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Pages From Hindi C 4th Semester
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अिु क्रम
इकाई-1
इकाई-2
2. ब ादु र (अमरकान्त)
इकाई-3
इकाई – 4
पररपाटी की कहवता का अवसान रािरीय एविं समाज सुधार िावना की कहवता का उदय हआ। उन्ह न
िं े
प्रथम स्वतिं त्रता सिंग्राम के पररणामस्वरुप िारतवाहसय िं में स ई हई आत्मशखि के जागरण के साथ ी
राजनीहतक अहधकार िं के प्रहत लालसा बढ़ी, हजससे उनमें रािरीयता के िाव का उदय ना स्वािाहवक था।
इसका प्रिाव इस युग की रचनाओिं पर िी पडा। इस युग के रचनाकार िं की रचनाओिं में दे शिखि का स्वर
हवशेर् रूप से गुिंजायमान
िारतें दु युग का साह त्य पुराने ढािं चे से सिंतुि न ीिं ै वे उनमें बदलाव कर य सुधार कर उसमें नयापन
लाने का प्रयास हकये ै इस काल का साह त्य केवल राजनीहतक स्वाधीनता का साह त्य ना कर मनुष्य
की एकता, समानता और िाईचारे का िी साह त्य ै ।
इस य ग में प्राय: सिी रचनाकार िं की रचनाओिं में ास्य- व्यिं ग्य का पुट हमलता ै । अिंधहवश्वास ,िं रूहढ़य ,िं
छु आछूत, अिंग्रेजी शासन, पाश्चात्य सभ्यता के अिंधानुकरण आहद पर व्यिं ग्य करने के हलए इन रचनाकार िं ने
हवर्य एविं शैली के नए-नए प्रय ग हकए ज इनकी रचनाओिं में लहक्षत ै
इस य ग के अहधकािं श कहवय िं ने अपने काव्य में प्रकृहत क हवर्य के रूप में ग्र ण हकया ै । उनके
िारतें दु युग की सबसे म त्वपूणण दे न ै गद्य व उसके अन्य हवधाओिं का हवकास। इस युग में पद्य के साथ
गद्य हवधा प्रय ग में आयी हजससे मानव के बौखद्धक हचिं तन का िी हवकास हआ। क ानी, नाटक ,आल चना
आहद हवधाओिं के हवकास की पृििू हम का िी य ी य ग र ा ै ।
िारतें दु ने जातीय सिंगीत का गािं व िं में प्रचार के हलए ग्राम्य छिं द -िं कजरी, ठु मरी, लावनी, क रवा तथा चै ती
आहद क अपनाने पर ज र हदया। कहवत्त सवैया ,द ा जैसे परिं परागत छिं द िं के साथ-साथ इनका िी
जमकर प्रय ग हकया गया।
िारतीय सभ्यता और सिंस्कृहत की अपेक्षा पहश्चमी सभ्यता और सिंस्कृहत क उच्च बताने वाल िं के हवरुद्ध
व्यिं ग्य और ास्यपूणण रचनाएिं हलखी गयीिं। िारत के गौरवमय अतीत क िी कहवता का हवर्य बनाया गया।