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ेमचंद
ल खत:
(क) न न ल खत !न" के उ$तर (25-30 पि(तय" म* ) ल खए -
उ$तर1: छोटे भाई ने टाइम टे Pबल बनाते यह सोचा Hक वह मन लगाकर पढ़ाई करे गा और अपने
बड़े भाई साहब को शकायत का कोई मौका न दे गा पर@तु उसके JवXछं द Jवभाव के
कारण वह अपने हC टाईम टे Pबल का पालन नहCं कर पाया य Hक पढ़ाई के समय उसे
खेल के हरे -भरे मैदान, फुटबॉल, बॉलCबॉल और म] क टो लयाँ अपनी ओर खींच लेते
थे।
उ$तर2: एक 5दन गुDलC डंडा खेलने के बाद छोटे भाई का सामना बड़े भाई से हो जाता है । उसे
दे खते हC बड़े भाई साहब उसे समझाने लगते हS Hक एक बार कUा म अ`वल आने का
ता/पय; यह नहCं Hक वह अपने पर घमंड करने लगे य Hक घमंड तो रावण जैसे
शि तशालC को भी ले डूबा इस लए उसे इसी तरह समय बबा;द करना है तो उसे घर चले
जाना चा5हए। उसे Kपता क मेहनत क कमाई को यूँ खेल कूद म बबा;द करना शोभा नहCं
दे ता नहCं है ।
उ$तर3: बड़े भाई होने के नाते वे अपने छोटे भाई के सामने एक आदश; Jतत
ु करना चाहते थे।
उ@ह अपने नै तक कत;`य का aान था वे अपने Hकसी भी कायb Lवारा अपने छोटे भाई के
सामने गलत उदाहरण रखना नहCं चाहते थे िजससे Hक उनके छोटे भाई पर बुरा असर
पड़े। इस लए बड़े भाई साहब को अपने मन क इXछा दबानी पड़ती थी।
उ$तर4: बड़े भाई साहब छोटे भाई साहब को हमेशा पढ़ाई के लए पcरdम क सलाह दे ते थे। उनके
अनुसार एक बार कUा म अ`वल आने का ता/पय; यह नहCं Hक हर बार वह हC अ`वल
आए। घमंड और जDदबाजी न करते हुए उसे अपनी नींव मजबूती क ओर eयान दे ना
चा5हए। अत: पढ़ाई के लए सतत अeययन, खेल कूद से eयान हटाना तथा मन क
इXछाओं को दबाना आ5द सलाह वे समय-समय पर दे ते रहते थे।
उ$तर5: बड़े भाई के नरम `यवहार का छोटे भाई ने गलत फायदा उठाना शg
ु कर 5दया। छोटे भाई
क JवXछं दता बढ़ गई अब वह पढ़ने- लखने क अपेUा सारा eयान खेल-कूद म लगाने
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लगा। उसे लगने लगा Hक वह पढ़े या न पढ़े परCUा म पास तो हो हC जाएगा। उसके मन
म अपने बड़े भाई के त आदर और उनसे डरने क भावना कम होती जा रहC थी।
उ$तर1: मेरे अनुसार बड़े भाई क डाँट फटकार का हC अ /यU पcरणाम था Hक छोटा भाई कUा म
अ`वल आया। य Hक छोटे भाई को वैसे हC पढ़ने लखने क अपेUा खेल-कूद कुछ hयादा
हC पसंद था। ये तो बड़े भाई के उस पर अंकुश रखने के कारण वह घंटा दो घंटा पढाई
कर लेता था िजसके कारण वह परCUा म अ`वल आ जाता था।
उ$तर2: मS लेखक के शUा पर Hकए `यंग पर परू C तरह सहमत हूँ । पाठ म बXच क `यावहाcरक
शUा को पूरC तरह नजर अंदाज Hकया है । पाठ म बXच के aान कौशल को बढ़ाने क
बजाए उसे रjू तोता बनाने पर जोर 5दया गया है जो Hक सवा;Iधक अनIु चत है । परCUा
णालC म आंकड़ को मह//व 5दया गया है । बXच के सवाkगीण Kवकास क ओर शUा
णालC कोई eयान नहCं दे ती है ।
उ$तर3: बड़े भाई के अनुसार जीवन क समझ aान के साथ अनुभव और `यावहाcरकता से आती
है । पुJतक य aान को अनुभव म उतारने पर हC हम सहC जीवन जी सकते हS। हमारे बड़े
बुजुगb ने भले कोई Hकताबी aान नहCं ाlत Hकया था पर@तु अपने अनुभव और `यवहार
के Lवारा उ@ह ने अपने जीवन क हर परCUा को सफलतापूवक
; पार Hकया। अत: पुJतक य
aान और अनुभव के तालमेल Lवारा जीवन क समझ आती है ।
उ$तर4: छोटे भाई के मन म बड़े भाई साहब के लए deदा उ/प@न हुई जब उसे पता चला उसके
बड़े भाई साहब उसे सहC राह 5दखाने के लए अपनी Hकतनी हC इXछाओं का दमन करते
थे, उसके पास हो जाने से उ@ह कोई ईEया; नहCं होती थी और वे केवल अपने बड़े भाई
होने का कत;`य नभा रहे थे।
उ$तर7: (क) Hफर भी मS भाई साहब का अदब करता था और उनक नज़र बचाकर कनकौए उड़ाता
था। मांझा दे ना, क@ने बाँधना, पतंग टूना;मट क तैयाcरयाँ आ5द सब गुlत gप से हल हो
जाती थीं।
(ग) संयोग से उसी व त एक कटा हुआ कनकौआ हमारे ऊपर से गज ु रा। उसक डोर लटक रहC
थी। लड़क का एक गोल पीछे -पीछे दौड़ा चला आता था। भाई साहब लंबे हS हC। उछलकर
उसक डोर पकड़ लC और बेतहाशा होJटल क तरफ़ दौड़े। मS पीछे -पीछे दौड़ रहा था।
(घ) तो भाईजान, यह गgर 5दल से नकाल डालो Hक तुम मेरे समीप आ गए हो और Jवतं]त
हो। मेरे रहते तुम बेराह न चलने पाओगे। अगर तुम य न मानोगे तो मS (थlपड़ 5दखाकर)
इसका योग भी कर सकता हूँ। मS जानता हूँ, तु ह बात जहर लग रहC हS।
मौ खक
उ$तर1: कथा नायक क vIच खेल-कूद, मैदान क सुखद हcरयालC, कनकौए उड़ाने, कंकcरयाँ
उछालने, कागज़ क तत लयाँ बनाकर उड़ाने, चहारदCवारC पर चढ़कर ऊपर-नीचे कूदने,
फाटक पर सवार होकर मोटर गाडी का आनंद तथा म] के साथ बाहर फुटबॉल और
बॉलCबॉल खेलने म थी ।
उ$तर2: बड़े भाई साहब छोटे भाई से हर समय पहला सवाल पूछते थे Hक - 'कहाँ थे?'
उ$तर3: दस
ू रC बार पास होने पर छोटे भाई के `यवहार म यह पcरवत;न आया Hक वह पहले क
अपेUा कुछ hयादा हC JवXछं द और मनमानी करनेवाला बन गया था।
उ$तर4: बड़े भाई साहब छोटे भाई से पाँच साल बड़े थे और वे छोटे भाई से चार दजx आगे अथा;त ्
नौवीं कUा म थे और छोटा भाई पाँचवीं कUा म था।
उ$तर5: बड़े भाई साहब 5दमाग को आराम दे ने के लए कभी कॉपी पर तो कभी Hकताब के हा शय
पर Iचyड़य , कु/त , PबिDलय के Iच] बनाते थे। कभी-कभी वे एक श4द या वा य को
अनेक बार लख डालते, कभी एक शेर-शायरC क बार-बार सु@दर अUर म नक़ल करते।
कभी ऐसी श4द रचना करते, जो नरथ;क होती, कभी Hकसी आदमी का चेहरा बनाते थे।
भाषा अ;ययन
उ$तर1: नसीहत- मशवरा, सलाह, सीख।
रोष- गJ
ु सा, Qोध, Uोभ।
NCERT Solution
आजादC- Jवाधीनता, Jवतं]ता, मिु त।
राजा- महCप, भप
ू त, नप
ृ ।
ताज4ु ब- आrचय;, अचंभा, अचरज।
उ$तर2:
मुहावरे वा य
सर पर नंगी तल उधार लेने के कारण रोहन के सर परहमेशा साहूकार क नंगी तलवा
वार लटकना र लटकतीरहती है ।
आड़े हाथ लेना Kपता ने राम क गलती पर उसे आड़े हाथ लया।
अंधे के हाथ बटे र कम पढ़े - लखे रमेश को इतनी अXछwनौकरC का लगना
लगना जैसे अंधे के हाथ बटे रका लगना है ।
आजकल के न@ह-मु@ने बXच को संभालनाऔर उनके rन के उ/तर
लोहे के चने चबाना दे ना लोहे के चनेचबाने क तरह है ।
दाँत पसीना आना ग णत के इन सवाल ने तो मेरे दाँत पसीने नकाल 5दए ।
अब तो यहC बात हो गई Hक कोई भी ऐरा-
ऐरा-गैरा न/थू खैरा गैरा आएगा और उपदे श दे ने लगेगा ।
उ$तर3:
त/सम त2व दे शज आगत
चेEटा जानलेवा घुड़Hकयाँ तालCम
सिू तबाण आँखफोड़ जDदबाजी
आIधप/य प@ना Jपेशल
मेला भाईसाहब पR
ु ता Jक म
फटकार टाइम-टे Pबल
ात:काल जमात
KवL नपुण हफ़;
अवहे लना तमाशा
मसलन