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THE INDIAN HIGH SCHOOL DUBAI

Oud Metha CAMPUS

SUMMER ASSIGNMENT

2023-24
Grade: 10
Subject: Hindi
प्रश्न 1 ननम्नलिखित गद‍यांश को ध्‍यनपर्
ू कव पढ़कर पछ
ू े गए प्रश्नों के उत्तर के सही वर्कल्प
चनु नए -
(अ) सबसे उच्च जीर्न मयनर् जीर्न मयनय ग‍य है । बुदधि के कयरण नहीां, बुदधि तो पशु
के भी हहस्से में आई है ककन्तु वर्र्ेक से सस
ु ज्जजत केर्ि मयनर् जीर्न है । वर्र्ेक की
आर्श्‍कतय इसी श्रेष्टतय की रक्षय के लिए कदयधचत आर्श्‍क थी। सत्‍ की आरयिनय
भज्तत है और भज्तत ‘लसर हथेिी पर िेकर चिने कय सौदय है ’ अथर्य र्ह हरर कय
मयगव है , ज्जसमें कय‍रतय की गज
ुां यइश नहीां है । ज्जसमें हयर नयम की कोई चीज़ नहीां
है । र्ह तो मर कर जीने कय मांत्र है । सत्‍ और अहहांसय कय मयगव ज्जतनय सीिय है
उतनय ही तांग भी, ियाँडे की ियर पर चिने के समयन है । नट ज्जस डोर पर सयर्ियनी
से नज़र रिकर चि सकतय है , सत्‍ और अहहांसय की डोर उससे भी पतिी है । ज़रय
चूके कक नीचे धगरे । इस चूक की सांभयर्नय इतनी अधिक होती है कक इस मयगव पर
चिनय असांभर् होतय है । पि-पि सयिनय से ही सत्‍ के दशवन होते हैं। िेककन सत्‍
के सांपण
ू व दशवन तो इस दे ह से असांभर् हैं। उसकी केर्ि कल्पनय ही की जय सकती है ।
क्षणभांगुर दे ह दर्यरय शयश्र्त िमव कय सयक्षयत्कयर सांभर् नहीां होतय। अत: अांत में श्रदिय
के उप‍ोग की आर्श्‍कतय तो रह ही जयती है । इसी से अहहांसय ज्जज्ञयसु के पल्िे
पडी। ज्जज्ञयसु के सयमने ‍ह सर्यि पैदय हुआ कक अपने मयगव में आने र्यिे सांकटों को
सहे ‍य उसके ननलमत्त जो नयश करनय पडे, र्ह करतय जयए और आगे बढ़े । उसने दे िय
कक नयश करते चिने पर र्ह आगे नहीां बढ़तय, दर-कय-दर पर ही रह जयतय है। सांकट
सहकर आगे तो बढ़तय है ।
(i) कय‍रतय की गज
ुां यइश ककसमें नहीां है ?
(क) सत्‍ में (ि) असत्‍ में
(ग) अहहांसय में (घ) िमव में

(ii) सत्‍ और अहहांसय के दशवन ककस के दर्यरय होते हैं ?


(क) सयिनय से (ि) सयर्ियनी से
(ग) दे ह से (घ) िमव से
(iii) ज्जज्ञयसु के समक्ष कौन-सय सर्यि उठय ?
(क) र्ह मयगव में आने र्यिे कष्टों को सहे
(ि) र्ह मयगव में आने र्यिे कष्टों कय नयश करे
(ग) र्ह मयगव में आने र्यिे कष्टों को सहे ‍य उनकय नयश कर आगे बढ़े
(घ) र्ह मयगव में आने र्यिे कष्टों को न सहे
(iv) ज्जज्ञयसु दर-कय-दर पर ही कब रह ग‍य ?
(क) श्रदिय के उप‍ोग से (ि) सत्‍ के सांपण
ू व दशवन से
(ग) सांकट सहकर चिने पर (घ) नयश करके चिने पर
(v) ‘लसर हथेिी पर िेकर चिनय' से त‍य आश‍ है ?
(क) लसर को हथेिी पर पकडकर चिनय
(ि) लसर को हथेिी से पकडकर चिनय
(ग) जयन की परर्यह न करनय
(घ) लसर पर हथेिी रिकर चिनय
(ब) प्रकृनत और मनष्ु ‍ कय सांबांि ऐनतहयलसक दृज्ष्ट से कयफी बयद में शरू
ु हुआ, त‍ोंकक
प्रकृनत पहिे से थी, मनष्ु ‍ बयद में आ‍य। िेककन अपने वर्कयस के क्रम में , मनष्ु ‍
ने शीघ्र ही प्रकृनत पर अपनी इच्छय आरोवपत करनी चयही और तब से सांघर्व तथय
स्र्ीकृनत कय एक िोमहर्वक नयटक मनुष्‍ और प्रकृनत के बीच चि रहय है । आज भी
मनुष्‍ प्रकृनत कय ही पुत्र है । जन्म, जीर्न, ‍ौर्न, जरय, मरण आहद अपनी अनेक
ज्स्थनत‍ों में र्ह आज भी प्रयकृनतक नन‍मों से मुतत नहीां हो सकय है । इसके बयर्ज़ूद
ननरां तर उसकी चेष्टय ‍ही रही है कक र्ह ज्ञयन-वर्ज्ञयन की अपनी सयमूहहक उद‍मशीितय
के बि पर प्रकृनत को पूणत
व : अपने र्श में कर िे। प्रकृनत कय सांतुिन बबगयडने की
हदशय में मनष्ु ‍ वपछिे दो-तीन सौ र्र्ों के दौरयन इतनय अधिक बढ़ चक
ु य है कक अब
पीछे हटनय असांभर्-सय िगतय है । ज्जस गनत से वर्लभन्न क्षेत्रों में प्रयकृनतक सांति
ु न
बबगयडते रहे हैं, उसमें कोई भी कमी व्‍यर्हयररक प्रतीत नहीां होती, त‍ोंकक हमयरी
अथवव्‍र्स्थयएाँ और दै ननक आर्श्‍कतयएाँ उस गनत के सयथ जुड-सी गई हैं। त‍य हमें
ज्ञयन नहीां कक ज्जसे हम अपनय आहयर समझ रहे हैं, र्स्तत
ु ः हमयरय दै ननक वर्र् है,
जो सयमूहहक आत्महत्‍य की हदशय में हमें लिए जय रहय है । दशय पररर्तवन के लिए
हदशय पररर्तवन आर्श्‍क हो ग‍य है । ज्जसमे मयनर् कय प्रकृनत के सयथ सांतुिन सांभर्
हो। वर्कयस, की अांिहोड प्रकृनत को समनवर्त कर होगी तभी सुरक्षक्षत और सफि
होगी।
(i) मनष्ु ‍ और प्रकृनत के बीच त‍य चि रहय है ?
(क) सांघर्व और स्र्ीकृनत कय नयटक (ि) सांबांिों कय नयटक
(ग) ज्ञयन-वर्ज्ञयन कय नयटक (घ) वर्ज‍ कय
(ii) मनष्ु ‍ ककसके बि पर प्रकृनत को र्श में करनय चयहतय है ?
(क) ज्ञयन के बि पर (ि) वर्ज्ञयन के बि पर
(ग) ज्ञयन-वर्ज्ञयन की सयमूहहक उद‍मशीितय के बि पर (घ) इच्छय के बि पर
(iii) हम वर्र् को त‍य समझ रहे हैं ?
(क) आर्श्‍कतय (ि) आहयर
(ग) गनत (घ) प्रगनत
(iv) आज भी मनुष्‍ अपनी अनेक ज्स्थनत‍ों में ककससे जुडय हआ है ?

(क) प्रगनत के इनतहयस से (ि) प्रकृनत के सांतुिन से
(ग) पररमण्डि वर्ज्ञयन से (घ) प्रकृनत के नन‍मों से
(v) गद‍यांश कय शीर्वक त‍य होगय ?
(क) प्रकृनत (ि) मनुष्‍ कय इनतहयस
(ग) प्रकृनत और मनुष्‍ (घ) मनुष्‍ की वर्ज‍
प्रश्न 2 ननम्नलिखित गद‍यांश को पढ़कर पछ
ू े गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए ।
अ ज्ज़ांदगी के असिी मज़े उनके लिए नहीां हैं, जो फूिों की छयाँह के नीचे िेिते और
सोते हैं बज्ल्क फूिों की छयाँह के नीचे ‍हद जीर्न कय कोई स्र्यद नछपय है तो र्ह भी
उन्हीां के लिए है जो दरू रे धगस्तयन से आ रहे हैं, ज्जनकय कांठ सि
ू य हुआ, ओांठ फटे
हुए एर्ां सयरय बदन पसीने से तर है । पयनी में नछपे अमत ृ र्यिे तत्र् को र्ही जयनतय
है , जो िूप में िूब सुि चक
ु य है । र्ह नहीां, जो रे धगस्तयन में कभी पडय ही नहीां है ।
सुि दे ने र्यिी चीज़ें पहिे भी थीां और अब भी हैं। फकव ‍ह है कक जो सुिों कय मूल्‍
पहिे चुकयते हैं और उसके मज़े बयद में िेते हैं, उन्हें स्र्यद अधिक लमितय है । ज्जन्हें
आरयम आसयनी से लमि जयतय है उनके लिए आरयम ही मौत है । जो िोग पयाँर् भीगने
के िौफ से पयनी से बचते रहते हैं, समुद्र में डूब जयने कय ितरय उन्हीां के लिए है ।
िहरों में तैरने कय ज्जन्हें अभ्‍यस है र्ह मोती िेकर बयहर आएाँगे। चयाँदनी की तयज़गी
और शीतितय कय आनांद र्ह मनष्ु ‍ िेतय है , जो हदन भर िप
ू में थक कर िौटय है,
ज्जसके शरीर को अब तरियई की ज़रूरत महसस
ू होती है और ज्जसकय मन ‍ह
जयनकर सांतष्ु ट है कक हदनभर कय सम‍ उसे ककसी अच्छे कयम में िगय‍य है । इसके
वर्परीत र्ह आदमी भी है, जो हदन भर खिडकक‍याँ बांद कर के पांिे के नीचे नछपय हुआ
थय और रयत में ज्जसकी सेज बयहर चयाँदनी में िगयई गई है । भ्रम तो शय‍द उसे भी
होतय होगय कक र्ह चयांदनी के मज़े िे रहय है परां तु सच पनू छए तो िुशबूदयर फूिों के
रस में हदनरयत सड रहय है ।
(i) िेिक के अनस ु यर जीर्न कय आनांद र्यस्तर् में कौन िेतय है ?
(ii) आरयम ककनके लिए मौत है और त‍ों ?
(iii) िहरों में तैरने के अभ्‍यस से िेिक कय त‍य अलभप्रय‍ है ?
(iv) मेहनती व्‍ज्तत के मन की सांतज्ु ष्ट कय आियर त‍य है ?
(v) गद‍यांश कय उधचत शीर्वक दीज्जए ।

ब प्रनतभय ककसी की मोहतयज नहीां होती। इसके आगे सयरी समस्‍यएाँ बौनी हैं। िेककन
समस्‍य एक प्रनतभय को िुद दस
ू री प्रनतभय से होती है। बहुमुिी प्रनतभय कय होनय,
अपने भीतर एक प्रनतभय की बजय‍ दस ू री प्रनतभय को िडय करनय है । इससे हमयरय
नुकसयन होतय है । ककतनय और कैसे?
मन की दनु न‍य की एक वर्शेर्ज्ञय कहती हैं कक बहुमुिी होनय आसयन है , बजयए एक
ियस वर्र्‍ के वर्शेर्ज्ञ होने की ति
ु नय में। बहुमि
ु ी िोक स्पियव से घबरयते हैं। कई
वर्र्‍ों पर उनकी पकड इसलिए होती है त‍ोंकक र्े एक में स्पियव होने पर दस
ू रे की
ओर भयगते हैं र्े आिोचनय से भी डरते हैं और अपने कयम में तयरीफ ही तयरीफ सुननय
चयहते हैं। बहुमि ु ी िोगों से सबसे महयन मयने जयने र्यिे मयइकि एांजेिो से िेकर
अपने ‍हयाँ रर्ीांद्रनयथ टै गोर जैसे कई िोग हैं। िेककन आज ऐसे िोगों की पूछ-परि
कम होती है । ऐसे िोग प्रनतभयशयिी आज भी मयने जयते हैं िेककन असफि होने की
आशय उनके लिए अधिक है । आज र्े िोग ‘वर्ांची लसांड्रोम’ से पीड़डत मयने जयते हैं,
ज्जनकी पकड दो-तीन ‍य इससे ज‍यदय क्षेत्रों में हो िेककन हर क्षेत्र में उनसे बेहतर
उम्मीदर्यर मौजूद हों। बहुमि
ु ी प्रनतभय र्यिे िोगों के भीतर कई कयमों को सयकयर
करने की इच्छय बहुत तीव्र होती है ज्जसकी उत्सक ु तय उन्हें एक से दस
ू रे क्षेत्र में हयथ
आज़मयने की बयध्‍ करती है। समस्‍य तब होती है , जब ‍ह हयथ आजमयनय दिि
करने जैसय हो जयतय है र्े नय इिर के रहते है नय उिर के।
(i) बहमुिी प्रनतभय त‍य है ? प्रनतभय से समस्‍य कब, कैसे हो जयती है ?

(ii) बहमुिी प्रनतभय र्यिों की ककन कलम‍ों की ओर सांकेत है ?

(iii) बहमुिी प्रनतभयधग‍ों की पकड ककन क्षेत्रों में होती है और उनकी असफितय की

सांभयर्नय त‍ों है ?
(iv) ऐसे िोगों कय स्र्भयर् कैसय होतय है और र्े प्रय‍ः सफि त‍ों नहीां हो पयते ?
(v) आश‍ स्पष्ट कीज्जए: "प्रनतभय ककसी की मोहतयज नहीां होती।"
पदबांि

(1) ततयाँरय कय ‍यचनय भरय चेहरय उसकी आाँिों में तैर जयतय।- रे ियांककत में पदबांि
कय भेद है
(क) सर्वनयम (ि) कक्र‍य
(ग) वर्शेर्ण (घ) सांज्ञय
(2) आभय पररश्रमी और होलश‍यर िडकी है। रे ियांककत में पदबांि कय भेद है
(क) सांज्ञय (ि) सर्वनयम
(ग) वर्शेर्ण (घ) कक्र‍य
(3) सयमने के मकयन में रहने र्यिय िडकय अच्छय नहीां है । रे ियांककत में पदबांि कय
भेद है -
(क) सर्वनयम (ि) सांज्ञय
(ग) कक्र‍य (घ) वर्शेर्ण
(4) फूिों पर भाँर्रे मांडरय रहे हैं। रे ियांककत में पदबांि कय भेद है -
(क) कक्र‍यवर्शेर्ण (ि) कक्र‍य
(ग) वर्शेर्ण (घ) वर्शेर्ण
(5) ननरां तर बहतय जि पवर्त्र होतय है। रे ियांककत में पदबांि कय भेद है -
(क) सर्वनयम पदबांि (ि) वर्शेर्ण पदबांि
(ग) सांज्ञय पदबांि (घ) कक्र‍यवर्शेर्ण पदबांि
(6) ताँतयरय की तिर्यर एक वर्िक्षण रहस्‍ थी।' इस र्यत‍ में से सांज्ञय पदबांि
छयाँहटए।
(क) तिर्यर एक (ि) ताँतयरय की तिर्यर
(ग) रहस्‍ थी (घ) वर्िक्षण रहस्‍
(7) 'कबूतर परे शयनी में इिर-उिर फडफडय रहे थे।" रे ियांककत पदबांि कय प्रकयर है -
(क) सर्वनयम पदबांि (ि) कक्र‍य पदबांि
(ग) कक्र‍यवर्शेर्ण पदबांि (घ) वर्शेर्ण पदबांि
(8) बढ़ती हुई आबयहद‍ों ने समांदर को पीछे सरकयनय शुरू कर हद‍य है । रे ियांककत
पदबांि कय प्रकयर है -
(क) वर्शेर्ण पदबांि (ि) सर्वनयम पदबांि
(ग) कक्र‍य पदबांि (घ) सांज्ञय पदबांि
रचनय के आियर पर र्यत‍ भेद
प्रश्न 1 - 'मैं जैसय चयह रहय थय, र्ैसय ही सब कुछ होतय जय रहय थय।' र्यत‍ कय भेद
है -
(क) सरि र्यत‍ (ि) लमश्र र्यत‍
(ग) सां‍ुतत र्यत‍ (घ) प्रश्नर्यचक र्यत‍
प्रश्न 2 - 'जैसे ही घांटी बजी, र्ैसे ही सभी छयत्र बयहर आ गए।' र्यत‍ कय सां‍ुतत
र्यत‍ में रूपयांतरण है -
(क) घांटी बजी सभी छयत्र बयहर आ गए।
(ि) त‍ोंकक घांटी बजी थी इसलिए सभी छयत्र बयहर आ गए।
(ग) घांटी बजी और सभी छयत्र बयहर आ गए।
(घ) इन में से कोई नहीां
प्रश्न 3 - 'त‍ोंकक अधिकयरर‍ों की लमिीभगत थी, इसलिए हरे पेड कयटे जय रहे थे।'
र्यत‍ कय सरि रूप है -
(क) अधिकयरर‍ों की लमिीभगत थी तभी हरे पेड कयटे जय रहे थे।
(ि) हरे पेड कयटे जय रहे थेत‍ोंकक अधिकयरर‍ों की लमिीभगत थी।
(ग) अधिकयरर‍ों लमिे हुए होने के कयरण हरे पेड कयटे जय रहे थे।
(घ) अधिकयरर‍ों की लमिीभगत से हरे पेड कयटे जय रहे थे।
प्रश्न 4 - 'इसी जगह पर कभी मांहदर हुआ करतय थय।' र्यत‍ कय लमश्र र्यत‍
रूपयांतरण होगय-
(क) जगह र्ही है जहयाँ कभी मांहदर हुआ करतय थय।
(ि) ‍ही र्ह जगह है , जहयाँ पर कभी मांहदर हुआ करतय थय।
(ग) इसी जगह पर कभी मांहदर कय ननमयवण हुआ करतय थय।
(घ) इसी जगह पर कभी मांहदर में पूजय की जयती थी।

प्रश्न 5 - 'गयाँर् में एक ऐसय कुआाँ थय ज्जसके चयरों ओर कक‍यरर‍याँ थी।' र्यत‍ कय
सां‍ुतत र्यत‍ रूपयांतरण होगय-
(क) गयाँर् में कुआाँ थय ज्जसके चयरों ओर ककसी ने सन्
ु दर कक‍यरर‍याँ बनय दी थी।
(ि) एक ऐसय कुआाँ थय ज्जसके चयरों ओर कक‍यरर‍याँ थी।
(ग) गयाँर् में एक ऐसय कुआाँ भी थय ज्जसके चयरों ओर कक‍यरर‍याँ बनयई गई थी।
(घ) गयाँर् में एक कुआाँ थय और उसके चयरों ओर कक‍यरर‍याँ थी।
प्रश्न 6 - 'टीबी के ज्जस मरीज ने दर्य कय परू य कोसव कक‍य थय। र्ह स्र्स्थ हो
ग‍य।' र्यत‍ सां‍ुतत र्यत‍ रूपयांतरण होगय-
(क) टीबी के मरीज ने दर्य कय पूरय कोसव कक‍य और र्ह स्र्स्थ हो ग‍य।
(ि) टीबी के ज्जस मरीज ने दर्य कय पूरय कोसव कक‍य थय उसे अस्पतयि से छुट्टी
हो गई।
(ग) टीबी के मरीज ने पूरी दर्य िी थी व्ह जल्द ही स्र्स्थ हो ग‍य।
(घ) टीबी के ज्जस मरीज को दर्य सम‍ पर दी जय रही थी। र्ह स्र्स्थ हो ग‍य।
प्रश्न 7 - '‍हद आप घर आएाँ तो आपसे बयत हो।' र्यत‍ सां‍त
ु त र्यत‍ रूपयांतरण
होगय-
(क) त‍ोंकक आप घर आएाँ इसलिए आपसे बयत हो।
(ि) आप घर आएाँ हो तो आपसे बयत हो रही है ।
(ग) आप घर आएाँ और बयत कीज्जए।
(घ) आप घर आएाँगे तो हम आपसे बयत करें गे।
प्रश्न 8 - ' टीबी के मरीज ने दर्य कय पूरय कोसव कक‍य और र्ह स्र्स्थ हो ग‍य।'
र्यत‍ सांबधां ित है -
(क) सां‍त
ु त र्यत‍ से (ि) सरि र्यत‍ से
(ग) लमश्र र्यत‍ से (घ) प्रश्न र्यत‍ से
प्रश्न 9 - 'वर्द‍यि‍ में पढ़यई बांद हो गई और हम घर िौट आए। ' र्यत‍ कय लमश्र
र्यत‍ रूपयांतरण है -
(क) त‍ोंकक वर्द‍यि‍ में पढ़यई बांद हो गई थी तभी हम घर िौट आए।
(ि) जब वर्द‍यि‍ में पढ़यई बांद हो गई तब हम घर िौट आए।
(ग) जैसे ही वर्द‍यि‍ में पढ़यई बांद होनी थी हमें घर िौट कर आनय थय।
(घ) उपरोतत कोई नहीां

प्रश्न 10 - 'र्े मेरे वपतय जी हैं और कुसी पर बैठे हैं।' र्यत‍ कय लमश्र र्यत‍
रूपयांतरण होगय-
(क) मेरे वपतय जी र्े हैं जो कुसी पर बैठे हैं।
(ि) कुसी पर बैठे हुए मेरे वपतय जी हैं ।
(ग) मेरे वपतय जी को कुसी पर बैठनय अच्छय िगतय है ।
(घ) कुसी पर बैठे रहनय वपतय जी कय स्र्भयर् है।
समास

(1) 'गुरुदक्षक्षणय' समस्त पद कय वर्ग्रह है -


(क) गुरु की दक्षक्षणय (ि) गुरु के लिए दक्षक्षणय
(ग) गुरु और दक्षक्षणय (घ) गुरु को दी गई दक्षक्षणय
(2) पर के अिीन कय समस्त पद है -
(क) परअिीन (ि) पयरयिीन
(ग) परयिीन (घ) परोिीन
(3) ननम्नलिखित में से ककस समस्तपद में कमवियर‍ समयस है -
(क) र्नर्यस (ि) आपबीती
(ग) आजन्म (घ) कयिीलमचव
(4) 'स्र्ररधचत' समस्तपद कय वर्ग्रह है -
(क) स्र्र से रधचत (ि) सरु धचत
(ग) स्र्र से धचत (घ) स्र् से रधचत
(5) िमव से वर्मुि कय समस्तपद है -
(क) िमवमुि (ि) िमववर्मुि
(ग) िमोि (घ) िमववर्मि

(6) ननम्नलिखित में से ककस समस्तपद में कमवियर‍ समयस है -
(क) ग्रांथरि (ि) शरणयगत
(ग) बेशक (घ) नर-नयरी
(7) "महयत्मय" शब्द में कौन सय समयस है ?
(क) दर्ांदर् (ि) कमवियर‍
(ग) तत्पुरुर् (घ) दवर्गु

(8) “पयाँचर्ीां” शब्द कय वर्ग्रह करके समयस कय नयम लििो -


(क) पयाँच चीजें (अव्‍‍ीभयर्) (ि) पयाँचर्ीां (तत्पुरुर्)
(ग) पयाँच सांख्‍यओां कय समूह (दर्ांदर्) (घ) पयाँच अांकों कय समूह (दवर्ग)ु
(9) "‍थयभज्तत" शब्द में कौन-सय समयस है ?
(क) अव्‍‍ीभयर् (ि) कमवियर‍
(ग) बहुव्रीहह (घ) दर्ांदर्
(10) ज्जस समयस में उत्तर-पद प्रियन होने के सयथ ही सयथ पर्
ू -व पद तथय उत्तर पद
में वर्शेर्ण वर्शेष्‍ कय सांबांि भी होतय है , उसे कौन-सय समयस कहते हैं ?
(क) बहुव्रीहह समयस (ि) कमवियर‍ समयस
(ग) तत्पुरुर् समयस (घ) दर्ांदर् समयस
मह
ु यर्रे
प्रश्न1- जब एक गरीब छयत्र ने आई.ए.एस. पयस कर िी तो सब ....................
िगे। ररतत स्थयन की पनू तव सटीक मह
ु यर्रे से कीज्जए :-
I. दयाँतों तिे ओांठ दबयनय II. दयाँतों तिे हयथ दबयनय
III. दयाँतों तिे उाँ गिी दबयनय IV. दयाँतों तिे जीभ दबयनय
प्रश्न 2- जब मैंने र्ैष्णो दे र्ी जयने को कहय तो वपतयजी बोिे कक तुम्हें ....... हैं,
चढ़यई चढ़ोगे तब मयिूम पडेगय। ररतत स्थयन की पनू तव सटीक मुहयर्रे से कीज्जए :-
I. दरू की र्स्तु ‍य व्‍ज्तत अच्छय िगनय
II. दरू के ढोि सुहयर्ने होनय ‍य िगनय
III. दरू के पहयड सुहयर्ने होनय ‍य िगनय
IV. नय दे िय हुआ व्‍ज्तत अच्छय िगनय।
प्रश्न 3 - .................... हैं। अतः सब िोग बयत करते सम‍ सयर्ियनी रिय
करें । मुहयर्रे से ररतत स्थयन की पूनतव कीज्जए :-
I. अांिों में कयनय रयजय
II. एक पांथ दो कयज
III. अपनय हयथ जगन्नयथ
IV. दीर्यरों के कयन होनय
प्रश्न 4 - रयमू कयकय ने .................... नहीां ककए हैं, उन्हें बहुत अनुभर् है।
उप‍त ु त महुयर्रे से ररतत स्थयन की पनू तव कीज्जए :-
I. मेहांदी िगय कर बयि सफेद करनय
II. िूप में बयि सफेद करनय
III. छयाँर् में बयि सफेद करनय
IV. सूरज की गमी में बयि सफेद करनय
प्रश्न 5 - जब से रयमू की नौकरी छूटी है, उसकी दशय .................... जैसी है ।
ररतत स्थयन की पूनतव सटीक मुहयर्रे से कीज्जए :-
I. बहुत बुरी ज्स्थनत
II. ककसी को समझने िय‍क न रहनय
III. न इिर कय न उिर कय
IV. िोबी कय कुत्तय घर कय न घयट कय
प्रश्न 6- आई.ए.एस. की परीक्षय में प्रथम आकर मेरी बेटी ने मेरी ....................
िी। ररतत स्थयन की पूनतव सटीक मुहयर्रे से कीज्जए :-
I. नयक रिनय
II. इजजत रिनय
III. हयथ पकडनय
IV. नयक रगडनय
प्रश्न 7 - छयत्रों ने बेमतिब ही सांस्कृनत के आचय‍व जी कय .................... हद‍य
कक ‍े बच्चों को मयरते हैं। मुहयर्रे से ररतत स्थयन की पनू तव कीज्जए :-
I. नयम की बदनयमी करनय
II. नयम दोहरयनय
III. नयम उछयिनय
IV. बदनयमी करनय
प्रश्न 8 - िगतय है रयिय को िोगों की नजर िग जयती है इसलिए जल्दी-जल्दी
बीमयर पड जयती है । इस बयर ककसी सयिु-सांत से ....................िेनी चयहहए।
उप‍ुतत महुयर्रे से ररतत स्थयन की पनू तव कीज्जए :-
I. नजर उतयरनय II. बरु ी दृज्ष्ट के प्रभयर् को दरू करनय
III. मांत्र आहद ‍ुज्तत से बुरी दृज्ष्ट को दरू करनय
IV. नजर िगयनय
प्रश्न 9 - आपकी .................... आपकय नौकर चोरी करतय रहय और आपको तब
पतय चिय जब उसने सयरय िजयनय ियिी कर हद‍य। ररतत स्थयन की पूनतव सटीक
मह
ु यर्रे से कीज्जए :-
I. बगि में रहते हुए II. नयक के नीचे
III. दे ि-रे ि में रहते हुए IV. हयथ के नीचे
प्रश्न 10- जो अपनी ........…… दे तय, र्ह इस बेईमयनी के िांिे में हमयरी मदद
करे गय, ‍ह तो सांभर् ही नहीां। ररतत स्थयन की पूनतव सटीक मुहयर्रे से कीज्जए :-
I. अपने ऊपर ककसी भी प्रकयर कय आक्षेप न िगने दे नय
II. नयक पर िूि न बैठने दे नय
III. अपने ऊपर ककसी भी प्रकयर कय आरोप न िगने दे नय
IV. नयक पर मतिी न बैठने दे नय
रचनयत्मक िेिन
1. ननम्नलिखित वर्र्‍ों में से ककसी एक वर्र्‍ पर सांकेत बबांदओ
ु ां के आियर पर
िगभग 100 शब्दों में अनुच्छे द लिखिए -
(क) सांचयर सयिन
सांचयर के प्रमुि सयिन, सांचयर सयिनों कय जयि, घर बैठे दरू -दरयज की ख़बर
लमनटों में
(ि) र्तवमयन िेती में ज़हर
दर्यओां और कीटनयशकों कय भरपूर उप‍ोग, बांजर भूलम कय फैियर्, जैवर्क िेती
की मयाँग
(ग) लमत्र हो तो ऐसय
सच्चय दोस्त कौन, हर मुसीबत कय सयथी, प्रशांसय के िय‍क

2.(क) आप सुशीिय/सश
ु ीि हैं। आप वर्द‍यि‍ की फुटबॉि टीम के कप्तयन हैं। रयज‍
स्तर पर आपकी टीम ने ट्रॉफी जीती है। इसकी जयनकयरी दे ते हुए प्रियनयचय‍यव को
िगभग 100 शब्दों में पत्र लिखिएI
(ि) आप ननखिि/अखििय हैं। दरू दशवन केंद्र के ननदे शक को ककसी वर्शेर् कय‍वक्रम
की सरयहनय करते हुए िगभग 100 शब्दों में पत्र लिखिए ।

3. (क) कोई कांपनी बयज़यर में न‍य 'ज‍ोमैट्री बॉतस' उतयरनय चयहती है। कांपनी की
ओर से एक वर्ज्ञयपन िगभग 60 शब्दों में तै‍यर कीज्जए ।
(ि) प्रदर्
ू ण पर रोकथयम िगयने के लिए भयरत सरकयर के प‍यवर्रण मांत्रयि‍ की
ओर से एक वर्ज्ञयपन िगभग 60 शब्दों में तै‍यर कीज्जए ।
(ग) िोगों में सयमयज्जक दरू ी बनयए रिने और मयस्क कय प्र‍ोग करने के लिए प्रेररत
करने र्यिय एक वर्ज्ञयपन िगभग 60 शब्दों में स्र्यस््‍ मांत्रयि‍ की ओर से तै‍यर
कीज्जए।

4.(क) आप पयर्नी/वर्पुि हैं। आप 'ननर्यसी कल्‍यण सांघ के सधचर् हैं। आप सोसय‍टी


में पेड-पौिे िगयकर उसे हरय-भरय रिनय चयहते हैं। इसके लिए आगयमी रवर्र्यर को
र्क्ष
ृ यरोपण समयरोह कय आ‍ोजन सोसय‍टी में कक‍य जय रहय है। इसकी जयनकयरी दे ते
हुए िगभग 80 शब्दों में सूचनय लिखिए।
(ि) आप सुलमरन/परमजीत हैं। वर्द‍यि‍ में कहयनी िेिन प्रनत‍ोधगतय कय आ‍ोजन
कक‍य जय रहय है । इसके लिए िगभग 80 शब्दों में सूचनय तै‍यर कीज्जए।
(ग) आप र्ल्िरी/तुर्यर हैं। आपके वर्द‍यि‍ में हहन्दी हदर्स मनय‍य जयने र्यिय है ।
इसकी सूचनय िगभग 80 शब्दों में लिखिए।
(घ) आप रूपयिी/ननष्कयम हैं। आप 'ननर्यसी कल्‍यण सांघ के सधचर् हैं। आपने
सोसय‍टी में बच्चों के लिए झि
ू ों की व्‍र्स्थय की है । इसकी जयनकयरी के लिए
िगभग 80 शब्दों में सच
ू नय लिखिए।
5. ननम्नलिखित वर्र्‍ों में से ककसी एक वर्र्‍ पर िगभग 100 शब्दों में िघुकथय
लिखिए
(क) नीहयररकय अपनी पढ़यई पूरी करके नौकरी की तियश में थी एक हदन उसे एक
पत्र लमिय
(ि) ओहो! ियइट चिी गई। कि परीक्षय है और मेरी पढ़यई कय अब त‍य होगय ? मैं
इसी ऊहयपोह में थय कक .....
अथर्य
6. (क) वपछिे हफ्ते आप अचयनक बयररश की बौछयर में फांस गए थे। अनभ
ु र् कय
र्णवन करते हुए अपने लमत्र को 100 शब्दों में एक ईमेि लिखिए।
(ि) आप रवर्/सुकृनत हैं। आपकी भतीजी ने तिकव की नौकरी के लिए अपनी पढ़यई
छोडने कय फैसिय कक‍य है त‍ोंकक उसे िगतय है कक र्ह अपनी पढ़यई कय िचव र्हन
नहीां कर सकती। उसे अपनी पढ़यई जयरी रिने और अपने सपनों को पूरय करने कय
आग्रह करते हुए 100 शब्दों में एक ईमेि लिखिए।
(ग) ककसी ऐसे लमत्र को 100 शब्दों में ईमेि लिखिए ज्जसे आपने िांबे सम‍ से
नहीां दे िय है ‍य उससे बयत नहीां की है । उसे बतयएइए कक आप त‍य कर रहे हैं और
उससे पछ
ू ें कक र्े कैसे हैं और र्े हयि ही में त‍य कर रहे हैं।
(घ) अपने चचेरे भयई को 100 शब्दों में एक ईमेि लिखिए और उसे अपने स्कूि
के र्यवर्वक समयरोह में आमांबत्रत करें , जहयाँ आपको एक पुरस्कयर प्रयप्त करनय है।
उसे अपने पुरस्कयर के बयरे में कुछ वर्र्रण दें ।

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