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पवार का बदलता
Changing nature of festivals
भारत म O आए दिन कोई-न-कोई पव और ोहार मना लिया जाता है। यहाँकभी महापुषोंकी रणाद
पुर्वतिथयोंतथा जयंतियोंका आयोजन किया जाता हैतो कभी ऋतुमौसम, महीनेके आगमन और थान पर पवमनाए
जातेह ce। साथ ही धमक तथा वितीय पवएवं ोिहर भी मनाए जातेह ce | इनम Ó सेरा ीय और धिम०क
विवशेष महीं रखते। कु छ पवा ऐसेहोते. विज सारा देश बिना किसी भेदभाव के मनाता है और इनको मनानेका
तरीका भी लगभग एक-सा होता है। येरा Ō तीय पवाकहलातेह ce| -तंÜ ता विदवस, गणतं विदवस, गांधी
जयंती (2 अ g बर) को इसी wo णी रखा जा सकता है। इनके अलावा कु छ विहार धमाल के आधार पर
मनाए जाते। इनम सेकु छ को हिंदू मनाते तो मुसलमान नहीं और मुसलमान मनाते तो विसन या इसाई नहीं
कि येउनके धूम० से संबंधित होतेce | दीपावली, दशहरा, बंधन, होली, मकर संगित तथा वसंत पंचमी हिंदुओं
से संबंधित पवायात्वोहार मानेजाते तो ईद-उल-जुहा, बकरीद, मोहरा०म आिद मुसिलम
धम० माननेवालोंके विहार ह००।
बैसाखी. लोहड़ी सिख धम० से संबंधित विहार तो सिमस ईसाई धमा० माननेवालोंका ोहार है। भारत मपव
मनानेकी परंपरा कितनी पुरानी है, इस संबंध म सही-सही कु छ नहीं कहा जा सकता है। हाँ, Faोहारोंम
एक बात जड़ हर समय पाई जाती रही कि इनके मूल म एकता तथा उपास तथा उमंग का भाव विनिहत
रहा है। Faोहारोको मनाने के पीछे कोई-न-कोई चटनी या कारण अव रहता है, जो हम तवष इसे मनानेके
लिए रत करता है।
उदाहरणाथा दीपावली के दिन भगवान रामचंधजी के वनवास की अविध विबताकर अयोool वापस आए तो
लोगों नेखुश होकर घी के दीप जलाकर उनका स्वागत किया। उसी घटना की याद म आज भी
तवषघी के दीपक जलाकर उस घटना की याद किया जाता है और खुशी कट की जाती है। बाजार के भाव
के कारण हमारा जीवन काफी भिावत आ है तो हमारेपवइसके भाव सेकै सेबच पाते। पवार पर बाजार का
for क भाव पड़ा है।
पहलेब DZ राम लीला करनेया खेलने के लिए अपने आसपास उपला साधनोंसेधनुष-बाण, गदा आिद बना
लेतेथे चेहरेपर कृ तिक रंग आिद लगाकर किसी पा का अिभनय करतेथे, पर आज धनुष-बाण हो या गदा,
मुखौटा हो या अ Q सामान सभी कु छ बाजार म० उपला है।
DZ के खिलौनों से बाजार भरा है। सबै कु छ मशीन विनिमत । रंगबिरंगी आतशबाजय कतनी मनमोहक होती
ह ce. यह बतानेकी आवश्कता नहींहै। सब बाजार के बढ़ते भाव का असर है। कोई भी पाया Foोहार हो
उससेसंबंधित काठोंसेबाजार भरा है। समय की गित और युग पारवतान के कारण युवकों के धिमक सोच म
काफी बदलाव आया है।
युवाओंका Úाचीन भारतीय संत के वित लगाव कम होता जा रहा है। विवदेशी संठित ति [रवाज, फै शन को
मह देने लगेह ce। इस कारण आज हमारे समाज मा पवार को भीकृ ति मिलती जा रही है। युवाओंका वेल
ंटाइन डे मनानेके वित बढ़ता ज इसकः जीता-जागता उदाहरण है। आज की पीढ़ी को परंपरागत भारतीय
तोहारोंकी जानकारी भर्तेन हो पर वेपा पवार की जर जानतेह। पवार नहरोंके मनानेके तौर-तरीके और उनके
बदलाव आनेका सबसे मुख कारण मनु के पास समय का अभाव है। आज मनु के पास दस दिन तक
बैठकर राम-लीला देखनेका समय नहीं है। महँगाई की मार सेपरेशान ह ce उनके लिए दो जून की रोटी
जुटाना मुल हो गया है। जिनके पास मूलभूत सुिवधाएँ सुखमय जीवन जीनेकी लालसा मदन-री रहते और
पवहार के लिए भी मुसे समय निकाल पाते बदलतेसमय के साथ-साथ पवार के बदलाव आया है। महँगाई,
समयाभाव बाजार के बढ़ते प्रभाव नेइ YOU भावत जर किया है. पर इनकी उपयिोगता हमेशा बनी रहेगी।
इनके बिना जीवन सूखेरिंगन के समान हो जाएगी।
1. वजीर अली का मकसद COT था?
वह अवध को ऑ जोंसेमुb कराना चाहता था |
2. ऐके अिषर पीव का पढ़ेपंडित होइ इस प ib oारा किव ६ ol कहना चाहता है ? उधर एकै अिषर
पीव का पढ़ेपंडित होइ - इस प ib मकिव ई र म को मह देतेš ए कहना चाहता हिक ई र
किसी nib को पंडित बनानेके लिए काफी है। 3. बड़े भाई की भावगत विशेषताएँ बताइए?
म का एक और ही
बड़ा भाई बड़ा ही परमी था। वह दिन-रात पढ़ाई मही जुटा रहता था इसिलए खेल-कू द, ठिके ट मैच आद म
उसकी कोई चि नहीं थी। वह बार-बार के लं होनेके बावजूद पढ़ाई मलीन रहता थी। ।
बड़ा भाई उपदेश की कला म Š त मिहिर है इसिलए वह अपनेछोटे भाई को उपदेश ही देता रहता है, कि
वह अपनेछोटे भाई को एक नेक इंसान बनाना चाहता है।
वह अनुशासनिÚ य है, सितिÚ य है, आठिनयंण करना जानता है। वह आदशावादी बनकर छोटे भाई के
सामनेएक उदाहरण ुत करना चाहता है।
बड़ा भाई अपनेछोटेभाई सेपाँच साल बड़ा है इसिलए वह अपने अनुभव पीान को छोटेभाई को भी देता है।
4. बड़े भाई साहब को अपनेमन की इ Dzo ऍोंदबानी पड़ती थीं?
बड़ेभाई साहब बड़ेहोनेके नातेयही चाहते और किोशश करतेथिक वेजो कु छ भी कर, वह छोटे भाई के लिए
एक उदाहरण का काम करे। उप Ö अपनेनितक कत का बोध था कि यूँ अनुशिसित रह कर ही वेभाई को
अनुशासन में रख पाएँगे। इस आदशा तथा गरमामयी थित को बनाए रखनेके लिए उप अपनेमन की इ DZ
ऍदबानी पड़ती थीं
5. सुलेमान, शेख अयाज के पिता और नूह के भाव की उन विशेषताओंका उठेख किीजए, जो उ आज के से
अलग करती है।
मनु
स ुलेमान, शेख अयाज़ के पिता तथा नूह तीनोंही भाव सिवन, पशु-पियोंसेटेम करनेवाले, दयालु और
परोपकारी थे। इनके इन गुणोंके कारण ही ये आज भी लोगोंके दिलोंम० जिीवत ह ce |
14. कर चले हम फिदा किवता मदेशविासयों से EOI अपेाएँ की गई ह ce? Col हम उन अपेाओं को
पूरा कर रहे ह ce? तक सिहत उर दिीजए ।
इस किवता म Ö किव ने देशविासयों से बिलदानी सैिनकों के मन की आवाज सुनने और उसी की तरह देश
की रा हेतु
सव= समपण को तार रहने की शपथ लेने की अपेI की है। किव चाहता है ठिक हम बिलदान की राह को
सूना न होने दं वरन् किाफला बनाकर उसम शिामल होते रहीं। किव अपेा करता है जो भी हाथ हमारी
भारतमाता की ओर उठे हम उसे काट द। यपि आज का मनुथ हो रहा है लिंकन जब-जब देश पर कोई
संकट आता है तब-तब वह सभी भेदभाव और आपसी मनमुटाव भुलाकर देश की रा हेतु संगिठत होकर जुट
जाता है।
अपने बिजली संकट से किठनाइयोंका ठान दिनक समाचार प के संपादक को लिखेप के मा०म से
आकिषत कराइए
सेवा म०,
संपादक महोदय
दिनक समाचार प
मेरठ।
विषय- 100 बिजली संकट से किठनाइयोंहेतु ।
महोदय,
म ce आपका Đान संजय नगर, पांडव नगर, मेरठ
बिजली की अनयिमत जल आपिता की ओर आकिषत करना
चाहता । इस ü म 24 घंटेम के वल 12 घंटेही बिजली आती है। 100 के निवासियोंको बिजली की
आपिता का सामना करना पड़ रहा है। इसके साथ ही अिधकतर रात मबिजली की कटौती होती है। ठातः
मठ भी बिजली की
आपूित अनयिमत है।
कई बार रात के दो दो दिन तक बिजली नहीं आती। बिजली की इस आपिता को लेकर 100 के
निविासयोंम रोष है। इससे पूवाभी अनेक बार थानीय अिधकायोंको मइस समय से अवगत करा चुका डाॅ. परंतु
थित मकोई सुधार
नहींआ है।
अतः आपसे
थाना हक इस 100 मठ बजली की समिचत
था कराने हेतुउिचत कदम उठानेकी कृ पा कर ।
म ce और मेरा पूरा
सदैव आपके आभारी रहगे।
ध Q वाद |
भवदीय
संजय कु मार
ह ....