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CLASS : XII (NCERT) HINDI ‘CORE’ आरोह भाग -2

कै मरे में बंद अपाहिज : रघुवीर सहाय


पाठ-4

मो. क़मरुद्दीन
( क़मर जौनपुरी )
पी.जी.टी. हिदं ी
जवाहर नवोदय विद्यालय
सरायके ला , झारखंड
अनुक्रम ( INDEX)

 कविता का वाचन
 कवि का जीवन परिचय एवं साहित्यिक परिचय
 प्रयोगवाद / नयी कविता की प्रवत्ति
ृ यां (विशेषताएँ)
 कविता की व्याख्या
 काव्य सौन्दर्य
 प्रमख
ु प्रश्न
रघुवीर सहाय के प्रमुख काव्य-सक
ं लन
रघुवीर सहाय: जीवन परिचय
जन्म : 9 दिसम्बर 1929 लखनऊ, उत्तर प्रदेश मत्ृ यु : 30 दिसम्बर 1990 दिल्ली में  
1955 में विमलेश्वरी सहाय से विवाह.
हिन्दी के साहित्यकार व पत्रकार थे.
अग्रं ेज़ी साहित्य में एम. ए. (1951)  लखनऊ विश्वविद्यालय.
साहित्य सजृ न १९४६ से। पत्रकारिता की शरुु आत दैनिक नवजीवन (लखनऊ) से 1949 में.
1951 के आरंभ तक उपसपं ादक और सांस्कृतिक सवं ाददाता।
इसी वर्ष दिल्ली आए. यहाँ प्रतीक के सहायक संपादक (1951-52),
 आकाशवाणी के समाचार विभाग में उपसंपादक (1953-57).
हैदराबाद से निकलने वाली पत्रिका कल्पना और उसके बाद दैनिक नवभारत टाइम्स तथा दिनमान
से संबद्ध रहे . ( 1982 से 1990 तक स्वतंत्र लेखन किया.)
प्रमुख रचनाएँ प्रमुख पुरस्कार –
साहित्य अकादेमी पुरस्कार
आरंभिक कविताएँ दसू रा सप्तक (1951) में,
कविता सग्रं ह :  सीढ़ियों पर धपू में, आत्महत्या के विरुद्ध हँसो हँसो जल्दी हँसो,
लोग भल ू गए हैं, कुछ पते कुछ चिट्ठियाँ, एक समय था
कहानी सग्रं ह :  रास्ता इधर से है, जो आदमी हम बना रहे हैं
निबंध सग्रं ह :  दिल्ली मेरा परदेस, लिखने का कारण, ऊबे हुए सखु ी,
वे और नहीं होंगे जो मारे जाएँगे, भँवर लहरें और तरंग,
अर्थात, यथार्थ का अर्थ
अनुवाद :  बरनम वन (शेक्सपियर के नाटक 'मैकबेथ' का अनवु ाद),
तीन हगं री नाटक,
कवि की भाव-भूमि :

1. रघवु ीर सहाय समकालीन हिन्दी कविता के महत्वपर्णू स्तम्भ हैं।


2. उनके साहित्य में पत्रकारिता का और उनकी पत्रकारिता पर साहित्य का गहरा प्रभाव है।
3. उनकी कविताएँ आज़ादी के बाद विशेष रूप से सन् 60 के बाद के भारत की तस्वीर को
समग्रता में पेश करती हैं। तथा नए मानव संबंधों की खोज करना चाहती हैं जिसमें गैर
बराबरी, अन्याय और गल ु ामी न हो।
4. उनकी समचू ी काव्य-यात्रा का कें द्रीय लक्ष्य ऐसी जनतांत्रिक व्यवस्था की निर्मिति है
जिसमें शोषण, अन्याय, हत्या, आत्महत्या, विषमता, दासता, राजनीतिक संप्रभतु ा,
जाति-धर्म में बँटे समाज के लिए कोई जगह न हो।
5. जिन आशाओ ं और सपनों से आज़ादी की लड़ाई लड़ी गई थी उन्हें साकार करने में जो
बाधाएँ आ रही हों, उनका निरंतर विरोध करना उनका रचनात्मक लक्ष्य रहा है।
1. छंदानश ु ासन के लिहाज से भी वे अनपु म हैं पर ज्यादातर बातचीत की सहज शैली में ही उन्होंने
लिखा और बखबू ी लिखा।
2. बतौर पत्रकार और कवि घटनाओ ं में निहित विडंबना और त्रसदी को भी उन्होंने देखा।
3. रघवु ीर सहाय की कविताओ ं की दसू री विशेषता है छोटे या लघु की महत्ता का स्वीकार। वे महज
बड़े कहे जाने वाले विषयों या समस्याओ ं पर ही दृष्टि नहीं डालते, बल्कि जिनको समाज में
हाशिए पर रखा जाता है, उनके अनभु वों को भी अपनी रचनाओ ं का विषय बनाते हैं।
4. रघवु ीर जी ने भारतीय समाज में ताकतवरों की बढ़ती हैसियत और सत्ता के खिलाफ़ भी साहित्य
और पत्रकारिता के पाठकों का ध्यान खींचा।
5. ‘रामदास’ नाम की उनकी कविता आधनि ु क हिदी कविता की एक महत्त्वपर्णू रचना मानी जाती
है। अत्यतं साधारण और अनायास-सी प्रतीत होनेवाली शैली में समाज की दारुण विडंबनाओ ं
को पकड़ने की जो कला रघवु ीर सहाय की कविताओ ं में मिलती है, उसका प्रतिनिधि उदाहरण है
यहाँ प्रस्ततु कविता कै मरे में बद अपाहिज जो लोग भूल गये हैं सग्रह से ली गई है।
समकालीन कविता की धारा जनवादी है. गांवों, नगरों तथा महानगरों, में रहने वाले सामान्य जनों की फटेहाल
ज़िंदगी का चित्रण बड़ी खरी भाषा में किया गया है.
लोहे का स्वाद. 
एक आदमी रोटी बेलता है लोहार से मत पछ ू ो.
एक आदमी रोटी खाता है उस घोड़े से पछू ो.
एक तीसरा आदमी भी है  जिसके मँहु में लगाम है. - धमि ू ल
जो न रोटी बेलता है, न रोटी खाता है हे पुरुष!
एक ही प्रार्थना है तुमसे
वह सिर्फ़  रोटी से खेलता है
यह हमारी दुनिया
 मैं पछू ता हू–ँ औरतों के हाथों में दे दो
'यह तीसरा आदमी कौन है ?‘ अगर तुम सुरक्षित रखना चाहते हो इसे
मेरे देश की ससं द मौन है।– धमिू ल अपनी आनेवाली पीढ़ी के लिये.
- अनिल जनविजय
छंद-विधान 
प्रयोगवाद /नयी कविता/ समकालीन कविता की विशेषताएं (प्रवत्ति ृ )याँ
प्रयोगवादियोंभाव नेसम्बन्धी
छंद-विधान में तो आमल ू -चलू परिवर्तन कर दिया है। यहां
विभिन्न तरह के प्रयोग हुए हैं। शिल्प सम्बन्धी
1.समसामयिक
छंदों के परम्परागत जीवन मात्रिककारूपों से उसका
यथार्थ कोई संबंध नहीं
चित्रण  रह गया शिल्प
काव्य है। इससेमें नए
2. घोर
कविताअहंमेंनि ष्ठ लय
कभी वैयऔर क्तिकता
गति का अभाव उत्पन्न होता है और कभी उसमें
प्रयोग
3. विद्रोह का स्वर  बिम्ब योजना 
काव्यात्मकता केतथा
4. अनास्थावादी स्थानसंपर गद्यात्मकता
शयात्मक स्वरआ जाती है।  नए उपमान
5.वेएक
दनाओर कीलोकगीतों
अनभ ु ति ू कीकाधनु प्रयोग
ों के आधार पर कविताओं कीनवीन रचना हशब्द-चयन 
ुई है वहीं
6. समष्टि
दसू री ओरकल्याण की भावना
उर्दू की रूबाइयों और गज़लों का प्रभाव भीकविता पर पड़ा है।
नवीन-प्रतीक 
7. वासना की नग्न अभिव्यक्ति  छं द-विधान 
 अग्रं ेजी के एवं
8. विद्रोह सॉनेटव्यंसेग्यमिलती-ज
का तीखा ल
ु ती कविता
स्वर भी इन कवियों ने लिखी।
नयी कविता के कवि ( पाठ्क्रम में 04 कवि सम्मिलित हैं.)
1. तार सप्तक – 1943
गजानन माधव मुक्तिबोध, नेमिचन्द्र जैन, भारतभूषण अग्रवाल, प्रभाकर माचवे,
गिरिजाकुमार माथुर, रामविलास शर्मा, सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ 
2. दूसरा सप्तक - 1951
भवानी प्रसाद मिश्र, शकुन्त माथुर, हरिनारायण व्यास, शमशेर बहादुर सिहं , नरेश मेहता,
रघुवीर सहाय, धर्मवीर भारती
3. तीसरा सप्तक - 1959
कुँवर नारायण, कीर्ति चौधरी, सर्वेश्वर दयाल सक्सेना, मदन वात्स्यायन, प्रयाग
नारायण त्रिपाठी, के दारनाथ सिंह , विजयदेवनरायण साही
4. चौथा सप्तक - 1979
समु न राजे, श्रीराम वर्मा, स्वदेश भारती, अवधेश कुमार, राजकुमार कुम्भज,
नन्दकिशोर आचार्य, राजेंद्र किशोर
कै मरे में बंद अपाहिज : रघुवीर सहाय
स्टीफन हॉकिंग ( प्रसिद्ध वैज्ञानिक
)

रवीन्द्र जैन ( पार्श्व गायक , संगीतकार )

सधु ा चद्रं न ( नत्ृ यांगना,अभिनेत्री)


हम
पत्रकारिता द र
एक दर्शन
वह अपाहिज पर
जगत
अपाहिज बोलें में ग
व्यक्ति
को े
व्यवसायीकरण से
एककै मरेउसकी ब मेंंदबकमरें दविकला
अपाहिज
के(स्ट ंगअपाहिज
कारण ता
ू डियो) परसोचिए
उपजीप्रश्न
में बकरके /ल
ु घोरबताइए
ाताउसके है। कैदहैमरे
अमानवीयता ख
ु ोंतब केकोसामने कपत्रकार
को ु रे दनेएव कें नैपीछे
उससे तिसवालों मल
कता
सामान्य ू
वह शक्तिवान ढ
बार-बार ं ग से प्रश्न
दबाव बनाता करने पर जब
(1)हैसहान कि अपाहिज रो पड़े नहीं रोता
लेकरना किकैहोकर
मरेन मेंजब बंद अपाहिज पत्रकार अपने बार- इसका

हम
उद्दे
मेंबारश् यसमर्थ
कीहो उसे वास्तव
बौछार
रहे ह्रास में
कर कोउस दे त अपाहिज

दिखाना है । वह के
ही उसके प्रति
इस द
कविता ख
ु भ
ु ू का
-दर्द ति आपको
या
को उद्देहमदर्दी
असहज श् य अपाहिज
है व्यक्त
। रूप
समर्थ से क
एव ु नहीं
रे ं कै
द -क
सशक्त सा बल्कि
ु रे लगता
द करउसके
पत्रकार है
बाहर द खु लाना
किसी
हमयोजना
सार्वजनिक एक दमें क
र्ब
ु ल ु
सफल रे
प्रदर्शन

को
ताहै नहीं
लाएँ
करके
। ग
उसकेे होता लोगों है द ख

तोकी
ों
वह को
करुणा
जबरदस्ती
अपाहिज एव कै साको
दया / चे महस

यानी
की ावनी कै
भावनाओ

ू सा
करवाकर
देत लगताा है कोकि है आपके
जाग
उसेत

रुलाना
कर पासउसका यह
चाहता हैको
अपाहिज जिससे स्ट ू डिअपाहिज
यो में ब ल
ु रो ाता पड़े हैताकि और वहउसका ं
उसकीइटं रोती रव्य ू ह(साक्षात्कार)
ु ई आख ं
ं ों को कैलेमरे त ा पर
है । बड़ा-बड़ा
पत्रकार
चाहता
एकस न

व्यावसायिक
दिखाकर
हरा है
अवसर
बंद कमरेदर्शकों । लाभ वह है
में उठाना उससे
,
की
यदि आज
है. भ
सहान
दबाव ु
नहीं
ति

बनाकरबता
प्राप्त
पाए,
कर
प सके

ू तो
(हम ता ।
फिर है आप
खदु इशारे
दर्शक
कि भी
सोचिए,
पछताए सेमानो
बताएँयहीग
ं े । बताइए,
गे किदेख क्यानाऐसा?) आपको
चाहतेकरता हैं कि
बताता कवि है कि कहता इस साक्षात्कार
हैसकैक्या
किसा पत्रकार का उद्दे
कार्यक्रम श् य समाज
को प्रार रोचक की बनाने भलाई हेहैप्रयास करना
त–ु उस अपाहिज है । वह दिखावा
कीकिभावना का
अपाहिज
उससे फिर प छ
ू ें गउसीे होकर
तो आप
तरह व
ं द
े अपाहिज
नहीन लगता प्रश्नों हैं है
?
की ? श्र वास्तव

ं ृ ला सोचिए
ं में
भ होउसका /
जाती बताइए रहता है किसी
हैतोअपाहिज
कि
कोई आप1. इस
सम्मान
जै क्यों
स े
अपने
साक्षात्कार
आपको नहीं करता
अपाहिज
आपकोके समाज
क्या हैं?दहैख माध्यम
.ु उसका
है ?
में सबसे
2. से
साराआपका वह कमजोर अपाहिज
प्रयत्नथोड़ी दअपाहिज

तबकेएवकें अशक्त
कै
ु ा कार्यक्रमकोशिश
सा हैको
?
रूप में प्रस्त
करिएरुला 3. दे न लोगों
े पर
जल्दी
तु करे
टिका के । दयदि
बताइए. है ख
ु .
अपाहिज
-दर्द को
तरह
समाजस्वय अपाहिज
ं को
केअपाहिजपन समर्थवान
पटल रो पड़े
और और
सफल पत्रकार
साबित कर अपने देग तो फिर दर्शकों में सफल
की आशाओ हो जाय। ं पर जब
पानी फिर
आपका कवि कवि यहा दर्शकों ं व्यपर परतोरखना
गं ात्मक व्यदख ुढंग्यंगदेचाहता
कर
सेतायह रहाइशारा
होगा हैहैजिससे किकरआप देतइनका
(यह ा हैभीअवसर कितो भला वहयहीखो हो।चाहते
नहीं गपरे?)ं तपाएगा.
देंबता हैंु कवि
। अर्थात कहना पत्रकार चाहऔर रहा
जाएगा क्योंकि
अपाहिज उसके दर्शक इस भीदबाव अपाहिज पर भी को नहीं दख ु ी,त्रस्त
रोता और है तब जीवन वह सेस्वय हारा ं हअभिनय ुआ ही देखकरके ना चाहते
हैदेवास्तव
तकि
दर्शक ा है?पत्रकार
(हमारा
में जो दसमाज ु काी होता
ख यह) दोनों उद्दे
है वह श्यहीजल्दी कहीं
इस कअपने खो
ृ त्य मेंजाता दख आप
ु समान कोहै।सही जानतेवहढहैंंगअपाहिज
भागीदार कि कार्यक्रम
सेहैं.व्यक्त
समाजनहीं के केरोचकप्रतिलोगों
कर सहान
बनाने
पाता. से कोई दभ
ु केःु खति भीकोन
ू वास्ते
हैं
इशारे । अपाहिजसेदिखाओ के प्रति यही प र्वा
ू ग्रह सभी के मस्तिष्क में बै ठ ा ह ु आ है । पत्रकार की मानसिकता
(कैयहमरासवाल
व्यक्त
रखकर करना मात्रबताने एक
अपने का
नहींइसेस्वाभाविक बड़ाप्रयास
कार्यक्रम
करता बड़ा)
कि आप कोकरता
स्थिति रोचक है, लेहैबनाने
अपाहिज किकि नकोहम यहा हेआपको
तपं ु तो
इतना अशक्त अपाहिज
पछू रू -पीकार्यक्रम
छूयोजना
कर उसको केबनाता
और प्रस्त रुला
हारा होकर दें।हगइस
तु हैकर्ता े क्या
ुआ काक ऐसा
वास्तविक
ृ त्य
क्यों देमेंखवह ना
हैश्तो
हाँ
उद्दे यकिअपने यदि कार्यक्रम
बताइए कार्यक्रम
आपका कोद मेंख अपाहिज
क्या
व्यवसायिक है अपने
दृष्टि से आपको सफल इ त अशक्त,
जार
एव करते
लोकप्रिय द ख

हैं आप ी और
बनाना भी त्रस्त
उसके
है . जो नहीं
रो पड़ने
पहले दिखा सेका.
ही पाएगा,
दख
लगता
अके चाहते ला हैंहैनहीं
।?(लेहैकि अपित न कवि ु ु एकयह प र
ू ाप्रश्न
सम उठाता

ू उससे हैज) ड़ु ं ा हंुआ है। ु ी
तो भला इस साक्षात्कार की क्या सफलता होगी ? उसकी टी.आर.पी. कै से बढ़ेगी?
हैजल्दी बताइए वह
उसे बार-बार उसकेदख ु बताइए
ु दख करते हैंअत्य
एवं अक्षमता की याद दिलाना ? ंत कष्टदायक तथा अमानवीय है
बता नहीं पाएगा भावार्थ-1 भावार्थ-2 भावार्थ-3 (यह प्रश्न पछू ा नहीं जाएगा) भावार्थ-1 भावार्थ-2
कवि
पत्रकार के के अनलाख स ार प्रयास
टे ल ीविजन करने के
पर बाद
वक्त भी की जब कीमत
अपाहिज के बारे
नहीं में
रोता कै मरे
बताकरहै मेंऔर
बंदऔर अपाहिज
वह
फिर हमकवि पत्रकार
परदे परकहता कीहै गकि

दिखलाएँ े पत्रकार
दृष्टि में कार्यक्रम अपाहिजआप तभीकोऔररुला सफल
वह दोनों देने का
मानापरू ा जाएगा प्रयास(2)करता जब
अपना
अपाहिज हआत्मविश्वास
फूहैलीताकि कीखवहपीड़ा
ुई आँ एककोऔर
कीउसकी बड़ी करोती
ु रेतसवीर
आत्मसम्मान
द कर ह ु ई उसेआँरुला खदिखाता
ों दे(फ
न(कैे ू ली
केमराहैपीछे
तो पत्रकार
आ ख
ं कार्यक्रम
ों) कोझझंुकैकेला
मरेनिर्माताओ
जाता
पर बड़ा है औरं काबड़ा
अपाहिज
बहुवलत बड़ी तसवीर
व्यक्ति और दर्शक दोनों की
बसफिलहाल
ही
करो सफलता
मनोदशा या मनः स्थिति
केदर्शकों
करके से
एक कहता
दिखा ही उद्दे
है
सके श्
कि य
। आप
है
वह कार्यक्रम
उस लोग धीरज
अपाहिज की रखिए।
व्यावसायिक
के होठों पर कीइस कसमसाहट
अपाहिज
और लोकप्रियता. के होठों
भी की
दिखा
औरएक
जो
पीड़ित उसके जैहोंसठीोंकीहो
कसमसाहट
व्यक्ति परहै एकजाएगी.
आप
मानसिक कसमसाहट
उसी अवस्था अपाहिज
के उसकीभी और व्यक्ति
पीड़ा सनहींंवकोेदहनाुआ अपनी
महस से उनका शारीरिक
सू कीजिए। कुछ मैंलेनअपाहिज अक्षमता
ा देनकमी ा नहीं कोके
सके जिसे
(आशा है आप दर्शक
उसे उस अप
उसकी अपाहिजग ता की की अपरहने
पीड़ा गं तादो की पीड़ा समझकर उसके प्रति
गहरेकीइसदएक
रुलाने
होता. ख के सारेकारण
ु तरहऔर कोशिश सामाजिक प्रस्त
करतात
ं ु हकर्ता
नारे झु े केविश्वास
ू।ं मऔर निर्देहैशकिव्यावसायिक
कार्यक्रम परमैं अपाहिज
रो नहींप्रचार-प्रसार
पाता
को औरतोआप मेंवह
द्रवित
दोनों
तब्दील कोकर होंगे
एकदिए । यहा मानेंं कवि
गे) का आशय यहपरदेभीपरहैवक्तकिकीउस कीमतअपाहिज
है) की व्यथा
एकउसे और पर्दे
कोशिश परसाथजाते
वक्तरुलाहैंकी . पाऊएककीमत ं गा।
संवेदअर्थातनशीलका वह समाज
अबअपने
एहसास मसु केकुकराता
कार्यक्रम
लिए
राएँ गे हमयहहैकी .अत्यसार्थकता
जैंतसखतरनाक
े पीड़ासिद्धको
करना
और कोभयावह
न तो पत्रकार
चाहता स्थिति
है। उसकी है हीक्योंकि
समझ
दृष्टि में रहाअपाहिज
इससे
जब है और और
अमानवीय न एव हीदर्शक
ं दर्शक।
त्रासद सबएकउसेसाथ
दोनों
स्थितिया ं पै व्यथित
द ा रोए
होती ग
ं े और
तब
हैं
,
निर्धारित
दर्शक
लाचार सीमित
देखनाएवचाहते समय हैंहोगा।
। कोईमनउसकेमें व्यक्त कर आप दे न
देखा उसके
रहे थे लिए
सामाजिक अत्य
उद्देश् य त
से
ं य जरूरी
क्त

वह
जो
धीरज सभ्य
सफल
रखिए समाज
पत्रकारा ंसाबित
सवं ेदनशील ष्ु य, दोनोंप्रति के लिए
कार्यक्रम सच्चीसमान सहान रूपभु सेति
ू कष्टदाईनहीं रख हैं. रहा है
हैए. ु उसे मनोरंजन का साधन समझ रहा है। (बस थोड़ी ही कसर रह गई)
अपित
देखि
हमें दोनों एक संग रुलाने हैं भावार्थ-1 भावार्थ -2 धन्यवाद। भावार्थ -1 भावार्थ -2
वर्तमान मीडिया पर लगने वाले इल्जाम
T.R.P (Television Rating Point),
TRP एक ऐसा उपकरण या टूल है,
जिसके द्वारा यह पता लगाया जाता है कि
टीवी पर कौनसा प्रोग्राम या टीवी चैनल
सबसे ज्यादा देखा जा रहा है।
काव्यांश में दरू दर्शन वालों के
माध्यम से कवि ने मीडिया कर्मियों
की सवं ेदनहीन अमानवीय कार्य
शैली का चित्रण किया है.
कै मरे मेंएव बंद स्पष्ट
1)हम दकविता
रू दर्शन परकीबोलेंभाषा गे सहज ं अपाहिज सोचिए / बताइए
है. जनसामान्य में प्रचलित खड़ी बोली के शब्दों
(1)
हम 1. समर्थ कविता की भाषा अत्य त
को लेकर बातचीत की शैली में कवि ने एक अत्यतं सहोकर
शक्तिवान ं सरल, सहज एव
आपको ं स प्र
ं े ष णीय
अपाहिज है तथा
वं ेदनशील कैशैसाललगता
कै मरे में बंद अपाहिज
ीमनाटकीय है.
है पाठक
द्दु े को
हम 2. एक दर्बु ल कोकीलाएँ
कविता भाषा गे है और कवि अपनी बात कै सा को / यानीस्पष्ट कैकरने
सा लगता में सफल है हुआ है.
वर्ग के सामने प्रस्ततु किया है.
एक 3. बंदभाषाकमरे मेंमें ‘ही’, ‘भी’आदि अव्ययों के (हम प्रयोग खदु द्वारा
इशारेकवि से बताएँ ने गअपने
े कि क्या वर्णन ऐसा?)
कोदिखने
एक
2)उससेभाषा की मारक क्षमता
पछू ें गे तो आप क्या अपाहिज हैं? अत्यधिक है . ऊपर से
सोचिए / बताइए सीधी सादी एव ं सामान्य से
वालीनई भ
तो आप क्यों अपाहिज हैं?
गि

भाषा मा प्रदान
अत्य त
ं की
गहरे है -
व्य ग
ं ‘जै स
से े
य इक्त
ु त
ं जार
है जो करतेसमाज
थोड़ी कोशिश करिए
हैं आप के भी
प्रम ख
ु उसके
स्त ं भ दो
मीडियापढ़ने का’,
कर्मियों
आपका के‘और वास्तविक
अपाहिजपन बस थोड़ी चेतोहदरेहीखु कोकसर रह गई’
देतबेा नहोगा
काब करनेआदि. में(यह
सक्षम अवसर है. खो देंगे?)
3)दे4.ता है?बदली
शैली व्यहुईंग्य जीवन प्रधान स्थितियों
है काव्य मेंकीसामाजिक लक्षणा
आप शक्ति जानतेयथार्थ हैंकाकिकेउपयोग विभिन्नकवि
कार्यक्रम पक्षोंनेबनाने
रोचक किया
पर केसजगहै.
वास्ते
कोष्ठकों
(कै मराटिप्पणीदिखाओकरना इसेउसको
बड़ा
नई बड़ा) में कवि की
कविता ने जो
प्रमख ु कथन ृ लिखे
हमत्ति
प्रव पछू यों-पछू मेंहैंकरसेवेउसको
परू े हैविवरण
एक रुला
. यहदेंगबात े क्रम यहा को ं एक
स्पष्ट
हाँ तोदिखाई नाटकीय
बताइए पटु देदहैतखु .े हैंक्या है
देआपका
जाती इतं जार करते हैं आप भी उसके रो पड़ने का.
जल्दी बताइए वह दख
ु बताइए करते हैं ?
बता नहीं पाएगा शिल्प सौन्दर्य (यह प्रश्न पछू ा नहीं जाएगा) काव्य सौन्दर्य
कै मरे में बंद अपाहिज
1. काव्या ं
फिर हम परदे पर दिखलाएँश की भाषा
गे सहज एव बोधगम्य में
ं आप और वह दोनोंहै
. (2)
फ2.
ू ली हुई सामान्य
आँख की एक रूपबड़ीसे तसवीर
प्रचलित शब्दों के(कै जरिए
मरा कवि ने एक गढ़ ू सामाजिक
बहुत बड़ी तसवीर बस करो
सत्य अर्थात पर्दे
और उसके होंठों पर एक कसमसाहट भी
के पीछे छिपी सच्चाई
नहीं हुआ
को प्रस्त त
ु किया है .
3.(आशा कविहै आपकेउसेविवरण
उसकी अप कागं ताढंगकीअत्य
पीड़ा त
ं रोचक
रहने दो एवं नाटकीय है. कमी
4. व्यंग्य कथन मानेंगे)के उपयोग द्वारा कवि ने वक्त
परदे पर कविता में एक
की कीमत है) नया
एक और अर्थ-सौन्दर्य
कोशिश एवं प्रभाव उत्पन्न कर अबदिया
मसु कुराएँ
है. गे हम
दर्शक आप देख रहे थे सामाजिक उद्देश्य से यक्त ु
5. रखिए
धीरज कवि ने इस कविता के माध्यम सेकार्यक्रम सामाजिक उद्देश्य की पर्ति ू के पीछे
देखिए भी व्यावसायिक दृष्टिकोण रखने वालों की (बसमथोड़ी

ं ा का भडं ाफोड़
ही कसर रह गई) किया
हमें दोनों हैएक. संग रुलाने हैं काव्य सौन्दर्य धन्यवाद।
प्रश्न
1. कविता में कुछ पक्ति
ं याँ कोष्ठकों में रखी गई हैं-आपकी
समझ से इसका क्या औचित्य है?
2. कै मरे में बंद अपाहिज करफ़णा के मख ु ौटे में छिपी क्रूरता
की कविता है-विचार कीजिए।
3. हम समर्थ शक्तिवान और हम एक दर्बु ल को लाएँगे पक्ति ं
के माध्यम से कवि ने क्या व्यग्ं य किया है?
1. यदि शारीरिक रूप से चनु ौती का सामना कर रहे व्यक्ति और दर्शक,
दोनों एक साथ रोने लगेंगे,तो उससे प्रश्नकर्ता का कौन-सा उद्देश्य परू ा
होगा?
2. परदे पर वक्त की कीमत है कहकर कवि ने परू े साक्षात्कार के प्रति अपना
नज़रिया किस रूप में रखा है?
3. यदि आपको शारीरिक चनु ौती का सामना कर रहे किसी मित्र का
परिचय लोगों से करवाना हो, तो किन शब्दों में करवाएँगी?
4. सामाजिक उद्देश्य से यक्त
ु ऐसे कार्यक्रम को देखकर आपको कै सा
लगेगा? अपने विचार सक्ष ं ेप में लिखें। प्रश्न
धन्यवाद प्रस्तुति : मो. क़मरुद्दीन ( क़मर जौनपुरी)

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