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स : 2020 -21
क ा - छठ
पाठ : 11 (जो दे खकर भी नह दे खते)
पाठ का सारांश
यह नबंध एक ऐसी म हला ारा र चत है, जो डेढ़ वष क आयु म ही
अपनी दे खने-सुनने क श खो चुक थी। कभी-कभी वह अपने
-संप म क परी ा यह जानने के लए लेती है क वे अपनी
का कतना उपयोग करते ह। जंगल क सैर से लौट अपनी एक सहेली
से वह पूछती है क उसने जंगल म या- या दे खा, तो वह उ र दे ती है
क कु छ खास नह । यह सुनकर उसे आ य नह होता य क
अकसर उसे ऐसे ही जवाब सुनने को मला करते ह। वह मानती है क
आँख वाले लोग अकसर ब त कम दे खते ह। या यह संभव है क
घंटाभर जंगल म घूमकर भी कोई कु छ भी खास न दे ख सके । वह वयं
अपनी बात कहती है क कृ त म व मान सैकड़ रोचक चीज़ को
वह छू कर पहचान सकती है; जैसे-पेड़ क प याँ, फू ल क
घुमावदार बनावट आ द। इनके श से उसे अ यंत खुशी ा त होती
है। च ड़या के मधुर वर, झरने के बहते पानी को अँगु लय के बीच
महसूस करना और बदलता आ मौसम उसे अपार खुशी दान करते
ह। कभी-कभी वह कृ त क इस सुंदरता को दे खने के लए
अ य धक बेचनै हो जाती है। वह कहती है क आँख वाले लोग इन
चीज़ को इस तरह य नह दे खते। मनु य कभी उन चीज क कदर
नह करता जो उसके पास ह। का आशीवाद जीवन को रंग से
भर सकता है, हम यह बात समझनी चा हए।
हेलेन के लर र हत ह। अतः उ ह यह पता है क कसी चीज़ के न
होने पर उसक कमी कतनी खलती है। ले खका कहती ह क जस
मनु य के पास जो व तु नह होती है वह उसके पीछे दौड़ता रहता है।
वह उस व तु का उपभोग नह करता, जो उसके पास ह। अपनी
उन मता का योग कर, जो आपके पास ह। उनसे अपने पथ पर
आगे बढ़ न क उन चीज़ को लेकर रोते रह जो आपके पास ह ही
नह । हमेशा अपनी मता को यान म रखकर काय कर। अपनी
मता से आगे जाकर काम न कर। वह आपके लए ही हा नकारक
होगा। अथात् हमारे पास जो है, हम उसका उपयोग कर भरपूर आनंद
उठाना चा हए और वयं को नखारना चा हए। इस अ याय से हम यह
श ा ा त होती है।
श दाथ
परी ा लेना - जाँचना। परखना - जाँच करना, नरी ण करना। हाल
ही म - कु छ ही समय पहले। सैर - मण, घूमना- फरना। खास -
वशेष। अचरज़ - आ य। आद होना - आदत लग जाना। व ास -
भरोसा, यक न। वशेष - खास। रोचक - दलच । श - छू ना।
क लयाँ - वे फू ल जो अभी खले न ह । मखमली सतह -मखमल के
समान कोमल, मुलायम परत। महसूस करना - अनुभव करना। अपार
- ब त, जसक कोई सीमा न हो । आनंद - खुशी। अहसास -
अनुभव। खुशनसीब - भा यशाली। मधुर - मीठे । वर - आवाज़।
आनं दत - खुश। समाँ - वातावरण। मचलना - बेचनै होना। मु ध होना
- मो हत होना। संवेदना - अनुभू त, चेतना। मता - गुण, ताकत।
कदर करना - मान दे ना, इ ज़त करना। आस लगाना - इंतज़ार करना।
- दे खने क श । नयामत - ई रीय उपहार। इं धनुषी रंग -
इं धनुष क तरह सात रंग। हरा-भरा करना - सुंदर बनाना ।
पा गत ो र ( नबंध से)
भाषा क बात -
1. पाठ म 'श' से संबं धत कई श द आए ह। नीचे ऐसे कु छ और
श द दए गए ह। बताओ क कन चीज का श ऐसा होता है -
चकना - तेल, घी, म, घड़ा और फश
चप चपा - तेल और पघला आ गुड़
मुलायम - ब तर और रेशमी कपड़ा
स त - लकड़ी, प र, द वार और लोहा
खुरदरा - फश और पेड़ क छाल
भुरभुरा - अबरक, रेत और म का ढे र
3. • म अब इस तरह के उ र क आद हो चुक ँ।
• उस बगीचे म आम, अमलतास, सेमल आ द तरह-तरह के पेड़ थे।
ऊपर दए गए दोन वा य म रेखां कत श द दे खने म मलते-जुलते ह,
पर उनके अथ भ ह। नीचे ऐसे कु छ और श द दए गए ह। वा य
बनाकर उनका अथ करो।
अव ध - थोड़ी - सी अवधी म यह काय पूरा नह हो सकता ।
यह -प पूण करने क अव ध 3 घंटे क है ।
अवधी - अवध े म अवधी भाषा बोली जाती है ।
राम च रत मानस क भाषा अवधी है ।
ओर - यह रा ता मेरे घर क ओर जाता है।
सड़क के दोन ओर छायादार पेड़ ह ।
और - राम और याम भाई ह।
म व ालय जाता ँ और मेरी छोट बहन घर पर रहती है ।
म - सुमन से मेरी मुलाकात बगीचे म ई थी।
ध म पानी मत मलाओ ।
म - म राँची का नवासी ँ।
म उसे अ तरह जानता ँ ।
अ य मह वपूण ो र-
०1. ले खका का दल कभी-कभी य मचल उठता है ?
उ र - कृ त म व मान चीज को दे खने के लए ले खका का दल
कभी-कभी मचल उठता है। वह सोचती है क इन चीज़ के श से
जब उसे इतनी खुशी मलती है, तो उ ह दे खकर उसका मन कतना
मो हत हो जाएगा।
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