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कुल 40 न के उ र द िजए।
खंड - अ (व तप
ु रक न)
(4) ‘ बादशाह सल
ु ेमान मानव जा त के साथ-साथ पशु प य के भी राजा ह।’ रे खां कत पदबंध का
भेद है -
(क) सं ा पदबंध
(ख) सवनाम पदबंध
(ग) वशेषण पदबंध
(घ) या वशेषण पदबंध
(5) 'ह रहर काका धीरे -धीरे चलते हुए आँगन तक पहुँचे।' रे खां कत पदबंध का भेद है-
(क) सं ा पदबंध
(ख) या पदबंध
(ग) वशेषण पदबंध
(घ) या वशेषण पदबंध
(2) ' हम जब अकेले पड़ते ह तब अपने आप से लगातार बड़बड़ाते रहते ह।' रचना के आधार पर
वा य भेद है-
(क) सरल वा य
(ख) संयु त वा य
(ग) म त वा य
(घ) सामा य वा य
(4) न न ल खत वा य म से संयु त वा य है -
(क) आपने मझ
ु े कारतस
ू दए इस लए आपक जान ब शी करता हूँ।
(ख) उसके अफ़साने सन
ु के रॉ बनहुड के कारनामे याद आ जाते ह।
(ग) वह एक छह मंिज़ल इमारत थी िजसक छत पर एक सद
ुं र पणकुट थी।
(घ) वा लयर से बंबई क दरू ने संसार को काफ़ कुछ बदल दया था।
(5) 'सभी लख चक
ु े ह ले कन कनक अभी तक लख रह है।' रचना के आधार पर इस वा य का
भेद होगा-
(क) सरल वा य
(ख) संयु त वा य
(ग) म वा य
(घ) वधानवाचक वा य
(5) 'चतुमख'
ु का समास व ह एवं भेद होगा -
(क) चतुर है जो - बहु ी ह समास
(ख) चार मख
ु - त पु ष समास
(ग) चार ह मख
ु िजसके अथात मा - बहु ी ह समास
(घ) चतुराई झलकती है िजसके मख
ु से अथात यि त वशेष - बहु ी ह समास
न 6 नदशानुसार मह
ु ावरे पर आधा रत छह बहु वक पीय न म से क ह ं चार न के उ र
द िजए- (1x4=4)
द ता: व भ न सा हि यक वधाओं को पढ़ते हए याकर णक संरचनाओं पर चचा/ ट पणी करते ह।
(1)मह
ु ावरे और अथ के उ चत मेल वाले वक प का चयन क िजए-
(क) गरह बाँधना - मार डालना
(ख)तलवार खींचना-सब कुछ न ट करना
(ग)प ने रं गना- यथ म लखना
(घ)कदम उठाना - सामना करना
(6)'अ य धक दख
ु ी होना' अथ के लए उपयु त मह
ु ावरा है-
(क) कड़वे घट
ूँ पीना
(ख) आपे से बाहर होना
(ग) कलेजा मँह
ु को आना
(घ) अ ल पर प थर पड़ना
(2) 'तव मख
ु पहचानँू छन- छन म' का भाव है -
(क) भु क स ा पर संदेह न करना।
(ख) येक जीव म परमा मा को दे खना।
(ग) ई वर के दशन क अ भलाषा रखना।
(घ) स माग पर चलकर जीवन यापन करना।
'रात दस दशाओं से कहगी अपनी कहा नयाँ' पर संगीतकार जय कशन ने आप क । उनका याल
था क दशक 'चार दशाएँ' तो समझ सकते ह- 'दस दशाएँ' नह ं। ले कन शैल प रवतन के लए
तैयार नह ं हुए। उनका ढ़ मंत य था क दशक क च क आड़ म हम उथलेपन को उन पर नह ं
थोपना चा हए। कलाकार का यह कत य भी है क वह उपभो ता क चय का प र कार करने का
य न कर और उनका यक न गलत नह ं था। यह नह ं, वे बहुत अ छे गीत भी जो उ ह ने लखे
बेहद लोक य हुए। शैल ने झठ
ू े अ भजा य को कभी नह ं अपनाया। उनके गीत भाव- वण थे- द ु ह
नह ं। 'मेरा जूता है जापानी, ये पतलन
ू इंग ल तानी, सर पे लाल टोपी सी, फर भी दल है
हंद ु तानी' - यह गीत शैल ह लख सकते थे। शांत नद का वाह और समु क गहराई लए हुए।
यह वशेषता उनक िज़ंदगी क थी और यह उ ह ने अपनी फ़ म के वारा भी सा बत कया था।
(1) गीत ‘रात दस दशाओं से कहगी अपनी कहा नयाँ’ पर संगीतकार जय कशन ने आप क
य क उनके अनस
ु ार -
(क) दस दशाओं का गहन ान दशक को नह ं होगा।
(ख) इससे दशक क चय का प र कार नह ं होगा।
(ग) जाग क दशक ऐसी प ट बात पसंद नह ं करते थे।
(घ) दशक क च के लए उन पर उथलापन नह ं थोपना चा हए।
(4) 'मेरा जूता है जापानी……. 'यह गीत शैल ह लख सकते थे ।लेखक वारा ऐसा कहा जाना
दशाता है, शैल के त उनका -
(क) कत यबोध
(ख) मै ीभाव
(ग) यि त व
(घ) अवलोकन
खंड - ब (वणना मक न)
(1) मण हम सभी के जीवन का अ भ न अंग है। अपनी य ततम दनचया के बीच चैन से भरे
कुछ पल शायद हम इसी कार नकाल सकते ह। शांत वातावरण म अपने तथा अपन के लए
जीवन यतीत करना आव यक है।
आपके वारा इस पा य म म पढ़े गए पाठ म चैन भरे पल बताने के लए लेखक ने या कया ?
या वा तव म सभी को इसक आव यकता है? अपने वचार य त क िजए।
द ता: अपने प रवेशगत अनभ
ु व पर अपनी वतं और प ट राय मौ खक एवं ल खत प म
य त करते ह।
अथवा
(1) वा य मं ालय वारा योग दवस के अवसर के चार सार के लए एक आकषक व ापन
लगभग 60 श द म तैयार क िजए।
अथवा
(2)लोकल फॉर वोकल ( थानीय उ पाद का योग ) के चार- सार के लए एक
आकषक व ापन लगभग 60 श द म तैयार क िजए।
न 18 (1) 'जैसा करोगे वैसा भरोगे' वषय पर लघु कथा लगभग 100 श द म ल खए।(5x1=5)
द ता: रे डयो, ट .वी. या प -प काओ व अ य य- य सं चार मा यम से सा रत, का शत प
को कथा सा ह य एवं रचनाओ पर मौ खक एवं ल खत ट पणी/ व लेषण करते ह।
अथवा
(2)आप वेता कपरू /शैलेश कपरू ह। आप वतमान प र े य म हंद क उपयो गता जानते ह इसी लए
यारहवीं क ा म व ान वषय के साथ भी हंद अ त र त वषय के प म पढ़ना चाहते ह। अपने
धानाचाय को व यालय के ईमेल पते पर ईमेल लखकर अनम
ु त ा त क िजए। ( श द-सीमा
लगभग 100 श द)
द ता: अपने आस-पास और कूल सा थय क ज़ रत को अपनी भाषा म अ भ य त करते ह।
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तदश नप (2022-23)
हंद (ब) कोड सं या 085
क ा – दसवीं पण
ू ाक:80
सामा य नदश :
(1) इस अंक योजना का उ दे य मू यांकन को अ धका धक व तु न ठ बनाना है । इस नप म
व तप
ु रक एवं वणना मक न ह। अत: अंक योजना म दए गए वणना मक न के उ र- बंद ु
अं तम नह ं ह। ये सुझावा मक एवं सांके तक ह।
(2) य द पर ु ं से भ न, कंतु उपयु त उ र द, तो उ ह अंक दए जाएँ।
ाथ इन सांके तक बंदओ
(3) समान ु टय के लए थान- थान पर अंक न काटे जाएँ।
(4) गुणव ापूण, सट क उ र पर शत- तशत अंक दे ने म कसी कार का संकोच न कया जाए।
(5) मू यांकन म 0 से 100 तशत अंक का पैमाना वीकाय है।
(6) मू यांकन काय नजी या या के अनस
ु ार नह ं, बि क अंक योजना के नदशानस
ु ार ह कया
जाए।
खंड - अ
न 1 अप ठत ग यांश पर आधा रत बहु वक पी न (1×5 =5)
(1×5 =5)
(1) (ख) सम वय
(2) (घ) मनोवां छत माग
(3) (क) सफल करते हुए वयं सफल होना
(4) (ख) मतभे द कम ह
(5) (ख) (i),(iii),(v)
खंड - ब (वणना मक न)
(2)
दे श क एकता अखंडता बनाए रखने के लए क टब ध
दे श भि त व दे श के वकास के लए यासरत
पाठ से सीख - ां तका रय क कुबा नय को याद करके एक संग ठत समाज
कृत संक प संग ठत समाज वारा सभी कुछ संभव
(3)
ेम केवल अपनापन दे खता है , जा त या धम नह ं
टोपी शु ला को अपनेपन क तलाश थी जो उसने इ फ़न क दाद म दे खी
टोपी को इ फ़न क दाद बहुत अ छ लगती थी और अपनी दाद से नफ़रत थी इसी लए टोपी
ने अपनी दाद को इ फ़न क दाद से बदलना चाहा
इ फ़न क दाद के यार व अपनापन से वह बहुत भा वत
वयं क दाद सदै व डाँटती रहती और कभी भी उसके मनोभाव को समझने का यास नह ं
करती
न 18 लघक
ु था अथवा ई-मेल लेखन लगभग 100 श द म ल खए।(5x1=5)
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