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1. अनु छे द को यानपूवक
र् पढ़कर िन निलिखत प्र न के उ र दीिजये:
आज का िव याथीर् भिव य की सोच म कुछ अिधक ही लग गया है । भिव य कैसा होगा, वह
भिव य म क्या बनेगा, इस प्र न को सल ु झाने म या िदवा व न दे खने म वह बहुत समय
न ट कर दे ता है । भिव य के बारे म सोिचए, लेिकन भिव य को वतर्मान पर हावी मत होने
दीिजए क्य िक वतर्मान ही भिव य की नींव बन सकता है । अतः नींव को मजबूत बनाने के
िलए आव यक है िक भान तो भिव य का भी हो, लेिकन यान वतर्मान पर रहे । आपकी
सफलता का मल
ू मंत्र यही हो सकता है िक आप एक व न ल, सोच , िक आपको क्या बनना
है और क्या करना है और व न के अनस
ु ार कायर् करना प्रार भ कर। वतर्मान पी नींव को
मजबत
ू कर और यिद वतर्मान पी नींव सबल बनती गई, तो भिव य का भवन भी अव य
बन जायेगा। िजतनी मेहनत हो सके, उतनी मेहनत कर और िनराशा को जीवन म थान न
द। यह सोचते हुए समय खराब न कर िक अब मेरा क्या होगा, म सफल भी हो पाऊँगा या
नहीं ? ऐसा करने म आपका समय न ट होगा और जो समय न ट करता है , तो समय उसे
न ट कर दे ता है । वतर्मान म समय का सदप
ु योग भिव य के िनमार्ण म सदा सहायक होता
है । भिव य के बारे म अिधक सोच या अिधक चचार् करने से िचंताएँ घेर लेती ह। ये िचंताएँ
वतर्मान के कमर् म बाधा उ प न करती ह। ये बाधाएँ हमारे उ साह को, लगन को धीमा
करती ह और ल य हमसे दरू होता चला जाता है । िनःस दे ह भिव य के िलए योजनाएँ
बनानी चािहए, िक तु वतर्मान को िव मत
ृ नहीं करना चािहए। भिव य की नींव बनाने म
वतर्मान का पिर म भिव य की योजनाओं से अिधक मह वपण
ू र् है ।
i. आज का िव याथीर् अपना समय िकन बात म न ट कर दे ता है ?
i. भिव य की सोच म
ii. िदखावा करने म
iii. िदवा व न दे खने म
iv. यथाथर् म जीने म
क) कथन i व ii सही ह
घ) कथन ii व iv सही ह
घ) वतर्मान को भल
ु ा दे ना
घ) भत
ू काल के काय म सहायक
ख) कथन (A) सही है िक तु कारण (R) कथन (A) की सही याख्या नहीं है ।
2. िनदशानुसार 'उपसगर् और प्र यय' पर आधािरत पाँच बहुिवक पी प्र न म से िक हीं चार प्र न
के उ र दीिजए-
i. पौरािणक श द म िकस प्र यय का प्रयोग हुआ है ?
क) णक ख) पौर ग) िणक घ) इक
ग) पुराणइक घ) पोरािनक
क) सच ख) सत ् ग) स घ) स
क) आयत ख) चायत ग) त घ) यत
क) संकेतवाचक
ख) आज्ञावाचक
ग) इ छावाचक
घ) संदेहवाचक
ग) संकेतवाचक घ) िनषेधवाचक
ii. केकी रव की नप
ु रु विन सन
ु ,
जगती जगती की मक
ू यास।
पंिक्त म कौन-सा अलंकार है ?
क) भ्रांितमान ख) अनप्र
ु ास ग) िवरोधाभास घ) अितशयोिक्त
v. गुन किर मोिह सरू सँवारे को िनरगुन िनरबैहै। पंिक्त म कौन-सा अलंकार है ?
6. अनु छे द को यानपूवक
र् पढ़कर िन निलिखत प्र न के उ र दीिजये:
जानवर म गधा सबसे यादा बु िधहीन समझा जाता है । हम जब िकसी आदमी को परले
दराजे का बेवकूफ़ कहना चाहते ह, तो उसे गधा कहते ह। गधा सचमच
ु बेवकूफ़ है या उसके
सीधेपन, उसकी िनरापद सिह युता ने उसे यह पदवी दे दी है , इसका िन चय नहीं िकया जा
सकता। गाय सींग मारती ह, याई हुई गाय तो अनायास ही िसंहनी का प धारण कर लेती
है । कु ा भी बहुत गरीब जानवर है , लेिकन कभी-कभी उसे भी क्रोध आ ही जाता है ; िकंतु गधे
को कभी क्रोध करते नहीं सन
ु ा, न दे खा। िजतना चाहो गरीब को मारो, चाहे जैसी खराब, सड़ी
हुई घास सामने डाल दो, उसके चेहरे पर कभी असंतोष की छाया भी न िदखाई दे गी।
i. प्र तत
ु ग यांश म िकसके सीधेपन के बारे म बताया गया है ?
क) गधे के ख) कु े के ग) बैल के घ) भस के
क) यमन
ु ा ख) कावेरी ग) गंगा घ) कृ णा
क) मान व सम ृ िध ख) उ कृ ट व िनकृ ट
ग) प्रेम व घण
ृ ा घ) िदखावा व प्रेम
8. अनु छे द को यानपूवक
र् पढ़कर िन निलिखत प्र न के उ र दीिजये:
मोको कहाँ ढूँढे बंदे, म तो तेरे पास म।
ना म दे वल ना म मसिजद, ना काबे कैलास म।
ना तो कौने िक्रया-कमर् म, नहीं योग बैराग म।
खोजी होय तो तुरते िमिलह , पल भर की तालास म।
i. प यांश म िकसे ढूँढने की बात हो रही है ?
क) मि जद को ख) दे वता को
ग) कबीर को घ) ई वर को
ii. लोग ई वर को प्राय: कहाँ ढूँढते ह?
ख) क्य िक वह मि जद म है
ख) बा य आडंबर के िबना
क) लेष ख) उपमा
ग) अनप्र
ु ास घ) पक
क) वे कमर् को ही पज
ू ा मानते ह
ख) उनका मानना है िक काम सभी को करना चािहए
ग) वे संवेदना शू य हो गए ह
घ) वे संवेदना शू य नहीं ह
अथवा
िनराशा अिभशाप
ि टकोण पिरवतर्न
सकारा मक सोच
अथवा
आज़ादी का मह व
पूणर् आज़ादी से ता पयर्
आज़ादी की सरु क्षा कैसे?
15. आपके मोह ले म िवगत एक माह से चोरी की बहुत-सी वारदात होती आ रही ह।
थाना यक्ष महोदय को कई पत्र िलखने पर भी कोई सधु ार नहीं हुआ है । अतः अपने िजले के
पुिलस अधीक्षक/आयक्
ु त महोदय को पत्र िलखकर तुर त कायर्वाही करने हे तु प्राथर्ना कीिजए।
अथवा
अथवा
17. ु ानदार और ग्राहक के बीच चीनी खरीदने को लेकर होने वाले संवाद को िलिखए।
दक
अथवा