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बड़े भाई साहब

कक्षा 10
प्रेमचंद का जन्म ३१ जुलाई १८८० को
वाराणसी जिले (उत्तर प्रदेश) के लमही गाँव में
एक कायस्थ परिवार में हुआ था। उनकी माता
का नाम आनन्दी देवी तथा पिता का नाम मुंशी
अजायबराय था जो लमही में डाकमुंशी
थे। प्रेमचंद की आरंभिक शिक्षा फ़ारसी में हुई।
छोटा भाई
•खेलकू द ,पतंगबाजी इत्यादि का शौक ।
•पढ़ाई पर ध्यान कम देना।
•मैदान की सुखद हरियाली और ठंडी हवा के झोंकों के आकर्षण के कारण
टाइम टेबल की उपेक्षा।
•भाई साहब के प्रति सम्मान का भाव तथा मन में उनसे डर की भावना |
•बड़े भाई साहब की नजर बचाकर खेलकू द का, पतंगबाजी का शौक पूरा
करना।
बड़े भाई साहब
स्वभाव से अध्ययन शील होने पर भी पढ़ाई के प्रति गंभीरता का अभाव
*छोटे भाई के प्रति कर्तव्य बोध। इस उत्तरदायित्व का गंभीरता पूर्वक निर्वहन
करना तथा तरह-तरह के उदाहरणों द्वारा अपनी बात को सिद्ध करना
छोटे भाई की निगरानी के जन्मसिद्ध अधिकार का भरपूर उपयोग ,छोटे भाई को
पुस्तकीय ज्ञान के स्थान पर व्यवहारिक ज्ञान के महत्व को समझाना।
* छोटे भाई के समक्ष अपनी आदर्श स्थिति बनाए रखने हेतु सतत प्रयत्नशील
तथा एक मिसाल कायम करने अथवा उदाहरण प्रस्तुत करने की चेष्टा।
बड़े भाई साहब और उनके छोटे भाई में पाँच
वर्ष का अंतर है किन्तु वे अपने छोटे भाई से
के वल तीन कक्षाएं ही आगे है। बड़े भाई साहब
सदा पढ़ाई में डू बे रहते हैं, लेकिन उनका
छोटा भाई खेलकू द में अधिक मन लगाता है।
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बड़े भाई साहब और उनके छोटे भाई में
पाँच वर्ष का अंतर है किन्तु वे अपने
छोटे भाई से के वल तीन कक्षाएं ही आगे
है। बड़े भाई साहब जब देखो तब पढ़ाई
में ही डू बे रहते हैं, लेकिन उनका छोटा
भाई हर समय खेलकू द में ही लगा
रहता है।
टाइम टेबल बनाते समय छोटे भाई ने सुबह 6:00 बजे से लेकर रात 11:00 बजे तक विविध विषय पढ़ने के बात
सोची इस टाइम टेबल में उसने खेलकू द को कोई स्थान नहीं दिया, इससे यह अव्यवहारिक हो गया। छोटे भाई को वैसे
भी पढ़ाई लिखाई फू टी आंख नहीं सुहाती थी उसकी रुचि तो के वल खेलकू द में ही थी। इस कारण अगले दिन मैदान
की हरियाली वॉलीबॉल ,फु टबॉल ,कबड्डी जैसे खेलों ने उसे अपनी और आकर्षित कर लिया और वह इसका पालन
नहीं कर सका।
कु छ समय के बाद वार्षिक परीक्षाएं हुई। बड़े भाई तो कठिन परिश्रम करके फे ल हो गए किं तु छोटा भाई प्रथम श्रेणी
में पास हो गया धीरे-धीरे छोटा भाई खेलकू द में अधिक मन लगाने लगा।
बड़े भाई साहब से यह देखा नहीं गया वे उसे रावण का उदाहरण देकर समझाते हैं कि घंमड़
नहीं करना चाहिए। घंमड़ करने से रावण जैसे चक्रवर्ती राजा का अस्तित्व भी मिट गया था।
दोबारा वार्षिक परीक्षाएँ हुई। इस बार भी
बड़े भाई साहब फे ल हो गए और छोटा
भाई पास हो गया। बड़े भाई साहब बहुत
दुखी हुए। छोटे भाई की अपने बारे में यह
धारणा बन गयी कि वह तो चाहे पढ़े या न
पढ़े, वह तो पास तो हो ही जाएगा।
एक दिन वह एक पतंग लूटने के लिए पतंग के
पीछे-पीछे दौड़ रहा था कि अचानक बाजार से
लौट रहे बड़े भाई साहब से टकरा गया। उन्होंने
उसका हाथ पकड़ लिया और उसे डांटते हुए कहा
कि अब वह आठवीं कक्षा में है।
अतः उसे अपनी पोजीशन का ख्याल करना चाहिए। पहले ज़माने में
तो आठवीं पास नायब तहसीलदार तक बन जाया करते थे।
तभी उनके ऊपर से एक कटी हुई पतंग
गुज़रती है जिसकी डोर नीचे लटक रही थी।
बड़े भाई साहब ने लंबे होने के कारण उसकी
डोर पकड़ ली और तेज़ी से होस्टल की ओर
दौड़ पड़े। उनका छोटा भाई की उनके पीछे-
पीछे दौड़ रहा था।
बड़े भाई साहब' कहानी प्रेमचंद द्वारा रचित है। ... इस कहानी में बड़े
भाई साहब अपने कर्तव्यों को संभालते हुए, अपने भाई के प्रति अपनी
ज़िम्मेदारियों को पूरा कर रहे हैं। उनकी उम्र इतनी नहीं है, जितनी
उनकी ज़िम्मेदारियाँ है। लेकिन उनकी ज़िम्मेदारियाँ उनकी उम्र के आगे
छोटी नज़र आती हैं।

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