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Hindi Assignment
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“अं धेर नगरी” भारतें दु हरिशचं दर् का एक ऐसा प्रसन्न है जिसमें उन्होंने तत्कालीन
समाज में फैली अने क समस्याओं की ओर ध्यान आकर्षित करने का प्रयत्न किया है ।
भारतें दु हरिशचं दर् जी ने उस समय समाज में फैली हुई कुरीतियां , अं धविश्वास, नारी
कि समाज में दशा, समाज में फैली हुई विषमता, मं दिरों में फैली हुई पाखं ता और
अनाचार के ऊपरअपनी कलम चलाई। भारतें दु हरिश्चं दर् ने अपने नाटक “अं धेर नगरी”
में निम्नलिखित समस्याओं को उठाया है -
3) रिश्वतखोरी की समस्या-
अं गर् े जों के समय में न्यायालय में रिश्वत का बोलबाला था। न्याय पै से के अधीन हो
गया था । ईमानदारी, सच्चाई की जगह चारों तरफ पै से का बोलबाला हो गया था और
आदमी रिश्वत ले कर झठ ू बोलते थे । आदमी बिकाऊ हो गए थे ।आदमियों ने सच्चाई
का साथ छोड़ दिया tha। पै से के बलबूते पर अमीर आदमी कानून को खरीद रहे थे और
गरीब आदमी को न्याय मिलना असं भव बात हो गई थी। अमीर आदमी न्याय अपने
पक्ष में कर ले ते थे और ईमानदार आदमी अपने को ठगा हुआ महसूस करते थे । उदाहरण
-
"चूर्ण अमले सब जो खावे l दन ू ी रिश्वत तु रं त पचाव l"
4) फू ट और बैर -
भारतें दु जी कहते हैं कि हिं दुस्तान के लोग एक दस ू रे से बै र की भावना रखते हैं । उनमें
कोई एकता की भावना नहीं है । सबमें एक दस ू रे के प्रति भे दभाव की भावनाएं हैं । एक
दसू रे के प्रति दुश्मनी है । वह आपस में हिं सा और मनमु टाव की भावना रखते हैं ।
उदाहरण-
“ ले हिं दुस्तान का मे वा फू ट और बै र।“
5) जाति व्यवस्था-
जाति पर बात करते हुए भारतें दु जी कहते हैं कि “अं धेर नगरी” में सारे लोग एक दस ू रे
का मूर्ख बनाते हैं और उनका शोषण करते हैं जै से विल्सन मं दिर के लोग (अमीर लोग)
गरीब लोगों का मूर्ख बनाकर उन पर अत्याचार करते हैं और उनसे पै से लूटते हैं । वै से ही
अं धेर नगरी के निवासी सामान्य लोगों का उत्पीड़न करते हैं । अं धेर नगरी का एक
हलवाई बोलता है कि चाहे 36 तरह के हलवाई हो जिसमें अलग-अलग गु ण honge
ले किन एक सामान्य गु ण उनमें यह है कि वह दस ू रों पर अन्याय करें गे और उनका मूर्ख
बनाकर उनका पै सा लूटेंगे । उदाहरण –
“ऐसी जात हलवाई जिसके 36 कौम है भाई जै से कोलकाता के विल्सन मं दिर के भीतर
यह वै से अं धेर नगरी के हम।“
8) अंधविश्वास की समस्या-
अं धविश्वास उस समय एक बहुत बड़ी समस्या थी। किसी भी बात पर बिना तर्क किए,
बिना सोचे समझे विश्वास कर लिया जाता था।आदमी पु जारियों के बहकावे में आकर
अपना सब कुछ लु टा दे ते थे । यहां तक कि अपने जीवन को भी खत्म करने में उन्हें
सं कोच नहीं होता था। पु जारियों की हालत बहुत पै सों वाली थी और वे जनता को मूर्ख
बनाते रहते थे । और जनता भी उन पर आं ख मीच पर विश्वास करती थी। इसी कारण से
चतु र महाजन ने अपने चे ले को वर्धन दास के प्राण तो बचा लिए और उसके बदले शु भ
मु हर्त
ू का उपदे श दे कर राजा को अपने आप ही फांसी पर लटकने के लिए प्रेरित किया
और राजा अं धविश्वास के कारण फांसी पर चढ़ गया। उदाहरण-
“गु रु : कोई चिं ता नहीं नारायण सब समर्थ है । सु नो, मु झको अपने शिष्य को अं तिम
उपदे श दे ने दो, तु म लोग तने किनारे हो जाओ दे खो मे रा कहना ना मानोगे तो तु म्हारा
भला न होगा।
राजा : चु प रहो, सब लोग। राजा के आछत और कौन बैं कउठ जा सकता है हम को
फांसी चढ़ाओ जल्दी, जल्दी l”
भारतें दु हरिश्चं दर् द्वारा लिखा प्रसन्न "अं धेर नगरी" आज के समाज में भी प्रासं गिक
है । जै से-