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हिन्दी

समय : 3 घंटे पर्


ू णांक : 80

निदे श :
1. इस प्रश्न-पत्र के चार खंड हैं - क, ख, ग और घ।
2. चारों खंडों के प्रश्नों के उत्तर दे ना अननवार्य है ।
3. र्थासंभव प्रत्र्ेक खंड के उत्तर क्रमश: दीजिए।

खंड - क
प्रश्न 1. ननम्नलिखखत अपठित गदर्ांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर लिखखए :
1 x 5 = 5
मनष्ु र् सामाजिक प्राणी है क्र्ोंकक समाि के बिना उसका िीवन
अधरू ा है। समाि में रहते हुए उसे अपने सख
ु -दख
ु को कहने-सन ु ने
तथा ववचारों का आदान-प्रदान करने एवं कार्ो में सहर्ोग िेने के
लिए दस
ू रों की आवश्र्कता पड़ती है जिससे वह ठदि खोिकर अपनी
सि िातें कर सके। ऐसा व्र्जक्त ही लमत्र कहिाता है । लमत्र का चन
ु ाव
सोच-समझकर करना चाठहए। कुछ िोग ककसी की िाहरी चमक-दमक,
िोि-चाि तथा आर्थयक जथथनत को दे खकर उससे लमत्रता कर िेते हैं।
इस प्रकार की लमत्रता अर्धक ठदनों तक नहीं चिती। सच्चे लमत्र का
चर्न करने के लिए उसके व्र्वहार, आचरण तथा चररत्र पर ध्र्ान
दे ना आवश्र्क होता है । सच्चा लमत्र ववश्वासपात्र, दस
ू रों की भावनाओं
को समझने वािा, ववनम्र, सदाचारी तथा चररत्रवान होता है।
(क) मनष्ु र् को सामाजिक प्राणी क्र्ों कहा गर्ा है?
(ख) व्र्जक्त को लमत्र की आवश्र्कता क्र्ों पड़ती है ?
(ग) ककस प्रकार की लमत्रता अर्धक ठदनों तक नहीं चिती है ?
(घ) सच्चे लमत्र में कौन-कौन से गण
ु होने चाठहए?
(ङ) उपर्क्
ुय त गदर्ांश को उर्चत शीर्यक दीजिए।
प्रश्न 2. ननम्नलिखखत पदर्ांश को पढ़कर, उसके नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर
लिखखए : 1 x 5 = 5
पवयत कहता शीश उिाकर तुम भी ऊँचे िन िाओ
सागर कहता िहराकर मन में गहराई िाओ।
समझ रहे हो क्र्ा कहती है, उि-उि, र्गर-र्गर तरि तरं ग
भर िो, भर िो अपने मन में मीिी-मीिी मद
ृ ि
ु उमंग।
पथ्
ृ वी कहती धैर्य न छोड़ो, ककतना ही लसर पर हो भार
नभ कहता है फैिो इतना, ढँ क िो तम
ु सारा संसार।

क) कौन कहता है – “फैिो इतना, ढँ क िो तम


ु सारा संसार”?
ख) पवयत क्र्ा कहता है?
ग) र्गरर, पहाड़, अचि ककस शब्द के पर्ायर्वाची शब्द हैं?
घ) इन में से ककस शब्द का अथय ‘कोमि’ है ?
(i) शीश (ii) मद
ृ ि
ु (iii) धैर्य (iv) तरं ग
ङ) पवयत, सागर, पथ्
ृ वी और नभ हमें क्र्ा दे ते हैं?

खंड – ख
प्रश्न 3. i) ननम्नलिखखत कक्रर्ाओं से भाववाचक संज्ञाएँ िनाइए : 1x2 = 2
क) थकना
ख) वपसना

ii) ननम्नलिखखत शब्दों के दो-दो पर्ायर्वाची लिखखए : 1 x 4 = 4


पक्षी
घर
इच्छा
घमंड

iii) ननम्नलिखखत अशद्ध


ु वाक्र्ों को शद्ध
ु कीजिए : 1 x 2 = 2
क) िच्चे को काटकर सेि खखिाओ।
ख) सारे दे श भर में िात फैि गई।
iv) ननम्नलिखखत शब्दों में प्रत्र्र् पहचाननए : 1 x 2 = 2
क) कथाकार
ख) ििन

v) ननम्नलिखखत वाक्र्ों में से संिंधवाचक सवयनाम शब्द को रे खांककत


कीजिए : 1 x 3 = 3
क) मेरी वह घड़ी खो गई िो मझ
ु े िन्मठदन पर लमिी थी।
ख) र्ह वही कफल्म है जिसे तम
ु दे खना चाहते थे।
ग) िो करे गा सो भरे गा।

vi) ननम्नलिखखत शब्दों के वविोम शब्द लिखखए : 1 x 3 = 3


क) वसंत
ख) ववरोध
ग) आरं भ

vii) संर्ध ववच्छे द कीजिए : 1 x 2 = 2


क) परु थकार
ख) दे हांत

viii) ननम्नलिखखत रे खांककत ववशेर्ण शब्दों भेद पहचाननए : 1x2 = 2


क) इस साि अर्धक वर्ाय हुई।
ख) र्ह पथ
ु तक मेरी है

ix) नीचे ठदए शब्दों में उपसगय िोड़कर नए शब्द िनाइए : 1x2=2
क) दान – आ + दान =
ख) राग – अनु + राग =

x) ककन्हीं तीि मह
ु ावरों के अथय लिखखए : 1x3=3
क) आकाश पाताि एक करना
ख) किई खुिना
ग) खरी खोटी सन
ु ाना
घ) पहाड़ टूटना

खंड – ग
प्रश्न 4. ननम्नलिखखत प्रश्नों के उत्तर लिखखए : 2 x 4 = 8
1. पाि में ऐसा क्र्ों कहा गर्ा है कक अक्षरों के साथ एक नए र्ग

की शरुु आत हुई?
2. िाखों-करोडों वर्य पहिे हमारी धरती कैसी थी?

प्रश्न 5. ककन्हीं तीि प्रश्नों के उत्तर संक्षक्षप्त रूप में लिखो : 3 x 3 = 9


1. 'कुछ खास तो नहीं'- हे िेन की लमत्र ने र्ह िवाि ककस मौके पर
ठदर्ा और र्ह सन
ु कर हे िेन को आश्चर्य क्र्ों हुआ?
2. क्र्ा िोकगीत और नत्ृ र् लसफय गाँवों र्ा किीिों में ही पाए िाते
हैं? शहरों के कौन से िोकगीत हो सकते हैं? इस पर ववचार कर
लिखो।
3. आश्रम में गाँधी िी कई ऐसे काम भी करते थे, जिन्हें आमतौर
पर नौकर-चाकर करते हैं। पाि से तीन अिग-अिग प्रसंग अपने
शब्दों में लिखो िो इस िात का प्रमाण हों।
4. िेखक ने रािप्पा के ठटकट इकट्ठा करने की तुिना मधम
ु क्सी से
क्र्ों की?
5. िाँस की िन
ु ाई मानव के इनतहास में कि आरं भ हुई होगी?

प्रश्न 6. ननम्नलिखखत प्रश्नों के उत्तर लिखखए : 2 x 4 = 8


1. कववता में थवाधीनता संग्राम के ककस दौर की िात है ? कववता से
उस समर् के माहौि के िारे में क्र्ा पता चिता है?
2. कववता में ककसके आँचि की छार्ा में नछपे रहने की िात कही गई
है और क्र्ों?
3. राम िैिकर दे र तक काँटे क्र्ों ननकािते रहे ?
4. 'धरर धीर दए' का आशर् क्र्ा है?
प्रश्न 7. ककन्हीं पाँच प्रश्नों के उत्तर एक वाक्र् में लिखखए : 1x5=5
क) िंद
ु े िे हरिोिों के मँह
ु से हमने कौन-सी कहानी सन
ु ी है?
ख) ‘प्रकृनत का िाद’ू ककसे कहा गर्ा है ?
ग) कववता में 'ऐसी िड़ी न होऊँ मैं' क्र्ों कहा गर्ा है ?
घ) नाररर्ों के गीतों की क्र्ा ववशेर्ता है ?
ङ) आश्रम में कॉिेि के छात्रों से गाँधी िी ने कौन-सा काम
करवार्ा?
च) नगर से िाहर ननकिकर दो पग चिने के िाद सीता की क्र्ा
दशा हुई?
छ) िाँस को िढ़
ू ा कि कहा िा सकता है ?
ि) 'िक्ष्मीिाई अपने-आप में थमारक थी' - ऐसा क्र्ों कहा गर्ा है ?

प्रश्न 8. ठदए गए पठित गदर्ांश को पढ़कर पछ


ू े गए प्रश्नों के सही उत्तर
चन
ु कर लिखखए : 1 x 5 = 5
असम में ऐसे ही एक िाि, िकाई से मछिी पकड़ते हैं। छोटी
मछलिर्ों को पकड़ने के लिए इसे पानी की सतह पर रखा िाता है र्ा
कफर धीरे -धीरे चिते हुए खींचा िाता है। िाँस की खपजच्चर्ों को इस
तरह िाँधा िाता है कक वे एक शंकु का आकार िे िें। इस शंकु का
ऊपरी लसरा अंडाकार होता है । ननचिे नक
ु ीिे लसरे पर खपजच्चर्ाँ एक-
दस
ू रे में गँथ
ु ी हुई होती है।

1. उपर्क्
ुय त गदर्ांश कौन-से पाि से लिर्ा गर्ा है ?
क) वन के मागय में ख) िाँस की कहानी
ग) संसार पथ
ु तक है घ) साँस साँस में िाँस

2. मछिी ककससे पकड़ी िाती है ?


क) काँटें ख) िकाई ग) छिनी घ) इनमें से कोई नहीं

3. उपर्क्
ुय त गदर्ांश में ककस प्रदे श की िात की गई है ?
क) असम ख) िंगाि ग) बत्रपरु ा घ) इनमें से कोई नहीं
4. िाँस की खपजच्चर्ों को ककस प्रकार िाँधा िाता है?
क) शंकु के आकार में ख) बत्रशंकु ग) गोि घ) चौकोन

5. ‘मछिी’ शब्द के लिए पर्ायर्वाची शब्द दें ।


क) मत्थर्, मीन ख) ििचर, उभर्चर
ग) मीनाक्षी, मजत्थर्की घ) मत्थर्गंधा, मासिी

प्रश्न 9. ठदए गए पदर्ांश को पढ़कर पछ


ू े गए प्रश्नों के सही उत्तर छाँटकर
लिखखए : 1 x 5 = 5
मैं सिसे छोटी होऊँ,
तेरी गोदी में सौऊँ,
तेरा अंचि पकड़-पकड़कर
कफरूँ सदा माँ ! तेरे साथ,
कभी न छोडूँ तेरा हाथ!
िड़ा िनाकर पहिे हमको
तू पीछे छिती है मात!
हाथ पकड कफर सदा हमारे
साथ नहीं कफरती ठदन-रात
अपने कर से खखिा, धि
ु ामख
ु ,
धि
ु पौंछ, सजजित कर गात
थमा खखिौने, नहीं सन
ु ाती
हमें सख
ु द पररर्ों की िात!

1. मैं सिसे छोटी होऊँ, से कवव क्र्ा कहना चाह रहे हैं?
क) हमेशा अपनी माँ का साथ पाने की िािसा
ख) हर-समर् खेिते रहने की कामना
ग) उधम-मथती की अलभिार्ा
घ) इनमें से कोई नहीं
2. उपर्क्
ुय त कववता में ककस संिंध को दशायर्ा गर्ा है?
क) वपता-पत्र

ख) माँ-िेटी
ग) माता-िहन
घ) िहन-िेटी

3. 'िड़ा िनाकर पहिे हमको तू पीछे छिती है मात !' से क्र्ा


तात्पर्य है ?
क) उससे दरू िाती है
ख) पाि-पोसकर माँ कफर साथ छोड़ दे ती है
ग) साथ माँगती है
घ) उससे काम करवाती है

4. ‘सदा’ शब्द के समान अथय िताइए।


क) िरािर, एकदम
ख) हरदम, एक-साथ
ग) हमेशा, ननरं तर
घ) उपर्क्
ुय त सभी

5. ‘सजजित’ शब्द में कौन-सा प्रत्र्र् है ?


क) इत ख) ईत ग) इट घ) जित

खंड - घ
प्रश्न 10. ‘मठहिाएँ िीवन के प्रत्र्ेक क्षेत्र में अपना परचम फहरा रही है ’ इस
ववर्र् पर अनच्
ु छे द लिखखए : 5

प्रश्न 11. ववदर्ािर् की शैक्षक्षक र्ात्रा का वणयन करते हुए मातािी को पत्र
लिखें । 5
प्रश्न 12. ठदए गए र्चत्र का वणयन कीजिए। 5
समय : 3 घंटे पर्
ू णांक : 80

निदे श :
1. इस प्रश्न-पत्र के चार खंड हैं - क, ख, ग और घ।
2. चारों खंडों के प्रश्नों के उत्तर दे ना अननवार्य है ।
3. र्थासंभव प्रत्र्ेक खंड के उत्तर क्रमश: दीजिए।

खंड - क
प्रश्न 1. ननम्नलिखखत अपठित गदर्ांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर लिखखए :
1 x 5 = 5
मनष्ु र् सामाजिक प्राणी है क्र्ोंकक समाि के बिना उसका िीवन
अधरू ा है। समाि में रहते हुए उसे अपने सख
ु -दख
ु को कहने-सन ु ने
तथा ववचारों का आदान-प्रदान करने एवं कार्ो में सहर्ोग िेने के
लिए दस
ू रों की आवश्र्कता पड़ती है जिससे वह ठदि खोिकर अपनी
सि िातें कर सके। ऐसा व्र्जक्त ही लमत्र कहिाता है । लमत्र का चन
ु ाव
सोच-समझकर करना चाठहए। कुछ िोग ककसी की िाहरी चमक-दमक,
िोि-चाि तथा आर्थयक जथथनत को दे खकर उससे लमत्रता कर िेते हैं।
इस प्रकार की लमत्रता अर्धक ठदनों तक नहीं चिती। सच्चे लमत्र का
चर्न करने के लिए उसके व्र्वहार, आचरण तथा चररत्र पर ध्र्ान
दे ना आवश्र्क होता है । सच्चा लमत्र ववश्वासपात्र, दस
ू रों की भावनाओं
को समझने वािा, ववनम्र, सदाचारी तथा चररत्रवान होता है।

(क) मनष्ु र् को सामाजिक प्राणी क्र्ों कहा गर्ा है?


उत्तर : समाि के बिना मनष्ु र् का िीवन अधरू ा है । उसे दस
ू रों
के सहर्ोग की भी आवश्र्कता होती है इसीलिए उसे
सामाजिक प्राणी कहा गर्ा है ।
( )
उत्तर : अपने सख
ु -दख
ु को कहने-सन
ु ने तथा ववचारों का आदान-
प्रदान करने एवं कार्ो में सहर्ोग के लिए व्र्जक्त को
लमत्र की आवश्र्कता पड़ती है ।

(ग) ककस प्रकार की लमत्रता अर्धक ठदनों तक नहीं चिती है ?


उत्तर : ककसी की िाहरी चमक-दमक, िोि-चाि तथा आर्थयक
जथथनत को दे खकर की गइय लमत्रता अर्धक ठदनों तक नहीं
चिती है।

(घ) सच्चे लमत्र में कौन-कौन से गण


ु होने चाठहए?
उत्तर : सच्चा लमत्र ववश्वासपात्र, दस
ू रों की भावनाओं को समझने
वािा, ववनम्र, सदाचारी तथा चररत्रवान होना चाठहए।

(ङ) उपर्क्
ुय त गदर्ांश को उर्चत शीर्यक दीजिए।
उत्तर : उपर्क्
ुय त गदर्ांश के लिए ‘सच्चा लमत्र’ उर्चत शीर्यक है ।

प्रश्न 2. ननम्नलिखखत पदर्ांश को पढ़कर, उसके नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर


लिखखए : 1 x 5 = 5
पवयत कहता शीश उिाकर तुम भी ऊँचे िन िाओ
सागर कहता िहराकर मन में गहराई िाओ।
समझ रहे हो क्र्ा कहती है, उि-उि, र्गर-र्गर तरि तरं ग
भर िो, भर िो अपने मन में मीिी-मीिी मद
ृ ि
ु उमंग।
पथ्
ृ वी कहती धैर्य न छोड़ो, ककतना ही लसर पर हो भार
नभ कहता है फैिो इतना, ढँ क िो तम
ु सारा संसार।

क) कौन कहता है – “फैिो इतना, ढँ क िो तम


ु सारा संसार”?
उत्तर : नभ कहता है – “फैिो इतना, ढँ क िो तुम सारा संसार”।
ख) पवयत क्र्ा कहता है?
उत्तर : पवयत ऊँचे िन िाने को कहता है ।

ग) र्गरर, पहाड़, अचि ककस शब्द के पर्ायर्वाची शब्द हैं?


उत्तर : उपर्क्
ुय त सभी शब्द ‘पवयत’ शब्द के पर्ायर्वाची हैं।

घ) इन में से ककस शब्द का अथय ‘कोमि’ है ?


(i) शीश (ii) मद
ृ ि
ु (iii) धैर्य (iv) तरं ग
उत्तर : मद
ृ ि

ङ) पवयत, सागर, पथ्


ृ वी और नभ हमें क्र्ा दे ते हैं?
उत्तर : पवयत, सागर, पथ्
ृ वी और नभ हमें िीवन में सीख दे ते हैं।

खंड – ख
प्रश्न 3. i) ननम्नलिखखत कक्रर्ाओं से भाववाचक संज्ञाएँ िनाइए : 1x2 = 2
क) थकना - थकावट
ख) वपसना – वपसाई

ii) ननम्नलिखखत शब्दों के दो-दो पर्ायर्वाची लिखखए : 1 x 4 = 4


पक्षी - खग, पखेरू, ववहग
घर – ननकेतन, गह
ृ , आिर्, भवन
इच्छा – चाह, कामना, अलभिार्ा
घमंड – अंहकार, दपय, अलभमान

iii) ननम्नलिखखत अशद्ध


ु वाक्र्ों को शद्ध
ु कीजिए : 1 x 2 = 2
क) िच्चे को काटकर सेि खखिाओ।
उत्तर : िच्चे को सेि काटकर खखिाओ।
ख) सारे दे श भर में िात फैि गई।
उत्तर : सारे दे श में िात फैि गई।
iv) ननम्नलिखखत शब्दों में प्रत्र्र् पहचाननए : 1 x 2 = 2
क) कथाकार – कार
ख) ििन - अन

v) ननम्नलिखखत वाक्र्ों में से संिंधवाचक सवयनाम शब्द को रे खांककत


कीजिए : 1 x 3 = 3
क) मेरी वह घड़ी खो गई िो मझ
ु े िन्मठदन पर लमिी थी।
ख) र्ह वही कफल्म है जिसे तम
ु दे खना चाहते थे।
ग) िो करे गा सो भरे गा।

vi) ननम्नलिखखत शब्दों के वविोम शब्द लिखखए : 1 x 3 = 3


क) वसंत x पतझड़
ख) ववरोध x समथयन
ग) आरं भ x अंत

vii) संर्ध ववच्छे द कीजिए : 1 x 2 = 2


क) परु थकार - परु : + कार
ख) दे हांत - दे ह + अंत

viii) ननम्नलिखखत रे खांककत ववशेर्ण शब्दों भेद पहचाननए : 1x2 = 2


क) इस साि अर्धक वर्ाय हुई। - पररमाणवाचक ववशेर्ण
ख) र्ह पथ
ु तक मेरी है । - सावयनालमक ववशेर्ण

ix) नीचे ठदए शब्दों में उपसगय िोड़कर नए शब्द िनाइए : 1x2=2
क) दान – आ + दान = आदान
ख) राग – अनु + राग = अनरु ाग

x) ककन्हीं तीि मह
ु ावरों के अथय लिखखए : 1x3=3
क) आकाश पाताि एक करना - िहुत अर्धक पररश्रम करना
ख) किई खुिना - भेद खुिना
ग) खरी खोटी सन
ु ाना - भिा-िरु ा कहना
घ) पहाड़ टूटना - िहुत भारी कष्ट आ िाना

खंड – ग
प्रश्न 4. ननम्नलिखखत प्रश्नों के उत्तर लिखखए : 2 x 4 = 8
1. पाि में ऐसा क्र्ों कहा गर्ा है कक अक्षरों के साथ एक नए र्ग

की शरु
ु आत हुई?
उत्तर : अक्षरों के साथ एक नए र्ग
ु की शरु
ु आत हुई क्र्ोंकक
आदमी अक्षरों की खोि से हम इनतहास को िान पाए।
अक्षरों की खोि के िाद ही मनष्ु र् अपने ववचारों को
लिखकर रखने िगा। इस प्रकार एक पीढ़ी के ज्ञान का
इथतेमाि दस
ू री पीढ़ी करने िगी। अक्षरों की खोि मनष्ु र्
को प्रगनत के पथ पर िे गई।

2. िाखों-करोडों वर्य पहिे हमारी धरती कैसी थी?


उत्तर : िाखों करोड़ों वर्य पहिे हमारी धरती िहुत गमय थी और
उस पर कोई िानदार चीि नहीं रह सकती थी। इसी
कारण उस समर् धरती पर मनष्ु र्ों का अजथतत्व नहीं
था। धीरे -धीरे उसमें पररवतयन होते गए और धरती में
िानवरों और पौधे का िन्म हुआ।

प्रश्न 5. ककन्हीं तीि प्रश्नों के उत्तर संक्षक्षप्त रूप में लिखो : 3 x 3 = 9


1. 'कुछ खास तो नहीं'- हे िेन की लमत्र ने र्ह िवाि ककस मौके पर
ठदर्ा और र्ह सन
ु कर हे िेन को आश्चर्य क्र्ों हुआ?
उत्तर : एक िार हे िन
े केिर की वप्रर् लमत्र िंगि में घम
ू ने गई
थी। िि वह वापस िौटी तो हे िेन केिर ने उससे िंगि
के िारे में िानना चाहा ति उसकी लमत्र ने िवाि ठदर्ा
कक कुछ खास नहीं। र्ह सन
ु कर हे िेन केिर को िड़ा
आश्चर्य हुआ कक िोग कैसे आँखें होकर भी नहीं दे खते हैं
क्र्ोंकक वे तो आँखें न होने के िाविूद भी प्रकृनत की
िहुत सारी चीिों को केवि थपशय से ही महसस
ू कर िेती
हैं।

2. क्र्ा िोकगीत और नत्ृ र् लसफय गाँवों र्ा किीिों में ही पाए िाते
हैं? शहरों के कौन से िोकगीत हो सकते हैं? इस पर ववचार कर
लिखो।
उत्तर : िोकगीत और िोक नत्ृ र् गाँवों र्ा किीिों में ही प्रलसद्ध
हैं क्र्ोंकक शहरी िीवन अनत व्र्थत होता है । शहर में
िगह की भी कमी पाई िाती है परन्तु कुछ खास
अवसरों िैसे वववाह, त्र्ोहार, धालमयक अनष्ु िान आठद पर
र्हाँ पर भी िोग अपने-अपने गाँवों से िोक किाकार
और िोक नतयकों को िि
ु ाते हैं।

3. आश्रम में गाँधी िी कई ऐसे काम भी करते थे, जिन्हें आमतौर


पर नौकर-चाकर करते हैं। पाि से तीन अिग-अिग प्रसंग अपने
शब्दों में लिखो िो इस िात का प्रमाण हों।
उत्तर :
1. गाँधी िी आश्रम में चक्की में आटा थवर्ं पीसा करते थे।
2. आश्रम में वे सजब्िर्ाँ छीिने का कार्य करते थे।
3. आश्रम के ननर्मानस
ु ार सभी को लमि-िाँटकर ितयन साफ़ करने
पड़ते थे। एक िार उन्होंने िड़े ितयनों की सफाई का काम अपने
हाथ में िे लिर्ा।

4. िेखक ने रािप्पा के ठटकट इकट्ठा करने की ति


ु ना मधम
ु क्सी से
क्र्ों की?
उत्तर : िेखक ने रािप्पा के ठटकट इकट्ठा करने की तुिना
मधम
ु क्सी की है क्र्ोंकक मधम
ु क्खी ववलभन्न फूिों से रस
इकट्ठा करती है उसी प्रकार राज्पप्पा ने भी ववलभन्न थथानों
और व्र्जक्तर्ों से ठटकट इकट्ठा कर अपना अििम तैर्ार
ककर्ा है ।
5. िाँस की िन
ु ाई मानव के इनतहास में कि आरं भ हुई होगी?
उत्तर : कहा िाता है कक इंसान ने िि हाथ से किात्मक चीज़ें
िनानी शरू
ु कीं, िाँस की चीज़ें तभी से िन रही हैं।
िरूरत के अनस ु ार इसमें िदिाव हुए हैं और अि भी हो
रहे हैं। कहते हैं कक िाँस की िन
ु ाई का ररश्ता उस दौर से
है , िि इंसान भोिन इकठ्ठा करता था। शार्द भोिन
इकठ्ठा करने के लिए ही उसने ऐसी डलिर्ानम
ु ा चीज़ें
िनाई होंगी। क्र्ा पता िर्ा िैसी ककसी र्चडडर्ा के
घोंसिे से टोकरी के आकार और िन
ु ावट की तरकीि हाथ
िगी हो।

प्रश्न 6. ननम्नलिखखत प्रश्नों के उत्तर लिखखए : 2 x 4 = 8


1. कववता में थवाधीनता संग्राम के ककस दौर की िात है ? कववता से
उस समर् के माहौि के िारे में क्र्ा पता चिता है?
उत्तर : कववता में थवाधीनता संग्राम के प्रथम दौर की िात है ।
कववता से उस समर् के माहौि के िारे में र्ह पता
चिता है कक अँग्रेिों ने धीरे -धीरे से अपना साम्राज्पर् हमारे
दे श में फैिा लिर्ा था। उस समर् भी हमारे दे श में
थवतंत्र होने की भावना के िीि फूटे िरुर थे परन्तु
संघटन का अभाव, रािाओं की थवाथय प्रवजृ त्त, आपसी फूट
आठद के कारण हमारा आंदोिन सफि न हो पार्ा। ऐसे
ववर्म वातावरण में भी झाँसी की रानी िक्ष्मीिाई और
कुछ अन्र् वीरों ने थवतंत्रता की र्चंगारी को सि
ु गाने का
अभत
ू पव
ू य प्रर्ास ककर्ा।

2. कववता में ककसके आँचि की छार्ा में नछपे रहने की िात कही गई
है और क्र्ों?
उत्तर : कववता में माँ के आँचि की छार्ा में नछपे रहने की िात
कही गई है ।
माँ अपने िच्चों से सिसे अर्धक प्र्ार करती है और
उसके इस प्र्ार के आँचि में िच्चा हमेशा अपने को
ननभयर् और सरु क्षक्षत समझता है।

3. राम िैिकर दे र तक काँटे क्र्ों ननकािते रहे ?


उत्तर : राम से अपनी पत्नी की व्र्ाकुिता दे खी नहीं िा रही थी।
सीता का प्र्ास के मारे िरु ा हाि था और िक्ष्मण पानी
की तिाश में गए हुए थे अत:िि तक िक्ष्मण िौट कर
आते हैं ति तक वे सीता की व्र्ाकुिता और कष्ट को
कम करना चाहते थे इसलिए राम िैिकर दे र तक काँटे
ननकािते रहे ।

4. 'धरर धीर दए' का आशर् क्र्ा है?


उत्तर : प्रथतुत पंजक्त का आशर् धैर्य धारण करने से है। सीता
वन मागय पर अग्रसर होते हुए, राम का साथ दे ते हुए,
तकिीफों को सहते हुए मन-ही-मन थवर्ं को धीरि
िँधाकर िड़े ही धैर्य के साथ वन मागय पर चि रही थी।

प्रश्न 7. ककन्हीं पाँच प्रश्नों के उत्तर एक वाक्र् में लिखखए : 1x5=5


क) िंद
ु े िे हरिोिों के मँह
ु से हमने कौन-सी कहानी सन
ु ी है?
उत्तर : िंद
ु े िे हरिोिों के मँह
ु से हमने झाँसी की रानी िक्ष्मीिाई
की सन
ु ी है ।

ख) ‘प्रकृनत का िाद’ू ककसे कहा गर्ा है ?


उत्तर : प्रकृनत के अनमोि खिाने को, उसके अनमोि सौंदर्य और
उसमें होने वािे ननत्र्-प्रनतठदन िदिाव को ‘प्रकृनत का
िाद’ू कहा गर्ा है ।
ग) कववता में 'ऐसी िड़ी न होऊँ मैं' क्र्ों कहा गर्ा है ?
उत्तर : अपने माँ के थनेह को हमेशा पाने के लिए, हमेशा उसके
ममता के आँचि के साए में रहने के लिए कववता में
'ऐसी िड़ी न होऊँ मैं' कहा गर्ा है ।

घ) नाररर्ों के गीतों की क्र्ा ववशेर्ता है ?


उत्तर : नाररर्ों के गीतों की ववशेर्ता है कक वह दि िाँधकर गाए
िाते हैं।

ङ) आश्रम में कॉिेि के छात्रों से गाँधी िी ने कौन-सा काम


करवार्ा?
उत्तर : आश्रम में कॉिेि के छात्रों से गाँधी िी ने गें हूँ िीनने का
काम करवार्ा।

च) नगर से िाहर ननकिकर दो पग चिने के िाद सीता की क्र्ा


दशा हुई?
उत्तर : मागय में दो कदम चिते ही सीता के माथे पर पसीने की
िँद
ू ें झिकने िगी। उनके होि सख
ू गए और वे शीघ्र ही
थक गई।

छ) िाँस को िढ़
ू ा कि कहा िा सकता है ?
उत्तर : तीन वर्य से अर्धक उम्र वािे िाँस को िढ़
ू ा िाँस कहा
िाता है ।

ि) 'िक्ष्मीिाई अपने-आप में थमारक थी' - ऐसा क्र्ों कहा गर्ा है ?


उत्तर : िक्ष्मीिाई ने अपने िीवन में ऐसे कार्य ककए जिनके लिए
वह अमर रहे गी। इसलिए कहा गर्ा है कक उसे र्ाद करने
हे तु ककसी थमारक की आवश्र्कता नहीं।
प्रश्न 8. ठदए गए पठित गदर्ांश को पढ़कर पछ
ू े गए प्रश्नों के सही उत्तर
चन
ु कर लिखखए : 1 x 5 = 5
असम में ऐसे ही एक िाि, िकाई से मछिी पकड़ते हैं। छोटी
मछलिर्ों को पकड़ने के लिए इसे पानी की सतह पर रखा िाता है र्ा
कफर धीरे -धीरे चिते हुए खींचा िाता है। िाँस की खपजच्चर्ों को इस
तरह िाँधा िाता है कक वे एक शंकु का आकार िे िें। इस शंकु का
ऊपरी लसरा अंडाकार होता है । ननचिे नक
ु ीिे लसरे पर खपजच्चर्ाँ एक-
दस
ू रे में गँथ
ु ी हुई होती है।

1. उपर्क्
ुय त गदर्ांश कौन-से पाि से लिर्ा गर्ा है ?
क) वन के मागय में ख) िाँस की कहानी
ग) संसार पथ
ु तक है घ) साँस साँस में िाँस

2. मछिी ककससे पकड़ी िाती है ?


क) काँटें ख) िकाई ग) छिनी घ) इनमें से कोई नहीं

3. उपर्क्
ुय त गदर्ांश में ककस प्रदे श की िात की गई है?
क) असम ख) िंगाि ग) बत्रपरु ा घ) इनमें से कोई नहीं

4. िाँस की खपजच्चर्ों को ककस प्रकार िाँधा िाता है?


क) शंकु के आकार में ख) बत्रशंकु ग) गोि घ) चौकोन

5. ‘मछिी’ शब्द के लिए पर्ायर्वाची शब्द दें ।


क) मत्थर्, मीन ख) ििचर, उभर्चर
ग) मीनाक्षी, मजत्थर्की घ) मत्थर्गंधा, मासिी
प्रश्न 9. ठदए गए पदर्ांश को पढ़कर पछ
ू े गए प्रश्नों के सही उत्तर छाँटकर
लिखखए : 1 x 5 = 5
मैं सिसे छोटी होऊँ,
तेरी गोदी में सौऊँ,
तेरा अंचि पकड़-पकड़कर
कफरूँ सदा माँ ! तेरे साथ,
कभी न छोडूँ तेरा हाथ!
िड़ा िनाकर पहिे हमको
तू पीछे छिती है मात!
हाथ पकड कफर सदा हमारे
साथ नहीं कफरती ठदन-रात
अपने कर से खखिा, धि
ु ामख
ु ,
धि
ु पौंछ, सजज्पित कर गात
थमा खखिौने, नहीं सन
ु ाती
हमें सख
ु द पररर्ों की िात!

1. मैं सिसे छोटी होऊँ, से कवव क्र्ा कहना चाह रहे हैं?
क) हमेशा अपनी माँ का साथ पाने की िािसा
ख) हर-समर् खेिते रहने की कामना
ग) उधम-मथती की अलभिार्ा
घ) इनमें से कोई नहीं

2. उपर्क्
ुय त कववता में ककस संिंध को दशायर्ा गर्ा है?
क) वपता-पत्र

ख) माँ-िेटी
ग) माता-िहन
घ) िहन-िेटी
3. 'िड़ा िनाकर पहिे हमको तू पीछे छिती है मात !' से क्र्ा
तात्पर्य है ?
क) उससे दरू िाती है
ख) पाि-पोसकर माँ कफर साथ छोड़ दे ती है
ग) साथ माँगती है
घ) उससे काम करवाती है

4. ‘सदा’ शब्द के समान अथय िताइए।


क) िरािर, एकदम
ख) हरदम, एक-साथ
ग) हमेशा, ननरं तर
घ) उपर्क्
ुय त सभी

5. ‘सजज्पित’ शब्द में कौन-सा प्रत्र्र् है ?


क) इत ख) ईत ग) इट घ) जित

खंड - घ
प्रश्न 10. ‘मठहिाएँ िीवन के प्रत्र्ेक क्षेत्र में अपना परचम फहरा रही है ’ इस
ववर्र् पर अनच्
ु छे द लिखखए : 5
आि भारतीर् मठहिाएँ घर की चाहरदीवारी से िाहर ननकिकर,
रुठढ़वादी सोच को पार कर ववलभन्न व्र्वसार्ों और सेवाओं में
कार्यरत है । मठहिाएँ संघ िोक सेवा आर्ोग, राज्पर् सेवा आर्ोग र्ा
अन्र् कोई भी प्रनतर्ोगी परीक्षा हो कहीं भी पीछे नहीं है । िैंककंग,
आईटी, मेडडकि, इंिीननर्ररंग, बििनेस, और उदर्लमता प्रत्र्ेक क्षेत्र
में अपनी र्ोग्र्ता का िोहा मनवा रही है । हर वर्य दसवीं और
िारहवीं की परीक्षाओं में िड़ककर्ाँ िािी मार रहीं हैं। खेिों, सौंदर्य
प्रनतर्ोर्गताओं, पत्रकाररता, िेखन, डॉक्टर, वकीि, प्रोफेसर, िि,
प्रशासाननक आठद सभी क्षेत्रों में मठहिाओं ने अपना वचयथव थथावपत
कर लिर्ा है। र्हाँ तक की रािनीनत में भी वाडय, सरपंच, प्रधान,
ववधानसभा, िोकसभा मंत्री, प्रधानमंत्री, राष्रपनत िैसे पदों पर भी
अपना दमखम ठदखाने में पीछे नहीं है। इस प्रकार हम कह सकते हैं
कक मठहिाएँ िीवन के प्रत्र्ेक क्षेत्र में अपना परचम फहरा रही है ।

प्रश्न 11. ववदर्ािर् की शैक्षक्षक र्ात्रा का वणयन करते हुए मातािी को पत्र
लिखें । 5
102, रािहं स छात्रावास
िािपत नगर
नई ठदल्िी
ठदनाँक - 25.10.200
आदरणीर् मातािी,
सादर प्रणाम।
आशा करता हूँ आप सभी थवथथ होंगे। मैं भी र्हाँ छात्रावास में
सकुशि हूँ। िैसा कक आपको पता ही है ववदर्ािर् की तरफ से हम
शैक्षक्षक र्ात्रा के लिए इस िार िखनऊ गए थे। उसी र्ात्रा के िारे में
िताने के लिए मैंने र्ह पत्र आपको लिखा है । ठदनाँक 12 अक्टूिर
को हम रे न दवारा िखनऊ रवाना हुए। रे न में भी हमें खि
ू मौि-
मथती की। िखनऊ पहुँचने के िाद एक िंगिे में हमें िहरार्ा गर्ा
था। प्रात:काि हमें िखनऊ की प्रलसद्ध िगहों पर िे िार्ा गर्ा।
मातािी वैसे तो मझ
ु े वहाँ कक सभी िगहें अच्छी िगी परन्तु वहाँ के
भि
ू भि
ु र्
ै ा ककिे को मैं कभी भी नहीं भि
ू पाऊँगा, कारीगरी तथा
र्ोिना िद्ध तरीके का ऐसा अनप
ु म उदहारण कहीं भी दे खने को नहीं
लमिेगा। वहाँ की काफी सारी मीिी र्ादों के साथ हम सभी िौटे ।
वपतािी और भाईसाहि को मेरा सादर प्रणाम तथा छोटी िहन को
प्र्ार।
आपका वप्रर् पत्र

सश
ु ीि
प्रश्न 12. ठदए गए र्चत्र का वणयन कीजिए। 5

उपर्क्
ुय त र्चत्र एक िािार से संिंर्धत है । र्चत्र में हमें सड़क के दोनों
ओर िगा िािार निर आ रहा है । अनेक िोग ठदखाई दे रहे हैं।
उनमें से कुछ सामान खरीद रहे हैं, तो कुछ अपना सामान िेच रहे
हैं। सड़क पर वाहनों की आवािाही भी चि रही है । सड़क के िीचों
िीच एक तरिि
ू े की गाड़ी भी है ।

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