Professional Documents
Culture Documents
जीवन प रचय
मै थल शरण गु त का ज म ३ अग त १८८६ म पता सेठ रामचरण कनकने और माता
काशी बाई क तीसर संतान के प मउ र
दे श म झांसी के पास चरगांव म हुआ। माता
और पता दोन ह वै णव थे। व यालय म खेलकूद म अ धक यान दे ने के कारण पढ़ाई
अधरू ह रह गयी। राम व प शा ी, दग
ु ाद पंत, आ द ने उ ह व यालय म पढ़ाया। घर म
ह ह द , बंगला, सं कृत सा ह य का अ ययन कया। मुंशी अजमेर जी ने उनका मागदशन
कया। १२ वष क अव था म जभाषा म कनकलता नाम से क वता रचना आर भ कया।
आचाय महावीर साद ववेद के स पक म भी आये। उनक क वताय खड़ी बोल म मा सक
"सर वती" म का शत होना ार भ हो गई।
जय ती
म य दे श के सं कृ त रा य मं ी ल मीकांत शमा ने कहा है क रा क व मै थल शरण
गु त क जयंती दे श म तवष तीन अग त को 'क व दवस' के प म यापक प से
मनायी जायेगी। यह नणय रा य शासन ने लया है । युवा पीढ़ भारतीय सा ह य के व णम
इ तहास से भल -भां त वा कफ हो सके इस उ दे य से सं कृ त वभाग वारा दे श म
भारतीय क वय पर केि त करते हुए अनेक आयोजन करे गा।
कृ तयाँ
नाटक - रं ग म भंग , राजा- जा, वन वैभव [क], वकट भट , वर हणी , वैता लक,
शि त, सैर ी [क], वदे श संगीत, ह ड़ बा , ह द,ू चं हास
मै थल शरण गु त थावल
का वताओं का सं ह - उ छवास
प का सं ह - प ावल
गु त जी के नाटक
उपरो त नाटक के अ त र त गु त जी ने चार नाटक और लखे जो भास के
नाटक पर आधा रत थे। न न ता लका म भास के अनू दत नाटक और उन पर
आधा रत गु त जी के मौ लक नाटक दए हुए ह:-
गु जी के मौिलक नाटक भास जी के अनूिदत नाटक
अनघ वासवद ा
चरणदास ितमा
ितलो मा अिभषेक
िन य ितरोध आिवमारक
का यगत वशेषताएँ
गु त जी वभाव से ह लोकसं ह क व थे और अपने युग क सम याओं के
त वशेष प से संवेदनशील रहे । उनका का य एक ओर वै णव भावना से
प रपो षत था, तो साथ ह जागरण व सुधार युग क रा य नै तक चेतना से
अनु ा णत भी था। लाला लाजपत राय, बाल गंगाधर तलक, व पनचं
पाल, गणेश शंकर व याथ और मदनमोहन मालवीय उनके आदश रहे । महा मा
गांधी के भारतीय राजनी तक जीवन म आने से पूव ह गु त जी का युवा मन
गरम दल और त काल न ाि तकार वचारधारा से भा वत हो चक
ु ा था। 'अनघ'
से पव
ू क रचनाओं म, वशेषकर जय थ-वध और भारत भारती म क व का
ाि तकार वर सन
ु ाई पड़ता है । बाद म महा मा गांधी, राजे साद,
और वनोबा भावे के स पक म आने के कारण वह गांधीवाद के यावहा रक प
और सध
ु ारवाद आ दोलन के समथक बने।