You are on page 1of 21

कक्षा-नवम दवषय-द ोंिी चक्र सोंख्या-1

दवषय वस्तु-दचत्र वर्णन, अपदित गद्ाोंश, रै िास के पि, शब् और पि, अनुस्वार-अनुनादसक,
सोंदध,पत्र।

रै िास (स्मरर्ीय तथ्य)


रै िास ईश्वर की भखि में लीन ो चुके ैं , उन्हें राम नाम की रट लग चुकी ै, व क ते ैं दक
य राम नाम की रट छूट न ी ों सकती। वे स्वयों को पानी में चोंिन के समान और अपने प्रभु को
चोंिन के समान बताते ैं और क ते ैं दिस प्रकार पानी में के घुलने पर उसकी सुगोंध कर्-कर्
में व्याप्त ो िाती ै िीक उसी प्रकार उनके प्रभु उस सुगोंध की भााँदत उनमें समाए हुए कदव स्वयों
को मोर और ईश्वर को बािल बताते ैं। दिस प्रकार घने बािल को िे ि मोर नाचने लगता ै िीक
उसी प्रकार क प्रभु की भखि में मोर की भााँदत नाचते र ते ैं। व ईश्वर को चोंद्रमा और स्वयों को
चकोर की उपमा िे ते ैं िो अपने दप्रय को एकटक दन ारते र ते ै। कदव ईश्वर की तुलना िीपक
और अपनी तुलना उसमें दिन रात िलने वाली बाती से करते कदव क ते ैं दक उनके ईश्वर मोती
ैं तो व धागा ैं दिसमें मोती दपरोया िाता ै। कदव क ते ैं ईश्वर ने उन्हें इस प्रकार शुद्ध कर
दिया ै दिस प्रकार सोने को सु ागा शुद्ध कर िे ता ै। रै िास के इन पिोों से दसद्ध ोता ै दक
उनका अपने ईश्वर के साथ अभेि सोंबोंध ै।

1- दिए गए दृश्य को ध्यान से िे खिए और दृश्य को आधार बनाकर उसका वर्णन लगभग (100)
शब्ोों में कीदिए।

2 - अपदित गद्ाोंश को पढ़कर उत्तर दलखिए।


यह घटना सत्र 1899 की है। उन दिन ों क लकाता में प्लेग हुआ था। शायि ही क ई ऐसा घर बचा था जहााँ
यह बीमारी न पहुाँची ह ।ऐसी दिकट स्थिदत में भी स्वामी दििेकानोंि और उनके कई दशष्य र दगय ों की सेिा
सुश्रूषा में जुटे हुए थे।िे अपने हाथ ों से नगर की गदलयााँ और बाजार साफ करते थे और दजस घर में प्लेग
का क ई मरीज ह ता था, उन्हें ििा आदि िे कर उनका उपचार करते उसी िौरान कुछ ल ग स्वामी दििेकानोंि
के पास आए। उनका मुस्थिया ब ला, 'स्वामी जी, इस धरती पर पाप बहुत बढ़ गया है ,इसदलए प्लेग की
महामारी के रूप में भगिान सभी क िों ड िे रहे हैं।पर आप ल ग ों क बचाने का यत्न कर रहे है। ऐसा
करके आप भगिान के कायों में बाधा डाल रहे हैं।
' मोंडली के मुस्थिया की कील जैसी बातें सुनकर स्वामी जी गोंभीरता से ब ले ,"सबसे पहले त मैं आप सब
दिद्वान ों क नमस्कार करता हाँ।' इसके बाि स्वामी जी ब ले. 'आप सब यह त जानते ही ह ग
ों े के मनुष्य इस
जीिन में अपने कम ों के कारण कष्ट और सुि पाता है। ऐसे ज व्यस्थि कष्ट से पीद़ित है और त़िप रहा
है. यदि िू सरा व्यस्थि उसके घाि ों पर मरहम लगा िे ता है त यह स्वयों ही पुण्य का अदधकारी बन जाता
है। अब यदि आपके अनुसार प्लेग से पीद़ित ल ग पाप के भागी हैं त हमारे काययकताय इन ल ग ों की मिि
कर रहे हैं त िे पुण्य के भागी बन रहे हैं। बताइए दक इस सोंिभय में आपक क्या कहना है ?' उनकी बात
सुनकर सभी ल ग भौचक्के रह गए और चुपचाप दसर झुकाकर िहााँ से चले गए।
प्रश्न- 1. कोलकाता में कौन-सी महामारी फैली थी?
(क) चेचक (ि) प्लेग (ग) हैजा (घ) स्वाइन फ्लू
2. महामारी के विषय में कुछ लोगोों की धारणा थी वक-
(क) यह ईश्वर का कहर है। (ि) ििाओों द्वारा इसकी र कथाम सोंभि है।
(ग) इस पर दनयोंत्रण असोंभि है। (घ) ल ग ों क उनके पाप का िों ड दमल रहा है।
3. कुछ लोगोों की दृवि में वििेकानोंद जी द्वारा पीव़ितोों की सेिा करना था-
(क) ल क-कल्याण में बाधा (ि) ल क-कल्याण में सहायता
(ग) ईश्वर के कायय में बाधा (घ) ईश्वर के कायय में सहायता
4. स्वामी वििेकानोंद जी के अनुसार उनके तथा काययकतायओ ों द्वारा वकया जा रहा कायय था-
(क) मानि दचत कमय (ि) पाप कमय
(ग) समाज सेिा (घ) पुण्य का कायय
5. उपरोक्त गद्ाोंश का उवित शीषयक हो सकता है -
(क) िों ड (ि) कमों का फल
(ग) महामारी (घ) पाप और पुण्य।
3 - शब् और पि-

• ध्वकनयों का साथयक समूह शब्द कहलाता है । वाक्य में प्रयुक्त शब्द पद कहलाता है ।
• एक से अकधक वणों के मेल से बने साथयक वणय - समूह शब्द कहलाते हैं।
• शब्द वणों के मेल से बनते हैं।
• शब्द साथयक वणय समूह या अक्षर-समूह होते हैं।
• वणों का वही समूह शब्द कहलाता है, किसका प्रयोग स्वतंत्र रूप से होता है , िैसे- रमेश, शतरं ि,
राधा, पुस्तक, मेज़ आकद।
• वाक्य में प्रयुक्त शब्द पद कहलाता है ।
प्रश्न-
1. शब्द ककसे कहते है ? उदाहरण दे कर समझाइए |
2. स्रोत या उत्पकि के आधार पर शब्द के ककतने प्रकार के होते है ? उनके नाम बताइए।
3. व्याकरकणक प्रकायय के आधार पर शब्द के ककतने भेद है ? उन्हें स्पष्ट कीकिए।
4. शब्द तथा पद में अंतर स्पष्ट कीकिए।

4 - अनुस्वार व अनुनादसक-
अनुस्वार या (कबंदु) -अनुस्वार एक व्यंिन ध्वकन है । इसके उच्चारण में नाक से अकधक सााँस कनकलती है और
मुख से कम िैसे- अंक, अंश, पंच, अंग आकद। अनुस्वार की ध्वकन प्रकट करने के कलए वणय पर कबंदु लगाया
िाता है। अनुस्वार को वणयमाला का पंचम वणय भी कहा िाता है।
अनुनाकसक या (चंद्रकबंदु) का प्रयोग उच्चारण की उस अवस्था में होता है , िब मुख और नाक दोनों से हवा
कनकले, लेककन नाक से बहुत कम और मुाँह से अकधक सााँस कनकलती है , इन्हें चंद्रकबंदु भी कहते हैं , िैसे-
दााँत, आाँ ख, चााँद आकद। चंद्रकबंदु या अनुनाकसक का प्रयोग प्रायः सभी स्वरों के साथ होता है।

बहुदवकल्पीय प्रश्न
1. 'िण्डा' शब् में उदचत स्थान पर अनुस्वार (क) अंबर (ख) सवााँरना (ग) कुवांरा (घ) गाँभीर
लगाकर मानक रूप दलखिए। 4. दनम्नदलखित में से दकस शब् में अनुस्वार का
(क) ठं डा (ख) ठाँ डा (ग) ठडााँ (घ) ठडां स ी प्रयोग हुआ ै ?
2. 'मञ्ञू' शब् में उदचत स्थान पर अनुस्वार का (क) साँहार (ख) कसं (ग) संयंत्र (घ)साँलाप
प्रयोग कर उसका मानक रूप क्या ोगा? 5. 'सयम' शब् का उदचत मानक रूप क्या ोगा?
(क) मंिू (ख) मिू (ग) मिूं (घ) मंिू (क) संयंम (ख) सयंम (ग) संयम (घ) सयम
3. दनम्नदलखित में से दकस शब् में अनुस्वार का
स ी प्रयोग हुआ ै?
5 - सोंदध
1- िो वर्ों के मेल से ोने वाले दवकार को क ते ै। 5- द माोंशु शब् का सोंदध-दवच्छे ि कीदिए।
(क) संकध (ख) समास (ग) उपसगय (घ) प्रत्यय (क) कहम+अंशु (ख) कहमा+अंशु
2- स्वर सोंदध दकतने प्रकार की ोती ै। (ग) कहम+आशु (घ) कहमांश+आशु।
(क) दो (ख) तीन (ग) चार (घ) पााँच
6- 'द मालय' शब् का सोंदध-दवच्छे ि ै।
3- 'सावधान' का स ी सोंदध दवच्छे ि ै।
(क) कहमा+आलय (ख) कहमा+लय
(क) साव + धान (ख) स + वधान
(ग) कहम+आलय (घ) कहम+अलय
(ग) स+अवधान (घ) स+आवधान।
7- िो वर्ों के मेल को क्या क ते ै?
4- नादवक में कौन सी सोंदध ै- 8- सोंदध के दकतने भेि ै?
(क) नौ+इक (ख) नौ+कवक 9- 'िे वालय' शब् का सोंदध-दवच्छे ि कीदिए।
(ग) ना+कवक (घ) नौ+आकव 10-'पुस्तक+आलय' का सोंदध कीदिए l

6 - पदित पािोों के आधार पर बहुदवकल्पी प्रश्नोों के उत्तर िीदिए- ( रै िास के पि )

(1) कदव की दृदि में गरीबोों और िीन िु खियोों का (ग) बेटा (घ) लडाने के कलए
रक्षक कौन ै? (4) कदव ने भगवान को दकन दकन नामोों से
(क) श्रीकृष्ण (ख) ईश्वर (ग) दे वी दे वता (घ) अमीर वगय पुकारा ै ?
(2) दनम्नदलखित कोदट के लोगोों को गोदवोंि कैसे (क) गरीबकनवािु (ख) गुसईआ
तारते ैं? (ग) गोकबंदु (घ) उपयुयक्त सभी
(क) अचल संम्पकत दे कर (ख) भक्त बना कर (5) प्रस्तुत पि की भाषा ै-
(ग) कबना डरे ऊाँचा बना कर (घ) धन दौलत दे कर (क) ब्रि (ख) सधुकक्कडी
(3) ’लाल’ शब् का प्रयोग दकसके दलए दकया गया (ग) खडी बोली (घ) अवध
ै (क) ईश्वर (ख) स्वामी

7-रै दास की भक्तक्त की कवशेषताओं का वणयन अपने शब्दों में कीकिए ।


8-पत्र-लेिन-आपका कमत्र अपने स्कूल की किकेट टीम का कैप्टन है । टीम ने किला स्तरीय टर ॉफी िीती है ,
उसे बधाई पत्र कलक्तखए।

2-दगल्लू क ानी के आधार पर स्पि कीदिए दक य क ानी मारे स्वभाव में िीव प्रेम को दवकदसत
करती ै।
3- ‘दगल्लू एक अत्योंत सोंवेिनशील और नटिट प्रार्ी ै ’-अपने शब्ोों में उत्तर दलखिए।
कक्षा-नवम दवषय-द ोंिी चक्र सोंख्या – 2

दवषय बस्तु- दचत्र वर्णन, अपदित गद्ाोंश, दगल्लू, उपसगण-प्रत्यय ,दवराम दचह्न, अनुच्छेि लेिन।

----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

दगल्लू (म त्वपूर्ण तथ्य)


1-दगल्लू’ क ानी के माध्यम से म ािे वी वमाण ने पशु-पदक्षयोों के स्वभाव और उनकी िीवन-शैली
को अदभव्यखि िी ै। य ी न ी ों य क ानी लेखिका के िीव-प्रेम और उनके प्रदत िया भाव को
व्यि करती ै। लेखिका ने घायल दगल री के बच्चे का उपचार दकया। अपने घर में उसके र ने
और िाने का प्रबोंध दकया। उन्होोंने अपने पररवार के सिस्य की तर उसकी िे िभाल की और उसे
‘दगल्लू’ नाम दिया। कुछ ी समय में लेखिका और दगल्लू के बीच आिीय सोंबोंध स्थादपत ो गए।
दगल्लू भी समय-समय पर लेखिका के प्रदत अपने स्ने को िशाणया करता था। व अपने नन्हे नन्हे
पोंिोों से लेखिका के बालोों को स लाया करता। अतः इन्ही ों सब सोंिभोों के आधार पर क ा िा सकता
ै दक बेिुबान िीव-िोंतुओ ों अथवा प्रादर्योों में भी सोंवेिनाएाँ ोती ैं। उन्हें में प्रेम एवों आिीयता से
पालकर घर के सिस्योों के समान रिना चाद ए। प्रादर्योों के प्रदत प्रेम और िया-भाव मारे िीवन के
सुनेपन को समाप्त करता ैइस प्रकार इस क ानी से स्पि ोता ै दक म प्रादर्योों के प्रदत प्यार,
अपनत्व और ममत्व रिकर उन्हें अपना दमत्र बना सकते ैं

4-लेखिका और दगल्लू के आखिक सोंबोंध दकस प्रकार आपको आकदषणत करते ै । दगल्लू के सौियं
का वर्णन अपने शब्ोों में कीदिए।
5- सोंकेत दबोंिुओ के आधार पर अनुच्छेि-दलखिए—

मनुष्य िीवन- “पयाणवरर् सोंरक्षर् और प्रिू षर् की समस्या”


*मनुष्य का िीवन *प्रिू षर् का अथण *प्रिू षर् के प्रकार *प्रिू षर् के कारर् *स्वस्थ पयाणवरर्
*समाधान

दिए गए दृश्य को ध्यान से िे खिए और दृश्य को आधार बनाकर उसका वर्णन लगभग (100) शब्ोों में
कीदिए।

2- अपदित गद्ाोंश को पढ़कर उत्तर दलखिए।


प्राचीन काल में शदन क अमोंगलकारी यह समझ दलया था। सुनी सुनाई बात ों के आधार पर ल ग ों में इस
ग्रह के बारे भ्ाोंदतयाों फैलाई और िह आगे फैलती चली गई। यह यह अत्योंत भोंि गदत से सूयय के चार ों ओर
करीब तीस िषय में एक चक्कर पूरा करता है। शदन का दिन हमारे दिन से छ टा ह ता है। शदन अत्योंत ठों डा
ग्रह है। शदन के िायुमोंडल का तापमान शून्य से 150 सेंटीग्रेड नीचे रहता है। अत: यहााँ जीिन सोंभि नहीों
है। िैज्ञादनक ि ज ों के आधार पर शदन के उपग्रह ों की सोंख्या सत्रह ह गई है। शदन का सबसे ब़िा चोंद्र
टाइटन है। यह उपग्रह हमारे उपग्रह चोंद्रमा से काफी ब़िा है। टाइटन की अिभुत चीज इसका िायुमोंडल
है। इसके िायुमोंडल में मीथेन गैस पयायप्त मात्रा में है। इस पर म थेन, पानी की तरह बह सकती है। शदन
क िू रबीन से िे िा जाए त इसके चार ों ओर िलय या घरे दििाई िे ते हैं। इन िलय या कोंकण ों से इसकी
सुोंिरता कभी बढ़ जाती है। इन िलय ों की ि ज गैलीदलय ने की थी। नई ि ज ों के आधार पर सौरमोंडल
के कई ग्रह ों के िलय ों की ि ज ह चुकी है। शदन दजतने सुोंिर और स्पष्ट िलय दकसी ग्रह के नहीों है।
उपयुयि गद्ाोंश क पढ़कर सही दिकल्प क चुनकर दलस्थिए-

(क) शवनग्रह की सुोंदरता का कारण है - (ग) धरती का उपग्रह है -


(i) इसका सबसे छ टा ह ना (i) बुध (ii) शदन (ii) चोंद्रमा (iv) सूयय।
(ii) सबसे अलग ह ना (घ) मोथेन गैस को वकसके समान माना गया
(iii)इसके चार ों और चमकते घेरे है?
(iv)इसका सूयय के समीप ह ना। (i)अदि (ii) पानी (iii) दमट्टी (iv) र शनी।
(ख) शवन पर जीिन सोंभि नही ों है, क्ोोंवक- (ङ) शवन के िलयोों की खोज करने िाले
(i) िहााँ क्रूर िे ि है (ii) बहुत गमी है िैज्ञावनक -
(iii) बहुत ठों ड है (iv) बहुत अाँधेरा है। (i) आइनस्टाइन (ii) न्यूटन
(iii) सी०िी० रमन (iv) गैलीदलय

2 - व्याकरर् अभ्यास
1-दवराम दचह्न की दृदि से कौन-सा वाक्य अशुद्ध ै ? 4-पूर्ण दवराम के बाि सवाणदधक प्रयुि ोने वाला
दवराम दचह्न ै ।
(a) यह ईमानदार, पररश्रमी, कमयठ और मृदुभाषी है। (a) कवस्मयाकदधक (b) प्रश्नवाचक
(b) उसके पास धन-वैभव, नौकर-चाकर आकद सभी कुछ (c) अल्प कवराम (d) अधय कवराम
है।
(c) मेरा यही कवचार है। 5-एक वाक्य या वाक्याोंश में एक ी तर के पि, शब्,
(d) आप हमारे घर आना चाहते हैं , तो आइए ठहरना पिबन्ध या वाक्याोंश एक साथ आने पर लगाया िाता
चाहते है , तो ठहररए। ै।
(a) अल्पकवराम (b) अधयकवरा
2- दवराम दचह्न की दृदि से कौन-सा वाक्य अशुद्ध ै? (c) कवस्मयाकदबोधक (d) पूणय कवराम
(a) मही कल मैं तुम्हारे घर नहीं आ सकूाँगा। स ी उपसगण व प्रत्यय छााँटकर दलखिए।
(b) मैं क्या कहता ? दनम्नदलखित समें कौन-सा उपसगण स ी ै?
(c) महक, राकगनी, श्वेता आकद भी आई हैं , ये सब बहनें है। 1- िु राचार - (क) दु (ख) दु : (ग) दु र् (घ) दु र
(d) उसने पूछा, "तुम कहााँ थे?" 2- सोंकल्प - (क) स (ख) सम् (ग) सङ् (घ) सन्
3-ि ााँ पूर्ण दवराम की अपेक्षा कम रुकना अपेदक्षत ो, 3- दनरपराध - (क) कनर् (ख) कन (ग) कनर (घ) कनरा
व ााँ दचह्न का प्रयोग दकया िाता ै। 4- अत्योंत - (क) अ (ख) अकत (ग) अत् (घ) आ
(a) अद्ध कवराम (b) संक्षेप कचह्न 5 शब्ोों के अोंत में लगने वाले शब्ोों को क्या क ते ै ।
(c) अल्प कवराम (d) कोष्ठक (क)समास (ख) कनपात (ग) उपसगय (घ) प्रत्यय

कक्षा-नवम दवषय-द ोंिी चक्र सोंख्या-3


दवषय वस्तु-दवषय-वस्तु- दचत्र वर्णन, अपदित गद्ाोंश, वाक्य भेि, सोंवाि लेिन, िु ि का अदधकार।

1 - दिए गए दृश्य को ध्यान से िे खिए और दृश्य को आधार बनाकर उसका वर्णन लगभग (100)
शब्ोों में कीदिए।

2 - अपदित गद्ाोंश को पढ़कर उत्तर दलखिए।


काशी के सेठ गोंगािास एक दिन गोंगा में स्नान कर रहे थे दक तभी एक व्यस्थि निी में कूिा और डु बदकयााँ िाने लगा।
सेठजी तेजी से तैरते हुए उसके पास पहुाँचे और दकसी तरह िीोंचकर उसे दकनारे ले आए। िह उनका मुनीम नोंिलाल था।
उन्ह नों े पूछा, 'आपक दकसने गोंगा में फेंका?' नोंिलाल ब ला, 'दकसी ने नहीों, मैं त आत्महत्या करना चाहता था।' सेठजी ने
इसका कारण पूछा त उसने कहा, 'मैंने आपके पााँच हजार रुपये चुराकर सट्टे में लगाए और हार गया। मैंने स चा दक आप
मुझे जेल दभजिा िें गे इसदलए बिनामी के डर से मैंने मर जाना ही ठीक समझा।' कुछ िे र तक स चने के बाि सेठजी ने
कहा, तुम्हारा अपराध माफ दकया जा सकता है लेदकन एक शतय है दक आज से कभी दकसी प्रकार का सट्टा नहीों लगाओगे।'
नोंिलाल ने िचन दिया दक िह अब ऐसे काम नहीों करे गा। सेठ ने कहा, 'जाओ माफ दकया। पााँच हजार रुपये मेरे नाम घरे लू
िचय में डाल िे ना।' मुनीम भौोंचक्का रह गया। सेठजी ने कहा, 'तुमने च री त की है लेदकन स्वभाि से तुम च र नहीों ह ।
तुमने एक भूल की है, च री नहीों। ज आिमी अपनी एक भूल के दलए मरने तक की बात स च ले, िह कभी च र ह नहीों
सकता।'

प्रश्न- 1. सच्चे भक्त से तात्पयय है - 3. हमें समाज में वकस िीज़ का डर सबसे ज्यादा होता
(क) दबना स्वाथय के पूजा करना है -
(ि) एक ही भगिान की पूजा करना (क) पररिार का (ि) रुतबे का
(ग) र ज मोंदिर जाना (ग) नौकरी का (घ) बिनामी का
(घ) अपने धमय में कट्टरता
4. सेठजी को मालूम था वक मुनीम िोर है लेवकन वफर
2. मुनीम आत्महत्या क्ोों करना िाहता था- उन्ोोंने उसे छो़ि वदया क्ोोंवक-
(क) जीिन से छु टकारा पाने के दलए (क) भूल सुधारने का मौका िे ना चाहते थे।
(ि) सेठजी क प्रभादित करने के दलए (ि) िु दनया क प्रभादित करना चाहते थे।
(ग) अपराध ब ध ह ने के कारण (ग) बाि में उसे जीिनभर गुलाम बनाना चाहते थे।
(घ) िु दनया क दििाने के दलए (घ) समाज में अपनी प्रदतष्ठा बढ़ाना चाहते थे

5- गद्ाोंश का उवित शीषयक हो सकता है -


(क) च री की सजा (ि) मेरा प्रण
(ग) सेठजी की ियालुता (घ) मुनीम जी का िु ि

3 - बहुदवकल्पीय प्रश्न-
अथण की दृदि से वाक्य के दकतने भेि ोते ैं ?
(क) तीन (ख) पााँच (ग) सात (घ) आठ
2. 'िो पररश्रम करे गा व सफल ोगा -अथण के 5. 'आि व बािार में सौिा बेचने चली गई। ाय रे
आधार पर वाक्य का कौन सा भेि ै ? पत्थर दिल!' वाक्य अथण की दृदि से दकस वगण में
(क) संदेहवाचक (ख) संकेतवाचक आएगा?
(ग) कवधानवाचक (घ) कवस्मयवाचक (क) कवधानवाचक (ख) इच्छावाचक
(ग) कवस्मयवाचक (घ) संदेहवाचक
3. 'िैसी नीयत ोती ै अल्ला भी वैसी ी बरकत
िे ता ै ' वाक्य अथण की दृदि से दकस प्रकार का वाक्य 6. शायि उन्हें मेरी बात बुरी लग गई ोगी' वाक्य में
ै। अथण की दृदि से कौन सा भेि ै ?
(क) इच्छावाचक (ख) कनषेधवाचक (क) कनषेधवाचक (ख) संदेहवाचक
(ग) आज्ञावाचक (घ) संकेतवाचक (ग) आज्ञावाचक (घ) संकेतवाचक

4. 'लड़का परसोों सुब मुाँ अाँधेरे बेलोों में से पके 7. अनेक बार िे िा दक केवल थोड़ी िू र के बाि कोई
िरबूिे चुन र ा था' वाक्य अथण की दृदि से दकस ऊाँची चढ़ाई न ी ों ै। अथण की दृदि से वाक्य का प्रकार
प्रकार का वाक्य ै ? बताइए।
(क) कवधानवाचक (ख) संदेहवाचक (क) कवधानवाचक (ख) संदेहवाचक
(ग) कवस्मयवाचक (घ) इच्छावाचक (ग) आज्ञावाचक (घ) कनषेधवाचक

4 - दकसी एक दवषय पर सोंवाि दलखिए-


1-'मंहगाई और कपसता आदमी' कवषय पर दो सामान्य व्यक्तक्तयों के बीच 40 शब्दों में संवाद कलक्तखए।
2-अध्यापक और कवद्याथी के आपसी संवाद को लगभग 40 शब्दों मे कलक्तखए।

5 - पाि िु ि का अदधकार - पडोस की दु कानों के तख्ों पर बैठे या बािार में खडे लोग घृणा में उसी स्त्री के संबंध
में बात कर रहे थे। स्त्री का रोना दे खकर मन में एक व्यथा-सी उठी पर उसके रोने का कारण िानने का उपाय क्या
था? फुटपाथ पर उसके समीप बैठ सकने में मेरी पोशाक ही व्यवधान बन खडी हो गई। एक आदमी ने घृणा से एक
तरफ थूकते हुए कहा, िमाना है ! िवान लडके को मरे पूरा कदन नहीं बीता और बेहया दु कान लगाके बैठी है। " दू सरे
साहब अपनी दाढी खुिाते हुए कह रहे थे, "अरे िैसी नीयत होती है अल्ला भी वैसी ही बरकत दे ता है।" सामने के
फुटपाथ पर खडे एक आदमी ने कदयासलाई तीली से कान खुिाते हुए कहा, "अरे , इन लोगों का क्या ये कमीने लोग
रोटी के टु कडे पर िान दे ते हैं। इनके बेटा-बेटी, खसम-लुगाई, धमय-ईमान सब रोटी का टु कडा है।"
(i) बािार में लोग बूढ़ी स्त्री को दकस दृदि से िे ि (ग) भीड के कारण (घ) पोशाक के कारण
र े। (iv) बूढ़ी स्त्री के प्रदत लोगोों की घृर्ा का क्या
(क) ईर्ष्ाय की दृकष्ट से (ख) घृणा की दृकष्ट से कारर् था?
(ग) प्रेम की दृकष्ट से (घ) दया की दृकष्ट से (क) उसका गरीब तथा लाचार होना
(ii) रोती हुई स्त्री को िे िकर लेिक को कैसा (ख) बेटे की मृत्यु के अगले कदन खरबूिे बेचना
लगा? (ग) उसकी पोशाक का गंदा होना
(क) लेखक का मन व्यकथत हो गया। (घ) उसका चररत्रहीन होना
(ख) लेखक पर कोई प्रभाव नहीं पडा (v) "अरे िैसी नीयत ोती ै अल्ला भी वैसी ी
(ग) लेखक को संतुकष्ट हुई बरकत िे ता ैं" पोंखि से दकस भाव का बोध ो
(घ) लेखक वहााँ खडा नहीं हो पाया र ा ै?
(iii) बूढ़ी औरत का ाल पूछने में लेिक को (क) व्यंग्य का भाव (ख) दु ः ख का भाव
दकसके कारर् परे शानी हुई? (ग) सहानुभूकत का भाव (घ) समरसता का भाव
(क) दु कानदार के कारण (ख) बच्चों के कारण

पाि से म त्वपूर्ण तथ्य


लेिक ने क ा ै दक मनुष्योों की पोशाकें उन्हें दवदभन्न श्रेदर्योों में बााँट िे ती ैं। प्रायः पोशाक ी
समाि में मनुष्य का अदधकार और उसका ििाण दनदित करती ै। म िब झुककर दनचली श्रेदर्योों
की अनुभूदत को समझना चा ते ैं तो य पोशाक ी बोंधन और अड़चन बन िाती ै। बािार में
िरबूिे बेचने आई एक औरत कपड़े में मुों दछपाए दसर को घुटनोों पर रिे रो र ी थी। पड़ोस के
लोग उसे घृर्ा की निरोों से िे िते ैं और उसे बुरा-भला क ते ैं। पास-पड़ोस की िु कानोों से पूछने
पर पता चलता ै दक उसका तेईस बरस का लड़का परसोों सुब सााँप के डसने से मर गया था।
िो कुछ घर में था, सब उसे दविा करने में चला गया था। घर में उसकी बहू और पोते भूि से
दबल-दबला र े थे। इसदलए व बेबस ोकर िरबूिे बेचने आई थी तादक उन्हें कुछ खिला सके;
परों तु सब उसकी दनोंिा कर र े थे, इसदलए व रो र ी थी। लेिक उसके िु ि की तुलना अपने
पड़ोस की एक सोंभ्ाोंत मद ला के िु ि से करने लगता ै दिसके िु ि से श र भर के लोगोों के मन
उस पुत्र-शोक से द्रदवत ो उिे थे। लेिक सोचता चला िा र ा था दक शोक करने, गम मनाने के
दलए भी सहूदलयत चाद ए और िु ः िी ोने का भी एक अदधकार ोता ै।
प्रश्न-‘िु ि का अदधकार’ क ानी मारे समाि में गरीब लोगोों की मानदसक और आदथणक खस्थदत को
उिागर करती ै-स्पि कीदिए।
कक्षा-नवम दवषय द ोंिी चक्र सोंख्या-4
दवषय वस्तु-दचत्र वर्णन, अपदित गद्ाोंश, र ीम के पि,अनुस्वार-अनुनादसक,शब् और पि, स्वर
सोंदध,अनुच्छेि लेिन।
------------------------------------------------------------------------------------------------------------‐------------
1 - दिए गए दृश्य को ध्यान से िे खिए और दृश्य को आधार बनाकर उसका वर्णन लगभग (100) शब्ोों
में कीदिए।

2 - अपदित गद्ाोंश
ब़िी चीजें ब़िे सोंकट ों में दिकास पाती हैं, ब़िी हस्थियााँ ब़िी मुसीबत ों में पलकर िु दनया पर कब्ता करती
हैं। अकबर ने तेरह साल की उम्र में अपने बाप के िु श्मन क पराि कर दिया था दजसका एकमात्र कारण
यह था दक अकबर का जन्म रे दगिान में हुआ था और िह भी उस समय, जब उसके बाप के पास एक
किूरी क छ ़िकर और क ई िौलत नहीों थी।महाभारत में िे श के प्रायः अदधकाोंश िीर कौरि ों के पक्ष में
थे। मगर दफर भी जीत पाोंडि ों की हुई, क्य दों क उन्ह न
ों े लाक्षागृह की मुसीबत झेली थी, क्य दों क उन्ह न
ों े बनिास
के ज स्थिम क पार दकया था। साहस की दजोंिगी सबसे ब़िी दजोंिगी ह ती है। ऐसी दजिगी की सबसे ब़िी
पहचान यह है दक िह दबल्कुल दनडर दबल्कुल बेिौफ ह ती है। साहसी मनुष्य की पहली पहचान यह है दक
िह इस बात की दचोंता नहीों करता दक तमाशा िे िन िाले ल ग उसके बारे में क्या स च रहे हैं। जनमत की
उपेक्षा करके जीने िाला आिमी िु दनया की असली ताकत ह ता है औन मनुष्यता क प्रकाश भी उसी आिमी
से दमलता है । अ़ि स-प़ि स क िे िकर चलना, यह साधारण जीि का काम है। क्राोंदत करने िाले ल ग अपने
उद्दे श्य की तुलना न त प़ि सी के उद्दे श्य से करते हैं और न अपनी चाल क ह प़ि सी की चाल िे िकर
मस्थिम बनाते हैं।
प्रश्न-1. इस गद्ाोंश का उपयुक्त शीषयक दीवजए- (क) सोंकट और दिकास (ि) दहम्मत और दजोंिगी
(ग) साहस की आिश्यकता (घ) स्वादभमानी जीिन। (क) िह आस-प़ि स क िे िकर चलता है
2. पाोंडिोों की जीत के पीछे क्ा कारण बताया (ि) िह जनमत की उपेक्षा करता है
गया है? (ग) िह मनमानी करता है
(क) सत्य की शस्थि (ि) कृष्ण का साथ (घ) िह ल ग ों की दनोंिा की परिाह नहीों करता
(ग) भाग्य का साथ (घ) सोंकट ों का मुकाबला। 5. क्ाोंवतकारी लोग-
3. क्ोवकों साहस की वजोंदगी सबसे ब़िी वजोंदगी (क) दनडर ह कर मनमानी करते हैं
होती है य दकस प्रकार का वाक्य ै (ि) दनडर ह कर अपने लक्ष्य क पूरा करते हैं
(क) सरल िाक्य (ि) सोंयुि िाक्य (ग) आस-प़ि स की दचोंता करते हैं
(ग) दमश्र िाक्य (घ) जदटल िाक्य (घ) अपने साथ आस-प़ि स क भी प्रेररत करते हैं
4. साहसी मनुष्य की पहिान क्ा है ?

3 - सोंदध
(i) 'धरे श का स ी सोंदध दवच्छे ि ै - (ग) गौ + अक (घ) गै+ यका
(क) घर + ईश (ख) धरा + ईश (v)'चरर्ामृत' में प्रयुि सोंदध का नाम ै -
(ग) धरा + इशा (घ) धर+एश (क) दीघय संकध (ख) गुण संकध
(ii)सप्तदषण का स ी सोंदध-दवच्छे ि ै - (ग) यण संकध (घ) अयाकद संकध।
(क) सप्ता + ऋकष (ख) सात+ऋकष (vi) ज्ञानेंद्र में प्रयुि सोंदध का नाम ै -
(ग) सप्त + ऋकष (घ) इनमें से कोई नहीं। (क) दीघय संकध (ख) गुण संकध
(iii) प्रत्युपकार' का स ी सोंदध दवच्छे ि ैं - (ग) यण संकध (घ) अयाकद संकध।
(क) प्रती + उपकार (ख) प्रत् + उपकार (vii) 'अत्याचार' में प्रयुि सोंदध का नाम ै -
(ग) प्रकत + उपकार (घ) प्रकत + अपकार (क) दीघय संकध (ख) गुण संकध
(iv)'गायक' का स ी सोंदध-दवच्छे ि - (ग) यण संकध (घ) अयाकद संकध
(क) गे+इक (ख) गै+ अक
4 - अनुस्वार
1. अनुस्वार की दृदि से शुद्ध शब् कौन-सा ै ? (क) पतंग (ख) साँस्था (ग) आनाँद (घ) शकंर
(क) परतन्त्र (ख) परतंत्र (ग) परतंत्र (घ) परतत्र 4. दनम्नदलखित में से अनुस्वार के उदचत प्रयोग वाला
2. दनम्नदलखित में से दकस शब् में अनुस्वार का प्रयोग शब् कौन-सा ै ?
स ी न ी ों हुआ ै ? (क) कम्पन (ख) संकध (ग) पुयं (घ) कंगन
(क) संकल्प (ख) उपंरात (ग) भयंकर (घ) कदसंबर 5. 'सम्बन्ध' में उदचत स्थान पर अनुस्वार लगाने पर
3. दनम्नदलखित में से अनुस्वार की दृदि से स ी शब् मानक रूप कौन-सा ै ?
कौन-सा ै ? (क) सम्बंध (ख) संबन्ध (ग) संबंध (घ) संबंध।

5-काव्याोंश को पढ़कर बहुदवकल्पीय प्रश्नोों के उत्तर दलखिए ----


रद मन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय।
टू टे से दफर न दमले,दमले गााँि परर िाय।।

(क) कदव दकस धागे को कभी न तोड़ने के दलए क र ा ै ?


1 - रे शमी 2 - सूती 3 – टू टे हुए 4 – प्रेम रूपी

(ि) प्रेम का धागा टू टने पर क्या ोता ै ?


1. िुडता नही 2. गाठ पड िाती है 3.पहले िैसा नहीं िुडता 4. टू टा ही रह िाता

(ग) प्रेम रूपी धागा तोड़ने का क्या पररर्ाम ोता ै?


1- अखंड नही रहता 2- गााँठ नही पडती है 3- मन में गााँठ रह िाती है 4-पूरा ही अच्छा रहता है
घ) 'धागा प्रेम का' में क्या अोंलकार ै -
1- उपमा 2- रूपक - 3- श्लेष 4- अनुप्रास
(ड़) प्रेम रूपी धागा िुड़ िाने पर क्या ोता ै ?
1-संबंधों में मधुरता नहीं रहती 2-मन में कववाद उत्पन्न होते है
3-व्यवहार में कठोरता आती है 4-शंका रूपी गााँठ बनी रहती है

6-रवहमन दे खख ब़िे न को, लघु न दीवजए


डार जहााँ काम आिे सूई, कहा करे
तलिारर ।।"

(i)ब़िी िीज को दे खकर वकसी छोटी िीज की (iii) प्रस्तुत दोहे में सुई वकसका प्रतीक है ?
उपेक्षा नही ों करने का क्ा अथय है ? (क) शस्थिशाली का (ि) छ टे या कमज र
(क) केिल छ टी चीज ही काम की ह ती है । (ग) ब़िे या प्रभािशाली का (घ) असमथय का।
(ि) ब़िी चीज का महत्त्व सब जगह ह ता है ।
(ग) हर चीज का अपना महत्त्व है। (iv) प्रस्तुत दोहे के माध्यम से कवि क्ा कहना
(घ) छ टी चीज कम काम की ह ती है। िाहता है ?
(क) सभी का अपना-अपना महत्त्व है।
(ii) कवि के अनुसार सूई के स्थान पर क्ा काम (ि) क ई िू सरे का िान नहीों ले सकता।
नही ों आता है? (ग) ब़िे क िे िकर छ टे की उपेक्षा नहीों करनी चादहए
(क) तार (ि) ड री (ग) धागा (घ) तलिार (घ) उपर ि सभी।
(iii)छोटी-से-छोटी िस्तु का अपना महत्त्व है , इस बात को वसद्ध करने के वलए रहीम ने वकसका
उदाहरण वदया है ?
(क) समुद्र और मछली का (ि) सूई और धागे का (ग) कमल और कीचड का (घ) सूई और तलवार का ।

6 - अनुच्छेि लेिन-
*गुम ोती च च ा ट - *पकक्षयों का कलरव। *अतीत और वतयमान *कारण? *उपसंहार।

_________________________________________________________________________________________________
कक्षा-नवम दवषय-द ोंिी चक्र सोंख्या-5
दवषय वस्तु-दचत्र वर्णन, अपदित गद्ाोंश, र ीम के पि, अनुस्वार-अनुनादसक, उपसगण प्रत्यय पत्र-लेिन।

1- वदए गए दृश्य को ध्यान से दे खखए और दृश्य को आधार बनाकर उसका िणयन लगभग(100)शब्ोों
में कीवजए।


2-रहीम के दोहे महत्वपूणय कबंदु-----
क)प्रेम आपसी लगाव और दवश्वास के कारर् ोता ै। यदि एक बार य लगाव या दवश्वास टू ट िाए
तो दफर उसमें प ले िैसा भाव न ी ों र ता।
(ि) में अपना िु ि िू सरोों पर प्रकट न ी ों करना चाद ए, क्योोंदक सोंसार उसका मिाक उड़ाता ै। में
अपना िु ः ि अपने मन में ी रिना चाद ए।
(ग) र ीम ने सागर की अपेक्षा पोंक िल को धन्य इसदलए क ा ै क्योोंदक सागर का िल िारा ोता
ै, व दकसी की प्यास न ी ों बुझा सकता िबदक पोंक िल धन्य ै दिसे पीकर छोटे -छोटे िीवोों
की प्यास तृप्त ो िाती ै।
(घ) एक प्रमुि कायण को करने से सब कायण उसी प्रकार दसद्ध ो िाते ैं दिस प्रकार िड़ को सी ोंचने
से फल, फूल आदि सब दमलते ैं।
(ङ) िल ीन कमल की रक्षा सूयण भी इसदलए न ी ों कर पाता क्योोंदक िल से ी कमल की प्यास बुझती
ै, व खिलता ै और िीवन पाता ै। कमल की सोंपदत्त िल ै। अपनी सोंपदत्त नि ोने पर
िू सरा व्यखि साथ न ी ों िे सकता।
(च) अवध नरे श श्री रामचोंन्द्र अपने माता-दपता की आज्ञा का पालन करने के दलए िब चौि वषण
वनवास कर र े थे तब वे दचत्रकूट िैसे रमर्ीय वन में रुके थे। कदव दवपिा पड़ने पर ईश्वर की
शरर् में िाने की बात क र े ैं क्योोंदक मुसीबत में वन भी रािभवन दििाई िे ता ै।
(छ)नट कुडली को समेटकर झट से ऊपर चढ़े िाने की कला में दसद्ध ोता ै ,उसी तर िो ा छों ि में
अक्षर कम ोने पर भी उसका अथण ग रा ोता ै।
(ि) मोती का पानी उतर िाने पर उसकी चमक समाप्त ो िाती ै तो उसका कोई म त्त्व न ी ों र
िाता। मनुष्य का पानी उतरने से आशय मनुष्य का मान-सम्मान समाप्त ो िाता ै। सूिा
आटा पानी के दबना दकसी का भी पेट भरने में स ायक न ी ों ोता। इस प्रकार मोती, मनुष्य
और चून के दलए पानी का अपना दवशेष म त्त्व ै।
अपदित गद्ाोंश
जल और मानि-जीिन का सोंबोंध अत्योंत घदनष्ठ है ।िािि में जल ही जीिन है ।दिश्व की प्रमुि सोंस्कृदतय ों
का जन्म ब़िी-ब़िी नदिय ों के दकनारे ही हुआ है।बचपन से ही हम जल की उपय दगता,शीतलता और दनमयलता
के कारण और उसकी ओर आकदषयत ह ते रहे हैं।दकोंतु नल के नीचे नहाने और जलाशय में डु बकी लगाने
में ज़मीन-आसमान का अोंतर है।हम जलाशय ों क िे िते ही मचल उठते हैं ,उसमें तैरने के दलए।आज सियत्र
सहस्त् ों व्यस्थि प्रदतदिन सागर ,ों नदिय औ
ों र झील ों में तैरकर मन दिन ि करते हैं और साथ ही अपना शरीर भी
स्वि रिते हैं।स्वच्छ और शीतल जल में तैरना तन क स्फूदतय ही नहीों मन क शाोंदत भी प्रिान करता है।
तैराकी आनोंि की ििु ह ने के साथ-साथ हमारी आिश्यकता भी है। नदिय ों के आसपास गााँि के ल ग
स़िक न ह ने पर एक-िू सरे से तभी दमल सकते हैं जब उन्हें तैरना आता ह अथिा नदिय ों में नािें ह ।
प्राचीन काल में नािें थी? तब त आिमी क तैरकर ही नदिय ों क पार करना प़िता था। दकोंतु तैरने के
दलए आदिम मनुष्य क दनश्चय ही और पररश्रम करना प़िा ह गा,
क्य दों क उसमें अन्य प्रादणय ों की भााँदत तैरने की जन्मजात क्षमता नहीों है। जल में मछली जलजीि ों क स्वच्छों ि
दिचरण करते िे ि मनुष्य ने उसी प्रकार तैरना सीिने का प्रयत्न दकया और धीरे -धीरे उसने इस में इतनी
दनपुणता प्राप्त कर ली दक आज तैराकी एक कला के रूप में दगनी जाने लगी। दिश्व में ज भी िेल प्रदतय
आय दजत की जाती हैं, उनमें तैराकी प्रदतय दगता अदनिायय रूप से सस्थम्मदलत की जाती है।

प्रश्न- 1. तैराकी के द्वारा लाभ प्राप्त होते हैं - (ि) शारीररक स्फूदतय, सम्मान ि मानदसक शाोंदत
(क) मन दिन ि, शारीररक स्फूदतय ि मानदसक शाोंदत (ग) मन दिन ि, सम्मान ि मानदसक शाोंदत
(घ) मन दिन ि, शारीररक स्फूदतय ि सम्मान (क) अनायास प्राप्त हुई क्षमता
2. प्रािीन काल में तैराकी मानि के वलए (ि) भाग्य से प्राप्त क्षमता
आिश्यक थी, क्ोों? (ग) दनरों तर अभ्यास से प्राप्त क्षमता
(क) मछदलय ों क पक़िने के दलए (घ) जन्मजात क्षमता
(ि) एक-िू सरे तक पहुाँचने के दलए 5. तैराकी की विश्व में महत्ता प्रकट होती है -
(ग) प्रदतय दगताएाँ जीतने के दलए (क) तैराक ों क प्राप्त दिदशष्ट सम्मान द्वारा
(घ) मन रों जन का एकमात्र साधन ह ने के कारण (ि) दशक्षा-क्षेत्र में प्राप्त छूट द्वारा
3. आवदमानि को तैराकी की प्रेरणा वमली होगी- (ग) दिदभन्न िेल-प्रदतय दगताओों में िान प्राप्त ह ने
(क) जलचर ों द्वारा (ि) पूियज ों द्वारा से।
(ग) दनशाचर ों द्वारा (घ) नभचर ों द्वारा (घ) तैराक ों क प्राप्त आदथयक सहायता द्वारा

4. मनुष्य के वलए 'तैराकी' है -

3- वनम्नवलखखत शब्ोों से अनुस्वार और अनुनावसक शब्ोों को छााँट कर वलखखए-


1- सश धन 2- सस्कार 3- सभि 4- सशय 5- ठड
6- अगुली 7- िात 8- सकूगा 9- गाि 10- गूज ।
4- वनम्नवलखखत शब्ोों से उपसगय और प्रत्यय अलग-अलग कीवजए।
1- अदतररि 2- अनुराग 3- अदधगमन 4- अनुभि 5- अनुसार 6- उपिन 7- उन्नदत 8- प्रबल
1- अमरता 2- तरािट 3- चढ़ाई 4- िैज्ञादनक 5- रों गीन 6- रुकािट 7- सोंिान 8- उपय गी

5-वकसी एक विषय में पत्र वलखखए-


(क) दकसी पियतीय िान के सौोंियय का िणयन करते हुए दमत्र क पत्र दलस्थिए।
(ि) अपने दमत्र क व्यायाम का महत्व बताते हुए पत्र दलस्थिए।
___________________________________________________________________________
कक्षा-नवम दवषय-द ोंिी चक्र सोंख्या-6
दवषय वस्तु-दचत्र वर्णन, अपदित गद्ाोंश, एवरे स्ट मेरी दशिर यात्रा, अनुच्छेि लेिन, पत्र लेिन,
अनुस्वार- अनुनादसक l

1-एिरे स्ट के सौ ोंदयय की कल्पना करते हुए उसकी विवशिता का िणयन अपनी उत्तर पुखस्तका में
लगभग (30-40) शब्ोों में कीवजए।
सोंकेत-दबोंिु *ग्लेदसयर *बफय का प्लूम * िू र से ध्वज की तरह दििाई िे ना *दहमालय क िे ि भूदम भी
कहते है।
2-एवरे स्ट के दशिर पर चढ़ने में बचेंद्री पाल को दकन कदिनाईयोों का सामना करना पड़ा?अपने
शब्ोों में दलखिए।
3-पाि से म त्वपूर्ण तथ्य-बचेंद्री बचपन से ी एवरे स्ट की चोटी पर पहुोंचने का सपना िे िती
थी ों। वे बहुत मे नती और िुझारू थी ों। बचेंद्री का िीवर बहुत सािगीपूर्ण था। वे ईश्वर में बहुत
दवश्वास रिती थी ों इसदलए वे एवरे स्ट पर पहुाँचने पर भी पूिा-अचणना से न ी ों चूकी ों। बचेंद्री बहुत
दनडर थी ों। चढ़ाई करते समय आने वाली मुखिलोों से भी वे घबराई न ी ों। उनमें स योग की भावना
भी समाद त थी, वे अपने
स योदगयोों की र सोंभव स ायता के दलए तत्पर थी ों। वे अपने माता-दपता से भी बहुत प्रेम करती
थी ों तभी तो एवरे स्ट की चोटी पर पहुाँचकर उन्हें सवणप्रथम अपने माता-दपता का ी ध्यान आया।
----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
4-वदए गए दृश्य को ध्यान से दे खखए और दृश्य को आधार बनाकर उसका िणयन लगभग (100)
शब्ोों में कीवजए।

5- अपवठत गद्ाोंश
दजोंिगी जीने के दलए है, दबताने के दलए नहीों और दजोंिगी िही जीता है , दजसमें आत्मदिश्वास है। जीिन क
जीतने की सोंज्ञा िी गई है । इसमें िही दिजयी ह ता है दजसमें दृढ़ इच्छाशस्थि ह , ज कदठनाइय ों का सामना
कर सके। मनुष्य का जीिन एक कमयक्षेत्र है , एक सोंग्राम है , एक सोंघषय है जहााँ आरों भ से लेकर अोंत तक
कतयव्य क साहस और धैयय के साथ दनभाना प़िता है। साहस मनुष्य के मन का सम्राट है। साहस और
दनराशा ि न ों में दिर धाभास है। जब साहस मागय दििाता है , त अन्य मानदसक और शारीररक शस्थियााँ भी
जाग्रत ह कर दनराशा क समाप्त कर िे ती हैं। ठ कर िाकर दगरने में क ई अपराध नहीों है , अदपतु दगरकर
न उठना महा अपराध है । जब काली घटाएाँ व्यस्थि के दसर पर छा रही ह ,ों त दिद्वान ों की तरह याि
रिना चादहए दक काली घटाओों के पीछे सूरज चमक रहा है और घटाओों के सीमा पार करते ही प्रकाश
फैल जाएगा। मनुष्य का सबसे अोंधकारमय पक्ष उसका अपना मन ही है और मनुष्य का श्रेष्ठतम पक्ष उसके
मानदसक दिचार हैं। हर व्यस्थि की सफलता उसके हाथ में है। मैं समथय हाँ , मैं कर सकता हाँ , मैं पररस्थिदतय ों
ों गा। इस प्रकार के सकारात्मक दिचार व्यस्थि के मन बल क बढ़ाते हैं। सुि-िु ः ि का
पर दिजय प्राप्त करू
अहसास व्यस्थि की मनः स्थिदत पर दनभयर करता है। जहााँ से सहन करने की शस्थि समाप्त ह जाती है,
िहीों से िु ः ि प्रारों भ ह जाता है। मन बल ही जीिन-सुधा है। मानि-शस्थि की िािदिक सफलता उसकी
सोंकल्प-शस्थि ि मन बल पर दनभयर है।

(i) वजोंदगी िही जीता है -


(क) ज केिल जीतना जानता है (ग)दगरकर न उठना (घ) ठ कर िाकर दगरना
(ि) दजसमें आत्मदिश्वास ह ((iv) मनुष्य के सोंदभय में सबसे अच्छी बात है -
(ग) ज भाग्य पर भर सा करता है (क) मन के सकारात्मक दिचार
(घ) ज कदठनाइय ों से बचता है (ि) मन के नकारात्मक दिचार
(ii) लेखक ने मनुष्य-जीिन को क्ा माना है? (ग) मन की उलझनें
(क) िेल (ि) कौतुक (घ) मन की चोंचलता
(ग) सोंग्राम (घ) जुआ ((v) व्यखक्त के जीिन का मूल मोंत्र है -
(iii) सबसे ब़िा अपराध क्ा है ? (क) सूयय का प्रकाश (ि) मन बल
(क) हार जाना (ि) हार कर दगर जाना (ग) शारीररक सबलता (घ) सफलता
-6-अथण के आधार पर वाक्य भेि दलखिए—
1-उसने फूल सिा कदए हैं। 2-आप कमरे से चले िाइए। 3-क्या आप बाज़ार िा रहे है?

4- यकद आप भी घूमने चलें तोअच्छा रहे गा। 5- शायद सुनीता कायाय लय न िाए।

6-वह कल नहीं आएगा। 7-चंद्रमा की शीतलता अच्छी लगती है । 8- अरे , तुम आ गए हो!

9- यह उपन्यास मुंसी प्रेमचंद ने कलखा है । 10-क्या वह मेरे साथ चल सकता है।

11-पुकलस को दे खते ही चोर भाग गए। 12-आि अवश्य वषाय होगी। 13- शायद मनीषा दसवीं कक्षा में पढती है।

14- ककसान अपनी फसल दे ख कर अकत प्रसन्न हुआ। 15- क्या उसने अपनी परीक्षा की तैयारी कर ली?

7-ने ा और दन ाल के बीच दवद्ालय में ोने वाली गदतदवदधयोों को सोंवाि रूप में दलखिए।
पत्र लेिन-

कक्षा-नवम दवषय-द ोंिी चक्रसोंख्या –7

दवषय-वस्तु- स्मृदत दचत्र वर्णन, अपदित गद्ाोंश, सोंवाि लेिन, पत्र-लेिन, अनुच्छेि लेिन।

1- स्मृदत पाि के आधार पर लेिक की ब ािु री का वर्णन करे


*बहािु र *साहसी *कतयव्यदनष्ठ *आाँ ि ों से बात कर सुरदक्षत दनकल आना। *मौत क मात िे ने
िाला।
2-िक्षुश्रिा वकसे कहा जाता है ?
*आाँ ि ों से सुनने िाला *सााँप के कान नहीों ह ते है। *अदधक सतकयता से काम करना।
म त्वपूर्ण तथ्य------
बच्चे कौतु ल दप्रय, दिज्ञासु एवों उिाणवान ोते ैं। अपनी इन्ही ों दवशेषताओों और प्रवृदत्तयोों के कारर् कई बार
वे िोखिम भरा काम भी करते ैं। पाि में बच्चोों द्वारा झरबेरी के बेर और आम तोड़कर िाने में आनोंि का
अनुभव करना दसद्ध करता ै दक उन्हें शरारत करने में मिा आता ै। व मागण में पड़ने वाली र छोटी बड़ी
चीज़ से लुभादवत ोते ैं। छोटे -बड़े िीव-िन्तुओ ों को तोंग करते समय प्रसन्न ोते ैं। मुसीबत में पड़ने पर
रोने लगते ैं और मााँ को याि करने लगते ैं। लेिक का भाई भी कुएाँ में दचदियोों के दगरने से िूब रोने लगा।
इस प्रकार क ा िा सकता ै दक पाि में लेिक श्री राम शमाण ने बाल सुलभ स्वभाव और शरारतोों का ग न
अध्ययन कर उसका स्पि वर्णन दकया ै।
5- पत्र लेखन--
1- परीक्षा में अच्छे अोंक लाने पर अपने अनुज क बधाई पत्र दलस्थिए।
2- आप छात्रािास में रहते हैं। पत्र के माध्यम से अपने दपता जी क अपने परीक्षा की तैयारी के बारे में बताए।
6- अनुच्छेद लेखन--
(i) स्वािलोंबन / आत्मदनभयरता - सोंकेत दबोंिु- *स्वािलोंबन का अथय, *आत्मदिश्वास की भािना का दिकास,*
स्वािलोंबन के कुछ उिाहरण।
(ii) व्यायाम सुि का आधार - सोंकेत दबोंिु: *व्यायाम का अथय * व्यायाम के प्रकार *स्वास्थ्य पर प्रभाि *मानदसक
उत्साह।
7- सोंिाद लेखन-
1-ि दिद्ादथयय ों के बीच ह ने िाले िातायलाप (पुिक मााँगते हुए) क लगभग 40 शब् ों में दलस्थिए।
2-गााँि ों में बाढ़ आई है।ि दमत्र बाढ़ पीद़ित ों की सहायता के दलए जाना चाहते हैं।उनके मध्य हुए सोंिाि क 40
शब् ों में दलस्थिए।

8-दिए गए दृश्य को ध्यान से िे खिए और दृश्य को आधार बनाकर उसका वर्णन लगभग (100) शब्ोों में
कीदिए।
2- अपवठत गद्ाोंश- सोंसार के सभी िे श ों में दशदक्षत व्यस्थि की सबसे पहली पहचान यह ह ती है
दक िह अपनी मातृभाषा में िक्षता से काम कर सकता है। केिल भारत ही एक ऐसा िे श है
दजसमे दशदक्षत व्यस्थि िह समझा जाता है ज अपनी मातृभाषा में िक्ष ह या नहीों, दकोंतु
अोंग्रेजी में दजसकी िक्षता असोंदिग्ध ह । सोंसार के अन्य िे श ों में सुसोंस्कृत व्यस्थि िह समझा
जाता है दजसके घर में अपनी भाषा की पुिक ों का सोंग्रह ह और दजसे बराबर यह पता रहे
दक उसकी भाषा के अच्छे लेिक और कदि कौन है तथा समय-समय पर उनकी कौन-सी
कृदतयााँ प्रकादशत ह रही हैं। भारत में स्थिदत िू सरी है। यहााँ प्रायः घर में साज-सज्जा के
आधुदनक उपकरण त ह ते हैं दकोंतु अपनी भाषा की क ई पुिक या पदत्रका दििाई नहीों
प़िती। यह िु रििा भले ही दकसी ऐदतहादसक प्रदक्रया का पररणाम है , दकोंतु िह सुिशा
नहीों, िु रििा ही है और जब तक यह िु रििा कायम है , हमें अपने-आप क , सही अथों में
दशदक्षत और सुसोंस्कृत मानने का ठीक-ठीक न्यायसोंगत अदधकार नहीों है ।

प्रश्न-1. उपयुक्त शीषयक वलखखए- 4. भारत में वशवक्षत व्यखक्त वकसे माना जाता
(क) भारतीय दशदक्षत की पहचान है ?
(ि) दशदक्षत व्यस्थि की पहचान (क) दजसे दहोंिी आती ह
(ग) मातृभाषा का दतरस्कार (ि) दजसे अोंग्रेजी आती ह
(घ) भारतीय दशदक्षत ों का अोंग्रेजी-म ह। (ग) दजसे मातृभाषा आती ह
2. 'दु रिस्था' में कौन-सा उपसगय है ? (घ) दजसने अोंग्रेजी में पढ़ाई क ह ।
(क) िु (ि) िु र् 5. सोंसार के अन्य दे शोों में सुसोंस्कृत व्यखक्त
(ग) िु र (घ) आ। वकसे मानते हैं ?
3. यहााँ वकस ऐवतहावसक प्रवक्या की ओर (क) ज सोंस्कृत जानता ह
सोंकेत है? (ि)ज स्वभाषा जानता है
(क) भारत में बढ़ते भौदतकिाि की ओर (ग)दजसके घर में स्वभाषा की पुिकें ह
(ि) भारत में मुसलमान ों के आक्रमण की ओर (घ) दजसे स्वभाषा, स्वसादहत्य और लेिक ों से गहरा
(ग) भारत में अोंग्रेज ों की गुलामी की ओर जु़िाि ह ।
(घ) भारत के ल ग ों की स्वाथयपरता की ओर।
3- अथय की दृवि से इन िाक्ोों के भेद वलखखए--
1- शायिआज बाररश ह । 8- क्या सातिीों कक्षा के छात्र दपकदनक में
2- उसने मेरी बात नहीों मानी। जाएों गें।
9- आप िहााँ मत बैदठए।
3- शीला मेरी ब़िी बहन है।
10- शायि आज छु ट्टी ह जाए।
4- ईश्वर तुम्हारी रक्षा करे ।
11- यदि पररश्रम दकया ह ता त सफलता
5- गोंगा पदित्र निी है ।
दमलती।
6- निमी कक्षा के छात्र दपकदनक पर जाएों गे।
12- अहा! दकतना सुोंिर दृश्य है
7- आठिीों कक्षा के छात्र दपकदनक पर नहीों
जाएों गे।
कक्षा-नवम दवषय-द ोंिी चक्र सोंख्या-8
दवषय-वस्तु- तुम कब िाओगे,अदतदथ। वाक्य भेि, अनुच्छेि लेिन, पत्र-लेिन।

1 पवठत गद्ाोंश पढ़कर प्रश्नोों के उत्तर वलखखए ।


आज तुम्हारे आगमन के चतुथय दििस पर यह प्रश्न बार-बार मन में घुम़ि रहा है तुम कब जाओगे, अदतदथ?
तुम जहााँ बैठे दनस्सोंक च दसगरे ट का धुआाँ फेंक रहे ह , उसके ठीक सामने एक कैलेंडर है। िे ि रहे ह
ना। इसकी तारीिें अपनी सीमा में नम्रता से फ़िफ़िाती रहती हैं। दिगत ि दिन ों से मैं तुम्हें दििाकर
तारीिें बिल रहा हाँ। तुम जानते ह , अगर तुम्हें दहसाब लगाना आता है दक यह चौथा दिन है , तुम्हारे सतत
आदतथ्य का चौथा भारी दिन! पर तुम्हारे जाने की क ई सोंभािना प्रतीत नहीों ह ती। लाि ों मील लोंबी यात्रा
करने के बाि िे ि न ों एस्टर ॉनाट् स भी इतने समय चााँि पर नहीों रुके थे, दजतने समय तुम एक छ टी-सी
यात्रा कर मेरे घर आए ह । तुम अपने भारी चरण-कमल ों की छाप मेरी जमीन पर अोंदकत कर चुके, तुमने
एक अोंतरों ग दनजी सोंबोंध मुझसे िादपत कर दलया, तुमने मेरी आदथयक सीमाओों की बैंजनी चट्टान िे ि ली;
तुम मेरी काफी दमट्टी ि ि चुके। अब तुम लौट जाओ, अदतदथ! तुम्हारे जाने के दलए यह उच्च समय अथायत
हाईटाइम है। क्या तुम्हें तुम्हारी पृथ्वी नहीों पुकारती?
(i) लेखक के घर आए अवतवथ को वकतने (क) अदतदथ के िापस जाने की
वदन हो गए हैं? (ि) अदतदथ के िुश ह ने की
(क) केिल एक दिन (ि) चार दिन (ग) अदतदथ क परे शान करने की
(घ) केिल ि दिन (घ) पााँच दिन (घ) उपर ि सभी
(ii) लेखक को अवतवथ का िार वदन (iv) लेखक के घर अवतवथ कैसे आया
उसके घर पर रहना भारी क्ोों लग रहा था?
है? (क) लाि ों मील लोंबी यात्रा करके
(क) क्य दों क िह लेिक का सामान प्रय ग (ि) एक छ टी-सी यात्रा करके
कर रहा है।
(ग) कष्टपूणय यात्रा करके
(ि) क्य दों क िह स्वयों क लेिक के घर का
(घ) आरामिायक आनोंिपूणय यात्रा करके
मादलक समझ रहा है ।
(v) लेखक द्वारा बार-बार कैलेंडर की
(ग) क्य दों क उसके रहने से लेिक के घर
तारीख बदल कर वदखाने पर अवतवथ
का बजट दबग़ि गया है।
की क्ा प्रवतवक्या रही ?
(घ) क्य दों क िह बहुत अदधक भ जन ग्रहण
करता है। (क) िह स्वयों आत्मग्लादन से भर गया
(iii) अवतवथ के इतने वदन रुकने के बाद (ि) िह दनदश्चत भाि से दसगरे ट का धुआाँ
भी लेखक को क्ा सोंभािना प्रतीत नही ों उ़िाता रहा
हो रही है?
(ग) िह शीघ्र ही िापस घर जाने के दलए (vi) सोि कर दे खखए यवद आपके घर
तैयार ह गया आपके अवथवत िार वदन से अवधक रुकते
(घ) िह लेिक पर क्र दधत ह गया उत्तर है तो आपके घर की खस्थवत क्ा
िह दनदश्चत भाि से दसगरे ट का धुआाँ उ़िाता होगी?ििाय करे
रहा
योग्यता आधाररत प्रश्न--
2-अच्छा अवतवथ िही होता है जो समय पर अपने घर लौट जाता है ? आप अपने वििार व्यि
करे ।

2- पाि से स्मरर्ीय तथ्य


लेिक ने इस पाि में ऐसे पररवार का

वर्णन दकया ै, दिसमें एक अदतदथ का इसदलए अच्छा अदतदथ बनकर िो सूचना


आगमन ोता ै। पदत-पत्नी उनकी िे कर आता ै , एक िो दिन में दविा ोता
मे माननवािी में कोई कसर न ी ों ै ,व ी अच्छा अदतदथ ोता ै सूचना िे कर
छोड़ते। नौकरीपेशा िों पदत्त अपनी सीमा आता ै , एक िो दिन में दविा ोता
से अदधक िचण कर मे मान के दलए
ै ,व ी अच्छा अदतदथ ोता ै
पकवान बनाते ैं, दसनेमा दििाते
और इों तिार करते ैं दक व प्रसन्नतासे
दविा ले। अदतदथ िाने का नाम न ी ों अदतदथ िे वो भवः !
लेता। अपने दवचार प्रकट कीदिए—
चार दिनोों में उनके बीच र दवषय 1-‘तुम कब िाओगे,अदतदथ पाि का
पर बातें ो िाती ैं। मेिबान परे शान ै प्रदतपाद् अपने शब्ोों में दलखिए।
पकवान से खिचड़ी पर उतर आते ैं।
2-अदतदथ को िाने के दलए लेिक ने
मारी
सोंस्कृदत अदतदथ को िे वता मानती ै क्या-क्या सोंकेत दिए ै अपने शब्ोों में
मनुष्य की स नशखि की सीमा ोती ै दलखिए।

4-उपरोि दचत्र को िे िकर लगभग (100) शब्ोों में वर्णन कीदिए।


5-अथण की दृदि से इन वाक्योों के भेि दलखिए—
1- शायदआि बाररश हो। 2-उसने मेरी बात नहीं मानी। 3-शीला मेरी बडी बहन है।
4-ईश्वर तुम्हारी रक्षा करे ।-गंगा पकवत्र नदी है। 5-नवमी कक्षा के छात्र कपककनक पर िाएं गे।
6-आठवीं कक्षा के छात्र कपककनक पर नहीं िाएं गे।7-क्या सातवीं कक्षा के छात्र कपककनक में िाएं गें
8-आप वहााँ मत बैकठए। 9-शायद आि छु ट्टी हो िाए। 10-यकद पररश्रम ककया होता तो सफलता कमलती।

6-अनुच्छेि लेिन-
प्रिू षर् : समस्या व उपचार-
*ध्वदन, *वायु, *िल *प्रिू षर् *पयाणवरर् असोंतुलन *उपाय।
कक्षा-नवम दवषय-द ोंिी चक्र सोंख्या-9
दवषय-वस्तु-- व्याकरर् तथा लेिन अभ्यास,पाि अभ्यास।
------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
1-अपदित गद्ाोंश---

राष्टरीय एकता का अथय यह है कक दे श के सभी नागररक, चाहे वे ककसी भी संप्रदाय, िाकत, धमय, भाषा ककसी
भी क्षेत्र से सबंकधत हों,इन सब सीमाओं से ऊपर उठकर इस समूचे दे श के प्रकत वफादार और आत्मीयतापूणय
हों। इसके कलए यकद उनको अपने कनिी स्वाथय अथवा समूह के स्वाथय का भी त्याग करना पडे तो उसके कलए
उन्हें तैयार रहना चाकहए और उनके कलए दे श का कहत सवोपरर होना चाकहए। ककंतु कभी-कभी तो लगता है
कक दे श की स्वतंत्रता के बाद हम राष्टरीय एकता से कवमुख होकर राष्टरीय कवघटन की ओर अग्रसर हो रहे हैं।
स्वतंत्रता के पहले गांधीिी के नेतृत्व में पूरा दे श एक होकर अंग्रेिी साम्राज्य के कवरुद्ध लडा था। परं तु उसके
बाद पुनः हम धमय, भाषा, क्षेत्रीयता के नाम से आपसी झगडों में उलझ गए हैं। कई बार ऐसा लगता है कक
हमारे दे श में असकमया,बंगाली, पंिाबी, मराठा, मद्रासी इत्याकद तो हैं , पर भारतीय कवरले ही हैं। हमारा दे श
प्राचीन काल से ही कवकभन्न धमों, संप्रदायों,कवचारधाराओं तथा परं पराओं का समन्वय-स्थल रहा है परं तु आधुकनक
काल में िब से कवकभन्न धमों और संप्रदायों में अलगाव होने लगा, पारस्पररक द्वे ष, घृणा और संघषय बढने लगा,
तभी राष्टर प्रत्येक दृकष्ट से कमज़ोर होने लगा। रािनीकतक दल भइस पारस्पररक तनाव का लाभ उठाकर
रािनीकतक स्वाथय पूरा करने लगे। इसीकलए नेहरू िी ने कहा था, “मैं सांप्रदाकयकता को दे श का सबसे बडा
शत्रु मानता हाँ।“
प्रश्न- 1. रािरीय एकता का अथण ै
(क)परस्पर कवरोधी िाकतयों का एक होना (ख) एक-दू सरे के धाकमयक स्थलों के प्रकत श्रद्धा-भाव होना
(ग)कवकभन्न भाषा-भाकषयों में एक-दू सरे की भाषा के प्रकत लगाव होना
(घ)सभी भेदभावों को भूलकर दे श में एकता बनाए रखना।
2. ‘िे श का द त सवोपरर ोना चाद ए’-कथन का तात्पयण ै
(क)अपना काम छोडकर केवल दे श-सेवा (ख) दे श के कलए िाकतगत स्वाथों का त्याग
(ग)दे श के कलए अपनी कप्रय वस्तु का बकलदान (घ) स्वाथय त्यागकर दे श के कहत की कचंता।
3. लेिक को क्योों लगता ै दक म रािरीय दवघटन की ओर बढ़ र े ैं ?
(क)नागररकों के आपस में झगडने के कारण (ख)स्वाथय के कलए दे श के कहत का त्याग करने के कारण
(ग)धमय, भाषा और क्षेत्रीयता की भावना के कारण (घ)परस्पर ऊाँच-नीच के भाव के कारण।
4. लेिक के अनुसार रािर कमिोर क्योों ो र ा ै?
(क)क्षेत्रीयता के पनपने के कारण (ख)धमय के नाम पर आपसी झगडों के कारण।
(ग)रािनीकतक दलों की स्वाथी प्रवृकि के कारण (घ)सांप्रदाकयक अलगाव, द्वे ष और घृणा के कारण।
5. गद्ाोंश का उपयुि शीषणक ो सकता ै
(क)राष्टरीय एकता (ख) सांप्रदाकयकता (ग)धमय और संप्रदाय (घ) राष्टरीय कवचारधारा
2- प्रत्यय दकसे क ते ैं ? *उिा रर् सद त समझाइए।
3-दनम्नदलखित शब्ोों में से प्रत्यय अलग करके दलखिए ----
*लाकलमा, *गरमाहट*, *मातृत्व, *भौगोकलक,* लुटेरा, *कलखावट *कमलाप, *चालक,* लडाई, *अपमाकनत
*हवाई, *स्थानीय, *ऊाँचाई, *धाकमयक, *अकडयल, * गुिराती, *पल्लकवत, * कलकपक।
4-उपसगण दकसे क ते ैं ? *उिा रर् सद त समझाइए।
5-दनम्नदलखित शब्ोों में प्रयुि उपसगों को अलग कीदिए -----
*अध्यादे श, * उत्पकि, *उद्भव, *संचय, * अनाकद, *बेकसूर, * लावाररस, * कनडर, * दु बयल, *कवधाता,
*अत्यकधक, *समायोिन, * अनकधकार, * सपूत *कुसंग
6--अथण के आधार पर दनम्नदलखित वाक्योों के भेि दलखिए-----
(i) आप चुपचाप बैठे रकहए। (ii) वह कवद्यालय नहीं िाएगा। (iii) क्या तुम पुस्तक मेला दे खने चलोगे?
(iv) पररश्रम से भी कोई भी धनी व्यक्तक्त बन िाता है। (v) यकद तुम पररश्रम करते, तो अवस्य सफल होते।
(vi) भारत तेिी से कवकास कर रहा है। (vii) हम रात का खाना नहीं खाएं गे।
(viii) हम लोग कल तक नहीं लौट पाएाँ गे। (ix) उफ! पेट में बहुत ददय हो रहा है।
9-दनम्नदलखित वाक्योों को दनिे शानुसार पररवदतणत कीदिए
(i)क्या वह इतना बुक्तद्धमान है - (कनषेधवाचक) (ii) वाह ककतना सुंदर दृश्य! - (कवधानवाचक)
(iii)दाद िी ने मुझे पढने बैठाया -आज्ञावाचक (iv) अरमान पुस्तक पढता है। - (प्रश्नवाचक)
(v)उसके आने पर काययिम शुरू होगा- (संकेतवाचक) (vi)कवभा समय पर घर आती है। -आज्ञावाचक
(vii) रानी शीघ्र लौट आएगी। - कनषेधवाचक (viii)ओह! वह कगर पडा। - (कवस्मयवाचक)
10- दकसी एक दवषय पर पत्र दलखिए।

1-परीक्षा में अच्छे अोंक लाने पर अपनी ब न को बधाई-पत्र दलखिए।

11- उपरोि दचत्र को िे िकर लगभग 100 शब्ोों में वर्णन कीदिए।

12- दनिे शानुसार ‘सोंदध’ पर आधाररत बहुदवकल्पीय प्रश्नोों में से के उत्तर िीदिए।
(i)’पवन’ का सोंदध-दवच्छे ि कौन सा ै ? (क)पब+अन (ख) पो+अन (ग)पव+न (घ)पो +आन
(ii)अदभ+उिय का सोंदध ोगा- (क) अभ्युदय (ख)अभ्योदय (ग)अभीउदय (घ)अकभउदय
(iii)गुर् सोंदध का उिा रर् ै- (क)महकषय (ख)पावक (ग)अभ्युदय (घ) मतैक्य
(iv)’कवीश्वर’ शब् का स ी सखन्ध-दवच्छे ि बताइए- (क)ककव+ईश्वर (ख) ककवश+वर
(ग)ककव+इश्वर (घ) कवी +ईश्वर
13 दनिे शानुसार ‘दवरामदचह्नोों’ पर आधाररत बहुदवकल्पीय प्रश्नोों में से दकन्ही तीन प्रश्नोों के उत्तर िीदिए |
(i) आप की सामथ्यण को मैं िानता हूाँ वाक्य में कौन-सा दवराम दचह्न ोना चाद ए।
(क) कनदे शक कचह्न (ख) उद्धहरण कचह्न (ग) योिक कचह्न (घ) पूणय कवराम
(ii) अच्छा,अब मैं चलता हूाँ वाक्य में दकस दवराम दचह्न का प्रयोग हुआ ै?
(क) अद्धय कवराम (ख) कनदे शक कचह्न (ग) अल्प कवराम (घ) हंसपद कचह्न
(iii) (!) दकस दवराम दचह्न का दचह्न ै ?(क) कवस्मयाकद बोधक (ख) उद्धरण कचह्न (ग) अल्पकवराम
(घ) प्रश्नवाचक कचह्न।(iv) ि ााँ वाक्य की गदत अखन्तम रूप ले ले, दवचार के तार एकिम टू ट िाएाँ , व ााँ
दकस दचह्न का प्रयोग दकया िाता ै?(क) योिक (ख) अल्प कवरा (ग) उद्धरण कचह्न (घ) पूणय कवराम।
14-अपदित गद्ाोंश---आययभट्ट दकक्षणापथ में गोदावरी तटक्षेत्र के अश्मक िनपद में पैदा हुए थे, इसकलए बाद
में वे आश्मकाचायय के नाम से प्रकसद्ध हुए। बचपन से ही वे तेज़ बुक्तद्ध के थे। गकणत एवं ज्योकतष के अध्ययन
में उनकी गहरी रुकच थी। इन कवषयों का गहन अध्ययन करने के कलए ही वे अपने अश्मक िनपद से इतनी
दू र पाटकलपुत्र पहुाँचे थे।आययभट्ट आाँ ख मूाँदकर पुरानी गलत बातें मानने को तैयार नहीं थे और अपने कवचार
बेकहचक प्रस्तुत कर दे ते थे। ग्रहों के बारे में ही नहीं, आकाश की दू सरी अनेक घटनाओं के बारे में भी
उनके अपने स्वतंत्र कवचार थे। उस िमाने के प्राय: सभी लोग, ज्योकतषी भी, यही समझते थे कक हमारी पृथ्वी
आकाश में क्तस्थर है और सैकडों वषों से यही बात मानते आ रहे थे। ककसी ज्योकतषी के मन में इस सवाल
को लेकर कोई नई बात उठी भी होगी तो भी धमयग्रंथों के वचनों के क्तखलाफ आवाज़ उठाने का साहस उनमें
नहीं था।

1. आयणभट्ट को आश्मकाचायण क्योों क ा िाने लगा?

(क) आचायय होने के कारण (ख) अश्मक में अध्ययन करने के कारण
(ग) अश्मक में पैदा होने के कारण (घ) गोदावरी के तटक्षेत्र में रहने के कारण
2. आयणभट्ट पाटदलपुत्र क्योों गए?
(क) भ्रमण के कलए (ख) प्रवास के कलए (ग) कवद्याध्ययन के कलए (घ) घर से दू र रहने के कलए
3. ‘वे अपने दवचार बेद चक प्रस्तुत कर िे ते थे।‘ वाक्य से आयणभट्ट के व्यखित्व की दकस दवशेषता का
पता चलता ै?
(क) हठधकमयता का (ख) साहसी होने का (ग) उदार होने का (घ) ईमानदार होने का
4. प्राचीन काल के ज्योदतदषयोों के बारे में कौन-सा कथन असत्य ै?
(क) वे पृथ्वी को आकाश में क्तस्थर मानते थे (ख) वे साहसी थे (ग) उनके कवचार स्वतंत्र न थे
(घ) वे धमयग्रंथों की बातें सवोपरर मानते थे
5. दकनके वचनोों के खिलाफ़ ज्योदतषी और दवद्वान आवाज़ उिाने का सा स न ी ों करते थे?
(क) आचायों के (ख) धमयग्रंथों के (ग) रािाओं के (घ) नागररकों के

You might also like