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अभ्यास प्रश्न 2021-22

ह दिं ी – अ (कोड-002)
कक्षा – दसवीं
प्रथम सत्र

1. नीचे दो गद्ािंश हदए गए ैं। हकसी एक गद्ािंश को पढ़कर उसपर आधाररत प्रश्नों के उत्तर दीहिए।
न िंदा, क्रोध और घृणा, ये सभी दर्ु णु हैं। लेनि मा व जीव में से अर्र इ दर्ु णु ों िो न िाल दीनजए, तो
सिंसार रि हो जाएर्ा। यह न िंदा िा ही भय है, जो दरु ाचाररयों पर अि िं ु श िा िाम िरता है। यह क्रोध ही है,
जो न्याय और सत्य िी रक्षा िरता है और यह घृणा ही है जो पाखडिं और धतू ुता िा दम िरती है। इ िा जब
हम दरुु पयोर् िरते हैं, तभी ये दर्ु णु हो जाते हैं। दया, िरुणा, प्रशसिं ा और भनि िा भी दरुु पयोर् निया जाए,
तो वे दर्ु णु हो जाएँर्े।
आत्मरक्षा प्राणी िा सबसे बडा धमु है और हमारी सभी म ोवृनियाँ इसी उद्देश्य िी पनू तु िरती हैं। वही नवष,
जो प्राणों िा ाश िर सिता है, प्राणों िा सिंिट भी दरू िर सिता है। म ष्ु य िो र्दिं र्ी से, दर्ु न्ु ध से, क्यों
स्वाभानवि घृणा होती है? िे वल इसनलए नि र्दिं र्ी से बचे रह ा उसिी आत्मरक्षा िे नलए आवश्यि है।
म ष्ु य नविास-क्षेत्र में उन् नत िरते-िरते इस पद िो पहचँ र्या है नि उसे हान िारि वस्तओु िं से अप े आप
घृणा हो जाती है। घृणा िा ही उग्र रूप भय है और पररष्िृ त रूप नववेि। ये ती ों एि ही वस्तु िे ाम हैं, उ में
िे वल मात्रा िा अतिं र है।
घृणा आत्मरक्षा िा ही एि रूप है। नजस वस्तु िा जीव में इत ा मल्ू य है, उसे नशनिल हो े दे ा, अप े पाँव
पर िुल्हाडी मार ा है। हममें अर्र भय हो तो साहस िा उदय िहाँ से हो? बनल्ि नजस तरह घृणा िा उग्र
रूप भय है, उसी तरह भय िा प्रचडिं रूप ही साहस है। ज़रूरत िे वल इस बात िी है नि हम व्यनियों से घृणा
िरिे उ िे बरु े आचरण से घृणा िरें । घृणा िा उद्देश्य ही यह है नि उससे बरु ाइयों िा पररष्िार हो।
जीव में जब घृणा िा इत ा महत्त्व है, तो सानहत्य िै से उसिी उपेक्षा िर सिता है, जो जीव िा ही प्रनतनबबिं
है? सानहत्य िी सृनि ही इसनलए हई नि ससिं ार में जो 'स'ु या सदिंु र है और इसनलए िल्याणिर है, उसिे प्रनत
म ष्ु य में प्रेम उत्पन् हो, तिा जो 'िु' या असदिंु र है और इसनलए असत्य है, उसिे प्रनत घृणा हो। सानहत्य और
िला िा यही मख्ु य उद्देश्य है। 'िु' और 'स'ु िा सग्रिं ाम ही सानहत्य िा इनतहास है।
- प्रेमचंद
(i) जिस वस्तु का िीवन में इतना मल्ू य है, उसे जिजिल होने देना, अपने पााँव पर कुल्हाडी मारना है।
नदए र्ए वाक्य में 'नजस वस्तु' निस चीज़ िे नलए प्रयि
ु हआ है?
(ि) भय
(ख) घृणा
(र्) साहस
(घ) आत्मरक्षा
(ii) 'पाप से घृणा करें , पापी से नहीं।'
र्द्ािंश िे िौ -से अ च्ु छे द में यह नवचार साम े आता है?
(ि) अ च्ु छे द 1
(ख) अ च्ु छे द 2
(र्) अ च्ु छे द 3
(घ) अ च्ु छे द 4

(iii) र्द्ािंश िे आधार पर िौ -सा/िौ -से िि सही है/हैं?


(ि) म ष्ु य िो िे वल सर्णु ों पर ध्या िें नित रख ा चानहए।
(ख) जीव में दर्ु ुणों िा िायु सर्णु ों िो सिंतनु लत रख ा है।
(र्) उनचत मात्रा में उपनस्ित दर्ु णु सर्णु िे सामा होता है।
(घ) सानहत्य िा मख्ु य उद्देश्य है िे वल 'स'ु िो उजार्र िर ा

(iv) ‘...साजहत्य कै से उसकी उपेक्षा कर सकता है, िो िीवन का ही प्रजतजबबं है?’


नदए र्ए वाक्य िे माध्यम से लेखि क्या िह ा चाहता है?
(ि) सानहत्य िे नब ा म ष्ु य िा जीव ीरस हो जाता है।
(ख) सानहत्य िे नवषय अक्सर आम जीव से प्रेररत होते हैं।
(र्) एि सिुशल जीव िे नलए सानहत्य िा ज्ञा ज़रूरी है।
(घ) लोर्ों िो अप ा जीव सानहत्य से प्रेररत होिर नबता ा चानहए।
(v) ' रि' शब्द िा मा ि रूप चनु ए।
(ि) िु
(ख) क्र
(र्) ुि
(घ) ि ृ
अथवा
भाषा अनभव्यनि िा माध्यम है। यह भाषा िी शायद सबसे परु ा ी और सहज पररभाषा है। इसिे साि सिंस्िृ नत िी
पहचा िो भी जोडा जाता है। भाषा व्यनियों िे एि परू े समाज िो, एि समचू ी सभ्यता िो पररभानषत िरती है।
भाषा इस बात िा दस्तावेज़ीिरण भी है नि म ष्ु य िै से नजया िा और िै से जी रहा है। इस दृनि से देखें तो भाषा
हमारा परू ा इनतहास है, जो हमें देखे र्ए और देखे जा े वाले सप ों, अच्छे और बरु े , दो ों से पररनचत िरवाती है।
यह सब समझ े िे बाद जब यह पता चलता है नि भाषा मरती भी है, तो एि झटिा-सा लर् ा स्वाभानवि है। जब
यह अहसास होता है नि अप ी निसी भाषा िे मर े में हमारा भी योर्दा होता है, तो झटिा नबजली िे िरिंट जैसा
हो जाता है। एि भाषा िे मर े िा अिु है एि इनतहास िा नमट ा, या निर ऐसा िहें नि नमट ा हीं, नमटा ा।
हमारे देश में िई भाषाएँ और बोनलयाँ हैं। इत ी भाषाएँ हो े से इस बात िा पता ही हीं चलता नि िब और िहाँ
हमारी ही िोई भाषा मर रही है। भारतीय भाषाओ िं िे िें िीय सिंस्िा िे एि आिल िे अ सु ार, लर्भर् 200
भारतीय भाषाएँ ख़तरे में हैं। भाषाओ िं िे ख़तरे में हो े िा अिु है नि, िभी ऐसी भी नस्िनत आ सिती है नि निसी
भाषा िो बोल े वाला िोई बचे ही हीं। यह नस्िनत दो तरीिों से आती है। एि तो यह नि प्रािृ नति िारणों से
िोई भाषा बोल े वाला समाज नवलप्तु हो जाए। दसू रा यह नि िोई समाज स्वयिं अप ी भाषा (मातृभाषा) िे प्रनत
उदासी हो जाए, निसी और भाषा िो बेहतर मा िर उसे स्वीिार िर ले। ख़तरा तो दो ों तरीिों से है। पर यह
दसू रा तरीिा अनधि ख़तर ाि प्रतीत होता है। इसिा मतलब होता है अप ी भाषा, अिाुत अप ी सभ्यता और
सिंस्िृ नत िी अवमा ा। यह अप ी पहचा िे प्रनत आपरानधि उदासी ता है। जब नस्िनत ऐसी आ जाए नि अप ी
भाषा बोल ा अपमा ज ि लर् े लर्े, अिवा दसू री भाषा में बोल े िी क्षमता शा िी बात मा ी जाए, तो भाषा
धीरे -धीरे मर े लर्ती है। बनल्ि यह िह सिते हैं हम उसे मार देते हैं। इससे त्रासद नस्िनत और क्या हो सिती है?

- जवश्वनाि सचदेव

(i) हमारी भाषा िब मर े लर्ती है?


(ि) जब हम अप ी भाषा िा प्रयोर् सोच-समझिर हीं िरते
(ख) जब हम अप ी भाषा िो सीख े में ज़्यादा समय लर्ाते हैं
(र्) जब हम अन्य भाषाओ िं में बोल ा सीख जाते हैं
(घ) जब हम अन्य भाषा िो बेहतर मा े लर्ते हैं

(ii) भाषा हमें निसिे बारे में बताती है?


(ि) हमारी सभ्यता िे भतू और वतुमा िाल िे बारे में
(ख) हमारे जीव में अच्छे सप ों िे महत्त्व िे बारे में
(र्) हमारी सस्िं िृ नत िो ई पहचा दे े िे बारे में
(घ) हमारे समाज पर आ े वाले ख़तरों िे बारे में

(iii) लेखि िे अ ुसार िौ -सी बात हमें धक्िा पहचँ ा सिती है?
(ि) नि भाषा हमारी सिंस्िृ नत िी पहचा है
(ख) नि भाषा हमारे िारण ख़त्म हो सिती है
(र्) नि भाषा िे मर े से मा व जानत ख़त्म हो सिती है
(घ) नि मातृभाषा बोल ा अपमा ज ि भी लर् सिता है

(iv) र्द्ािंश िे अ सु ार, भाषा िे स्वयिं नमट े और उसे नमटा दे े में क्या अतिं र है?
(ि) भाषा प्रािृ नति िारणों से नमट सिती है, परन्तु उसिा नमटाया जा ा मा वीय िारणों से होता है।
(ख) बहत-सी भाषाएँ रोज़ नमटती रहती हैं, पर उन्हें नमटा ा एि दीघुिानलि प्रनक्रया है।
(र्) भाषा िे स्वयिं नमट े से िोई ख़तरा हीं है पर उसे नमटा ा बहत ख़तर ाि है।
(घ) ऐसे निसी अतिं र िे बारे में िोई जा िारी हीं दी र्ई है।

(v) पहले अ च्ु छे द में मख्ु य रूप से क्या बताया र्या है?
(ि) भाषा िा सिंपणू ु इनतहास
(ख) दैन ि जीव में भाषा िा प्रयोर्
(र्) म ष्ु य और भाषा िा अ ोखा सिंबिंध
(घ) भाषा िे भनवष्य िो सधु ार े िे सझु ाव

(ख) नीचे दो कावयािंश हदए गए ैं। हकसी एक कावयािंश को ध्यानपूववक पढ़कर उस पर आधाररत प्रश्नों के
उत्तर दीहिए।

वषाु े आज नवदाई ली जाडे े िुछ अर्िं डाई ली,


प्रिृ नत े पावस बँदू ों से रक्षण िी व भरपाई ली। [1]

सरू ज िी निरणों िे पि से िाले-िाले आवरण हटे,


डूबे टीले महि उठ्ठी नद िी रातों िे चरण हटे। [2]

पहले उदार िी र्र् वृनि अब तो उदार हो उठे खेत,


यह ऊर्-ऊर् आई बहार वह लहरा े लर् र्ई रे त। [3]

ऊपर से ीचे नर्र े िे नद -रात र्ए छनवयाँ छाई,िं


ीचे से ऊपर उठ े िी हररयाली पु ः लौट आई। [4]

अब पु ः बाँसरु ी बजा उठे ब्रज िे यमु ा वाले िछार,


धल
ु र्ए नि ारे नदयों िे धल ु र्ए र्र् में घ अपार। [5]

ालों नदयों सार्रों सरों े भ से ीलािंबर पाए,


खेतों िी नमटी िानलमा उठ वे हरे -हरे सब हो आए। [6]

नघर े नर्र े िे तरल रहस्यों िा सहसा अवसा हआ,


दाएँ-बाएँ से उठी पव उठते पौधों िा मा हआ। [7]

आ े लर् र्ई धरा पर भी मौसमी हवा छनव प्यारी िी,


यादों में लौट रही न नधयाँ म मोह ििंु ज नबहारी िी। [8]
- माखनलाल चतवु दे ी

(i) िनव े वषाु िे जा े िे बाद प्रिृ नत में निस बदलाव िा वणु हीं निया है?
(ि) नद -रात बाररश हो े से राहत नमल ा
(ख) खेतों िी िाली नमट्टी से पौधों िा हरा-भरा हो ा
(र्) वषाु िे पा ी में डूबे टीलों िा निर से नदखाई दे ा
(घ) जाडे िे आर्म से धरती पर वातावरण िा सहु ाव ा हो ा

(ii) 'सरू ि की जकरणों के पि से काले-काले आवरण हटे'


इस पिंनि िा आशय क्या है?
(ि) सरू ज िी निरणें िाले-िाले रास्तों से र्ज़ु र रही हैं।
(ख) सरू ज िी निरणों िे रास्ते में से िाले-िाले बादल हट र्ए हैं।
(र्) िाले-िाले बादलों िे िारण नद में ही रात जैसा प्रतीत होता है।
(घ) िाले-िाले बादलों िे िारण सरू ज िी रोश ी ज़मी पर हीं आ रही है।

(iii) बादलों के जघरने और आसमान से बाररि के रूप में पानी जिरने का रहस्य अचानक समाप्त हो िया है।
यह भाव निस पनिं ि में स्पि हो रहा है?
(ि) ीचे से ऊपर उठ े िी हररयाली पु ः लौट आई
(ख) पहले उदार िी र्र् वृनि अब तो उदार हो उठे खेत
(र्) आ े लर् र्ई धरा पर भी मौसमी हवा छनव प्यारी िी
(घ) नघर े नर्र े िे तरल रहस्यों िा सहसा अवसा हआ

(iv) िनवता िे आधार पर न म् नलनखत में से िौ -सा िि र्लत है?


(ि) वषाु िा मौसम चला र्या है और जाडे िा मौसम शरू ु हो र्या है।
(ख) पा ी में डूबे टीले अभी सूख रहे हैं और उ से अब नमट्टी िी खश
ु बू आ े लर्ी है।
(र्) बहत नद ों ति नद -रात वषाु हई नजसिे िारण अभी चारों ओर हररयाली छाई है।
(घ) बाररश िा मौसम जा े िे बाद सारे ाले, नदयाँ, सार्रों, सरोवरों से पा ी सख
ू र्या है।

(v) वषाु ऋतु और शरद ऋतु िा आपस में क्या सिंबिंध है?
(ि) शरद ऋतु में र्मी और वषाु ऋतु में मौसम सहु ाव ा रहता है।
(ख) वषाु और शरद ऋतु दो ों साि-साि आती हैं।
(र्) वषाु ऋतु जा े िे बाद शरद ऋतु आती है।
(घ) वषाु ऋतु से पहले शरद ऋतु आती है।
अथवा
हनम्नहिहखत कावयािंश को पढ़कर उस पर आधाररत प्रश्नों के उत्तर दीहिए।
र्र् -र्र् तेरा यश िहरा
पव -पव तेरा बल र्हरा
नक्षनत-जल- भ पर डाल नहडिं ोले
चरण-चरण सिंचरण सु हरा
ओ ऋनषयों िे त्वेष
प्यारे भारत देश।। [1]

वेदों से बनलदा ों ति जो होड लर्ी


प्रिम प्रभात निरण से नहम में जोत जार्ी
उतर पडी र्र्िं ा खेतों खनलहा ों ति
मा ो आँसू आए बनल-महमा ों ति
सख ु िर जर् िे क्लेश
प्यारे भारत देश।। [2]

जपी-तपी, सन्िं यासी, िषुि िृ ष्ण रिंर् में डूबे


हम सब एि, अ ेि रूप में, क्या उभरे क्या ऊबे
सजर् एनशया िी सीमा में रहता िे द हीं
िाले-र्ोरे , रिंर्-नबरिंर्े हममें भेद हीं
श्रम िे भाग्य न वेश
प्यारे भारत देश।। [3]
- माखनलाल चतवु दे ी

शब्दािु:
नक्षनत - पृनवव
सच िं रण - चल ा, िै ल ा
त्वेष - प्रिानशत
बनल-महमा ों - बनल राजा और उसिी प्रजा
न वेश - लाभ हेतु निसी व्यापार या ििंप ी में ध लर्ा ा

(i) तीसरे पररच्छे द िा मल


ू भाव क्या है?
(ि) ज्ञा िी महिा
(ख) ज ता िी सिा
(र्) अ ेिता में एिता
(घ) भेदभावों िी प्रमख ु ता
(ii) भारत देश निससे प्रिानशत है?
(ि) नवज्ञा िे अनवष्िारों और चमत्िारों से
(ख) िृ षिों िी मेह त और बनलदा ों से
(र्) ज ता िी ईमा दारी और सिंघषु से
(घ) ऋनषयों िे ज्ञा और तपस्या से

(iii) िनव े आँसू निसे िहा है?


(ि) र्र्िं ा जल िो
(ख) वषाु जल िो
(र्) समिु िो
(घ) खेतों िो

(iv) 'प्रिम प्रभात जकरण से जहम में िोत िािी'


रे खानिं ित शब्दों िा क्या अिु है?
(ि) क्रोनधत हो ा
(ख) सर्िं नठत िर ा
(र्) नविोह िर दे ा
(घ) चेत ा उत्पन् हो ा

(v) 'श्रम िे भाग्य न वेश' से िनव िा क्या तात्पयु है?


(ि) मेह त से भनवष्य ब ा े िा सि िं ल्प िर ा
(ख) ज्ञा और नवज्ञा िे क्षेत्र में अनधि मेह त िर ा
(र्) अधिं श्रद्धाओ िं और अज्ञा िो नमटा े िा प्रयास िर ा
(घ) लोर्ों िो अनधि ध और सपिं नि दे े िा प्रयास िर ा

3. हनदेशानुसार प्रश्नों के उत्तर दीहिए।


(i) नदए र्ए वाक्यों में सरल वाक्य िौ -सा है?
(ि) नपताजी चाहते हैं नि मैं सरिारी ौिरी िरूँ।
(ख) जब घर आओर्े, तब आम िे पेड पर आम लर्े होंर्े।
(र्) मोह िे हाि से िाँच िा नर्लास छूटिर ीचे नर्र र्या।
(घ) अभ्यास िरोर्े, तभी तो एिदम स्वानदि खा ा ब ा ा सीखोर्े।

(ii) नदए र्ए वाक्यों में सिंयि


ु वाक्य िौ -सा है?
(ि) वह खा ा खािर सो र्या।
(ख) अध्यानपिा े िहा नि िल छुट्टी है।
(र्) र्ीता नजस घर में रहती है, वह बहत सन्ु दर है।
(घ) मैं े आवाज़ सु ी और दौडिर बाहर चली आई।

(iii) नदए र्ए वाक्यों िो नमलािर ब ाए र्ए उनचत सिंयि


ु वाक्य िो चनु ए।
अजभनव घर िया। वह सो िया।

(ि) अनभ व घर जािर सो र्या।


(ख) अनभ व घर जाते ही सो र्या।
(र्) अनभ व घर र्या और सो र्या।
(घ) जब अनभ व घर र्या, तब वह सो र्या।

(iv) नदए र्ए नमनश्रत वाक्य िा अिु बदले नब ा सरल वाक्य में पररवतु िै से होर्ा?
िैसे ही मैंने चीख सनु ी, मैं दौडकर बाहर िई।

(ि) मझु े चीख सु ाई दी, इसनलए मैं दौडिर बाहर र्ई।


(ख) जब मैं े चीख सु ी, मैं दौडिर बाहर र्ई।
(र्) मैं े चीख सु ी और दौडिर बाहर र्ई।
(घ) चीख सु ते ही मैं दौडिर बाहर र्ई।

(v) सरकार ने जकसानों की मााँि परू ी करने के जलए िेहाँ की कीमत बढ़ाने की घोषणा की।
इस वाक्य िा अिु बदले नब ा सयिं ि ु वाक्य में रूपातिं रण निस प्रिार होर्ा?

(ि) जब सरिार े निसा ों िी माँर् परू ी िी, तब र्ेहँ िी िीमत बढ़ र्ई।


(ख) जब सरिार े र्ेहँ िी िीमत बढ़ाई, तब निसा ों िी माँर् पूरी हो र्ई।
(र्) सरिार े निसा ों िी माँर् परू ी िरते हए र्ेहँ िी िीमत बढ़ा े िी घोषणा िी।
(घ) सरिार े र्ेहँ िी िीमत बढ़ा े िी घोषणा िी, तानि निसा ों िी माँर् परू ी हो जाए।

4. हनदेशानुसार प्रश्नों के उत्तर दीहिए।


(i) न म् नलनखत वाक्य में प्रयुि 'शािंनतपवू ि
ु ' िा पद-पररचय क्या होर्ा?
अच्छे बच्चे कक्षा में िांजतपवू वक बैठते हैं।

(ि) सावु ानमि नवशेषण


(ख) न जतवाचि सवु ाम
(र्) ‘बैठते हैं’ नक्रया िा िमु
(घ) ‘बैठते हैं’ नक्रया िा नवशेषण

(ii) न म् नलनखत वाक्य में ' ीरजा' िा पद-पररचय क्या होर्ा?


कबीर नीरिा के जलए जमठाई लाया।

(ि) जानतवाचि सिंज्ञा, पनु ल्लिंर्, एिवच


(ख) भाववाचि सिंज्ञा, स्त्रीनलिंर्, एिवच
(र्) व्यनिवाचि सिंज्ञा, स्त्रीनलिंर्, एिवच
(घ) व्यनिवाचि सिंज्ञा, स्त्रीनलिंर्, िरण िारि

(iii) न म् नलनखत वाक्य में 'िक्षा में' पद िा सही पद-पररचय क्या होर्ा?
िसप्रीत दसवीं कक्षा में पढ़ती है।

(ि) जानतवाचि सज्ञिं ा, एिवच , पनु ल्लर्िं , िमु िारि, ‘पढ़ती’ नक्रया से सबिं धिं
(ख) जानतवाचि सज्ञिं ा, पनु ल्लर्िं , एिवच , वतुमा िाल, ‘पढ़ती’ नक्रया से सबिं धिं
(र्) जानतवाचि सज्ञिं ा, स्त्रीनलर्िं , एिवच , अनधिरण िारि, ‘पढ़ती’ नक्रया से सबिं धिं
(घ) व्यनिवाचि सज्ञिं ा, स्त्रीनलर्िं , एिवच , अनधिरण िारि, ‘पढ़ती’ नक्रया से सबिं धिं

(iv) न म् नलनखत वाक्य में प्रयि


ु 'नवद्ालय से' िा सही पद-पररचय क्या होर्ा?
वह जवद्यालय से अभी-अभी िया है।

(ि) जानतवाचि सज्ञिं ा, एिवच , स्त्रीनलर्िं , िरण िारि


(ख) जानतवाचि सज्ञिं ा, एिवच , पनु ल्लर्िं , अपादा िारि
(र्) परुु षवाचि सवु ाम, पनु ल्लर्िं , एिवच , सम्बन्ध िारि
(घ) जानतवाचि सिंज्ञा, एिवच , स्त्रीनलिंर्, अनधिरण िारि

(v) न म् नलनखत वाक्य में ‘लडनियाँ’ िा पद-पररचय क्या होर्ा?


लडजकयााँ जवद्यालय िा रही हैं।

(ि) जानतवाचि सिंज्ञा, बहवच


(ख) व्यनिवाचि सिंज्ञा, बहवच
(र्) जानतवाचि सिंज्ञा, एिवच
(घ) व्यनिवाचि सिंज्ञा, एिवच
5. हनदेशानस ु ार प्रश्नों के उत्तर दीहिए।
(i) न म् नलनखत वाक्य में निसिा/नि िा प्रयोर् िमु िे अ सु ार हआ है?
मोजहनी द्वारा ये पत्र जलखे िए हैं।

(ि) िे वल वच
(ख) िे वल नक्रया
(र्) िे वल वच और नलिंर्
(घ) ती ों - नक्रया, वच और नलिंर्

(ii) न म् नलनखत वाक्य िा ितृुवाच्य में रूपािंतरण निस प्रिार होर्ा?


लडकों द्वारा सेब के बिीचे ढूाँढ़े िा रहे हैं।

(ि) लडिे सेब िे बर्ीचे ढूँढ़ सिते हैं।


(ख) लडिों े सेब िे बर्ीचे ढूँढ़ नलए।
(र्) लडिों से सेब िे बर्ीचे ढूँढ़े र्ए।
(घ) लडिे सेब िे बर्ीचे ढूँढ़ रहे हैं।

(iv) न म् नलनखत वाक्य िा िमुवाच्य रूप क्या होर्ा?


धोनी ने सबको परु स्कार जदए।
(ि) धो ी द्वारा सबिो परु स्िार नमल र्ए।
(ख) धो ी द्वारा सबिो परु स्िार नदए र्ए।
(र्) धो ी सबिो परु स्िार दे रही है।
(घ) धो ी से सबिो परु स्िार नमले।

(v) न म् नलनखत वाक्य िे नलए सही िि चनु ए।


लडजकयों द्वारा तैरा िा रहा है।

(ि) यह िमुवाच्य है क्योंनि इसमें िताु हीं है।


(ख) यह िृ तृवाच्य है क्योंनि इसमें िमु प्रधा हीं है।
(र्) यह भाववाच्य है क्योंनि इसमें अिमुि नक्रया है।
(घ) यह िमुवाच्य है क्योंनि इसमें अिमुि नक्रया है।

6. हनदेशानुसार प्रश्नों के उत्तर दीहिए।


(i) िौ -से रस िा स्िायीभाव नवस्मय है?
(ि) अद्भुत
(ख) वीभत्स
(र्) हास्य
(घ) वीर

(ii) न म् नलनखत वाक्य िे आलिंब नवभाव में आश्रय और नवषय क्या है?
बाजार में नए जखलौनों को देखकर लाव्या खि
ु ी से कूदने लिी।

(ि) आश्रय - नखलौ े, नवषय - बाज़ार


(ख) आश्रय - नखलौ े, नवषय - खश ु ी से िूद ा
(र्) आश्रय - लाव्या, नवषय - खशु ी से िूद ा
(घ) आश्रय - लाव्या, नवषय - नखलौ ों िो देख ा

(iii) िरुण रस िी न ष्पनि निस भाव िी अनधिता से होती है?


(ि) भय
(ख) शोि
(र्) क्रोध
(घ) न वेद

(iv) न म् नलनखत पनिं ि में न नहत रस पहचान ए।


जसर पर बैठ्यो काि आाँख दोउ खात जनकारत।
खींचत िीभजहं स्यार अजतजह आनदं उर धारत।।

(ि) रौि
(ख) शातिं
(र्) िरुण
(घ) वीभत्स

(v) वीर तमु बढ़े चलो, धीर तमु बढ़े चलो।


सामने पहाड हो, जसंह की दहाड हो।
इ पिंनियों में िौ -सा स्िायी भाव है?

(ि) उत्साह
(ख) न वेद
(र्) हास
(घ) रनत

7. हनम्नहिहखत गद्ािंश को ध्यानपवू वक पढ़कर उस पर आधाररत प्रश्नों के उत्तर दीहिए।


"इस तरह अग्रिं ेज़ी पढ़ोर्े, तो नज़न्दर्ी-भर पढ़ते रहोर्े और एि हर्ु आएर्ा। अग्रिं ेज़ी पढ़ ा िोई हँसी-खेल हीं है
नि जो चाहे, पढ़ ले, हीं तो ऐरा-र्ैरा त्ि-ू खैरा सभी अग्रिं ेज़ी िे नवद्वा हो जाते। यहाँ रात-नद आँखें िोड ी पडती
हैं और खू जला ा पडता है, तब िहीं यह नवद्ा आती है। और आती क्या है, हाँ, िह े िो आ जाती है। बडे-बडे
नवद्वा भी शद्धु अग्रिं ेज़ी हीं नलख सिते, बोल ा तो दरू रहा। और मैं िहता ह,ँ तमु नित े घोंघा हो नि मझु े देखिर
भी सबि हीं लेते। मैं नित ी मेह त िरता ह,ँ तमु अप ी आँखों से देखते हो, अर्र हीं देखते, जो यह तम्ु हारी
आँखों िा िसरू है, तम्ु हारी बनु द्ध िा िसरू है। इत े मेले-तमाशे होते हैं, मझु े तमु े िभी देख े जाते देखा है? रोज़
ही नक्रिे ट और हॉिी मैच होते हैं। मैं पास हीं िटिता। हमेशा पढ़ता रहता ह,ँ उस पर भी एि-एि दरजे में दो-दो,
ती -ती साल पडा रहता ह,ँ निर भी तमु िै से आशा िरते हो नि तमु यों खेल-िूद में वक्त र्ँवािर पास हो
जाओर्े? मझु े तो दो ही ती साल लर्ते हैं, तमु उम्र-भर इसी दरजे में पडे सडते रहोर्े? अर्र तम्ु हें इस तरह उम्र
र्ँवा ी है, तो बेहतर है, घर चले जाओ और मज़े से र्ल्ु ली-डिंडा खेलो। दादा िी र्ाढ़ी िमाई िे रूपये क्यों बरबाद
िरते हो?"

(i) अग्रिं ेज़ी िे बारे में बडे भाई साहब िे क्या नवचार हैं?
(ि) यह भाषा अत्यतिं रोचि है।
(ख) यह भाषा बहत ही ीरस है।
(र्) यह भाषा नहदिं ी से नमलती-जल ु ती है।
(घ) यह भाषा सीख े में बहत ही िनठ है।

(ii) बडे भाई साहब े लेखि िो घर वापस चले जा े िी सलाह क्यों दी?
(ि) क्योंनि घर पर दादा िो रुपयों िी आवश्यिता िी।
(ख) क्योंनि लेखि िो घर पर र्ल्ु ली-डिंडा खेल ा पसदिं िा।
(र्) क्योंनि लेखि िई वषों से एि ही िक्षा में पढ़ रहा िा।
(घ) क्योंनि उ िे अ सु ार लेखि अप ा समय बबाुद िर रहा िा।

(iii) बडे भाई साहब नक्रिे ट और हॉिी िे मैच देख े क्यों हीं जाते?
(ि) क्योंनि उन्हें मेले-तमाशे देख ा ज़्यादा पसिंद है।
(ख) क्योंनि वे पढ़ाई िर ा ज़्यादा ज़रूरी समझते हैं।
(र्) क्योंनि पढ़ाई िे बाद उ िे पास समय हीं बचता।
(घ) क्योंनि उन्हें नक्रिे ट और हॉिी में नदलचस्पी हीं है।
(iv) बडे भाई साहब छोटे भाई से िठोरता से क्यों पेश आते िे?
(ि) क्योंनि वे छोटे भाई िी भलाई चाहते िे।
(ख) क्योंनि वे छोटे भाई से र्रत िरते िे।
(र्) क्योंनि वे छोटे भाई से ईष्याु िरते िे।
(घ) क्योंनि वे बडे र्स्ु सैल स्वभाव िे िे।

(v) 'और मैं कहता ह,ाँ तमु जकतने घोंघा हो जक मझु े देखकर भी सबक नही लेते।'
रे खािंनित महु ावरे िा क्या अिु है?
(ि) अधिं ा हो ा
(ख) आलसी हो ा
(र्) शरारती हो ा
(घ) बेविूर् हो ा

8. हनम्नहिहखत प्रश्नों के हिए उहचत हवकल्प चुहनए।


(i) 'सप ों िे से नद ' पाठ में लेखि े _________ िी मदद से अप ी पढ़ाई जारी रखी।
(ि) दोस्तों
(ख) घरवालों
(र्) मास्टर प्रीतमचदिं
(घ) हेडमास्टर सानहब

(ii) शेख अयाज़ िे नपता, सोलोमे और लेखि िी माँ में क्या समा ता िी?
(ि) वे बहत साहसी िे।
(ख) वे पश-ु पनक्षयों िी भाषा समझते िे।
(र्) वे पश-ु पनक्षयों िी भाव ाओ िं िो समझते िे।
(घ) वे र्लती िो मार् िर े िी प्रािु ा िरते िे।

9. हनम्नहिहखत पिंहियों को पढ़कर उस पर आधाररत प्रश्नों के उत्तर दीहिए।


कस्तरू ी कंु डजल बसै, मृि ढूाँढै बन मााँजह।
ऐसैं घजट घजट रााँम है, दजु नयााँ देखै नााँजह॥ं

जनंदक नेडा राजखए, आाँिजण कुटी बाँधाइ।


जबन साबण पााँणीं जबना, जनरमल करै सभु ाइ॥

(i) दसू रे दोहे में प्रयि


ु शब्द 'सभु ाई' िा मा ि रूप क्या है?
(ि) वाणी
(ख) सबु ह
(र्) शरीर
(घ) स्वभाव

(ii) िनव िे अ सु ार, मृर् जर्िं ल में निसिी खोज में घमू ता रहता है?
(ि) पा ी िी
(ख) खा े िी
(र्) ईश्वर िे दशु िी
(घ) सर्ु धिं िे स्रोत िी

(iii) पहले दोहे में 'घनट घनट राँम है' िा अिु है नि भर्वा राम ________ नवद्मा हैं।
(ि) हर घर में
(ख) हर मनिं दर में
(र्) सबिे अतिं मु में
(घ) पहाडों िी घानटयों में

(iv) दसू रे दोहे में प्रयि


ु 'आँर्नण िुटी बँधाइ' से क्या तात्पयु है?
(ि) मदद िर ा
(ख) न रादर िर ा
(र्) घर से दरू रख ा
(घ) अप े पास रख ा

(v) हमें नि लोर्ों िो अप े पास रख ा चानहए?


(ि) जो हमसे प्यार िरते हैं
(ख) जो हमें अच्छी तरह जा ते हैं
(र्) जो हमारी आलोच ा िरते हैं
(घ) जो हमारा स्वभाव बदल ा चाहते हैं

10. हनम्नहिहखत प्रश्नों के हिए उहचत हवकल्प चुहनए।


(i) िनव िे अ सु ार िौ 'म ष्ु य' िहला े योग्य है?
(ि) जो म ष्ु य अप े नलए जीता है
(ख) जो म ष्ु य दसू रों से बातचीत िरता है
(र्) जो म ष्ु य दसू रों िो सच्चाई िी राह पर चल े िी प्रेरणा देता है
(घ) जो म ष्ु य दसू रों िो अखडिं भाव और भाईचारे िी भाव ा में बाँधता है
(ii) 'पवुत प्रदेश में पावस' िनवता िे आधार पर न नित रूप से िह सिते हैं नि िनव __________ है।
(ि) प्रिृ नत प्रेमी
(ख) भर्ू ोल शास्त्री
(र्) पयाुवरण सिंरक्षि
(घ) व स्पनत वैज्ञान ि

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