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PURWANCHAL VIDYAMANDIR

SESSION 2021-2022
CLASS -9
SUBJECT-HINDI LITERATURE
STUDY MATERIAL
(अध्ययन सामग्री)

बात अठन्नी की
सुदर्शन (बदरीनाथ)

सुदर्शन (1895-1967) प्रेमचन्द परम्परा के कहानीकार हैं। इनका दृष्टिकोण सुधारवादी है। ये आदर्शोन्मुख
यथाथथवादी हैं। मुुंर्शी प्रेमचुंद और उपेन्द्रनाथ अश्क की तरह सु दर्शथन ष्टहन्दी और उदद थ में ष्टिखते रहे हैं। अपनी प्रायः
सभी प्रष्टसद‌ध कहाष्टनयोुं में इन्ोुंने समस्यायोुं का आदर्शवाथदी समाधान प्रस्तुत ष्टकया है।
सुदर्शथन की भाषा सरि, स्वाभाष्टवक, प्रभावोत्पादक और मुहावरे दार है। इनका असिी नाम बदरीनाथ है।
िाहौर की उदद थ पष्टिका हजार दास्तााँ में उनकी अनेक कहाष्टनयााँ छपीुं।
इन्ोुंने अनेकोुं ष्टिल्ोुं की पटकथा और गीत भी ष्टिखे हैं। ष्टिल् धदप-छााँव (१९३५) के प्रष्टसद‌ध गीत तेरी गठरी में
िागा चोर, उन्ी के ष्टिखे हुए हैं।
कठठन र्ब्दाथश
वेतन - आय
मैिी - ष्टमिता
सौगुंध - कसम
पेर्शगी - अष्टिम ( पहिे) ष्टदया जाने वािा धन
बटोरना - इकट‌ठा करना
तनख्वाह - वेतन
गुजारा - ष्टनवाथ ह
ष्टनदथ यता - क्रदरता
आाँ खोुं में खदन उतर आना - बहुत क्रोध आना
रुं ग उड़ना - घबरा जाना
आाँ खें भर आना - दया आना
िातोुं के भदत बातोुं से नहीुं मानते - दु ि व्यक्ति पर समझाअने-बुझाने
का प्रभाव नहीुं पड़ता

(1)
अभी सच और झदठ का पता चि जाएगा। अब सारी बात हिवाई के सामने
ही कहना।
प्रश्न
(i) प्रस्तुत वाक्य का विा कौन है ? श्रोता का पररचय दीष्टजए।
(ii) "अभी सच और झदठ का पता चि जाएगा" बाबद जी के इस कथन के
पीछे ष्टछपे सुंदभथ को स्पि रूप में ष्टिक्तखए।
(iii) बाबद जगतष्टसुंह कौन थे ? उन्ोुंने रसीिा से ऐसा क्या कहा जो उसके
चेहरे का रुं ग उड़ गया ? रसीिा की प्रष्टतष्टक्रया भी ष्टिक्तखए।
(iv) रसीिा के झदठ बोिने का पता चिने पर बाबद जगतष्टसुंह ने रसीिा के
साथ कैसा व्यवहार ष्टकया ? उनका व्यवहार आपको कैसा िगा ?
समझाकर ष्टिक्तखए।
उत्तर

(i) प्रस्तुत वाक्य के विा बाबद जगतष्टसुंह हैं। श्रोता रसीिा इनके यहााँ
नौकरी करता है। वह एक ईमानदार, सीधा व स्वाष्टमभि नौकर था।
वह सोचता था ष्टक बाबद जी उस पर बहुत ष्टवश्वास करते हैं। अत: कम
तनख्वाह होने पर भी ष्टकसी दद सरे के यहााँ जाकर नौकरी नहीुं करना
चाहता था। उसके बदढ़े ष्टपता, पत्नी और तीन बच्चे गााँव में रहते थे। वह
अपनी सारी तनख्वाह गााँव भेज ष्टदया करता था।

(ii) बाबद जी ने रसीिा से पााँच रुपए की ष्टमठाई माँगवाई थी। रसीिा


बहुत ईमानदार था। उसने रमजान से कुछ रुपए उधार ष्टिए थे
ष्टजसमें से केवि आठ आने दे ने बाकी थे। उस ष्टदन रसीिा साढ़े चार
रुपए की ष्टमठाई िाया और आठ आने रमजान को दे कर अपना
कजथ चुका ष्टदया। बाबद जी ष्टमठाई दे खते ही पहचान गए ष्टक यह कम
है और रसीिा ने हेरा-िेरी की है। इसष्टिए वह हिवाई के पास
जाकर सच व झदठ का पता िगाना चाहते थे।

(iii) बाबद जगतष्टसुंह इुं जीष्टनयर थे और रसीिा उनके यहााँ काम


करता था। एक बार पााँच रुपए की ष्टमठाई माँगवाने पर रसीिा साढ़े
चार रुपए की ष्टमठाई िाया। उसने आठ आने रमजान को ष्टदए जो
उसके कजथ के बचे हुए थे। बाबद जगतष्टसुंह ष्टमठाई दे खते ही चौुंक
गए थे। उन्ोुंने जैसे ही रसीिा से पदछा ष्टक क्या यह ष्टमठाई पााँच रुपए
की है ? रसीिा के चेहरे का रुं ग उड़ गया। वह बहुत डर गया था।
उसने आक्तखर में सच कह ष्टदया ष्टक उससे गिती हो गई है।
(iv) रसीिा के झदठ बोिने पर बाबद जगतष्टसुंह बहुत क्रोष्टधत हुए।
उन्ोुंने उसके गाि पर तमाचा मारा। हिवाई के पास चिने को कहा।
रसीिा के द‌वारा गिती स्वीकार करने पर भी जगतष्टसुंह ने रसीिा को
माफ़ नहीुं ष्टकया। वह उसे थाने िे गए, वहााँ ष्टसपाही को पााँच रुपए
दे कर रसीिा से सच उगिवाने के ष्टिए कहा। जगतष्टसुंह ने ष्टसपाही से
यह भी कहा ष्टक िातोुं के भदत बातोुं से नहीुं मानते।
बाबद जगतष्टसुंह का अपने नौकर के प्रष्टत ऐसा व्यवहार अत्युंत अनुष्टचत
है। वह उसकी पहिी गिती है ष्टजसे माफ़ ष्टकया जा सकता था। उसने
मजबदरी में आकर ष्टसिथ आठ आने की ही हेरा-िेरी की थी।

(2)
"यह इुं साि नहीुं अुंधेर है । ष्टसफ़थ एक अठन्नी की ही तो बात थी।" रात
के समय जब हजार पााँच सौ के चोर नरम गद‌दोुं पर मीठी नीुंद िे रहे
थे तो अठन्नी का चोर जेि की तुंग, अुंधेरी कोठरी में पछता रहा है।

प्रश्न

(i) यह "इुं साि नहीुं अुंधेर नगरी है।" यह कथन ष्टकसने कहा और
वह कौन-सा कायथ करता है?

(ii) अठन्नी की चोरी ष्टकसने की थी और क्योुं?

(iii) र्शीषथक की साथथकता पर ष्टवचार कीष्टजए।

(iv) ऐसा क्या हुआ ष्टक विा ने दु ष्टनया को अुंधेर नगरी कहा? अपने
र्शब्ोुं में ष्टिक्तखए।
उत्तर
(i) 'यह इुं साि नहीुं अुंधेर नगरी है' यह वाक्य रमजान ने कहा था।
रमजान रसीिा का ष्टमि था। वह र्शेख सिीमुद‌दीन के यहााँ नौकरी
करता था, वह चौकीदार था। र्शेख सिीमुद‌दीन ष्टजिा मष्टजस्ट्र े ट थे।

(ii) अठन्नी की चोरी रसीिा ने की थी। उसने रमजान से उधार ष्टिया


था। वह अठन्नी रमजान को दे कर कजथमुि होना चाहता था।

(iii) 'बात अठन्नी की' कहानी का र्शीषथक प्रतीकात्मक र्शीषथक


है। जब कहानी का र्शीषथक ष्टकसी ष्टवर्शेष अथथ की ओर इुं ष्टगत करता
है तब उस र्शीषथक को प्रतीकात्मक कहते हैं।
'बात अठन्नी की' कहानी समाज में व्याप्त भ्रिाचार और ररश्वतखोरी
की ओर इर्शारा करते हुए न्याय व्यवस्था पर सवाि खड़ा करता है।
प्रस्तुत कहानी में रसीिा अपने ष्टमि रमजान का कजथ चुकाने के ष्टिए
अपने माष्टिक बाबद जगत ष्टसुंह के ष्टदए गए पााँच रुपए से अठन्नी
बचाकर अपने ष्टमि रमजान को दे दे ता है। ररश्वतखोर माष्टिक जगत
ष्टसुंह ने रसीिा को पााँच रुपए ष्टमठाई िाने के ष्टिए ष्टदए थे और
उन्ोुंने उसकी चोरी पकड़ िी। रसीिा अपना अपराध स्वीकार कर
िेता है। रसीिा पर मुकदमा चिा और ररश्वतखोर र्शेख सिीमुद‌दीन
ने उसे छह महीने की सजा सुना दी। िेखक कहता है ष्टक ''पााँच सौ
के चोर नरम गद‌दोुं पर मीठी नीुंद िे रहे थे, और अठन्नी का चोर
जेि की तुंग, अुंधेरी कोठरी में पछता रहा था।''अत: कहानी का
र्शीषथक सटीक है।

(iv) रमजान ने दु ष्टनया को अुंधेर नगरी कहा क्योुंष्टक उसके ष्टमि


गरीब रसीिा को माि अठन्नी की चोरी के अपराध में छह महीने की
सजा सुनाई गई थी जबष्टक उसने अपना अपराध इुं जीष्टनयर बाबद
जगत ष्टसुंह के सामने स्वीकार कर ष्टिया था। रमजान इस बात से
अवगत था ष्टक र्शेख सिीमुद‌दीन तथा बाबद जगत ष्टसुंह दोनोुं ही ररश्वत
िेते हैं िेष्टकन दे र्श का कानदन उनका कुछ भी नहीुं ष्टबगाड़ सकता
क्योुंष्टक वे समाज के बड़े प्रष्टतष्टित व्यक्ति हैं। ष्टजस अदाित में रसीिा
को छह महीने की सजा सुनाई गई उस अदाित में र्शेख
सिीमुद‌दीन ही न्यायधीर्श की कुसी पर ष्टवराजमान थे।

PURWANCHAL VIDYAMANDIR
SESSION 2021-2022
CLASS -9
SUBJECT-HINDI LITERATURE
WORKSHEET
( कायथपिक )

1. शेख साहब न्यायप्रिय आदमी थे। उन्होंने रसीला को छह महीने की सजा सुना दी और
रूमाल से मुह
ुँ पोंछा ।

िश्न क) ककसे सज़ा सुनाई गई और क्यों ?


िश्न ख) उसका अपराध या झूठ कै से पकड़ा गया ?

िश्न ग) कहानी में ककस पर व्यंग्य ककया गया है और असली अपराधी कौन है ?

िश्न घ) कहनी का उददेश्य स्पष्ट करें ।

2. फै सला सुनकर रमज़ान की आुँखों में खून उतर आया। सोचने लगा," यह दुप्रनया न्याय नगरी नहीं,
अंधरे नगरी है।"
िश्न क) ककसकी आुँखों में खून उतर आया और क्यों ?

िश्न ख) रमज़ान की प्रनगाहों में दुप्रनया क्या है और क्यों ?

िश्न ग) रमज़ान का चररत्र-प्रचत्रण करें ।

िश्न घ) 'बात अठन्नी की’ कहानी के शीर्षक की साथषकता प्रसद्ध करें ।


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