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ु
ग्रीष्मकालीन गह
ृ कायय (कक्षा- X) - 2023-24
विषय वहिंदी
वलखिए। व्याकरण
पत्र लेिन
अनच्
ु छे द लेिन (120 शब्दन में )
7.अनच्
ु छे द लेिन – अपने पसंदीदार लेिक पर अनच्
ु छे द
मलखिए 8.अनच्
ु छे द लेिन – इंटरनेट की दम
ु नया पर अनच्
ु छे
द मलखिए
9.अनच्
ु छे द लेिन – िािृभाषा के िहत्व पर अनच्
ु छे द मलखिए
10.अनच्
ु छे द लेिन – आत्ममनभवर भारि पर अनच्
ु छे द मलखिए
11. अनच्
ु छे द लेिन – आज़ादी का अिृि िहोत्सव पर अनच्
ु छे द
मलखिए स्लनगन
िन कभी िाली नहीं रहना चाहिा। सही मवचार न हों, िो व्यर्व मवचार चप ु के से
आकर व्यखक्त को बेचन ै कर देिे हैं। ये हिें अिीि की ओर ले िािे हैं और हिें परु ानी बािें
याद करवाकर हििें यह पछिावा पैदा करिे हैं मक
काश !हिने वह नहीं मकया होिा। ये हिें भमवष्य की ओर ले िािे हैं, िहााँ
िरह-िरह की कल्पनाएाँ, नाकामियों की आशंकाएाँ, अनहोनी का डर बना रहिा
है । इन मवचारों िेंनकारात्मकिा होिी है । ये हिें डरािे हैं, हिारे अंदर अपराध-बोध,
मचंिा िैसे भाव पैदा करिे हैं। िाली मदिाग को घेरकर ये हि पर राि करिे हैं।
इनिेंसच्चाई नहीं होिी, पर इनिेंिोकर हि अपनों और
अपने मित्रों से द ू र होिे िािे हैं। ऐसे मवचारों से िुद को कै से बचाया िाए? हिारा
िन अगर इन्हीं िें डू बा रहे गा, िो हि हर सिय संघषव व गस् ु से से भरे रहें गे और
मबना सिझे अन्य से कड़वा बोलेंगे। एक ही उपाय है मक िन को िाली न छोड़कर सही
सोच से भरे रहें । िीवन िेंअच्छी-बरु ी बािेंहोिी रहिी हैं। बरु ी बािों के बारे िें सोचकर िन
को उमिग्न करने की िगह िो कु छ अच्छा हुआ है , उसके बारे िेंसोचें और िन को
िुश रिें । मकसी की गलि बाि याद आए, िो फौरन उसकी मकसी अच्छी बाि को याद
करने की कोमशश करें । िब यह मवचार परे शान करे मक काश !िैंने अपने मप्रयिन के
सार् यह न मकया होिा, िो फौरन वह बाि याद करें , िो आप िानिे हैं मक उन्हें
िुशी दे ने वाली रही होगी। हर बार हिें अपने मकए हुए काि या कही हुई बाि को बदलने
का िौका नहीं मिलिा। एक गलि बाि की िगह दस िीक बािेंकही गई, इसे याद करने
से हिारे िन िेंशांमि आएगी और मफर व्यर्व के नकारात्मक मवचारों को िगह नहीं
मिलेगी। बार-बार के अभ्यास से उनको मवदा होना ही पड़ेगा और हिारा िन शांि हो
िाएगा। (1) इस गद्यािंश के कें द्रीय भाि हे तव ु दए गए कथननिं कन पढ़कर सबसे
सही विकल्प चव ु नए ?
(i). व्यर्व मवचार हिें अिीि की और ले िाकर पछिावा पैदा करिे है | (ii)
िाली िन भमवष्य की और ले िािे हैं, िहााँ अनहोनी होने का डर बना रहिा है |
(iii) िाली मदिांग िेंसच्चाई होिी होिी है
(iv) मकसी की अच्छी बाि को याद न करें |
(क). कर्न (i) सही है |
(ि) कर्न (i) व (ii) सही है
(ग) कर्न (i), (ii) व (iii) सही है
(घ) कर्न (iv) सही है
(2) कौन-से विचार हमारे अिंदर डर और वचिंता जैसे भाि उत्पन्न करते हैं?
(क)-भावनात्मक (ि)-मवचारात्मक (ग)-सकारात्मक (घ)-नकारात्मक (3)
हमें क्या सनचकर मन कन िुश रिना चावहए?
(क)-बीिी बािेंि-द ू सरों की बािेंग-अच्छी बािें घ-बचपन की बािें (4) 'उविग्न'
शब्द का तात्पयय है -
(क)-किोर ि-क्लेश ग-व्याकु ल घ-मवश्वास (5) कथन (A) लेिक ने मन
कन वकस चीज़ से भरने की बात की है कारण (R) सकारात्मक सोच से िन िेंख़श ु ी
छा िाएगी और िन िेंशांमि आएगी|
(क). कर्न (A ) सही है कारण(R) गलि है
(ि) कर्न (A) सही है और कारण (R) उसकी सही व्याख्या है (ग)
कर्न (A) गलि है और कारण (R) सही है
(घ) कर्न (A) और कारण (R) दोनों गलि है |
अपवित पद्यािंश
15.नीचे अपमिि पद्ांश मदए गए हैं| ध्यानपव ू वक पढ़कर पछ
ू े गए प्रश ्ों के
सही उत्तर वाले मवकल्प चम ु नए|
मवचार लो मक िर्त्व हो न िृर्त्ुसे डरो कभी,
िरो, परं िुयों िरो मक याद िो करें सभी।
हुई न यों सुिर्त्
ृ ुिो वर ृ ा् िरे , वरृ ा् मिए,
िरा नहीं वही मक िो मिया न आपके मलए।
वही पश- ु प्रवम ृ त्त है मक आप आप ही चरे ,
वही िनष्ु य है मक िो िनष्ु य के मलए िरे ।
(1) सम ु त्ृ यक ु ा क्या भाि है :
(i)अच्छी िृर्त्ु (ii मनमिि िृर्त्ु (iii)याद करने योग्य
िृर्त्ु (iv)मनरर्वक िृर्त्ु
(क) मवकल्प (i) सही है | (ि) मवकल्प (ii) व (ii) सही है |
(ग) मवकल्प (i), (ii), (iii) व (iv) सही है |
(घ) मवकल्प (iii) सही है |
(2) मत्यय िह है :
(क) मिसकी िृर्त्ुसंभव है (ि) मिसकी िृर्त्ु मनमिि है (ग) िो
िृर्त्ुसे डरिा है (घ) िो अच्छी िृर्त्ुिरिा है
(3) 'मरा नहीिं िहीिं' वकसके वलए कहा गया है ?
(क) िो स्वंय के मलए िीमवि रहिा है
(ि) िो द ू सरों के महि के मलए िीमवि रहिा है
(ग) िो द ू सरों को कष्ट दे ने के मलए िीमवि रहिा है
(घ) िो कभी िरिा ही नहीं
(4) पश- ु प्रिवृ त्त क्या है ?
(क) पशओ ु ं िैसा स्वभाव (ि) पशओ ु ं के सिान िीवन (ग) पशओ ु ं िैसा
बल (घ) पशओ ु ं का-सा आहार (5) मनष्ु य कौन है -
(क) िो स्वयं के मलए िरे (ि) िो धन के मलए िरे . (ग) िो
िनष्ु य के मलए िरे (घ) इनिे से कोई नहीं
आ.
िै िूफानों िेंचलने का आदी हाँ
िुि िि िेरी िंमिल आसान करो!
है फू ल रोकिे ,कााँटे िुझे चलािे
िरुस्र्ल ,पहाड़ चलने की चाह बढ़ािे
सच कहिा हाँ िुखिलेंन िब होिी हैं
फू लों से िग आसान नहीं होिा हैं
रुकने से पग गमिवान नहीं होिा है
अवरोध नहीं ,िो संभव नहीं प्रगमि भी
(1) कवि कन आगे बढ़ने की प्रेरणा वमलती हैं–
(i) िंमिल से
(ii) िागव-बाधाओं से
(iii) हवाओं से
(iv) िूफानो से
(क). मवकल्प (i) सही है
(ि) मवकल्प (ii) सही है
(ग) मवकल्प (i) व (ii) सही है
(ग) मवकल्प (i), (ii), (iii) व (iv) सही है
(2) यवद मागय में बाधाएँ नहीिं आती तन-
(क) गमि संभव नहीं होिी (ि) मनिावण संभव नहीं होिा (ग)
प्रगमि संभव नहीं होिी (घ) िागव आसान नहीं होिा (3) वनमायण
की सिंभािना िहीिं हनती है जहाँ-
(क)िूफान न आए (ि)अवरोध हो (ग)बस्ती न हो(घ)मवनाश हो
(4) कवि धरती पर क्या बसाना चाहता है ?
(क)अपना घर (ि)स्वगव (ग)िंमिलें (घ) रास्ते (5) कवि दव ु नया
से क्या प्राथयना कर रहा है ?
(क)दम ु नया उसके रास्तों पर फू ल मबछा दे
(ि) दम ु नया उसकी बस्ती को वीरान बना दे
(ग)दम ु नया उसकी राह िेंिूफान उिा दे
(घ)दम ु नया उसके िागव को आसान न बनाए
पवित काव्यािंश
16.मनम्नमलखिि पमिि काव्यांश को ध्यान पव ू वक पढ़कर पछ
ू े गए प्रश ्ों के सही
उत्तर वाले मवकल्प चम ु नए | 1x5=5 हिारे हरर हाररल की लकरी ॥
िन िि बचन नंद नंदन उर-, यह दृढ़ करर पकरी ।
िागि सोवि स्वप्न मदवस मनमस , कान्ह कान्ह िक री ।-
सनिु िोग लागि है ऐसो , ज ्ों करुई ककरी ।
सुिौ व्यामध हिकौ लै आए , देिी सन ु ी न करी ।
यह िौ ‘सरू ’ मिनमह लै सौंपौ , मिनके िन चकरी ।
1. पद में श्रीकृ ष्ण की तल ु ना वकससे की गई है ?
क. कबूिर गई हैं? क. कृ ष्ण के
ि. हाररल की लकड ि. उद्धव के
2) गनवपयाँवकसके प्रेम में बिध ं ग. संगीि प्रेि िें
घ. राधा के
3) गनवपयनिं कन यनग ग. कोयल घ. हाँस
सिंदेश कै सा लग रहा है ?
20. 'नेिािी का चश्मा' नािक कहानी िेंदेशभक्तोंका अनादर करनेवालेपात्र कौन हैं?
22. नेिािी की िूमिवपर सरकं डेके चश्मेको देिकर क्या उम्मीद िगिी है ? 23.
लाँगड़ा क्या िाएगा फौि िें। पागल है पागल!'-येशब्द मकसनेकहे हैं? 25.
27. नेिािी सभ
ु ाषचंद्र बोस की प्रमििा मकसनेबनाई र्ी?
28. डर ाइंग िास्टर का क्या नाि र्ा?
36. सभ
ु ाषचंद्र बोस की प्रमििा पर चश्मा मकसनेलगाया र्ा?
37. अंमिि बार हालदार साहब नेनेिािी की िूमिवपर कौन-सा चश्मा देिा र्ा?
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