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मं का अ धप त "ओउ्म्" का व प
दे वनागरी म ॐ
ॐ-आकार म गणेश का च
क ड म ओ३म
त मळ म ओम
मलयालम म ओ३म
ओम त बती म ओ३म
प रचय
ा त के लए न द व भ साधन म
णवोपासना मु य है। मु डकोप नषद् म लखा है:
कार
नानक य कहते ह …
मह व तथा लाभ …
लाभ …
ववेचना
त य वाचकः णवः
उस ई र का वाचक णव 'ॐ' है।
अ रका अथ जसका कभी रण न हो। ऐसे तीन
अ र — अ उ और म से मलकर बना है ॐ। माना
जाता है क स ूण ा डसे सदा ॐ क वनी नसृत
होती रहती है। हमारी और आपके हर ास से ॐ क ही
व न नकलती है। यही हमारे-आपके ास क ग त को
नयं त करता है। माना गया है क अ य त प व और
श शाली है ॐ। कसी भी मं से पहले य द ॐ जोड़
दया जाए तो वह पूणतया शु और श -स हो
जाता है। कसी दे वी-दे वता, ह या ई र के मं के
पहले ॐ लगाना आव यक होता है, जैसे, ीराम का मं
— ॐ रामाय नमः, व णु का मं — ॐ व णवे नमः,
शव का मं — ॐ नमः शवाय, स ह। कहा जाता
है क ॐ से र हत कोई मं फलदायी नह होता, चाहे
उसका कतना भी जाप हो। मं के प म मा ॐ भी
पया त है। माना जाता है क एक बार ॐ का जाप हज़ार
बार कसी मं के जाप से मह वपूण है। ॐ का सरा
नाम णव (परमे र) है। "त य वाचकः णवः" अथात्
उस परमे र का वाचक णव है। इस तरह णव अथवा
ॐ एवं म कोई भेद नह है। ॐ अ र है इसका
रण अथवा वनाश नह होता।
स य त अ य अथाः सवकमा ण च
ीम ागवत् म ॐ के मह व को कई बार रेखां कत
कया गया है। इसके आठव अ याय म उ लेख मलता
है क जो ॐ अ र पी का उ ारण करता आ
शरीर याग करता है, वह परम ग त ा त करता है।
सव वेदा य पदमामन त
तपाँ स सवा ण च य द त ।
य द तो चय चर त
त े पदँ सं हेण वी यो म येतत् ॥ १५ ॥ --
(कठोप नषद, अ याय १, व ली २),
ऋ भरेतं यजु भर त र ं
साम भय कवयो वेदय ते।
तम कारेणैवायतनेना वे त व ान्
य ा तमजरममृतमभयं परं चे त॥ ७॥ -- (
ोप नषद ५, ोक ७),
अथातः- साधक ऋ वेद ारा इस लोक को, यजुवद ारा
आ त र को और सामवेद ारा उस लोक को ा त
होता है जसे व जन जानते ह। तथा उस ंकार प
आल बन के ारा ही व ान् उस लोक को ा त होता है
जो शा त, अजर, अमर, अभय एवं सबसे पर ( े ) है।
वह यह आ मा ही अ र से ंकार है; वह मा ा
का वषय करके त है। पाद ही मा ा है और मा ा ही
पाद है; वे मा ा अकार, उकार और मकार ह।
ओ कार आ द म जाना।
ल ख औ मेट ता ह ना माना ॥
ओ कार लखे जो कोई।
सोई ल ख मेटणा न होई ॥
गु नानक ने ॐ के मह वको तपा दत करते ए
लखा है —
स दभ
1. 16 ोक म म हमा।
2. एक कार सतनाम
3. दे व तथा ैलो य का तीक।
4. ओउ्म, यं, रं, वं, सं, शं, षं, हं, फट् आ द
जसम अं
क मा ा का उपयोग हो वह मं एका री मं
होता है।
5. कार के लाभ
बाहरी क ड़याँ
ॐ : मानवता का सबसे बड़ा धन
धम म ॐ उ ारण का मह व
Aum in the Upanishads, Bhagavad Gita,
and Yoga Sutras Archived 18 दस बर
2007 at the वेबैक मशीन.
About.com on Aum in Hinduism
Improbable research: The repetitive
physics of Om
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