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िं ी (कोड 085)
विषय ह द
समय:1घिंटा30मिनट पूर्ाांक : 40
● *ख
ं ड 'क' में कुल 2 प्रश्न पूछे गए हैं। दोनों प्रश्नों के कुल 20 उपप्रश्न ददए गए हैं। ददए गए दनदे शों का
● *ख
ं ड 'ख' में 4 प्रश्न हैं तथा इन सभी के 21 उपप्रश्न हैं। इनमें से दनदे शानुसार 16 उपप्रश्नों के उत्तर दीजिए।
● ख
ं ड 'ग' में कुल 3 प्रश्न हैं तथा 14 उपप्रश्न सदिललत हैं सभी उपप्रश्नों के उत्तर दीजिए।
्दद आप इस गद्यंश कय च्न करते हैं तो कृप्य उत्तर पुजततकय में लिखिए कक आप प्रश्न संख््य 1 में ददए गए
अच्छय नयगररक बनने के लिए भयरत के प्रयचीन वर्चयरकों ने कुछ नन्मों कय प्रयर्धयन कक्य है। इन नन्मों में र्यणी
और व््र्हयर की शुदधध, कतवव्् और अधधकयर कय समुधचत ननर्यवह, शुदधतम पयरतपररक सदभयर् और सेर्य की भयर्नय
आदद नन्म बहुत महत्र्पूणव मयने गए हैं। ्े सभी नन्म ्दद एक व््जतत के चयररत्रिक गुणों के रूप में भी अननर्य्व
मयने ियएँ तो उसकय अपनय िीर्न सुिी और आनंदम् हो सकतय है। सभी गुणों कय वर्कयस एक बयिक में ्दद उसकी
आस पड़ोस, वर्द्यि् में अपने सहपयदठ्ों एर्ं अध््यपकों के प्रनत ्थोधचत व््र्हयर कर सकेगय।
र्यणी एर्ं व््र्हयर की मधुरतय सभी के लिए सुिदय्क होती है, समयि में हयददव क सदभयर् की र्ृदधध करती है ककं तु
अहंकयरहीन व््जतत ही जतनग्ध र्यणी और लशष्ट व््र्हयर कय प्र्ोग कर सकतय है। अहंकयरी और दं भी व््जतत सदय
अलशष्ट र्यणी और व््र्हयर कय अभ््यसी होतय है । जिसकय पररणयम ्ह होतय है कक ऐसे आदमी के व््र्हयर से समयि
में शयंनत और सौहयदव कय र्यतयर्रण नहीं बनतय।
जिस प्रकयर एक व््जतत समयि में रहकर अपने व््र्हयर से कतवव्् और अधधकयर के प्रनत सिग रहतय है,उसी तरह दे श
के प्रनत भी उसकय व््र्हयर कतवव्् और अधधकयर की भयर्नय से भयवर्त रहनय चयदहए। उसकय
और तर्यलभमयन को ठे स िगे।
समयि एर्ं दे श में शयंनत बनयए रिने के लिए धयलमवक सदहष्णुतय भी बहुत आर्श््क है। ्ह र्वृ त्त तभी आ सकती है िब
व््जतत संतुलित व््जततत्र् कय हो। र्ह आंतररक र् बयहरी संघर्व से परे सयमयजिकतय की अनुभूनत से पररपूणव व््जततत्र्
होनय चयदहए।
(2) र्यणी एर्ं व््र्हयर की मधुरतय सभी के लिए सुिदय्क होती है। इस कथन के लिए उप्ुतत तकव है -
(घ) समयि में हयददवक सदभयर् की र्ृदधध और सुि की प्रनतष्ठय होती है।
(3) अहंकयरी और दं भी व््जतत सदय अभ््यसी होतय है -
(ि) दे श में पूणवतः आदशव नयगररक कय व््र्हयर करने र्यिय सुिदय्क व््जततत्र्
(ग) आंतररक र् बयहरी संघर्व से रदहत संपूणव सयमयजिकतय की अनुभूनत से पररपूणव व््जततत्र्
अथर्य
्दद आप इस गद्यंश कय च्न करते हैं तो कृप्य उत्तर पुजततकय में लिखिए कक आप प्रश्न संख््य 1 में ददए गए
नीचे ददए गए गद्यंश को ध््यनपूर्वक पद़िए और उस पर आधयररत प्रश्नों के उत्तर सही वर्कल्प चुनकर लिखिए।
बड़य बनने के लिए हमें वर्शयि कयम करने की ज़रूरत नहीं होती, बजल्क प्रत््ेक कयम में वर्शयितय के धचह्न िोिने
पड़ते हैं। अपने अंतमवन में सदै र् जिज्ञयसय को िन्म दे नय होतय है। दनु न्य में ज्ञयन कय िो बोिबयिय है, उसमें हमयरे
कौतह
ू ि की केंद्री् भलू मकय है। अल्बटव आइंतटीन ने एक बयर अपने सयक्षयत्कयर में कहय थय कक हमयरी जिज्ञयसय ही हमयरे
अजततत्र् कय आधयर है। त्रबनय प्रश्न के हमयरे िीर्न में न गनत आएगी और न कोई रस होगय िब हम धचंतन करते हैं,
तब नई बयतें सयमने आती हैं। सर्यि करने कय ही पररणयम है कक नई तकनीक ऑटोमेशन और आदटवकिलश्ि
इंटेलििेंस िैसी चीिें आि दनु न्य में आ रही हैं । िब हम कहते हैं त्ों, कैसे, त्य, तब हमयरे अंदर की तनय्ु प्रयण
ऊियव और संकल्प एक नई गनत और उत्सयह के सयथ नर्ीनतय की ्यिय करने िगते हैं।
हमें इस दनु न्य की इतनी आदत पड़ चुकी है कक - िीक से हटकर सोचनय नहीं चयहते। कोई वर्लभन्नतय नहीं, न ही कोई
नर्ीनतय है। ्ह कैसय िीर्न है , जिसमें कोई कौतूहि नहीं कोई आश्च्व नहीं ? इस िगत में हमयरी जतथनत एक कीटयणु
प्रत््ेक घटनय और र्ततु से परे हटकर सोचने और उसको दे िने की कोलशश िो करते हैं, ्ही बड़य बनते हैं। जिज्ञयसु
मन और बद
ु धध ही दशवन और वर्ज्ञयन की दनु न्य बनयते हैं।
(क)वर्द्मयनतय
(ग) गनतमयन
(घ) नर्ीनतय
(क)सुिम् व््र्तथय
्दद आप इस गद्यंश कय च्न करते हैं तो कृप्य उत्तर पुजततकय में लिखिए कक आप प्रश्न संख््य 2 में ददए गए
ियनर्रों में गधय सबसे बुदधधहीन समझय ियतय है हम िब ककसी आदमी को पहिे दिे कय बेर्कूि कहनय चयहते हैं तो
उसे गधय कहते हैं। गधय सचमुच बेर्कूि है ्य उसके सीधेपन, उसकी ननरयपद सदहष्णुतय ने उसे ्ह पदर्ी दे दी है ,
इसकय ननश्च् नहीं कक्य िय सकतय। गय्ें सींग मयरती हैं, ब््यई हुई गय् तो अनय्यस ही लसंहनी कय रूप धयरण कर
िेती है। कुत्तय भी बहुत गरीब ियनर्र है, िेककन कभी-कभी उसे भी क्रोध आ ही ियतय है, िेककन गधे को कभी क्रोध
करते नहीं सुनय, न दे िय। जितनय चयहो उसे मयरो, चयहे िैसी िरयब सड़ी हुई घयस सयमने डयि दो, उसके चेहरे पर कभी
असंतोर् की छय्य भी न ददियई दे गी। र्ैशयि में चयहे एकयध बयर कुिेि कर िेतय हो; पर हमने तो उसे कभी िश
ु होते
नहीं दे िय। उसके चेहरे पर एक तथय्ी वर्र्यद छय्य रहतय है ।
सुि-दि
ु , हयनन-ियभ ककसी दशय में भी उसे बदिते नहीं दे िय। ऋवर्- मुनन्ों के जितने गुण हैं, र्ह सभी उसमें परयकयष्ठय
को पहुँच गए हैं, पर आदमी उसे बेर्कूि कहतय है। सदगुणों कय इतनय अनयदर कहीं नहीं दे िय। कदयधचत सीधयपन संसयर
के लिए उप्त
ु त नहीं है।
(1) िेिक ्ह ननश्च् नहीं कर पयतय कक गधय बेर्कूि है ्य सीधय त्ोंकक उसके अनुसयर -
(3) आश् तपष्ट कीजिए-'उसके चेहरे पर एक तथय्ी वर्र्यद छय्य रहतय है।'
(क) गधय सदै र् चुप रहतय है , उसे िुश होते हुए कभी नहीं दे िय ग्य
(ि) गधे को बहुत बोझ ढोनय पड़तय है, इसी कयरण र्ह थक ियतय है
(ग) आदमी दर्यरय दव्ु ्वर्हयर करने र् बेर्कूि कहने के कयरण गधय दि
ु ी है
(4)गद्यंश में प्र्ुतत शब्दों ' छय्य, ननश्च्,अनय्यस' के लिए क्रमशः उधचत वर्िोम शब्द हैं -
(घ) र्क्ष
ृ , अननश्च्, प्र्यस
(5) 'सीधयपन संसयर के लिए उप्ुतत नहीं है।' िेिक कय ्ह कथन व््तत करतय है कक -
अथर्य
्दद आप इस गद्यंश कय च्न करते हैं तो कृप्य उत्तर पुजततकय में लिखिए कक आप प्रश्न संख््य 2 में ददए गए
नीचे ददए गए गदद्यंश को ध््यनपूर्वक पद़िए और उस पर आधयररत प्रश्नों के उत्तर सही वर्कल्प चुनकर लिखिए
ू व प्रश्न है । त्य सयदहत्् शयश्र्त होतय है ? ्दद हयँ, तो ककस मय्ने में ?
सयदहत्् की शयश्र्ततय कय प्रश्न एक महत्र्पण
त्य कोई सयदहत्् अपने रचनयकयि के सौ र्र्व बीत ियने पर भी उतनय ही प्रयसंधगक रहतय है , जितनय र्ह अपनी रचनय
के सम् थय? अपने सम् ्य ्ुग कय ननमयवतय सयदहत््कयर त्य सौ र्र्व बयद की पररजतथनत्ों कय भी ्ुग-ननमयवतय हो
सकतय है । सम् बदितय रहतय है, पररजतथनत्यँ और भयर्बोध बदिते हैं, सयदहत्् बदितय है और इसी के समयनयंतर
पयठक की मयनलसकतय और अलभरुधच भी बदिती है। अतः कोई भी कवर्तय अपने सयमन्क पररर्ेश के बदि ियने पर
ठीक र्ही उत्तेिनय पैदय नहीं कर सकती, िो उसने अपने रचनयकयि के दौरयन की होगी। कहने कय तयत्प्व ्ह है कक एक
वर्शेर् प्रकयर के सयदहत्् के श्रेष्ठ अजततत्र् मयि से र्ह सयदहत्् हर ्ुग के लिए उतनय ही वर्शेर् आकर्वण रिे, ्ह
आर्श््क नहीं है। ्ही कयरण है कक र्तवमयन ्ुग में इंगिय वपंगिय, सुर्ुम्नय, अनहद नयद आदद पयररभयवर्क शब्दयर्िी
मन में वर्शेर् भयर्ोत्तेिन नहीं करती। सयदहत्् की श्रेष्ठतय मयि ही उसके ननत्् आकर्वण कय आधयर नहीं है। उसकी
श्रेष्ठतय कय ्ुग्ुगीन आधयर हैं,र्े िीर्न मूल्् तथय उनकी अत््ंत कियत्मक अलभव््जतत्यँ िो मनुष्् की तर्तंितय
तथय उच्चतर मयनर्-वर्कयस के लिए पथ-प्रदशवक कय कयम करती हैं। पुरयने सयदहत्् कय केर्ि र्ही श्री-सौंद्व हमयरे
लिए ग्रयह्् होगय, िो नर्ीन िीर्न-मूल््ों के वर्कयस में सकक्र् सह्ोग दे अथर्य जतथनत रक्षय में सहय्क हो। कुछ
िोग सयदहत्् की सयमयजिक प्रनतबदधतय को अतर्ीकयर करते हैं। र्े मयनते हैं कक सयदहत््कयर ननरपेक्ष होतय है और उस
पर कोई भी दबयर् आरोवपत नहीं होनय चयदहए। ककं तु र्े भूि ियते हैं कक सयदहत्् के ननमयवण की मूि प्रेरणय मयनर्-िीर्न
में ही वर्द्मयन रहती है । िीर्न के लिए ही उसकी सजृ ष्ट होती है। तुिसीदयस िब तर्यंतः सुिय् कयव््-रचनय करते
हैं, तब अलभप्रय् ्ह नहीं रहतय कक मयनर्-समयि के लिए इस रचनय कय कोई उप्ोग नहीं है, बजल्क उनके अंत:करण
में संपूणव संसयर की सुि भयर्नय एर्ं दहत कयमनय सजन्नदहत रहती है। िो सयदहत््कयर अपने संपूणव व््जततत्र् को
व््यपक िोक िीर्न में सजन्नवर्ष्ट कर दे तय है, उसी के हयथों तथय्ी एर्ं प्रेरणयप्रद सयदहत्् कय सि
ृ न हो सकतय है।
(2) नर्ीन िीर्न- मूल््ों के वर्कयस में सकक्र् सह्ोग से आश् है-
(3) 'कोई सयदहत्् अपने रचनय कयि के सौ र्र्व बीत ियने पर भी उतनय ही प्रयसंधगक रहतय है ।'
(ग) िोक कल््यणकयरी , तथय्ी एर्ं प्रेरणयप्रद सयदहत्् होने की दशय में
(4)'सयदहत््कयर ननरपेक्ष होतय है और उस पर कोई भी दबयर् आरोवपत नहीं होनय चयदहए।' कथन ककस
(5)गद्यंश में प्र्ुतत मयनर्िीर्न समतत पद कय वर्ग्रह एर्ं समयस भेद होगय -
प्रश्न 3 ननम्नलिखित पयँच भयगों में से ककन्ही चयर प्रश्नों के सही उत्तर र्यिे वर्कल्प चुननए - (1×4 =4)
(1)' ततयँरय की तिर्यर एक वर्िक्षण रहत् थी।' इस र्यत् में से संज्ञय पदबंध छयँदटए।
(क) तिर्यर एक
(ग) रहत् थी
(3)ब़िती हुई आबयदद्ों ने समंदर को पीछे सरकयनय शुरू कर दद्य है। रे ियंककत पदबंध कय प्रकयर है -
(4) ततयँरय ददनभर के अथक पररश्रम के बयद समुद्र ककनयरे टहिने ननकि पड़य।
प्रश्न 4 ननम्नलिखित पयँच भयगों में से ककन्ही चयर प्रश्नों के सही उत्तर र्यिे वर्कल्प चुननए - (1×4 =4)
(1)बड़े भयई सयहब ने भी उसी उम्र में प़िनय शुरू कक्य थय िब मैंने शुरू कक्य थय ।रचनय की दृजष्ट से र्यत् है-
(घ)वर्धयनर्यचक र्यत्
(ग) िबसे मयतय िी ने प्रबंध अपने हयथ में िे लि्य है, तब से घर में िक्ष्मी आ गई है ।
(4)' सू्व ननकिय और प्रकयश हो ग्य।' रूपयंतररत करने पर र्यत् कय सरि रूप होगय -
(5) 'एक ज़मयनय थय कक िोग आठर्यँ दरिय पयस करके नय्ब तहसीिदयर हो ियते थे।'
प्रश्न 5 ननम्नलिखित छह भयगों में से ककन्हीं चयर प्रश्नों के सही उत्तर र्यिे वर्कल्प चुननए - (1×4 =4)
(1)'गरु
ु दक्षक्षणय' शब्द के सही समयस वर्ग्रह कय च्न कीजिए।
(क)आशयियँघ
(ि)आशयतीत
(ग) आशयर्यन
(घ) आशयगत
(क)सद है िो िन
(ि)सत ् है िो िन
(घ) सत ् के समयन िन
प्रश्न 6 ननम्नलिखित पयँच में से ककन्हीं चयर प्रश्नों के उत्तर ननदे शयनुसयर दीजिए तथय सर्यवधधक उप्ुतत वर्कल्प
(2) सच्चे शूरर्ीर दे श की रक्षय में प्रयणों की…………। ररतत तथयन की पूनतव उधचत मुहयर्रे से कीजिए -
(4) कभी नौकरी ढूँढने ननकिोगे तो……………. । ररतत तथयन की पूनतव उधचत मुहयर्रे से कीजिए -
(5)दवद्यालय के वार्र्णकोत्सव में इतने अतर्धक काम थे दक उन्हें दनपटाते - दनपटाते……………………….। उपयुि मुहावरे से ररि
थथान भररए।
ख
ं ड - ग (पाठ्यपुस्तक)
प्रश्न 7 ननम्नलिखित कयव््यंश पर आधयररत प्रश्नों के उत्तर उधचत वर्कल्प छयँटकर दीजिए-(1×4 =4)
(3)मीरय र्ंद
ृ यर्न की गलि्ों में -
(क) कृष्ण से लमिनय चयहती हैं
प्रश्न 8 ननम्नलिखित गद्यंश पर आधयररत प्रश्नों के उत्तर उधचत वर्कल्प छयँटकर दीजिए- (1×5 =5)
ग्र्यलि्र में हमयरय एक मकयन थय। उस मकयन के दयियन में दो रोशनदयन थे। उसमें कबूतर के एक िोड़े ने घोंसिय
बनय लि्य थय। एक बयर त्रबल्िी ने उचककर दो में से एक अंडय तोड़ दद्य। मेरी मयँ ने दे िय तो उसे दि
ु हुआ। उसने तटूि
पर च़िकर दस
ू रे अंडे को बचयने की कोलशश की। िेककन इस कोलशश में दस
ू रय अंडय उसी के हयथ से धगरकर टूट ग्य।
कबूतर परे शयनी में इधर-उधर िड़िड़य रहे थे। उनकी आँिों में दि
ु दे िकर मेरी मयँ की आँिों में आँसू आ गए। इस
गुनयह को िुदय से मुआफ़ करयने के लिए उसने पूरे ददन रोज़य रिय। ददनभर कुछ िय्य-वप्य नहीं, लसफ़व रोती रही और
(ि) कबत
ू र के दोनों अंडे टूट गए थे ।
(ग) दस
ू रय अंडय टूट ियने कय गुनयह
(ग ) कमिोर थीं
(क) गुनयह
(ग) रोशनदयन
(घ ) ददनभर
(घ ) कबत
ू र की आँिों में दि
ु दे िकर व््धथत हो गई थीं।
प्रश्न 9 ननम्नलिखित गद्यंश पर आधयररत प्रश्नों के उत्तर उधचत वर्कल्प छयँटकर दीजिए- (1×5 =5)
र्यमीरो के रुदन तर्रों को सुनकर उसकी मयँ र्हयँ पहुँची और दोनों को दे िकर आग बबूिय हो उठी। सयरे गयँर्र्यिों की
उपजतथनत में ्ह दृश्् उसे अपमयनिनक िगय। इस बीच गयँर् के कुछ िोग भी र्हयँ पहुँच गए। र्यमीरो की मयँ क्रोध में
उिन उठी। उसने ततयँरय को तरह-तरह से अपमयननत कक्य। गयँर् के िोग भी ततयँरय के वर्रोध में आर्यज़ें उठयने िगे।
्ह ततयँरय के लिए असहनी् थय। र्यमीरो भी रोए िय रही थी। ततयँरय भी गुतसे से भर उठय। उसे िहयँ वर्र्यह की ननर्ेध
परं परय पर क्षोभ थय र्हीं अपनी असहय्तय पर िीझ। र्यमीरो कय दि
ु उसे और गहरय कर रहय थय। उसे मयिूम न थय कक
त्य कदम उठयनय चयदहए। अनय्यस उसकय हयथ तिर्यर की मूठ पर िय दटकय। क्रोध में तिर्यर ननकयिी और कुछ
वर्चयर करतय रहय। क्रोध िगयतयर अजग्न की तरह ब़ि रहय थय। िोग सहम उठे , एक सन्नयटय सय खिंच ग्य। िब कोई
रयह न सूझ ी तो क्रोध कय शमन करने के लिए उसने शजतत भर उसे धरती में घोंप दद्य और तयकत से उसे िींचने िगय।
र्ह पसीने से नहय उठय। सब घबरयए हुए थे। र्ह तिर्यर को अपनी तरफ़ िींचते-िींचते दरू तक पहुँच ग्य। र्ह हयँि
रहय थय। अचयनक िहयँ तक िकीर खिंच गई थी, र्हयँ एक दरयर होने िगी। मयनो धरती दो टुकड़ों में बँटने िगी हो ।
(1) गयँर् के िोग ततयँरय के वर्रोध में आर्यिें त्ों उठय रहे थे ?
(ग ) र्यमीरो कय रोनय
(4) 'िोग सहम उठे , एक सन्नयटय-सय खिंच ग्य।' लोगों का सहम िाना दशाता है दक वे -
(5) प्रततत
ु गद्यंश में ककस घटनय कय र्णवन है ?