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निदे श :
1. इस प्रश्ि-पत्र के चणर खंड िैं - क, ख, ग और घ।
2. चणरों खंडों के प्रश्िों के उत्तर दे िण अनिवणयय िै ।
3. यथणसंभव प्रत्येक खंड के उत्तर क्रमश: दीजिए।
खंड - क
प्रश्न 1. ननम्नलिखित अपठित गद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
1 x 5 = 5
सभ
ु यषचांद्र बोस बचपन से ही बडे ही मेधयवी और स्वयलभमयनी थे। ऐांट्रेस
की परीक्षय उत्तीर्ण करने के पश्चयत वे कोिकयतय के प्रेसीडेंसी कयिेज में
पढ़ने िगे। इस कयिेज में भयरती् ववद्यर्थण्ों को अांग्रेज़ अध््यपक और
अांग्रेज़ ववद्यथी नतरस्कयर की दृष्टि से दे िते थे। इसे सहन करनय
सभ
ु यष के स्वभयव में न थय। इसी कयरर् उन्होंने एक ठदन अांग्रेज़
अध््यपक कय अपमयन कर ठद्य। इसलिए उन्हें कॉिेज से ननकयि ठद्य
ग्य। बयद में उन्हें कोिकयतय ववश्वववद्यि् में प्रवेश लमिय। वहयाँ से
उन्होंने प्रथम श्रेर्ी में बी.ए. की परीक्षय उत्तीर्ण की।
(क) सभ
ु यषचन्द्र बोस बचपन में कैसे थे?
(ि) अांग्रेज़ भयरती् ववद्यर्थण्ों से कैसय व््वहयर करते थे?
(ग) सभ
ु यषचांद्र ने बी.ए. की परीक्षय कहयाँ से और ककस श्रेर्ी में उत्तीर्ण
की?
(घ) ववद्यथी कय समयनयथणक शब्द लििें ।
(ङ) ‘सम्मयन’ शब्द कय वविोम शब्द अनच्
ु छे द से चन
ु कर लिखिए।
प्रश्न 2. ननम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर, उसके नीचे लििे प्रश्नों के उत्तर
लिखिए : 1 x 5 = 5
मन मोहनी प्रकृनत की गोद में जो बसय है ।
सि
ु स्वर्ण-सय जहयाँ है वह दे श कौन-सय है ।।
ष्जसकय चरर् ननरन्तर रतनेश धो रहय है ।
ष्जसकय मक
ु ु ि ठहमयि् वह दे श कौन-सय है ।।
नठद्याँ जहयाँ सध
ु य की धयरय बहय रही है ।
सीांचय हुआ सिोनय वह दे श कौन-सय है।।
ष्जसके बडे रसीिे फि कन्द नयज मेवे।
सब अांग में सजे हैं वह दे श कौन-सय है ।।
क) कवव के अनस
ु यर 'रतनेश' ककसको कहय ग्य है?
ि) ्हयाँ 'सब अांग में सजे हैं' कय क््य आश् है ?
ग) मक
ु ु िरूपी क््य है?
घ) 'सध
ु य' कय प्यण्वयची शब्द है ।
ङ) 'रसीिे' में प्रत््् है ।
खंड – ख
प्रश्न 3. i) ननम्नलिखित कि्यओां से भयववयचक सांज्ञयएाँ बनयइए : 1 x 2 = 2
क) पज
ू नय
ि) भि
ू नय
x) ककन्हीां तीि मह
ु यवरों के अथण लिखिए : 1 x 3 = 3
क) मैदयन मयरनय
ि) श्री गर्ेश करनय
ग) अांधे की ियिी
घ) कमर कसनय
खंड – ग
प्रश्न 4. ननम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए : 2 x 4 = 8
1. झयाँसी की रयनी के जीवन की कहयनी अपने शब्दों में लििो और ्ह
भी बतयओ कक उनकय बचपन तुम्हयरे बचपन से कैसे अिग थय?
2. 'तम्
ु हें बतयऊाँगी कक हमयरे सम् और तम्
ु हयरे सम् में ककतनी दरू ी हो
चक
ु ी है । ्ह कहकर िेखिकय क््य-क््य बतयती हैं?
3. कवव ने ऐसय क््ों कहय - 'बडय बनयकर पहिे हमको तू पीछे छिती है
मयत !'
क) उससे दरू जयती है
ि) उससे कयम करवयती है
ग) सयथ मयाँगती है
घ) उसे ्ह छि िगतय है कक मन पहिे पयि-पोसकर बडय करती है
कफर सयथ छोड दे ती है
िांड - घ
प्रश्न 10. सच्चय लमि इस ववष् पर अनच्
ु छे द लिखिए। 5
निदे श :
1. इस प्रश्ि-पत्र के चणर खंड िैं - क, ख, ग और घ।
2. चणरों खंडों के प्रश्िों के उत्तर दे िण अनिवणयय िै ।
3. यथणसंभव प्रत्येक खंड के उत्तर क्रमश: दीजिए।
खंड - क
प्रश्न 1. ननम्नलिखित अपठित गद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
1 x 5 = 5
सभ
ु यषचांद्र बोस बचपन से ही बडे ही मेधयवी और स्वयलभमयनी थे। ऐांट्रेस
की परीक्षय उत्तीर्ण करने के पश्चयत वे कोिकयतय के प्रेसीडेंसी कयिेज में
पढ़ने िगे। इस कयिेज में भयरती् ववद्यर्थण्ों को अांग्रेज़ अध््यपक और
अांग्रेज़ ववद्यथी नतरस्कयर की दृष्टि से दे िते थे। इसे सहन करनय
सभ
ु यष के स्वभयव में न थय। इसी कयरर् उन्होंने एक ठदन अांग्रेज़
अध््यपक कय अपमयन कर ठद्य। इसलिए उन्हें कॉिेज से ननकयि ठद्य
ग्य। बयद में उन्हें कोिकयतय ववश्वववद्यि् में प्रवेश लमिय। वहयाँ से
उन्होंने प्रथम श्रेर्ी में बी.ए. की परीक्षय उत्तीर्ण की।
(क) सभ
ु यषचन्द्र बोस बचपन में कैसे थे?
उत्तर : सभ
ु यषचांद्र बोस बचपन से ही बडे ही मेधयवी और
स्वयलभमयनी थे।
क) कवव के अनस
ु यर 'रतनेश' ककसको कहय ग्य है?
उत्तर : कवव के अनस
ु यर 'रतनेश' सयगर को कहय ग्य है ।
घ) 'सध
ु य' कय प्यण्वयची शब्द है ।
उत्तर : सध
ु य – सोम, अमत
ृ
ix) नीचे ठदए शब्दों में 'अप' उपसगण जोडकर नए शब्द बनयइए : 1x2=2
क) व््् – अप + व््् - अपव्््
ि) कीनतण - अप + कीनतण - अपकीनतण
x) ककन्हीां तीि मह
ु यवरों के अथण लिखिए : 1 x 3 = 3
क) मैदयन मयरनय - जीत जयनय
ि) श्री गर्ेश करनय - कयम शरु
ु करनय
ग) अांधे की ियिी - एकमयत्र सहयरय
घ) कमर कसनय - तै्यर होनय
खंड – ग
प्रश्न 4. ननम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए : 2 x 4 = 8
1. झयाँसी की रयनी के जीवन की कहयनी अपने शब्दों में लििो और ्ह
भी बतयओ कक उनकय बचपन तुम्हयरे बचपन से कैसे अिग थय?
उत्तर : झयाँसी की रयनी कय नयम िक्ष्मीबयई थय। बचपन में उन्हें
छबीिी नयम से पक
ु यरय करते थे। वे अपने वपतय की
एकिौती सांतयन थी। वे कयनपरू के नयनय सयहे ब की माँह
ु बोिी
बहन थी। िक्ष्मीबयई बचपन से ही वीर और सयहसी थी।
िक्ष्मीबयई कय वववयह झयाँसी के रयजय गांगयधर रयव से हुआ।
परन्तु रयजय की आकष्स्मक मत्ृ ्ु से रयनी के ऊपर सांकिों
के बयदि िहरयने िगे। अाँग्रेज सरकयर रयजय की नन:सांतयनतय
कय ियभ उियकर झयाँसी पर कब्ज़य करनय चयहते थे परन्तु
रयनी ने इसकय परु जोर ववरोध कक्य और अांग्रेजों को कडी
िक्कर दी।
िक्ष्मीबयई कय बचपन अन्् बच्चों से लभन्न थय। उनकी उम्र
के बच्चे खििौने से िेिते थे परन्तु उनके खििौने बरछी,
ढयि, कृपयर् जैसे हर्थ्यर थे। वे बचपन से ही नकिी ्द्ध
ु
कय िेि, लशकयर करनय, ्द्ध
ु के लिए चिव््ह
ू की रचनय
करनय आठद ्द्ध
ु से सांबांर्धत िेि ही िेिय करती थी।
इस प्रकयर उनकय बचपन हम बच्चों से लभन्न थय।
2. 'बोअर ्द्ध
ु ' कहयाँ हुआ?
क) रलश्य
ि) दक्षक्षर् अफ्रीकय
ग) फ़्यांस
घ) इनमें से कोई नहीां
िांड - घ
प्रश्न 10. सच्चय लमत्र इस ववष् पर अनच्
ु छे द लिखिए। 5
सच्चय लमत्र लशक्षक के समयन होतय है । ष्जस प्रकयर लशक्षक अपने छयत्रों
को अच्छयइण की ओर, सन्मयगण की ओर िे जयतय है, उसी प्रकयर सच्चय
लमत्र भी पयप के गड्ढे में र्गरने से, बरु यइण की ओर जयने से रोकतय है ।
सच्चय लमत्र िज़यने की तरह है । ष्जसे जीवन में सच्चय लमत्र लमि ग्य,
उसे समझो बहुत बडय िजयनय लमि ग्य। कभी कभी जीवन में ऐसे -
जयतय है अवसर भी आते हैं जब मनटु ् ननरयश हो, जीवन के प्रनत
उसकय मोह ित्म हो जयतय है । ऐसी अवस्थय में सच्चय लमत्र आशय की
ककरर् बनकर, जीवन के प्रनत आकषणर् पैदय करतय है । मनटु ् के मन
पर ष्जतनय प्रभयव लमत्र कय पडतय है , उतनय अन्् ककसी कय नहीां।
जीवन में सच्चय लमत्र लमिनय सौभयग्् की बयत है।
प्रश्न 11. आप अपने घर से दरू रहने आए है , अपनी मयतय को पत्र लििकर
छयत्रयवयस के आपके अनभ
ु व के बयरे में लिखिए। 5
रयमदे वी छयत्रयि्
सभ
ु यष मयगण
नयगपरु ।
22 फरवरी 20 ..
आदरर्ी् मयतयजी,
सयदर प्रर्यम।
मैं ्हयाँ िीक हूाँ। आशय करती हूाँ, आप सब वहयाँ सकुशि होगे।
आप सबको छोडकर पहिी बयर अकेिी रह रही हूाँ। मझ ु े आप सभी की
बहुत ्यद आती है । पहिे दो-तीन ठदन जरय भी मन नहीां िगय परां तु
अब बहुत-सी िडकक्याँ मेरी सहे लि्याँ बन गई है । ्हयाँ के लशक्षक भी
बहुत अच्छे है । कपडे धोनय, बबस्तर िगयनय, सभी वस्तुएाँ िीक जगह
पर रिनय मैं सीि रही हूाँ। मैं ्हयाँ मन िगयकर पढ़ रही हूाँ।
वपतयजी को मेरय प्रर्यम और छोिी को प््यर दे नय।
तम्
ु हयरी ियडिी
मीनय