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Hindi
Previous Year Question Paper 2020
Series: JBB/5 Code no. 3/5/1
िह�ी (अ)
HINDI (A)
खंड क
लेिकन सृि�कता� ने मनु� की रचना करने म� अदू भुत साहस का प�रचय िदया है । उसने
मानव के अंतः करण को बाधाहीन बनाया है । हालाँिक बा� �प से उसे िवव�, िनर�
और दु ब�ल बनाकर उसके िच� को ��ं दता प्रदान की है । इस मु�� से आनंिदत
होकर मनु� कहता है - “हम असा� को संभव बनाएँ गे।” अथा�त् जो सदा से होता
आया है और होता रहे गा, हम उससे संतु� नही ं रह� गे। जो कभी नही ं �आ, वह हमारे
�ारा होगा | इसीिलए मनु� ने अपने इितहास के प्रथम युग म� जब प्रचंडकाय प्रािणयों
के भीषण नखदं तों का सामना िकया तो उसने िहरण की तरह पलायन करना नही ं
चाहा, न कछु ए की तरह िछपना चाहा। उसने असा� लगने वाले काय� को िस� िकया
- प�रों को काटकर भीषणतर नखदं तों का िनमा� ण िकया। प्रािणयों के नखदं त की
उ�ित केवल प्राकृितक कारणों पर िनभ�र होती है । लेिकन मनु� के ये नखदं त उसकी
अपनी सृि� िक्रया से िनिम�त थे। इसिलए आगे चलकर उसने प�रों को छोड़कर लोहे
के हिथयार बनाए। इससे यह प्रमािणत होता है िक मानवीय अंतः करण सं धानशील है ।
उसके चारों ओर जो कुछ है उस पर ही वह आस� नही ं हो जाता। जो उसके हाथ म�
नही ं है उस पर अिधकार जमाना चाहता है । प�र उसके सामने रखा है पर वह उससे
संतु� नही ं। लोहा धरती के नीचे है, मानव उसे बहाँ से बाहर िनकालता है । प�र को
िघसकर हिथयार बनाना आसान है लेिकन वह लोहे को गलाकर, साँचे म� डाल ढालकर,
हथौड़े से पीटकर, सब बाधाओं को पार करके, उसे अपने अधीन बनाता है । मनु� के
अंतः करण का धम� यही है िक वह प�रश्रम से केवल सफलता ही नही ं ब�� आनंद भी
प्रा� करता है ।
उ�र:
● बाधहीन;
●प्रचंडकाय प्रािणयों के भीषण नखदं तों का सामना करने के िलए िविभ� प्रयास-प�रों के
औजार, लोहे के हिथयार
उ�र:
उ�र - ध्ररती के नीचे से लोहा िनकाला, गलाया, साँ चे म� डालकर ढाला, हथौड़े से पीटा और
हिथयार बनाया;
खंड - ’ख’
(क) सब कुछ हो चुका था, िसफ� नाक नही ं थी। (रचना के आधर पर वा�-भेद
पहचानकर िल�खए)
(ख) थोड़ी दे र म� िमठाई की दु कान बढ़ाकर हम लोग घरौंदा बनाते थे। (िमश्र वा� म�
बदलकर िल�खए)
उ�र - वीभ� रस
खंड - ’ग’
सचमुच है रान करती है काशी-प�ा महाल से जैसे मलाई बरफ़ गया, सं गीत, सािह�
और अदब की ब�त सारी परं पराएँ लु� हो गई। एक स�े सुर-साधक और सामािजक
की भाँित िब���ा खाँ साहब को इन सबकी कमी खलती है । काशी म� िजस तरह
बाबा िव�नाथ और िब���ा खाँ एक-दू सरे के पूरक रहे ह� , उसी तरह मुहर� म-तािज़या
और होली-अबीर, गुलाल की गंगा-जमुनी सं �ृित भी एक-दू सरे के पूरक रहे ह� ।
(क) संगीत की कौन-सी परं पराएँ बदलते समय के अनुसार िवलु� हो गईं ?
उ�र:
(ख) बाबा िव�नाथ और िब���ा खाँ को एक-दू सरे का पूरक �ों कहा गया है ?
उ�र:
उ�र:
उ�र: ‘‘पतनशील सामंती समाज झूठी शान के िलए जीता है ’से अिभप्राय
(ग) ‘‘भगत की पुत्रवधू और भगत दोनों एक-दु सरे की िहत-िचंता म� िज़द पर अड़े थे’’ -
पुि� कीिजए।
उ�र:
● भगत को पुत्रवधू के भिव� की िचंता लगी रहती थी तथा वह पुनिव�वाह की िज़द पर अड़े
रहते थे I
● वही ँ दू सरी
ओर पुत्रवधू भी उनके रहने, खाने-पीने और बीमारी म� दे खभाल की िचंता और
उनके साथ ही रहने की िज़द पर डटी रहती थी I
(ड) ‘‘िव�ाथ� जीवन म� यो� िश�क सही िदशा िदखाने वाले माग�दश�क होते ह�’’ -
‘एक कहानी यह भी’ के आधर पर �� कीिजए।
उ�र:
बाँस था की बबूल?
उ�र:
(ख) अिनमेष दे खने का अथ� �� करते �ए िल�खए िक छोटे ब�े ऐसा �ों करते ह�?
उ�र:
●छोटे ब�े ऐसा इसिलएकरते है �ोंिक उनका नएपन के प्रित आकष�ण रहता है / वह
पहचानने की कोिशश करते है I / उ�� िज�ासा रहती है या कौतूहल आिद I
(ग) शेपफािलका के फूल झरने का �ा ता�य� है ? किव बाँस या बबू ल की सं�ा िकसे
दे रहा है और �ों?
उ�र:
● किव बाँ स या बबूल की सं�ा किव को / �यं को दे रहा है और जीवन म� सरसता के अभाव
के कारण
उ�र - शां त, िवनम्र, धीर-गंभीर, मया� िदत, बड़ों का स�ान, िमतभाषी आिद
उ�र:
●क्रां ितकारी �प -से अिभप्राय िव�ंस, बदलाव का आ�ान, नव-िनमा� ण की कामना करने
वाला �दय I
उ�र:
● ‘छाया मत छूना’ से अिभप्राय जीवन म� यश, वैभव, प्रभुता, भौितकता, बा� चमक-दमक
के पीछे भागना
उ�र:
(क) ‘माता का अँचल’ पाठ म� विण�त खेलों से आज के खेल िकतने अलग ह� , इसका
तुलना�क वण�न कीिजए।
(ख) पहाड़ी लोगों का जीवन मैदानी जीवन से अिधक संघष�पूण� होता है । ‘साना-साना
हाथ जोड़ी’ पाठ के आधर पर उदाहरण सिहत �� कीिजए।
उ�र: उदाहरण -
● सड़क बनाने हे तु ब�ों को साथ ले कर ��ायों �ारा प�र काटने जैसे कठोर प�रश्रम प�रश्रम
काय� करना पड़ता है
● गाँ व
म� लोग मात्र जानवरों के चारे के िलए स�ाह म� दो से तीन बार जंगलों म� जाते ह� । इस
तरह घर की रखवाली के िलए कोई नहीं होता। ब�ों को चारपाई से बाँ धकर अकेले ही छोड़
जाते ह� ।
उ�र: नए-नए �ाथ�पूण� सुझाव - मूित� के िलए प�र की तलाश, प�र की नाक की तलाश के
बहाने पैसे ऐंठना और सैर-सपाटा करना
खंड - ’घ’
● िकशोरों के आकष�ण-िबंदु
कुछ लोगों के िलए यात्रा करना समय की बबा� दी है । मठों म� जाना गुफाओं म� जाना महलों म�
जानाbपु�कालयों व िव�िव�ालयों म� जाना समय की बबा� दी नहीं ब�� जब हम ऐसे स्थानों
पर जाकर इन को छूकर अनुभूित करते ह� तो हम� असली एहसास होता है । कुछ लोगों का
कहना है िक हम यह ह� जगहों पर जाने से अ�ा इनके बारे म� िकताबों म� पढ़ सकते ह� परं तु
हम जाकर अगर उसकी अनुभूित करके �ान प्रा� कर� तो वह हम� हमेशा याद रहता है ।
यात्राएं करके रोमां च की अनुभूित होती है । यात्राओं से अनुभव आता है �ान की प्रा�� होती
है । यात्राएं करते दौरान हम िभ� िभ� लोगों से िमलते ह� िजनका खान-पान रहन-सहन पहनावा
अलग अलग होता है होती है । िज�े दे खकर अ�ा लगता है उनसे बात कर कर उनके बारे
म� जानकर �ान िमलता है । हमे पता चलता है की लोग िकन िकन प�र�स्थितयों से जू झकर
जीवन यापन करते ह� ।यात्रा करना समय का सदु पयोग है । यात्राएं करने से हमारे मन म� िजतने
सोशल नेटविक�ग के �ारा पूरी दु िनया जुड़ी �ई ह� । इसके अ�े उपयोग भी है ,और दु �पयोग
भी। आज तकनीक इतनी आगे बढ गई है ँ ,िक आप लाख रोक लगा लो ब�े खासकर के
िकशोर , कहीं न कहीं से सोशल साइट जै स- फेसबु क, ि�टर, इं �ाग्राम, �ैपचैट आिद पर
अपने अकाउं ट बना ही लेते िफर फ्र�ड बनाना शु� क दे ते है |दे श- िवदे श से फ्र�ड �र�े� आते
ह� ,और ये सबको अपना दो� बना लेते ह� िज�� वो जानते हो या नहीं और िफर साइबर क्राइम
की शु�आत यही से होती ह� .सोशल साइट् स पे ही गल� फ्र�ड बनते ह� �ॉयफ्र�ड बनते है , �र�े
इन सोशल साइटों पे ही बनते ह� , टू टते ह� ।आज का ब�ा समय से पहले ही प�रप� हो जा रहा
ह� |और इसम� सोशल साइट् स मह�पूण� भूिमका िनभा रहे है |
खासकर ,िकशोरावस्था ऐसी अवस्था होती ह� ,जब ब�े को सही गाइडलाइन ना िमले तो ब�ा
भटक जाता ह� । आजकल िकशोर सोशल साइट् स पर फेमस होने के िलए , अिधकसे अिधक
लाइक पाने के िलए, कम�ट पाने के िलए तरह- तरह के एडव�च� फोटोज डालते ह� | और कई
बार तो फोटो �खचते व� तो उ�� अपनी जान से हाथ धोना पड़जाता ह� सोशल नेटविक�ग
साइटों पर इन िदनों फज� खातों की सम�ा आम हो गई ह� , एक तरफजहां सोशल मीिडया ने
सूचना एवं प्रसार के �ेत्र म� एक उपयु� और अिनवाय� मा�म की जगह ली ह� , वहीं कई बार
परे शानी का सबब बन जाता ह� |
सेवा म�,
िद�ी,
महोदय,
भवदीय
रमेश
अथवा
िकसी मु�े पर आपका अपने िमत्र से मतभेद हो गया है । उसे 80-100 श�ों म� पत्र
िलखकर अपना प� �� करते �ए बताइए िक यह िमत्रता आपके िलए �ा मह�
रखती है ।
उ�र :
मुझे यकीन है , िक तुम मुझसे नाराज़ हो, िपछले स�ाह िव�ात्रय म� म�ने बेवजह ही तु��
अपश� कह िदया। लेिकन इस बात का अहसास मुझे तब �आ जब मुझे सच का पता चला।
अब म� अपने बता� व पर ब�त शिम�दा �ँ । अतः मेरे दवारा तु�ारे साथ िकये गये �वहार पर
बेहद-खेद है , तथा अब म� तुमसे माफी मां गता �ं ।
दरअसल, म� बताना चा�ं गा िक गलतफहमी कहां से शु� �ई, जब म� �ूल के लंच टाइम के
समय, अपना लंचकरने गया तो उस ब� मे री पस�नल डायरी मेरे बैग म� मौजू द थीं। िफर लंच
के बाद जब म�ने पाया िक मेरीपस�नल डायरी मेरे बैग म� मौजूद नहीं थी, तो मुझे शक �आ िक
दरअसल, उस िदन म�ने अपनी पस�नल डायरी िव�ालय लायी ही नहीं थी, और मुझे ऐसा प्रतीत
हो रहा था िक ,म�ने अपनी पस�नल डायरी िव�ालय लाई थी।मेरे िप्रय िमत्र, मुझे मे री गलती का
अहसास है । म�ने जो भी िकया वो िसफ� एक हादसा था। मुझे तुमसे उ�ीदहै , िक तुम हमारी
दो�ी के िलए इस घटना को भूलकर मुझे और मेरी गलतफहमी को माफ कर दोगे।
मुझेतु�ारे अगले पत्र का इं तजार रहे गा।
“तु�ारा िमत्र”
{अंिकत]
िदनां क : .../..../...
13. सव� िश�ा अिभयान के तहत ‘वय� सा�रता िमशन 2020’ के िलए एक िव�ापन
25-50 श�ों म� तैयार कीिजए।
अथवा
आपकी पुरानी साइिकल अब आपके िलए छोटी पड़ रही है । उसे बेचने के िलए कोई
आकष�क िव�ापन 25-50 श�ों म� तैयार कीिजए।
उ�र:
पिढए और पढाईए ||
अथवा
कंपनी- एटलस
रं ग -नीला
�ूथ ह� डल एं ड प�डल
िक�ों म� भी ले सकते ह�
संपक�- 8954XXXXXX