Professional Documents
Culture Documents
2021 -22
PAPER 1 & 2
ACADEMY
-
महत्र्पूर्व शब्ि
है अस्ति समह
ू संघाि
नह ं न रातिा मागवः
नह ं है नास्ति िो िदहं
िू त्र्म ् भी अपप
कौन कः और च
साथ सेह
उनमे िेषु
Tag word
बहुभापषकिा / मािभ
ृ ाषाया: रट
गद्यांशं - श्िोकं
Ans : (a)
उक्ि िद्याांश में विद्या के महत्ि का तनरूिण ककया गया है । विद्या विनय प्रदान करिी है ।
विद्या धन प्रदान करिी है और विद्या सदा लोगों के चित्त को विभक्ि करिी है ।
Ans : (d)
विद्या लोगों के चित्त को विभक्ि करिी है । अथािि मनष्ु य में विद्या शभ
ु वििारों का प्रादभ
ु ािि
करिी है। िदथि िह जनहहि चितिन करिा है । अिने को जो अच्छा नहीां लगिा, िह दस
ू रों िर
कदावि नहीां करिा।
3. बन्िलु भः का न पर्भाज्या?
(a) क्षेत्रम ् (b) धनम ् (c) विद्या (d) भिनम ्
Ans : (c)
विद्या कदावि लोके नहह बतधुभभिः विभाज्या अथािि ् विद्या भाइयों द्िारा बाांटा नहीां जा
सकिा। न इसे राजा हरण कर सकिा है और न िोर िुरा सकिा है । |
Ans : (d)
िद्याांश में हदया है कक 'दरू ी करोति विद्या सकलां मनोविकारां ' अदरू ां दरू करोति यह भाि
भिनम ् के भलए प्रयुक्ि हुआ है ।
5. कीनिवम ्' इनि पितय पर्पर िाथवकः नास्ति
(a) अकीतिििः (b) यशिः (c) अिकीतिििः (d) लोकाििादिः
Ans : (b)
कीतिि का विलोम शब्द अकीतिि है। यश का विलोम अियश है। यश, कीतिि का वििरीिाथिक
नहीां है जबकक अकीतिि, अिकीतिि और लोकायिाद इसके समानाथिक हैं।
Ans : (b)
विद्या गण
ु िः प्रधानिः विद्या धनां प्रधानम ्।
दे शे िथा विदे शे विद्याबलां प्रधानम ् ।।
विद्या बल दे श और विदे श दोनों स्थानों िर प्रधान होिा है । इसीभलए कहा गया है कक
विद्यािान ् सिित्र िूजा जािा है।
Ans : (d)
‘भिन्ति नम्रास्िरििः फलोद्गमैिः' अथािि िक्ष
ृ फलों से लद जाने िर नम्र हो जािे हैं अथािि
झक
ु जािे हैं। इसी प्रकार सत्िरु
ु ष समद्
ृ चध के प्राप्ि हो जाने िर नम्र हो जािे हैं।
Ans : (c)
'सद्भभस्िु लीलया प्रोक्िां भशलाभलखििमक्षरम' अथािि ् सि ्-िरु
ु ष का ििन भशला िर भलखिि
अक्षर की भााँति होिा है। िह जो कहिा है , उसकी िाणी में सत्यिा झलकिी है।
Ans : (a)
काष्ठाि ् अन्ग्नजाियिे मध्यमानाद /अथािि काष्ठ के भलए सम्प्रति िाक्य में विशेषण
मध्यमानाद प्रयुक्ि हुआ है ।
Ans : (b)
िन्नन का अथि अन्ग्न से है। िन्नन का ियािय हदये गये विकल्िों में अन्ग्न है। िन्नन के अतय
ियाियिािी िािकिः अनल, आग इत्याहद है ।
Ans : (b)
सोत्साहानाां नास्त्यसाध्यां नराणाां अथािि ् उत्साही व्यन्क्ि के भलए कुछ भी असाध्य नहीां है।
अलसानाम का विलोम शब्द सोत्साहानाम होगा। अथािि आलस्य का विलोम शब्द उत्साह है।
Ans : (d)
जायिे किया िद का किि
िृ द अन्ग्न होगा। जैसा कक श्लोक में कहा गया है कक काष्ठ
अन्ग्नजाियिे।
Ans : (a)
असत्य का हदये गये विकल्िों में सही ियािय होगा अनि
ृ म ् । जबकक िञ्िलय, अतयरहस्यम ्
िथा अनि
ृ म ् अतय अथि िाले हैं।
3. जनः केषां पज
ू कः तयाि ्?
(a) दष्ु टानाम ् (b) अतिथीनाम ् (c) िश्यात्मनाम ् (d) तनभीकाणाम ्
Ans : (b)
जनिः अतिचथनाम िज
ू किःस्याि ् अथािि लोगों को अतिचथयों की िज
ू ा करनी िाहहए।
Ans : (a)
िााँि ज्ञानेन्तियों के अतिररक्ि िााँि कमेन्तियााँ भी हैं। िांि इन्तियाखण भिन्ति अथािि िाांि
इन्तिया होिी हैं। ये हैं -शब्द, स्िशि, रूि, रस और गतध। |
5. कं न आरोहे?
(a) अश्िम ् (b) नौकाम ् (c) गजम ् (d) िम
ु म्
Ans : (d)
िम
ु ां न आरोहे ि। अथािि िक्ष
ृ िर नहीां िढ़ना िाहहए
6. केन यक्ट्
ु िेन इस्न्ियाखर् अथवसंग्रहसमथावनन भर्स्न्ि?
(a) शरीरे ण (b) िािा (c) कमिणा (d) मनसा
Ans : (d)
मनसा यक्
ु िेन इन्तियाखण अथिसग्र
ां ह समथाितन भविति। अथािि मन से युक्ि इन्तियाां अथि
सांग्रह में समथि होिी हैं।
Ans : (a)
अहां कार के भलए अहांमानी शब्द प्रयुक्ि हुआ है । गद्याांश में हदया गया है कक 'न अहांमानी
स्याि।' यहााँ अहांिानी| 'अहां कारिान' के भलए प्रयक्
ु ि हुआ है ।
8. गरु
ु र्द्
ृ िाचायावन ्' इनि पिे कः समासः?
(a) अव्ययीभाििः (b) द्ितद्ििः (c) ित्िरु
ु षिः (d) बहुव्रीहहिः
Ans : (b)
'गुरुिद्
ृ धािायािन' इस िद में द्ितद्ि समाज है । इसका विग्रह है -गरु
ु श्ि िद्
ृ धश्िआयािन।
Ans : (c)
प्रत्यय शब्दों के अति में लगाये जािे हैं। क्षमािान ् में मिुि प्रत्यय है । जो कक यह िद्विि का
प्रत्यय है । प्रातििहदकों( सांज्ञा सििनाम, विशेषण आहद )में न्जन प्रत्ययों को जोड़कर कुछ और
भी तनकाला जािा है , उन प्रत्ययों को िद्चधि प्रत्यय कहिे हैं।
Ans : (a)
हदव्याङ्गानाां लेिनकौशलिधिनाथं समीिीनशब्दािल्यािः प्रयोगिः आिश्यकिा भिति।
अथािि - हदव्याङ्गों (विकलाङ्गों) के लेिन कौशल को बढ़ाने के भलए प्रिभलि (समीिीन)
शब्दों के प्रयोग की आिश्यकिा होिी है । न्जससे िे सरलिा से लेिन किया सम्ितन कर सकें।
Ans : (a)
बहुभावषकिा भाषाचधगमे एकां महत्त्ििूणि सांसाधनम ्।। बहुभावषकिा भाषा को सीिने में एक
महत्त्ििूणि सांसाधन है ।
Ans : (d)
लेिनिरम्िरायाां विरामचिननानाां सम्यकप्रयोगिः सम्बद्धम ् अन्स्ि। लेिन किया को सम्ितन
करने के भलए विरामचिननों का ज्ञान होना अत्यति आिश्यक होिा है । शुद्ध लेिन किया
िभी सम्भि हो सकिी है जब हम विरामचिननों का उचिि स्थान िर प्रयोग करें ।
Ans : (c)
डिस्लेन्क्सया एक भाषागि विकार है न्जससे बच्िा िढ़ने से सम्बांचधि कहठनाई का अनभ
ु ि
करिा है।
Ans : (d)
सजिनात्मक लेिन का अनेक प्रयोजन है। उनमें प्रमि
ु है - स्िाभभव्यन्क्ि। क्योंकक अिनी
अभभव्यन्क्ि सबसे महत्ििण
ू ि होिी है ।
Q.6. मक्ट्
ु िप्रश्नानां प्रमुिपर्शेषिा र्िविे
(a) ित्र मल्
ू याङ्कनां कहठनां भिति
(b) िेषाम ् एकमेि उचििम ् उत्तरम ् अन्स्ि
(c) विभभतनप्रकारव्याख्यानाां िैिः अिसरिः दीयिे
(d) ित्र आनिानातन बहूतन सन्ति
Ans : (c)
मक्
ु ि प्रश्नों की प्रमि
ु विशेषिा होिी है कक विभभतन प्रकार के व्याख्यानों िर उतहें अिसर
प्रदान ककया जाये। इससे भाषा की समझ के साथ-साथ सझ
ू -बझ
ू की क्षमिा का भी विकास
होिा है ।
Ans : (d)
रिनात्मक कक्षा में कवििा िाठ के समय भशक्षक समूह में ििाि करके कवििा का अचधकरण
कर अिने-अिने वििारों को अभभव्यक्ि करने के भलए प्रेररि करिा है ।
Q.8. भाषायाः कौशिचिरु टयम ् अनिररच्य अिोलिखििेषु अपरं कौशिं ककम ् अस्ति?
(a) सजिनकौशलम ् (b) सम्प्रेषणकौशलम ्
(c) चितिनकौशलम ् (d) अध्ययनकौशलम ्
Ans : (c)
भाषा की कौशल ििुरिा चितिन कौशल में है। चितिन कौशल से ही व्यन्क्ित्ि का बहमुिी
विकास होिा है ।
Ans : (d)
भाषा के विकास में सिािचधक महत्ि है -भशक्षाचथियों के बीि िरस्िर भािों के आदान-प्रदान का
अचधकाचधक अिसर प्रदान करना।
Q.10. सििव्यापकमल्
ू यङ्खकनान्िगविे
(a) छात्रािः सििदा आनतदे न कायितनमग्नािः भिन्ति
(b) छात्रािः शैक्षखणकभारां अचधकां तनििहन्ति
(c) छात्रािः िण
ू ि
ि या अध्यािकानाां तनयतत्रणे सन्ति
(d) छात्राणाां मल्
ू याङ्कनाकलनां तनयभमिरूिेण कियिे
Ans : (d)
सिि ् व्यािक मल्
ू याांकन के अतिगिि छात्रों का मूल्याांकन और आकलन तनयभमि रूि से
ककया जािा है । क्योंकक तनयभमि रूि से मल्
ू याांकन करने से छात्र की व्यािक िरि हो जािी है।
Ans : (d)
भाषाभशक्षणकक्ष्यायाां रिनािादस्य अथििः -छात्रािः प्रिञ्िविषये स्िकीयम ् अध्ययनां, ज्ञानञ्ि
िस्िूनाां प्रतित्रबम्बन अनभ
ु िद्िारा, भाषाकौशलेन ि प्राप्नि
ु न्ति इति। अथािि ् भाषा भशक्षण की
कक्षा में रिनािाद का छात्र अिने सम्बन्तधि विषय का अध्ययन, ज्ञान और िस्िुओां का
प्रतित्रबम्ब अिने अनुभि द्िारा और भाषा कौशल के द्िारा प्राप्ि करिा है ।
Ans : (c)
िाठ्यिस्िओु ां की समग्रिा का अभभप्राय विभभतन अनच्
ु छे द और िाक्यों के बीि िरस्िर
सम्बद्धिा हदिाने के भलए सभी नाम िदों का प्रयोग है ।
Ans : (c)
ककसी सांस्कृि कक्षा में अचधकाचधक सांस्कृि के प्रयोग से यह लाभ होिा है कक सहज सांस्कृि
प्राप्ि करने हे िु सांस्कृि िररिेश का तनमािण होिा है ।
Ans : (a)
छात्रों से प्रश्नों का िछ
ू ा जाना उनके ज्ञान को प्रोत्साहहि करिा है । इससे उनमें अध्ययन के
प्रति विशेष रुचि बनी रहिी है ।
Ans : (c)
भाषा अध्ययन और आकलन के विभाग का नाम इस प्रकार है-“ छात्रायािः काभलकिः
कायिसांग्रहिः, यिः िस्यािः प्रगति दशियेि ्” अथािि ् छात्रों का समयानस
ु ार कायों का सांग्रह िथा
उसकी प्रगति को दे िना िाहहए।
Ans : (b)
आकलनस्य तनकषिः (Criteria) – विद्याचथिना सामथ्यिस्य सामातयज्ञानम ्। िात्ियि है -
आकलन तनकलिा है - सामातय ज्ञान से विद्याचथियों के सामथ्यि का आकलन ककया जािा है ।
Ans : (b)
उििारात्मक भशक्षण का अभभप्राय है - छात्र न्जस अथि को समझने में असमथि है उस
असमथििा को दरू करने का उिाय ककया जािा है। अििः इस प्रकार के भशक्षण में छात्र के
बहुमुिी प्रतिभा िर ध्यान हदया जािा है ।
Ans : (d)
छात्र केन्तिि कक्षा का अभभप्राय है - विभभतन गतिविचधयों में छात्रों के िठन-िाठन की
प्रकिया।।
Ans : (c)
भाषा का अजिन अतिर तनहहि ही होिा है । मनष्ु य जतम से ही ककसी भी भाषा से युक्ि होिा
है । इस व्यिस्था से ही िह व्यिहार करिा है । यह वििार प्राकृतिक उिागम से सम्बद्ध है।
Ans : (b)
िाठन प्रणाली में अथािि ् िढ़ने और िढ़ाने (िठनिाठन) के समय मल
ू रूि से िढ़िे समय ‘िाठ
के अथि को बोचधि करना' महत्त्ििूणि होिा हैं कारण यह है कक यहद छात्र िठन ् कायि कर रहा है
िो सििप्रथम उसे िहठि िस्िु िाठ विशेष का 'अथाििगमन' होना िाहहए।
Q.22. लसंहतय पर्षये एका कथां पदित्र्ा लशक्षक्षका छात्रान ् ननदिव शनि- "भर्ान ् तर्यम ्
अरण्ये लसंहः अस्ति इनि मनलस पर्चायव कथां श्रार्यि ्" इनि। एर्ं सा ककं पर्कलसिुं
प्रयत्नं करोनि?
(a) सजिनात्मकिाां चितिनक्षमिाञ्ि (b) रूिातिरणम ् अनुिादञ्ि
(c) िठनकौशलां लेिनकौशलञ्ि (d) प्रारूिलेिनां िन
ु लेिनञ्ि
Ans : (a)
प्रश्नानुसार भसांह के विषय में एक कथा को िढ़कर भशक्षक्षका छात्रों को तनदे श दे िी है- कक यहद
“आि स्ियां जांगल में शेर हैं, ऐसा मन में वििार करके कथा को सन
ु ो।" इस प्रकार का भशक्षक्षका
का प्रयास तनन्श्िि रूि से छात्रों की सजिनात्मक चितिन क्षमिा का विकास करना ही है।"
क्योंकक भशक्षक्षका छात्रों को िाककिक एिां वििेकशील बनाना िाहिी हैं न्जससे उनके चितिन
शन्क्ि का भी विकास भली भााँति हो सके।
Ans : (d)
प्रारन्म्भक स्िर में कवििा का प्रयोजन (उद्दे श्य) कवििा के सांगीि (गान), िाल और अनप्र
ु ास
के आनतद की अनभ
ु तू ि से होिा है । कवििा काव्य का ही सक्ष्
ू म अङ्गी कहलािी है । इसीभलए
कवििा को िढ़िे समय िद्यों के लय, िाल, एिां गति का विशेष ध्यान रिना िाहहए।
Ans : (a)
विद्यालय भशक्षण में प्रथम भाषा का अध्ययन उस बच्िे को उसकी 'मािभ
ृ ाषा' के रूि में दे ना
िाहहए। क्योंकक िह बालक िररिार में अिनी मािभ
ृ ाषा में िलिा-बढ़िा है।
Q.25. चिुथक
व क्षायाः सोमया नाम बािा पिनसमये एकम ् अपररधचंि शब्िं पश्यनि। सा
(a) सतदभािनस
ु ारम ् अथिस्य अनम
ु ानां कुयािि ् (b) शब्दस्याथि कन्च्िि ् िच्
ृ छे ि ्
(c) शब्दां दल
ु क्षि क्षि कुयािि ् (d) शब्दकोषे शब्दस्याथं िश्येि ्
Ans : (a)
यहद भशक्षण के समय ऐसा हो कक- िौथी कक्षा की कोई छात्र/छात्रा िढ़िे समय ककसी भी एक
अिररि शब्द को दे ििी है िो िह तनन्श्िि रूि से उस शब्द के अथि को जानने का प्रयास
करे गी। िथा उस अथि को सतदभि के अनस
ु ार अनम
ु ातनि करे गी।
Ans : (d)
प्रत्यक्ष विचध से कदावि भी मािभ
ृ ाषा का व्यिधान नहीां होगा। बन्ल्क अतय िीनों विकल्िों से
मािभ
ृ ाषा व्यिधान अिेक्षक्षि भसद्ध हो सकिा है । क्योंकक प्रत्यक्ष विचध मािभ
ृ ाषा का
अिबोधक है।
Ans : (b)
छात्र केन्तिि अनद
ु े शन एक िैयन्क्ि अनद
ु े शन होिा है । जबकक व्याख्यान सामहू हक अनद
ु े शन
होिा है ।
Ans : (c)
छात्रों के लेिन कौशल का मल्
ू याांकन लेिन के सतदभि में प्रतििुन्ष्टदान एिां अिलोकन
आिश्यक है ।
Ans : (a)
िररिच्
ृ छा आधाररि अचधगमन यह होिा है कक छात्रों से प्रश्नों को िूछने को प्रेररि ककया जाय।
इससे उनकी मौभलक अभभव्यन्क्ि का ज्ञान होिा है और साथ-ही-साथ िहठि िाठ की
भािगम्यिा भी तनदभशिि होिी है।
Ans : (c)
छात्रािः भभतन-योग्यिा-व्यन्क्ित्ि-सामान्जकिष्ृ ठभूभमयक्
ु िािः भिन्ति। िात्ियि-छात्रों की
भभतन-भभतन योग्यिा और व्यन्क्ित्ि सामान्जक िष्ृ ठभूभम से यक्
ु ि होिी है।
Ans : (d)
भाििाच्यात्मक किया िद का उदाहरण है -हसति। भाििाच्य का अथि है -केिल ककसी किया का
होना हदिाना। यह सदा प्रथम िरु
ु ष एकििन में होिा है । किाि के अनुसार इसके रूि नहीां
बदलिे, जैसे-िेन भूििे, िैिः भूििे, हसति, भूिाि इत्याहद।
Ans : (d)
िाठ्यियाि नामक भशक्षण कायििम न्जसके अतिगिि िाठ्यिस्िु, बोधनयुक्ि (ज्ञानात्मक
विकास), अचधगमनात्मक अनभ
ु ि (अचधगम का अथि सीिने से है) िथा आकलन का प्रतिमान
इत्याहद आिे हैं।
Q.33. व्याकरर्बोिनतयोपयोगः
(a) तनरगिलभाषणशक्त्यभभिधिनम ् (b) साक्षरिाभभिधिनम ्
(c) सांख्यािद्
ृ चधिः (d) यथाथििाभभिधिनम ्
Ans : (d)
व्याकरण के ज्ञान का उियोग शुद्धिा (यथाथििा) में िद्
ृ चध करिा है । व्याकरण के द्िारा
शब्दों का शद्
ु ध एिां िररमान्जिि ज्ञान की प्रान्प्ि होिी है अििः व्याकरण यथाथििा की िद्
ृ चध
करिा है।
Ans : (a)
भशशु के सिािङ्गीण विकास की अभभिद्
ृ चध यह द्योतिि करिी है कक छात्र का शारीररक
विकास मानभसक विकास िथा भािनात्मक विकास ियािप्ि रूि से हुआ है िह शारीररक,
मानभसक ि भािनात्मक रूि से समथि है। िह सामररक िररन्स्थतियों से सामना करने में
समथि है। अििः सिांगीण विकास में इन सबकी िद्
ृ चध होिी है।
Ans : (d)
एक अलाि द्िारा िीन उिकौशलों का आकलन ककया जािा है। िे हैं- िहला स्िर लहरी दस
ू रा
ध्ितन गण
ु और िीसरा गति।
Ans : (d)
िररप्रश्न से प्रश्न की समस्या का समाधान होिा है । इससे प्रश्नगि कथ्य की मल
ू बािों की
सही जानकारी प्राप्ि होिी है । िररप्रश्न अचधगमन का प्रयोग ही प्रश्नगि समस्या के समाधान
करने के प्रयास के रूि में जाना जािा है ।
Ans : (a)
अचधकृि श्रिण का आश्य है - विभशष्ट सूिना प्राप्ि करने हे िु बड़ी सािधानी से श्रिण करना।
अिधानिि
ू क
ि श्रिण ककसी भी सि
ू ना को सम्यक रूि से ग्रहण करने का सबसे उियुक्ि िरीका
है ।
Q.38. छत्रार्ां शब्िार्ि ज्ञानर्िवनाथवम ् अिोलिखििेषु किमा प्रभार्ीिमायोजना तयाि ्?
(a) प्रत्येकनिीनशब्दप्रयोगेण सह िाक्यतनमािणम ्
(b) वििरीिाथिकानाां ियाियिाचिनाां ि शब्दानाां स्मरणम ्
(c) प्रस्िुिसतदभािनस
ु ारां निीनशब्दानाम ् अथािनम
ु ानम ्
(d) प्रत्येकनिीनशब्दाथि शब्दकोषिरामशििः
Ans : (c)
छात्रा के शब्दािली ज्ञानिद्िधन हेिु प्रस्िुि सतदभि के अनस
ु ार निीन शब्दों के अथि का
अनुदान लगाना प्रभािी योजना है।
Ans : (b)
ककसी भाषा के ज्ञान से िात्ियि उस भाषा के सभी शब्दों के ज्ञान से है क्योंकक शब्द ज्ञान से ही
उस भाषा का अथिग्रहण या समझ विकभसि होिी है।
Ans : (a)
छात्रों के भाषा अचधगम सिािचधक प्रभािी िद्धति बार-बार उनकी िरीक्षा लेना है। इससे उनमें
अिने िाठ्य विषय के प्रति बराबर लगन बनी रहेगी और सम्यक अध्ययन होिा रहे गा।
Ans : (d)
भशक्षक कक्षा में िाठय िस्
ु िकों के सकिय बोधन हे िु प्रेररि करिा है । भशक्षक के भलए िो यह
विशेष आिश्यक है कक छात्र स्ियां प्रश्नों को िछ
ू े । ऐसा करने से छात्रों की विषयगि ग्रानयिा
स्िष्ट होिी है।
Ans : (c)
छठी कक्षा का छात्र शीघ्रिा से एक कथा िढ़िा है। भशक्षक छात्रों से प्रश्न का उत्तर िछ
ू िा है ,
“अशोक घर से ककस कारण भागा? यह प्रश्न छात्रों के अथि सम्भािना के कौशल की अिेक्षा
करिा है।
Ans : (a)
भारिीयच्छात्रस्य मािभ
ृ ाषायािः भशक्षणाय महिी आिश्यकिा अन्स्ि। अथािि ् भारिीय छात्र के
भाषा के विकास के सतदभि में उसकी मािभ
ृ ाषा के भशक्षण की अत्यचधक आिश्यकिा होिी है।
क्योंकक िररिार छात्र की प्रथम िाठशाला होिी है ।
Ans : (c)
प्रेरणािद्धतििः भशक्षणिद्धतििः उच्यिे अथािि ् प्रेरणािद्धति को भशक्षण िद्धति कहा जािा है ।
जबकक ियनिद्धतििः िथा रुचििद्धतििः भशक्षण िद्धति नहीां है ।
Ans : (c)
प्रादे भशकभाषाविकासाय समस्या एित्माध्यमेन नान्स्िअन्स्मन ् विषये जनानाां िररियाभाििः।
अथािि ् प्रादे भशकभाषाविकास के सतदभि में छात्र को समस्या नहीां होिी क्योंकक िह इस विषय
के सतदभि में लोगों से िररिय रहहि रहिा है िह केिल अिने सगे सम्बन्तधयों एिां स्िभमत्रों के
सम्िकि में अचधक रहिा है।
Ans : (a)
'उत्िादन कौशल' िह कौशल है न्जसके अतिगिि सम्भाषण और लेिन को सांक्षक्षन्प्िि ककया
जािा है । सम्भाषण और लेिन उत्िादन कौशल के आधारस्िम्भ है ।
Ans : (c)
भशक्षण की कुछ विचधयााँ होिी हैं। न्जनमें से 'कथाश्रिण विचध' भी प्रमुि है । यहद विद्याथी िर
इस विचध का प्रयोग ककया जािा है िो इससे विद्याथी के श्रिणसम्भाषण कौशल का विकास
होिा है ।
Ans : (b)
साहहत्य का उदाहरण 'तनबतध' िद है । क्योंकक साहहत्य का प्राण या इसे साहहत्य का स्रष्टा कह
सकिे हैं।
Q.50. व्याकरर्लशक्षर्-सम्बद्ि-युस्क्ट्ियक्ट्
ु िं पररदृश्यम ् ककम ्?
(a) व्याकरणतनयमानाम ् अिगमनाथिम ् अतिेषणाथं ि छात्रािः प्रेरणीयािः।
(b) व्याकरणात्मक-सांरिना-अभ्यास-कृिे अतिररक्िानामा अभ्यासानाम ् आिश्यकिा अन्स्ि।
(c) व्याकरण-तनयमानाां प्रयोगाथं सम्प्रेषणात्मकातन कौशलातन िररसीभमिातन भिन्ति।
(d) व्याकरण-तनयमानाां भसद्धयथं लेिनकौशलाभ्यासिः एि समीिीनिः उिायिः।
Ans : (a)
व्याकरण भशक्षण से सम्बद्ध युन्क्ियुक्ि िररदृश्य व्याकरण तनयमों का अिगमन एिां
अतिेषण कर छात्रों को प्रेररि करना है । इससे छात्रों में व्याकरण के प्रति रुचि में भी िद्
ृ चध
होिी है ।
Ans : (d)
भविष्यकथनम ् अथािि भविष्यिाणी उिकौशल िाणी से सम्बद्ध होिा है । 'िािन'
भविष्यकथन नामक शैली की प्रमुि विशेषिा है ।
Ans : (a)
वितयास िाठन प्रकिया का अभभतन भाग होिा है । जबकक प्रत्यय शब्द के अति में और उिसगि
शब्द के प्रारम्भ में आिे हैं।
Ans : (b)
िास्ििीयिात्मकां है - सांगणकयतत्र द्िारा प्रगििममेकम ्। िात्ियि - सांगणक यांत्र द्िारा
प्रगति कायि में एक के बाद एक िास्िविकिा को प्रकट करना।
Ans : (d)
चित्रों का अिलोकन (अिबोधन) कराने से कलाकौशल की िद्
ृ चध होिी है। कला के ज्ञान का
विकास चित्रों के द्िारा होिा है । चित्रों का अिबोध होने से उसके अभ्यास से कला में कुशलिा
आिी है।
Ans : (b)
भशक्षकों द्िारा शारीररक दण्ि छात्रों को नहीां दे ना िाहहए, क्योंकक इससे छात्रों के मनोभार में
भय उत्ितन हो जािा है । शारीररक दण्ि दे ने से छात्र के मन में हमेशा के भलए भय उत्ितन
होिा है न्जससे भशक्षा िर वििरीि असर िड़िा है ।
Q.56. भाषा-अजन
ुव दृरट्या असम्यक् पररर्ेषेर् अलभप्रायः अस्ति
(a) लक्ष्यभाषायािः प्रयोगिः न कियिे
(b) यदा कदा अनि
ु ादस्य अवि साहाय्यां स्िीकियिे
(c) कक्षायाां छात्रािः अवि सकियािः भिन्ति
(d) लक्ष्यभाषािाठनसमये मािभ
ृ ाषायािः प्रयोगिः यदा कदा कियिे
Ans : (a)
भाषा-अजनुि दृन्ष्ट से असम्यक िररिेश का अभभप्राय हदये गये विकल्िों में सही विकल्ि है -
लक्ष्य भाषा का प्रयोग न करना। क्योंकक लक्ष्य भाषा का प्रयोग यहााँ अनुचिि होिा है।
Ans : (d)
भाषा भशक्षण की महत्ििूणि अिस्था यह है कक न्जससे बालक भाषा अजिन में िूणि सक्षम हो।
अथािि उनको इस िरह से िढ़ाया जाय कक उतहें भाषागि जानकारी हो जाए ।
Ans : (b)
भाषा अजिन के भलए भाषा िररिेश तनमािण से सहज भाषा अचधग्रहण आिश्यक होिा है ।
सहजभाषा समझने में सरल होिी है ।
Q.59. िेिनकौशनपर्काससमग्रे लशक्षकः मुख्यिया अर्िारयेि ्
(a) कालमयािदाम ् (b) सुतदहस्िाक्षरम ्
(c) व्याकरणम ् (d) भािाभभव्यन्क्िम ्
Ans : (d)
लेिन कौशल के विकास के समय भशक्षक को मुख्य रूि से भािभभव्यन्क्ि प्रधान होना
िाहहए। लेिन कौशल की िाहि, शब्द ज्ञान के साथ-साथ भािों िर आधाररि होिी है ।
Ans : (c)
कतििय प्रतििाद्य िढ़ने के बाद उस िर अिनी हटप्िणी भलिना एक सार कथन का भाग है ।
Q.61. त्रत्रभाषासत्र
ू ानस
ु ारं प्रथमभाषा भर्ेि ्
(a) आांग्लभाषा (b) आधुतनक भारिीय भाषा
(c) मािभ
ृ ाषा अथिा प्रातिीयभाषा (d) हहतदीभाषा
Ans : (c)
त्रत्रभाषा सत्र
ू के अनस
ु ार प्रथम भाषा मािभ
ृ ाषा अथिा प्रातिीय भाषा होिी है ।
Ans : (c)
छठीां कक्षा के अांग्रेजी िाठ्य िुस्िक में िषाि जल सांरक्षण िर एक िाठ हदया गया है । िाठ के
आरम्भ के िहले भशक्षक छात्रों को भलिने को तनदे भशि करिा है कक सम्प्रति विषय में िे क्या-
क्या जानिे हैं और क्या-क्या जानने की इच्छा रििे हैं। इस प्रकार िाठ िढ़कर छात्र जैसा
समझिे हैं िैसा भलििे हैं। इस प्रकार की िठन विचध के. िब्ल्यू.एल. विचध कही जािी है।
िाठ को िढ़ाने के िश्िाि ् छात्रों को उस िाठ िर लेि भलिने के भलए कहना 'मेटाकॉन्ग्नशन'
कहलािा है। इससे छात्रों के ज्ञान स्िर के विषय में जानकारी प्राप्ि हो जािी है।
Q.63. षरिकक्षायाः एकः छात्रः एकं पािं पिनि यस्तमन ् सः एकतय शब्ितय अथं न
जानानि। ििा िेन
(a) शब्दिः उिेक्षक्षिव्यिः (b) बद्
ु चधमत्तया अनम
ु ेयम ्
(c) शब्दकोषिः िष्टव्यिः (d) भशक्षकिः प्रष्टव्यिः
Ans : (b)
छठी कक्षा का एक छात्र एक िाठ िढ़िा है न्जसमें िह एक शब्द का अथि नहीां जानिा। िब िह
बद्
ु चधमानी से उसका चितिन करिा है ।
Ans : (a)
साििीां कक्षा की अांग्रेजी भाषा की भशक्षक्षका अिने छात्रों को मौखिक भाषा में दक्षिा बढ़ाने को
सोििी है । इसभलए िह कक्षा में बच्िो को आिस में बाििीि करने के भलए प्रोत्साहहि करिी
है ।
Ans : (d)
रटनाभ्यासकारणेन विद्याचथिनाां विकासे क्षतििः िेषाम ् आत्मविश्िासिः नष्टिः भिति अथािि ्
विद्याचथियों के भाषा विकास में रटना प्रकिया के द्िारा उनके आत्मविश्िास को नष्ट करिा
है । न्जस कारण बच्िो के भाषा विकास में बाधा उत्ितन होिी है ।
Ans : (b)
भाषायाां तनरतिर, समग्रमूल्याङ्कनाथं विभभतनसतदभेषु भाषाप्रयोगसामथ्यिम ् बलां दे यम ्।
अथािि - भाषा का तनरां िर समग्र मूल्याांकन विभभतन सांदभो में भाषा का उचिि प्रयोग करने िर
बल दे िा है ।
Ans : (d)
भाषाबोधस्य अध्ययनाथिम ् उद्दे शस्य अनस
ु ारां भाषाभशक्षणस्य आिश्यकिा न भिति। अथािि ्
- भाषा बोध के अध्ययन के उद्दे श्यानस
ु ार भाषाभशक्षण की आिश्यकिा नहीां होिी है ।
Ans : (c)
भाषा अचधगम और भाषा अचधग्रहण दोनों के बीि भेद हैं। भाषा अचधगम प्रयास का जनक
कहलािी है िथा भाषा अचधग्रहण सहजिा (स्िाभाविकिा) की जनक कहलािी है । भाषा
अचधगम भाषा का मल
ू अध्ययन ज्ञान है िथा भाषा अचधग्रहण भाषा का िाररिाररक िररिेश से
सम्बन्तधि सहज ज्ञान है ।
Ans : (d)
प्रथम कक्षा के छात्रों को भाषा िठन कायि में 'मम िररिारिः' (मेरा िररिार) यह विषय सििश्रेष्ठ
एिां उत्तम रहेगा।
Ans : (a)
लेिन का िहला सोिान विद्याथी को लेिनोद्दे श्य हे िु मागिदशिन रूिी लेिन है
Ans : (d)
छात्रों को स्िाध्याय हे िु प्रेररि होना िाहहए। इसका कौन सा उिाय समीिीन है ? इसका
सम्प्रति प्रश्नगि सही उिाय यह है कक छात्रों को अचधकाचधक न्जज्ञासु होना िाहहए।
Ans : (c)
भाषण-लेिन-कौशल-सम्बद्ध तनभमत्त प्रदत्त प्रतििन्ु ष्ट प्रभाििूण-ि भशक्षण अचधगम प्रकिया का
आयोजन रिनात्मक मल्
ू याांकन से सम्बद्ध है।
Ans : (d)
ध्ितन में सांज्ञान से अथि-अिबोधन प्रकिया श्रिण नामक कौशल से सम्बद्ध है।
Ans : (d)
सांस्थाओां में अतििःशैक्षखणक - सम्ितनमल
ू वितनमयकरण सांिहन ितत्रज्ञान होिा है -
अतिजािलम ् (Internet) आतिररक शैक्षखणक को सम्ितन करने के भलए वितनमयकरण करिे
हैं। अतिजािलम ् जो िरू े विश्ि के ज्ञान को समाहहि रििा है ।
Q.75. पर्तिि
ृ पिानां प्रिीपिमः
(a) भारि + यूरोिीय-भारोिीय (b) प्रयोजकिः-अप्रयोजकिः
(c) मतत्रिः (सांस्कृिम ्)-मतत्रिः (हहतदी) (d) िोरिः-िुरति
Ans : (b)
विस्िि
ृ िदानाां प्रिीििमिः का प्रयोग प्रयोजक िथा अप्रयोजक के भलए ककया गया है । प्रयोजक
उसे कहिे हैं जो आयोजनकिाि होिा है । ककसी प्रयोजन की ितू िि के भलए जो कायि करिा है उसे
प्रयोजक कहिे हैं।
Ans : (c)
सम्प्रेषणात्मक भाषा भशक्षण में उियोगी रुहढ़ शब्द ध्ितन शास्त्र एिां व्याकरण को सूचिि
करिी है। व्याकरण के अभ्यास द्िारा सांस्कृि िढ़ाई जािी है। ध्ितन शास्त्र का ज्ञान कराया
जािा है । ये दोनों रूहढ़ शब्द सम्प्रेषणात्मक भाषा भशक्षण के भलए उियोगी है ।
Q.77. लशक्षासम्बद्ि-मि ू भि
ू ाधिकारःसंपर्िानतयानेन परररकरर्ेन कायावन्र्यी कृिः
(a) सांविधानस्य त्र्यशीतििमेन िररष्करणेन (b) सांविधानस्य षड्शीतििमेन िररष्करणेन
(c) सांविधानस्य त्रत्रनितििमेन िररष्करणेन (d) सांविधानस्य षण्णितििमेन िररष्करणेन
Ans : (c)
भशक्षा से सम्बन्तधि मल
ू भूि अचधकार सांविधान के 93िें सांविधान सांशोधन में स्िीकृि ककया
गया था। अथािि ् 93िें सांविधान सांशोधन में भशक्षा को मल
ू ाचधकार के अतिगिि शाभमल ककया
गया।
Q.78. र्ाक्ट्कौशिं संर्िवनयिम
ु ् उत्तमोपायाः
(a) िास्ििजीिनसतदभेषु सांिहनम ् (b) अध्यािकदत्तप्रतिमानानाां श्रिणम ्
(c) सम्भाषणे सििथा दोषाणाां िररहरणम ् (d) आनिानयक्
ु िन्क्लष्टिरिाठानाां िठनम ्
Ans : (c)
िाक् कौशल को बढ़ाने के भलए (सांिचधिि करने के भलए) सबसे उत्तम उिाय सम्भाषण से होिा
है जो सििथा दोषों का अिहरण करिा है अथािि ् भाषण िाक् कौशल के भलए अत्यति उियोगी
है जो दोषों को दरू करिा है ।
Ans : (d)
साराांश लेिन के भलए दो कौशल आिश्यक होिे हैं। िे हैं- सामातय और प्रमुि त्रबतदओ
ु ां का
सांज्ञान। मुख्य सामातय में सांिूणि रूि से बोधगि स्िर िर भलिा जािा है।
Ans : (d)
लेिन भाषण से िथ
ृ क होिा है । लेिन में िन
ु रािवृ त्त अथिा सांक्षि
े ीकरण की तयूनिा होिी है ।
भाषण में िन
ु रािवृ त्त िथा सांक्षि
े ीकरण दोनों की सांभािना रहिी है ।
Q.81. प्राथलमकतिरे र्ाचनक्षमिायाः आकिनाथं प्रभार्शाि पर्धिः अस्ति
(a) शब्दाथिमचधकृत्य भाषािीिा (b) िहठिसामग्रीमचधकृत्य साक्षात्कारिः
(c) सारलेिन-सम्बद्धां प्रायोजनात्मकां कायिम ् (d) कथाधाररिां भलखििां कायिम ्
Ans : (a)
प्राथभमक स्िर िर िािन क्षमिा के आांकलन के भलए प्रभािशाली विचध शब्दों के अथि को
ग्रहण कर भाषागि िीड़ा करना है ।
Ans : (c)
प्रत्येक भाषा की अिनी भलवि होिी है । यह उन्क्ि सत्य है जैसे हहतदी की अिनी दे िनागरी
भलवि है ।
Q.83. शालिनी एकतय पुतिकतय परृ िे षु दृस्रटं ननक्षक्षपनि। एर्ं सा ककं करोनि?
(a) चित्राणाम ् अिलोकनां करोति (b) गम्भीरिया अध्ययनां करोति
(c) ियािलोिनां करोति। (d) विशेषसि
ू नाथिम ् अतिेषणां करोति
Ans : (b)
शाभलनी एक िुस्िक के िष्ृ ठ िर अिनी दृन्ष्ट गम्भीरिा से रििी है । इसका आशय यह कक
िह गम्भीरिा से अध्ययन करिी है ।
Ans : (a)
कक्षा में छात्रों के कवििा िािन का प्रमि
ु प्रयोजन कवििा के प्रति स्ि प्रतिकिया प्रदशिन है ।
इससे छात्रों में कवििा के प्रति रुचि बढ़िी है ।
Q.86. िेिनम ् एका प्रकिया इनि मन्यिे चेि, ककं नास्ति अत्यार्श्यकः भागः?
(a) मल्
ू याङ्कनम ् (b) सम्िादनम ् (c) प्रारूितनमािणम ् (d) िुनरिलोकनम ्
Ans : (a)
लेिन एक प्रकिया है , ऐसा माना जािा है । मल्
ू याांकन इसका अत्यािश्यक भाग नहीां माना
जािा। जबकक सम्िादन, प्रारूितनमािण और िुनरािलोकन लेिन प्रकिया के भाग हैं।
Q.87. चौमतकी-मिानस
ु ारं मनरु याः जन्मगिभाषाग्रहर्सािनं िारयस्न्ि येन िेषु
उत्पद्यिे
(a) जहटलशब्दािः (Complex words)
(b) िणिवििारिः (Phonemes)
(c) अथिवििारिः (Semantics)
(d) साधारणव्याकरणम ् (Universal grammar)
Ans : (d)
िौमस्की के मिानस
ु ार मनष्ु य जतमगि भाषा ग्रहण साधन धारण करिे हैं। न्जससे उनमें
साधारण व्याकरण उत्ितन होिा है और जतमिि ् भाषा ग्रहण ही िास्िविक व्याकरण जानने
का आधार होिी है।
Ans : (d)
मािभ
ृ ाषाभशक्षणोियोचग ज्ञानलक्ष्येषु, उच्िारणस्य ज्ञानाजिनम ्, भाषागिविभभतन प्रकारकाणाां
लेिानाां ज्ञानाजिनम ् िथा भाषाित्त्िानाां प्रभूिज्ञानप्रान्प्ििः अन्स्ि। अथािि ् मािभ
ृ ाषा भशक्षण के
उियोगी उिकरण उच्िारण का ज्ञानाजिन, भाषागि अनेक प्रकार के लेिन एिां ज्ञानाजिन िथा
भाषा ित्त्िों का प्रभूि ज्ञान ये सभी ित्त्ि बहुि जरुरी होिे है । जबकक विषयिस्िु का ज्ञानाजिन
आिश्यक नहीां है। अििः विकल्ि (d) भाषा भशक्षण के ज्ञान से सम्बन्तधि नहीां है ।
Ans : (b)
भाषायाां मूल्याङ्कनस्य मुख्य उद्दे श्यिः अचधगमे त्रट
ु ीनाां तनरीक्षणां िथा तयूनिा िररष्करणम ्।
भाषा के मूल्याङ्कन का मुख्य उद्दे श्य अचधगम की त्रहु टयों का तनरीक्षण करना और उसका
गहनिा से िरीक्षण करना। भाषा का मूल्याङ्कन िभी समुचिि प्रकार से हो सकिा है। जब
हम उसमें व्याप्ि छोटी-सी छोटी कमी को िोज सकें।
Ans : (c)
भशक्षक यहद भशक्षण के समय बालसाहहत्य के प्रति बालकों के रूझान को अचधकाचधक प्रेररि
करिा है िो इससे बालक के िठन कौशल का विकास िीव्र होिा है। क्योंकक प्राथभमक स्िर का
बालक बाल साहहत्य में रूचिकर प्रिवृ त्त को हदिािा है ।
Q.91. सििसमग्रमल्
ू याङ्खकनं सङ्खकेियनि
(a) अन्तिममूल्याङ्कनम ् (b) विद्ित्तायािः ित्सम्बन्तधििः िां
(c) सििविद्याविषयाणाां मूल्याङ्कनम ् (d) सहिाठ्यकियाकलािानाां मल्
ू याङ्कनम ्
Ans : (b)
तनरतिर सम्िण
ू ि मल्
ू याांकन व्यन्क्ि के उसकी विद्ििा से सम्बन्तधि ज्ञान ही होिा है । अथािि ्
मल्
ू याांकन किाि ककसी इष्ट का मल्
ू याांकन कायि करिा है और उसमें सफल होिा है िो िह कायि
उस किाि का ज्ञान-विज्ञान (विद्ििा ज्ञान) कहलािा है ।
Ans : (c)
लेिनीघषिणम ् (लेिनी का हहल-िुल कर िलना) अस्िष्ट शब्दोच्िारणम ् इत्याहद उद्गामी
साक्षरिायाम ् को बिािे हैं।
Ans : (d)
ऐसे बालक न्जनका भाषा विकास विलन्म्बि होिा है , उतहें अभभप्रेरणा सम्बतधी िरस्िर
सम्भाषण हे िु प्रोत्साहन की गतिविचध समीिीन है।
Ans : (a)
अत्यचधक तनयांत्रण एिां िररसीभमि लक्ष्य केन्तिि कक्षा में भाषा अभ्यास से सांरिना केन्तिि
अभ्यास और ररक्ि स्थान िूतिि सम्बद्ध अभ्यास का अिबोधन होिा है ।
Ans : (d)
अिगमन सतदभि में लोककथा साहहत्य, िािन और िथ्यात्मक साहहत्य के बीि भेद है ।
लोककथा साहहत्य में िािन की दृन्ष्ट से छात्रों से शैलीगि प्रशांसा और लेिक के भाि का
मल्
ू याांकन अिेक्षक्षि होिा है ।
Ans : (a)
िदद्िय समस्यिदस्य उदाहरणम ् - रामश्ि कृष्णश्ि। यह द्ितद्ि समास का इिरे िर
द्ितद्ि समास है। न्जस समास में दोनों िदों में 'और' का अथि तनकलिा हो िथा समस्ि िद
में अन्तिम शब्द के भलांग के अनस
ु ार भलांग का प्रयोग हो िो शब्दों की सांख्या के अनुसार अति
में ििन का प्रयोग होिा हो अथािि ् दो िस्िुएाँ हों, द्विििन और अचधक िस्िए
ु ाँ हों, िो
बहुििन। इस समास में विग्रह करने िर प्रत्येक शब्द के बाद ि लगिा है। रामश्ि कृष्णश्ि
का समस्ििद रामकृष्णौ होगा।
Q.97. भाषालशक्षर्े ननयन्त्रर्ं नाम
(a) लक्ष्यभाषायािः तनरगिलोियोगिः (b) िररिीक्षक्षि-भाषाभशक्षणम ्
(c) उिाध्यायतनयन्तत्रि-भाषाभशक्षणम ् (d) यथाथििाां तनधािरतयिांु व्याकरणस्योियोगिः
Ans : (d)
भाषा भशक्षण में तनयतत्रण का नाम इस प्रकार है“यथािथि
ि ाां तनधािरवििुां व्याकरणस्योियोगिः”
अथािि ् यथाथििा तनधािरण करने के भलए व्याकरण का उियोग ककया जािा है।
Q.98. इनिर्त्त
ृ ालभिेिनतयोपयोगः
(a) शैक्षखणकक्षेत्राणाां प्रशस्यिा
(b) जीिनस्य अभभित्त
ृ ीनाां मौल्यानाां जीिनकौशलानाम ् आकलनम ्
(c) छात्राणाां कियात्मकािश्यकिानाां विश्लेषणम ्
(d) भावषकनैिुण्याकलने सहाय्यम ्
Ans : (b)
इतिित्त
ृ अभभलेिन का उियोग मौभलक जीिन में कुशलिा के आांकलन से सम्बन्तधि है।
Q.99. पिनपर्
ू कव ायवतयोद्िे शः
(a) कहठनानाां शब्दानाां िदिञ्
ु जानाां ि अथितनधािरणम ् (b) छात्राणाां िठनकौशलमौल्याङ्कनम ्
(c) िाठे व्याकरणाांशानाां वििरणम ् (d) मुख्यविषयप्रस्िि
ु ौ छात्राणाां प्रेरणम ्
Ans : (d)
िठनिणू ि कायि का उद्दे श्य मख्
ु य विषय को प्रस्िि
ु करना होिा है न्जससे छात्रों को प्रेरणा भमल
सके। अििः िठन से िहले यहद प्रमि
ु विषय का िररिय हो िो इससे छात्रों को प्रेरणा भमलिी
है ।
Q.100. "छात्राः पाठ्यर्तिुननः भार्म ् अर्गन्िुं समथावः सस्न्ि न र्ा, शब्िाथावन ्
अधिगन्िुं समथावः सस्न्ि न र्ा शब्िाथव ज्ञािम
ु ् अन्र्ेषर्ं किुं समथावः असमथावः र्ा"
इत्यथं कृिप्रयासाः केन सम्बद्िाः सस्न्ि।
(a) मल
ू िथ्यां ज्ञािुां श्रिणात्मक-मूल्याङ्कनेन (b) िठन-अिबोधन-मूल्याङ्कनेन
(c) सांिेगात्मक-प्रतिकियात्मक-मल्
ू याङ्कनेन (d) वििारोद्घाटनेन
Ans : (b)
छात्र िाठ्यिस्िु के भािों को जानने में न िो समथि है , न िो शब्दों के अथि को समझने में
समथि है और न ही शब्दाथि को जानने ि अतिेषण करने में समथि अथिा असमथि है। यह भाि
िठन-अिबोधन एिां मल्
ू याांकन से सम्बन्तधि है।
Ans : (c)
नाटक िढ़िे समय सबसे जरूरी है कक छात्रों द्िारा भाि का अनुगणन होना िाहहए एिां नाटक
का अभभनय भी यथा भाि तनहदि ष्ट सम्यक होना िाहहए।
Ans : (d)
द्वििीय भाषा भशक्षण के सतदभि में छात्रों को हदये गये आदे श का िालन करने में समथि होना
िाहहए। इस मल्
ू याांकन के भलए आिश्यक है - हदये गये तनदे शों का सांरक्षण करना और उसका
स्मरण करना।
Ans : (c)
भाषायािः प्राथभमकरूिम ् सङ्केिभाषा अन्स्ि। भाषा का प्राथभमकरूि साांकेतिक भाषा है ।
व्यन्क्ि जब कुछ सीिना ि जानना िाहिा है िो िहले उसे सांकेि के माध्यम से ही भसिाया
जािा है । और कफर िह बोलने लगिा है और अति में िह भलिना भी सीि जािा है।
Ans : (d)
अथािि ् - ये सभी भाषा के उििारात्मकभशक्षण के उद्दे श्य हैं - विद्याचथियों के प्रारन्म्भक
त्रुहटयों का तनिारण करना, ज्ञान सम्बतधी त्रुहटयों का िरीक्षण करना िथा विद्याचथियों में
आत्मविश्िास की भािना को विकभसि करना।
Q.5. एकः लशक्षकः 'बी' कक्षायाः ओडडयाभाषीछात्रान ् आंग्िभाषां लशक्षयनि। ितय कृिे
सः ओडडयाभाषायाः लभन्नलभन्नप्रकारर्ाक्ट्यानाम ् आंग्िभाषायाम ् अनुर्ाि कारयनि। एिेन
मागेर् अिोगिकथनेषु ककम ् उधचिम ्?
(a) एिेन रूढ्यात्मक-प्रयोगे समस्या भिवि (Idiomatic expression)
(b) आांग्लभाषायाां सहजदक्षिा लभ्यिे
(c) एषिः मागििः प्राथभमककक्षाणाां कृिे उचिििः, न िु माध्यभमककक्षाणाां कृिे
(d) एषिः सम्प्रेषणात्मकिः मागििः ििििे
Ans : (c)
एक भशक्षक 'बी' कक्षा में उड़ीसा भाषी छात्रों को अांग्रेजी भशक्षा दे िा है । िह इसके भलए उड़ीसा
भाषा के भभतन-भभतन प्रकार के िाक्यों को अांग्रेजी भाषा में अनि
ु ाद करिा है । ऐसा करना
प्राथभमक कक्षा के छात्रों के भलए उचिि है ।
Ans : (b)
प्राथभमक विद्यालय का भशक्षक छात्रों से भाषा िररिार एिां भमत्रों के विषय में कथोिकथन की
अनम
ु ति दे िा है । उस भशक्षक का प्रमि
ु उद्दे श्य बहुभावषकिा के साधन रूि का प्रयोग करना
है ।
Ans : (b)
छात्र गरुि विषय िर एक कवििा िढ़ना शुरू करिे हैं। िढ़ने से िि
ू ि भशक्षक का महत्ििूणि कायि
यह होना िाहहए कक िह गरुि विषय की कथा को छात्रों के बीि भलीभाांति समझा दे ।
Ans : (d)
बहुभावषकिा का उियोग साधन रूि से अतनिायिििः प्रत्येक बालक सौविध्य रूि से स्िीकृि
भािों का अनभ
ु ि करिा है ।
Ans : (a)
भाषा भशक्षण में नैदातनक िरीक्षा का उद्दे श्य भशक्षाचथियों के प्रबोध के अभाि की जानकारी
करना।
Q.10. रचनात्मकिार्ाितय (Consructivism) लसद्िान्िोऽयं चि ् भाषालशक्षाथी र्िविे
(a) ज्ञानस्य िन
ु िः प्रस्ितु िकिाि (b) ज्ञानस्य ग्रहणकिाि
(c) ज्ञानस्य तनमािणकिाि (d) भशक्षकस्य अनस
ु रणकिाि
Ans : (a)
रिनात्मकिािाद भसद्धाति यह है कक भाषा भशक्षाथी ज्ञान का िुनिः प्रस्िुतिकिाि होिा है
न्जससे निीनिा का विकास होिा है ।
Q.11. सज
ृ नात्मकपिनतय उिाहरर्म ्
(a) सम्बद्धसि
ू नाथि अतिजािलदशिनम ्
(b) भभतनदृन्ष्टकोणेन नाटकीकरणां भभू मका तनििहणम ् िन
ु लेिनां ि
(c) अथिप्राप्त्यथं िािनम ्
(d) िरामशिनकायि ग्रतथालये अचधकां करणीयम ्
Ans : (b)
सज
ृ नात्मक िठन का उदाहरण भभतन दृन्ष्टकोण से नाटकीकरण की भूभमका का तनििहन और
िन
ु लेिन है । सज
ृ नात्मक िठन से व्यन्क्ित्ि का बहुमि
ु ी
विकास सम्भि होिा है।
Ans : (c)
श्रिण प्रेरक का अभभप्राय है - कायि की िूणि
ि या प्रस्िुति और छात्रों में श्रिण कौशल की क्षमिा
का विकास। इससे छात्रों में ककसी भी विषय को समझने में सरलिा रहिी है।
Ans : (d)
विभशष्ट आिश्यकिा कक्षा विभभतन योग्यिा युक्ि छात्र की कक्षा से सम्बद्ध होिा है। यह
विहदि है कक ककसी भी कक्षा में छात्रों की योग्यिा भभतन-भभतन होिी है ।
Ans : (c)
उच्ि प्राथभमक स्िर िर िठनकौशल के िरीक्षण का सबसे उत्तम उिाय है -उचिि एिां कहठन
स्िरों का अदृष्टिण
ू ि एिां अनच्
ु छे दों का उियोग ककया जािा है ।
Ans : (b)
छात्र भाषाओां का अचधग्रहण करिे हैं एिां भाषा साहहत्य के अध्ययन के भलए भी भाषाओां का
अचधग्रहण करिे हैं।
Ans : (c)
व्याकरण ित्िों का भशक्षण िथ
ृ क रूि से करके भाषण और लेिन करना िाहहए। तनश्िय ही
व्याकरण भशक्षण के सतदभि में यह भ्रान्तििूणि अिधारणा है।
Q.18. कस्तमन ् अपप पाठ्यर्तिुनःसन्िभे 'मूल्यम ्' इनि शब्िे न कः अलभप्रायः?
(a) शब्दस्य सतदभिगि-अथि-अभभव्यञ्जना (b) विभशष्ट-सतदभे शब्दप्रयोगिः
(c) शब्दस्य विभभतनप्रकारकिः प्रयोगिः (d) शब्दस्य शब्दकोशीयिः अथििः
Ans : (a)
शब्द सतदभिगि और अथि अभभव्यञ्जना ककसी भी िाठ्यिस्िु के सतदभि में सही अभभप्राय
तनदभशिि करिा है ।
Ans : (d)
उक्ि िाक्यों में ििष्ु ट्य भभतन प्रकार का िािन विहगािलोकनम ्, अिलोकनम ्, व्यािकम ्
और गहनम ् है। इन सब के िािन में भभतनिा होिी है।
Q.20. लशक्षाधिकाराधिननयमानस
ु ारं (RTE) प्रत्येकं छात्रतय अधिकारः अस्ति
(a) राजकीयभाषामाध्यमेन अचधगतिुम ्
(b) आधुतनकभारिीयभाषामाध्यमेन अचधगतिम
ु ्
(c) मािभ
ृ ाषामाध्यमेन अचधगतिुम ्
(d) आङ्गलभाषाध्यमेन अचधगतिुम ्
Ans : (c)
भशक्षा अचधकाय अचधतनयम (RTE) के अनस
ु ार सभी छात्र को यह अचधकार प्रदान है कक िह
भशक्षाध्ययन अिनी मािभ
ृ ाषा के अनुसार ही करे गा।
Q.21. र्र्वमािायाः अक्षरार्ां िेिनाथं पर्द्याधथवनः समथावन ् किुं लशक्षकः िान ् कथयनि
कथम ् अक्षरननमावर्ाथं रे िाङ्खकनं करर्ीय र्िं करर्ीय पाशं करर्ीयम ् इनि। एिद्
अस्ति
(a) लेिनयतत्रम ् (Mechanics of writing) (b) लेिनप्रकिया (Process of writing)
(c) प्रिाहीलेिनम ् (Cursive writing) (d) रे िालेिनम ् (Stroke writing)
Ans : (b)
बालकों के लेिन प्रकिया के तनमािणाथि भशक्षक बालकों से अक्षर के रे िाङ्कन इत्याहद विचधयों
का िूिप्र
ि योग करिा है । अििः िणिमाला के अक्षरों के तनमािण हे िु उियक्
ुि ि कथनों के अनस
ु ार
यह प्रकिया लेिनप्रकिया के अतिगिि समाहहि एिां सन्तनहहि होनी िाहहए।
Ans : (a)
कवििा िठन का उद्दे श्य अनुभि
ू ों और वििारों के उद्दे श्य से है।
Ans : (d)
भाषाभशक्षणसतदभे आगमनात्मकिद्धिेिः विद्याचथिनिः रटनाभ्यास न कुििन्ति एषिः लाभिः
अन्स्ि अथािि ् भाषा भशक्षण की आगमनिद्धति में विद्याचथियों का रटनाभ्यास नहीां कराया
जािा है ।
Ans : (d)
यदा छात्रािः विरामाहदचिननविषयककौशलिधिनाथं भशक्षक्षिािः भिन्ति, िदा िे लेिनशुद्धिाां
प्राप्स्यन्ति। अथािि ् जब छात्र विरामाहदचिननों का प्रयोग भाषाकौशल के विकास हे िु करिे हैं
िब िे अिनी लेिन शुद्धिा को प्राप्ि करिे हैं।
Ans : (b)
प्राथभमक -विद्यालयस्य कस्यिन विद्याचथिनिः श्रिणिािनकौशलयोिः विकासनाथं अभभनयिः
िथा सांिादिः िद्धतििः उियुक्िा भिति अथािि ्- प्राथभमक विद्यालय के विद्याचथियों के श्रिण
िािनकौशल के विकास के भलए अभभनय िथा सांिाद िद्धति उियुक्ि होिी है । अभभनय
िथा सांिाद से विद्याचथियों में श्रिण और िािन कौशल का विकास होिा है।
Ans : (c)
साििीां कक्षा का छात्र कहिा है कक िह उसके भमत्र के साथ शब्द िगि समस्या िेल के माध्यम
से आनतद का अनभ
ु ि करिा है जो अचधक कुशल होिा है , न्जसके कारण उसके कौशल ज्ञान
में िद्
ृ चध होिी है । इसमें िायगोत्स्की का भशक्षण मनोिैज्ञातनक मतिव्य हदििा है ।
Q.27. पर्द्याियं प्रनि आगमनेन बािाः तर्मि ू भाषां कक्षायाम ् आनयस्न्ि। बहुभापषके
िे श,े पर्द्याियेन िेषां गह
ृ भाषायाः सम्मानं करर्ीयं यिो दह
(a) बालािः अबाधरीत्या अस्याां िदन्ति
(b) िेषाम ् अभभज्ञानस्य (identity) इदां महत्त्ििूणम
ि ् अङ्गम ्
(c) भारिेऽन्स्मन ् द्विसहस्त्राचधकािः (2000) भाषािः सन्ति
(d) विद्यालयस्यावि इयां भाषा अन्स्ि
Ans : (b)
प्रतिहदन विद्यालय की ओर आने िाली कोई बाभलका जब कक्षा में प्रिेश करिी है िो िह अिने
मूल भाषा में ही प्रिेश करिी है। अथािि ् उस बाभलका को कक्षा में अध्ययन हे िु लाया जािा है ।
हमारे बहुभावषक दे श में विद्यालय के द्िारा उसकी गह
ृ भाषा का सम्मान ककया जािा है। जो
कक- “उसके अभभज्ञान (िहिान) का यह महत्त्ििूणि अांग है ।" अििः विकल्ि दस
ू रा सही है।
Q.28. 'मम मािा' इनि पर्षयम ् अधिकृत्य एकं ननबन्ि िेखििुं लशक्षक्षका छात्रान ्
प्रेरयनि। एिस्तमन ् प्रसङ्खगे सा मुख्िया छात्रेभ्यः ककं ननदिव शेि?
े
(a) मागिदशिकिस्
ु िकम ् उदाहरणरूिेण व्यिहरतिु
(b) व्यिन्स्थििया शुद्धिया ि भलितिु
(c) स्िानभ
ु िाधारे ण भलितिु
(d) िििनीविषये जागरूकािः भितिु
Ans : (c)
(मेरी मािा-मम मािा) सम्प्रति विषय िर भशक्षक्षका छात्रों को एक तनबतध भलिने को प्रेररि
करिी है । इस प्रसांग में िह छात्रों से कहिी है कक िे इस विषय िर अिने अनभ
ु ि को भलिे।
Ans : (d)
भाषा भशक्षक छात्रों के दोषों को अचधगम के सांकेि रूि से दे ििा है। इससे छात्रों के ज्ञान की
सीमा तनरूविि होिी है। छात्रों के इस कमी को दरू करने के विषय में प्रयास करिा है ।
Q.30. सरु े शः एक भाषालशक्षकः अस्ति। सः छात्रान ् एकस्तमन ् ग्रामे पररभ्रलमिुं
ननदिव शनि। ित्र आपर्ानां सूचनापट्टान ् पदित्र्ा ििप
ु रर पर्र्रर्ं िािुं कथयनि च।
एर्ंपर्िः गनिपर्धिः ककं कथ्यिे?
(a) िररयोजनाकायिम ् (b) िठनम ् (c) लेिनम ् (d) भाषणम ्
Ans : (a)
सरु े श एक भाषा भशक्षक है। िह छात्रों को एक गाांि में िररभ्रमण का तनदे श दे िा है । िहाां बाजार
में सि
ू नािट्ट िढ़कर अनतिर वििरण दे ने को कहिा है । इस प्रकार की गतिविचध िररयोजना
कायि कहलािी है ।
Ans : (b)
भाषा दक्षिा के भलए शद्
ु ध उच्िारण के साथ-साथ िािन का सिािचधक महत्ि होिा है ।
Ans : (a)
विहां गम दृन्ष्ट से िढ़ने का आशय विभशष्ट अथि अथिा सूिना प्राप्ि करने हे िु सम्िूणि िाठ्य
िस्िओ
ु ां का गम्भीरिा िि
ू क
ि िठन से है।
Ans : (d)
भाषा -अचधगमन के भलए अभभिद्
ृ चध तनमािण हे िु गीि गायन और कलात्मक कायों का
अनुगमन आिश्यक होिा है। गीि गायन िथा अनग
ु मन अभभिद्
ृ चध तनमािण हे िु महत्ििूणि है
क्योंकक इससे भाषागि विकास होिा है।
Ans : (d)
िैविध्यिूणि अनभ
ु ि करने का उत्तम मागि िास्िविक िस्िए
ु ां हैं। िास्िविक िस्िुएां िैविध्यिूणि
अनुभि को जानने का सिोत्तम साधन है ।
Q.35. धचत्राङ्खकने 'पैचाटव (pie-chart) मध्ये च प्रित्तं पर्षयम ् उपयुज्य प्रबन्िं रचनयिुं
यिा छात्राः ननदिव रटाः ििा प्रिानोद्िे शोऽयं भर्नि
(a) विविधितत्रैिः विस्िि
ृ ाध्ययनम ्
(b) प्रशांसाद्िारा सजिनात्मकिायािः िोषणम ्
(c) शब्दािल्यािः िोषणाय साहहन्त्यककौशलानाां प्रिद्
ृ चधिः
(d) चित्राङ्कनििः शब्दरूिेण विषयाणाां िररिििनम ्
Ans : (d)
चित्राङ्कन में विषय से सम्बद्ध 'िैिाटि ' उनके मध्य प्रदान करके िथा उनके उियोग का
प्रबतध या उिाय करके जब छात्रों को तनदे भशि ककया जािा है िब उनका प्रमुि उद्दे श्य
चित्राङ्कन का शब्द के रूि में विषयों का िररिििन होिा है ।
Ans : (d)
जब अध्याविका ित्र भलिकर सभा में िािािलाि के बाद आदे श दे िी है िब िह भाषा के ज्ञान के
भलए या समझ के भलए प्रत्यक्ष विधान का अनस
ु रण करिी है।
Ans : (c)
िहठि ग्रहण िरीक्षाओां के प्रश्नों के अतिगिि िे प्रश्न होिे हैं न्जसमें अिधारणा अथािि ् ज्ञान के
साथ अनम
ु ान की व्याख्या का मल्
ू याांकन ककया जािा है।
Q.38. प्रायः केचन छात्राः भाषर्-िेिन-प्रकिया-सन्िभव केषास्चचि ् शब्िानां प्रयोगसन्िभे
अथर्ा अथवभेिं किुं समथावः न भर्स्न्ि। यथा- र्ििु, कथयि,ु तपरट करोिु इत्याियः।
ककं करर्ीयम ्?
(a) भाषण-लेिन-कौशलम ् अचधकृत्य विभशष्ट-कक्ष्याप्रबतधनम ्।
(b) त्रट
ु ीनाां सांशोधनाथं लेिनाभ्यासिः।
(c) आधारभि
ू -भसद्धातिान ् अचधकृत्य विभभतनसतदभेषु शब्दानाां प्रयोगाभ्यासिः
(d) शब्दाथि-स्िष्टीकरण-द्िारा शब्दप्रयोगिः
Ans : (c)
कुछ छात्र भाषण-लेिन-प्रकिया के सतदभि में , कुछ शब्दों के प्रयोग के सतदभि में अथिा अथि
भेद करने में समथि नहीां होिे। जैसे-बोलना, कहना, स्िष्टीकरण करना इत्याहद। इसके भलए
आिश्यक है कक आधारभूि भसद्धातिों को अचधकृत्य कर विभभतन सतदभो में शब्दों के प्रयोग
का अभ्यास करना।
Ans : (c)
गतिबोधक छात्रों का दीघि िरीक्षण अथिा तनबतध लेिन द्िारा मल्
ू याांकन अनि
ु यक्
ु ि होिा है ।
जबकक भभू मका तनििहन, बहुविकल्यात्मक और आरे ि-शीषिक िरीक्षण ऐसा छात्रों के भलए
उियक्
ु ि होिा है।
Ans : (c)
कुछ छात्र आसानी से समझ जािे हैं और कुछ कहठनिा का अनभ
ु ि करिे हैं। अतय सामातय
छात्र तनभमिि िािन सामग्री को अचधकृत्य कर कुशलिा को प्राप्ि हो इसके भलए उििारात्मक
भशक्षण अत्यचधक आिश्यक है , िह यह कक छात्र अविररचिि शब्दों की जानकारी प्राप्ि करें
और उन शब्दों के अथि को समझ सकने में समथि हों।
Ans: (b)
लेिन कायि में सक्ष्
ू मिेशीय कौशल की अति आिश्यकिा होिी है। 'सूक्ष्मिेशीय कौशल' िह
कौशल है जो लेिन की प्रमाखणकिा िथा कुशलिा िर तनभिर करिा हैं इस कौशल में छात्र
अिनी लेिनी के माध्यम से अिने आत्मशन्क्ि कौशल को भी िरििा एिां समझिा है ।
“मनोिैज्ञातनकों ने इस कौशल को 'छात्रिेशीय' कौशल भी बिाया है ।"
Q.42. मल्
ू याङ्खकनसमये अिोलिखििेषु कस्तमन ् पर्षये लशक्षकतय ध्यानं तयाि ्?
(a) धाराप्रिाहीिक्िभृ भिः सह िस्य छात्रस्य विकासस्य िल
ु ना
(b) सजिनात्मकलेिकैिः सह िस्य छात्रस्य विकासस्य िल
ु ना
(c) एकस्य छात्रस्य विकासस्य अतयच्छात्राणाां विकासैिः सह िल
ु ना
(d) एकस्य छात्रस्य विकासस्य िस्य िूिन्ि स्थत्या सह िल
ु ना
Ans : (d)
मूल्याङ्कन के समय िर भशक्षक का आिश्यक ध्यानाकषिण एक छात्र के विकास िथा उसके
िूिि न्स्थि कायि की ित्क्षण िल
ु ना करना अथािि ् कक्षा में भशक्षण मूल्याङ्कन िर भशक्षक प्रति-
प्रति छात्र के हहसाब से एक ही छात्र िर ध्यान को अांककि करे गा िभी 'एकाांगी मल्
ू याङ्कन
भशक्षण प्रणाली िद्धति' िण
ू ि भी होगी साथ ही साथ मल्
ू याङ्कन भी एक छात्र का आसानी से
हो जायेगा।
क्योंकक 'मल्
ू याङ्कन' का िात्ियि यही है कक मल
ू िा का अङ्कन करना।
Q.43. लशक्षक्षका केनापप शब्िे न त्रबना छात्रैः सह सम्प्रेषर्ं करोनि। एर्ं सा उपयोगं
करोनि
(a) शान्ब्दकसम्प्रेषणस्य (b) शब्दे िरसम्प्रेषणस्य
(c) मौखिकसम्प्रेषणस्य (d) भलखििसम्प्रेषणस्य
Ans : (b)
शब्दे िरसम्प्रेषण के त्रबना भशक्षक्षका छात्रों के साथ सम्प्रेषण (िाक्य आदान-प्रदान करिी है और
उसका भशक्षण कायि के समय कक्षा में उियोग भी करिी है। 'शब्दे िरसम्प्रेषण' का िात्ियि
शब्दों के अतिररक्ि सम्प्रेषण से है । न्जसे हम व्यािहाररक ज्ञान भी कह सकिे हैं।
Ans : (c)
भाषा िािि ् अभभव्यक्िेिः, स्िमिव्यक्िीकरणस्य सििश्रेष्ठ वितनमय माध्यमम ् अन्स्ि। अथािि ्
भाषा अभभव्यन्क्ि िथा अिने मि के अभभव्यक्िीकरण के सििश्रेष्ठ वितनमय (आदान-प्रदान)
का माध्यम है।
Ans : (b)
उििारात्मक-भशक्षणिद्धतििः समस्यानाां समाधाने साफल्यां प्रति प्राियति। अथािि ्
उििारात्मक भशक्षण िद्धति समस्या समाधान के भलए सफलिा को प्राप्ि करिी है ।
Ans : (c)
भाषायाां व्याकरणभशक्षणां शुद्धिायािः समीकरणाय सहायकां भिति। व्याकरण भशक्षण के भलए
शुद्धिा का होना अत्यति आिश्यक है । इसके आभाि में व्याकरण भशक्षण सम्भि नहीां होिा।
Q.47. 'पर क्षर्ं प्रामाखर्कं भर्नि यदि पर क्षर्ीयतय सम्यक् पर क्षर्ं भर्ेि ्। पर क्षर्ं
पर्श्र्सनीयं भर्नि यिा ित्र साित्यं भर्ेि ् । किाधचि ् पर क्षर्ेन पर क्षर्ीयतय सम्यक्
पर क्षर्ं नापप भर्ेि ् िथापप पर क्षर्तय साित्यं मन्यिे।। एिैः र्ाक्ट्यैः िेिकतय
मख्
ु यम ् उद्िे श्यम ्
(a) प्रामाखणकिा विश्िसनीयिा इत्येियोिः भेदस्य िणिनम ्
(b) साम्प्रतिकशोधकायेषु प्रामाखणकिायािः विश्िसनीयिायािः ि िरीक्षणे योगदानम ्।
(c) अस्माभभिः प्रामाखणकां विश्िसनीयम ् इति िदाभ्याम ् िरीक्षणानाां िणिनां करणीयां न िा इति
सतदे होिस्थािनम ् ।
(d) सिेषु िरीक्षणेषु प्रामाखणकिा विश्िसनीयिा ि स्यािाम ् इति आग्रहिः
Ans : (a)
िरीक्षण िभी प्रामाखणक होिा है , यहद िरीक्षण का सम्यक िरीक्षण हो। िरीक्षण विश्िसनीय
होिा है , जब उसमें सत्यिा होिी है । कभी िरीक्षण से िरीक्षण का सम्यक िरीक्षण नहीां होिा
कफर भी िरीक्षण की सत्यिा मानी जािी है । इस िाक्य में लेिक का मख्
ु य उद्दे श्य
प्रामाखणकिा एिां विश्िसनीयिा के बीि विभेद का िणिन है।
Ans : (c)
छठी कक्षा की भशक्षक्षका अिने छात्रों को अच्छा लेिन कराने को सोििी हैं िह महत्ििण
ू ि
त्रबतदओ
ु ां को आधार बनाकर लेिन आरम्भ करने को प्रेररि करिी है । अनतिर एक असम्िण
ू ि
और अिररमान्जिि लेि प्रस्िुि कर उस िर अिने भमत्रों के साथ ििाि करने को कहिी है ।
भशक्षक्षका इस प्रकार के लेिन को एक प्रकिया मानिी है।
Ans : (a)
िाठ के भािों को स्िष्ट करना (िाठस्य अथिकरणम ्) िठन ् कौशल का नाम है । अििः िठन ्
कौशल द्िारा िाठ के अथि ग्रहण करने का सबसे उियोगी गण
ु है।
Ans : (b)
एक भशक्षक्षका िाद्य विषयक िाठ के िढ़ने हे िु तनदे श से िि
ू ि अिने-अिने भोजन विषयक
प्रिवृ त्त के विषय में छात्रों से समूह में िािाि करने को कहिी है। इस प्रकार िह कथागि ज्ञान के
साथ विद्याचथियों के जीिन अनभ
ु ि से सम्बतध स्थाविि करिी है ।
Ans : (b)
गीिा एक कथा सांग्रह िढ़िी है। इस प्रकार का िठन आनतद हे िु िठन कहा जािा है। क्योंकक
कथा सांग्रह का अध्ययन अत्यचधक रुचिकर होिा है ।
Q.52. यिा छात्राः काितय अर्िारर्ं अर्गन्िं समथावः न भर्स्न्ि ििा उपचारात्मकं
कायं ककं भपर्रयनि?
(a) लकारानग
ु ण
ु ां रूिाणाां िन
ु िः िन
ु िः स्मरणम ् (b) सम्बद्धलकाराणाम ् अभ्यासिः
(c) सतदभािनग
ु ण
ु ां भाषाभ्यासिः (d) सम्बद्धसत्र
ू ाणाां रटनम ्
Ans : (a)
जब छात्र काल को अिधारण करने में समथि नहीां होिे िब उििारात्मक कायि लकार सम्बतधी
रूिों का बार-बार स्मरण कराया जाना उचिि होगा।
Ans : (c)
लेिन कौशल के अभ्यास के भलए साराांश लेिन महत्ििण
ू ि होिा है। इससे सम्िण
ू ि अनच्
ु छे द
का कम शब्दों में भाि स्िष्ट हो जािा है ।
Q.54. पूर्र्
व ाचनगनिपर्धिः इत्यतय प्रमुिोद्िे शः अस्ति
(a) छात्राणाां ज्ञानिद्
ृ चधिः (b) िाठे रुचििधिनम ्
(c) आनतदप्रदानाम ् अनुभिानाां ज्ञानम ् (d) नूिनशब्दानाां िाठनम ्
Ans : (b)
िूिि
ि ािन गतिविचध का प्रमुि उद्दे श्य िाठ्यातिगिि रुचि िधिन है । िि
ू ि
ि ािन से िाठ के भािों
का स्िष्टीकरण होने लगिा है । और जब अध्यािक िाठ के िथ्य को समझािे हैं िो बड़ी
सहजिा से छात्र उसे समझ लेिा है ।
Ans : (b)
छात्रों द्िारा भाषा दोष प्रायिः भाषा के स्िष्टीकरण में विसांगति प्रकट करिा है । अििः इस िर
अध्यािक द्िारा विशेष ध्यान दे ना आिश्यक है ।
Ans : (c)
रिनात्मक आकलन का प्रधान या प्रमि
ु उद्दे श्य बोधन (ज्ञान) के अध्ययन की उतनति
करना है । अथािि ् ज्ञान के अध्ययन का ज्ञान के आकलन रिनात्मकिा द्िारा ककया जािा है।
Ans : (a)
यहद तनरतिर थोड़ा-थोड़ा अभ्यास करके छात्र िढ़िा है िो िह छात्र अतय छात्रों से भभतन
योग्यिा, व्यन्क्ित्ि िथा सामान्जक िष्ृ ठभूभम युक्ि हो जािा है ।
Ans : (c)
“एक भशक्षक्षका ने अिने छात्रों से रे ल समय सारणी दे कर उनसे तिचथ, स्थान और श्रेणी के
अनस
ु ार आरक्षण प्रित्र िरू ा करने को कहा” सम्प्रति विधाां में िािना का अतय सामचग्रयों
सहहि िाठ्यिस्िओ
ु ां के स्िष्टीकरण का उिकौशल तनहहि है।
Ans : (d)
कक्षा में भशक्षक्षका अनेक प्रकार के उिायों ि प्रकियाओां का प्रयोग करिी है जो इस प्रकार हैं-
कक्षा में अनेक प्रकार के छात्र रहिे हैं, भशक्षक्षका उन सबकी आिश्यकिाओां को िरू ा करिी है।
Q.61. 'यस्त्कस्चचि ् पाठ्यिे ििे र् िद्नुगुर्ां र्ा अर्गम्यिे इनि आर्श्यकम ् न'। ककं
कारर्म ्?
(a) छात्रािः भभतनक्षमिायुक्िािः भिन्ति। िेषाां व्यन्क्त्िां िष्ृ ठभूभमिः िावि भभतनरूिेण भिति।
(b) कोऽवि अध्यािकिः छात्रिः िा कदावि सम्िूणम
ि ् अिगतिुां| समथाििः न भिन्ति (c) छात्रािः
केिलम ् अनौििाररक-ििाि प्रति एि अिधानयुक्िािः भिन्ति
(d) अध्यािकानाम ्/अध्याविकानाां सामान्जक-आचथिक-स्िरे अत्यचधकिः भेदिः भिति
Ans : (a)
जो भी िाठ कक्षा में िढ़ाया जाय, उसका अनग
ु मन भी उिना ही आिश्यक नहीां है। ऐसा
इसभलए कक छात्रों की क्षमिा िथ
ृ क-िथ
ृ क होिी है। उनके व्यन्क्ित्ि की िष्ृ ठभूभम अलग-
अलग होिी है ।
Ans : (a)
प्रतििन्ु ष्ट को अनेक िैज्ञातनकों ने 'स्िस्थ छात्रस्य ि भशक्षकस्य विकासिः' के रूि में भी
िररभावषि ककया है । क्योंकक प्रतििुन्ष्ट के अतिगिि भशक्षक और भशक्षाथी दोनों के द्िारा स्ि
विकास कायि ककया जािा है।
Ans : (d)
बालकों के िढ़ने और भलिने के विकास के भलए प्रारम्भ का िरण 'उद्गामी साक्षरिा' ही होिी
है । उद्गामी साक्षरिा का अथि होिा है - स्फुहटि साक्षरिा
Q.66. भाषापाठ्यपत
ु िकेषु प्रत्येकं पािान्िे/अध्यायान्िे प्रित्तानां कियाकिापानाम ्
अभ्यासप्रश्नानां च मख्
ु यम ् उद्िे श्यम ् एिद् न तयाि ्
(a) िाठस्य सामातय-अथिकरणे सामथ्यििद्
ृ चधिः (b) कण्ठस्थीकरणस्य सामथ्यििद्
ृ चधिः
(c) चितिनस्य िथा वििारस्य सामथ्यििद्
ृ चधिः (d) चितिनिरक-सम्प्रेषणे सामथ्यििद्
ृ चधिः
Ans : (b)
भाषा िाठ्य िुस्िकों के प्रत्येक िाठ में प्रदत्त कियाकलािों एिां अभ्यास प्रश्नों का मुख्य
उद्दे श्य कण्ठस्थीकरणस्य सामथ्यि िद्
ृ चध अथािि याद करने की सामथ्यि में िद्
ृ चध होिी है ।
Ans : (b)
भशक्षक प्रस्िुि विषय में और जीिन अनभ
ु ि के विषय में छात्र क्या जानिा है , इस प्रकार प्रश्न
करना िाहहए। यह श्रिण िूिि गतिविचध है।
Ans : (c)
सभी बालकों के जतम से सािित्रत्रकमागि की विभशष्टिा से ही भाषाग्रहण की अतितनिहहि शन्क्ि
है ।
Ans : (d)
छात्रों के बीि भाषा कौशल के विकास के भलए ध्ितन िम का उियोग अभभसांचिि ध्ितन-श्रिण
के उिराति सन
ु ी गई (श्रि
ू ) सामग्री को आधार बनाकर व्याख्या द्िारा अथिा कथाकथन
द्िारा उियोग करना िाहहए।
Ans : (d)
िाठ्यियाि के विकास का सोिान िम है- आिश्यकिा विश्लेषण, लक्ष्य तनधािरण और
िाठ्यिस्िु के ियन का आकलन करना।
Q.72. भिह
वृ रररधचिं र्ाक्ट्यपि यं सम्बद्िमस्ति
(a) अष्टाध्यायी-सत्र
ू व्याख्यया (b) महाभाष्यस्य व्याख्यया
(c) व्याकरणदशिनेन (d) काव्यशास्त्र-भसद्धातिेन
Ans : (c)
भिह
िृ रर रचिि िाक्यिदीय सम्बद्ध है - व्याकरण दशिन से। यह अष्टाध्यायी सत्र
ू व्याख्या या
महाभाष्य व्याख्या से सम्बन्तधि नहीां है ।
Ans : (a)
मानििािादी उिागम का अभभप्राय है - नूिन सतदभि में अचधगि सामग्री के सांकल्ि के
भसद्धाति का अनप्र
ु योग। इससे सांकल्िों और भसद्धातिों में विभशष्टिा दभशिि हो जािी है।
Q.74. व्याकरर्-बोिनतयोत्तमोपायः
(a) सवििेकां व्याकरणाांशाभ्यासस्योियोगिः (b) अलङ्कारबोधने केतिीकरणम ्
(c) व्याकरणकायािणाम ् एकीकृिोियोगिः (d) व्याकरणसूत्राणाां छात्रैिः कण्ठस्थीकरणम ्
Ans : (c)
व्याकरण के ज्ञान का सबसे उत्तम उिाय है-" व्याकरणकायािणाम ् एकीकृिोियोगिः।” अथािि ्
व्याकरण के ज्ञान के भलए कियात्मक व्याकरण की एकीकृि उियोग अतनिायि है । मािभ
ृ ाषा के
भलए कियात्मक व्याकरण उियक्
ु ि हो सकिा है अथािि ् छात्र को उस भाषा का प्रारन्म्भक ज्ञान
कराना िाहहए।
Q.75. यिा अध्यापपका अर्गमने क्ट्िेशान ् न्यूनिां च ज्ञािुं पर क्षां करोनि, िादृशी
पर क्षा एर्ं भर्नि
(a) भसद्चधिरीक्षा (b) नैिुण्यिरीक्षा
(c) तनदानान्त्मका िरीक्षा (d) उििारात्मकिरीक्षा
Ans : (d)
जब अध्याविका आिी है या आगमन िर कष्ट (क्लेश) और तयूनिा के ज्ञान की िरीक्षा करिी
है िो उसे उििारात्मक िरीक्षा कहा जािा है अथािि ् इसमें छात्रों की कभमयों का उििार ककया
जािा है ।
Q.76. संलमश्रशस्क्ट्िमत्समह
ू ः अस्तमन्नसमानो भर्नि
(a) भलङ्गे ियभस ि (b) सामान्जकस्िरे (c) ज्ञानकौशलयोिः (d) आचथिकस्िरे
Ans : (b)
सांभमचश्रि शन्क्ियों का समह
ू सामान्जक स्िर के समान होिा है । सामान्जक स्िर में समग्र
शन्क्ियों का भमश्रण होिा है । इसमें हर क्षेत्र के विषय का ज्ञान होिा है ।
Ans : (c)
तनन्श्िि रूि से भशक्षण कायि में प्रारन्म्भक स्िर को िढ़ाने हे िु भशक्षक को बोधिट्टानाम ्
(फ्लैश कािि) की उिादे यिा अचधक रिनी िाहहए। ‘फ्लैश कािि' एक िाठन सामग्री होिी है ।
Q.78. लशक्षक्षका तर्कक्षायाः बािान ् यगु िेषु पर्भजनि। िान ् युगिान ् तर्तर्पस्ु तिकानां
ु ारं संशोिनं किुं सूचयनि। एर्ं सा ककं किम
पर्ननमयं कृत्र्ा ननिे शानस ुव ् इच्छनि?
(a) समकक्षीयमल्
ू याङ्कनम ् (Peer assessment)
(b) सामहू हकमल्
ू याङ्कनम ् (Group assessment)
(c) सांशोधनम ् (Correction)
(d) स्ियां मल्
ू याङ्कनम ् (Self-assessment)
Ans : (a)
प्रश्नानुसार, कोई भशक्षक्षका/अध्याविका अिनी कक्षा के बालकों को जोड़ों में विभान्जि करिी है
िथा उन युगलों को स्ियां उतहीां की ककिाबों को प्रदत्त (प्रदान) करके भशक्षक्षका जब अिने तनदे श
के अनस
ु ार उन छात्रों को सांशोधन (हट सांशोधन) के भलए सचू िि करिी है। िब इस प्रकार का
भशक्षक्षका का कायि 'समकक्षीयमल्
ू याांकन' (Peer assessment) कहलािा है।
Ans : (b)
हम भाषा का उियोग भािवितनमय के भलए करिे हैं। भाषा हमारे वििारों के आदान प्रदान का
साधन है। अििः भाषा भािवितनयम का साधन है ।
Ans : (c)
प्रायिः अचधकाांश भशक्षक्षका छात्रों के शब्द ज्ञान की िद्
ृ चध हे िु प्रसङ्ग के महत्ि को तनहदि ष्ट करिे
हैं। प्रसङ्ग से कथ्य के सम्िूणि भािों का स्िष्ट तनदशिन हो जािा है।
Q.82. लशक्षक्षका छात्रेभ्यः कतयास्श्चि ् घटनायाः पर्र्रर्ं किुव ननदिव शानि यतयां िे
आनन्िं प्राप्िर्न्िः, उत्साहम ् अथर्ा आश्चयवम ् अनभ
ु ूिर्न्िः। ितय कृिे सा छात्रेभ्यः
सङ्खकेिान ् ििानि, यथा-केन सह ......, किा घदटिा इत्यादि। एर्ं सा प्रयत्न करोनि
(a) लेिनगतिविकासाय (b) छात्राणाां स्मतृ ििधिनाय
(c) सजिनात्मकलेिनविकासाय (d) सत
ु दरहस्िाक्षरविकासाय
Ans : (b)
भशक्षक्षका छात्रों से ककसी घटना का चित्रण करने को कहिी है न्जसमें उतहें आनतद प्राप्ि हुआ
है । उत्साह अथिा आश्ियि की अनभ
ु तू ि हुई हो। उनके इस कायि में िह भशक्षक्षका छात्रों को कुछ
सांकेि दे िी है । जैसे ककसके साथ छात्रों की स्मतृ ििधिन हुआ है , कोई घटना कब घहटि हुई है
इत्याहद।
Ans : (b)
द्ितद्ि समास का उदाहरण हदये गये विकल्िों में है रामकृष्णौ/ जहाां िर दोनों िद प्रधान हो
िथा उनके मध्य में 'और' शब्द का लोि हो, द्ितद्ि समास होिा है । अतय उदाहरण है -
लाभालाभ, रामलक्ष्मण, लिकुश आहद। िाथे द्ितद्ििः, उभयिदाथि प्रधानों द्ितद्ििः, न्जस
समास में सभी िद प्रधान होिे हैं िथा विग्रह करने िर 'ि' (और) से जुड़िे हैं उसे द्ितद्ि
समास कहिे हैं। इस समास में बाद िाले िद का भलङ्ग होिा है । यहद सांिूणि िद के द्िारा दो
को कहा जािा है िो द्विििन और दो से अचधक का बोध होने िर बहुििन होिे हैं।
Q.84. व्याकरर्िीडासज
ु ागरूकिा-उद्बोिनाथंककमार्श्यकम ् ?
(a) प्रदत्त-गतिविचध-समािनाथं िरस्िरां सहयोगिः
(b) विभभतनसतदभेषु भाषाप्रयोगस्य अिसरिः
(c) तनहदि ष्टलक्ष्यमचधकृत्य सांप्रेषणात्मकां कायिम ्
(d) िहठि-भाषासांरिनासतदभे गहनचितिम ्
Ans : (c)
व्याकरण िीड़ा की जागरूकिा उद्बोधन के भलए तनहदि ष्ट लक्ष्य को अचधकृि कर
सांप्रेषणात्मक कायि आिश्यक है ।
Ans : (a)
िाठ्यियाि के अतिगिि “उध्ििगाभम प्रतिमानम ्' का अभभप्राय है - छात्र मक्
ु ििािािरण में
िैविध्यिण
ू ि गतिविचधयों में भाग लेकर िढ़े ।
Ans : (b)
शैक्षखणक एिां सहशैक्षखणक क्षेत्र के आकलन को व्यािक मल्
ू याांकन का नाम हदया जािा है
अथािि ् व्यािक मल्
ू याांकन के अतिगिि भशक्षा िथा उससे जुड़े हुए सहभशक्षा के क्षेत्र का आकलन
ककया जािा है।
Q.1. "बद्
ु धिमिां पर्द्याधथवनाम ् उच्चारर्ं िथा शब्िज्ञानम ् उत्तमं भर्नि"-केनोक्ट्िम ्?
(a) टमिनेन (Terman) (b) कफशरे ण (Fisher)
(c) थाांबया (Thamba) (d) एिैिः सिैरवि
Ans : (d)
“बुद्चधमिाां विद्याचथिनाम ् उच्िारणां िथा शब्दज्ञान ् उत्तमां एिै सिैरवि भिति।" अथािि ्
बुद्चधमान ् विद्याचथियों का उच्िारण िथा शब्द ज्ञान उत्तम होिा है यह उन्क्ि टमिनन
े ,
कफशरे ण िथा थाांबया आहद की है।
Ans : (d)
भाषाविकासां प्रभाितयिां कारकम ् उियक्
ुि िां सििमवि। अथािि - भाषा विकास को प्रभाविि करने
िाले कारक स्िास्थ्य, बुद्चध िथा िैयन्क्िक-असमानिा आहद हैं।
Ans : (c)
भाषाभशक्षणे भाषायािः आत्मसाक्षात्कारस्य सिािचधकमहत्त्ििूणिःि अांशिः श्रिणम ् एिां िठनम ्
अन्स्ि। अथािि - भाषा भशक्षण में भाषाओां का आत्मसाक्षात्कार करने में सिािचधक महत्त्ििूणि
अांश (भाग) सुनना िथा िढ़ना है ।
Ans : (a)
मनष्ु य के वििार से प्रभािी सम्प्रेषण (भलखिि एिां मौखिक रूि से) के बीि िरस्िर सम्बतध
का आधारभि
ू अथिा प्रमि
ु ित्ि व्याकरणात्मक सांरिना है।
Ans : (d)
कोई भी छात्र अचधगि ज्ञान प्रयोग करने में असमथि हैं जैसे अनि
ु ाद प्रकिया में उियक्
ु ि शब्दों
के ियन में उियक्
ु ि रूि से तनभमिि श्रेणीकृि अभ्यास ित्र से अभ्यास करना इसका समाधान
है ।
Ans : (a)
व्याख्यात्मक िाठन में साहहन्त्यक कल्िना, लोकोन्क्ियााँ और अलङ्कारों की अभभव्यन्क्ि
होिी है। व्याख्यात्मक भाषण में भािों के सांिद्िधन हे िु उक्ि विधाओां के प्रतििादन से
भाषागि िारुिा में अभभिद्
ृ चध होिी है ।
Ans : (a)
यि
ु ा छात्रों में भाषा को अन्जिि करने के अनेक विधान हैं| न्जसमें िास्िविक जीिन के सांदभि में
उस भाषा का व्यिहार करना। सिोत्तम है। यि
ु ा छात्र भाषा का अजिन जीिन सतदभि में उस
भाषा को व्यिहररि करिे हैं।
Ans : (c)
कण्ठशुद्चध से शुद्ध उच्िारण में लय, िेग की तनरगिलिा िािन कौशल के भलए आिश्यक है।
Ans : (a)
अभभप्रेरक-लेिनां' (Persuasive Writing) कायिमल्
ू याङ्कनम ्, सम्िादकां प्रति ित्राखण
अतितनिहहिम ् अन्स्ि। िात्ियि है - एक ऐसा लेि जो अभभप्रेररि (बल) प्रदान करिा हो
अतितनिहहि है - कायि-मूल्याङ्कन में और सम्िादकीय ित्रों में।
Ans : (b)
िात्ियि है - िाठ के सतदभि का ज्ञान अिबोधन िरीक्षण के भलए आिश्यक है । न्जससे विद्याथी
िाठ को भली-भााँति समझ सके, िभी अिबोधन िरीक्षण ककया जा सकिा है।
Q.13. र्क्ट्िा -1 िर् मािा गहृ म ् इिानीं पयवन्िम ् आगिर्िी र्ा? र्क्ट्िा -2 आम ्
भाषर्-श्रर्र्कौशिे अत्रकतय िोषः?
(a) प्रथमिक्िा (b) द्वििीयिक्िा (c) द्ियोिः (d) न कस्यावि
Ans : (a)
िक्िा -1-िब मािा गह
ृ म ् इदानीां ियितिम ् आगिििी िा? िक्िा -2 - आम ्। यहााँ िर भाषण-
श्रिण कौशल के कारण प्रथम िक्िा का दोष है ।
Ans : (d)
भाषा के अिगमन (आना) और िरीक्षण का ित्राधार यह तनहदि ष्ट करिा है कक इससे
विद्याचथियों के आगमन में िद्
ृ चध होिी है और तनन्श्िि समय िर कायों का सांग्रहण होिा है
Ans : (c)
अध्ययन समये विशेषण िद 'शक्यिे' शक्यिेसम; शक्यिः सांभािनम ् यहााँ िर यह
सतदभािनुगुण अथि को केतिीकृि करिा है ।
Ans : (d)
भाषाकक्षा के प्रिाह या गति का विकास िभी सम्भि होिा है जब सम्िूणि कक्षा भमलकर
स्िितत्रिािि
ू क
ि कायों का सांिालन करिा है , यथा-छात्रों में सम्प्रेषण के भलए लक्ष्यभाषा का
प्रयोग करने का ियािप्ि मात्रा में अिसर प्राप्ि हो।
Ans : (a)
प्रभािी अचधगमन के भलए छात्रों की न्जज्ञासािूणि कियाओां के साथ होना िाहहए। अथािि ् छात्रों
में सदै ि सीिने के प्रति न्जज्ञासा होनी िाहहए िभी िह प्रभािी अचधगमन प्राप्ि कर सकिा है।
Q.18. एकः आङ्खगि-भाषाध्यापकः प्रथमकक्षायां छात्रान ् जनैः र्तिलु भः च सम्बद्ि-
शब्िानां पररचयं कारयनि। ननम्नलिखििेषु शब्िलशक्षर्-लसद्िान्ि-सन्िभे ककं
पररस्तथत्यनुगुर्म ् असमीचीनम ्?
(a) छात्रािः स्थल
ू िस्ि-ु सम्बद्धशब्दान ् सम्यक िठन्ति
(b) यथाथि-िस्ितू न दृष्ट्िा छात्रािः शब्दाथािन ् स्िष्टरूिेण अिगच्छन्ति।
(c) विभभतन -इन्तियाणाां सहाय्येन अचधगमनां प्रभािात्मकां भिति।
(d) छात्रािः िििनीम ् आचश्रत्य निीनशब्दान ् शीघ्रम ् अचधगच्छन्ति।
Ans : (d)
एक अांग्रेजी भाषा अध्यािक िहली कक्षा के छात्रों को कुछ िस्िओ
ु ां को हदिाकर उनसे बने
अांग्रेजी शब्दों का िररिय करािा है । इससे छात्र उस िस्िु के शब्द को आसानी से समझ जािा
है । िौथा िाक्य असमीिीन है ।
Ans : (d)
िाांििी कक्षा के छात्र के भलए अिबोधन क्षमिा के विकास के भलए सामातय प्रभािशाली प्रविचध
है कक अध्यािक गद्याांश को ऊाँिे स्िर में िढ़कर उसकी विस्िि
ृ व्यिस्था करे और जो भी
कहठन िांन्क्ियााँ हों उतहें मािभ
ृ ाषा में अनि
ु ाद करे ।
Ans : (d)
िािन कौशल के विकास के भलए सिािचधक महत्ििूणि है कक छात्रों को मौनिािन में कुशल
होना िाहहए एिां साथ ही साथ अिबोधनात्मक प्रश्नों को भी िछ
ू ा जाना िाहहए।
Ans : (c)
तनदान िरीक्षा के द्िारा विद्याचथियों के स्िर को जाना जािा है । इस प्रणाली से एक िरह से
छात्रों के बुद्चधलब्ध का मूल्याांकन होिा है।
Ans : (d)
भशक्षक्षितनकषि, िढ़ने और चितिन, िकि-वििकि और वििार दे ने के भलए छात्र बल
ु ाए गए हैं। यह
समीक्षात्मक भशक्षण प्रविचध है।
Ans : (d)
शब्दािली (शब्द ज्ञानािली) के तनभमत्त अलग-अलग कहठन शब्दों के अध्ययन से सम्बन्तधि
होिा है। अथािि ् शब्दािली ज्ञान िभी िष्ृ ट होिा है जब कहठन शब्दों के ज्ञान को सांग्रहहि कर
भलया जाये।
Q.25. अितिनेषु किमं व्यापकश्रर्र्तय (Extensive listening) उिारहर्ं तयाि ्?
(a) कस्यान्श्िि ् विभशष्टसि
ू नायािः कृिे दरू दशिनस्य िािाििलीश्रिणम ्
(b) िेिारयतत्रेण प्रसाररिस्य नाटकस्य श्रिणम ्
(c) सािधानां भमत्रमुिाि ् श्रिणम ्
(d) कक्षायाां भशक्षक्षकायािः ध्यानिि
ू क
ि ां श्रिणम ्
Ans : (b)
“िेिारयतत्रेण प्रसाररिस्य नाटकस्य श्रिणम ्" व्यािक श्रिण का उदाहरण है। व्यािक श्रिण
िह स्िकायि िद्धति है जो नाटक के श्रिण के साथ मग्नबद्धिा को भसद्ध करिी है ।
Ans : (a)
भाषाभशक्षणे बलहीनविद्याचथिनाां कृिे अत्यतिम ् उियुक्िा िद्धति व्यन्क्िगि भशक्षणम ्।
अथािि - भाषा भशक्षण में बलहीन विद्याचथियों के भलए अत्यति उियुक्ि िद्धति व्यन्क्िगि
भशक्षण है ।
Ans : (d)
मौखिकप्रस्िि
ु ीकरणाथं िा िद्धतििः योग्या सङ्केिभाषामाध्यमेन प्रस्ितु ििः नान्स्ि। अथािि -
मौखिकप्रस्िि
ु ीकरण के अथि को अथिा िद्चधति योग्य सङ्केिभाषा के माध्यम से
प्रस्िि
ु ीकरण नहीां की जा सकिी है । जबकक मि
ु प्रतिमि
ु प्रस्िि
ु ी, स्िरप्रस्िि
ु ी के माध्यम से
िथा काव्य िाठ के माध्यम से मौखिक प्रस्िि
ु ीकरण की िद्धति योग्य है।
Ans : (d)
सही भाषा अचधगमन िभी होिा है जब हम जीिन लक्ष्य के मल्
ू यों को प्राप्ि करने में भाषा
व्यिहार का काम करिे हैं। क्योंकक त्रबना इसके समुचिि भाषा अचधगम नहीां हो सकिा है ।
Ans : (c)
छात्रों से सम्बन्तधि भलखिि कायि सम्बद्ध त्रुहट सांशोधन की प्रभाविि प्रकिया छात्रों को सांकेि
द्िारा त्रहु टयों को बिाना और सांशोधन के भलए अभभप्रेररि करना है ।
Q.31. "छात्राः सहजिया िक्ष्यभाषया भाषर्ं किुं समथावः भर्ेयुः" इत्यथं ककं
महत्त्र्पूर्म
व ्?
(a) भलखिि-मौखिक-िरीक्षणम ्
(b) दृश्यसाधनानाां प्रयोगिः
(c) छात्रिः यथा इच्छन्ति िथैि कयावि भाषया भाषणां कुयिःुि
(d) सिित्र लक्ष्यभाषया सम्भाषणाथिम ् अभभप्रेरणा नि
ू नेषु ि सतदभेषु भाषाप्रयोग-अिसराणाां
प्रदानम ्
Ans : (d)
छात्र को बड़ी आसानी से लक्ष्य भाषा का सम्भाषण करने में समथि होना िाहहए। इसके भलए
यह महत्ििण
ू ि है कक सिित्र लक्ष्यभाषा का सम्भाषण करने के भलए अभभप्रेरणा एिां नि
ू न
सतदभि में भाषा का प्रयोग अिसर प्रदान करिा है ।
Q.32. भाषालशक्षर्पर्षये व्यर्हारर्ादिपर्चारिारायाम ्
(a) उत्प्रेरणा-प्रत्युत्तरसम्बतधसांिधिनस्य प्राधातयां विद्यिे
(b) बोधनस्य केतिां छात्रो भिति
(c) शाला भशक्षकश्ि प्रधानिात्रां िहििः
(d) अनभ
ु िाय प्रामख्
ु यां प्रदीयिे
Ans : (a)
भाषा भशक्षण विषय के अतिगिि व्यिहारिादी वििारधारा में उत्प्रेरण- प्रत्यत्त
ु र सम्बतध
सांिद्िधन की प्रधानिा होिी है।
Ans : (d)
िाक् कौशल के सांिधिन हे िु िररणामकारी गतिविचधयों में िािन महत्ििण
ू ि है । ककसी विषय का
िािन िाणी की कुशलिा को अभभव्यक्ि करिा है । साथ ही साथ भाषागि ज्ञान का सम्यक
बोध स्िष्ट करिा है।
Ans : (d)
शब्दाथिज्ञानाथं विविधसतदभेषु शब्द प्रयोगिः समि
ु यक्
ु िम ्। िात्ियि है - शब्द ज्ञान का
अथिज्ञान विविध सांदभि में शब्द प्रयोग के भलए उियक्
ु ि विकल्ि है।
Ans : (a)
छात्राणाां भािात्मकविकासस्य प्रकियाां सम्यिूिेण अिगच्छति। िात्ियि है - एक अध्यािक को
ककसी भी छात्र को समझने के भलए उस छात्र के भािात्मक विकास को जानना अत्यािश्यक है ,
न्जसके आधार िर िह छात्र के द्िारा ककये गये कायि के प्रति उत्साह प्रकट करिे हैं ि
कायििररणाम की सराहना करिे हैं।
Ans : (a)
'रिनािादिः' (Constructivism) इत्यनेन अभभप्रायिः स्िानभ
ु िान ् अचधकृत्य ित्िातन
िथ्यातन ि अिगच्छन्ति ज्ञानतनमािणे ि सांलग्नािः भिन्ति। िात्ियि है रिनािाद (रिना का
तनमािण) का अभभप्राय है-जब छात्र स्ियां के अनभ
ु ि द्िारा ित्िों के िथ्यों को समझने में
सक्षम होिे हैं िथा ज्ञान के तनमािण में सांलग्न (प्रित्त
ृ ) होिे हैं िब िे एक नयी रिना का तनमािण
करिे हैं न्जसे 'रिनािाद' के नाम से जाना जािा है । ऐसे छात्र को Constructive minded
student कहा जािा है ।
Ans : (a)
यह सम्भाषण िढ़ो। यहााँ अध्यािक हैं-अध्यािक कहिा है क्या आिको िस्
ु िक की कथा िढ़ने
की इच्छा होिी है ? भशष्य कहिा है -हााँ, िो अध्यािक कहिा है िढ़ो, िब िढ़ना आरम्भ करना
विनय को सूचिि करना है।
Ans : (c)
NCF 2005 के अनस
ु ार कल्िना द्िारा चितिन द्िारा एिां साक्षरिा द्िारा ज्ञान का अजिन
करना माि ृ भाषा के अतिगिि समाहहि होिा है ।
Ans : (c)
रिनात्मक भशक्षण का अभभप्राय यह होिा है कक छात्र अिने स्ियां के अनभ
ु ि के द्िारा िाठ से
सम्बन्तधि शब्द िद िथा िाक्य इत्याहद की व्याख्या करिा है । अिने अनभ
ु ि द्िारा छात्र जब
शब्दों की व्याख्या करिा है िो उसे रिनात्मक भशक्षण कहा जािा है ।
Ans : (c)
रूिात्मक मल्
ू याांकन उसे कहिे हैं जब सीिने के साथ ही उसका मल्
ू याांकन ककया जािा है
अथािि ् 'अचधगम नमचधकृत्य' यह मूल्याांकन प्रणाली ही रूिात्मक मल्
ू याांकन के रूि में माना
जािा है ।
Q.42. ननम्नलिखििानन िेिनकौशितय सोपानानन सस्न्ि। अत्र ककं सोपनं िप्ु िम ्
अस्ति? संकङ्खकिनम ् रूपरे िा→ सम्पािनम ् → पन
ु रार्पृ त्तः
(a) िगीकरणम ् (b) विश्लेषणम ्
(c) व्यिन्स्थिीकरणम ् (d) मन्स्िष्क-उद्िेलनम ्
Ans : (a)
तनम्नभलखिि में लेिन कौशल के सोिान िखणिि हैं। यहााँ िर िगीकरण नामक सोिान विलुप्ि
है -यथा-सङ्कलनम ् रूिरे िा-सम्िादनम ् - िुनरािवृ त्तिः। यहााँ िर िगीकरण नामक सोिान लप्ु ि
हो गया है ।
Ans : (b)
िि
ृ ीय कक्षायािः एका छात्रा कथयति- “सिः कथति” यह िाक्य यह प्रदभशिि करिा है कक छात्र
िहठि लट्लकार के रूि को प्रयोग करने में समथि है ककतिु िह धािु स्िरूि को विस्मि
ृ कर
िढ़े हुए भसद्धातिों का अतिसामातयीकरण करिा है।
Ans : (c)
उत्तम लेिन की प्रकिया इस प्रकार है - वििार लेिन, प्रारूि लेिन, सांशोधन, िुनरािलोकन
और अांतिम लेिन।
Ans : (d)
बहुभाषा की कक्षा में साधन रूि से व्यिहृि करना िाहहए अथािि भशक्षक को िाहहए कक छात्रों
की ही भाषा का उियोग करे । इससे छात्रों के विषय का ज्ञान समझ में आ जािा है ।
Ans : (c)
छठी कक्षा की भाषा की भशक्षक्षका अिने छात्रों के बीि आिस में िुन्स्िका के आदान-प्रदान को
तनदे भशि करिी है िथा उनमें व्याप्ि त्रुहटयों को िोजने को कहिी है । इस प्रकार यह प्रकिया
'समकक्षा के सांशोधन' का अभ्यास करािी है।
Ans : (b)
भशक्षक हमेशा भशक्षाचथियों के त्रुहट सांशोधन हे िु छात्रों को प्रोत्साहहि करिा है और आशािादी
प्रिवृ त्त को भी धारण करिा है ।
Ans : (a)
"प्रारम्भ में तनयम ज्ञान के बाद उसका प्रयोग करना" ऐसा व्याकरण ज्ञान अिरोधात्मक
व्याकरण ज्ञान के अतिगिि आिा है । अथािि ् िहले तनयम बनाना और बाद में उसका प्रयोग
करना ही अिरोहात्मकव्याकरण ज्ञान है ।
Q.49. लशक्षक्षका नर्नर्सन्िभेषु भाषयाः प्रयोगाथं छात्रेभ्यः अर्सरं ििाि ् येन छात्राः
(a) प्रश्नान ् श्रुत्िा उत्तरां दद्युिः
(b) विभभतनगद्यमद्यानाम ् अिगमनां कुयिःुि
(c) कवििानाम ् उच्िारणां कण्ठस्थीकरणां ि कुयिःुि
(d) स्ियम ् अभभव्यन्क्िां कुयिःुि
Ans : (d)
यहद भशक्षण के समय िर अध्यािक द्िारा छात्र को भाषा ज्ञान के नये-नये आयामों या
सतदभों में भाषा प्रयोग हे िु अिसर प्रदान करे िो यह कायि भशक्षक का छात्र के प्रति उसकी
स्ियां की अभभव्यन्क्ि का उत्थान ही कहा जायेगा।
Ans : (a)
भाषाभशक्षणस्य उद्दे श्य लेिनदक्षिा नान्स्ि। सज
ृ नात्मकिा, वििाराणाम ् अभभव्यन्क्ििः,
भाषायािः अचधगमश्ि। भाषाभशक्षणस्य उद्दे श्यां अन्स्ि। अथािि - भाषा भशक्षण के उद्दे श्य के
अतिगिि सज
ृ नात्मकिा, वििार अभभव्यन्क्ि िथा भाषा अचधगम आिे हैं िथा लेिन दक्षिा
भाषा भशक्षण का उद्दे श्य नहीां है ।
Ans : (d)
एकस्याां समािेशी-कक्ष्यायाां बालािः अन्स्मन सिेष्िवि अचधकप्रमादान ् आिरन्ति। अथािि - एक
समािेशी कक्षा में बालक िढ़ने, भलिने िथा भाषण में अचधक प्रमाद करिा है ।
Ans : (d)
"छात्र सहषि बोलने की इच्छा करिे हैं। गतिविचध अचधक उद्दे श्यिण
ू ि हो' इसका आशय
शब्दकोश दे िने की प्रेरणा है । क्योंकक इससे छात्र में भाषा के ज्ञानाजिन में अचधक सहायिा
भमलिी है ।
Q.54. लिखििानच्
ु छे ित्य आकिनाथं प्रथम सोपानम ् अस्ति
(a) शब्दसमद्
ृ चधिः (b) व्याकरणम ्
(c) शब्दसीमा (d) विषयिस्िु-साथिक्यां वििाराभभव्यन्क्ििः ि
Ans : (d)
भलखिि अनुच्छे द के आकलन का प्रथम सोिान विषयिस्िु की साथिकिा और वििार
अभभव्यन्क्ि है । क्योंकक इसी के माध्यम से सम्िूणि सार का अनम
ु ान लग जािा है ।
Ans : (a)
छात्र श्रुि सामग्री को अचधकृत्य का विभशष्ट हटप्िणी लेिन में समथि होना िाहहए। यह
गतिविचध सूिना स्थानातिरण कहलािी है।
Ans : (d)
उिलब्ध समस्ि सङ्केिों के उियोग से समग्र िाठ के व्याख्या सतदभभिक िाठ्य िस्िओ
ु ां के
अिबोधन की अिेक्षा करिे हैं।
Q.57. ग्रन्थपािे ननयमानुसारे र् यदृच्छया र्ा अपनीिानां शब्िानां तथाने छात्रैः पिपूरर्ं
यतयां प्रकियायां कियिे सा पर क्षा
(a) ररक्िस्थानिरू णम ् (b) कलोसू (Cloze) विधानम ्
(c) शब्दसमािवत्तिः (d) अिधारणम ्
Ans : (b)
ग्रतथ िाठ के तनयम के अनुसार स्िेच्छा प्रयुक्ि शब्दों के स्थान िर छात्रों द्िारा िाक्यों की
िूतिि की प्रकिया क्लोज विधान के अतिगिि आिी है ।
Ans : (c)
छात्र केन्तिि भशक्षा कक्षा का स्िरूि किया कलाि की विविधिा है। प्रायिः छात्रों में कायि-कौशल
की विविधिा िाई जािी है। वििारो की िथ
ृ किा के कारण छात्रों में प्रभतृ ि प्रिवृ त्तयाां होिी है ।
Ans : (d)
साहहत्य-भशक्षणे िाठस्य सतदभििः सिािचधक महत्ििूणम
ि ्। िात्ियि है - साहहत्य भशक्षण िाठ के
सांदभि में सिािचधक महत्ििूणि है।
Ans : (d)
कन्स्मांन्श्िि ् िाठे प्रयक्
ु िस्य शब्दस्य ‘सतदभिगि-प्रयोगसाथिक्यम ्' मल्
ू यम ् इत्यनेन
अभभप्रायिः अन्स्ि। िात्ियि है → ककसी भी िाठ में प्रयक्
ु ि ककसी भी शब्द का सही अथों में
मूल्य शब्द का सतदभि ज्ञान होिा है , शब्द के सतदभि ज्ञान के द्िारा ही िाठ के विषय का ज्ञान
होिा है , कक िाठ ककस सतदभि में है ?
Ans : (d)
इन दोनों यग्ु मों में सम्िण
ू ि
ि ा िथा विश्लेषणात्मकिा का स्िरूि सांज्ञानात्मक स्िरूि का
प्रदशिन करिा है । ये दोनों ही यग्ु म सांज्ञा शब्द का प्रतितनचधत्ि करिे हैं।
Ans : (c)
छात्रों को अनुच्छे द का सङ्कटन प्राप्ि करने के भलए। समथि होना िाहहए, इसके भलए छात्रों को
शीषिक िाक्य अथािि ् अनुच्छे द का शीषिक क्या होगा इसका ज्ञान होना िाहहए िथा उसकी
व्याख्या या विस्िार में सहायक योजकों का ज्ञान होना िाहहए।
Ans : (b)
तनम्नभलखिि में प्रभािी-भाषाभशक्षक की दृन्ष्ट िही श्रेष्ठ है जो लक्षक्षि भाषा के प्रभािी प्रयोग
के भलए भशक्षाचथियों के सहायक रूि में ियािप्ि अिसर प्रदान करे अथािि ् विद्याचथियों को जो
सीिने में अचधक अिसर प्रदान करे िही प्रभािी भाषा भशक्षक का लक्ष्य होिा है ।
Q.66. एका अध्यापपका रचनात्मकमल्याङ्खकनकायावथं छात्रेभ्यः
ू याङ्खकनाथं ककं सर्ावधिक
िघुकथािेिनसम्बद्िकायं प्रयच्छनि। अतय कायवतय मल्
महत्त्र्पूर्म
व ्?
(a) मौभलकी रिनान्त्मका ि कथासामग्री, रुचिकराखण िररत्राखण, व्याकरणतनष्ठभाषा ि
(b) सत
ु दरां शीषिकां, समद्
ृ धशब्दािली, शद्
ु धभाषाप्रयोगिः ि
(c) सचित्रां प्रभाियक्
ु िां प्रस्िि
ु ीकरणम ्
(d) सस्
ु िष्ट-स्िच्छ-सत
ु दरिः हस्िलेििः चित्राखण ि
Ans : (a)
एक अध्यािक रिनात्मक मल्
ू याङ्कन हे िु छात्रों को एक लघक
ु था लेिन सम्बतधी कायि प्रदान
करिा है । इसमें छात्रों की मौभलक रिनात्मक अभभिवृ त्त, रुचिकर िररत्र एिां व्याकरण तनष्ठ
भाषा सिािचधक महत्ििूणि है । इससे छात्रों के मौभलकिा, रुचि, िररत्र इत्याहद के बारे में
जानकारी प्राप्ि हो जािी है।
Ans : (a)
सतदभभिि अभ्यास द्िारा व्याकरण को िढ़ना िाहहए। क्योंकक तनरतिर अभ्यास से व्याकरण
का ज्ञान बढ़ जािा है।
Ans : (d)
कोई बाला यहद मािभ
ृ ाषा में ठीक से िढ़िी है िो िह स्ििठन कौशल का उियोग द्वििीय
भाषा में अचधगम में करने में समथि नहीां हो सकिी।
Ans : (c)
एक शब्द के ज्ञान का नाम है उसके अथि को जानना। क्योंकक शब्द के अथिज्ञान से ही उसकी
समझ हो िािी है।
Ans : (d)
जब छात्र िूरक िाठ सामग्री के साथ एक लघुकथा को िढ़िे हैं िब िे आनतद की अनभ
ु ूति
होगी- इस अथि में अध्ययन करिे हैं।
Q.72. यात्रार्त्त
ृ म ् एका पर्िा अस्ति
(a) कवििायािः (b) समीक्षायािः (c) असम्बद्धतनबतधस्य (d) साहहत्यस्य
Ans : (d)
'यात्राित्त
ृ ' साहहत्य की एक विधा है । इसी िरह सांस्मरण, स्मतृ ि रे िायें भी इसी के अतिगिि
आिी हैं।
Q.73. सर्ेषां बािानां भाषाधिग्रहर्क्षमिा जन्मजािा एर् अस्ति इनि केन पर्िष
ु ा
उक्ट्िम ्?
(a) िायगोत्स्की (Vygotsky) (b) नोम िॉमस्की (Noam Chomsky)
(c) न्स्टफेन िशन (Stephen Krasben) (d) बी.एफ. न्स्कनर (B.F. Skinner)
Ans : (b)
‘नोम िामस्की' विद्िान के अनस
ु ार भाषा अचधग्रहण के सम्बतध में यह वििार है- “सभी
बालकों की भषा अचधग्रहण की उनकी क्षमिा जतम से ही प्राप्ि होिी है अथिा जतम जाि ही
है ।"
Ans : (a)
भाषाभशक्षणे अचधगमसामय्यािः अतिमुख्या समस्या 'अचधगमसामग्रयािः कहठनत्रबतदन
ू ाम ्
उिरर उचििवििरणम ्।' अथािि ् भाषा भशक्षण में अचधगम सामचग्रयों की मख्
ु य समस्या है -
अचधगम सामग्री के कहठन त्रबतदओ
ु ां िर उचिि वििरण को उिलब्ध कराना।
Ans : (b)
कौशल-उद्दे श्येषु सम्बद्धां भाषायाम ् आसन्क्ििः नान्स्ि। अथािि - कौशल उद्दे श्यों में श्रिण
(सुनना), िढ़ना िथा भलिना आहद का सम्बद्ध कौशल उद्दे श्य के अतिगिि आिे हैं, जबकक
भाषाओां में आसन्क्ि का सम्बद्ध कौशल उद्दे श्य में नहीां है।
Ans : (d)
अथिज्ञान द्िारा सम्प्रेषण क्षमिा का विकास होिा है । इससे अिबोधन की सूिना के आदान-
प्रदान स्िष्टीकरण एिां िन
ु रि िना का विकास होिा है ।
Q.77. सन्िभवर्ैपर्ध्य-गनिपर्धिप्रयोग-प्रनिपस्ु रट -इत्याि नां दृरटया ककम ् अनि
ु े शनं
छात्रेभ्यः अधिकान ् अर्सरान ् प्रििानि?
(a) प्रत्यक्षम ् (b) दरू स्थम ्
(c) अभभिभमिम ्(Programmed) (d) सङ्गणक-सम्बद्धम ्(Computer-
aided)
Ans : (d)
सतदभि िैविध्य-गतिविचध प्रयोग-प्रतििन्ु ष्ट इत्याहद दृन्ष्ट से सङ्गणक सम्बद्ध अनद
ु े शन
छात्रों को विशेष अिसर प्रदान करिा है।
Ans : (c)
व्याकरणात्मक अनद
ु े शन िभी स्िाभाविक रूि से माना जािा है जब छात्र स्ियां ही लेिन
भाषण के समय सजग होकर त्रहु टयों का सांशोधन भी करिे हैं।
Ans : (a)
मूल्याङ्कन का नाम लक्ष्य भसद्चध मािन होिा है। मूल्याङ्कन िद्धति से व्यन्क्ि के गुण-
दोषों का वििेिन होिा हैं इससे व्यन्क्ित्ि में तनिार आिा है।
Ans : (a)
विभशष्ट छात्रों की जानकारी हे िु मुख्य धारा में प्रिेश करके छात्रों के साथ जानकारी प्राप्ि
करना िाहहए। भशक्षा का स्िरूि ही ऐसा होिा है कक उसकी बोधिा समातय से विभशष्ट दोनों ही
छात्रों में समान रूि से होनी िाहहए।
Ans : (c)
छात्र स्िायत्तिा को अनेक प्रकार से प्रोत्साहहि ककया जा सकिा है न्जसमें स्िमल्
ू याांकन करने
में छात्रों को समािेभशि ककया जा सकिा है।
Ans : (b)
व्याकरण-भशक्षक्षणाथं विभभतनसतदभेषु िाठ्यत्रबतदन
ू ाम ् अभ्यासिः सिािचधक महत्ििूणम
ि ्
अन्स्ि। िात्ियि है - व्याकरण भशक्षण के भलए सिािचधक महत्ििूणि है विभभतन प्रकार के
सतदभो में िाठ्य त्रबतद ु का अभ्यास करना ।
Ans : (c)
िात्ियि है - जब विद्याथी िाठ्यिस्िु आधाररि शब्दों के आधार िर नये, अिररचिि शब्दों के
अथि ज्ञान को समझने का प्रयास करिा है , िो िह िठन किया द्िारा शब्दाथि को समझिा है ,
अििः िठन किया नये ि अिररचिि शब्दाथि को समझने के भलए महत्ििूणि है ।
Q.84. भाषर्-कौशि-मल्
ू याङ्खकनाथवम ् अननर्ायवम ्
(a) सम्भाषणम ् (b) तनरतिरां श्रिणम ्
(c) सांिाद-लेिनम ् (d) भािानग
ु ुणां िाठ्यिस्िुनिः विश्लेषणम ्
Ans : (a)
भाषण-कौशल-मल्
ू याङ्कनाथिम ् अतनिायिम ् सम्भाषणम ् अन्स्ि। िात्ियि है - भाषण कौशल
मूल्याङ्कन के भलए सम्भाषण अत्यचधक आिश्यक है । सम्भाषण का अथि है समान रूि से
भाषण करना।
Q.85. िेिः िघुः र्िविे चेि ् िि
ृ ीयपरु
ु षे पूर्य
व िु पर्ना अप्रतिि
ु र्ाचा,
अध्र्न्यात्मकर त्या िथा अिाककवकर त्या पूर्य
व िु
(a) समािारित्रलेिनम ् (b) िगीकृिप्रकटनम ् (c) विज्ञन्प्ििः (d) प्रतििेदनम ्
Ans : (d)
छोटे लेि में विद्यमान िीसरा िरु
ु ष के त्रबना िूणि करना अप्रस्िुििािी, अध्ितयात्मक रीति
िथा अिाककिक रीति को प्रतििेदन िण
ू ि करिा है । इसे प्रतििेदन कहिे हैं।
Ans : (b)
रिनात्मक शब्दों को प्रकारात्मक शब्द कहिे हैं। शब्दों को प्रकारात्मक शब्द नहीां कह सकिे हैं
और न ही विक्षक्षप्ि को प्रकारात्मक शब्द कहा जािा है । अििः प्रकारात्मक शब्द रिनात्मक
होिे हैं।
Q.88. 'सिि-व्यापक-मल्
ू याङ्खकनम ्' इत्यनेन सम्बद्िा 'व्यापक' इनि सङ्खकल्पना
छात्रतय र्द्
ृ धिपर्कासान्िगविे .......पक्षं पर्र्र्
ृ ोनि।
(a) सह-शैक्षखणकस्य (b) शैक्षखणक-सहशैक्षखणकयोिः
(c) सम्िूणश
ि ैक्षक्षकस्य (d) शैक्षखणकस्य
Ans : (b)
'सिि-व्यािक-मूल्याङ्कन' इससे सम्बद्ध िद 'व्यािक' इस सांकल्िना से छात्र के िद्
ृ चध एिां
विकास के अतिगिि शैक्षखणक िथा सहशैक्षखणक दोनों िक्षों का होना आिश्यक है ।
Ans : (a)
तनदान और अचधगमनात्मक-ररन्क्ि-सांज्ञान उििारात्मक भशक्षण माने जािे है।
Ans : (a)
ककसी भी प्रकार के लोगों की विभशष्ट क्षमिाओां, कौशलों यथा-सङ्गीि - विज्ञान - औषध
इत्याहद रिनात्मकिा के िोज के भलए, मािन के भलए इस प्रकार की िरीक्षा (िरीक्षण) को
अभभिवृ त्त - िरीक्षा (Aptitude Test) कहिे हैं।
Q.91. समापर्रट-कक्षाम ् (Inclusive Classroom) आधश्रत्य ननम्नलिखिि-युस्क्ट्िषु
असमीचीना अस्ति
(a) सङ्गणक-आधाररि-उििारात्मककायेण सह सम्प्रेषणात्मक प्रविधीनाम ् अतिररक्ि-
साहाय्यम ्।
(b) सिे छात्रािः सय
ु ोग्यािः भिेयिःु इत्यथं विविध-सांसाधनानाम ् उियोगिः
(c) छात्रािः स्िगत्यनग
ु ण
ु म ् अचधगच्छे यिःु इत्यथं विभभतन-अनद
ु े शन मल्
ू याङ्कन-प्रणालीनाम ्
उियोगिः
(d) विभभतनविषयाणाां सतदभे अनक
ु ू भलि-सांशोचधि-विकल्िात्मक
Ans : (d)
समाविष्ट कक्षा में विभभतन विषयों के सतदभि में अनक
ु ू भलि सांशोचधि विकल्िात्मक
गतिविचधयााँ असमीिीन है ।
Ans : (d)
समानभु तू ि, सहयोग एिां सहकायििा कक्षा से सम्बद्ध होिी है । सहानभ
ु तू ि का कक्षा से कोई
सम्बतध नहीां होिा। सहानभ
ु तू ि का सम्बतध प्राखणमात्र के बीि भाि जगि में होिी है ।
Q.93. एकः लशक्षकःधचत्रेर् सह गहृ तय दृश्यतय र्र्वने संिग्नः। धचत्रे पपिा पाकशािायां
पाककियायां संिग्नः, मािा सङ्खगर्कतय साहाय्येन काये संिग्ना, पत्र
ु ः च
सीर्नप्रकियायां िग्नः। अध्यापकः धचत्रद्र्ारा ककं तपरट किम
ुव ् इच्छनि?
(a) कायिस्य महत्त्िम ् (b) कायिविभाजनम ्
(c) भलङ्ग-सम्बद्ध-िि
ू ध
ि ारणानाम ् उतमल
ू नम ् (d) कायिम ् एि िज
ू ा
Ans : (c)
एक भशक्षक चित्र के साथ घर (गहृ ) के दृश्य का िणिन करिा है। चित्र में वििा िाकशाला
(रसोई) में िाक किया कर रहा है ; मािा सङ्गणक के साथ कायि में लगी हुई है और ित्रु
सीिन(भसलाई) प्रकिया में लगा हुआ है । यहााँ िर अध्यािक चित्र द्िारा भलङ्ग सम्बतध िूिि
धारणा के उतमूलन को स्िष्ट करिा है
Ans : (b)
रिनात्मक मूल्याांकन एक िाठ का अथिा िठन, िाठन के समय ककया जािा है। क्योंकक सिि
मूल्याांकन से िेजी से रिनात्मकिा िर प्रकाश िड़िा है ।
Ans : (a)
विभभतन विषयों का ज्ञान प्राप्ि कर विद्याथी मािभ
ृ ाषा का उियोग ज्ञान प्रान्प्ि में सहायिा
करिा है । क्योंकक मािभ
ृ ाषा का ज्ञान अचधक उियोगी होिा है। इससे समझ विकभसि होिी है।
Q.96. लशक्षक्षका कक्षायां स्तथिानां र्तिूनांक नामानन कगविपट्दटकायां लिखित्र्ा
र्तिूनाम ् उपरर आरोपयनि। एर्ं सा ........
(a) छात्राणां शुद्धिििनीज्ञानां कारयति
(b) कक्षा व्यिन्स्थिाां करोति
(c) कक्षायाां िािािरणां महु िििठनसामग्रीमयां करोति
(d) ियाििरणविज्ञानस्य (EVS) िाठनां करोति
Ans : (c)
भशक्षक्षका कक्षा में न्स्थि िस्िओ
ु ां के नाम को कगेद की िट्हटका िर भलिकर िस्िओ
ु ां को
आरोविि करिा है । इस प्रकार िह कक्षा का िािािरण महु िि िठन सामग्रीमय करिी है ।
Ans : (a)
भाषा अचधग्रहण करिे समय सबसे िहले अथि की भभू मका महत्ििण
ू ि होिी है। अथािि ् सििप्रथम ्
िहले सोिान में भाषा का ज्ञान अथि के ज्ञान िर तनभिर रहिा है।
Ans : (c)
सम्भाषण और लेिन के समय प्रयोग ककये गये शब्द या शब्द यक्
ु ि शब्दािली उत्िादक
शब्दािली कहलािी है ।
Ans : (a)
लेिन की प्रकिया के अनुसार कोई एक भशक्षक्षका िरस्िर विमशि के साथ िाठ का यहद प्रारम्भ
करिी है । िब भशक्षक्षका का यह विमशि उस समय उिन्स्थि विषय के ऊिर वििारों से सग्रहण
की स्थािना को भसद्ध करिा है।
Q.100. केचन छात्राः सधू च-लिखिि-उत्तरे भ्यः शीषवकसदहिं समधु चिम ् उत्तरम ् अन्र्ेरटुं
ननदिव रटाः। पर्
ू मव ् एर् िे सामग्रयाः तर्रूपपर्षये ककस्चचि ् प्ररटुम इच्छस्न्ि। इिं ककम ्?
छात्राः
(a) सि
ू नातिरालां िरू यतििः सन्ति
(b) सकियरूिेण सामग्रयािः सतदभे िि
ू ािनम
ु ानप्रकियायाां सांलग्नािः
(c) िथ्यानाां तनरीक्षणे सांलग्नािः
(d) प्रश्नोत्तरसतदभे ऊहाां (Guess) कुििन्ति
Ans : (b)
यहद ककसी छात्र को सूिी भलखिि उत्तर शीषिक सहहि उत्तर दे ने के भलए तनहदि ष्ट ककया गया है
िो इसका अथि है छात्रों से िि
ू न
ि मान प्रकिया के आधार िर सांलग्न किया के भलए कहा गया है।
Ans : (c)
अध्यािक/अध्याविका उदाहरण के भलए व्याकरणात्मक सांरिना को स्िष्ट करने हे िु दृश्य-
श्रव्य उिकरणों का प्रयोग करिे हैं। छात्रों के प्रभािी सम्प्रेषण, लेिन एिां भाषण इन िहठि-
ित्िों का सम्यक उियोग करिे हैं। यह प्रकिया आगमनात्मक प्रकिया कहलािी है ।
Ans : (c)
विभभतन गतिविचधयों द्िारा नि
ू न सांदभि से भाषा प्रयोग के अथि में अचधकाचधक अिसर प्रदान
करना भाषा कक्षा को साचधि करने का यह समीिीन उिाय है।
Q.3. पर्चारमन्थनं (Brain storming) सप्रयोजनं भर्नि
(a) यदा सुवििारे भ्यो बहहगितिुभमष्यिे
(b) यदा चितिनविधानातन स्थावििातन
(c) यदा मल
ू भि
ू वििारिः प्रिारतयिुम ् इष्यिे
(d) यदा विषयाभभिीक्षणे सजिनात्मकविधानानाां सांिधिनमिेक्षक्षिम ्
Ans : (d)
सजिनात्मक विधान के सांिद्िधन में वििार मांथन की अिेक्षा होिी है । वििार मांथन के िररणाम
स्िरूि ही नई विधा का प्रतििादन होिा है।
Ans : (a)
छात्रों में कौशल अभभिधिन में सहायिा हे िु भाषा बोध की िहली आिश्यकिा है। भाषा की िण
ू ि
जानकारी होना कौशल छात्रों की विषयगि कुशलिा का सही मानदण्ि प्रतिस्थाविि करिी है ।
Ans : (c)
सज
ृ नात्मकलेिनम ् छात्रिः अनक
ु रणािेक्षया मल
ू रूिेण रिनात्मकां लेिनां भलिति। िात्ियि है -
सज
ृ न करने िाला लेि ही छात्र अनक
ु रण की अिेक्षा मल
ू रूि से रिनात्मक लेि में भलििे हैं।
ना कक कथालेि, कथालेि बौद्चधक क्षमिा को बढ़ािा है , ना कक सांिाद लेि, सांिाद लेि
िाककिक क्षमिा को बढ़ािा है , ना कक ित्रलेिन, ित्रलेिन भािनाओां से सम्बन्तधि होिा है ।
Ans : (c)
गह
ृ कायिस्य मुख्योद्दे श्यिः िहठिििाठान ् अचधकृत्य अभ्यासां कुयिःुि अन्स्ि। िात्ियि है -
गह
ृ कायि का मख्
ु य उद्दे श्य िढ़े हुए िाठ का अचधक से अचधक अभ्यास करना।
Ans : (a)
श्रिणकौशलविकासाथं विद्यालयस्य विभभतनकायििमेष भाषाश्रिणस्य अिसरािः उत्तमिः
मागििः। िात्ियि है - श्रिण कौशल के विकास के भलए विद्यालय में विभभतन प्रकार के कायििमों
में प्रयोग ककए जा रहे भाषाओां का श्रिण करना ही उत्तम (सििश्रेष्ठ) मागि है।
Q.9. पर्तिि
ृ पिानां प्रिीपिमः?
(a) मतत्रिः (सांस्कृिम ्)- मतत्रिः (हहतदी) (b) िोरिः - िुरति
(c) भारि + युरोिीय – भारोिीय (d) प्रयोजकिः - अप्रयोजकिः
Ans : (d)
विस्िि
ृ िदानाां प्रिीििमिः का प्रयोग प्रयोजक िथा अप्रयोजक के भलए ककया गया है। प्रयोजक
उसे कहिे हैं जो आयोजनकिाि होिा है । ककसी प्रयोजन की ितू िि के भलए जो कायि करिा है उसे
प्रयोजक कहिे हैं।
Ans : (d)
आकलन की कसौटी िह होिी है जो विद्याचथियों के सामातय जानकारी के सामथ्यि का िरीक्षण
करिी है अथािि ् सामातय ज्ञान के आधार िर विद्याचथियों के ज्ञान का आकलन करना ही
उसकी कसौटी है ।
Ans : (d)
शीषिक का मख्
ु य सम्बतध सम्िण
ू ि िाठ से होिा है । जब िक सम्िण
ू ि िाठ का िठन नहीां हो
जािा है िब िक शीषिक का तनधािरण करना असांगि होिा है। सम्िण
ू ि िाठ के िढ़ लेने के बाद
जो भाि मल
ू ििः ग्रहण होिा है िही उसका शीषिक होिा है ।
Ans : (a)
तनम्नभलखिि मूल्यों में सहानभ
ु ूति नामक मल्
ू य समाविष्ट या सामूहहक कक्षा से सम्बद्ध
(सम्बन्तधि) नहीां है जबकक िरस्िर सहायिा, सहयोग िथा समानुभूति समूह कक्षा से
सम्बतध रििे हैं।
Ans : (b)
प्रो. यशिाल सभमति द्िारा 'त्रबना भार के अचधगमन' (सीिना) इस भाग से प्रतििेदन हदया है
न्जसमें कुछ अनश
ु ांसायें प्रदान की गई हैं, इनमें से तनम्नभलखिि अनश
ु ांसा नहीां सन्म्मभलि है ,
यथा-भशक्षण - अचधगम - प्रकिया गतिविचध आधाररि और मनोरां जनिण
ू ि होिा है।
Ans : (b)
छात्रों के अनक
ु ू ल गतिविचधयााँ एिां अनस
ु तधान प्रदशिन द्िारा भशक्षा प्रदान करना बाल
तनिःशल्
ु क आिश्यक भशक्षा अचधकार अचधतनयम (2009) का स्िरूि है । इसके द्िारा 6 से 14
िषि के बालकों को तनिःशल्
ु क एिां अतनिायि भशक्षा का प्रािधान ककया गया।
Q.15. ननम्नलिखििं र्ाक्ट्यद्र्यं पिि अध्यापपका बािकं पच्ृ छनि। बािकः अध्यापपकां
ृ छनि। ककं तपरट किम
पच् ुव ् इिं समीचीनम ् उिाहरर्म ्?
(a) यहद विभन्क्ििररिििनां भिति, िाक्यस्य अथििः अवि िररििििे
(b) िाक्यद्ियां कमििाच्यस्िरूिां स्िष्टीकरोति
(c) िाक्यद्ियां सांज्ञा-किया-सम्बतधां प्रतििादयति
(d) उभयोिः िाक्ययोिः कोऽवि भेदिः न अन्स्ि यिो हह उभयोिः िाक्ययोिः समानािः शब्दािः
Ans : (a)
“अध्याविका बालकां िच्
ृ छति। बालकिः अध्याविका िच्
ृ छति।" इन दोनों िाक्यों से यह स्िष्ट
होिा है कक यहद विभन्क्ि िररिििन होिा है िो िाक्य का अथि भी बदल जािा है। क्योंकक
विभन्क्ि कारण, भलांग, काल इत्याहद अथि िररिििन में सहायक होिे हैं।
Ans : (d)
ऐसा प्रश्न जो छात्र चितिन की उतनति करिा है , िह है िाककिक प्रश्न, व्याख्यात्मक प्रश्न और
व्यन्क्िगि चितिन से युक्ि प्रश्न, न कक केिल िाठ्यिस्िु िठन िर आधाररि प्रश्न।
Q.17. अनि
ु े शनकािे अधिगमन-प्रगनि-प्रकियायाः ननिे शनं लशक्षाधथवभ्यःच ननरन्िरं
प्रनिपस्ु रटपोषर्ं ककं कथ्यिे?
(a) रिनात्मकां मूल्याङ्कनम ् (Formative assessment)
(b) मानक-िरीक्षणम ् (Standardised test)
(c) मानक-सतदभभिि-िरीक्षणम ् (Norm-referenced test)
(d) तनकष-सतदभभिि-मल्
ू याङ्कनम ् (Criterion-refernced assessment)
Ans : (a)
अनुदेशन काल में अचधगमन प्रगति-प्रकिया का तनदे शन और भशक्षाचथियों द्िारा तनरतिर प्रति
िुन्ष्टिोषण रिनात्मक मल्
ू याांकन कहलािा है ।
Q.18. भाषायाः कक्षायां कथाकथनम ् एकपद्िनिरूपेर् प्रयोक्ट्िुं न शक्ट्यिे
(a) केिलां नैतिकभशक्षणस्य कृिे (b) लेिनस्य अध्यािनकृिे
(c) श्रिण-भाषण-बोधनस्य कृिे (d) िठनकौशलस्य अध्यािनकृिे
Ans : (c)
भाषा की कक्षा में कथाकथन की एक िद्धति श्रिणभाषण एिां बोधन का प्रयोग नहीां ककया जा
सकिा। जबकक नैतिक भशक्षण, लेिन अध्यािन िथा िठन कौशल का अध्यािन होिा है ।
Ans : (a)
कवििा िाठन वििारों के बोधनाथि और आनतद अनभ
ु ूति के भलए ककया जािा है िथा यह रुचि
बढ़ाने में भी उियोगी है।
Q.20. चिुथक
व क्षायाः लशक्षक्षका पर्नीिा: छात्रार्ं श्रर्र्कौशितय मूल्याङ्खकनं करोनि।
श्रर्र्कौशिपर क्षर्ाथवम ् अिोलिखििेषु कतय कायवतव्य न्यन
ू िमा उपयोधगिा र्िवि?
े
(a) एकां गानां श्रुत्िा विषयबोधिः
(b) िेिारयतत्रे िलन्त्िकेटव्याख्यानां श्रुत्िा अिगमनम ्
(c) एकस्यािः कथायािः श्रिणां कृत्िा िस्याां घहटिानाां घटनानाां योग्यिमेण उल्लेििः
(d) िािािलािां श्रुत्िा साराांशग्रहणम ्
Ans : (b)
ििुथि कक्षा की भशक्षक्षका विनीिा नामक छात्रा से श्रिण कौशल का मूल्याांकन करिी है। श्रिण
कौशल के िरीक्षण में एक गाने के श्रिण का विषय बोध, एक कथा का उल्लेि और िािािलाि
को सुनकर उसका साराांश ग्रहण उियोगी होिा है जबकक रे डियो िर किकेट के व्याख्यान को
सुनकर अनग
ु मन करना उिना उियोगी नहीां होिा।
Ans : (d)
“सिे भाषाचधगमािः विषयाचधगमािः भिन्ति” यह िाक्याांश भाषाचधगम ् िर ठीक नहीां है । अििः
उियक्
ुि ि िार विकल्िों में यह विकल्ि शुद्धिा की दृन्ष्ट से सििििः अशुद्ध एिां अप्रामाखणक है।
क्योंकक ऐसा कभी नहीां हो सकिा कक - "सभी भाषाओां का ज्ञान मात्र विषयगि ज्ञान से िरू ा हो
जाये।”
Ans : (d)
िठन (िढ़ने) का प्रथम सोिान भाषा के अतिगिि अथिज्ञान से है ।
Q.23. सन्
ु िर एकतय अभ्यासकायवतय ननयोजनं कृिर्िी यस्तमन ् सा प्रत्येकं
पचचमशब्ितय िोपं कृिर्िी। एिद् अभ्यासकायवम ् अस्ति
(a) व्याकरणिरीक्षा (b) लेिनिरीक्षा
(c) ररक्िस्थानितू िििरीक्षा (d) अनम
ु ानकायिम ्
Ans : (c)
सुतदरी नाम की एक बाभलका अिने अभ्यास कायि को सम्ितन करिी है । न्जसमें प्रत्येक िााँििें
शब्द का लोि िह बाभलका करिी है । ऐसा अभ्यास कायि बाभलका द्िारा ररक्िस्थान िूतिि की
िरीक्षा से सम्बन्तधि है। व्याकरण िरीक्षा, लेिन िरीक्षा, अनम
ु ानकायिम ् इत्याहद विकल्ि
अशुद्ध है ।
Q.24. िोषपूर्प
व िनाभ्यासतय कारर्ेषु अन्यिमं कारर्ं भर्नि
(a) कक्ष्यायाां बहुविद्याचथिनाां सम्मदि िः (Over crowded class)
(b) अङ्गुलीदशिनम ् (Finger pointing) अथिा िठने िक्षुरक्षर-सांयोगाथिम ् अङ्गल
ु ी-दशिनम ्
(c) बहुभाषाज्ञानम ् (Multilingualism)
(d) द्विभाषाज्ञानम ् (Bilingualism)
Ans : (b)
दोषिूणिि ठनाभ्यासस्य कारणेषु अतयिमां कारणां अङ्गलीदशिनम ् अथिा िठने िक्षुरक्षर-
सांयोगाथिम ् अङ्गली दशिनां भिति। अथािि - दोषिण
ू ि िठन अभ्यास के कारणों में अतय कारण
अांगल
ु ी दशिन अथिा िढ़ने में िक्षुरक्षर सांयोगाथि अांगल
ु ी दशिन में होिा है।
Ans : (d)
विद्याचथिषु उच्िप्राथभमकस्िरे उच्ि माध्यभमकस्िरे भाषायाां| रुचिसांिधिनाथिम ् अिेक्षक्षिां नाम
विद्याचथिभ्यिः मौखिकरूिेण अचधकाचधकवििरणां दे यम ्। अथािि - विद्याचथियों में
उच्िप्राथभमकस्िर िथा उच्ि माध्यभमकस्िर में भाषाओां की रुचिसांिधिनाथि अिेक्षक्षि है
क्योंकक विद्याचथियों के भलए मौखिक रूि से अचधक से अचधक वििरण दे ना िाहहए।
Ans : (a)
िािन प्रकिया में नूिन-अिररचिि शब्द का आशय ज्ञाि करने हेिु सबसे िहले सम्िूणि सतदभि
का िररशीलन कर स्ियां ही अथि जानने का प्रयास करना िाहहए।
Ans : (c)
सहज रूि से भाषा अचधगमन सतदभि में कथन शैली की अिेक्षा अथि स्िष्टीकरण अति
महत्ििण
ू ि है ।
Q.28. भाषा-लशक्षर्-अधिगम-प्रकिया-सन्िभव समतयानां समािानां प्राप्िम
ु ् अधिगमशैि
महत्त्र्पूर्ाव। भाषालशक्षर्ोपागमाथवम ् अपप अतयाः पर्लशरटं तथानम ्। एिादृशी एका भाषा-
लशक्षर्-अधिगमशैि अस्ति
(a) मुिणोतमि
ु ी शैली (b) केतिीकृिा शैली
(c) उच्िस्िरीया शैली (d) शान्तििण
ू ाि शैली
Ans : (a)
भाषा भशक्षण अचधगम प्रकिया के सतदभि में समस्या के समाधान प्राप्ि करने में अचधगम
शैली महत्ििण
ू ि है । भाषा भशक्षण में भी इसका विभशष्ट स्थान है , इस िरह की एक भाषा
भशक्षण अचधगम शैली मद
ृ णोतमि
ु ी शैली है।
Ans : (c)
भशक्षण के प्रारन्म्भक अिस्था के प्रिििन हे िु छात्रों के अिबोधन की दब
ु ल
ि िा के मल्
ू याङ्कन में
तनदानात्मक प्रकिया सहायक होिी है । तनदानात्मक प्रकिया भशक्षण में समग्र रूि से सहायक
होिी है।
Ans : (d)
व्याकरण का लक्षण भाषा भसद्धाति है । व्याकरण भाषा को िैज्ञातनक िररन्स्थति से जोड़िी है ।
जो िमबद्ध भाषा प्रिाह का प्रतििादन करिी है ।
Q.31. र्ाक्ट्कौशिम ् इनि अतय साहाय्येन सम्यग ् र्िविे
(a) स्थानािवत्तसारखणिः (b) भलखिि-सांभाषणाभ्यासिः
(c) अभभनयो गोष्ठीचितिना ि (d) समद्
ृ धिािनसामग्री
Ans : (c)
अभभनि एिां गोष्ठी से िाणी की कुशलिा में िद्
ृ चध होिी| है । इससे बोलने की प्रिवृ त्त के साथ-
साथ शब्द ज्ञान में भी िद्
ृ चध होिी है । इससे व्यन्क्िगि विकास होिा है ।
Ans : (c)
छात्राणाां 'बहुविध-ज्ञान-कौशल-विकासाथं भशक्षकाणाां कृिे छात्रािः िाठ्याांशम ् अचधकृत्य स्ियां
नूिन-चितिनशील-प्रश्नानाां तनमािणाथं प्रेररयिव्यािः मागििः उत्तमिः।' िात्ियि है - छात्रों के
बहुविध-ज्ञान-कौशल के विकास के भलए भशक्षक का कौन सा मागि उत्तम है - छात्र िाठ्याांश का
अध्ययन कर नये चिांिनशील प्रश्नों का तनमािण करने के भलए प्रेररि करना।
Ans : (d)
िािन-सतदभि ‘सञ्िय-कौशलेन' (Gathering Skill) अभभप्रायिः हटप्िण-तनमािणम ्
अभभप्रायिः अन्स्ि। िात्ियि है - िािन सतदभि में अथािि ् बोलने के सतदभि में सञ्िय कौशल का
अभभप्राय है - हटप्िखणयों का तनमािण करना। इससे छात्र विषय ज्ञान को िूणरू
ि ि से समझने के
भलए योग्य होगा और इसके आधार िर िह अिने ज्ञान को और विस्िि
ृ रूि दे ने में सक्षम
होगा। ना कक ककसी दस
ू रे की हटप्िखणयों को स्िीकार करने में , सन्ञ्िि कौशल िह कौशल है
न्जसमें हटप्िखणयों का तनमािण कर सके।
Ans : (c)
िात्ियि है - सूिना सम्बतधी विभभतन प्रकार के िक्ष जैसे-श्रुि, ध्ितन, शब्द, िद की दृन्ष्ट से
िरस्िर एक दस
ू रे में विभेद के कारण श्रिण कौशल गतिविचध अत्यति महत्ििूणि है , न्जससे
छात्रों की मानभसक ि बौद्चधक योग्यिाओां, क्षमिाओां आहद में िद्
ृ चध होिी है।
Ans : (d)
लेिन के समय सांलग्नशील िम में एक विशेषण होिा है सांस्कृि में विशेष्य के भलङ्ग, ििन
और विभन्क्ि के अनुसार विशेषण का रूि बदलिा है । न्जस भलांग, न्जस ििन और न्जस
विभन्क्ि का विशेष्य होिा है , उसी भलांग उसी ििन और उसी विभन्क्ि का विशेषण भी होिा
है । यथा-अहां सत
ु दोऽन्स्म। (मैं सत
ु दर हूाँ)
Q.36. संतथासु अन्िःशैक्षखर्क-संपन्मि
ू पर्ननमयकरर्ं संर्हन िन्त्रज्ञानम ्
(Communicative Technology)
(a) एरनेट (ERNET) (b) अतिजािलम ् (INTERNET)
(c) इतरानेट (INTRANET) (d) िेल्नेट (DELNET)
Ans : (b)
अतििः शैक्षखणक सांस्थानों में भाषा के आदान-प्रदान का मल
ू कारण एक ऐसा ितत्र या जाल है
न्जसके माध्यम से सभी भाषायी कायि सम्ितन होिे हैं उसे ही हम अतिजािल अथािि ् इतटरनेट
कहिे हैं।
Ans : (b)
नामिद को केतिीकृि करके उिगम को माना जािा है । जो कक अचधक अचधगमन एिां
सांघटनात्मक होिा है जैसे-विद्याचथिनाां रुचिरनग
ु ण
ु ां कियिे। विद्याथी सत
ु दरिा का अनग
ु मन
करिे हैं।
Ans : (c)
कक्षाओां में भमचश्रि (सभी छात्र एक साथ अध्ययन में सन्म्मभलि हों) योग्यिा - समूह िहीां
होिा है जहााँ मतद या कम बुद्चध िाले छात्र उच्ि बद्
ु चध (उिलन्ब्ध) िाले छात्रों के साथ
भमलकर िढ़िे हैं। अथािि ् मतद बद्
ु चध और िीव्र या कुशाग्र बद्
ु चध िाले छात्र एक साथ भमलकर
िढ़ाई करें ।
Ans : (b)
एक भशक्षक्षका अतिेषण करिी है कक कुछ छात्र भाषा प्रश्न ित्र के लेिन से सम्बद्ध भाग में
तनम्न श्रेणी प्राप्ि करिे हैं। उनके तनम्न श्रेणी के कारण को जानने के भलए एक िरीक्षण की
िररकल्िना करिे हैं, उस िरीक्षण को तनदानात्मक - िरीक्षण कहिे हैं अथािि ् तनम्न श्रेणी को
प्राप्ि करने का तनदान (उििार) करिे हैं।
Q.40. अनम
ु ानम ् (Prediction) एकम ् उपकौशिम ् अस्ति
(a) हटप्िणीकरणस्य (Note making) (b) िठनस्य (Reading)
(c) समूहकरणस्य (Chunking) (d) साराांशकरणस्य (Summarising)
Ans : (b)
भशक्षणाभ्यास में िठन के कौशलों का िणिन भमलिा है। जैसे- लेिन कौशल, श्रुि कौशल,
उच्िरण कौशल इत्याहद। इसी प्रकार अनम
ु ानम ् भी एक कौशल है। लेककन अनम
ु ान का एक
उिकौशल भी है िह है- िठन का कौशल अििः अतय विकल्िों में िठनस्य विकल्ि सही है।
Q.41. प्रत्येकं लशक्षाथी पर्लशरट-अधिगमशैल्या पिनि। केचन पाठ्यपत
ु िकं पदित्र्ा
अर्गच्छस्न्ि, केचन अध्यापकं सार्िानं शण्ृ र्स्न्ि अन्ये च गनिपर्धिषु संिग्नाः भूत्र्ा
अनुभर्ैःलशक्षा प्राप्नुर्स्न्ि। इिम ् अधिकृत्य अध्यापकेन ककं कत्तवव्यम ्?
(a) उियक्
ु ि-तनष्ित्त्यथं तनरतिरां छात्रिरीक्षणम ्।
(b) िैयन्क्िकक्षििाविकासाय छात्रािः कला-नत्ृ य-सङ्गीि गतिविचधषु प्रतिभाचगत्िां स्िीकुयिःुि
इत्यथं िरामशिदानम ्।
(c) छात्राणाां िैविध्यम ् अचधकृत्य विविधभशक्षणविचधभभिः विभभतनिद्धतिद्िारा ि भशक्षणम ्।
(d) प्रत्येकां िाठस्य सम्िण
ू ि
ि ाठनां िहठििाठानाां ि सम्यक् िन
ु रािवृ त्तिः।
Ans : (b)
प्रत्येक भशक्षाथी विभशष्ट अचधगम शैली का िठन करिा है। कुछ िाठ्यिस्
ु िकों का िठन करिे
हैं, कुछ भशक्षकों को सािधानी से श्रिण करिे हैं और अतय कतििय ऐसे होिे हैं जो अतय
गतिविचधयों के अनभ
ु ि से भशक्षा प्राप्ि करिे हैं। इन बािों िर ध्यान दे कर अध्यािकों का
कििव्य होिा है कक िे छात्रों के िैयन्क्िक क्षमिा के विकास के भलए छात्रों को कला, नत्ृ य एिां
सांगीि गतिविचधयों में प्रतिभागी बनाने हे िु िरामशि दे ।
Ans : (c)
भाषा व्यिहार द्िारा भाषा कौशल का समुचिि विकास होिा है । अििः भाषा कौशल में
सम्प्रेषण का विशेष महत्ि है। इससे भाषा कौशल का विकास अचधक होिा है ।
Ans : (a)
प्रतििन्ु ष्ट को अचधकृत्यकर उििारात्मक कायि हे िु िरीक्षण महत्ििूणि होिा है ।
Ans : (a)
भाषा दस
ू रे के वििारों का साधन है । क्योंकक त्रबना अथि जाने समझ विकभसि नहीां होिी है ।
भाषा मुख्य रूि से मौखिक होिी है ।
Ans : (d)
भाषा का अचधगम प्रभािशाली होिा है । यहद छात्र कही गई बाि का अथि ग्रहण करने में समथि
हों।
Q.46. सप्िमकक्षायाः छात्रा रू सद्य एर्ं एकां कपर्िां पदित्र्ा अर्गिर्न्िः ।
िेषां लशक्षक्षका िान ् प्रश्नं करोनि "सप्िपङक्ट्िौ कतय काव्यित्त्र्तय अिङ्खकारतय र्ा
प्रयोगः कृिः।" एर्ं सा मल्
ू याङ्खकनं करोनि
(a) तनष्कषिस्य (b) विश्लेषणात्मकचितिनस्य
(c) बोधस्य (d) सि
ू नायािः
Ans : (a)
साििी कक्षा की छात्रा एकाएक एक कवििा िढ़िी हुई आिी है । उसकी भशक्षक्षका उससे प्रश्न
करिी है कक साििीां िांन्क्ि में कौन सा काव्य ित्ि अथिा अलांकार का प्रयोग ककया गया है इस
प्रकार िह तनष्कषि का मूल्याांकन करिी है ।
Ans : (a)
िढ़ने की 'भशिरिाद िम' िद्धति का अध्येिा िूणि अियिों (िथ्यों) की ओर जािा है। अथािि ्
भशिरिादिम िद्धति िह िद्धति कहलािी है न्जसमें रूचिकिाि या अध्यनकिाि शब्दशिः िूणि
अियिों को प्राप्ि करिा है ।
Q.48. सन
ु ीिायाः भाषाननयमानां रूपार्ां च ज्ञानम ् अस्ति। एिेन ितयाः पर्कासः अस्ति
(a) भावषकसामथ्यि (b) बहुभावषकसामथ्यि
(c) द्विभावषकसामथ्यि (d) सांप्रेषणसामथ्यि
Ans : (a)
'सुनीिा' नामक एक छात्रा को भाषा तनयमों और रूिों का ज्ञान है । ऐसा ज्ञान विकास भाषा
सामथ्यि के अतिगिि आिा है । अथािि ् भाषा में िकड़ एिां रुचि ही भाषा सामथ्यि का उदाहरण
कहलािा है। अतय िीनों विकल्ि कम उचिि एिां अिूणि हैं।
Ans : (a)
तनदानात्मक िरीक्षा िह िरीक्षा है न्जसके अतिगिि ् भशक्षक या भशक्षक्षका यह वििार करिे हैं कक
छात्रों का अचधगम कैसा है और उनका िरीक्षण ककस िरह से ककया जाये। तनदानात्मक
िरीक्षण िह िरीक्षण है न्जसके अतिगिि अध्यािक छात्र का मल्
ू याङ्कन सहहि अतय िरीक्षण
करिा है ।
Ans : (b)
उच्ि स्िरीय िठन-अिबोधन सतदभि में छात्र भाषा का िुनलेिन, िूणि िाक्य में िाठ्य िस्िु
सम्बतधी भाि स्िष्टीकरण और प्रमुि शब्दों का विभभतन सतदभो में प्रयोग प्रमि
ु ित्ि है।
Ans : (c)
मौखिकी प्रश्नोत्तरी भाषण कौशल के अभ्यास के भलए समीिीन (उचिि) है ।
Ans : (d)
िथ्यात्मक गद्य िाठ और काव्यात्मक िाठ के बीि भेद माना जािा है । काव्यिाठ मुख्य रूि
से कवि के सतदे श मल्
ू याांकन से सम्बद्ध है ।
Ans : (a)
प्राथभमक स्िर िर छात्रों में उच्िारण दोष प्रायिः दे िा जािा है। प्रारन्म्भक सीिने की अिस्था
में यह सामातय दोष बच्िों में िाया जािा है ।
Q.54. पिनकौशिं छात्रैः ििा ग्ृ यिे यिा
(a) उच्िेिः िठ्यिे (b) प्रकषेण कहठना िरीक्षा कियिे
(c) अथिग्रहणिुरस्सरां िठ्यिे (d) सिेगां िठनां कियिे
Ans : (c)
िठन कौशल छात्रों द्िारा िभी साथिक हो सकिा है जब िह इसका अथि ग्रहण कर िाठन करिा
है । जब ककसी कथ्य का भाि स्िष्ट होिा है , उसके िाठन में भािगि अभभव्यन्क्ि तनदभशिि
होिी है।
Ans : (c)
अतििैयन्क्िक-प्रज्ञा' विकासाथिम ् अिीि महत्ििूणम
ि ् िरस्िरां वििार-विमशििः अन्स्ि। िात्ियि
है - आतिररक विभशष्ट ज्ञान का विकास िभी सम्भि है जब एक छात्र दस
ू रे छात्र से िरस्िर
वििार-विमशि करिा रहे । यही महत्ििण
ू ि विकल्ि है।
Ans : (a)
आकलनस्य तनकषिः (Criteria) मूल्याङ्क-सम्बद्धतनदे शािः अन्स्ि। िात्ियि है - जब कभी
भशक्षक ककसी विद्याथी का आकलन करिा है िो उसके िहले उसे मूल्याांकन करना िड़िा है ।
अििः विद्याथी का आकलन करने के भलए मल्
ू याांकन सम्बन्तधि तनदे श दे ने िड़िे हैं। अथािि ्
आकलन के भलए मल्
ू याांककि तनदे श दे ने होिे हैं।
Ans : (c)
'ध्ितन-अभ्यासाथं ध्ितयुच्िारण-सम्बद्ध-विभभतनगतिविचधयिः करणीयम ्। िात्ियि है -
ध्ितन अभ्यास का कारण है ध्ितन सम्बन्तधि विभभतन प्रकार की गतिविचध जो इस प्रकार है-
सांचध, समास, प्रत्यय एिां उिसगि सहहि शब्दों का शुद्ध उच्िारण, अनुकरण विचध, आिवृ त्त
विचध, अिरोध विचध इत्याहद गतिविचध का प्रयोग करके भशक्षक छात्रों से शुद्ध उच्िारण
करिाने का प्रयास करिा है ।
Q.58. सूयग्र
व हर्ं किा भपर्रयनि? अयं प्रश्न:
(a) अनि
ु ििनशीलिििमानकालीयिः (b) भूिकालीयिः
(c) िििमानकालीयिः (d) भविष्यत्कालीयिः
Ans : (d)
सूयग्र
ि हणां कदा भविष्यति? यह प्रश्न भविष्यकालीय होिा है। इसका िात्ियि है कक सूयि ग्रहण
कब होगा अथािि ् यह भविष्य में होने की बाि कर रहा है अि: यहााँ भविष्य काल होगा।
Q.59. भर्ान ् पच्ृ छिु, अतमाकं िक्ष्यं ककम ्? अहं एकेन पिे न उत्तरं र्िालम- "पर्जयः"
एिादृशः प्रश्नः
(a) रीतियक्
ु ििः (b) सहजिः (c) वििरणात्मकिः (d) आलङ्काररकिः
Ans : (b)
भिान ् िच्
ृ छिु अथािि ् आिने िछ
ू ा, हमारा लक्ष्य क्या है ? मैंने एक शब्द या िद में उत्तर हदया
कक, “विजय” अथािि ् हमारा लक्ष्य विजय प्राप्ि करना है। इस प्रकार के प्रश्न सहज प्रश्न होिे
हैं।
Ans : (d)
भाषाजिन अथिा भाषा के ज्ञान के भलए यह आिश्यक है कक माि ृ भाषा का ज्ञान हो िथा
द्वििीय भाषा का भी ज्ञान हो जो अिगमन िम से मानि के मन्स्िष्क में सन्तनहहि हो
अथािि ् उसे समझ सकने की मानि मन्स्िष्क के अतििःसामथ्यि को तनहदि ष्ट करिा है।
Ans : (c)
स्िाचधगमन सम्बतधी कायि में छात्रों का उत्तरदातयत्ि से सम्बन्तधि तनम्नभलखिि कथनों में
असांगि कथन यह है कक छात्रों के भाषा कौशल के सांशोधन के भलए अचधक मात्रा में गह
ृ कायि
हदया जाये। प्रयोजना कायि िथा प्रदत्त कायि को प्रदान ककया जाये। जबकक समीिीन यह है कक
छात्रों से अचधकाचधक प्रश्न िछ
ूां कर उतहें प्रोत्साहन दे ना िाहहए। सज
ृ नात्मक ि अभभव्यन्क्ि
का विकास करना िाहहए।
Ans : (b)
आिश्यक तनिःशुल्क भशक्षा अचधकार अचधतनयम 2009 बालक के सिांगीण विकास का उल्लेि
करिा है । इसका अभभप्राय है - बालक के सम्िूणि विकास के सतदभि में उसके व्यन्क्ित्ि का
शारीररक, और भािात्मक िक्ष का समुचिि िुन्ष्टकरण।
Ans : (a)
छात्रों की लेिन िन्ु स्िका का अिलोकन कर भशक्षक्षका उनके लेिन की गन्ल्ियों का सांकलन
करिी है । अनतिर ककसी भी छात्र के नाम का उल्लेि न करके उनकी त्रुहटयों को कक्षा में ििाि
करिी है । इस प्रकार यह कायि छात्रों को प्रतििुन्ष्ट प्रदान करिा है।
Ans : (c)
शब्द जाल के उियोग शब्दािली के ज्ञान के भलए ककया जािा है। शब्दािली का ज्ञान बढ़ने िर
भाषा समझ का विकास होिा है ।
Ans : (c)
उच्ि प्राथभमक स्िर िर विद्याचथियों में सम्भाषण कौशल के विकास के भलए कक्षा में िररि
अभभनय का आयोजन सिािचधक प्रभािकारी होिा है।
Q.68. केचन बािाः कक्षायां अर्रोिनकारर्ाि ् भयाि ् र्ा न र्िस्न्ि। एिद् अस्ति
(a) िररिेशीयबाधा (b) सामान्जकबाधा
(c) शारीररकबाधा (d) मनोिैज्ञातनकबाधा
Ans : (d)
मनोिैज्ञातनक बाधा के अतिगिि यह दे िा जािा है कक छात्र/छात्रायें भशक्षण कायि के समय िर
त्रबल्कुल िुि रहिे हैं जबकक उनके मन्स्िष्क में अनेक प्रश्नगि वििार उत्ितन होिे रहिे हैं
कफर भी िह यह सोंििे हैं कक कहीां मेरे प्रश्न से कक्षा बाचधि न हो जाये। ऐसी बालक बद्
ु चध
धारणायें मनोिैज्ञातनक बाधा का कारण होिी है ।
Ans : (a)
कक्षा में भाषा से युक्ि िािािरण तनमािण हे िु भशक्षक कक्षा में छात्रों के स्ियां के अिने-अिने
अनभ
ु ि प्रकटन हे िु प्रिीण भशक्षक अिसर प्रदान करिा है । ऐसा करने से भशक्षक का भशक्षण
िो िष्ु ट होिा ही है साथ ही साथ भशक्षाथी उचिि अिसर प्राप्िानस
ु ार स्ियां का तनमािण भी
आसानी से कर लेिा है।
Ans : (c)
'सििविषयव्यािीभाषािररप्रेक्ष्य के समय भाषा भशक्षक को िािक शब्दों और लकारों का सतदभि
के अनस
ु ार िाठन नहीां करना िाहहए। क्योंकक यह अनेक विषयगि भाषा िररप्रेक्ष्य में
िकिसम्मि नहीां है । यह िो केिल ककसी एक विशेष भाषा िर ही ठीक रहिा है ।
Ans : (a)
जब छात्र व्याकरण अध्ययन के और भाषा स्िरूि के मध्य सम्बतध प्रदभशिि करिा है िब िे
सम्प्रेषण उद्दे श्य एिां विकास प्रकिया को प्रदभशिि करिे हैं।
Ans : (d)
भाषा भशक्षण अचधगम के सतदभि में प्रौद्योचगक उिकरण एक विभशष्ट स्थान रििा है ।
उच्िारण भशक्षण प्रकिया के सतदभि में श्िेि फलक का प्रयोग समीिीन होिा है ।
Q.73. कतयास्चचि ् कक्ष्यायां प्रायः सर्े छात्राः मािभ
ृ ाषया एर् व्यर्हरस्न्ि। अिः
अन्यभाषा कक्ष्यायाः सन्िभव इिम ् अर्गन्िव्यं यि ्
(a) छात्रािः सवु िधानस
ु ारां लक्ष्यभाषया िदे यिःु
(b) मािभ
ृ ाषा-प्रयोगिः सििदा तनवषद्धिः
(c) छात्रेभ्यिः लक्ष्यभाषया व्यिहारिः आिश्यकिः न
(d) छात्रािः िरस्िरां लक्ष्यभाषया व्यिहिुं प्रेररिव्यािः
Ans : (d)
ककसी कक्षा में प्रायिः सभी छात्र मािभ
ृ ाषा का ही व्यिहार करिे हैं। ककतिु अतय भाषा कक्षा के
सांदभि में यह व्यिहार आिश्यक है कक छात्र आिस में लक्ष्य भाषा का व्यिहार करें । इसके भलए
उतहें प्रेररि ककया जािा है।
Ans : (b)
उदाहरण द्िारा व्याकरण तनयमों को व्यक्ि करना व्याकरण बोध का श्रेष्ठ विधान है ।
उदाहरण के रूि में कोई बाि स्िष्ट करने में सहज बोधिा का प्रतििादन होिा है।
Ans : (d)
श्रिण (सुनना) कौशल बढ़ाने में सुनने के भलए िररचिि िाठों का प्रयोग अत्यति िररणामकारी
होिा है। इससे छात्रों में िाठ की श्रिण करने की रुचि बढ़िी है । श्रिण से सि
ु ररचिि िाठों का
उियोग होिा है । श्रिण कौशल, के अभभिधिन से ज्ञानात्मक अभभिद्
ृ चध होिी है ।
Ans : (b)
जो सभी लोगों में वप्रय होिा है उसे मानिीय कहिे हैं। इसके अतिररक्ि जो मानि से द्िेष
करने िाला होिा है उसे मानिद्िेषी कहिे हैं।
Ans : (c)
अचधगमनात्नगिि-विभभतनक्षेत्रेषु मल्
ू याङ्कनात्मकम ् क्षेत्रम ् उच्ि-स्िरीय-चितिनेन
सम्बद्धम ्। िात्ियि है - अचधगम के अतिगिि विभभतन क्षेत्रों में मल्
ू याङ्कन ऐसा क्षेत्र है
न्जसमें उच्ि-स्िरीय चितिन सम्बद्ध होिी है । स्मरणात्मकम ् का अथि है - स्मरण करना।
अिबोधनात्मकम ् का अथि है - आतिररक अिबोध कराना। अनव्ु यिहारात्मकम ् का अथि है -
आतिररक व्यिहार का अनक
ु रण करना।
Q.78. 'शीषवक-र्ाक्ट्येन' अलभप्रायः अस्ति
(a) तनबतधस्य मुख्यभाििः
(b) काव्यस्य तनबतधस्य िा शीषिकम ्
(c) अनुच्छे दस्य प्रमि
ु िः वििार
(d) कस्यावि तनबतधस्य प्रलेिस्य िा उिशीषिकम ्
Ans : (c)
'शीषिक-िाक्येन' अभभप्रायिः अन्स्ि अनच्
ु छे दस्य प्रमि
ु िः वििारिः। िात्ियि है - शीषिक िाक्य को
िभी समझा जा सकिा है जब अनच्
ु छे द के विषय में ज्ञान हो, इसभलए सििप्रथम अनच्
ु छे द के
विषय िर वििार ककया जािा है , न्जसके माध्यम से शीषिक के विषय में ज्ञाि होिा है।
Ans : (b)
समानाथिकां शब्दयग्ु मम ् िसध
ु ा / िसांध
ु रा अन्स्ि। िात्ियि है - िसध
ु ा का अथि िथ्
ृ िी और
िसांध
ु रा का अथि िथ्
ृ िी या धरा। भार को धारण करने िाली िसांध
ु रा। कुल का अथि सम्िण
ू ।ि कुल
एक प्रकार का शब्द है । कति का अथि ककिना, ककयान ् का अथि ककया (सम्ितन), िूर का अथि
तनदि यी, िोध का अथि गस्
ु सा (आगबबल
ू ा) आहद अथि होिे हैं।
Ans : (d)
िठनसमये (िढ़ने के समय) विसांज्ञाया (Decoding) का अथि विश्लेषण करना अथािि ् प्रत्येक
शब्द का अलग-अलग ज्ञान प्राप्ि करना अथािि ् विश्लेषण करके आगमन विचध द्िारा
तनन्श्िि तनष्कषि िर िहुाँिना होिा है ।
Ans : (a)
िीडियोडिस्क को िास्ििीयिात्मक (Vertual Reality) कहा जािा है । िीडियो में िास्िविक
रूि से प्रत्यक्ष िस्िीर या िाटा ले भलया जािा है । इसी के माध्यम से कफल्म का तनमािण ककया
जािा है । अििः िीडियोडिस्क को ही िास्ििीयात्मक कहा जािा है ।
Ans : (d)
िठन के सतदभि में भाि को ग्रहण करने में जो िरीक्षण होिा है िह साराांश का ही िरीक्षण होिा
है सम्िूणि िथ्य को िढ़ने के बाद जो भाि मल
ू रूि में ग्रहण होिा है उसे साराांश कहा जािा है ।
Ans : (b)
एक प्राचधकृि - िाठ्यिस्िु िही होिी है जो व्यािहाररक जीिन का प्रकाशन करे (व्यािहाररक
जीिन के भलए उियोगी हो) यथा-विज्ञािन - सूिना - लेि इत्याहद को स्िीकृि करे िही
प्राचधकृि - िाठ्यिस्िु होिी है । अथािि ् न्जसमें व्यािहाररक जीिन का विकास तनहहि हो िही
उियक्
ु ि िाठ्यिम होिा है।
Ans : (a)
स्िायत्त भशक्षाथी िे होिे हैं जो अिने द्िारा सीिने के भलए स्ियां को उत्तरदायी स्िीकार करिे हैं
अथािि ् जो छात्र स्ियां से सीििे हैं िथा ककसी की सहायिा नहीां लेिे हैं िे स्िायत्त छात्र होिे हैं िे
अिने अचधगमन के भलए स्ियां को उत्तरदायी मानिे हैं।
Ans : (a)
काव्य कक्षा में एक अध्याविका छात्रों से एक गीि सन
ु िी| है । अति में िे उच्ि स्िर में गीि
िढ़िे हैं। ित्िश्िाि ् समह
ू में कुछ छात्र गीि की लय के अनस
ु ार नाििे हैं, कुछ गीि को गािे
हैं। अध्याविका उस गीि को अचधकृत्यकर भाि के अनस
ु ार चित्र बनाने को प्रेररि करिी हैं
अध्याविका इस प्रकार की िद्धति का अनस
ु रण इसभलए करिी है कक प्रत्येक छात्र विभशष्ट
शैली में िढ़िा है। अििः अध्याविका इस विचध के अचधगमन में छात्र की सहायिा करिी है ।
Ans : (a)
उििारात्मक भशक्षण तनदान एिां अचधगमन ररन्क्ि िण
ू ि होिा है। और यह छात्रों के ज्ञानात्मक
िद्
ृ चध में सहायक होिा है।
Ans : (d)
शब्दािल्य अचधगम करने में सहवितयास एक उिाय है न्जससे समझ विकभसि होिी है ।
Q.88. उत्तमिेिने एिि ् न आगच्छनि
(a) योग्यिदानाां ियनम ् (b) केिलम ् उत्कृष्टहस्िलेििः
(c) व्याकरणगिशद्
ु धिा (d) वििारािः उिस्थािनञ्ि
Ans : (b)
उत्तम लेिन में केिल उत्कृष्ट हस्िलेि नहीां आिा है जबकक योग्य िदों का लेिन,
व्याकरणगि शुद्धिा और वििारों का उिस्थािन आिा है ।
Ans : (a)
भारि की भाषा भशक्षा नीति त्रत्रभाषा सत्र
ू के रूि में जानी जािी है। त्रत्रभाषा के अतिगिि हहतदी
अांग्रेजी और स्थानीय भाषा सन्म्मभलि है ।
Ans : (c)
भारि में दृढ़ एिां िररिक्ि भाषा िररिार का विश्लेषण भमलिा है न्जसे विद्िानों ने अिने ज्ञान
की िोज द्िारा भसद्ध ककया है । न्जसमें से िविििः भाषा िररिार मख्
ु य हैं। प्रश्नानस
ु ार िविि,
तिब्बि, िमिन, इांिो-आयिन ये सभी भारिीय भाषा िररिार के अतिगिि आिे है । जबकक
अल्िाईक भारि के भाषा िररिार के अतिगिि नहीां है ।
Q.91. प्रकियािेिने (Process writing) बहुपर्धिस्तथिीनां िमः
(a) विमशििः हटप्िणां प्रारूिलेिनां सम्िादनम ् अन्तिमलेिनां ि (Brainstorming jotting,
drafting, editing and finalising)
(b) हटप्िणां सम्िादनां प्रारूिलेिनम ् अन्तिमलेिनां ि (jotting, editing, drafting and
finalising)
(c) विमशििः हटप्िणां सम्िादनां प्रारूिलेिनम ् अन्तिमलेिनां ि (Brainstorming, jotting,
editing, drafting and finalising)
(d) हटप्िणां प्रारूिलेिनां सम्िादनम ् अन्तिमलेिनां ि (jotting, drafting, editing and
finalising)
Ans : (a)
अनेक प्रकार की न्स्थतियों में जब प्रकिया लेिन का प्रयोग होिा है , िब उस समय विमशि,
हटप्िणी, प्रारूि लेिन और अन्तिम लेिन का सम्िादन मख्
ु य भभू मका तनभािा है ।
Ans : (b)
अनेक छात्रों के भलए लेिनकायि अत्यति जहटल होिा है । अििः इस सतदभि में अध्यािक को
िाहहए कक िह छात्रों को स्िष्ट सम्प्रेक्षण क्षमिा के विकास के सतदभि में आिश्यक व्याकरण
ित्ि का अभ्यास कराये।
Q.93. कतयापप िेितय मूल्याङ्खकनसन्िभे िेितय कः सः भागः यत्र सम्पूर्त
व य
िेितय सारांशः पुनरार्पृ त्तं पर्ना प्राप्यिे यत्र च सम्पूर्म
व हत्त्र्पूर्ावः सूचनाः अपप
दृश्यन्िे?
(a) मध्यभागिः (b) भूभमका
(c) तनष्कषििः (d) द्वििीयिः अनच्
ु छे दिः
Ans : (c)
ककसी लेि के मल्
ू याांकन के सतदभि में लेि का तनष्कषि िाला भाग होिा है जहाां सम्िण
ू ि लेि
का साराांश एिां सम्िण
ू ि महत्ििण
ू ि सि
ू ना प्राप्ि होिी है ।
Ans : (a)
सामान्जक सम्िकि की स्थािना और सांरक्षण के भलए भाषा के उियोग को भाषा की
सांिादात्मक किया कहा जािा है। सामान्जक सम्िकि में भाषा सांिहन का कायि करिी है। भाषा
की समझ ही सम्प्रेषिण कौशल है ।
Ans : (c)
'स-कलकलम ् सकल-कलम ्' इस द्ितद्ि िद में यमक अलङ्कार है । यमक शब्द का अथि दो
है । इस अलङ्कार में एक ही आकार के शब्दों का बार-बार प्रयोग होिा है लेककन अथि भभतन
भभतन होिे हैं।
Ans : (d)
स्िर का लय, बलाघाि इत्याहद सांङ्गीि स्िरों में है ।। सम्भाषण भाषा में लय, बलाघाि
इत्याहद िर ध्यान हदया जािा है।
Ans : (a)
िात्ियि है - विद्याचथियों को जब भी कोई कायि करने की अभभप्रेरणा दी जािी है ि िरस्िर
समान रूि से कायि करना, भमलकर रहना, कायि करना ि शान्तििूणि जीिन के भलए अभभप्रेररि
करना, सद्भाि बनाये रिना, इस प्रकार का जीिन नैतिक भशक्षा िर आधाररि होिा है । अथािि ्
मूल्य भशक्षा कहलािी है ।
Ans : (c)
भाषा-भशक्षणस्य सम्प्रेषणात्मकविचधिः छात्रान ् िथा भाषया िरस्िरम ् अतििः कियाथिम
प्रेरयति। िात्ियि है - भाषा भशक्षण विचध भशक्षक द्िारा सूिनाओां, िथ्यों एिां वििारों को छात्रों
िक भाषा की सहायिा से प्रेवषि करिा है । सम्प्रेषण का अथि है सांदेश प्राप्ि करने िाला, सांदेश
को उसी अथि में लें न्जस अथि में िह उसके िास भेजा गया है , इसका ज्ञान िभी सम्भि है जब
िह अिनी प्रतिकिया भी साथ-साथ व्यक्ि करे । इस प्रकार का भसद्धाति अतििःकिया
(अििमन में िलने िाली किया) को महत्ि दे िा है । सम्प्रेषणात्मक विचध आतिररक किया को
प्रेररि करिा है
Ans : (a)
सांस्कृि िाठ्यिम में सांिाद लेि का जो मल
ू उद्दे श्य होिा है िह यह होिा है कक इससे
सज
ृ नात्मक क्षमिा का विकास होिा है। सज
ृ नात्मक क्षमिा के विकास के भलए लेिन का
बहुि महत्ि होिा है । अििः सांिाद लेि के माध्यम से सज
ृ नात्मकिा का विकास होिा है ।
SACHIN ACADEMY
https://www.youtube.com/channel/UC7Pb8pDlwmU8UvEx2Q6K5GA
CP STUDY POINT
https://www.youtube.com/results?search_query=CP+STUDY+POINT