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धीरुभाई अंबानी
धीरुभाई अंबानी
धी भाई अंबानी
eISBN: 978-81-2883-541-4
© काशकाधीन
काशक डायमंड पॉकेट बु स ( ा.) ल.
X-30 ओखला इंड टयल ए रया, फेज-II
नई िद ी- 110020
फोन : 011-40712100
ई-मेल : ebooks@dpb.in
वेबसाइट : www.diamondbook.in
सं करण : 2012
Dheerubhai Ambani
By - Renu Saran
िवषय सूची
1. प रचय
2. ज म व बा यकाल
3. अदन क ओर
4. अदन म लक
5. यवसाय का पहला पाठ
6. यापार का आरं भ
7. पहला कज
8. भारत वापसी
9. भारत म आरं भ
10. प रवार का िव तार
11. अदन के िम क सहायता
12. ओनली िवमल
13. मुंबई से गुजरात
14. रलायंस तेजी से आगे ब ी
15. पहला प लक इ यू
16. पटलगंगा प रयोजना
17. आधुिनक िवचारधारा के यि
18. ितभा का वागत
19. टीम वक म भरोसा
20. धी भाई क सफलता का मं
21. प रवार वृ
22. पुर कार व स मान
23. एक बड ा शो मैन
24. अंितम ण
प रचय
उ ोगपित धीरजलाल हीराचंद अंबानी अपने जीवनकाल म एक जाना-पहचाना नाम बनकर
उभरे व धी भाई अंबानी के नाम से जाने गए। एक साधारण अ यापक के इस पु ने अपने उ म
व संक पशि के बल पर वै वक प र य म भारत म होने वाले अथ यव था संबध ं ी बदलाव
म अहम भूिमका िनभाई।
वे मा स ह वष क आयु म अदन गए थे। वहां एक साधारण कमचारी के प म काम
करने पर भी उ ह ने वयं को एक उ ोगपित ही माना व उसी प म सोचा। वे अपने मन म एक
िवशाल कंपनी खोलने का सपना लए ‘शैल ऑयल कंपनी’ के लए काय कर रहे थे।
वे 50,000 क पूज
ं ी के साथ अदन से लौटे। कु छ ही दशक बाद उनके औ ोिगक घराने
क साम य पचास हजार करोड से भी ऊपर पहच ं गई।
ज म व बा यकाल
धीरजलाल अंबानी का ज म 28 िदसंबर 1932 को, गुजरात के जूनाग जले के
चोरवाड नामक गांव म हआ। उनके िपता का नाम हीराचंद गोव नदास था। वे पेशे से
अ यापक थे। माता का नाम जमुनाबेन था। प रवार बहत साधारण था, आ थक प से समृ न
होने पर भी वे लोग आ मिनभर थे।
िपता से ही उ ह ने जीवन के पहले सबक सीखे। उ ह गव था िक उनके िपता अ यापक जैसे
िति त पेशे से जुड े थे, परं तु उ ह यह सोचकर दःु ख होता था िक इतना िति त पेशा भी
उ ह आ थक प से समृ नह कर सकता था। यही कारण था िक उ ह ने िपता के पेशे को न
अपनाने का िनणय लया।
वे आरं भ से ही उसी पथ पर चले, जो भा य ने उनके लए तय कर रखा था। वे माता-िपता
क चौथी संतान थे।
प रवार क आ थक तंगी ने उ ह अहसास िदला िदया था िक शी ही प रवार के पालन-
पोषण का भार उ ह ही उठाना होगा। यही कारण था िक वे अपनी िश ा पूरी नह कर सके।
मैिटक क परी ा के बाद ही उनका यावसाियक जीवन आरं भ हो गया आरं भ म उ ह ने फेरी
लगाने का काय भी िकया।
एक बार उ ह ने थानीय दक ु ानदार से मूंगफली के तेल का टीन उधार म लया व उसे
सड क के िकनारे बैठकर खुला बेचा। इससे कु छ पय का लाभ हआ, जो उ ह ने मां को दे
िदए। िफर वे कू ल क छु ी के बाद गांव क हाट म भ जया बेचने क दक
ु ान लगाने लगे।
अदन क ओर
मैिटक परी ा का प रणाम भी नह आया था िक िपता ने उ ह चोरवाड बुलाकर कहा,
“बेटा! म जानता हं िक तुम आगे भी प ना चाहते हो, पर म तु हारी प ाई का भार नह
उठा सकता। म चाहता हं िक तुम प रवार के लए चार पैसे कमाओ। तु हारे बड े भाई रमणीक
भाई ने अदन म तु हारे लए नौकरी क यव था कर दी है। तुम वहां चले जाओ।”
धी भाई प ने क इ छा तो रखते थे, िकंतु रोगी िपता क आंख म देखते ही वे अपना
सपना भूल गए।
अगले ही िदन वे पासपोट बनवाने के लए राजकोट चल िदए।
इस दौरान, 1954 म अदन म शैल तेल रफाइनरी व पहला तेल बंदरगाह बना। उसी वष वे
गुजरात लौटे तथा उनका िववाह कोिकलाबेन से हआ। ‘ए. वैसी एंड कंपनी’ को ही शैल
रफाइनरी उ पाद के िवतरण का काम स पा गया। धी भाई क पांच साल क मेहनत रं ग लाई।
उ ह पदो ित देकर नए बने बंदरगाह पर तेल भरने वाले टेशन भेज िदया गया।
हालांिक काम मु कल था पर उ ह बहत पसंद आया। यहां उ ह जहाज म जाकर इंजन
टाफ व नािवक से दो ती करने के भरपूर अवसर िमले।
पहला कज
तकरीबन चार दशक पहले िव ीय सं था आई. सी. आई. सी. आई. ने धी भाई को रलायंस
उ ोग के लए पहला ऋण िदया। उन अ धका रय ने सोचा तक नह था िक एक ही वष म
धी भाई िफर से उनके ऑिफस म तयशुदा कज क दसरी
ू िक त लेने आ पहच ं गे।
रलायंस ने यह बाजी मार ली। सारा माल सीधा रटेलर तक पहचं ने लगा। आज से पहले
खुदरा यापा रय को इतने स ते दाम पर माल नह िमला था। इस तरह िबना िकसी चार या
िव ापन के, रलायंस के बाजार ने पकड बना ली। इस दौरान प रवार ने रलायंस फैि क को
‘िवमल’ का नाम िदया। तीन अंबानी भाईय म से सबसे बड े के पु का नाम भी िवमल ही
था।
मुंबई से गुजरात
मुंबई म िमली ारं िभक सफलता से धी भाई का आ मिव वास ब ा और वे ऊंची छलांग
लगाने क तैयारी करने लगे। वे गुजरात लौटे, नरोदा म 15,000 क पूज
ं ी से िमल लगाई गई।
धी भाई ने िमल के लए संथिे टक फाइबर क बेच-खरीद का धंधा शु िकया। उ ह ने िनलान
केिमकल से क ची साम ी लेनी आरं भ क , पर पं ह ही वष ं म सब बदल गया। अब वे उसी
कंपनी को क चा माल देने लगे, जससे वे क चा माल लेते थे।
1966 म कह जाकर धी भाई को यान आया िक उनके ऑिफस के बाहर उनक नामप ी
होनी चािहए, सचमुच उनक सादगी बेजोड थी। तब तक वह नरोदा व अहमदाबाद म छः
दजन कमचा रय के साथ रै प-िनिटंग मशीन पर व उ पादन भी शु कर चुके थे।
रलायंस तेजी से आगे ब ी
िवमल ने तर क क तो दसरे
ू शहर के खुदरा यापा रय ने दसरे
ू ांड बेचने छोड िदए।
वे कहते थे, ‘हम सफ ओनली िवमल’ ही बेचगे।”
धीरे -धीरे ओनली िमल का नाम चमकने लगा। हालांिक कु छ साल बाद वह समय आया जब
इसे कंपनी के सू वा य के प म, रलायंस के अनूठे ओनली िवमल शो म के लए चुना
गया।
रलायंस तेजी से आगे ब ा उ पादन के चार-पांच साल म ही बुनाई क बीस मशीन हो
गई।ं 1972-73 तक बुनाई ‘लूमो’ क सं या 154 तक हो गई थी।
पहला प लक इ यू
1977 के दौरान, उ ह ने पहला प लक इ यू जारी करने क सोची। तब तक वे वयं को
वा लटी फैि क के उ पादक के प म थािपत कर चुके थे।
िपता के जीवनकाल म ही दोन पु ने सारा कायभार अपने कंध पर ले लया था। िपता व
पु म गहरी समझ व तालमेल था। वे ितिदन सुबह के समय दो घंटे, उ ोग से जुड े मु पर
चचा करते। उसम िदन के काय म व रणनीितयां भी शािमल होत थ । इ ह बैठक म, दसरी ू
कंपिनय के बंधक से िमली सलाह पर भी िवचार होता।
इन बैठक म बड ी-से-बड ी सम या हल हो जाती। यिद पूज ं ी क आव यकता होती तो
िमलकर तय िकया जाता िक पूज
ं ी का बंध कहां से हो। यह भी देखा जाता िक िकसी सरकारी
नीित म फेरबदल के कारण उ ह अपनी औ ोिगक नीित को बदलना होगा या नह । येक के
क य व दािय व िन चत थे। इस कार िपता-पु एक टीम क तरह काम करते थे।
धी भाई क सफलता का मं
धी भाई के काम ही उनक सफलता क दा तान ह। वे दसर ू क भलाई के लए अपनी
सफलता का मं बताने म भी नह सकु चाते थे। वे ायः अपने लोग म उ साह व ेरणा का
संचार करने के लए, अपने सफलता मं को नार म बदल देते।
िकसी बड ी बंधक य सं था से िड ी न लेने के बावजूद उनका अनुभव ही यावसाियक
कौशल रखता था और वे सबके बीच इसी अनुभव के बल पर बंधन गु कहलाए।
प रवार वृ
28 िदसंबर 1932 को हीराचंद गोव न दास अंबानी के घर एक पु ने ज म लया। जसका
नाम ‘धीरजलाल हीराचंद अंबानी’ रखा गया। िपता को अनुमान तक नह था िक उनक चौथी
संतान ‘अंबानी’ प रवार को भारतीय कॉप रे ट जगत का जाना-पहचाना नाम बना देगी। जो िक
‘फा यून’ व ‘फो स’ जैसी पि काओं म थान पाएगा। बाद म यह नाम छोटा होकर ‘धी भाई
अंबानी’ हो गया। बेशक वे लंबे नाम के साथ समय बबाद करने वाल म से नह थे। बड ा
नाम लेने म समय न होता था। जब उनका ज म हआ तो प रवार म एक भाई व दो बहन थ ।
उनके बाद एक और भाई का ज म हआ। इस कार वे तीन भाई तथा दो बहन थे।
बड ी बहन ि लोचना का िववाह लालूभाई मेसवानी से हआ। उनके पु र सकलाल
मेसवानी का िववाह रजनीबेन से हआ। उनके यहां िन खल व हेतल ने ज म लया। इस कार
ि लोचना िन खल व हेतल क दादी मां ह।
बड े भाई रमणीक लाल अंबानी का िववाह पदमाबेन से हआ। उनके यहां एक पु व तीन
पुि य ने ज म लया। पु का नाम िवमल तथा पुि य के नाम नीता, इला व मीना रखे गए।
दसरी
ू बहन जसुमती का िववाह सी. पटेल से हआ व उनके यहां वीरे न, अतुल, िवमल व
मनीष नाम के पु ने ज म लया। छोटे भाई नटवरलाल का िववाह मताबेन से हआ। उनके यहां
दो बेट िवपुल व नीरज तथा दो बेिटय अनीता व टीना ने ज म लया। इस कार अंबानी एक
िव तृत प रवार है।
धी भाई अंबानी का िववाह कोिकलाबेन से हआ। कहते ह िक येक सफल यि के पीछे
एक मिहला का हाथ होता है। कोिकलाबेन ने पित क सफलता म पूरा योगदान िदया। उ ह ने पित
पर पूरा भरोसा रखा व उनके वैवािहक जीवन म कभी कोई िववाद नह हआ। वे िववाह के बाद
पित के साथ अदन गई ं तथा बड े बेटे मुकेश का ज म वह हआ।
मुकेश का ज म 1957 म हआ। बाक तीन ब च दीि (1958) अिनल (1959) व नीना
(1961) का ज म भारत म हआ।
मुकेश का िववाह एक समृ प रवार क प ी- लखी लड क नीता से हआ, उनके दो
पु व एक पु ी है। पु का नाम आकाश व अनंत तथा पु ी का नाम ईशा है। धी भाई क बेटी
नीना का िववाह चे ई के कोठारी प रवार के याम कोठारी से हआ। कोठारी भी उ ोगपित ह।
दसरी
ू बेटी दीि का िववाह गोवा के द ाराज सलगांवकर से हआ। वे भी यवसाय म ह।
धी भाई क चौथी संतान है अिनल। उसका िववाह जानी-मानी वॉलीवुड अिभने ी टीना मुनीम से
हआ है। उनके दो पु ह - जय अनमोल, जय अंशुल।
पुर कार व स मान
‒यू.एस.ए. क ‘िबजनेस वीक’ पि का ने 1958 म धी भाई अंबानी को ‘ टार ऑफ
एिशया’ क उपा ध दी।
‒1999 म ‘द टाइ स ऑफ इंिडया’ ने उ ह ‘द मो ट एडमायड िबजनेस लीडर’ घोिषत
िकया। यह चुनाव टाइ स क कमिशयल वोिटंग के आधार पर हआ।
‒1999 म धी भाई पावर-50 िबजनेस मै स म से एक चुने गए। यह सूची राजनीित, उ ोग
व आ थक े के िद गज को लेकर बनाई गई थी।
‒िदसंबर 1999 म, भारतीय मचटं चबर ने धी भाई अंबानी को भारतीय उ ोग व पूज
ं ी
बाजार म गित, िवकास व उपल धय के लए ‘िवज नरी ए टाऑडनरी ऑफ टव थ
सचुरी’ चुना।
‘इंिडया टु डे’ पि का ने ‘बीसव सदी म भारत के सौ िनमाता’ नामक सं करण म उ ह
‘आथर ऑफ फाइनिशयल इ वटी’ के प म चुना। यह सं करण िदसंबर 1999 म िनकाला
गया।
‒जनवरी 2000 म, ‘टाइ स ऑफ इंिडया’ पोल म उ ह ‘वे थ ि एटर’ चुना गया।
‒‘जी नेटवक’ ारा ायो जत व ‘अन ट एंड यंग’ ारा आयो जत इवट ‘लीज स-
सेली ेशन ऑफ ए सीलस’ म धी भाई को ‘सदी का सवा धक सराहा जाने वाला भारतीय’ चुना
गया।
‒धी भाई को 2000 म ‘एिशया वीक’ ने िफर से एिशया क पचास शि शाली ह तय म
से एक चुना।
‒माच 2000 म धी भाई को उनक असाधारण औ ोिगक रचना मकता के लए ‘एफ.
आई. सी. सी. आई.’ ने ‘बीसव सदी का भारतीय उ ोगपित’ चुना।
‒नवंबर 2000 म धी भाई अंबानी को कैमटैक फांउडेशन’ व ‘केिमकल इंजीिनय रं ग
व डस’ क ओर से ‘मैन ऑफ द सचुरी’ चुना गया। भारत के रसायन उ ोग म योगदान के
लए यह पुर कार िदया गया।
‒िदसंबर 2000 म उ ह ‘ ेटर मुंबई कॉप रे शन’ क ओर से ‘ श त प ’ िदया गया। वे
1999 से 2000 तक िनरं तर इंिडयाज मो ट एडमायड सी. ई. ओ. चुने जाते रहे। यह उपा ध
‘िबजनेस बैर स’ व टेलर ने सन सारे फूल’ ारा िकए गए सव ण पर आधा रत थी।
‒अग त 2002 म उ ह ‘लाइफटाइम अचीवमट इन िबजनेस ए सीलस’ के लए चुना गया।
यह स मान ‘द इकोनॉिमक टाइ स’ ारा िदया गया।
‒अग त 2002 म उ ह िफर से ‘इंिडया एच.आर.डी. कां ेस’ ने ‘लाइफ टाइम अचीवमट’
से स मािनत िकया।
एक बड ा शो मैन
धी भाई एक िनपुण बंधक व उ मी होने के अलावा बड े शो मैन भी थे। वे जानते थे िक
आधुिनक जगत म िव ापन व बड े इवट, िकसी सफल यवसायी के लए िकतना मह व
रखते ह। केवल उ पाद क गुणव ा ही काफ नह होती, उसे ाहक को बताना भी होता है।
उ ह ने लोग तक पहच ं बनाने के लए िव ापन के मह व को वीकारा िक सफलता क
माकिटंग के लए क मत चुकानी पड ती है। वे लोग को रलायंस क भ यता िदखाना चाहते
थे। कु छ लोग का तो यह भी मानना है िक अ सी के दशक म रलायंस उ ोग के िवशाल
िव ापन ने उसक सफलता म िवशेष योगदान िदया।
अंितम ण