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स्मृ ति मं थन
यादें
When the great Nature is in happy moods
पिताजी पर कुछ पं क्तियां लिखनी चाहीं पर कुछ पं क्तियों में पिताजी के बारे
में लिखना असं भव है !
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स्मृ ति मं थन
ॐ राम हरि |
पूज्य अखिल भाई हमारे निवे दिता निलयम में दस वर्ष रहे | उस
अवधि में निलयम के यु वाओं के लिए वो त्रिविध ऋषि थे |
३. गाँ धी विनोबा के यु गानु कूल सर्वोदय मिशन ने उनको एक आकाश ध्रुव दिखा
दिया था| भे दभाव विहीन आदर्श समाज बनाने का नशा चढ़ा हुआ एक
एकादश व्रती कार्यकर्ता उनमेँ से हर क्षण समाज अभिमु ख होता रःटा था |
"आओ हम इतिहास बनाएँ ", उनका यह अमर गीत निलयम के यु वाओं के लिए
मु ख्य गाना बन गया | उनके हाथ के नीचे जीवन रस पाए हुए यु वा अपने अपने
पराक् रम के क्षे तर् में जहाँ जहाँ गये उनके पीठ थपथपाने के लिए श्री अखिल
भाई पहुँच जाया करते थे | यह वात्सल्य और सरलता भी अद्वितीय ही था |
हमने कहा, "८० वर्ष की आयु में सारी दिशाएं आपको अपना बनाना चाहे गी |
स्मृ ति मं थन
बाल मस्ती में मज़ा आए वही कीजिएगा | हम उसीमें बड़े सं तोष पाएँ गे; क्यूंकी
आप कृतार्थ हैं | "
किशोर
हमारे नानाजी
A man of yesterday, today and tomorrow
Today, we (No, not the Pandyas, nor the Voras. But the
human beings) are rushing to secure our future by
overusing whatever resources we come across.
वं दन .. ૐ शां ति.
हे ! मानवता के महादूत
सविता भागवत
तु म मानवता ू ,
के महादत तु म दिग्विजयी, तु म महाजयी,
तु म सत्यधर्म आराधक हो। तु म धर्म, न्याय के नायक हो।
तु म यु ग निर्माणी मनु ज श्रेष्ठ, तु म ज्ञानवान, तु म शीलवान,
तु म "सँ स्कृति-दे व" उपासक हो 2) तु म भारत-भाग्य विधायक हो। 4)
स्मृ ति मं थन
मेरे पिताजी
विनय कुमार पं ड्या