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हमारे े रणा ोत महा ा गां धी

महा ा गां धी- एक ऐसा नाम िजसे सु नकर एक ऐसे तं ता से नानी का चे हरा हमारे सामने आ जाता है
िज ोने अिहं सा के माग पर चलते ए अं ेजो की नाक म दम कर िदया था। गां धी जी एक महान सोच वाले
साधारण से थे िज ोने अपनी अंितम सां स तक दे श के बारे म सोचा और भारत को आजादी िदलाने
म एक मह पू ण योगदान िदया।

महा ा गां धी का पु रा नाम मोहनदास करमचंद गां धी था िज ाज 2 अ ू बर 1869 को गुजरात के


पोरबंदर म आ। उनके िपता का नाम करमचं द गां धी था जो की कािठयावाड़ (गुजरात) की एक छोटी सी
रयासत के दीवान थे । उनकी माता का नाम पुतलीबाई था जो की एक धािमक मिहला थी। महा ा गां धी का
िववाह महाज 13 साल की उमर म क ूरबा गां धी के साथ आ था। िववाह के 2 साल बाद ही गां धी जी के
िपता का िनधन हो गया था।

ऐसी प र थित के बाद भी गां धी जी ने हार नही ं मानी और अपनी पढाई पू री करने के िलए अहमदाबाद गए
और िफर 1888 म लंदन जाकर वकालत की पढ़ाई करने का िनणय िकया।

महा ा गां धी का जीवन और उनके आदश सभी के िलए एक े रणा का ो है । जो उ ोंने अपने जीवन म
ा िकया है वो िकसी चम ार से कम नही ं है और इिसिलए वह करोडो िहं दु ािनयो के िदलो म राज
करते ह।

23 साल की उ म भारितयो पर दि ण अ ीका म िकए जा रहे न ीय भे द ने उ ब त आहत िकया और


उसके तहत उनके पास थम ेणी का िटकट होते ए भी ध े मार कर टे न से बहार कर िदया। इसके
बाद उ ोन जाित, वग और िलंग के आधार पर भे दभाव जैसी कई कु रितयो को ख़ करने का िन य िकया
और उसमे सफल भी ए|

1915 म जब वे भारत लोटे तब भारत गुलामी की जं जीरो म जकड़ा आ था। तब दे श को ऐसे की


आव कता थी जो दे श को तं कराने के िलए एक नई िदशा दे सके। ऐसे म गां धी जी ने अपने गु गोपाल
कृ गोखले के साथ िमलकर भारतीय रा ीय कां ेस म शािमल होने का िनणय िकया और उनके गु के
ने म दे श की प र थितयो को समझने के िलए अलग अलग दे शो म मण िकया और लोगो का सहयोग
िलया।

उ े महा ा, रा िपता, या बापू जै से नामो से भी पु कारा जाता है । उ ोन लाखो लोगो को अं ेजो के खलाफ
आजादी की लड़ाइ म आने के िलए े रत िकया ोकी वो चाहते थे की सभी दे शवासी अपने तं ंता के
मह को समझे ।

उनका मानना था की हम अपना दे श चलाने म स म है और हमारी सं ृ ित हम बदलने की ज रत नही ं।


उनके पहनावे के तारीके से ही पता चलता है की वे िवदे शी उ ादों का इ माल करने के स खलाफ थे ।
यही कारण था की उ ोन पा ा सं ृ ित का ाग करके भारतीय िमलो म बने खादी के कपड़ो को
अपनाने के िलए कहा और अं ेजी कुमत के नमक के कानू न का पालन न करने के िलए लोगों से आ ह
िकया िक वो खु द नमक बनाये । इसके िलए उ ोंने दां डी या ा शु की िजसमे हर वग के लोगो ने उनका
साथ िदया। िजसने इस बात को सािबत िकया की महा ा गां धी हर तबके के लोगो को एक समान दे खते ह
और इसिलये वो हर समाज के सवमा ने ता भी थे ।

उ ोन मिहलाओ की तर ी पर भी जोर िदया और पु षो के साथ कंधे से कंधा िमलाकर काम करने को


कहा।

इसके साथ ही उ ोन िविभ तं ता सं ाम और जन आं दोलन जै से चं पारण स ा ह, भारत छोड़ो,


असहयोग आं दोलन, सिवनय अव ा, खलाफत आं दोलन िकया जो भारत की तं ता म मह पू ण भू िमका
िनभाते है ।

इनके बीच काई बार उ े जेल भी जाना पड़ा लेिकन उ ोंने हार नही ं मानी और भारत को अं गरे जो के
अ ाचारो से मु कराने के िलए अपना पू रा जीवन समरिपत कर िदया।

गां धी जी के िस ां त िसफ हमरे दे श तक सीिमत नही ं थे, उनकी स और अिहं सा वादी िवचारधारा से
मािटन लूथर और ने न मंडेला भी भािवत ए और नासिलय भे द के खलाफ सं घष िकया। उ ोंने
अपने जीवन म कुछ नै ितक मू अपनाऐ िज े लोग आज भी मानते ह। ये है - अिहं सा, स ाई,
आ िनभरता, ई र पर भरोसा, चोरी न करना, आ अनु शासन, समानता और भाईचारा।

भारत के लोग उनका अनु सरण करते ह ोंिक उ ोंने अपनी गलितयों को ीकर िकया और कभी िकसी
और को दोषी नही ं ठहराया । वो एक साधरण से इं सान थे िज ी बाते िशि त और अिशि त, गरीब और
अमीर सबको आसनी से समझ म आती थी। उनकी स ाई और िवन ता ने ही उ े महा ा बनाया िदया।

महा ा गां धी ने 8 अग 1942 म दसरे िव यु के दोरान अं ेजो को भगाने के िलए भारत छोडो आं दोलन
की शु आत की थी। इसमे उ ोन करो या मारो पर भाषण िदया। इस यु के अं त तक ि िटश सरकार ने ये
साफ कर िदया था िक वो सारे अिधकार और ताकत भारत को सौंप दे गी।

हम गां धी जी के जीवन से ब त कुछ सीख सकते ह। उनका जीवन हम े रणा दे ता है जो की अभी तक े म,


शां ित, ईमानदारी और स ाई की सबसे खू बसू रत त ीर िदखाता है । उनके कुछ ऐसे िवचार म आपको
बताना चाहती ं जो आज भी अमल म लाए जाए तो पाक प रवतन ला सकते है । उनके िवचार कुछ इस
कार ह -

1. अपने िवचारो के िसवाय कुछ नही ं है । वो जो सोचता है बन जाता है ।


2. कामजोर कभी माशील नही ं हो सकता। माशीलता तकतवर की िनशानी है और कोई कायर ार नही ं
कर सकता, ये तो बहादु र की िनशानी है ।

3. असली सं पदा ा है न की सोना और चां दी

4. जब भी आपका िकसी िवरोधी से सामना हो तो आप उसे ार से जीते।

5. मृ ु िकसी भी समय आए, दु आ है लेिकन एक यो ा जो स के िलए मर जाता है , के िलए, ये दोगुना


स ान है । मृ ु कोई शै तान नही ं है , ब दो ो म सबसे स ी है । वो हम पीड़ा से बचाती है ।

6. िकसी रा की महानता और उसकी नैितक गित का अं दाजा इस बात से लगाया जा सकता है की उस


दे श के जानवरों के साथ केसा वहार िकया जाता है ।

7. आपको मानवता म िव ास नही ं खोया चािहए। मानवता एक सागर है । आगर सागर की कुछ बू े गंदी है
तो इसका मतलब ये नही ं है की पूरा सागर ही गंदा है ।

8. खु शी तब होती है जब आप जो सोचते ह, जो कहते ह और जो करते ह उनमे सामंज बैठा पाए।

9. गौरव ल पाने की कोिषश करने म है ना की ल तक प चने म।

10. ताकत शारी रक श से नही ं आती। वह अद इ ाश से आती है । धैय का एक छोटा सा िह ा


भी एक टन उपदे श से बेहतर है ।

दू सरे लोग इन िस ां तों का पालन करे इससे पहले गां धी जी ने इन िवचारो को अपने दै िनक जीवन म
अनु सरन िकया। म गां धी जी से े रत ँ ोिक वो एक बहादु र और आ िव ासी थे । उ ोन दे श को
तं ता िदलाने म अपने ाणों की आ ित दे दी। वो एक महान ने ता थे िजनका जीवन तो सादा था लेिकन
िवचार उ थे ।

हर साल 30 जनवरी 1948 को शहीद िदवस मनाया जाता है । नाथूराम गोडसे ने रा िपता को उस व गोली
मार कर ह ा कर दी जब वे िद ी के िबड़ला भवन म शाम की ाथना से उठ रहे थे ।

महा ा गां धी की शवया ा को आजाद भारत की सबसे बड़ी शवया ा कहा जाता है । गां धीजी को अं ितम
िवदाई दे ने के िलए करीब 10 लाख लोग साथ म चल रहे थे और 15 लाख लोग रा े म खड़े थे ।

गां धी जी के बारे म महान वै ािनक आईं ीन ने कहा था की हजारो साल बाद आने वाली न े इस बात पर
मु ल से िव ास करगी की हाड मास से बना ऐसा इं सान भी धरती पर कभी आया था।

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