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प्रतिदर्श प्रश्नपत्र 2021-22

विषय ह िं दी (ऐतिक)

कोड- 002

कक्षा- बार िीं

समय: 1 घिंटा 30 वमनट पूर्णांक:40

सामान्य निर्दे श:

● *इस प्रश्न पत्र में िीन ख


िं ड ैं- ख
िं ड 'क', 'ख' और 'ग'

● *ख
िं ड 'क' में कुल 2 प्रश्न पूछे गए ैं। दोनों प्रश्नों के कुल 20 उपप्रश्न वदए गए ैं। वदए गए वनदे र्ों का

पालन करिे हुए कुल 10 उपप्रश्नों के उत्तर दीजिए।

● *ख
िं ड 'ख' में 4 प्रश्न ैं िथा इन सभी के 21 उपप्रश्न ैं। इनमें से वनदे र्ानुसार 16 उपप्रश्नों के उत्तर दीजिए।

● ख
िं ड 'ग' में कुल 3 प्रश्न ैं िथा 14 उपप्रश्न सविललि ैं सभी उपप्रश्नों के उत्तर दीजिए।

खंड'क'अपठित बोध (10 अंक)

*इस प्रश्नपत्र में कुल 7 प्रश्न ैं िथा सभी िस्तुपरक प्रश्न पूछे गए ैं।
*सभी प्रश्नों में उपप्रश्न वदए गए ैं वदए गए वनदे र्ों का पालन करिे हुए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।


िं ड 'अ' अपविि गद्यांर् (10 अ
िं क)

प्रश्न 1. नीचे दो गद्यांर् वदए गए ैं। वकसी एक गद्यांर् को ध्यानपूिशक पव़िए और उस पर आधाररि प्रश्नों के

उत्तर स ी विकल्प चुनकर दीजिए. (1x10=10)

यवद आप इस गद्यांर् का चयन करिे ैं िो कृपया उत्तर पुजस्तका में लललखए वक आप प्रश्न सिंख्या 1 में वदए

गए गद्यांर्-1 पर आधाररि प्रश्नों के उत्तर ललख र े ैं।

पररश्रम 'कल्पिृक्ष' ै। िीिन की कोई भी अतभलाषा पररश्रम रूपी कल्पिृक्ष से पूर्णश ो सकिी ै। पररश्रम

िीिन का आधार ै, उज्ज्िल भविष्य का िनक और सफलिा की क


िं ु िी ै। सृवि के आवद से अद्यिन काल

िक विकजसि सभ्यिा और सिशत्र उन्नति पररश्रम का पररर्णाम ै। आि से लगभग पचास साल प ले कौन

कल्पना कर सकिा था वक मनुष्य एक वदन चाँद पर कदम रखेगा या अ


िं िररक्ष में विचरर्ण करेगा पर वनरिंिर

श्रम की बदौलि मनुष्य ने उन कल्पनाओिं एििं सिंभािनाओिं को साकार कर वदखाया ै। मात्र ाथ पर ाथ

धरकर बैिे र ने से कदावप सिंभि न ीं ोिा।

वकसी देर्, राष्ट्र अथिा िाति को उस देर् के भौतिक सिंसाधन िब िक समृद्ध न ीं बना सकिे िब िक वक

ि ाँ के वनिासी उन सिंसाधनों का दो न करने के ललए अथक पररश्रम न ीं करिे। वकसी भूभाग की वमट्टी

वकिनी भी उपिाऊ क्यों न ो, िब िक वितधिि पररश्रमपूिशक उसमें िुिाई, बुआई, ससिंचाई, वनराई-गुड़ाई

न ीं ोगी, अिी फसल प्राप्त न ीं ो सकिी। वकसी वकसान को कृवष सिंबिंधी अत्याधुवनक वकिनी ी

सुविधाए
ँ उपलब्ध करा दीजिए, यवद उसके उपयोग में लाने के ललए समुतचि श्रम न ीं ोगा, उत्पादन क्षमिा

में िृद्तध सिंभि न ीं ै। पररश्रम से रेवगस्तान भी अन्न उगलने लगिे ैं मारे देर् की स्वििंत्रिा के पश्चाि मारी

प्रगति की द्रुिगति भी मारे श्रम का ी फल ै। भाखड़ा नांगल का विर्ाल बाँध ो या थुिंबा या श्री ररकोटा

के रॉकेट प्रक्षेपर्ण केंद्र, ररि क्रांति की सफलिा ो या कोविड 19 की रोकथाम के ललए टीका िैयार करना,

प्रत्येक सफलिा मारे श्रम का पररर्णाम ै िथा प्रमार्ण भी ै।


िीिन में सुख की अतभलाषा सभी को र िी ै। वबना श्रम वकए भौतिक साधनों को िुटाकर िो सुख प्राप्त

करने के फेर में ै, ि अ


िं धकार में ै। उसे िास्तविक और स्थायी र्ांति न ीं वमलिी। गांधीिी िो क िे थे वक

िो वबना श्रम वकए भोिन ग्र र्ण करिा ै, ि चोरी का अन्न खािा ै। ऐसी सफलिा मन को र्ांति देने के

बिाए उसे व्यतथि करेगी। पररश्रम से दूर र कर और सुखमय िीिन व्यिीि करने िाले विद्याथी को ज्ञान

कैसे प्राप्त ोगा? िाई वकले िो स ि ी बन िािे ैं, लेवकन िे िा के ल्के झोंके से ढ िािे ैं। मन में मधुर

कल्पनाओिं के स
ँ िोने मात्र से वकसी कायश की जसद्तध न ीं ोिी। कायश जसद्तध के ललए उद्यम और सिि

उद्यम आिश्यक ै। िुलसीदास ने सत्य ी क ा ै- सकल पदारथ ै िग मा ीं करम ीन न पािि ना ीं।।

अथाि इस दुवनया में सारी चीिें ाजसल की िा सकिी ैं लेवकन िे कमश ीन व्यवि को कभी न ीं वमलिी ैं।

अगर आप भविष्य में सफलिा की फसल काटना चा िे ैं, िो आपको उसके ललए बीि आि ी बोने ोंगे..

आि बीि न ीं बोयेंगे, िो भविष्य में फ़सल काटने की उिीद कैसे कर सकिे ?ैं पूरा सिंसार कमश और फल

के जसद्धांि पर चलिा ै इसललए कमश की िरफ आगे ब़िना ोगा।

यवद स ी मायनों में सफल ोना चा िे ैं िो कमश में िुट िाए


ँ और िब िक िुटे र ें िब िक वक सफल न ो

िाए
ँ । अपना एक-एक वमनट अपने लक्ष्य को समर्पशि कर दें । काम में िुटने से आपको र िस्तु वमलेगी िो

आप पाना चा िे ैं- सफलिा, सिान, धन, सुख या िो भी आप चा िे ों…।

वनम्नलललखि में से वनदे र्ानुसार सिातधक उपयुि विकल्पों का चयन कीजिए।

प्रश्न (1) गद्यांर् में पररश्रम को 'कल्पिृक्ष' के समान बिाया गया ै क्योंवक इससे

(क) भौतिक सिंसाधन िुटाए िािे ैं

(ख) पररश्रमी व्यवि िृक्ष के समान परोपकारी ोिा ै

(ग) इिा दमन करने का बल प्राप्त ोिा ै

(घ) व्यवि की इिाओिं की पूर्णश पूर्िश सिंभि ै

(2)गद्यांर् में अिी फ़सल प्राप्त करने के ललए क े गए कथन से स्पि ोिा ै वक -

(क) भौतिक सिंसाधनों का दो न करना आिश्यक ै


(ख) सिंसाधनों की िुलना में पररश्रम की भूवमका अतधक ै

(ग) ज्ञान प्राप्त करने के ललए पररश्रम आिश्यक ै

(घ) कि करने से ी कृष्ण वमलिे ैं

(3) भारि के पररश्रम के प्रमार्ण क्या-क्या बिाए गए ैं?

(क) बाँध, कोविड 19 की रोकथाम का टीका, प्रक्षेपर्ण केंद्र

(ख) कोविड 19 की रोकथाम का टीका, प्रक्षेपर्ण केंद्र, रेवगस्तान

(ग) कोविड 19 की रोकथाम का टीका, प्रक्षेपर्ण केंद्र, िाई पवट्टयों का वनमार्ण

(घ) िृक्षारोपर्ण , कोविड 19 की रोकथाम का टीका, प्रक्षेपर्ण केंद्र

(4) कैसे व्यवि को अ


िं धकार में बिाया गया ै?

(क) श्रम ीन व्यवि

(ख) विश्राम ीन व्यवि

(ग) नेत्र ीन व्यवि

(घ) प्रकार् ीन व्यवि

(5) ' िाई वकले िो स ि ी बन िािे ैं, लेवकन ये िा के ल्के झोंके से ढ िािे ैं।"

इस कथन के द्वारा लेखक क ना चा िा ै वक -

(क) िेज़ चक्रििी िाओिं से आिासीय पररसर नि ो िािे ैं

(ख) िा का रुख अपने पक्ष में पररश्रम से वकया िा सकिा ै

(ग) िाई कल्पनाओिं को सदैि स


ँ िोकर रखना असिंभि ै

(घ) पररश्रम ीनिा से िैयविक उपलवब्ध वनिांि असिंभि ै

(6)'सिि उद्यम ' से क्या िात्पयश ै -

(क) वनरिंिर िपिा हुआ उद्यम

(ख) वनरिंिर पररश्रम करना

(ग) सिि उििे िाना


(घ) ज्ञान का सिि उद्गम

(7)वकस अिस्था में प्राप्त सफलिा मन को व्यतथि करेगी ?

(क)सकल पदाथश द्वारा प्राप्त करने पर

(ख) भौतिक सिंसाधनों द्वारा प्राप्त करने पर

(ग)दूसरों द्वारा वकए गए अथक प्रयासों से

(घ) आसान ि श्रम ीन िरीके से प्राप्त करने पर

(8) स्वििंत्रिा र्ब्द में उपसगश ि प्रत्यय अलग करने पर ोगा -

(क) स्व + ििंत्र +िा

(ख) सु+ििंत्र +िा

(ग) स् +िििंत्र +िा

(घ) स् +िििं + िा

(9)'समुतचि' र्ब्द का अथश ै -

(क) उपयुशि

(ख) उपयुि

(ग) उपभोिा

(घ) उपक्रम

(10) गद्यांर् के ललए उपयुि र्ीषशक ै-

(क) पररश्रम और स्वििंत्रिा

(ख) पररश्रम :सफल िीिन का आधार

(ग) पररश्रम और कल्पना

(घ) पररश्रम :कल्पना की उड़ान

अथिा
यवद आप इस गद्यांर् का चयन करिे ैं िो कृपया उत्तर पुजस्तका में लललखए वक आप प्रश्न सिंख्या 1 में वदए

गए गद्यांर्-2 पर आधाररि प्रश्नों के उत्तर ललख र े ैं।

नीचे वदए गए गद्द्यांर् को ध्यानपूिशक पव़िए और उस पर आधाररि प्रश्नों के उत्तर स ी विकल्प चुनकर

लललखए।

विज्ञान प्रकृति को िानने का म त्वपूर्णश साधन ै। भौतिकिा आि आधुवनक िैज्ञावनक और िकनीकी

प्रगति का स्तर वनधाररि करिी ै। विज्ञान केिल सत्य, अथश और प्रकृति के बारे में उपयोग ी न ीं बलल्क

प्रकृति की खोि का एक क्रम ै। विज्ञान प्रकृति को िानने का एक म त्वपूर्णश साधन ै। य प्रकृति को

िानने के विषय में में म त्वपूर्णश और विश्िसनीय ज्ञान देिा ै। व्यवि जिस बाि पर विश्िास करिा ै ि ी

उसका ज्ञान बन िािा ै। कुछ लोगों के पास अनुतचि ज्ञान ोिा ै और ि उसी ज्ञान को सत्य मानकर

उसके अनुसार काम करिे ैं। िैज्ञावनकिा और आलोचनात्मक विचार उस समय िरूरी ोिे ैं िब ि

विश्िसनीय ज्ञान पर आधाररि ों। िैज्ञावनक और आलोचक अक्सर िकश सिंगि विचारों का प्रयोग करिे ैं।

िकश में उतचि सोचने पर प्रेररि करिे ैं। कुछ लोग िकश सिंगि विचारधारा न ीं रखिे क्योंवक उन्होंने कभी

िकश करना िीिन में सीखा ी न ीं ोिा।

प्रकृति िैज्ञावनक और कवि दोनों की ी उपास्या ै। दोनों ी उससे वनकटिम सिंबिंध स्थावपि करने की चेिा

करिे ै, हक
िं िु दोनों के दृविकोर्ण में अ
िं िर ै। िैज्ञावनक प्रकृति के बाह्य रूप का अिलोकन करिा ै और सत्य

की खोि करिा ै, परिंिु कवि बाह्य रूप पर मुग्ध ोकर उससे भािों का िादात्म्य स्थावपि करिा ै। िैज्ञावनक

प्रकृति की जिस िस्तु का अिलोकन करिा ै, उसका सूक्ष्म वनरीक्षर्ण भी करिा ै। चिंद्र को देखकर उसके

मजस्तष्क में अनेक विचार उििे ैं उसका िापक्रम क्या ै, वकिने िषों में ि पूर्णशि: र्ीिल ो िाएगा, ज्वार-

भाटे पर उसका क्या प्रभाि ोिा ै, वकस प्रकार और वकस गति से ि सौर मिंडल में पररक्रमा करिा ै और

वकन ित्वों से उसका वनमार्ण हुआ ै? ि अपने सूक्ष्म वनरीक्षर्ण और अनिरि चचिंिन से उसको एक लोक

ि रािा ै और उस लोक में जस्थि ज्वालामुखी पिशिों िथा िीिनधाररयों की खोि करिा ै। इसी प्रकार ि

एक प्रफुलिि पुष्प को देखकर उसके प्रत्येक अ


िं ग का विश्लेषर्ण करने को िैयार ो िािा ै। उसका प्रकृति-

विषयक अध्ययन िस्तुगि ोिा ै। उसकी दृवि में विश्लेषर्ण और िगश विभािन की प्रधानिा र िी ै। ि

सत्य और िास्तविकिा का पुिारी ोिा ै। कवि की कवििा भी प्रत्यक्षािलोकन से प्रस्फुवटि ोिी ै ि

प्रकृति के साथ अपने भािों का सिंबिंध स्थावपि करिा ै। ि उसमें मानि चेिना का अनुभि करके उसके
साथ अपनी आिंिररक भािनाओिं का समन्वय करिा ै। ि िथ्य और भािना के सिंबिंध पर बल देिा ै।उसका

िस्तुिर्णशन हृदय की प्रेरर्णा का पररर्णाम ोिा ै, िैज्ञावनक की भाँति मजस्तष्क की यांवत्रक प्रवक्रया न ीं।

कवियों द्वारा प्रकृति -तचत्रर्ण का एक प्रकार ऐसा भी ै जिसमें प्रकृति का मानिीकरर्ण कर ललया िािा ै

अथाि प्रकृति के ित्त्वों को मानि ी मान ललया िािा ै।

प्रकृति में मानिीय वक्रयाओिं का आरोपर्ण वकया िािा ै। ह िं दी में इस प्रकार का प्रकृति-तचत्रर्ण छायािादी

कवियों में पाया िािा ै। इस प्रकार के प्रकृति-तचत्रर्ण में प्रकृति सिशथा गौर्ण ो िािी ै।इसमें प्राकृतिक

िस्तुओिं के नाम िो र िे ैं परिंिु झ


िं कृि तचत्रर्ण मानिीय भािनाओिं का ी ोिा ै। कवि ल ल ािे पौधे का

तचत्रर्ण न कर खुर्ी से झूमिे हुए बच्चे का तचत्रर्ण करने लगिा ै।

वनम्नलललखि में से वनदे र्ानुसार सिातधक उपयुि विकल्पों का चयन कीजिए।

(1) विज्ञान प्रकृति को िानने का एक म त्वपूर्णश साधन ै क्योंवक य -

(क) समग्र ज्ञान के साथ िादात्म्य स्थावपि करिा ै

(ख) प्रकृति आधुवनक विज्ञान की उपास्या ै

(ग) म त्वपूर्णश और विश्िसनीय ज्ञान प्रदान करिा ै

(घ) आधुवनक िैज्ञावनक का स्तर वनधाररि करिा ै

(2) 'िैज्ञावनक प्रकृति के बाह्य रूप का अिलोकन करिे ैं' य कथन दर्ािा ै वक िे

(क) कवियों की िुलना में अतधक श्रेष्ठ ैं

(ख) ज्वारभाटे के पररर्णाम से बचना चा िे ैं

(ग) िगश विभािन के पक्षधर बने र ना चा िे ैं

(घ) प्रकृति से अविदूर र ने का प्रयास करिे ैं

(3)सूक्ष्म वनरीक्षर्ण और अनिरि चचिंिन से िात्पयश ै-

(क) सौर मिंडल को एक लोक और परलोक ि राना

(ख) छोटी -छोटी सी बािों पर चचिंिा करना

(ग) बारीकी से सोचना ि वनरिंिर देखना

(ि) बारीकी से देखना और वनरिंिर सोचना


(4) कौन अनिरि चचिंिन करिा ै?

(क) सूक्ष्माचारी

(ख) विज्ञानोपासक

(ग) ध्यानविलीन योगी

(घ) अिसादग्रस्त व्यवि

(5) कौन िास्तविकिा का पुिारी ोिा ै?

(क) यथाथशिादी

(ख)काव्यिादी

(ग) प्रकृतििादी

(घ) विज्ञानिादी

(6) कवि की कवििा वकससे प्रस्फुवटि ोिी ै?

(क) विचारों के मिंथन से

(ख) प्रकृति के साक्षाि दर्शन से

(ग) भािनाओिं की उ ापो से

(घ) प्रेम की िीव्र इिा से

(6) कवि के सिंबिंध में इनमें से स ी िथ्य ै-

(क)ज्वालामुखी के र स्य िानिा ै

(ख ) िीिधाररयों की खोि करिा ै

(ग) सत्य का उपासक न ीं ोिा

(घ) प्रफुलिि पुष्प का अध्ययनकिा

(7) 'इि' प्रत्यय युि र्ब्द कौन-सा ै?

(क) झ
िं कृि
(ख) वनि

(ग) लललि

(घ) उतचि

(8) उपयुशि गद्यांर् का उपयुि र्ीषशक ै

(क) कवि की सोच और िैज्ञावनकिा

(ख) प्रकृति के उपासक - कवि और िैज्ञावनक

(ग) िैज्ञावनक उन्नति और काव्य िगि

(घ) िैज्ञावनक दृविकोर्ण - अिुलनीय

(9) 'प्रकृति का मानिीकरर्ण' दर्ािा ै वक -

(क) कल्पना प्रधान ि भािोन्मेर्युि कवििा रची िा र ी ै

(ख) मानिीकरर्ण अलिंकार का दुरुपयोग ो र ा ै

(ग) प्रकृति ि मानि के सामिंिस्य से उवदि दीवप्त फैल र ी ै

(घ) मानि द्वारा प्रकृति का सिंरक्षर्ण ो र ा ै

(10)ल ल ािे पौधे का तचत्रर्ण न कर झूमिे बच्चे का तचत्रर्ण करना दर्ािा ै वक -

(क) कवि भािािेर् में विषय से भटक गए ैं

(ख) प्रकृति के ित्वों को मानि माना ै

(ग) कवि िैज्ञावनक विचारधारा के पक्ष में ै

(घ) कवि विकास स्तर पर ी ै

प्रश्न 2 नीचे दो काव्यांर् वदए गए ैं। वकसी एक काव्यांर् को ध्यानपूिशक पव़िए और उस पर आधाररि प्रश्नों

के उत्तर स ी विकल्प चुनकर दीजिए. (1x8=8)

यवद आप इस काव्यांर् का चयन करिे ैं िो कृपया उत्तर पुजस्तका में लललखए वक आप प्रश्न सिंख्या 2 में वदए

गए काव्यांर् 1 पर आधाररि प्रश्नों के उत्तर ललख र े ैं।


मैंने ँ सना सीखा ै

मैं न ीं िानिी रोना ।

बरसा करिा पल - पल पर

मेरे िीिन में सोना ।

मैं अब िक िान न पाई

कैसी ोिी ै पीड़ा ?

ँ स - ँ स िीिन में कैसे

करिी ै चचिंिा क्रीड़ा ?

िग ै असार सुनिी ह

मुझको सुख - सार वदखािा ।

मेरी आँ खों के आगे

सुख का सागर ल रािा ।

क िे ैं ोिी िािी

खाली िीिन की प्याली ।

पर मैं उसमें पािी ह


प्रतिपल मवदरा मििाली।

उत्सा ,उमिंग वनरिंिर

र िे मेरे िीिन में ।

उिास वििय का ँ सिा

मेरे मििाले मन में।

आर्ा आलोवकि करिी

मेरे िीिन के प्रतिक्षर्ण ।

ैं स्वर्णश - सूत्र से िलवयि

मेरी असफलिा के घन ।
सुख भरे सुन ले बादल

र िे ैं मुझको बादल घेरे ।

विश्िास, प्रेम, सा स ैं

िीिन के साथी मेरे।।

(1)बरसा करिा पल-पल पर मेरे िीिन में सोना”। किवयत्री का ‘सोना’ से अतभप्राय ै-

(क) स्वर्णश

(ख) क
िं चन

(ग) आनन्द

(घ) आराम

(2)असफलिा के बादलों को किवयत्री ने वकससे घेरकर रखा ै?

(क) असफलिा के बादलों को सोने की छड़ी से घेरकर रखा ै।

(ख) किवयत्री सफलिा में भी असफलिा की आर्ा से भरी र िी ै।

(ग) किवयत्री ने असफलिा के बादलों को सोने के सूत्र से घेरकर रखा ै।

(घ) बादल के बरसने पर वनकलने िाली बू


ँ दों से क्योंवक इनसे नि सृिन ोिा ै।

(3) किवयत्री द्वारा विश्िास, प्रेम और सा स को अपना िीिन साथी बनाकर रखना य वनष्कषश वनकालिा ै

वक

(क) अनुकूल पररजस्थतियाँ सदैि िर् में न ीं र सकिी।

(ख) विपरीि पररजस्थतियों में भी आर्ा का दामन न ीं छोड़ना चाव ए।

(ग) िीिन में व िकारी साथी सदैि साथ ोने चाव ए।

(घ) प्रेम, विश्िास ि सा स की डोर सदैि लिंबी ोिी ै।


(4)‘मुझको सुख-सार वदखािा’ किवयत्री को य अनुभूति कब ोिी ै? और क्यों? समझाइए।

(क) िब लोग सिंसार को साव त्य वि ीन बिािे ैं क्योंवक अब लोगों की साव त्य के प्रति रुतच पूिशिि न ीं र ी

(ख) लोगों द्वारा प्रयोिन ीनिा दर्ाए िाने पर क्योंवक सिंसार सुख से भरा हुआ ै।

(ग) िब किवयत्री विर्ाल सागर को फैले हुए देखिी ै और प्रसन्न ोिी ैं।

(घ) किवयत्री के अनुसार िीिन में केिल खुजर्याँ ी ैं क्योंवक उन्होंने कभी पीड़ा को न ीं देखा।

(5)किवयत्री असफलिाओिं को वकस रूप में स्वीकार करिी ैं ?

(क) प्रसन्निा के साथ ग्र र्ण करिी ैं ।

(ख) िेदनामयी अिस्था में ग्र र्ण करिी ैं।

(ग) तिरस्कृि कर देिी ैं।

(घ) िार् ोकर स्वीकार करिी ैं।

(6)आधुवनक िीिन में भी मनुष्य के सामने अनेक समस्याए


ँ आिी ैं।इस कवििा के माध्यम से समस्याओिं

का समाधान कैसे वकया िा सकिा ै? कवििा में वनव ि सिंदेर् द्वारा स्पि कीजिए।

(क) मनुष्य िार् ोकर स ायिाथश समस्याओिं का ल करने का प्रयास अथक भाि से करे।

(ख) मनुष्य िार् न ो और समस्याओिं का ल करने का प्रयास अथक भाि से करे।

(ग) वनरिंिर प्रयासरि र कर परस्परािलिंब से िीिन पथ पर गतिमान र े।

(घ) सुख और दुख िीिन में आिे िािे र िे ैं।

(7)उत्सा ,उमिंग वनरिंिर

र िे मेरे िीिन में ।

पिंवियों में प्रयुि अलिंकार ै -


(क) रूपक

(ख) अनुप्रास

(ग) श्लेष

(घ) उपमा

(8) कवििा के ललए उपयुि र्ीषशक ै -

(क) सुख और दुख

(ख) मेरा िीिन

(ग) मेरा सुख

(घ) परपीड़ा

यवद आप इस काव्यांर् का चयन करिे ैं िो कृपया उत्तर पुजस्तका में लललखए वक आप प्रश्न सिंख्या 2 में वदए

गए काव्यांर् 2 पर आधाररि प्रश्नों के उत्तर ललख र े ैं।

एक फ़ाइल ने दूसरी फ़ाइल से क ा

ब न लगिा ै

सा ब में छोड़कर िा र े ैं

इसीललए िो सारा काम िल्दी िल्दी वनपटा र े ैं।

मैं बार-बार सामने िािी ह


रोिी ह
ँ , वगड़वगड़ािी ह

करिी ह
ँ विनिी र बार

सा ब िी! इधर भी देख लो एक बार।


पर सा ब ैं वक

कभी मुझे नीचे पटक देिे ैं। कभी पीछे सरका देिे ैं

और कभी-कभी िो

फ़ाइलों के ढेर िले

दबा देिे ैं

अतधकारी बार-बार अ
िं दर झाँक िािा ै

डरिे-डरिे पूछ िािा ै

सा ब क ाँ गए ैं?

स्ताक्षर ो गए...?

दूसरी फ़ाइल ने उसे

प्यार से समझाया

िीिन का नया फलसफा जसखाया

ब न! म यू
ँ ी रोिे ैं

बेकार वगड़वगड़ािे ैं,लोग आिे ैं, िािे ैं

स्ताक्षर क ाँ रुकिे ैं

ो ी िािे ैं।

पर कुछ बािें ऐसी ोिी ैं िो वदखाई न ीं दे िीं

और कुछ आिािें सुनाई न ीं देिी

िैसे फूल लखलिे ैं

और अपनी म क छोड़ िािे ैं। िैसे ी कुछ लोग कागि पर न ीं

वदलों पर स्ताक्षर छोड़ िािे ैं।

(1) सा ब िल्दी-िल्दी काम क्यों वनपटा र े ैं क्योंवक-

(क) कदातचि उनका स्थानांिरर्ण ो गया ै।

(ख) आि का काम कल पर न ीं छोड़ना चा िे ैं।

(ग) कायालय की प्रगति की चचिंिा करिे ैं

(घ) बड़े सा ब कल वनरीक्षर्ण करने िाले ैं


(2) फाइल क्यों रोिी और वगड़वगड़ािी ै?

(क) सा ब की स्वाथशपरिा के कारर्ण

(ख) अपना कायश पूर्णश न ोने की पीड़ा के कारर्ण

(ग ) अकेलेपन की अस नीय पीड़ा के कारर्ण

(घ ) फाइल का स्वभाि रोना और वगड़वगड़ाना ी ै

(3) िीिन के फलसफे के अनुसार वकसी भी पररजस्थति में -

(क) ार न ीं माननी चाव ए।

(ख) विलाप न ीं करना चाव ए।

(ग) ार से सबक सीखना चाव ए।

(घ) िीि ार सभी कुछ अ


िं तिम ैं।

(4) कवििा के अनुसार िो कायश वदखाई- सुनाई न ीं देिे ैं -

(क) िे अस्पििा के कारर्ण बेमानी ोिे ैं

(ख) ि य जर्क्षा देिे ैं वक में एकाग्रतचत्त ोकर सुनना - देखना चाव ए

(ग) िे लोगों पर अपना प्रभाि छोड़ िािे ैं

(घ) िे केिल जसद्ध लोगों को ी प्रभाविि करिे ैं

(5) दूसरी फाइल ने प ली फाइल को क्या समझाया ?

(क) कायश कैसा भी ो समयानुसार ो ी िािा ै

(ख) यवद कायश उतचि ो िभी उसकी पूर्णशिा सिंभि ै

(ग) कायश किा का फल ै इसललए पश्चािाप व्यथश ै

(घ) सकारात्मक र कर ी कायश को पूर्णशिा िक पहु


ँ चाना सिंभि ै
(6) कवििा का सिंदेर् क्या ै ?

(क) लोग िल्दी कायश करने िाले अतधकारी से प्रभाविि ोिे ैं

(ख) परोपकारी कायों से लोग प्रभाविि ोिे ैं

(ग) कायालयों में फाइलों के रूप में कायश लिंवबि र िा ै

(घ) कायालयों में अतधकारी सा ब को ढूँ ़ििे र िे ैं

(7) वकनमें व्य


िं ग्य का भाि जछपा हुआ ै?

(क) सा ब में छोड़कर िा र े ैं

(ख)और अपनी म क छोड़ िािे ैं

(ग) स्ताक्षर क ाँ रुकिे ैं, ो ी िािे ैं

(घ)वदलों पर स्ताक्षर छोड़ िािे ैं

(8)उपयुशि काव्यांर् का उपयुि र्ीषशक क्या ोगा?

(क) हृदय स्पर्श

(ख) िीिन सार

(ग) िीिन दर्शन

(घ) भाग्य ि कमश

प्रश्न 3 वनम्नलललखि प्रश्नों को ध्यानपूिशक पव़िए और उत्तर देने के ललए सिातधक उपयुि विकल्प का चयन

कीजिए। (1×5 =5)

(1) खबर की दृश्यों के अनुपलब्ध ोने की जस्थति में ररपोटशर से वमली िानकाररयों के आधार पर सूचनाए

पहु
ँ चाने िाले का सिंबिंतधि चरर्ण ै-

(क) ड्राई ररपोटश

(ख) ड्राई- दृश्य ीनिा

(ग) ड्राई - वििुअल


(घ) ड्राई-एिंकर

(2) कक्षा बार िीं का छात्र मयिंक रेवडयो सुन र ा था। अचानक कुछ र्ब्द ऐसे आ गए जिनका अथश ि न ीं

समझ पाया। िब िक उसने र्ब्दकोर् में से अथश ढूँ ़िने का प्रयास वकया िब िक समाचार समाप्त ो गए थे।

य जस्थति दर्ािी ै वक-

(क) र्ब्दकोर् में प्रतिपावदि अथश ढूँ ़िना असाध्य ै

(ख) प्रसाररि र्ब्दों की कविनाई का ित्काल कोई वनराकरर्ण न ीं ै

(ग) र्ब्दों का स्थावयत्व अत्य


िं ि लाभदायक जसद्ध ोिा ै

(घ) समाचारों की भाषा सरल ि बोधगम्य ोनी चाव ए

(3) श्रोिाओिं या पािकों को बांध कर रखने की जस्थति में टेलीविज़न सबसे सर्ि माध्यम ै क्योंवक य -

(क) वनयवमि एििं वनरिंिर प्रसाररि ोिा ै

(ख) अतधक प्रामालर्णक वद्वरेखीय माध्यम ै

(ग) समाचारों के पुविकरर्ण का कायश करिा ै

(घ) दृश्य एििं श्रव्य सुविधा प्रदान करिा ै

(4) कवििा की अनिानी दुवनया का सबसे प ला उपकरर्ण ै-

(क) मेलिोल

(ख) र्ब्द

(ग) अथश

(घ) अलिंकार

(5)'कवि की िैयविकिा में सामाजिकिा वमली ोिी ै' य कथन वनरूवपि करिा ै

(क) सामाजिक कुरीतियाँ

(ख) सामाजिक समरसिा

(ग) समाििादी अरािकिा

(घ) सामाजिक असमथशिा


प्रश्न 4वनम्नलललखि काव्यांर् पर आधाररि वदए गए पाँच प्रश्नों के स ी उत्तर िाले विकल्प चुवनए - (1×5 =5)

और य कैलेंडर से मालूम था

अमुक वदन अमुक बार मदन म ीने की ोिेगी पिंचमी

दफ्तर में छुट्टी थी- य था प्रमार्ण

और कवििाए
ँ प़ििे र ने से य पिा था

वक द र-द र द केंगे क ीं ढाक के ििंगल आम बौर आिेंगे

रिंग-रस-गिंध से लदे-फ
ँ दे दूर के विदेर् के

िे निंदन-िन ोिेंगे यर्स्वी मधुमस्त वपक भौर आवद अपना-अपना कृतित्व

अभ्यास करके वदखायेंगे

य ी न ीं िाना था वक आि के नगण्य वदन िानू


ँ गा

िैसे मैंने िाना, वक िसिंि आया।

(1)'और कवििाए
ँ प़ििे र ने से - - - - - - - आम बौर आिेंगे' में वनव ि व्य
िं ग्य कौन से विर्ेष िगश को चयवनि

करके क ा गया ै -

(क) िन सिंरक्षर्ण विभाग

(ख) बौद्तधक िगश

(ग) पयािरर्ण विभाग

(घ)पूिंिीपति िगश

(2) कवि द्वारा िसिंि पिंचमी के ोने का प्रमार्ण छुट्टी बिाया िाना इस बाि का समथशन करिा ै वक

(क) ि दफ्तर में एक प्रतिवष्ठि ि िागरूक अतधकारी ै।

(ख) ि दफ्तर में िारी हुई प्रत्येक सूचना को ध्यानपूिशक प़ििा ै।

(ग) ि उत्सुकिािर् कैलेंडर में छुवट्टयाँ देखिा र िा ै।

(घ) ि एकाकी और सिंकुतचि स्वभाि िाला बन गया ै।


(3) िसिंि के आने पर प्रकृति में क्या ोिा ै ?

(क) ढाक के िन द रने लगिे ैं िथा आम में बौर आ िािा ै।

(ख) आम में बौर आ िािा ै िथा कैलेंडर फड़फड़ाने लगिा ै

(ग) आम में बौर आ िािा ै िथा दफ़िर में छुट्टी ोिी ै

(घ) ढाक के िन द रने लगिे ैं िथा कैलेंडर फड़फड़ाने लगिा ै

(4) ' िे निंदन-िन ोिेंगे यर्स्वी

मधुमस्त वपक भौंर आवद अपना-अपना कृतित्व अभ्यास करके वदखािेंगे '

पिंवियों द्वारा आकलन वकया िा सकिा ै वक

(क) कोयल और मस्त भ


ँ िरे िसिंि के आगमन पर प्रफुलिि ोकर अपने गीि गाए
ँ गे।

(ख) नि सृिन और रचनात्मक लेखन की अत्यतधक आिश्यकिा ै।

(ग) कविगर्ण विदेर्ों में भ


ँ िरे और कोयल की अदाओिं की प्रस्तुति द्वारा लाभ प्राप्त करेंगे।

(घ) कवि ने कोयल और भ


ँ िरे की स ि भिंवगमाओिं का सूक्ष्म अिलोकन वकया ै।

(5) 'द र-द र द केंगे' में वकस अलिंकार का प्रयोग ै ?

(क) अनुप्रास, उपमा

(ख) पुनरुविप्रकार्, अनुप्रास

(ग) पुनरुविप्रकार्, उपमा

(घ) उत्प्रेक्षा, अनुप्रास

प्रश्न 5 वनम्नलललखि पविि गद्यांर् पर आधाररि वदए गए पाँच प्रश्नों के स ी उत्तर िाले विकल्प चुवनए - (1×5

=5)
चौधरी सा ब से िो अब अिी िर पररचय ो गया था। अब उनके य ाँ मेरा िाना एक लेखक की ैजसयि

से ोिा था। म लोग उन्हें एक पुरानी चीज़ समझा करिे थे। इस पुराित्व की दृवि में प्रेम और कुिू ल का

एक अद्भुि वमश्रर्ण र िा था। य ाँ पर य क देना आिश्यक ै वक चौधरी सा ब एक खासे ह िं दुस्तानी

रईस थे। िसिंि पिंचमी, ोली इत्यावद अिसरों पर उनके य ाँ खूब नाचरिंग और उत्सि हुआ करिे थे। उनकी र

एक अदा से ररयासि और िबीयिदारी टपकिी थी। क


िं धों िक बाल लटक र े ैं। आप इधर से उधर ट ल

र े ैं। एक छोटा-सा लड़का पान की िश्िरी ललए पीछे-पीछे लगा हुआ ै। बाि की काँट-छाँट का क्या

क ना ै! िो बािें उनके मु
ँ से वनकलिी थी, उनमें एक विलक्षर्ण िक्रिा र िी थी। उनकी बािचीि का ढिंग

उनके लेखों के ढिंग से एकदम वनराला ोिा था।नौकरों िक के साथ उनका सिंिाद सुनने लायक ोिा था।

अगर वकसी नौकर के ाथ से कभी कोई वगलास िगैर वगरा िो उनके मु


ँ से य ी वनकला वक "कारे बचा ि

ना ीं"।

(1) "इस पुराित्व की दृवि में प्रेम और कुिू ल का एक अद्भुि वमश्रर्ण र िा था।"

इस कथन का औतचत्य बिाइए।

(क) प्रेम और उत्सुकिा का अद्भुि वमश्रर्ण लेखक मिंडली में वदखाई देिा था।

(ख) उपाध्याय बद्रीनारायर्ण चौधरी को पुराित्व की अिी िानकारी थी।

(ग)लेखक मिंडली की आयु उपाध्याय बद्रीनारायर्ण चौधरी से बहुि अतधक थी।

(घ)लेखक मिंडली चौधरी सा ब को पुराने विचारों िाला आदमी समझिी थी।

(2) उनकी र एक अदा से ररयासि और िबीयिदारी टपकिी थी इसका अतभप्राय ै वक -

(क) पिंवडि उमार्िंकर वद्विेदी एक बहुि बड़ी ररयासि के माललक थे।

(ख) लेखक और उसके सातथयों को बड़ी ररयासि प्राप्त हुई थी।

(ग) उनके पास बहुि बड़ी ररयासि थी और िबीयि िीक न ीं र िी थी ।

(घ) कायश व्यि ार से ररयासि और िबीयिदारी की झलक वमलिी थी।

(3) चौधरी सा ब कैसे व्यवि थे ?

(क) खासे ह िं दुस्तानी रईस, क


िं धों िक बालों िाले

(ख) क्रोधी स्वभाि के, क


िं धों िक बालों िाले

(ग) क
िं धों िक बालों िाले, स्वाथी

(घ) स्वाथी, खासे ह िं दुस्तानी रईस


(4)"कारे बचा ि ना ीं"। क ने से चौधरी सा ब प्रदर्र्शि करिे ैं वक िे

(क) नौकर से वगलास टू टने पर क्रोतधि ो र े ैं

(ख) नौकरों को बहुि डाँट -डपटकर रखिे ैं।

(ग) िस्तुओिं का नुकसान स न न ीं करना चा िे ैं।

(घ) विलक्षर्णिा और चुटीलापन िैसे विर्ेष गुर्णों के स्वामी ैं।

(5) गद्यांर् के अनुसार एक छोटा - सा लड़का पान की िश्िरी ललए चौधरी सा ब के पीछे पीछे लगा हुआ

ै। अनुमान के आधार पर बिाइए वक य लड़का कौन ो सकिा ै? ििशमान सिंदभश में य वकस अिस्था को

दर्ािा ै।

(क) चौधरी सा ब का बेटा, वपिृभवि

(ख) चौधरी सा ब का भाई, भािृप्रेम

(ग) चौधरी सा ब का नौकर, बाल मज़दूरी

(घ) चौधरी सा ब का प्रर्िंसक, साव त्य प्रेम

प्रश्न 6 वनम्नलललखि छ भागों में से वकन्ही चार प्रश्नों के स ी उत्तर िाले विकल्प चुवनए - (1×4=4)

(1)बालक के द्वारा य क े िाने पर वक 'मैं यािज्जन्म लोकसेिा करू


ँ गा' दर्ािा ै वक ि -

(क) लोक सेिा करना चा िा था।

(ख) जसखाया हुआ उत्तर दे र ा था।

(ग) लड्डू खाना चा िा था।

(घ) ढेले चुनकर उत्तर दे र ा था।

(2) सिंिवदया क ानी का प्रतिपाद्य ै -

(क) सिंिाद का म त्व


(ख) मानिीय सिंिेदना

(ग) ग्रामीर्ण िीिन

(घ) ज़मीन का ब
ँ टिारा

(3) 'सिंिाद क िे िि बड़ी बहुररया की आँ खें छलछला आईं थीं। रगोवबन सोच र ा था वक वकस मु
ँ से ि

ऐसा सिंिाद सुनाएगा। '

पिंवियों में समाव ि भाि क्रमर्ः प्रदर्र्शि करिे ैं -

(क) अनुरवि एििं कर्मकर्

(ख) सिंिाप एििं हक


िं किशव्यविमू़ििा

(ग)हक
िं किशव्यविमू़ििा एििं अनुरवि

(घ) आश्रय एििं सिंिाप

(4)आर्ा को बािली क ने से कवि ियर्िंकर प्रसाद का मिंिव्य ै -

(क) आर्ा व्यवि को काल्पवनक सुख में भरमाए र िी ै।

(ख) देिसेना बािली ो गई थी।

(ग) आर्ा सिंघषश में िीिन व्यिीि करिी ै।

(घ) आर्ा देिसेना के रथ पर सिार ै।

(5) कानेललया का गीि कवििा में 'उड़िे खग' वनम्नलललखि में से वकस विर्ेष अथश की व्य
िं िना करिे ैं -

(क) प्राकृतिक सौंदयश को देख व्यवियों का आनिंवदि ोना।

(ख) पिंख फैलाकर उड़िे पजक्षयों का समू ।

(ग) देर् के बा र से आए हुए व्यवियों का समू ।

(घ) देर् के बा र से आए हुए पजक्षयों का समू ।


(6) िोड़ो िोड़ो िोड़ो

ये पत्थर ये चट्टानें

उपयुशि पिंवियों में पत्थर और चट्टानें वकसका प्रिीक ैं?

(क) प्रकृति

(ख) पररश्रम

(ग) िसिंि

(घ) बाधाए

प्रश्न 7 वनम्नलललखि पाँच भागों में से वकन्ही िीन प्रश्नों के स ी उत्तर िाले विकल्प चुवनए - (1×3 =3)

(1) 'चूल् ा ििंडा वकया ोिा िो दुश्मनों का कलेिा कैसे ििंडा ोिा' के माध्यम से सूरदास सिंकेिात्मक रूप से

वकसे तचजिि कर र ा ै?

(क)गाँि के लोगों को

(ख)िगधर को

(ग)भैंरों को

(घ)वमिु आ को

(2) रूप ने क ा वक आप य ाँ अकेले ैं िबवक भूप ऐसा म सूस न ीं करिे ैं क्योंवक िे

(क) प ाड़ों पर च़िाई करने में अत्यतधक वनपुर्ण थे।

(ख) ि ाँ स्वातभमान का िीिन व्यिीि कर र े थे।

(ग) स्विनों और भूधरों से ग री आत्मीयिा रखिे थे।


(घ) अपनी पत्नी और मिेजर्यों के साथ र िे थे।

(3) ' म सौ लाख बार बनाए


ँ गे 'इस कथन के सिंदभश में लेखक ने कौन से िीिन मूल्यों को स्थावपि वकया ै -

(क) गरीबी एििं आत्मविश्िास

(ख) िुझारूपन एििं आर्ािादी

(ग) दृवि ीनिा एििं नैराश्य

(घ)स नर्ीलिा एििं सिंिेदन ीन

(4) आरो र्ण क ानी की मूल सिंिेदना ै -

(क) पिशिीय लोगों के िीिन की अनुकूल पररजस्थतियाँ

(ख) भूस्खलन में अपनों को खोने के बाद भी अनुपम पिशि प्रेम

(ग) पररश्रमर्ीलिा, आत्मसिान एििं पिशि प्रेम

(घ) नौकरी के कारर्ण गाँि छोड़ने की मिबूरी

(5) तभखाररयों के ललए धन सिंचय पाप सिंचय से कम अपमान की बाि न ीं ै।

अनुमान के आधार पर बिाइए सूरदास ने ऐसा क्यों क ा ोगा?

(क) ग्रिंथों में धन सिंचय को पाप सिंचय माना िाने के कारर्ण

(ख) ग्रामीर्ण सामाजिक दृविकोर्ण के कारर्ण

(ग) पूिंिीपति व्यिस्था के प्रति अनादर के कारर्ण

(घ) उसकी चेिना िागृि ो िाने के कारर्ण

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