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निदे श :
1. इस प्रश्न-पत्र के चार खंड हैं - क, ख, ग और घ।
2. चारों खंडों के प्रश्नों के उत्तर दे ना अननवार्य है ।
3. र्थासंभव प्रत्र्ेक खंड के उत्तर क्रमश: दीजिए।
खंड - क
प्रश्न 1. ननम्नलिखखत अपठित गदर्ांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर लिखखए :
1 x 5 = 5
मनष्ु र् सामाजिक प्राणी है क्र्ोंकक समाि के बिना उसका िीवन
अधरू ा है। समाि में रहते हुए उसे अपने सख
ु -दख
ु को कहने-सन ु ने
तथा ववचारों का आदान-प्रदान करने एवं कार्ो में सहर्ोग िेने के
लिए दस
ू रों की आवश्र्कता पड़ती है जिससे वह ठदि खोिकर अपनी
सि िातें कर सके। ऐसा व्र्जक्त ही लमत्र कहिाता है । लमत्र का चन
ु ाव
सोच-समझकर करना चाठहए। कुछ िोग ककसी की िाहरी चमक-दमक,
िोि-चाि तथा आर्थयक जथथनत को दे खकर उससे लमत्रता कर िेते हैं।
इस प्रकार की लमत्रता अर्धक ठदनों तक नहीं चिती। सच्चे लमत्र का
चर्न करने के लिए उसके व्र्वहार, आचरण तथा चररत्र पर ध्र्ान
दे ना आवश्र्क होता है । सच्चा लमत्र ववश्वासपात्र, दस
ू रों की भावनाओं
को समझने वािा, ववनम्र, सदाचारी तथा चररत्रवान होता है।
(क) मनष्ु र् को सामाजिक प्राणी क्र्ों कहा गर्ा है?
(ख) व्र्जक्त को लमत्र की आवश्र्कता क्र्ों पड़ती है ?
(ग) ककस प्रकार की लमत्रता अर्धक ठदनों तक नहीं चिती है ?
(घ) सच्चे लमत्र में कौन-कौन से गण
ु होने चाठहए?
(ङ) उपर्क्
ुय त गदर्ांश को उर्चत शीर्यक दीजिए।
प्रश्न 2. ननम्नलिखखत पदर्ांश को पढ़कर, उसके नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर
लिखखए : 1 x 5 = 5
पवयत कहता शीश उिाकर तुम भी ऊँचे िन िाओ
सागर कहता िहराकर मन में गहराई िाओ।
समझ रहे हो क्र्ा कहती है, उि-उि, र्गर-र्गर तरि तरं ग
भर िो, भर िो अपने मन में मीिी-मीिी मद
ृ ि
ु उमंग।
पथ्
ृ वी कहती धैर्य न छोड़ो, ककतना ही लसर पर हो भार
नभ कहता है फैिो इतना, ढँ क िो तम
ु सारा संसार।
खंड – ख
प्रश्न 3. i) ननम्नलिखखत कक्रर्ाओं से भाववाचक संज्ञाएँ िनाइए : 1x2 = 2
क) थकना
ख) वपसना
ix) नीचे ठदए शब्दों में उपसगय िोड़कर नए शब्द िनाइए : 1x2=2
क) दान – आ + दान =
ख) राग – अनु + राग =
x) ककन्हीं तीि मह
ु ावरों के अथय लिखखए : 1x3=3
क) आकाश पाताि एक करना
ख) किई खुिना
ग) खरी खोटी सन
ु ाना
घ) पहाड़ टूटना
खंड – ग
प्रश्न 4. ननम्नलिखखत प्रश्नों के उत्तर लिखखए : 2 x 4 = 8
1. पाि में ऐसा क्र्ों कहा गर्ा है कक अक्षरों के साथ एक नए र्ग
ु
की शरुु आत हुई?
2. िाखों-करोडों वर्य पहिे हमारी धरती कैसी थी?
1. उपर्क्
ुय त गदर्ांश कौन-से पाि से लिर्ा गर्ा है ?
क) वन के मागय में ख) िाँस की कहानी
ग) संसार पथ
ु तक है घ) साँस साँस में िाँस
3. उपर्क्
ुय त गदर्ांश में ककस प्रदे श की िात की गई है ?
क) असम ख) िंगाि ग) बत्रपरु ा घ) इनमें से कोई नहीं
4. िाँस की खपजच्चर्ों को ककस प्रकार िाँधा िाता है?
क) शंकु के आकार में ख) बत्रशंकु ग) गोि घ) चौकोन
1. मैं सिसे छोटी होऊँ, से कवव क्र्ा कहना चाह रहे हैं?
क) हमेशा अपनी माँ का साथ पाने की िािसा
ख) हर-समर् खेिते रहने की कामना
ग) उधम-मथती की अलभिार्ा
घ) इनमें से कोई नहीं
2. उपर्क्
ुय त कववता में ककस संिंध को दशायर्ा गर्ा है?
क) वपता-पत्र
ु
ख) माँ-िेटी
ग) माता-िहन
घ) िहन-िेटी
खंड - घ
प्रश्न 10. ‘मठहिाएँ िीवन के प्रत्र्ेक क्षेत्र में अपना परचम फहरा रही है ’ इस
ववर्र् पर अनच्
ु छे द लिखखए : 5
प्रश्न 11. ववदर्ािर् की शैक्षक्षक र्ात्रा का वणयन करते हुए मातािी को पत्र
लिखें । 5
प्रश्न 12. ठदए गए र्चत्र का वणयन कीजिए। 5
समय : 3 घंटे पर्
ू णांक : 80
निदे श :
1. इस प्रश्न-पत्र के चार खंड हैं - क, ख, ग और घ।
2. चारों खंडों के प्रश्नों के उत्तर दे ना अननवार्य है ।
3. र्थासंभव प्रत्र्ेक खंड के उत्तर क्रमश: दीजिए।
खंड - क
प्रश्न 1. ननम्नलिखखत अपठित गदर्ांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर लिखखए :
1 x 5 = 5
मनष्ु र् सामाजिक प्राणी है क्र्ोंकक समाि के बिना उसका िीवन
अधरू ा है। समाि में रहते हुए उसे अपने सख
ु -दख
ु को कहने-सन ु ने
तथा ववचारों का आदान-प्रदान करने एवं कार्ो में सहर्ोग िेने के
लिए दस
ू रों की आवश्र्कता पड़ती है जिससे वह ठदि खोिकर अपनी
सि िातें कर सके। ऐसा व्र्जक्त ही लमत्र कहिाता है । लमत्र का चन
ु ाव
सोच-समझकर करना चाठहए। कुछ िोग ककसी की िाहरी चमक-दमक,
िोि-चाि तथा आर्थयक जथथनत को दे खकर उससे लमत्रता कर िेते हैं।
इस प्रकार की लमत्रता अर्धक ठदनों तक नहीं चिती। सच्चे लमत्र का
चर्न करने के लिए उसके व्र्वहार, आचरण तथा चररत्र पर ध्र्ान
दे ना आवश्र्क होता है । सच्चा लमत्र ववश्वासपात्र, दस
ू रों की भावनाओं
को समझने वािा, ववनम्र, सदाचारी तथा चररत्रवान होता है।
(ङ) उपर्क्
ुय त गदर्ांश को उर्चत शीर्यक दीजिए।
उत्तर : उपर्क्
ुय त गदर्ांश के लिए ‘सच्चा लमत्र’ उर्चत शीर्यक है ।
खंड – ख
प्रश्न 3. i) ननम्नलिखखत कक्रर्ाओं से भाववाचक संज्ञाएँ िनाइए : 1x2 = 2
क) थकना - थकावट
ख) वपसना – वपसाई
ix) नीचे ठदए शब्दों में उपसगय िोड़कर नए शब्द िनाइए : 1x2=2
क) दान – आ + दान = आदान
ख) राग – अनु + राग = अनरु ाग
x) ककन्हीं तीि मह
ु ावरों के अथय लिखखए : 1x3=3
क) आकाश पाताि एक करना - िहुत अर्धक पररश्रम करना
ख) किई खुिना - भेद खुिना
ग) खरी खोटी सन
ु ाना - भिा-िरु ा कहना
घ) पहाड़ टूटना - िहुत भारी कष्ट आ िाना
खंड – ग
प्रश्न 4. ननम्नलिखखत प्रश्नों के उत्तर लिखखए : 2 x 4 = 8
1. पाि में ऐसा क्र्ों कहा गर्ा है कक अक्षरों के साथ एक नए र्ग
ु
की शरु
ु आत हुई?
उत्तर : अक्षरों के साथ एक नए र्ग
ु की शरु
ु आत हुई क्र्ोंकक
आदमी अक्षरों की खोि से हम इनतहास को िान पाए।
अक्षरों की खोि के िाद ही मनष्ु र् अपने ववचारों को
लिखकर रखने िगा। इस प्रकार एक पीढ़ी के ज्ञान का
इथतेमाि दस
ू री पीढ़ी करने िगी। अक्षरों की खोि मनष्ु र्
को प्रगनत के पथ पर िे गई।
2. क्र्ा िोकगीत और नत्ृ र् लसफय गाँवों र्ा किीिों में ही पाए िाते
हैं? शहरों के कौन से िोकगीत हो सकते हैं? इस पर ववचार कर
लिखो।
उत्तर : िोकगीत और िोक नत्ृ र् गाँवों र्ा किीिों में ही प्रलसद्ध
हैं क्र्ोंकक शहरी िीवन अनत व्र्थत होता है । शहर में
िगह की भी कमी पाई िाती है परन्तु कुछ खास
अवसरों िैसे वववाह, त्र्ोहार, धालमयक अनष्ु िान आठद पर
र्हाँ पर भी िोग अपने-अपने गाँवों से िोक किाकार
और िोक नतयकों को िि
ु ाते हैं।
2. कववता में ककसके आँचि की छार्ा में नछपे रहने की िात कही गई
है और क्र्ों?
उत्तर : कववता में माँ के आँचि की छार्ा में नछपे रहने की िात
कही गई है ।
माँ अपने िच्चों से सिसे अर्धक प्र्ार करती है और
उसके इस प्र्ार के आँचि में िच्चा हमेशा अपने को
ननभयर् और सरु क्षक्षत समझता है।
छ) िाँस को िढ़
ू ा कि कहा िा सकता है ?
उत्तर : तीन वर्य से अर्धक उम्र वािे िाँस को िढ़
ू ा िाँस कहा
िाता है ।
1. उपर्क्
ुय त गदर्ांश कौन-से पाि से लिर्ा गर्ा है ?
क) वन के मागय में ख) िाँस की कहानी
ग) संसार पथ
ु तक है घ) साँस साँस में िाँस
3. उपर्क्
ुय त गदर्ांश में ककस प्रदे श की िात की गई है?
क) असम ख) िंगाि ग) बत्रपरु ा घ) इनमें से कोई नहीं
1. मैं सिसे छोटी होऊँ, से कवव क्र्ा कहना चाह रहे हैं?
क) हमेशा अपनी माँ का साथ पाने की िािसा
ख) हर-समर् खेिते रहने की कामना
ग) उधम-मथती की अलभिार्ा
घ) इनमें से कोई नहीं
2. उपर्क्
ुय त कववता में ककस संिंध को दशायर्ा गर्ा है?
क) वपता-पत्र
ु
ख) माँ-िेटी
ग) माता-िहन
घ) िहन-िेटी
3. 'िड़ा िनाकर पहिे हमको तू पीछे छिती है मात !' से क्र्ा
तात्पर्य है ?
क) उससे दरू िाती है
ख) पाि-पोसकर माँ कफर साथ छोड़ दे ती है
ग) साथ माँगती है
घ) उससे काम करवाती है
खंड - घ
प्रश्न 10. ‘मठहिाएँ िीवन के प्रत्र्ेक क्षेत्र में अपना परचम फहरा रही है ’ इस
ववर्र् पर अनच्
ु छे द लिखखए : 5
आि भारतीर् मठहिाएँ घर की चाहरदीवारी से िाहर ननकिकर,
रुठढ़वादी सोच को पार कर ववलभन्न व्र्वसार्ों और सेवाओं में
कार्यरत है । मठहिाएँ संघ िोक सेवा आर्ोग, राज्पर् सेवा आर्ोग र्ा
अन्र् कोई भी प्रनतर्ोगी परीक्षा हो कहीं भी पीछे नहीं है । िैंककंग,
आईटी, मेडडकि, इंिीननर्ररंग, बििनेस, और उदर्लमता प्रत्र्ेक क्षेत्र
में अपनी र्ोग्र्ता का िोहा मनवा रही है । हर वर्य दसवीं और
िारहवीं की परीक्षाओं में िड़ककर्ाँ िािी मार रहीं हैं। खेिों, सौंदर्य
प्रनतर्ोर्गताओं, पत्रकाररता, िेखन, डॉक्टर, वकीि, प्रोफेसर, िि,
प्रशासाननक आठद सभी क्षेत्रों में मठहिाओं ने अपना वचयथव थथावपत
कर लिर्ा है। र्हाँ तक की रािनीनत में भी वाडय, सरपंच, प्रधान,
ववधानसभा, िोकसभा मंत्री, प्रधानमंत्री, राष्रपनत िैसे पदों पर भी
अपना दमखम ठदखाने में पीछे नहीं है। इस प्रकार हम कह सकते हैं
कक मठहिाएँ िीवन के प्रत्र्ेक क्षेत्र में अपना परचम फहरा रही है ।
प्रश्न 11. ववदर्ािर् की शैक्षक्षक र्ात्रा का वणयन करते हुए मातािी को पत्र
लिखें । 5
102, रािहं स छात्रावास
िािपत नगर
नई ठदल्िी
ठदनाँक - 25.10.200
आदरणीर् मातािी,
सादर प्रणाम।
आशा करता हूँ आप सभी थवथथ होंगे। मैं भी र्हाँ छात्रावास में
सकुशि हूँ। िैसा कक आपको पता ही है ववदर्ािर् की तरफ से हम
शैक्षक्षक र्ात्रा के लिए इस िार िखनऊ गए थे। उसी र्ात्रा के िारे में
िताने के लिए मैंने र्ह पत्र आपको लिखा है । ठदनाँक 12 अक्टूिर
को हम रे न दवारा िखनऊ रवाना हुए। रे न में भी हमें खि
ू मौि-
मथती की। िखनऊ पहुँचने के िाद एक िंगिे में हमें िहरार्ा गर्ा
था। प्रात:काि हमें िखनऊ की प्रलसद्ध िगहों पर िे िार्ा गर्ा।
मातािी वैसे तो मझ
ु े वहाँ कक सभी िगहें अच्छी िगी परन्तु वहाँ के
भि
ू भि
ु र्
ै ा ककिे को मैं कभी भी नहीं भि
ू पाऊँगा, कारीगरी तथा
र्ोिना िद्ध तरीके का ऐसा अनप
ु म उदहारण कहीं भी दे खने को नहीं
लमिेगा। वहाँ की काफी सारी मीिी र्ादों के साथ हम सभी िौटे ।
वपतािी और भाईसाहि को मेरा सादर प्रणाम तथा छोटी िहन को
प्र्ार।
आपका वप्रर् पत्र
ु
सश
ु ीि
प्रश्न 12. ठदए गए र्चत्र का वणयन कीजिए। 5
उपर्क्
ुय त र्चत्र एक िािार से संिंर्धत है । र्चत्र में हमें सड़क के दोनों
ओर िगा िािार निर आ रहा है । अनेक िोग ठदखाई दे रहे हैं।
उनमें से कुछ सामान खरीद रहे हैं, तो कुछ अपना सामान िेच रहे
हैं। सड़क पर वाहनों की आवािाही भी चि रही है । सड़क के िीचों
िीच एक तरिि
ू े की गाड़ी भी है ।