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CBSE Class 10

Hindi
Previous Year Question Paper 2020
Series: JBB/5 Code no. 3/5/1

● कृपया जाँ च कर ल� िक इस प्र�-पत्र म� मुिद्रत पृ� 8 ह� ।

● प्र�-पत्र म� दािहने हाथ की ओर िदए गए कोड न�र को छात्र उ�र-पु��का के


मुख-पृ� पर िलख�।

● कृपया जाँ च कर ल� िक इस प्र�-पत्र म� 14 प्र� ह� ।

● कृपया प्र� का उ�र िलखना शु � करने से पहले, प्र� का क्रमां क अव�


िलख�।

● इस प्र�-पत्र को पढ़ने के िलए 15 िमनट का समय िदया गया है । प्र�-पत्र का


िवतरण पूवा� � म� 10.15 बजे िकया जायेगा। 10.15 बजे से 10.30 बजे तक छात्र
केवल प्र�-पत्र को पढ़� गे और इस अविध क उ�र-पु��का पर कोई उ�र नहीं
िलख�गे।

िह�ी (अ)
HINDI (A)

िनधा��रत समय: 3 घं टे अिधकतमअंक: 100

खंड क

1. िन�िल�खत ग�ांश को �ानपूव�क पढ़कर पूछे गए प्र�ों के उ�र िल�खए :

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लाखों वष� से मधु म�ी िजस तरह छ�ा बनाती आई है बैसे ही बनाती है । उसम� फेर-
बदल करना उसके िलए सं भव नही ं है । छ�ा तो त्रुिटहीन बनता है लेिकन मधुम�ी
अपने अ�ास के दायरे म� आब� रहती है । इस तरह सभी प्रािणयों के सं बंध म� प्रकृित
के �वहार म� साहस का अभाव िदखाई पड़ता है । ऐसा लगता है िक प्रकृित ने उ��
अपने आँ चल म� सुरि�त रखा है , उ�� िवपि�यों से बचाने के िलए उनकी आं त�रक
गितशीलता को ही प्रकृित ने घटा िदया है ।

लेिकन सृि�कता� ने मनु� की रचना करने म� अदू भुत साहस का प�रचय िदया है । उसने
मानव के अंतः करण को बाधाहीन बनाया है । हालाँिक बा� �प से उसे िवव�, िनर�
और दु ब�ल बनाकर उसके िच� को ��ं दता प्रदान की है । इस मु�� से आनंिदत
होकर मनु� कहता है - “हम असा� को संभव बनाएँ गे।” अथा�त् जो सदा से होता
आया है और होता रहे गा, हम उससे संतु� नही ं रह� गे। जो कभी नही ं �आ, वह हमारे
�ारा होगा | इसीिलए मनु� ने अपने इितहास के प्रथम युग म� जब प्रचंडकाय प्रािणयों
के भीषण नखदं तों का सामना िकया तो उसने िहरण की तरह पलायन करना नही ं
चाहा, न कछु ए की तरह िछपना चाहा। उसने असा� लगने वाले काय� को िस� िकया
- प�रों को काटकर भीषणतर नखदं तों का िनमा� ण िकया। प्रािणयों के नखदं त की
उ�ित केवल प्राकृितक कारणों पर िनभ�र होती है । लेिकन मनु� के ये नखदं त उसकी
अपनी सृि� िक्रया से िनिम�त थे। इसिलए आगे चलकर उसने प�रों को छोड़कर लोहे
के हिथयार बनाए। इससे यह प्रमािणत होता है िक मानवीय अंतः करण सं धानशील है ।
उसके चारों ओर जो कुछ है उस पर ही वह आस� नही ं हो जाता। जो उसके हाथ म�
नही ं है उस पर अिधकार जमाना चाहता है । प�र उसके सामने रखा है पर वह उससे
संतु� नही ं। लोहा धरती के नीचे है, मानव उसे बहाँ से बाहर िनकालता है । प�र को
िघसकर हिथयार बनाना आसान है लेिकन वह लोहे को गलाकर, साँचे म� डाल ढालकर,
हथौड़े से पीटकर, सब बाधाओं को पार करके, उसे अपने अधीन बनाता है । मनु� के
अंतः करण का धम� यही है िक वह प�रश्रम से केवल सफलता ही नही ं ब�� आनंद भी
प्रा� करता है ।

(क) मनु� की भीतरी और बाहरी बनावट िकस प्रकार की है ?

उ�र:

● बाधहीन;

● िवव�ा, िनर�ा, दु ब�ल

(ख) “असा� को सं भव’ बनाने का क्या अथ� है ? �� कीिजए।

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उ�र:

● जो सदै व से होता रहा है या हो रहा है

●प्रचंडकाय प्रािणयों के भीषण नखदं तों का सामना करने के िलए िविभ� प्रयास-प�रों के
औजार, लोहे के हिथयार

(ग) मु�ेतर प्रािणयों की रचना म� ’प्रकृित के साहस का अभाव का �ा आशय है ?


सोदाहरण �� कीिजए।

उ�र:

● बदलाव का साहस नहीं, अ�ास के दायरे म� बंधे रहना;

● मधु म�ी का उदाहरण्

(घ) मनु� ने लोहे के हिथयार पाने के िलए �ा मेहनत की और �ों ?

उ�र - ध्ररती के नीचे से लोहा िनकाला, गलाया, साँ चे म� डालकर ढाला, हथौड़े से पीटा और
हिथयार बनाया;

● प्रचं डकाय प्रािणयों से सुर�ा हे तु

(ड) प�रश्रम से �ा प्रा� होता है?

उ�र - सपफलता और आनंद

(च) उपयु�� ग�ांश के िलए एक उपयु � शीष�क दीिजए।

उ�र - अद् भुत प्रकृित / अद् भुत सृि�

(अ� उपयु� शीष�क भी �ीकाय�)

खंड - ’ख’

2 िनद� शानुसार उ�र िल�खए -

(क) सब कुछ हो चुका था, िसफ� नाक नही ं थी। (रचना के आधर पर वा�-भेद
पहचानकर िल�खए)

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उ�र - संयु� वा�

(ख) थोड़ी दे र म� िमठाई की दु कान बढ़ाकर हम लोग घरौंदा बनाते थे। (िमश्र वा� म�
बदलकर िल�खए)

उ�र - थोड़ी दे र म� जब हम लोग िमठाई की दु कान बढ़ा दे ते तब घरौंदा बनाते।

(ग) जब हम बनावटी िचिड़यों को चट कर जाते, तब बाबूजी खेलने के िलए ले जाते।


(आिश्रत उपवा� पहचानकर िल�खए और उसका भेद भी िल�खए)

उ�र - आिश्रत उपवा� - जब हम बनावटी िचिड़यों को चट कर जाते

भेद - िक्रयािवशेषण आिश्रत उपवा�

(घ) कानाफूसी �ई और मूित� कार को इजाज़त दे दी गई। (सरल वा� म� बदिलए)

उ�र: मूित�कार को कानापूफसी के बाद इजाज़त दे दी गई। /

कानापूफसी होने के बाद मूित�कार को इजाज़त दे दी गई।

3. िनद� शानुसार वा�-प�रवत�न करके िल�खए

(क) कै�न च�ा बदल दे ता था। (कम�वा� म�)

उ�र - वैफ�न �ारा च�ा बदल िदया जाता था।

(ख) इस िदन दालमंडी म� शहनाई बजाई जाती थी। (कतृ�वा� म�)

उ�र - इस िदन दालमं डी म� शहनाई बजाते थे ।

(ग) वे आज रात यही ं ठहर� गे। (भाववा� म�)

उ�र - उनसे आज रात यहीं ठहरा जाएगा।

(घ) अब सोया नही ं जाता। (कतृ�वा� म�)

उ�र - अब सो नहीं पाता / सकता।

4. िन�िल�खत वा�ों के रे खांिकत पदों का पद-प�रचय िल�खएः

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(पद नाम सही होने पर ही अ� एक िबंदु पर पूरे अंक िदए जाएँ )

(क) िकसी का ताज़ा िचत्र नही ं छपा था।

उ�र - नहीं - िक्रयािवशेषण (रीितवाचक) ‘छपा’ िक्रया की िवशेषता

(ख) तीसरी बार िफर से नया च�ा था।

उ�र - नया - िवशेषण (गुणवाचक), पु��ंग, एकवचन, ‘च�ा’ - िवशे�

(ग) यह सब म�ने केवल सु ना।

उ�र: सुना - िक्रया (सकम�क), एकवचन, पु��ंग, भूतकाल

(घ) मान लीिजए िक पुराने ज़माने म� एक भी �ी पढ़ी-िलखी न होती।

उ�र - �ी - सं�ा (जाितवाचक), एकवचन, �ाीिलंग, कता� कारक

5. िन�िल�खत म� से िक�ी ं चार प्र�ों के उ�र िल�खए

(क) ‘वीर रस’ का एक उदाहरण िल�खए।

उ�र - वीर रस का कोई भी एक उपयु � उदाहरण �ीकाय�।

(ख) घृणा का भाव उ�� करने वाले का� म� कौन-सा रस होगा?

उ�र - वीभ� रस

(ग) ‘ �ंगार रस’ के दो भेद कौन-से ह�?

उ�र - संयोग और िवयोग

(घ) िन�िल�खत का�-पं��यों म� रस पहचानकर रस का नाम िल�खए:

वह लता वही ं की, जहाँ कली

तू �खली, �ेह से िहली, पली

अंत भी उसी गोद म� शरण

ली, मूद� �ग वर महामरण!

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उ�र - क�ण रस

(ड) उ�ीपन िकसे कहते ह�?

उ�र - जो स�दय के भावों उ�ीपन करता है

खंड - ’ग’

6. िन�िल�खत ग�ांश को �ानपूव�क पढ़कर पूछे गए प्र�ों के उ�र िल�खए है:

खाँ साहब को बड़ी िश�त से कमी खलती है । अब संगितयों के िलए गायकों के मन म�


कोई आदर नही ं रहा। खाँ साहब अफ़सोस जताते ह� । अब घंटों �रयाज़ को कौन पूछता
है ? है रान ह� िब���ा खाँ। कहाँ वह कजली, चैती और अदब का ज़माना ?

सचमुच है रान करती है काशी-प�ा महाल से जैसे मलाई बरफ़ गया, सं गीत, सािह�
और अदब की ब�त सारी परं पराएँ लु� हो गई। एक स�े सुर-साधक और सामािजक
की भाँित िब���ा खाँ साहब को इन सबकी कमी खलती है । काशी म� िजस तरह
बाबा िव�नाथ और िब���ा खाँ एक-दू सरे के पूरक रहे ह� , उसी तरह मुहर� म-तािज़या
और होली-अबीर, गुलाल की गंगा-जमुनी सं �ृित भी एक-दू सरे के पूरक रहे ह� ।

(क) संगीत की कौन-सी परं पराएँ बदलते समय के अनुसार िवलु� हो गईं ?

उ�र:

● गायकों �ारा संगितयों के आदर की परं परा

● �रयाज़ करने की परं परा

● कजली और चैती और अदब का जमाना

(ख) बाबा िव�नाथ और िब���ा खाँ को एक-दू सरे का पूरक �ों कहा गया है ?

उ�र:

● बाबा िव�नाथ और िब���ा खाँ दोनों काशी के रहने वाले थे I

● बाबा के प्रित िब���ा खाँ की अटू ट भ��

(ग) “गंगा-जमुनी सं �ृित’ से आप क्या समझते ह� ? उदाहरण सिहत �� कीिजए।

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उ�र:

● सां प्रदाियक सदभाव की िमली-जु ली सं�ृित;

● उदाहरण - हर धम� के �ोहारों को िमल-जुलकर मनाना

7. िन�िल�खत म� से िक�ी ं चार प्र�ों के उ�र लगभग 30-40 श�ों म� िल�खए

(क) हालदार साहब और कै�न के च�रत्र की दो िवशेषताओं का उ�ेख कीिजए।

उ�र:

● हालदार साहब - िदल से कोमल , जानने के इ�ु क , दे श के शहीदों के स�ान के शु भ


िचंतक /स�े दे शभ�

● कै�न - संवदे नशील, दे शभ�, �ढ़ िन�यी, उदार

(ख) ‘‘पतनशील सामंती समाज झठ


ू ी शान के िलए जीता है’’ - ‘लखनवी अंदाज़’ पाठ
के आधर पर �� कीिजए।

उ�र: ‘‘पतनशील सामंती समाज झूठी शान के िलए जीता है ’से अिभप्राय

● उनका संगित के िलए उ�ाह का अभाव रहता है

● नवाब साहब �ारा की गई खीरे की तैयारी

● उनका �ाद लेने का िविचत्र ढं ग

● खीरे को झूठी शान के िलए शे�खबाज़ी

(ग) ‘‘भगत की पुत्रवधू और भगत दोनों एक-दु सरे की िहत-िचंता म� िज़द पर अड़े थे’’ -
पुि� कीिजए।

उ�र:

● भगत को पुत्रवधू के भिव� की िचंता लगी रहती थी तथा वह पुनिव�वाह की िज़द पर अड़े
रहते थे I

● वही ँ दू सरी
ओर पुत्रवधू भी उनके रहने, खाने-पीने और बीमारी म� दे खभाल की िचंता और
उनके साथ ही रहने की िज़द पर डटी रहती थी I

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(घ) ‘मानवीय क�णा की िद� चमक’ पाठ के आधर पर इलाहाबाद के सािह��क
प�रवेश का वण�न कीिजए।

उ�र: ‘प�रमल’ समूह की सिक्रयता, गोि�याँ , पर�र सािह��क प�रचचा� , वाद-िववाद,


प्र�ुितयाँ आिद

(ड) ‘‘िव�ाथ� जीवन म� यो� िश�क सही िदशा िदखाने वाले माग�दश�क होते ह�’’ -
‘एक कहानी यह भी’ के आधर पर �� कीिजए।

उ�र:

● यो�िशि�का शीला अग्रवाल ने ले�खका की सािह��क �िच का दायरा बढ़ाया, चचा� और


प�रचचा� से समझ िवकिसत की

● दे श की �स्थितयों को जानने-समझने के िलए और उनम� अपनी सिक्रय भागीदारी के िलए


प्रो�ािहत करती रही I

8. िन�िल�खत का�ांश को �ानपूव�क पढ़कर पूछे गए प्र�ों के उ�र िल�खए -

तु�ारी यह दं तु�रत मुसकान

मृतक म� भी दाल दे गी जान

धूिल-धूसर तु�ारे ये गात...

छोड़कर तालाब मेरी झोंपड़ी म� �खल रहे जलजात

परस पाकर तु�ारा ही प्राण,

िपघलकर जल बन गया होगा किठन पाषण

छू गया तुमसे की झरने लग पड़े शेफािलका के फूल

बाँस था की बबूल?

तुम मुझे पाए नही ं पहचान?

दे खते ही रहोगे अिनमेष!

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(क) ‘मृतक म� जान डालने’ और ‘पाषाण के िपघलकर जल बनने’ का आशय ��
कीिजए।

उ�र:

● उदास, िनराश मन म� ब�े की मधुर मुसकान दे खकर आशा और उ�ाह से भर जाता है I

● ब�े के �श� से कठोर से कठोर मन भी िपघल जाता है I

(ख) अिनमेष दे खने का अथ� �� करते �ए िल�खए िक छोटे ब�े ऐसा �ों करते ह�?

उ�र:

● अिनमे ष का अथ�-अपलक / एकटक दे खना;

●छोटे ब�े ऐसा इसिलएकरते है �ोंिक उनका नएपन के प्रित आकष�ण रहता है / वह
पहचानने की कोिशश करते है I / उ�� िज�ासा रहती है या कौतूहल आिद I

(ग) शेपफािलका के फूल झरने का �ा ता�य� है ? किव बाँस या बबू ल की सं�ा िकसे
दे रहा है और �ों?

उ�र:

● शे पफािलका के फूल झरने का �ा ता�य� है -किव के मन म� ब�े के प्रित वा�� या �ेह


जैसी कोमल भावनाओं का उ�� होना / अनजान �श� से �ाभािवक �प से ब�े की आँ खों
से आँ सू िगरना ;

● किव बाँ स या बबूल की सं�ा किव को / �यं को दे रहा है और जीवन म� सरसता के अभाव
के कारण

9. िन�िल�खत म� से िक�ी ं चार प्र�ों के उ�र लगभग 30-40 श�ों म� िल�खए

(क) ‘राम-ल�ण-परशुराम संवाद’ म� संवाद ल�ण और परशुराम के बीच चल रहा


था जबिक राम मूकदश� थे। राम का मौन उनके �भाव की कौन-सी िवशेषताओं को
उजागर करता है?

उ�र - शां त, िवनम्र, धीर-गंभीर, मया� िदत, बड़ों का स�ान, िमतभाषी आिद

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(ख) ‘उ�ाह’ किवता म� किव का कोमल �दय और क्रांितकारी �प दोनों िदखते ह�,
यह कैसे कहा जा सकता है?

उ�र:

● कोमल �दय -से


अिभप्राय कवी का मन बालकों के मन जैसा सरल, सहज, �ण-�ण बदलती
क�नाएँ , किव�प है I

●क्रां ितकारी �प -से अिभप्राय िव�ंस, बदलाव का आ�ान, नव-िनमा� ण की कामना करने
वाला �दय I

(ग) ‘मृगतृ�ा’ से आप �ा समझते ह�? ‘छाया मत छूना’ म� वह िकस अथ� म� प्रयु �


�आ है ?

उ�र:

● मृ गतृ �ा’ से से अिभप्राय -दू र से चमकती रे त को जल समझकर उस ओर दौड़ना;

● ‘छाया मत छूना’ से अिभप्राय जीवन म� यश, वैभव, प्रभुता, भौितकता, बा� चमक-दमक
के पीछे भागना

(घ) ‘‘ ‘संगतकार’ की मनु�ता उसका िनध��रत कत�� ही है , न िक कोई महानता’’ -


इससे सहमत या असहमत होते �ए तक� सिहत अपने िवचार �� कीिजए।

उ�र : (संदभ�गत मु� उ�र पर अंक िदए जाएँ ।)

(ड) गोिपयों के मा�म से सूरदास ने िनगु� ण भ�� पर कृ�-भ�� को बेहतर सािबत


िकया है - इस पर िट�णी कीिजए।

उ�र:

● कृ� भ�� - प्रेममय, सरस, आ�ादकारी, अतः �िचकर

● िनगु� ण भ�� - कड़वी ककड़ी, रोग, नीरस, अतः अ�िचकर

10. िन�िल�खत म� से िक�ी ं दो प्र�ों के उ�र लगभग 50-60 श�ों म� िल�खए

(क) ‘माता का अँचल’ पाठ म� विण�त खेलों से आज के खेल िकतने अलग ह� , इसका
तुलना�क वण�न कीिजए।

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उ�र - भोलानाथ और उसके सािथयों के खे ल और खेलने के सामान से हमारे खेल और खेल
चीजों म� क�ना से �ादा अंतर आ गया है । भोलानाथ के समय म� प�रवार से लेकर दू र पड़ोस
तक काफी अ�े स�� थे िजससे खेलने की ��ं दता थी। बाहरी दु घ�टनाओ -अपहरण
आिद का कोई डर नहीं था। खे ल की चीजों ब�ों �ारा बनाई गई थीं। घर की
अनुपयोगीव�ुओं से सामान बनाया जाता था , िजससे िकसी प्रकार का कोई नु�ान नहीं
होता था। धूल- िम�ी से खेलने म� पूण� आनंद आता था। न कोई रोक, न कोई डर, न िकसी की
कोई रोक टोक। जो था वह सब की आपसी साझेदारी से होता था I

आज खे ल की चीज� हाथ से न बना कर बाज़ार से खरीदी �ई होती है । खेलने का समय भ


िनि�त कर िदया जाता है । अतः ��ं दता नहीं होती है । धू ल-िम�ी से ब�ों को बचा कर रखा
जाता है ।

(ख) पहाड़ी लोगों का जीवन मैदानी जीवन से अिधक संघष�पूण� होता है । ‘साना-साना
हाथ जोड़ी’ पाठ के आधर पर उदाहरण सिहत �� कीिजए।

उ�र: उदाहरण -

● यह के लोगो को लगातार चढ़ाई चढनी पड़ती है

● यहाँ से जीवन-उपयोगी व�ुओं का दू र होती है

● इस कण� यहाँ के लोगो की आमदनी कम और मेहनत ब�त �ादा

● सड़क बनाने हे तु ब�ों को साथ ले कर ��ायों �ारा प�र काटने जैसे कठोर प�रश्रम प�रश्रम
काय� करना पड़ता है

● गाँ व
म� लोग मात्र जानवरों के चारे के िलए स�ाह म� दो से तीन बार जंगलों म� जाते ह� । इस
तरह घर की रखवाली के िलए कोई नहीं होता। ब�ों को चारपाई से बाँ धकर अकेले ही छोड़
जाते ह� ।

(ग) ‘‘ ‘जा◌ॅ ज� पंचम की नाक’ म� मूित�कार एक अवसरवादी ��� है जो सबको मूख�


बनाकर अपना उ�ू साध् रहा है ।’’ तस� िहत पुि� कीिजए।

उ�र: नए-नए �ाथ�पूण� सुझाव - मूित� के िलए प�र की तलाश, प�र की नाक की तलाश के
बहाने पैसे ऐंठना और सैर-सपाटा करना

खंड - ’घ’

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11. िन�िल�खत म� स ◌े िकसी एक िवषय पर िदए गए

संवेफत-िबन्दु ओ ं वेफ आधर पर लगभग 200-250 श�ों म� िनबंध िल�खए

(क) िव�ालयों की िज़�ेदारी - बेहतर नाग�रक-बोध्

िव�ालय की िज�ेदारी यह बनती है िक िव�ाथ� को शु� से ही रा��ीय भाव िव�ाथ� के िदल


म� लाना चािहए। दे श हम� कुछ दे ता है और हम� भी कुछ दे ना चािहए यह भाव शु� से ही
िव�ाथ� के मन म� होना चािहए। िव�ालय म� िव�ाथ� को जो भी िसखाया जाता है वह आगे
जाकर जीवन म� हमे शा काम आता है । िव�ालय म� िव�ािथ�यों को अिहं सा के पथ पर जीवन
जीना िसखाना चािहए। िव�ािथ�यों को जीवन म� िबना हार माने हमेशा हार से िश�ा लेकर उस
हार को जीत म� बदलने की प्रेरणा दे नी चािहए।िव�ालय म� दे श के प्रित प्रेम भाव की भावना
को बढ़ावा दे ना चािहए िव�ािथ�यों म� शु� से ही दे श के प्रित प्रेम भाव रखना िसखाना चािहए।
माता िपता व गु� का स�ान करना िसखाना चािहएिव�ािथ�यो को ऐसी िश�ा दे नी चािहए जो
आगे जीवन म� नैितक मू� के �प म� उनके जीवन को सफल बनाएं ।

(ख) सोशल मीिडया और िकशोर

● सोशल मीिडया: ता�य� और िविभ� प्रकार

● िकशोरों के आकष�ण-िबंदु

● वत� मान समय म� सोशल मीिडया का प्रचलन और प्रभाव

(ग) यात्राएँ : अनुभव के नए ि�ितज

कुछ लोगों के िलए यात्रा करना समय की बबा� दी है । मठों म� जाना गुफाओं म� जाना महलों म�
जानाbपु�कालयों व िव�िव�ालयों म� जाना समय की बबा� दी नहीं ब�� जब हम ऐसे स्थानों
पर जाकर इन को छूकर अनुभूित करते ह� तो हम� असली एहसास होता है । कुछ लोगों का
कहना है िक हम यह ह� जगहों पर जाने से अ�ा इनके बारे म� िकताबों म� पढ़ सकते ह� परं तु
हम जाकर अगर उसकी अनुभूित करके �ान प्रा� कर� तो वह हम� हमेशा याद रहता है ।

यात्राएं करके रोमां च की अनुभूित होती है । यात्राओं से अनुभव आता है �ान की प्रा�� होती
है । यात्राएं करते दौरान हम िभ� िभ� लोगों से िमलते ह� िजनका खान-पान रहन-सहन पहनावा
अलग अलग होता है होती है । िज�े दे खकर अ�ा लगता है उनसे बात कर कर उनके बारे
म� जानकर �ान िमलता है । हमे पता चलता है की लोग िकन िकन प�र�स्थितयों से जू झकर
जीवन यापन करते ह� ।यात्रा करना समय का सदु पयोग है । यात्राएं करने से हमारे मन म� िजतने

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भी िचंता होती है उसको ख� कर मानिसक शां ित प्रा� कर सकते ह� ।यात्रा को केवल अनुभव
के नए ि�ितज के �प मे दे खा जा सकता है ।

सोशल नेटविक�ग और िकशोर

सोशल नेटविक�ग के �ारा पूरी दु िनया जुड़ी �ई ह� । इसके अ�े उपयोग भी है ,और दु �पयोग
भी। आज तकनीक इतनी आगे बढ गई है ँ ,िक आप लाख रोक लगा लो ब�े खासकर के
िकशोर , कहीं न कहीं से सोशल साइट जै स- फेसबु क, ि�टर, इं �ाग्राम, �ैपचैट आिद पर
अपने अकाउं ट बना ही लेते िफर फ्र�ड बनाना शु� क दे ते है |दे श- िवदे श से फ्र�ड �र�े� आते
ह� ,और ये सबको अपना दो� बना लेते ह� िज�� वो जानते हो या नहीं और िफर साइबर क्राइम
की शु�आत यही से होती ह� .सोशल साइट् स पे ही गल� फ्र�ड बनते ह� �ॉयफ्र�ड बनते है , �र�े
इन सोशल साइटों पे ही बनते ह� , टू टते ह� ।आज का ब�ा समय से पहले ही प�रप� हो जा रहा
ह� |और इसम� सोशल साइट् स मह�पूण� भूिमका िनभा रहे है |

खासकर ,िकशोरावस्था ऐसी अवस्था होती ह� ,जब ब�े को सही गाइडलाइन ना िमले तो ब�ा
भटक जाता ह� । आजकल िकशोर सोशल साइट् स पर फेमस होने के िलए , अिधकसे अिधक
लाइक पाने के िलए, कम�ट पाने के िलए तरह- तरह के एडव�च� फोटोज डालते ह� | और कई
बार तो फोटो �खचते व� तो उ�� अपनी जान से हाथ धोना पड़जाता ह� सोशल नेटविक�ग
साइटों पर इन िदनों फज� खातों की सम�ा आम हो गई ह� , एक तरफजहां सोशल मीिडया ने
सूचना एवं प्रसार के �ेत्र म� एक उपयु� और अिनवाय� मा�म की जगह ली ह� , वहीं कई बार
परे शानी का सबब बन जाता ह� |

अत: हर अिभभावक को चािहए की वह अपने ब�ों को सोशल मीिडया के द�भावों के बारे


मे बताए |

12. आप एक �र�ेदार को दे खने िकसी अ�ताल म� गए और वहाँ रख-रखाव और


सफाई म� ब�त सारी किमयाँ िदखी ं। �ान िदलाने पर कम�चा�रयों ने दु व्र्यवहार िकया।
इसकी िशकायत मु�-िचिक�ा अिधकारी से करते �ए उिचत कार� वाई करने की माँग
करते �ए 80-100 श�ों म� पत्र िलखकर कीिजए।

सेवा म�,

मु� िचक�ा अिधकारी,

िद�ी,

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िवषय: अ�ताल म� सफाई, रखरखाव और दु ��वहार की िशकायत के िलए पत्र।

महोदय,

सिवनय िनवेदन यह है िक म� आपका �ान आपके अ�ताल म� रखरखाव सफाई और


दु ��वहार की ओर आकिष�त कराना चाहता �ं । दरअसल कुछ िदन पहले म� अपने �र�ेदार
को दे खने अ�ताल गया था वहां रखरखाव और सफाई म� ब�त सारी किमयां दे खी,सफाई
िब�ुल भी तरीके से नहीं �ई थी िजससे मरीजों को �ा� हािन हो सकती है । इसके बारे म�
कम�चा�रयों को बताया और उनका �ान िदलाने की कोिशश की तो उ�ोंने मेरे साथ दु ��वहार
िकया जो िक सही नहीं ह� ।

म� चाहता �ं िक आप इस िशकायत पर गौर करे । ज� से ज� काय�वाही करने का प्रयास


कर� ।

भवदीय

रमेश

अथवा

िकसी मु�े पर आपका अपने िमत्र से मतभेद हो गया है । उसे 80-100 श�ों म� पत्र
िलखकर अपना प� �� करते �ए बताइए िक यह िमत्रता आपके िलए �ा मह�
रखती है ।

उ�र :

wz-5 ,पंजाबी बाग,

िप्रय िमत्र अिनल,

िवषय : िमत्र से मतभेद पर पत्र |

मुझे यकीन है , िक तुम मुझसे नाराज़ हो, िपछले स�ाह िव�ात्रय म� म�ने बेवजह ही तु��
अपश� कह िदया। लेिकन इस बात का अहसास मुझे तब �आ जब मुझे सच का पता चला।
अब म� अपने बता� व पर ब�त शिम�दा �ँ । अतः मेरे दवारा तु�ारे साथ िकये गये �वहार पर
बेहद-खेद है , तथा अब म� तुमसे माफी मां गता �ं ।

दरअसल, म� बताना चा�ं गा िक गलतफहमी कहां से शु� �ई, जब म� �ूल के लंच टाइम के
समय, अपना लंचकरने गया तो उस ब� मे री पस�नल डायरी मेरे बैग म� मौजू द थीं। िफर लंच
के बाद जब म�ने पाया िक मेरीपस�नल डायरी मेरे बैग म� मौजूद नहीं थी, तो मुझे शक �आ िक

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वो पस�नल डायरी तुमने मुझसे िबना इजाजत के ले िलया। मुझे यह शक इसिलए �आ, �ोंिक
तुम कुछ िदनों पहले मेरे दो�ों के साथ िमत्रकर मेरी पस�नलडायरी चुपके से पढ़ने के बारे म�
बात कर रहे थे। इस कारण म� क्रोध म� आकर तु�� बेवजह ही अपश� कह िदया।

दरअसल, उस िदन म�ने अपनी पस�नल डायरी िव�ालय लायी ही नहीं थी, और मुझे ऐसा प्रतीत
हो रहा था िक ,म�ने अपनी पस�नल डायरी िव�ालय लाई थी।मेरे िप्रय िमत्र, मुझे मे री गलती का
अहसास है । म�ने जो भी िकया वो िसफ� एक हादसा था। मुझे तुमसे उ�ीदहै , िक तुम हमारी
दो�ी के िलए इस घटना को भूलकर मुझे और मेरी गलतफहमी को माफ कर दोगे।
मुझेतु�ारे अगले पत्र का इं तजार रहे गा।

“तु�ारा िमत्र”

{अंिकत]

िदनां क : .../..../...

13. सव� िश�ा अिभयान के तहत ‘वय� सा�रता िमशन 2020’ के िलए एक िव�ापन
25-50 श�ों म� तैयार कीिजए।

अथवा

आपकी पुरानी साइिकल अब आपके िलए छोटी पड़ रही है । उसे बेचने के िलए कोई
आकष�क िव�ापन 25-50 श�ों म� तैयार कीिजए।

उ�र:

चलो पढाये || “ सव� िश�ा अिभयान २०२०” कुछ कर िदखाए ||

िश�ा ही िवकास की नीव हे ,

पिढए और पढाईए ||

आओ िमलकर एक कदम उठाए ,

घर – घर िश�ा का दीप जलाए |

िश�ा से करे �ार , यह हे ||

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