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चं शेखर आज़ाद एक म
भारतीय ि तकार
 25/06/2020  admin  0

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भगत संह क जीवनी


 27/06/2020  admin  0 Comments  Achievements of Bhagat Singh,

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भगत संह क जीवनी, भगत संह क ारं भक जीवन  Edit

उपलि धयां :

भा
रत के ि तकार आंदोलन को एक नई दशा द , पंजाब म
ां त के स दे श को फ़ैलाने के लए नौजवान भारत सभा का
गठन कया, भारत म गणतं क थापना के लए चं शेखर
आजाद के साथ मलकर हंद ु तान समाजवाद जातं संघ
का गठन कया, लाला लाजपत राय क मौत का बदला लेने के लए पु लस अ धकार
सॉ डस क ह या क , बटुके वर द त के साथ मलकर के य वधान सभा म बम
फेका

शह द भगत संह भारतीय


वतं ता सं ाम के मख

ां तका रय म से एक थे। मा
24 साल क उ म दे श के लए
सव च ब लदान दे ने वाला यह
वीर सदा के लए अमर हो गया।
उनके लए ां त का अथ था –
अ याय से पैदा हुए हालात को
बदलना। भगत संह ने
यरू ो पयन ां तकार आंदोलन
के बारे म पढ़ा और समाजवाद
क ओर अ य धक आक षत
हुए। उनके अनस
ु ार, टश
शासन को उखाड़ फेकने और
भारतीय समाज के पन
ु नमाण
के लए राजनी तक स ता
हा सल करना ज र था।
भगत संह
हालाँ क अं ेज सरकार ने उ ह
आतंकवाद घो षत कया था पर सरदार भगत संह यि तगत तौर पर आतंकवाद के
आलोचक थे। भगत संह ने भारत म ां तकार आंदोलन को एक नई दशा द ।
उनका त काल न ल य टश सा ा य का वनाश करना था। अपनी दरू द शता और
ढ़ इरादे जैसी वशेषता के कारण भगत संह को रा य आंदोलन के दस
ू रे नेताओं से
हटकर थे। ऐसे समय पर जब गांधी और भारतीय रा य कां ेस ह दे श क आजाद
के लए एक मा वक प थे, भगत संह एक नयी सोच के साथ एक दस
ू रे वक प के
प म उभर कर सामने आये।

ारं भक जीवन :
भगत संह का ज म पंजाब के नवांशहर िजले के खटकर कलां गावं के एक सख
प रवार म 27 सत बर 1907 को हुआ था। उनक याद म अब इस िजले का नाम
बदल कर शह द भगत संह नगर रख दया गया है । वह सरदार कशन संह और
व यावती क तीसर संतान थे। भगत संह का प रवार वतं ता सं ाम से स य
प से जड़
ु ा हुआ था। उनके पता कशन संह और चाचा अिजत संह ग़दर पाट के
सद य थे। ग़दर पाट क थापना टश शासन को भारत से नकालने के लए
अमे रका म हुई थी। प रवार के माहौल का यव
ु ा भगत संह के मि त क पर बड़ा असर
हुआ और बचपन से ह उनक नस म दे शभि त क भावना कूट-कूट कर भर गयी।

1916 म लाहौर के डी ऐ वी व यालय म पढ़ते समय यव


ु ा भगत संह जाने-पहचाने
राजनेता जैसे लाला लाजपत राय और रास बहार बोस के संपक म आये। उस समय
पंजाब राजनै तक प से काफ उ तेिजत था। जब ज लआंवाला बाग़ ह याकांड हुआ
तब भगत संह सफ १२ वष के थे। इस ह याकांड ने उ ह बहुत याकुल कर दया।
ह याकांड के अगले ह दन भगत संह ज लआंवाला बाग़ गए और उस जगह से म ी
इक ा कर इसे परू िजंदगी एक नशानी के प म रखा। इस ह याकांड ने उनके
अं ेजो को भारत से नकाल फकने के संक प को और सु ढ़ कर दया।

ि तकार जीवन :
1921 म जब महा मा गांधी ने टश शासन के खलाफ असहयोग आंदोलन का
आ वान कया तब भगत संह ने अपनी पढाई छोड़ आंदोलन म स य हो गए। वष
1922 म जब महा मा गांधी ने गोरखपरु के चौर -चौरा म हुई हंसा के बाद असहयोग
आंदोलन बंद कर दया तब भगत संह बहुत नराश हुए। अ हंसा म उनका व वास
कमजोर हो गया और वह इस न कष पर पहुंचे क सश ां त ह वतं ता दलाने
का एक मा उपयोगी रा ता है । अपनी पढाई जार रखने के लए भगत संह ने लाहौर
म लाला लाजपत राय वारा था पत रा य व यालय म वेश लया। यह
वधालय ां तकार ग त व धय का क था और यहाँ पर वह भगवती चरण वमा,
सख
ु दे व और दस
ू रे ां तका रय के संपक म आये।

ववाह से बचने के लए भगत संह घर से भाग कर कानपरु चले गए। यहाँ वह गणेश
शंकर व याथ नामक ां तकार के संपक म आये और ां त का थम पाठ सीखा।
जब उ ह अपनी दाद माँ क बीमार क खबर मल तो भगत संह घर लौट आये।
उ ह ने अपने गावं से ह अपनी ां तकार ग त व धय को जार रखा। वह लाहौर गए
और नौजवान भारत सभा नाम से एक ां तकार संगठन बनाया। उ ह ने पंजाब म
ां त का स दे श फैलाना शु कया। वष 1928 म उ ह ने द ल म ां तका रय क
एक बैठक म ह सा लया और चं शेखर आज़ाद के संपक म आये। दोन ने मलकर
हंद ु तान समाजवाद जातं संघ का गठन कया। इसका मख
ु उ े य था सश
ां त के मा यम से भारत म गणतं क थापना करना।

फरवर 1928 म इं लड से साइमन कमीशन नामक एक आयोग भारत दौरे पर


आया। उसके भारत दौरे का मु य उ े य था – भारत के लोग क वय तता और
राजतं म भागेदार । पर इस आयोग म कोई भी भारतीय सद य नह ं था िजसके
कारण साइमन कमीशन के वरोध का फैसला कया। लाहौर म साइमन कमीशन के
खलाफ नारे बाजी करते समय लाला लाजपत राय पर ू रता पव
ू क लाठ चाज कया
गया िजससे वह बरु तरह से घायल हो गए और बाद म उ ह ने दम तोड़ दया। भगत
संह ने लाजपत राय क मौत का बदला लेने के लए टश अ धकार कॉट, जो
उनक मौत का िज मेदार था, को मारने का संक प लया। उ ह ने गलती से सहायक
अधी क सॉ डस को कॉट समझकर मार गराया। मौत क सजा से बचने के लए
भगत संह को लाहौर छोड़ना पड़ा।

टश सरकार ने भारतीय को अ धकार और आजाद दे ने और असंतोष के मल



कारण को खोजने के बजाय अ धक दमनकार नी तय का योग कया। डफे स
ऑफ़ इं डया ऐ ट के वारा अं ेजी सरकार ने पु लस को और दमनकार अ धकार दे
दया। इसके तहत पु लस सं द ध ग त व धय से स बं धत जल
ु स
ू को रोक और
लोग को गर तार कर सकती थी। के य वधान सभा म लाया गया यह
अ ध नयम एक मत से हार गया। फर भी अँगरे ज़ सरकार ने इसे जनता के हत म
कहकर एक अ यादे श के प म पा रत कये जाने का फैसला कया।

भगत संह ने वे छा से के य वधान सभा, जहाँ अ यादे श पा रत करने के लए


बैठक का आयोजन कया जा रहा था, म बम फकने क योजना बनाई। यह एक
सावधानी पव
ू क रची गयी सािजश थी िजसका उ े य कसी को मारना या चोट
पहुँचाना नह ं था बि क सरकार का यान आक षत करना था और उनको यह
दखाना था क उनके दमन के तर क को और अ धक सहन नह ं कया जायेगा।
8अ ल
ै 1929 को भगत संह और बटुके वर द त ने के य वधान सभा स के
दौरान वधान सभा भवन म बम फका। बम से कसी को भी नक
ु सान नह ं पहुचा।
उ ह ने घटना थल से भागने के वजाए जानबझ
ू कर गर तार दे द । अपनी सन
ु वाई
के दौरान भगत संह ने कसी भी बचाव प के वक ल को नयु त करने से मना कर
दया। जेल म उ ह ने जेल अ धका रय वारा साथी राजनै तक कै दय पर हो रहे
अमानवीय यवहार के वरोध म भख
ू हड़ताल क ।

7 अ टूबर 1930 को भगत संह, सख


ु दे व और राज गु को वशेष यायलय वारा
मौत क सजा सन
ु ाई गयी। भारत के तमाम राजनै तक नेताओं वारा अ य धक
दबाव और कई अपील के बावजद
ू भगत संह और उनके सा थय को 23 माच 1931
को ातःकाल फांसी दे द गयी।

भगत संह

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