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CLASS- X

SET- 1
YEAR- 2019

HINDI (Course A)
TIME: 3 hours Max Marks: 80
• कृपया जाांच करले की इस प्रशन – पत्र में मुद्रित पृष्ठ 7 है।
• प्रशन- पत्र में दाद्रहने हाथ की ओर द्रदए गए कोड नांबर को छात्र
उत्तर–पुस्तिका के मख्य – पृष्ठ पर द्रलखें।
• कृपया जाांच करले की इस प्रश्न – पत्र में 14 प्रशन है।
• कृपया प्रशन का उत्तर शुरू करने से पहले, प्रश्न का क्रमाांक
अवश्य द्रलखें।

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खंड-क
प्रश्न 1: द्रनम्नद्रलस्तखत गद्ाांश को ध्यान पूववक पद्ऱिए और पूछे गए प्रश्नोां के
उत्तर द्रलस्तखए –
आजकल दू रदशवन पर आने वाले धारावाद्रहक दे खने का प्रचलन ब़ि गया
है I बाल्यावस्था में यह शौक हाद्रनकारक है। दू रदशवन पर द्रदखाए जाने
वाले धारावाद्रहक द्रनम्न िर के होते हैं। उनमें अश्लीलता, नआस्था,
फैशन तथा नैद्रतक बुराइयाां ही अद्रधक दे खने को द्रमलती हैं। छोटे बालक
मानद्रसक रूप से पररपक्व नहीां होते। इस उम्र में वे जो भी दे खते हैं
उसका प्रभाव उनके द्रदमाग पर अांद्रकत हो जाता है। बुरी आदतोां को वे
शीघ्र ही अपना लेते हैं। समाज शास्तियोां के एक वगव का मानना है द्रक
समाज में चारोां ओर फैली बुराइयोां का एक बडा कारण दू रदशवन तथा
चलद्रचत्र भी है। दू रदशवन से आत्मसीद्रमतता, जडता, पांगूता, अकेलापन
आद्रद दोष ब़ि रहे हैं। द्रबना समय की पाबांदी के घांटोां दू रदशवन के साथ
द्रचपके रहना द्रबल्कुल गलत है। से मानद्रसक द्रवकास रुक जाता है, नजर
कमजोर हो सकती है और तनाव ब़ि सकता है।
(क) आजकल दू रदशवन के धारावाद्रहक का िर कैसा है? 2
(ख) दू रदशवन का दु ष्प्रभाव द्रकन पर अद्रधक पडता है और क्ोां? 2
(ग) दू रदशवन के क्ा-क्ा दु ष्प्रभाव हैं? 2
(घ) 'बाल्यावस्था' शब्द का सांद्रध द्रवच्छे द कीद्रजए। 1
(ङ) उपयुवक्त गद्ाांश के द्रलए उपयुक्त शीषवक द्रलस्तखए। 1

प्रश्न 2: द्रनम्नद्रलस्तखत काव्ाांश को ध्यानपूववक पद्ऱिए और पूछे गए प्रश्नोां


के उत्तर द्रलस्तखए –। 7
कोलाहल हो
या सन्नाटा कद्रवता सदा सृजन करती है

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जब भी आांसू हुआ पराद्रजत,
अद्रमता सदा जांग लडती है,
जब भी करता हुआ अकरता
कद्रवता ने जीना द्रसखलाया
जब भी तम का जुल्म ब़िा है,
कद्रवता नया सूयव ग़िती है,
जब गीतोां की फसलें लुटती
शील हरण होता कद्रलयोां का,
शब्द हीन जब हुई चेतना
तब- तब चैन लुटा गद्रलयोां का
अपने भी हो गए पराए
योां झूठे अनुबांध हो गए
घर में ही वनवास हो रहा
यो गूांगे सांबांध हो।
(क) कद्रवता कैसी पररस्तस्थद्रतयोां में सजवन करती है? स्पष्ट
कीद्रजए। 2
(ख) भाव समझाइए ' जब भी तम का जुल्म ब़िा है,कद्रवता नया
सूयव ग़िती है' । 2
(ग) गद्रलयोां का चैन कब लुटता है? 1
(घ) 'परस्पर सांबांधोां में दू ररयाां ब़िने लगी' - यह भाव द्रकस पांस्तक्त
में आया है? 1
(ङ) कद्रवता जीना कब द्रसखाती है? 1

अथवा

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जो बीत गई वो बात गई।
जीवन में एक द्रसतारा था,
माना, वह बेहद प्यारा था,
वह डू ब गया तो डू ब गया।
अांबर के आनन को दे खो,
द्रकतने इसके तारे टू टे ,
द्रकतने इसके प्यारे छूटे ,
जो छूट गए द्ऱिर कहाां द्रमले;
पर बोलो टू टे तारोां पर,
कब अांबर शोक मनाता है?
जो बीत गई सो बात गई।
जीवन में वह था एक कुसुम,
थे उस पर द्रनत्य द्रनछावर तुम,
वह सूख गया तो सूख गया;
मधुबन की छाती को दे खो,
सूखी द्रकतनी इसकी कद्रलयाां,
मुरझाई द्रकतनी वल्लररयाां,
जो मुरझाई द्रफर कहाां स्तखद्रलां,
पर बोलो सूखे फूलोां पर,
कब मधुबन शोर मचाता है?
जो बीत गई सो बात गई।
(क) 'जो बीत गई सो बात गई' से क्ा तात्पयव है? स्पष्ट कीद्रजए। 2
(ख) आकाश की ओर कब दे खना चाद्रहए और क्ोां? 2
(ग) 'सूखे फूल' और 'मधुबन' के प्रद्रतकाथव स्पष्ट कीद्रजए। 1
(घ) टू टे तारोां का शोक कौन नहीां मनाता है? 1

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(ङ) आपके द्रवचार से 'जीवन में एक द्रसतारा' द्रकसे माना होगा? 1

खंड – ख

प्रश्न 3: द्रनदे शानुसार द्रकन्ीां तीन के उत्तर द्रलस्तखए -। 1×3=3


(क) मैंने उस व्स्तक्त को दे खा जो ददव से कराह रहा था। (सांयुक्त
वाक् में बदद्रलए)
(ख) जो व्स्तक्त पररश्रमी होता है, वह अवश्य सफल होता है।
(सरल वाक् में बदद्रलए)
(ग)वह कौन-सी पुिक है जो आपको बहुत पसांद है? (रे खा अांद्रकत
उपवाक् का भेद द्रलस्तखए।)
(घ) कश्मीरी गेट के द्रनकलस कब्रगाह में उनका ताबूत उतारा
गया। (द्रमश्र वाक् में बदद्रलए)

प्रश्न 4: द्रनम्नद्रलस्तखत वाक्ोां में से द्रकन्ी चार वाक्ोां का द्रनदे शानुसार


वाक् पररवतवन कीद्रजए –। 1×4=4
(क) बाल गोद्रवांद भगत प्रभाद्रतया गाते थे।
(कमववाच्य में बदद्रलए)
(ख) बीमारी के कारण वह यहाां ना सका।
(भाव वाच्य में बदद्रलए)
(ग) माां के द्वारा बचपन में ही घोद्रषत कर द्रदया गया था।
(कृत वाच्य में बदद्रलए)
(घ) अवनी चाय बना रही है। (कमववाच्य में बदद्रलए)
(ङ) घायल हांस उड ना पाया। (भाव वाच्य में बदद्रलए)

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प्रश्न 5: द्रनम्नद्रलस्तखत वाक्ोां में से द्रकन्ी चार रे खाांद्रकत पदोां का पद
पररचय कीद्रजए - 1×4=4
(क) दी जी प्रद्रतद्रदन समाचार पत्र प़िती हैं।
(ख) रोहन यहाां नहीां आया था।
(ग) वे मुांबई जा चुके हैं।
(घ) पररश्रमी अांद्रकता अपना काम समय से पूरा कर लेती है।
(ङ) रद्रव रोज सवेरे दौडता है।

प्रश्न 6: द्रनम्नद्रलस्तखत में से द्रकन्ी चार प्रश्नोां के उत्तर दीद्रजए - 1×4=4


(क) 'करुण रस' का एक उदाहरण द्रलस्तखए।
(ख) द्रनम्नद्रलस्तखत काव् पांस्तक्तयोां में महत्व रस पहचान कर द्रलस्तखए-
तम्बूरा के मांच पर बैठे प्रेमप्रताप,
साज द्रमले पांिह द्रमनट, घांटाभर आलाप।
घांटा भर आलाप, राग मे मारा गोता,
धीरे -धीरे स्तखसक चुके थे सारे श्रोता।
(ग) 'उत्साह' द्रकस रस का स्थाई भाव है?
(घ) 'वात्सल्य' रस का स्थाई भाव क्ा है?
(ङ) 'श्रृांगार' रस के कौन से दो भेद हैं?

खंड – ग
प्रश्न 7: द्रनम्नद्रलस्तखत गद्ाांश को ध्यानपूववक प़िकर पूछे गए प्रश्नोां के
उत्तर द्रलस्तखए –
द्रकसी द्रदन एक द्रशष्य ने डरते डरते खाां साहब को टोका, “बाबा! आप
यह क्ा करते हैं, इतनी प्रद्रतष्ठा है आपकी। अब तो आपको भारत रत्न

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भी द्रमल चुका है, यह फटी तहमद ना पहना करें । अच्छा नहीां लगता,
जब कोई भी आता है और आप इसी फटी तहमद में सबसे द्रमलते हैं।“
खाां साहब मुस्कुराए। लाड से भर कर बोले, “धत्त ! पगली, ई भारत रत्न
हमको शहनाई पर द्रमला है, लांद्रगया पे नाही। तुम लोगोां की तरह बनाव
– द्रसांगार दे खते रहते, तो उम्र ही बीत जाती, हो चुकती शहनाई। तब
कया ररयाज़ हो पाता?”
(क) एक द्रदन एक द्रशष्य ने खान साहब को क्ा कहा? क्ोां? 2
(ख) खाां साहब ने द्रशष्य को क्ा समझाया? 2
(ग) इससे खाां साहब के स्वभाव के बारे में क्ा पता चलता है? 1

प्रश्न 8: द्रनम्नद्रलस्तखत में से द्रकन्ी चार प्रश्नोां के उत्तर सांक्षेप में द्रलस्तखए –
2x4=8
(क) लेखक ने फादर काद्रमल बुल्के की याद को 'यज्ञ की पद्रवत्र द्रि'
क्ोां कहा है?
(ख) मन्नू भांडारी का अपने द्रपता से जो वैचाररक मतभेद था उसे
अपने शब्दोां में द्रलस्तखए।
(ग) 'नेताजी का चश्मा' पाठ में बच्ोां द्वारा मूद्रतव पर सरकांडे का
चश्मा लगाना क्ा प्रदद्रशवत करता है?
(घ) बालगोद्रबन भगत अपने सुि और बोधे से बेटे के साथ कैसा
व्वहार करते थे और क्ोां?
(ङ) 'लखनवी अांदाज़' पाठ के आधार पर बताइए द्रक लेखक ने
यात्रा करने के द्रलए सेकांड क्लास का द्रटकट क्ोां खरीदा?

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प्रश्न 9: द्रनम्नद्रलस्तखत काव्ांश को ध्यापूववक प़िकर पूछे गए प्रश्नोां के
उत्तर द्रलस्तखए –। 5
यश है या न वैभव है, मान है न समवया,
द्रजतना ही दौडा तू इतना ही भरमाया।
प्रभुता का शरण द्रबांब केवल मृगतृष्णा है,
हर चांद्रिका में द्रछपी एक रात कृष्णा है।
जो है यथाथव कद्रठन उसका तू कर पूजन-
छाया मत छूना
मन, होगा दु ख दू ना।
(क) 'हर चांद्रिका में द्रछपी एक रात कृष्णा है' - इस पांस्तक्त से कद्रव
द्रकस तथ्य से अवगत कराना चाहता है? 2
(ख) कभी नहीां आता आरती के पूजन की बात क्ोां कही है? 2
(ग) 'मृगतृष्णा' का प्रतीकात्मक अथव द्रलस्तखए। 1

प्रश्न 10: द्रनम्नद्रलस्तखत में से द्रकन्ीां चार प्रश्नोां के उत्तर सांक्षेप में द्रलस्तखए-
2x4=8
(क) सांगतकार की मनुष्यता द्रकसे कहा गया है?
(ख) 'अट नहीां रही है' कद्रवता के आधार पर वसांत ऋतु की शोभा
का वणवन कीद्रजए।
(ग) परशुराम ने अपनी द्रकन द्रवशेषताओां के उल्लेख के द्वारा
लक्ष्मण को डराने का प्रयास द्रकया?
(घ) आपकी दृद्रष्ट में कन्या के साथ बात करना कहाां तक उद्रचत है?
(ङ) कभी नहीां सुसु की मुस्कान को दां तुररत मुस्कान क्ोां कहाां है?
कद्रव के मन पर उस मुस्कान का क्ा प्रभाव पडा?

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प्रश्न 11: ' जॉजव पांचम की नाक' पाठ माध्यम से लेखक ने समाज
पर क्ा व्ांग द्रकया है? 4

अथवा

द्रसस्तिम के युवती के कथन में ' मै इां द्रडयन हां ' से स्पष्ट होता है द्रक
अपनी जाद्रत, धमव – क्षेत्र और सांप्रदाय से अद्रधक महत्वपूणव राष्टर है।
आप द्रकस प्रकार राष्टर के प्रद्रत अपने कतवव् द्रनभाकर दे श के प्रद्रत
अपना प्रेम प्रकट कर सकते है? समझाइए।

खंड – घ

प्रश्न 12: द्रनम्नद्रलस्तखत में से द्रकसी एक द्रवषय पर द्रदए गए सांकेत द्रबांदुओ ां


के आधार पर लगभग 200 से 250 शब्दोां में द्रनबांध द्रलखीए- 10
(क) कमरतोड महांगाई
• महांगाई के कारण
• समाज पर प्रभाव
• व्वाहररक समाधान
(ख) स्वच्छ भारत अद्रभयान
• द्रवकास में स्वच्छता का योगदान
• अस्वच्छता की हाद्रनयाां
• रोकने के उपाय
(ग) बदलती जीवन शैली
• जीवन शैली का आशय

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• बदलाव कैसा
• पररणाम
प्रश्न 13: गत द्रदनोां से आपके क्षेत्र में अपराध ब़िने लगे हैं द्रजससे आप
द्रचांद्रतत हैं। इन अपराधोां की रोकथाम के द्रलए थानाध्यक्ष को पत्र
द्रलस्तखए। 5
अथवा

आपका एक द्रमत्र द्रशमला में रहता है। ऑद्रफस के आमांत्रण पर


ग्रीष्मावकाश में वहाां गए थे और प्राकृद्रतक का खूब आनांद उठाया था।
घर वापस लौटने पर कृतज्ञता व्क्त करते हुए द्रमत्र को पत्र द्रलस्तखए।

प्रश्न 14: अद्रतवृद्रष्ट के कारण कुछ शहर बा़ि ग्रि है। वहाां के द्रनवाद्रसयोां
की सहायताथव सामग्री एकत्र करने हेतु एक द्रवज्ञापन लगभग 50 शब्दोां
में तैयार कीद्रजए। 5

अथवा
बाल पैनोां की एक कांपनी ' सफल ' नाम से बाज़ार में आई है। उसके
द्रलए एक द्रवज्ञापन लगभग 50 शब्दोां में तैयार कीद्रजए।

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उत्तर
उत्तर 1:
(क) दू रदशवन पर द्रदखाए जाने वाले धारावाद्रहक द्रनम्न िर के
होते हैं।
(ख) दू रदशवन का दु ष्प्रभाव छोटे बालोां को पर पडता है क्ोांद्रक
वह मानद्रसक रूप से पररपक्व नहीां होते हैं।
(ग) आत्मसीद्रमतता, जडता, पांगूता, अकेलापन आद्रद दोष ब़ि
रहे हैं।
(घ) बाल + अवस्था
(ङ) समाज में फैली असामाद्रजक बुराइयाां।
उत्तर 2:
(क) कद्रवता भाव की पररस्तस्थद्रतयोां में सृजन करती है।
(ख) जब भी बुराइयोां का प्रभाव अद्रधक हुआ तब अच्छाइयोां ने
उन्ें पराद्रजत द्रकया।
(ग) जब जब लोगोां की जागरूकता में कमी आई तब बुराइब़िा
को ब़िावा मेला।
(घ) यह भाग आस्तखरी पांस्तक्त में आया है।
(ङ) जग कमव करने वाले कमव करना छोडते हैं तब बुराई का
प्रकोप ब़िता है।

अथवा
(क) जो बीत गई सो बात गई उसे कभी यह कहना चाहता है द्रक जो
चीज चली गई है उसके बारे में दु खी होकर कोई फायदा नहीां है।
(ख) आकाश की ओर तब दे खना चाद्रहए जब तारे टू टते हैं।

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(ग) हमें हर पररस्तस्थद्रत का सामना करना चाद्रहए द्रकसी द्रवपरीत
पररस्तस्थद्रत पर द्रनराश नहीां होना चाद्रहए।
(घ) टू टे तारोां पर अांबर शोक नहीां मनाता।
(ङ) जीवन में एक द्रसतारा मनुष्य की इच्छाओां को माना होगा।

खंड – ख

उत्तर 3:
(क) मैंने उस व्स्तक्त को दे खा और वह ददव से कराह रहा था।
(ख) पररश्रमी व्स्तक्त सफल होता है।
(ग) आद्रश्रत उपवाक्
(घ) कश्मीरी गेट के द्रनकलस कब्रगाह में वहाां उनका ताबूत
उतारा गया।
उत्तर 4:
(क) बाल गोद्रवांद भगत के द्वारा प्रभाद्रतया गाई गई।
(ख) बीमारी के कारण वह यहाां नहीां आ पाता।
(ग) माां ने बचपन में ही घोद्रषत कर द्रदया था।
(घ) अवनी के द्वारा चाय बनाई जा रही है।
(ङ) घायल हांस से उडाना जाता।
उत्तर 5:
(क) जाद्रतवाचक सांज्ञा, िीद्रलांग, बहुवचन, कताव कारक।
(ख) अकमवक द्रक्रया, पुस्तल्लांग, एकवचन।
(ग) सववनाम, बहुवचन, पुस्तल्लांग।
(घ) द्रवशेषण, िीद्रलांग, एकवचन, अकमवक द्रक्रया।

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(ङ) जाद्रतवाचक सांज्ञा पुद्रलांग एकवचन कमव कारक
उत्तर 6:
(क) हाय राम कैसे चले हम अपनी लज्जा अपना शोक गया हमारे
ही हाथोां से अपना राष्टरद्रपता परलोक।
(ख) हास्य रस
(ग) उत्साह वीर रस का स्थाई भाव है।
(घ) वात्सल्य रस का स्थाई भाव स्नेह है।
(ङ) सांयोग श्रृग
ां ार और द्रवयोग श्रृांगार।

खंड – ग

उत्तर 7:
(क) एक द्रदन द्रशष्य ने खान साहब को उनकी तहमत के द्रलए
रोका और बोला द्रक आप को भारत रत्न द्रमल चुका है आपकी
इतनी प्रद्रतष्ठा है आप यह फटी तहमद क्ोां पहनते हैं।
(ख) खान साहब ने द्रशष्य को समझाया द्रक भारत रत्न उन्ें अपनी
शहनाई के हुनर पर द्रमला है ना द्रक उनकी फटी तहमद पर और
अगर वह सारी द्रजांदगी श्रृांगार साज पर लुटा दे ते तो शहनाई वादन
नहीां कर पाते।
(ग) खान साहब एक बहुत ही सरल और सुलझे हुए व्स्तक्त थे
द्रजनके द्रलए द्रदखावा के प्रद्रत कोई महत्व नहीां था वह बहुत ही
सादा जीवन जीते थे।

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उत्तर 8:
(क) लेखक ने फादर काद्रमल बुल्के की याद को एक पद्रवत्र अद्रि
इसद्रलए कहा है क्ोांद्रक वह एक पद्रवत्र अद्रि की तरह द्रबल्कुल
सरल और सच्े इां सान थे और सभी के प्रद्रत स्नेह रखते थे।
(ख) द्रलस्तखत और उसके द्रपता के द्रवचार आपस में टकराते थे।
वे उसके मन में द्रविोह और जागरण के स्वर भरना चाहते थे
द्रकांतु उसे सद्रक्रय नहीां होने दे ना चाहते थे। लेस्तखका चाहती थी द्रक
वह अपनी भावनाओां को प्रकट करें सभी के सामने वह दे श की
स्वतांत्रता में सद्रक्रय होकर भाग ले यहीां आकर दोनोां की टिर
होती थी।
(ग) नेताजी का चश्मा पाठ में बच्ोां द्वारा मूद्रतव पर सरकांडे का
चश्मा लगाना यह प्रतीत करता था द्रक अब कैप्टन की मृत्यु हो
गई और वही एक इां सान था जो रोज चश्मे के फ्रेम बदलता था
पर अब कोई नहीां है इसद्रलए उन बच्ोां ने सरकांडे का चश्मा
पहना द्रदया नेता जी की मूद्रतव को ताद्रक वह अधूरी ना रहे।
(घ) भगत जी का बेटा स्वस्थ और बाधा था इसद्रलए भगत जी
उस का द्रवशेष ख्याल रखते थे एक द्रदन वह चल बसा लोग
उसके घर पहुांचे लेखक ने दे खा द्रक भगत जी का बेटा सफेद
कपडे से ढका हुआ है।
(ङ) लेखक नई कहानी के बारे में सोचने के द्रलए एकाांत और
फुसवत के कुछ क्षण चाहता था उसने सोचा द्रक सेकांड क्लास का
डब्बा खाली होगा इसद्रलए अपने सेकांड क्लास का द्रटकट
खरीदा।

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उत्तर 9:
(क) हर चाांदनी रात के बाद एक काली रात आती है। आशय
यह है द्रक हर सुख के पीछे एक दु ख छु पा रहता है।इसद्रलए
कल्पना और छाया में सुख खोजने की वजह जीवन की कठोर
सच्ाई योां का सामना करना चाद्रहए।
(ख) कभी कद्रठन यथाथव की पूजन के माध्यम से कहना चाहता
है द्रक जो भी सच्ाई तुम्हारे सामने है जीवन का जो भी दु ख सुख
तुम्हारे सामने है उसे अपना कर खुशी से जीना सीखो।
(ग) मृगतृष्णा का अथव है झूठा भ्रम।

उत्तर 10:
(क) सांगतकार की मनुष्यता उसके उदाहरण के द्रलए कहा गया
है क्ोांद्रक जब कोई गायक ऊांचे स्वर में गाते गाते खो जाता है
तब वह आवाज प्रभावशाली ना हो जाए इसका ध्यान सांगतकार
रखता है।
(ख) वसांत में वातावरण बहुत मीठा और सुहावना होता है।
धरती पर सबसे अद्रधक पुल खेलते हैं। आसमान साफ स्वच्छ
होता है। पद्रक्षयोां के समूह आकाश में द्रबहार करते द्रदखाई दे ते
हैं।
(ग) परशुराम अपने झूठे क्रोध और बडबोलेपन से लक्ष्मण को
डराने की कोद्रशश कर रहे थे।
(घ) ना के द्रलए दान शब्द का प्रयोग अनुद्रचत और
अपमानजनक है। दान विुओ ां का होता है व्स्तक्तयोां का नहीां।
(ङ) कद्रव को द्रशशु की मुस्कान दां तुररत मुस्कान इसद्रलए लगती
है क्ोांद्रक वह इतनी मनमोहक है द्रक मृत व्स्तक्त में भी जान दाल

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दे । कद्रव जब भी द्रशशु को दे खता है वह सोचता है द्रक यह इतना
मासूम है द्रक इसके स्पशव से तो पत्थर भी द्रपघल जाएगा।

उत्तर 11: 'जॉजव पांचम की नाक' के आधार पर भारतीय शासकोां पर


व्ांग है। लेखक ने आजाद भारत के उन शासकोां का उपहास उडाया
है जो अपने आत्मसम्मान को भूल चुके हैं। व्तीत में हुए अपने
अपमान को भूलकर अत्याचार योां का सम्मान करने में लगे हुए हैं।
उन्ें भारतीय महापुरुषोां, शहीदोां और सांघषों की कोई द्रचांता नहीां है।
द्रचांता है तो इां ग्लैंड की महारानी का मान रखने की।अरे भूल चुके हैं द्रक
इसी महारानी के दे श ने ही उन्ें कभी गुलाम बनाया था।

अथवा

हम अपने दे श के प्रद्रत अपना प्रेम द्रनम्नद्रलस्तखत तरीकोां से प्रकट कर


सकते हैं :-
• दे श को स्वच्छ रख कर।
• भ्रष्टाचार को जड से उखाड के फेंक कर।
• गरीबोां की सहायता करके।
• अपनाकर हमेशा सही वक्त पर भरकर।
• मद्रहलाओां का सम्मान करके।
• दे श के सभी कानूनी द्रनयमोां का पालन करके।
• हर धमव से प्यार करके और उसे एक समान समझकर।

खंड – घ

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उत्तर 12:
(क) महांगाई हमारे दे श के द्रलए एक बडा आद्रथवक सांकट है।
दे श में कई साधारण और जरूरी चीजोां की कीमतें आसमान छु
रही हैं।गरीब लोगोां के द्रलए दो वक्त की रोटी का इां तजाम करना
मुस्तिल हो जाता है।उदाहरण के तौर पर आज दाल की कीमत
100 रूपए प्रद्रत द्रकलो से ज्यादा है। ऐसे में एक गरीब व्स्तक्त दाल
भी नहीां खरीद सकता है। बढते समय के साथ महंगाई मे भी हर
दिन बढत हो रही है। महंगाई को हम कुछ इस प्रकार समझ
सकते है जब मूलभूत वस्ुो के िाम आसमान छूने लगते है।पैसो
का मूल्य दगरना और िाम बढने को महंगाई कहा जाता है।
महंगाई बढते ही कमाई कम हो जाती है और खर्च बढ जाता है।
महंगाई के दवरोध मे कई बार प्रिर्चन होते है, रै दलया दनकलती है
और मार्च दनकलते है। महंगाई हमारे िे र् मे एक बड़ी और गंभीर
समस्या के रूप मे सामने आई है। समय के साथ महंगाई और
भ्रष्टार्ार के कारण हमारे िे र् की हालत कुछ ऐसी हो गई है दक
अमीर और अमीर होता जा रहा है, गरीब गरीबी के िलिल मे
फस रहा है।कई बार पयायचवण के कारण भी गरीब आती है
अगर फसल के समय कोई आपिा आ जाती है और फसल
खराब हो जाती है तो उस पररवार का भरण पोषण रूक जाता है।
आई के प़िने द्रकसे कहा रन नौकरी से द्रमलने वाले खचव से घर
चलाना मुस्तिल हो जाता है।उपभोक्ता और सरकार के बीच
अच्छे गठबांधन से महांगाई पर लगाम कसी जा सकती है। महांगाई
बढते ही सरकार दे श मे ब्याज दर बढा दे ती है। सरकार द्वारा तय
की हुई राद्रश का आम आदमी तक पहुचना बेहद जरूरी है।
इससे गरीबी मे भी द्रगरावट आएगी और लोगो के जीने के िर मे
भी सुधार आएगा।समय समय पर यह जाांच करना जरूरी है द्रक
कोई व्ापारी या द्रफर कोई अन्य व्स्तक्त काला बाजारी या
मुनाफाखोरी का काम तो नही कर रहा है। समय समय पर यह

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सवे कराना भी जरूरी है द्रक बाजार मे द्रकसी विु का दाम
द्रकतना है, यह तय मानक से ज्यादा तो नही है। मूल सुद्रवधाओ
और अनाज के दाम समय समय पर दे खने होगे क्ोद्रक मनुष्य
जीवन के द्रलए अनाज बेहद जरूरी है।

(ख) स्वच्छता ना केवल हमारे घर सडक तक के द्रलए ही जरूरी


नहीां होती है। यह दे श ओर राष्टर की आवश्यकता होती इससे ना
केवल हमारा घर आँगन ही स्वच्छ रहेगा पूरा दे श ही स्वच्छ
रहेगा। इसी को मद्दे नजर रखते हुए भारत सरकार द्वारा चलाई जा
रही स्वच्छ भारत अद्रभयान जो द्रक हमारे दे श के प्रत्येक गाांव और
शहर में पराम्भ की गई है । जो दे श के प्रत्येक गली गाांव की
प्रत्येक सडकोां से लेकर शौचालय का द्रनमावण कराना और दे श के
बुद्रनयादी ढाांचे को बदलना ही इस अद्रभयान का उद्दे श्य है।
सांक्रमण फैलाने वाले कीटाणु मल से मुँह तक कैसे पहुँचते हैंैंः
सांक्रद्रमत व्स्तक्त के मल में हजारोां की सांख्या में कीटाणु एवां कीडोां
के अण्डे पाये जाते हैं। गन्दे हाथोां, अांगुद्रलयोां या प्रदू द्रषत भोजन
एवां पानी द्वारा यह मुँह तक पहुँचते हैं। मल जद्रनत रोगोां से बचाव
हेतु आवश्यक है द्रक मल के कीटाणुओ ां को मुँह तक पहुँचने से
रोका जाए।

1. पीने के द्रलए स्वच्छ जल प्रयोग करें ।


2. शौच के उपरान्त हाथोां को साबुन पानी से अवश्य धोएँ । यद्रद
साबुन उपलब्ध न हो तो ताजी राख या साफ रे त का प्रयोग करें ।
3. बतवनोां को हमेशा साफ पानी से धोएँ ।
4. बतवनोां को धोने के द्रलए हमेशा साबुन, ताजी राख या साफ रे त
का प्रयोग करें ।
5. कभी भी द्रमट्टी से बतवन व हाथ न धोएँ ।
6. हमेशा खाना बनाने व खाने से पहले हाथोां को साबुन से धोएँ ।
7. कच्ी सब्जी व फलोां को अच्छी तरह से स्वच्छ पानी से धोएँ ।

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8. खाना बनाने व पीने के पानी को हमेशा ढककर रखें।
9. खाने को मस्तियोां से बचाएँ ।
10. बाजार की खुली चीजें खरीद कर न खाएँ ।
11. हमेशा शौचालय का प्रयोग करें ।
12. यद्रद शौचालय नहीां है तो मल त्यागने के बाद उसे द्रमट्टी से
ढक दें ।
13. शौचालय को पानी के स्रोत से कम से कम 20 मीटर की दू री
पर बनाएँ ।

(ग)हम अपना जीवन जी रहे हें या काट रहे हें, यह जानना हमारे
द्रलए बहुत जरूरी है | जीवन काटने का अथव यह है द्रक हम
पूणवत: अबोधी जीवन जी रहे है द्रजसकी पररणद्रत हमारा सम्पूणव
द्रवनाश है | इसके ठीक द्रवपरीत ‘बोधी-जीवन’ रक्षा, सुख-
समृद्धी, शाांद्रत और द्रवकास लाता है | ‘मनुष्य-जीवन’ प्रकृद्रत का
दु लवभ, अद्रत सुन्दर तथा सववश्रेष्ठ उपहार है | आत: इसे सत्यम ,
द्रशवम् ,सुिरम के आधार पर जीने क प्रयास करना चाद्रहये |
हमारी आधुद्रनक जीवन-शैली, कैसी होां गयी है इसके कुछ
द्रववरण से हम सब को यह जानकारी द्रमलती है द्रक -

“हमने ऊांचे-ऊांचे भवन बना द्रलए, लेद्रकन हमें छोटी सी बात पर गुस्सा
आ जीजाता है | हमने आने-जाने के द्रलए खूब चौडे मागव तो बना द्रलए
लेद्रकन हम सांकुद्रचत द्रवचारोां से बुरी तरह ग्रि हैं | हम अनावश्यक
खचव करते हैं और बदले में काम बहुत कम होता है | हम खरीदते
बहुत अद्रधक हैं द्रकन्तु आनांद कम उठा पाते हैं | हमारे घर बहुत बडे
बडे हैं द्रकन्तु उन मे रहने वाले पररवार छोटे हैं | हमारे पास सुद्रवधाएां
बहुत हैं द्रकन्तु समय कम| हमारे पास द्रडद्रग्रयाां बहुत हैं लेद्रकन “कायव-
बोध” बहुत कम| हमारे पास ज्ञान बहुत है लेद्रकन ठीक द्रनणवय लेने की
क्षमता कम है| हम बहुत द्रनपुण हैं लेद्रकन समस्याओां में उलझे रहते हैं

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| हमारे पास दवाईयाां अद्रधक हैं द्रकन्तु स्वास्थ्य कम है |हम अद्रधक
खाते-पीते हैं द्रकन्तु हँसते कम हैं | तेज़ गाडी चलाते हैं और जल्दी
नाराज़ होां जाते हैं | रात दे र तक जागते हैं और सुबह थकान के साथ
उठते हैं| कम प़िते हैं और अद्रधक टी.वी. दे खते हैं | हम प्राथवना कम
करते हैं और दू सरोां से घृणा और ऩिरत अद्रधक | हमने रहने का
तरीका सीख द्रलया है द्रकन्तु हमें जीना नहीां आया | हम चाँद पर जा कर
लौट आये लेद्रकन पडोसी से नहीां द्रमलते | हमने बाहरी क्षेत्र जीत
द्रलये द्रकन्तु भीतर से टू टे और हारे हुए हैं | हमने बडे बडे काम द्रकये
द्रकन्तु बेहतर नहीां| हमने घर-कोद्रठयाां बहुत सा़ि कर द्रलए लेद्रकन
आत्मा दू द्रषत कर ली| हमने ‘अणु’ पर द्रवजय प्राप्त कर ली लेद्रकन
अहांकार से हार गए | हम द्रलखते अद्रधक हैं लेद्रकन समझते कम हैं|
हम योजनायें अद्रधक बनाते हैं पर उन्ें पूणव कम ही करते हैं| हम
दौडते अद्रधक हैं और इां तज़ार कम करते हैं |

उत्तर 13: थाना अध्यक्ष


मध्प्प्रदे श पुद्रलस
भोपाल, अयोध्या नगर

द्रदनाांक – 12/07/19

द्रवषय – अपराधोां के रोकथाम हेतु पत्र

महोदय,
मै इां िपुरी का रहने वाला रहवासी हां, आजकल हमारे क्षेत्र में अपराध
बहुत ब़िने लगे हैं। कल ही एक चैन चोरी हुई एक मद्रहला की, एक

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हफ्ते पहले एक लडकी से कुछ लडकोां ने छे डछाड की। अगर ऐसे ही
अपराध ब़िते रहे तो लोगोां का पुद्रलस पर से द्रवश्वास उठ जाएगा कृपा
करके इां अपराधोां के रोकथाम हेतु प्रयत्न कररए।
धन्यवाद
आलोक कुमार

अथवा

बी 222 शाांद्रत नगर


द्रदल्ली, 502030

द्रदनाांक – 12/09/19

द्रप्रय गौरव,
आशा करता हां तुम्हारा स्वास्थ्य अच्छा होगा। मै परसो अपने घर वापस
पहुांच गया , द्रकांतु द्रशमला की वाद्रदयोां का दृश्य नज़रोां से का ही नहीां
रहा। यह ग्रीष्मकालीन का अवकाश मेरे द्रलए सबसे यादगार अवकाश
रहेगा, मैंने प्रकृद्रत को पास से जाना और उसका आनांद उठा पाया,
और इसका पूरा श्रेय तुमको जाता है। धन्यवाद मझे अपना शहर
द्रदखाने के द्रलए।
तुम्हारा सोनू

उत्तर 14: “ भाइयोां और बहनोां”!!!!! हमारे दू सरे भाई बहन सांकट में है
हमें उनकी मदद करनी होगी “ आओ सब साथ द्रमलकर हाथ बताटे
हैं”

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अथवा

“सफल पेन”

द्रलखे हजार द्रकलोमीटर तक, सफलता दे सभी को”

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