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अिखल भारतीय िहंदी

सािह य स मेलन

अिखल भारतीय िह दी सािह य स मेलन, िह दी


भाषा एवं सािह य तथा देवनागरी का चार-
सार को समिपत एक मुख सावजिनक सं था
है । इसका मु यालय याग (इलाहाबाद) म है
िजसम छापाखाना, पु तकालय, सं हालय एवं
शासिनक भवन ह। िहंदी सािह य स मेलन ने
ही सव थम िहंदी लेखक को ो सािहत करने के
िलए उनकी रचनाओ ं पर पुर कार आिद की
ं ला साद पािरतोिषक
योजना चलाई। उसके मग
की िहंदी जगत् म पय त ित ठा है । स मेलन
ारा मिहला लेखक के ो साहन का भी काय
आ। इसके िलए उसने सेकसिरया मिहला
पािरतोिषक चलाया।

स मेलन के ारा िहंदी की अनेक उ च कोिट की


पा य एवं सािह यक पु तक , पािरभािषक
श दकोश एवं संदभ ंथ का भी काशन आ है
िजनकी सं या डेढ़-दो सौ के करीब है । स मेलन
के िहंदी सं हालय म िहंदी की ह तिलिखत
प डुिलिपय का भी सं ह है । इितहास के िव ान्
मेजर वामनदास वसु की ब मू य पु तक का
सं ह भी स मेलन के सं हालय म है , िजसम प च
ु भ पु तक संगृहीत ह।
हजार के करीब दल
थापना
िह दी सािह य स मेलन की थापना १ मई
१९१० ई. म नागरी चािरणी सभा के
त वावधान म आ।

१ मई सन् १९१० को काशी नागरी चािरणी


सभा, वाराणसी की एक बैठक म िह दी सािह य
स मेलन का एक आयोजन करने का िन चय
िकया गया। इसी के िन चयानुसार १० अ टूबर
१९१० को वाराणसी म ही प डत मदनमोहन
मालवीय के सभापित व म पहला स मेलन आ।
दस
ू रा स मेलन याग म करने का ताव
वीकार आ और सन् १९११ म दस
ू रा स मेलन
इलाहाबाद म प डत गोिव दनारायण िम के
ू रे स मेलन के
सभापित व म स प न आ। दस
िलए याग म 'िह दी सािह य स मेलन' नाम की
जो सिमित बनायी गयी, वही एक सं था के प
म, याग म िवराजमान है । िह दी सािह य
स मेलन, वत ता-आ दोलन के समान ही
भाषा-आ दोलन का सा ी और रा ीय गव-गौरव
का तीक है । ी पु षो म दास टंडन स मेलन
के ज म से ही म ी रहे और इसके उ थान के
िलए िजये; इसीिलए उ ह 'स मेलन के ाण' के
नाम से अिभिहत िकया जाता है । इस सं था ने
िह दी म उ च कोिट की पु तक (िवशेषतः,
मानिवकी से स ब धत) का सृजन िकया।
ग धीजी जैसे लोग भी इससे जुड़े। उ होने सन
१९१७ म इ दौर म स मेलन की अ य ता की।

िहंदी सािह य संमल


े न अिधिनयम, १९६२ के
ारा इसे 'रा ीय मह व की सं था' घोिषत िकया
गया।[1]
इितहास
अिखल भारतीय तर पर िहंदी की ता कािलक
सम याओ ं पर िवचार करने के िलए देश भर के
िहंदी के सािह यकार और िे मय के थम
स मेलन की अ य ता महामना प डत
मदनमोहन मालवीय ने की थी। इस अिधवेशन म
यह िन चय आ िक इस कार का िहंदी के
सािह यकार का स मेलन ितवष िकया जाए,
िजससे िहंदी की उ नित के य न के साथ साथ
उसकी किठनाइय को दरू करने का भी उपाय
िकया जाए। स मेलन ने इस िदशा म अनेक
उपयोगी काय िकए। उसने अपने वािषक
अिधवेशन म जनता और शासन से िहंदी को
रा भाषा के प म अपनाने के संबंध म िविवध
ताव पािरत िकए और िहंदी के माग म
आनेवाली बाधाओ ं को दरू करने के भी उपाय
िकए। उसने िहंदी की अनेक परी ाएँ चलाई,
ं ल म िहंदी का
िजसने देश के िभ न िभ न अच
चार और सार आ।

िहंदी सािह य स मेलन के इन वािषक अिधवेशन


की अ य ता भारतवष के सु िस सािह यक ,
मुख राजनीित एवं िवचारक ने की। महा मा
ग धी इसके दो बार सभापित ए। महा मा ग धी
के य न से अिहंदीभाषी देश म इस सं था के
ारा िहंदी का यापक चार आ। ी
पु षो मदास टंडन स मेलन के थम धान
मं ी थे। उ ह के य न से इस सं था की इतनी
उ नित ई।
िहंदी सािह य स मेलन की शाखाएँ देश के
िन निलिखत रा य म ह। उ र देश, िबहार,
ं ाब, म य देश, महारा
िद ली, पज तथा बंगाल।
अिहंदीभाषी देश म काय करने के िलए इसकी
एक शाखा वध म भी है , िजसका नाम "रा भाषा
चार सिमित" है । इसके काय लय महारा ,
बंबई, गुजरात, है दराबाद, उ कल, बंगाल तथा
असम म ह। इन दोन सं थाओ ं ारा िहंदी की जो
िविवध परी ाएँ ली जाती ह, उनम देश और
िवदेश के दो लाख से अिधक परी ाथ ितवष
लगभग 700 परी ाक म भाग लेते ह। ये
वेिशका, थमा, म यमा तथा उ मा कहलाती
ह। िहंदी सािह य िवषय के अितिर आयुवद,
अथशा , राजनीित, कृिष, एवं िश ाशा म
उपािधपरी ाएँ स मेलन ारा ली जाती ह। िहंदी
सािह य स मेलन और उसकी ादेिशक
शाखाओ ं ारा िहंदी का जो सावदेिशक चार
आ, उसके पिरणाम व प देश की वतं ता के
आंदोलन के साथ साथ िहंदी को रा भाषा के
प म वीकार िकए जाने का आंदोलन ती तर
आ और िफर वतं ता ा त के बाद भारतीय
संिवधान म िहंदी को रा भाषा का पद िदया
गया।

स मेलन का उ े य
िह दी सािह य स मेलन का उ े य है -

देश यापी यवहार और काय म सहजता


लाने के िलए रा िलिप देवनागरी और
रा भाषा िह दी का चार करना;
िह दीभाषी देश म सरकारी त , सरकारी,
अ सरकारी, गैर सरकारी िनगम, ित ठान,
कारखान , पाठशालाओ,ं िव िव ालय , नगर-
िनगम , यापार और यायालय तथा अ य
सं थाओ,ं समाजो, समूह म देवनागरी िलिप
और िह दी का योग कराने का य न करना;
िह दी सािह य की ीवृि के िलए मानिवकी,
समाजशा , वािण य, िविध तथा िव ान और
तकनीकी िवषय की पु तक िलखवाना और
कािशत करना;
िह दी की ह तिलिखत और ाचीन साम ी
तथा िह दी भाषा और सािह य के िनम ताओ ं
के मृित-िच न की खोज करना और उनका
तथा कािशत पु तक का सं ह करना;
अिह दीभाषी देश म वह की देश सरकार ,
बुि जीिवय , लेखक , सािह यकार आिद से
स पक करके उ ह देवनागरी िलिप म िह दी के
योग के िलए तथा स पक भाषा के प म भी
िह दी के योग के िलए िे रत करना;
िह दीतर भाषा म उपल ध सािह य का िह दी
म अनुवाद करवाने और काशन करने के
िलए हर स भव य न करना और थकार ,
लेखक , किवय , प -स पादक , चारक को
पािरतोिषक, शंसाप , पदक, उपािध से
स मािनत करना।

स मेलन से स ब सं था
स मेलन पी इस िवशाल वटवृ की अनेक
शाखाएँ, शाखाएँ पूरे देश म िह दी चार म लगी
ई ह। इनम से कुछ सं थाएँ स मेलन से सीधे
स ब ह और कुछ रा भाषा चार सिमित,
वध के मा यम से जुड़ी ह। उ र देशीय िह दी
सािह य स मेलन; म य देश िह दी सािह य
स मेलन, भोपाल; हिरयाणा ादेिशक िह दी
सािह य स मेलन, गुड़ग व; ब बई ा तीय िह दी
सािह य स मेलन, ब बई; िद ली ा तीय िह दी
सािह य स मेलन, िद ली; िव य ादेिशक िह दी
सािह य स मेलन, रीवा; ामो थान िव ापीठ,
सँगिरया, राज थान; मैसर
ू िह दी चार पिरष ,
बगलूर; म य भारत िह दी सािह य सिमित,
इंदौर; भारते द ु सिमित कोटा, राज थान तथा
सािह य सदन, अबोहर भी स मेलन से सीधे
स ब ह।

अिधवेशन की पर परा
अपने थापना वष (सन् १९१०) से ही येक वष
िह दी सािह य स मेलन िह दी के उ कष से
संबंिधत ताव के ि या वयन हेतु स मेलन
आयोिजत करने लगा, िजसे बाद म 'अिधवेशन'
नाम िदया गया। स मेलन के इस अिधवेशन की
गौरवमयी परंपरा १९१० से वतमान तक िनरंतर
चलती आ रही है , िजसमे काशी, याग,
कलक ा, भागलपुर, लखनऊ, जबलपुर, इंदौर,
बंबई, लाहौर, कानपुर, िद ली, देहरादन ं ावन,
ू , वृद
भरतपुर, मुज फरपुर, गोरखपुर, झ सी,
वािलयर, नागपुर, म ास, िशमला, पूना, अबोहर,
हिर ार, जयपुर, उदयपुर, कर ची, मेरठ,
है दराबाद और कोटा आिद म अिधवेशन ए।

िह दी सािह य स मलेन के सभापित

१. महामना पिं डत मदनमोहन मालवीय (सन्


१९१०)
२. पिं डत गोिव दनारायण िम (सन् १९११)
३. उपा याय पिं डत ब ीनारायण चौधरी
' म
े घन' (सन् १९१२)
ं ीराम ( वामी
४. महा मा मुश ं ) (सन्
ानद
१९१३)
५. ीधर पाठक (सन् १९१४)
ु बाबू यामसुंदर दास बी०ए०
६. राय बहादर
(सन् १९१५)
७. महामना महामहोपा याय पिं डत रामावतार
शम (सन् १९१६)
ं ग धी (सन्
८. कमवीर मोहनदास करमचद
१९१८)
९. महामना पिं डत मदन मोहन मालवीय (सन्
१९१९)
ु पिं डत िव णु द
१०. राय बहादर शु ल (सन्
१९२०)
११. डॉ० भगवान दास एम० ए० डी० िल
(सन् १९२१)
१२. पिं डत जग नाथ साद चतुवदी (सन्
१९२२)
१३. पु षो म दास टंडन (सन् १९२३)
१४. पिं डत अयो या िसंह उपा याय 'हिरऔध'
(सन् १९२४)
१५. पिं डत माधवराव स े (सन् १९२४)
१६. ी अमृतलाल च वत (सन् १९२५)
१७. म०म०रा०ब० पिं डत गौरीशंकर हीराच द
ओझा (सन् १९२६)
१८. पिं डत प िसंह शम (सन् १९२८)
१९. ी गणेश शंकर िव ाथ (सन् १९३०)
२०. बाबू जग नाथदास र नाकर बी०ए० (सन्
१९३१)
२१. पिं डत िकशोरीलाल गो वामी (सन्
१९३२)
२२. राव राजा डॉ० याम िबहारी िम
एम०ए० (सन् १९३३)
२३. महाराजा सर सयाजीराव गायकवाड़
(वडोदरा) (सन् १९३४)
ं ग धी (सन्
२४. महा मा मोहनदास करमचद
१९३५)
२५. डॉ० राज साद (सन् १९३६)
२६. सेठ जमनालाल बजाज (सन् १९३७)
२७. पिं डत बाबूराव िव णु पराडकर (सन्
१९३८)
२८. पिं डत अ बका साद वाजपेयी (सन्
१९३९)
२९. ी संपण ं (सन् १९४०)
ू नद
३०. डॉ० अमरनाथ झा (सन् १९४१)
३१. पिं डत माखनलाल चतुवदी (सन् १९४३)
३२. ी गो वामी दास गणेश द (सन्
१९४४)
३३. ं ी (सन्
ी क है यालाल मािणकलाल मुश
१९४५)
३४. ी िवयोगी हिर (सन् १९४६)
३५. महापिं डत रा ल स कृ यायन (सन्
१९४७)
ं दास (सन् १९४८)
३६. सेठ गोिवद
३७. आचाय च बली पा डेय (सन् १९४९)
३८. ी जयच द िव ालंकार (सन् १९५०)
३९. ी ीनाथ िसंह (सन् १९७७)
४०. ी िवयोगी हिर (सन् १९८२)
ं लाल शम (सन् १९८८)
४१. डॉ० हरवश
४२. ं ल' (सन् १९८६)
ी रामे र शु ल 'अच
४३. डॉ० िवजये नातक (सन् १९८८)
४४. डॉ० राममूित ि पाठी (सन् १९८९)
४५. डॉ० सूय साद दीि त (वतमान)

कािशत पि का
स मेलन के सािह य िवभाग ारा एक ैमािसक
शोधपि का "स मेलन पि का" का काशन होता
है ।

रा भाषा स देश (मािसक),


धान संपादक : ी िवभूित िम

पता : िह दी सािह य स मेलन याग, १२,


स मेलन माग, इलाहाबाद-३ (उ. .)

स दभ
1. HINDI SAHITYA SAMMELAN ACT 1962

इ ह भी देख
नागरी चािरणी सभा
िव िह दी स मेलन
भारतीय भाषा स मेलन
स मेलन पि का

बाहरी किड़य
िह दी सािह य स मेलन का जालघर
वभाषा िवकास और िह दी सािह य स मेलन
( व ा)
याग म ऐितहािसक िह दी सं थाएं भाग - २
(िह द ु तानी अकादमी)
िहंदी सािह य स मेलन अिधिनयम, १९६२
ं ा धर शम "िहंद ु तान"
ीत के गीत : गग

"https://hi.wikipedia.org/w/index.php?
title=अिखल_भारतीय_िहंदी_सािह य_स मेलन&oldid=3
809632" से िलया गया

Last edited 9 days ago by अनुनाद िसंह

साम ी CC BY-SA 3.0 के अधीन है जब तक अलग से


उ लेख ना िकया गया हो।

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