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बौ धम

मण परंपरा से नकला एक धम

बौ धम भारत क मण पर रा से नकला ान धम
और दशन है। ईसा पूव 6 व शता द म गौतम बु ारा
बौ धम का वतन कया गया। गौतम बु का ज म
563 ईसा पूव म लुं बनी (वतमान नेपाल म) म आ,
उ ह बोध गया म ान क ा त ई, जसके बाद
सारनाथ म थम उपदे श दया, और उनका
महाप र नवाण 483 ईसा पूव कु शीनगर,भारत म आ
था। उनके महाप र नवाण के अगले पाँच शता दय म,
बो धम पूरे भारतीय उपमहा प म फै ला और अगले
दो हजार वष म म य, पूव और द ण-पूव ए शया म
भी फै ल गया।

थाईलै ड म एक भ ,ु दे वी आरोही क तमा को नम कार करते



शा यमु न बु , अभय मु ा म (हांगकांग)

बौ धम के उपदे श के चार- सार के लए अशोक ने र- र तक


बौ उपदे शक भेजे।
बौ -उपदशक भज।

बौ धम म मुख स दाय ह: हीनयान, थेरवाद,


महायान और व यान, पर तु सभी बौ स दाय बु
के स ा त ही मानते है। ईसाई धम के बाद बौ धम
नया का सरा सबसे बड़ा धम ह। नया के करीब २
अरब (२९%) लोग बौ धम के अनुयायी ह। क तु,
अमे रका के यु रसच के अनुसार, व म लगभग ५४
करोड़ लोग बौ धम के अनुयायी है, जो नया क
आबाद का 7% ह सा है। यु रसच ने चीन, जापान व
वयतनाम दे श के बौ क सं या ब त ही कम बताई
ह, हालां क यह दे श सवा धक बौ आबाद वाले शीष
के तीन दे श ह। नया के 200 से अ धक दे श म बौ
अनुयायी ह। क तु चीन, जापान, वयतनाम, थाईलै ड,
या मार, भूटान, ीलंका, क बो डया, मंगो लया,
लाओस, सगापुर, द ण को रया एवं उ र को रया
समेत कु ल 13 दे श म बौ धम ' मुख धम' है। भारत,
नेपाल, अमे रका, ऑ े लया, इंडोने शया, स, ुनेई,
मले शया आ द दे श म भी करोड बौ अनुयायी ह।

गौतम बु

बु क प र क मू त
गौतम बु के जीवन के वषय म ामा णक साम ी
वरल है। इस संग म उपल अ धकांश वृ ांत एवं
कथानक भ धान रचनाएँ ह और बु काल के ब त
बाद के ह। ाचीनतम साम ी म पा ल पटक के कु छ
ल पर उपल अ प ववरण उ ले य ह, जैसे- बु
क पयषणा, स बो ध, धमच वतन एवं
महाप र नवाण के ववरण। बु क जीवनी के
आधु नक ववरण ायः पा ल क नदानकथा अथवा
सं कृ त के महाव तु, ल लत व तर एवं अ घोष कृ त
बु च रत पर आधा रत होते ह। क तु इन ववरण क
ऐ तहा सकता वह तक वीकार क जा सकती है जहाँ
तक उनके लए ाचीनतर समथन उपल ह ।

ईसापूव ५६३ के लगभग शा य क राजधानी


क पलव तु के नकट लु बनी वन म गौतम बु का
ज म स है। यह ान वतमान नेपाल रा य के
अ तगत भारत क सीमा से ७ कलोमीटर र है। यहाँ
पर ा त अशोक के मनदे ई त लेख से ात होता
है ' हद बुधे जाते' (=यहाँ बु ज मे थे)। सु नपात म
शा य को हमालय के नकट कोशल म रहनेवाले
गौतम गो के य कहा गया है। कोशलराज के
अधीन होते ए भी शा य जनपद वयं एक गणरा य
था। इस कार के राजा शु ोदन बु के पता एवं
मायादे वी उनक माता स ह। ज म के पाँचवे दन
बु को ' स ाथ' नाम दया गया और ज मस ताह म ही
माता के दे हा त के कारण उनका पालन-पोषण उनक
मौसी एवं वमाता महा जापती गौतमी ारा आ।

बु के शैशव के वषय म ाचीन सूचना अ य त अ प


है। स ाथ के ब ीस महापु षल ण को दे खकर
अ सत ऋ ष ने उनके बु व क भ व यवाणी क , इसके
अनेक वणन मलते ह। ऐसे भी कहा जाता है क एक
दन जामुन क छाँह म उ ह सहज प म थम यान
क उपल ई थी। सरी ओर ल लत व तार आ द
म उनके शैशव का चम कारपूण वणन ा त होता
है। ल लत व तर के अनुसार जब स ाथ को दे वायतन
ले जाया गया तो दे व तमा ने वयं उठकर उ ह
णाम कया। उनके शरीर पर सब वणाभरण म लन
तीत होते थे, ल प श क आचाय व ा म को उ ह ने
६४ ल पय का नाम लेकर और गणक महामा अजुन
को परमाणु-रजः वेशानुगत गणना के ववरण से
व मय म डाल दया। नाना श प, अ व ा, एवं
कला म सहज- न णात स ाथ का द डपा ण क
पु ी गोपा के साथ प रणय स आ। पा ल आकर
के अनुसार स ाथ क प नी सु बु क क या थी और
उसका नाम 'भ क ाना', भ का यायनी, यशोधरा,
ब बा, अथवा ब बासु दरी था। वनय म उसे के वल
'रा
लमाता' कहा गया है। बु च रत म यशोधरा नाम
दया गया है।

स ाथ के ा जत होने क भ व यवाणी से भयभीत


होकर शु ोदन ने उनके लए तीन व श ासाद
(महल) बनवाए - ै मक, वा षक, एवं हैम तक। इ ह
र य, सुर य और शुभ क सं ा भी द गई है। इन ासाद
म स ाथ को ा ध और जरा-मरण से र एक कृ म,
न य मनोरम लोक म रखा गया जहाँ संगीत, यौवन और
सौ दय का अ त सा ा य था। क तु दे वता क
ेरणा से स ाथ को उ ानया ा म ा ध, जरा, मरण
और प र ाजक के दशन ए और उनके च म
ा या का संक प व ढ़ आ। इस कार के ववरण
क अ यु और चम का रता उसके आ रक स य पर
संदेह उ प करती है। यह न त है क स ाथ के मन
म संवेग संसार के अ नवाय ःख पर वचार करने से
उ प आ। उनक यान वणता ने, जसका ऊपर
उ लेख कया गया है, इस ःख क अनुभू त को एक
ग ीर स य के प म कट कया होगा। नदानकथा के
अनुसार इसी समय उ ह ने पु ज म का संवाद सुना और
नवजात को 'रा ल' नाम मला। उसी अवसर पर ासाद
क ओर जाते ए स ाथ क शोभा से मु ध होकर
राजकु मारी कृ शा गौतमी ने उनक शंसा म एक स
गाथा कही जसम 'नुबु ' (= नवृ = शा त) श द
आता है।

न बुता नून सा माता न बुतो नून सो पता।


न बुता नून सा नारी य सायमी दसो प त॥
(अव य ही परम शा त है वह माता, परम शा त है वह
पता, परम शा त है वह नारी जसका ऐसा प त हो।)
स ाथ को इस गाथा म गु वा य के समान गंभीर
आ या मक संकेत उपल आ। उ होने सोचा क
इसने पाप और पुनज म से मु के लए मुझे स दे श
दया है। इसके साथ ही उ होने मो तय का अपना हार
उतारकर उस युवती को दे दया।

आधी रात के अंधकार म सोती ई प नी और पु को


छोड़कर स ाथ कं थक पर आ ढ़ हो नगर से और
कु टु बजीवन से न ा त ए। उस समय स ाथ २९
वष के थे। नदानकथा के अनुसार रात भर म शा य,
को लय और म ल (राम ाम) इन तीन रा य को पार
कर स ाथ ३० योजन क री पर अनोमा नाम क नद
के तट पर प ँचे। वह उ ह ने ा या के उपयु वेश
धारण कया और छ दक को वदा कर वयं अपनी
अनु र शां त क पयषणा (खोज) क ओर अ सर ए।

आय पयषणा के संग म स ाथ अनेक तप वय से से


मले जनम आलार (आराड़), कालाम एवं उ क ( क)
मु य ह। ल लत व तर म अराड कालाम का ान
वैशाली कहा गया है जब क अ घोष के बु च रत म
उसे व य को वासी बताया गया है। पा ल नकाय से
व दत होता है क कालाम ने बो धस व को
'आ कच यायतन' नाम क 'अ प समाप ' सखाई।
अ घोष ने कालाम के स ा त का सां य से सा य
द शत कया है। ल लत व तर म क का आ म
राजगृह के नकट कहा गया है। क के
'नैवसं ानासं ायतन' के उपदे श से भी बो धस व
अस तु रहे। राजगृह म उनका मगधराज ब बसार से
सा ा मार सु नपात के प ब सु , ल लत व तर
और बु च रत म व णत है।

गया म बो धस व ने यह वचार कया क जैसे गीली


लक ड़य से अ न उ प नह हो सकती, ऐसे ही भोग
म ृहा रहते ए ान क ा त नह हो सकती।
अतएव उ व व के नकट सेनाप त ाम म नैर ना
नद के तटवत रमणीय दे श म उ ह ने कठोर तप या
( धान) का न य कया। क तु अ ततोग वा उ ह ने
तप को थ समझकर छोड़ दया। इसपर उनके साथ
क ड य आ द पंचवष य प र ाजक ने उ ह तपो
न त कर याग दया। बो धस व ने अब शैशव म
अनुभूत याना यास का मरण कर यान के ारा
ान ा त का य न कया। इस यानकाल म उ ह मार
सेना का सामना करना पड़ा, यह ाचीन ंथ म
उ ल खत है। ही मार घषण को काम और मृ यु
पर वजय का तीका मक ववरण समझना चा हए।
आय पयषणा के छठे वष के पूरे होने पर वैशाखी
पू णमा को बो धस व ने स बो ध ा त क । रा के
थम याम म उ ह ने पूवज म क मृ त पी थम
व ा, तीय याम म द च ु और तृतीय याम म
ती यसमु पाद का ान ा त कया। एक मत से इसके
समानांतर ही सवधमा भसमय प सवाकारक ा
अथवा संबो ध का उदय आ।

संबो ध के अनंतर बु के थम वचन के वषय म


व भ पर राएँ ह जनम बु घोष के ारा सम थत
'अनेक जा त संसार संघा व सं पुन पुन'ं आ द गाथाएँ
वशेषतः उ लेखनीय ह। संबो ध क गंभीरता के कारण
बु के मन म उसके उपदे श के त उदासीनता
वाभा वक थी। संसारी जीव उस गंभीर स य को कै से
समझ पाएँगे जो अ य त सू म और अत य है? बु क
इस अन भ च पर ा ने उनसे धमच - वतन का
अनुरोध कया जसपर ःखम न संसा रय को दे खते
ए बु ने उ ह वकास क व भ अव ा म पाया।

सारनाथ के ऋ षप न मृगदान म भगवान् बु ने


पंचवग य भ ु को उपदे श दे कर धमच वतन
कया। इस थम उपदे श म दो अ त का प रवजन और
म यमा तपदा क आ यणीयता बताई गई है। इन
पंचवग य के अनंतर े पु यश और उसके संबंधी
एवं म स म म द त ए। इस कार बु के
अ त र ६० और अहत् उस समय थे ज ह बु ने
नाना दशा म चाराथ भेजा और वे वयं उ वेला के
सेना नगम क ओर त ए। माग म ३० भ वग य
कु मार को उपदे श दे ते ए उ वेला म उ ह ने तीन ज टल
का यप को उनके एक सह अनुया यय के साथ
चम कार और उपदे श के ारा धम म द त कया।
इसके प ात् राजगृह जाकर उ ह ने मगधराज ब बसार
को धम का उपदे श दया। ब बसार ने वेणुवन नामक
उ ान भ ुसंघ को उपहार म दया। राजगृह म ही
संजय नाम के प र ाजक के दो श य को लत और
उप त य स म म द त होकर मौ यायन और
सा रपु के नाम से स ए। वनय के महाव ग म
दया आ संबो ध के बाद क घटना का मब
ववरण यहाँ पूरा हो जाता है।

इस कार अ सी वष क आयु तक धम का चार करते


ए उन े म मण करते रहे जो वतमान समय म
उ र दे श और बहार के के अ तगत आते ह। ाव ती
म उनका सवा धक नवास आ और उसके बाद
राजगृह, वैशाली और क पलव तु म।

स महाप र नवाण सू म बु क अं तम पदया ा


का मा मक ववरण ा त होता है। बु उस समय
राजगृह म थे जब मगधराज अजातश ु वृ ज जनपद पर
आ मण करना चाहता था। राजगृह से बु पाट ल ाम
होते ए गंगा पार कर वैशाली प ँचे जहाँ स
ग णका आ पाली ने उनको भ ुसंघ के साथ भोजन
कराया। इस समय प र नवाण के तीन मास शेष थे।
वेलुव ाम म भगवान् ने वषावास तीत कया। यहाँ वे
अ य त ण हो गए। वैशाली से भगवान् भंड ाम और
भोगनगर होते ए पावा प ँचे। वहाँ चुंद क मारपु के
आ त य हण म 'सूकर म व' खाने से उ ह र ा तसार
उ प आ। णाव ा म ही उ ह ने कु शीनगर क ओर
ान कया और हर यवती नद पार कर वे शालवन
म दो शालवृ के बीच लेट गए। सुभ प र ाजक को
उ ह ने उपदे श दया और भ ु से कहा क उनके
अन तर धम ही संघ का शा ता रहेगा। छोटे मोटे
श ापद म प रवतन करने क अनुम त भी इ ह ने संघ
को द और छ भ ु पर द ड का वधान कया।
पा ल पर रा के अनुसार भगवान् के अं तम श द थे
'वयध मा संखारा अ पमादे न संपादे थ।' (वयधमाः
सं काराः अ मादे न स ादयेत - सभी सं कार नाशवान
ह, आल य न करते ये संपादन करना चा हए।)
बु के समकालीन
बु के मुख गु थे- आ दगु , अलारा, कलम,
उ ाका रामापु ,सूरज आजाद आ द। उनके मुख
श य थे- आन द, अ न , महाक यप, रानी खेमा
(म हला), महा जाप त (म हला), भ का, भृगु,
क बाल, दे वद , उपाली, अंगु लमाल आ द।[1]
गु अलारा कलम और उ ाका रामापु  : ान क
तलाश म स ाथ घूमते-घूमते अलारा कलम और
उ ाका रामापु के पास प ंचे। उनसे उ ह ने योग-
साधना सीखी। कई माह तक योग करने के बाद भी
जब ान क ा त नह ई तो उ ह ने उ वेला प ंच
कर वहां घोर तप या क । छः साल बीत गए तप या
करते ए। स ाथ क तप या सफल नह ई। तब
एक दन कु छ यां कसी नगर से लौटती ई वहां
से नकल , जहां स ाथ तप या कर रहे थे। उनका
एक गीत स ाथ के कान म पड़ा- ‘वीणा के तार को
ढ ला मत छोड़ दो। ढ ला छोड़ दे ने से उनका सुरीला
वर नह नकलेगा। पर तार को इतना कसो भी मत
क वे टू ट जाएं।’ बात स ाथ को जंच गई। वह मान
गए क नय मत आहार- वहार से ही योग स होता
है। अ त कसी बात क अ नह । कसी भी ा त
के लए म यम माग ही ठ क होता है। बस फर या
था कु छ ही समय बाद ान ा त हो गया।
आन द :- यह बु और दे वद के भाई थे और बु
के दस सव े श य म से एक ह। यह लगातार बीस
वष तक बु क संगत म रहे। इ ह गु का सव य
श य माना जाता था। आनंद को बु के नवाण के
प ात बोधन ा त आ। वह अपनी मरण श
के लए स थे।
महाक यप : महाक यप मगध के ा ण थे, जो
तथागत के नजद क श य बन गए थे। इ ह ने थम
बौ अ धवेशन क अ य ता क थी।
रानी खेमा : रानी खेमा स धमसं घनी थ । यह
ब बसार क रानी थ और अ त सु दर थ । आगे
चलकर खेमा बौ धम क अ श का बन ।
महा जाप त : महा जाप त बु क माता
महामाया क बहन थ । इन दोन ने राजा शु ोदन से
ववाह कया था। गौतम बु के ज म के सात दन
प ात महामाया क मृ यु हो गई। त प ात
महा जाप त ने उनका अपने पु जैसे पालन-पोषण
कया। राजा शु ोदन क मृ यु के बाद बौ मठ म
पहली म हला सद य के प म महा जा पता को
ान मला था।

पा ल सा ह य
पटक ( त पटक) बु धम का मु य है। यह
पा लभाषा म लखा गया है। यह बु के
प र नवाण के प ात बु के ारा दया गया उपदे श को
सू ब करने का सबसे वृहद यास है। बु के उपदे श
को इस म सू (प ल : सु ) के प म तुत कया
गया है। सू को वग (व ग) म बांधा गया है। व ग को
नकाय (सु पटक) म वा ख ड म समा हत कया गया
है। नकाय को पटक (अथ : टोकरी) म ए ककृ त कया
गया है। इस कार से तीन पटक न मत है जन के
संयोजन को - पटक कहा जाता है।

पा लभाषा का पटक थेरवाद (और नवयान) बु


पर रा म ीलंका, थाइलड, बमा, लाओस, कै बो डया,
भारत आ द रा के बौ धम अनुयायी पालना करते है।
पा ल के त पटक को सं कृ त म भी भाषा तरण कया
गया है, जस को पटक कहते है। सं कृ त का पूण
पटक अभी अनुपल है। वतमान म सं कृ त
पटक योजन का जी वत पर रा के वल नेपाल के
नेवार जा त म उपल है। इस के अलावा त बत, चीन,
मंगो लया, जापान, को रया, वयतनाम, मले शया, स
आ द दे श म सं कृ त मूल म के साथ म ानीय भाषा
म बौ सा ह य पर रा पालना करते है।

बु क श ाएँ
भगवान् बु क मूल दे शना ( श ा) या थी, इसपर
चुर ववाद है। वयं बौ म काला तर म नाना
स दाय का ज म और वकास आ और वे सभी
अपने को बु से अनु ा णत मानते ह।

अ धकांश आधु नक व ान् पा ल पटक के अ तगत


वनय पटक और सु पटक म संगृहीत स ा त को
मूल बु दे शना मान लेते ह। कु छ व ान् सवा तवाद
अथवा महायान के सारांश को मूल दे शना वीकार करना
चाहते ह। अ य व ान् मूल ंथ के ऐ तहा सक
व ेषण से ारं भक और उ रकालीन स ांत म
अ धका धक ववेक करना चाहते ह, जसके वपरीत
कु छ अ य व ान् इस कार के ववेक के यास को
ायः अस व समझते ह।

आयस य, अ ां गक माग, दस पार मता, पंचशील आ द


के प म बु क श ाएँ समझी जा सकत ह।

चार आय स य …

तथागत बु का पहला धम पदे श, जो उ होने अपने


साथ के कु छ साधु को दया था, इन चार आय स य
के बारे म था। बु ने चार आय स य बताये ह।

१. ःख
इस नया म ःख है। ज म म, बूढे होने म, बीमारी म,
मौत म, यतम से र होने म, नापसंद चीज़ के साथ म,
चाहत को न पाने म, सब म ःख है।

२. ःख कारण
तृ णा, या चाहत, ःख का कारण है और फ़र से सशरीर
करके संसार को जारी रखती है।

३. ःख नरोध
ःख- नरोध के आठ साधन बताये गये ह ज ह
‘अ ां गक माग’ कहा गया है। तृ णा से मु पाई जा
सकती है।

४. ःख नरोध का माग
तृ णा से मु अ ां गक माग के अनुसार जीने से पाई
जा सकती है।
अ ां गक माग …

बौ धम के अनुसार, चौथे आय स य का आय अ ांग


माग है ःख नरोध पाने का रा ता। गौतम बु कहते थे
क चार आय स य क स यता का न य करने के लए
इस माग का अनुसरण करना चा हए :

1. स यक् -व तु के यथाथ व प को जानना


ही स यक् है।

2. सयक् संक प- आस , े ष तथा हसा से मु


वचार रखना ही स यक् संक प है।

3. स यक् वाक् - सदा स य तथा मृ वाणी का योग


करना ही स यक् वाक् है।
4. स यक् कमा त- इसका आशय अ े कम म
संल न होने तथा बुरे कम के प र याग से है।

5. सयक् आजीव- वशु प से सदाचरण से


जीवन-यापन करना ही स यक् आजीव है।

6. स यक् ायाम- अकु शल धम का याग तथा


कु शल धम का अनुसरण ही स यक् ायाम है।

7. स
यक् मृ त- इसका आशय व तु के वा त वक
व प के संबंध म सदै व जाग क रहना है।

8. स यक् समा ध - च क समु चत एका ता ही


स यक् समा ध है।

कु छ लोग आय अ ांग माग को पथ क तरह समझते है,


जसम आगे बढ़ने के लए, पछले के तर को पाना
आव यक है। और लोग को लगता है क इस माग के
तर सब साथ-साथ पाए जाते है। माग को तीन ह स म
वग कृ त कया जाता है : ा, शील और समा ध।

पंचशील …

भगवान बु ने अपने अनुया य को पांच शील का


पालन करने क श ा द है।

१. अ हसा
पा ल म – पाणा तपाता वेरमनी सी खापदम्
स माद यामी !
अथ – म ा ण- हसा से वरत रहने क श ा हण
करता ँ।
२. अ तेय
पा ल म – आ द ादाना वेरमणाी स खापदम्
समा दयामी
अथ – म चोरी से वरत रहने क श ा हण करता
ँ।
३. अप र ह
पा ल म – कामेसूमी ाचारा वेरमणाी स खापदम्
समा दयामी
अथ – म भचार से वरत रहने क श ा हण
करता ँ।
४. स य
पा ल न – मुसावादा वेरमणाी स खापदम्
समा दयामी
अथ – म झूठ बोलने से वरत रहने क श ा हण
करता ँ।
५. सभी नशा से वरत
पा ल म – सुरामेरय म पमादठटाना वेरमणाी
स खापदम् समा दयामी।
अथ – म प क शराब (सुरा) क ी शराब (मेरय),
नशीली चीज (म पमादठटाना) के सेवन से वरत
रहने क श ा हण करता ँ।
बो ध …

गौतम बु ने जस ान क ा त क थी उसे 'बो ध'


कहते ह। माना जाता है क बो ध पाने के बाद ही संसार
से छु टकारा पाया जा सकता है। सारी पार मता
(पूणता ) क न प , चार आय स य क पूरी समझ
और कम के नरोध से ही बो ध पाई जा सकती है। इस
समय, लोभ, दोष, मोह, अ व ा, तृ णा और आ मां म
व ास सब गायब हो जाते ह। बो ध के तीन तर होते
ह : ावकबो ध, येकबो ध और स यकसंबो ध।
स यकसंबो ध बौध धम क सबसे उ त आदश मानी
जाती है।
दशन एवं स ा त
तीथ या ा
बौ

धा मक ल

चार मु य ल
लु बनी · बोध गया
सारनाथ · कु शीनगर
चार अ य ल
ाव ती · राजगीर
सन क सा · वैशाली
अय ल
पटना · गया
  कौशा बी · मथुरा
क पलव तु · दे वदहा
के स रया · पावा
बाद
नालं दा · केवाराणसी

साँची · र ना गरी
ए लोरा · अजंता
भारहट

गौतम बु के महाप र नवाण के बाद, बौ धम के


अलग-अलग सं दाय उप त हो गये ह, पर तु इन सब
के ब त से स ा त मलते ह।

ती यसमु पाद …

ती यसमु पाद का स ा त कहता है क कोई भी


घटना के वल सरी घटना के कारण ही एक ज टल
कारण-प रणाम के जाल म व मान होती है। ा णय
के लये, इसका अथ है कम और वपाक (कम के
प रणाम) के अनुसार अनंत संसार का च । य क सब
कु छ अ न य और अना मं ( बना आ मा के ) होता है,
कु छ भी सच म व मान नह है। हर घटना मूलतः शु य
होती है। परंतु, मानव, जनके पास ान क श है,
तृ णा को, जो ःख का कारण है, यागकर, तृ णा म न
क ई श को ान और यान म बदलकर, नवाण पा
सकते ह।तृ णा शू य जीवन के वल वप यना से संभव
है1

णकवाद …

इस नया म सब कु छ णक है और न र है। कु छ भी
ायी नह । पर तु वै दक मत से भ है।

अना मवाद …
आ मा का अथ 'मै' होता है। क तु, ाणी शरीर और मन
से बने है, जसमे ा य व नही है। ण- ण बदलाव
होता है। इस लए, 'मै'अथात आ मा नाम क कोई ायी
चीज़ नह । जसे लोग आ मा समझते ह, वो चेतना का
अव वाह है। आ मा का ान मन ने लया है।

अनी रवाद …

बु ने -जाल सूत् म सृ का नमाण कै सा आ, ये


बताया है। सृ का नमाण होना और न होना बार-बार
होता है। ई र या महा ा सृ का नमाण नही करते
य क नया ती यसमु पाद अथात कायकरण-भाव
के नयम पर चलती है। भगवान बु के अनुसार, मनु य
के :ख और सुख के लए कम ज मेदार है, ई र या
महा ा नही। पर अ य जगह बु ने सव स य को
अवणनीय कहा है।
शू यतावाद …

शू यता महायान बौ स दाय का धान दशन है।

यथाथवाद …

बौ धम का मतलब नराशावाद नह है। ख का


मतलब नराशावाद नह है, ब क सापे वाद और
यथाथवाद है[2]। बु , ध म और संघ, बौ धम के तीन
र न ह। भ ,ु भ ुणी, उपसका और उप सका संघ
के चार अवयव ह।[3]

बो धस व …

दस पार मता का पूण पालन करने वाला बो धस व


कहलाता है। बो धस व जब दस बल या भू मय
(मु दता, वमला, द त, अ च मती, सु जया, अ भमुखी,
रंगमा, अचल, साधुमती, ध म-मेघा) को ा त कर लेते
ह तब "बु " कहलाते ह। बु बनना ही बो धस व के
जीवन क पराका ा है। इस पहचान को बो ध ( ान)
नाम दया गया है। कहा जाता है क बु शा यमु न
के वल एक बु ह - उनके पहले ब त सारे थे और
भ व य म और ह गे। उनका कहना था क कोई भी बु
बन सकता है अगर वह दस पार मता का पूण पालन
करते ए बो धस व ा त करे और बो धस व के बाद
दस बल या भू मय को ा त करे। बौ धम का
अ तम ल य है स ूण मानव समाज से ःख का अंत।
"म के वल एक ही पदाथ सखाता ँ - ःख है, ःख का
कारण है, ःख का नरोध है, और ःख के नरोध का
माग है" (बु )। बौ धम के अनुयायी अ ां गक माग
पर चलकर न के अनुसार जीकर अ ानता और ःख से
मु और नवाण पाने क को शश करते ह।
स दाय
बौ धम म संघ का बडा ान है। इस धम म बु , ध म
और संघ को ' र न' कहा जाता है। संघ के नयम के
बारे म गौतम बु ने कहा था क छोटे नयम भ ुगण
प रवतन कर सकते है। उन के महाप र नवाण प ात
संघ का आकार म ापक वृ आ। इस वृ के
प ात व भ े , सं कृ त, सामा जक अव ा, द ा,
आ द के आधार पर भ लोग बु धम से आब ए
और संघ का नयम धीरे-धीरे प रवतन होने लगा। साथ
ही म अंगु र नकाय के कालाम सु म बु ने अपने
अनुभव के आधार पर धम पालन करने क वत ता द
है। अतः, वनय के नयम म प रमाजन/प रवतन,
ानीय सां कृ तक/भा षक प , गत धम का
वत ता, धम के न त प म यादा वा कम जोड
आ द कारण से बु धम म व भ स दाय वा संघ म
प रमा जत ए। वतमान म, इन संघ म मुख स दाय
या पंथ थेरवाद, महायान और व यान है। भारत म बौ
धम का नवयान सं दाय है जो भीमराव आ बेडकर ारा
न मत है।

थेरवाद …

ावकयान
येकबु यान
थेरवाद बु के मौ लक उपदे श ही मानता है।
ीलंका, थाईलड, या मार, क बो डया, लाओस,
बां लादे श, नेपाल आद दे श म थेरवाद बौ धम का
भाव ह।
महायान …
महायान बु क वा त वक श ा का पालन नही
करता ।
बु के अलावा हजार बो धस व क पूजा करता है।
बो धस वयान
बो धस वसु यान
बो धस वत यान / व यान
महायान म बु क पूजा करता है।
चीन, जापान, उ र को रया, वयतनाम, द ण
को रया आद दे श म भाव ह।
व यान …

व यान को त बती तां क धम भी कहां जाता ह।


भूटान म रा धम
भूटान, त बत और मंगो लया म भाव
नवयान …

डॉ.भीमराव आ बेडकर के स ांत का अनुसरण


महायान, व यान, थेरवाद से भ स ांत
भारत म (मु यत महारा म) भाव

मुख तीथ
भगवान बु के अनुयायी के लए व भर म पांच
मु य तीथ मु य माने जाते ह :
तीथ या ा
बौ

धा मक ल

चार मु य ल
लु बनी · बोध गया
सारनाथ · कु शीनगर
चार अ य ल
ाव ती · राजगीर
सन क सा · वैशाली
अय ल
पटना · गया
  कौशा बी · मथुरा
क पलव तु · दे वदहा
के स रया · पावा
बाद
नालं दा · केवाराणसी

साँची · र ना गरी
ए लोरा · अजंता
भारहट

(1) लु बनी – जहां भगवान बु का ज म आ।


(2) बोधगया – जहां बु ने ान ा त आ।
(3) सारनाथ – जहां से बु ने द ान दे ना ारंभ
कया।
(4) कु शीनगर – जहां बु का महाप र नवाण आ।
(5) द ाभू म, नागपुर – जहां भारत म बौ धम का
पुन ान आ।
लु बनी …
माया दे वी मं दर, लुं बनी, नेपाल

यह ान नेपाल क तराई म नौतनवां रेलवे टे शन से


25 कलोमीटर और गोरखपुर-ग डा लाइन के स ाथ
नगर टे शन से करीब 12 कलोमीटर र है। अब तो
स ाथ नगर से लु बनी तक प क सडक़ भी बन गई
है। ईसा पूव 563 म राजकु मार स ाथ गौतम (बु )
का ज म यह आ था। हालां क, यहां के बु के समय
के अ धकतर ाचीन वहार न हो चुके ह। के वल स ाट
अशोक का एक तंभ अवशेष के प म इस बात क
गवाही दे ता है क भगवान बु का ज म यहां आ था।
इस तंभ के अलावा एक समा ध तूप म बु क एक
मू त है। नेपाल सरकार ने भी यहां पर दो तूप और
बनवाए ह।

बोधगया …

महाबो ध वहार, बोधगया


लगभग छह वष तक जगह-जगह और व भ गु के
पास भटकने के बाद भी बु को कह परम ान न
मला। इसके बाद वे गया प ंचे। आ खर म उ ह ने ण
लया क जब तक असली ान उपल नह होता, वह
पपल वृ के नीचे से नह उठगे, चाहे उनके ाण ही
य न नकल जाएं। इसके बाद करीब छह साल तक
दन रात एक पीपल वृ के नीचे भूख-े यासे तप कया।
आ खर म उ ह परम ान या बु व उपल आ।
जस पपल वृ के नीचे वह बैठे, उसे बो ध वृ अथात्
' ान का वृ ' कहा जाता है। वह गया को बोधगया के
नाम से जाना जाता है।

सारनाथ …
धामेक तूप के पास ाचीण बौ मठ, सारनाथ, उ र दे श, भारत

बनारस छावनी टे शन से छह कलोमीटर, बनारस- सट


टे शन से साढ़े तीन कलोमीटर और सडक़ माग से
सारनाथ चार कलोमीटर र पड़ता है। यह पूव र रेलवे
का टे शन है और बनारस से यहां जाने के लए सवारी
तांगा और र ा आ द मलते ह। सारनाथ म बौ -
धमशाला है। यह बौ तीथ है। लाख क सं या म बौ
अनुयायी और बौ धम म च रखने वाले लोग हर
साल यहां प ंचते ह। बौ अनुयायी के यहां हर साल
आने का सबसे बड़ा कारण यह है क भगवान बु ने
अपना थम उपदे श यह दया था। स दय पहले इसी
ान से उ ह ने धम-च - वतन ारंभ कया था। बौ
अनुयायी सारनाथ के म , प र एवं कं कर को भी
प व मानते ह। सारनाथ क दशनीय व तु म अशोक
का चतुमुख सह तंभ, भगवान बु का ाचीन मं दर,
धामेक तूप, चौखंडी तूप, आ द शा मल ह।

कु शीनगर …

महाप र नवाण तूप, कु शीनगर, उ र दे श, भारत


कु शीनगर बौ अनुयायी का ब त बड़ा प व तीथ
ल है। भगवान बु कु शीनगर म ही महाप र नवाण
को ा त ए। कु शीनगर के समीप हर यवती नद के
समीप बु ने अपनी आखरी सांस ली। रंभर तूप के
नकट उनका अं तम सं कार कया गया। उ र दे श के
जला गोरखपुर से 55 कलोमीटर र कु शीनगर बौ
अनुयायी के अलावा पयटन े मय के लए भी खास
आकषण का क है। 80 वष क आयु म शरीर याग से
पहले भारी सं या म लोग बु से मलने प ंचे। माना
जाता है क 120 वष य ा ण सुभ ने बु के वचन
से भा वत होकर संघ से जुडऩे क इ ा जताई। माना
जाता है क सुभ आखरी भ ु थे ज ह बु ने द त
कया।

द ाभूमी …
द ाभू म, नागपुर, महारा , भारत

द ाभू म, नागपुर महारा रा य के नागपुर शहर म


त प व एवं मह वपूण बौ तीथ ल है। यह पर
डॉ॰ बाबासाहेब अ बेडकर ने 14 अ टू बर, 1956 को
अशोक वजयादशमी के दन पहले वयं अपनी प नी
ड॰ स वता आंबेडकर के साथ बौ धम क द ा ली
और फर अपने 5,00,000 ह द लत समथक को
बौ धम क द ा द थी। 1956 से आज तक हर साल
यहाँ दे श- वदश से 20 से 25 लाख बु और बाबासाहेब
के बौ अनुयायी दशन करने के लए आते है। इस
व एवं मह वपूण तीथ ल को महारा सरकार
ारा ‘अ’वग पयटन एवं तीथ ल का दजा दया गया
है।i

बौ समुदाय
संपूण व म लगभग 53 करोड़ बौ ह। इनम से
लगभग 70% महायानी बौ और शेष 25% से 30%
थेरावाद , नवयानी (भारतीय) और व यानी बौ है।
महायान और थेरवाद (हीनयान), नवयान, व यान के
अ त र बौ धम म इनके अ य कई उपसं दाय या
उपवग भी ह पर तु इन का भाव ब त कम है। सबसे
अ धक बौ पूव ए शया और द ण पूव ए शया के
दे श म रहते ह। द ण ए शया के दो दे श म भी बौ
धम ब सं यक है। अमे रका, ऑ े लया, अ का और
यूरोप जैसे महा प म भी बौ रहते ह। व म
लगभग 8 से अ धक दे श ऐसे ह जहां बौ ब सं यक
या ब मत म ह। व म कई दे श ऐसे भी ह जहां क
बौ जनसं या के बारे म कोई व सनीय जानकारी
उपल नह है।

बौ दे श या े क सूची …
अ धकतम बौ जनसं या वाले दे श
दे श बौ जनसं या बौ तशत
 चीन 22,50,87,000 18%

 जापान 4,33,45,000 36%

  वयतनाम 1,45,78,000 23%

 भारत 79,87,899 0.6%

 थाईलड 6,46,87,000 95% [4]

  या मार 4,99,92,000 80%

 द ण को रया 2,46,56,000 18%

 ताइवान 2,21,45,000 28%

 उ र को रया 1,76,56,000 12%

  ीलंका 1,60,45,600 75%[5]

 क बो डया 1,48,80,000 97%

 इंडोने शया 80,75,400 03%

 हांगकांग 65,87,703 93%

 मले शया 63,47,220 22%

 नेपाल 62,28,690 22%

 लाओस 62,87,610 98%

 अमे रका 61,49,900 02%

  सगापुर 37,75,666 67%

 मंगो लया 30,55,690 98%

  फ़लीपी स 28,55,700 03%

  स 20,96,608 02%

 बां लादे श 20,46,800 01%

 कनाडा 21,47,600 03%

  ाजील 11,45,680 01%

  ांस 10,55,600 02%


ब सं यक बौ दे श
आज व म 8 से अ धक दे श (गणतं रा य भी) म
बौ धम ब सं यक या मुख धम के प म ह।

अ धकृ त बौ दे श
व म , क बो डया, भूटान, थाईलै ड, यानमार और
ीलंका यह दे श "अ धकृ त" प से 'बौ दे श' है,
य क इन दे श के सं वधान म बौ धम को ‘राजधम’
या ‘रा धम’ का दजा ा त है।

स दभ
1. महा मा बु के समकालीन लोग
2. मीचा ईटु , दशन और धम का इ तहास, बुखारे ट,
कल क रोमा नया का काशन सं ा, दो हज़ार
चार, एक सौ इ यासी का पृ । (ISBN 973-
582-971-1)
3. आन द क टश कु मार वामी, ह धम और बौ
धम, नई यॉक, गो न ए ल सर ेस, दो हज़ार
यारह, चौह र का पृ । (ISBN 978-0-
9843082-3-1)
4. Department of Census and
Statistics,The Census of Population
and Housing of Sri Lanka-2011
Archived 17 अ टू बर 2017 at the वेबैक
मशीन.
5. "बौधम और ीलंकन सं कृ ती" . मूल से 20
दसंबर 2016 को पुराले खत. अ भगमन त थ
10 दसंबर 2016.

इ ह भी दे ख
गौतम बु
स ाट अशोक
व म बौ धम
बौ धम का इ तहास
पा ल भाषा का सा ह य
बौ श दावली
भारत मे बौ धम
त बती बौ धम
चीनी बौ धम
द लत बौ आंदोलन
नवयान
भारतयान
भारत म बौ धम का पतन
बाहरी क ड़याँ
धम वक

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ना कया गया हो।

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