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T, HINDI TEACHER,
GHS KAKKABEVINAHALLI,
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कविता का आशय :
भगितीचरण िर्ाा के नार् को विन्दी सावित्य र्ें आदर के साथ विया जाता िै। प्रस्तुत कविता र्ें कवि के देशप्रेर् की झिक ददखायी देती
िै। िे र्ातृभवू र् को प्रणार् करते हुए उसर्ें विद्यर्ान अपार िन-संपदा, खवनज संपवि का िणान करते हुए भारत के र्िान् विभूवतयों का
स्र्रण करते िैं। इस कविता से भारत की र्िानता का पररचय प्राप्त िोता िै।और छात्रों के र्न र्ें देशप्रेर् का भाि जगाना चािते िैं।
कवि पररचय : भगितीचरण िर्ाा (1903-1981)
जन्र् : 30 अगस्त 1903 को उन्नाि वजिे (उ.प्र) के शफीपुर गााँि र्ें हुआ था। वशक्षा : इिािाबाद से बी.ए, एि.एि.बी. की विग्री प्राप्त
की। संपादन: उन्िोंने 'विचार' और 'निजीिन' नार्क पवत्रकाओं का संपादन दकया था। सेिा : आकाशिाणी के कई कें द्रों र्ें भी सेिा की।
दफल्र्-वनर्ााण : 'वचत्रिेखा' उपन्यास पर दो बार दफल्र्-वनर्ााण हुआ। पुरस्कार : दूसरा उपन्यास 'भूि-े वबसरे वचत्र' सावित्य अकादर्ी
से पुरस्कृ त िै। कृ वतयााँ : अपने वखिौने, पतन, तीन िर्ा, टेढे-र्ेढे रास्ते, युिराज चूण्िा (उपन्यास), र्ेरी किावनयााँ, र्ोचााबद
ं ी तथा संपण
ू ा
किावनयााँ (किानी-संग्रि), र्ेरी कविताएाँ, सविनय और एक नाराज़ कविता (कविता-संग्रि), र्ेरे नाटक, िसीयत (नाटक) आदद उनकी
अन्य िोकवप्रय कृ वतयााँ िैं। र्रण : 5 अक्तू बर 1981 को िर्ाा जी का देिांत हुआ।
शब्दाथा :
शावयत :सोया हुआ, ಲಗಿದ . अर्र : र्ृत्युिीन, जो कभी निीं र्रता ಮಲ , ಚಿ ಂಜೀವಿ. िस्त : िाथ, ಕೈ.सुिाने :सुद
ं र, ಸ ಂ ವಾ .
धार् : घर, ಲೆ. गूज
ाँ ना : प्रवतध्िवनत िोना। ಝೀಂಕಾ .
शब्द युग्र्:
िरे -भरे , फि-फू ि, िन-उपिन, सुख-संपवि, धन-धार् विरुवक्त शब्द : शत-शत, कोरट-कोरट
एक-एक िाक्य र्ें उिर विवखए।
1. कवि दकसे प्रणार् कर रिे िै ? उिर : कवि " र्ातृभवू र् " को प्रणार् कर रिे िै।
2. भारत र्ााँ के िाथों र्ें क्या िै ? उिर : भारत र्ाता के एक िाथ र्ें ‘ न्याय का पताका ‘ और दूसरे िाथ र्ें ‘ ज्ञान का दीप’ िै।
3. आज र्ााँ के साथ कौन िै ? उिर : आज र्ााँ के साथ “कोटी-कोटी िोग भारतिासी” िै।
4. सभी ओर क्या गूज
ं उठा िै ? उिर : सभी ओर " जय विन्द " नाद गूज
ाँ उठा िै।
5. भारत के खेत कै से िै? उिर : भारत के खेत “ िरे भरे " िै।
6. भारत भूवर् के अंदर क्या-क्या भरा हुआ िै ? उिर : भारत भूवर् के अंदर " खवनजों का व्यापक धन " भरा हुआ िै।
7. सुख-संपवि, धन-धार् को र्ााँ कै से बााँट रिी िै उिर : सुख-संपवि, धन-धार् को र्ााँ “ र्ुक्त िस्त " से बााँट रिी िै ।
8. जग के रूप बदिने के विए कवि दकससे वनिेदन करते िै ?उिर : जग के रूप बदिने के विए कवि “ भारत र्ााँ “ से वनिेदन करते िै ।
9. जय-विन्द का नाद किााँ-किााँ पर गूज
ाँ ना चाविए ? उिर : जय-विन्द का नाद “ सकि नगर और ग्रार् ” र्ें गूज
ाँ ना चाविए ।
॥ दो-तीन िाक्यों र्ें उिर विवखए।
1. भारत र्ााँ के प्रकृ वत-सौंदया का िणान कीवजए ।
उिर : कवि भगिती चरण िर्ााजी भारत र्ााँ के प्रकृ वत-सौंदया का िणान करते हुए किते िै दक, भारत र्ें िरे -भरे खेत सुन्दर िै । फि-
फू िों से भरा हुआ िन और उपिन िै । भारत के भूवर् के अंदर खवनजों का व्यापक धन िै । र्ुक्त िस्त से भारत र्ााँ सभी को सुख-संपवि ,
धन-धार् बााँट रिी िै।
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2. र्ातृभवू र् का स्िरूप कै से सुशोवभत िै ?
उिर : कवि भारत र्ाता के स्िरूप के बारे र्ें किते िै दक, भारत र्ाता के एक िाथ र्ें न्याय का पताका िै और दूसरे िाथ र्ें ज्ञान का
दीप िै । इन दोनों के सिायता से जग का रूप बदि दें र्ााँ , कोरट-कोरट भारत िासी आज तेरे साथ िै। भारत के सकि नगर और ग्रार् र्ें
जय विन्द का नाद गूज ं ना चाविए।
III. अनुरूपतााः
1. िसीयत : नाटक : : वचत्रिेखा : उपन्यास
2. शत-शत : विरुवक्त : : िरे -भरे : युग्र्
3. बायें िाथ र्ें : न्याय पताका : : दाविने िाथ र्ें : ज्ञान का दीप
4. िस्त : िाथ : : पताका : झण्िा
IV. दोनों खंिों को जोड़कर विवखए :
1. तेरे उर र्ें शावयत गांधी, बुद्ध और रार् 4. कोरट-कोरट िर् आज साथ र्ें
2. फि - फू िों से युत िन, उपिन 5. र्ातृ - भू शत-शत बार प्रणार्
3. एक िाथ र्ें न्याय-पताका
v. ररक्त स्थान की पूर्ता कीवजए :
1. कवि र्ातृभवू र् को शत-शत बार प्रणार् कर रिे िैं । 4. र्ुक्त िस्त से र्ातृभवू र् सुख-संपवि बााँट रिी िै।
2. भारत र्ााँ के उर र्ें गााँधी, बुद्ध और रार् शावयत िैं। 5. सभी ओर जय-विन्द का नाद गूज
ाँ उठे ।
3. िन ,उपिन फि-फू िों से युत िै।
VI. भािाथा विवखए :
एक िाथ र्ें न्याय-पताका, जग का रूप बदि दे, िे र्ााँ,
ज्ञान-दीप दूसरे िाथ र्ें, कोरट-कोरट िर् आज साथ र्ें।
उिर : कवि भारत र्ाता के स्िरूप के बारे र्ें किते िै दक, भारत र्ाता के एक िाथ र्ें न्याय का पताका िै और दूसरे िाथ र्ें ज्ञान का
दीप िै । इन दोनों के सिायता से जग का रूप बदि दें र्ााँ , कोरट-कोरट भारत िासी आज तेरे साथ िै । भारत के सकि नगर और ग्रार्
र्ें जय विन्द का नाद गूज
ाँ ना चाविए ।
VII पद्य भाग पूणा कीवजए :
िरे -भरे िैं खेत सुिाने, र्ुक्त-िस्त तू बााँट रिी िै
फि-फू िों से युत िन-उपिन, सुख-संपवि, धन-धार्,
तेरे अंदर भरा हुआ िै। र्ातृ-भू, शत-शत बार प्रणार् ।
खवनजों का दकतना व्यापक धन ।
ಮಾತೃ ಭೂಮಿ ಕನ್ನಡ ಲ್ಲಿ ಸಾರಾಂಶ:
ಹೀ ಮಾತೃಭೂಮಿ ನಿನ್ಗೆ ಶತ-ಶತ ಪ್ರಣಾಲಗಳನ್ ನ ಸಲ್ಲಿಸ ವೆನ್ . ಎಷೂಟೀ ಮಲ ರಿಗೆ ಜನ್ಮ ನಿೀಡಿ ಜನ್ನಿ ನಿನ್ಗೆ ವಂ ೆಗಳ .
ತಾಯಿಯೀ ನಿನ್ಗೆ ಸಾವಿ ಸಾವಿ ಪ್ರಣಾಲಗಳ ನಿನ್ನ ಹೃ ಯ ಲ್ಲಿ ಲಗಿದ ನಿದ್ರರಸ ತ್ತಿ ವ ಗಾಂಧೀಜ, ಬ ಧ ಲತ ಿ
ರಾಲ, ಇಂತಹ ಮಾತೃಭೂಮಿ ನಿನ್ಗೆ ಸಾವಿ ಸಾವಿ ಪ್ರಣಾಲಗಳ . ಹೂಗಿಗಳ ಹಸಿ ನ್ ನ ತ ಂಬಿಕೂಂಡ ಸ ಂ ವಾದ ಕಾಣ ತ್ತಿವೆ,
ವನ್- ಉಪ್ವನ್ಗಳ ಹಣ ು-ಹೂವುಗಳಂ ಕಂಗೊಳಸ ತ್ತಿವೆ. ಜನ್ನಿಯೀ ನಿನ್ನಲ್ಲಿ ಖನಿಜ ಸಂಪ್ತ ಿ ತ ಂಬಿಕೂಂಡಿದೆ,
ನಿೀನ್ ಲ ಕಿ ಹಸಿಗಳಂ ಎಗಿಿ ಸ ಖ-ಸಂಪ್ತ ಿ ಧನ್ಧಾನ್ಯಗಳನ್ ನ ಹಂಚ ತ್ತಿ ವೆ. ಮಾತೃಭೂಮಿಯೀ ಸಾವಿ ಸಾವಿ ಪ್ರಣಾಲಗಳ
ನಿನ್ನ ಒಂ ಕೈಯಲ್ಲಿ ನ್ಾಯಯ ಪ್ತಾಕಯಿದೆ, ಇೊನಂ ಕೈಯಲ್ಲಿ ಜ್ಞಾನ್ ೂಪಿ ದ್ರೀಪ್ವಿದೆ, ಜ್ಞಾನ್ ಜೂಯೀತ್ತ ಇದೆ,
ಇವುಗಳಂ ಈ ಜಗತ್ತಿನ್ ೂಪ್ವನ್ ನ ಬ ಲ್ಲಸ ತಾಯಿಯೀ, ಇ ರಿಂ ಕೂೀಟಿ ಕೂೀಟಿ ಜನ್ ಇಂ ಜೂತೆಯಲ್ಲಿಯೀ ಇದೆದೀವೆ,
ನ್ಮ್ಮಮಗಿಿ ಜೈಹಂ ಧವನಿಯ , ಎಗಿಿ ನ್ಗ ಗಳಲ್ಲಿ ಗಾರಲಗಳಲ್ಲಿ ಪ್ರತ್ತಧವನಿಸ ತ್ತಿದೆ, ಇಂತಹ ಮಾತೃಭೂಮಿಯೀ ನಿನ್ಗೆ ಸಾವಿ
ಸಾವಿ ಪ್ರಣಾಲಗಳ ಹೀಗೆ ಕವಿಯ ಈ ಕವಿತೆಯ ಲ ಖಾಂತ ಮಾತೃಭೂಮಿಯ ವಿಶೀಷತೆಗಳನ್ ನ ಹೀಳ ತಿ ವಿದ್ಾಯರ್ಥಿಗಳ ಲನ್ ಲ್ಲಿ
ದೆೀಶಪ್ರೀಲ ಭಾವೆಯನ್ ನ ಜಾಗೃತಗೊಳಸಗಿ ಇಚಿಿಸ ತಾಿರೆ.
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लेखक का नाम : मश
ुं ी प्रेमचुंद
पाठ की विधा : कहानी
जन्म और जन्म स्थल : िारणासी के पास लमही गााँि में 31 जलाई 1880 में हआ।प्रमख रचनाएाँ : उपन्यास :
गोदान, सेिा सदन , गबन, ननममला, कममभम
ू ी आदी।प्रससद्ध कहाननयााँ : पुंच परमेश्िर, नाम का दरोगा, बडे घर की बेटी,
पस
ू की रात आदद ।कहाननयों का सुंग्रह : मानसरोिर । िास्तविक नाम : धनपत राय । उपाधी : उपन्यास सम्राट ।
I एक िाक्य में उत्तर सलखखए :
1. लेखक चीजें खरीदने कहााँ गये थे ? उत्तरः लेखक चीजें खरीदने चौक गये थे ।
2. लेखक को क्या नजर आया ? उत्तरः लेखक को दक
ू ान पर बहत अच्छे रुं गदार, गलाबी सेब सजे हए नजर आया।
3. लेखक का जी क्यों ललचा उठा ? उत्तर : रुं गदार गलाबी सेबों को दे खकर लेखक का जी ललचा उठा ।
4. टोमाटो ककसका आिश्यक अुंग बन गया है ? उत्तर: टोमाटो भोजन का आिश्यक अुंग बन गया है ।
5. स्िाद में सेब ककससे बढ़कर नहीुं है ? उत्तरः स्िाद में सेब आम से बढ़कर नहीुं है ।
6. रोज एक सेब खाने से ककनकी जरूरत नहीुं होगी ? उत्तरः रोज एक सेब खाने से डॉक्टरों की जरूरत नहीुं होगी ।
II दो-तीन िाक्यों में उत्तर सलखखए :
1. आजकल सशक्षित समाज में ककसके बारे में विचार ककया जाता है ?
उत्तर: आजकल सशक्षित समाज में विटासमन और प्रोटीन के बारे में विचार ककया जाता है ।
2. दक
ू ानदार ने लेखक से क्या कहा ? उत्तरः दक
ू ानदार ने लेखक से कहा कक “बाबज
ू ी, बडे मजेदार सेब आए हैं, खास
कश्मीर के । आप ले जाए , खाकर तबीयत खश हो जायेगी” ।
3. दक
ू ानदार ने अपने नौकर से क्या कहा ? उत्तरः दक
ू ानदार ने तराजू उठायी और अपने नौकर से कहा “सनो, आधा
सेर कश्मीरी सेब ननकाल ला । चनकर लाना” ।
4. सेब की हालत के बारे में सलखखए ।
उत्तर: पहला सेब सडा हआ था । एक रुपए के आकार का नछलका गल गया था ।* दस
ू रा सेब आधा सडा हआ था ।
* तीसरा सेब एक तरफ दबकर बबलकल वपचक गया था । * और चौथा सेब में काला सराख था जैसे अक्सर बेरों में
होता है ।
III जोडकर सलखखए :
1) सेब को रूमाल में बााँधकर प्रात:काल है । 1. मझे दे ददया ।
2) फल खाने का समय तो मझे दे ददया । 2. प्रात:काल है ।
3) एक सेब भी खाने बनी हई थी । 3. लायक नहीुं ।
4) व्यापाररयों की साख लायक नहीुं । 4. बनी हई थी ।
IV विलोम शब्द सलखखए :
शाम x सबह, अच्छा x बरा ,खरीदना x बेचना,बहत x कम ,सशक्षित x असशक्षित ,आिश्यक x अनािश्यक
गरीब x अमीर ,रात x ददन ,सुंदेह x ननस्सुंदेह ,साफ x मैला ग़म x बेग़म /खश , बेईमान x ईमान ,
विश्िास x अविश्िास, सहयोग x असहयोग, हानी x लाभ ,पास x दरू
शब्दाथम :
मेिा फरोश - मेिा या ताजे फल बेचने िाला - ತಾಜಾ ಹಣ್ುು ಮಾರುವವ, नजर – दृजटट, ननगाह, ददखानय दे ना - ದೃಷ್ಟೆ.
नीमकौडी - नीम का फल - ಬಟೇವಿನ ಹಣ್ುು, स्िाद – रुचच – ರುಚಿ.लौंडा – छोकरा, बालक – ಹುಡುಗ.मोल - भाि – मल्
ू य,
कीमत, दाम – ಬಟಲಟ,तराजू - तौलने का साधन – ತಕಕಡಿ, कायदा- ननयम, रीनत - ಪದಧತಿ, ನಿಯಮ,गलना - ककसी िस्त का
घनत्ि कम होना – ಕರಗುವುದು,बेदाग - साफ, जजसमे कोई दाग ना हो - ಸಾಚ್ಛ ಅಥವಾ ಕಲಟ ಇಲಲದಿರುವಿಕಟ,सराख - छे द - ರುಂದರ,
ತೊತು,बेर - एक प्रकार का फल – ಬಾರಟಹಣ್ುು,भाुंप लेना – पहचानना – ಗುರುತಿಸುವುದು,चौकस - सचेत , सािधान
ಎಚ್ಚರಿಕಟ,कचहरी –दफ्त – ಕಚಟೇರಿ,साख - लेन- दे न – ವಯವಹಾರ,छटाक - सेर का सोलहिें भाग की एक तौल - ಸ್ಟೇರಿನ 16ನಟೇ
ಭಾಗ, रे िाडी - नतल और चीनी से बनी समठाई ।- ಎಳಿಿನ ಉುಂಡಟ.
===============================
पाठ-3 चगल्लू
लेखखका का पररचय :
जन्म-मत्ृ य :- 24 माचम 1907 फरूखाबाद में हआ । मत्ृ य - ससतुंबर सन ् 1987
माता-वपता :- हे मारानी और गोविुंद प्रसाद िमाम। प्रमख रचनाएाँ :- यामा, नीरज, ननहार, साुंध्यागीत, दीपसशखा,
अतीत के चलचचत्र, मेरा पररिार, पथ के साथी, श्ुंख
ृ ला की कडडयाुं । परस्कार :- मुंगल प्रसाद, द्वििेदी, सेक्सररया ।
शब्दाथम :-
अचानक - यकायक, ಇದದಕ್ಕಕದದುಂತಟ. गमला - फूलों के पेड या पौधे लगाने का बतमन , ಹೊವಿನ ಕುುಂಡ. घाि - जख्म , ಗಾಯ. हौले से
- धीरे से , ನಿಧಾನ. कााँच- शीशा , ಗಾಜ್ು . चन्नट - ससलिट , ನಿರಿಗಟ.सोनजही - एक खशबद
ू ार फूल , ಸುಗುಂಧ ಭರಿತವಾದ ಹಳದಿ
ಹೊವು/ಸುಂಪಿಗಟ ಹೊವು. चगलहरी - मोटे रुएुं और लुंबी पछ
ुंू िाला एक मादा जन्त , ಅಳಿಲು. अितीणम - उत्पन्न होना , अितररत
होना , ಉತಪನನವಾಗುವುದು .काकद्िय - दो कौए , ಎರಡು ಕಾಗಟ .चोंच - पक्षियों के मख का अग्र भाग , ಚಟೊೇುಂಚ್ು. मरहम - औषचध
का लेप , ಮುಲಾಮು. झब्बेदार- गच्छे जैसी , ಗುಚ್ುಚ. डसलया - छोटी टोकरी , ಸಣ್ು ಬುಟ್ಟೆ. मनकें - मखण , ಮಣಿ. गात - शरीर , दे हा ,
ಶರಿೇರ. कीलें - लोहे या काठ की खूुंटी , ಮೊಳಟ. बरामदा - घर के बाहर का भाग , ಮನಟಯ ಮುುಂದಿನ ಭಾಗ. सराही -पानी रखने का
बतमन , ಹೊಜಿ.
I. एक िाक्य में उत्तर सलखखए :
1. लेखखका ने कौए को क्यों विचचत्र पिी कहा है ?
उत्तर:- लेखखका ने कौए को विचचत्र पिी कहा है क्योंकक कौए एक साथ समादररत, अनादररत, अनत सम्माननत, अनत
अिमाननत होते है ।
2. चगलहरर का बच्चा कहााँ पर पडा था ?
उत्तर:- चगलहरर का बच्चा गमले और ददिार के सुंचध में पडा था ।
3. लेखखका ने चगल्लू के घािों पर क्या लगाया ?
उत्तर:- लेखखका ने चगल्लू के घािों पर पें सससलन का मरहम लगाया ।
4. िमाम जी चगलहरी को ककस नाम से बलाती थी ?
उत्तर:- िमाम जी चगलहरी को चगल्लू नाम से बलाती थी ।
5. चगलहरी का लघ गात ककसके भीतर बुंद रहता था ?
उत्तर:- चगलहरी का लघ गात सलफाफे के भीतर बुंद रहता था ।
6. चगलहरर का वप्रय खाद्य क्या था ?
उत्तर :- चगलहरर का वप्रय खाद्य काजू था ।
7. लेखखका को ककस कारण से अस्पताल में रहना पडा ?
उत्तर :- मोटार दघमटना में घायल होने के कारण लेखखका को अस्पताल में रहना पडा ।
8. चगलहरी गमी के ददनों में कहााँ लेट जाता था ?
उत्तर:- चगलहरी गमी के ददनों में सराही पर लेट जाता था ।
9. चगलहरी की जीिनािचध सामान्यतया ककतनी होती है ?
ममता थी ।
IV .ररक्त स्थान भररए :-
1. िह ----------------------- भी विचचत्र पिी है
2. उसी बीच मझे -------------- आहत होकर कछ ददन अस्पताल में रहना पडा।
3. चगल्लू की ----------------- का अुंत आ ही गया।
4. मेरे पास बहत -------------- है ।
5. चगल्लू के जीिन का प्रथम --------------- आया।
उत्तर :- 1. काकभशण्डी 2. मोटर दघमटना, 3. जीिन यात्रा, 4. पश-पिी, 5. िसुंत
V .अनरूपता :-
1 सन ् 1907 : महादे िी िमामजी का जन्म ।: : सन ् 1987 : _________
2. गलाब : पौधा : : सोनजूही : _________
3. हुं स : सफेद : : कौआ : _______
4. बबल्ली : म्याऊ-म्या : : चगल्लू : _________
5. कोयल : मधर स्िर : : कौआ : __________
उत्तर : 1. महादे िी िमामजी का ननधन ; 2. लता ; 3. काला; 4. चचक-चचक; 5. ककमश स्िर;
VI .कन्नड या अुंग्रज
े ी में अनिाद कीजजए :
1. कई घुंटे के उपचार के उपराुंत मह
ुं में एक बद
ूुं पानी टपकाया जा सका ।
उत्तर :- ಅವಟಷಟೊೆೇ ಗುಂಟ್ಟಗಳ ಉಪಚಾರದ ನುಂತರ ಅದರ ಬಾಯಲ್ಲಲ ಒುಂದು ಹನಿ ನಿೇರು ಹಾಕಲಾಯಿತು.
2. बडी कदठनाई से मैंने उसे थाली के पास बैठना ससखाया ।
उत्तर :- ಬಹಳ ಕಷ್ೆದಿುಂದ ನಾನು ಅದಕಟಕ ತಟ್ಟೆಯ ಹತಿುರ ಕುಳಿತುಕಟೊಳಳಿವುದನುನ ಕಲ್ಲಸಿದಟ.
3. चगल्लू मेरे पास रखी सराही पर लेट जाता था।
उत्तर :- ಗಿಲೊಲ ನನನ ಹತಿುರ ಇಟ್ಟೆದದ ನಿೇರಿನ ಹೊಜಿಯ ಮೆೇಲಟ ಮಲಗಿಕಟೊಳಳಿತಿುತುು.
4. ददन भर चगल्लू ने न कछ खाया , न बाहर गया ।
उत्तर :- ದಿನ ಪೂತಿಿ ಗಿಲೊಲ ಏನೊ ತಿನನಲೊ ಇಲಲ, ಹಟೊರಗಡಟ ಹಟೊೇಗಲೊ ಇಲಲ.
VII . ददए-गए सही स्त्रीसलुंग शब्दों को चनकर सुंबचुं धत पजल्लुंग शब्द के आगे सलखखए :
(मयरू ी , लेखखका, श्ीमती, कवत्तया)
पजल्लुंग -- स्त्रीसलुंग
1. लेखक -- लेखखका 3. मयरू -- मयरू ी
2.श्ीमान -- श्ीमती 4. कत्ता -- कनतया
VIII . ररक्त स्थान भररए :-
एकिचन बहिचन
1. उुं गली - उुं गसलयॉ ुं 6. पुंजा - पुंजे
2. आुंख - आुंखें 7. सलफाफा - सलफाफे
3. पछ
ूुं - पछ
ूुं े 8. कौआ - कौए
4. खखडकी - खखडककयॉ ुं 9. गमला - गमले
5. फूल - फूल 10. घोंसला - घोंसले
मो क म यू र
र त्त ग रु ड
हुं क बू त र
स बब ल्ली कौ आ
1. मोर 5. हुं स
2. मयरू 6. कबत
ू र
3. कत्ता 7. कौआ
4. गरुड 8. बबल्ली
भाषा ज्ञान:-
1.सुंचध विच्छे द करके सलखखए :-
3. इस कविता का दस
ू रा कौन-सा शीषमक हो सकता है ? क्यों ?
उत्तरः इस कविता का दस
ू रा शीषमक 'आधननक यग' दे सकते है । क्योंकक, मनज ने आज प्रकृनत के हर तत्ि पर
विजय पायी है , लेककन मानि के सुंबध
ुं को भला बैठा है । आज मानि सब कछ कर सकता है लेककन मानि के
आपस के प्रेम को समझने नही हआ है ।
III. भािाथम सलखखए :-
यह मनज, जो सजृ टट का शग
ुंृ ार,
ज्ञान का, विज्ञान का, आलोक का आगार ।
व्योम से पाताल तक सब कछ इसे है ज्ञेय,
पर, न यह पररचय मनज का, यह न उसका श्ेय । उत्तरः कवि ददनकरजी यह कहना चाहते है कक, यह मानि सजृ टट
को शग
ुंृ ार ककया है । ज्ञान का विज्ञान का प्रकाश का आगार है । आकाश से पाताल तक सब कछ इसे ज्ञान है । पर,
यह मनज का पररचय नही है और यह न उसका श्ेय भी है ।
IV. उदाहरण के अनसार तकाुंत शब्दों को पहचानकर सलखखए :-
उदा - निीन - असीन
1. भाप - ताप 4. ज्ञेय - श्ेय
2. व्यिधान - सािधान 5. जीत - प्रीत
3. शग
ुंृ ार - आगर
v. पुंजक्तयााँ पण
ू म कीजजए :-
आज की दननया विचचत्र निीन;
प्रकृनत पर सिमत्र है विजयी परुष आसीन ।
है बॅंधे नर के करों में िारी, विद्यत, बाप,
हकम पर चढ़ता - उतरता है पिन का ताप ।
VI.पयामयिाची शब्द सलखखए :-
1. दननया - सुंसार - जगत 5. िारर - जल - पानी
2. विचचत्र – अजीब - गजब 6. कर - हाथ - हस्त
3. निीन – नया - नि 7. आगार – घर - गह
ृ
4. नर - परुष - आदमी
VII. विलोम शब्द सलखखए :-
1. आज x कल 6. जीत x हार
2. निीन x प्राचीन 7. सीसमत x असीसमत
3. चढ़ता x उतरता 8. परुष x स्त्री
4. समान x असमान 9. नर x नारी
5. ज्ञान x अज्ञान 10. तोड x जोड
VIll. एक शब्द सलखखए :-
जैसे - सभी जगहों में - सिमत्र
1. आसन पर बैठा हआ - आसीन 4. विशेष ज्ञान - विज्ञान
2. बचा हआ - शेष 5. अचधक विद्या प्राप्त - विद्िान
3. मन की सुंतान - मनज
IX. अनरूपता शब्द सलखखए :-
1. चगरी : पहाड : : िारी : जल 3. जमीन : आसमान :: आकाश : पाताल
2. पिन : िाय : : ससुंध : सागर 4. नर : आदमी :: उर : छाती
कविता का साराुंश / भािाथम :-
लेखक पररचय:
परू ा नाम : अउल फकीर जैनलाबदीन अब्दल कलाम।
जन्म : कलामजी का जन्म 15-10-1931 में हआ ।
राटरपनत : बडे िैज्ञाननक डॉ.ए.पी.जे. अब्दल कलाम जी 25-07-2002 से 24-7-2007 तक हमारे दे श के राटरपनत थे ।
व्यजक्तत्ि : दे श के आदशम तथा ' जनिादी राटरपनत ‘ के नाम से भारत के करोड – करोड हृदयों में प्रनतजटठत कलाम
जी अपनी 82िषे की उम्र में भी अनेकानेक सामाजजक प्रगनतशील आुंदोलनों में अत्युंत सकक्रय रहे I बच्चों तथा यिकों
के चैतन्यशील एिुं बहमखी व्यजक्तत्ि के ननमामणाथम आपके असभयान का मुंत्र था -'मैं क्या दाँ ?
ू ' स्िपररितमन की ओर
उन्मख इस असभयान का उद्घोष था - ईमानदार कायम एिुं ईमानदार का नाम। 'होमपाल' असभयान द्िारा आप बचपन
में ही इन सिालों को बोना चाहते थे कक “मैं दे श के सलए क्या दे सकता हूाँ ? समाज एिुं पररसर के सलए क्या कर
सकता हूाँ?”|
प्रस्तत आुंश : अब्दल कलाम जी का आत्मकथा “ अजनन की उडान “ से सलया गया है ।
शब्दाथम :-
कस्बा - छोटा शहर,ಸಣ್ು ನಗರ. जीिन सुंचगनी - पत्नी,ಜಿೇವನ ಸುಂಗಾತಿ. रोजाना - ननत्य,ಪರತಿ ನಿತಯ. कद-काठी - दे ह का
गठन,ಕಡಿಮೆ ಎತುರ. समचचत - योनय,ಯೇಗಯ. पश्तैनी - पैतक
ृ , जो पीदढ़यों से चला आता हो, जो कई पीदढ़यों तक चला
जाय ,ಪೂವಾಿ ಜಿಿತ . बहल – बहत,ಬಹಳ. पौ फटना - (महािरा) प्रभात होना ,ಪಾರತ:ಕಾಲ. बननयाद -
नीुंि,ಬೊನಾದಿ. भरसक – यथा शजक्त, ಶಕ್ಕುಯ ಅನುಸ್ಾರ. काम आना - (महािरा) इस्तेमाल होना, काम में आना, ಕಟಲಸಕಟಕ
ಬರುವ. तट - ककनारा, ದುಂಡಟ. रफ्तार – गनत,ವಟೇಗ, रे त – बाल,ू ಮರಳಳ. असर – प्रभाि,ಪರಭಾವ, जमला - कल, ಒಟುೆ. महसस
ू -
जजसका ज्ञान या अनभि हो,ಅನುಭವವಾಗು. ठे का - a contract (ननयतसमय या दर पर कोई काम या बात करने-कराने
का इकरार) ,ಗುತಿುಗಟ, हतप्रभ - ननस्तेज, सशचथल,ನಿಸ್ಟುೇಜ್. करीबन - लगभग ,ಹತಿುರ, स्तर- मान,ಸ್ಾಾನ, उपलजब्ध – प्राजप्त ,ಪಾರಪಿು,
दायरा - कायमिेत्र, ित्त ुं िाल, ವಿತರಿಸುವವ. कारोबार –
ृ , ಕಾಯಿ ಕ್ಟೇತರ, अक्सर –प्राच,अचधकतर,ಬಹುಷ್:. वितरक-बॉटने
कायमव्यापार, ವಯವಹಾರ .
I.एक िाक्य में उत्तर सलखखए।
1. अब्दल कलामजी का जन्म कहााँ हआ ?
उत्तर : 'अब्दल कलामजी का जन्म · तसमलनाडू के रामेश्िरम ' में हआ था।
2. अब्दल कलामजी बचपन में ककस घर में रहते थे ?
उत्तर : अब्दल कलामजी बचपन में अपने पश्तैनी घर में रहते थे।
3. अब्दल कलामजी के बचपन में दलमभ िस्त क्या थी ?
उत्तर : अब्दल कलामजी के बचपन में दलमभ िस्त ‘पस्तक ' थी।
4. अब्दल कलामजी के चचेरे भाई कौन थे ?
उत्तर : अब्दल कलामजी के चचेरे भाई शम्सद्दीन थे।
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लेखक पररचय :
स्थान : मानि-जीिन का यथाथम चचत्रण करनेिाले लेखकों में विटण प्रभाकर जी का महत्िपण
ू म स्थान है ।
जन्म : सन ् 1912 ई. में हआ।
स्थल : उत्तर प्रदे श के मजफ्फरनगर के मीरपर में हआ।
सशिा और िवृ त्त : पुंजाब में सशिा पाकर िहीुं 15 िषम तक उन्होंने सरकारी नौकरी की। सन ् 1955 में आकाशिाणी के
ददल्ली केंद्र में नाटक ननदे शक बने। डेढ़ िषम बाद िहााँ त्यागपत्र ददया और तब से स्ितुंत्र सादहजत्यक के रूप में जीिन
यापन कर रहे थे।
विशेषता : विटण प्रभाकर जी गाुंधीिादी लेखक माने जाते हैं। आपके एकाुंकी मानिीय
सुंिेदनाओुं से ओतप्रोत हैं। मानिीय सुंबध
ुं ों का मनोिैज्ञाननक धरातल पर भािात्मक चचत्रण उनके एकाुंककयों की
विशेषता है ।
प्रमख रचनाएाँ : आिारा मसीहा, तट के बुंधन, ननसशकाुंत, दपमण का व्यजक्त, धरती अब भी घम
ू रही है , यगे-यगे क्राुंनत,
गह
ृ स्थी आदद।
पाठ का आशय:
विटण प्रभाकर मानि-मन के पारखी लेखक हैं। इस एकाुंकी में उन्होंने स्िासभमान, परदः खकातरता जैसी
मानिीय भािनाओुं का सद
ुं र चचत्रण ककया है । गरीब होकर भी स्िासभमानी और पररश्म की कमाई से जीनेिाले बसुंत
और प्रताप एक ओर हैं तो दस
ू री ओर कुंगालों के प्रनत हमददी ददखाते हए आदर के साथ व्यिहार करनेिाले
राजककशोर जैसे पात्र अनसरणीय हैं।
शब्दाथम :
राह - रास्ता,मागम, ಮಾಗಿ, ದಾರಿ. ददयासलाई - ಬಟುಂಕ್ಕ ಕಡಿಿ, Matchstick. छलनी - जालीदार छोटा उपकरण, ಸ್ಟೊೇಸುವ ಜಾಲ್ಲ.
एक आना - छ: पैस,े 6 ಪಟೈಸ್ಟ. रुआाँ-सा – रोने जैस,े ಅಳಳವ ಹಾಗಟ. अहीर- -निाला, ಗಟೊಲಲ. ओठ-भीुंचना - ददम सहन करना,
ओसारा - बरामदा, घर के आगे का भाग, ಮನಟಯ ಮುುಂದಿನ ಭಾಗ. शक्ल – स्िरुप, आकृनत, ಮುಖ. व्यग्रता - व्याकल,
अभ्यास :
। एक िाक्य में उत्तर सलखखए।
1. बसुंत क्या-क्या बेचता था ?
उत्तर : बसुंत ' बटन, छलनी और ददयासलाई आदद ' िस्तओुं को बेचता था ।
2. बसुंत के भाई के नाम क्या था ?
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7. तलसी के दोहे
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कवि पररचयः
गोस्िामी तलसीदास (सन ्1532-1623)
जन्म : सन ् 1532 में उत्तर प्रदे श के राजापर में हआ था। भक्त : तलसीदास भगिान राम के अनन्य भक्त थे।
शाखा : गोस्िामी तलसीदास दहुंदी सादहत्य के भजक्तकाल की रामभजक्त शाखा के प्रमख कवि हैं।
वपता : आत्माराम और माता हलसी था। बचपन का नाम : कहा जाता है कक जब तलसीदास जी का जन्म हआ, तब
उन्होंने राम नाम का उच्चारण ककया था। इससलए उनके बचपन का नाम 'रामबोला' पडा।
प्रमख रचनाएाँ : रामचररत मानस, विनय-पबत्रका, गीतािली, दोहािली, कवितािली आदद।
मरण : सन ् 1623 को काशी में उनका दे हाुंत हआ।
शब्दाथम :
मखखया - नेता, ಮುಖುಂಡ, ನಾಯಕ. सकल - सुंपण
ू ,म ಸುಂಪೂಣ್ಿ. विस्ि - सुंसार, ಜ್ಗತುು, ವಿಶಾ. कीन्ह - ककया,
ಮಾಡಿರುವ. करतार-सजृ टटकताम, ಸೃಷ್ಟೆಕತಿ. पय - दध
ू , ಹಾಲು.पररहरर - त्यागना, ತಯಜಿಸು. िारर - पानी, ನಿೇರು, ಜ್ಲ. घट -
शरीर, ದಟೇಹ, ಶರಿೇರ. विपवत्त-सुंकट, ವಿಪತುು, ಸುಂಕಟ. सकृनत - अच्छे कायम, ಒಳಟಿಯ ಕಾಯಿ. जीह - जीभ, ನಾಲ್ಲಗಟ.
चाहसी - चारों ओर,ನಾಲುಕ ಕಡಟ.
दोहों का आशय :
तलसीदास जी ने इन दोहों में मखखया के लिण, सुंत का स्िभाि आदद पर प्रकाश डाला है । साथ ही उन्होंने दया-धमम
का महत्ि, असभमान, त्याग, वििेकयत व्यिहार, राम पर विश्िास, राम नाम जाप इत्यादद का बखान करते हए सझाि
ददया है कक इनसान को नीनतयत जीिन बबताना चादहए।
। एक-एक िाक्य में उत्तर सलखखए ।
1. तलसीदास मख को क्या मानते है ? उत्तर : तलसीदास मख को “ मखखया " मानते है ।
2. मखखया को ककसके समान रहना चादहए ? उत्तर : मखखया को “ माँह " के समान रहना चादहए।
3. हुं स का गण कैसा होता है ? उत्तर : हुं स का गण “ पानी छोडकर ससफम दध
ू " पीने का गण होता है ।
4. मख ककसका पालन-पोषण करता है ? उत्तर : मख “ शरीर के सारे अुंगों का पालन-पोषण करता है ।
5. दया ककसका मल
ू है ? उत्तर : दया “धमम" का मल
ू है ।
6. तलसीदासजी ककस शाखा के कवि है ? उत्तर : तलसीदासजी " भजक्तकाल की रामभजक्त” शाखा के कवि है
7. तलसीदासजी के माता-वपता का नाम क्या था ?
उत्तर : तलसीदासजी के “माता का नाम हलसी और वपता का नाम आत्माराम " था।
8. तलसीदासजी के बचपन का नाम क्या था ?
उत्तर : तलसीदासजी के बचपन का नाम “ रामबोला" था ।
9. पाप का मल
ू क्या है ? उत्तर : पाप का मल
ू “ असभमान (अहुं कार)" है ।
10. तलसीदासजी के अनसार विपवत्त के साथी कौन है ?
उत्तर : तलसीदासजी के अनसार विपवत्त के साथी “ विद्या, विनय और वििेक " है ।
॥ दो-तीन िाक्यों में उत्तर सलखखए।
1. मखखया को मख के समान होना चादहए क्यों । कैसे ?
उत्तर : तलसीदासजी कहते है कक, मखखया(नेता) मख (मह
ुं ) के समान होना चादहए। जजस प्रकार माँह खाने पीने की
काम केिल अकेला ही करता है , लेककन उससे शरीर के सकल अुंगों का पालन-पोषण होता है । उसी तरह मखखया काम
अपने तरह से करना चादहए। लेककन उस काम का फल सभी को समलना चादहए।
2. मनटय को हुं स की तरह क्या करना चादहए ?
उत्तर : तलसीदासजी कहते है कक, भगिान इस जगत में जड-चेतन, गण-दोष,( अच्छे -बरे ) आदद समलाकर
बनाया गया है । लेककन जजस प्रकार हुं स पिी पानी को छोडकर ससफम दध
ू को पीती है , उसी तरह हुं स रूवप साध लोग
बराईयों को छोडकर अच्छा गणों को अपनाना चादहए।
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3. दया धमम का मल
ू है , पाप मल
ू असभमान । तलसी दया न छााँडडये, जब लग घट में प्राण ।।
4.तलसी साथी विपवत्त के, विद्या विनय वििेक। साहस सकृनत ससत्यव्रत, राम भरोसो एक ।।
5. राम नाम मनन दीप धरु, जीह दे हरी द्िार । तलसी भीतर बादहरौ, जो चाहसी उजजयार ।
ಕನನಡದಲ್ಲಲ ಸ್ಾರಾುಂಶ.
ಈ ದಟೊೇಹಟಯಲ್ಲಲ ಮುಖುಂಡನು ಬಾಯಿಯುಂತಟ ಇರಬಟೇಕಟುಂದು ತುಲಸಿೇದಾಸರು ಹಟೇಳಳತಾುರಟ. ಮನುಷ್ಯನ ಶರಿೇರದಲ್ಲಲ ಬಾಯಿಯು
ತಿನುನವ-ಕುಡಿಯುವ ಕಟಲಸವನುನ ಒುಂಟ್ಟಯಾಗಿಯೇ ಮಾಡುತುದಟ. ಆದರಟ ಅದು ತಿನುನವುದು ಮತುು ಕುಡಿಯುವುದರ ಮುಖಾುಂತರ ಶರಿೇರದ
ಎಲಲ ಅುಂಗಾುಂಗಗಳ ಪಾಲನಟ ಪೇಷ್ಣಟ ಮಾಡುತುದಟ. ಇದಟೇ ರಿೇತಿಯಾಗಿ ಮುಖುಂಡನೊ ಸಹ ಹಿೇಗಟಯೇ ವಿವಟೇಕವುಳಿವನಾಗಿ ಕಟಲಸಗಳನುನ
ಮಾಡಬಟೇಕು. ಆತನು ತನನದಟೇ ಆದ ರಿೇತಿಯಿುಂದ ಕಟಲಸ ಮಾಡಿ ಆದರಟ ಅದರ ಫಲವನುನ ಎಲಲರಿಗೊ ಹುಂಚ್ಬಟೇಕು. ಮುಖುಂಡನು
ವಿವಟೇಕದಿುಂದ ಕಟಲಸಗಳನುನ ಮಾಡಿದರಟ ಎಲಲರಿಗೊ ಸುಖ ಸಿಗುವುದು.
ಇಲ್ಲಲ ತುಲಸಿೇದಾಸರು ಸ್ಾಧು ಸುಂತರು ಹುಂಸ ಪಕ್ಷಿಯುಂತಟ ಇರಬಟೇಕಟುಂದು ಹಟೇಳಳತಾುರಟ. ದಟೇವರು ಅಥವಾ ಸೃಷ್ಟೆಕತಿನು ಈ
ಜ್ಗತುನುನ ಸೃಷ್ಟೆಸುವಾಗ ಇಲ್ಲಲ ಜ್ಡ ಚಟೇತನ ವಸುುಗಳಳ ಹಾಗೊ ಗುಣ್ದಟೊೇಷ್ಗಳನುನ ತುುಂಬಿ, ಎಲಲವನೊನ ಕೊಡಿಸಿ ಸೃಷ್ಟೆಸಿದಾದನಟ. ಈ
ಜ್ಗತಿುನಲ್ಲಲ ಒಳಟಿಯ ಹಾಗೊ ಕಟಟೆ ಜ್ಞಾನ-ಅಜ್ಞಾನ, ಗುಣ್ದಟೊೇಷ್ಗಳಳ ತುುಂಬಿವಟ. ಹುಂಸಪಕ್ಷಿಯು ಸ್ೌರವನುನ ಹಿೇರಿ ಸ್ಾರಹಿೇನ ವಸುುವನುನ
ತಯಜಿಸುತುದಟ. ಹಿೇಗಟಯೇ ಸುಂತರು ನಿೇರಿನುಂತಿರುವ ಕಟಟೆ ವಿಕಾರ ಗುಣ್ಗಳನುನ ಬಿಟುೆ, ಪರಿತಾಯಗ ಮಾಡಿ ಹಾಲ್ಲನುಂತಿರುವ ಒಳಟಿಯ
ಗುಣ್ಗಳನುನ ಸಿಾೇಕರಿಸುತಾುರಟ.
ಇಲ್ಲಲ ತುಲಸಿೇದಾಸರು ಹಟೇಳಳವುಂತಟ ದಯಯೇ ಧಮಿದ ಮೊಲ ಹಾಗೊ ಅಭಿಮಾನ ಅಥವಾ ಗವಿ ಪಾಪದ ಮೊಲವಾಗಿದಟ.
ಆದುದರಿುಂದ ಶರಿೇರದಲ್ಲಲ ಪಾರಣ್ವಿರುವತನಕ ಗವಿವನುನ ಬಿಟುೆ ದಯಾವುಳಿವನಾಗಬಟೇಕು. ಮನುಷ್ಯನು ತನನ ಶರಿೇರದಲ್ಲಲ
ಪಾರಣ್ವಿರುವತನಕ ದಯಯನುನ ಬಿಡಬಾರದು ಎುಂದು ತುಲಸಿದಾಸರು ಹಟೇಳಿದಾದರಟ.
ಇಲ್ಲಲ ತುಲಸಿೇದಾಸರು ವಿದಟಯ, ವಿನಯ ಹಾಗೊ ವಿವಟೇಕದ ಮಹತಾವನುನ ಹಟೇಳಿದಾದರಟ. ಮನುಷ್ಯನಿಗಟ ಸುಂಕಟ ವಿಪತುು ಎದುರಾದಾಗ ವಿದಟಯ,
ವಿನಯ ಮತುು ವಿವಟೇಕ ಎುಂಬವುಗಳಳ ಸಹಾಯಕಟಕ ಬರುತುವಟ ಹಾಗೊ ಇವುಗಳಳ ಮನುಷ್ಯನ ಸುಂಗಡಿಗರಾಗುತುವಟ. ಇವುಗಳಿುಂದ ಸುಂಕಟ
ಮತುು ವಿಪತು ವಿಶಾಾಸವಿಡುತಾುರಟೊೇ ಅವರು ಸ್ಾಹಸಿ, ಸತಯವುಂತ ಹಾಗೊ ಸುಕೃತಗಳನುನ ಮಾಡುತಾುರಟ ಎುಂದು ತುಲಸಿೇದಾಸರು
ಹಟೇಳಿದಾದರಟ.
पाठ का आशय:
िैज्ञाननक आविटकारों ने मानि-जीिन को सविधाजनक बनाया है । इटरनेट से मानि की जीिनशैली और उसकी सोच
में क्राुंनतकारी पररितमन हआ है । आज इुंटरनेट के बबना सुंचार ि सच
ू ना दोनों िेत्र कमजोर हो जाते हैं। इुंटरनेट ने परू ी
दननया को एक जगह ला खडा कर ददया है । जीिन के हर िेत्र में इुंटरनेट का बहत बडा योगदान है । इुंटरनेट िरदान
है तो असभशाप भी है ।
शब्दाथम :
दायरा - िेत्र, सीमा; ಸಿೇಮೆ, ಕ್ಟೇತರ. तकनीकी - प्रौद्योचगकी,Technology; ತುಂತರಜ್ಞಾನ. नजररया - दृजटटकोण,
ದೃಷ್ಟೆಕಟೊೇನ.सझाि - सलाह, ಸಲಹಟ. अनचगनत - असुंख्य, ಅಸುಂಖಯ.खबर - समाचार, ಸಮಾಚಾರ.व्यय - खचम करना,ವಯಯ, ಖಚ್ುಿ
ಮಾಡು. सच
ू ना - जानकारी,Information; ಸೊಚ್ನಟ, ಮಾಹಿತಿ. ठप पडता - बुंद होना, ಮುಚ್ಚಲಪಡು. रकम – धनरासश, ಧನ ರಾಶಿ.
खोज - शोध, अन्िेषण; ಅವಿಷಾಕರ, ಶಟ ೇಧ. असभलेख - सलखखत वििरण, Record; ಲ್ಲಖಿತ ಬರವಣಿಗಟ. यथाित ् - जैसे के िैस,े
ಇದದದುದ ಇದದ ಹಾಗಟ. पैरसी - चराकर नकली प्रनतयााँ बनाना, Piracy; ಕಳಿತನದಿುಂದ ನಕಲ್ಲಸುವುದು. फ्रॉड - धोखा, fraud; ಮೊೇಸ.
पाश - बुंधन, फुंदा: ಬುಂದನ , ಪಾಶಾ, ನಟೇಣ್ು ಹಗು. हाससल करना - प्राप्त करना, ಪಾರಪಿುಯಾಗು. इनफारमेशन टै क्नोलाजी - सच
ू ना
प्रौद्योचगकी। ಮಾಹಿತಿ ತುಂತರಜ್ಞಾನ.
दटप्पणी :
1. सुंचार माध्यम - समाचार पत्र, पबत्रकाएाँ, दरू भाष, दरू दशमन, इुंटरनेट आदद साधन जजनका उपयोग सच
ू नाओुं के
सुंदेशिहन के सलए ककया जाता है ।
2. िीडडयो कान्फरे न्स - Video Conference - एक सभागार जजसमें कई लोगों के साथ 8-10 टी.िी. के परदे पर
एक साथ चचाम होती है ।
3. इनफारमेशन टै क्नोलाजी एनेबल्ड सविमसेस - सच
ू ना प्रौद्योचगकी द्िारा सुंभाव्य सेिाएाँ -सच
ू ना प्रौद्योचगकी के द्िारा
प्राप्त करायी जानेिाली सेिाएाँ, जैसे - बी.पी.ओ.।
4.कबुंध बााँहे - कबुंध नामक एक रािस था जजसकी बााँहें लुंबी होकर कहीुं भी पहुं च सकती थीुं। कहा जाता है कक जब
उसने अपनी बााँहों में श्ीराम तथा लक्ष्मण को फुंसाया था, तब श्ीराम ने उसकी बााँहों को काट ददया था। प्रस्तत पाठ
में इुंटरनेट के व्यापक प्रभाि को ददखाने के सलए इन शब्दों का प्रयोग ककया गया है ।
5. ददन-प्रनतददन तकनीकी-पररितमन होता रहे गा। उसके अनरूप इुंटरनेट िेत्र में भी पररितमन होते रहें गे।
। एक-एक िाक्य में उत्तर सलखखए।
1.इुंटरनेट का अथम क्या है ?
उत्तर : इुंटरनेट अनचगनत कुंप्यट
ू रों के कई अुंतजामलों का एक दस
ू रे से सुंबध
ुं स्थावपत करने का जाल है ।
2. इुंटरनेट बैंककुं ग द्िारा क्या भेजा जा सकता है ?
उत्तर :इुंटरनेट बैंककुं ग द्िारा पैसे ' भेजा जा सकता है ।
3 . प्रगनतशील राटर ककसके द्िारा बदलाि लाने की कोसशश कर रहे है ?
उत्तर :प्रगनतशील राटर ‘ ई-गिनेन्स ' द्िारा बदलाि लाने की कोसशश कर रहा है ।
4. समाज के ककन िेत्रों में इुंटरनेट का योगदान है ?
उत्तर :चचककत्सा, कृवष, अुंतररि, विज्ञान, सशिा, रिादल, उद्योग धुंधे ' आदद सभी िेत्रों में इुंटरनेट का योगदान है ।
5. इुंटरनेट का असर ककस पर पडा है ?
उत्तर :इुंटरनेट का असर — बडे बढ़
ू ों से लेकर छोटे बच्चों ' तक सभी पर पडा है ।
6. आई. टी. ई. एस का विस्तत
ृ रूप क्या है ?
उत्तर :आई. टी. ई. एस - इनफारमेशन टै क्नालजी एनेबल्ड सिीसेस।
॥ दो-तीन िाक्यों में उत्तर सलखखए।
1. इुंटरनेट का मतलब क्या है ?
उत्तर :इुंटरनेट अनचगनत कुंप्यट
ू रों के कई अुंतजामलों का एक दस
ू रे से सुंबध
ुं स्थावपत करने का जाल है ।
2. व्यापार और बैंककुं ग में इुंटरनेट से क्या मदद समलती है ?
उत्तर :व्यापार में इुंटरनेट द्िारा घर बैठे-बैठे खरीदारी कर सकते है । कोई भी बबल भर सकते है । बैंककुं ग में |
इुंटरनेट द्िारा दननया की ककसी भी जगह पर चाहे जजतनी भी रकम भेजी जा सकती है ।
3. ई-गिनेस क्या है ?
उत्तर :ई - गिनेस द्िारा सरकार के सभी कामकाज का वििणम, असभलेख ,सरकारी आदे श को यताित लोगों को
सचू चत ककया जाता है । इससे प्रशासन पारदसशम बन सकता है ।
पाठ का आशय:
इस जगत ् में अच्छाई-बराई दोनों ददखाई दे ती हैं। हुं स-िीर न्याय की तरह इनमें हमें ससफम अच्छाई को अपनाकर
बराई को छोड दे ना चादहए। बेईमानी भी एक अिगण है । बेईमानों पर व्युंनय करते हए प्रस्तत रचना द्िारा लेखक ने
सचेत ककया है कक हम बेईमानी से दरू रहें ।
लेखक पररचय :
बेजोड ननचध : कलम को लेखक की तलिार माननेिाले श्ी हररशुंकर परसाई दहन्दी सादहत्य जगत की एक बेजोड
ननचध हैं। जन्म : मध्यप्रदे श के जमानी गााँि में 22 अगस्त 1924 को हआ था। प्रमख रचनाएाँ - हाँसते हैं रोते हैं,
भत
ू के पााँि पीछे , सदाचार का तािीज, िैटणि का कफसलन आदद। योगदान : दहन्दी के व्युंनय सादहत्य के विकास में
इनका योगदान अद्वितीय है ।
शब्दाथम :
पदामफाश-अनािरण, ಪರಕಟಪಡಿಸು, ಅನಾವರಣ್ಗಟೊಳಿಸು.कतई-हरचगज, कभी भी; ಯಾವಾಗಲೊ ,ಖುಂಡಿತವಾಗಿ.हलकफया-कसम
से, ಪರಮಾಣ್. तकलीफ-कटट, ಕಷ್ೆ. शानदार-िैभियत, ವಟೈಭವದಿುಂದ. डेलीगेट-Delegate, प्रनतननचध; ಪರತಿನಿಧಿ, ಅತಿಥಿ. जलसा-
समारोह, उत्सि; ಉತುವ, ಸಮಾರಟೊೇಹ. दहचक-सुंकोच, ಸುಂಕಟೊೇಚ್.गनीमत-खशी की बात, ಸುಂತಟೊೇಷ್ದ ಮಾತು. चश्मा-ऐनक,
ಕನನಡಕ. कागजात - कागज-पत्र, ಕಾಗದ – ಪತರ. हल्ला-शोर, ಗಲಾಟ್ಟ.इतमीनान-भरोसा, विश्िास ; ಭರವಸ್ಟ, ವಿಶಾಾಸ.हरारत-
हल्का ज्िर; ಸಣ್ು ಜ್ಾರ. हरचगज-बबल्कल, ककसी दशा में भी; ಖುಂಡಿತವಾಗಿ, ಯಾವುದಟೇ ಸಿಾತಿಯಲ್ಲಲಯೊ. ससरहाना-तककया।
ತಲಟದಿುಂಬು.
। एक-एक िाक्य में उत्तर सलखखए।
1. प्रस्तत कहानी के लेखक कौन है ?
उत्तर : प्रस्तत कहानी के लेखक - हररशुंकर परसाईजी है ।
2. लेखक दस
ू रे दजे में क्यों सफर करना चाहते थे ?
उत्तर :लेखक दस
ू रे दजे में सफर करना चाहते थे क्योंकक, इससे उनको '150' रूपय बचता था।
3. लेखक की चप्पलें ककसने पहनी थी ?
उत्तर :लेखक की चप्पलें –‘ एक ईमानदार डेसलगेट ' ने पहनी थी।
4. स्िागत ससमनत के मुंत्री ककसको डााँटने लगे ?
उत्तर :स्िागत ससमनत के मुंत्री ‘ कायमकतामओुं ' को डााँटने लगे।
5. लेखक पहनने के कपडे कहााँ दबाकर सोये ?
उत्तर :लेखक पहनने के कपडे ' ससरहाने ' दबाकर सोये ।
6. सम्मेलन में लेखक के भाग लेने से ककन-ककन को प्रेरणा समल सकती थी ?
उत्तर :सम्मेलन में लेखक भाग लेने से ईमानदार और उदीयमान ईमानदारों को प्रेरणा समल सकती थी।
7. लेखक को कहााँ ठहराया गया ?
उत्तर :लेखक को होटल के एक बडे कमरे में ठहराया गया।
8. ब्रीफकेस में क्या था ?
उत्तर :ब्रीफकेस में ' कागजात ' था।
9. लेखक ने धूप का चश्मा कहााँ रखा था ?
उत्तर :लेखक ने धूप का चश्मा ‘टे बल ' पर रखा था।
10.तीसरे ददन लेखक के कमरे से क्या गायब हो गया था ?
उत्तर :तीसरे ददन लेखक के कमरे से ‘कुंबल' गायब हो गया था।
॥ दो-तीन िाक्यों में उत्तर सलखखए।
1. लेखक को भेजे गये ननमुंत्रण पत्र में क्या सलखा गया था ?
उत्तर :लेखक को भेजे गये ननमुंत्रण पत्र में सलखा गया था कक, ”हम लोग इस शहर में एक ईमानदार सम्मेलन कर
रहे है । आप दे श के प्रससद्ध ईमानदार है । हमारी प्राथमना है कक आप इस सम्मेलन का उद्घाटन करें । हम आपको
आने-जाने का पहले दजे का ककराया दें गे तथा आिास, भोजन आदद की उत्तम व्यिस्था करें गे। आपके आगमन से
ईमानदारों तथा उदीयमान ईमानदरों को बडी प्रेरणा समलेगी।
2. फूल मालाएाँ समलने पर लेखक क्या सोचने लगे ?
उत्तर :लेखक जब स्टे शन पहुं चे तब उनका खूब स्िागत हआ । लगभग दस बडी फूल मालाएाँ उनको पहनायी गयी ।
तब लेखक ने सोचा कक आसपास कोई माली होता तो ये फूल मालाएुं बेच लेता।
3. लेखक ने मुंत्री को क्या समझाया ?
उत्तर :स्िगत ससमनत के मुंत्री पलीस को बलाने के सलए कहे तो लेखक ने मुंत्री को समझाया कक ‘ ऐसे हरचगज मत
कररये । ईमानदारों के सम्मेलन में पलीस ईमानदारों की तलाशी ले, यह बडी अशोभनीय बात होगी। कफर इतने बडे
सम्मेलन में थोडी गडबडी होगी ही।'
4. चप्पलों की चोरी होने पर ईमानदार डेसलगेट ने क्या सझाि ददया ?
उत्तर :चप्पलों की चोरी होने पर ईमानदार डेसलगेट ने सझाि ददया कक, ” दे खखए चप्पलें एक जगह नही उतारनी
चादहए । एक चप्पल यहााँ उताररए तो दस
ू री दस फूट की दरू ी पर । तब चप्पले चोरी नही होती । एक ही जगह जोडी
होगी, तो कोई भी पहन लेगा । मैंने ऐसा ही ककया था।
5. लेखक ने कमरा छोडकर जाने का ननणमय क्यों सलया ?
उत्तर :सम्मेलन में लेखक के सभी सामान चोरी हो गया था। ताला तक चरा सलया गया था। अब िे बचे थे । अगर िे
िही रुके तो उन्हीुं को चरा सलया जा सकता था । यह सोचकर लेखक ने कमरा छोडकर जाने का ननणमय सलया।
6.मख्य अनतचथ की बेईमानी कहााँ ददखाई दे ती है ?
उत्तर :रे लिे स्टे शन पर जब उनको फूल मालाएाँ पहनाई गयी, उन फूलों को बेचने के सलए माली को ढूुंढते है ।
कायमक्रम के आयोजन कताम लेखक को पहले दजे का ककराया दे तो, िे दस
ू री दजे में सफर करके डेढ सौ ( 150 )
रुपय बचा लेते है । इन सब घटनाओुं में मख्य अनतचथ की बेईमानी ददखाई दे ती है ।
॥ चार-पाुंच िाक्यों में उत्तर सलखखए।
1. लेखक के धूप का चश्मा खो जाने की घटना का िणमन कीजजए।
उत्तर : लेखक होटल के कमरे में ठहरे थे। दस
ू रे ददन बैठक में जाने के सलए अपना धूप का चश्मा ढूुंढने लगे पर िह
गायब हो गया था । इस कारण लेखक ने बबना धप
ू का चश्मा लगाये बैठक में पहाँचे । चाय के विराम के समय में
एक सज्जन आये और कहने लगे कक बडी चोररयाुं हो रही है । दे खखए, आपका धप
ू का चश्मा ही चला गया। िह धूप
का चश्मा लगाये थे । लेखक को याद था कक एक ददन पहले िह धूप का चश्मा नहीुं लगाये थे। जो चश्मा िे पहने थे
िह लेखक का ही था।
2. मुंत्री तथा कायमकतामओुं के बीच में क्या िातामलाप हआ ?
उत्तर :कायमक्रम में जब चोररयााँ होने लगी तब मुंत्री कायमकतामओुं को डााँटते हए कहते है कक “तम लोग क्या
करते हो ? तम्हारी ड्यट
ू ी यहााँ पर है । तम्हारे रहते चोररयााँ हो रही है । यह इमानदारों का सम्मेलन है । बाहर यह
चोरी की बात फैली तो ककतनी बदनामी होगी।' तब कायमकतामओुं ने कहा कक, ' हम क्या करें अगर सम्माननीय
डेलीगेट यहााँ-िहााँ जाए तो हम उन्हें रोक सकते है ?”
3. सम्मेलन में लेखक के कौन - से अनभि हए ? सुंिेप में सलखखए ।
उत्तर :लेखक को ईमानदारों के सम्मेलन में चप्पलें चोरी हो गयी थी , दस
ू रे ईमानदार डेसलगेट उनके चप्पलें पहनकर
उनको ही सझाि दे ने लगे थे । उनके कमरे में कुंबल और चादर चोरी हो गया था । लेखक का धूप का चश्मा भी
चोरी हो गया था । एक सज्जन उनके चश्मा पहनकर उनको ही समझाने लगे थे । अुंत में हम यह कह सकते है कक,
सम्मेलन में लेखक का अनभि बहत बरा था।
IV. अनरूपता:
1. पहला ददन : चप्पलें गायब थीुं :: दस
ू रे ददन : धूप का चश्मा
2. तीसरे ददन : कम्बल गायब था :: चौथे ददन : ताला
3. ररक्शा : तीन पदहयों का िाहन :: साइककल : दो पदहयों का िाहन
4. रे लगाडी : पटरी :: हिाईजहाज : आसमान
v. ररक्त स्थान भररए :
1. हम लोग इस शहर में एक ईमानदारों के सम्मेलन कर रहे हैं।
2. मेरी चप्पलें गायब थीुं।
3. िह मेरा चश्मा लगाये इतमीनान से बैठे थे।
4. कफर इतने बडे सम्मेलन में थोडी गडबडी होगी ही।
उिर : र्कान के बारे र्ें पूछताछ करने दोनों दोस्त जंगि की ओर चि पड़े ।
4) दोस्तों की र्ुिाकात सबसे पििे दकस से हुई ? उिर : दोस्तों की र्ुिाकात सबसे पििे िाथी से हुई ।
6) िाथी से उिर पाकर दोस्त दकससे वर्िे ? उिर : िाथी से उिर पाकर दोस्त सााँप से वर्िे ।
उिर : सब जानिरों की बातें सुनकर दोस्तों ने एक जगि र्कान बनाने का कार् दकया ।
उिर : उन ददनों आदर्ी गुफाओं र्ें और पेड़ों के नीचे रिते थे । उस सर्य िाविर् और ककं चा िािीदार् नार्क दो दोस्तों ने
तय दकया दक िि र्कान बनाएंगे । र्ुवककि यि था दक िि निीं जानते थे दक र्कान कै से बनाए जाते िैं । इसविए िे पशुओं से
पूछताछ करने के विए जंगि की ओर चि पड़े ।
2) दोस्तों ने िाथी के साथ दकसकी चचाा की ?
उिर : दोस्तों ने िाथी के साथ िाथी भाई िर् िोग र्कान बनाना चािते िैं । आप बता सकते िैं दक र्कान कै से बनाए जाते िैं ।
उिर : िाथी ने दोस्तों को इसर्ें क्या करठनाई िै पेड़ों से िकड़ी के इतने र्ोटे और र्जबूत गोिे काट िो वजतने र्ेरे पैर िै किकर
उिर ददया ।
4) दोस्तों ने दकन-दकन जानिरों से र्ुिाकात की ? उिर : दोस्तों ने िाथी, सााँप ,भैंस और र्छिी जानिरों से र्ुिाकात की ।
उिर : सााँप ने दोस्तों को यि सुझाि ददया दक “ ऐसा करो दक िकड़ी ऐसी पतिी और िंबी काटो, जैसा र्ैं हाँ”। किकर सुझाि
ददया ।
2) भैंस के पंजर से दोस्तों को क्या जानकारी वर्िी ?
उिर : भैंस के पंजर से दोस्तों को जैसे इस पंजर र्ें चार पैरों पर िवियााँ पड़ी िै, उसी तरि चार र्ोटे गोिे जर्ीन र्ें गाड़कर
उन पर पतिी और िंबी िकवड़यों से छप्पर का पंजर बना िेने की जानकारी वर्िी ।
3) र्छिी ने दोस्तों के प्रश्न का क्या जिाब ददया ?
उिर : र्छिी ने दोस्तों के प्रश्न का जिाब ददया की “आप िोग जरा र्ेरी पीट की परियााँ ध्यान से देख िो । दफर पेिों से बहुत
सी पवियााँ तोि िो । इन पवियों को छप्पर पर उसी तरि जर्ा दो, जैसी र्ेरी पीट पर परियााँ िै ।
IV. अनुरूपता :
1) िाथी : जंगि जानिर : : भैंस : पाितू जानिर 2) र्छिी : पानी : : सााँप : जर्ीन
3) र्छिी : तैरना : : सााँप : रें गना 4) िाथी : सूि
ाँ : : भैंस : ससंग
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10TH STD.HINDI NOTES
1) आदर्ी - औरत 2) िाथी - िवथनी 3) भैंस - भैंसा 4) शेर - शेरनी 5) र्ोर - र्ोरनी 6) बिन - भाई
1) बहुत - थोड़ा 2) ददन - रात 3) नीचे - ऊपर 4) र्ुवककि - आसान 5) आगे - पीछे
6) र्जबूत - कर्जोर 7) िंबी - चौड़ी 8) पास - दूर 9) दोस्त - दुकर्न 10) काटना - जोड़ना
2) िाथी b) पैर
3) भैंस c) िवियााँ
4) पििा d) र्कान
5) ससंगफ़ो e) आददिासी ,
lX. ररक्त स्थान भररए :
1) भैंस ने दोस्तों को अपने भैंस का सपंजर ददखाया । 2) दोस्तों की र्ुिाकात अंत र्ें र्छिी से हुई ।
3) आप िोग जरा र्ेरी पीट की परियााँ ध्यान से देख िो । 4) भैंस बिन िर् िोग र्कान बनाना चािते िैं ।
1) र्कान - घर, गृि 2) पेड़ - तरु, िृक्ष 3) दोस्त - वर्त्र, सखा 4) भैंट - वर्िन, दशान
1) बनना - बनाना 2) वगरना- वगराना 3) िगना – िगाना 4) सीखना - वसखाना 5) करना - कराना 6) टिरना - टिराना
Xll. सिी शब्द चुनकर विवखए : ( पानी , पाितू जानिर, गांि, आसर्ान, वबि, पेि, जंगि )
1) िाथी - जंगि 2) सााँप - वबि 3) भैंस - पाितू जानिर 4) र्छिी - पानी 5) पक्षी - पेड़ 6) बैिगाड़ी - गााँि
I.
पाितू जानिर जंगिी जानिर
1 गाय 1 शेर
2 बकरी 2 चीता
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3 कु िा 3 बाघ
4 खरगोश 4 िाथी
5 बैि 5 बंदर
6 घोिा 6 भािू
7 ऊंट 7 िोर्िी
8 वबल्िी 8 चीता
II.
पाठ का आशय: समय बहत अनमोल है ।उसका महत्ि धन से भी ज्यादा है । 'समय' अचधक महत्िपण
ू म तथा उपयोगी
होता है । समय को जो अपना सच्चा साथी बना लेगा, िह अपने काम में सफल होगा। इस कविता में यह सुंदेश ददया
गया है कक हमें काम करने का जो अिसर प्राप्त होता है , उसे व्यथम जाने नहीुं दे ना चादहए।
कवि पररचयः
ससयारामशरण गप्त : जन्म : 4 ससतुंबर 1895 को हआ था।
स्थल : मध्यप्रदे श के झााँसी के चचरगााँि में हआ था।
वपता : सेठ रामचरण कनकने । माता : कौशल्या बाई था।
अनज : ये दहुंदी के राटरकवि मैचथलीशरण गप्त के अनज थे।
सशिा : प्रारुं सभक सशिा के बाद घर पर ही उन्होंने गजराती, अुंग्रेजी तथा उदम ू भाषा सीखी।
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प्रमख रचनाएाँ - मौयमविजय, अनाथ, विषाद, आद्राम, आत्मोत्सगम, मण्ृ मयी, बाप,ू नकल आदद।
सेिा : दीघमकालीन सादहत्य सेिा के सलए उन्हें नागरी प्रचाररणी सभा, िाराणसी द्िारा 'सधाकर पदक' प्रदान ककया
गया।1929 में महत्मा गाुंधीजी के सुंपकम में आकर िधाम में रहे ।
ननधन : लुंबे समय की बीमारी के कारण 29 माचम 1963 में इनका ननधन हआ।
शब्दाथम :
उद्योगी - पररश्मी, मेहनती; ಉದಟೊಯೇಗಿ, ಪರಿಶರಮಿ. सौख्य - सख , ಸ್ೌಖಯ, ಸುಖ. आलस - आलस्य, कामचोरी: ಆಲಸಯ.
बहाना - बात टालना, नाम मात्र का कारण ; ನಟಪ ಹಟೇಳಳವುದು. द्रव्य - धन, पदाथम, सामग्री ದರವಯ ,ಪದಾಥಿ, ಸ್ಾಮಗಿರ.
अनपम - अनोखा, बेजोड, उपमाविहीन ; ಶಟರೇಷ್ಠ, ಅನುಪಮ, ಅತಯಮೊಲಯ. तच्छ - छोटा, िद्र, ननस्सार, अल्प; ಅಲಪ ,ಸಣ್ು.
पल - िण, ಕ್ಷಣ್. चचत्त - मन, ध्यान, अुंतःकरण ; ಮನಸುು, ಅುಂತಃಕರಣ್, ಧಾಯನ. विश्िास - भरोसा, यकीन ; ವಿಶಾಾಸ ,ಬರವಸ್ಟ.
ससमय - अच्छा समय, उत्तम अिसर; ಒಳಟಿಯ ಸಮಯ. खोना - गुंिाना, ಕಳಟದುಕಟೊಳಳಿ. सिमथा - सदा, हमेशा। ಯಾವಾಗಲೊ.
। एक-एक िाक्य में उत्तर सलखखए।
1.कवि के अनसार मनटय को सख कब नही समलता ? 4. कवि ककस पर विश्िास करने को कहते है ?
उत्तर : कवि के अनसार मनटय को समय को नटट उत्तर : कवि अपनी ‘आत्मा ' पर विश्िास करने को
करने से सख नही समलता है । कहते है ।
2. बहाने बनाने का प्रमख कारण क्या है ? 5. समय के खोने से क्या होता है ?
उत्तर :बहाने बनाने का प्रमख कारण ‘ आलस' है । उत्तर : समय के खोने से व्यजक्त को पछताना पडता
3. समय ककसका ददया हआ अनपम धन है ? है ।
उत्तर : समय भगिान / ईश का ददया हआ अनपम
धन है ।
II दो-तीन िाक्यों में उत्तर सलखखए।
1. मनटय के सलए सख की प्राजप्त कब सुंभि है ?
उत्तर : मनटय को समय नटट ना करने से, आलस और बहाना बनाना छोडकर मेहनत से काम करने से सख की
प्राजप्त होनत है ।
2. समय का सदपयोग कैसे करना चादहए ?
उत्तर: समय बहत अनमोल है ।उसका महत्ि धन से भी ज्यादा है । आलस्य को त्यागकर काम करने का जो अिसर
प्राप्त होता है , उसे व्यथम जाने न दे ने से और समय को सच्चा साथी बना लेने से समय का सदपयोग कर सकते है ।
3. कविता के अुंनतम चार पुंजक्तयों में कवि क्या कहना चाहते है ?
उत्तर: कवि ससयारामशरण गप्तजी कहते है कक, जो काम करते है उसे मन लगाकर करो, ददल में विश्िास रखो,
सुंदेह को दरू करो । ऐसा अच्छा समय कब तम्हे समलता है । अब का समय खोकर आगे बहत पछताओगे ।
III ननम्न सलखखत शब्दों में से सही शब्द चनकर ररक्त स्थानों की पनू तम कीजजए।
(सिमथा, चक्रिती, करो अभी, शभ)
1. जो करना है , करो अभी कल हो क्या जाने? 3. यही समय ही अहो तम्हारा शभ जीिन है ।
2. चाहो तम क्यों नहीुं चक्रिती भी होके। 4. खोकर पीछे इसे सिमथा पछताओगे।
IV. अनरूपता :
1. आलस : पररश्म :: नटट : लाभ 3. धन : ननधमन :: ददया : सलया
2. जानो : मानो :: लगा दो : भगा दो 4. जीिन : मरण :: खोना : पाना
V.जोडकर सलखखए।
1. उद्योगी - ससमय। 4.समय - अनपम धन।
2. आलस - बहाना। 5. द्रव्य - समता।
3. जीिन - पल-पल ।
VI. उदाहरण के अनसार तकाुंत शब्दों को पहचानकर सलखखए।
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12. रोबोट
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उिर : सक्सेना पररिार बिा था । बेटे- बेरटयों , नाती-पोतों से घर र्ें िर्ेशा रोनक और चिि-पिि बनी रिती ।
साधोरार् के अस्पताि पहुाँच जाने से सभी की तकिीफ़ें और बढ गई । धीरज सक्सेना से पररिार िािों का यि दुाःख निीं
देखा गया । तभी पररिार के नाते कोई रोबोट रखने का वनणाय विया ।
2) रोबोवनि और रोबोदीप की र्ुिाकात का िणान कीवजए ।
उिर : धीरज सक्सेना का रोबोट रोज शार् को शेरू को टििाने के विए िे जाता था । ऐसे र्ें एक ददन उनकी र्ुिाकात
रोबोदीप से िो गई । रोबोदीप उसी र्ोिल्िे र्ें रिनेिािे शर्ाा पररिार के कु िे झबरु को घुर्ाने आया करता था । दोनों
रोबोटों के बीच दोस्ती हुई तो शेरू और झबरू भी आपस र्ें विि - वर्ि गए । रोबोवनि और रोबोदीप ने धीरज सक्सेना के
घर र्ें कार् करनेिािे साधोरार् के बारे र्ें चचाा की ।
3) विज्ञान कथा का सार विवखए ।
उिर : विज्ञान कथा का सार िै :- एक घर र्ें नौकर दकसी जानिेिा बीर्ारी से पीवड़त था । उसे वनकािकर उसके जगि
पर एक रोबोट को रख ददया जाता िै । दकसी तरि रोबोट को इस बात की जानकारी वर्ि जाती िै तो ििरोबोरटक संघ से
संपका साध कर संघ को सारी बातों से अिगत कराता िै संघ रोबोटों की िड़ताि की घोर्णा कर देता िै । अंतताः सर्झौता
इस बात पर िोता िै दक उस नौकर को घर र्ें दफर से नौकरी र्ें रख विया जाता िै ।
4) रोबोरटक कं पवनयों के र्ाविकों के बीच ििचि क्यों र्च गई ? उिर :रोबोरटक कं पवनयों के र्ाविकों के
बीच इस आह्िान से ििचि र्च गई । उन्िोंने रोबोजीत पर सक्सेना पररिार के साथ हुई अनुबध
ं को तुरंत रद्द कर देने का
दबाि िािा । रोबोजीत अके िा पड़ गया । र्जबूरन उसे धीरज सक्सेना के साथ अपने अनुबध
ं को तुरंत रद्द करके रोबोवनि
को िापस बुिाने की बात र्ाननी पड़ी ।
lV. वनम्नविवखत कारकों को चुनकर विवखए :
1) िर्ा 2030 के निंबर का र्िीना था । 2) आप साधारण रोबोट से भी कार् चिा सकते िै ।
3) रोबोवनि के घर र्ें आ जाने से सभी ने राित की सााँस िी । 4) रोबोटों की ििताि की घोर्णा हुई ।
5) संघ को यि बात र्ानने र्ें कोई आपवि निीं थी ।
V. जोड़कर विवखए : A B
1) यि सुनकर काउं टर पर बैठा रोबोट बोिा ।
2) र्गर, रोबोदीप यि तो रोबोरटकी के वनयर् के विरुद्ध िै ।
3) शार् को रोबोवनि और रोबोदीप वर्िे ।
4) दोनों के बीच कु छ गुप्त र्ंत्रणा हुई ।
5) सक्सेना पररिार रोबोवनि को पाकर फू िा निीं सर्ा रिा था ।
Vl. अन्य िचन रूप विवखए :
1) बेटा - बेटे 2) नाती - नावतयााँ 3) कु िा- कु िे 4) छु िी – छु रियााँ
5) बेरटयााँ – बेटी 6) पोता - पोते 7) कं पवनयााँ - कं पनी 8) नौकररयााँ - नौकरी
Vll. अनुरूपता :
1) शेरू को टििाना : रोबोवनि : : झबरू को घुर्ाना : रोबोदीप
2) र्ुवखया : धीरज सक्सेना : : सेिक : साधोरार्
3) टस से र्स ना िोना : अटि रिना : : फ़ु िे न सर्ा ना : बहुत खुश िो ना
भार्ा ज्ञान : ( र्ुिािरे )
l.उदािरण के अनुसार र्ुिािरा विवखए :
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पाठ का आशय:
इस पाठ से बच्चे साहस गण, दृढ़ ननश्चय, अथक पररश्म, मसीबतों का सामना करना इत्यादद आदशम गण सीखते
हैं।और मदहला भी साहस प्रदशमन में परुषों से कछ कम नहीुं है इस विचार को छात्र प्राप्त कर सकते हैं। इसके साथ
दहमालय की ऊुंची चोदटयों की जानकारी भी प्राप्त करते हैं। यह पाठ ससद्ध करता है कक 'मेहनत का फल अच्छा होता
है ।'
शब्दाथम :
चोटी - सशखर, ಶಿಖರ, ಪವಿತ. जज्बा - हौसला, ಧಟೈಯಿ. दौरान - उस समय, ಆ ಸಮಯ, झुंडा - पताका, ध्िज; ಧವಜ್.तुंबू -
शासमयाना,ಟ್ಟುಂಟ , ಶಿಬಿರ. आरोहण - चढ़ना, ಹತುುವುದು. कममठता - काम करने की शजक्त का भाि, ಕಟಲಸ ಮಾಡುವ ಶಕ್ಕುಯ
ಭಾವ. बगैर - बबना, ಇಲಲದಟ. फािडा - खदाई का साधन, ಚ್ಲ್ಲಕಟ. इस्तेमाल – उपयोग, ಉಪಯೇಗ. नजदीक – पास, ಹತಿುರ. रज्ज
- रस्सी। ಹಗು.
। एक-एक िाक्य में उत्तर सलखखए।
1. विछे न्द्री पाल को कौन-सा गौरि प्राप्त हआ है ?
उत्तर: बबछे न्द्री पाल को एिरे स्ट की चोटी पर चढ़नेिाली पहली भारतीय मदहला होने का गौरि प्राप्त हआ है ।
2. बबछे न्द्री के माता-वपता कौन थे ?
उत्तर: बबछे न्द्री के माता का नाम ' हुं सादे ई नेगी और वपता का नाम ककशनपाल ससुंह ' था ।
3. बबछे न्द्री ने क्या ननश्चय ककया ?
उत्तर: बबछे न्द्री ने ननश्चय ककया कक उनके भाई के तरह पिमतारोहण करें गी।'
4. बबछे न्द्री ने ककस नलेसशयर पर चढ़ाई की ?
उत्तर: बबछे न्द्री ने ‘ गुंगोत्री नलेसशयर ' पर चढ़ाई की।
5. सन ् 1983 में ददल्ली में कौन-सा सम्मेलन हआ था ?
उत्तर: सन ् 1983 में ददल्ली में ‘ दहमालय पिमतारोदहयों ' का सम्मेलन हआ था।
6. एिरे स्ट पर भारत का झुंडा फहराते समय पाल के साथ कौन थे?
उत्तर: एिरे स्ट पर भारत का झुंडा फहराते समय पाल के साथ पिमतारोही ‘ अुंग दोरजी ' थे।
7. कनमल का नाम क्या था ?
उत्तर: कनमल का नाम “खल्लर ' था।
8. ल्हाटू कौन-सी रस्सी लाया था ?
उत्तर: ल्हाटू ' नायलॉन ' की रस्सी लाया था ।
9. बबछे न्द्री ने थैले से कौन-सा चचत्र ननकाला ?
उत्तर: बबछे न्द्री ने थैले से ‘ हनमान चालीसा और दगाम मााँ ' का चचत्र ननकाला।
10. कनमल ने बधाई दे ते हए बबछे न्द्री से क्या कहा ?
उत्तर: कनमल ने बधाई दे ते हए बबछे न्द्री से कहा कक ‘ दे श को तम पर गिम है ।'
11. मेजर का नाम क्या था ?
उत्तर: मेजर का नाम 'कमार' था।
12. बबछे न्द्री को भारतीय पिमतारोहण सुंघ ने कौन-सा पदक दे कर सम्मान ककया ?
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उत्तर: बबछे न्द्री को भारतीय पिमतारोहण सुंघ ने प्रनतजटठत ‘ स्िणम पदक ' दे कर सम्मान ककया।
॥ दो-तीन िाक्यों में उत्तर सलखखए।
1. बबछे न्द्री पाल के पररिार का पररचय दीजजए।
उत्तर: बबछे न्द्री का जन्म एक साधारण भारतीय पररिार में हआ था। उनके माता का नाम हुं सादे ई नेगी और वपता का
नाम ककशनपाल ससुंह था । िे अपने माता वपता के पााँच सुंतानों में तीसरी सुंतान थी । बबछे जन्द्र के बडे भाई को पहाडों
पर जाना अच्छा लगता था । इसी जज़्बे से विछे न्द्री पिमतारोहण का प्रसशिण लेना शरू कर ददया ।
2. बबछे न्द्री का बचपन कैसे बीता ?
उत्तर: बबछे न्द्री का बचपन बहत मजश्कल में बीता । बचपन में बबछे न्द्री रोज 5 ककलोमीटर पैदल चलकर स्कूल जाना
पडता था। ससलाई का काम सीख सलया और ससलाई करके पढ़ाई का खचम जटाने लगी। इसी तरह उन्होंने सुंस्कृत में
एम.ए तथा बी.एड तक की सशिा प्राप्त की।
3. बबछे न्द्री ने पिमतारोहण के सलए ककन - ककन चीजों का उपयोग ककया ?
उत्तर: बबछे न्द्री ने पिमतारोहण के सलए 'नायलॉन की रस्सी, ऑक्सीजन और फािडे का उपयोग ककया था।
4. एिरे स्ट की चोटी पर पहाँचकर बबछे न्द्री ने क्या ककया ?
उत्तर: एिरे स्ट की चोटी पर पहाँचकर बबछे न्री ने फािडे से पहले बफम की खदाई कर अपने आपको सरक्षित रूप से जस्थर
ककया। इसके बाद अपने घटनों के बल बैठी । बफम पर अपने माथे को लगाकर उन्होंनेसागरमाथे के ताज का चुंबन
ककया । बबना उठे ही हनमान चालीसा और दगाम मााँ का चचत्र ननकालकर लाल कपडे में लपेटा और छोटी - सी पज
ू ा
करके इनको बफम में दबा ददया।
॥ चार-पााँच िाक्यों में उत्तर सलखखए।
1. बबछे न्द्री ने पहाड पर चढ़ने की तैयारी ककस प्रकार की ?
उत्तर: बबछे न्द्री ने पहाड पर चढ़ने के सलए अनेक पहाडों पर चढ़कर अपने लक्ष्य को ताजी रखी । एिरे स्ट चढ़ने के
ददन पहाड पर चढने के सलए दो दल बनाए गए। बबछे न्द्री ने एिरे स्ट चढ़ने के ददन सबह चार बजे उठी , बफम
वपघलाई और चाय बनाई । कछ बबस्कट और आधी चॉकलेट का हल्का नाश्ता करने के पश्चात िे लगभग साढ़े पााँच
बजे अपने तुंबू से ननकल पडी। िहााँ जमी हई बफम काटने के सलए फािडे का इस्तेमाल ककया। ऑक्सीजन की आपनू तम
रे गलेटर पर बढाकर कदठन चढाई आसान बनाई।
2. दक्षिणी सशखर पर चढ़ते समय बबछे न्द्री के अनभि के बारे में सलखखए।
उत्तर: : बबछे न्द्री ने अुंग दोरजी के साथ सबह के नाश्ते के बाद चढ़ाई प्रारुं भ की। दक्षिणी सशखर के ऊपर तेज हिा के
झोंके भरभरे बफम के कणों को चारो तरफ उडा रहे थे। जजससे कछ ददखाई नहीुं दे रहा था। उसने दे खा कक थोडी दरू
तक कोई ऊाँची चढ़ाई नहीुं है । ढलान एकदम सीधी नीची चली गई थी। उसकी सााँस एकदम रुक गई थी। उसको लगा
कक सफलता बहत नजदीक है । एिरे स्ट की चोटी पर पहाँचने िाली प्रथम भारतीय मदहला थी
3. प्रस्तत पाठ से क्या सुंदेश समलता है ?
उत्तर: प्रस्तत पाठ से यह सुंदेश समलता है कक - साहस गण, दृढ़ ननश्चय, अथक पररश्म, मसीबतों का सामना करना
इत्यादद आदशम गण सीख सकते है । यह जानकारी प्राप्त कर सकते हैं कक मदहलाएाँ भी साहस प्रदशमन में परुषों से
कछ कम नहीुं है । इसके साथ दहमालय की ऊाँची चोदटयों की जानकारी भी प्राप्त करते है । इस पाठ से जान सकते है
कक मेहनत का फल अच्छा होता है ।'
IV जोडकर सलखखए।
1. गुंगोत्री नलेसशयर की चढ़ाई सन ् 1982 2. पिमतारोदहयों का सम्मेलन सन ् 1983
3. एिरे स्ट की चोटी पर पहाँचना सन ् 1984
v अनरूप शब्द सलखखए।
1. पहाड : चगरर :: चोटी : सशखर 2. कालानाग : पिमत :: गुंगोत्री : नलेसशयर
3. कनमल : खल्लर :: मेजर : कमार 4. चाय : गरम :: बफम : ठण्डी
5. पहले दहमालय पिमतारोही परुष : तेनजजुंग नोगे :: पहली एिरे स्ट पिमतारोही मदहला : जके ताबी
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5. मैं एिरे स्ट की चोटी पर पहाँचनेिाली प्रथम भारतीय मदहला थी। ನಾನು ಎವರಟಸ್ಟೆ ಶಿಖರದ ಮೆೇಲಟ ತಲುಪಿದ ಭಾರತದ ಪರಥಮ
ಮಹಿಳಟ ಆಗಿದಟದ.
पद का आशय : बच्चे स्िभाि से भोले होते हैं। िे हमेशा अपने माता – वपता से अपने भाई ,बहन और समत्रों की कछ
– न – कछ सशकायत करते रहते हैं । उनका बाल सहज स्िभाि दे खकर बडों को हाँसी आती है और उन्हें पचकारकर
माुंत्िना दे ते हैं। मााँ और बेटे के ऐसे सहज सुंबध
ुं की कल्पना कर सरू दास जी ने अपने इस पद में उसका मासममक
चचत्रण ककया है ।
शब्दाथम :
मैया - मााँ, ತಾಯಿ, ಅಮಾ. मोदहुं - मझे, ನನಗಟ. दाऊ - भैय्या(बलराम),ಅಣ್ು. खखझाना - चचढ़ाना, ಸತಾಯಿಸು. मोसों -
मझसे,ನನಗಟ. मोल - मल्
ू य,दाम; ಬಟಲಟ. तोदह - तझे, ನಿನಗಟ. जसमनत - जसोदा यशोदा; ಯಶಟ ೇಧ. जायो – जन्म ददया
ಜ್ನಾ ನಿೇಡಿದ. ररस - क्रोध, ಕಟೊರೇಧ. के मारे – के कारण, ಆದಕಾರಣ್. तमरो - तम्हारे , ನಿನನ. तात - वपता, ತುಂದಟ. कत- क्यों,
ಏಕಟ. स्याम – काला, ಕಪುಪ ಬಣ್ು. निाल - गोपालक ಗಟೊಲಲ, ಗಟೊೇಪಾಲಕ. ससखै – ससखाना, ಕಲ್ಲಸುವುದು. बलभद्र – बलबीर,
बलराम; ಬಲರಾಮ.रीझै – मोदहत होना, ಮೊೇಹಿತನಾಗು. सनह -सनो, ಕಟೇಳಳ.कान्ह - कृटण, ಕೃಷ್ು .चबाई - पीठ पीछे बराई
करनेिाला, चगलखोर; ಕಟಟೆದುದ ಮಾಡುವವ, ಚಾಡಿ ಹಟೇಳಳವವ. जनमत ही को - जन्म से ही, ಜ್ನಾದಿುಂದ. धूत -दटट, ದುಷ್ೆ.
लखख – दे खकर, ನಟೊೇಡಿ. सौं - कसम, सौगुंध; ಪರಮಾಣ್. हौं - मैं, ನಾನು. पत
ू -पत्र। ಪುತರ, ಮಗ
कवि पररचय :
सरू दास (सन ् 1540-1642)
सय
ू म : भक्त कवि सरू दास दहुंदी सादहत्याकाश के सय
ू म माने जाते हैं। शाखा : इन्हें भजक्तकाल की सगण भजक्तधारा की
कृटणभजक्त-शाखा के प्रितमक माना जाता है । जन्म : उत्तर प्रदे श के रुनकता गााँि सन ् 1540 को हआ था।
प्रमख रचनाएाँ : 'सरू सागर', 'सरू सारािली' एिुं 'सादहत्यलहरी' । इनके काव्यों में िात्सल्य, श्ुंग
ृ ार तथा भजक्त का
बत्रिेणी सुंगम हआ है । मत्ृ य : सन ् 1642 को हई।
। एक-एक िाक्य में उत्तर सलखखए।
1. सरू -श्याम पद के रचनयता कौन है ? उत्तर : सरू -श्याम पद के रचनयता "सरू दासजी " है ।
2. कृटण की सशकायत ककसके प्रनत है ? उत्तर : कृटण की सशकायत “ बलराम के प्रनत " है ।
3. यशोदा और नुंद का रुं ग कैसा था ? उत्तर : यशोदा और नुंद का रुं ग " गोरा " था।
4. चटकी दे -दे कर हाँसनेिाले कौन थे ? उत्तर : चटकी दे -दे कर हाँसनेिाले. “ निाल ” दोस्त थे।
5. यशोदा ककसकी कसम खाती है ? उत्तर : यशोदा “ गोधन" की कसम खाती है ।
6. बालकृटण ककससे सशकायत करता है ? उत्तर : बालकृटण “ यशोदा " से सशकायत करता है ।
7. बलराम के अनसार ककसे मोल सलया गया है ? उत्तर : बलराम के अनसार “ कृटण ” को मोल सलया गया है ।
8. बालकृटण का रुं ग कैसा था ? उत्तर :बालकृटण का रुं ग "काला" है ।
॥ दो-तीन िाक्यों में उत्तर सलखखए।
1. कृटण बलराम के साथ खेलने क्यों नहीुं जाना चाहता ?
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उत्तर :बलराम कृटण को चचढ़ाता रहता है कक, तम काला हो और यशोदा तम्हे जन्म नहीुं ददया है बजल्क मोल कर
सलया है । क्योंकक यशोदा और नुंद गोरे है , तू काला है । इस कारण सभी दोस्त चटकी दे -दे कर हाँसते है । इस कारण
कृटण बलराम के साथ खेलने नहीुं जाना चाहता था।
2. बलराम कृटण के माता-वपता के बारे में क्या कहता है ?
उत्तर :बलराम कृटण के माता-वपता के बारे में कहता है कक, तम्हारी माता यशोदा नही है क्योंकक यशोदा और नुंद तो
गोरे है , तम काले हो । तम्हे यशोदा जन्म नही ददया है बजल्क मोल सलया है ।
3. कृटण अपनी माता यशोदा के प्रनत क्यों नाराज है ?
उत्तर : कृटण अपनी माता यशोदा के प्रनत नाराज है क्योंकक,यशोदा हमेशा कृटण को ही मारती है , और भाई बलराम पर कभी
गस्सा नहीुं करती और मारती भी नहीुं।
4. बालकृटण अपनी माता से क्या-क्या सशकायत करता है ?
उत्तर :बालकृटण अपनी माता से सशकायत करता है कक,बलराम मझे काला कहकर पकारता है । मझे मोल सलया है ऐसा कहता
है और सब निाल दोस्त मझे चटकी दे दे कर चचढ़ाता है ।
5. यशोदा कृटण के क्रोध को कैसे शाुंत करती है ?
उत्तर : यशोदा कृटण को साुंत्िना करती हई कहती है कक,बलराम जन्म से ही चगलखोर है और मैं गोधन कसम खाकर कहती हूाँ
कक तू मेरा बेटा है और मैं ही तेरी मााँ हूाँ।
॥ चार- छः िाक्यों में उत्तर सलखखए।
1. पद का भािाथम अपने शब्दों में सलखखए।
उत्तर :सरू दास अपने पद में बालकृटण की बचपन के बारे में कहते हए कहते है कक, कृटण अपनी माता के पास जाकर
अपने भाई बलराम के प्रनत सशकायत करता है कक, बलराम के साथ मै खेलने नहीुं जाता क्योंकक, बलराम सब निाल
दोस्तों के साथ समलकर तू नुंद और यशोदा के पत्र नही हो तम्हे मोल सलया गया है । क्योंकक नुंद और यशोदा दोनो
गोरे है तू काला है , ऐसा चचढ़ाता है । सब निाल दोस्त मझे चटकी दे -दे कर मझे चचढ़ाते है । मै उसके साथ खेलने नही
जाता।
तू कभी भी मझे ही मारती है और डाुंटती है । लेककन भाई बलराम को कभी मारती नही और डाुंटती भी।
नही है । तब यशोदा अपने पत्र के बात और गस्से से खश होकर कहती है कक, हे कृटण मै गोधन की कसम खाकर
कहती हूाँ कक, तू मेरा पत्र है और मै ही तेरी मााँ हूाँ। बलराम जन्म से ही चगलखोर है । उसके बातों पर तम ध्यान
मत दो ऐसा कहकर कृटण के क्रोध को कम करती है ।
IV. पद्य भाग पण
ू म कीजजए:
1.गोरे नुंद जसोदा गोरी, तम कत स्याम सरीर । 2. सनह कान्ह बलभद्र चबाई, जनमत ही को धूत ।
चटकी दै दै हाँसत निाल, सब ससखै दे त बलबीर ।I 'सरू ' स्याम मोदहुं गोधन की सौं, हौं माता तू पत
ू ।।
V अनरूपता :
1. बलभद्र : बलराम : : कान्हा : कृटण 2. जसोदा : माता : : नुंद : वपता
3. रीझना : मोदहत होना : : खजाना : चचढ़ाना 4. बलबीर : बलराम : : जसोदा : यशोदा
VI जोडकर सलखखए।
1. सरू दास का जन्म सन 1540 को हआ। 3. उत्तर प्रदे श का रुनकता सरू का जन्मस्थान।
2. सगण भजक्त धारा की कृटण भजक्त शाखा। 4. सरू दासजी की मत्ृ य 1642 को हई।
VII सही शब्द चनकर सलखखए।
1. जसोदा = गोरी 4. बलराम = चगलगोर
2. कृटण = श्याम 5. कृटण की = बाल-लीला
3. निाल समत्र = चटकी
VIII आधननक रूप सलखखए।
जैसे = मैया - माता
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पाठ का आशय:
'जननी जन्म भसू मश्च स्िगामदवप गरीयसस । प्रत्येक व्यजक्त का अपनी जन्मभसू म से अनराग और उस पर असभमान
करना सहज है । कनामटक हमारी जन्मभसू म है । यहााँ की प्राकृनतक सषमा, सादहजत्यक िैभि और ज्ञान-विज्ञान िेत्र की
प्रगनत अपार है । दे श-विदे श के लोग यहााँ की तकनीकी के विकास की मक्तकुंठ से प्रशुंसा करते हैं। इस सुंदभम में
प्रस्तत पाठ अत्युंत प्रासुंचगक एिुं साथमक है ।
दटप्पणी :
जव्हस्पररुंग गैलरी
यह विजयपरा के विश्ि विख्यात गोलगब
ुं ज में है । इसकी िास्तकला अनोखी है । इस गब
ुं ज के एक छोर से धीमी
आिाज में बातें करें तो िह विरुद्ध छोर में स्पटट सनाई दे ती है । इस गब
ुं ज की एक और विशेषता यह है कक यहााँ
एक बार आिाज ननकालने से यह सात बार प्रनतध्िननत होती है ।
शब्दाथम :
आबादी - जनसुंख्या, ಜ್ನಸುಂಖಟಯ. साँिारना - सजाना, ಅಲುಂಕರಿಸು. सषमा - अत्यचधक सद
ुं रता, ಅತಯುಂತ ಸುುಂದರವಾದ.
लहराना - तरुं चगत होना, ಅಲಟಗಳಳ. छोर - ककनारा, अुंनतम ससरा; ದುಂಡಟ. घाट - Ghats, चढ़ाि-उतार का पहाडी मागम;
ಘಾಟ/ಏರಿಳಿತದ ಕಾಡು ಮಾಗಿ. आिली - कतार, पुंजक्त; ಸ್ಾಲು. ददनगज – महान ् व्यजक्त, ಮಹಾನ್ ವಯಕ್ಕು. प्रौद्योचगकी -
तकनीकी, ತಾುಂತಿರಕ. उपलजब्ध - प्राजप्त, ससद्चध; ಪಾರಪಿು, ಸಿದಿದ. पटल - परदा, ಪರದಟ.धात - खननज पदाथम, ಖನಿಜ್
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ಪದಾಥಿಗಳಳ. इस्पात - फौलाद, Steel ; ಸಿೆೇಲ್. विपल -अचधक, ಬಹಳ, ಅಧಿಕ.आगार - घर, ಮನಟ. सीुंचना - सभगोना,
पानी दे ना; ನಿೇರುಣಿಸು. ऊजाम - शजक्त, Energy; ಶಕ್ಕು. िास्तकला - इमारत-मकान आदद बनाने की कला, ವಾಸುುಕಲಟ.
प्रनतमा - मनू तम, ಮೊತಿಿ. अद्वितीय – जजसके समान दस
ू रा न हो, ಅದಿಾತಿೇಯ. दृटटात - उदाहरण, ಉದಾಹರಣಟ. श्ीिद्
ृ चध
- उन्ननत, प्रगनत; ಉನನತಿ, ಪರಗತಿ. योगदान - सहयोग दे ना, ಸಹಕರಿಸು.अनमोल - अमल्
ू य, बेजोड। ಅಮೊಲಯ, ಅನುಪಮ.
विस्तत
ृ रूप
1. एच.ए.एल - दहन्दस्तान एरोनादटकल सलसमटे ड
2. एच.एम.टी - दहन्दस्तान मशीन टूल्स
3. आइ.टी.आइ - इुंडडयन टे सलफोन इुंडस्रीस
4. बी.ई.एल - भारत इलेक्राननक्स सलसमटे ड
5. बी.एच.ई.एल - भारत हे िी इलेजक्रकल्स सलसमटे ड
। एक-एक िाक्य में उत्तर सलखखए।
1. पजश्चमी घाट ककसे कहते है ?
उत्तर :कनामटक में दक्षिण छोर से उत्तर तक फैली लुंबी पिमतमालाओुं को पजश्चमी घाट कहते है ।
2. कनामटक में कौन-कौन से जलप्रपात है ?
उत्तर :कनामटक में जोग, अब्बी, गोकाक और सशिन समद्र आदद जलप्रपात है ।
3. श्िणबेलगोल की गोमटे श्िर मनू तम की ऊुंचाई ककतनी है ?
उत्तर :श्िण बेलगोल की गोमटे श्िर मनू तम की ऊुंचाई 57 फूट ऊुंची है ।
4. ककस नगर को सससलकॉन ससटी कहा जाता है ?
उत्तर : ‘बेंगलरू ' नगर को सससलकॉन ससदट कहा जाता है ।
5. भद्रािती के दो प्रमख कारखानों के नाम सलखखए।
उत्तर :भद्रािती में कागज, लोहे और इस्पात के बडे कारखाने है ।
6. सेंट कफलोसमना चचम ककस नगर में है ?
उत्तर :सेंट कफलोसमना चचम - मैसरू ' नगर में है ।
7. विजापर नगर का प्रमख आकषमक स्थान कौन - सा है ?
उत्तर :विजापर नगर का प्रमख आकषमक स्थान · गोलगब
ुं ज की जव्हस्पररुंग गैलरी ' है ।
8. अरबी समद्र कनामटक की ककस ददशा में है ?
उत्तर :अरबी समद्र कनामटक की पजश्चम ददशा में है ।
9. कनामटक की दक्षिण ददशा में कौन - सी पिमतमालाएुं शोभायामान है ?
उत्तर :कनामटक की दक्षिण ददशा में ‘ नीलचगरी ' की पिमतमालाएुं शोभायामान है ।
॥ दो-तीन िाक्यों में उत्तर सलखखए।
1. कनामटक की प्रमख नददयााँ और जलप्रपात कौन-कौन से है ?
उत्तर :कनामटक की प्रमख नददयााँ कािेरी, कृटण और तग
ुं भद्रा आदद है । कनामटक की जलप्रपात जोग, अब्बी, गोकाक,
सशिनसमद्र आदद है ।
2. कनामटक के ककन सादहत्यकारों को ज्ञानपीठ परस्कार प्राप्त है ?
उत्तर :कनामटक के 8 सादहत्यकारों को ज्ञानपीठ परस्कार समला है जैसे - किें प, द.रा.बेन्द्र, सशिराम कारुं त, माजस्त
िें कटे श अय्युंगार, वि.कृ. गोकाक, य.ू आर. अनुंतमनू तम, चगरीश कानामड और चन्द्रशेखर कुंबार ।
3. बााँध और जलाशयों के क्या उपयोग है ?
उत्तर :कनामटक के प्रमख नददयों को बााँध बनाए गए है । इनसे हजारों एकड जमीन सीुंची जाती है । इन नददयों के
जलाशयों की सहायता से ऊजाम उत्पादन केन्द्र स्थावपत ककए गए हैं। जजनसे राज्य को ऊजाम प्राप्त होती है ।
4. कनाटम क के कछ प्रमख राजिुंशों के नाम सलखखए।
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उत्तर :कनामटक के कछ प्रमख राजिुंशों के नाम है – गुंग, कदुं ब, राटरकूट, चालक्य, होयसल, ओडेयर आदद कनामटक के
प्रससद्ध राजा थे– कृटणदे िराय, मदकररनायक, रानी अब्बका, ककत्तरू रानी चेन्नम्मा, दटप्प सल्तान,आददलशाह आदद है ।
5. बेंगलरू में कौन-कौन सी बह
ृ त सुंस्थाएाँ है ?
उत्तर :बेंगलरू में भारतीय विज्ञान सुंस्थान, एच.ए.एल, एच.एम.टी, आइ.टी.आइ. बी.एच.ई.एल आदद बह
ृ त सुंस्थाएुं है ।
III.चार-पााँच िाक्यों में उत्तर सलखखए।
1 कनामटक के प्राकृनतक सौंदयम का िणमन कीजजए।
उत्तर :प्रकृनतमाता ने कनामटक राज्य को अपने हाथों से सुंिारकर सन्दर और समद्
ृ ध बनाया है । कनामटक की प्राकृनतक
सषमा नयन मनोहर है । पजश्चम में विशाल अरबी समद्र लहराता है । इसी प्राुंत में दक्षिण से उत्तर के छोर तक फैली
लुंबी पिमतमालाओुं को पजश्चम घाट कहते है । इन्हीुं घाटों का कछ भाग सहयाद्री कहलाता है । दक्षिण में नीलचगरी की
पिमतािसलयााँ शोभायमान है ।
2. कनामटक की सशल्पकला का पररचय दीजजए ।
उत्तर :कनामटक राज्य की सशल्पकला अनोखी है । बादामी, ऐहोले, पट्टदकल्लू के मुंददरों की सशल्पकला और िास्तकला
अद्भत है । बेल्लरू , हलेबीडू, सोमनाथपर के मुंददरों की मनू तमयााँ रामायण, महाभारत और पराणों की कहाननयााँ सनाती
है । श्िणबेलगोल में 57 फट ऊुंची गोमटे श्िर की सशला मनू तम दननया को त्याग और शाुंनत का सुंदेश दे रही है ।
3. कनामटक के सादहत्यकारों की कन्नड भाषा तथा सुंस्कृनत को क्या दे न है ?
उत्तर :कनामटक के अनेक सादहत्यकारों ने सारे सुंसार में कनामटक की कीनतम फैलाया है । िचनकार बसिण्णा क्राुंनतकारी
समाज सधारक थे । अक्कमहादे िी, अल्लम प्रभ, सिमज्ञ जैसे सुंतों ने अपने िचनों द्िारा प्रेम, दया और धमम की सीख
दी । आधननक काल के डॉ. चन्द्रशेखर कुंबार, चगरीष कानामड आदद प्रससद्ध सादहत्यकार है । इस तरह कन्नड भाषा
तथा सुंस्कृनत कनामटक के सलए गौरि है ।
IV कोटटक में ददए गए शब्दों में से उचचत शब्द चनकर ररक्त स्थान भररए।
( गुंग, त्याग, पराण, िैभि, कीनतम, साबन, चुंदन, शाुंनत )
1. कनामटक को चुंदन का आगार कहते हैं।
2. गोमटे श्िर की प्रनतमा दननया को त्याग और शाुंनत का सुंदेश दे रही है ।
3. मैसरु
ू का राजमहल कनामटक के िैभि का प्रतीक है ।
4. कनामटक के अनेक सादहत्यकारों ने सारे सुंसार में कनामटक की कीनतम फैलायी है ।
V. कन्नड या अुंग्रेजी में अनिाद कीजजए :
1. कनामटक में कन्नड भाषा बोली जाती है और इसकी राजधानी बेंगलरु
ू है ।
1, ಕನಾಿಟಕದಲ್ಲಲ ಕನನಡ ಭಾಷಟಯನುನ ಮಾತನಾಡುತಾುರಟ ಹಾಗೊ ಇದರ ರಾಜ್ಧಾನಿ ಬಟುಂಗಳೂರು ಆಗಿದಟ.
2.कनामटक में चुंदन के पेड विपल मात्रा में हैं। 2. ಕನಾಿಟಕದಲ್ಲಲ ಚ್ುಂದನದ (ಗುಂಧದ) ಮರಗಳಳ ಹಟಚಿಚನ ಸುಂಖಟಯಯಲ್ಲಲದಟ.
3. जगनमोहन राजमहल का परातत्ि िस्त सुंग्रहालय अत्यत आकषमणीय है ।
3. ಜ್ಗನಟೊಾಹನ ರಾಜ್ಮಹಲ್ಲನಲ್ಲಲರುವ ಪುರಾತನ ವಸುು ಸುಂಗರಹಾಲಯವು ಅತಯುಂತ ಆಕಷ್ಿಣಿೇಯವಾಗಿದಟ.
4. िचनकार बसिण्णा क्राुंनतकारी समाज सधारक थे। 4. ವಚ್ನಕಾರರಾದ ಬಸವಣ್ುರವರು ಕಾರುಂತಿಕಾರಿ ಸಮಾಜ್
ಸುಧಾರಕರಾಗಿದಾದರಟ.
VI.नमन
ू े के अनसार इन शब्दों के पयामयिाची शब्द सलखखए।
पिमत अदद्र पहाड चगरर
1. सागर : समद्र लचध ससन्ध 2. आगर : खजाना घर अलय
3. जल : पानी िारर नीर 4. आकाश : गगन आसमान नभ
VII. विलोम शब्द सलखखए :
1. सदर X करूप 3. आदद X अनादद 5. सदाचार X दराचार
2. विदे श X स्िदे श 4. सजीि X ननजीि 6. आयात X ननयामत
VIL. उदाहरण के अनसार बहिचन रूप बनाना सीखखए :
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उदा: सुंचध - सुंचधयााँ
1. मनू तम - मनू तमयााँ 3. कृनत - कृनतयााँ 5.सुंस्कृनत - सुंस्कृनतयााँ
2.उपलजब्ध - उपलजब्धयााँ 4. नीनत - नीनतयााँ 6.पद्धनत - पद्धनतयााँ
IX विच्छे द कर सुंचध का नाम सलखखए।
1.ददनगज = ददक् + गज = व्युंजन सुंचध 5. जगनमोहन = जगत ् + मोहन = व्युंजन सुंचध
2.पिमतािली = पिमत + आलय = दीघम सुंचध 6. सदाचार = सत ् + आचार = व्युंजन सुंचध
3. सुंग्रहालय = सुंग्रह + आलय = दीघम सुंचध 7. अत्याँत = अनत + अुंत = यण सुंचध
4. जलाशय = जल + आशय = दीघम सुंचध
X. विग्रह कीजजए और समास का नाम सलखखए।
1. दे श – विदे श : दे श और विदे श = द्िन्द्ि समास 3. राजिुंश : राजा का िुंश = तत्परुष समास
2. जलप्रपात : जल से प्रपात = तत्परुष समास 4. राजमहल : राजा का महल = तत्परुष समास
XI. पररयोजना :
श्ी कृटणदे िराय, विटणिधमन, इम्मडड पसलकेशी आदद राजाओुं के बारे में चचत्र सदहत वििरण सलखखए।
श्ी कृटणदे िराय विजयानगर सम्राट ( राज्यकाल
1509-1529 ई) : विजयनगर के सिामचधक कीनतमिान
राजा थे। िे स्ियुं कवि और कवियों के सुंरिक
थे। तेलग भाषा में उनका काव्य अमक्तमाल्य सादहत्य
का एक रत्न है । इनकी भारत के प्राचीन इनतहास पर
आधाररत पस्तक िुंशचररतािली तेलगू के साथ—साथ
सुंस्कृत में भी समलती है । सुंभित तेलगू का अनिाद
ही सुंस्कृत में हआ है । प्रख्यात इनतहासकार तेजपाल
ससुंह धामा ने दहन्दी में इनके जीिन पर प्रामाखणक
उपन्यास आुंध्रभोज सलखा है। तेलग भाषा के आठ
प्रससद्ध कवि इनके दरबार में थे जो अटटददनगज के
नाम से प्रससद्ध थे। स्ियुं कृटणदे िराय
भी आुंध्रभोज के नाम से विख्यात थे।
विटणिधमन (सन 1111 ई.से 1140 तक) : में सन्दर विशाल मजन्दरों का ननमामण कराया। राज्य
होयसल िुंश का प्रारम्भ सन 1111 ई. के आसपास विस्तार नयारहिीुं सदी के पि
ू ामधम में होयसालों ने अपना
मैसरू के प्रदे श में विट्दटग अथिा विट्दटदे ि से हआ। उत्कषम शरू ककया और धीरे -धीरे इस राजिुंश की शजक्त
उसने अपना नाम विटणिधमन रख सलया और सन बहत अचधक बढ़ गई। 1110 ई. में विटणिधमन
1141 ई. तक राज्य ककया। उसने 'द्िारसमद्र' द्िारसमद्र की राजगद्दी पर आरूढ़ हआ। िह एक
(आधननक हलेविड) को अपनी राजधानी बनाया। िह प्रतापी और महत्त्िाकाुंिी राजा था। उसने अपने राज्य
पहले जैन धमामनयायी था, बाद में िैटणि मतािलम्बी को चालक्यों की अधीनता से मक्त कर अन्य राज्यों
हो गया। उसने बहत से राजाओुं को जीता और हलेबबड पर आक्रमण भी शरू ककए। सदरू दक्षिण में चोल,
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पाुंड्य और मलाबार के िेत्र में उसने विजय यात्राएाँ कीुं,
और अपनी शजक्त को प्रदसशमत ककया। इसमें सन्दे ह
नहीुं, कक उसके शासन काल में होयसाल राज्य बहत
शजक्तशाली हो गया था। 1140 में विटणिधमन की
मत्ृ य हई।
क़्फ्फ्नल]
इम्मडड पसलकेशी :
पलकेशी प्रथम का पौत्र तथा चालक्य िुंश का
चौथा राजा था, जजसने 609-642 ई. तक राज्य
ककया। िह महाराजाचधराज हषमिधमन का
समसामनयक तथा प्रनतद्िन्द्िी था। उसने 620 ई.
में दक्षिण पर हषम का आक्रमण विफल कर ददया।
अपने उत्कषम काल में चालक्य साम्राज्य इतना
विस्तत
ृ और शजक्तशाली था, कक पलकेशी द्वितीय
ने ईरान के शाह ख़सरू द्वितीय के पास अपने
राजदत
ू भेजे थे। ये दत
ू 652 ई. में ईरान गए थे।
बदले में ख़सरू द्वितीय ने भी अपने दत
ू पलकेशी
की सेिा में भेजे । अजन्ता के एक चचत्र में एक
ईरानी राजदत
ू के आगमन को अुंककत भी ककया
गया है । पलकेशी द्चधतीय की कीनतम
सदरू िती फारस दे श तक पहाँच गयी थी। फारस
के शाह ख़सरो द्वितीय ने 625-26 ई. में पलकेशी
द्वितीय के द्िारा भेजे गये दत
ू मुंडल से भें ट की
थी। इसके बदले में उसने भी अपना दत
ू मुंडल
पलकेशी द्वितीय की सेिा में भेजा। अजुंता की
गफा सुंख्या 1 में एक सभवत्तचचत्र में फारस के
दत
ू मुंडल को पलकेशी द्वितीय के सम्मख अपना
पररचय पत्र प्रस्तत करते हए ददखाया गया है ।
चीनी यात्री हिेनसाुंग 641 ई. में उसके राज्य में
आया था और उसके राज्य का भ्रमण ककया था।
उसने पलकेशी द्वितीय के शौयम और उसके सामुंतों
की स्िासमभजक्त की प्रशुंसा की है ।
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कनामटक में बहनेिाली नददयों की सच
ू ी तैयार कीजजए। हर एक नदी के बारे में पााँच-पााँच िाक्य सलखखए।
कनामटक में बहने िाली नददयों की सचू च :-
1. Amarja (अमरजा) 24. Lakshmana Tirtha (लक्ष्मण तीथम)
2. Bhadra River (भद्रा नदी) 25. Malaprabha River (मलपिाम नदी)
3. Chakra River (चकरा नदी) 26. Mandovi River (मुंडोिी नदी)
4. Chitravathi River (चचत्रािती नदी) 27. Manjira River (मुंजीरा नदी)
5. Chulki Nala (चल्की नाला) 28. Netravati River (नेत्रािती नदी)
6. Dandavati (दुं दािती नदी) 29. Palar River (पलार नदी)
7. Dudhaganga (दधगुंगा) 30. Panchagangavalli River (पुंचागुंगािाल्ली
8. Gangavalli River (गुंगािाल्ली नदी) नदी)
9.Ghataprabha River (घाटप्रभा नदी) 31. Papagni River (पापननी नदी)
10. Gundia River (गदुं दया नदी) 32. Penna River (पेन्नार नदी)
11. Gurupura River (गरुपरा नदी) 33. Ponnaiyar River (पोन्नैयार नदी)
12. Hemavati River (हे मािती नदी) 34. Seetha River (सीता नदी)
13. Hiranyakeshi river (दहरण्यकेशी नदी) 35. Shambhavi River (शाम्भिी नदी)
14. Honnuhole (होंनहोले) 36. Sharavati (शरािती)
15. Kabini River (काबबनी नदी) 37. Shimsha (सशम्षा)
16. Kali River (काली नदी) 38. Souparnika River (सौपननमका नदी)
17. Karanja River (कारुं जा नदी) 39. Tunga River (तग
ुं ा नदी)
18. Kattinakere (कवत्तनाकेरे ) 40. Tungabhadra River (तग
ुं भद्रा नदी)
19. Kaveri River (कािेरी नदी) 41. Varada River (िरदा नदी)
20. Kedaka River (कदका नदी) 42. Varahi River (िाराही नदी)
21. Krishna River (कृटणा नदी) 43. Vedavathi River (िेदािाठी नदी)
22. Kubja River (कब्जा नदी) 44. Vrishabhavathi River (िश
ृ ाभािाठी नदी)
23. Kumaradhara River (कमाराधरा नदी) 45. Yagachi River (यागाची नदी)
XII. सही विकल्प को रे खाुंककत कीजजए :
1. तग
ुं -भद्रा नदी इन राज्यों में बहती है ।
अ) कनामटक-तसमलनाड आ) कनामटक-महाराटर इ) कनामटक-आुंध्र प्रदे श ई) कनामटक-केरल
2. श्िणबेलगोला की गोमटे श्िर मनू तम का ननमामण इन्होंने कराया था
अ) दीिान पण
ू य्
म या आ) समजाम इस्माइल इ) श्ी िीरें द्र हे नगडे ई) चािड
ुं राया
3. ज्ञानपीठ से परस्कृत प्रथम कन्नड सादहत्यकार ये हैं -
अ) चुंद्रशेखर कुंबार आ) किें प इ) य.ू आर. अनुंतमनू तम ई) चगरीश कानामड
4. कन्नड भाषा के प्रथम राटरकवि' की उपाचध से अलुंकृत सादहत्यकार ये हैं -
अ) गोविुंद पै आ) किें प इ) जी.एस. सशिरुद्रप्पा ई) ती.नुं.श्ी
XII. अथम समखझए और िाक्य में प्रयोग कीजजए:
1. तक - थक
तक - िहााँ तक = मैं शाम 10 बजे तक पढता हूाँ। थक – सस्त = मैं काम करते करते थक जाता हूाँ।
2. चोर - छोर
चोर - चोरी करनेिाला = चोर चोरी करता है । छोर – ककनारा = समद्र का छोर बहत सद
ुं र होता है ।
3. बात – भात
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बात – बोलना=मेरे दोस्तों के साथ मैं बात करना भात - चािल = मझे बबसी बेले बात बहत पसुंद है ।
चाहता हूाँ।
4.काल - खाल
काल - समय ,िक्त = काल सबसे बलिान है । खाल – चमडी = मगरमच्छ की खाल बहत सख्त होती है ।
5.और - ओर
और - तथा = राम और लक्ष्मण भाई है । ओर - ककनारा = मैं स्कूल की ओर जा रहा हूाँ।
XIV. अनरूपता:
1. दक्षिण से उत्तर के छोर की पिमतमाला : पजश्चमी घाट : : दक्षिण की पिमतािसलयााँ : नीलचगरी
2. कनामटक : चुंदन का आगार : : बेंगलरु
ू : सससलकॉन ससटी
3. सी.िी.रामन : नोबेल परस्कृत : : सर.एम. विश्िेश्िरय्या : भारत रत्न
4. भद्रािती : लोहे और इस्पात : : मैसरु
ू : चुंदन का तेल - साबन
ू
5. कािेरी : नदी : : जोग : जल प्रपात
6. बेलरु
ू : सशल्पकला : : गोलगब
ुं ज : िास्तकला
7.सेंट कफलोसमना : चचम : : जगनमोहन राजमहल : आटम गैलरी
8. कृटणदे िराय : शासक : : राटरकूट : राजिुंश
9. बसिण्णा : िचनकार : : कनकदास : भक्त कवि
10.पपा : प्राचीन कवि : : कुंबार : आधननक कवि
पाठ से आगे
1.ददए-गए सही कारक चचहन ररक्त स्थान में भररए और इस अनच्छे द के सलए उचचत शीषमक दीजजए :
(ने, को, से, का, की, के, के सलए, में , पर)
ककत्तरू से नौ मील दरू ी पर जस्थत सुंगोल्ली नामक एक छोटा-सा गााँि है। इसी गााँि के एक गडररये
पररिार में रायण्णा का जन्म 15 अगस्त सन ् 1793 ई. में हआ था। इनके वपताजी का नाम भरमण्णा था।
रायण्णा की माता का नाम चुंचोबा था। रायण्णा ने अपने भाई ससद्दण्णा के सुंग कसरत के साथ-साथ शस्त्राभ्यास
भी ककया। पररश्म के फलस्िरूप ककत्तरू रानी चेन्नम्मा के राज्य में रायण्णा मख्य सेनापनत के पद पर आरुढ़ हए।
उन्होंने अुंग्रेजों को दे श से भगाकर भारतमाता को स्ितत्रता ददलाना ही अपना परम कतमव्य माना था।
II. िगम पहे ली:
1 2 3 4
5
6 7
8 9
10 11 12
13 14
15
16 17 18
19 20
21 22
बाएुं से दाएाँ
1. रायचूर जजले से विभक्त होकर उददत नया जजला - नाम पलट गया है । (3)
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4. सोने का खान यहााँ है । (3)
5. प्रससद्ध नाटक-असभनेता िीरण्णा इस गााँि के थे । (2)
6. इसे कनामटक की साुंस्कृनतक राजधानी कहा जाता है । (3)
7. बीदर जजला के समीप का जजला केंद्र । (3)
8. तमकूर जजले के ससद्धगुंगा के साथ इस गााँि का नाम जडा रहता है । (4)
10. यह केलदी सुंस्थान की राजधानी है । (3)
11. प्रससद्ध माररकाुंबा-मुंददर इस स्थान में है । (3)
13. प्रख्यात तेज गें दबाज श्ीनाथ इस गााँि के हैं - नाम पलट गया है । (4)
14. कनामटक की राजधानी । (4)
15. मदकरर नायक ने यहााँ शासन ककया था । (4)
16. रानी चेन्नम्मा का गााँि। (3)
18. कनामटक में अत्यचधक िषाम होने का स्थान।यहााँ से सय
ू ामस्त का दृश्य मनमोहक लगता है - नाम पलट गया है । (3)
19.राजा , रानी,रोरर,रॉकेट को इस जलप्रपात में दे ख सकते हैं।(2)
21.गफातर सशल्पकला का अद्भत उदाहरण इस गााँि में दे खा जा सकता है - नाम पलट गया है । (3)
22.हे मािती नदी पर यहााँ बााँध बनाया गया है । (3)
ऊपर से नीचे
2. मक
ू ाुंबबका मुंददर यहााँ है । (3)
3. मडडकेरी के पास का विख्यात जलप्रपात । (2)
4. कोडिा भाषा इस जजले में बोली जाती है । (3)
8. सशिप्पनायक की राजधानी, अब एक जजला केंद्र स्थान भी है । (4)
9. प्रख्यात जोग जलप्रपात इस गााँि में है । (4)
10. साडडयों को बननेिाला यह गााँि बागलकोट जजले में है । (4)
12. शरािती नदी को लााँच द्िारा पार कर इस गााँि की चौडेश्िरी दे िी के दशमन करना है । (4)
17. हासन जजले के इस गााँि में बडे सरुं ग द्िारा नदी का पानी बहाया गया हैं - गााँि का नाम पलट गया है । (3)
18. हलेबीड के साथ जडा हआ यह गााँि सशल्पकला का जीता-जागता उदाहरण है । (3)
20.अण ऊजाम उत्पादन केंद्र यहााँ स्थावपत है - नाम पलट गया है । (2)
उत्तर. बाएुं से दाएुं ऊपर से नीचे
1. कोप्पला 19. जोग 2. कोल्लरु
ू
4. कोलार 21. बादामी 3. अजब्ब
5. गजब्ब 22. गोरूरु 4. कोडग
6. मैसरु
ू 8. सशिमोनगा
7. गल्बगाम 9. गेरुसोप्पा
8. सशिगुंगे 10. इलकल
10. इक्केरर 12. ससुंगदरु
ू
11. ससरसस 17. बागरु
ू
13. जािगल 18. बेलरु
ू
14. बेंगलरु
ू 20. कैगा
15. चचत्रदगम
16. ककत्तरु
ू ।
18. आगाँबे
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उिर : सबसे पििे उन सावथयों पर ध्यान देंगे जो वनयवर्त रूप से स्कू ि निीं जाते । तथा पढाई से जी चुराते िैं । स्कू ि के
पररसर को स्िच्छ रखना । गंदगी को दूर करना, िर् रोज एक घंटा गााँि की सफाई र्ें िगना । गााँि के गड्ढे वर्िी से ढााँपना ,
गााँि का कू ड़ा िािने का के विए वनवश्चत जगि बनाना । गााँि को िरा-भरा रखने के विए गााँि के चारों तरफ पेड़-पौधे
िगाकर एक आदशा गााँि बना सकते िैं ।
4. किेक्टर सािब ने बच्चों की बढाई र्ें क्या किा ?
उिर : इस गााँि को साफ-सुथरा देख कर र्ुझे िार्दाक प्रसन्नता हुई िै । गााँि को एक नया जीिन प्रदान दकया गया िै । इन
बच्चों की वजतनी बड़ाई की जाए उतनी िी थोड़ी िै । इन सब ने वर्िकर गााँि को स्िच्छ िातािरण ददया िै । बाि-शवक्त के
कारण आपका गााँि एक आदशा गााँि बन गया िै ।
5. पााँच िजार रुपये वर्िने पर र्ोिन क्या सोचता िै ?
उिर : पााँच िजार रुपये वर्िने पर र्ोिन ने सोचता िै दक - ये रुपये िर् प्रधानाध्यापक जी को दे देंगे । स्कू ि के पुस्तकािय
र्ें गरीब बच्चों के विए िर् पुस्तकों का प्रबंध करने को सोचते िैं ।
lll. वर्िान कीवजए : A B
1. बेईर्ानी करने िािा रार्ू
2. टोिी का नार् बाि शवक्त
3. इनार् के रूपये पााँच िजार
4. टोिी का र्ुवखया र्ोिन
5.यि गााँि के सपूत िैं बुजग
ु ा
lV. खािी जगि भररए :
1. रार्ू और कयार्ू कं चे खेि रिे थे । 2. गवणत की कॉपी घर पर भूि आया हाँ । 3. अभी से अच्छी आदतें
िािनी चाविए । 4. रार्ू की गंदी आदतें छु ड़िाएाँगे । 5. रोज एक घंटा गााँि की सफाई र्ें िगाएाँगे ।
6. कू ड़ा िािने के विए एक वनवश्चत जगि बनाएंगे । 7. आपका गााँि एक आदशा गााँि बन गया िै ।
V. शब्द िड़ी बनाइए : जैसा : कं चा -> चारु - रुपया - यार - रर्ा ( अंवतर् िणा से एक नया शब्द )
1. बािक ->कर्ि- िवित - तराजु - जुड़िा 2. गााँि -> िजि - िर्ारा - रार्- र्िक 3. टोिी -> विबास - सािन
- नर्क - कर्ि
4. फिदार -> रर्जान - निाना - नाराज - जर्ाना 5. इनार् ->र्जिब - बयान - नजर - रकर्
Vl. वििोर् शब्द विवखए : उदािरण :- अपना X पराया
1. रात X ददन 2. आदद X अनादद 3. आयात X वनयाात 4. आया X व्यया 5. उल्टा X सीधा
6. िावन X िाभ 7. तोि X जोड़ 8. थोड़ा X ज्यादा 9. उतार X चढाि
Vll. ‘बेईर्ानी’ ईर्ानी का वििोर् शब्द िै । ’ईर्ानी’ शब्द से पििे ’बे’ उपसगा जोड़ने से यि शब्द बनता िै । इसी तरि
अप,अन,कु ,
बद उपसगों ( प्रत्यय) को जोड़कर पांच - पांच शब्द बनाइए:
उिर : अप +र्ान = अपर्ान, अप+ िास्य = अपिास्य, अप+िरण =अपिरण, अनु+कू ि =अनुकूि
कु + पुत्र = कु पुत्र कु +रुप= कु रुप
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Vlll. ’न’ को अंवतर् अक्षर के रूप र्ें प्रयोग कर शब्द रवचए : नर्ूना : जन र्न
उिर : तन दन र्ान जान पान िन सुन चुन बन खान कान गान
lX. अथापूणा िाक्य बनाइए :
कयार्ू देते िैं ।
किेक्टर सािब इनार् बनती िै ।
र्ोिन टोिी खेिते िै ।
बािकों की कं चा बनाते िै ।
बािक िेते िै ।
खेिता िै ।
उिर : कयार्ू इनार् िेता िैं । किेक्टर सािब इनार् देते िैं । र्ोिन इनार् िेता िै । बािकों की टोिी बनती िै ।
बािक कं चा खेिते िै ।
भार्ा ज्ञान
1. व्यवक्तिाचक और जावतिाचक संज्ञाओं को पिचावनए:
र्ुवखया, किेक्टर ,गॉंि, बाि- शवक्त, कयार्ू, रार्ू ,बािक, गवणत, र्ोिन, गुरुजी, र्नोज, कर्ीज़
l. उिर : व्यवक्तिाचक संज्ञा जावतिाचक संज्ञा
कयार्ू र्ुवखया
रार्ू किेक्टर
र्ोिन गााँि
र्नोज बाि-शवक्त
बािक
गवणत
गुरुजी
ll. इस नारटका र्ें र्ार, छोि, पकड़, बोि, िाि, दे, िगा, र्ान, जैसे अनेक धातुओं का प्रयोग हुआ िै । नीचे ददए गए शब्दों
को उवचत धातुओं के साथ विवखए :
उिर : 1. कर्ीज - पकड़ 2. पेड़ - िगा 3.रुपये - दे 4.कं चे - र्ार 5.गुस्सा - छोड़ 6. सच - बोि 7. बात - र्ान
8.कू ड़ा - िाि
lll. इस नारटका र्ें ‘संयक्त
ु दिया’ ओं का प्रयोग हुआ िै जैसे - खेिने िगा, बन गया इत्यादद । इस तरि के दिया युग्र्ों को
ढू ंढकर सूची बनाइए । सूचना : संयक्त
ु दिया /दिया – युग्र् = ’दो दियाओं का एक साथ प्रयोग ।’
उिर : बोिने िगा झगड़ने िगा आने िगा बनानी पड़ेगी चिने िगे करने िगे
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कविता का आशय :
इस कविता र्ें कोवशश करने से सफिता प्राप्त करने का संदशे वर्िता िै। कवि किते िैं दक जीिन की प्रवतयोवगता र्ें
असफिता से विर्ुख न िोते हुए अपनी कवर्यों को खुद पिचानकर स्िप्रयत्न से िगातार आगे बढने से िार कभी निीं िोती
िै।
कवि पररचय
सोिनिाि वििेदी (सन् 1906 सन् 1988)
सोिनिाि वििेदी जी सिंदी के सुप्रवसद्ध कवि िैं । जन्र् : 23 फरिरी सन् 1906 को हुआ। शीक्षा : बनारस सिंद ू
विश्वविद्यािय से एर्.ए., एि.एि.बी. की विग्री िी। िृवि : आजीविका के विए जर्ीन्दारी तथा बैंककं ग का कार् करते
रिे। संपादक : सन् 1938 से सन् 1942 तक आप राष्ट्रीय पत्र 'दैवनक अवधकार' के संपादक थे। कु छ िर्ों तक आपने
अिैतवनक (वबना िेतन के ) बाि पवत्रका 'बाि-सखा' का संपादन भी दकया।
प्रभावित : र्िात्र्ा गांधी से अत्यवधक प्रभावित थे।
उपावध : स्ितंत्रता प्रावप्त के विए देशभवक्त ि ऊजाा से ओतप्रोत आपकी रचना विशेर् सरािना हुई तथा आपको
'राष्ट्रकवि' की उपावध से अिंकृत दकया । देिांत : सन् 1988 र्ें राष्ट्रकवि ददििेदी जी का देिांत िो गया।
रचनाएाँ - भैरिी, िासिदिा, कु णाि, पूजागीत, विर्पान, युगाधार और जय गांधी । बााँसरु ी, झरना, वबगुि, बच्चों के बापू,
दूध बताशा, बाि भारती, वशशु भारती, नेिरू चाचा, सुजाता, प्रभाती आदद आपका प्रर्ुख बाि-सावित्य िै।
शब्दाथा
ििर - तरं ग, बिाि,ಮಲ नौका - नाि,ನ್ೌಕ, ಹಡಗ . कोवशश - प्रयास, प्रयत्न,ಪ್ರಯತನ िार - पराजय, विफिता,ಸ್ಥೂೀಗಿ
नन्िीं-छोटी, िघु,ಪ್ುಟ್ಟ दाना - धान्य, अनाज, कण (Grain) ದ್ಾನ್ಯ ; दीिार - वभवि (Wall),ಗೊೀಡೆ. विश्वास - भरोसा,
यकीन,ವಿಶ್ಾವಸ रग - नस, स्नायु, नाड़ी (Nerve),ನ್ ; सािस - धैय,ा विम्र्त, िौसिा (Courage),ಸಾಹಸ. ; अखरना – बुरा
िगना,ಕಟ್ಟದೆನಿನಸ र्ेिनत -पररश्रर्, ಪ್ರಿಶರಲ . बेकार - व्यथा, वनरथाक, ,ವಯರ್ಿ ससंधु - सागर, सर्ुद्र, अंबवु ध,ಸಾಗ .
गोताखोर - तैराक,ಈಜ ಗಾ िैरान िोना - आश्चयाचदकत िोना,ಆಶುಯಿ ಚಕಿತ .चुनौती-दािा, ििकार,ಸವಾಗಿ कर्ी -
अभाि, न्यूनता,ಮಭಾವ चैन - आरार्, सुख, ಆರಾಲ. संघर्ा -टकराि, ಸಂಘಷಿ ।
। एक िाक्य र्ें उिर विवखए।
1. दकससे िरकर नौका पार निीं िोती? 5. दकसकी र्ेिनत बेकार निीं िोती?
उिर : ििरों' से िरकर नौका पार निीं िोती। उिर : ‘कोवशश करनेिािों' की र्ेिनत बेकार निीं िोती।
2. दकनकी िार निीं िोती िै? 6. सागर र्ें िु बदकयााँ कौन िगाता िै ?
उिर : 'कोवशश करनेिािों की िार निीं िोती िै। उिर : गोताखोर ' सागर र्ें िु बदकयााँ िगाता िै ।
3.दाना िेकर कौन चिती िै? 7. र्ोती किााँ वर्िता िै?
उिर :‘ चींटी' दाना िेकर चिती िै। उिर : र्ोती सागर के गिरे ' पानी ' र्ें वर्िता िै।
4. चींटी किााँ चढती िै? 8. दकसकी र्ुट्ठी खािी निीं िोती?
उिर : चींटी · दीिार ' पर चढती िै। . उिर : कोवशश करनेिािों की र्ुट्ठी खािी निीं िोती िै।
9. दकसको र्ैदान छोड़कर भागना निीं चाविए ? उिर : 'संघर्ा ' का र्ैदान छोड़कर भागना निीं चाविए ।
10. कु छ दकये वबना िी क्या निीं िोती िै?
उिर : कु छ दकये वबना िी ‘ जय – जयकार ' निीं िोती िै।
॥ दो-तीन िाक्यों र्ें उिर विवखए।
1. चींटी के बारे र्ें कवि क्या किते िैं ?
उिर : कवि सोिनिाि वििेदी चींटी के बारे र्ें किते िै दक, नन्िीं चींटी दाना िे जाने के सर्य दीिारों पर सौ बार चढकर
सौ बार दफसिती िै । र्न का विश्वास रगों र्ें भरता िै । चढकर वगरता िै और वगरकर चढने के विए िरता निीं िै। अंत र्ें
चींटी का र्ेिनत बेकार निीं िोती िै।
2. गोताखोर के बारे र्ें कवि के विचार क्या िै?
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10TH STD.HINDI NOTES
उिर : गोताखोर के बारे र्ें कवि किते िै दक, गोताखोर सागर र्ें िु बदकयााँ िगातार िगाकर खािी िाथ िापस िौटकर
आता िै । सिज पानी र्ें र्ोती निीं वर्िते िै, उसके विए गिरे पानी र्ें जाना पड़ता िै। इससे उसकी उत्साि दुगना बढता
रिता िै । अंत र्ें उसकी िाथ खािी निीं रिती िै।
3. असफिता से सफिता की ओर जाने के बारे र्ें कवि क्या संदश े देते िै ?
उिर : असफिता से सफिता की ओर िाने के बारे र्ें कवि संदश
े देते हुए किते िै दक, असफिता एक चुनौती िै, िर् इसे
स्िीकार करना चाविए । असफिता क्यों िो रिी िै, इसे पिचानकर गिवतयों को सुधारना चाविए । जब तक िर् िर्ारे
कार् र्ें सफि निीं िोते तब तक नींद और चैन को त्याग देना चाविए । संघर्ा का र्ैदान छोड़कर िर् भागना निीं चाविए ।
िर् कु छ दकये वबना िर्ारी जय-जयकार निीं िोती िै।
III जोड़कर विखए
अ आ 3. गोताखोर िु बदकयााँ
1. ििर नौका 4. असफिता चुनौती
2. चींटी दाना 5. कर्ी सुधार
IV भािाथा विवखए।
नन्िी चींटी जब दाना िेकर चिती िै,
चढती दीिारों पर सौ बार दफसिती िै।
र्न का विश्वास रगों र्ें सािस भरता िै,
चढकर वगरना, वगरकर चढना ना अखरता िै।
आव़िर उसकी र्ेिनत बेकार निीं िोती,
कोवशश करने िािों की कभी िार निीं िोती।
उिर : कवि सोिनिाि वििेदी चींटी के बारे र्ें बताते हुए किते िै दक, नन्िीं चींटी दाना िे जाने के सर्य दीिारों पर सौ
बार चढकर सौ बार दफसिती िै । र्न का विश्वास रगों र्ें भरता िै । चढकर वगरता िै और वगरकर चढने के विए िरता निीं
िै । अंत र्ें चींटी का र्ेिनत बेकार निीं िोती िै। कोवशश करनेिािों की कभी भी िार निीं िोती िैं।
v. उदािरण के अनुसार तुकांत शब्दों को पिचानकर विवखए।
उदा : पार - िार 3. िगाता - आता
1. चिती - दफसिती
4. बार - िार
2. भरता - अखरता
5. स्िीकार - वतरस्कार
VI सफिता प्राप्त करने से संबवं धत शब्दों पर गोि िगाइए।
साथाक पररश्रर्, आत्र्विश्वास , आरार् से सोना , सतत अभ्यास , िैरान िोना , बेकार का कार् करना , पराजय का
स्िीकार, साथाक कार् करना , कु छ करके देखाना , वशक्षा प्रावप्त , भटकना , भाग जाना , भिा करना ।
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