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रा संत तक

ु डोजी महाराज नागपरू व यापीठ, नागपरू


{ल लत कला वभाग}
थापना 1980
माग दशन
मा. महोदया डॉ. संयु ता थोरात,
( वभाग मुख)

तु तकरण
कु. नशा रमेश पांडे
एम.एफ.ए., नाटक (अ भनय) - वतीय वष ( तसर छमाह )
शीषकः-

स यदे व दब
ु ेजी क जीवनी
(BIOGRAPHY OF SATYADEV DUBEY )
स यदे व दब
ु े का िजवन प रचय
• स यदे व दब
ु े दे श के शीष थ रं गकम और फ़ मकार थे।
• दब
ु ेजी का ज म 13 जुलाई, 1936 को छ ीसगढ़ के बलासपुर म हुआ
था।
• उनका नधन 25 दस बर 2011 को मुंबई म 75 क आयु हुआ।
• भारतीय रं गमंच नदशक, अ भनेता, नाटककार, पटकथा लेखक और
चल च अ भनेता तथा नदशक थे।
• रं गमंच और चल च से जुड़े महती काय के लए उ ह १९७१ ई. म
संगीत नाटक अकादमी पुर कार से स मा नत कया गया था।
• १९७८ म उ ह ने याम बेनेगल वारा नद शत हंद चल च भू मका
के लए सव े ठ पटकथा का रा य फ म पुर कार ा त कया।
• १९८० ई. म उ ह जुनून के लए सव े ठ संवाद का पुर कार मला।
२०११ म उ ह भारत सरकार ने प म भषू ण से स मा नत कया।
• शु आती दन म दब ु े जी क केट के त द वानगी थी और वे
एक नामी केटर बनना चाहते थे और अपने सपन को परू ा करने
के लए मंब ु ई चले आए थे ले कन शौ कया तौर पर
भारतीय रं गमंच के पतामह कहलाने वाले इ ाह म अ काजी वारा
संचा लत थएटर के संपक म आने से उनक िज़ंदगी बदल गई। पी
डी शनॉय और न खलजी का मागदशन रहा। अ काजी रा य
ना य व यालय के मख ु का पद संभालने द ल चले गए तो
मंब
ु ई म उनके रं गमंच क कमान दब ु े के हाथ म आ गई। िज ह ने
भारतीय रं गमंच को एक नई दशा द । उ ह ने फ़ म म भी काम
कया और कई पटकथाएं लखीं. दे श म हंद के अकेले नाटककार
थे, िज ह ने अलग-अलग भाषाओं के नाटक म हंद म लाकर उ ह
अमर कर दया। अपनी म ृ यु के मह न पहले, दब ु े एक फ म पर
काम कर रहे थे, ले कन इसे पूरा करने म असमथ थे।
काय े
आधु नक भारतीय रं गमंच म एक नए युग का सू पात करने वाले धमवीर भारती के नाटक
‘अंधायगु ‘ के पहले मंचावतरण का ेय स यदे व दब ु े को इस लए दया जाता है य क
उ ह ने ह इ ा हम अ काजी को इस नाटक के मंचन के लए े रत कया था। दब ु े ने
‘अप रचय के वं याचल‘ (1965) और टं ग इन चीक‘ (1968) नाम से दो लघु फ म का
नमाण कया और ‘शांतता! कोट चालू आहे ‘ ( वजय तडुलकर) पर 1971 म एक मराठ
फ म भी बनाई। कड़ी मेहनत से रं गमंच को हमेशा अपना सबसे बेहतर उपल ध कराने क
को शश करने वाले दब ु े अपनी राजनी तक वचारधारा क वजह से भी ववाद म रहे । अपनी
पीढ़ के अ धकांश रं गक मय के वपर त एक दौर म वे रा य वयंसेवक संघ से भी
संब ध रहे थे। भारतीय रं ग- य को बु नयाद तौर पर बदल दे ने वाल साठ और स र के
दशक क उस ग त व ध म, िजसे रं गकम को एक उ ेजक, अथपूण और समकाल न जीवन
से जड़ु ी हुई सजना मक अ भ यि त का दजा दलाने के कारण नवजागरण के तौर पर याद
कया जाता है , स यदे व दब ु े का अतुलनीय और ऐ तहा सक योगदान रहा है । दब
ु े दे श के उन
गने-चन ु े रं गक मय म थे िज ह ने रं गमंच को अपनी जातीय चेतना और कला-परं परा से
जोड़ने के काम का नेत ृ व कया।
* उ ह ने गर श कनाड का पहला नाटक ययाती, और उनके स ध नाटक
हयावदान, बादल सरकार क ईवम इं जीत और पगला घोड़ा, चं शेखर कंबारा
के और तोटा बोला (मल
ू क नड़ म जोकुमार वामी), मोहन राकेश के आधे
आधरु , वजय तदलु कर का नमाण कया।

* उ ह धमवीर भारती के आधा युग क खोज के साथ ेय दया जाता है , जो


रे डयो के लए लखा गया एक नाटक था; दबु े ने अपनी मता को दे खा, इसे
नेशनल कूल ऑफ ामा म इ ा हम अ काज़ी के पास भेज दया। जब 1 9
62 म मंचन कया गया, तो आधा यगु ने भारतीय थएटर म एक नया
तमान लगाया ।

* उ ह ने दो लघु फ म को अप र चत के वं चल (1965) और टं गू इन
चीक (1968) बनाया, और एक मराठ फ चर फ म, शांताता! कोट चाला आह
(1971), वजय तदल ु कर के खेल पर आधा रत है , जो बार क से े ड रक डी
.रे नमैट क कहानी "डा पेने" पर आधा रत है ।
स ध नाटक का मंचन
• स यदे व दब ु े च चत नाटककार और नदशक थे। दब ु े 'पगला घोड़ा',
'आधे अधरू े ' और 'एवम इं जीत' जैसे नाटक के लए स ध थे
अप र छय का वं याचल
ले कन उ ह स धी 'अंधा यग ु ' ने दलाई। उ ह ने नाटक के सौ से
(
(1965) म स यदे व दब
ु े
यादा शो कये। गर श कनाड के पहले नाटक 'याया त और
हयवदन', बादल सरकार के 'इवाम इं जीत और पगला घोडा', चं शेखर
कंबारा क 'और तोता बोला', मोहन राकेश के 'आधे-अधरू े ' और वजय
तदल ु कर के ' गदहड़े, शांता और कोट चालू आहे ' जैसे नाटक का मंचन
कर भारतीय रं गमंच मे योगदान दया। उ ह धमवीर भारती के रे डयो
के लखे नाटक 'अंधा युग' को रं गमंच पर उतारने का ेय दया जाता
है ।
• दबु े ने दो लघु फ़ म 'अप रचय के वं याचल' और
'टं ग इन चीक' का भी नमाण कया और मराठ
फ़ म 'शांताताई' का नदशन कया। मराठ थयेटर म
कए गए उनके काम ने उ ह काफ़ य़ा त दलाई।
इतना ह नह ं स यदे व दब ु े को मराठ और हंद
थयेटर म कए गए उनके यापक काम के लए
प मभूषण भी दया गया था। अपने लंबे कायकाल के
दौरान स यदे व दबु े ने आज़ाद के बाद लखे गए सभी
मुख नाटक का नदशन और तु तकरण कया
था।
• स यदे व दब
ु े ने याम बेनेगल क फ़ म 'भू मका' के अलावा कुछ
अ य फ़ म के लए भी कहानी और संवाद लखे थे। उनके वारा
चलाए जाने वाले थयेटर कायशाला को पेशव
े र और शौ कया तौर पर
थयेटर करने वाले लोग एक समान पसंद कया करते थे। नदशक
के प म उ ह ने 1956 म काम शु कया। वे अनेक मराठ व
ह द फ़ म के नदशक रहे ह। स यदे व ने कुछ फ़ म म
अ भनय भी कया और कुछ फ़ म का नदशन भी कया है ।
उ ह ने नदशक याम बेनेगल और गो वंद नहलानी क फ़ म के
संवाद और पटकथा भी लखी।
फ मो ाफ
मख
ु फ़ म

• शांताता! कोट चालू आहे (1971, नदशक)


• अंकुर (1974, संवाद, पटकथा)
• मंिजल और भी ह (1974, संवाद)
• नशांत (1975, संवाद)
• भू मका (1977, संवाद, पटकथा)
• जूनून (1978, संवाद)
• कलयुग (1980, संवाद)
• आ ोश (1980, संवाद)
• वजेता (1982, संवाद, पटकथा)
• मंडी (1983, पटकथा)
अ भनेताः-
• द वार (1975) - अ भनेता ( बना ेय)
• नशांत (1975) - पुजार (पुजार )
• KONDURA (1978) - RAMANAYYE मा टर
• अनु हम (1978)
• गोडम (1983) - धम
• भारत एक खोज (1988, ट वी ृ ला) - चाण य
ंख
• पटा (1991)
• माया (1993)
• आहट सीजन 1 (1995-2001) (ट वीसीर ज)
• हनान (2004) - महापूजा र
• आटा पता लापता (2012) - पगला बाबा (अं तम फ म भू मका)
स यदे व दब
ु ेजी के लए कुछ बाते
• ी स यदे व दब ु ेजी एक आदश रं गमंच यि त व थे। "वह
रं गमंच के बारे म पागल थे। वह उस पागलपन के लए जीते
थे। उनके नाटक हमेशा समय से आगे के होते थे। उ ह ने
भारतीय रं गमंच को एक नई दशा द । आने वाल पी ढ़य को
अब एक नया थएटर गु खोजना होगा।
• थएटर पसना लट ए लक पदमसी ने कहा क थएटर ने एक
महान योगा मक थएटर नदशक खो दया है। "आधु नक
हंद रं गमंच म उनके योगदान को हमेशा याद कया
जाएगा।"
• फ म नदशक महे श भ ट ने उ ह थएटर म एक आइकन के
प म याद कया। "वह हमारे गु थे। हमने उनसे बहुत कुछ
सीखा था।”
वशेष आभार
डॉ. संयु ता थोरात ( वभाग मुख)
व श क व श केत कमचार

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