककातु उनहे इस बयत कय उाचत जयय यहीा होतय कक अहा कयर ्वताषतय कय गलय ही घिष सकतय है | ्वताषतय
्े ्वयलभ्यय अव्् अकयवय्् तधव है ककातु ्वयलभ्यय को अहा कयर तक साकुाचत करयय उाचत यहीा है ं
्वताषतय ्े ्वयलभ्यय तरय यमतय दोयि कय सा्ोग िररी है | ्ह बयत कयज्चत है कक िो ्युप् ््य्दयपूवक
्
िीवय व्तीत करयय चयहतय है , उसके ललए ्वयलभ्यय तरय यमतय िररी है ं इससे कयभ्रतय आती है तरय ह्े
अपये पैरि पर खडे होयय आतय है ं आि ्वु य वग् अपयी आकयाकयओा तरय ्ोग्तयओा के कयरर बहुत आगे
कयकल ग्य है , लेककय उसे ध्यय रखयय चयठहए कक वह अपये बडि कय सम्यय करे तरय बरयबर के लोगि से
को्लतय कय व्वहयर करे ं ्ह आध् ््य्दय के ललए आव््क है ं
क) ्व
ु य वग् अपये से बडि की भयवययओा कय ध्यय रखतय है |
ख) ्ुवय वग् अपयी आकयाकयओा और ्ोग्तयओा के कयरर बहुत आगे कयकल ग्य है |
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घ) सचची आध्य ्े कई अवगर
ु होते है |
5. ह्े अपये से बडि तरय बरयबर वयलि के सयर कैसय व्वहयर करयय चयठहए ?
क) ह्े अपये से बडि के सयर को्लतय कय व्वहयर करयय चयठहए तरय बरयबर वयलि कय सम्यय करयय
चयठहए |
ख) ह्े अपये से बडि कय सम्यय करयय चयठहए तरय बरयबर वयलि के सयर को्लतय कय व्वहयर करयय
चयठहए |
7. उप्ुक
् त गद्यां ककस ववष् व्तु पर आधयारत है ?
9. ््य्दयपूवक
् िीवय िीये के ललए क्य आव््क है ?
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क) यमतय और अलभ्यय दोयि
ख) केवल ्वयलभ्यय
अपहठत गद्यंं -5
“सचचय उधसयह वही होतय है िो ्युप् को कय्् करये के ललए पेररय दे तय है I ्युप् ककसी भी कयररवं िब
ककसी के कपष को दरू करये कय साकलप करतय है तब जिस सख
ु को वह अयुभव करतय है, वह सख
ु ववंेष रप
से पेररय दे ये वयलय होतय है I जिस भी कय्् को करये के ललए ्युप् ्े कपष ्य द:ु ख को सहय करये की
तयकत आती है , उय सबसे उधपनय ही उधसयह कहलयतय है I उदयहरर के ललए दयय दे ये वयलय व्जकत कय्च्
ही अपये भीतर एक ववंेष सयहस रखतय है और वह है धय ध्यग कय सयहस I ्ही ध्यग ्ठद ्यपु ् पसनयतय
के सयर करतय है तो उसे उधसयह से कक्य ग्य दयय कहय ियएगय I उधसयह आयाद और सयहस कय ल्लय-िल
ु य
रप है I उधसयह ्े ककसी यय ककसी व्तु पर ध्यय अव्् केजनदत होतय है I वह चयहे क्् पर,चयहे क्् के
फल पर और चयहे व्जकत ्य व्तु पर होI इनहीा के आधयर पर क्् करये ्े आयाद ल्लतय है I क्् भयवयय
से उधपनय आयाद कय अयुभव केवल सचचे वीर ही कर सकते है क्िकक उय्े सयहस की अाधकतय होती हैI
सय्यन् व्जकत कय्् परू य हो ियये पर जिस आयाद को अयभ
ु व करतय है , सचचय वीर कय्् पयरमभ होये पर ही
उसकय अयुभव कर लेतय है I आल्् उधसयह कय सबसे बडय ंषु है I िो व्जकत आल्् से भरय होगय, उस्े
कय् करये के पकत उधसयह कभी उधपनय यहीा हो सकतय I उधसयही व्जकत असफल होये पर भी कय्् करतय है
I उधसयही व्जकत सदय दढकय्च्ी होतय हैI
(क) उधसयह कय प्ख
ु लकर है –
(i) िों (ii) सयहस (iii) आयाद (iv) आयाद और उधसयह
(ख) सचचे वीर वो होते है –
(i) िो फल पयये के ललए उधसयह ठदखयते है (ii) िो क्् भयवयय से उधसयह ठदखयते है
(iii) िो कयपकय् भयव से उधसयह ठदखयते है (iv) िो आयाद-ववयोद के ललए उधसयह ठदखयते है
(ग) उधसयह के ्यग् ्े सबसे बडी रकयवष है –
(i) द:ु ख (ii) कयरयंय (iii) वैरयग् (iv) आल््
(घ) ’सचचय उधसयह वही होतय है िो ्युप् को कय्् करये के ललए पेररय दे तय है - रे खयाककत उपवयक् कय पकयर
है –
(i) पधयय उपवयक् (ii) ववंेषर उपवयक् (iii) कय्य-ववंेषर उपवयक् (iv) साजय
उपवयक्
(ङ) ‘केठदत’ और ‘अाधकतय’ ्े य्ं: पध्् इस पकयर है –
(i) ठदत, तय (ii) ईत, आ
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(iii) इत, तय (iv) ईत, तय
(च) क्् भयवयय से उधपनय आयाद कय अयुभव केवल क्य कर सकतय है -
(i) सचचे वीर (II) कय्र पुरष (iii) सेयययी (iv) उपरोकत सभी
(छ) क्य सय सख
ु पेररय दे ये कय कय्् करतय है –
(i) दःु ख ्े डूबे रहयय (ii) लसफ् बयते करते रहयय
(iii) कपष को दरू करये कय साकलप (iv) इय्े से कोई यहीा
(ि) आलसी व्जकत की पवका त कैसी होती है –
(i) कय्चोरी की (ii) कय् करते रहये की
(iii) साघष् करये की (iv) दःु ख सहय करये की
(झ)उधसयही व्जकत की कयमय ्े से क्य सी ववंेषतय यहीा है –
(i) सयहसी (ii) पारश्ी
(iii) आलसी (iv) क््ंील
(ञ) गद्यां कय उप्ुकत ंीष्क क्य होगय –
(i) भयवुक व्जकत (ii) आलसी व्जकत
(iii) पसनयाचत व्जकत (iv) उधसयही व्जकत
अपहठत गद्यंं -6
ववद्यरर िीवय को ्ययव िीवय की रीढ की हडडी कहे तो कोई अकतं्ोजकत यहीा होगीं ववद्यरर कयल ्े
बयलक ्े िो सा्कयर पड ियते है िीवयभर वही सा्कयर अल्ष रहते हैं इसीललए ्ही कयल आधयरलंलय कहय
ग्य है ं ्ठद ्ह यीव दढ बय ियती है तो िीवय सद
ु ढ और सख
ु ी बय ियतय है ं ्ठद इस कयल ्े बयलक कपष
सहय कर लेतय है तो उसकय ्वय्थ् सद
ुा र बयतय है ं ्ठद ्य लगयकर अध््य कर लेतय है तो उसे जयय
ल्लतय है , उसकय ्ययलसक ववकयस होतय है ं जिस वक
ा को पयरमभ से सद
ुा र लसाचय और खयद ल्ल ियती है , वह
पुजपपत एवा पललववत होकर सासयर को स्रभ दे ये लगतय है ं इसी पकयर ववद्यरर कयल ्े िो बयलक श्,
अयं
ु यसय, स्् एवा कय््य के सयँचे ्े ढल ियतय है , वह आदं् ववद्यरर बयकर सभ् ययगारक बय ियतय
है ं सभ् ययगारक के ललए जिय-जिय गर
ु ि की आव््कतय है उय गर
ु ि के ललए ववद्यरर कयल ही तो सद
ुा र
पयिंयलय है ं ्हयँ पर अपये सयार्ि के बीच वे सभी गर
ु आ ियये आव््क है, जियकी कक ववद्यरर को
िीवय ्े आव््कतय होती है ं
(क) ्ययव िीवय की रीढ की हडडी ववद्यरर िीवय को क्ि ्ययय ग्य है ?
(i) परू य िीवय ववद्यरर िीवय पर चलतय है ं
(ii) क्िकक िो सा्कयर पड ियते है, िीवय भर वही सा्कयर अल्ष रहते हैं
(iii) ववद्यरर िीवय सख
ु ी िीवय है ं
(iv) ववद्यरर कय िीवय ्व्थ् िीवय है ं
(ख) ‘पयिंयलय’ ं्द ्े क्य-सय स्यस है?
(i) तधपर
ु ष (ii) क््धयर्
(iii) दवादव (iv) अव््ीभयव
(ग) जिस वक
ा को पयरमभ से खयद ल्ल ियती है वह कैसय हो ियतय है ?
(i) फूल दे ये वयलय (ii) फल दे ये वयलय
(iii) स्रभ तबखरयये वयलय (iv) फूल, फल, स्रभ दे ये वयलय
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(घ) आदं् ववद्यरर से क्य तयधप्् है?
(i) िो पारश्ी हो (ii) िो अयुंयलसत हो
(iii) िो स्् के अयुरप चल सके (iv) उप्ुक
् त सभी
(ङ) इस गद्यां के ललए उप्ुकत ंीष्क है -
(i) आदं् ययगारक (ii) ववद्यरर िीवय
(iii) सख
ु ी िीवय (iv) ्ययलसक ववकयस
(च) ववद्यरर कयल ्े क्य से गर
ु ि की आव््कतय होती है -
(i) श् (II) अयुंयसय (iii) स्् एवा कय््य (iv) उप्ुक
् त सभी
(छ) ‘पललववत’ ं्द ्े ्ल
ू ं्द होगय –
(i) पललव (ii) पल
(iii) इत (iv) प
(ि) गद्यां से सग
ु ध
ा ं्द कय प्य््वयची छयँषकर ललिखए –
(i) पुजपपत (ii) लसाचय
(iii) पललव (iv) स्रभ
(झ) ववद्यरर कयल को िीवय की आधयरलंलय क्ि कहय ग्य है -
(i) िीवय सद
ु ढ और सख
ु ी बय ियतय है ं (ii) बचपय के सा्कयर अल्ष रहते है (iii) बयलक कपष सहय कर
लेतय है (iv) इय्े से कोई यहीा
(ञ) पयरमभ ं्द ्े उपसग् होगय –
(i) प (ii) परय
(iii) पयर (iv) रमभ
अपठित गद्यां -7
असफलतय स्झदयर को भी तोड दे ती है ं असफल इासयय इचछयंजकत, आध्वव्वयस, सही ठदंय आठद सब खो
बैितय है ं लेककय िो इनहे कसकर पकडे रहतय है, वह हयर को िीत ्े बदलये कय सय्थ्् रखतय है ं एक गीक
लेखक के अयस
ु यर िो ह् अादर से हयलसल करते है, वह बयहर की असलल्त को बदल दे तय है ं अाधेरे-उियले की
तरह हयर-िीत कय द्र भी चलतय रहतय है ं पर य अाधेरय ाचरकयलीय होतय है और य उियलयं घडी कय बरयबर
आगे बढयय ह््े ्ह आंय भर दे तय है कक स्् ककतयय भी ववपरीत क्ि य हो, रकय यहीा रह सकतयं ककसी
ववदवयय कय करय है कक आद्ी की सफलतय उसकी ऊँचयई तक चढये ्े यहीा अवपतु इस्े है कक यीचे तक
ागरये के बयद वह कफर से ककतयय उछल पयतय है ं असफलतय से ह्े वह पेररय ल्लती है जिससे ह् लक्
तक पहुँचये के यए रय्ते खोिते हैं ह््े कुछ करये की कय्यय ियगती है ं असफलतय यकयरयध्क भल ू है ,
क्िकक उसी ्े सफलतय कय ्ल ू कछपय है ं उसी से बयधयओा से िझ
ू ये की ंजकत ल्लती है ं दभ
ु य्ग् और हयर
छद् वें ्े वरदयय ही होते हैं असफलतय पकाकत की वह ्ोियय है जिससे आद्ी के ठदल कय कूडय-करकष
िल ियतय है और वह ंुदध हो ियतय है ं तब वह उसे उडये के ललए यए पाख दे ती है ं
(क) बुदाध्यय भी ववफलतय के करि से दख
ु ी क्ि हो उितय है ?
(i) दख
ु ि की अाधकतय और भ्ययकतय के कयरर ं
(ii) िझ
ू ये की इचछयंजकत और आध्वव्वयस डग्गयये के कयररं
(iii) स्झदयर व्जकत्ि के सझ
ु यए ्यग् से भषकये के कयरर ं
(iv) धययभयव और ल्षि के कयरर ं
(ख) िीवय ्े ि्-परयि् कय य् कयरा तर इसललए चलतय रहतय है ,क्िकक -
(i) दोयि की ज्रकत सदय यहीा रहती ं
(ii) िीवय ्े कभी परयि् कय अाधेरय छय ियतय है ं
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(iii) कभी ववि् कय आयाद िीवय को ्गु ध कर दे तय है ं
(iv) दख
ु कय चय िीवय ्े सदय चलतय ही रहतय है ं
(ग) व्जकत्ि की सफलतय की कस्षी है -
(i) िीवय ्े लक् की पयजषत (ii) उनयकत की ऊँचयई पर चढयय ं
(iii) ्य की स््त इचछयओा की पकू त् (iv) ागरकर भी सयहसपव
ू क
् उिये कय सय्थ्् ं
(घ) पकाकत असफलतय के रप ्े ्ययव को सदय पदयय करती है –
(i) दख
ु ,कयरयंय और परे ंययी (ii) सयासयारक वय्तववकतय कय जयय ं
(iii) परे ंयकय्ि से हयरये कय ््कय (iv) उधसयहपूवक
् आगे बढये की पेररय ं
(ङ) ‘यकयरयध्क’ ं्द कय ववलो् ं्द क्य है?
(i) कय्च्यध्क (ii) ववकयरयध्क (iii) सकयरयध्क (iv)
रचययध्क ं
(च) हयर को िीत ्े बदलये कय सय्थ्् क्य रखतय है ?
(i) िो इचछयंजकत, आध्वव्वयस और सही ठदंय कय सयर छोड दे तय है ं
(ii)िो इचछयंजकत और आध्वव्वयस कय सयर यहीा छोडतयं
(iii) िो इचछयंजकत, आध्वव्वयस और सही ठदंय को कसकर रय्े रहतय है ं
(iv)सभी उतर सही हैं
(छ) इय्े से ककस ं्द कय प्ोग 'दीघ्कयल तक रहये वयले' के अर् ्े हुआ है ?
(i)ाचरकयलीय
(ii)अलपकयलीय
(iii)छद्
(iv)स््यतीत
(ि) ‘असफलतय पकाकत की वह ्ोियय है’- ्े असफलतय व्यकरिरक दजपष से क्य है ?
(i)ियकतवयचक साजय
(ii)अक््क कय्य
(iii)गर
ु वयचक साजय
(iv)भयववयचक साजय
(झ) ‘ववदवयय’ कय ववलो् ं्द क्य है ?
(i)सयकर
(ii)जययी
(iii)्ख
ू ्
(iv)ववदष
ू क
(ञ) 'सय्थ््' कय स्यययरर ं्द है -
(i)क्तय
(ii)ऊिय्
(iii)सावेदयय
(iv)वववेकंीलतय
अपठित गद्यां -8
एक स्् बुदध शयव्ती ्े लभकयषय के ललए कयकले ं बुदध घर-घर लभकयषय करते हुए आजगयक यय् के
उचच ियकत के व्जकत के घर के कयकष पहुँचये ही वयले रे कक आजगयक उनहे दे खकर योध से बोलय –‘अरे
वष
ा पलक (यीच) ्हीा िहरों ‘्ह सय
ु कर बद
ु ध ये कहय –‘हे आजगयक! क्य त्ु िययते हो, वो क्य-सी बयते है
िो ककसी को यीच बययती है? आजगयक ये कहय –‘्ै यहीा िययतय ! अचछय हो आप ्ुझे बतयएँं“ बुदध ये कहय
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– “अचछय ! तो सुयो और भली पकयर ्यय करके उनहे ्य ्े धयरर करों“ बुदध ये उपदे ं दे ते हुए कहय, िो
व्जकत योधी, बैर वयलय, ईप्य्लु, ककसी की हध्य करये वयलय हो, कयद्ष और कयरीह पयिर्ि पर अध्यचयर
करतय हो, वह यीच होतय है ं बुदध ये आगे कहय, िो व्जकत ्र लेतय है और ल्षयते स्् लडयई-झगडय
करतय है ्य भयग ियतय है , िो पारकि को ्यरकर उनहे लूषतय है तरय िो स्र् और सापनय होकर भी ्यतय-
वपतय की सेवय यहीा करतय, पज
ू ्ि से कषुवचय बोलतय है , उसे यीच िययो, पय
ु : बद
ु ध ये कहय, िो गलत रय्तय
ठदखयतय है , हे रय – फेरी करतय है , िो ्ोह से ग्त है , िो अपयी पंासय और दस
ू रि की कयादय करतय है , िो
पवजा ित कय अप्यय करतय है , उसे यीच िययों हे आजगयक! ियकत से कोई यीच यहीा होतय, अपये क्् से यीच
होतय है ं
घ. बद
ु ध के अयस
ु यर ्यपु ् यीच कैसे होतय है ?
(i) ियकत से (ii) क्् से (iii) कुल से (iv) सा्कयरि से ं
ड. आजगयक योध से बोलय ं वयक् ्े रे खयाककत पद क्य है ?
(i) साजय (ii) ववंेषर (iii) कय्य-ववंेषर (iv) सव्यय् ं
च. ‘ववचयर करयय’ के ललए अयुचछे द ्े क्य से ं्द कय प्ोग हुआ है ?
(i) कयादय करयय (ii) उपदे ं दे यय (iii) पंासय करयय (iv) ्यय करयय
छ. ’कयरीह’ ं्द कय अर् है –
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(i)कयद्ष (ii)कयद् ् (iii)कयरकर (iv)्जदरू
ि. यीच व्जकत दवयरय ्र ललए ियये पर क्य सय आचरर यहीा कक्य ियतय ?
(iv)्र ंयाकतपूवक
् ल्षय्य यहीा ियतयं
झ. ‘क्य त्
ु िययते हो, वो क्य-सी बयते है िो ककसी को यीच बययती है?’-ककसये ककससे कहय ?
अपहठत गद्यंं -9
ववजयय आि के ्ययव िीवय कय अववभयज् एवा घकयपि अाग बय ग्य है ्ययव िीवय कय कोई भी केष
ववजयय के अभूतपूव् आववपकयरि से अछूतय यहीा रहय ं इसी कयरर से आधुकयक ्ुग ववजयय कय ्ुग कहलयतय
है ं आि ववजयय ये पर
ु ष और ययरी,सयठहध्कयर और रयियीकतज, उद्ोगपकत और काषक, ाचककधसक और
सैकयक, पँि
ू ीपकत और शल्क, अलभ्ातय, लंकक और ध््ज सभी को और सभी केषि ्े ककसी य ककसी रप ्े
अपये अपकत् पदे ् से अयुगहीत कक्य है ं आि स्ूचय पारवें ववजयय्् हो ग्य है ं ववजयय के पभयव
ककसी गहा री के रसोईघर से लेकर बडी - बडी पयचीरि वयले भवयि और अटषयललकयओा ्े ही दजपतगत यहीा होते ,
अवपतु वे िल - रल की सी्यओा को लयाघकर अातारक ्े भी ववद््यय हैं व्तत
ु : ववजयय अद्तय ्ययव की
सबसे बडी ंजकत बय ग्य है ं इसके बल से ्यपु ् पकाकत और पयिर िगत कय लंरो्िर बय सकय है ं
ववजयय के अयुगह से वह सभी पकयर की सुववधयओा एवा सापदयओा कय ्वयल्धव पयषत कर चुकय है ं अब वह
््स् और ्तओ
ु ा के पकोप से भ्यययात एवा साष्त यहीा है ं ववद्ुत ये उसे आलोककत कक्य है , उपरतय एवा
ंीतलतय दी है , बषय दबयकर ककसी भी कय्् को सापनय करये की तयकत भी दी है ं ्योरा िय के ववववध सयधय
उसे सुलभ हैं ्यतय्यत एवा साचयर के सयधयि के ववकलसत एवा उनयत होये से स्् और दाू र्या बहुत क् हो
ग्ी है और स्च ू य वव्व एक कुषुाब सय लगये लगय है ं कावष एवा उद्ोग के केष ्े उधपयदकतय बढये के
कयरर आि दकु य्य पहले से अाधक धय - धयन् सापनय है ं लंकय एवा ाचककधसय के केष ्े ववजयय की दे य
अलभयादयी् है ं ववजयय के सह्ोग से ्युप् धरती और स्ुद के अयेक रह्् ह्तय्लक करके अब अातारक
लोक ्े पवें कर चुकय है ं सव्पार ववजयय ये ्युप् को ब्दाधक ववकयस पदयय कक्य है और वैजयकयक
ाचातय पदधकत दी है ं वैजयकयक ाचातय पदधकत से ्युप् अाधवव्वयसि ,रठढवयदी परमपरयओा से ्ुकत होकर
्व्र एवा सातलु लत ढा ग से सोच ववचयर कर सकतय है और ्रयर् एवा सम्क िीवय िी सकतय है ं इससे
्युप् के ्य को ्ुगि के अाधवव्वयसि, भ्पूर् और दकक्ययूसी ववचयरि, भ् और अजययतय से ्ुजकत ल्ली
है ं ववजयय की ्ह दे य ्तधु ् है ं ्ययव को चयठहए कक वह ववजयय की इस स्ग दे य को रचययध्क कय्् ्े
सुकय्ोजित करे ं
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अ. ववजयय के आववपकयर अभूतपूव् है ं
आ. ववजयय ये सभी केषि ्े ्ययव को पभयववत कक्य है ं
इ. ववजयय ये आार्क उनयकत पदयय की है ं
ई. आधुकयक ्ुग ववजयय कय ्ुग है ं
2.ककस बल पर ्यपु ् पकाकत और पयिरिगत कय लंरो्िर बय सकय है?
अ. ्व्ा के आ. सयधयि के इ. ववजयय के ई. सतय के
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यहीा है , क्िकक दीघ् कयल से सात सयधकि की ्््बययी बयकर ही यहीा, हयष बयियर की व्वहयर बोली के रप ्े
भी दे ं कय कोयय-कोयय घू् चुकी है ं
्ठद आि उसे अन् पदे ंि से अवव्वयस ल्ले,तो उसकय वत््यय खाडडत और अतीत ल्थ्य हो ियएगयं
उसकी ललवप कय ्वरप भी ्तभेदि कय केद बयय हुआ है ं सुदरू अतीत की बयह्ी से ययगरी ललवप तक आते
आते उसके बयह् रप को स्् के पवयह ये इतयय ्यँिय और खरयदय है कक उसे ककसी बडी ंल् ाचककधसय की
आव््कतय यहीा है ं यय््यष के पारवत्य से ही वह आधुकयक ्ुग के ्ुदर लेखय ्ाषि के सयर अपयी सागकत
बैिय लेगी, परा तु तधसाबाधी वववयदि से उसकय पर पं्त य करके उसके यैसाग्क स्पिव को भी काु ठित कर
ठद्य है ं ्ठद चीयी िैसी ाचष््ी दर
ु ह ललवप अपये रयप् िीवय कय सादें वहय करये ्े स्र् है , तो ह्यरी
ललवप के ्यग् की बयधयएँ दल
ु ल
् ् कैसे ्ययी िय सकती है ं
्वताषतय ये ह्े रयियीकतक ्जु कत दे कर भी य ्ययलसक ्जु कत दी है और य ह्यरी दजपष को य्य कककतिं
य्य ंयसय ताष और उसके साचयलक भी उसके अपवयद यहीा हो सकते, परा तु ह्यरे पर की सबसे बडी बयधय ्ह
ह्यरी ्वताष कय्् क्तय रयज््ुखयपेकी होती िय रही है ं पर अाधकयर आलोक कय ध्ोहयर भी तो होतय है ं
दीपक की ल् के हद् ्े बैि सके ऐसय कोई बयर अँधेरे के तर
ू ीर ्े यहीा होतय है ं ्ठद ह्यरी आध्य ्े
वव्वयस की ल् है , तो ्यग् उजजवल रहे गय हीं
भयषय सीखयय उसके सयठहध् को ियययय है , और सयठहध् को ियययय ्ययव एकतय की ्वययभ
ु कू त है ं ह्
िब सयठहध् के ्वर ्े बोलते है तब वे ्वर द्
ु तर स्ुदि पर सेतु बयँधकर, दल
ु ल
् ् पव्ति को रयिपर बययकर
्युप् की सुख-द:ु ख की करय ्युप् तक अयय्यस पहुँचय दे ते हैं
अ्षि की छय्य ्े चलये वयले अलभ्यय कयपफल हुए है, चयवकत््ि के ्वषय षूषे है, पर ्ययव एकतय के
पर पर खडय कोई चरर ाचहय अब तक यहीा ल्षय है ं ्युप् को ्युप् के कयकष लयये कय कोई ्वषय अब
तक भाग यहीा हुआ है ं
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अ.ाचष््ी आ.दे वययगरी इ.बयह्ी ई.इय्े से कोई यहीा
6.्ययव एकतय की ्वययुभूकत क्य है ?
अ.सा्काकत को ियययय आ.सभ्तय को ियययय इ.सयठहध् को ियययय ई.इय्े से कोई यहीा
7.पथा वी सूकत ककस्े ल्लतय है ?
अ.्गवेद ्े आ)्िव
ु ्द ्े इ.सय्वेद ्े ई.अरव्वेद ्े
8.ठहादी अपयी सह्ोागकय्ि के सयर क्य यहीा कर सकती है ?
अ.ठहादी अपयी सह्ोागयी भयषयओा कय ्यग् अवरदध यहीा कर सकती
आ.ठहादी अपयी सह्ोागयी भयषयओा कय ्यग् पं्त यहीा कर सकती
इ.ठहादी अपयी सह्ोागयी भयषय कय सह्ोग यहीा कर सकती
ई.उपरोकत ्े से कोई यहीा
9.ठहादी कय क्यसय ्वरप ्तभेदि कय केद बयय हुआ है ?
अ.ठहादी की ललवप कय ्वरप आ.ठहादी कय ्ययक ्वरप
इ.ठहादी कय पयचीय ्वरप ई.्े सभी
10.‘अवव्वयस’ ्े प्ुकत उपसग् ललखए –
अ.‘अवव’ उपसग् आ. ‘अ’ उपसग् इ.‘अववं त’ उपसग् ई. ‘अस त’ उपसग्
पहठत खंड
पयठ् पुसतक आाोर भयग -1
सरय्क सय्गे
ा्खक पराच्
पे्चाद
्ा
ू नय्ः धयपत रय्, जन्ः – सय त 1880 ल्ही गयँव (उ.प.) ्तृ ्ःु - सय त
1936
प्ुख ाचनयएँः- सेवयसदय, पे्यश्, रा गभूल्, कय््लय, कय्यकलप, गबय, क््भूल्, गोदयय (उपन्यस), सोिे-
वतय, ्ययसरोवर-आि खाड ्े , गषु त धय (कहययी सागह), कब्लय, सागय्, पे् की दे वी (ययषक), कुछ ववचयर,
ववववध-पसाग (कयबाध-सागह) |
जेिन पराच्- पे्चाद कय बचपय अभयवि ्े बीतयं इनहिये ्कूली लंकय परू ी करये के बयद पयारवयारक
स्््यओा के कयरर बी.ए. तक की पढयई ्ुज्कल से पूरी कीं ्े अागेिी ्े ए्.ए. करयय चयहते रे, लेककय
पयारवयारक जिम्ेदयार्ि को पूरय करये के ललए य्करी करयी पडीं गयँधी िी के असह्ोग आादोलय ्े सकय्
होये के कयरर उनहिये सरकयरी य्करी से ध्यगपष दे ठद्यं रयप्ी् आादोलय से िुडये के बयद भी उयकय लेखय
कय्् सुचयर रप से चलतय रहयं ्े अपयी पधयी लंवरययी दे वी के सयर अागेिि के िखलयफ आदोलयि ्े ठह्सय
लेते रहे ं इयके िीवय कय रयियीकतक साघष् इयकी रचययओा ्े सय्यजिक साघष् बयकर सय्ये आ्य, जिस्े
िीवय कय ्रयर् और आदं् दोयि रें
सयहरकत्क विं्षतयएँ- ठहादी सयठहध् के इकतहयस ्े कहययी और उपन्यस की ववधय के ववकयस कय कयल-
ववभयिय पे्चाद को ही केद ्े रखकर कक्य ियतय रहय है ं व्तत
ु : पे्चाद ही पहले रचययकयर है जिनहिये
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कहययी और उपन्यस की ववधय को कलपयय और र्यकय्त के धुाधलके से कयकयलकर ्रयर् की िोस ि्ीय
पर पकतजपित कक्यं ्रयर् की ि्ीय से िुडकर कहययी कक्सयगोई तक सील्त य रहकर पढये-पढयये की
परा परय से भी िुडीं इस्े उयकी ठहाद्
ु तययी ं भयषय अपये पूरे ियष-बयष और ियती् ्वरप के सयर आई है ं
सयठहध् के बयरे ्े पे्चाद कय कहयय है - ‘‘ सयहरत् िर जयद ू की ाकड़े रै जो पंओ
ु ं ्े ईट-पतरां ्े प्ड़-पौ्ं
्े भे विशि की आत्य कय दंयन काय द् ते रै ।”
1. िब य्क कय य्य ववभयग बयय और ई्वर-पदत व्तु के व्वहयर करये कय कयषेध हो ग्य तो लोग चोरी-
कछपे इसकय व्यपयर करये लगें अयेक पकयर के छल-पपाचि कय सूषपयत हुआ, कोई घूस से कय् कयकयलतय रय,
कोई चयलयकी सें अाधकयार्ि के प्-बयरह रें पषवयरीागरी कय सव्सम्यकयत पद छोड-छोडकर लोग इस ववभयग
की बरकादयिी करते रें इसके दयरोगय पद के ललए तो वकीलि कय भी िी ललचयतय रयं ्ह वह स्् रय, िब
अागेजी लंकय और ईसयई ्त को लोग एक ही व्तु स्झते रें फयरसी कय पयबल् रयं पे् की करयएँ और
शागयर रस के कयव् पढकर फयरसीदया लोग सव्चच पदि पर कय्ुकत हो िय्य करते रें
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क. ार्वत को ख.लक्ी को ग.य्क को घ.इय्े से कोई यहीा
3. य्क ववभयग ्े दयरोगय के पद के ललए क्य ललचयते रे-
क. डॉकषर ख. पोफैसर ग.दयरोगय घ.वकील
4. "य्क कय दयरोगय" पषवयरीागरी और य्क के ववभयग की य्करी ्े लोगि कय आकष्र क्ि रय ?
क. दोयि ववभयगि ्े भपषयचयर और घूस लेये की पववा त अाधक होये के कयरर ऊपर की क्यई बहुत री |
ख. दोयि ववभयगि ्े ्यय-सम्यय, और पकतपिय अाधक ल्लती री |
ग.ऊँचे पद की य्करी री, इसललए सभी कय आकष्र रय |
घ.इय्े से कोई यहीा |
5. ककस व्तु कय व्वहयर करयय कयषेध हो ग्य रय –
क. िल ख.वय्ु ग.य्क घ.धरती
2.उयके वपतय एक अयुभवी पुरष रें स्झयये लगे-'बेषय! घर की ददु ् ंय दे ख रहे हों ॠर के बोझ से दबे हुए
हैं लडकक्यँ है, वे घयस-फूस की तरह बढती चली ियती हैं ्ै कगयरे पर कय वक
ा हो रहय हूँ, य ्यलू् कब ागर
पडूँं अब तम
ु हीा घर के ्यललक-्ुखतयर हों
'य्करी ्े ओहदे की ओर ध्यय ्त दे यय, ्ह तो पीर कय ्जयर है ं कयगयह चढयवे और चयदर पर
रखयी चयठहएं ऐसय कय् ढूँढयय िहयँ कुछ ऊपरी आ् हों ्यलसक वेतय तो पूर्
् यसी कय चयँद है िो एक ठदय
ठदखयई दे तय है और घषते-घषते लषु त हो ियतय है ं ऊपरी आ् बहतय हुआ सोत है जिससे सदै व ष्यस बझ ु ती है ं
वेतय ्युप् दे तय है , इसी से उस्े वजा धद यहीा होतीं ऊपरी आ्दयी ई्वर दे तय है , इसी से उसकी बरकत होती
है, त्
ु ्व्ा ववदवयय हो, तम
ु हे क्य स्झयऊँं
इस ववष् ्े वववेक की बडी आव््कतय है ं ्युप् को दे खो, उसकी आव््कतय को दे खो और अवसर को
दे खो, उसके उपरयात िो उाचत स्झो, करों गरिवयले आद्ी के सयर किोरतय करये ्े लयभ ही लयभ है ं
लेककय बेगरज को दयँव पर पययय जरय कठिय है ं इय बयति को कयगयह ्े बयँध लों ्ह ्ेरी िन्भर की
क्यई है ं
1. लेखक के वपतय ये लेखक को घर की ज्रकत के बयरे ्े क्य बतय्य ?
क. उयकय पारवयर कि् ्े डूबय हुआ है |
ख. घर की लडकक्ि के वववयह के ललए उयके पयस धय यहीा है |
ग.उप्क
ु् त दोयि ववकलप उाचत है |
घ.इय्े से कोई यहीा |
2. लेखक के वपतय ये लेखक को य्करी के ववष् ्े क्य सीख दी ?
क. य्करी ्े पद ्हतवपूर् यहीा है |
ख. य्करी ्े ऊपरी आ् ्हतवपूर् है |
ग. उनहे ककसी भी तरीके से धय क्ययय चयठहए |
घ. उप्क
ु् त सभी ववकलप उाचत है |
3. लेखक के वपतय की िन् भर की क्यई क्य री िो उनहिये लेखक को दी ?
क. पु्तैयी ्कयय
ख. धय-द्लत
ग. लेखक को य्करी के ववष् ्े दी गई सीख
घ. उप्क
ु् त सभी ववकलप उाचत है |
4. य्क कय दयरोगय पद को "पीर कय ्जयर" कहये ्े क्य व्ाग् कयठहत है ?
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क. ओहदय वही शेपि होतय है जिस्े लोगि कय आकष्र हो |
ख. ओहदय वही शेपि होतय है जिस पर चढयवय खब
ू चढतय हो अरय्त त ऊपरी आ् खब
ू हो |
ग. ओहदय वो शेपि होतय है जिस्े ्यय-सम्यय खब
ू हो |
घ. ववकलप 1 व 2 ही उप्ुकत है |
5. ्यलसक वेतय को "पूर्
् यसी कय चयँद" क्ि कहय ग्य है ?
क. जिस पकयर पूर्
् यसी कय चयँद ्हीये ्े एक ही बयर पूरय ठदखयई दे तय है उसी पकयर ्यलसक
वेतय ्हीये ्े एक ही बयर पयषत होतय है |
ख. पर
ू ्
् यसी कय चयँद एक बयर ठदखकर धीरे -धीरे लषु त हो ियतय है उसी पकयर ्यलसक वेतय एक
बयर ल्लकर धीर-धीरे खध् हो ियतय है |
ग. उप्क
ु् त दोयि ववकलप उाचत है |
घ.इय्े से कोई यहीा |
3.पाडडत अलोपीदीय कय लक्ी िी पर अखाड वव्वयस रयं वह कहय करते रे कक सासयर कय तो कहयय ही क्य,
्वग् ्े भी लक्ी कय ही रयज् है ं उयकय ्ह कहयय ्रयर् ही रयं न्य् और यीकत सब लक्ी के ही
िखल्ये है, इनहे वह िैसे चयहती है , यचयती हैं लेषे-ही-लेषे गव् से बोले-चलो, ह् आते हैं ्ह कहकर पाडडत
िी ये बडी कयज्चाततय से पयय के बीडे लगयकर खयए, कफर ललहयफ ओढे हुए दयरोगय के पयस आकर बोले-बयबू िी,
आंीवय्द कठहए, ह्से ऐसय क्य-सय अपरयध हुआ कक गयडड्यँ रोक दी गईं ह् बयह्रि पर तो आपकी कापय-
दजपष रहयी चयठहएं वांीधर रखयई से बोले-सरकयरी हुक्!
पाडडत अलोपीदीय ये हँ सकर कहय-ह् सरकयरी हुक् को यहीा िययते और य सरकयर कों ह्यरे सरकयर
तो आप ही हैं ह्यरय और आपकय तो घर कय ्य्लय है , ह् कभी आपसे बयहर हो सकते है? आपये व्र् कय
कपष उिय्यं ्ह हो यहीा सकतय कक इधर से ियएँ और इस घयष के दे वतय को भे ष य चढयवे ं ्ै तो आपकी
सेवय ्े ्व्ा ही आ रहय रयं वांीधर पर ऐ्व्् की ्ोठहयी वांी कय कुछ पभयव य पडयं ई्ययदयरी की य्ी
उ्ाग रीं कडककर बोले-ह् उय य्कहरय्ि ्े यहीा है िो क्डड्ि पर अपयय ई्यय बेचते कफरते हैं आप इस
स्् ठहरयसत ्े हैं आपकय कय्दे के अयस
ु यर चयलयय होगयं बस, ्झ
ु े अाधक बयति की फुरसत यहीा है ं
ि्यदयर बदलू लसाह! त्
ु इनहे ठहरयसत ्े ले चलो, ्ै हुक् दे तय हूँं
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ख. वे कयज्चात होकर, बडे आरय् से पयय खयते हुए ्ुांी वांीधर के पयस पहुँचे क्िकक उनहे लक्ी पर
पूरय ्कीय रय|
ग. वे खबर पयकर हडबडय गए और उयके पैरो के यीचे की ज्ीय िखसक गई |
घ. पहले दोयि ववकलप सही है |
4. पाडडत अलोपीदीय ये ्ुांी वांीधर को ककस पकयर पभयववत करये कय प्धय कक्य ?
क. उनहिये चयपलूसी-भरी बयति से उनहे वं ्े करये कय प्यस कक्य |
ख. अपये बयह्र होये कय हवयलय दे कर और ार्वत की पेंकं कर उनहे ्ययये कय प्यस कक्य |
ग. उनहिये अपये दबदबे और सरकयरी अाधकयार्ि के सयर अपये समबनधो के बयरे ्े बतयकर ्ां
ु ी को
ध्कयये कय प्यस कक्य |
घ. पहले दोयि ववकलप उाचत है
5. प्तत
ु गद्यां जिस पयि से लल्य ग्य है उसके पयि व लेखक के समबनध ्े सही ्ुग् कय च्य
कीजिए-
क. य्क कय दयरोगय- कु्यर गनधव्
ख. य्क कय दयरोगय- पे्चाद
ग. य्क कय दयरोगय- ्ीरय
घ. इय्े से कोई यहीा
4.दकु य्य सोती री, पर दकु य्य की िीभ ियगती रीं सवेरे दे िखए तो बयलक-वदा ध सबके ्ँहु से ्ही बयत सुययई
दे ती रीं जिसे दे िखए, वही पाडडत िी के इस व्वहयर पर षीकय-ठषषपरी कर रहय रय, कयादय की ब्छयरे हो रही
रीा, ्ययो सासयर से अब पयपी कय पयप कष ग्यं पययी को दध
ू के यय् से बेचयेवयलय गवयलय, कजलपत
रोजयय्चे भरयेवयले अाधकयरी वग्, रे ल ्े तबयय ठषकष सफर करये वयले बयबू लोग, ियली द्तयवेज बयययेवयले
सेि और सयहूकयर, ्ह सब-के-सब दे वतयओा की भयँकत गरदये चलय रहे रें िब दस
ू रे ठदय पाडडत अलोपीदीय
अलभ्ुकत होकर कया्षे बलि के सयर, हयरि ्े हरकडड्यँ, हद् ्े गलयकय और कोभ भरे , लजिय से गरदय
झुकयए अदयलत की तरफ चले, तो सयरे ंहर ्े हलचल ्च गईं ्ेलि ्े कदयाचत त आँखे इतयी व्ग य होती
हिगीं भीड के ्यरे छत और दीवयर ्े कोई भेद य रहयं
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ग. िीभ
घ. ययक
4. इय्े से क्य से लोग गरदय यहीा चलय रह रे ?
क. पययी को दध
ू के यय् से बेचयेवयलय गवयलय
ख. कजलपत रोजयय्चे भरयेवयले अाधकयरी वग्
ग. रे ल ्े ठषकष लेकर सफर करये वयले बयबू लोग
घ. ियली द्तयवेज बयययेवयले सेि और सयहूकयर
5. . य्क ववभयग ्े ककसे दरोगय की य्करी ल्ली –
क. अलोपीदीय को
ख. वांीधर को
ग. बदलू लसाह को
घ. दयतयदीय को
5.ककातु अदयलत ्े पहुँचये की दे र रीं पाडडत अलोपीदीय इस अगयध वय के लसाह रें अाधकयरी वग् उयके
भकत, अ्ले उयके सेवक, वकील-्ुखतयर उयके आजयपयलक और अरदली, चपरयसी तरय च्कीदयर तो उयके
तबयय ्यल के गल
ु य् रें उनहे दे खते ही लोग चयरि तरफ से द्डें सभी लोग ववज््त हो रहे रें इसललए यहीा
कक अलोपीदीय ये क्ि ्ह क्् कक्य, बजलक इसललए कक वह कययूय के पािे ्े कैसे आएं ऐसय ्युप् जिसके
पयस असयध् सयधय करयेवयलय धय और अयन् वयचयलतय हो, वह क्ि कययूय के पािे ्े आएं पध्ेक ्युप्
उयसे सहययुभूकत पकष करतय रयं बडी तधपरतय से इस आय्र को रोकये के कयल्त वकीलि की एक सेयय
तै्यर की गईं न्य् के ्ैदयय ्े ध्् और धय ्े ्ुदध िय ग्यं वांीधर चुपचयप खडे रें उयके पयस सध्
के लसवय य कोई बल रय, य ्पपष भयषर के अकतारकत कोई ं्षं गवयह रे, ककातु लोभ से डयँवयडोल|
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ग. वांीधर के पयस घ. चपरयसी तरय च्कीदयर के पयस
5. अदयलत ्े ककस-ककस के बीच सागय् ंर
ु हुआ?
क. अलोपीदीय और वांीधर के बीच ख. न्य् और अन्य् के बीच
ग. ध्् और धय के बीच घ.पयप और प्ु ् के बीच
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ख. वे लंकय को धय क्यये कय एक सयधय ्यष और य्करी को ऊपरी क्यई कय िार्य ्ययते
है |
ग. वे अपये पुष को जररत्ाद लोगि की ्िबूरी कय फय्दय उियकर धय क्यये कय परय्ं् दे ते
है |
घ. वे अपये बेषे की ई्ययदयरी और सयहस की सरयहयय करते है |
10. "य्क कय दयरोगय" पयि के ववष् ्े अयुाचत करय कय च्य कीजिए
क. ्ह पयि ध्् के ऊपर धय की िीत को पकतजपित करतय है |
ख. इसे आदं्न्ुख ्रयर्वयद के एक ्ुकम्ल उदयहरर के रप ्े दे खय िय सकतय है|
ग. इसके ्ुख् पयष ्ुांी वांीधर है |
घ. इय्े से कोई यहीा |
11. "य्क कय दयरोगय" वांीधर के वपतयिी ये उनहे क्य लंकयएँ दी??
क. ्ुांी वांीधर के वदा ध वपतयिी ये घर की गरीबी और ददु ् ंय के बयरे ्े बेषे को बतय्य |
ख. उनहिये ऊँचे ओहदे के ्रयय पर ऊपर की आ्दयी वयली य्करी पयषत करये की सलयह दी|
ग. उनहिये ककसी भी तरह धय क्यये के ललए कहय |
घ. उप्क
ु् त सभी
12. "गरजवयले आद्ी के सयर किोरतय करये ्े लयभ ही लयभ है " ्ुांी वांीधर के वपतय के इस करय से
सरकयरी क््चयार्ि की ककस पववा त पर व्ाग् कक्य ग्य है ?
क. सरकयरी क््चयरी जररत्ाद लोगि को खब
ू कयचोडते है |
ख. सरकयरी क््चयरी जररत्ाद लोगि की ्िबूरी कय लयभ उियकर उनहे बुरी तरह लूषते-खसोषते
है |
ग. उप्क
ु् त दोयि ववकलप सही है |
घ. वे जररत्ाद लोगि के सयर सहययुभूकतपूर् व्वहयर करते है |
13. वांीधर के व्जकतधव के ववष् ्े अयाु चत करय कय च्य कीजिए-
क. वे कत्व्परय्र और ई्ययदयर व्जकत रे |
ख. पारवयर की आार्क हयलत अचछी यहीा होये के बयविद
ू वे बहुत बडी रक् ्य धय के ार्वत
के प्तयव को िुकरय दे ते है |
ग. वे सयहसी और दढकय्च्ी है इसी विह से वे अात तक हयर यहीा ्ययते है |
घ. इय्े से कोई यहीा |
14. "य्क कय दयरोगय" ्े "लडकक्या है, वे घयस-फूस की तरह बढती चली ियती है" वयक् स्यि ्े लडकक्ि
की ज्रकत की ककस वय्तववकतय को पकष करतय है ?
क. स्यि लडकक्ि को बोझ ्ययतय है |
ख. लडकी के बडे होये पर उसकी ंयदी और दहे ज की ाचातय पारवयर को सतयये लगती है |
ग. स्यि लडकक्ि के पकत सम्यय की भयवयय रखतय है इसललए उसे घयस-फूस बतय्य ग्य है |
घ. उप्क
ु् त दोयि ववकलप सही है |
15. वांीधर के वपतय ककसकी अगवययी के ललए द्ड रहे रे –
क. वांीधर की ख. ्जि््े ष की ग. अलोपयदीय की घ. ्यतयदीय की
16. य्क कय दयरोगय पद को "पीर कय ्जयर" कहये ्े क्य व्ाग् कयठहत है ?
क. वही शेपि होतय है जिस्े लोगि कय आकष्र हो |
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ख. वही शेपि होतय है जिस पर चढयवय खब
ू चढतय हो अरय्त त ऊपरी आ् खब
ू हो |
ग. वो शेपि होतय है जिस्े ्यय-सम्यय खब
ू हो |
घ. 1 व 2 ही उप्ुकत है |
17. य्क कय दयरोगय पयि के लेखक कय क्य यय् है ?
(क) हियरी पसयद दवववेदी
(ख) ्हयदे वी व्य्
(ग) पे्चाद
(घ) सध्िीत रय्
18. पे्चाद कय िन् कब और कहयँ हुआ रय-
(क) 31 िुलयई 1880
(ख) 31 अग्त 1880
(ग) 31 िुलयई 1888
(घ) 15 अग्त 1857
19. य्क कय दयरोगय की रचयय ववधय है -
(क) ययषक
(ख) कहययी
(ग) उपन्यस
(घ) कयबाध
20. आदं्न्ख
ु ्रयर्वयद कय ्क
ु म्ल उदयहरर है -
(क) गोदयय
(ख) बडे घर की बेषी
(ग) क््भू्ी
(घ) य्क कय दयरोगय
म््यँ नसेरदददन
करयकया पराच्
कापरय सोबती िन्: सय त 1925, गि
ु रयत (पज्च्ी पाियब वत््यय ्े पयकक्तयय) प्ुख रचययएा – जिादगीयय्य,
ठदलोदयकयं, ऐ लडकी, स्् सरग् (उपन्यस); डयर से तबछुडी, ल्षो ्रिययी, बयदलि के घेरे, सूरि्ुखी अाधेरे
के, (कहययी सागह); ह् हं्त, ं्दि के आलोक ्े (ं्दाचष, सा््रर) है |
प्ुख सम्यय – इनहे सयठहध् अकयद्ी सम्यय, ठहादी अकयद्ी कय ंलयकय सम्यय, सयठहध् अकयद्ी की
्हतर सद््तय सठहत अयेक रयप्ी् पुर्कयर पदयय ककए गए| ठहादी करय सयठहध् ्े कापरय सोबती की
ववलंपष पहचयय है | उयके अयुसयर क् ललखयय ववलंपष ललखयय है | ्ही कयरर है कक उयके सा्ल्त लेखय
और सयफ सुररी रचययध्कतय ये अपयय एक कयत य्य पयिक वग् बयय्य है | उयके कई उपन्यसि, लाबी
कहयकय्ि और सा््ररि ये ठहादी के सयठहजध्क सासयर ्े अपयी दीघ्िीवी उपज्रकत सकु यज्चत की है | उनहिये
ठहादी सयठहध् को कई ऐसे ्यदगयर चारष ठदए है, जिनहे अ्र कहय िय सकतय है ; िैसे ल्षो, ंयहयी, हं्त
आठद| भयरत पकक्तयय पर जिय लेखकि ये ठहादी ्े कयलि्ी रचययएा ललखीा, उय्े कापरय सोबती कय यय्
पहली कतयर ्े रखय ियएगय |
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सयायंं
ल््यँ यसीरददीय’ ं्द ाचष ‘ह् हं्त’ यय्क सागह से लल्य ग्य है जिसकी लेिखकय कापरय सोबती है|
इस्े खययदययी यययबयई ल््या यसीरदीय के व्जकतधव, राच्ि और ्वभयव कय ं्द ाचष खीाचय ग्य है | इस्े
ल््या यसीरददीय अपयी ्सीहयई अादयि से रोषी पकयये की कलय और और उस्े खययदययी ्हयरत को बतयते
है| वे अपये पेंे को कलय कय दिय् दे ते है और करके सीखये को असली हुयर ्ययते है| एक दोपहर िब
लेिखकय घू्ते घू्ते अचययक िय्य ्ज्िद के कयकष ्ुहलले के एक अाधेरी दकु यय के पयस आती है तो पतय
चलतय है कक वो खययदययी यययबयई ल््यँ यसीरददीय की दक
ु यय है | उनहे ्ह भी पतय चलय कक ल््या छषपय
कक्् की रोठष्या बययये के ललए ्ंहूर है| लेिखकय के प्य पूछये पर ल््या यसीरददीय स्झ ियते है कक वो
एक पषकयर है| कफर भी वो उयके प्यि कय उतर बडे ही आध्वव्वयस के सयर दे ते है| लेिखकय को ्ह भी
बतयते है कक ्ह उयकय खययदययी पेंय है | बयदंयह के दरबयर ्े भी उयके पव
ू ि
् ि ये कय् कक्य है | लेिखकय के
्ह पूछये पर कक ठदलली के ककस बयदंयह के ्हया कय् कक्य है | लेिखकय के ्ह पूछये पर कक ठदल्
ली के ककस
बयदंयह के ्हया उयके बुिुग् ये कय् कक्य रय, ल््या रीडे िखलस्य उिे | लेिखकय उयके बेषे बेठष्ि के बयरे ्े
भी पूछयय चयहती रीा लेककय ल््या के चेहरे के भयव दे खकर उनहिये इस ववष् को य छे डयय ही उाचत स्झय ं
बयति – बयति ्े ्ह भी पतय चलय कक ल््यँ अपये ंयागद् कय भी बहुत सम्यय करते है| वे उनहे स्् पर
उाचत वेतय दे ते है| इस पकयर, ल््या यसीरददीय के रोठष्यँ बययये की कलय तरय उयके पेंे के पकत स्प्र
दे खकर लेिखकय बहुत पभयववत हुई|
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अ) ल््यँ यसीरददीय की दक
ु यय िय्य ्ज्िद के पयस ्ठष्य्हल के गढै ्य ्ुहलले ्े रीं
आ) ल््यँ यसीरददीय की दक
ु यय लयलककले के पयस रीं
इ) ल््यँ यसीरददीय की दक
ु यय च्रयहे ्े रीं
ई) ल््यँ यसीरददीय की दक
ु यय पुललस ्षे ंय के पयस री |
4. इस गद्यां ्े ककस यययबयई कय जिय हआ है ?
अ. ्हया ल््यँ यसीरददीय यय्क खययदययी यययबयई कय जिय हआ है ं
आ. ्हया कापर सोबती के य्कर की बयत हो रही है ं
इ. ्हया रय्ू यययबयई की बयत हो रही है |
ई. ्हयँ घूरय दे वी कय जिय हो रहय है ं
5. ल््यँ यसीरददीय ककतये कक्् की रोठष्या बययये के ललए ्ंहूर है?
अ. कछ्यसी आ. छषपय इ. छतीस ई. उप्ुक
् त ्े से कोई यहीा
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4. ्ह गद्यां ककस पयि से लल्य ग्य है ?
अ. य्क कय दयरोगय
आ. ल््यँ यसीरददीय
इ. गलतय लोहय
ई. उप्क
ु् त ्े से कोई यहीा
5. उप्ुक
् त गद्यां के लेखक कय यय् क्य है ?
अ. ्हयदे वी व्य्
आ. ्ुांी पे्चाद
इ. कापरय सोबती
ई. उप्क
ु् त सभी ववकलप सही है
3. ल््यँ यसीरददीय ये आँखि के काचे ह् पर फेर ठदएं कफर तरे रकर बोले “क्य ्तलब?
पूकछए सयहब यययबयई इल् लेये कहीा और ियएगय? क्य यगीययसयज के पयस? क्य
आईययसयज के पयस? क्य ्ीययसयज के पयस? ्य रफूगर, रा गरे ि ्य तेली - ताबोली से सीखये
ियएगय? क्य फर्य ठद्य सयहब - ्ह तो ह्यरय खययदययी पेंय िहरयं हयँ, इल् की बयत
पूकछए तो िो कुछ भी सीखय, अपये वयललद उ्तयद से हीं ्तलब ्ह कक ह् घर से य
कयकले कक कोई पेंय अजखत्यर करे गें िो बयप - दयदय कय हुयर रय, वही उयसे पय्य और
वयललद ्रहू् के उि ियये पर बैिे उनहीा के िी्े पर!
1. ल््यँ ये लिखकय को आँखे तरे रकर क्ि उतर ठद्य?
अ. ल््यँ को लेिखकय की बयत अचछी यहीा लगीं
आ. ल््यँ से लेिखकय उयके बचचि के बयरे ्े पूछ बैिी ,इसललए ल््या ये उसे आँखे तरे र
कर दे खय ं
इ. ल््यँ को लेिखकय हिीली लगी,इसललए आाखे तरे र कर दे खय
ई. ल््यँ से िब लेिखकय ये पूछय कक आपये यययबयई कय कय् ककससे सीखय तो उनहे
योध आ ग्य ं उनहे ्ह प्य ही गलत लगय ं वे अपयी आँखे तरे र कर अपयी
पकतकय्य ितयर हे रें
2. ल््यँ ये ककय – ककय खययदययी व्वसय्ि कय उदयहरर ठद्य और क्ि?
अ. ल््यँ ये यगीयय सयज , आईययसयज, ्ीययसयज, रफूगर, रा गरे ि, तेली - ताबोली
व्वसय्ि कय उदयहरर ठद्यं उनहिये लेिखकय को स्झय्य कक इय लोगि के पयस
यययबयई कय जयय यहीा है ं खययदययी पेंे को अपये बि
ु ग
ु् ि से ही सीखय ियतय है ं
आ. ल््यँ ये उय सब कय यय् लल्य जियके बयरे ्े लोग िययते है ं
इ. क्िकक लोग उयकय आदर करते हैं
ई. ल््यँ ये उय सबकय यय् लल्य जियको लोग भूल गए तयकक लोग ्यद रख सके |
3. ल््यँ ये यययबयई कय कय् क्
्ि कक्य?
अ. ल््यँ ये यययबयई कय कय् कक्य, क््िकक ्ह उयकय खययदययी पेंय रय | इयके
वपतय व दयदय ्ंहूर यययबयई रें ल््यँ ये भी उसी परा परय को आगे बढय्यं
आ. ल््यँ को इस कय् को करये ्े राच री ं
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इ. ल््यँ को अपये ल्षि से य्य कय् सीखये को ल्ल ग्य और उनहोये इसे अपयय
लल्य ं
ई. ल््यँ और कोई कय् सीख यहीा पय्े इसललए ्िबूरी ्े उनहे यययबयई कय कय्
करयय पडय ं
4. ल््यँ यसीरददीय के खययदयय कय पेंय क्य रय ?
अ. यगीययसयि आ.आईययसयि इ. यययबयई ई. तेली - ताबोली
5. ‘इल्’ ं्द कय क्य अर् है ?
अ. जयय आ. यययबयई इ. खययदययी ई.उप्ुक
् त ्े से कोई यहीा
4. ल््यँ कुछ दे र सोच ्े खोए रहे ं सोचय पकवयय पर रोंयी डयलये को है कक यसीरददीय
सयठहब बडी रखयई से बोले “्ह ह् य बतयवे गें बस, आप इतय स्झ लीजिए कक एक
कहयवत है य कक खययदययी यययबयई कुएँ ्े भी रोषी पकय सकतय है ं कहयवत िब भी गढी
गई हो, ह्यरे बुिुग् के करतब पर ही पूरी उतरती है ं' ्जय लेये के ललए षोकय - “कहयवत
्ह सचची भी है कक....ं ल््यँ ये तरे रय “और क्य झि
ू ी है ? आप ही बतयइए, रोषी पकयये ्े
झूि कय क्
्य कय्! झूि से रोषी पकेगी? क्य पकती दे खी है कभी! रोषी िययब पकती है
आँच से, स्झे!'
1. ल््यँ यसीरददीय ये ककस चीि के ललए कहय कक ्ह ह् य बतयवे ग?
े
अ. ल््यँ ये कहय कक वे अपये परदयदय कय यय् यहीा बतयएँगे
आ. ल््यँ ये बयदंयह सलय्त कय यय् बतयये से ्ययय कर ठद्यं
इ. ल््यँ यसीरददीय ये अपये पुरखि के करतबि कय उललेख करते हुए कहय कक
उनहिये बयदंयह को ऐसी चीि िखलयई िो य आग से और य पययी से पकी रीं
लेिखकय ये िब चीि कय यय् पछ
ू य तो उनहिये बेरखयई से यय् बतयये से इाकयर
कर ठद्यं
ई. ल््यँ ये अपये बयप दयदय के बतयए यु्खे बतयये से ्ययय कर ठद्यं
2. ल््यँ ककस सोच ्े पड गए ?
अ. ल््यँ से िब अदभुत चीि के बयरे ्े पूछय ग्य तो वे सोच ्े पड गए|
वय्तव ्े ल््यँ को ऐसी चीि के बयरे ्े पतय ही यहीा रयं उनहिये अपये
बुिुग् की पंासय के ललए ्ह बयत कह दी रीं
आ. ल््यँ से िब उयके बचचि के बयरे पूछय ग्य तो वे सोच ्े पड गए |
इ. ल््यँ से बयदंयह के बयरे ्े पछ
ू य तो वे सोच ्े पड गए |
ई. ल््यँ अपयी बचपय की ्यदि ्े खो गए ं
3. ल््यँ ककस बयत कय दयवय करते है?
अ. ल््यँ इस बयत कय दयवय करते है कक उयकी ल्ियइ्यँ सब से बठढ्य होती
हैं
आ. ल््यँ इस बयत कय दयवय करते है कक खययदययी यययबयई कुछ भी पकय
सकतय है ं
इ. ल््यँ दयवय करते है कक बडे- बडे लोग उयके ्हयँ खयये पर िरर आते हैं
ई. ल््यँ दयवय करते है कक उनहे पुर्कयर अव्् ल्लेगयं
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4. ल््यँ यसीरददीय के अयुसयर खययदययी यययबयई कहया रोषी पकय सकतय है ?
अ. घर ्े आ. कुएँ ्े इ. धूप ्े ई. छत पर
5. ठदए गए गद्यां के पयि और लेखक कय क्य यय् है ?
अ. य्क कय दरोगय - ्ुांी पे्चाद आ. गलतय लोहय - ंेखर िोंी
इ. ल््यँ यसीरददीय - कापरय सोबती ई.उप्क
ु् त ्े से कोई यहीा
बरुविकलपे पशन
1. ‘ल््यँ यसीरददीय यय्क पयि की लेिखकय कय यय् है
क. ्हयदे वी व्य्
ख. कापरय सोबती
ग. सुभदय कु्यरी च्हयय
घ. अ्त
ा य पीत्
2. ‘ल््या यसीरददीय यय्क पयि ्े ककसके व्जकतधव कय ं्द ाचष अाककत कक्य ग्य है ?
一. ल््या यसीरददीय के दयदय कय
二. ल््या यसीरददीय के वपतय कय
三. ल््यँ यसीरददीय कय
四. ल््या यसीरददीय के भयई कय
3. ल््या यसीरददीय ककस कलय ्े पवीर रे?
一. व्तक
ु लय
二. ाचषकलय
三. भयषर कलय
四. रोषी बययये की कलय
4. ल््या यसीरददीय कैसे इासयय कय पकतकयाधधव करते रे?
क. चयलयक इासयय कय
ख. ध्यगंील इासयय कय
ग. जो अपये पेंे को कलय कय दिय् दे ते है ं
घ. िो अपये खययदयय कय यय् डुबोते है 5. िब लेिखकय गढै ्य ्ह
ु लले से गि
ु र रही री तो
उसे एक दक
ु यय से कैसी आवयज सुययई दी?
क. पषयपष की
ख. यधा ् करये की
ग. गीत की
घ. रोये की
6. पषयपष आषय सयते दे खय तो लेिखकय ये क्य सोचय ?
क. रोठष्ि की तै्यरी हो रही है
ख. सेवइ्ि की तै्यरी हो रही है
ग. दयल को तडकय लग रहय है
घ. हलवय बयय्य िय रहय है
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7. ल््या यसीरददीय ककतये पकयर की रोषी बययये के ललए ्ंहूर है?
क. बतीस ख. चयलीस
ग. छ्यलीस घ. छषपय
8. लेिखकय ये ल््यँ यसीरददीय से सबसे पहले क्य सय प्य कक्य रय? क. आप से कुछ
सवयल पछ
ू ये रे?
ख. आप से रोठष्या बयवययी रीा?
ग. आप क्
्य कर रहे है?
घ. आपकय यय् क्य है ?
9, ल््यँ यसीरददीय ये लेिखकय को क्य स्झय रय?
क. अलभयेषी ख. येषी
ग॒ . अखबयरयवीस घ. कवक्षी
ग. आ् कय सयधय
11. अखबयर बययये वयले और अखबयर पढये वयले दोयि को ल््यँ यसीरददीय ये क्य कहय रय?
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17. 'तयली् की तयली् भी बडी चीज होती है ' इस वयक् ्े दस
ू री बयर प्ुकत तयली् कय क्य अर्
है
18. 'कोई ऐसी चीि िखलयओ िो य आग से पके, य पययी से बये' ्े ं्द ककसये कहे रे?
19. लेिखकय ये दक
ु यय के भीतर झयँकय तो ल््यँ क्य कर रहे रे ?
क. 70 सयल ख. 65 सयल
27. लेिखकय ल््या यसीरददीय से उयके बचचि के बयरे ्े कुछ क्ि य पूछ सकी?
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क. उयके चेहरे पर ककसी अाधड के आसयर दे खकर
क. र्यली ख. तय
ु की ग. तयफतयय घ. बयकरखययी
क. तीसरी ख. दस
ू री ग. पयाचवीा घ. सयतवीा
32. आाखि के काचे ह्यरी तरफ फेर ठद्े 'इसकय क्य अर् है ?
लेखक पारच्
िीवय पारच्- ंेखर िोंी कय िन् उतरयाचल के अल्ोडय ्े 1932 ई. ्े हुआं इयकी पयरा लभक
लंकय अल्ोडय ्े हुईं बीसवीा सदी के छिे दंक ्े ठहादी कहययी ्े बडे पारवत्य हुएं इस स््
एक सयर कई ्ुवय कहययीकयरि ये परा परयगत तरीके से हषकर यई तरह की कहयकय्यँ ललखयी ंर ु
कीां
इस तरह कहययी की ववधय सयठहध्-िगत के केद ्े आ खडी हुईं इस यए उियय को यई कहययी
आादोलय यय् ठद्यं इस आादोलय ्े ंेखर िोंी कय ्रयय अन्त् है ं इयकी सयठहजध्क
उपलज्ध्ि को दे खते हुए इनहे पहल सम्यय पयषत हुआं
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रचययएँ-इयकी रचययएँ कयमयललिखत है-
कहययी-सागह -कोसी कय घषवयर, सयर के लोग, दयज्ू, हलवयहय, य्रा गी बी्यर है ं
ं्दाचष-सागह- एक पेड की ्यदं
इयकी कहयकय्यँ कई भयरती् भयषयओा के अकतारकत अागेिी और रसी ्े भी अयूठदत हो चुकी है ं
इयकी पलसदध कहययी दयज्ू पर ाचल्ास कफल् सोसयइषी दवयरय कफल् कय कय्य्र भी हुआ है ं
सयठहजध्क पारच् – ंेखर िोंी की कहयकय्यँ यई कहययी आादोलय के पगकतंील पक कय
पकतकयाधधव करती हैं स्यि कय ्ेहयतकं और सुववधयहीय तबकय इयकी कहयकय्ि ्े िगह पयतय
है ं कयहय्त सहि एवा आडाबरहीय भयषय-ंैली ्े वे सय्यजिक ्रयर् के बयरीक युकति को पकडते और
प्तत
ु करते हैंइयके रचयय-सासयर से गि
ु रते हुए स्कयलीय ियिीवय की बहुववध ववडाबययओा को
्हसस
ू कक्य िय सकतय है ं ऐसय करये ्े इयकी पगकतंील िीवय-दजपष और ्रयर्-बोध कय बडय
्ोगदयय रहय है ं
पयठ कय सयायंं
गलतय लोहय कहययी ्े स्यि के ियकतगत ववभयिय पर कई कोरि से ठषषपरी की गई है ं ्ह
कहययी लेखक के लेखय ्े अर् की गहरयई को दंय्ती है ं इस परू ी कहययी ्े लेखक की कोई ्ख
ु र
ठषषपरी यहीा है ं इस्े एक ्ेधयवी, ककातु कयध्य बयह्र ्ुवक ्ोहय ककय पारज्रकत्ि के चलते
उस ्योदंय तक पहुँचतय है , िहयँ उसके ललए ियती् अलभ्यय बे्ययी हो ियतय है ं सय्यजिक ववाध-
कयषेधि को तयक पर रखकर वह धयरय् लोहयर के आफर पर बैितय ही यहीा, उसके कय् ्े भी अपयी
कुंलतय ठदखयतय है ं ्ोहय कय व्जकतधव ियकतगत आधयर पर कयल््त झूिे भयईचयरे की िगह
्ेहयतकंि के सचचे भयईचयरे को प्तयववत करतय पतीत होतय है ्ययो लोहय गलकर य्य आकयर ले
रहय हों
्ोहय के वपतय वांीधर ये िीवयभर पुरोठहती कीं अब वद
ा धयव्रय ्े उयसे कठिय श् व वत-
उपवयस यहीा होतयं उनहे चाददत के ्हयँ रदी पयि करये िययय रय, परा तु ियये की तबी्त यहीा है ं
्ोहय उयकय आं् स्झ ग्य, लेककय वपतय कय अयुपियय कर पयये ्े वह कुंल यहीा है ं वपतय कय
भयर हलकय करये के ललए वह खेति की ओर चलय, लेककय हँ सुवे की धयर काु द हो चुकी रीं उसे अपये
दो्त धयरय् की ्यद आ गईं वह धयरय् लोहयर की दकु यय पर धयर लगवयये पहुँचयं
धयरय् उसकय सहपयिी रयं दोयि बचपय की ्यदि ्े खो गएं ्ोहय ये ्य्षर तषलोक लसाह के बयरे
्े पछ
ू यं धयरय् ये बतय्य कक वे वपछले सयल ही गि
ु र गए रें दोयि हँ स-हँ सकर उयकी बयते करये
लगें ्ोहय पढयई व गय्य ्े कयपुर रयं वह ्य्षर कय चहे तय लंप् रय और उसे पूरे ्कूल कय
्ॉयीषर बयय रखय रयं वे उसे क्िोर बचचि को दा ड दे ये कय भी अाधकयर दे ते रें धयरय् ये भी
्ोहय से ्य्षर के आदे ं पर डाडे खयए रें धयरय् उसके पकत ्येह व आदरभयव रखतय रय, क्िकक
ियकतगत आधयर की हीयतय उसके ्य ्े बैिय दी गई रीं उसये ्ोहय को कभी अपयय पकतदवादवी
यहीा स्झयं
धयरय् गयँव के खेकतहर ्य ्िदरू पारवयरि के लडकि की तरह तीसरे दि् तक ही पढ पय्यं ्य्षर
िी उसकय ववंेष ध्यय रखते रें धयरय् को तेरह कय पहयडय कभी ्यद यहीा हुआं इसकी विह से
उसकी वपषयई होतीं ्य्षर िी कय कय्् रय कक सिय पयये वयले को अपये ललए हार्यर भी िष
ु ययय
होतय रयं धयरय् डर ्य ्ादबुदाध होये के कयरर तेरह कय पहयडय यहीा सुयय पय्यं ्य्षर िी ये
व्ाग् कक्य-‘तेरे ठद्यग ्े तो लोहय भरय है रे ं ववद्य कय तयप कहयँ लगेगय इस्े ?”
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इतयय कहकर उनहिये रैले से पयँच-छह दरॉकत्यँ कयकयलकर धयरय् को धयर लगय लयये के ललए पकडय
दीं हयलयँकक धयरय् के वपतय ये उसे हर्डे से लेकर घय चलयये की ववद्य लसखय दीं ववद्य सीखये
के द्रयय ्य्षर तषलोक लसाह उसे अपयी पसाद कय बेत चुयये की छूष दे ते रे, परा तु गागयरय् इसकय
चुययव ्व्ा करते रें एक ठदय गागयरय् अचययक चल बसें धयरय् ये सहि भयव से उयकी ववरयसत
सँभयल लीं
इधर ्ोहय ये छयषववा त पयईं इससे उसके वपतय वांीधर कतवयरी उसे बडय आद्ी बययये कय ्वषय
दे खये लगें पैतक
ा धाधे ये उनहे कयरयं कर ठद्य रयं वे कभी पारवयर कय पूरय पेष यहीा भर पयएं
अत: उनहिये गयँव से चयर ्ील दरू ्कूल ्े उसे भेि ठद्यं ंय् को रकय्यँदय ्ोहय घर ल्षतय तो
वपतय पुरयर करयओा से उसे उधसयठहत करये की कोलंं करतें वषय् के ठदयि ्े ्ोहय यदी पयर गयँव
के ्ि्यय के घर रहतय रयं एक ठदय यदी ्े पययी क् रय तरय ्ोहय घलस्यरि के सयर यदी पयर
कर घर आ रहय रयं पहयडि पर भयरी वषय् के कयरर अचययक यदी ्े पययी बढ ग्यं ककसी तरह वे
घर पहुँचे इस घषयय के बयद वांीधर घबरय गए और कफर ्ोहय को ्कूल य भेियं
उनहीा ठदयि तबरयदरी कय एक सापनय पारवयर कय ्वु क र्ें लखयऊ से गयँव आ्य हुआ रयं उससे
वांीधर ये ्ोहय की पढयई के साबाध ्े अपयी ाचातय व्कत की तो वह उसे अपये सयर लखयऊ ले
ियये को तै्यर हो ग्यं उसके घर ्े एक पयरी बढये से कोई अातर यहीा पडतयं वांीधर को र्ें
के रप ्े भगवयय ल्ल ग्यं ्ोहय र्ें के सयर लखयऊ पहुँचयं ्हयँ से जिादगी कय य्य अध्य्
ंरु हुआं घर की ्ठहलयओा के सयर-सयर उसये गली की सभी औरति के घर कय कय् करयय ंर ु
कर ठद्यं र्ें बडय बयबू रयं वह ्ोहय को घरे लू य्कर से अाधक है लस्त यहीा दे तय रयं ्ोहय भी
्ह बयत स्झतय रयं कह सुयकर उसे स्ीप के सय्यन् ्कूल ्े दयिखल करय ठद्य ग्यं कय््
के बोझ व यए वयतयवरर के कयरर वह अपयी कोई पहचयय यहीा बयय पय्यं गल्््ि की छुटषी ्े भी
वह तभी घर िय पयतय िब र्ें ्य उसके घर कय कोई आद्ी गयँव िय रहय होतयं उसे अगले दरिे
की तै्यरी के यय् पर ंहर ्े रोक लल्य ियतयं
्ोहय ये पारज्रकत्ि से स्झ्तय कर लल्य रयं वह घर वयलि को असलल्त बतयकर दख
ु ी यहीा
करयय चयहतय रयं आिवीा ककय पयस करये के बयद उसे आगे पढये के ललए र्ें कय पारवयर उधसुक
यहीा रयं बेरोिगयरी कय तक् दे कर उसे तकयीकी ्कूल ्े दयिखल करय ठद्य ग्यं वह पहले की तरह
घर व ्कूल के कय् ्े व््त रहतयं डेढ-दो वष् के बयद उसे कयरखययि के चककर कयषये पडें इधर
वांीधर को अपये बेषे के बडे अफसर बयये की उम्ीद रीं िब उसे वय्तववकतय कय पतय चलय तो
उसे गहरय दख
ु हुआं धयरय् ये भी उससे पूछय तो उसये झूि बोल ठद्यं धयरय् ये उनहे ्ही कहय-
्ोहय ललय बचपय से ही बडे बद
ु ाध्यय रें
इस तरह ्ोहय और धयरय् िीवय के कई पसागि पर बयते करते रहे ं धयरय् ये हँ सुवे के फयल को
बेत से कयकयलकर तपय्य, कफर उसे धयर लगय दीं आ्त्र पर बयह्र षोले के लोगि कय लंलपकयर
षोले ्े उियय-बैियय यहीा होतय रयं कय्-कयि के लसललसले ्े खडे-खडे बयतचीत कयपषय ली ियती
रीं बयह्र षोले के लोगि को बैिये के ललए कहयय भी उयकी ््य्दय के ववरदध स्झय ियतय रयं
्ोहय धयरय् की कय््ंयलय ्े बैिकर उसके कय् को दे खये लगयं
धयरय् अपये कय् ्े लगय रहयं वह लोहे की ्ोषी छड को भटषी ्े गलयकर गोल बयय रहय रय,
ककातु वह छड कयहयई पर िीक से फास यहीा पय रही रीं अत: लोहय िीक ढा ग से ्ुड यहीा पय रहय रयं
्ोहय कुछ दे र उसे दे खतय रहय और कफर उसये कुंलतयपूवक
् लोहे को ज्रर कक्य और यपी-तल
ु ी
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चोषि से छड को पीषते-पीषते गोले कय रप दे डयलयं ्ोहय के कय् ्े ्फूकत् दे खकर धयरय् अवयकत
रह ग्यं वह पुरोठहत खययदयय के ्ुवक दवयरय लोहयर कय कय् करये पर आ्च््चककत रयं धयरय्
के साकोच, ध््साकष से उदयसीय ्ोहय लोहे के छलले की षठु षहीय गोलयई की ियँच कर रहय रयं
उसकी आँखि ्े एक सि्क की च्क रीं
प्य
1. धयरय् ्ोहय को अपयय पकतदवादवी क्ि यहीा ्ययतय रय?
(क) ियकतगत हीयतय के कयरर (ख) गरीबी के कयरर
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(ग) आार्क समपनयतय के कयरर (घ) पढयई के कयरर
2. तषलोक ्य्षर ये ्ोहय के बयरे ्े क्य घोषरय की री?
(क) एक ठदय ्य्षर बयेगय (ख) बहुत बडय आद्ी बयेगय
(ग) एक ठदय कय््यब यही होगय (घ) ्यतय वपतय की सेवय करे गय
3. धयरय् की कय्कत क्य री ?
(क) तीसरे दि् तक पढ पय्य (ख) आिवीा पयस की
(ग) ्कूल यहीा ग्य (घ) वह उदयस रहतय रय
4. ्य्षर तषलोक ककसकी भववप्वयरी करतय है ?
(क) ्ोहय के ललए (ख) गागय लसाह के ललए (ग) वांीधर के ललए (घ) ्ोहय के दो्ति के ललए
5. खेकतहर ं्द कय अर् है ?
(क) खेत कय कय्् करवयये वयलय (ख) खेत की फसल
(ग) खेत के ललए बीि (घ) खेत ्े ्िदरू ी करये वयले
3.. धयरय् की ्ादबदु ाध रही हो ्य ्य ्े बैिय हुआ डर कक परू े ठदय घोषय लगयये पर भी उसे तेरह
कय पहयडय ्यद यहीा हो पय्य रयं छुटषी के स्् िब ्य्सयब ये उससे दब ु यरय पहयडय सुययये को कहय
तो तीसरी सीढी तक पहुँचते-पहुँचते वह कफर लडखडय ग्य रयं लेककय इस बयर ्य्षर तषलोक लसाह
ये उसके लयए हुए बेत कय उप्ोग करये की बिय् जबयय की चयबुक चलय दी, ‘तेरे ठद्यग ्े तो
लोहय भरय है रे ! ववद्य कय तयप कहयँ लगेगय इस्े ?’ अपये रैले से पयँच-छह दरयँकत्यँ कयकयलकर
उनहिये धयरय् को धयर लगय लयये के ललए पकडय दी रीं ककतयबि की ववद्य कय तयप लगयये की
सय्थ्् धयरय् के वपतय की यहीा रीं धयरय् हयर-पैर चलयये लय्क हुआ ही रय कक बयप ये उसे
धौकयी फूाकये ्य सयय लगयये के कय्ि ्े उलझययय ंर
ु कर ठद्य और कफर धीरे -धीरे हर्डे से लेकर
घय चलयये की ववद्य लसखयये लगयं फक् इतयय ही रय कक िहयँ ्य्षर तषलोक लसाह उसे अपयी
पसाद कय बेत चुयये की छूष दे दे ते रे वहयँ गागयरय् इसकय चुययव ्व्ा करते रे और जरय-सी गलती
होये पर छड, बेत, हधरय िो भी हयर लग ियतय उसी से अपयय पसयद दे दे तंे एक ठदय गागयरय्
अचययक चल बसे तो धयरय् ये सहि भयव से उयकी ववरयसत सँभयल ली और पयस-पडोस के गयँव
वयलि को ्यद यहीा रहय वे कब गागयरय् के आफर को धयरय् कय आफर कहये लगे रें
प्य
1.धयरय् तेरह कय पहयडय क्ि यहीा ्यद कर पय्य?
(क) भूल के कयरर (ख) ्य्षर िी कय भ्
(ग) घरे लु वयतयवरर के कयरर (घ) बडी बहय के कयरर
2.‘जबयय की चयबुक’ से क्य अलभपय् है ?
(क) िब
ु यय की ल्ियस (ख) िब
ु यय कय धयी
(ग) िुबयय से पहयर (घ) िुबयय से पुकयरयय
3.अध्यपक और लोहयर गागयरय् के दा ड दे ये ्े क्य अातर रय?
(क) दोयि कय बेत (दा ड) चय
ु यव कय तरीकय अलग है (ख) दोयि पहले पछ
ू ते है
(ग) दोयि सहि दा ड दे ते है (घ) दोयि बुदाध्यय है
4. ्य्षर तषलोक ये धयरय् को सिय के त्र पर क्य कयकयल कर दी ?
(क) इयय् ठद्य (ख) पयाच छह दरयजनत्यँ दी (ग) पु्तके दी (घ) पैसे ठदए
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5. गागयरय् कय ऑफर क्य कहलयये लगय ?
(क) गागयरय् कय ऑफर (ख) धयरय् कय ऑफर
(ग) वांीधर कय ऑफर (घ) गोपयल लसाह कय ऑफर
4. औसत दफतरी बडे बयबू की है लस्त वयले र्ें के ललए सोहय को अपयी भयई-तबरयदर बतलययय
अपये सम्यय के ववरदध ियय पडतय रय और उसे घरे लू य्कर से अाधक है लस्त यहीा दे तय रय, इस
बयत को ्ोहय भी स्झये लगय रयं रोडी-बहुत हीलय-हवयली करये के बयद र्ें ये कयकष के ही एक
सयधयरर से ्कूल ्े उसकय यय् ललखवय ठद्यं लेककय एकद् यए वयतयवरर और रयत-ठदय के कय्
के बोझ के कयरर गयँव कय वह ्ेधयवी छयष ंहर के ्कूली िीवय ्े अपयी कोई पहचयय यहीा बयय
पय्यं उसकय िीवय एक बँधी-बँधयई लीक पर चलतय रहयं सयल ्े एक बयर गल्््ि की छुटषी ्े
गयँव ियये कय ््क भी तभी ल्लतय िब र्ें ्य उसके घर कय कोई पयरी गयँव ियये वयलय होतय
वरयय उय छुटठष्ि को भी अगले दरिे की तै्यरी के यय् पर उसे ंहर ्े ही गज
ु यर दे यय पडतय रयं
अगले दरिे की तै्यरी तो बहययय भर री, सवयल र्ें और उसकी गह
ा ्री की सवु वधय-असवु वधय कय
रयं ्ोहय ये पारज्रकत्ि से स्झ्तय कर लल्य रय, क्िकक और कोई चयरय भी यहीा रयं घरवयलि
को अपयी वय्तववक ज्रकत बतलयकर वह दख
ु ी यहीा करयय चयहतय रयं वांीधर उसके सुयहरे भववप्
के सपये दे ख रहे रें
प्य
1. र्ें ्ोहय को ककस है लस्त से रखतय रय ?
(क) अपये छोषे भयई (ख) ववद्यरर के रप ्े
(ग) घरे लू य्कर (घ) लेखक के रप ्े
2. ्ोहय ्कूल ्े अपयी पहचयय क्ि यहीा बयय पय्य?
(क) घर के कय्कयि के कयरर (ख) र्ें के सयर ियतय रय
(ग) वह पढतय रय (घ) ्ेहयत करये के कयरर
3.्ोहय ये पारज्रकत्ि से स्झ्तय क्ि कर लल्य ?
(क) ्यतय वपतय खं
ु हिगे (ख) छोषे भयई को पढयये के कयरर
(ग) बेरोिगयरी के कयरर (घ) वपतय िी को दःु ख होगय
4. र्ें छुटठष्ि ्े भी ्ोहय को गयँव यहीा भेियय चयहतय रय ?
(क) गह
ा ्री की सुववधय - असुववधय के कयरर (ख) वह िययय यहीा चयहतय रय
(ग) वह उदयस हो ियतय रय (घ) उसके ्यतय वपतय गयँव आये से ्यय करते रे
5. र्ें कय ्वभयव कैसय है ?
(क) येक ठदल और सह्ोगी (ख) ्वयरर और कािस
ू
(ग) पसनय और दख
ु ी (घ) कय्चोर और ्ेहयती
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लोहे को ज्रर कक्य और यपी-तल
ु ी चोष ्यरते, अभ््त हयरि से धौकयी फूाककर लोहे को दब
ु यरय
भटिी ्े गर् करते और कफर कयहयई पर रखकर उसे िोकते-पीषते सुघड गोले कय रप दे डयलयं
प्य
1. ्ोहय धयरय् के आफर ग्य रय उस स्् धयरय् ककस कय् ्े तललीय रय?
(क) हर्डय उिय रहय रय (ख) ््त बैिय रय
(ग) उदयस होकर रो रहय रय (घ) लोहय गोलयई ्े ्ोड रहय रय
2. धयरय् अपये कय् ्े सफल क्ि यहीा हो रहय रय?
(क) उसे आतय यहीा रय (ख) कयहयई ्े लसरय य फासये के कयरर
(ग) वह अययडी रय (घ) उसे ककसी ये यहीा लसखय्य रय
3. ्ोहय ये धयरय् कय अधूरय कय् कैसे पूरय कक्य?
(क) उसकी सहय्तय य करके (ख) उसकय ्योरा िय करके
(ग) उसकी पंासय करके (घ) उसकी सहय्तय करके
4. अभ््त ं्द कय अर् है ?
(क) आलसी (ख) क्िोर (ग) सधय हुआ (घ) अभ्यस य करये वयलय
5. धौकयी कय कय् होतय है ?
(क) धोये कय (ख) पकयये कय (ग) हवय फँू क कर आग तेज करये कय (घ) कूषये कय
बरुविकलपे पशनोता
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8. कयमय ्े से एक रचयय िोंी िी की यहीा है -
(क) कोसी कय घषवयर (ख) सयर के लोग (ग) दयज्ू (घ) दा पवतं
9.एक पेड की ्यद ककस तरह की कयव् ववधय है ं
(क) कयव् ववधय (ख) ं्द ाचष सागह (ग) सा््रर ववधय (घ) कहययी ववधय
10.कयमय ्े से ककस रचयय पर एक कफल् बयी है ं
(क) कोसी कय घषवयर (ख) सयर के लोग (ग) दयज्ू (घ) य्रा गी बी्यर है
11. ंेखर िी की कहयकय्या ज्यदयतर आधयारत होती हैं
(क) अ्ीरि पर (ख) ्िहब पर (ग) पारश्ी वग् पर (घ) कफल्ि पर
12 ्ोहय के पैर ककस ओर ्ुड गए?
(क) अखयडे की ओर (ख) यगर की ओर (ग) बयियर की तरफ (घ) लंलपकयर षोले की ओर
13 दक
ु यय की ओर ियते ्ोहय के कयय ्े क्य गि
ूा उिती री ?
(क) रे ल की आवयि (ख) तयलल्ि की आवयि (ग) हर्डे की खयक (घ) गीति की आवयि
14 ्ोहय लाबे बेष वयले हा सव
ु े को ककस उददे ्् से लेकर घर से कयकलय ?
(क) कयाषेदयर झयडड्ि को सयफ करये (ख) गली सयफ करये के ललए
(ग) खेत ्े प्धे लगयये हे तु (घ) पययी लगयये के ललए
15 वांीधर कय क्य सय कय् बूते कय यहीा रहय ?
(क) ्िदरू ी (ख) पुरोठहतयई (ग) दक
ु ययदयरी (घ) ्ाठदर सफयई
16 वांीधर को गरययर ियकर चाद दयस िी के घर क्य करयय रय?
(क) रदी पयि (ख) ्यलय फेरये (ग) हवय करये (घ) ्नष पढये
17 गरययर ियये ्े क्य ठदककत आ रही री?
(क) चयर ्ील चलयय (ख) दो ककलो्ीषर चलयय
(ग) दो ्ील की सीधी चढयई (घ) बरसयती यदी पयर करयय
18 ्ोहय वपतय के ककस कय् ्े सह्ोग करये चलय रय ?
(क) दक
ु ययदयर करये ्े (ख) खेती के कय् करये ्े (ग) फसल पकयये ्े (घ) ्नष पयि ्े
19. ्ोहय धय रय् की दक
ु यय पर ककस चीि पर बैिय हुआ रय ?
(क) षे बल पर (ख) ्् पर (ग) खयली कय्तर पर (घ) कुसर पर
20.्ोहय और धय रय् के अध्यपक कय क्य यय् रय ?
(क) ्य्षर गोपयल दयस (ख) ्य्षर गागय रय् (ग) ्य्षर रय्पयल (घ) ्य्षर तषलोक
21. ्य्षर िी ककसकी दक
ु यय से हुककय पी कर ्कूल आते रे?
(क) यरहरी की (ख) गोपयल लसाह (ग) पे् लसाह (घ) तबहयरी लयल
22. ध्यच्कडी करये कय क्य अर् है ?
(क) सो िययय (ख) हा सये लगयय (ग) ंोर - ंरयबय करयय (घ) बैचेय होयय
23 “सयाप सूाघ ियये”—कय क्य अर् है ?
(क) खं
ु होयय (ख) रआासय होयय (ग) सह् िययय (घ) ंयात होयय
24. ्कूल की पयर्यय के क्य बोल रे ?
(क) द्य कर दयय ववद्य कय (ख) इतयी ंजकत ह्े दे यय दयतय
(ग) हे पभु आयनद दयतय जयय ह्को दीजिए (घ) जिसये जयय ठद्य वो पभु है
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25.ककय कय ्ॉकयषर क्य रय ?
(क) धयरय् (ख) सुरें (ग) ्ोहय (घ) गागयरय्
26. धयरय् ्ोहय को अपयय पकतदवादवी क्ि यहीा ्ययतय रय?
(क) धय के कयरर (ख) ियकतगत हीयतय के कयरर
(ग) अ्ीरी के कयरर (घ) बी्यरी के कयरर
27 ्ोहय पढये के सयर-सयर ककस कलय ्े कयपुर रय?
(क) ाचषकलय (ख) कपडे लसलयय
(ग) गय्य (घ) यधा ्
28 ्य्षर तषलोक कयय पकडकर ककतयी उिक बैिक लगवयते रे ?
(क) पयाच (ख) दस (ग) बीस (घ) चयर
29. ईप्य् के सयर-सयर धयरय् के ्य ्े ्ोहय के ललए कयमय ्े से क्य - क्य से भयव रे?
(क) ईप्य् और साघष् (ख) पेररय और आदर
(ग) भषकयव और लगयव (घ) ्येह और आदर
30. धय रय् ककस दि् तक पढ पय्य?
(क) पयाच दि् तक (ख) तीय दि् तक
(ग) दस
ू रय दि् तक (घ) छह दि् तक
31. धयरय् को क्य सय पहयडय ्यद यहीा होतय रय?
(क) बयरह (ख) ग्यरह (ग) तेरह (घ) च्दह
32. धयरय् अपये ललए सेषी कहया से तोडकर लय्यं
(क) ्जनदर से (ख) खेत से (ग) ययले से (घ) बयियर से
33. ‘सटषयक’ की आवयि ककसकी आती रीं
(क) दरवयिे से (ख)्लैकबोड् से (ग) साषी की (घ) घाषी की
34. ्य्षर तषलोक कय सय्यन् कय्् क्य रय ?
(क) सिय पयये वयले को हार्यर ्व्ा िुषययय होतय (ख) ्य्षर िी ्यरते
(ग) सभी ्ॉकयषर से ्यर खयते (घ) खद
ु ही सिय दे ते
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40. हर्डे से लेकर .....तक चलयये की ववद्य लसखयई ं
(क) साडयसी (ख) धौकयी (ग) घय (घ) धय
41. गागयरय् और ्य्षर तषलोक ्े क्य अातर रय ?
(क) दा ड ववधयय कय (ख) बोलचयल (ग) रहय सहय (घ) खययपयय
42 लोहे के कय् ्े ज्यदय प्ोग होये वयलय सयधय है ?
(क) पैस (ख) ंेड (ग) कुसर (घ) धौकयी
43 वपतय की ्धा ्ु के बयद गागयरय् कय आफर कहलयये लगय ?
(क) गागयरय् कय आफर (ख) धयरय् कय आफर (ग) गोपयल लसाह कय आफर (घ) ंेखर की दक
ू यय
44 ्ोहय के वपतय िी कय क्य यय् रय ?
(क) गोपयल लसाह (ख) गागयरय् (ग) वांीधर कतवयरी (घ) बयवयरी कतवयरी
45 वांीधर कतवयरी क्य सय कय् अब यहीा करयय चयहते रे ?
(क) खेती (ख) पुरोठहतयई (ग) बीि उगययय (घ) ्िदरू ी
46. ्ोहय के घर कय कय्कयि कैसय चल रहय रय?
(क) ्िे से (ख) आरय् से (ग) उधयर से (घ) आधय पेष भर पयते
47. आगे की पढयई के ललए ्ोहय के घर से ्कूल ककतयी दरू ी पर रय ?
(क) दो ्ील (ख) चयर ्ील (ग) एक ्ील (घ) दस ्ील
48. बरसयत के ठदयि ्े ्ोहय की पढयई ्े क्य बयधय डयलती री ?
(क) पढयई (ख) रय्ते (ग) वषय् (घ) बरसयती यदी
49. धय रय् को तेरह कय पहयडय ्यद यय होये कय क्य कयरर रय?
(क) गिरत य आयय (ख) कय् अाधक होये के कयरर
(ग) ्य ्े ्य्षर कय डर (घ) वपतय कय डर
50. पयइ्री ्कूल पयस करते ही ्ोहय को क्य पयषत हुई ?
(क) छयषववा त (ख) य्करी (ग) कय् (घ) पु्तके
51. ्ोहय की पढयई के ललए वांीधर ये बरसयत के ठदयि ्े क्य पबाध कक्य ?
(क) हो्षल ्े (ख) ककसी सरय् ्े (ग) ्ि्यय के घर ्े (घ) दो्त के घर ्े
52. वांीधर को क्य ल्लय िो भगवयय की तरह यिर आ्य ?
(क) वववेक (ख) र्ें (ग) गागयरय् (घ) गोपयल
53. र्ें कहया रहतय रय?
(क) तबहयर ्े (ख) ठदलली ्े (ग) कलकतय ्े (घ) लखयऊ ्े
54. ्ोहय की जिादगी कय य्य अध्य् कहयँ से ंर
ु हुआ ?
(क) कलकतय से (ख) लखयऊ से (ग) ठहसयर से (घ) पययीपत से
55. घर की दोयि ्ठहलयओा को ्ोहय क्य कहकर पुकयरतय रय ?
(क) ्य्ी –तयई (ख) बुआ- आाषी
(ग) चयची- भयभी (घ) दयई- बयई
56. र्ें के घर ्े ्ोहय की क्य है लस्त री?
(क) सम्यकयत सद्् (ख) घरे लू य्कर
(ग) ववद्यरर (घ) बाधू
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57. लखयऊ पहुाचकर ्ोहय ये क्य कर लल्य रय ?
(क) पढयई करयय (ख) घर कय कय्कयि
(ग) पारज्रकत्ि से स्झ्तय (घ) सधसाग करयय
58. र्ें ये ्ोहय कय दयिखलय कहया करवय्य ?
(क) ठदलली पज्लक ्कूल (ख) केनदी् ववद्यल्
(ग) पयइवेष उचच ववद्यल्
(घ) एक औसत दि् के ्कूल ्े
59.्ोहय ये घरवयलि को वय्तववकतय क्ि यहीा बतयईं
(क) वे वयवपस बुलय लेते (ख) वे उदयस कर दे ते
(ग) इससे उयको दःु ख पहुाचतय (घ) वे दस
ू रे ंहर भेि दे ते
60. र्ें ्ोहय को क्य सी ककय से आगे यहीा पढययय चयहतय रय?
(क) तीसरी ककय (ख) आिवीा ककय
(ग) पयाचवीा ककय (घ) सयतवीा ककय
61. र्ें क्य चयहतय रय ?
(क) ्ोहय ऑकफसर बये (ख) ्ोहय छयषववा त पयए
(ग) ्ोहय बडय आद्ी बये (घ) कोई कय् सीख ले
62. वांीधर अपये बेषे के बयरे ्े क्य सोचते रे ?
(क) बडय आद्ी य बये (ख) अ्ीर बये
(ग) एक ठदय बडय अफसर बयेगय (घ) अचछय ययगारक बये
63. वांीधर ये धयरय् को क्य झूि बतय्य?
(क) ्ोहय रे ल अाधकयरी बय ग्य (ख) ्ोहय िागलयत ्े लगय है
(ग) ्ोहय सेयेषे ार्ेष ्े कय्ुकत हो ग्य (घ) ्ोहय डॉकषर बय ग्य है
64. झूि कय दोष य लगे इसललए वांीधर ये क्य कक्य ?
(क) ल्टषी खोदये लगय (ख) दयात कयकयलये लगय
(ग) घयस कय कतयकय दयात ्े दबय्य (घ) यीची गद् य की
65. ्ह ं्द कयमय ्े से ककसके रे ? –्ोहय ललय बचपय से ही बडे बद
ु ाध्यय रे’ ं
(क) र्ें के (ख) ्य्षर तषलोचय
(ग) गागयधर (घ) गोपयल लसाह
66. बयह्र षोली के लोग कहया यहीा बैिते रें
(क) बयियर ्े (ख) दक
ू यय पर
(ग) लंलपकयर षोले ्े (घ) तयं खेलये
67. धयरय् को कय् करते हुए दे खकर ्ोहय ये क्य कक्य ?
(क) धयरय् की कय् ्े सहय्तय (ख) उससे बयतचीत ्े
(ग) उसके ्योरा िय ्े (घ) उसकी दक
ू यय की सफयई ्े
68. ्ोहय दवयरय धय रय् की सहय्तय करये पर उसे क्य अयुभव हुआ?
(क) आ्च्् (ख) कोई हरकत यहीा
(ग) खं
ु ी (घ) परे ंययी
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69. ्ोहय की आाखि ्े उस स्् ककस तरह की च्क उतर आई िब उसये लोहय ्ोडये ्े
धयरय् की सहय्तय कीं
(क) सह्ोगी (ख) सि
ा क (ग) कय्य्तय (घ) ववद्यरर
कवि - कबेादयस
जेिन पराच् :
ाचनयएँ:
कबीरदयस के पदि कय सागह बीिक यय्क पु्तक है , जिस्े सयखी. सबद एवा र्ैयी साकललत हैं
सयहरकत्क पराच्:
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कबीर घु्ककड रें इसललए इयकी भयषय ्े उतर भयरत की अयेक बोलल्ि के ं्द पयए ियते हैंकबीर
की रचययओा की भयषय सधुककडी है | इसे पाच्ेल िखचडी भयषय भी कहय ियतय है |
वे अपयी बयत को सयफ एवा दो षूक ं्दि ्े पभयवी ढा ग से कह दे ये के ठह्य्ती रे ‘‘बय पड तो
सीधे-सीधे, यहीा तो दरे रय दे करं”
आचय्् हियरी पसयद दवववेदी ये इनहे ‘वयरी कय डडकषे षर कहय है |’
(घ) कयगर
ु् कयव्धयरय की पे्यश्ी ंयखय
1. 1398 ई . ्गहर (ख) 1398 ई . वयरयरसी (ग) 1518 ई , ्गहर (घ) 1518 ई ,
वयरयरसी
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बढई लकडी को कयषतय है, परा तु आग को कोई यहीा कयष सकतयंउसी पकयर ंरीर यपष हो सकतय है
ककनतु आध्य यहीा |
पर्यध्य सभी के हद् ्े ववद््यय है ं ्य्य के कयरर इस्े अातर ठदखयई दे तय है ं
ई्वर भजकत ्े दीवयये हुए कबीर को ककसी कय डर यही है |
दस
ू रे पद ्े कबीर ये बयह् आडाबरि पर चोष करते हुए कहय है कक अाधकतर लोग अपये भीतर की
तयकत को य पहचययकर अयियये ्े अवय्तववक सासयर से ार्तय बयय बैिते है और वय्तववक सासयर
से बेखबर रहते हैं
कवव के अयुसयर ्ह सासयर पयगल हो ग्य है ं ्हयँ सच कहये वयले कय ववरोध तरय झि
ू पर वव्वयस
कक्य ियतय है |
ठहाद ू और ्स
ु ल्यय रय् और रही् के यय् पर लड रहे है, िबकक दोयि ही ई्वर कय ््् यहीा
िययतें दोयि बयह् आडाबरि ्े उलझे हुए हैं
कय््, ध््, षोपी, ्यलय, छयप. कतलक, पीर, औलल्य, पधरर पि
ू ये वयले और कुरयय की व्यख्य करये
वयले खोखले गर
ु -लंप्ि को आडाबर बतयकर, उयकी कयादय की गई है ं
यनमनमारखत पद्यंं को पढ़का हदए गए विकलपं ्े स् सरद उता को चुनका मारखए । 5x1
पहठत पद्यंं -1
ह् त् एक एक कार ियायया ं
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पठित पद्यां -2
्य्य दे िख के िगत लभ
ु यायया कयहे रे यर गरबयायया
5. उप्क
ु् त पद्यां ्े क्य सी भयषय कय प्ोग कक्य ग्य है ?
पहठत पद्यंं -3
सति दे खत िग ब्रयययं
सयँच कहौ तो ्यरय धयवै , झि
ू े िग पकत्ययय ंं
ये्ी दे खय धर्ी दे खय , पयत करै असयययय ं
आत् ्यार पखययठह पूिै , उय्े कछु यठहा जययय ंं
बहुतक दे खय पीर औलल्य , पढै ककतेब कुरययय ं
कै ्रु ीद तदबीर बतयवै , उय्े उहै िो जययय ंं
आसय ्यार डडाभ धार बैिे , ्य ्े बहुत ग्ु यययं
पीपर पयरर पि
ू य लयगे , तीरर गव् भल
ु ययय ंं
1. कबीर ये सासयर को क्य कहय है ?
क)पयगल (ख) स्झदयर (ग) जययी (घ) ्ख
ू ्
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2 . सासयर के लोगि कय क्य ्वभयव है ?
( ग) झि
ू कय ववरोध करते है (ग) सदै व सच पर वव्वयस करते है
क) पधररि की पि
ू य (ख) आध्ाचातय (ग) पयत ्ययय (घ) आडमबर
क) गर
ु (ख) ध्य्ाधकयरी (ग) लंप् (घ) उपय्
( ग) धयल््क प्
ु तकि को पढयय (घ) ऊपर ठदए गए सभी
पहठत पद्यंं -4
गर
ु के सठहत लसख् सब बूडे , अात कयल पकछतययय ंं
कहै कबीर सय
ु ो हो सातो , ई सब ््् भल
ु ययय ं
3 . अजययी गर
ु की ंरर ्े ियये वयले लंप् की क्य दंय होती है ?
(क) वह ्व्ा गर
ु बय ियतय है (ख) जयय पयषत हो ियतय है
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5. कबीर के अयुसयर ई्वर की पयजषत कैसे हो सकती है ?
(ग) गर
ु से ्नष पयषत करके (घ) पूिय पयि तरय सयखी सबद गयकर
पहठत पद्यंं -1
ह् त् एक एक कार ियायया ं
्य्य दे िख के िगत लभ
ु यायया कह रे यर गरबयायया
(क) अयप
ु यस (ख) उदयहरर (ग) रपक (घ) उप्य
4 . िैसे बयढी कयपष ही कयषे अागकय य कयषे कोई – ्े ककस अलाकयर कय प्ोग हुआ है ?
5 . इस कयव्यां ्े क्य सय रस है ?
पहठत पद्यंं -2
सति दे खत िग ब्रयययं
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ये्ी दे खय धर्ी दे खय , पयत करै असयययय ं
पहठत पद्यंं -3
गर
ु के सठहत लसख् सब बूडे , अात कयल पकछतययय ंं
कहै कबीर सय
ु ो हो सातो , ई सब ््् भल
ु ययय ं
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्ेाय क् पद
पयठ कय
नय्- ्ेाय क् पद
जन्: सन ् 1498, कुड़की गयँि, ्याियड़ रा्यसत
प्ुख ाचनयएँ- ्ेाय पदयिाद, नासेजे-ाो-्य्ाो, गेत गोविनद.
सोाठय क् पद औा ायग गोविनद,
्तृ ्ु: सन ् 1546
्ीरय सगुर धयरय की ्हधवपूर् भकत कवक्षी रीां कापर की
उपयलसकय होये के कयरर उयकी कववतय ्े सगुर भजकत ्ुख्
रप से ््िूद है , लेककय कयगर
ु् भजकत कय पभयव भी ल्लतय है ं
सात कवव रै दयस उयके गुर ्यये ियते हैं बचपय से ही उयके ्य
्े कापर भजकत की भयवयय िन् ले चुकी रीं इसललए वे कापर को ही अपयय आरयध् और पकत ्ययती रहीां
अन् भजकतकयलीय कवव्ि की तरह ्ीरय ये भी दे ं ्े दरू -दरू तक ्यषयएँ कीं ाचत्ड रयिघरयये ्े अयेक
कपष उियये के बयद ्ीरय वयपस ्ेडतय आ गईं ्हयँ से उनहिये कापर की लीलय भलू ् वना दयवय की ्यषय कीं
िीवय के अाकत् ठदयि ्े वे दवयरकय चली गईं ्ययय ियतय है कक वहीा ररछोड दयस िी के ्ाठदर की ्कू त्
्े वे स्यठहत हो गईं उनहिये लोकलयि और कुल की ््य्दय के यय् पर लगयए गए सय्यजिक और
वैचयारक बाधयि कय ह्ेंय ववरोध कक्यं पदय् परय कय भी पयलय यहीा कक्य तरय ्ाठदर ्े सयव्िकयक रप से
ययचये-गयये ्े कभी ठहचक ्हसस
ू यहीा कीं ्ीरय ्ययती रीा कक ्हयपर
ु षि के सयर सावयद; जिसे सधसाग कहय
ियतय रय से जयय पयषत होतय है और जयय से ्जु कत ल्लती है ं अपयी इय ्यन्तयओा को लेकर वे
दढकय्च्ी रीं कयादय ्य बादगी उयको अपये पर से ववचललत यहीा कर पयईं जिस पर वव्वयस कक्य, उस
पर अ्ल कक्यं इस अर् ्े उस ्ुग ्े िहयँ रठढ्ि से ग्त स्यि कय दबदबय रय, वहयँ ्ीरय ्षी ्ुजकत
की आवयि बयकर उभरीं ्ीरय की कववतय ्े पे् की गाभीर अलभव्ाियय है ं उस्े ववरह की वेदयय है और
ल्लय कय उललयस भीं ्ीरय की कववतय कय पधयय गुर सयदगी और सरलतय है ं कलय कय अभयव ही उसकी
सबसे बडी कलय है ं उनहिये ्ुकतक गे् पदि की रचयय कीं लोक सागीत और ंय्षी् सागीत दोयि केषि ्े
उयके पद आि भी लोकवप् हैं उयकी भयषय ्ूलतः रयि्रययी है तरय कहीा-कहीा बिभयषय कय पभयव है ं
कापर के पे् की दीवययी ्ीरय पर सूकफ्ि के पभयव को भी दे खय िय सकतय है ं ्ीरय की कववतय के ्ूल ्े
दद् है ं वे बयर-बयर कहती है कक कोई ्ेरे दद् को पहचययतय यहीा, य ंषु य ल्ष ं
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पदं कय सया
पर् पद ्े ्ीरय ये कापर को पकत के रप ्े ्वीकयर कक्य है | कापर के पकत ्ीरय की पे् भयवयय ही इस
पद ्े उियगर हुई है | ्ीरय कय ्यययय कक ्ोर के ्ुकुष को धयरर करयेवयले ागारधर शीकापर ही उयके
्वय्ी है| इयकय सासयर ्े कापर के अकतारकत दस
ू रय कोई भी यहीा है | ्ीरय ये तो कापर की भजकत ्े अपये
कुल की ्यय-््य्दय को भी भल
ु य ठद्य है | सातो के पयस बैि-बैिकर कापरभजकत के गीत गयती है | उनहिये
अपये आँसओ
ु ा के िल से सीाच-सीाचकर कापर-पे् रपी बेल को बडय कक्य है और अब उस्े आयाद के फल
उगये लगे है| ्ीरय ये सयर्क
ु त ततव को गहर कर अन् सयरहीय अां को छोड ठद्य है|शीकापर की भजकत
्े ही ्ीरय पसनयतय कय अयभ
ु व करती है | सासयर ्े फैली य्वरतय और लयलच को दे खकर ्ीरय कय ्य रो
पडतय है | ्ीरय शीकापर से अपये उदगयर की पयर्यय करती है |
दस
ू रे पद ्े ्ीरय के बयह् आडाबरि को ध्यग कर कापर ्े लीय हो ियये की भयवयय विर्त हुई है | ्ीरय
पयँवि ्े घघ
ुँ र बयँधकर कापर के स्क ययचते हुए अपयी भजकत कय पदं्य करती है | लोग इस व्वहयर के
कयरर ्ीरय को पयगल ्ययकर इसकी कयादय करते है| कुल के लोग इनहे कुलययलंयी भी कहये लगे है| ्ीरय
के कापर के पकत पे् को दे खकर रयिय ये इयके ललए ववष कय ष्यलय भेिय परा तु कापर-पे् ्े लीय होकर उस
ववष के ष्यले को भी हँसते हुए पी लल्य| ्ीरय कय ्यययय है कक उयके पभु गोवध्य पव्त को धयरर करये
वयले है| वे अववययंी पर्े्वर भकति को बडी सरलतय से पयषत हो ियते है| िो भी उनहे पे् करतय है , उनहे
वे सहिरप से पयषत हो ियते है|
कहठन ंबदो क् अरय
कयकय - ््य्दय
ठढग - सयर
बेलल - पे् की बेल
ववलो्ी – ्री (्रयय)
छो्ी - छयछ, सयरहीय अां
आपठह - अपये ही
न्यत - कुषुाब के लोग
कुल-ययसी - कुल कय ययं करये
वयली
ववस - ववष
पीवत - पीती हुई
हयँसी - हँस पडी, हँस दी
सहि - ्वयभयववक रप से, अयय्यस
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पहठत कयव्यंं स् बरुविकलपे पशन
पद-1
भयियरय: प्तुत पद ्े ्ीरय बयई कहतीा है कक ्ेरे तो सव््व शीकापर ही है| उयके लसवय् ्ेरय ककसी
से कोई साबाध यहीा है | जियके सर पर ्ोर-पाख कय ्ुकुष है , वही ्ेरे पकत है| ्ैये कुल की ््य्दय
को छोडकर इयको अपयय लल्य है, इसललए ्ेरय अब कोई क्य कर सकतय है अरय्त ्ुझे अब ककसी
की परवयह यहीा है | ्ै लोक-लयि छोडकर शीकापर के पयस बैिती हूँ| ्ैये आँसुओा के िल से सीाच-
सीाचकर पे्-बेल कय बीि बो्य है | अलभपय् ्ह है कक शीकापर के पकत ्ीरय की भजकतरपी पे्-बेल
कय ववकयस हो चुकय है | अब उसे ककसी भी पकयर से यपष यहीा कक्य िय सकतय है | अब ्ीरय की
कापर पे् रपी बेल पूरी तरह फैल गई है और उस्े आयाद रपी फल लगये लगे है|
बरुविकलपे पशन-
1. उपरोकत पद्यां ककयकी रचयय है ?
क. कबीर ख. ्ीरय बयई ग. सुल्षययादय पात घ. रय्यरे ं तषपयिी
2. ्ीरय अपयय सव््व ककसे ्ययती है ?
क. कापर ख. लंव ग. चनय्जललकयिय
ु् घ.्ेवयड के रयरय को
3. ्ीरयबयई ये शीकापर को ककस रप ्े ्वीकयर कक्य है ?
क. ई्वर के रप ्े ख. गुर के रप ्े ग. रयिय के रप ्े घ. पकत के रप ्े
4. ‘चयंडड द्े कुा की कययन’ ्े कयकय ं्द कय अर् है?
क. लंकय ख. ््य्दय ग.धय-सापवत घ.सुख-सुववधय
5. पद्यां के अयुसयर ्ीरय ये लोक-लयि कैसे खोई री?
क. शीकापर की भजकत करके .ख ववधवय होये के कयरर भी ययच-गयय करके
ग. सातो के सयर बैिकर भिय करये से घ.शी कापर को पकत के रप ्े ्ययकर
पद-2
द्
ू की ्रयन्यँ बड़् प्् स् विाो्े
दध् ्धर घत
ृ कयहढ मा्ो, डयरा द्े चो्े
भगत द् रख ायजे रु्े, जगत द् रख ाो्े
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दयमस ्ेायं ाया धगा्ा! तयाो अब ्ोरद
भयवयर्: प्तत
ु पद्यां ्े ्ीरयबयई कहती है कक ्ैये कापर के पे्रपी दध
ू को भजकत की ्रयी से
बडे पे् से तबलो्य है | उस्े से दही को ्रकर कापर के पे्रपी घी को कयकयल लल्य है परा तु छयछ
को छोड ठद्य है अरय्त सयर ्क
ु त ततवि को गहर करके सयरहीय अां को छोड ठद्य है| उनहिये
शीकापर के पे् और भजकत को अपये पयस रखकर बयकी सब कुछ ध्यग ठद्य है | ्ीरय कहती है कक
वे ई्वर के भकति को दे खकर पसनय होती है लेककय इस िगत (सासयर) को दे खकर रोती है | इसकय
भयव ्ह है कक ्ोह-्य्य ्े ललषत िगत के अात की द्यी् ज्रकत के बयरे ्े सोचकर ्ीरय कय
हद् दःु ख से भर ियतय है| ्ीरय कहती है कक शीकापर गोवध्य पव्त को धयरर करये वयले है और ्ै
तो उयकी दयसी हूँ| ्ीरय शीकापर से अपये उदधयर की पयर्यय करती है |
बरुविकलपे पशन-
1. उपरोकत पद्यां ्े ्ीरयबयई बडे पे् से क्य कर रही है ?
(क) यधा ्
(ख) शीकापर की ्ूतर कय ंागयर
ग. दध
ू की ्रकय्यँ ववलो रही है
घ. भोिय करवय रही है
2.‘दाध ्ार घत
ा कयठढ लल्ो’पाजकत ्े घत
ा कय पतीक है?
क. कापर ख. लंव ग.चनय्जललकयिय
ु् घ.गुर
3. ‘डयार द्ी छो्ी’ पाजकत ्े ‘छो्ी’ ं्द ककसके ललए प्ुकत कक्य ग्य है ?
क. शीकापर के ललए ख. ्ेवयड के रयरय के ललए
ग. य्वर सासयर के ललए घ. छयछ के ललए
4. ्ीरय ककसे दे खकर रयिी होती है?
क. भगत ख. िगत ग. ्ेवयड के रयरय घ.दयलस्यँ
6. ्ीरय ककसे दे खकर रोती है ?
क. भकति को ख.सयासयारक ्ोह - ्य्य ्े फासे िगत को
ग. अपये पारवयर को घ. शी कापर को
पद-3
पग घँघ
ु र बयँध् ्ेायं नयचे,
्ै तो ््ा् नयाय्म संू, आपहर रो गई सयचे
ाोग करै , ्ेाय भई बयिाद; न्यत करै कुा-नयसे
विस कय प्याय ायमय भ्ज्य, पेित ्ेायं रयँसे
्ेायं क् पभु धगरा्ा नयगा, सरज म्ा् अविनयसे
भयियरय: ्ीरय शीकापर की भजकत ्े इतयी लीय हो गई है कक अब वह अपये पयँवि ्े घघ
ँु र बयँधकर
कापर के स्क ययचये लगी है | ्ीरय कहती है कक वह अपये ययरय्र (शीकापर) के सय्ये अपये पे्
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और भजकत कय पदं्य कर वह ्व्ा सचची हो गई है | ्ीरय के ऐसे आचरर को दे खकर लोग उनहे
बयवली (पयगल) कहयय ंर
ु कर ठद्य है | साबााध्ि ये उनहे कुलययलंयी तक कहयय ंर
ु कर ठद्य|
्ीरय के शीकापर के पकत पे् को दे खकर रयरय (रयिय) ये ्ीरय को ्यरये के ललए ववष कय ष्यलय
भेिय| ्ीरय तो कापर भजकत ्े ऐसी खोई हुई है कक उनहिये हँसते हुए ववष के ष्यले को पी लल्य है |
्ीरय कहती है कक ्ेरे पभु शीकापर गोवध्य पव्त को धयरर करये वयले है| वे अय्वर है| वे अपये
भकति को सहिरप से पयषत हो ियते है|
बरुविकलपे पशन-
1. उपरोकत पद्यां के अयुसयर ्ीरयबयई शीकापर की भजकत ्े लीय होकर क्य करये
लगी है?
(क) यधा ्
(ख) शीकापर की ्ूतर कय ंागयर
ग) तीर््यषय
घ) भिय ललखती है
2.्ीरय ककसके सय्ये अपये आप को सचची ्ययती है ?
क. लंव ख. चनय्जललकयिय
ु् ग. गुर घ. ययरय्र (शीकापर)
3.लोग ्ीरय को बयवरी क्ि कहते है?
क. ्ीरय ववधवय होकर भी अपये आप को सुहयगय ्ययती री
ख. शीकापर को अपयय पकत ्ययती री
ग. लोक लयि छोडकर सातो के सयर शीकापर के भिय गयती री
घ. ्ेवयड के रयरय के आदे ं यहीा ्ययती री
4.रयरय ये ्ीरय के ललए क्य भेिय रय और ्ीरय ये उसकय क्य कक्य
क. ववष कय ष्यलय भेिय रय और ्ीरय ये हा सते हुए पी लल्य
ख. ववष कय ष्यलय भेिय रय और ्ीरय ये उसे फेक ठद्य
ग. ्वयठदपष भोिय भेिय रय और ्ीरय ये उसे वयपस कर ठद्य
घ. उसे स्झयये के ललए दयलस्यँ भेिी री लेककय ्ीरय यहीा ्ययी
5.न्यत कहै कुल-ययसी’ पाजकत ,्े न्यत ं्द कय अर् है ?
क. दयस
ख. िगत
ग. पारवयर
घ. सयधू-सात
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पद-1
््ा् तो धगरा्ा गोपया, दस
ू ाो न कोई
जय क् सा ्ोा-्क
ु ु ट, ््ाो पयत सोई
चयंडड द्े कुा की कययन, करय करारै कोई?
संतन हढग बैठछ-बैठछ, ाोक-ायज खो्े
अंसि
ु न जा सेंधच-सेंधच, प्् ब्मा बो्े
अब त ब्मा फैमा गई,आमंद-फा रो्े
बरुविकलपे पशन-
1.’िय के सर ्ोर-्ुकुष’ पाजकत ्े क्यसय अलाकयर है?
(क) रपक
(ख) अयुपयस
(ग) ््क
(घ) पुयरजकत पकयं
2.‘सातय ठढग बैिी-बैिी’ पाजकत ्े क्यसय अलाकयर है?
क. अयुपयस ख. रपक ग. प्य अलाकयर घ. पुयरजकत पकयं
3.‘कहय कारहै कोई’ पाजकत ्े क्यसय अलाकयर है?
क. प्य अलाकयर ख. पुयरजकत पकयं ग. उप्य अलाकयर घ.रपक अलाकयर
4.‘्ेरे तो ागारधर गोपयल, दस
ू रो य कोई’ पाजकत ्े क्यसय रस है?
क. वयधसल् ख.ंागयर ग.भजकत घ. ंयात
5.‘अासुवय िल सीााच-सीााच, पे् बेलल बो्ी’ पाजकत ्े क्यसय रस है ?
क. ंयात ख. भजकत ग. ंागयर घ.वयधसल्
पद-2
द्
ू की ्रयन्यँ बड़् प्् स् विाो्े
दध् ्धर घत
ृ कयहढ मा्ो, डयरा द्े चो्े
भगत द् रख ायजे रु्े, जगत द् रख ाो्े
दयमस ्ेायं ाया धगा्ा! तयाो अब ्ोरद
बरुविकलपे पशन-
1.’दध
ू की ्रकय्यँ बडे पे् से तबलो्ी‘ पाजकत ्े क्यसय अलाकयर है ?
(क) रपक
(ख) अयुपयस
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(ग) ््क
(घ) पय
ु रजकत पकयं
2.’भगत दे िख रयिी हु्ी, िगत दे िख रो्ी’ पाजकत ्े क्यसय अलाकयर है ?
क. अयप ु यस ख. रपक ग. प्य अलाकयर घ.पयु रजकत पकयं
3.’दध
ू की ्रकय्यँ बडे पे् से ववलो्ी’ पाजकत ्े ‘दध
ू ’ ककसकय पतीक है ?
क. शीकापर ख. सासयर ग. भगत घ.रयरय
4.’डयार द्ी छो्ी’ पाजकत ्े ‘छो्ी’ ं्द ककसकय पतीक है ?
क. सयरततवरपी शीकापर ख. असयररपी सासयर
ग. दही तबलोये के बयद बची हुई छयछ घ. रयरय दवयरय भेिे गए उपहयर
5.’दयलस ्ीरया लयल ागरधर! पाजकत ्े लयल और ागारधर ककयके ललए प्ुकत हुआ है ?
क. ्ेवयड के रयरय के ललए ख. शीकापर के ललए
ग. भगत के ललए घ. िगत के ललए
पद-3
पग घुँघर बयँध् ्ेायं नयचे ,
्ै तो ््ा् नयाय्म सूं, आपहर रो गई सयचे
ाोग करै , ्ेाय भई बयिाद; न्यत करै कुा-नयसे
विस कय प्याय ायमय भ्ज्य, पेित ्ेायं रयँसे
्ेायं क् पभु धगरा्ा नयगा, सरज म्ा् अविनयसे
बरुविकलपे पशन-
1.उप्ुक
् त कयव्यां ्े क्यसय अलाकयर है?
(क) रपक
(ख) अयुपयस
(ग) ््क
(घ) पुयरजकत पकयं
2.उप्क
ु् त कयव्यां ्े ककस रस की पधययतय है?
क. ंयात रस ख. वीर रस ग.ंागयर रस घ.वयधसल् रस
3.’अववययंी’ ं्द ्े क्यसय उपसग् है ?
क. अवव ख. अव ग.अ घ. अववयय
4. उप्क
ु् त पद की भयषय क्य सी है?
क. अवधी ख.बि व रयि्रययी ग. ्ययक ठहादी घ.उप्क
ु् त सभी
5. ‘कुलययंी’ ं्द ्े क्यसय स्यस है?
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क. बहुवीही ख. दवादव ग.अव््भयवी घ.क््धयर्
बरुविकलपे पशन-
7. ्ीरय बयई कय िन् कब हुआ रय?
(क) 1450
(ख) 1498
(ग) 1478
(घ) 1510
8. ्ीरयबयई कय िन् कहयँ हुआ रय?
क. कुडकी गयँव, ्यरवयड ार्यसत
ख. कुडकी गयँव, ्ेवयड ार्यसत
ग. कु्डली गयँव, ्यरवयड ार्यसत
घ. कु्डली गयँव, ्ेवयड ार्यसत
9. ्ीरय की रचययओा के सही ्ुग् कय चुययव कीजिए
क. यरसी िी रो ्य्रो, कय्य्यी
ख. यरसी िी रो ्य्रो, वे आँखे
ग. यरसी िी रो ्य्रो, गीत गोववनद
घ. गीत गोववाद, रय्चारत्ययस
10. ठहनदी सयठहध् ्े ्ीरय ककस कयलखाड की कवक्षी ्ययी ियती है ?
क. आठदकयल
ख. भजकतकयल
ग. रीकतकयल
घ. आधकु यक कयल
11. ्ीरय ककस कयलधयरय की कवक्षी ्ययी ियती है ?
क. कयगर
ु् भजकतधयरय
ख. सगुर भजकतधयरय
ग. छय्यवयद
घ. पगकतवयद
12. ्ीरय के गुर क्य ्यये ियते है?
(क) सात रववदयस
(ख) कबीरदयस
(ग) रय्ययाद
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(घ) वललभयचय््
13.िन् से ्ीरय शीकापर को ककस रप ्े ्वीकयर करती रे
क. आरयध् एवा पकत के रप ्े
ख. आरयध् एवा सखय के रप ्े
ग. पकत एवा बयलरप ्े
घ. सहि एवा अववययंी रप ्े
14.अाकत् स्् ्े ्ीरय ककस ्ाठदर ्े स्यठहत हो गई री?
क. वादयवय के ्ाठदर ्े
ख. ्रुरय के ्ाठदर ्े
ग. ्ेवयड के ्ाठदर ्े
घ. ररछोड दयस के ्ाठदर ्े
15. ्ीरय की कववतयओा कय ्ूल गुर क्य है ?
क. ओि और ्यधु्त
् य
ख. सयदगी और ्यधु्त
् य
ग. ओि और सरलतय
घ. सयदगी और सरलतय
16. ्ीरय की भयषय ्ूलतः क्यसी ्ययी ियती है?
क. बि
ा
ख. खडी बोली
ग. रयि्रययी ल्ाशत बि
घ. रयि्रययी
17. ्ीरय की कववतय कय ्ूल भयव क्य है?
(क) वववयह
(ख) स्प्र
(ग) सासयर
(घ) दद्
18.्ीरय के कववतयओा ्े कापर की पयजषत को ककस रप ्े बतय्य ग्य है ?
क. किोर तप््य से पयषत होये वयले
ख. ्ाठदर ्े पि
ू य-पयि करये से
ग. सहि भजकत भयव से
घ. सातो के सयर भिय-कीत्य करये से
19.्ीरय के वपतयिी कय यय् क्य रय?
क. रयव दद
ू य
ख. यरसी िी
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ग. रतयलसाह
घ. रयरय सयागय
20. ्ीरय के पकत कय यय् क्य रय?
क. ्हयरयरय भोिरयि
ख. ्हयरयरय पथ
ा वीरयि
ग. ्हयरयरय उद्लसाह
घ. ्हयरयरय रधयसेय
21.्ीरय कय कयधय कब हुआ रय?
क. 1450
ख. 1540
ग. 1545
घ. 1546
ि् आँख्
कवि पराच्
सुम्षयनंदन पंत
पात िी कय ्ल
ू यय् गोसयँई दत रय | इयकय िन् 1900 ई. ्े उतरयखाड के अल्ोडय जिले के
क्सययी यय्क ्रयय पर हुआ | इयकी पयरजमभक लंकय क्सययी के गयँव ्े तरय उचच लंकय बययरस
और इलयहयबयद ्े हुई | ्ुवयव्रय तक पहुँचते- पहुँचते ्हयध्य गयँधी के असह्ोग आनदोलय से
पभयववत होकर इनहिये पढयई बीच ्े ही छोड दी | उसके बयद वे ्वताष लेखय करते रहे | सयठहध् के
पकत उयके अवव््ररी् ्ोगदयय के ललए इनहे कई पुर्कयरि से सम्यकयत कक्य ग्य | इनहे
भयरती् जययपीि पुर्कयर, सयठहध् अकयद्ी पुर्कयर से सम्यकयत कक्य ग्य | भयरत सरकयर ये
इनहे पद्भूषर से सम्यकयत कक्य | इयकी ्धा ्ु 1977 ई. ्े हुई |
रचययएँ-
कयव्- वीरय,गाार,पललव,गि
ाु य,्ग
ु वयरी,गयम्य,ाचदा बरय,उतरय,्वर् ककरर,कलय और बढ
ू य
चयँद,लोकय्तय आठद है |
ययषक- रित रज््,ज्ोधसयय,लंलपी |
उपन्यस- हयर |
कवितय कय सयायंं
्ह कववतय पात िी के पगकतंील द्र की कववतय है | इस्े ववकयस की ववरोधयभयसी अवधयररयओा
पर करयरय पहयर कक्य ग्य है | ्ुग-्ुग से ंोषर के लंकयर ककसयय कय िीवय कवव को आहत
करतय है | दख
ु द बयत ्ह है कक ्वयधीय भयरत ्े भी ककसययि को केनद ्े रखकर व्व्रय ये
कयरय््क ह्तकेप यहीा कक्य | ्ह कववतय ्र ्े फँसे ककसययि के व्जकतगत एवा पयारवयारक दख
ु ि
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की परति को खोलती है और ्पपष रप से ववभयजित स्यि की वगर् चेतयय कय खयकय प्तत
ु
करती है |
कवव कहतय है कक ककसयय की अाधकयर की गफ
ु य के स्यय आँखि ्े दःु ख ही दःु ख है , पीडय ही
पीडय ठदखयई दे ती है | इय आँखि को दे खये से डर लगतय है | वह ककसयय ्वताष रय उसकी आँखि ्े
अलभ्यय झलकतय रय आि सयरे सासयर ये उसे अकेलय छोड ठद्य है उसकी आँखि ्े लहलहयते खेत
झलकते है | जियसे अब उसे बेदखल कर ठद्य ग्य है | उसे अपये बेषे की ्यद आती है जिसे
ि्ीादयर के कयारादि ये लयठि्ि से पीषकर ्यर डयलय | कि् के कयरर उसकय घर तबक ग्य ्हयिय
ये ््यि की क्डी यहीा छोडी तरय उसके बैलि की िोडी भी यीलय् कर दी | उसकी उिरी गय् भी
अब उसके पयस यहीा है |
ककसयय की पधयी दवय के तबयय ्र गई और दे खभयल के तबयय दध
ु ्ाह
ु ी बचची भी दो ठदय बयद ्र
ग्ी | उसके घर ्े बेषे की ववधवय पधयी री,परनतु कोतवयल ये उसे बुलय लल्य | इसी लजियवं
उसये भी कँु ए ्े कूदकर ियय दे दी | ककसयय को पधयी कय यहीा, िवयय लडके की ्यद बहुत पीडय
दे ती री | िब वह परु यये सख
ु ि को ्यद करतय है तो आखि ्े च्क आ ियती है परनतु अगले ही
कर सचचयई के धरयतल पर आकर पररय ियती है |
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(ग) सासयर ये सदै व उसकी ्दद की है
(घ) सासयर सदै व उसके ठहत की बयत करतय है
(क) खेत
(ख) बेषय
(ग) ककययरय
(घ) कज्
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4) ‘तर
ा – तर
ा ’ ्े क्य सय अलाकयर है ?
(क) अयुपयस
ग.रपक
घ. अकतं्ोजकत
8) उिरी उसके लसवय ककसे कब पयस दहु यये आये दे ती ? ककस भयवयय को पकष कक्य ग्य है ?
(क) पंु की ्यललक के पकत ्येह की भयवयय
(ख) पंु के हिपय को
(ग) पंु कय पारवयर के अन् लोगि से साबाध
(घ) इय्े से कोई यहीा
उतर-(क) पंु की ्यललक के पकत ्येह की भयवयय
9) ककसयय की सुख की खेती क्ि उिड ग्ी ?
(क) ्हयिय कय कि् य चुकय पयये के कयरर
(ख) ्हयिय ये उसके घर और बैलि की िोडी यील् कर दी
(ग) उसकय घर दवयर सब तबक ग्य
(घ) उपरोकत सभी
4) ककसयय की आाखि ्े क्य सय द्् ययचतय है ?
क. सख
ु की खेती
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ख. दख
ु की खेती
ग. पधयी कय चेहरय
घ. उप्ुक
् त ्े से कोई यहीा
(क) अयप
ु यस
ग) उप्ुक
् त ्े से कोई यहीा
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(घ) उपरोकत सभी
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22) इय्े से क्य सय करय प्तत
ु कववतय से साबााधत यहीा है ?
(क) ककसयय की दद
ु ् ंय कय ाचषर
(ख) ककसयय की आँखि कय ाचषर
(ग) सासयर कय ककसयय के पकत दजपषकोर
(घ) कवव दवयरय पकाकत कय सन
ु दर ाचषर
23) ककसयय कय बेषय ककसकी लयिी से ्यरय ग्य रय ?
(क) पुललस
(ख) डयकुओा
(ग) कयरकुयि
(घ) सेयय
27)‘’गह
ु य सरीखी इय आँखि से डरतय है ्य’’ ्े क्य सय अलाकयर है ?
(क) उप्य
(ख) रपक
(ग) अयप
ु यस
(घ) ््क
28) तर
ा -तर
ा और रह-रह ्े क्य सय अलाकयर है ?
(क) उप्य
(ख) अयुपयस
(ग) रपक
(घ) पुयरजकत पकयं
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29) ‘सासयर कगयर सदं बह िखसकय’ पाजकत ्े क्य सय अलाकयर है ?
(क) उप्य
(ख) रपक
(ग) उधपेकय
(घ) ्ययवीकरर
ं्दकों दे खये की ववाध - ं्दकों ्े सजम्ललत ं्द वर््यलय के वर् के य् ्े व्वज्रत रहते हैं
अतः ं्दकों दे खये के पूव् ह्े वर््यलय के जयय के सयर-सयर ं्द कय वर्-ववचछे द करयय सीखयय आव््क
है ं
ं्दकों ्े ं्दि को इस वर्-अयुय् ्े ठद्य ियतय है- अा, अ, आा, आ, इा, इ, ई, ई, उा ,उ, ऊा, ऊ, ्, एा, ए,
ऐा, ऐ,ओा,ओ,औा,औं इसके प्चयत त क से ह तक के वर्य् के अयस
ु यर ठद्य ियतय है |
सा्ुकतयकरि के ववष् ्े ्ह बयत ववंेष ध्यय रखये ्ोग् है कक ्ठद ल्ले हुए वर् ऊपर-यीचे ललखे है तो
ऊपर वयलय वर् पहले ्रयय पयएगय तरय यीचे वयलय वर् बयद ्े ्रयय पयएगयं एवा सा्ुकतयकर की ्यषय यीचे
वयले वर् की ्ययी ियएगीं
िैसे-
1.ंुदाध=(ं त+उ)+(द+ध त+इ)
2.पयर्यय=(प त+रत+आ)+(रत+र त+अ)+(य त+आ)
वर् -ववचछे द ्े ्यषय वयलय ्वर सदय ही उस व्ािय के बयद आतय है जिस पर ्यषय लगी हो (भले ही ्यषय
पीछे सेलगीहों
िैसे-
लस=स त+इ
सी=स त+ई
आधे अकरि से पव
ू ् ललखी ‘इ’ की ्यषय उस अकर की य होकर अगले व्ािय की होती है ं
िैसे-
ज्रकत=स त+ार+कत
्ठद ल्ले हुए वर् (सा्ुकतयकर) ऊपर यीचे य होकर बरयबर ऊँचयई पर ललखे है तो वर् कय य् वही होगय िो
ठदखयईदे रहयहै ं
िैसे –
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क =कत +ष त+अ ष = त त+रत+अ ज = ि त+ञ त+अ द्=द+् त+अ
अा तर अः को ्वरि ्े यहीा ागयय ियतय है ं अतः ं्दकों ्े इयके ललए ओ,औ के बयद अलग से खाड यहीा
होतयं अयु्वयर ( तबाद)ु तरय अयुययलसक (चादतबाद)ु वयले वर् ं्द कों ्े सबसे पहले आएँगें िैसे –
‘अाकुर’ तरय ‘अकुलयहष’ ्े से अाकुर पहले ्रयय पयएगय, िबकक अकुलयहष बयद ्े आएगयं
इसी पकयर ‘इ’ तरय ‘इा’ ्े से इा से पयरमभ होये वयले ं्द पहले आएँगे तरय इ से पयरमभ होये वयले ं्द बयद
्े ं िैसे -इाक व इकहरय ्े से इाक पहले आएगय तरय इकहरय बयद ्े आएगयं
संदभय पुा० [सा०] ऐसय गार जिस्े िययकयरी ्य वव्ं् के ललए कुछ ववलंपष पसागि की बयते दे खी ियती
हिं
गंर : ववंेष—ऐसय गार आद्ोपयनत पढय यहीा ियतय बजलक ककसी जिजयसय की पूकत् ्य सादेह के कयवयरर
के उददे ्् से दे खय ियतय है ं िैसे—कों, वव्वकों, सयठहध् कों आठद सादभ् के गार हैं
बरुविकलपे् पशन-
क-ठहादी वर््यलय ्े सा्ुकतयकर और उयसे बये ं्द दोयि अात ्े आते हैं
ग-ठहादी वर््यलय ्े सा्ुकतयकर वर््यलय के अात ्े िबकक ं्द उय वर् के अनध्यकर ्े आते हैं
क-कयक
ख-कीकत्
ग-य्
घ- कुंयग
क-कलादर
ख-क्लय
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ग-कापय
घ-कलं
क-वैजयकयक
ख-ववजयपय
ग-व्यपयर
घ-ववजयय
न््तय,कयषेध,कयपिय,यप
ा ,कयरदध,यीलोधपल,न्य्
क-कयपिय
ख-यप
ा
ग-न््तय
घ-न्य्
्््रय,तबठषं,बह्य,बह्य्ष,््यि,बोकर
क-बह्य
ख-््यि
ग-तबठषं
घ-बोकर
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प 8-कयमयललिखत ं्दि को ं्दकों के य् ्े रखये पर क्य-सय ं्द सबसे पहले आएगय ?
है रयय,चेतय,ककपय,कम्,सर्वती ,हयरी
क-कम्
ख-हयरी
ग-ककपय
घ-सर्वती
प 9-यीचे ठदए गए ं्दि ्े सबसे अात ्े ं्दकों ्े ल्लये वयलय ं्द क्य सय होगय ?
जकलपष,करा ष,कयकेष,य्,युदध,
क-जकलपष
ख-युदध
ग-करा ष
घ-य्
क-ं्दि की व्ुधपवत
ख-ं्दि कय ललाग
ग-ं्द-रप
घ-उप्क
ु् त सभी
क-व्वज्रत
ख-अव्वज्रत
ग-उपरोकत दोयि
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प 12-ं्दकों कय अर् है
ग- ं्दि कय खजययय
क-आँकडय
ख-आईयय
ग- आँख
घ-इातजय्
Page 87
ख-नरदं
ग- रयँ
घ- असपषट कसरयत
प 19-सं्क
ु तयका 'क' यनमन ्े स् ककसक् म्ान् स् बनतय रै ?
क- कत + ष
ख- कत + ं
ग- कत + स
घ- ग + ं
प 20- एक पषृ ठ पा यनद् ं ंबद 'च्तन' ि 'चंचा्बयजे' रै । उस पषृ ठ पा यनमन ्े स् कौन सय ंबद नरदं
रोगय ?
क- चेहरय
ख- चिच
ग- चैष
घ- चूहय
प 21-एक पषृ ठ पा यनद् ं ंबद 'पगयत' ि 'पयतकूा' रै । उस पषृ ठ पा यनमन ्े स् कौन सय ंबद रोगय ?
क- पिय
ख- ष्यस
ग- पर्
घ- पोषर
क. लकडबगघय
ख. लागरू
ग. लकडी
घ. लाकय
क- क िगय क् िम् ्े
ख- च िगय क् िम् ्े
ग-प िगय क् िम् ्े
घ- ा िगय क् िम् ्े
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प 25- हरनदद ंबदकों ्े क् की दकषट स् इन्े स् सबस् परा् कौनसय ंबद म्ा्गय ?
क- क्य
ख- करन
ग-कृपय
घ- क्ा
ख- क््,य्,क्य
ग- चयँद,चयदर, च्धरी
घ- षयर,षयस, षयषक
क- वि्ा,विज्,विजयन
ख- विज्,वि्ा,विजयन
ग- विज्,विजयन,वि्ा
घ- वि्ा,विज्,विजयन
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प 32- 'तषलोक' ं्द इय्े से ककस खाड ्े कय््ययुसयर ्रय्रयय आएगय?
क-'र' खाड ्े
ख-'त' खाड ्े
ग-'क' खाड ्े
घ-'र' खाड ्े
प 38- 'विदग् ' ंबद क् सयर ंबदकों ्े वि (सं) माखय ग्य रै । इस्े 'सं' क्य संक्त कातय रै -
क-संजय रोन् कय
ख-ंबद ्े सं्क
ु तयका रोन् कय
ग-सियनय् रोन् कय
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घ-संसकृत कय ंबद (ततस्) रोन् कय
प 39-ंबदकों ्े ककसे भे पषृ ठ पा दो ंबद सबस् ऊपा माख् गए रै। इन्े स् पराय ंबद क्य संक्त
कातय रै ?
क-्र ंबद इस पषृ ठ पा बयएँ कोन् पा नेच् रोतय रै ।
ख-्र ंबद इस पषृ ठ पा सबस् नेच् रोतय रै ।
ग-्र इस पषृ ठ कय पराय ंबद रोतय रै ।
घ-्र ंबद इस पषृ ठ पा सबस् ऊपा दयहरने ओा रोगय।
प 40- नेच् हदए गए ंबदं ्े सबस् अंत ्े ंबदकों ्े म्ान् ियाय ंबद कौन-सय रोगय ?
आिवृ त, उद्ोग, अंतत:, अकंवपत, इवचय, इकु, इंधगत
क-अंतत:
ख-अकंवपत
ग-इंधगत
घ- उद्ोग
प43- एक पषृ ठ पा यनद् ं ंबद ' च्तकयाद ' ि ' चामोदक' रै । उस पषृ ठ पा यनमन ्े स् कौन सय ंबद
रोगय ?
क – चा्
ख- चारष
ग- चय्त
घ. चचय
प44- नेच् हदए गए ंबदं ्े सबस् अंत ्े ंबदकों ्े म्ान् ियाय ंबद कौन-सय रोगय ?
पववष,पललव,पलयं,पलषय,प्य््
क. पववष
ख. पललव
ग. पलयं
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घ. प्य््
प45- ंबदकों ्े 'जय' संक्तयका कय क्य अरय रै ?
क - जया
ख-जयपयन
ग-जयपयने
घ-जयप
क- प्ामय
ख- पेते-भोज
ग- पयपत
घ-पयमे
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