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प्रतिदर्श प्रश्नपत्र 2021-22 सत्र - एक

िं ी (कोड 085)
विषय ह द

समय:1घिंटा30मिनट पूर्ाांक : 40

सामान्य तनदे र्:

● *इस प्रश्न पत्र में तीन ख


ं ड हैं- ख
ं ड 'क', 'ख' और 'ग'

● *ख
ं ड 'क' में कुल 2 प्रश्न पूछे गए हैं। दोनों प्रश्नों के कुल 20 उपप्रश्न ददए गए हैं। ददए गए दनदे शों का

पालन करते हुए कुल 10 उपप्रश्नों के उत्तर दीजिए।

● *ख
ं ड 'ख' में 4 प्रश्न हैं तथा इन सभी के 21 उपप्रश्न हैं। इनमें से दनदे शानुसार 16 उपप्रश्नों के उत्तर दीजिए।

● ख
ं ड 'ग' में कुल 3 प्रश्न हैं तथा 14 उपप्रश्न सदिललत हैं सभी उपप्रश्नों के उत्तर दीजिए।

खिंड'क'अपहिि गदयािंर् (10 अंक)

प्रश्न 1. नीचे दो गद्यंश ददए गए हैं। ककसी एक गद्यंश को ध््यनपर्


ू वक पद़िए और उस पर आधयररत प्रश्नों के उत्तर

सही वर्कल्प चुनकर दीजिए. (1x5-5)

्दद आप इस गद्यंश कय च्न करते हैं तो कृप्य उत्तर पुजततकय में लिखिए कक आप प्रश्न संख््य 1 में ददए गए

गद्यंश-1 पर आधयररत प्रश्नों के उत्तर लिि रहे हैं।

अच्छय नयगररक बनने के लिए भयरत के प्रयचीन वर्चयरकों ने कुछ नन्मों कय प्रयर्धयन कक्य है। इन नन्मों में र्यणी

और व््र्हयर की शुदधध, कतवव्् और अधधकयर कय समुधचत ननर्यवह, शुदधतम पयरतपररक सदभयर् और सेर्य की भयर्नय

आदद नन्म बहुत महत्र्पूणव मयने गए हैं। ्े सभी नन्म ्दद एक व््जतत के चयररत्रिक गुणों के रूप में भी अननर्य्व
मयने ियएँ तो उसकय अपनय िीर्न सुिी और आनंदम् हो सकतय है। सभी गुणों कय वर्कयस एक बयिक में ्दद उसकी

बयल््यर्तथय से ही कक्य ियए तो र्ह अपने दे श कय श्रेष्ठ नयगररक बन सकतय है । इन गण


ु ों के कयरण र्ह अपने पररर्यर,

आस पड़ोस, वर्द्यि् में अपने सहपयदठ्ों एर्ं अध््यपकों के प्रनत ्थोधचत व््र्हयर कर सकेगय।

र्यणी एर्ं व््र्हयर की मधुरतय सभी के लिए सुिदय्क होती है, समयि में हयददव क सदभयर् की र्ृदधध करती है ककं तु

अहंकयरहीन व््जतत ही जतनग्ध र्यणी और लशष्ट व््र्हयर कय प्र्ोग कर सकतय है। अहंकयरी और दं भी व््जतत सदय
अलशष्ट र्यणी और व््र्हयर कय अभ््यसी होतय है । जिसकय पररणयम ्ह होतय है कक ऐसे आदमी के व््र्हयर से समयि
में शयंनत और सौहयदव कय र्यतयर्रण नहीं बनतय।

जिस प्रकयर एक व््जतत समयि में रहकर अपने व््र्हयर से कतवव्् और अधधकयर के प्रनत सिग रहतय है,उसी तरह दे श

के प्रनत भी उसकय व््र्हयर कतवव्् और अधधकयर की भयर्नय से भयवर्त रहनय चयदहए। उसकय

ू रों को करने दे , जिसमें दे श के सम्मयन, संपवत्त


कतवव्् हो ियतय है कक न तो र्ह तर््ं कोई ऐसय कयम करे और न ही दस

और तर्यलभमयन को ठे स िगे।
समयि एर्ं दे श में शयंनत बनयए रिने के लिए धयलमवक सदहष्णुतय भी बहुत आर्श््क है। ्ह र्वृ त्त तभी आ सकती है िब
व््जतत संतुलित व््जततत्र् कय हो। र्ह आंतररक र् बयहरी संघर्व से परे सयमयजिकतय की अनुभूनत से पररपूणव व््जततत्र्
होनय चयदहए।

ननम्नलिखित में से ननदे शयनस


ु यर सर्यवधधक उप्त
ु त वर्कल्पों कय च्न कीजिए।
(1)गद्यंश के संदभव में अच्छय नयगररक बनने के लिए नन्मों कय प्रयर्धयन आर्श््क है, त्ोंकक ्ह -

(क) तर्तंितय को ब़ियर्य दे तय है जिससे र्यतयर्रण को शांतत से पररपूर्ण करता है।

(ि) व््जततत्र् को ननियरकर िीर्न को आमोद - प्रमोद से पररपण


ू व करतय है ।

(ग) व््जततत्र् को ननियरकर िीर्न को सुि और मंगिकयमनय से पररपूणव करतय है।

(घ) व््जतत को अहंकयर, जतनग्ध र्यणी और लशष्ट व््र्हयर से पररपूणव करतय है ।

(2) र्यणी एर्ं व््र्हयर की मधुरतय सभी के लिए सुिदय्क होती है। इस कथन के लिए उप्ुतत तकव है -

(क) दे श के सम्मयन, संपवत्त और तर्यलभमयन को ठे स पहुँचती है ।

(ि) दे श र् समयि में शयंनत और सौहयदव कय र्यतयर्रण नहीं बनतय।

(ग)कतवव्् और अधधकयर कय समधु चत ननर्यवह बहुत आर्श््क है ।

(घ) समयि में हयददवक सदभयर् की र्ृदधध और सुि की प्रनतष्ठय होती है।
(3) अहंकयरी और दं भी व््जतत सदय अभ््यसी होतय है -

(क) अलशष्ट र्यणी और व््र्हयर कय

(ि) मधुर एर्ं अलशष्ट व््र्हयर कय

(ग) अजशष्ट र्यणी एर्ं व््र्हयर की शद


ु धध कय

(घ) जतनग्ध र्यणी और अलशष्ट व््र्हयर कय

(4)संतलु ित व््जततत्र् से तयत्प्व है -

(क) आंतररक र् बयहरी संघर्व से संपूणव सयमयजिकतय की अनुभूनत से पररपूणव व््जततत्र्

(ि) दे श में पूणवतः आदशव नयगररक कय व््र्हयर करने र्यिय सुिदय्क व््जततत्र्

(ग) आंतररक र् बयहरी संघर्व से रदहत संपूणव सयमयजिकतय की अनुभूनत से पररपूणव व््जततत्र्

(घ) कतवव्् और अधधकयर के प्रनत सिग रहने र्यिय भयर्क


ु प्रर्वृ त्त से पररपण
ू व व््जततत्र्

(5) धयलमवक सदहष्णुतय की तथयपनय आर्श््क है त्ोंकक इससे -

(क) अधधकयर और कतवव्् पर वर्ि् प्रयप्त हो ियएगी।

(ि) दे श की संपवत्त को नुकसयन नहीं पहुँचेग य ।

(ग) भयरती् संवर्धयन की प्रनतष्ठय बनी रहेगी ।

(घ) समयि एर्ं दे श में शयंनत व््र्तथय बनी रहेगी ।

अथर्य
्दद आप इस गद्यंश कय च्न करते हैं तो कृप्य उत्तर पुजततकय में लिखिए कक आप प्रश्न संख््य 1 में ददए गए

गद्यंश-2 पर आधयररत प्रश्नों के उत्तर लिि रहे हैं।

नीचे ददए गए गद्यंश को ध््यनपूर्वक पद़िए और उस पर आधयररत प्रश्नों के उत्तर सही वर्कल्प चुनकर लिखिए।

बड़य बनने के लिए हमें वर्शयि कयम करने की ज़रूरत नहीं होती, बजल्क प्रत््ेक कयम में वर्शयितय के धचह्न िोिने

पड़ते हैं। अपने अंतमवन में सदै र् जिज्ञयसय को िन्म दे नय होतय है। दनु न्य में ज्ञयन कय िो बोिबयिय है, उसमें हमयरे

कौतह
ू ि की केंद्री् भलू मकय है। अल्बटव आइंतटीन ने एक बयर अपने सयक्षयत्कयर में कहय थय कक हमयरी जिज्ञयसय ही हमयरे
अजततत्र् कय आधयर है। त्रबनय प्रश्न के हमयरे िीर्न में न गनत आएगी और न कोई रस होगय िब हम धचंतन करते हैं,

तब नई बयतें सयमने आती हैं। सर्यि करने कय ही पररणयम है कक नई तकनीक ऑटोमेशन और आदटवकिलश्ि

इंटेलििेंस िैसी चीिें आि दनु न्य में आ रही हैं । िब हम कहते हैं त्ों, कैसे, त्य, तब हमयरे अंदर की तनय्ु प्रयण

ऊियव और संकल्प एक नई गनत और उत्सयह के सयथ नर्ीनतय की ्यिय करने िगते हैं।

हमें इस दनु न्य की इतनी आदत पड़ चुकी है कक - िीक से हटकर सोचनय नहीं चयहते। कोई वर्लभन्नतय नहीं, न ही कोई

नर्ीनतय है। ्ह कैसय िीर्न है , जिसमें कोई कौतूहि नहीं कोई आश्च्व नहीं ? इस िगत में हमयरी जतथनत एक कीटयणु

्य वर्र्यणु की तरह है, िो अपनी सि


ु म्ी व््र्तथय में पड़े रहते हैं। िेककन िो तर्तंि होते हैं, र्े हृद् की आर्यज़ सन
ु ते
हैं। िो बड़य होनय चयहते हैं, इस दनु न्य और इसकी प्रत््ेक घटनय, र्ततु एर्ं जतथनत पर अपनय आश्च्व प्रकट करते हैं।

प्रत््ेक घटनय और र्ततु से परे हटकर सोचने और उसको दे िने की कोलशश िो करते हैं, ्ही बड़य बनते हैं। जिज्ञयसु

मन और बद
ु धध ही दशवन और वर्ज्ञयन की दनु न्य बनयते हैं।

ननम्नलिखित में से ननदे शयनुसयर सर्यवधधक उप्ुतत वर्कल्पों कय च्न कीजिए।

(1) प्रत््ेक कयम में वर्शयितय के धचह्न िोिने से िेिक कय अलभप्रय् है -

(क) बड़ी सोच व््जतत को बड़य बनने की प्रेरणय दे ती है ।

(ि) प्रत््ेक कयम को महत्र् दे कर गहरयई से समझें।

(ग) प्रत््ेक कयम को करने के लिए सदै र् तत्पर रहें ।

(घ) प्रत््ेक कयम कय आयोिन बडे पैमाने पर करें ।

(2)अजततत्र् शब्द कय अथव है -

(क)वर्द्मयनतय

(ि) जिज्ञयसु प्रर्वृ त्त

(ग) गनतमयन

(घ) नर्ीनतय

(3)नर्ीनतय की ्यिय करने से हम परं परयगत प्रणयलि्ों से वर्मि


ु हो रहे हैं। नर्ीनतय के पक्षधर के रूप में इसकी

आर्श््कतय के लिए उप्ुतत तकव है-

(क) हमयरी मयनलसक जतथनत एक कीटयणु ्य वर्र्यणु की तरह है ।

(ि)हमयरे शयरीररक, मयनलसक, चयररत्रिक र् रयष्री् वर्कयस के लिए है ।


(ग) िो तर्तंि मयनलसकतय र्यिे होते हैं, र्े दस
ू रों की आर्यज़ सुनते हैं।

(घ) िब हम धचंतन करते हैं, तब नई बयतें सयमने आती हैं।

(4)िीक से हटकर सोच को वर्कलसत करने के लिए आर्श््क है -

(क)सुिम् व््र्तथय

(ि)हृद् की आर्यज़ सुननय

(ग) अंतमवन में सदै र् जिज्ञयसय

(घ) दशवन और वर्ज्ञयन की दनु न्य

(5)जिज्ञयसय ही हमयरे अजततत्र् के आधयर की पररचय्क है त्ोंकक ्ह -

(क) व्यदि को नए िमाने का वैज्ञादनक दशाती है।

(ि) शारीररक व मानजसक रूप से दियाशील रखती है।

(ग) आर्टणदिजशयल इंटेललिेंस की उपयोदगता दशाती है।

(घ) दवश्वव्यापी स्तर पर जथथतत दनर्धाररत करती है।

प्रश्न 2 नीचे दो गद्यंश ददए गए हैं। ककसी एक गद्यंश को ध््यनपर्


ू वक पद़िए और उस पर आधयररत प्रश्नों के उत्तर

सही वर्कल्प चुनकर दीजिए. (1x5-5)

्दद आप इस गद्यंश कय च्न करते हैं तो कृप्य उत्तर पुजततकय में लिखिए कक आप प्रश्न संख््य 2 में ददए गए

गद्यंश-1 पर आधयररत प्रश्नों के उत्तर लिि रहे हैं।

ियनर्रों में गधय सबसे बुदधधहीन समझय ियतय है हम िब ककसी आदमी को पहिे दिे कय बेर्कूि कहनय चयहते हैं तो

उसे गधय कहते हैं। गधय सचमुच बेर्कूि है ्य उसके सीधेपन, उसकी ननरयपद सदहष्णुतय ने उसे ्ह पदर्ी दे दी है ,

इसकय ननश्च् नहीं कक्य िय सकतय। गय्ें सींग मयरती हैं, ब््यई हुई गय् तो अनय्यस ही लसंहनी कय रूप धयरण कर

िेती है। कुत्तय भी बहुत गरीब ियनर्र है, िेककन कभी-कभी उसे भी क्रोध आ ही ियतय है, िेककन गधे को कभी क्रोध

करते नहीं सुनय, न दे िय। जितनय चयहो उसे मयरो, चयहे िैसी िरयब सड़ी हुई घयस सयमने डयि दो, उसके चेहरे पर कभी

असंतोर् की छय्य भी न ददियई दे गी। र्ैशयि में चयहे एकयध बयर कुिेि कर िेतय हो; पर हमने तो उसे कभी िश
ु होते
नहीं दे िय। उसके चेहरे पर एक तथय्ी वर्र्यद छय्य रहतय है ।
सुि-दि
ु , हयनन-ियभ ककसी दशय में भी उसे बदिते नहीं दे िय। ऋवर्- मुनन्ों के जितने गुण हैं, र्ह सभी उसमें परयकयष्ठय

को पहुँच गए हैं, पर आदमी उसे बेर्कूि कहतय है। सदगुणों कय इतनय अनयदर कहीं नहीं दे िय। कदयधचत सीधयपन संसयर

के लिए उप्त
ु त नहीं है।
(1) िेिक ्ह ननश्च् नहीं कर पयतय कक गधय बेर्कूि है ्य सीधय त्ोंकक उसके अनुसयर -

(क) गधय अपने - परय्े की भयर्नय से परे है

(ि) गधय क्रोध र् कुिेि नहीं करतय है

(ग) गधय सीधय र् सदहष्णु होतय है

(घ) गधे के चेहरे पर हर्ण व वर्र्यद होतय है

(2) गधे में ऋवर्-मुनन्ों के कौन-कौन से गुण दे िने को लमिते हैं ?

(क) िप-तप करनय

(ि) समयनतय कय भयर्

(ग) असंतोर् की भयर्नय

(घ) कुिेि करनय

(3) आश् तपष्ट कीजिए-'उसके चेहरे पर एक तथय्ी वर्र्यद छय्य रहतय है।'

(क) गधय सदै र् चुप रहतय है , उसे िुश होते हुए कभी नहीं दे िय ग्य

(ि) गधे को बहुत बोझ ढोनय पड़तय है, इसी कयरण र्ह थक ियतय है

(ग) आदमी दर्यरय दव्ु ्वर्हयर करने र् बेर्कूि कहने के कयरण गधय दि
ु ी है

(घ) गधे के प्रसन्न मि


ु पर सदय जतथर संतोर् छय्य रहतय है

(4)गद्यंश में प्र्ुतत शब्दों ' छय्य, ननश्च्,अनय्यस' के लिए क्रमशः उधचत वर्िोम शब्द हैं -

(क)असंतोर्, अननश्च्, प्र्यस

(ि) शीतितय , अननश्च्, सय्यस

(ग)धूप, अननश्च्, सय्यस

(घ) र्क्ष
ृ , अननश्च्, प्र्यस

(5) 'सीधयपन संसयर के लिए उप्ुतत नहीं है।' िेिक कय ्ह कथन व््तत करतय है कक -

(क) उनका गधे के प्रनत गहरय िगयर् है ।


(ि) समयि में गधे को भी तथयन लमिनय चादहए ।

(ग) गधय ननरयपद सदहष्णु, सीधय-सयदय होतय है।

(घ) वे सदगुणों के अनयदर के लिए धचंनतत हैं ।

अथर्य

्दद आप इस गद्यंश कय च्न करते हैं तो कृप्य उत्तर पुजततकय में लिखिए कक आप प्रश्न संख््य 2 में ददए गए

गद्यंश-2 पर आधयररत प्रश्नों के उत्तर लिि रहे हैं।

नीचे ददए गए गदद्यंश को ध््यनपूर्वक पद़िए और उस पर आधयररत प्रश्नों के उत्तर सही वर्कल्प चुनकर लिखिए

ू व प्रश्न है । त्य सयदहत्् शयश्र्त होतय है ? ्दद हयँ, तो ककस मय्ने में ?
सयदहत्् की शयश्र्ततय कय प्रश्न एक महत्र्पण

त्य कोई सयदहत्् अपने रचनयकयि के सौ र्र्व बीत ियने पर भी उतनय ही प्रयसंधगक रहतय है , जितनय र्ह अपनी रचनय

के सम् थय? अपने सम् ्य ्ुग कय ननमयवतय सयदहत््कयर त्य सौ र्र्व बयद की पररजतथनत्ों कय भी ्ुग-ननमयवतय हो

सकतय है । सम् बदितय रहतय है, पररजतथनत्यँ और भयर्बोध बदिते हैं, सयदहत्् बदितय है और इसी के समयनयंतर

पयठक की मयनलसकतय और अलभरुधच भी बदिती है। अतः कोई भी कवर्तय अपने सयमन्क पररर्ेश के बदि ियने पर

ठीक र्ही उत्तेिनय पैदय नहीं कर सकती, िो उसने अपने रचनयकयि के दौरयन की होगी। कहने कय तयत्प्व ्ह है कक एक

वर्शेर् प्रकयर के सयदहत्् के श्रेष्ठ अजततत्र् मयि से र्ह सयदहत्् हर ्ुग के लिए उतनय ही वर्शेर् आकर्वण रिे, ्ह

आर्श््क नहीं है। ्ही कयरण है कक र्तवमयन ्ुग में इंगिय वपंगिय, सुर्ुम्नय, अनहद नयद आदद पयररभयवर्क शब्दयर्िी

मन में वर्शेर् भयर्ोत्तेिन नहीं करती। सयदहत्् की श्रेष्ठतय मयि ही उसके ननत्् आकर्वण कय आधयर नहीं है। उसकी

श्रेष्ठतय कय ्ुग्ुगीन आधयर हैं,र्े िीर्न मूल्् तथय उनकी अत््ंत कियत्मक अलभव््जतत्यँ िो मनुष्् की तर्तंितय

तथय उच्चतर मयनर्-वर्कयस के लिए पथ-प्रदशवक कय कयम करती हैं। पुरयने सयदहत्् कय केर्ि र्ही श्री-सौंद्व हमयरे

लिए ग्रयह्् होगय, िो नर्ीन िीर्न-मूल््ों के वर्कयस में सकक्र् सह्ोग दे अथर्य जतथनत रक्षय में सहय्क हो। कुछ

िोग सयदहत्् की सयमयजिक प्रनतबदधतय को अतर्ीकयर करते हैं। र्े मयनते हैं कक सयदहत््कयर ननरपेक्ष होतय है और उस

पर कोई भी दबयर् आरोवपत नहीं होनय चयदहए। ककं तु र्े भूि ियते हैं कक सयदहत्् के ननमयवण की मूि प्रेरणय मयनर्-िीर्न

में ही वर्द्मयन रहती है । िीर्न के लिए ही उसकी सजृ ष्ट होती है। तुिसीदयस िब तर्यंतः सुिय् कयव््-रचनय करते

हैं, तब अलभप्रय् ्ह नहीं रहतय कक मयनर्-समयि के लिए इस रचनय कय कोई उप्ोग नहीं है, बजल्क उनके अंत:करण

में संपूणव संसयर की सुि भयर्नय एर्ं दहत कयमनय सजन्नदहत रहती है। िो सयदहत््कयर अपने संपूणव व््जततत्र् को

व््यपक िोक िीर्न में सजन्नवर्ष्ट कर दे तय है, उसी के हयथों तथय्ी एर्ं प्रेरणयप्रद सयदहत्् कय सि
ृ न हो सकतय है।

(1) सयदहत्् की श्रेष्ठतय कय ननधयवरण सुननजश्चत करता है दक वह


(क) व््जतत को बहुमुखी प्रततभा का र्धनी बनाता है।

(ि) लोक व्यवहार की पराकाष्ठा पर प्रततदिया देता है।

(ग) सयंतकृनतक र् ऐनतहयलसक वर्रयसत को बयधधत करतय है।


(घ) पथ-प्रशतत कर मूल््ों कय समयर्ेशन करके किय भयर् िगयतय है।

(2) नर्ीन िीर्न- मूल््ों के वर्कयस में सकक्र् सह्ोग से आश् है-

(क) तर्यंतः सुिय् की कयमनय कर आगे ब़िनय

(ि) श्री-सौंद्व को प्रयथलमकतय दे कर आगे ब़िनय

(ग) नर्यचयर र् मूल््ों को आत्मसयत कर आगे ब़िनय

(घ) र्तवमयन में सयदहत्् के मयध््म से आगे ब़िनय

(3) 'कोई सयदहत्् अपने रचनय कयि के सौ र्र्व बीत ियने पर भी उतनय ही प्रयसंधगक रहतय है ।'

कथन के आधयर पर उधचत तकव है -

(क) सयदहत्् की श्रेष्ठतय मयि ही उसके ननत्् आकर्वण कय आधयर नहीं है ।

(ि) संपूणव सादहत्य कय तथय्ी र् तपष्ट आधयर नहीं है।

(ग) िोक कल््यणकयरी , तथय्ी एर्ं प्रेरणयप्रद सयदहत्् होने की दशय में

(घ) पयररभयवर्क शब्दयर्िी दर्यरय तपष्टीकरण करने की दशय में

(4)'सयदहत््कयर ननरपेक्ष होतय है और उस पर कोई भी दबयर् आरोवपत नहीं होनय चयदहए।' कथन ककस

मनोर्वृ त्त को प्रकट करतय है -

(क) सयमयजिक कय्वकतयव की वर्चयरधयरय

(ि)सयदहत्् की शयश्र्त कक्र्यशीि वर्चयरधयरय

(ग)समयि के प्रनत र्चनबदधतय कय अभयर्

(घ) ननरपेक्ष व््जतत्ों की सकयरयत्मकतय

(5)गद्यंश में प्र्ुतत मयनर्िीर्न समतत पद कय वर्ग्रह एर्ं समयस भेद होगय -

(क) मयनर् ्य िीर्न - दर्ंदर् समयस

(ि) मयनर् कय िीर्न- तत्पुरुर् समयस

(ग) मयनर् रूपी िीर्न- दवर्गु समयस


(घ) मयनर् िो िीर्न िीतय है -अव्््ीभयर् समयस

खिंड 'ख' व्याि ारिक व्याकिर्

प्रश्न 3 ननम्नलिखित पयँच भयगों में से ककन्ही चयर प्रश्नों के सही उत्तर र्यिे वर्कल्प चुननए - (1×4 =4)

(1)' ततयँरय की तिर्यर एक वर्िक्षण रहत् थी।' इस र्यत् में से संज्ञय पदबंध छयँदटए।

(क) तिर्यर एक

(ि) ततयँरय की तिर्यर

(ग) रहत् थी

(घ) वर्िक्षण रहत्

(2)'कबूतर परे शयनी में इधर-उधर िड़िड़य रहे थे।'

रे ियंककत पदबंध कय प्रकयर है -

(क) सर्वनयम पदबंध

(ि) कक्र्य पदबंध

(ग) कक्र्यवर्शेर्ण पदबंध

(घ) वर्शेर्ण पदबंध

(3)ब़िती हुई आबयदद्ों ने समंदर को पीछे सरकयनय शुरू कर दद्य है। रे ियंककत पदबंध कय प्रकयर है -

(क) वर्शेर्ण पदबंध

(ि) सर्वनयम पदबंध

(ग) कक्र्य पदबंध

(घ) संज्ञय पदबंध

(4) ततयँरय ददनभर के अथक पररश्रम के बयद समुद्र ककनयरे टहिने ननकि पड़य।

रे ियंककत पदबंध कय भेद है-

(क) कक्र्य वर्शेर्ण पदबंध

(ि) वर्शेर्ण पदबंध

(ग) कक्र्य पदबंध

(घ) संज्ञय पदबंध


(5) ततयँरय एक नेक और मददगयर व््जतत थय। र्यत् में रे ियंककत पदबंध कय भेद है -

(क) वर्शेर्ण पदबंध

(ि) संज्ञय पदबंध

(ग) कक्र्य पदबंध

(घ) कक्र्य वर्शेर्ण पदबंध

प्रश्न 4 ननम्नलिखित पयँच भयगों में से ककन्ही चयर प्रश्नों के सही उत्तर र्यिे वर्कल्प चुननए - (1×4 =4)

(1)बड़े भयई सयहब ने भी उसी उम्र में प़िनय शुरू कक्य थय िब मैंने शुरू कक्य थय ।रचनय की दृजष्ट से र्यत् है-

(क) सरि र्यत्

(ि) सं्ुतत र्यत्

(ग) लमधश्रत वाक्य

(घ)वर्धयनर्यचक र्यत्

(2) र्यमीरो कुछ सचेत हुई और घर की तरफ़ दौड़ी। इस सं्त


ु त र्यत् को पररर्नतवत करने पर सरि र्यत् होगय -

(क) िैसे ही र्यमीरो सचेत हुई र्ैसे ही र्ह घर की तरफ़ दौड़ी।

(ि) र्यमीरो कुछ सचेत हुई और र्ह घर की तरफ़ दौड़ी।

(ग) र्यमीरो कुछ सचेत होने पर घर की तरफ़ दौड़ी।

(घ) सचेत र्यमीरो हुई तथा घर की तरफ़ दौड़ी।

(3) ननम्नलिखित र्यत्ों में लमश्र र्यत् है -

(क) मेरे और भयई सयहब के बीच अब केर्ि एक दरिे कय अंतर और रह ग्य।

(ि) आखिर आदमी को कुछ तो अपनी पोज़ीशन कय ि्यि रिनय चयदहए।

(ग) िबसे मयतय िी ने प्रबंध अपने हयथ में िे लि्य है, तब से घर में िक्ष्मी आ गई है ।

(घ) मेरे रहते तुम बेरयह न चिने पयओगे।

(4)' सू्व ननकिय और प्रकयश हो ग्य।' रूपयंतररत करने पर र्यत् कय सरि रूप होगय -

(क) िैसे ही सू्व ननकिय र्ैसे ही प्रकयश हो ग्य।


(ि) सू्व ननकिते ही प्रकयश हो ग्य।

(ग) िब सू्व ननकितय है तब प्रकयश होतय है।

(घ) सू्व ननकिय अतएर् प्रकयश हो ग्य ।

(5) 'एक ज़मयनय थय कक िोग आठर्यँ दरिय पयस करके नय्ब तहसीिदयर हो ियते थे।'

रचनय की दृजष्ट से र्यत् है -

(क) सरि र्यत्

(ि) सं्ुतत र्यत्

(ग) लमश्र र्यत्

(घ) सयमयन्् र्यत्

प्रश्न 5 ननम्नलिखित छह भयगों में से ककन्हीं चयर प्रश्नों के सही उत्तर र्यिे वर्कल्प चुननए - (1×4 =4)

(1)'गरु
ु दक्षक्षणय' शब्द के सही समयस वर्ग्रह कय च्न कीजिए।

(क) गुरु से दक्षक्षणय- तत्पुरुर् समयस

(ि) गुरु कय दक्षक्षणय- तत्पुरुर् समयस

(ग)गुरु की दक्षक्षणय -तत्पुरुर् समयस

(घ) गुरु के लिए दक्षक्षणय -तत्पुरुर् समयस

(2)'्थयसम्' शब्द ककस समयस कय उदयहरण है -

(क) कमवधयर् समयस

(ि) बहुव्रीदह समयस

(ग) अव्््ीभयर् समयस

(घ) तत्पुरुर् समयस

(3)'अष्टयध््य्ी'शब्द के लिए सही समयस वर्ग्रह कय च्न कीजिए।

(क) आठ अध््य्ों कय समयहयर- दवर्गु समयस

(ि) आठ हैं िो अध््य् - बहुव्रीदह समयस

(ग) अष्ट और अध््य् - दर्ंदर् समयस

(घ) अष्ट के अध््य् - तत्पुरुर् समयस


(4)'आशय को ियँघ कर ग्य हुआ' कय समततपद है -

(क)आशयियँघ

(ि)आशयतीत

(ग) आशयर्यन

(घ) आशयगत

(5)'सज्िन' समततपद कय वर्ग्रह होगय -

(क)सद है िो िन

(ि)सत ् है िो िन

(ग) अच्छय है िो पुरुर्

(घ) सत ् के समयन िन

(6) 'बयकय्दय' शब्द के लिए सही समयस वर्ग्रह कय च्न कीजिए।

(क) कय्दे के अनस


ु यर - अव्््ीभयर् समयस
(ि) कय्दे के त्रबनय- अव्््ीभयर् समयस
(ग) कय्दे ही कय्दे - अव्््ीभयर् समयस
(घ) कय्दे के दर्यरय कृत - तत्परु
ु र् समयस

प्रश्न 6 ननम्नलिखित पयँच में से ककन्हीं चयर प्रश्नों के उत्तर ननदे शयनुसयर दीजिए तथय सर्यवधधक उप्ुतत वर्कल्प

कय च्न कीजिए - (1×4 =4)

(1)'अंधे के हयथ बटे र िगनय' कय अथव है

(क) अच्छय भयग््

(ि) अच्छी र्ततु प्रयप्त होनय

(ग) भयग््र्श अच्छी र्ततु प्रयप्त होनय

(घ) अंधे व््जतत को बटे र प्रयप्त होनय

(2) सच्चे शूरर्ीर दे श की रक्षय में प्रयणों की…………। ररतत तथयन की पूनतव उधचत मुहयर्रे से कीजिए -

(क) बयज़ी िगय दे ते हैं


(ि) ियन िगय दे ते हैं।

(ग) तयकत िगय दे ते हैं

(घ) सुरक्षय िगय दे ते हैं

(3)'गयगर में सयगर भरनय' मुहयर्रे कय सही अथव है

(क) कुछ न करनय

(ि) थोड़े में बहुत कुछ कह दे नय

(ग) गयगर में सयगर कय पयनी भर दे नय

(घ) िंबी-चौड़ी बयतें करनय

(4) कभी नौकरी ढूँढने ननकिोगे तो……………. । ररतत तथयन की पूनतव उधचत मुहयर्रे से कीजिए -

(क) ज़मीन पर पयँर् न रिनय

(ि) आटे - दयि कय भयर् मयिूम होगय

(ग) दीर्यर िड़ी करनय

(घ) नयम ननशयन लमटयनय

(5)दवद्यालय के वार्र्णकोत्सव में इतने अतर्धक काम थे दक उन्हें दनपटाते - दनपटाते……………………….। उपयुि मुहावरे से ररि
थथान भररए।

(क) दीन-दुदनया से गया

(ख) शब्द चाट डाला

(ग) दाँतों पसीना आ गया

(घ) डेरा डाल ददया


ं ड - ग (पाठ्यपुस्तक)

प्रश्न 7 ननम्नलिखित कयव््यंश पर आधयररत प्रश्नों के उत्तर उधचत वर्कल्प छयँटकर दीजिए-(1×4 =4)

त्यम म्हयने चयकर रयिो िी,

धगरधयरी ियिय म्होंने चयकर रयिोिी ।

चयकर रहत्ूँ बयग िगयत्ूँ ननत उठ दरसण पयत्ूँ ।


त्रबन्दरयर्न री कंु ि गिी में, गोवर्न्द िीिय गयत्ूँ ।

चयकरी में दरसण पयत्ूँ, सुमरण पयत्ूँ िरची।

भयर् भगत ियगीरी पयत्ूँ, तीनूं बयतयँ सरसी।

(1) मीरय कृष्ण से त्य प्रयथवनय कर रही हैं?

(क) उनकी पीड़य दरू करने की

(ि) सेवर्कय के रूप में तर्ीकयर करने की

(ग) प्रेलमकय के रूप में तर्ीकयर करने की

(घ) उन्हें अपने पयस रिने की

(2) कृष्ण की सेवर्कय बनकर मीरय त्य करनय चयहतीं हैं ?

(क) बयग सियनय, दशवन करनय, गीत गयनय

(ि) प्रशंसय के गीत गयनय और गोकुि में रहनय

(ग) रोज़ उठकर उनके दशवन करनय और रोनय

(घ) उनकी ्यद में रोनय, दशवन करनय, गीत गयनय

(3)मीरय र्ंद
ृ यर्न की गलि्ों में -
(क) कृष्ण से लमिनय चयहती हैं

(ि) कृष्ण कय गुणगयन करनय चयहती हैं।

(ग) कृष्ण को उियहनय दे नय चयहती हैं।

(घ) कृष्ण की प्रतीक्षय करनय चयहती हैं।

(4)कृष्ण की भयर्-भजतत में डूबनय ककसके समयन है ?

(क) सुि और र्ैभर् के समयन

(ि) मयन-सम्मयन के समयन

(ग) धन-दौित के समयन

(घ) धन और सिान के समयन

प्रश्न 8 ननम्नलिखित गद्यंश पर आधयररत प्रश्नों के उत्तर उधचत वर्कल्प छयँटकर दीजिए- (1×5 =5)
ग्र्यलि्र में हमयरय एक मकयन थय। उस मकयन के दयियन में दो रोशनदयन थे। उसमें कबूतर के एक िोड़े ने घोंसिय
बनय लि्य थय। एक बयर त्रबल्िी ने उचककर दो में से एक अंडय तोड़ दद्य। मेरी मयँ ने दे िय तो उसे दि
ु हुआ। उसने तटूि
पर च़िकर दस
ू रे अंडे को बचयने की कोलशश की। िेककन इस कोलशश में दस
ू रय अंडय उसी के हयथ से धगरकर टूट ग्य।
कबूतर परे शयनी में इधर-उधर िड़िड़य रहे थे। उनकी आँिों में दि
ु दे िकर मेरी मयँ की आँिों में आँसू आ गए। इस

गुनयह को िुदय से मुआफ़ करयने के लिए उसने पूरे ददन रोज़य रिय। ददनभर कुछ िय्य-वप्य नहीं, लसफ़व रोती रही और

बयर-बयर नमयि प़ि-प़िकर िुदय से इस गिती को मुआफ़ करने की दआ


ु मयँगती रही।

(1)िेिक की मयँ ककस बयत से दि


ु ी थी ?

(क) घर में कबूतरों ने घोंसिय बनय लि्य थय।

(ि) कबत
ू र के दोनों अंडे टूट गए थे ।

(ग) कबूतर अंडों को छोड़कर चिे गए थे।

(घ) त्रबल्िी अंडों को िय गई थी।

(2) िेिक की मयँ िुदय से ककस गुनयह को मयि करयनय चयहती थी ?

(क) पहिय अंडय तोड़ने कय गुनयह

(ि) त्रबल्िी को मयरने कय गन


ु यह

(ग) दस
ू रय अंडय टूट ियने कय गुनयह

(घ) कबूतर कय घोंसिय तोड़ने कय गुनयह

(3) प्रततुत गद्यंश से पतय चितय है कक िेिक की मयँ अत््धधक

(क) संर्ेदनशीि थीं

(ि) तर्यथी थीं

(ग ) कमिोर थीं

(घ) डरपोक थीं

(4) गद्यंश में प्र्त


ु त ननम्नलिखित शब्दों में से कौन-सय शब्द प्रत््् के मेि से नहीं बनय है?

(क) गुनयह

(ि) परे शयनी

(ग) रोशनदयन
(घ ) ददनभर

(5)मयँ की आँिों में आँसू आ गए थे त्ोंकक -

(क) कबूतर कय अंडय त्रबल्िी ने तोड़ दद्य थय।

(ि)कबूतर कय अंडय िेिक की मयँ से टूट ग्य थय।

(ग ) िेिक की पत्नी ने कबूतर कय अंडय तोड़ दद्य थय।

(घ ) कबत
ू र की आँिों में दि
ु दे िकर व््धथत हो गई थीं।

प्रश्न 9 ननम्नलिखित गद्यंश पर आधयररत प्रश्नों के उत्तर उधचत वर्कल्प छयँटकर दीजिए- (1×5 =5)

र्यमीरो के रुदन तर्रों को सुनकर उसकी मयँ र्हयँ पहुँची और दोनों को दे िकर आग बबूिय हो उठी। सयरे गयँर्र्यिों की
उपजतथनत में ्ह दृश्् उसे अपमयनिनक िगय। इस बीच गयँर् के कुछ िोग भी र्हयँ पहुँच गए। र्यमीरो की मयँ क्रोध में

उिन उठी। उसने ततयँरय को तरह-तरह से अपमयननत कक्य। गयँर् के िोग भी ततयँरय के वर्रोध में आर्यज़ें उठयने िगे।

्ह ततयँरय के लिए असहनी् थय। र्यमीरो भी रोए िय रही थी। ततयँरय भी गुतसे से भर उठय। उसे िहयँ वर्र्यह की ननर्ेध
परं परय पर क्षोभ थय र्हीं अपनी असहय्तय पर िीझ। र्यमीरो कय दि
ु उसे और गहरय कर रहय थय। उसे मयिूम न थय कक
त्य कदम उठयनय चयदहए। अनय्यस उसकय हयथ तिर्यर की मूठ पर िय दटकय। क्रोध में तिर्यर ननकयिी और कुछ

वर्चयर करतय रहय। क्रोध िगयतयर अजग्न की तरह ब़ि रहय थय। िोग सहम उठे , एक सन्नयटय सय खिंच ग्य। िब कोई

रयह न सूझ ी तो क्रोध कय शमन करने के लिए उसने शजतत भर उसे धरती में घोंप दद्य और तयकत से उसे िींचने िगय।

र्ह पसीने से नहय उठय। सब घबरयए हुए थे। र्ह तिर्यर को अपनी तरफ़ िींचते-िींचते दरू तक पहुँच ग्य। र्ह हयँि

रहय थय। अचयनक िहयँ तक िकीर खिंच गई थी, र्हयँ एक दरयर होने िगी। मयनो धरती दो टुकड़ों में बँटने िगी हो ।

(1) गयँर् के िोग ततयँरय के वर्रोध में आर्यिें त्ों उठय रहे थे ?

(क) र्े ततयँरय को अपमयननत करनय चयहते थे।

(ि) र्े गयँर् की ननर्ेध परं परय के पक्ष में थे।

(ग ) गयँर् की रीनत के वर्रोध में थे

(घ ) ततयँरय को पशु पर्व में शयलमि नहीं करनय चयहते थे।

(2) ततयँरय ने अपने क्रोध कय शमन करने के लिए त्य कक्य ?

(क) र्यमीरो की मयँ को बुरय-भिय सुनय्य


(ि) सब गयँर्र्यिों के वर्रोध में आर्यज़ उठयई

(ग ) अपनी तिर्यर से उपजतथत िोगों पर र्यर

(घ ) अपनी तिर्यर को धरती में गयड़ दद्य

(3) र्यमीरो की मयँ के गुतसे कय कयरण त्य थय ?

(क) गयँर्र्यिों कय वर्रोध

(ि) पशु पर्व कय आ्ोिन

(ग ) र्यमीरो कय रोनय

(घ ) ततयँरय कय तिर्यर िींचनय

(4) 'िोग सहम उठे , एक सन्नयटय-सय खिंच ग्य।' लोगों का सहम िाना दशाता है दक वे -

(क) दवलक्षर् दै र्ी् तिर्यर को दे िने िग गए थे।

(ि)ककसी भयर्ी दष्ु पररणयम की आशंकय से ग्रलसत थे।

(ग ) ियनते थे कक दर्ीप दो भयगों में बँट ियएगय।

(घ ) ततयँरय-र्यमीरो के वर्र्यह के लिए सहमत हो गए थे।

(5) प्रततत
ु गद्यंश में ककस घटनय कय र्णवन है ?

(क) र्यमीरो की त््यगम्ी मत्ृ ्ु कय

(ि) ननकोबयर दर्ीप के दो भयगों में बँटने कय

(ग )ततयँरय-र्यमीरो की प्रथम मुियकयत कय

(घ ) ततयँरय के आत्मी् तर्भयर् कय

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