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जीवन प रचय
क ववर भूषण का जीवन ववरण वह जाती के भ
अथवा राव थे उनके ज म मृ यु, प रवार आ द के वषय
म कुछ भी न त प से नह कहा जा सकता राव
भूषण का ज म संवत 1670 तदनुसार ई वी 1613 म
आ। उनके पता का नाम र नाकर राव भ था। वे
चंङ सा राव थे-[1]
रचनाएँ
व ान ने इनके छह ंथ माने ह - शवराजभूषण,
शवाबावनी, छ सालदशक, भूषण उ लास, भूषण
हजारा, षनो लासा। पर तु इनम शवराज भूषण,
छ साल दशक व शवा बावनी ही उपल ध ह।
शवराजभूषण म अलंकार, छ साल दशक म छ साल
बुंदेला के परा म, दानशीलता व शवाबवनी म शवाजी
के गुण का वणन कया गया है।
का गत वशेषताएँ
री त युग था पर भूषण ने वीर रस म क वता रची। उनके
का क मूल संवेदना वीर- श त, जातीय गौरव तथा
शौय वणन है।[3] नरीह ह जनता अ याचार से
पी ड़त थी। भूषण ने इस अ याचार के व आवाज
उठाई तथा नराश ह जन समुदाय को आशा का
संबल दान कर उसे संघष के लए उ सा हत कया।
इ ह ने अपने का नायक शवाजी व छ साल को
चुना। शवाजी क वीरता के वषय म भूषण लखते ह :
यु मूलक
क व ने शवाजी को धम व सं कृ त के उ ायक के प
म अं कत कया है। शवाजी ने मुसलमान से ट कर ली
तथा ह क र ा क । उ ह ने शवराज और शाल
क म हमा का वणन कया है
भाषा
शैली
छं द
सं कृ त अनुराग
सा ह य अनुराग
महापु ष के त ा
भूषण ने अतीत व वतमान के महापु ष व जननायक
के त ृ ा क है। इ ह ने शवाजी और
छ साल बु दे ला या अ य कोई पा सभी का उ लेख
केवल उ ह संग म कया है जो रा ीय भावना से
संबं धत थे। जैस े :
उ साह
सा ह य म थान
भूषण का हद सा ह य म एक व श थान ह। वे वीर
रस के अ तीय क व थे। री त कालीन क वय म वे
पहले क व थे ज ह ने हास- वलास क अपे ा रा ीय-
भावना को मुखता दान क । उ ह ने अपने का
ारा त कालीन असहाय ह समाज क वीरता का पाठ
पढ़ाया और उसके सम र ा के लए एक आदश
तुत कया। वे न संदेह रा क अमर धरोहर ह।
सारांश
ज म संवत तथा थान - 1670
मृ यु - संवत 1772।
ंथ - शवराज भूषण, शवा बावनी, छ साल दशक।
व य वषय - शवाजी तथा छ साल के वीरतापूण
काय का वणन।
भाषा - ज भाषा जसम अरबी, फ़ारसी, तुक
बुंदेलखंडी और खड़ी बोली के श द मले ए ह।
ाकरण क अशु दयां ह और श द बगड़ गए ह।
शैली - वीर रस क ओजपूण शैली।
छं द - क व , सवैया।
रस - धानता वीर, भयानक, वीभ स, रौ और ृंगार
भी है।
अलंकार - ायः सभी अलंकार ह।
स दभ
1. शवराजभूषण (नवल कशोर ेस लखनऊ)
2. का गौरव (पृ ८७) (लेखक-राम दरश म )
3. का गौरव (पृ ८६) (स पादक-डॉ रामदरश
म )
4. म य दे श (भूषण क रा ीय भावना, पृ १९१)
इ ह भी दे ख
शवा बावनी
शवराज भूषण
चंद बरदाई
हद सा ह य
री त काल
बहारी
केशव
बाहरी क ड़याँ
भूषण थावली (गूगल पु तक)
भूषण को कन मायन म रा ीय कह? (सजना,
ह द च ा)
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